Fantasy मोहिनी

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Dolly sharma
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Re: Fantasy मोहिनी

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सारा ग़म और क्रोध में लरजने लगी। मैंने उन सबको ख़ामोश रहने का इशारा किया। फिर उस जासूस को संबोधित करते हुए कहा।
“रॉबर्ट ने इस षड्यंत्र का जाल क्यों बिछाया था ?”


“इस षड्यंत्र के द्वारा रॉबर्ट अमित ठाकुर को रास्ते से हटा कर सारा से शादी करके तमाम जायदाद और दौलत पर कब्जा करना चाहता था।

“उसे अमित के बढ़ते हुए प्रभाव से यह ख़तरा हो गया था कि कहीं सारा उसके हाथ से निकल न जाए। इससे अधिक मुझसे मत मालूम करो। मैं दर्द की हालत में तड़प रहा हूँ। मुझे आज़ादी चाहिए।”

“आज्ञा है!” मैंने ठोस आवाज़ में कहा। दूसरे ही क्षण जासूस सिर झपटकर अपनी स्थिति में आ गया।

हार्डी मुझसे बुरी तरह प्रभावित नज़र आ रहा था। जासूस के उठने के बाद उसने सबसे पहले रॉबर्ट की ज़ेब की तलाशी ली। उसके कोट की ज़ेब में ज़हर की शीशी बरामद हो गयी। वह उसके कोट की अंदरूनी ज़ेब में मौजूद थी।

होटल से निकलकर मोहिनी इसलिए गयी थी कि रॉबर्ट को वही कोट पहनने पर मजबूर करे जिसमें ज़हर की शीशी मौजूद है। रॉबर्ट ने ज़हर की शीशी बरामद होने के बाद भी लार्ड के कत्ल को नहीं स्वीकारा।

लेकिन लजमी नामी नौकरानी के सूटकेस से दो सौ पौंड की रक़म बरामद हुई और लाजमी ने स्वीकार किया कि उसने रॉबर्ट की दी हुई रक़म के लालच में दूध में ज़हर मिलाया था।

रॉबर्ट का चेहरा जर्द पड़ गया।

सारा की हालत इस बीच पागलों की सी हो रही थी। वह बार-बार रॉबर्ट की तरफ़ खूँखार अंदाज़ में लपकती थी लेकिन मैंने उसे कठोरता से पकड़ रखा था।

पुलिस स्टाफ रॉबर्ट और लजमी के ठोस सबूत के साथ गिरफ़्तार करके ले जाने लगी तो हार्डी ने मुझसे कहा-
“मिस्टर अमित! आपसे दूसरी मुलाक़ात निश्चय ही मेरे लिए गर्व की बात होगी।”

सारा का पागलपन बढ़ता जा रहा था। वह दर्दनाक अंदाज़ में विलाप कर रही थी।

रॉबर्ट के क़ातिल साबित होने से सारा के जेहन पर बुरा प्रभाव पड़ा था। मेरे लिए उसे संभालना कठिन हो रहा था।
जब तक डॉक्टर नहीं आया सारा दीवारों से सिर टकराने की कोशिश करती रही। डॉक्टर ने उसे बेहोशी का इंजेक्शन दिया। आख़िर उसकी हालत संभलने लगी।

मुझे रात उसी के यहाँ गुजारनी पड़ी। यहाँ यह सवाल किया जाएगा कि इस घुमाव-फिराव वाली कार्यवाही की क्या आवश्यकता थी। मोहिनी को रॉबर्ट के सिर पर भेज कर जुर्म का इक़बाल करवाया जा सकता था। हाँ, यह बात आसान थी। मगर इसके लिए मोहिनी को अर्से तक रॉबर्ट के सिर पर रहना पड़ता। और मैं लंदन जैसे अजनबी शहर में मोहिनी के बिना नहीं रह सकता था। इसलिए मैंने पुलिस वालों, जासूसों और सारा के सामना ऐसी परिस्थिति पैदा कर दी कि मोहिनी को बार-बार भेजने की परेशानी न उठानी पड़े और मैं सभ्रांत व्यक्ति की हैसियत से पुलिस की नज़रों में आ जाऊँ।

इस घटना की जाँच-पड़ताल के संबंध में मैंने पुलिस से पहले ही वचन ले लिया था और मुझे उम्मीद थी कि अब वह मुझे बदनाम नहीं करेंगे। क्योंकि अगर वह इस बीच घटनाक्रम से मुझे निकाल भी देते तो भी प्रकाश की ठोस मजबूती से उन्हें मुकदमा अदालत में ले जाने में कोई परेशानी नहीं आती।
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लार्ड स्मिथ की मौत को लगभग बीस दिन हो गए थे। रॉबर्ट और लजमी मामला अदालत में पेश था लेकिन इस घटना ने लंदन में मेरा चैन सुकून गारत कर दिया।

वैसे मुझे अदालत में कभी पेश नहीं होना पड़ा।

मुझे अहसास था कि जो नौजवान किसी के कत्ल का इरादा करेगा उसका अतीत निश्चय ही जरायम पेशा हिमायती निश्चय ही मुझे परेशान करेंगे और यही हुआ।

मेरा अपहरण कराने और कत्ल कराने तक की कोशिश की गयी। कई छोटी-छोटी घटनाएँ घटी।

मोहिनी इस मारा-मारी और हंगामों से ख़ुश होती थी। यह सारी घटनाएँ अधिक दिलचस्प नहीं है। मैं उन्हें बयान करना निरर्थक समझता हूँ।

मेरी आप बीती खासी लम्बी हो गयी है। मैं घटनाएँ समेट रहा हूँ। कोई कहाँ तक मेरी आप बीती को याद करेगा। कहाँ तक मेरी दास्तान सुनेगा और मैं कहाँ तक सुनाऊँगा।

फिर भी दिल पर ऐसे ज़ख़्म हैं गुबार जेहन में हैं कि एक ज़ख़्म कुरेदता हूँ तो दूसरा उसके पहलू में हरा हो जाता है। एक बात खत्म करता हूँ तो दूसरी खुद ब खुद शुरू हो जाती है।

मुझे नहीं मालूम कि मेरी आप बीती सुनने वालों पर क्या प्रभाव पड़ा। फिर भी इस सच्चाई से किसी को इनकार नहीं होगा कि मैंने साधारण इंसानों से कहीं अधिक तजुर्बे किए हैं और सदमे उठाए हैं। ऐसी आश्चर्यजनक घटनाओं से मेरा वास्ता पड़ा है कि इंसानी मस्तिष्क उसे स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं होता।

मेरे पास एक शक्ति थी और मैंने उसके जरिए इंसानों को अंदर से खंगाला, टटोला है। मौत, दरिंदगी, गरीबी, कमजोरी, अमीरी इंसान के साथ-साथ पैदा होती है। बहुत से लोग अपनी आप बीती या गुनाहों से पर्दा उठाने से कतराते हैं लेकिन मुझ पर जो गुजरी मैं बिना किसी हेर-फेर के बयान कर रहा हूँ।

लंदन में भी मेरे साथ अजीब-अजीब घटनाएँ घटीं। यूँ तो मेरी सारी ज़िंदगी घटनाओं का कूड़ेदान है, फिर भी मैं आगे बयान करता हूँ।

रॉबर्ट ने गुंडे मेरे पीछे लगवाए थे लेकिन जिसके पास मोहिनी जैसी अदृश्य शक्ति हो उसके गुंडे भला क्या बिगाड़ सकते हैं।

उधर रॉबर्ट के माँ-बाप अपने सुपुत्र को बरी कराने के लिए जी तोड़ कोशिश कर रहे थे। ऐसे हालात में मेरा लंदन में रहना ज़रूरी था। अगर मैं फरार हो जाता तो ऊँची नस्ल के गोरे लोग हिन्दुस्तान तक मेरा पीछा नहीं छोड़ते।

जब रॉबर्ट के चरित्र की छानबीन की गयी तो कि उसकी आवारागर्दी की घटनाएँ भी प्रकाश में आ गयी। सारा धीरे-धीरे पिता का ग़म भूलने लगी। वह सुंदर लड़की अब अपने पिता की तमाम जायदाद की अकेली मालिकिन थी।
उसने मुझसे बहुत विनती की कि मैं उसके यहाँ रहूँ लेकिन अपनी इस कोशिश में वह नाकाम रही।

शुरू-शुरू में तो सारा का खूबसूरत पैकर देखकर मेरे दिल में कसक सी होती थी लेकिन अब लार्ड की अचानक मृत्यु के बाद सारा की हालत पर तरस आने लगा था। और वह थी कि मेरे नाम पर जीती थी। सारा के रिश्तेदारों और लार्ड के निकटतम दोस्तों ने उसके गिर्द घेराव डाल दिया था क्योंकि अब सारा बेसहारा लड़की थी।

सारा का दिल बहलाने और उसका ग़म मिटाने के लिए हर समय एक हजूम मौजूद रहता। यह हजूम देखकर मैं उससे किसी कदर दूर रहने की कोशिश करने लगा।

वह लोग मुझे नफ़रत भरी नज़र से देखते थे। सारा को मैं अक्सर यह बात समझाता कि जो लोग उसके पापा की मौत के बाद अचानक उसके शुभचिंतक बनकर उसके इर्द-गिर्द जमा हो गए हैं, उनसे उसे सावधान रहना चाहिए। शाम को मैं उसे छोड़ देता और शाम को ही वे लोग सारा के गिर्द ग़ोल बना लेते।

मैं उसके साथ रात-दिन नहीं रह सकता था इसलिए कि मैं लंदन में सिर्फ़ सारा की वजह से नहीं आया था। सारा तो रास्ते में मिल गयी थी।

शहर में गुंडों ने जब मुझे बहुत परेशान कर दिया तो मैं लंदन के एक देहाती क्षेत्र में चला गया।

यह जगह शहर से तीस मील दूर थी लेकिन सारा प्रतिदिन मुझसे मिलने आती थी। और घंटों मेरे पास मेरे पहलू में बैठी रहती। मेरी बाहों में सिमटी रहती।

मैं उसकी उदास आँखों में झाँकता रहता। उसने कई बार मुझे रक़म की पेशकश की, मगर मैंने मुस्कराकर टाल दिया।
उसे क्या मालूम था कि कुँवर राज ठाकुर हर शाम ज़िंदा होते थे। जिस तरह लंदन पर शाम ढलते शबाब आता था। दिन में यूरोप और एशिया में अंतर क्या है। अंतर केवल रात का है।

लंदन में रात बड़ी हसीन होती है। रात को लंदन के ऊँचे दर्जे के हसीनों में प्रविष्ट होने के बाद मेरे पास दौलत की कमी नहीं रहती थी। मैं दिन भर यही सोचता रहता था कि यह रक़म किस तरह ठिकाने लगाऊँ। रोज़ रात आ जाती और रक़म फिर भी बाकी रह जाती थी।

कुछ दिन लार्ड की मृत्यु के बाद सारा के साथ समय गुज़र गए। उसके बाद मैं लंदन घुमा और मैंने कल की चिंता न करके हर आज की रात लंदन की रंगिनियों में गुज़ार दी।

एक के बाद एक होटल, शबाब मस्ती की महफिलें, नाज़ुक जिस्मों की सरसराहटें, उनके बदन की सुगंधें।
लंदन में भला और क्या था।
मैं सब कुछ भूल गया।

दिन भर यह लोग काम करते थे और रात में मस्ती में डूब जाते थे। उन्हें ग़ुलाम बनाना और ऐश करना आता था। मैं जब वहाँ गया तो उन्हीं के जैसे हो गया था।

उन दिनों लंदन में ऐसे भी कुछ होटल या क्लब थे जहाँ काले लोगों के दाख़िल होने पर पाबंदी थी। यह गोरे धनवानों के आने-जाने की जगह थी।

उन होटलों को देखकर न जाने क्यों यह जी चाहता था कि अंग्रेज़ों का पूरा शहर आग में झोंक दूँ। उनकी पूरी नस्ल तबाह कर दूँ। वैसे भी इन्होंने हमारे मुल्क पर क्या कम अत्याचार किए थे। यही वे लोग थे जिन्होंने हमें ग़ुलामी की जंजीरे पहनायी थीं।

मेरी यह भावना भड़कती गयी और इसी चिंगारी की तपिश ने मुझे लंदन के एक ऐसे क्लब में जाने के लिए उकसाया जिसमें हम काले दाख़िल नहीं हो सकते थे।

लंदन से पाँच मील दूर ब्रिटानिया के अमीरों का एक क्लब खासा प्रसिद्ध था। सुना था कि वहाँ सिर्फ़ बड़े लोग ही जा सकते हैं।

जब मुझे मोहिनी ने बताया कि सारा के मेहरबान दोस्तों ने उसे अपनी तरफ़ प्रभावित करने और उसकी दौलत पर कब्जा जमाने के लिए उसे उस क्लब में ले जाना शुरू कर दिया है तो मुझसे रहा नहीं गया।

सारा दुश्मनों के चंगुल में घिर गयी थी। मैं किस-किस से लड़ता।

एक रात मैंने फ़ैसला कर लिया कि मैं उस क्लब में जाऊँगा और उनके चेहरे देख लूँगा। मेरी यह इच्छा कतई फितरी थी। मोहिनी जिसके पास हो उसके दिल में ऐसी तूफानी इच्छाएँ ज़ोर से उभरती हैं।

उस रात मैं खूबसूरत महँगा सूट पहने गाड़ी किराए पर ली और मंज़िल की तरफ़ रवाना हो गया।

जब मेरी गाड़ी क्लब के गेट पर पहुँची तो दो कौड़ी के एक दरबान ने सख़्ती के साथ मुझे आगे जाने से मना कर दिया।
मैंने ज़ेब में हाथ लगाकर कुछ रक़म उसके हाथ में रख दी। वह गोरा हिन्दुस्तानी साबित हुआ। किसी कदर हिचकिचाहट के बाद उसने मुझे रास्ता दे दिया।

मेरी कार इमारत की खूबसूरत लान को पार करती हुई क्लब के अंदर दरवाज़े पर पहुँच गयी। अंदर दाख़िल होने के नियम सख़्त थे।

सबसे पहले मेरी कार का दरवाजा एक तंदुरुस्त अंग्रेज़ ने खोला। जब मैं कार से बाहर उतरा तो वह मुझे देखकर ठिठक गया।

उसने कठोर स्वर में मुझे क्लब में दाख़िल होने से मना कर दिया। मैंने उससे निवेदन किया कि मैं हिन्दुस्तान की एक रियासत का जागीरदार हूँ। ब्रिटेन के विशेष अधिकार प्राप्त है मुझे। मेरी गिनती उन कालों में नहीं होती जो एशिया, अफ्रीका या अमेरिका से आते हैं।

वह मुझसे बिल्कुल प्रभावित नहीं हुआ। उसे टिप देने की पेशकश भी नाकाम साबित हुई।

फिर मैंने कहा- “मुझे जाने दो। यह ताज ब्रिटानियों के एक पद की तौहीन है।”

उसने इस बात की भी परवाह न की। अच्छी-खासी झड़प होने लगी। कुछ मैं भी गरम हो गया।

मैंने मोहिनी को उसके सिर पर भेजने का संकेत नहीं किया। यह तू-तू, मैं-मैं देखकर क्लब के दूसरे कर्मचारी भी आ गए थे। फिर मैंने क्रोधित स्वर में कहा-
“सुनो, मैं यह कमीनी हरकत बर्दाश्त नहीं कर सकता। मुझे अंदर जाने की अनुमति मिलनी चाहिए।”


यह कहकर मैंने अपना पिस्तौल निकाल लिया। पिस्तौल देखते ही वे घबराकर पीछे हट गए और मैं लापरवाही के साथ क्लब में दाख़िल हो गया।

वहाँ हल्की-हल्की रोशनी थी। वहाँ चारों तरफ़ कहकहे, शराब की बदबू फैली हुई थी। अंदर की इमारत से एक शान टपकती थी। मैंने पिस्तौल ज़ेब में रखा और लंदन के रईस जादों के बीच बैठ गया

अधिकतर मेजें भरी हुई थी और विभिन्न जोड़े एक-दूसरे से बेपरवाह होकर अपनी-अपनी मस्ती में डूबे थे। बेड हाल के इर्द-गिर्द कमरे थे।

उन कमरों में दूसरी तफरीह का प्रबंध था। मुझे मालूम था कि वे क्लब में कोई हंगामा नहीं करेंगे लेकिन मेरा ख़्याल ग़लत निकला।
ramangarya
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Re: Fantasy मोहिनी

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Nice update. Update jaldi diya kijiye
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Dolly sharma
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Re: Fantasy मोहिनी

Post by Dolly sharma »

मेरे बैठते ही एक व्यक्ति मेरे क़रीब आया और क्लब के नियमादि के बारे में बताने लगा। मैंने कहा कि मेरा उद्देश्य केवर कुछ देर की सैर, तफरीह है। लंदन के अमीरों की ज़िंदगी क़रीब से देखना चाहता हूँ। बर्तानियों में मेहमान के साथ ऐसा व्यवहार नहीं करना चाहिए।

वह संतुष्ट होकर चला गया। मेरे हिन्दुस्तानी होने की वजह से क्लब के बहुत से सदस्यों ने अपना ध्यान मेरी तरफ़ आकर्षित कर लिया। कर्मचारी मेरे पास आकर खुशामद करते रहे और मैं ढिठाई से बैठा रहा।

सारा मुझे नज़र नहीं आ रही थी। उस अजनबी वातावरण में मैं किसी कदर परेशानी महसूस कर रहा था। क़ीमती फर्नीचर, झाड़-फानूस, खूबसूरत पर्दे। हर तरफ़ दौलत का प्रदर्शन हो रहा था।

आख़िर मुझे धमकी दी गयी कि पुलिस बुला ली जाएगी। मैंने मुस्कराकर कहा कि वह यह पैंतरा भी आज़मा लें।
मैं अकेला बैठा था। वहाँ लंदन की जानी-मानी हस्तियाँ जमा थीं। ऐसी हसीन लड़कियाँ जो सड़कों पर मुश्किल से देखने में आती हैं।

तन्हाई दूर करने के लिए ज़रूरी था कि कोई हंगामा किया जाए। किसी लड़की को बुलाया जाए।


मैंने मोहिनी को संकेत किया कि वह उस हाल में सबसे सुंदर लड़की को मेरे पास बुलाए। क्षण भर की देर थी कि मैंने देखा जिप्सी में लिपटी एक बहुत हसीन लड़की मेरे पास लड़खड़ाटी हुई आई। उसने मुझे अभिवादन किया और बैठने की अनुमति माँगी।
मैंने उसे कुर्सी पेश की।

मुझे उसके निकट देखकर क्लब के कर्मचारी कुछ संतुष्ट हो गए। मोहिनी तुरंत मेरे सिर पर आ गयी। वह लड़की भयभीत अंदाज़ में मुझे देखने लगी।

मैंने धीमे स्वर में कहा-
“मेरा नाम अमित ठाकुर है। मैं हिन्दुस्तान से यहाँ आया हूँ। आपसे मिलकर ख़ुशी हुई।”

“मुझे आरमा आर्थर कहते हैं। मुझे भी आपसे मिलकर ख़ुशी हुई। आप यहाँ कब तशरीफ लाए ?” उसके स्वर में शराफत थी।

“मुझे यहाँ आए हुए दो माह के लगभग हो गए।”

“हिन्दुस्तान, रहस्यमय हिन्दुस्तान! मुझे वह देखने की बड़ी इच्छा है। मैंने वहाँ के मंदिरों, ऋषि-मुनियों और इमारतों के बारे में बहुत कुछ सुना है। क्या वास्तव में हिन्दुस्तान इतना सुंदर है जितना समझा जाता है ?” उसने मासूमियत से पूछा।

“हिन्दुस्तान की सरजमीं हसीन है। लेकिन लोग यहाँ के हसीन हैं। यह बड़े धार्मिक और अतिथि सत्कार वाले हैं।”
इस अर्से में मेरे आर्डर पर मेरी मेज़ विभिन्न प्रकार के पेय पदार्थों और दूसरे सामानों से भर गयी थी।

मैंने बातों से उसे प्रभावित कर लिया था। उसे एक बहुमूल्य हार उपहार में दिया। यह हार मैं ऐहतियातन अपनी ज़ेब में रख लाया था। अब वार्तालाप शुरू हुआ जो मेरा हसीन लड़कियों से अक्सर होता था।

कोई एक घंटे की हसीन दिलफरेब बैठक के बाद भी वह सुंदरी मेरे पास से उठने को तैयार नहीं थी। इस बीच हाल भर गया था और आरमा के इर्द-गिर्द कुछ अमीरजादे चक्कर लगा रहे थे। मैंने अभी तक अपनी मोहिनी से कोई विशेष काम नहीं लिया था।

जब मैं आरमा से बातें करने में व्यस्त था तो मोहिनी ने मुझे संकेत दिया-
“सारा!”

मैंने पलटकर देखा। वास्तव में सारा अपने बदन पर अडॉलीना वस्त्र लिपटाए, बगली कमरे से एक चालीस साल के व्यक्ति के साथ आ रही थी। उसकी आँखें चढ़ी हुई थी।


सारा ने मुझे देखा और मोहिनी ने मुझे बताया कि यह व्यक्ति लार्ड स्मिथ के रिश्तेदारों में से एक है। और इस लड़की को हथिया लेना चाहता है। इसकी नज़रें सारा की दौलत पर है।


उसके हाथ सारा की कमर पर थे और उदास सारा खासी झुकी हुई थी। उसके पीछे दो-तीन अधेड़ उम्र के आदमी और नज़र आ रहे थे।

वह मुझसे कुछ दूर एक कुर्सी पर जम गए। मालूम हुआ कि अंदर जुए का कमरा है। जहाँ से वे सारा को खिलाकर हाल में ले आए थे। सारा कभी-कभी उनकी बात पर ज़ोर से कहकहा लगाती और वे बेतहाशा उसका साथ देते।
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Dolly sharma
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Re: Fantasy मोहिनी

Post by Dolly sharma »

सारा को इन मुसटंडो के साथ देखकर मुझे ऐसा महसूस हुआ जैसे मेरी कुलवंत, मेरी माला, मेरी डॉली और मेरी तरन्नुम गुंडों से घिर गयी हो।


मेरा खून खोलने लगा। सारा से एक अजीब लगाव दिल को महसूस होता था। दिन भर वह मेरे साथ थी। रात को मैंने उसे इस बदमस्ती के आलम में देखा तो मेरा जेहन एकदम से झुलसने लगा।


इधर आरमा मेरे चेहरे की उड़ती गत देख रही थी। मैं कोई योजना बना रहा था कि होटल के चार कर्मचारी मेरे पास आ खड़े हुए। उनमें से एक ने मुझे आरमा से छिपाकर पिस्तौल दिखाया।

मैं इस धमकी पर मुस्कुरा दिया। उन्होंने मुझे उठने का संकेत किया। मैं अपनी जगह बैठा रहा। वह मुझे कोई साधारण आदमी समझ रहे थे। कोई लुच्चा-लफंगा।

किसी वक्त भी कोई बड़ा हंगामा हो सकता था। जब मैं अपनी जगह पर बैठा रहा तो मुझे एक जानी-पहचानी सूरत अपनी तरफ़ आती दिखायी दी। वह जब मेरे निकट आया और मेरी सूरत देखी तो लपक कर हाथ बढ़ा दिया।


“हैल्लो अमित ठाकुर! अरे आप कहाँ रहते हैं ? मैं तो आपको तलाश कर रहा था।”

“जिम...जिम...! अहा...जासूस जिम। क्यों कैसे हो ? देखो भाई, यह लोग मुझे परेशान कर रहे हैं।”


यह वही जासूस था जिसे मैंने माध्यम बनाकर लार्ड स्मिथ की आत्मा बुलाने का काम लिया था। उसने आते ही उन लोगों को धमका दिया।

“यह अमित ठाकुर हैं। इनकी इज़्ज़त करो। तुम लोगों ने सिर्फ़ इन्हीं की वजह से मुझे बुलाया है। लोगों को पहचाना करो। इस क्लब में महत्वपूर्ण लोगों की सूची में मिस्टर अमित ठाकुर का भी नाम लिखो।”

“जिम ने उल्टा उन्हीं को बुरा-भला कहना शुरू कर दिया।

मेरे क़रीब से भीड़ छँट गयी। जिम लगावट की बातें लगा। मैंने आरमा का उससे परिचय कराया।

”लेकिन मुझे यक़ीन है कि आप यह नहीं जानती कि आप कितने दिलचस्प और महान व्यक्ति के साथ इस समय बैठी हैं।”

“मैं इनसे निरंतर प्रभावित हो रही हूँ।” आरमा ने मुस्कुरा कर कहा।

“यह बड़े छिपे रुस्तम हैं।” उसने आरमा से कहा फिर मुझसे संबोधित हुआ- “मिस्टर अमित ठाकुर, मैं इस क्लब में आपका स्वागत करता हूँ। मुझे अफ़सोस है कि आपके साथ ज्यादती हुई।

“इन लोगों ने मुझे फ़ोन करके बुलाया है। मगर चलिए अच्छा हुआ आपसे मुलाक़ात हो गयी। मिस आरमा, बताइए आपने अमित से कुछ पूछा ?”


“किस बारे में ?” आरमा ने सादगी से पूछा।

“अरे यह दिल का हाल बता देते हैं। न जाने किस-किस विद्या के विशेषज्ञ हैं। लंदन में ऐसे लोग आए हैं और उनका फ़ायदा न उठाया जाए, यह सितम है।” जिम ने चहककर कहा।

मैं खामोशी से सुनता और मुस्कराता रहा। मेरी नज़रें सारा पर थीं। वह अब साज़ की धुन पर नृत्य कर रही थी।
हाल में साज़ के संगीत से एक खलबली सी मची हुई थी।


जिम मेरे बारे में आरमा से हैरतअंगेज बातें करता रहा। मोहिनी ख़ामोश बैठी शायद किसी आज्ञा की प्रतीक्षा में थी।
सारा के साथ नृत्य करने वाले को देखकर मेरे दिल में आग सी लग गयी। मैंने मोहिनी को उसके ऊपर छोड़ दिया। अचानक वह होटल में अभद्रता प्रकट करने लगा। उस हाल में बैठी औरतों को नोचना-खसोटना और बोतलें यहाँ-वहाँ फेंकना शुरू कर दिया। वह कहकहे लगा रहा था। नृत्य करते जोड़े भाग कर इधर-उधर सिमटने लगे।

सारा ने उसे थामने की बहुत कोशिश की लेकिन वह किसी पागल कुत्ते की तरह बेकाबू हो गया। उसने जाम तोड़ दिए। उसने औरतों के गिरेबानों में हाथ डाल-डालकर उनकी ब्रा फाड़नी शुरू कर दी।

चंद मिनटों में हाल में चीख-पुकार मच गयी। शराब फर्श पर बहने लगी और गिलास दूर दीवारों से टकराने लगे।

बेतरतीबी हंगामा और अफरा-तफरी देखकर लोग भागने लगे। न जाने उस व्यक्ति में इतनी शक्ति कहाँ से आ गयी थी कि वह काबू में नहीं आ रहा था।


क्लब के कर्मचारी भयभीत होकर इधर-उधर फिर रहे थे। आरमा का भी मारे भय के बुरा हाल था। मैं दूर बैठा इस दृश्य का मज़ा ले रहा था। अंग्रेज़ों के इस प्रसिद्ध क्लब में पहली बार ऐसा हंगामा हुआ था।

आख़िर बड़ी मुश्किल से कुछ लोगों ने उसे पकड़ा और क्लब के बाहर ले गए।
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