रात को दिव्या को राजेश की बहुत याद आती है. वो ये भी जानती है की मनीष भी ऑनलाइन उसका इंतज़ार कर रहा होगा लेकिन उसको लगता है की उसको मनीष से अब बात नहीं करनी चाहिए. वो सोचती है की जबरदस्ती ही सही लेकिन सलमान उसकी जरूरत पूरी कर ही देता है तो उसको किसी और चक्कर में पड़ने की जरूरत नहीं है, उसको बस सलमान को कण्ट्रोल करना होगा और अगर उसने सलमान को एग्जाम के पेपर्स दे दिए तो सलमान भी उसका पीछा छोड़ देगा लेकिन वो पेपर्स सलमान को देगी कैसे. यही सब सोचते हुए रात बीत जाती है और सुबह तैयार होकर दिव्या स्कूल निकल जाती है.
अगले दिन मनीष भी काफी बेचैनी से दिव्या का स्कूल में इंतज़ार कर रहा था लेकिन दिव्या उसे बिलकुल इगनोर कर देती है. दिव्या क्लास के बाद सारे असाइनमेंट चेक करके मदन को देने चली जाती है. मदन इतनी जल्दी असाइनमेंट चेक करने के लिए दिव्या की बहुत तारीफ करता है जिससे दिव्या खुश हो जाती है. आज सलमान ने भी दिव्या को परेशान नहीं किया जिससे दिव्या का दिन कुल मिला कर अच्छा जाता है. छुट्टी के बाद जब सब बच्चे घर के लिए निकलने लगते है तब मौका देख कर मनीष दिव्या से मिलने स्टाफरूम में पहुँच जाता है. दिव्या अपने लाकर में किताबे रखकर लॉक करती है और वहां से जाने लगती है.
मनीष: मैम... मैम... क्या हुआ? सुनिए तो...
दिव्या: मुझे क्या होना है मनीष. तुम यहाँ क्या कर रहे हो.
मनीष: आप मुझे इग्नोर कर रही थी तो मैंने सोचा...
दिव्या: देखो मनीष मेरे पास समय नहीं है. अगर पढाई की कोई बात है तो बोलो वरना कल बात करते हैं.
मनीष: अच्छा आप रात में ऑनलाइन तो आयेंगी न.
दिव्या: मुझे नहीं पता.
इतना कह कर दिव्या वहां से निकल जाती है. कुछ दिन पहले तक मनीष को लग रहा था की जल्द ही दिव्या उसके नीचे होगी लेकिन अब दिव्या की बेरुखी से उसे अपने इरादों पर पानी फिरता नज़र आता है. थोड़ी देर में दिव्या अपने घर पहुँच जाती है. इत्तेफाक से लिफ्ट में उसे रेणुका मिल जाती है.
दिव्या: हाय रेणुका कैसी हो तुम.
रेणुका: मैं अच्छी हूँ. आप कैसी हैं.
दिव्या: मैं एकदम बढ़िया. किसी दिन मेरे घर आओ न. ढेर सारी बातें करनी हैं तुमसे.
रेणुका: जी बिलकुल आउंगी.
तब तक रेणुका का फ्लोर आ जाता है. लिफ्ट से निकलते हुए न जाने रेणुका के मन में क्या आता है की वो दिव्या से कहती है.
रेणुका: आपको अपना समझ कर एक बात कहूँ. उम्मीद है आप बुरा नहीं मानेंगी.
दिव्या: हाँ हाँ कहो.
रेणुका: आप प्लीज कर्नल साब से जरा दूर रहिएगा.
दिव्या: अरे ऐसा क्यों?
रेणुका: बस आप इससे ज्यादा कुछ न पूछिए. मुझे लगा की आप भली औरत हैं तो आपको कह दिया.
रेणुका ये बोलकर चली जाती है. दिव्या को लगता है की शायद रेणुका कर्नल को पसंद करती है इसीलिए उसको कर्नल से दूर रहने को बोल रही है.
Adultery दिव्या का सफ़र
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Re: Adultery दिव्या का सफ़र
दिव्या भी अपने फ्लैट में जाकर अपने काम में जुट जाती है और उस रात भी वो मनीष से ऑनलाइन चैट करने नहीं आती. अगले दिन स्कूल की छुट्टी है तो दिव्या फ्री होती है. कर्नल भी जानता है की आज दिव्या की छुट्टी है. कर्नल दिव्या को फोन करके उससे शौपिंग के लिए चलने को कहता है. दिव्या उससे आधे घंटे बाद चलने को कहती है. आधे घंटे बाद दिव्या रेडी हो कर कर्नल के फ्लैट पर चली जाती है. वो डोर बेल बजती है.
लाला: दरवाजा खुला है दिव्या अंदर आ जाओ.
दिव्या अन्दर आ जाती है पर कर्नल अभी तैयार नहीं था. वो एक टॉवल में दिव्या के सामने आ जाता है और ऐसे दिखाता है जैसे ये एकदम नार्मल है. दिव्या कर्नल का कसरती बदन नंगा देखकर शर्माती भी है और इम्प्रेस भी होती है क्योंकि इस उम्र में भी उसकी फिटनेस राजेश से ज्यादा थी.
लाला: अरे तुम तो बहुत जल्दी आ गयी दिव्या. मुझे तो लगा था की बाकी औरतों की तरह तुम भी एक घंटा लगाओगी तैयार होने में. अच्छा मैं बस पांच मिनट में नहाकर आया तब तक तुम मेरा घर देखो.
दिव्या: ठीक है अंकल
दिव्या और कर्नल का घर एकदम एक जैसा बना था लेकिन कर्नल ने अपना फ्लैट बहुत अच्छे से सजा रखा था. दिव्या जब दुसरे रूम में जाती है तो वहां लक्ज़री शो पीसेज और सेक्सी पेंटिंग्स लगी होती है. दिव्या सोचती है की अपनी वाइफ के मरने के बाद अंकल इन्ही पेंटिंग्स से दिल बहला रहे हैं. ये सोच कर उसके चेहरे पर एक स्माइल आ जाती है.
एक रूम में ताला लगा होता है तो दिव्या उधर जाने लगती है की तभी कर्नल उसे आवाज लगा देता है.
लाला: दिव्या मुझे हेल्प चाहिए.
दिव्या: कैसी हेल्प अंकल?
लाला: मेरे लिए कपडे निकाल दो प्लीज अलमीरा से. काफी देर हो गयी है. मैं ढूढूंगा तो और लेट होगा.
दिव्या: ओके अंकल.
दिव्या कर्नल के बेडरूम में जाकर अलमीरा से कपडे निकालने लगती है तभी कर्नल टॉवल में बाथरूम से निकल आता है. दिव्या उसे देखकर शर्माती है लेकिन कर्नल नार्मल रहता है. दिव्या कर्नल के लिए एक पेंट शर्ट निकाल देती है तभी उसकी नज़र कर्नल के खड़े लंड पर पड़ती है जिसकी वजह से टॉवल में टेंट बना हुआ था. दिव्या इग्नोर करने की कोशिश करती है पर उसकी नज़र बार बार वही चली जाती है.
दिव्या: आप चेंज कीजिये अंकल तब तक मैं बाहर वेट करती हूँ.
लाला: अरे तुमने बताया नहीं की कैसा लगा?
दिव्या ये सुन कर शॉक हो जाती है की कर्नल उससे पूछ रहा है की उसे कर्नल का लंड कैसा लगा की तभी कर्नल बात घुमा देता है.
लाला: अरे बोलो न. घर पसंद नहीं आया क्या?
दिव्या: पसंद क्यों नहीं आयेगा अंकल. काफी अच्छा है.
लाला: थैंक्स. मैं अभी तैयार होकर आया.
कुछ ही देर मेर कर्नल भी तैयार हो जाता है और दोनों एक मॉल की तरफ चल देते है. कार में भी कर्नल गियर बदलने के बहाने कई बार दिव्या की जांघ को छूता है.
लाला: वैसे रेणुका के लिए ब्लैक साड़ी कैसी रहेगी.
दिव्या: अच्छी रहेगी. वैसे मुझे लगता है की वो आपको पसंद करती है अंकल.
लाला: वो कैसे?
दिव्या: कल मुझे उसने आपसे दूर रहने को कहा था इसलिए. शायद वो आपको पसंद करती है इसिलिये उसे पसंद नहीं की कोई और आपके पास आये.
लाला: ओह रियली.
लाला: दरवाजा खुला है दिव्या अंदर आ जाओ.
दिव्या अन्दर आ जाती है पर कर्नल अभी तैयार नहीं था. वो एक टॉवल में दिव्या के सामने आ जाता है और ऐसे दिखाता है जैसे ये एकदम नार्मल है. दिव्या कर्नल का कसरती बदन नंगा देखकर शर्माती भी है और इम्प्रेस भी होती है क्योंकि इस उम्र में भी उसकी फिटनेस राजेश से ज्यादा थी.
लाला: अरे तुम तो बहुत जल्दी आ गयी दिव्या. मुझे तो लगा था की बाकी औरतों की तरह तुम भी एक घंटा लगाओगी तैयार होने में. अच्छा मैं बस पांच मिनट में नहाकर आया तब तक तुम मेरा घर देखो.
दिव्या: ठीक है अंकल
दिव्या और कर्नल का घर एकदम एक जैसा बना था लेकिन कर्नल ने अपना फ्लैट बहुत अच्छे से सजा रखा था. दिव्या जब दुसरे रूम में जाती है तो वहां लक्ज़री शो पीसेज और सेक्सी पेंटिंग्स लगी होती है. दिव्या सोचती है की अपनी वाइफ के मरने के बाद अंकल इन्ही पेंटिंग्स से दिल बहला रहे हैं. ये सोच कर उसके चेहरे पर एक स्माइल आ जाती है.
एक रूम में ताला लगा होता है तो दिव्या उधर जाने लगती है की तभी कर्नल उसे आवाज लगा देता है.
लाला: दिव्या मुझे हेल्प चाहिए.
दिव्या: कैसी हेल्प अंकल?
लाला: मेरे लिए कपडे निकाल दो प्लीज अलमीरा से. काफी देर हो गयी है. मैं ढूढूंगा तो और लेट होगा.
दिव्या: ओके अंकल.
दिव्या कर्नल के बेडरूम में जाकर अलमीरा से कपडे निकालने लगती है तभी कर्नल टॉवल में बाथरूम से निकल आता है. दिव्या उसे देखकर शर्माती है लेकिन कर्नल नार्मल रहता है. दिव्या कर्नल के लिए एक पेंट शर्ट निकाल देती है तभी उसकी नज़र कर्नल के खड़े लंड पर पड़ती है जिसकी वजह से टॉवल में टेंट बना हुआ था. दिव्या इग्नोर करने की कोशिश करती है पर उसकी नज़र बार बार वही चली जाती है.
दिव्या: आप चेंज कीजिये अंकल तब तक मैं बाहर वेट करती हूँ.
लाला: अरे तुमने बताया नहीं की कैसा लगा?
दिव्या ये सुन कर शॉक हो जाती है की कर्नल उससे पूछ रहा है की उसे कर्नल का लंड कैसा लगा की तभी कर्नल बात घुमा देता है.
लाला: अरे बोलो न. घर पसंद नहीं आया क्या?
दिव्या: पसंद क्यों नहीं आयेगा अंकल. काफी अच्छा है.
लाला: थैंक्स. मैं अभी तैयार होकर आया.
कुछ ही देर मेर कर्नल भी तैयार हो जाता है और दोनों एक मॉल की तरफ चल देते है. कार में भी कर्नल गियर बदलने के बहाने कई बार दिव्या की जांघ को छूता है.
लाला: वैसे रेणुका के लिए ब्लैक साड़ी कैसी रहेगी.
दिव्या: अच्छी रहेगी. वैसे मुझे लगता है की वो आपको पसंद करती है अंकल.
लाला: वो कैसे?
दिव्या: कल मुझे उसने आपसे दूर रहने को कहा था इसलिए. शायद वो आपको पसंद करती है इसिलिये उसे पसंद नहीं की कोई और आपके पास आये.
लाला: ओह रियली.
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Re: Adultery दिव्या का सफ़र
कर्नल दिव्या को दिखाने के लिए खुश होने का नाटक करता है लेकिन मन में सोचता है की चीटी के भी पर निकल आये हैं. वो रेणुका को इस गुस्ताखी की सजा देने के बारे में सोचने लगता है. उधर दिव्या अपने लिए कुछ कपडे खरीदती है फिर रेणुका के लिए एक साड़ी लेती है.
दिव्या: देखिये अंकल ये साड़ी कैसी लगी आपको.
लाला: अब मुझे तो समझ नहीं आता. ये तो रेणुका के पहनने पर ही पता चलेगा. एक काम करो तुम ही पेहेन कर दिखा दो तो मुझे आईडिया हो जायेगा.
दिव्या: ठीक है मैं चेंज करके आती हूँ
कुछ देर में दिव्या कर्नल को आवाज लगाती है तो दिव्या को देख कर कर्नल के होश ही उड़ जाते हैं. काली साड़ी में दिव्या का गोरा बदन मानो कहर ढा रहा था. दिव्या के ब्लाउज से झांकते हुए मम्मे और उसकी नाभि देख कर कर्नल का मन हुआ की वही चेंजिंग रूम में ही दिव्या को दबोच ले लेकिन वो अपने पर काबू पा कर दिव्या से कहता है.
लाला: अरे दिव्या ये साड़ी तो तुम पर बहुत अच्छी लग रही है. ये तुम ले लो और रेणुका के लिए कुछ और देख लो.
दिव्या: नहीं अंकल ये रेणुका के लिए पसंद की है तो उसी के लिए लेंगे.
लाला: ठीक है. और कुछ भी लेना है क्या?
दिव्या: नहीं अंकल मेरी शौपिंग तो हो गयी.
लाला: तो चलो फिर एक मूवी देखते हैं.
दिव्या: नहीं अंकल मेरा मन नहीं है.
कर्नल के काफी कहने पर भी दिव्या मूवी देखने को तैयार नहीं होती तो कर्नल उसको साथ में खाना खाने को बोलता है. दिव्या और कर्नल खाना खाकर वापस आ जाते हैं. घर आकर दिव्या शौपिंग का सामान अलमीरा में रखने लगती है तो उसकी नज़र दो सेक्सी सी ब्रा पेंटी के सेट पर पड़ती है. ये दिव्या ने नहीं खरीदे थे. दिव्या कर्नल को फोन करती है.
दिव्या: अंकल आपके फ्रेंड ने गलती से कुछ एक्स्ट्रा कपडे मेरे बैग में डाल दिए हैं.
लाला: क्या डाल दिया उसने?
दिव्या: मैं पैक करके आपको दे देती हूँ. आप वापस कर देना.
लाला: अच्छा समझा. दिव्या वो एक्स्ट्रा नहीं है. वो मैंने तुम्हारे लिए लिया था.
दिव्या: व्हाट? अंकल आप मुझे ऐसी चीज कैसे दे सकते हैं.
लाला: दिव्या उस दिन जब मैंने तुम्हे नाईटी में देखा था तो मैंने पाया की तुम्हारे अंडरगारमेंट तुम्हारी उस नाईटी के साथ मैच नहीं हो रहे थे. नाईटी मॉडर्न थी और ब्रा पेंटी पुराने टाइप के
इसीलिए पता नहीं क्यों मैंने ये मॉल से ले लिए. तुम नाराज़ मत हो. ये तो इसलिए है की जब तुम दुबारा राजेश के लिए वो नाईटी पहनो तो साथ में इन्हें पहनना. राजेश को बहुत पसंद आयेगी. हा हा हा...
दिव्या: अंकल ये मजाक की बात नहीं है. आपको ये नहीं देना चाहिए था.
लाला: मुझे लगा की तुम मेरी इतनी हेल्प कर रही हो तो मैं भी कुछ करू तुम्हारे लिए. अगर तुमको बहुत बुरा लगा हो तो आई एम सॉरी. तुम उन्हें फेंक देना.
दिव्या कुछ नहीं कहती और फोन काट देती है. थोड़ी देर बाद जब उसका गुस्सा शांत होता है तो वो सोचती है की इतने महंगे कपडे फेंकना ठीक नहीं होगा और वो ब्रा पेंटी ट्राई करके देखती है. वो पेंटी तो बस नाम की ही थी. उनका होना न होना बराबर था. दिव्या शीशे में खुद को देख कर शर्मा जाती है और सोचती है की कर्नल काफी ठरकी लगता है. अपनी जवानी में बीवी को बहुत सताया होगा इसने. तभी उसे कर्नल का लंड याद आ जाता है और उसके बदन में आग सी लग जाती है.
दिव्या: देखिये अंकल ये साड़ी कैसी लगी आपको.
लाला: अब मुझे तो समझ नहीं आता. ये तो रेणुका के पहनने पर ही पता चलेगा. एक काम करो तुम ही पेहेन कर दिखा दो तो मुझे आईडिया हो जायेगा.
दिव्या: ठीक है मैं चेंज करके आती हूँ
कुछ देर में दिव्या कर्नल को आवाज लगाती है तो दिव्या को देख कर कर्नल के होश ही उड़ जाते हैं. काली साड़ी में दिव्या का गोरा बदन मानो कहर ढा रहा था. दिव्या के ब्लाउज से झांकते हुए मम्मे और उसकी नाभि देख कर कर्नल का मन हुआ की वही चेंजिंग रूम में ही दिव्या को दबोच ले लेकिन वो अपने पर काबू पा कर दिव्या से कहता है.
लाला: अरे दिव्या ये साड़ी तो तुम पर बहुत अच्छी लग रही है. ये तुम ले लो और रेणुका के लिए कुछ और देख लो.
दिव्या: नहीं अंकल ये रेणुका के लिए पसंद की है तो उसी के लिए लेंगे.
लाला: ठीक है. और कुछ भी लेना है क्या?
दिव्या: नहीं अंकल मेरी शौपिंग तो हो गयी.
लाला: तो चलो फिर एक मूवी देखते हैं.
दिव्या: नहीं अंकल मेरा मन नहीं है.
कर्नल के काफी कहने पर भी दिव्या मूवी देखने को तैयार नहीं होती तो कर्नल उसको साथ में खाना खाने को बोलता है. दिव्या और कर्नल खाना खाकर वापस आ जाते हैं. घर आकर दिव्या शौपिंग का सामान अलमीरा में रखने लगती है तो उसकी नज़र दो सेक्सी सी ब्रा पेंटी के सेट पर पड़ती है. ये दिव्या ने नहीं खरीदे थे. दिव्या कर्नल को फोन करती है.
दिव्या: अंकल आपके फ्रेंड ने गलती से कुछ एक्स्ट्रा कपडे मेरे बैग में डाल दिए हैं.
लाला: क्या डाल दिया उसने?
दिव्या: मैं पैक करके आपको दे देती हूँ. आप वापस कर देना.
लाला: अच्छा समझा. दिव्या वो एक्स्ट्रा नहीं है. वो मैंने तुम्हारे लिए लिया था.
दिव्या: व्हाट? अंकल आप मुझे ऐसी चीज कैसे दे सकते हैं.
लाला: दिव्या उस दिन जब मैंने तुम्हे नाईटी में देखा था तो मैंने पाया की तुम्हारे अंडरगारमेंट तुम्हारी उस नाईटी के साथ मैच नहीं हो रहे थे. नाईटी मॉडर्न थी और ब्रा पेंटी पुराने टाइप के
इसीलिए पता नहीं क्यों मैंने ये मॉल से ले लिए. तुम नाराज़ मत हो. ये तो इसलिए है की जब तुम दुबारा राजेश के लिए वो नाईटी पहनो तो साथ में इन्हें पहनना. राजेश को बहुत पसंद आयेगी. हा हा हा...
दिव्या: अंकल ये मजाक की बात नहीं है. आपको ये नहीं देना चाहिए था.
लाला: मुझे लगा की तुम मेरी इतनी हेल्प कर रही हो तो मैं भी कुछ करू तुम्हारे लिए. अगर तुमको बहुत बुरा लगा हो तो आई एम सॉरी. तुम उन्हें फेंक देना.
दिव्या कुछ नहीं कहती और फोन काट देती है. थोड़ी देर बाद जब उसका गुस्सा शांत होता है तो वो सोचती है की इतने महंगे कपडे फेंकना ठीक नहीं होगा और वो ब्रा पेंटी ट्राई करके देखती है. वो पेंटी तो बस नाम की ही थी. उनका होना न होना बराबर था. दिव्या शीशे में खुद को देख कर शर्मा जाती है और सोचती है की कर्नल काफी ठरकी लगता है. अपनी जवानी में बीवी को बहुत सताया होगा इसने. तभी उसे कर्नल का लंड याद आ जाता है और उसके बदन में आग सी लग जाती है.
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Re: Adultery दिव्या का सफ़र
उधर कर्नल सोचता है की पहले रेणुका को लाइन पर लाना जरूरी है. वो रात में रेणुका के घर पहुँच जाता है. रेणुका कर्नल को देख कर चौंक जाती है क्योंकि कर्नल हमेशा उसको अपने घर बुला कर ही चोदता था.
रेणुका: आप यहाँ कर्नल साब.
लाला: तूने दिव्या से मेरे बारे में क्या बोला है. बोल कुतिया.
रेणुका: गलती हो गयी कर्नल साब.
लाला: तू जानती है न की तेरा पति मेरे रहमो करम पर जिन्दा है. तू क्या चाहती है की वो इस दुनिया से उठ जाए.
रेणुका: गलती हो गयी कर्नल साब. प्लीज मुझे माफ़ कर दीजिये.
लाला: ये तेरे लिए लास्ट वार्निंग है. अगर दुबारा ऐसी गलती की तो तुझे विधवा होने से कोई रोक नहीं सकता और ये ले साड़ी. कल के फंक्शन में इसे पहन लेना समझी.
कर्नल साड़ी रेणुका के मुंह पर मार देता है.
रेणुका: जी समझ गयी.
लाला: देख तू मुझे दिव्या को पाने में मदद कर उसके बाद तू मेरी तरफ से आजाद है. और तेरे पति के जेल से निकलने में भी मदद करूंगा.
रेणुका कुछ नहीं कहती और कर्नल वहां से चला जाता है. दरअसल रेणुका को पाने के लिए कर्नल ने रेणुका के पति को ड्रग्स के झूठे केस में फसवा कर जेल भिजवा दिया था और उसे जेल में मरवाने की धमकी देकर वो रेणुका को अपने इशारे पर नचाता था. रेणुका जानती थी की कर्नल कितना खतरनाक है और किस हद तक जा सकता है इसीलिए उसने दिव्या को आगाह किया था लेकिन दिव्या ने अपने भोलेपन में ये बात कर्नल को बता दी.
रात भर कर्नल सोचता रहता है की किस तरह दिव्या को हासिल किया जाए. सिर्फ ब्रा पेंटी देने से वो इतनी नाराज हो गयी तो वो इतनी आसानी से नहीं फंसेगी. कर्नल राजेश की बातों से समझ चूका था की दिव्या सेक्स की प्यासी है लेकिन वो जल्दीबाजी में काम ख़राब नहीं करना चाहता था.
रेणुका: आप यहाँ कर्नल साब.
लाला: तूने दिव्या से मेरे बारे में क्या बोला है. बोल कुतिया.
रेणुका: गलती हो गयी कर्नल साब.
लाला: तू जानती है न की तेरा पति मेरे रहमो करम पर जिन्दा है. तू क्या चाहती है की वो इस दुनिया से उठ जाए.
रेणुका: गलती हो गयी कर्नल साब. प्लीज मुझे माफ़ कर दीजिये.
लाला: ये तेरे लिए लास्ट वार्निंग है. अगर दुबारा ऐसी गलती की तो तुझे विधवा होने से कोई रोक नहीं सकता और ये ले साड़ी. कल के फंक्शन में इसे पहन लेना समझी.
कर्नल साड़ी रेणुका के मुंह पर मार देता है.
रेणुका: जी समझ गयी.
लाला: देख तू मुझे दिव्या को पाने में मदद कर उसके बाद तू मेरी तरफ से आजाद है. और तेरे पति के जेल से निकलने में भी मदद करूंगा.
रेणुका कुछ नहीं कहती और कर्नल वहां से चला जाता है. दरअसल रेणुका को पाने के लिए कर्नल ने रेणुका के पति को ड्रग्स के झूठे केस में फसवा कर जेल भिजवा दिया था और उसे जेल में मरवाने की धमकी देकर वो रेणुका को अपने इशारे पर नचाता था. रेणुका जानती थी की कर्नल कितना खतरनाक है और किस हद तक जा सकता है इसीलिए उसने दिव्या को आगाह किया था लेकिन दिव्या ने अपने भोलेपन में ये बात कर्नल को बता दी.
रात भर कर्नल सोचता रहता है की किस तरह दिव्या को हासिल किया जाए. सिर्फ ब्रा पेंटी देने से वो इतनी नाराज हो गयी तो वो इतनी आसानी से नहीं फंसेगी. कर्नल राजेश की बातों से समझ चूका था की दिव्या सेक्स की प्यासी है लेकिन वो जल्दीबाजी में काम ख़राब नहीं करना चाहता था.
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Re: Adultery दिव्या का सफ़र
अगले दिन वो नीचे घूमने जाता है और दुसरे चौकीदार श्याम को बुलाता है.
लाला: तू किसी काम का नहीं बे. तुझे एक काम बोला था लेकिन तुझसे वो भी नहीं हुआ.
श्याम: साहब हमने बहुत कोशिश किया पता करने का लेकिन वो साला सलमान पीने के बाद भी बहुत कण्ट्रोल में रहता है. दिव्या मेमसाब का नाम लेते ही चुप हो जाता है लेकिन हाँ हमने उसको एक बार नशे में एक पेंटी में मुठ मारते देखा था और वो मुठ मारते मारते दिव्या मेमसाब का नाम भी ले रहा था.
लाला: क्या बोल रहा था.
श्याम: बोल रहा था की दिव्या तुम्हारे मम्मे कितने मुलायम है. तुम्हारी चूत कितनी नमकीन है. यही सब गन्दी बाते कर रहा था साब.
लाला: तो क्या उसने दिव्या के साथ सेक्स किया है?
श्याम: ये तो नहीं मालूम साहब लेकिन करना चाहता है ये पता है और वो पेंटी जरूर वो दिव्या मेमसाब के घर से चुरा लाया है.
लाला: चल बे चूतिये भाग यहाँ से.
कर्नल ऊपर आकर दिव्या के घर की बेल बजा देता है. दिव्या डोर ओपन करती है और कर्नल को देख कर चौंक जाती है.
लाला: दिव्या मैं तुमको शाम के फंक्शन के लिए न्योता देने आया हूँ. तुमको जरूर आना है.
दिव्या: अरे अंकल मैं फंक्शन में अकेले क्या करूंगी.
लाला: अकेले क्यों? मैं भी वहां रहूँगा और ऐसे ही तो सोसाइटी के लोगों से जान पहचान बढ़ेगी.
दिव्या: नहीं अंकल जब राजेश यहाँ होंगे तब अटेंड करूंगी सोसाइटी के फंक्शन.
लाला: नहीं नहीं तुमको आज आना ही होगा. रेणुका भी वहां होगी तो मुझे तुम्हारी हेल्प चाहिए होगी.
दिव्या: ओके मैं देखती हूँ.
लाला: थैंक्स दिव्या मैं तुमको आजकल कुछ ज्यादा ही परेशान करता हूँ. सॉरी तुमको डिस्टर्ब किया लेकिन...
दिव्या: अरे नहीं अंकल ऐसी कोई बात नहीं है. आप अन्दर आइये न. कॉफ़ी पीजिये.
कर्नल भी अन्दर आ जाता है और दिव्या के बदन को अपनी आँखों से पीने लगता है. जब दिव्या उसको कॉफ़ी देने के लिए झुकती है तो वो उसके मम्मों की गहराईयों में खो जाता है.
दिव्या को भी एहसास होता है की कर्नल की निगाहे कहाँ है लेकिन दिव्या सोचती है की इतने वक़्त से ये आदमी अपनी बीवी के बिना रह रहा है तो जवान औरत को घूरना तो नार्मल बात है. कर्नल भी अपनी निगाहे हटा कर दूसरी तरफ कर लेता है.
लाला: तू किसी काम का नहीं बे. तुझे एक काम बोला था लेकिन तुझसे वो भी नहीं हुआ.
श्याम: साहब हमने बहुत कोशिश किया पता करने का लेकिन वो साला सलमान पीने के बाद भी बहुत कण्ट्रोल में रहता है. दिव्या मेमसाब का नाम लेते ही चुप हो जाता है लेकिन हाँ हमने उसको एक बार नशे में एक पेंटी में मुठ मारते देखा था और वो मुठ मारते मारते दिव्या मेमसाब का नाम भी ले रहा था.
लाला: क्या बोल रहा था.
श्याम: बोल रहा था की दिव्या तुम्हारे मम्मे कितने मुलायम है. तुम्हारी चूत कितनी नमकीन है. यही सब गन्दी बाते कर रहा था साब.
लाला: तो क्या उसने दिव्या के साथ सेक्स किया है?
श्याम: ये तो नहीं मालूम साहब लेकिन करना चाहता है ये पता है और वो पेंटी जरूर वो दिव्या मेमसाब के घर से चुरा लाया है.
लाला: चल बे चूतिये भाग यहाँ से.
कर्नल ऊपर आकर दिव्या के घर की बेल बजा देता है. दिव्या डोर ओपन करती है और कर्नल को देख कर चौंक जाती है.
लाला: दिव्या मैं तुमको शाम के फंक्शन के लिए न्योता देने आया हूँ. तुमको जरूर आना है.
दिव्या: अरे अंकल मैं फंक्शन में अकेले क्या करूंगी.
लाला: अकेले क्यों? मैं भी वहां रहूँगा और ऐसे ही तो सोसाइटी के लोगों से जान पहचान बढ़ेगी.
दिव्या: नहीं अंकल जब राजेश यहाँ होंगे तब अटेंड करूंगी सोसाइटी के फंक्शन.
लाला: नहीं नहीं तुमको आज आना ही होगा. रेणुका भी वहां होगी तो मुझे तुम्हारी हेल्प चाहिए होगी.
दिव्या: ओके मैं देखती हूँ.
लाला: थैंक्स दिव्या मैं तुमको आजकल कुछ ज्यादा ही परेशान करता हूँ. सॉरी तुमको डिस्टर्ब किया लेकिन...
दिव्या: अरे नहीं अंकल ऐसी कोई बात नहीं है. आप अन्दर आइये न. कॉफ़ी पीजिये.
कर्नल भी अन्दर आ जाता है और दिव्या के बदन को अपनी आँखों से पीने लगता है. जब दिव्या उसको कॉफ़ी देने के लिए झुकती है तो वो उसके मम्मों की गहराईयों में खो जाता है.
दिव्या को भी एहसास होता है की कर्नल की निगाहे कहाँ है लेकिन दिव्या सोचती है की इतने वक़्त से ये आदमी अपनी बीवी के बिना रह रहा है तो जवान औरत को घूरना तो नार्मल बात है. कर्नल भी अपनी निगाहे हटा कर दूसरी तरफ कर लेता है.