Fantasy बॉलीवुड की मस्त सेक्सी कहानियाँ

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rajababu
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Re: Fantasy बॉलीवुड की मस्त सेक्सी कहानियाँ

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rajababu
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Re: Fantasy बॉलीवुड की मस्त सेक्सी कहानियाँ

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मैं शरमाते हुए साक्षी की तरफ देखा और बोला “हाय….फिर से…मत करो…हाथ से…”.

इस पर साक्षी बोली “ठहर जा…पहले खड़ा कर लेने दे…हाय देख खड़ा हो रहा है लौड़ा….वाह….बहुत तेजी से खड़ा हो रहा है तेरा तो….”. कहते हुए साक्षी और जोर से अपने हाथो को चलाने लगी.
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“हाय साक्षी हाथ से मत करो….फिर निकल जाएगा….” मैं अपने खड़े होते लण्ड को देखते हुए बोला.

इस पर साक्षी ने मेरे गाल पकड़ खींचते हुए कहा “साले हाथ से करने के लिए तो मैंने खुद रोका था…हाथ से मैं कभी नहीं करुँगी….मेरे भानजे राजा का शरीर मैं बर्बाद नहीं होने दूंगी….”

फिर मेरे लण्ड को छोड़ कर अपने हाथ को साइड से अपनी पेटिकोट के अन्दर ले जा कर जांघो के बीच पता नहीं क्या, शायद अपनी बूर को छुआ और फिर हाथ निकाल कर ऊँगली दिखाती हुई बोली “हाय देख… मेरी चूत कैसे पनिया गई….बड़ा मस्त लण्ड है तेरा…जो भी देखेगी उसकी पनिया जायेगी….एक दम घोड़े के जैसा है…अनचुदी लौंडिया की तो फाड़ देगा तू….मेरे जैसी चुदी चुतो के लायक लौड़ा है….कभी किसी औरत की नंगी नहीं देखी है….”.
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साक्षी के इस तरह से बिना किसी लाज शर्म के बोलने के कारण मेरे अन्दर भी हिम्मत आ रही थी और मैं भी अपने आप को साक्षी के साथ खोलना चाह रहा था. साक्षी के ये बोलने पर मैंने शर्माने का नाटक करते हुए कहा “हाय साक्षी किसी की नहीं…बस एक बार वो ग्वालिन बाहर मुनिसिप्लिटी के नल पर सुबह-सुबह नहा रही थी….तब….”

साक्षी इस चहकती हुई बोली “हाँ..तब क्या …तब…”.

मैं गर्दन नीचे करते हुए बोला “वो..वो…तो…साक्षी कपड़े पहन कर नहा रही थी…बैठ कर…पैर मोड़ कर…..तो उसकी साड़ी बीच में से हट…हट गई…पर…काला…काला दिख रहा था….जैसे बाल हो….”

साक्षी हँसने लगी और बोली “अरे…वो तो झांटे होंगी….उसकी चूत की….बस इतना सा देख कर ही तेरा काम हो गया….मतलब तुने आजतक असल में किसी की नहीं देखी है…”

मैं शरमाते हुए बोला “अब पता नहीं साक्षी….मुझे….लगा वही होगी…इसलिए…”

साक्षी इस पर मुस्कुराते हुए बोली “ओह हो…मेरा प्यारा छोटा …..बेचारा….फिर तुझे और कोई नहीं मिली देखने के लिए जो मेरे कमरे में घुस गया….”

मैं इस पर साक्षी का थोड़ा सा विरोध करते हुए बोला “नहीं साक्षी….ऐसी बात नहीं है….वो तो….तो मैं….मेरे ऑफिस में भी बहुत सारी लड़कियाँ है मगर…..मगर….मुझे नहीं पता….ऐसा क्यों है….मगर मुझे आप से ज्यादा सुन्दर…कोई नहीं…..कोई भी नहीं….लगती….मुझे वो लड़कियाँ अच्छी नहीं…लगती प्लीज़ साक्षी मुझे माफ़ कर दो… मैं…मैं…आगे से ऐसा…..नहीं…”

इस पर साक्षी हँसने लगी और मुझे रोकते हुए बोली “अरे…रे…इतना घबराने की जरुरत नहीं है….मैं तो तुमसे इसलिए नाराज़ थी की तुम अपना शरीर बर्बाद कर रहे थे….मेरे भानजे को मैं इतनी अच्छी लगती हूँ की उसे कोई और लड़की अच्छी नहीं लगती….ये मेरे लिए गर्व की बात है मैं बहुत खुश हूँ….मुझे तो लग रहा था की मेरी उम्र बहुत ज्यादा हो चूँकि है इसलिए…..पर….इक्कीस साल का मेरा नौजवान भांजा मुझे इतना पसंद करता है ये तो मुझे पता ही नहीं था…” कहते हुए आगे बढ़ कर मेरे होंठो पर एक जोरदार चुम्मा लिया और फिर दुबारा अपने होंठो को मेरे होंठो से सटा कर मेरे होंठो को अपने होंठो के दबोच कर अपना जीभ मेरे मुंह में ठेलते हुए चूसने लगी.
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उसके होंठ चूसने के अंदाज से लगा जैसे मेरे कमसिन जवान होंठो का पूरा रस साक्षी चूस लेना चाहती हो. होंठ चूसते चूसते वो मेरे लण्ड को अपनी हथेली के बीच दबोच कर मसल रही थी. कुछ देर तक ऐसा करने के बाद जब साक्षी ने अपने होंठ अलग किये तो हम दोनों की सांसे फुल गई थी. मैं अपनी तेज बहकी हुई सांसो को काबू करता हुआ बोला “हाय साक्षी आप बहुत अच्छी हो….”

“अच्छा…बेटा मख्खन लगा रहा है….”

“नहीं साक्षी…आप सच में बहुत अच्छी हो….और बहुत सुन्दर हो….”

इस पर साक्षी हंसते हुए बोली “मैं सब मख्खनबाजी समझती हूँ मौसी को पटा कर नीचे लिटाने के चक्कर में…..है तू….”

मैं इस पर थोड़ा शर्माता हुआ बोला “हाय…नहीं साक्षी….आप….”

साक्षी ने गाल पर एक प्यार भरा चपत लगाते हुए कहा “हाँ…हाँ…बोल…..” मैं इस पर झिझकते हुए बोला ” वो साक्षी साक्षी…आप बोल रही थी की मैं….दि…दि…दिखा दूंगी….”.

साक्षी मुस्कुराते हुए बोली “दिखा दूंगी…क्या मतलब हुआ…क्या दिखा दूंगी….”

मैं हकलाता हुआ बोला ” वो….वो…साक्षी आपने खुद बोला था…की मैं….वो ग्वालिन वाली चीज़….”


“अरे ये ग्वालिन वाली चीज़ क्या होती है….ग्वालिन वाली चीज़ तो ग्वालिन के पास होगी…मेरे पास कहाँ से आएगी…खुल के बता ना राजू….मैं तुझे कोई डांट रही हूँ जो ऐसे घबरा रहा है…. क्या देखना है”
“साक्षी…वो…वो मुझे…चु….चु…”
“अच्छा तुझे चूची देखनी है….वो तो मैं तुझे दिखा दिया ना…यही तो है…ले देख…” कहते हुए अपनी ब्रा में कसी दोनों चुचियों के नीचे हाथ लगा उनको उठा कर उभारते हुए दिखाया.
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छोटी सी नीले रंग की ब्रा में कसी दोनों गोरी गदराई चूचियां और ज्यादा उभर कर नजरो के सामने आई तो लण्ड ने एक ठुनकी मारी, मगर दिल में करार नहीं आया. एक तो चूचियां ब्रा में कसी थी, नंगी नहीं थी दूसरा मैं चुत दिखाने की बात कर रहा था और साक्षी यहाँ चूची उभार कर दिखा रही थी. होंठो पर जीभ फेरते हुए बोला “हाय…नहीं…साक्षी आप समझ नहीं रही….वो वो दू…सरी वाली चीज़ चु…चु…चुत दिखाने….के लिए…”
“ओह हो…तो ये चक्कर है…. ये है ग्वालिन वाली चीज़…..साले ग्वालिन की नहीं देखने को मिली तो अपनी बड़ी मौसी की देखेगा….मैं सोच रही थी तुझे शरीर बर्बाद करने से नहीं रोकूंगी तो माँ को क्या बोलेगी….यहाँ तो उल्टा हो रहा है….देखो बहन…तुमने कैसा लाडला पैदा किया है….अपनी मौसी को बुर दिखने को बोल रहा है….हाय कैसा मादरचोद है मेरा भांजा….मेरी चुत देखने के चक्कर में है…उफ्फ्फ….मैं तो फंस गई हूँ…मुझे क्या पता था की मुठ मारने से रोकने की इतनी बड़ी कीमत चुकानी पड़ेगी….”

“साक्षी की ऐसे बोलने पर मेरा सारा जोश ठंडा पर गया. मैं सोच रहा था अब मामला फिट हो गया है और साक्षी ख़ुशी ख़ुशी सब कुछ दिखा देंगी. शायद उनको भी मजा आ रहा है, इसलिए कुछ और भी करने को मिल जायेगा मगर साक्षी के ऐसे अफ़सोस करने से लग रहा था जैसे कुछ भी देखने को नहीं मिलने वाला. मगर तभी साक्षी बोली “ठीक है मतलब तुझे चुत देखनी है….अभी बाथरूम से आती हूँ तो तुझे अपनी बुर दिखाती हूँ” कहती हुई बेड से नीचे उतर ब्लाउज के बटन बंद करने लगी.

मेरी कुछ समझ में नहीं आया की साक्षी अपना ब्लाउज क्यों बंद कर रही है मैं साक्षी के चेहरे की तरफ देखने लगा तो साक्षी आँख नचाते हुए बोली “चुत ही तो देखनी है…वो तो मैं पेटिकोट उठा कर दिखा दूंगी…” फिर तेजी से बाहर निकल बाथरूम चली गई. मैं सोच में पड़ गया मैं साक्षी को पूरा नंगा देखना चाहता था. मैं उनकी चूची और चुत दोनों देखना चाहता था और साथ में उनको चोदना भी चाहता था, पर वो तो बाद की बात थी पहले यहाँ साक्षी के नंगे बदन को देखने का जुगार लगाना बहुत जरुरी था. मैंने सोचा की मुझे कुछ हिम्मत से काम लेना होगा. साक्षी जब वापस रूम में आकर अपने पेटिकोट को घुटनों के ऊपर तक चढा कर बिस्तर पर बैठने लगी तो मैं बोला ” साक्षी….साक्षी…मैं….चू…चू…चूची भी देखना…चाहता हूँ”.
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साक्षी इस पर चौंकने का नाटक करती बोली “क्या मतलब…चूची भी देखनी है….चुत भी देखनी है….मतलब तू तो मुझे पूरा नंगा देखना चाहता है….हाय….बड़ा बेशर्म है….अपनी मौसी को नंगा देखना चाहता है….क्यों मैं ठीक समझी ना…तू अपनी साक्षी मौसी को नंगा देखना चाहता है…बोल, …ठीक है ना….”

मैं भी शरमाते हुए हिम्मत दिखाते बोला “हां साक्षी….मुझे आप बहुत अच्छी लगती हो….मैं….मैं आप को पूरा…नंगा देखना….चाहता…”
“बड़ा अच्छा हिसाब है तेरा….अच्छी लगती हो…..अच्छी लगने का मतलब तुझे नंगी हो कर दिखाऊ…कपड़ो में अच्छी नहीं लगती हूँ क्या….”
“हाय साक्षी मेरा वो मतलब नहीं था….वो तो आपने कहा था….फिर मैंने सोचा….सोचा….”

“हाय …तुने जो भी सोचा सही सोचा….मैं अपने भान्जे को दुखी नहीं देख सकती….मुझे ख़ुशी है की मेरा इक्कीस साल का नौजवान भांजा अपनी मौसी को इतना पसंद करता है की वो नंगा देखना चाहता है….हाय…मेरे रहते तुझे ग्वालिन जैसी औरतो की तरफ देखने की कोई जरुरत नहीं है….राजू मैं तुझे पूरा नंगा हो कर दिखाउंगी…..फिर तुम मुझे बताना की तुम अपनी साक्षी मौसी के साथ क्या-क्या करना चाहते हो….”.
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मेरी तो जैसे लाँटरी लग गई. चेहरे पर मुस्कान और आँखों में चमक वापस आ गई. साक्षी बिस्तर से उतर कर नीचे खड़ी हो गई और हंसते हुए बोली “पहले पेटिको़ट ऊपर उठाऊ या ब्लाउज खोलू…” मैंने मुस्कुराते हुए कहा “हाय साक्षी दोनों….खोलो….पेटिको़ट भी और ब्लाउज भी….”
“इस…॥स……स…।बेशर्म पूरा नंगा करेगा….चल तेरे लिए मैं कुछ भी कर दूंगी….अपने भान्जे के लिए कुछ भी…पहले ब्लाउज खोल लेती हूँ फिर पेटिको़ट खोलूंगी….चलेगा ना…” गर्दन हिला कर साक्षी ने पूछा तो मैंने भी सहमती में गर्दन हिलाते हुए अपने गालो को शर्म से लाल कर साक्षी को देखा. साक्षी ने चटाक-चटाक ब्लाउज के बटन खोले और फिर अपने ब्लाउज को खोल कर पीछे की तरफ घूम गई और मुझे अपनी ब्रा का हूकखोलने के लिए बोला
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rajababu
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मैंने कांपते हाथो से उनके ब्रा का हूक खोल दिया. साक्षी फिर सामने की तरफ घूम गई. साक्षी के घूमते ही मेरी आँखों के सामने साक्षी की मदमस्त, गदराई हुई मस्तानी कठोर चूचियां आ गई. मैं पहली बार अपनी साक्षी मौसी के इन गोरे गुब्बारों को पूरा नंगा देख रहा था. इतने पास से देखने पर गोरी चूचियां और उनकी ऊपर की नीली नसे, भूरापन लिए हुए गाढे गुलाबी रंग की उसकी निप्पले और उनके चारो तरफ का गुलाबी घेरा जिन पर छोटे-छोटे दाने जैसा उगा हुआ था सब नज़र आ रहा था. मैं एक दम कूद कर हाय करते हुए उछला तो साक्षी मुस्कुराती हुई बोली “अरे, रे इतना उतावला मत बन अब तो नंगा कर दिया है आराम से देखना….ले…देख…” कहती हुई मेरे पास आई.
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मैं बिस्तर पर बैठा हुआ था और वो नीचे खड़ी थी इसलिए मेरा चेहरा उनके चुचियों के पास आराम से पहुँच रहा था. मैं चुचियों को ध्यान से से देखते हुए बोला “हाय…साक्षी पकड़े…”
“हाँ…हाँ….पकड़ ले जकड़…ले अब जब नंगा कर के दिखा रही हूँ तो…छूने क्यों नहीं दूंगी….ले आराम से पकड़ कर मजा कर……अपनी साक्षी मौसी की नंगी चुचियों से खेल….”

मैंने अपने दोनों हाथ बढा कर दोनों चुचियों को आराम से दोनों हाथो में थाम लिया. नंगी चुचियों के पहले स्पर्श ने ही मेरे होश उड़ा. उफ्फ्फ साक्षी की चूचियां कितनी गठीली और गुदाज थी, इसका अंदाजा मुझे इन मस्तानी चुचियों को हाथ में पकड़ कर ही हुआ. मेरा लण्ड फरफराने लगा. दोनों चुचियों को दोनों हथेली में कस हलके दबाब के साथ मसलते हुए चुटकी में निप्पल को पकड़ हलके से दबाया जैसे किशमिश के दाने को दबाते है. साक्षी के मुंह से एक हलकी सी आह निकल गई. मैंने घबरा कर चूची छोड़ी तो साक्षी ने मेरा हाथ पकड़ फिर से अपनी चुचियों पर रखते हुए दबाया तो मैं समझ गया की साक्षी को मेरा दबाना अच्छा लग रहा है और मैं जैसे चाहू इनकी चुचियों के साथ खेल सकता हूँ.
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गर्दन उचका कर चुचियों के पास मुंह लगा कर एक हाथ से चूची को पकड़ दबाते हुए दूसरी चूची को जैसे ही अपने होंठो से छुआ मुझे लगा जैसे साक्षी गनगना गई उनका बदन सिहर गया. मेरे सर के पीछे हाथ लगा बालों में हाथ फेरते हुए मेरे सर को अपनी चुचियों पर जोर से दबाया. मैंने भी अपने होंठो को खोलते हुए उनकी चुचियों के निप्पल सहित जितना हो सकता था उतना उनकी चुचियों को अपने मुंह में भर लिया और चूसते हुए अपनी जीभ को निप्पल के चारो तरफ घुमाते हुए चुमलाया तो साक्षी सिसयाते हुए बोली “आह….आ…हा….सी…सी….ये क्या कर रहा है…उफ्फ्फ्फ्फ्फ्फ़…..मार डाला….साले मैं तो तुझे अनारी समझती थी….मगर….तू….तो खिलाड़ी निकला रे…..हाय…चूची चूसना जानता है…..मैं सोच रही थी सब तेरे को सिखाना पड़ेगा….हाय…चूस बेटा…सीईई….ऐसे ही निप्पल को मुंह में लेकर चूस और चूची दबा….हाय रस निकाल बहुत दिन हो गए…..”
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अब तो मैं जैसे भूखा शेर बन गया और साक्षी की चुचियों को मुंह में भर ऐसे चूसने लगा जैसे सही में उसमे से रस निकल कर खा जाऊंगा. कभी बाई चूची को कभी दाहिनी चूची को मुंह में भर भर कर लेते हुए निप्पलों को अपने होंठो के बीच दबा दबा कर चूसते हुए रबर की तरह खींच रहा था. चुचियों के निप्पल के चारो तरफ के घेरे में जीभ चलाते हुए जब दुसरे हाथ से साक्षी की चूची को पकड़ कर दबाते हुए निप्पल को चुटकी में पकड़ कर खींचा तो मस्ती में लहराते हुए साक्षी लड़खड़ाती आवाज़ में बोली “हाय राजू….सीईई…ई…उफ्फ्फ्फ्फ्फ….चूस ले…..पूरा रस चूस…..मजा आ रहा है….तेरी साक्षी को बहुत मजा आ रहा है बेटा…..हाय तू तो चूची को क्रिकेट की गेंद समझ कर दबा रहा है….मेरे निप्पल क्या मुंह में ले चूस….तू बहुत अच्छा चूसता है….हाय मजा आ गया बेटा….पर क्या तू चूची ही चूसता रहेगा…..बूर नहीं देखेगा अपनी साक्षी मौसी की चुत नहीं देखनी है तुझे…..हाय उस समय से मरा जा रहा था और अभी….जब चूची मिल गई तो उसी में खो गया है….हाय चल बहुत दूध पी लिया…..अब बाद में पीना” मेरा मन अभी भरा नहीं था इसलिए मैं अभी भी चूची पर मुंह मारे जा रहा था. इस पर साक्षी ने मेरे सर के बालों को पकड़ कर पीछे की तरफ खींचते हुए अपनी चूची से मेरा मुंह अलग किया और बोली “साले….हरामी….चूची…छोड़….कितना दूध पिएगा….हाय अब तुझे अपनी नीचे की सहेली का रस पिलाती हु….चल हट माधरचोद…..”
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गाली देने से मुझे अब कोई फर्क नहीं पड़ता था क्योंकि मैं समझ गया था की ये तो साक्षी का शगल है और शायद मार भी सकती है अगर मैं इसके मन मुताबिक ना करू तो. पर दुधारू गाये की लथार तो सहनी ही पड़ती है. इसकी चिंता मुझे अब नहीं थी. साक्षी लगता था अब गरम हो चूँकि थी और चुदवाना चाहती थी. मैं पीछे हट गया और साक्षी के पेट पर चुम्मा ले कर बोला “हाय साक्षी बूर का रस पिलाओगी…हाय जल्दी से खोलो ना…”

साक्षी पेटिको़ट के नाड़े को झटके के साथ खोलती हुई बोली “हा राजा मेरे प्यारे बेटा….अब तो तुझे पिलाना ही पड़ेगा…ठहर जा अभी तुझे पिलाती अपनी चुत पूरा खोल कर उसकी चटनी चटाऊंगी फिर…देखना तुझे कैसा मजा आता है….” पेटिको़ट सरसराते हुए नीचे गिरता चला गया पैंटी तो पहनी नहीं थी इसलिए पेटिको़ट के नीचे गिरते ही साक्षी पूरी नंगी हो गई.
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मेरी नजर उनके दोनों जन्घो के बीच के तिकोने पर गई. दोनों चिकनी मोटी मोटी रानो के बीच में साक्षी की बूर का तिकोना नज़र आ रहा था. चुत पर हलकी झांटे उग आई थी. मगर इसे झांटो का जंगल नहीं कह सकते थे. ये तो चुत की खूबसूरती को और बढा रहा था. उसके बीच साक्षी की गोरी गुलाबी चुत की मोटी फांके झांक रही थी. दोनों जांघ थोड़ा अलग थे फिर भी चुत की फांके आपस में सटी हुई थी और जैसा की मैंने बाथरूम में पीछे से देखा था एक वैसा तो नहीं मगर फिर भी एक लकीर सी बना रही थी दोनों फांके. साक्षी की कमर को पकड़ सर को झुकाते हुए चुत के पास ले जाकर देखने की कोशिश की तो साक्षी अपने आप को छुड़ाते हुए बोली “हाय…बेटा ऐसे नहीं….ऐसे ठीक से नहीं देख पाओगे….दोनों जांघ फैला कर अभी दिखाती हूँ…फिर आराम से बैठ कर मेरी बूर को देखना और फिर तुझे उसके अन्दर का माल खिलाउगीं…घबरा मत बेटा…मैं तुझे अपनी चुत पूरा खोल कर दिखाउंगी और…।उसकी चटनी भी चटाउगीं…चल छोड़ कहते हुए पीछे मुड़ी.
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पीछे मुड़ते ही साक्षी गुदाज चुत्तर और गांड मेरी आँखों के सामने नज़र आ गए. साक्षी चल रही थी और उसके दोनों चुत्तर थिरकते हुए हिल रहे थे और आपस में चिपके हुए हिलते हुए ऐसे लग रहे थे जैसे बात कर रहे हो और मेरे लण्ड को पुकार रहे हो. लौड़ा दुबारा अपनी पूरी औकात पर आ चूका था और फनफना रहा था.
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साक्षी ड्रेसिंग टेबल के पास रखे गद्देदार सोफे वाली कुर्सी पर बैठ गई और हाथो के इशारे से मुझे अपने पास बुलाया और बोली “हाय…बेटा…आ जा तुझे मजे करवाती हूँ….अपने मालपुए का स्वाद चखाती हूँ….देख बेटा मैं इस कुर्सी के दोनों हत्थों पर अपनी दोनों टांगो को रख कर जांघ टिका कर फैलाऊंगी ना तो मेरी चूत पूरी उभर कर सामने आ जायेगी और फिर तुम उसके दोनों फांको को अपने हाथ से फैला कर अन्दर का माल चाटना….इस तरह से तुम्हारी जीभ पूरा बूर के अन्दर घुस जायेगी….ठीक है बेटा…आ जा….जल्दी कर….अभी एक पानी तेरे मुंह में गिरा देती हूँ फिर तुझे पूरा मजा दूंगी….”

मैं जल्दी से बिस्तर छोड़ साक्षी की कुर्सी के पास गया और जमीं पर बैठ गया.
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साक्षी ने अपने दोनों पैरो को सोफे के हत्थों के ऊपर चढा कर अपनी दोनों जांघो को फैला दिया. रानो के फैलते ही साक्षी की चूत उभर कर मेरी आँखों के सामने आ गई. उफ्फ्फ्फ्फ्फ्फ़….क्या खूबसूरत चूत थी. गोरी गुलाबी….काले काले झांटो के जंगल के बीच में से झांकती ऐसी लग रही थी जैसे बादलो के पीछे से चाँद मुस्कुरा रहा है. एक दम पावरोटी के जैसी फूली हुई चूत थी. दोनों पैर कुर्सी के हत्थों के ऊपर चढा कर फैला देने के बाद भी चूत के दोनों होंठ अलग नहीं हुए थे. चूत पर ऊपर के हिस्से में झांटे थी मगर नीचे गुलाबी कचौरी जैसे होंठो के आस पास एक दम बाल नहीं थे. मैं जमीन पर बैठ कर साक्षी के दोनों रानो पर दोनों हाथ रख कर गर्दन झुका कर एक दम ध्यान से साक्षी की चूत को देखने लगा. चूत के सबसे ऊपर में किसी तोते के लाल चोंच की तरह बाहर की तरफ निकली हुई साक्षी के चूत का भागनाशा था.
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कचौरी के जैसी चूत के दोनों फांको पर अपना हाथ लगा कर दोनों फांको को हल्का सा फैलाती हुई साक्षी बोली “राजू….ध्यान से देख ले….अच्छी तरह से अपनी साक्षी मौसी की बूर को देख बेटा….चूत फैला के देखेगा तो तुझे….पानी जैसा नज़र आएगा….उसको चाट का अच्छी तरह से खाना….चूत की असली चटनी वही है….”

साक्षी के चूत के दोनों होंठ फ़ैल और सिकुड रहे थे. मैंने अपनी गर्दन को झुका दिया और जीभ निकल कर सबसे पहले चूत के आस पास वाले भागो को चाटने लगा. रानो के जोर और जांघो को भी चाटा. जांघो को हल्का हल्का काटा भी फिर जल्दी से साक्षी की चूत पर अपने होंठो को रख कर एक चुम्मा लिया और जीभ निकाल कर पूरी दरार पर एक बार चलाया.

जीभ छुलाते ही साक्षी सिसया उठी और बोली “सीईई….बहुत अच्छा बेटा…तुम्हे आता है…मुझे लग रहा था की सिखाना पड़ेगा मगर तू तो बहुत होशियार है….हाय….बूर चाटना आता है…. ऐसे ही….राजू तुने शुरुआत बहुत अच्छी की है….अब पूरी चूत पर अपनी जीभ फिराते हुए…॥मेरी बूर की टीट को पहले अपने होंठो के बीच दबा कर चूस…देख मैं बताना भूल गई थी….चूत के सबसे ऊपर में जो लाल-लाल निकला हुआ है ना….उसी को होंठो के बीच दबा के चूसेगा….तब मेरी चूत में रस निकलने लगेगा….फिर तू आराम से चाट कर चूसना….सीईईई…..राजू मैं जैसा बताती हूँ वैसा ही कर….”
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मैं तो पहले से ही जानता था की टीट या भागनाशा क्या होती है. मुझे बताने की जरुरत तो नहीं थी पर साक्षी ने ये अच्छा किया था की मुझे बता दिया था की कहाँ से शुरुआत करनी है. मैंने अपने होंठो को खोलते हुए टीट को मुंह में भर कर चूसना शुरू कर दिया. टीट को होंठो के बीच दबा कर अपनी दांतों से हलके हलके काटते हुए मैं उस पर अपने होंठ रगर रहा था. टीट और उसके आस पास ढेर सारा थूक लग गया था और एक पल के लिए जब मैंने वह से अपना मुंह हटाया तो देखा की मेरी चुसाई के कारण टीट चमकने लगी है. एक बार और जोर से टीट को पूरा मुंह में भर कर चुम्मा लेने के बाद मैंने अपनी जीभ को करा करके पूरी चूत की दरार में ऊपर से नीचे तक चलाया और फिर चूत के एक फांक को अपने दाहिने हाथ की उँगलियों से पकड़ कर हल्का सा फैलाया. चूत की गुलाबी छेद मेरी आँखों के सामने थी. जीभ को टेढा कर चूत के मोटे फांक को अपने होंठो के बीच दबा कर चूसने लगा. फिर दूसरी फांक को अपने मुंह में भर कर चूसा उसके बाद दोनों फांक को आपस में सटा कर पूरी चूत को अपने मुंह में भर कर चूसने लगा. चूत से रिस रिस कर पानी निकल रहा था और मेरे मुंह में आ रहा था. चूत का नमकीन पानी शुरू में तो उतना अच्छा नहीं लगा पर कुछ देर के बाद मुझे कोई फर्क नहीं पर रहा था और मैं दुगुने जोश के साथ पूरी चूत को मुंह में भर कर चाट रहा था.
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साक्षी को भी मजा आ रहा था और वही कुर्सी पर बैठे-बैठे अपने चुतड़ों को ऊपर
उछालते हुए वो जोश में आ कर मेरे सर को अपने दोनों हाथो से अपनी चूत पर दबाते हुए बोली “हाय राजू….बहुत अच्छा कर रहा है
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उछलते हुए वो जोश में आ कर मेरे सर को अपने दोनों हाथो से अपनी चूत पर दबाते हुए बोली “हाय राजू….बहुत अच्छा कर रहा है….राजा…..हाय……सीईई….बड़ा मजा आ रहा है….हाय मेरी चूत के कीड़े….मेरे सैयां…..ऊऊऊउ…सीईईइ…..खाली ऊपर-ऊपर से चूस रहा है…. बहनचोद….जीभ अन्दर घुसा कर चाट ना…..बूर में जीभ पेल दे और अन्दर बाहर कर के जीभ से मेरी चूत चोदते हुए अच्छी तरह से चाट….अपनी साक्षी मौसी की चूत अच्छी तरह से चाट मेरे राजा….मादरचोद ….ले ले…..ऊऊऊऊ……इस्स्स्स्स्स…घुसा चूत में जीभ….मथ….दे…….” मौसी साक्षी बहुत जोश में आ चुकी थी और लग रहा था की उनको काफी मजा आ रहा है. उनके इतना बोलने पर मैंने दोनों हाथो की उँगलियों से दोनों फान्को को अलग कर के अपनी जीभ को कड़ा करके चूत में पेल दिया. जीभ को चूत के अन्दर बाहर करते हुए लिबलिबाने लगा और बीच बीच में बूर से चूते रस को जीभ टेढा करके चूसने लगा.
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साक्षी की दोनों जांघे हिल रही थी और मैं दोनों जांघो को कस कर हाथ से पकड़ कर चूत में जीभ पेल रहा था. जांघो को मसलते हुए बीच बीच में जीभ को आराम देने के लिए मैं जीभ निकल कर जांघो और उसके आस-पास चुम्मा लेने लगता था. मेरे ऐसा करने पर साक्षी जोर से गुर्राती और फिर से मेरे बालों को पकड़ कर अपनी चूत के ऊपर मेरा मुंह लगा देती थी. साक्षी मेरी चुसी से बहुत खुश थी और चिल्लाती हुई बोल रही थी “हाय….राजा…जीभ बाहर मत निकालो….हाय बहुत मजा आ रहा है…ऐसे ही…. बूर के अन्दर जीभ डाल के मेरी चूत मथते रहो….हाय चोद….दे मादरचोद ….अपनी जीभ से अपनी साक्षी मौसी की बूर चोद दे….हाय सैयां….बहुत दिनों के बाद ऐसा मजा आया है….इतने दिनों से तड़पती घूम रही थी….हाय हाय….अपनी साक्षी मौसी की बूर को चाटो….मेरे राजा….मेरे बालम…. तुझे बहुत अच्छा इनाम दूंगी…. Image
भोसड़ीवाले…..तेरा लौड़ा अपनी चूत में लुंगी….आजतक तुने किसी की चोदी नहीं है ना….तुझे चोदने का मौका दूंगी….अपनी चूत तेरे से मरवाऊगीं….मेरे भानजे…..मेरे सोना मोना….मन लगा कर साक्षी की चूत चाट….मेरा पानी निकलेगा….तेरे मुंह में….हाय जल्दी जल्दी चाट….पूरा जीभ अन्दर डाल कर सीईई…..”.

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