फोरेस्ट आफिसर

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rajan
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Re: फोरेस्ट आफिसर

Post by rajan »

भैरोंसिंह ने पिस्तौल निकालने की कोशिश की थी।

लेकिन उसे मौका ही नहीं मिला। बाकी कोई कुछ करने की स्थिति में ही नहीं था। अपराधी और उनके खिलाफ सबूत दोनों ही हमारे कब्जे में आ चुके थे।'

'लेकिन आप इन्हें हथकड़ी डालकर क्यों लाए यहां?' साधना ने पूछा।

'बताया ना यह सब इसी बदमाश की शरारत थी।' अबध बिहारी सिंह ने कहा-'यह जानना चाहता था कि तुम इससे कितना प्यार करती हो। वैसे इस नाटक में भी कोई बुराई नहीं थी। अब कम से कम इस बेवकूफ को यह तो यकीन आ गया कि कोई खूबसूरत लड़की इसे सचमुच प्यार कर सकती है।'
साधना ने चोर निगाहों से मनवीर की ओर देखा।
मन्द-मन्द मुस्करा रहा था वह।

'यह आंख-मिचौली का खेल खेलने के लिए तो तुम लोगों के पास जिन्दगी पड़ी है।' अवध बिहारी सिंह ने कहा-'इस वक्त तो मुझे जोर की भूख लगी है। तुम जो इसे छुप-छुपकर खाना खिलाया करती थी, उसकी बड़ी तारीफ कर रहा था मनवीर। आज मैं भी यहां से तुम्हारे हाथ का खाना खाकर जाऊंगा।'

साधना उठी और केसरी को अपने पीछे आने का संकेत करते हुए रसोई में घुस गई।

'दीदी मुझे माफ कर दो।' रसोई में पहुंचते ही केसरी बोला।

'माफी किस बात की?'

'यह सब मैंने तो सपने में भी नहीं सोचा था कि किसी आदमी के बारे में जो कुछ भी हम देख-सुन समझ रहं हैं वह एकदम इतना गलत हो जाएगा।'

'एक बात का हमेशा ध्यान रखना केशो कि अगर आदमी की भावना और निष्ठा सच्ची है तो उसका कल उसे बो चाहे मरजी मिले लेकिन वह कभी अकल्याणकारी वहीं होगा।'

'मैं अपने पिछले व्यवहार पर शर्मिन्दा हूं दीदी।'

'जो हो चुका उसे भूल जाओ। बिखरे हुए दूध पर आंसू बहाने से कोई लाभ नहीं। न उसे समेटने की कोशिश से ही कुछ हाथ लगेगा। नए उत्साह से नई स्थिति के बारे में सोची।'

केसरी ने कुछ कहने के लिए मुंह खोला तो वह बोली-'अब हम भाई-बहन आपस की बातों में ही उलझे रहेंगे या उन लोगों के खाने का भी कुछ फ्रिक करेंगे। जा शहर से जाकर जल्दी से सामान ले आ। जल्दी करना।'

'बस समझो दीदी कि यूं गया और आया।'
उसने चुटकी बजाकर कहा और तेजी से बाहर निकल गया।
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सुहागरात।
साधना के मुखड़े से चूंघट हटाकर उसने उसके झुकी पलकों वाले चेहरे को निहारा और फिर बोला--'मुझे अब भी अपनी आंखों पर यकीन नहीं आ रहा कि तुम जैसी रूपवती सुन्दरी ने मुझसे शादी कर ली है। आज तो तुम्हें मुझे सच-सच बताना ही होगा कि क्या देखा था तुमने जेल से भागे हुए इस कैदी में जो जुमने अपने दिल की सारी दौलत इस पर लुटा डाली?'

साधना ने उसकी आंखों में झांका और फिर शरारत के साथ बोली-'यही कि ऐसे खतरनाक मुजरिम का फरार रहना ठीक नहीं है। इसे अपनी बांहों को कैद में लेना ही होगा।'

और उसके साथ ही उसने उसके गले में बाहें डालकर अपना चेहरा उसकी छाती में छुपा लिया।

★★ समाप्त ★★
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