Incest बदलते रिश्ते

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ritesh
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Re: Incest बदलते रिश्ते

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(^%$^-1rs((7)
मेरा क्या है जो भी लिया है नेट से लिया है और नेट पर ही दिया है- (इधर का माल उधर)
शरीफ़ या कमीना.... Incest बदलते रिश्ते...DEV THE HIDDEN POWER...Adventure of karma ( dragon king )



ritesh
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Re: Incest बदलते रिश्ते

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सुगंधा के बदन से पेटीकोट दूर होते ही रोहन की आंखों के सामने दुनिया का बेहद उत्तम कामुकता से भरा हुआ मादकता लिया हुआ एक अद्भुत नजारा सामने नजर आ रहा था,,,, बिस्तर पर सुगंधा की मदमस्त जवानी का जाम छलक रहा था,,, लालटेन की पीली रोशनी मैं सुगंधा का खूबसूरत नंगा बदन और भी ज्यादा उत्तेजक लग रहा था,,,, सुगंधा अपने बेटे के बिल्कुल करीब एकदम नंगी लेटी हुई थी इसका एहसास सुगंधा को शर्मिंदा कर रहा था उसे अच्छी तरह से मालूम था कि इस समय उसके बेटे की नजर उसके कौन से अंग पर टिकी हुई थी,,,।

शर्म के मारे सुगंधा को समझ में नहीं आ रहा था कि अपने बेटे के सामने कैसा बर्ताव करें वह एकदम सीधी लेटी हुई थी।
सुगंधा शर्म के मारे रह रहे कर कसमसा रही थी जिससे वह कभी अपने दाएं पैर को हिलाती तो कभी बाएं पैर को और उसकी इस हरकत की वजह से उसके अंग अंग में से मादकता छलक रही थी।

रोहन की तो हालत खराब हुए जा रही थी वह आंखें फाड़े अपनी मां के नंगे बदन को देख रहा था खासकर के उसके उन्नत उभरी हुई नितंबों को जिसमें उसे सारे जहां का सुख नजर आ रहा था जिसे पकड़ने के लिए छूने के लिए उसका दिल मचल रहा था,,,,,
कुछ पल के लिए पूरे कमरे में खामोशी छाई रही केवल तेज बारिश और तेज हवाओं के चलने की आवाज आ रही थी रहरह कर बादल की गड़गड़ाहट की आवाज से वातावरण गूंज उठता था,। दोनों में से किसी को समझ में नहीं आ रहा था कि क्या बोला जाए,,,, बात की शुरुआत कैसे की जाए क्योंकि दोनों इस समय असमंजस में थे सुगंधा शर्म के मारे कसमसा रही थी लेकिन उसे भी एक अद्भुत सुख का अहसास प्राप्त हो रहा था अपने बेटे के सामने पहली बार बार इस तरह से नग्न अवस्था में उसके करीब बिस्तर पर लेटी हुई थी जिंदगी में पहली बार तो नहीं लेकिन यह उसके लिए पहली बार ही था जब वह किसी गैर मर्द जो कि खुद का बेटा ही था लेकिन उसके सामने इस तरह से नंगी होकर लेटना सामाजिक तौर पर ठीक नहीं था लेकिन एक औरत होने के नाते अपने बेटे के सामने इस तरह से नंगी अवस्था में लेटने में उसे मजा आ रहा था एक अजीब सा सुख उसके तन बदन को हिचकोले खिला रहा था इस तरह से लेटने की वजह से सुगंधा की बड़ी-बड़ी मांसल भराव दार गांड कुछ ज्यादा ही बड़ी लगने लगी थी,,, जो कि इस समय लालटेन की पीली रोशनी में चांद की तरह चमक रही थी।

सुगंधा का कसमसा ते हुए अपने बेटे की अगली हरकत का इंतजार कर रही थी वह इस इंतजार में थी कि कब उसका बेटा अपने हाथों मैं सरसों का तेल लगाकर उसकी बड़ी-बड़ी मदमस्त गांड की जबरदस्त मालिश करेगा लेकिन रोहन तो अपना सुध बुध खो कर बस आंखें फाड़े अपनी मां की बड़ी बड़ी गांड को ही घुरे जा रहा था। सुगंधा अपनी गर्दन घुमाकर तिरछी नजरों से अपने बेटे की तरफ देखी तो उसके देखती रह गई वह आश्चर्य के साथ आंखें फाड़े अभी भी उसकी बड़ी बड़ी गांड काे ही घुरे जा रहा था,,,, यह देख कर सुगंधा मन ही मन प्रसन्न हो रही थी उसे यकीन था कि औरत के नंगे बदन को देख कर तो अच्छे-अच्छे संत पुरुष का भी ईमान डोल जाता है और यह तो खुद उसका बेटा था जो ना जाने कबसे उसके नंगे बदन को देखने के लिए तरस रहा था सुगंधा ही बात की शुरुआत करते हुए बोली,,,,

अब तो ठीक है ना बेटा अब तु आराम से मेरी मालिश कर पाएगा ना,,,,

हहहहह,,,हां मम्मी अब में अच्छे से मालिश कर पाऊंगा,,,,
( सुगंधा की आवाज एकाएक कानों में पड़ते ही रोहन हकलाते हुए बोला,,,, । रोहन अपनी मां की मदमस्त गांड की तरफ देखते हुएमन ही मन मो बोला,,,,, यही तो मैं चाहता था इसी दिन के लिए न जाने कितना तड़प कर इंतजार कर रहा था,,,,। )

ठीक है अब तू जल्दी से मालीश कर मुझे दर्द कर रहा है।
( सुगंधा दर्द का बहाना बनाते हुए उतावली हो रही थी अपने बेटे की मजबूत हथेलियों को अपनी मदमस्त गांड पर महसूस करने के लिए रोहन भी कहां पीछे रहने वाला था अपनी मां की बात सुनते ही वह बिस्तर पर से उठा और पास में रखें टेबल पर से सरसों के तेल की कटोरी उठाकर उसे फिर से तेल की धार को अपनी मां की नंगी कमर पर गिराने लगा तेल की धार को अपनी कमर पर महसूस करते ही सुगंधा उत्तेजना के मारे सिसक उठी रोहन ढेर सारा तेल अपनी मां की कमर पर गिरा दिया और उसके बाद कटोरी को टेबल पर रख कर वापस बिस्तर पर बैठ कर अपनी मां की कमर पर इकट्ठा हुए सरसों के तेल को अपनी हथेली से इधर-उधर लगाना शुरू कर दिया रोहन कमर से लेकर ऊपर कंधों तक सरसों के तेल की मालिश कर रहा था,,, हालांकि उसका मन मचल रहा था अपनी मां की मदमस्त नंगी गांड पर हाथ फेरने के लिए लेकिन वह एकाएक इस तरह की हरकत नहीं कर सकता था और धीरे-धीरे आगे बढ़ना चाहता था वह यह सोच रहा था कि उसकी मां को ऐसा न लगे कि वह जानबूझकर उसके तन बदन पर से कपड़े हटाकर उसे नंगी किया है ईसलीए वह धीरे-धीरे आगे बढ़ते हुए अपनी मां की कमर से होते हुए ऊपर की तरफ कंधों पर अपनी हथेली को रगड़ ते हुए ले जा रहा था इस तरह से अपने नंगे बदन बदन पर अपने बेटे के मजबूत हथेलियों को महसूस करके सुगंधा मस्त हुए जा रही थी वह चाहती थी कि उसका बेटा अपने दोनों हाथों से उसकी मदमस्त बड़ी बड़ी गांड की दोनों फाकों को तरबूज की तरह पकड़ पकड़ कर मसल दे,,,,
रोहन को भी बहुत मजा आ रहा था उसकी आंखों के सामने सुगंधा एकदम नंगी लेटी हुई थी जिसके बदन पर वह अपनी हथेलियां मसल मसल कर रगड़ ते हुए उसकी मालिश कर रहा था जिसका अहसास उसे उत्तेजना के परम शिखर पर पहुंचा दिया था इतना अत्यधिक उत्तेजना उसके बदन में समाया हुआ था कि वह सूखे हुए पत्ते की तरह फड़फड़ा रहा था।

अब कैसा लग रहा है मम्मी ,,,,

बहुत अच्छा लग रहा है बेटा तू सच कह रहा था पूरे कपड़े उतारे बिना मालिश का असर बदलने बिल्कुल भी नहीं हो पा रहा था लेकिन अब मुझे ऐसा लग रहा है कि मेरे पूरे बदन में असर हो रहा है,,,

इसलिए तो कह रहा था कि मम्मी अपने सारे कपड़े उतार दो अब देखना मैं तुम्हारे बदन की कैसी मालिश करता हूं सारा दर्द दूर भी हो जाएगा और तुम्हें मजा भी आएगा,,,,,

( अपने बेटे की यह बात सुनकर सुगंधा मन ही मन खुश होने लगी थी जो जानती थी कि उसे मजा पा रहा है और ऐसा मजा उसने जिंदगी में कभी भी नहीं ली थी,,,, अपने बेटे के इस बात का मुस्कुरा कर जवाब देते हुए बोली,,,,।)

तुझे जो करना है जैसे करना है कर मुझे बस मजा मेरा मतलब है कि आराम मिलना चाहिए,,,,।

एकदम आराम मिल जाएगा मम्मी तुम चिंता मत करो,,,,
(और इतना कहते हुए रोहन फिर से अपनी मां की नंगी पीठ पर मालिश करना शुरू कर दिया,,,,)


सुगंधा अपने बदन में अत्यधिक उत्तेजना का अनुभव कर रही थी उत्तेजना के मारे उसकी बुर पानी पानी हो गई थी एकदम नंगी हो जाने की वजह से बिस्तर पर बिछाई चादर भी गीली होने लगी थी। मालिश करते हुए रोहन की नजर अपनी मां की बड़ी बड़ी गांड पर टिकी हुई थी वह चारों तरफ नजरें घुमाकर अपनी मां की गांड के निचले हिस्से की तरफ देखने की कोशिश कर रहा था वह जिस चीज को देखना चाहता था वह अभी नजर नहीं आ रही थी क्योंकि सुगंधा अपनी दोनों टांगों को आपस में सटाए हुए लेटी थी,,,,,,, अगर सुगंधाको इस बात का जरा भी एहसास होता कि उसका बेटा उसकी टांगों के बीच कि उसकी पतली दरार को देखना चाहता है तो वह अब तक अपनी दोनों टांगों को फैला कर अपनी बुर के दर्शन करा चुकी होती लेकिन अभी वह इस बात से बिलकुल बेखबर थी और अपने बेटे के द्वारा मालिश का मजा ले रही थी।
रोहन भी कुछ देर तक ऐसे ही अपनी मां की नंगी चिकनी पीठ की मालिश करता रहा और अपने आपको वासना की आग में झुलसाता रहा क्योंकि उसका बहुत मन कर रहा था अपनी मां की बड़ी बड़ी गांड को अपने दोनों हाथों में पकड़ कर उसे मसलने के लिए उस पर तेल से मालिश करने के लिए उसकी गहरी दरार में अपनी ऊंगलियो को रगड़ने के लिए,,,,, लेकिन जैसे सुगंधा अपने बेटे के मन की बात सुन रही हो,,, और कुछ ही सेकेंड बाद बोली,,,,।

बेटा थोड़ा कमर के नीचे भी मालिश कर देना तो मुझे वहां भी बहुत दर्द हो रहा है तेरे हाथों में तो जैसे जादू है,,,, मुझे बहुत आराम मिल रहा है,,,,,

( अपनी मां की बात सुनकर रोहन मन ही मन प्रसन्न हो रहा था और उसकी यह बात सुनकर की कमर के नीचे थोड़ा मालिश कर दे तो इस बात को सुनकर उसका लंड टनटनाकर और ज्यादा कड़क हो गया क्योंकि वह जानता था कि उसकी मां किस अंग पर मालिश करने के लिए बोल रही है लेकिन एक बार वह पूरी तरह से आश्वस्त हो जाना चाहता था इसलिए वह अपनी मां से बोला,,,।)

कहां पर मम्मी कहां पर तुम्हें दर्द हो रहा है,,,,,

अरे यही कमर के नीचे,,,,( सुगंधा उंगली से अपनी गांड की ओर इशारा करते हुए बोली और रोहन जानबूझकर उसकी कमर के नीचे हल्का सा उंगली लगाते हुए बोला)

यहां पर मम्मी,,, ( रोहन अपनी मां की कमर के नीचे अपनी उंगली रखते हुए बोला,,,, )

नहीं थोड़ा सा और नीचे,,,

और रोहन थोड़ी सी और उंगली को कमर के नीचे की तरफ रखकर बोला,,,

यहां पर मम्मी,,,

नहीं रे तू तो एकदम बुद्धू है थोड़ा और नीचे,,,,, (सुगंधा भी सीधे-सीधे गांड बोलने में शर्मा रही थी लेकिन अपनी मां से इस तरह से गुफ्तगू कर के रोहन के तन बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ने लगी वह एकदम कामुकता के असर में घिरने लगा और सीधे सीधे अपनी उंगली को अपनी मां की मदमस्त गांड की पतली गहरी फाकों के किनारे जहां से उसकी गांड की दरार शुरू होती थी वहां बीचोबीच उंगली धंसाते हुए बोला,,,,,)

यहां पर मम्मी,,,,,,,

( सुगंधा अपने बेटे की इस हरकत से एकदम से मस्त हो गई उसके तन बदन में कामोत्तेजना की लहर दौड़ने लगी उसे उम्मीद नहीं थी कि उसका बेटा इस तरह से अपनी उंगली उस नाजुक जगह पर रख देगा वह उत्तेजना के मारे एकदम से सी सकते हुए बोली,,,,।)

ससससससस,,,, हहहहहब,,,,, आहहहहहहहह,,,, हां यहीं पर रहे यही पर मुझे ज्यादा दर्द हो रहा है अपने हथेलियों का जादू चला और मेरा दर्द दूर कर दे मेरा अंग अंग दर्द कर रहा है मुझे इस दर्द से निजात दिला,,,,'

( सुगंधा एक दम मस्त हो गई थी अपने कमरे में बिस्तर पर एकदम नंगी लेट कर अपने बेटे की इस हरकत पर उसकी बुर एकदम से चुदास से भर गई थी अगर उसका बस चलता तो अपने बेटे को वहीं बिस्तर पर गिरा कर उसके मोटे खड़े लंड पर अपनी कचोरी जैसी फुली बुर पर रखकर उसे अपनी बुर की गहराई में उतार ली होती,,,,,। )
मेरा क्या है जो भी लिया है नेट से लिया है और नेट पर ही दिया है- (इधर का माल उधर)
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ritesh
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Re: Incest बदलते रिश्ते

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थोड़ी देर में आप का दर्द दूर हो जाएगा मम्मी रुको मैं इसे अच्छे से मालिश कर देता हूं,,,,। ( इतना कहने के साथ ही रोहन बिस्तर पर से फिर से उठा और चलते हुए थे बल्कि करीब गया सुगंधा की नजर अपने बेटे पर पड़ी और सीधे उसकी नजर अपने बेटे के तने हुए तंबू जैसे पजामे पर चली गई और उस पजामे को देखकर उसकी बुर कुल बुलाने लगी वह तड़प उठी बरसों से अपने अंदर दबी जवानी बाहर आने के लिए मचलने लगी,,,,, सुगंधा पहली बार अपने बेटे के मोटे तगड़े लंड को अपने हाथों में पकड़ने के लिए तड़प उठी वहां के बाड़े अपने बेटे के पजामे में बने तंबू को देख रही थी और तंबू को देखकर इतना तो अंदाजा लगा चुकी थी कि उसका बेटा आप पूरा मर्द बन चुका था बल्कि ऐसा वैसा मर्द नहीं ऐसा मर्द जो औरतों को अपनी बाहों में लेकर अपने हथियार से उसकी बुर का पूरा रस निचोड़ सकता था एक औरत को संतुष्टि भरा एहसास करा सकता था और उस एहसास को महसूस करने के लिए सुगंधा मचल उठी रोहन भी इस बात को जान गया था कि उसकी मां की नजर उसके पजामे के ऊपर ही थी इसलिए वह अब जानबूझकर उसे छुपाने की कोशिश नहीं बल्कि कि वह ज्यादा दिखाने की कोशिश कर रहा था,,,, वैसे भी आग दोनों जगह बराबर लगी हुई थी,,, रोहन के मन में भी यही ख्याल आता रहे थे कि सारी मर्यादाओं की सीमाओं को तोड़कर वहां एक मर्दानगी दिखाते हुए मर्द की तरह अपनी मां के ऊपर चढ़ जाए और अपने मोटे मुसर जैसे लंड को उसकी गुलाबी रंग की पूरी हुई कचोरी जैसी पुर के अंदर डालकर उसकी चुदाई कर दे और अपने जवान और मर्द होने का सबूत पेश करें,,,, उसके लंड को भी जैसे बुर की खुशबू महसुस होने लगी थी और वह भी पैजामा फाड़ कर बाहर आने के लिए तड़प रहा था,,,,
रोहन टेबल पर से फिर से तेल से भरी कटोरी उठा लिया और वापस आकर अपनी जगह पर बैठ गया उत्तेजना और उत्सुकता मैं सुगंधा कसमसा रही थी रोहन धीरे-धीरे तेल की धार को अपनी मां की मदमस्त बड़ी बड़ी गांड के बीचो बीच उसकी गहरी दरार में गिराने लगा, रोहन की इस हरकत का असर सुगंधा के तन बदन में बहुत ही बुरी तरह से हो रहा था,,,, : रोहन का मन मस्तिष्क में इस समय पूरी तरह से वासना मई बन गया था क्योंकि अब उसके सामने लेटी हुई औरत उसकी मां नहीं बल्कि एक प्यासी औरत लग रही थी जिसकी प्यास बुझाने के लिए वह खुद आतुर था जिस अदा से वह अपनी मां की गांड के बीचोबीच सरसों के तेल की धार गिरा रहा था कमरे में पूरी तरह से मादकता छा गया था,,, सरसों के तेल की धार गांड के फाकों के बीचो-बीच गहराई में उतरने लगा धीरे-धीरे करके वह रिसता हुआ गांड के भूरे रंग के छेद को पूरी तरह से डूब होता हुआ नीचे की तरफ उतरने लगा और जैसे-जैसे तेल की धार गांड की गहराई पकड़कर नीचे की तरफ उतर रही थी वैसे वैसे सुगंधा का तन बदन उत्तेजना के असर में लहरा रहा था उसकी जवानी कसमसा रही थी वह ना चाहते हुए भी अपनी बड़ी बड़ी गांड को कभी दाएं तो कभी बाय लहरा रही थी जिसकी वजह से पूरा नजारा कामोत्तेजना के असर में डूबने लगा था रोहन का लंड ऊतेजना के मारे इतना ज्यादा टन टना कर खड़ा हो गया था कि ऐसा लग रहा था कि अभी लंड की नसें फट जाएगी,,
और जैसे ही तेल की धार गांड के भूरे रंग के छेद से होती हुई नीचे की तरफ फूली हुई कचोरी जैसी बुर के अग्रभाग पर स्पर्श हुआ वैसे ही ना चाहते हुए भी सुगंधा के मुख से गर्म सिसकारी फूट पड़ी,,,,,

ससससहहहहहह,,,, आहहहहहहहहह,,,, रोहन,,,,,,
( सुगंधा गरम सिसकारी लेते हुए अपनी मदमस्त गांड को हल्के से उठा दी जोकि सुगंधा की यह अदा रोहन के लिए पागल कर देने वाली थी रोहन उसी तरह से तेल की धार को गांड के बीचो-बीच गिराता हुआ बोला,,,,,।)

क्या हुआ मम्मी,,, ?

कुछ नहीं बेटा अब कुछ ज्यादा ही दर्द करने लगा है बर्दाश्त नहीं हो रहा है जल्दी से अपने हाथों का कमाल दिखाओ और मेरा दर्द दूर कर दे,,,,,

तुम चिंता मत करो मम्मी मैं अभी तुम्हारा दर्द भगा देता हूं,,,, (रोहन एक हाथों से अपने पैजावे में खड़े लंड को व्यवस्थित करते हुए बोला और रोहन की इस हरकत को तिरछी नजरों से सुगंधा ने देख ली और मन ही मन प्रसन्न होने लगी,, पर मन ही मन में उसे गाली भी दे रही थी क्योंकि एक मर्द होने के बावजूद भी एक नंगी औरत को अपने इतने करीब लेटा हुआ देखकर भी वह कुछ नहीं कर रहा था ऐसे हालात में कोई भी मर्द होता तो सबसे पहले सुगंधा की टांगों को फैला कर अपने लिए जगह बनाकर अपने दोनों हाथों को नीचे की तरफ डालकर उसकी बड़ी-बड़ी तरबूज जैसी गांड को अपनी हथेली में दबाकर अपनी तरफ खींचता और अपने मोटे तगड़े लंड के सुपाड़े को उसकी चिकनी बुर पर रखकर एक झटके में पूरा का पूरा अंदर पेल देता,,,,,, यह सुगंधा की ख्वाहिश ही इच्छा थी,,,

जिस तरह से सुगंधा सोच रही थी ठीक उसी तरह से रोहन के मन में भी ख्याल उमड़ रहे थे वह भी यही चाहता था कि वह अपनी मां की दोनों टांगों को फैला कर उसके अंदर समा जाए लेकिन एक बेटा होने के नाते इस तरह की जल्दबाजी उसे ठीक नहीं लग रही थी,,,,, इसलिए वह बिस्तर पर से उठा और धीरे धीरे चलता हुआ टेबल के करीब जाकर तेल की कटोरी टेबल पर रख दिया और तिरछी नजर से अपनी मां की तरफ देखने लगा जो कि वह भी उसी की तरफ देख रही थी लेकिन उसके चेहरे की तरफ नहीं बल्कि उसके पहचाने में मैं तने तंबू की तरफ,,, यह देख कर रोहन उत्तेजना से भर गया,, और जानबूझकर उसकी मां देख सके इस तरह से अपना एक हाथ नीचे की तरफ ले जाकर पर जाने में खड़े लंड को व्यवस्थित करने लगा और वापस आकर बिस्तर पर बैठ गया लेकिन रोहन की इस हरकत ने सुगंधा के तन बदन में उत्तेजना की चिंगारी को आग का रूप धारण करने के लिए मजबूर कर दिया सुगंधा की बुर में कुलबुलाहट होने लगी और इस समय वह मोटे तगड़े लंड को अपनी बुर के अंदर लेने के लिए तड़प उठी,,,

लेकिन इस समय वह एकदम मजबूर थी एक खूबसूरत हुस्न के सांचे में ढाला हुआ खूबसूरत बदन होने के बावजूद भी सुगंधा एक मोटे तगड़े लैंड को अपनी बुर के अंदर लेने के लिए जिस तरह से कशमकश दिखाते हुए अपनी मर्यादाओं से लड़ रही थी ऐसे हालात में सुगंधा बड़ी लाचार नजर आ रही थी क्योंकि सुगंधा के अंदर जवानी कूट-कूट कर भरी हुई थी और वह हुस्न की मल्लिका थी जिसे देखकर ही हर किसी मर्द का लैंड तुरंत खड़ा हो जाता था और ऐसी औरतों के लिए दुनिया में लंड की कमी नहीं होनी चाहिए थी लेकिन वह अपनी मर्यादाओं से हार चुकी थी लेकिन इस समय वासना की चिंगारी उसके तन बदन को सुलगा रही थी और वह अपने ही बेटे के साथ संबंध बनाने के लिए लालायित और उत्सुक हुए जा रही थी जिसके आधार पर वह धीरे-धीरे आगे बढ़ रही थी,,,

लेकिन अभी अभी जिस तरह से रोहन अपने हाथ से अपने पजामे में खड़े लंड को पकड़ कर व्यवस्थित किया था उसे देखकर सुगंधा का धैर्य जवाब दे गया था उससे अपनी जवानी बर्दाश्त नहीं हो रही थी और उसकी बुर यह देखकर एकदम से कुल बुलाने लगी थी वह रोहन से कुछ बोलने के लिए अपना मुंह खोली ही थी कि तभी,,,, वह अपनी बड़ी बड़ी कसमस आती हुई गांड पर अपने बेटे की मजबूत हथेलियो को महसूस करते ही एकदम शांत हो गई,,,,,, जैसे ही रोहन अपनी मां की नंगी गोरी गोरी गांड पर अपनी हथेली रखा वैसे ही जैसे उत्तेजना के मारे उसकी सांस अटक गई उसे समझ में ही नहीं आया कि वह क्या करें एक पल के लिए वह बर्फ की तरह जम्मू गया उसकी आंखों के सामने दुनिया की सबसे खूबसूरत औरत नंगी लेटी हुई थी जिसकी नंगी मदमस्त उभार लिए हुए उन्नत गांड पर उसका हाथ था,,,,,,, आहहहहहहहहहहह,,,, बड़ी-बड़ी गोरी गांड के नरम एहसास से रोहन के मुंह से हल्की सी सिसकारी निकल गई दुनिया में ऐसा कोई भी मर्द नहीं था जो सुगंधा कि मदमस्त बड़ी-बड़ी गांड को देखकर गर्म आहे न भरता हो,,,, मां की गांड को छूकर रोहन को अब जाकर यह एहसास हुआ था कि बाहर से इतनी बड़ी बड़ी कठोर और भरी हुई दिखने वाली गांड वास्तव में कितनी नरम और रूई की तरह एकदम मुलायम होती है और इसका एहसास उसके तन बदन में कामोत्तेजना की चिंगारी को और ज्यादा भड़का रहा था,,,,

धीरे-धीरे करके रोहन अपनी हथेली से सरसों के तेल को अपनी मां की गांड पर चुपड़ रहा था,,,, रोहन मन ही मन भगवान को और अपनी मां को धन्यवाद दे रहा था की मालिश के बहाने उसे दुनिया की सबसे खूबसूरत औरत को नंगी देखने का मौका मिला था भले ही वह उसकी मां थी लेकिन मालिश के बहाने उसके नंगे बदन को छूने उसे स्पर्श करने और उसे मसलने का मौका मिल रहा था जिससे वह काफी प्रसन्न नजर आ रहा था रोहन की दोनों हथेलियां सुगंधा की गांड की दोनों फांको पर टिकी हुई थी ऐसा लग रहा था मानो वह दो तरबूज को अपनी हथेली में भरकर दबा रहा हो,,,

सुगंधा के लिए भी यह पल बेहद अद्भुत और अविस्मरणीय था क्योंकि उसे यकीन नहीं हो रहा था कि वह अपने बेटे के सामने इस तरह से नंगी लेटी हुई है ना तो उसने कभी सपने में भी सोचे थे कि वह अपने बेटे के सामने इस तरह से नंगी लेट करो उससे अपने नंगे बदन की मालिश करवाएगी लेकिन हालात के आगे वह भी मजबूर थी और इन हालातों ने उसे अद्भुत सुख का अहसास भी करा रहा था,,,

मालिश का नंगा खेल शुरू हो गया था कमरे के अंदर का नजारा और भी ज्यादा मादकता से भरता चला जा रहा था ,,, जहां एक तरफ बादलों की गड़गड़ाहट और तेज बारिश की वजह से वातावरण ठंडा हो चुका था वहीं दूसरी तरफ कमरे का तापमान एकदम गरम होता चला जा रहा था जिसका एक ही कारण था सुगंधा की जवानी जो कि इस समय पूरे शबाब में खिली हुई थी और बिस्तर पर नंगी होकर कसमसा रही थी,,, और कमरे के अंदर उसकी खीलती हुई मदमस्त जवानी को देखने वाला केवल उसका बेटा ही था जो कि इस समय उसकी नंगी गांड पर सरसों की तेल की मालिश करता हुआ खुद आनंद के सागर में गोते लगा रहा था
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Re: Incest बदलते रिश्ते

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रोहन अद्भुत अहसास से भरता चला जा रहा था,,,,,,,, कमरे का नजारा मादकता से भरा हुआ था बाहर बादलों की गड़गड़ाहट के साथ तेज बारिश हो रही थी जिसकी वजह से सारा वातावरण ठंडा हो चुका था लेकिन कमरे का वातावरण एकदम गरम था वह भी सुगंधा की मदमस्त जवानी के कारण जो कि बिस्तर पर नंगी होकर कसमसा रही थी और इसकी जवानी के दर्शन करने का सौभाग्य उसके खुद के बेटे को ही प्राप्त था जो कि आंखें फाड़े अपनी मत बस जवानी से भरपूर अपनी मां को देखे जा रहा था और अपने हाथों से उसकी जवानी को महसूस किया जा रहा था,,,,, आधी रात से ऊपर का समय हो गया था और ऐसे में दोनों मां-बेटे की आंखों से नींद कोसों दूर थी रोहन अपनी मां की भारी-भरकम बड़ी बड़ी गांड को अपने हाथों से मसल रहा था सरसों के तेल से सुगंधा की मदमस्त चिकनी गांड और भी ज्यादा चमकने लगी थी अभी तक रोहन अपनी मां की गांड की ऊपरी सतह की मालिश कर रहा था लेकिन वह अपनी मां की गांड की गहरी दरारों के अंदर अपनी उंगलियां डालकर उसकी चिकनाहट और दोनों अद्भुत अतुल्य छेद को अपनी उंगलियों के स्पर्श से महसूस करना चाहता था इसलिए हिम्मत करते हुए धीरे-धीरे वह अपनी मां की गांड की गहरी दरार में अपनी उंगलियां फिराना शुरू कर दिया,,, अपने बेटे की इस हरकत की वजह से सुगंधा की मदमस्त कसमसाती हुईे बदन में उत्तेजना की लहर पल-पल बढ़ती जा रही थी,,,

सुगंधा अपने बेटे की इस हरकत को रोक नहीं पा रही थी बल्कि उसके अद्भुत एहसास में होती चली जा रही थी उत्तेजना के सागर में मादकता की लहर में अपने आपको खुद ही बहाए ले जा रही थी,,, दोनों को किसी भी प्रकार का भान नहीं था रोहन धीरे-धीरे आगे बढ़ रहा था,,, अपनी मां की तरफ से किसी भी प्रकार का विरोध होता ना देख कर रोहन की उंगलियां गांड की गहरी दरार मे हरकत के साथ साथ शिरकत भी कर रही थी जो कि बेहद आनंददायक थी,,,,,

अब कैसा लग रहा है मम्मी,,,,,

बहुत अच्छा लग रहा है बेटा ऐसा लग रहा है कि मेरा दर्द धीरे धीरे कम हो रहा है,,, तो इसी तरह से मालिश करता रहे मुझे अच्छा लग रहा है,,, ( ऐसा कहते हुए सुगंधा सुकून भरी आंखें भर रही थी और जवान हो चुका रोहन अपनी मां की इस गर्म आहे को अच्छी तरह से पहचानता था उसे समझ में आ रहा था कि उसकी हरकत उसकी मां को बेहद आनंद दे रही है और उसे अच्छा लग रहा है और वह अपनी हरकत को और आगे ज्यादा बढ़ा सकता है इतनी पूरी तरह से उसे उम्मीद थी इसलिए वहां अपनी उंगली को अपनी मां की गांड की गहराई के निचले स्तर पर रगड़ता हुआ नीचे की तरफ ले जा रहा था और जब जब रोहन की उंगली का स्पर्श सुगंधा की मदमस्त गांड की भूरे रंग के उस छोटे से छेद पर हो रहा था तब तक सुगंधा को ऐसा लग रहा था मानो उसके बदन में करंट दौड़ गया हूं और वह उत्तेजना के मारे पूरी तरह से गणना जा रही थी वह अपनी कसमसाहट को रोक नहीं पा रही थी बार-बार अपनी गांड को इधर-उधर हिलाते हुए अपनी कामोत्तेजना को दबाने की कोशिश कर रही थी लेकिन ऐसा हो नहीं पा रहा था,,,,,
रोहन को इस बात का एहसास था कि वह अपनी उंगली से अपनी मां के कौन से अंग को स्पर्श कर रहा है और इसलिए उसके तन बदन में उत्तेजना का पारा कुछ ज्यादा ही ऊपर चढ़ता चला जा रहा था उसका लंड रोहे के रोड की तरह एकदम कड़क और गर्म हो चुका था पसीने से तरबतर रोहन अपनी मां की गुलाबी बुर को छूना चाहता था लेकिन ना जाने क्यों उस तरफ अपनी उंगली को बढ़ाने में हिचकीचा रहा था एक अजीब सा डर उसके मन में था हालांकि वह किसी भी प्रकार की हरकत अपनी मां के साथ कर सकता था क्योंकि मन ही मन में उसकी मां ने पूरी तरह से से छूट दे रखी थी और इस बात का एहसास रोहन को भी जल्द ही हो जाना चाहिए था जब वह खुद उसे अपने हाथों से पेटीकोट ऊतारने के लिए बोली थी,,,,, लेकिन रोहन इस मामले में अभी पूरी तरह से कच्चा खिलाड़ी था,,,, एक औरत के साथ बिस्तर पर किस तरह का खेल खेला जाता है इस बात से रोहन बिल्कुल अनजान था यह सारा मामला उसके लिए पहली बार का ही था इसलिए वह अपने आप ही धीरे-धीरे आगे बढ़ रहा था हालांकि उसकी मां धीरे धीरे आगे बढ़ते हुए उसे इशारा कर देती थी लेकिन उस इशारे को समझने में रोहन असमर्थ था और अपने आप ही धीरे-धीरे आगे बढ़ रहा था जिस तरह से वह मालिश करते हुए अपनी उंगली को इधर-उधर उसके नाजुक अंगों से छेड़खानी कर रहा था सुगंधा चाहती थी कि वह अपनी उंगली की हरकत उसकी नाजुक रसीली मखमली गुलाबी बुर पर भी करें इसलिए वह उसे इशारा देते हुए अपनी टांगों को हल्का सा खोल दी,,,

रोहन के लिए जैसे जन्नत का द्वार खुल गया था उसकी आंखें चमक उठी अपनी मां की इस हरकत पर लेकिन जिस चीज को वह देखना चाह रहा था वह चीज अभी भी उसकी नजरों से दूर थी क्योंकि लालटेन की पीली रोशनी में सुगंधा के टांगों के बीच की उस पतली दरार को देख पाना मुश्किल सा लग रहा था क्योंकि लालटेन की रोशनी ज्यादा नहीं थी इसलिए रोहन बार-बार अपनी नजरों को नीचे करके अपनी मां की रसीली बुर के दर्शन करना चाह रहा था लेकिन ऐसा हो नहीं पा रहा था वह लगातार अपनी मां की बड़ी-बड़ी गांड पर अपनी दोनों हथेलियों को रगड़ते जा रहा था उन्हें हाथों में भरकर दबाए जा रहा था इतना तो उसे पता ही चल गया था कि उसकी मां को किसी भी प्रकार की दिक्कत नहीं थी उसकी हरकत की वजह से इसलिए उसकी हिम्मत बढ़ती जा रही थी,,,,, और दूसरी तरफ सुगंधा अपनी टांगों को हल्का सा चौड़ा करके अपनी रसीदी गुलाबी पुर पर अपने बेटे की उंगलियों की हरकत का आनंद लेना चाह रही थी लेकिन ऐसा हो नहीं पा रहा था कुछ देर तक रोहन उसी तरह से अपनी मां की बड़ी-बड़ी तरबूज देसी कांड से ही खेलता रहा हालांकि इसमें भी सुगंधाको बहुत ही आनंद की प्राप्ति हो रही थी लेकिन वह इससे कुछ ज्यादा बढ़कर इच्छा रख रही थी लेकिन अपनी इच्छा में कामयाब नहीं हो पा रही थी जिससे उसे इस बात का आभास हो गया था कि रोहन आगे बढ़ने में डर रहा है तभी तो केवल उसकी उंगली बुर की ऊपरी सतह पर गांड के भूरे रंग के छेद पर ही आकर रुक जा रही थी इससे आगे बढ़ाने में रोहन की हिम्मत नहीं हो रही थी,,, सुगंधा को इस बात का आभास हो गया कि इससे आगे बढ़ने के लिए रोहन के मन से और ज्यादा डर को निकालना जरूरी है इसलिए वह बातों का दौर शुरू करते हुए बोली,,,,।

रोहन जब तुझे उस दिन होश आया और मुझे वहां ना पाकर तेरे मन में क्या सवाल उठा मतलब कि तुझे क्या लगा,,,

मुझे जब होश आया तो मैं चारों तरफ देखा तो तुम मुझे कहीं भी नजर नहीं आई केवल तूफानी बारिश और तेज चलती हवाओं को देखकर और तुम्हें वहां ना पाकर मैं घबरा गया मुझे तो कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि मैं क्या करूं,, ( ऐसा कहते हुए रोहन अपनी मां की बड़ी बड़ी गांड को दोनों हाथों से पकड़ कर आपस में रगड़ रहा था जिससे सुगंधाको और ज्यादा मजा आ रहा था,,,।)

और जब तुझे यह पता चला कि मैं खंडहर में हूं तो तेरे मन में क्या उठा मतलब तुझे कैसा आभास हुआ मुझे लेकर और उस शैतान को लेकर,,,, ( सुगंधा जिस तरह का सवाल कर रही थी उसका मतलब रोहन अच्छी तरह से समझ रहा था कि वह क्या सुनना चाहती है और सोहन को भी इसमें मजा आ रहा था रोहन इस बात को समझ गया था कि अब अपनी मां के आगे शर्म करने का कोई मतलब नहीं है क्योंकि वह फिर एक बेशर्म होकर इस तरह की बातें जानबूझकर पूछ रही थी ताकि वह गंदे शब्दों में उन सवालों का जवाब दें लेकिन जानबूझकर रोहन अच्छा बनने की कोशिश करते हुए बोला,,,।)

मम्मी जब मैं तुम्हारी आवाज को खंडहर में से आता हुआ सुना तो मुझे लगा कि तुम्हारे साथ कुछ ना कुछ गलत हो रहा है,,,

गलत मतलब क्या क्या लगा तुझे कि मेरे साथ क्या गलत हो रहा है,,,, (सुगंधा जानबूझकर अपने बेटे को उकसाते हुए बोली,,,)

मुझे लगा कि तुम्हारे साथ वो,,,, हो गया,,,, मतलब की ऊसने वो वो,,,, कर दीया,,,,,, ( रोहन जो कहना चाह रहा था उस बात को सुगंधा अच्छी तरह से समझ रही थी लेकिन रोहन कहने से घबरा रहा था लेकिन इस दौरान भी उसके हाथ,,, सुगंधा के मदमस्त बड़ी बड़ी गांड पर टिके हुए थे जिसे वह अपनी हथेली में भर भर कर दबा रहा था। )

मैं समझी नहीं कि तुम क्या कहना चाह रहे हो उसने क्या कर दिया ठीक ठीक बताओ मुझसे शर्माने की जरूरत नहीं है और अभी भी शर्माओगे तो पता नहीं क्या करोगे,,,,

मम्मी में तुम्हें कैसे बताऊं की मुझे उस समय क्या लगा था मुझे तो बताने में शर्म आ रही है,,,,,।

अच्छा तो जनाब को शर्म आ रही है,,,, अपनी ही मां को एकदम नंगी करके उसकी गांड को तेल से मालिश करने के बहाने जोर जोर से दबाते हुए तुम यह कह रहे हो कि तुम्हें बताने में शर्म आ रही है,,,,
( अपनी मां की यह बात सुनते ही रोहन एकदम से झेंप गया उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें एकाएक उसके हाथ अपनी मां की मदमस्त गांड पर बर्फ की तरह जम गए,,, फिर भी वह बात को संभालने की कोशिश करते हुए बोला,,, )

यह क्या कह रही हो मम्मी मैं तो तुम्हें दर्द से राहत देने के लिए सब कर रहा हूं,,,

हां हां मैं सब समझती हूं दर्द से राहत किसे मिल रहा है अभी भी कह रहे थे कब शर्माने की जरूरत नहीं है हम दोनों के बीच काफी कुछ बातें ऐसी हो चुकी है जो मां बेटे के बीच नहीं होनी चाहिए लेकिन फिर भी ऐसा चल रहा है इस समय अपना बेटा नहीं बल्कि एक दोस्त की तरह समझ रही हूं जिसे मैं अपना दुख दर्द सब कुछ कह सकती हूं और तू भी मुझे एक दोस्त की तरह समझ और मुझसे शर्माने की बिल्कुल भी जरूरत नहीं है,,, उस समय उस शैतान को लेकर मेरे बारे में जो भी तू सोच रहा था वह सब कुछ खुले शब्दों में बता दे मैं भी तो समझो कि मेरा बेटा कितना बड़ा हो गया और कहां तक सोच सकता है मेरे बारे में और हां यूं मालिश करना बंद मत कर जिस तरह से दबा दबा कर मालिश कर रहा था उसी तरह से मालिश चालू रख मुझे तेरी मालिश अच्छी लग रही है और सच कहूं तो तेरे हाथों में जादू है (सुगंधा ने यह अंतिम शब्द जानबूझकर रोहन को बहकाने के लिए बोली थी और रोहन भी अपनी मां के इस शब्द को सुनकर प्रसन्नता से मुस्कुरा दिया,,,,, रोहन अपने मन में सोच रहा था कि जब उसकी मां इतना खुलकर सामने से सब कुछ कह रही है और खुले शब्दों में सब कुछ सुनना चाहती है तो वह क्यों शर्म कर रहा है,,, अपने आप से ही बातें करते हुए बोला कि अगर इस स्वादिष्ट मीठे लड्डू को खाना है तो रोशनी को अच्छी तरह से खोलना होगा तभी इस लड्डू का स्वाद आएगा इसलिए वह अपना मन मजबूत करते हुए बोला,,,,।)
मम्मी जब मुझे पता चला कि तुम खंडहर में हो और वो भी उस शैतान के साथ,,,तो,,, तो,,, मुझे ऐसा लगा कि उसने तुम्हें चोद दिया होगा,,,, ( रोहन डरते हुए बोल दिया और अपनी बेटे के मुंह से यह सुनकर सुगंधा जानबूझकर चोकने वाली अदा दिखाते हुए बोली,,,,)

बाप रे बाप तुम्हें इतना ज्यादा सोच लिया,,,
मेरा क्या है जो भी लिया है नेट से लिया है और नेट पर ही दिया है- (इधर का माल उधर)
शरीफ़ या कमीना.... Incest बदलते रिश्ते...DEV THE HIDDEN POWER...Adventure of karma ( dragon king )



ritesh
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Re: Incest बदलते रिश्ते

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(^%$^-1rs((7)
मेरा क्या है जो भी लिया है नेट से लिया है और नेट पर ही दिया है- (इधर का माल उधर)
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