भाई बहन,ननद भाभी और नौकर

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mastram
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Re: भाई बहन,ननद भाभी और नौकर

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PART-38
पल्ल्वी जितना ज्यादा मम्मी के बारे में बता रही थी, उससे ज्यादा लगता था कि वह उनके बारे में छुपा रही थी और रश्मि के लिए यह सब एक रहस्य बनता जा रहा था. वह फिर से पल्ल्वी से बोली; " लेकिन भाभी, मम्मी तो बिलकुल ठीक और स्वस्थ नज़र आती है. रोजाना नियम से मंदिर भी जाती हैं और भजन -कीर्तन भी करती हैं, फिर यह आप उनके बारे में क्या बात कर रही हैं ? "
पल्ल्वी बोली : मम्मी की मानसिक हालत में सुधार के लिए ही उनकी एक फ्रेंड ने हम लोगों को मंदिर का रास्ता दिखाया था कि "सुखसागर आश्रम" में बने मंदिर में जाने से मम्मी की मानसिक हालत में सुधार हो सकता है. मम्मी की वह फ्रेंड भी इसी आश्रम में बने मंदिर में काफी समय से जा रही थी. विमल ने और मैंने भी मंदिर और आश्रम में जाकर देखा तो यही लगा कि यहां आकर शायद मम्मी की मानसिक हालत में सुधार आ जाए और तभी से मम्मी हर रोज सुबह ११ बजे मंदिर के लिए निकल जाती हैं और शाम को ६ बजे वापस आती हैं.
अब रश्मि बोली : इसका मतलब अब तो मम्मी ठीक हैं. मंदिर जाने से उन्हें कौन रोक रहा है. वह मंदिर जाती रहें और अपनी मानसिक हालत को दुरुस्त रखें.
पल्ल्वी बोली : " दरअसल मंदिर के आश्रम में भी मम्मी इसीलिए खुश हैं और उनका मानसिक संतुलन सम्भला हुआ है, क्योंकि उनके साथ वहां पर सारे दिन वही सब कुछ होता है, जो वह चाहती हैं. मंदिर में एक आश्रम भी है जिसके मालिक या समझो कि गुरूजी बहुत रंगीन मिज़ाज़ के हैं. उन्हें मम्मी जैसी औरतों और लड़कियों के साथ रास लीला करने का शौक है. ऊपर से देखो तो मंदिर के इस आश्रम में भजन कीर्तन ही होता है. महिलायें वहां जाती हैं और भजन कीर्तन करते हुए नाचती रहती हैं. आश्रम के नियमों के अनुसार अभी महिलाओं को अपनी साड़ी उतारकर सिर्फ ब्लॉउस और पेटीकोट पहनकर ही नाच नाच कर भजन कीर्तन करना होता है. बस यहीं से इन महिलाओं के यौन शोषण की शुरुआत हो जाती है. जो औरतें आसानी से गुरूजी और उनके मुस्टंडे चेलों का यौन शोषण खुशी खुशी बर्दाश्त कर लेती हैं, उन्हें ही आगे प्रोमोट करके आश्रम में गुरूजी के दर्शन के लिए तैयार किया जाता है. देखा जाए तो यह गुरूजी, उनके चेलों और वहां जाने वाली औरतों सब के लिए "विन विन फार्मूला" है. "
पल्ल्वी अब थोड़ा रुकी और रश्मि की तरफ देखने लगी. रश्मि को भी अब मामला काफी हद तक समझ में आने लगा था.
पल्ल्वी ने अब आगे बोलना शुरू किया-" देख मेरे पास तेरी मम्मी के साथ आश्रम में क्या कुछ हो रहा है, उसकी जानकारी तो नहीं है लेकिन एक और वीडियो मुझे कहीं से मिली थी जिसमे आश्रम की कारगुजारियों के बारे में पूरी जानकारी है. उसे देखकर इस बात का आसानी से अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि आश्रम में मम्मी के साथ किस तरह का व्यवहार किया जा रहा होगा जिसकी वजह से वह पूरी तरह खुश, संतुष्ट और अपने पूरे मानसिक संतुलन को बनाये रखने में सफल हैं. वह वीडियो मेरे पास एक पेन ड्राइव में हैं. वह पेन ड्राइव मैं तुम्हे दिखा सकती हूँ. उससे तुम्हे बाकी की कहानी का अंदाज़ा भी लग जाएगा."
रश्मि ने यह सब सुना तो मानो उसका सर चकराने लगा. वह बोली-" भाभी, यह सब आपकी और भैया की जानकारी में ही हो रहा है. ? "
पल्ल्वी बोली-" हाँ रश्मि, यह सब हमारी पूरी जानकारी में ही हो रहा है. इसका घरेलू इलाज़ तो यह था कि विमल खुद अपनी मम्मी को वह सुख पहुंचाए, जिसकी तलाश में वह आश्रम तक चली गयी हैं या फिर मैंने तो यहां तक सुझाव दिया था कि यह जिम्मेदारी अर्जुन को सौंप दी जाए, लेकिन विमल इस बात पर भी राजी नहीं हुए थे. उनका कहना था कि मंदिर और आश्रम की आड़ में ही मम्मी को अपनी इच्छाएं पूरी करने दो."
अब रश्मि कहने लगी : " लेकिन विमल भैया यह सब कैसे कर लेते ?"
पल्ल्वी बोली : तुम्हारे भैया बिलकुल अपने पापा पर ही गए हैं और अपनी वाइफ को "सेक्स स्लेव" की तरह ही ट्रीट करते हैं.
( यह कहने के बाद पल्ल्वी हालांकि खुद ही शर्मा गयी थी लेकिन जो हकीकत थी, वह उसने बखूबी बयान कर दी थी)
रश्मि फिर बोल पडी : और भाभी, आप जो कह रही हैं कि आपने अर्जुन का नाम इस काम के लिए सुझाया था , वह क्या सोचकर सुझाया था . क्या अर्जुन भी ...?"
अब पल्ल्वी हंसने लगी : रश्मि, अर्जुन के बारे में तो अब तुझे ज्यादा मालूम होगा लेकिन मैंने जो अंदाजा अर्जुन के बारे में लगाया था, वह उससे भी कहीं ज्यादा तेज निकला. मेरा आज भी यह मानना है कि हमें मंदिर-आश्रम का चक्कर छोड़कर मम्मी को अर्जुन के हवाले कर देना चाहिए."
रश्मि एकदम सकते में आ गयी : " आपका क्या मतलब है कि मम्मी को अर्जुन के हवाले कर देना चाहिए.?"
पल्ल्वी बोली : मैं वही कह रही हूँ जो तुम समझ रही हो. इसी में हम सब की भलाई है. मुझे तो मंदिर और आश्रम की करतूतों के बारे में सोच सोचकर ही डर लगता है. कम से कम अर्जुन तेरे पूरे कंट्रोल में तो है. घर की बात घर में भी बनी रहेगी और किसी को कभी कुछ पता भी नहीं चलेगा. अब शायद विमल भी इस बात के लिए राजी हो जाएंगे. उन्हें पहले यह लग रहा था कि अर्जुन नौकर है और मम्मी को कंट्रोल में लेकर हम सब को कंट्रोल कर लेगा. लेकिन मैंने देखा है कि तुमने बड़ी चालाकी से अर्जुन जैसे दबंग इंसान को किस तरह से अपने कंट्रोल में कर रखा है. अगर अर्जुन को तुम इसी तरह अपने पूरे कंट्रोल में रख सको तो अर्जुन मम्मी को भी कंट्रोल कर ले तो मरे ख्याल से उसमे कोई बुराई नहीं है."
अब बातों बातों में पल्ल्वी ने रश्मि की जमकर तारीफ़ कर दी और रश्मि उस तारीफ़ से फूलकर एकदम कुप्पा हो गयी थी. रश्मि बोली-" भाभी, जैसा आप कहो, मैं वैसा करने के लिए तैयार हूँ. मम्मी हर हालत में ठीक रहनी चाहिए. हम सब यही तो चाहते हैं."
बातों बातों में साढ़े पांच बज गए थे. रश्मि का मूड एकदम बदल चुका था. उसके दिमाग से पल्ल्वी के प्रति जो दुर्भावना थी, वह भी एकदम ख़त्म हो गयी थी. उसने पल्ल्वी से कहा-" भाभी, अब आप जाकर आराम कर लो. आधे घंटे बाद मम्मी भी आ जाएंगी.वह आश्रम वाली वीडियो अगर आप चाहो तो आज रात को खाना खाने के बाद देख लेंगे ?"
पल्ल्वी उठती हुई रश्मि से बोली-" मैं जब खाना खाने आऊंगी तो आश्रम वाली पेन ड्राइव लेकर ही आऊँगी. फिर तेरे कमरे में ही उस आश्रम की वीडियो को देख लेंगे."
यह कहकर पल्ल्वी अपने कमरे में चली गयी और रश्मि सोफे पर पीछे की तरफ बैठकर न जाने किन ख्यालों में डूब गयी.
शेष अगले भाग में....
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mastram
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पल्ल्वी के जाने के बाद सबसे पहले रश्मि ने अर्जुन को फोन करके बुलाया.
अर्जुन रश्मि के पास आया और बोला-" जी मेम साब, आपने मुझे बुलाया."
रश्मि अर्जुन से बोली : अब जब तक मैं तुम्हे न कहूँ, तब तक तुम पल्ल्वी से बिलकुल दूर रहोगे और अपना सारा काम भी खुद ही करोगे. समझे ?"
" जी मेम साब समझ गया. मैं अपना सारा काम खुद ही करूंगा और पल्ल्वी से एकदम दूर रहूंगा." अर्जुन बोला
" ठीक है, अब तुम जाओ और मम्मी के और उसके बाद हम सबके खाने की तैयारी करो" रश्मि उससे बोली और वह वहां से चला गया.
मम्मी रोजाना की तरह शाम को लगभग ६ बजे वापस आ गयी थीं और उन्होंने फ्रेश होने के बाद खाना भी खा लिया था और अपने कमरे में सोने के लिए भी चली गयी थीं.
इसके बाद जब डिनर की टेबल पर पल्ल्वी और रश्मि इकट्ठे हुए तो भी वह दोनों चुपचाप ही रहे. खाना खत्म करने के बाद पल्ल्वी रश्मि के साथ उसके कमरे में आती हुई बोली- " मैं वह आश्रम वाली पेन ड्राइव ले आयी हूँ. इस समय देख सकते हैं. लगभग एक घंटे की वीडियो है."
रश्मि बोली : " ठीक है. देखते हैं क्या चल रहा है आश्रम में."
इसके बाद दोनों कमरे में अंदर आ गए और रश्मि ने उस पेन ड्राइव को टी वी स्क्रीन पर लगा दिया और वीडियो चलनी शुरू हो गयी.
रश्मि साइड रूम में एक सोफे पर बैठ गयी और पल्ल्वी सामने पडी एक कुर्सी पर बैठकर वीडियो देखने लगी.
पहले वीडियो में आश्रम में एक महिला मंदिर के पुजारी के पास आती है.और कहती है-" गुरु जी, मेरी शादी को दो साल हो गए हैं और अभी तक..."
पुजारी उसे बीच में रोकते हुए कहता है-" हम सब समझ गए तुम्हे क्या परेशानी है. हमारे गुरूजी की कृपा से तुम जल्द ही पुत्र रत्न की प्राप्ति करोगी. अब ऐसा करो आज से हर रोज मंदिर में भजन कीर्तन के कार्यक्रम में अपना योगदान देना शुरू कर दो. बाकी काम हमारे गुरु जी पर छोड़ दो."
इसके बाद वह पुजारी उस नवयौवना को मंदिर के पीछे बने आश्रम के एक कमरे में ले जाता है, जहां पर लगभग २०-२५ महिलाएं पहले से ही नाच नाच कर भजन कीर्तन कर रही हैं. सभी ने सिर्फ ब्लॉउज और पेटीकोट ही पहना हुआ था और वे सब अपने हाथ ऊपर उठाकर नाच रही थीं. वहां पर गुरु जी के दो तीन चेले भी बैठे हुए थे जो उन लोगों के नाच को देखकर उस पर टीका टिप्पणी भी कर रहे थे और बीच बीच में कुछ निर्देश भी दे रहे थे.
वहां सभी आयु वर्ग की महिलायें मौजूद थीं. २० साल से लेकर ५० साल तक की आयु वर्ग की औरतें वहां मौजूद थीं और सब की सब वहां मस्त होकर भजन कीर्तन करते हुए नाच रही थीं. अगर कोई महिला गलती से अपना हाथ नीचे कर लेती तो वहां बैठा कोई न कोई चेला उसे टोक देता-" सबको हाथ ऊपर उठाकर नाचना है-गुरु जी की पूरी कृपा पाने के लिए हाथ ऊपर उठाकर नाचना जरूरी है." चेले के कहने पर वह महिला फिर से अपने हाथ उठाकर नाचना शरू कर देती. जिस महिला को लेकर वहां मंदिर का पुजारी अभी अभी लेकर आया था, उसे देखते ही एक चेला उठकर उस महिला के पास आ गया और बोला-" ठीक है पुजारी जी, आप मंदिर में जाओ, इन्हे गुरु जी के भजन कीर्तन में मैं लगवाता हूँ."
इसके बाद वह चेला उस महिला को लेकर एक अलग कमरे में आ जाता है, जहां पर चार पांच महिलायें अलग अलग चेलों के साथ नाच रही हैं. अब वह चेला उस साथ लाई गयी नयी महिला की साड़ी एक झटके में उतार देता है और कहता है-" आश्रम के नियमों के अनुसार यहां साड़ी उतारकर ही भजन कीर्तन करते हुए नाचा जाता है." वह महिला कुछ नहीं बोली और चुपचाप देखती रही कि कैसे उस चेले ने उसकी साड़ी को एक दीवार पर लगे बॉक्स में रखकर उस बॉक्स को बंद कर दिया और महिला से बोला-" यह ५६ नंबर का बॉक्स है. यह नंबर याद रखना. शाम को जाते समय इसी बॉक्स में से अपनी साड़ी निकलकर पहन लेना. अब आओ मेरे साथ तुम्हे नाचने का अभ्यास कराना पड़ेगा ताकि कल से तुम भी भजन कीर्तन मंडली में नाच नाच कर गुरु जी की कृपा प्राप्त कर सको."
अब वह महिला भी अपने बलाउज और पेटीकोट में थी. उसका पेटीकोट नाभि से काफी नीचे बंधा हुआ था और उसकी पतली कमर और चिकना पेट किसी को भी बेकाबू करने के लिए काफी था. उस कमरे में भजन कीर्तन का संगीत जोर जोर से पहले से ही चल रहा था. उस चेले ने उस महिला के पीछे खड़े होकर अपने दोनों हाथ उसकी कमर के दोनों तरफ टिका दिए और बोला-" अब अपने हाथ ऊपर उठाओ और मेरे साथ थिरक थिरक कर नाचो."
उस महिला ने देखा की उस कमरे में मौजूद बाकी की महिलाओं को भी अलग अलग चेले उसी तरह हाथ ऊपर करवाकर उनकी कमर को पीछे से पकड़कर नाचने का अभ्यास करवा रहे थे. लिहाज़ा उसने भी अपने आप को चेले के हवाले कर दिया और उसके दिए निर्देशों के हिसाब से नाचना शुरू कर दिया.
इसके बाद कैमरा दुबारा से उसी कमरे में आ गया जहां पर २०-२५ महिलायें भजन कीर्तन पर नाच रही थीं. वहां जो चार पांच चेले बैठे उस नाच को देख रहे थे, वे आपस में बात चीत भी कर रहे थे. एक चेला अपने साथ बैठे दूसरे चेले से बोला-" महेश भाई, वह जो नीले ब्लॉउज और पेटीकोट में महिला नाच रही है ,उसका क्या नाम है ?"
महेश चेले ने जबाब देते हुए कहा-" राहुल भाई, यह तो कल्पना है. अपने पति की नपुंसकता से परेशान है और उसका समाधान कराने के लिए गुरूजी से मिलना चाहती है. लेकिन बात क्या है ?"
राहुल चेला अब बोला-" देख भाई उसका पेट कुछ आगे नहीं निकल आया है ? "
महेश चेला बोला- " हाँ निकल तो आया है, इसका इलाज़ करना पड़ेगा." यह कहता हुआ महेश कल्पना के पास पहुंच गया और उसे लेकर एक तीसरे कमरे में आ गया और उससे बोला-" तुम अपनी फिटनेस का बिलकुल ख्याल नहीं रख रही हो तो फिर गुरु जी से तुम्हारी मुलाक़ात कैसे हो सकती है ? "
उस कमरे में भी तीन चार महिलाएं अलग अलग तीन चार चेलों के साथ कोई न कोई योगासन इत्यादि कर रही थीं.
महेश चेले ने कल्पना के चिकने पेट को सहलाते हुए कहा-" शरीर का यह हिस्सा एकदम सपाट होना चाहिए लेकिन तुम्हारा कुछ कुछ आगे आने लगा है, इसे अंदर करने के लिए तुम्हे मुर्गासन करना होगा. चलो मुर्गासन करो." यह कहने के साथ ही महेश चेले ने कल्पना को जबरन मुर्गा बना दिया और उसके नितम्बों पर हाथ फिराते हुए बोला-" अब हर रोज तुम्हे इसी तरह एक घंटा यह आसान करना है ताकि तुम्हारा पेट दुबारा से सपाट हो सके."
महेश चेला कल्पना के पास ही एक कुर्सी डालकर बैठ गया और बीच बीच में उसके बदन को किसी न किसी बहाने छूता सहलाता जा रहा था.
उस कमरे में मौजूद अन्य चेले भी अलग अलग महिलाओं को "फिट" रखने के लिए अलग अलग योग क्रियाएं करवा रहे थे-एक चेला अपने सामने खड़ी महिला से कान पकड़कर दंड बैठके लगवा रहा था तो एक चेला महिला के पीछे सटकर खड़ा होकर उससे दंड-बैठकें लगवा रहा था और इस कोशिश में उसका पूरा बदन महिला के बदन से ठीक से रगड़ा जा रहा था. सभी महिलाओं की ड्रेस सिर्फ ब्लॉउज और पेटीकोट ही थे. इससे ज्यादा कपडे पहनना आश्रम के नियम के खिलाफ था. चेलों ने भी गेरुआ रंग का कुरता और धोती पहन रखी थी और उनके इस पहनावे की वजह से इस बात का अंदाज़ा लगाना संभव नहीं था की उनका लण्ड इन भक्त महिलाओं को छूने सहलाने में खड़ा होता है या नहीं.
अब कैमरा एक चौथे कमरे की तरफ आ गया था जहां सिर्फ दो नवयुवतियां दिखाई दे रही थीं. दोनों बला की खूबसूरत थीं और उन्हें शायद आज ही अभी अभी गुरूजी के दर्शन करवाए जाने थे इसलिए उन्हें गुरूजी के सामने पेश होने के लिए तैयार किया जा रहा था. यहां भी इन दोनों महिलाओं के साथ दो चेले लगे हुए थे. एक चेले ने अपने सामने खड़ी युवती का पेटीकोट खुद नारा खोलकर उतार दिया था और अब वह उससे अपनी ब्लॉउज उतारने को कह रहा था-" आज तीन महीने बाद तुम्हारा नंबर आया है और गुरूजी तुमसे मिलने के लिए तैयार हुए हैं- आज ही उनकी सारी कृपा पाने के लिए जैसे मैं कहता हूँ, वैसा ही करती जाओ-वरना तुम अपनी सास के ताने ही सुन सुन कर परेशान हो जाओगी." उस युवती ने अपनी बलाउज भी उतार दी थी और अब उसके बदन पर सिर्फ ब्रा और पैंटी ही बाकी रह गए थे. चेले ने जी भरकर उसके गदराये बदन को चारों तरफ से देखा भी और छूता, दबाता और सहलाता भी रहा. इसके बाद उसने अपने हाथ में किसी पाउडर को लेकर अपनी दोनों हथेलियों पर मला और बोला-"अब इस चमत्कारी पाउडर से तुम्हारे पूरे बदन की पोलिश की जाएगी ताकि गुरूजी की कृपा तुम्हे जल्द से जल्द प्राप्त हो सके." यह कहकर उसने अपने हाथों को उसके पूरे बदन पर फिराना शुरू कर दिया. उसके हाथ उसकी जाँघों के अंदर बाहर, उसके नाभि प्रदेश और चिकने पेट से होते हुए उसकी ब्रा के चारों और बहुत तेजी के साथ घूम रहे थे. चेला उस युवती से बोला-"चलो अपने दोनों हाथ ऊपर उठाओ". युवती ने अपने दोनों हाथ ऊपर उठा लिए और चेला उसके बदन के पीछे से सटकर खड़ा होते हुए उसकी बगलों पर अपने हाथ फिराने लगा.
कमरे में मौजूद दूसरी युवती के साथ भी दूसरा चेला लगभग यही सब कुछ कर रहा था.
कुछ देर बाद दोनों चेले उन दोनों युवतियों को लेकर एक महलनुमा कमरे में आ गए जहां एक बड़े से मखमली बिस्तर पर गुरूजी यानि महाराज सुख सागर जी बैठे हुए थे.
दोनों चेलों ने अपने अपने साथ आयी युवतियों को निर्देश दिया-" आज का दिन तुम्हारे लिए बहुत भाग्यशाली है क्योंकि आज पूज्य गुरूजी ने तुम दोनों को अपने दर्शन का सौभाग्य प्रदान किया है. इस अवसर का भरपूर फायदा उठाओ और गुरूजी की हर इच्छा को भगवान् का आदेश मानकर उसे पूरा करती जाओ-इसी में तुम्हारा कल्याण है."
यह कहकर दोनों चेले उस कमरे से बाहर आ गए और दोनों युवतियां गुरूजी के पास जाकर उनके बिस्तर की शोभा बन गयीं.
इसके बाद इस कमरे से कैमरा हैट गया था और उस कमरे में आ गया था जहां महिलायें अपने अपने नंबर के बॉक्स में से अपनी अपनी साड़ियां निकलकर पहन रही थीं और अपने अपने घर की और प्रस्थान कर रही थीं. आश्रम का एक नियम यह भी था की यहां शाम ६ बजे के बाद कोई महिला नहीं रह सकती थी. जो कुछ भी यहां होता था, दिन दहाड़े ही किया जाता था.
अब यह वीडियो ख़त्म हो गयी थी और पल्ल्वी ने अब रश्मि की तरफ देखकर पूछा-" अब आया कुछ समझ में ?"
रश्मि बोली-" हाँ भाभी, काफी कुछ समझ में आ गया है-शायद इसीलिए मम्मी जब शाम को ६ बजे वापस आती हैं तो बहुत थकी होने के कारण जल्द ही फ्रेश होकर, खाना खाकर अपने कमरे में सोने चली जाती हैं."
पल्ल्वी बोली-" रश्मि, जितना इस वीडियो में दिखाया गया है, सिर्फ उतना ही थोड़े होता है. यह तो एक नमूना भर है. आश्रम और मंदिर की साफ़-सफाई, झाड़ू पोछा, गुरूजी और चेलों के कपड़ों की धुलाई और उनके कमरों का रख रखाव सब इन्ही महिलाओं से करवाया जाता है. गुरु जी को अपनी मस्ती के लिए हर रोज नयी नयी लडकियां और औरतें मिल जाती हैं और इसके लिए उन्होंने चेलों को पूरा फ्री हैंड दे रखा है. मंदिर और आश्रम में जो चंदा और दान दक्षिणा आती है, उससे गुरु जी और उनके चेलों का रहना-खाना तो आराम से चल ही रहा है, अय्याशी के लिए यह महिलायें भी वहां अपनी मर्ज़ी से ही जाती हैं. इसलिए इस वीडियो बनाने वाले जिस पत्रकार ने इस आश्रम में चल रही गतिविधियों का पर्दाफाश करने की कोशिश की थी तो मामला अदालत में टिक ही नहीं पाया था क्योंकि कोई भी औरत गुरूजी और उनके चेलों के खिलाफ बोलने को तैयार नहीं थी."
रश्मि बोली-" फिर अब हमें क्या करना चाहिए भाभी ?"
पल्ल्वी बोली- " मम्मी को अगर यही "ट्रीटमेंट" करवाना है, जो आश्रम के गुरु और चेले मिलकर करते हैं, तो उससे अच्छा "ट्रीटमेंट" तो अपना अर्जुन ही कर देगा. बात घर की घर में भी रहेगी"
रश्मि बोली- " भाभी आपकी बात तो ठीक लग रही है. अब तो नींद आ रही है. आप भी जाकर सो जाओ. इस बारे में कल बात करते हैं."
शेष अगले भाग में....
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पल्ल्वी के जाने के बाद रश्मि काफी देर तक सो नहीं सकी.
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उसने पल्ल्वी को तो यह बहाना बनाकर भेज दिया कि उसे नींद आ रही है लेकिन नींद उसकी आँखों से कोसों दूर थी
दरअसल वह पल्ल्वी की बातों को सच तो समझ रही थी लेकिन यह नहीं समझ पा रही थी कि आखिर कैसे अपनी ही मम्मी को घर के एक नौकर के हवाले कर दिया जाए तो उन्हें अभी तक "बड़ी मालकिन" कहता आया था
रश्मि ने हालांकि कभी अपनी मम्मी के प्रति इस नज़रिये से सोचा भी नहीं था कि उनकी उम्र अभी सिर्फ ४६ साल की है और उन्होंने अपने आप को एकदम फिट रखा हुआ है.
सबसे बड़ी समस्या तो उसे यह लग रही थी कि क्या वह अर्जुन से यह सब करने के लिए कह भी पाएगी ? यह तो उसे पता था कि अगर अर्जुन को रश्मि की तरफ से छूट मिल गयी तो वह अपनी "बड़ी मालकिन" को भी अपना सेक्स स्लेव बनाने में कोई देर नहीं लगाएगा लेकिन यह सब होगा कैसे ?
यह सब सोचते सोचते रश्मि को भी नींद आ गयी
अगले दिन सब लोगों ने रोज की तरह नाश्ता वगैरा किया और जब मम्मी रोजाना की तरह मंदिर चली गयीं तो रश्मि और पल्ल्वी फिर अपनी कल की बातचीत को आगे बढ़ाने लगीं.
रश्मि : बताओ अब क्या करें भाभी-मैं तो आपकी बात से सहमत हूँ.
पल्ल्वी : देख, कल रात मैंने विमल से भी फोन पर बात करके सारी बात बतायी है. विमल का भी यही कहना है कि मंदिर-आश्रम भेजने में ज्यादा रिस्क है क्योंकि वहां अगर कभी पुलिस वगैरा की रेड हुई तो हमारी भी बदनामी हो सकती है. वह भी यही कह रहे हैं कि अर्जुन के जिम्मे ही यह काम सौंप देना चाहिए.लेकिन उस पर हमारी निगरानी भी रहनी चाहिए.
रश्मि : भाभी, अर्जुन पर निगरानी की फ़िक्र आप बिलकुल मत करो. वह मेरी मर्ज़ी के बिना इस घर में अब कुछ नहीं कर सकता है.
पल्ल्वी : यही देखकर तो मैंने यह सारी बातचीत अब छेड़ी है , क्योंकि मुझे जो अब वैसे भी यहां से अगले १०-१५ दिनों में अमेरिका चले जाना है. जब मैंने यह देख लिया कि अर्जुन तेरे पूरे कंट्रोल में है तभी मुझे यह बात ध्यान आयी कि मंदिर-आश्रम के यौन शोषण से बढ़िया तो अर्जुन का यौन शोषण ही रहेगा.
रश्मि : भाभी , अब आप यह बताओ कि मुझे क्या करना है -मैं तैयार हूँ.
पल्ल्वी : सबसे पहले तो मैं तेरे टी वी स्क्रीन में मम्मी के कमरे की भी सेटिंग कर देती हूँ ताकि तुझे उस कमरे का भी लाइव देखने को मिल सके.
पल्ल्वी इस समय रश्मि के कमरे में ही बैठी थी. उसने टी वी पर सेटिंग करके मम्मी के कमरे को भी लाइव सेटिंग के लिए कनेक्ट कर दिया. अब इस कमरे से घर के बाकी सभी कमरों को लाइव देखा जा सकता था.
इसके बाद पल्ल्वी ने बोलना शुरू किया : अब तुझे अर्जुन को इस काम के लिए तैयार करना होगा. सबसे मुश्किल यही काम है लेकिन इसे सिर्फ तू ही कर सकती है. कल से मम्मी मंदिर नहीं जाएंगी, यह सुनिश्चित करना अर्जुन का काम होना चाहिए. आज रात से ही अर्जुन को अपने काम पर लग जाना चाहिए.
अब रश्मि को सब कुछ समझ आ गया था कि उसे अब क्या करना है
उसने पल्ल्वी से कहा- " ठीक है भाभी, यह जो आश्रम वाली पेन ड्राइव है, आप अभी एक दो दिन के लिए मेरे पास ही रहने दो. मैं इसे अर्जुन को भी दिखाना चाहती हूँ."
यह सब बात करते करते १२ बज गए थे. अर्जुन दोपहर का खाना बनाने की तैयारी कर रहा था. रश्मि ने पल्ल्वी से कहा-" लंच के बाद मैं अर्जुन को अपने कमरे में बुलाकर उसे जरूरी हिदायत दूंगी और उसके बाद आपको भी बताऊंगी कि क्या प्लान है."
२ बजे तक सबने अपना -अपना लंच कर लिया और इसके बाद पल्ल्वी अपने कमरे में चली गयी और रश्मि ने अर्जुन को अपने कमरे में बुला लिया.
अर्जुन आते ही रश्मि से बोला-" जी मेम साब आपने मुझे बुलाया ?"
रश्मि बोली- " हाँ देखो सामने कुर्सी पर बैठ जाओ और एक वीडियो मैं दिखा रही हूँ, उसे ध्यान से देखो."
अर्जुन कुर्सी पर बैठ गया. रश्मि ने आश्रम वाली वीडियो टी वी पर चला दिया और अर्जुन उसे देखने लगा.
एक घंटे में वीडियो ख़त्म हो गया. अर्जुन का लण्ड इस वीडियो को देखकर भी निक्कर के अंदर ही तन कर खड़ा हो गया था
रश्मि ने उससे पुछा-" हाँ, क्या समझ आया.?"
अर्जुन बोला: मेम साब मुझे तो यह सब पहले से ही मालूम है. सुखसागर आश्रम और मंदिर के किस्से तो पूरे शहर में मशहूर हैं- वहां यही सब कुछ नहीं, और भी बहुत कुछ होता है.
रश्मि हैरान होकर बोली : और क्या क्या होता है वहां और तुझे यह सब कैसे मालूम है ?
अर्जुन : मेम साब मैं सुबह शाम पार्क वाले जिम में कसरत करने जाता हूँ, वहां उस मंदिर के एक दो चेले भी कसरत करने आते हैं, वे सब वहां के बारे में बताते रहते हैं.
रश्मि हंसकर बोली : तो तुझे भी क्या आश्रम में चेला बनने की इच्छा है ?
अर्जुन : अरे नहीं मेम साब, वहां तनखा नहीं मिलती है- बस रहो, खाओ और वहां आने वाली औरतों के साथ मौज मस्ती करो. बस......
अर्जुन की बातों को सुनकर अब रश्मि को भी लगने लगा कि पल्ल्वी ठीक कह रही है और मम्मी का वहां जाना तुरंत बंद कर देना चाहिए.Image
रश्मि को अब यह समझ नहीं आ रहा था कि अर्जुन के साथ बात को कहाँ से शुरू करे.
उसने कुछ सोचने के बाद अर्जुन से कहा-" देख अर्जुन. तू मेरी हर बात मानता आया है इसलिए मैं तुझे एक और काम की जिम्मेदारी देना चाहती हूँ- लेकिन यह बात मेरे और तुम्हारे बीच ही रहनी चाहिए और किसी को इसके बारे में पता भी नहीं लग्न चाहिए, मम्मी को भी नहीं."
अर्जुन बोला : ठीक है मेम साब, आप जो कहो मैं वह करने के लिए हमेशा ही तैयार हूँ.
रश्मि : मैं यह चाहती हूँ कि मम्मी कल से मंदिर जाना बंद कर दें क्योंकि मुझे यह मालूम पड़ा है कि जिस मंदिर में मम्मी जाती हैं, यह आश्रम उसी मंदिर का हिस्सा है
अर्जुन अब रश्मि को टोकते हुए बोला : " मेम साब आप बुरा न माने तो मैं कुछ कहना चाहता हूँ."
रश्मि बोली : हाँ बोलो, मैं बुरा नहीं मानूंगी.
अर्जुन ने अपना मोबाइल फ़ोन खोलकर उसे रश्मि को देते हुए कहा : " मेम साब जो पार्क के जिम में मंदिर में काम करने वाला चेला राकेश आता है, उसने मुझे अपने मोबाइल में से यह वीडियो दिया है."
रश्मि ने उस वीडियो को देखना शुरू किया : वीडियो में आश्रम के अंदर मम्मी एक चेले के सामने खड़ी हुई थीं उन्होंने सिर्फ ब्लॉउज और पेटीकोट पहना हुआ था. चेला मम्मी के सामने एक कुर्सी पर बैठकर उनके पेट पर हाथ फिर रहा था -" तुम्हारा पेट थोड़ा बाहर की तरफ आना शुरू हो गया है, इसका मतलब है कि आपको फिटनेस के लिए कुछ मेहनत करनी पड़ेगी. ऐसा करो अपनी ब्लॉउज उतारो "
मम्मी ने अपनी ब्लॉउज उतार दी
ब्लॉउज उतारने के बाद चेले ने मम्मी के ब्रा में बंद उरोजों को थोड़ा दबाया सहलाया और फिर बोला-"इसे भी उतारो"
मम्मी ने ब्रा भी उतार दी.
ब्रा उतारने के बाद मम्मी अपने हाथों को अपने उरोजों पर लाकर उन्हें ढकने का प्रयास करने लगीं , लेकिन चेले ने मम्मी से कहा-" अपने दोनों हाथ एकदम सीधे करके ऊपर की तरफ उठाओ और १०० उठक बैठक लगाओ"
मम्मी ने अपने दोनों हाथ ऊपर उठा लिए और चेले के सामने खड़े होकर उठक बैठक लगाने लगीं. कुछ देर बाद मम्मी थक कर रुक गयीं तो चेला बोला- " अभी सिर्फ ४० उठक बैठक हुई है. बिना रुके लगाती रहो. तुम्हारा बदन एकदम फिट होना जरूरी है- जो औरतें फिट नहीं रह सकती हैं, उन्हें आश्रम में एंट्री आगे से नहीं मिलेगी."
मम्मी बड़ी गिड़गिड़ाते हुए बोलीं : लेकिन स्वामी जी, मैं बहुत थक गयी हूँ, कुछ देर बाद रूककर बाकी की उठक बैठक लगा लूंगी."
चेला बोला : ठीक है, अपना पेटीकोट उतारो और यहां मेरी गोद में बैठ जाओ. मैं तुम्हारी थकान भी दूर कर देता हूँ और थोड़ी मालिश भी कर देता हूँ."
मम्मी ऊपर से तो पूरी निर्वस्त्र ही थीं. पेटीकोट उतारने के बाद उनके बदन पर सिर्फ एक पैंटी ही बची थी. चेले ने मम्मी को अपनी गोद में बिठाया और उनके पूरे निर्वस्त्र बदन को जगह जगह से सहलाने-दबाने और मसलने लगा."
यह वीडियो यहीं पर ख़त्म हो गयी थी . रश्मि ने देखा कि वीडियो सिर्फ १० मिनट की थी.
रश्मि ने इस वीडियो को अपने मोबाइल में भी डाउनलोड कर लिया लेकिन अर्जुन के मोबाइल से डिलीट नहीं किया. उसे मन ही मन लगा कि उसका काम अब काफी आसान हो गया है
उसने अर्जुन की तरफ गुस्से से देखते हुए कहा-" तुम्हारे पास ऐसी वीडियो थी और तुमने मुझे बताया तक नहीं."
अर्जुन : मेम साब यही राकेश चेला है जो बड़ी मालकिन के साथ बदतमीजी कर रहा है. यह दो तीन दिन पहले मुझे चिढ़ा रहा था कि "तुम्हारी मालकिन भी हमारे आश्रम में आती है और मैं भी उनके साथ खूब मौज मस्ती करता हूँ." मैंने उसके एक थप्पड़ लगाते हुए कहा था कि तू क्या बकवास कर रहा है तो कल उसने सबूत के तौर पर मुझे यह वीडियो लाकर दी थी और बोला कि "देख मैंने तेरी मालकिन के साथ आज कैसे मजे लिए हैं, उन्हें तू अपनी आँखों से दख ले". मैंने तो डर के मारे आपको कुछ नहीं बताया कि कहीं आप इसे देखकर मुझ पर ही गुस्सा न हो जाओ.Image
एक के बाद एक नए खुलासे होने से रश्मि एकदम हैरानी की मुद्रा में थी लेकिन फिर भी उसने अपना संतुलन बनाये रखते हुए अर्जुन से कहना शुरू किया-" कल ने मम्मी मंदिर या आश्रम कहीं भी ना जाएँ, यह तेरी जिम्मेदारी है. जो यह चेला मम्मी के साथ कर रहा है यह सब मम्मी की जरूरत है जो उन्हें डॉक्टर ने बतायी हुई है. अगर मम्मी के साथ कोई इस तरह नियमित रूप से नहीं करेगा तो उनकी मानसिक हालत ख़राब हो सकती है. तुम्हे अपनी "बड़ी मालकिन" के साथ अब वही सब करना है तो एक दबंग मर्द अपनी औरत के साथ करता है. इसी में मम्मी की और हम सबकी भलाई है और तेरी तो मौज़ ही है (रश्मि आखिर में मज़ाक करते हुए हंसती हुई बोली) रश्मि ने देखा कि यह सुनकर अर्जुन का लण्ड अपने निक्कर में एकदम तनकर खड़ा हो गया था.
अर्जुन बोला _ " जी मेम साब. आप कह रही हैं तो मैं यह काम कर दूंगा क्योंकि आपकी कोई बात तो मैं ताल ही नहीं सकता हूँ. लेकिन यह सब मैं करूंगा कैसे ?"
रश्मि बोली-" मेरी हर बात को ध्यान से सुन. आज शाम को जैसे ही हम सब डिनर करके अपने अपने कमरों में चले जाएंगे तो तुम भी अपना डिनर कर लेना और उसके बाद मम्मी के कमरे में चले जाना. यह इस घर के सभी कमरों की मास्टर चाबी है. कमरे के बाहर और अंदर दोनों तरफ से सभी कमरे इस अकेली चाबी से बंद किये या खोले जा सकते हैं. कमरे में घुसने के बाद मम्मी अगर जाग रही हों तो ठीक है, वरना उन्हें जगा देना और यह वीडियो जो तुमने अभी मुझे दिखाया है, उसे मम्मी को भी दिखाना और कड़कदार आवाज़ में पूछना कि यह सब क्या चल रहा है और आप क्या मंदिर में यह सब करने जाती हो ? यह भी कहना कि यह वीडियो मैंने अभी तक किसी को भी नहीं दिखाया है लेकिन जरूरत पड़ने पर किसी को भी दिखा सकता हूँ. बस तुम्हारा काम इतना ही है. इसके बाद मम्मी तुम्हारे कंट्रोल में होंगी. उन्हें यह पता न लगे कि मैंने या पल्ल्वी ने तुम्हे उनके पास भेजा है. इसलिए जो कुछ भी तुम करो उसकी खबर हम लोगों को न लगे, यह दिखाने की कोशिस करना वरना उन्हें लगेगा कि हम सब इस खेल में शामिल हैं. बाकी मेरी तरफ से तुम्हे पूरी छूट है. मेरी दो ही शर्ते हैं- एक तो वही कि बिना कंडोम के सेक्स नहीं होना चाहिए और मम्मी को यह लगे कि यह सारा मामला उनके और तुम्हारे बीच ही है और घर के बाकी लोगों को इसके बारे में कुछ नहीं मालूम है."Image
अर्जुन बोला-" ठीक है मेम साब, मैं इसी तरह करने की कोशिश करूंगा. मुझसे कहीं गलती हो तो बीच में आप मुझे रोक कर ठीक करा देना क्योंकि आपने बड़ी शर्तें लगा दी हैं और काम थोड़ा मुश्किल है."
रश्मि बोली-" ठीक है, अब तुम जाकर अपना काम कर लो"
अर्जुन वहां से चला गया. शाम के साढ़े चार बज चुके थे. रश्मि ने दरवाज़ा अंदर से बंद किया और बिस्तर पर लेटकर अपने मन को शांत करने का प्रयास करने लगी.
उसे चैन नहीं मिला तो उसने फोन करके पल्ल्वी को अपने कमरे में बुला लिया.
पल्ल्वी आयी तो रश्मि ने अर्जुन से हुई सारी बातचीत भी पल्ल्वी को बता दी और यह भी बता दिया कि अर्जुन आज रात मम्मी के साथ क्या करने वाला है.
पल्ल्वी ने अपने सर पर हाथ रखकर कहा- " ओह माय गॉड. कैसे कैसे नाटक हमें अभी और देखने हैं. हमने लगता है मम्मी के मामले में देरी कर दी लेकिन चलो देर आये दुरुस्त आये."
रश्मि बोली : भाभी आज रात आप भी मेरे कमरे में ही आ जाना . यहीं सो जाएंगे. अर्जुन आज पहले दिन क्या करता है, यह भी देखना है. सबसे बड़ी बात यह है कि अभी तक अर्जुन को यह पता था कि वह मेरी निगरानी में है. आज उसे पहली बार ऐसा लग रहा होगा कि आज उसे कोई नहीं देख रहा है. क्योंकि उसे यही पता है कि सिर्फ तीन कमरों का ही लाइव मेरे टी वी पर आता है. मुझे भी आज दोपहर तक यही मालूम था कि सिर्फ तीन कमरों का लाइव हो सकता है लेकिन मम्मी के कमरे का भी लाइव हो सकता है, यह अभी तक मुझे और आपको ही मालूम है."
पल्ल्वी हँसते हुए बोली : तो तू शैतान आज की रात अर्जुन और मम्मी की सेक्सी फिल्म देखेगी ? चल मैं भी देखने के लिए तैयार हूँ.
रश्मि थोड़ी सीरियस होते हुए बोली : नहीं भाभी, पहला दिन है. देखना जरूरी है. कहीं ऐसा न हो कि अर्जुन लो लगे कि कोई देखने वाला तो है नहीं और वह कुछ ऐसा मम्मी के साथ कर दे जो उसे नहीं करना चाहिए."
पल्ल्वी बोली : तेरा सोचना अपनी जगह ठीक है. लेकिन जहां तक मुझे लग रहा है कि अर्जुन जो कुछ भी करेगा, मम्मी को उससे फायदा ही होगा. मम्मी अगर खुश तो हम सब खुश. बस यही सच है."Image
इस बातचीत में साढ़े पांच बज गए थे. पल्ल्वी अपने कमरे में चली गयी थी और रश्मि भी फ्रेश होने के लिए वाशरूम में चली गयी.
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