Adultery लेखक-प्रेम गुरु की सेक्सी कहानियाँ

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jay
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Re: Adultery लेखक-प्रेम गुरु की सेक्सी कहानियाँ

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“अरे नहीं … तुम ऐसा क्यों सोच रही हो?”
“आपने तो बस थैंक यू बोलकर ही निपटा दिया … क्या आये हुए मेहमान का इतना नीरस (बिना मन के) स्वागत करते हैं?” कहते हुए नताशा सोफे से उठकर खड़ी हो गई।
“ओह आई एम् सॉरी … बट …”

मेरे तो कुछ समझ ही नहीं आ रहा था ऐसी परिस्थिति में क्या किया जाए। मुझे तो डर लगने लगा था कहीं वह रूठकर जाने वाली तो नहीं है।

अब मैं भी सोफे से उठकर खड़ा हो गया तो वह मेरे पास आ गई। उसकी साँसें बहुत तेज चल रही थी। आँखों में तो जैसे कोई सैलाब सा उमड़ आया लग रहा था।

और फिर इससे पहले कि मैं कुछ बोलता या करता नताशा ने मेरे गले में अपनी रेशमी बाहें डाल दी और अपना सिर मेरी छाती से लगा दिया।
“प … प्रेम …” उसके मुंह से कांपती सी आवाज निकली।

मेरे लिए यह सब अविश्वसनीय सा था। मुझे थोड़ा अंदाज़ा तो था पर इतनी जल्दी नताशा यह सब कर बैठेगी मैंने तो सपने में भी नहीं सोचा था।

और फिर मैंने भी उसे अपनी बांहों में भर लिया और फिर उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिए। नताशा जोर-जोर से मेरे होंठ चूमने लगी।

“प्रेम तुम कितने निष्ठुर हो.”
“क … क्या मतलब?”
“मैं आपके आने की कितनी आतुरता से प्रतीक्षा कर रही थी और आपको तो मेरे से मिलने की कोई उत्सुकता ही नहीं लग रही है?”
“ओह … वो … सॉरी …” कहकर मैंने उसे एक बार फिर से जोर से अपनी बांहों में भींचा और उसके होंठों को चूम लिया।

मेरे हाथ उसकी पीठ से होते हुए नितम्बों की ओर बढ़ने ही वाले थे कि कॉल बेल बजी। नताशा छिटक कर मेरी बांहों से दूर हो गई और घबराकर मेरी ओर देखने लगी।

लग गए लौड़े!!
“ओह … शायद वेटर आया होगा मैंने चाय का आर्डर दिया था।”

नताशा सोफे पर बैठ गई और मैं दरवाजा खोलने चला आया। सामने चाय की ट्रे लिए वेटर खड़ा था। मैंने उसे अन्दर आकर चाय रखने का इशारा किया तो वह चाय का थर्मस और कप रखकर चला गया।

वेटर के जाने के बाद मैंने फिर से दरवाजे की चिटकनी बंद करके मैं जैसे ही मुड़ा तब तक नताशा मेरे पीछे आकर खड़ी हो गई थी।
मैं तो सोच रहा था नताशा चाय को कप में डाल रही होगी।

और इससे पहले कि मैं कुछ बोलता नताशा ने अपनी बांहों मेरी ओर फैला दी। मैंने एक बार कसकर फिर से उसे बांहों में भर लिया और उसके होंठों को चूमने लगा। नताशा ने अपनी बाहें मेरी गर्दन में दाल दी।

मैंने उसे अपनी गोद में उठा लिया और हम बेड पर आ गए। मैंने उसे बेड पर लेटाने की कोशिश की पर वह मेरे गले में अपनी बांहें डाले रही। मैंने थोड़ा सा उठने की कोशिश की तो नताशा ने मुझे अपनी ओर खींच लिया तो मेरा संतुलन बिगड़ सा गया और मैं उसके ऊपर आ गया।

नताशा मुझे पागलों की तरह चूमने लगी।
“प्रेम … तुमने तो मुझे पागल ही कर दिया है.” कहते हुए उसने मेरा सिर अपने हाथों में पकड़ लिया और जोर-जोर से चुम्बन लेने लगी।

अब मैंने भी अपने एक हाथ से उसके एक उरोज को पकड़कर मसलना शुरू कर दिया और अपना एक पैर उसकी जाँघों के बीच फंसा लिया। जीन पैंट में कसी रेशम सी मुलायम जांघों का अहसास पाते ही मेरा लंड तो कसमसाने लगा।

और फिर जैसे ही मैंने एक हाथ उसकी जांघों के संधिस्थल के पास फिराने की कोशिश की.
नताशा ने कहा- एक मिनट प्लीज!
“क.. क्या हुआ?”
“प्लीज ये लाईट बंद कर दो और परदे भी लगा दो पहले!”
“ओह … हाँ.”

मैंने उठकर पहले तो परदे खींच दिए और फिर लाईट भी बंद कर दी।

जैसे ही मैं बेड की ओर आया तो नताशा अपने बैग से कुछ निकालने की कोशिश करने लगी। उसने अपना मोबाइल निकालकर उसे स्विच ऑफ कर दिया।
मेरे साथ तो कई बार ऐसा होता ही आया है। ऐन मौके पर साला यह मोबाइल जरूर खड़कने लग जाता है। मैंने भी अपना मोबाइल स्विच ऑफ कर दिया।

उसके बाद मैं इधर-उधर कमरे में नज़र दौड़ाई। मैं यह यकीनी बना लेना चाहता था कि कोई सी.सी. कैमरा तो नहीं लगा। हालांकि अच्छे होटलों में ऐसा साधारणतया होता तो नहीं है पर सावधानी में ही सुरक्षा होती है।

“ओहो … क्या सोचने लगे?”
मैं नताशा की आवाज सुनकर चौंका।
“ओह.. सॉरी नथिंग … वो मेरा मतलब था अगर चाय पीने की इच्छा हो तो?” कई बार तो साली यह जबान भी साथ नहीं देती।
“ओहो … मैं आपके लिए मरी जा रही हूँ और आपको चाय की लगी है?”
“ओह … स..सॉरी …”

साली इन हसीनाओं की यही अदाएं और नखरे तो आदमी को अफलातून बना देते हैं उनके सामने तो दिमाग जैसे काम करना ही बंद कर देता है।
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(एक बार ऊपर आ जाईए न भैया )..(परिवार में हवस और कामना की कामशक्ति )..(लेखक-प्रेम गुरु की सेक्सी कहानियाँ running)..(कांता की कामपिपासा running).. (वक्त का तमाशा running).. (बहन का दर्द Complete )..
( आखिर वो दिन आ ही गया Complete )...(ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगाना complete)..(ज़िद (जो चाहा वो पाया) complete)..(दास्तान ए चुदाई (माँ बेटी बेटा और किरायेदार ) complete) .. (एक राजा और चार रानियाँ complete)..(माया complete...)--(तवायफ़ complete)..(मेरी सेक्सी बहनेंcompleet) ..(दोस्त की माँ नशीली बहन छबीली compleet)..(माँ का आँचल और बहन की लाज़ compleet)..(दीवानगी compleet..(मेरी बर्बादी या आबादी (?) की ओर पहला कदमcompleet) ...(मेले के रंग सास,बहू और ननद के संग).


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(फैमिली में मोहब्बत और सेक्स (complet))........(कोई तो रोक लो)......(अमन विला-एक सेक्सी दुनियाँ)............. (ननद की ट्रैनिंग compleet)..............( सियासत और साजिश)..........(सोलहवां सावन)...........(जोरू का गुलाम या जे के जी).........(मेरा प्यार मेरी सौतेली माँ और बेहन)........(कैसे भड़की मेरे जिस्म की प्यास)........(काले जादू की दुनिया)....................(वो शाम कुछ अजीब थी)
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साली इन हसीनाओं की यही अदाएं और नखरे तो आदमी को अफलातून बना देते हैं उनके सामने तो दिमाग जैसे काम करना ही बंद कर देता है।
अब मैंने फिर से उसे जोर बांहों में भींच लिया और एक चुम्बन उसके होंठों पर लेते हुए उसके होंठों को अपने मुंह में भर लिया।
नताशा तो गूं … गूं … करती ही रह गई।
“नताशा क … कपड़े निकाल दें क्या?”
“क्या यह भी मुझे ही बताना होगा?” उसने पहले तो तिरछी निगाहों से मेरी ओर देखा और बाद में मुस्कुराने लगी।

और फिर मैंने जल्दी से अपनी शर्ट, पैंट और बनियान भी उतार फेंका। इस समय मेरा लंड तो बन्दूक की नली की तरह इतना तना हुआ कि लग रहा था जैसे चड्डी को फाड़कर ही बाहर आ जाएगा नताशा अपलक उसी की ओर देखे जा रही थी।

अपने कपड़े निकालने के बाद मैंने नताशा पहले तो उसके शूज निकाले और फिर उसके पांवों की कोमल एड़ियों पर अपनी अंगुलियाँ फिराने लगा और बाद में उन्हें चूम लिया। नताशा के पूरे बदन में एक सिहरन सी दौड़ गई और वह मुझे हैरानी भरी नज़रों से मुझे देखने लगी थी।

आपको भी एक बात बताना चाहूँगा जिन लड़कियों की एड़ियां जितनी पतली, चिकनी, मुलायम और गोरी होती हैं वो बहुत सेक्सी भी होती हैं। अब तो आप भी अंदाज़ा लगा सकते हैं उसकी बुर के होंठ भी कितने गुलाबी और सेक्सी होंगे।

अब मैंने उसकी पैंट को टखनों के ऊपर से पकड़ कर निकालने की कोशिश की तो नताशा ने मेरी सहूलियत के लिए अपनी पैंट की बेल्ट खोल दी. और फिर जिप खोलकर अपने नितम्ब ऊपर उठा दिए।

लगता है नताशा को तो मेरे से भी ज्यादा जल्दी थी। अब मैंने उसकी पैंट को खींच कर निकाल दिया।

हे भगवान! सुतवां टांगें, पतली पिंडलियाँ और घुटनों के ऊपर कोमल, मखमली, गुदाज़ जांघें देख कर तो मेरा दिल इतनी जोर से धड़कने लगा कि मुझे लगा यह कहीं धोखा ही ना दे दे।

काले रंग की नेट वाली पैंटी फंसी उसकी बुर का उभरा हुआ भाग देख कर तो मेरा लंड उसे सलामी ही देने लगा था। उसके पपोटों के बीच की दरार में पैंटी इस तरह फंसी थी कि दोनों पपोटे अलग अलग महसूस किए जा सकते थे।

उसकी गोल नाभि के नीचे उभरे हुए से पेडू पर एक छोटा सा जानलेवा काला तिल भी बना था। लगता है भगवान् ने इस मुजसम्मे को फुर्सत में तारशा है।

अब मैं उसके पास आकर बैठ गया और उसके टॉप को पकड़कर निकालने की कोशिश की तो नताशा बिना कोई ना नुकर के अपने हाथ ऊपर उठा दिए।
मैंने उसका टॉप निकाल दिया।

काले रंग की नेट वाली ब्रा में उसके उरोज भरे पूरे लग रहे थे जैसे दो अनार जबरन कस कर बंद दिए हों।

हे भगवान्! उसकी मक्खन जैसी चिकनी बगलों में तो एक भी बाल क्या रोयाँ तक नहीं था। मुझे लगता है उसने आज ही वैक्सिंग या हेयर रिमूवर क्रीम से बालों को साफ़ किया होगा। याल्ला … तब तो उसने अपनी मुनिया को भी इसी तरह चकाचक बनाया होगा।

अब मैंने उसकी जाँघों पर हाथ फिराना चालू किया तो नताशा ने एक लम्बी सी साँस ली। शायद वह अगले पलों के लिए अपने आप को संयत और तैयार कर रही थी।

पतली कमर में बंधी काले रंग की जालीदार (नेट वाली) पैंटी के बीच मोटे-मोटे पपोटों वाली बुर की खूबसूरती का अंदाज़ा आप बखूबी लगा सकते हैं।

मैंने झुककर उनपर एक चुम्बन ले लिया। नताशा की एक मीठी सीत्कार ही निकल गई। मेरा स्नायुतंत्र एक मदहोश कर देने वाली खुशबू से महक उठा। लगता है उसने कोई खुशबू वाली क्रीम लगाई होगी। अब मैंने उसके पेडू, पेट, गहरी नाभि पर भी चुम्बन लेने शुरू कर दिए। नताशा तो अभी से आह … ऊंह … करने लगी थी।

एक बात तो है शादीशुदा औरतों के साथ यह बहुत बड़ी सहूलियत होती है कि वे एकबार राजी हो जाएँ तो फिर ज्यादा ना नुकर या बवाल खड़ा नहीं करती और पूरे समर्पण के साथ प्रेम लीला को सम्पूर्ण करवाती हैं।

अब मैंने उसका सिर अपने हाथों में पकड़कर उसके गालों पर चुम्बन लेते हुए पहले तो उसकी ब्रा की डोरी खींच दी और उसके खूबसूरत परिंदों को आजाद कर दिया।

मोटे-मोटे कंधारी अनारों के मानिंद दो अमृत कलश हो जैसे। नताशा तो बस आँखें बंद किए अगले पलों का इंतज़ार सा करने लगी थी. तो अब उसकी पैंटी को उतारने में अब ज्यादा समय कहाँ लगने वाला था.
जैसे ही मैंने उसकी पैंटी की डोरी को खोलकर निकालने की कोशिश की उसने अपने नितम्ब उठा दिए. तो पैंटी को निकालने में ज़रा भी समय बर्बाद नहीं हुआ।

मैंने पैंटी को अपने हाथ में पकड़ कर पहले तो उसे गौर से देखा और फिर उसे सूंघने का उपक्रम करने लगा। मेरे नथुनों में जवान जिस्म की मदहोश कर देने वाली खुशबू समा गई। नताशा इन हरकतों को बड़े ध्यान से देख रही थी।

अब उसने मेरी चड्डी के ऊपर से ही मेरे लंड को पकड़कर दबाना शुरू कर दिया। मेरा लंड तो उसकी नाजुक अँगुलियों का स्पर्श पाते ही उछलने ही लगा था। नताशा ने मेरी चड्डी के इलास्टिक को पकड़ कर नीचे खींच दिया। अब तो मेरा लंड किसी स्प्रिंग की तरह उछलकर ऐसे लगने लगा जैसे कोई मोटा सा सांप अपना फन उठाकर फुफकारने लगता है।

मक्खन सी मुलायम चूत पर तो एक रोयाँ भी नहीं था। मेरा अंदाज़ा सही था लगता है उसने बगलों की तरह अपनी चूत के बाल भी वेक्सिंग या बालसफा क्रीम से साफ़ किए हैं। मोटे-मोटे गुलाबी पपोटों के बीच रस से लबालब भरा चीरा कम से कम 4-5 इंच का तो जरूर होगा। चीरे के ऊपर मोटा सा गुलाबी रंग का लहसुन (मदनमणि) के बीच पिरोई हुयी सोने की छोटी सी बाली (रिंग) … को देखकर तो बरबस मुंह से निकल उफ्फ्फ्फ़ … हाय मेरी नथनिया …

दोनों फांकों के बीच की पत्तियों (अंदरुनी होंठ- कलिकाएँ) का रंग कुछ सांवला सा लग रहा था। मुझे लगता है यह जरूर इनको अपने हाथों से मसलती होगी और अपनी अँगुलियों से अपनी काम वासना को शांत करती रही होगी तभी तो इनका रंग थोड़ा सांवला सा हो गया है।

साले उस लंगूर के में इतना दम कहाँ होगा जो इसकी चूत की गर्मी को ठंडा कर पाता। उसकी जगह कोई और प्रेम का पुजारी होता तो अब तक इसकी चूत का हुलिया ही बिगाड़ देता। मेरा मन तो एक बार उसकी चिकनी चूत को तसल्ली से चाटने और चूमने को करने लगा था।

“ओहो … अब क्या सोचने लगे?”
“बेबी वो …?”
“क्या हुआ?”
“वो … वो … मेरे पास कंडोम नहीं है.”
“ओह … गोली मारो कंडोम को …” कहते हुए नताशा ने मेरे हाथ को पकड़कर मुझे अपने ऊपर खींच सा लिया।

मैं धड़ाम से उसके ऊपर आ गिरा तो नताशा की मीठी किलकारी ही निकल गई। उसने मेरे होंठों को चूमना शुरू कर दिया। मैं तो अभी ठीक से उसकी चिकनी बुर को देख भी नहीं पाया था कि नताशा ने मेरा लंड अपने हाथों में पकड़ लिया और खींचकर अपनी बुर पर घिसने लगी। एक नर्म मुलायम और गुनगुना सा अहसास मुझे अपने सुपारे पर महसूस होने लगा।

अब देरी की गुन्जाइश बिल्कुल भी नहीं थी। उसकी चूत तो रस बहाकर जैसे दरिया ही बन चुकी थी. तो किसी तेल या क्रीम की जरूरत ही नहीं थी। अब कमान मैंने अपने हाथ में ली और अपने लंड को ठीक उसकी चूत के छेद पर लगा दिया।

मैं कुछ पलों के लिए रुका रहा। नताशा की साँसें बहुत तेज हो गई थी और दिल की धड़कन भी बहुत तेज हो चली थी। मैंने लंड को निशाने पर लगाए हुए एक जोर का धक्का लगाया तो मेरा आधा लंड उसकी पनियाई बुर में घुस गया।
और नताशा की घुटी-घुटी एक चींख पूरे कमरे में गूँज उठी- आआआईई ईईई ईईइ … आह … धीरे!

उसके चहरे पर थोड़ा दर्द साफ़ महसूस किया जा सकता था।

मैंने उसे अपनी बांहों में दबोच लिया और फिर से 3-4 धक्कों के साथ अपना खूंटा उसके गर्भाशय तक गाड़ दिया। इस प्रकार की हसीनाओं के साथ रहम की गुंजाइश बेमानी होती है।

जब मेरा लंड उसकी कसी हुई चूत में पूरी तरह अन्दर फिट हो गया तो मैंने उसके गालों और होंठों को चूमना शुरू कर दिया और फिर धक्के लगाने शुरू कर दिए। लंड तो किसी पिस्टन की तरह अन्दर बाहर होने लगा। मेरे ऐसा करने पर नताशा ने अपनी जांघें जितना हो सकता था खोल दी।

अब तो नताशा की मीठी सीत्कारें पूरे कमरे में गूंजने लगी- आह … मेरे प्रेम … मैं कितने दिनों से तुम्हारा प्रेम पाने के लिए तड़फ रही थी और तुम्हें मेरी कोई परवाह ही नहीं.
“मेरी जान चाहता तो मैं भी था. पर ऑफिस का मामला था. तो थोड़ा डर भी लगता था कि कहीं किसी को संदेह ना हो जाए।”

“तुम तो निरे फट्टू (डरपोक) हो.”
“कैसे?”
“आपने तो मुझे बताया ही नहीं कि आपकी वाइफ मुंबई गई है?”
“ओह … हाँ … पर?”

“मुझे घर बुला लेते तो यहाँ बंगलुरु आने का झंझट ही नहीं होता.” कहते हुए वह जोर-जोर से हंसने लगी।
“हाँ … पर चलो कोई बात नहीं बंगलुरु का यह कमरा और बेड भी हमारे प्रेम मिलन का गवाह बन ही जाएगा.” कहकर मैं भी हंसने लगा।

हम बातें भी करते जा रहे थे और मैं जोर-जोर से धक्के भी लगा रहा था। नताशा की चूत वैसे तो बहुत मुलायम सी थी पर कसी हुयी भी लग रही थी। मुझे लगता है इस बेचारी तो शादी के बाद भी सिर्फ मूतने का ही काम किया है।

“नताशा एक कॉम्प्लीमेंट दूं क्या?”
“श्योर?”
“यार तुम्हारी चूत तो वाकई बहुत ही खूबसूरत और कसी हुई है. ऐसा लगता है जैसे पहली बार किसी लंड के संपर्क में आई है.” कहते हुए मैंने उसके कानों की लटकन (लोब) को अपने मुंह में भर लिया।
“आह …” नताशा ने एक मीठी आह भरी और अपने नितम्ब उचकाने लगी।

“वो इंजिनियर साहब के क्या हाल हैं उनसे बात हुई या नहीं?”
“उस साले चूतिये से मैंने यहाँ आने के बाद बात ही नहीं की.”
“अरे क्यों?”
“ओह … प्रेम … उसका नाम लेकर अब मेरा मूड खराब मत करो … प्लीज …”
“ओके डिअर!”

मुझे लगता है उस लंगूर के साथ इसने कोई रूमानी(रोमांटिक)या यादगार पल मुश्किल से ही बिताये होंगे।
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( आखिर वो दिन आ ही गया Complete )...(ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगाना complete)..(ज़िद (जो चाहा वो पाया) complete)..(दास्तान ए चुदाई (माँ बेटी बेटा और किरायेदार ) complete) .. (एक राजा और चार रानियाँ complete)..(माया complete...)--(तवायफ़ complete)..(मेरी सेक्सी बहनेंcompleet) ..(दोस्त की माँ नशीली बहन छबीली compleet)..(माँ का आँचल और बहन की लाज़ compleet)..(दीवानगी compleet..(मेरी बर्बादी या आबादी (?) की ओर पहला कदमcompleet) ...(मेले के रंग सास,बहू और ननद के संग).


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अब मैंने अपने धक्कों की गति और भी ज्याद बढ़ा दी। नताशा तो बस आँखें बंद किए मीठी आहें ही भरती जा रही थी। उसने अपने नितम्ब उचकाने शुरू कर दिए थे और मेरी पीठ और कमर पर भी हाथ फिराने शुरू कर दिए थे।

अचानक उसने अपने पैर थोड़े ऊपर उठा लिए। अब तो मेरा लंड सीधे उसके गर्भाशय से टकराने लगा था। नताशा ने अपने दोनों हाथ मेरी पीठ पर कस लिए और मुझे लगा उसकी चूत भी अब संकोचन करने लगी है। उसका शरीर कुछ अकड़ने सा लगा है तो मैंने दो-तीन धक्के और जोर से लगा दिए।

“आऐईई ईईई … आह … मेरे … प्रेम … आह्ह …” उसके साथ ही नताशा ने एक जोर की किलकारी सी मारी और उसके दोनों पैर नीचे आ गिरे। वह जोर-जोर से हांफने सी लगी थी। मुझे लगा उसका ओर्गास्म हो गया है।

मैं थोड़ी देर के लिए रुक गया और धक्के लगाने भी बंद कर दिए। ये पल किसी भी स्त्री के लिए बहुत ही संवेदनशील होते हैं। इन पलों में उसे अपने प्रेमी से यही उम्मीद रहती है कि वह उसे अपनी बांहों में भरे रखे और चूमता जाए। मैंने उसके माथे, होंठों, गालों, कान और गले को चूमना चालू रखा।

“नताशा तुम बहुत खूबसूरत हो मेरी जान …”
“आह … मेरे प्रेम … मैं कब की प्यासी थी तुम्हारे इस प्रेम की। मेरा तो रोम रोम तरंगित होता जा रहा है और पूरा शरीर ही स्पंदन सा करने लगा है।”

मुझे लगा उसका ओर्गास्म हो गया है। उसने लम्बी-लम्बी साँसें लेते हुए अपनी आँखें बंद कर ली थी। मैंने उसे चूमना-चाटना जारी रखा। मैं उसके ऊपर लेटा हुआ धक्के भी लगा रहा था। मुझे लगा उसे मेरे शरीर के पूरे भार से उसे परेशानी हो रही होगी तो मैंने अपनी कोहनियों को बेड पर रखते हुए अपनी छाती को थोड़ा ऊपर उठा लिया।

मेरे ऐसा करने पर नताशा ने अपनी आँखें खोल ली और मेरी आँखों में झांकने लगी जैसे पूछ रही हो रुक क्यों गए?
फिर वह मेरे सीने पर हाथ फिराने लगी और फिर पहले तो मेरे बूब्स की घुंडी को पकड़कर मसला और फिर उसे चूमने लगी।

ओह … मैं भी कितना गाउदी हूँ। मुझे अपनी गलती का अहसास हुआ। मैं तो जल्दबाजी में उसके उरोजों को मसलना और चूमना ही भूल गया था।

अब मैंने अपने एक हाथ से उसके एक उरोज को पकड़कर मसलना चालू कर दिया और दूसरे उरोज के कंगूरे को अपने मुंह में भर लिया और चूसने लगा।
नताशा की तो एक किलकारी ही कमरे में गूँज उठी।

अब मैंने बारी बारे दोनों गुदाज़ उरोजों को मसलना और चूसना चालू कर दिया।
नताशा तो फिर से आह … ऊंह करती हुई फिर से अपने नितम्ब हिलाने लगी थी- आह … प्रेम … तुम सच में कामदेव हो … आह … उईइइइइइ!

मैंने अब फिर से धक्के लगाने शुरू कर दिए और बीच-बीच में मैंने उसके उरोजों को चूसना और घुंडियों को अपने दांतों से काटना भी जारी रखा। अब तो उसके उरोजों की घुन्डियाँ गुलाबी निम्बोलियों की जगह अंगूर के दाने की तरह हो गई थी।

जैसे ही मैं अपने जीभ से उन्हें चुभलाता या दांतों से काटता तो नताशा की एक मीठी सीत्कार निकलती और वह अपनी चूत का संकोचन करती और अपने नितम्ब उछालकर मेरा लंड अन्दर तक लेने की कोशिश करने लगती।

उसने अपने दोनों पैर मेरी कमर पर कस लिए थे और अब मैं अपने पंजों और कोहनियों के बल हुए धक्के लगाने लगा था। मेरे ऐसा करने से नताशा के नितम्ब हवा में थोड़ा ऊपर उठते और फिर मेरे धक्के के साथ ही धप्प की आवाज के साथ बेड पर गिरते।

मुझे लगता है नताशा के लिए ये पल नितांत अनोखे और नये थे। अचानक नताशा ने जोर से मेरे सिर के बाल पकड़ लिए और फिर एक जोर की किलकारी सी मारते हुए उसने अपने पैरों की जकड़ को और भी ज्यादा कस लिया और उसका शरीर झटके से खाने लगा।

थोड़ी देर बाद उसने अपने पैरों की जकड़ को ढीला करते हुए उन्हें सीधा कर दिया और फिर लम्बी लम्बी साँसें लेने लगी। मुझे लगता है वह एक बार फिर से झड़ गई है।

उसकी चूत से कामरज निकल कर मेरे लंड के चारों ओर लगा गया था और कुछ तो मेरे अण्डों पर भी महसूस सा होने लगा था। मुझे लगता है थोड़ा रस जरूर उसकी गांड तक भी चला गया होगा।
मैंने अपने एक हाथ को उसके नितम्बों के नीचे किया और उसकी खाई में फिराने लगा। जैसे ही मेरी शातिर अंगुलियाँ उसकी गांड के छेद से टकराई नताशा के एक मीठी सीत्कार निकल गई और उसने मेरा हाथ पकड़कर परे हटा दिया।

हे भगवान्! जिस प्रकार उसकी चूत लगभग अनचुदी जैसी ही लग रही थी, उसकी गांड तो नितांत कुंवारी ही होगी। काश एक बार उसकी गदराई हुई गांड मारने का मौक़ा मिल जाए तो कसम से मज़ा ही आ जाए।
पर अभी मैं उसकी गांड मारने की कोशिश नहीं कर सकता था। पहले एकबार उसकी चूत की तसल्ली हो जाए उसके बाद तो वह मेरा लंड भी चूसेगी और बाद में गांड देने के लिए उसे राजी कर लेने का हुनर तो मुझे बखूबी आता ही है।

अचानक मुझे अपने होंठों पर उसके दांतों से काटने का दर्द सा महसूस हुआ।
ओह … अब मुझे ख्याल आया कि मैं गांड के चक्कर में धक्के लगाना ही भूल गया हूँ। अब मैंने फिर से दनादन धक्के लगाने शुरू कर दिए।

मेरा मन तो उसे एक बार डॉगी स्टाइल में करके धक्के लगाने का कर रहा था पर अब मुझे लगने लगा था मेरा शेर-ए-अफगान शहीद होने के कगार पर है।

मैंने 4-5 धक्के जोर-जोर से लगाए तो नताशा की गूं … गूं … की आवाजें आने लगी। मुझे लगा वह इन तेज धक्कों की ताब सहन नहीं कर पा रही है और एक बार फिर से ओर्गास्म की ओर बढ़ने वाली है। लगता है वह उत्तेजना के उच्चत स्तर पर पहुँच गई है उसका शरीर हिचकोले सा खाने लगा है और अब तो उसने अपनी जांघें और भी फैला दी।

ऐसा करने से मेरा लंड किसी पिस्टन की तरह अन्दर बाहर होने लगा था।
“आह … प्रेम … आह … रु … क..को … आईईईईईइ …”

मैंने कसकर उसे अपनी बांहों में कस लिया और फिर अंतिम 3-4 धक्कों के साथ ही मेरा लावा फूटकर पिचकारियों की शक्ल में उसकी चूत को सींचता चला गया। नताशा को भी अंदाज़ा हो गया था तो उसने जोर से अपनी चूत को अन्दर सिकोड़ लिया और मेरा पूरा वीर्य अन्दर लेने की कोशिश करने लगी जैसे अंतिम बूँद तक चूस लेना चाहती हो।

हम दोनों की ही साँसें बहुत तेज हो गई थी। कमरे में हालांकि ए.सी. चल रहा था पर फिर भी हम दोनों को पसीना आ रहा था। मैं नताशा के ऊपर पसर गया और फिर नताशा मेरी कमर और पीठ पर हाथ फिराने लगी थी।
“जान … कैसा लगा?”
“आह … कुछ मत पूछो मेरे प्रेम आज तुमने मुझे पूर्ण स्त्री बना दिया है।” कहते हुए उसने मेरे सिर को अपने हाथों में पकड़कर मेरे होंठों पर एक चुम्बन ले लिया।

थोड़ी देर बाद मुझे लगने लगा मेरा लंड अब सिकुड़ने लगा है और बाहर आने की फिराक में है। मैं नताशा की चूत से रिसते हुए अपने वीर्य को देखना चाहता था.
तो मैं उसके ऊपर से उठने लगा तो नताशा ने मुझे रोक दिया और थोड़ी देर इसी तरह अपने ऊपर लेटे रहने के लिए इशारा किया।
मैं भला उसे निराश कैसे कर सकता था मैं चुपचाप उसके ऊपर लेटा रहा और कभी उसके गालों और कभी उसके होंठों पर चुम्बन भी लेता रहा।

5-4 मिनट बाद नताशा ने मुझे अपने ऊपर से हटने का इशारा किया। मैं उसके ऊपर से उठकर उसकी बगल में ही लेट गया।

मेरा अंदाज़ा था अब नताशा उठकर बाथरूम में जायेगी। मेरा मन तो कर रहा था मैं भी उसके साथ ही बाथरूम में चला जाऊं। वह अपनी चूत को धोने से पहले सु सु भी करेगी और उसकी हालत और हुलिया भी जरूर देखेगी।
उसकी चूत से कलकल करती हुयी सु-सु की मोटी धार को देखने का नजारा कितना दिलकश होगा आप अंदाज़ा लगा ही सकते हैं।

पर वह तो अपनी आँखें बंद किए वैसे ही लेटी रही। अब मेरी निगाह उसकी चूत पर पड़ी। उसकी चूत के पपोटे सूजकर और भी फूल गए थे और चीरे के बीच की पत्तियाँ तो रक्त संचार बढ़ जाने से किसी रसीले सिन्दूरी आम के छिलकों की तरह मोटी-मोटी सी लगने लगी थी।

काश! एकबार यह अपनी चूत को धोकर आ जाए कसम से इसे पूरा मुंह में भरकर चूस लिया जाए तो मुझे ही नहीं इसे भी जन्नत की सैर का मजा मिल जाए।
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(एक बार ऊपर आ जाईए न भैया )..(परिवार में हवस और कामना की कामशक्ति )..(लेखक-प्रेम गुरु की सेक्सी कहानियाँ running)..(कांता की कामपिपासा running).. (वक्त का तमाशा running).. (बहन का दर्द Complete )..
( आखिर वो दिन आ ही गया Complete )...(ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगाना complete)..(ज़िद (जो चाहा वो पाया) complete)..(दास्तान ए चुदाई (माँ बेटी बेटा और किरायेदार ) complete) .. (एक राजा और चार रानियाँ complete)..(माया complete...)--(तवायफ़ complete)..(मेरी सेक्सी बहनेंcompleet) ..(दोस्त की माँ नशीली बहन छबीली compleet)..(माँ का आँचल और बहन की लाज़ compleet)..(दीवानगी compleet..(मेरी बर्बादी या आबादी (?) की ओर पहला कदमcompleet) ...(मेले के रंग सास,बहू और ननद के संग).


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(फैमिली में मोहब्बत और सेक्स (complet))........(कोई तो रोक लो)......(अमन विला-एक सेक्सी दुनियाँ)............. (ननद की ट्रैनिंग compleet)..............( सियासत और साजिश)..........(सोलहवां सावन)...........(जोरू का गुलाम या जे के जी).........(मेरा प्यार मेरी सौतेली माँ और बेहन)........(कैसे भड़की मेरे जिस्म की प्यास)........(काले जादू की दुनिया)....................(वो शाम कुछ अजीब थी)
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jay
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Re: Adultery लेखक-प्रेम गुरु की सेक्सी कहानियाँ

Post by jay »

थोड़े देर बाद वह करवट के बल हो गई और मेरे सीने से लग गई। मैंने उसकी पीठ पर हाथ फिराना चालू कर दिया।

नताशा ने पहले तो मेरे सीने पर उगे बालों पर हाथ फिराया और फिर हाथ को नीचे करके मेरा मुरझाये लंड को पकड़ लिया।
मुझे लगता है उसका मन अभी नहीं भरा है।

उसने मेरे लंड को फिर से मसलना शुरू कर दिया और अपने होंठ मेरे होंठों से लगा दिए। मैंने उसकी कमर को पकड़ कर उसे अपनी खींच कर अपने सीने से चिपका लिया और एक हाथ उसके नितम्बों पर फिराने लगा। उसके गोल-मटोल खरबूजे जैसे नितम्बों का सुखद अहसास पाते ही मेरा अलसाया लंड फिर से कुनमुनाने लगा था।

मेरी अंगुलियाँ उसकी गांड के छेद तक नहीं पहुँच पा रही थी तो मैं थोड़ा सा नीचे सरक गया और उसके एक उरोज को मुंह में भरकर चूसने लगा। नताशा के शरीर में फिर से सनसनाहट सी होने लगी थी। मैं अपना एक हाथ उसके नितम्बों पर फिराने लगा था। अब तो मेरी अंगुलियाँ आराम से उसकी गांड के छेद तक पहुँच सकती थी। अब मैं उसकी गांड के छेद को टटोलने लगा। जैसे ही मेरी अंगुलियाँ उस छेद से टकराई नताशा की एक मीठी सीत्कार सी निकल गई।

इससे पहले कि मेरी अंगुली मुकम्मल तरीके से उसकी गांड का मुआइना करती नताशा बोली- वो … मेरा बैग पकड़ाना प्लीज?
“क … क्या हुआ?”
“ओहो … प्लीज दो ना जल्दी!”

पता नहीं नताशा अब क्या चाहती है। मैंने अपना हाथ बढ़ाकर बेड की साइड टेबल पर रखा उसका बेग उसे पकड़ा दिया। उसने जल्दी से उसे खोला और उसमें से सेनिटाइज्ड टिशु पेपर (नेपकिन) निकाला और थोड़ा उठकर मेरे लंड को उससे रगड़कर साफ़ करने लगी। मुझे पहले तो कुछ समझ ही नहीं आया पर बाद में तो मेरी बांछें ही जैसे खिल गई।

इससे पहले कि मैं कुछ बोलता या करता नताशा ने मेरा लंड अपने मुंह में भर लिया और चूसने लगी।

“ओह … अरे … मुझे इसे धो आने दो प्लीज!” मैं तो उसे रोकने की कोशिश की पर उसने मुझे इशारे से मना कर दिया।

मेरे लिए तो यह किसी ख्वाब की तरह था। कोई हसीन महबूबा जब इस प्रकार लंड चूसे तो उसे कौन बेवकूफ मना करना चाहेगा। सच कहूं तो मैं तो उसकी इस अदा पर दिलो जान से फ़िदा ही हो गया।

थोड़ी देर उसने मेरे लंड को चूसा तो वह फिर से खड़ा हो गया और ठुमके लगाने लगा।

जब उसे लगा कि मेरा लंड पूरा उत्तेजित हो चुका है तो वह मुझे हल्का सा धक्का देते हुए मेरे ऊपर आकर बैठ गई। अब उसने एक हाथ से मेरा लंड पकड़ लिया और दूसरे हाथ से अपने चूत की फांकों को चौड़ा करते हुए मेरे लंड पर अपनी चूत को टिका दिया और फिर एक झटके के साथ उसने अपने नितम्ब नीचे कर दिए।

लंड एक ही झटके में पूरा का पूरा अन्दर दाखिल हो गया। नताशा की चूत तो पहले से ही मेरे वीर्य और उसके कामरज से सराबोर थी तो लंड को पूरा अन्दर तक जाने में भला कोई परेशानी कैसे हो सकती थी।

हालांकि नताशा ने अपने होंठों को कस कर बंद कर रखा था पर इसके बावजूद उसकी एक हल्की सी चीख निकल गई।

वह थोड़ी देर अपने आप को संयत करने की कोशिश करती रही और फिर उसने अपने नितम्बों को ऊपर नीचे करना शुरू कर दिया।
मैं अपने लंड को उसकी कसी हुई चूत में अन्दर-बाहर होते देख रहा था।

नताशा की मीठी किलकारियां अपने चरम पर थी। थोड़ी देर उसने धक्के लगाए और फिर वह मेरे ऊपर लेट सी गई। मैंने उसकी पीठ पर अपने हाथ फिराने चालू रखे और बीच-बीच में उसके नितम्बों का जायजा भी लेता जा रहा था। काश एक बार वह अपनी गांड देने के लिए राजी हो जाए तो खुदा कसम बंगलुरु की यह शाम जिन्दगी भर के लिए यादगार बन जाए।

मुझे उसके शरीर का भार सा लगने लगा था तो मैंने उसके सिर को अपने हाथों में पकड़कर थोड़ा ऊपर किया और फिर उसके होंठों को चूमने लगा।

और उसके बाद हम दोनों ने आँखों ही आँखों में इशारा करते हुए पलटी सी मारी और मैं उसके ऊपर आ गया। हमने यह ध्यान जरूर रखा कि मेरा लंड उसकी चूत से बाहर ना निकल जाए।

मेरा लंड उसकी चूत में गहराई तक समाया हुआ था और नताशा भी अपनी चूत का अन्दर से संकोचन भी कर रही थी।

मैंने अब धक्के लगाने के बजाय अपने लंड को उसकी चूत पर घिसना शुरू कर दिया। मैं पहले थोड़ा नीचे की ओर सरकता और फिर अपने लंड को अन्दर ठेलते हुए उसकी चूत पर घिसता। ऐसा करने से उसकी दाने पर भी रगड़ होने लगी थी। ऐसा करने से तो नताशा तो रोमांच और उत्तेजना के उच्चतम शिखर पर पहुँच गई। अब तो उसने जोर-जोर से आह … ऊंह … करना शुरू कर दिया था।

मैंने आपको बताया था ना कि मेरा मन तो उसकी चूत को मुंह में भर कर चूसने और उसके दाने को अपने दांतों से काटने का कर रहा था. पर ऐसा करने का नताशा ने मौक़ा ही नहीं दिया था।
अब हालत यह थी कि जैसे ही मेरा लंड दाने पर रगड़ खाता उसकी एक हल्की सीत्कार निकल जाती।
उसका पूरा शरीर ही जैसे लरजने लगा था और अब तो वह अपने पैर भी पटकने लगी थी। मुझे लगता है वह अपनी उत्तेजना को संभाल नहीं पा रही है। और फिर जैसे अक्सर ऐसा होता है उसकी चूत ने हार मान ली और उसका एक बार फिर से स्खलन हो गया।

“आईईईइ … मैं मर जाऊंगी … प … प्रेम.. आह …” कहते हुए उसने मेरी पीठ पर अपने हाथ कस लिए।

अब मैं भी इतना बेरहम नहीं होना चाहता था। मैंने थोड़ी देर के लिए रगड़पट्टी बन्द कर दी। नताशा लम्बी-लम्बी साँसे लेने लगी थी। थोड़ी देर हम ऐसे ही लेटे रहे।
“प्रेम?”
“हम्म?”
“एक बार तुम मेरे ऊपर आ जाओ ना प्लीज!”
“जान मैं ऊपर ही तो हूँ.”

“ओहो … ऐसे नहीं मैं पेट के बल लेट जाती हूँ तुम मेरे ऊपर लेट जाओ.”
“ओके” मुझे बड़ी हैरानी और खुशी भी हो रही थी। मुझे लगा मेरी बुलबुल तो शायद पीछे से देने के लिए भी तैयार हो गई है।

मैं उसके ऊपर से हट गया तो नताशा जल्दी से अपने पेट के बल होकर लेट गई और उसने अपने पेट के नीचे एक तकिया लगा लिया। ऐसा करने से उसके नितम्ब और ऊपर उठ गए।
हे भगवान्! क्या नमूना है तेरी इस कारीगरी का … पूरा मुजसम्मा बनाकर भेजा है। पतली कमर के नीचे गोल खरबूजों जैसे गोरे रंग के नितम्ब और उनके बीच की गहरी खाई तो ऐसे से लग रही थी जैसे किसी नदी की गहरी घाटी हो।

मुझे तो अपनी किस्मत पर जैसे यकीन ही नहीं हो रहा था। मेरा लंड तो किसी अड़ियल घोड़े की तरह हिनहिनाने ही लगा था।

मैं अपने आप को कैसे रोक पाता। मैंने झुककर उनपर पहले तो एक चुम्बन लिया और फिर उन पर हल्की चपत सी लगाई तो नताशा की एक मीठी किलकारी निकल गई।
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