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एक बार ऊपर आ जाईए न भैया

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rajsharma
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Re: एक बार ऊपर आ जाईए न भैया

Post by rajsharma »

बहुत ही उम्दा. बढ़िया मस्त अपडेट है दोस्त

अगले अपडेट का इंतज़ार रहेगा

(^@@^-1rs2) 😘 😓 😱
Read my all running stories

(उलझन मोहब्बत की ) ......(शिद्द्त - सफ़र प्यार का ) ......(प्यार का अहसास ) ......(वापसी : गुलशन नंदा) ......(विधवा माँ के अनौखे लाल) ......(हसीनों का मेला वासना का रेला ) ......(ये प्यास है कि बुझती ही नही ) ...... (Thriller एक ही अंजाम ) ......(फरेब ) ......(लव स्टोरी / राजवंश running) ...... (दस जनवरी की रात ) ...... ( गदरायी लड़कियाँ Running)...... (ओह माय फ़किंग गॉड running) ...... (कुमकुम complete)......


साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,
मंदिर जाकर जाप भी कर लेता हूँ ..
मानव से देव ना बन जाऊं कहीं,,,,
बस यही सोचकर थोडा सा पाप भी कर लेता हूँ
(¨`·.·´¨) Always
`·.¸(¨`·.·´¨) Keep Loving &
(¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling !
`·.¸.·´ -- raj sharma
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jay
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Re: एक बार ऊपर आ जाईए न भैया

Post by jay »

नूर ने अब प्यार से उसको चुमा और कहा, "अच्छा मेरी जान", उसकी चूची सहलाई और फ़िर कुर्ते के ऊपर से ही उसके निप्पल को ऊँगलियों के बीच ले कर हल्के से मसला।


फ़ैज तो गोदी में बैठी हुई अपनी भांजी के जाँघों को सहलाते हुए फ़ैलाने की कोशिश करने लगा था और सलमा थी कि अपने जाँघ जोर से सिकोड़ लेती थी। फ़ैज फ़िर झेंप गया तो नूर उसकी परेशानी समझ कर निप्पल मसलते हुए सलमा के कुर्ते को एक झतके से पकड़ा और उसके सर के ऊपर से खींच लिया।

जबतक सलमा कुछ समझे, उसका आधा कुर्ता उसके सर की तरफ़ से बाहर हो गया था। वो हड़बड़ा कर फ़ैज की गोद से उठी और अपने कुर्ते को पकड़ने का अंतिम प्रयास किया, पर तब तक देर हो गई थी। कुर्ता उसके बदन से गायब हो गया था। इस क्रम में उसके हाथ जो ऊपर हुए तो उसकी काँख के काले-काले लम्बे बाल दिख गए।

मैंने विभा से कहा, "ये लड़की भी तुम्हारी तरह की है, अपना बाल नहीं साफ़ करती है"।

वो इसबार तपाक से बोली, "मैं तो अपना काँख का बाल रेगुलर साफ़ करती हूँ गर्मी में, नहीं तो स्लीवलेस कैसे पहनुँगी... जाड़ा में भले थोड़ा आलस हो जाए"।

मैंने हँसते हुए पूछा, "और झाँट...?"

वो बाद बदली, "अभी देखने दीजिए... अपने किशनगंज की लड़की कितनी मौड हो गई है कि फ़िल्म बनवाती है"।

मैंने मन ही मन कहा, "तुम्हारी भी फ़िल्म बनाऊँगा मेरी बहना फ़िर तुम्हीं को दिखाऊँगा"।

स्क्रीन पर अब नंगी सलमा फ़ैज की गोद में बैठी थी और फ़ैज कभी उसकी चुचियों तो कभी पेट या फ़िर कभी झाँटों भरी बूर को सहलाते मसलते दिख रहा था। सलमा की चुची का साईज किसी आम लड़की की तरह था, अभी उन्होंने अपना पूरा साईज नहीं पाया था पर आकर्षक साईज था। सलमा का रंग सांवला से थोड़ा साफ़ था पर मेरी बहनों मे वो कम गोरी थी। तभी नूर सोफ़े से उठा और अपने कपड़े उतार कर वो भी नंगा हो गया। उसका लन्ड भी लूज था, ४५ साल की उम्र में सब का लूज ही ज्यादा रहता है। वो अब सोफ़े के पास आया और सलमा के करीब हो कर अपना लन्ड अपने हाथ से पकड़ कर सलमा को ईशारा किया तो वो उस लूज लन्ड को अपने मुँह में लेकर चुसने लगी। वो भी अब बीच-बीच में सलमा की चुचियो और निप्प्ल से खेल लेता। उस सलमा के बदन पर चार मर्दाने हाथ लगे हुए थे। वो जब सर को एक तरफ़ घुमा कर नूर का लन्ड चुस रही थी तब उसका जाँघ भी थोड़ा खुल गया था और फ़ैज अब आराम से उसकी बूर की फ़ाँक से खेल रहा था।

मैं विभा को बोला, "विभा डीयर, अब मेरा भी तुम थोड़ा सहला दो ना" और मैं अपने बरमुडा को खोल कर अपने खड़े लन्ड को उसके सामने लहराया।

विभा एक नजर मेरे खड़े लन्ड पर डाली और बोली, "आपका तो पहले से इतना कड़ा है... अभी देखने दीजिए इस फ़िल्म को पूरा से फ़िर आपके बारे में सोचुँगी"।

मैंने भी बहस को बेकार समझा और हलके हाथ से अपने लन्ड को सहलाते हुए फ़िल्म देखेने लगा। नूर का लन्ड जब टनटना गया तो वो फ़ैज से बोला, "यार, अब शुरु करो... कितना खेलोगे इसकी फ़ाँक से। अब तो मेरा भी तनटना गया है"।

फ़ैज यह सुन कर अब सलमा को अपनी गोदी से उठा दिया और उसको सोफ़े पर चित लिटाया। सलमा भी अब बिना कोई विरोध किए आराम से सोफ़े पर लेट गई और अपने पैरों को घुटने से हल्के से मोड़ कर सोफ़े की पीठ से सटा लिया। उसका दुसरा पैर सोफ़े के नीचे जमीन पर टिका हुआ था।

वो अब बोली, "आप दोनों में पहले कौन आ रहा है..."? सलमा अपने बूर की फ़ाँक पर अपना थुक लगा रही थी बार-बार।

नूर बोला, "आज पहले अपने मामू को चढ़ा लो फ़िर बाद में मैं चोद लुँगा। बेचारा बहुत बेकरार है तुम्हारे छेद लिए"।

सलमा अब अपने मामू को ईशारा की और फ़ैज तुरन्त सोफ़े पर अपना एक घुटना टिका कर अपने दाहिने हाथ से अपना लन्ड को पकड़ कर सलमा की बूर से लगा कर धक्का दिया।

पर सलमा की कमसीन जवानी या फ़िर उसके मामा की उत्तेजना, फ़ैज का लन्ड जो साधारण सा था करीब ५" का, वो सलमा की बूर में नहीं घुसा और फ़िसल गया। फ़ैज ने फ़िर कोशिश की और फ़िर यही बात। दो तीन बार जब वो असफ़ल हो गया तो सलमा उठ कर बैठी और फ़िर अपने मामू का लन्ड ले कर जोर-जोर से चुसने लगी।

मैंने विभा को बताया, "लड़की एक्स्पर्ट है, देखो कैसे लन्ड को और ज्यादा कड़ा कर रही है"।

विभा चुप-चाप सब देख रही थी। सलमा फ़िर से अब फ़िर लेट गई थी और इस बार वो अपने हाथ से अपने मामा का लन्ड पकड़ कर अपनी बूर में घुसा ली और फ़िर अपने मामा को थोड़ा झुक कर धक्के लगाने को बोली। उसका मामा फ़ैज अब वैसे ही आगे की तरफ़ झुक कर ऊपर से अपने कमर हिला-हिला कर धक्के लगाने लगा। सलमा भी मजे के साथ अपना आँख बन्द कर ली और चेहरे बनाने लगी।

तभी नूर आगे आया और सलमा की छाती के पास बिल्कुल उसके मामा की तरह दोनों तरफ़ घुटने सोफ़े पर सलमा की दोनों तरफ़ टिका कर सलमा की मुँह में अपना लण्ड घुसा दिया। इसके बाद नूर भी बिल्कुल ऐसे धक्के लगा-लगा कर सलमा की मुँह में लण्ड डालने लगा जैसे वो भी सलमा को चोद हीं रहा हो।

विभा अब मेरी तरफ़ घुम कर बोली, "कैसा लग रहा यह यह देख कर... दोनों बुढ़े कैसे बेचारी की छेद में अपना-अपना घुसा रहे हैं"।

मैंने कहा, "यह तो कुछ नहीं है... लड़की को भगवान तीन-तीन छेद दिए हैं, वो एक साथ तीन लन्ड को मजा दे सकती है"।

विभा बिना कुछ सोचे-समझे बोली, "तीन?... कहाँ दो हीं न... एक मुँह और एक नीचे.."।

मैंने कहाँ, "और गाँड़ को तुम क्यो भूल गई मेरी बोली बहना... सुनी नहीं हो ’गाँड मारना’, प्रसिद्ध गाली है यह तो - गाँड़ मराओ"।

वो बोली, "अरे उस छोटे से छेद में किसी लड़के का कैसे घुसेगा... असंभव"।

मैंने कहा, "ठीक है अब दिखाऊँगा तुम्हे एक फ़िल गाँड मराई बाली तब समझ में आएगा। किसी लड़की की बूर की चुदाई तो आम बात है, सब चुदती है... पर विशेष बात तब होती है जब लड़की की गाँड़ मारी जाती है। अभी नूर जो कर रहा है उसको लण्ड चुसना नहीं कहते है, कहेंगे कि नूर सलमा की मुँह मार रहा है। बूर में चुदवाने से ज्यादा कलाकारी का काम है मुँह या गाँड़ मरवाना"।

विभा अब खुब रुची के साथ पूछी, "ऐसा क्यों भैया, मुँह मराना तो बहुत आसान लग रहा है... हाँ वो वाला का छेद बहुत छोटा है तो इसमें परेशानी समझ में आती है"।
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(Thriller तरकीब Running )..(Romance अनमोल अहसास Running )..(एक बार ऊपर आ जाईए न भैया Running )..(परिवार में हवस और कामना की कामशक्ति )..(लेखक-प्रेम गुरु की सेक्सी कहानियाँ running)..(कांता की कामपिपासा running).. (वक्त का तमाशा running).. (बहन का दर्द Complete )..
( आखिर वो दिन आ ही गया Complete )...(ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगाना complete)..(ज़िद (जो चाहा वो पाया) complete)..(दास्तान ए चुदाई (माँ बेटी बेटा और किरायेदार ) complete) .. (एक राजा और चार रानियाँ complete)..(माया complete...)--(तवायफ़ complete)..(मेरी सेक्सी बहनेंcompleet) ..(दोस्त की माँ नशीली बहन छबीली compleet)..(माँ का आँचल और बहन की लाज़ compleet)..(दीवानगी compleet..(मेरी बर्बादी या आबादी (?) की ओर पहला कदमcompleet) ...(मेले के रंग सास,बहू और ननद के संग).


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(फैमिली में मोहब्बत और सेक्स (complet))........(कोई तो रोक लो)......(अमन विला-एक सेक्सी दुनियाँ)............. (ननद की ट्रैनिंग compleet)..............( सियासत और साजिश)..........(सोलहवां सावन)...........(जोरू का गुलाम या जे के जी).........(मेरा प्यार मेरी सौतेली माँ और बेहन)........(कैसे भड़की मेरे जिस्म की प्यास)........(काले जादू की दुनिया)....................(वो शाम कुछ अजीब थी)
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jay
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Re: एक बार ऊपर आ जाईए न भैया

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हम दोनों सलमा को नूर और अपने मामा से मस्ती लेते हुए देख रही थे, और मैं अपनी बहन विभा की जानकारी बढ़ा रहा था। मैंने उसको समझाते हुए कहा, "असल में सलमा गाँड़ मराई में छेद तो एक आसान समस्या है, असल समस्या है गाँड़ के भीतर की बनावट। गाँड़ करीब ३-४" भीतर एकदम से पीछे यानि पीठ की तरफ़ मुड़ जाती है और लन्ड को उस मोड़ पर आगे जाने में परेशानी होती है और जोर का धक्का अगर ऊपर से कोई लगा दिया तो बहुत तेज दर्द होता है गाड़ के भीतर"।

ये सब जानकारी बिभा के लिए नई थी तो वो बोली, "ओह... फ़िर"।

मैंने हँसते हुए कहा, "फ़िर क्या... यही तो लड़की की कलाकारी है, वो कभी अपना पेट सिकोड़ेगी तो कभी कमर ऊपर-नीचे करके एक बार अगर लन्ड को भीतर धीरे-धीरे घुसवा ले फ़िर लन्ड को आगे परेशानी नहीं होती है और तब लन्ड खुद अपना रास्ता बना कर बार-बार अंदर-बाहर होता रहता है। मुँह के साथ भी यही बात है, कोई भी ६-७" का लन्ड आसानी से कंठ तक पहुँच जाएगा और फ़िर तुम्हें खाँसी आ जाएगी। जब तुम चुसोगी तो तुम तय करोगी कि कितना भीतर लो, पर जब लड़का तुम्हारी मुँह मारेगा तो वो तय करेगा कि कितना तुम्हारे मुँह में घुसाए और तब तुम्हें लगेगा कि तुम्हारा दम घुट रहा है। इसलिए लड़की को यह कला आना चाहिए कि कैसे और कब साँस रोक कर लण्ड को भीतर ले"।


अब तक नूर का सलमा की मुँह में छुट गया और वो अब सलमा के ऊपर से हट गया था और उसका मामा अब उसकी चूची मसलते हुए खुब जोर-जोर से धक्के लगाए जा रहा था।

विभा सब देखते हुए बोली, "आप तो बहुत बात जानते हैं भैया, कहाँ से सीखे यह सब..."।

मैंने कहा, "ब्लू-फ़िल्म और लड़कियाँ सींखाई हैं सब..."।

अब विभा ने मेरी आँखों में आँखें डालते हुए पूछी, "हुंहुं..., लड़कियाँ... कितनी भैया...?

मैंने अब थोड़ा शर्माते हुए कहा, "अब तक १९..."।

विभा अब बोली, "अच्छा भैया, क्या स्वीटी के साथ आप सब चीज किए, वो विडियो तो ऐसा नहीं था"।

मुझे कुछ समय लगा कि वो यह जानना चाहती थी कि क्या मैंने स्वीटी की गाँड़ और मुँह भी मारी है। तब मैंने कहा, "नहीं, स्वीटी के साथ सिर्फ़ चुदाई किए हैं ३-४ बार। गाँड़ तो उसकी रूम-मेट है न गुड्डी उसकी मारे थे, बल्कि वही सिखाई गाँड़ मारना। वहाँ से आने के बाद एक बार एक कौल-गर्ल की गाड़ मारे हैं यहीं किशनगंज में।

वो अब आश्चर्य से बोली, "अपने किशनगंज में है कौल-गर्ल...?"

मैंने कहा, "हाँ, यहाँ जो लड़कियाँ आस-पास के गाँव से शहर पढ़ने आती है और इधर-उधर होस्टल में रहती है वो सब दोपहर में दो घन्टे आती है कई होटल है"।

अब विभा पूछी, "कितना पैसा मिलता है उनको"?

मैंने कहा, "पता नहीं, पर होटल वाला २००रू०, ३००रू०, ४००रू० से ५००रू० प्रति घन्टा या ज्यादा भी, लेता है, जैसी लड़की वैसा दाम... और रूम का अलग से २००रू"। लड़की को इसका आधा तो जरुर देता होगा"। सप्ताह में एक-दो दिन भी आ गई तो उसका पौकेट खर्च निकल जाएगा"।

सलमा को अब दोनों नीचे दरी पर लिटा दिए थी और फ़िर वैसे हीं चोदने लगे थे, इस बार नूर उसको चोद रहा था और उसका मामा उसकी मुँह मार रहा था। मामा को ऐसे सामने देख वो बार-बार अपना चेहरा अपने हाथ से छुपाती तो उसका मामा खुद अपने हाथ से उसका हाथ चेहरा पर से हटा देता। उसको अपनी भांजी को ऐसे देख कर मजा आ रहा था।

विभा थोड़ी देर चुप-चाप सब देखी फ़िर अचानक बोली, "आप कितना दिए उस कौल-गर्ल को"?

मुझे उसके साथ ऐसे बात करके मजा आ रहा था। मैंने सच कहा, "दो दिन में ४०००रू०... पहले दिन १००० दिए और सिर्फ़ चोदे, और उसी बार अगले बार के लिए बात कर लिए गाँड़ मराने के लिए। वो रेट डबल माँगी गाँड़ मरवाने का, तो हम अगले दिन २०००रू गाँड़ मराई का और १०००रू० सीधी चुदाई का दिए"। गाँड़ वाला २०००रू० तो सीधा उसका हो गया, क्योंकि होटलवाले को यह सब पता नहीं था। तीन घंटा समय लिए थे तो होटल का किराया भी ज्यादा देना पड़ा"।


विभा बोली, "लड़की कैसी थी देखने में"?

मैंने कहा, "सांवली थी, पर फ़ीगर से मस्त... बी०ए० फ़र्स्ट ईयर की थी। बनमंखी के पास के गाँव की थी, जाति से राजपूत पर गरीब..."। यहाँ करीब एक साल से हैं, पर होटल में तीन महीने से आना शुरु की है। उसका डीटेल रख लिए हैं, बाद के लिए... अच्छी लड़की है, बहुत मजा आया उसके साथ"।

अब तक दोनों सलमा की दोनों छेद में फ़िर से झड़ गए थे और सलमा अपना बदन साफ़ कर रही थी।

विभा अचानक से पूछी, "अगर मुझे होटल में जाना पड़ा तो कितना मिलेगा मुझे"?

मैंने उसको अपने बाँहों में भर लिया, तुम्हारे बूर के लिए तो बोली लगेगा, नीलाम होगी तुम। कुँवारी, अनचुदी बूर तो अनमोल होती है, वैसे भी शक्ल-सुरत के हिसाब से भी तुम्हारा दाम ७००रू० से ८००रू० तो कम-कम से कम होगा"।

विभा आराम से मेरी गोदी में बैठ गई। मैं नीचे से नंगा तो पहले से था सो वो खुद अपने चुतड़ों की फ़ाँक के बीच में मेरा लन्ड फ़ँसा कर आराम से बैठ गई थी, तब मैंने कहा कि अब ध्यान से देखो सलमा को... अब असल मजा आयेगा उसको"।

विभा को लग रहा था कि फ़िल्म खत्म हो गई है, क्योंकि सलमा अपना बदन तौलिए से साफ़ करने लगी थी। वो बोली, "अब कौन मजा आएगा, दोनों बुढ़े तो अब साईड हो गए हैं"।

मैं अब उसको ज्ञान देते हुए कहा, "मेरी बेवकूफ़ बहना, और वो जो फ़ोटोग्राफ़र है, वो फ़ोकट में इतना मेहनत किया है, फ़िल्म बनाया है"। जब तक मेरी बात पूरी हो सीन में एक २५-२६ साल का जवान लड़का नजर आया, बिल्कुल नंगा, अपने टनटनाए हुए ८" के लन्ड के साथ।

मैंने विभा को बताया कि इसी लड़के के साथ सलमा का निकाह तय है। वो इसकी चुदाई करेगा और दोनों दोस्त इसकी फ़िल्म बनाएँगे। अब देखना, अभी तक जो सलमा इतना चुप-चुप से चुद रही थी कैसे बेचैन हो कर चीख-चीख कर चुदाएगी। विभा फ़िर से पूरे मन से फ़िल्म देखने लगी।


बिना किसी भूमिका के सलमा की चुदाई शुरु हो गई थी और वो खुब मस्त हो कर चुदा रही थी। ऐसे भी जब कोई लड़की अपने दुल्हा से चुदती है तो टेंशन फ़्री हो कर चुदाती है और खुब मस्ती देती है। जिन यार-दोस्तों ने अपनी बीवी को चोदा होगा, उन्हें पता होगा कि शुरुआती दौर में वो कैसे मस्त मजे देती है।

विभा भी मन से सब देखती रही और मैं विभा की चुचियों को मसलते, चुमते, चाटते अपना समय काट रहा था और भगवान से मना रहा था कि विभा अब जल्दी से मान जाए। खैर फ़िल्म खत्म हुई और तब विभा बिना किसी हील-हुज्जत के खुब आराम से मेरे टन्टनाए हुए लन्ड को चुस कर झाड दी, फ़र्क सिर्फ़ इतना हुआ कि आज वो कुछ ज्यादा प्यार से मेरे लन्ड को पूरा का पूरा निगल रही थी और इसमें उसको अपने चेहरे और गले को थोड़ा एड्जस्ट भी करना पर रहा था।

फ़िर अपने कपड़ पहनने लगी तब मैं बोला, "यार विभा, अब तो मान जाओ... तब तक मेरे लन्ड को तड़पाओगी?"

विभा भी मुस्कुराते हुए बोली, "मन तो अब मेरा भी खुब करता है पर.... फ़िर लगता है कि भैया से कैसे भीतर घुसवाऊँ...।’

मैंने तपाक से कहा, "क्यों??? जैसे स्वीटी घुसवाई... और फ़िर तुमको सिर्फ़ लेटे रहना होगा और बाकी सब मैं कर लूंगा। तुम बस अपना आँख बन्द कर लेना अगर तुमको मेरा चेहरा नहीं देखना तो, और सोचना कि तुम्हें तुम्हारा पति चोद रहा है।"

विभा मुस्कुराई और सो तो है....कह कर कमरे से निकल गई।

मैंने उसको सुनाते हुए कहा, "देख लेना विभा, एक दिन मेरे हाथ से तुम्हारा बलात्कार हो जाएगा साली..."।

उसने मुझे एक फ़्लाईंग किस दिया, "तब का तब देखा जाएगा..."।

मैं अकेला अपने लन्ड को हाथ में पकड़े बुद्धु की तरह बिस्तर पर पडा रह गया। मैंने सोचा कि अगर यह लडकी मेरे से नहीं चुदेगी तो उसको किसी और से चुदा देता हूँ, फ़िर उसको चोद लुँगा, फ़िर एक विचार आया कि क्यों ना उसको जबर्दस्ती पकड कर चोद दूँ, एक बार जब चुद जाएगी तब शायद आराम से चुदे...। इसी उधेड़बुन में नींद आ गई।
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jay
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Re: एक बार ऊपर आ जाईए न भैया

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Re: एक बार ऊपर आ जाईए न भैया

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अगली सुबह नाश्ते के समय विभा ने मुझे खबर दी कि उसका पीरियड शुरु हो गया है सो अब वो मेरे सामने नंगी नहीं होगी।

मैंने मन मसोस कर कहा, "ठीक है, पर मेरा तो चुस दोगी न...?"

वो हाँ में सर हिलाई और कहा, "आप इतना अच्छा-अच्छा फ़िल्म दिखाते है तो उसका ईनाम तो आपको कम से कम इतना तो जरुर मिलेगा"।

मेरे यह पूछने पर कि कब तक उसके बूर की तरफ़ से रेड सिगनल है..., वो हंसते हुए बोली, "अब आज से तो शुरु हुआ है थोड़ा सा... तो अगले दो दिन तो जरुर, शायद तीसरे दिन भी"।

मुझे अब काम से निकलना था सो मैं निकल गया। वैसे भी अब जल्दी घर आने से कुछ फ़ायदा तो होना नहीं था, मैंने विभा पर कई तरह से दबाब बनाया पर सब बेकार, सो अब मैं भी उसको भुल-भाल कर अपने काम में ध्यान लगाया और सोचा कि अब जरा इसको असल में गन्दी वाली कुछ क्लीप दिखाऊँग, अगले तीन-चार दिन में।

घर लौटते समय मैं बाजार से दो, बेहद गन्दी फ़िल्मों की डीवीडी ले आया था - एक जानवर वाली, और दुसरी बलात्कार वाली। जानवर वाली के कवर पर हीं घोड़े, कुत्ते, गाय आदि की फ़ोटो थी, और दुसरी वाली में एक लम्बा क्लीप था, करीब ढाई घन्टे का। विडियो बंग्लादेश का था... जिसमें एक कोठे पर नई लडकियों को सीधा करने का विडियो था।

उस शाम को मैंने विभा को दोनों विडियो डीवीडी दे दिया, उनकी थीम को ब्ता कर कि देखें वो पहले कौन सा देखना चाहते है। मेरा दिल चाह रहा था कि वो बंग्लादेशी फ़िल्म देखे। जब विभा ने भी उसी को चुना तो मेरा मन खुश हो गया। मैं अब सोच रहा था कि इस फ़िल्म के साथ बात करके उसको मनाने में शायद मान जाए। खैर उस रात वो पहले मेरा लंड झाड़ दी चुस और हिला कर फ़िर हम दोनों विडियो देखने बैठे।

विडियो बंग्ला में था, पर हम दोनों बंगाली समझते हैं। किशनगंज बंगाल के पास हीं है और यहाँ बहुत सारे बंगाली परिवार हैं। फ़िल्म में गाँव-देहात से छः जवान कमसीन लडकियों को कुछ लोग लाए थे और कोठे पर उनका सौदा कर रहे थे। दो लडकियाँ साड़ी में थीं, तीन सलवार कुर्ते में और एक फ़्राक पहने हुए थी। लड़कियाँ अलग कमरे में थीं। जब वो लोग अपना पैसा ले कर चले गए तब, एक आदमी, जो उम्र में ४२-४३ तो कम से कम जरुर था, लडकियों वाले कमरे में आ कर उनको बताया कि उनके साथ के लोग चले गए हैं और अब उन सब को यहीं रहना होगा और मर्दों के साथ धंधा करना होगा। चार तो चुप रही, पर दो लडकियों ने हंगामा शुरु कर दिया। दोनों बहनें थे, और उनकी बात-चीत से पता चला कि उनका नाम नसरीन (साडी वाली) और जुबैदा (फ़्राक वाली) है। उस मर्द ने उन दोनों को समझाया कि उनको कोई परेशानी नहीं होगी, और फ़िर बाकी लड़कियों का उदाहरण भी दिया कि वो सब कैसे शान्त है, पर वो दोनों बहन तो पूरा नाटक कर रही थी।

हल्ला सुन कर उस कमरे में दो और मर्द आ गए। वो दोनों भी उम्र में ३६-३८ के दिख रहे थे। उनके साथ मासीमा अर्थात मौसी (कोठे की मालकिन) भी थी। उस औरत ने भी उन्हें खुब समझाया। उन दोनों को उनके मामा ने वहाँ ला कर बेचा था। उस औरत ने उनको समझाया कि उनका मामा उन दोनों के बदले जो रुपया ले कर गया है और उस रुपये से उसके घर में खुशहाली आएगी। वो दोनों भी समय-समय पर अपने घर रुपये भेज सकती है। पर जब वो दोनों किसी हाल में कुछ सुनने को तैयार नहीं हुई तो उसने अपना हुक्म जारी किया कि उन दोनों बहनों को तब तक चोदा जाए जब तक वो यह सब मान न लें और फ़िर वो वही कुर्सी लगा कर बैठ गई और आवाज दे कर सब के लिए चाय लाने को कहा।

तीनों आदमी अब उन लड़कियों की तरफ़ बढ़े। तभी हिम्मत करके नसरीन जो बड़ी थी, करीब १९-२० की, उसने पास आते एक मर्द तो एक चांटा लगा दिया और उसके बाद तो उस मर्द ने गन्दी-गन्दी गालियाँ देते हुए ताबड़-तोड तीन-चार चाँटे नसरीन की गाल पर जड दिए और उसका गाल लाल कर दिया। नसरीन को अब दो मर्द पकडे थे और एक जुबैदा को अपने बाँहों में जकड़े हुए था। उन दोनों बहनों को बाकी की लड़कियों से अलग घसीट कर वो ले गए।

दोनों बहनें उनके चंगुल से छुटने के लिए तड़-फ़ड़ा रही थी। नसरीन बडी थी, और जब वो उनके हाथ से फ़िसली तो उसकी साड़ी उनके हाथों में ही रह गई और एक क्षण में हीं साडी उसके बदन से गायब हो गई थी। वो बगैर साड़ी के ही कमरे के दरवाजे की तरफ़ भागी। छोटी बहन जुबैदा ने जब अपनी बहन को चाँटे खाते देखा तो थोडा शान्त हो गई थी। उसको जो मर्द पकड़े था उसने उसकी छोटी-छोटी गोलाईयों को सहलाया, उसको लगा कि अब जुबैदा मान जाएगी सो उसने अपनी पकड़ ढ़ीली कर दी थी। जुबैदा ने मौके का फ़ायदा उठाया और उसके बाँहों से छूट कर कमरे के दरवाजे की तरफ़ भागी।
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