लाला: सच मुझे पता था की तुम अपना वादा निभाओगे, रहा नहीं जा रहा अब तो। जी भर के देखना चाहता हूं दिव्या की जवानी को, सोच सोच के तन बदन में आग लगी हुई है कि कैसे इसके मुंह में आज तुम अपना लंड पेलोगे। राजेश को कर्नल की बात सुनकर काफी शर्म महसूस होती है पर मजा भी काफी आता है।
राजेश: अंकल, वो तो पता नहीं कैसे पॉसिबल हो पाएगा।
लाला: वो तुम मुझ पर छोड़ दो राजेश।
राजेश: आप ऐसा क्या करने वाले हैं।
लाला: वही जो रेणुका के साथ किया था। दो मिनट में इसकी चूत चाट कर इसको गरम न कर दिया तो मेरा नाम बदल देना।
राजेश: नहीं नहीं अंकल, दिव्या को सब पता चल जाएगा।
लाला: कुछ पता नहीं चलेगा। बस पांच मिनट में मैं चूत चाट कर निकल जाऊंगा और फिर दिव्या तुम्हारी।
राजेश: अंकल मैं ये सब देख नहीं पाउँगा प्लीज़। ये सब रहने दो।
लाला: यार मैंने तो तुमको छूट दे दी थी अब तुमने खुद ही बोला और अब आखरी समय पर मना मत करो। काफी सपने सजाए हैं मैंने। क्या मैंने कभी रेणुका को चोदने के लिए तुम्हें मना किया है? तुमने तो उससे पूरी तरह मजे लिए है और मुझे थोड़ा सा भी नहीं करने दे रहे।
राजेश: मेरा मन नहीं मान रहा अंकल।
लाला: ये भी सोचो अगर वो एक बार तुम्हारा लंड चूसेगी तो पूरी ज़िन्दगी तुम्हें खुश करेगी ऐसे ही। उसकी झिझक तो दूर करनी ही है।
राजेश: मैं खुद चूत चाट के ट्राई करता हूँ ना। और वैसे भी आपने उसे दूर से नंगा दिखाने को कहा था।
लाला: अब सिर्फ देखने से मेरा काम नहीं होगा राजेश। ज़रा उसके मम्मे तो देखो, कहीं कपडे फाड़ के बाहर ना आ जाए।
राजेश: समझो ना अंकल, मेरा मन नहीं मान रहा।
लाला: ठीक है, पर मुझे उसके पूरे को एक बार छूने का टाइम जरूर देना, तुमने भी तो कितने मजे लिए हैं रेणुका से, अब इतना तो बनता है।
राजेश: ठीक है, मैं उसे पूरा नंगा कर आपको बुला लूंगा।
लाला: पूरा नंगा नहीं, ब्रा पेंटी छोड़ देना उसपर। वो मैं खुद उतारूंगा।
राजेश: लेकिन उसे शक तो नहीं होगा ना।
लाला: बिल्कुल नहीं।
राजेश: आओ ना अब पूल में चलते हैं।
लाला: तुम जाओ, मैं नहीं जा सकता। (कर्नल उसे अपने लंड की ओर इशारा करता है जो उसके इनर में टेंट बनाये खड़ा था।)
राजेश मुस्कुराता हुआ पूल में उतर जाता है, और दिव्या के साथ एन्जॉय करता है, कुछ ही देर में रेणुका एक बॉल उठा कर राजेश की और फेकती है, तो उन्हें पूल में खेलने के लिए कुछ नया मिल जाता है।
Adultery दिव्या का सफ़र
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Re: Adultery दिव्या का सफ़र
जल्द ही कर्नल भी खुद को रोक नहीं पाता और पानी में उतर आता है। वो बॉल को एक कोने से दूसरे कोने में ले जाने लगते हैं जैसा कि रग्बी के खेल में होता है। कोई एक बॉल ले कर जाता तो बाकी सभी बाल लेने के लिए उस पर झपट पड़ते हैं।
राजेश भी रेणुका और दिव्या को एक साथ एन्जॉय कर रहा था, अब तक इसमें किसी को कुछ बुरा नहीं लग रहा था पर जब बॉल दिव्या के पास आई तो उसे कर्नल रोकने की कोशिश करता है, दिव्या भी कर्नल से बचने की कोशिश करती है और उसे चक्मा दे आगे की और निकल जाती है पर कर्नल तभी उसे पीछे से पकड़ कर अपनी और खींच लेता है, दिव्या थोड़ा स्ट्रगल करती है पर ऐसा करने से कर्नल अपनी पकड़ और मजबूत कर लेता है।
राजेश भी साइड में खड़ा ये देख रहा था, कर्नल और दिव्या के शरीर में गैप ना देख वो सोचने लगता है कि जिस तरह कर्नल का लंड खड़ा था तो जरूर दिव्या को वो फील हुआ होगा पर शायद खेलने के चक्कर में उसने ध्यान न दिया हो।
दिव्या भी कर्नल का खड़ा लंड फील कर रही थी पर राजेश को शक न हो इस चक्कर में कुछ नहीं कहती और एक बार फिर कर्नल की गिरफ्त से छूटने की कोशिश करती है, पर इस बार वह जैसे ही दूर होने के लिए थोड़ा घूमती है कर्नल बड़ी चालाकी से उसकी गांड को पकड़ के उसे अपनी और खींच लेता है।
कर्नल का हाथ दिव्या की की गांड की दरार पर पड़ता है तो वह भी हार मान लेती है और बॉल छोड़ देती है। राजेश ये सब इग्नोर करने की कोशिश करता है पर दिव्या के चेहरे के भाव बदल चुके थे, वह सर दर्द का बहाना कर आगे खेलने से मना कर देती है और पूल से बाहर आ जाती है।
दिव्या के बिना कर्नल भी ज्यादा देर पानी में नहीं रहता और शावर लेने चला जाता है, राजेश और रेणुका अभी भी पूल में थे, दिव्या को सही समय लगता है कर्नल से ये सब बंद करने के लिए कहने का।
दिव्या भी कर्नल के पीछे शावर लेने के बहाने से चली जाती है।
कर्नल के शावर केबिन का दरवाजा हल्का खुला हुआ था, दिव्या उसे थोड़ा गुस्से में अपनी हरकतों से बाज आने को कहती है तो कर्नल दरवाजा पूरा खोल उसके सामने खड़ा हो जाता है, कर्नल के बदन पर इस समय एक कपड़ा भी नहीं था। दिव्या उसकी ये बेशर्मी देख पलट जाती है।
राजेश भी रेणुका और दिव्या को एक साथ एन्जॉय कर रहा था, अब तक इसमें किसी को कुछ बुरा नहीं लग रहा था पर जब बॉल दिव्या के पास आई तो उसे कर्नल रोकने की कोशिश करता है, दिव्या भी कर्नल से बचने की कोशिश करती है और उसे चक्मा दे आगे की और निकल जाती है पर कर्नल तभी उसे पीछे से पकड़ कर अपनी और खींच लेता है, दिव्या थोड़ा स्ट्रगल करती है पर ऐसा करने से कर्नल अपनी पकड़ और मजबूत कर लेता है।
राजेश भी साइड में खड़ा ये देख रहा था, कर्नल और दिव्या के शरीर में गैप ना देख वो सोचने लगता है कि जिस तरह कर्नल का लंड खड़ा था तो जरूर दिव्या को वो फील हुआ होगा पर शायद खेलने के चक्कर में उसने ध्यान न दिया हो।
दिव्या भी कर्नल का खड़ा लंड फील कर रही थी पर राजेश को शक न हो इस चक्कर में कुछ नहीं कहती और एक बार फिर कर्नल की गिरफ्त से छूटने की कोशिश करती है, पर इस बार वह जैसे ही दूर होने के लिए थोड़ा घूमती है कर्नल बड़ी चालाकी से उसकी गांड को पकड़ के उसे अपनी और खींच लेता है।
कर्नल का हाथ दिव्या की की गांड की दरार पर पड़ता है तो वह भी हार मान लेती है और बॉल छोड़ देती है। राजेश ये सब इग्नोर करने की कोशिश करता है पर दिव्या के चेहरे के भाव बदल चुके थे, वह सर दर्द का बहाना कर आगे खेलने से मना कर देती है और पूल से बाहर आ जाती है।
दिव्या के बिना कर्नल भी ज्यादा देर पानी में नहीं रहता और शावर लेने चला जाता है, राजेश और रेणुका अभी भी पूल में थे, दिव्या को सही समय लगता है कर्नल से ये सब बंद करने के लिए कहने का।
दिव्या भी कर्नल के पीछे शावर लेने के बहाने से चली जाती है।
कर्नल के शावर केबिन का दरवाजा हल्का खुला हुआ था, दिव्या उसे थोड़ा गुस्से में अपनी हरकतों से बाज आने को कहती है तो कर्नल दरवाजा पूरा खोल उसके सामने खड़ा हो जाता है, कर्नल के बदन पर इस समय एक कपड़ा भी नहीं था। दिव्या उसकी ये बेशर्मी देख पलट जाती है।
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Re: Adultery दिव्या का सफ़र
लाला: क्या हुआ जान, इतना गुस्सा क्यों हो।
दिव्या: मुझे जान कहने की जरूरत नहीं है, और तुम अच्छे से जानते हो कि मैं गुस्से में क्यों हूँ।
लाला: ओह दिव्या इतनी सी बात का बुरा मान गई। इसकी तो तुम्हें आदत हो जानी चाहिए।
दिव्या: तुम समझते क्यों नहीं, मेरा हस्बैंड भी है यहाँ। मेरी लाइफ क्यों खराब करना चाहते हो।
कर्नल दिव्या के कंधे पर हाथ रख उसे अपनी ओर पलटने को मजबूर करता है और उसका हाथ अपने लंड पर रखता है।
लाला: अब तुम बताओ मैं खुद को कैसे कंट्रोल करूं। मेरी हालत भी तो समझो जान।
कर्नल का लंड पकड़ते ही दिव्या के शरीर में सनसनी सी दौड़ जाती है, कर्नल उसके हाथों से अपने लंड को थोड़ा सहलाता है।
दिव्या: अंकल प्लीज, मेरे हसबैंड कभी भी आ सकते हैं।
लाला: डोंट वर्री, वो नहीं आएगा दिव्या, समझो ना, तुम जानती हो अब मेरा कैसे शांत होगा। तुम ही इसे शांत कर सकती हो अब और अगर ये शांत हो गया तो तुम्हें मैं परेशान नहीं करूंगा।
इतना कह कर कर्नल दिव्या के सर पर हाथ रखकर उसे नीचे की और बैठाने लगता है, दिव्या जानती है कि कर्नल अब क्या चाहता है। अगले ही पल दिव्या का मुँह कर्नल के लंड के एकदम नजदीक था, उसके लंड से आती स्मेल को दिव्या अब तक अच्छे से पहचान चुकी थी।
कर्नल अपना लंड दिव्या के मुँह के पास ही रखता है, दिव्या अपनी आँखें बंद कर चुकी थी पर अभी तक कर्नल ने अपना लंड उसके मुँह में फोर्स नहीं किया था, अचानक ना जाने दिव्या के मन में क्या आता है, वो अपना मुँह खोल कर अपनी जीभ बाहर निकाल कर कर्नल के लंड की ओर बढ़ा देती है।
अचानक कर्नल दिव्या का मुँह पीछे ही रोक देख देता है, दिव्या एक बार फिर अपनी जीभ से कर्नल के लंड को छूने की कोशिश करती है पर कर्नल थोड़ा पीछे हट जाता है। दिव्या को कुछ समझ नहीं आता कि कर्नल अखिर चाहता क्या है। कर्नल थोड़ा हँसता है फिर दिव्या को ऊपर की और उठा देता है और उसकी आँखों में देख कर कहता है।
लाला: डोंट वरी जान, तुम्हारी सारी प्यास जल्द ही बुझा दूंगा।
इतना कह कर कर्नल दिव्या के होंठों को चूम लेता है और उसे जाने के लिए छोड़ देता है। दिव्या भी वहाँ से निकल जाती है पर उसके मन में एक सवाल उठ खड़ा होता है की क्यों वो खुद ही कर्नल के लंड को अपने मुंह में लेने वाली थी।
दिव्या: मुझे जान कहने की जरूरत नहीं है, और तुम अच्छे से जानते हो कि मैं गुस्से में क्यों हूँ।
लाला: ओह दिव्या इतनी सी बात का बुरा मान गई। इसकी तो तुम्हें आदत हो जानी चाहिए।
दिव्या: तुम समझते क्यों नहीं, मेरा हस्बैंड भी है यहाँ। मेरी लाइफ क्यों खराब करना चाहते हो।
कर्नल दिव्या के कंधे पर हाथ रख उसे अपनी ओर पलटने को मजबूर करता है और उसका हाथ अपने लंड पर रखता है।
लाला: अब तुम बताओ मैं खुद को कैसे कंट्रोल करूं। मेरी हालत भी तो समझो जान।
कर्नल का लंड पकड़ते ही दिव्या के शरीर में सनसनी सी दौड़ जाती है, कर्नल उसके हाथों से अपने लंड को थोड़ा सहलाता है।
दिव्या: अंकल प्लीज, मेरे हसबैंड कभी भी आ सकते हैं।
लाला: डोंट वर्री, वो नहीं आएगा दिव्या, समझो ना, तुम जानती हो अब मेरा कैसे शांत होगा। तुम ही इसे शांत कर सकती हो अब और अगर ये शांत हो गया तो तुम्हें मैं परेशान नहीं करूंगा।
इतना कह कर कर्नल दिव्या के सर पर हाथ रखकर उसे नीचे की और बैठाने लगता है, दिव्या जानती है कि कर्नल अब क्या चाहता है। अगले ही पल दिव्या का मुँह कर्नल के लंड के एकदम नजदीक था, उसके लंड से आती स्मेल को दिव्या अब तक अच्छे से पहचान चुकी थी।
कर्नल अपना लंड दिव्या के मुँह के पास ही रखता है, दिव्या अपनी आँखें बंद कर चुकी थी पर अभी तक कर्नल ने अपना लंड उसके मुँह में फोर्स नहीं किया था, अचानक ना जाने दिव्या के मन में क्या आता है, वो अपना मुँह खोल कर अपनी जीभ बाहर निकाल कर कर्नल के लंड की ओर बढ़ा देती है।
अचानक कर्नल दिव्या का मुँह पीछे ही रोक देख देता है, दिव्या एक बार फिर अपनी जीभ से कर्नल के लंड को छूने की कोशिश करती है पर कर्नल थोड़ा पीछे हट जाता है। दिव्या को कुछ समझ नहीं आता कि कर्नल अखिर चाहता क्या है। कर्नल थोड़ा हँसता है फिर दिव्या को ऊपर की और उठा देता है और उसकी आँखों में देख कर कहता है।
लाला: डोंट वरी जान, तुम्हारी सारी प्यास जल्द ही बुझा दूंगा।
इतना कह कर कर्नल दिव्या के होंठों को चूम लेता है और उसे जाने के लिए छोड़ देता है। दिव्या भी वहाँ से निकल जाती है पर उसके मन में एक सवाल उठ खड़ा होता है की क्यों वो खुद ही कर्नल के लंड को अपने मुंह में लेने वाली थी।
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Re: Adultery दिव्या का सफ़र
दिव्या बाहर निकलती है तो राजेश और रेणुका अभी भी पूल में खेल रहे थे, दिव्या उन्हें देख सीधा अपने कमरे में चली जाती है। दिव्या को अन्दर जाता देख रेणुका अपना स्विमसूट उतार कर पानी से बाहर आ जाती है।
रेणुका: मैं जरा नॉर्मल पानी में थोड़ा नहा आऊं।
राजेश: हाँ मैं भी आता हूँ बस ये ड्रिंक खत्म करके।
कुछ देर बाद राजेश भी शॉवर लेने जाता है तो अंदर पहले ही कर्नल रेणुका की पिलाई करने में बिजी था।
राजेश: क्या अंकल लगता है आज मेरी और दिव्या की नहीं बल्कि आप दोनों की एनिवर्सरी है।
लाला: क्या कहूँ राजेश, दिव्या को गोद में उठाने के बाद तो रेणुका की चुदाई करनी ही थी, वैसे भी तुम तो दिव्या को तो चोदने दोगे नहीं मुझे।
राजेश: क्या अंकल आप भी, दिव्या नहीं मानने वाली, वो ऐसी नहीं है।
लाला: ये तो तुम सोचते हो। अगर तुम मौका दो तो वो खुद मेरे लंड पर कूदेगी।
राजेश: वो दिन कभी नहीं आएगा अंकल लेकिन आप दोनों को देख अब मुझे लगता है मुझे भी अपनी प्यास बुझा लेनी चाहिए।
लाला: इतनी जल्दी क्या है, अभी तुम्हारी एनिवर्सरी का केक भी काटना है।
राजेश: आपने भी कितनी मेहनत की है मेरे लिए।
लाला: हाँ, मुझे पता था तुम्हारे बस की तो कुछ करना है नहीं, आज सब मुझे ही करना है।
राजेश बात तो कर्नल से कर रहा था पर उसकी नजर दोनों की चुदाई पर ही टिकी हुई थी। कर्नल भी रेणुका की जबरदस्त चुदाई कर रहा था।
कर्नल राजेश को भी ज्वाइन करने का इशारा करता है, राजेश का भी मन था पर आज वह दिव्या की ही लेना चाहता था, वैसे भी उसे डर था कि कहीं दिव्या न आ जाए।
राजेश जल्द ही शावर लेकर वहाँ से निकल जाता है पर अब उसके लिए भी खुद को रोक पाना मुश्किल था।
रेणुका: मैं जरा नॉर्मल पानी में थोड़ा नहा आऊं।
राजेश: हाँ मैं भी आता हूँ बस ये ड्रिंक खत्म करके।
कुछ देर बाद राजेश भी शॉवर लेने जाता है तो अंदर पहले ही कर्नल रेणुका की पिलाई करने में बिजी था।
राजेश: क्या अंकल लगता है आज मेरी और दिव्या की नहीं बल्कि आप दोनों की एनिवर्सरी है।
लाला: क्या कहूँ राजेश, दिव्या को गोद में उठाने के बाद तो रेणुका की चुदाई करनी ही थी, वैसे भी तुम तो दिव्या को तो चोदने दोगे नहीं मुझे।
राजेश: क्या अंकल आप भी, दिव्या नहीं मानने वाली, वो ऐसी नहीं है।
लाला: ये तो तुम सोचते हो। अगर तुम मौका दो तो वो खुद मेरे लंड पर कूदेगी।
राजेश: वो दिन कभी नहीं आएगा अंकल लेकिन आप दोनों को देख अब मुझे लगता है मुझे भी अपनी प्यास बुझा लेनी चाहिए।
लाला: इतनी जल्दी क्या है, अभी तुम्हारी एनिवर्सरी का केक भी काटना है।
राजेश: आपने भी कितनी मेहनत की है मेरे लिए।
लाला: हाँ, मुझे पता था तुम्हारे बस की तो कुछ करना है नहीं, आज सब मुझे ही करना है।
राजेश बात तो कर्नल से कर रहा था पर उसकी नजर दोनों की चुदाई पर ही टिकी हुई थी। कर्नल भी रेणुका की जबरदस्त चुदाई कर रहा था।
कर्नल राजेश को भी ज्वाइन करने का इशारा करता है, राजेश का भी मन था पर आज वह दिव्या की ही लेना चाहता था, वैसे भी उसे डर था कि कहीं दिव्या न आ जाए।
राजेश जल्द ही शावर लेकर वहाँ से निकल जाता है पर अब उसके लिए भी खुद को रोक पाना मुश्किल था।
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Re: Adultery दिव्या का सफ़र
जब राजेश अपने कमरे में पहुँचा तो दिव्या कपडे बदल कर पहले ही बेड पर लेटी थी, राजेश की आने की आहट सुन वो अपनी आँखे बंद कर लेती है क्योंकि वो उससे भी नाराज थी। राजेश एक-दो बार दिव्या को आवाज देता है पर कोई जवाब न आता देख वो दिव्या के बदन को निहारने लगता है।
दिव्या का पेटिकोट उसके घुटनों के ऊपर चढ़ा हुआ था, राजेश दिव्या की मांसल जांघों को निहारने की कोशिश करता है पर उसके लिए दिव्या की साड़ी को और ऊपर करना ज़रूरी था, राजेश थोड़ा झुकता है और दिव्या की टांगों पर हाथ रख उसकी साड़ी में डालने लगता है।
राजेश के ऐसे छूने से उसके बदन में एक करंट सा दौड़ जाता है पर वो राजेश को और तड़पाने का निश्चय कर लेती है और अपनी आँखे बंद ही रखती है।
राजेश भी दिव्या की तेज़ होती साँसों को देख समझ जाता है कि दिव्या जागी है। वो अपने हाथों को और ऊपर उसकी गांड की ओर ले जाने लगता है तो दिव्या करवट ले लेती है और कमर के बल लेट जाती है।
राजेश: और कितना नाटक करोगी जान, मुझे पता है तुम जागी हुई हो।
दिव्या अभी भी कुछ जवाब नहीं देती तो राजेश उसके ऊपर आकर उसकी गर्दन पर किस करने लगता है पर दिव्या तो जैसे कसम खा कर बैठी थी कि आज आँख नहीं खोलेगी।
राजेश: अच्छा ठीक है अभी बताता हूँ तुम्हें।
इतना कह राजेश अचानक दिव्या के पेट से हाथ फेरता हुआ उसकी साड़ी में डाल देता है। अगले ही पल दिव्या की चूत राजेश के हाथ में थी, अब दिव्या के लिए नाटक करना नामुमकिन था। वो झट से बिस्तर से उठ कर खड़ी हो जाती है पर उसकी साड़ी का पल्लू राजेश की पकड़ में आ जाता है, जिससे उसकी साड़ी उसके बदन से अलग हो जाती है।
राजेश भी उसकी ओर बढ़ जाता है। दिव्या की नज़रे राजेश की नज़रों में ही खो सी गई थी, उसका सारा गुस्सा कहीं गायब हो चुका था वो बस उसकी नज़रों में देख रही थी, कब वो पीछे होते हुए दीवार से सट गई उसे पता नहीं चला। राजेश भी दिव्या के नज़दीक जा कर उसके होठों पर अपने होठ रख देता है, अगले ही पल दोनों एक दूसरे के मुंह में मुंह डालकर चूमना शुरू कर देते हैं।
दिव्या का पेटिकोट उसके घुटनों के ऊपर चढ़ा हुआ था, राजेश दिव्या की मांसल जांघों को निहारने की कोशिश करता है पर उसके लिए दिव्या की साड़ी को और ऊपर करना ज़रूरी था, राजेश थोड़ा झुकता है और दिव्या की टांगों पर हाथ रख उसकी साड़ी में डालने लगता है।
राजेश के ऐसे छूने से उसके बदन में एक करंट सा दौड़ जाता है पर वो राजेश को और तड़पाने का निश्चय कर लेती है और अपनी आँखे बंद ही रखती है।
राजेश भी दिव्या की तेज़ होती साँसों को देख समझ जाता है कि दिव्या जागी है। वो अपने हाथों को और ऊपर उसकी गांड की ओर ले जाने लगता है तो दिव्या करवट ले लेती है और कमर के बल लेट जाती है।
राजेश: और कितना नाटक करोगी जान, मुझे पता है तुम जागी हुई हो।
दिव्या अभी भी कुछ जवाब नहीं देती तो राजेश उसके ऊपर आकर उसकी गर्दन पर किस करने लगता है पर दिव्या तो जैसे कसम खा कर बैठी थी कि आज आँख नहीं खोलेगी।
राजेश: अच्छा ठीक है अभी बताता हूँ तुम्हें।
इतना कह राजेश अचानक दिव्या के पेट से हाथ फेरता हुआ उसकी साड़ी में डाल देता है। अगले ही पल दिव्या की चूत राजेश के हाथ में थी, अब दिव्या के लिए नाटक करना नामुमकिन था। वो झट से बिस्तर से उठ कर खड़ी हो जाती है पर उसकी साड़ी का पल्लू राजेश की पकड़ में आ जाता है, जिससे उसकी साड़ी उसके बदन से अलग हो जाती है।
राजेश भी उसकी ओर बढ़ जाता है। दिव्या की नज़रे राजेश की नज़रों में ही खो सी गई थी, उसका सारा गुस्सा कहीं गायब हो चुका था वो बस उसकी नज़रों में देख रही थी, कब वो पीछे होते हुए दीवार से सट गई उसे पता नहीं चला। राजेश भी दिव्या के नज़दीक जा कर उसके होठों पर अपने होठ रख देता है, अगले ही पल दोनों एक दूसरे के मुंह में मुंह डालकर चूमना शुरू कर देते हैं।