संक्रांति काल - पाषाण युगीन संघर्ष गाथा

User avatar
Kamini
Novice User
Posts: 2188
Joined: 12 Jan 2017 13:15

Re: संक्रांति काल - पाषाण युगीन संघर्ष गाथा

Post by Kamini »

नए सदस्यों के आगमन के चिन्ह



अम्बी में भावनात्मक व शारीरिक परिवर्तन होते देख जादौंग विस्मित था ,मगर अम्बी को शायद इसका कारण समझ आ चुका था । जब ऐसे ही परिवर्तन अपनी जननी मेंं दृष्टिगत
हुए थे अम्बी को तब उसे हर बात बारीकी से समझाई थी
धारा ने । इसीलिए उसे अपने गर्भ मेंं पलते जीव का पूरी तरह
भान था ।

जादौंग की जिज्ञासा को बडी सहजता से अम्बी ने सुलझा
दिया । गुफा के द्वार पर ही विशालकाय वृक्ष की टहनी पर
एक पंछी युगल के परिवार में नन्हे चूजे का आगमन हुआ,
इस जोड़े को कल्लोल करते अकसर जादौंग व अम्बी मग्न
होकर देखा करते थे । चूजे को दिखाकर अम्बी ने अपने
पेट की ओर इशारा किया तथा मुसकुरा कर पलकें झुका
लीं । कुछ ही देर मेंं जादौंग समझ गया कि उसके और
अम्बी के प्रेम को पूर्णता मिलने वाली है ,उनकी गुफा का
विस्तार होने जा रहा है ।

घंटों तक उल्लसित जादौंग बच्चों की तरह अठखेलियाँ करता रहा ,पेड़ों की टहनियों पर झूलता ,हिरणों के साथ कुँलाचें
भरता ,मानो सभी के साथ अपनी खुशी साझा करने का
पागलपन सवार हो गया हो उसपर । अम्बी उसकी इन
हरकतों को देख घंटों खिलखिलाती रही ।






नाराजगी और पश्चाताप

अम्बी के गर्भ का समय शायद पूर्ण हो आया था ,पीड़ा की
वजह से व्यवहार में चिड़चिड़ापन भी बढ़ रहा था । अभी
जरा भी भारी कार्य नहीं कर पा रही थी अम्बी । ऐसा नहीं
कि जादौंग उसका खयाल नहीं रख रहा था ,उसके कार्य
व्यवहार मेंं एक जिम्मेदार पति की झलक दिख रही थी ,
शिकार करने के बाद माँस पकाना ,और शक्तिवर्धक पेय
बनाना भी सीख लिया था उसने ।
कभी कभी ,शायद कार्य की अधिकता से अम्बी पर खीज
भी उठता ,मगर कुछ ही देर में खुद से ही शांत भी हो जाता ।

मगर आज दोनों ही अधिक आक्रोशित हो गए । जादौंग
का बनाया जड़ी बूटियों का शक्तिवर्धक पेय को भी अम्बी
ने रूठकर फैंक दिया और जादौंग गुस्से में पैर पटकता ,
जंगल की ओर चला गया ।

दरअसल जादौंग को अम्बी से पुरुष संतान की अपेक्षा है
और अम्बी मादा संतान चाहती है । जादौंग सोचता है कि
गुफा और परिवार की सुरक्षा पुरुषों द्वारा ही हो सकती है,
जबकि अम्बी सोचती है कि मादा सुरक्षा करने में भी सक्षम
है तो पोषण भी वही करती है ।

जादौंग के जाने के बाद काफी देर तक अम्बी रोती रही ।
भाँऊ उसके पैरों को चाटता हुआ उससे अपनी हमदर्दी


व्यक्त करता रहा , फिर गुफा के भीतर से कुछ फल उठा
कर अम्बी के लिए ले आया ,और पूँछ हिलाकर अम्बी से
अनुनय करता रहा कि वह कुछ खाले ।

आँसुओं के बहने से जब दिल हलका हो गया तो शांत
होकर अम्बी ने कुछ फल खा लिए और भाँऊ को भी
थोड़ा माँस खाने को दिया । उसे लग रहा था कि जादौंग
भी थोड़ी ही देर मेंं लौट आएगा पछताकर ।

पर सूर्यास्त होने पर भी जब जादौंग नहीं आया तो अम्बी
को चिंता और घबराहट होने लगी । उसने जंगल की ओर
जाने का निश्चय किया । उसने भाँऊ को साथ लिया और
बड़ी कठिनाई से दस ही कदम चली कि अचानक से होने
लगी तेज पीड़ा ने उसके पाँव अवरुद्ध कर दिया ।तेज चीख के साथ अम्बी वहीं बैठ गई ।

भाँऊ उसे उठाने के प्रयास मेंं उसके चारों तरफ गोल गोल
चक्कर काटते हुए भौंकने लगा , पर शायद अम्बी पर मूर्छा
छा रही थी ,उसकी आँखें धुँधलाने लगी थीं । अचानक
मौसम में भी भयानक परिवर्तन दिखाई देने लगे । बिजलियाँ
कड़कने लगीं ,काले गहरे घन आकाश मेंं छा गए । लग रहा था कि भारी तूफान आने को है ।

बारिश चालू हो गई ,और बूंदों से अम्बी की मूर्छा भी टूट
गई । पर उसके अंदर खड़े होकर गुफा के भीतर जाने की शक्ति भी शेष ना थी । धूँधली नजरों से वो भाँऊ को


जंगल की ओर भागते हुए देख पा रही थी ।

अम्बी ने रेंगते हुए गुफा मेंं जाने का प्रयास किया गुफाद्वार
तक आते आते उसकी हिम्मत जवाब दे चुकी थी । कीचड़
में लथपथ अम्बी एक चट्टान की आड़ में अधलेटी अवस्था
मेंं टिक गई । दर्द असह्य होता जा रहा था और रह रहकर
उसके गले चीखें निकल रही थी । पहली बार अम्बी को
अपने अकेले होने का अहसास डरा रहा था । बारिश के
शोर के साथ उसे अचानक हिंसक गुर्राहट का स्वर सुनाई
दिया ।

इससे पहले कभी किसी गुर्राहट ने अम्बी को इस कदर
नहीं डराया था , डर और दर्द का मिलाजुला असर उससे
उसकी चेतना छीनना चाहता था,मगर वो जानती थी
कि इसका परिणाम ना सिर्फ उसके लिए बल्कि उसकी
संतान के लिए भी घातक होता । गुर्राहट का स्वर उसे
अपने करीब आता महसूस हुआ । कुछ ही कदमों की
दूरी पर दो जोड़ी आँखें चमकती नजर आई उसे
खतरा बहुत समीप था उसके । दर्द भी बढकर चरम पर
आ गया था । दर्द से तड़पती हुई अम्बी पूरी शक्ति लगाकर चीखी थी शायद नये मेहमान ने उस बरसात को महसूस करने के लिए पूरी शक्ति लगाकर अम्बी का साथ दिया ।
हाँ वह आ चुके थे अम्बी व जादौंग के परिवार का हिस्सा बनने को । एक नहीं तीन संतान एक बेटी और दो बेटे ।
शादी का मन्त्र viewtopic.php?t=11467

हादसा viewtopic.php?p=164372#p164372

शैतान से समझौता viewtopic.php?t=11462

शापित राजकुमारी viewtopic.php?t=11461

संक्रांति काल - पाषाण युगीन संघर्ष गाथा viewtopic.php?t=11464&start=10
User avatar
Kamini
Novice User
Posts: 2188
Joined: 12 Jan 2017 13:15

Re: संक्रांति काल - पाषाण युगीन संघर्ष गाथा

Post by Kamini »

अम्बी के चेहरे पर मु्स्कान की जगह भय ने ले ली वो दो शैतान शायद इसी मौके की ताक में थे।उन गलीच लक्कड़बग्घों के मुख से टपकती लार को देखकर तो
यही अनुमान हो रहा था गुर्राहट के साथ एक आगे बढा,अम्बी ने देवता से मदद माँगी



भाँऊ के भौंकने की ध्वनि ने जादौंग की तंद्रा भंग की,
वो एक वृक्ष के सूखे तने पर बैठ कर बारिश में भीगते
हुए अम्बी के साथ करे अपने रूखे व्यवहार पर पछता
रहा था । भाँऊ के भौंकने का तरीका जादौंग को स्पष्ट
कर चुका था कि अम्बी ठीक नहीं है । वह बिना पल भी
भी गँवाए अपनी गुफा की ओर दौड़ पड़ा ।

भाऊँ और जादौंग दौड़ते हुए गुफा की और जा रहे थे।
अम्बी की दर्द से भरी चीख सुनकर जादौंग का दिल बेठने लगा था की गुफा द्वार के पास चमकती दो जोड़ी आँखों
को देखकर अनिष्ट की आशंका से काँप उठा उसने वहीं से अपना अस्त्र उन चमकती आँखों पर फैंक कर मारा।
तेजी से आता हुआ जादौंग का भाला आगे वाले हैवान के जिस्म में घुसकर उसे काफी दूर तक खींचता चला गया
दूसरा शायद खतरा भाँप कर पहले ही भाग चुका था ।
सुरक्षित होने के अहसास के साथ धीरे धीरे अम्बी की
आँखें मुँदने लगीं ।



जादौंग ने बेसुध अम्बी को कंधे पर उठाया ही था की अपने प्रेम के साकार स्वरूप पर दृष्टि पड़ी ,जिनका रोना भी घबराहट में सुन नहीं पाया था वह आँखों से आँसुओं के साथ उसकी समस्त कुंठाएँ और अपराधबोध पूरी तरह बह गया था । पिता बनने का अहसास तो हर काल में समान ही सुख देता है ना फिर चाहें सभ्यता कोई भी हो ..भावना रिवाजों के दायरे में कहाँ आती हैं।

बारिश पूरी रात पड़ती रही , प्रकाश के देवता ने धरा पर लालिमा बिखरा दी थी जितनी भयानक रात उतनी ही खुशनुमा सुबह है आज ।जादौंग नन्हे शिशुओं को निहारता अम्बी के बालों को सुलझाने का यत्न करता उसके सिर
को सहला रहा था । अम्बी पुलकित नयनों से शिशुओं को निहार रही थी।
शादी का मन्त्र viewtopic.php?t=11467

हादसा viewtopic.php?p=164372#p164372

शैतान से समझौता viewtopic.php?t=11462

शापित राजकुमारी viewtopic.php?t=11461

संक्रांति काल - पाषाण युगीन संघर्ष गाथा viewtopic.php?t=11464&start=10
User avatar
Kamini
Novice User
Posts: 2188
Joined: 12 Jan 2017 13:15

Re: संक्रांति काल - पाषाण युगीन संघर्ष गाथा

Post by Kamini »

(^%$^-1rs((7)
शादी का मन्त्र viewtopic.php?t=11467

हादसा viewtopic.php?p=164372#p164372

शैतान से समझौता viewtopic.php?t=11462

शापित राजकुमारी viewtopic.php?t=11461

संक्रांति काल - पाषाण युगीन संघर्ष गाथा viewtopic.php?t=11464&start=10
User avatar
Kamini
Novice User
Posts: 2188
Joined: 12 Jan 2017 13:15

Re: संक्रांति काल - पाषाण युगीन संघर्ष गाथा

Post by Kamini »

◆◆◆◆◆【5】◆◆◆◆◆


रात की घटना ने जादौंग को बड़ा सबक दिया था ।उसने सुरक्षा के विषय में गंभीरता से सोचना शुरू कर दिया ।
धीरे धीरे प्रगति करते हुए जादौंग के परिवार में भाऊँ के अतिरिक्त दो कुत्ते नर और एक मादा कुत्ती भी जुड़ चुके
थे ।



पहले गुफा मानवों का ये परिवार जो पूरी तरह से शिकार
पर निर्भर था ,अब फलों व कन्दमूलों का उपयोग ज्यादा बेहतर तरीके से करना सीख गए थे। चूँकि अम्बी की अपनी जननी धारा के समय से ही वनस्पतियों मे अधिक रूचि
रहती थी ,अनेक पेड़ पौधों व जड़ों के चिकित्सकीय गुणों
को समझने लग गयी थी । लकड़ी के पहिये के अविष्कार
ने शिकार व फल, कंद-मूलादि एकत्रित करना सहज हो
गया था ,बच्चों ने तो अपने खेलने के लिए भी गाड़ी बना
ली थी ।खाल के वस्त्र से शरीर ढंकना भी प्रचलन में आ
चुका था ।

अब अंबी ,जादौंग के साथ शिकार पर नहीं जाती थी ,
अपने बच्चों के साथ वन से फलों व कंदमूलादि इकट्ठा करती ,और गुफा पर लौटकर आग जला कर उन जडों
व फलों पर प्रयोग करती ।

जादौंग शिकार से आकर बच्चों के साथ मिलकर अम्बी
को फलों और जड़ो को भूनते व उबालते देखता तो हँस
कर खिल्ली उड़ाता । जिससे चिढकर अम्बी मूँह को गुब्बारे की तरह फुला लेती थी । बच्चे सारे के सारे जादौंग पर
झूल जाते तो वह अपने लम्बे बाजुओं पर उन्हे झुलाता
और पूरी गुफा बच्चों की किलकारियों से गूँज उठती ।
शादी का मन्त्र viewtopic.php?t=11467

हादसा viewtopic.php?p=164372#p164372

शैतान से समझौता viewtopic.php?t=11462

शापित राजकुमारी viewtopic.php?t=11461

संक्रांति काल - पाषाण युगीन संघर्ष गाथा viewtopic.php?t=11464&start=10
User avatar
Kamini
Novice User
Posts: 2188
Joined: 12 Jan 2017 13:15

Re: संक्रांति काल - पाषाण युगीन संघर्ष गाथा

Post by Kamini »

ऐसा नहीं है की अन्य कहीं और गुफामानव भी ऐसा ही जीवन जी रहे होंगे , दरअसल सम्पूर्ण धरा पर ही सभ्यताएँ अस्तित्व में आ चुकी थीं और हम यह नहीं कह सकते की समान रूप से ही विकसित रही हों । बहुत से कारक जैसे भौगोलिक स्थिति ,वातावरण,पशुओं की उपलब्ध जातियाँ आदि उनके विकास की गति में निश्चित रूप से फर्क लाते
रहे होंगे ।

पर चूँकि उस काल का मनुष्य पशुओं से मात्र इतनी भिन्नता रखता था की उसने जीवन में सामाजिकता की जरूरत
को समझना व छोटे स्तर पर यंत्रों का इस्तेमाल व आग
का प्रयोग करने का ज्ञान रखता था । इसलिए आमतौर पर आदिम मानवों को अपने आसपास का जितना दिखाई देता था ,शायद उसके आगे की दुनिया की वे कल्पना ही नहीं
कर पाते होंगे। अम्बी व जादौंग का परिवार अधिक तेज
गति से विकास कर रहा था क्योंकि अम्बी की बौद्धिक
क्षमता उस काल के मानवों से बहुत बेहतर थी और जादौंग की भी कल्पनाशीलता अद्भुत थी । वह दोनों ही भावी घटनाओं का पूर्वानुमान लगाया करते और उसी आधार
पर नई तैयारियां किया करते ।

वैसे तो अम्बी और जादौंग के लिए तो उनके पास उपस्थित उनका परिवार ही उनका समाज था । पर चूँकि वे पूरी तरह अपने परिवार की संख्या और क्षमता पर ही निर्भर थे ,


उनके द्वारा हासिल प्रत्येक उपलब्धि उनके विशेष कोशल
का प्रतीक थी उनकी प्रत्येक खोज उनकी आवश्यकताओं पर केन्द्रित थीं ।




ऐसे ही आराम से जीवन कट रहा था । आठ वर्ष गुजर गए जादौंग और अम्बी के साथ रहते हुए । अम्बी ने जादौंग के संसर्ग से चार बार प्रजनन के द्वारा तीन पहली संतानों के
अतिरिक्त आठ संतान और उत्पन्न की । उनकी कुल ग्यारह संतानों मेंं चार मादा व सात पुरुष संतान हैं । ये संख्या तेरह
होती यदि अंतिम दो संतान जन्म लेते ही मर ना गई होती।


सदमा

इस बार अम्बी की गर्भावस्था के दौरान जादौंग के स्वभाव
में अचानक बहुत ज्यादा बदलाव आ गया था । हमेशा परिवार के साथ खुश रहने वाला जादौंग , अचानक अपने
आप मेंं खोया हुआ रहने लगा । ना वो अम्बी से ही बात
कर रहा था ,ना ही बच्चों के साथ खेलता ।

अम्बी गर्भवती होने के बाद भी अपने सभी कार्य तत्परता
से करती और बच्चों को भी वन में ले जाकर जड़ी बूटियों तथा कंद,मूल ,फलादि की पहचान करवाती और दोपहर


तक उन्हें एकत्रित कर वापस गुफा पर आ जाती थी। उसके
पश्चात भी थकान को चेहरे पर नहीं आने देकर जादौंग का
स्वागत प्रफुल्लित होकर करती , मगर जादौंग के बर्ताव
में रूखापन उसे तोड़ देता था।बात बात पर उन दोनों के
मध्य विवाद उत्पन्न होने लग गए ।

उस दिन अंबी और जादौंग में बच्चों के कार्य बांटने पर
विवाद हो गया था । अम्बी चाहती थी की उसकी चारों
मादा संतान खाना पकाने के साथ साथ शिकार करना
भी सीखें , पर जादौंग का मन इस पर सहमत नहीं था।
वह भी शायद अब पुरुषों वाला दंभ पालने लग गया
था । विवाद इतना बढा की कई दिनों तक दोनो ने
एक दूसरे के साथ सोना ही नहीं वार्तालाप भी बंद कर
दिया ।

पर अम्बी के नारी हृदय में जादौंग के चेहरे पर तनाव और दुख देख करुणा उत्पन्न होने लगी और अपने अहं को त्याग उसने विचार किया की आज जादौंग को मना कर उसका तनाव उतार देगी । रात गहराने पर भी जब जादौंग वन से वापस नहीं आया तो अनिष्ट की आशंका से अम्बी का दिल घबराने लग गया पूरी रात वह तारों को देखती रही ।


जब भी नींद आने लगती किसी पत्ते की आहट में जादौंग
का अंदेशा कर उठ बेठती । बच्चे उसे घेरकर निश्चिंत सो
रहे थे शीत का अहसास हुआ तो देखा लकड़ियाँ बुझ चुकी

थीं और बच्चे एक दुसरे में सिमटकर अपने शरीर को ठंड
से बचा रहे थे , वह उठी और खालों से बने लबादे लाकर सभी बच्चों को ढ़क दिया ,एक लबादा कुत्तों को उढ़ा दिया।
द्वार की शिला पर बैठकर अतीत के पन्ने पलटने लगी और सोचते सोचते कब आँख लग गई उसकी पता ही नहीं चला ।

सूर्य की पहली किरण के आगमन के साथ ही उसकी नींद खुल गई , जादौंग अभी तक वापस नहीं आया था।बच्चों
को सोता देखकर अम्बी जादौंग को खोजने निकल पड़ी। उसने भाँऊ को साथ लिया और बच्चों की सुरक्षा के लिए बाकी दोनों कुत्तों को वहीं गुफा पर छोड़ दिया ।

उसे अनुमान था वन के उन हिस्सों का जहाँ जादौंग
अमूमन जाया करता था , पहाडी वन में एक झरना था
जहाँ कई बार वो जादौंग के साथ जा चुकी थी । वो
झरना एक गुफा मुख के ऊपर से झरता था और यूँ
प्रतीत होता था मानों गुफा पर पानी से बनी दीवार हो ।
पहले भी जादौंग अम्बी से नाराज होकर दो दिन तक
उस झरने वाली गुफा में आकर रुका था ,उसे लगा की
आज भी वो उसे वहीं मिलेगा । पर इस हाल में इस
दृश्य का अनुमान नहीं लगा पाई थी अम्बी ,लगा पाती
तो कभी अपने अंतर्मन को ये दर्द दिलाने कभी यहाँ
नहीं आती।
शादी का मन्त्र viewtopic.php?t=11467

हादसा viewtopic.php?p=164372#p164372

शैतान से समझौता viewtopic.php?t=11462

शापित राजकुमारी viewtopic.php?t=11461

संक्रांति काल - पाषाण युगीन संघर्ष गाथा viewtopic.php?t=11464&start=10
Post Reply