एक बार ऊपर आ जाईए न भैया

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jay
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Re: एक बार ऊपर आ जाईए न भैया

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अब बस हम दोनों भाई-बहन और अंकल घर पर थे। मैंने मौका ठीक समझा तो कहा, "अंकल अगर आप बूरा न माने तो एक बात कहूँ..."। मैं और विभा अंकल के सामने एक ही सोफ़ा पर बैठे हुए थे।

जब अंकल ने मुझे प्रश्नवाचक नजरों से देखा तो मैंने बेशर्म की तरह कह दिया, "रात में तो हम लोग थक कर सो गए थे, फ़िर सुबह मौका मिला नहीं और कुछ दिन में हम लौट भी जाएंगे... तो क्या करीब आधा घन्टा हम दोनों अकेले एक कमरे में जा सकते हैं"... कहते हुए मैंने विभा की कमर के गिर्द अपने हाथ लपेट दिया।

अंकल समझ कर मुस्कुराए और फ़िर कहा, "ठीक है, पर आंटी के आने के पहले बाहर आ जाना..."।

मैंने कहा, "बस घडी देख कर आधा घन्टा से ज्यादा नहीं लगेगा"।

वो मुस्कुराते हुए हमे अपने बेडरूम में ले गए और बोला, "इस कमरे से बाथरूम अटैच है तो सुविधा होगी बाद के लिए"।

मैंने थैन्क-यू कहा और फ़िर विभा को कमरे में खींच लिया। मैंने दरवाजा वैसे हीं छोड दिया, पर अंकल थोडा सज्जन थे, वो टीवी खोल कर बैठ गए।

विभा ने दरवाजे की तरफ़ इशारा किया तो मैंने कहा, "चल आ जल्दी से ऐसी ही न रंडी-गिरी की डीग्री मिलेगा तुमको", और फ़टाफ़ट उसके कपडे उतार दिए। मेरा लन्ड तो कमरे में घुसते समय हीं लहराने लगा था सो मैंने उसको अंकल की बिस्तर पर लिटा कर उसकी झाँटों वाले चूत चाटने लगा, जल्दी हीं उसके मुँह से सिसकी निकलने लगी थी। मैंने फ़िर उसको सीधा लिटा कर चोदना शुरु कर दिया। थप्प-थप्प की आवाज होने लगी थी और मेरे धक्कों पर कभी-कभी विभा के मुँह से कराह निकल जाती... मुझे पक्का भरोसा था कि अंकल को हमारी चुदाई की आवाज सुनाई दे रही होगी। करीब ८ मिनट की धक्कमपेल चुदाई के बाद मैं उसकी चूत के भीतर हीं झड गया और मेरा सब माल उसकी बूर से बह निकला। मैंने अब अपने रुमाल से उसकी चूत पोछी, पर कुछ माल उसकी बूर में भीतर ही रह गया।


फ़िर जब हम कपडे पहनने लगे तो मैंने कहा, "ऐसे हीं बिना पैन्टी के ही जीन्स पहन लो, पैन्टी गन्दा हो जाएगा... अभी जब खडा हो कर चलोगी तो मेरा कुछ पानी तो तुम्हारे बूर से रिसेगा हीं बाहर"।

विभा भी मेरा बात मान ली और फ़िर जीन्स सीधे पहन कर अपने पैन्टी को अपने जीन्स की जेब में ठुँस लिया। जब वो उठी तो मैंने देखा कि उसकी बूर का रज और मेरा वीर्य उस बिस्तर पर थोड़ा सा लगा गया था और करीब एक ईंच व्यास का गीला दाग बना दिया था। फ़िर हम बाहर आ गए, कुल करीब ३८ मिनट हमने लिया था।

अंकल हमे देख कर मुस्कुराए और कहा, "तुम दोनों का चेहरा देख कर लगता है बहुत मेहनत करना हुआ है जल्दी के चक्कर में", फ़िर विभा को देखते हुए बोले, "इसका तो चेहरा लाल भभूका हो गया है जल्दी से पानी से चेहरा धो लो, वर्ना आंटी को सब समझ में आ जाएगा ऐसा चेहरा देख कर"।

विभा तुरंत डायनिंग टेबल के पास के वाश-बेसीन पर चली गई। हम दोनों मर्द एक-दूसरे को देख कर मुस्कुराए।

अंकल ने मुझे देख कर कहा, "बधाई हो.... मेरे बिस्तर पर लाल दाग तो नहीं लगा दिया"।

मैंने कहा, "अरे नहीं अंकल, पहले से भी मेरे साथ सो रही है, ऐसी नहीं है... नहीं तो ऐसे शान्ति से सब होता कि रोना-चीखना भी होता"।

मेरी बात सुनकर वो बुढा ठहाका लगा कर हँस पडा। विभा की कमर पर नजर गडाए हुए वो कहा, "इसकी पैन्ट कहाँ गई गुड्डू जी, कहीं बिना पैन्ट उतारे भीतर तो नहीं उसको ठेल दिए...",

अब फ़िर से हम दोनों का जोरदार ठहाका लगा।

मैंने कहा, "नहीं, उसकी जेब में है.... अभी पहनती तो गन्दा हो जाता न, सब भीतर ही था जब हम हटे थे"।

वो समझ गया और बोला, "बहुत गजब का है वो पैन्ट भी"।

तभी विभा अपना चेहरा तौलिया से पोछती हुई वहाँ आई तो मैंने उसको कहा, "डार्लिंग डीयर... जरा अपना पैन्टी अंकल को दिखाओ न, बेचारे के टाईम में ऐसा तो होता नहीं था"।

विभा तो शर्म से लाल हो गई पर उसने बिना हिचके अपने जेब से उस छोटी सी लाल पैन्टी को जेब से निकाल कर अंकल के हाथ में दे दिया और उस ठरकी बुढे ने उस पन्टी को ऊलट-पुलट कर खुब प्यार से देखा और फ़िर कहा, "हमारी ऐसी किस्मत कहाँ थी कि ऐसी को लडकी की कमर से उतारते..., कभी फ़ोटो में भी किसी को ऐसी चीज में नहीं देखा"।

मैंने तब कहा, "डार्लिंग एक बार अंकल को जल्दी से पहन कर दिखा ही दो, बेचारे को इतनी कीमत तो देनी ही चाहिए, आखिर हम उनका बिस्तर इस्तेमाल किए हैं"।

विभा को अपना झान्ट को ले कर कन्फ़्युजन था, पर मैंने अंकल को कह दिया, "अंकल असल में बेचारी अपना बाल साफ़ की नहीं है सो ऐसा खुले में पहनना चाह नहीं रही है, वो तो कमर पर ऐसी डोरी दिखाने के फ़ैशन के चक्कर में पहन ली थी"।

अंकल को जब मौका मिल रहा था यह सब देखने का तो बोले, "अरे तो कोई बात नहीं है, मुझे तो यह पैन्ट देखना है कि कैसी लगती है बाकी चीज थोड़े न देखना है"। उनकी मुस्कुराहट सब कह रही थी तो मैंने विभा को इशारा किया और वो अंकल के हाथ से पैन्टी ले कर फ़िर से कमरे की तरफ़ मुडी तो मैंने कहा, "इस पैन्टी को पहनने के लिए कहीं जाने की क्या जरुरत है, यही पहन लो... वैसे भी जैसे अंकल ने नोटीस किया ऐसे ही आंटी भी तुम्हें बिना पन्टी के देख कर बेचारे अंकल का जीना हराम कर देगी"। हम दोनों हँस पडे और विभा समझ गई कि मेरी इच्छा है कि वो वहीं हमारे सामने पैन्टी पहने। उसने फ़ट से अपने जीन्स की बट्न को खोल कर उसको उतार दिया और उसकी झांटों भरी चूत हम दोनों के सामने थी।

मैं खुश था कि विभा मेरा कहा मान कर बेशर्म की तरह मेरा सहयोग कर रही थी।

अंकल ने अपनी जेब से रुमाल निकाल कर कहा, "पोछ कर साफ़ कर लो फ़िर पहनना...",

विभा भी आराम से अंकल के रुमाल सफ़ेद रुमाल में अपनी चूत को पोछी और फ़िर अपने फ़ाँक को थोडा खोल कर भी साफ़ किया। रुमाल पर उसकी चूत का गीला पन अपना दाग बना दिया था। फ़िर उसने पैन्टी पहन ली।

अंकल की नजर लगातार सिर्फ़ और सिर्फ़ उसकी बूर पर थी। विभा ने फ़िर जीन्स पहन लिया तब जा कर अंकल को होश आया। वो अब आराम से बैठे और कहा, "थैन्क यू", उनकी साँस गर्म हो गई थी और वो रुमाल को ले कर अपने जेब में रख लिए।

मैंने कहा, "अब यह रुमाल तो शायद नहीं धुलेगा..."।

अंकल ने भी हँसते हुए कहा, "सही कह रहे हैं गुड्डू जी आप, अब यह बिल्कुल नहीं धुलेगा... आज जो हुआ वह रोज थोडे न होता है जिन्दगी में। यह आज का यादगार रहेगा"। हम हम दोनों हँस पडे और विभा मुस्कुरा दी। फ़िर हम बातें करने लगे।


करीब १० मिनट बाद आंटी आ गयी और हम सब नाशता-वाश्ता करके करीब ११.३० में अंकल के साथ हीं उनकी गाड़ी से निकले, वो हमें होटल में ड्रौप करते हुए औफ़िस चले गये। विभा रूम में पहुंच कर नकली नाराजगी दिखा रही थी कि मैंने क्यों ऐसा व्यवहार किया था अंकल के सामने। फ़िर उसने कहा कि अब वो सोएगी, तो मैंने भी उसको परेशान नही किया और सोने दिया। वो बेड पर सो गई और मैंने टीवी खोल लिया। फ़िर आधे घन्टे बाद मैं भी अलग बिस्तर पर सो गया।
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(Romance अनमोल अहसास Running )..(एक बार ऊपर आ जाईए न भैया Running )..(परिवार में हवस और कामना की कामशक्ति )..(लेखक-प्रेम गुरु की सेक्सी कहानियाँ running)..(कांता की कामपिपासा running).. (वक्त का तमाशा running).. (बहन का दर्द Complete )..
( आखिर वो दिन आ ही गया Complete )...(ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगाना complete)..(ज़िद (जो चाहा वो पाया) complete)..(दास्तान ए चुदाई (माँ बेटी बेटा और किरायेदार ) complete) .. (एक राजा और चार रानियाँ complete)..(माया complete...)--(तवायफ़ complete)..(मेरी सेक्सी बहनेंcompleet) ..(दोस्त की माँ नशीली बहन छबीली compleet)..(माँ का आँचल और बहन की लाज़ compleet)..(दीवानगी compleet..(मेरी बर्बादी या आबादी (?) की ओर पहला कदमcompleet) ...(मेले के रंग सास,बहू और ननद के संग).


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(फैमिली में मोहब्बत और सेक्स (complet))........(कोई तो रोक लो)......(अमन विला-एक सेक्सी दुनियाँ)............. (ननद की ट्रैनिंग compleet)..............( सियासत और साजिश)..........(सोलहवां सावन)...........(जोरू का गुलाम या जे के जी).........(मेरा प्यार मेरी सौतेली माँ और बेहन)........(कैसे भड़की मेरे जिस्म की प्यास)........(काले जादू की दुनिया)....................(वो शाम कुछ अजीब थी)
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jay
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Re: एक बार ऊपर आ जाईए न भैया

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Re: एक बार ऊपर आ जाईए न भैया

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Romanchak kahani hai. Pratiksha agle rasprad update ki
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