बैंक की कार्यवाही compleet

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jay
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Re: बैंक की कार्यवाही मजे लेकर आई

Post by jay »

सोनल नाश्ता लेकर आई थी। हमने साथ में नाश्ता किया। नाश्ता करते हुए मैंने सोनल को ऑफिस जाने के बारे में बताया। एक बार तो वो नाराज हुई पर मेरे मनाने पर उसने हाफ डे करने के लिए कह दिया। उसकी प्रीत (सोनल की बड़ी बहन जिसको सोनल और आंटी प्यार से रीत ही कहते हैं) शाम को आने वाली थी। वो दिल्ली से जयपुर ट्रेन से आयेगी। नाश्ता करके हम नीचे आ गये और मैं ऑफिस के लिए निकल गया।

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कमर में दर्द के कारण बाइक सही तरह से ड्राइव नहीं कर पा रहा था, इसलिए धीरे धीरे ही चलाते हुए एक घण्टे में ऑफिस पहुंचा। बाईक पर लगे झटकों से कमर का दर्द बढ गया था, इसलिए जाते ही चेयर पर पसर गया। आज रामया और मनीषा में से कोई एक नहीं आई थी, सुमित काम में बिजी था, इसलिए उसे मेरे आने का अहसास नहीं हुआ।
बॉस अंदर ही हैं क्या, मैंने सुमित से पूछा। मेरी आवाज सुनकर उसने चौंकते हुए मेरी तरफ देखा।
क्या बात है बॉस, कहां गायब थे दो दिन से, सुमित ने मेरे पास आते हुए कहा।
उसकी आवाज सुनकर उस लड़की ने भी मेरी तरफ देखा और देखकर मुस्करा दी।
गुडमॉर्निंग, मैंने उस लड़की से कहा।
गुडमॉर्निंग सर, उसने कहा।
तुम्हारा नाम क्या है, मैंने पूछा।

मनीषा सर, उसने कहा।
ये सर सर क्या लगा रखा है, मैं कोई सर नहीं हूं, तुम्हारी तरह ही काम करता हूं, मैंने कहा।
वो दूसरी नहीं आई, मैंने पूछा।
वो आज उसे कुछ काम था, तो इसलिए वो नहीं आई, मनीषा बात करते हुए मुस्करा रही थी।
बॉस हैं क्या अंदर, मैंने सुमित की तरफ देखते हुए कहा।
नहीं आज बॉस अभी तक आये ही नहीं हैं, सुमित ने कहा।
मैंने जेब से मोबाइल निकाला और बॉस को फोन मिलाया। सुमित ने अपनी चेयर मेरे पास कर ली और बैठ गया।
मैं भी आ जाउं, मनीषा ने सुमित की तरफ देखते हुए कहा और फिर मेरी तरफ देखने लगी।
काम नहीं है क्या, मैंने कहा।
तभी बॉस ने फोन उठा लिया। बॉस ने मेरी तबीयत के बारे में पूछा। मैंने उन्हें बताया और कहा कि ऑफिस आ गया हूं। बॉस ने कहा कि उनको अभी दो-तीन घण्टे लगेंगे ऑफिस आने में, तब तक हम काम करें। फोन कटने के बाद मैं सुमित से बातें करने लगा। मैं अभी बातें कर ही रहा था कि मनीषा हमारे पास आ गई।
हाय, उसने मेरी तरफ हाथ बढ़ाते हुए कहा। उसके चेहरे की मुस्कराहट कातिलाना लग रही थी। जब पहले उसे देखा था तो वो कुछ सांवली लग रही थी, लग तो अभी भी रही थी परन्तु अब रंग साफ दिखाई दे रहा था, उतनी नहीं लग रही थी जितनी पहली बार लगी थी।
हाय, मैंने उससे हाथ मिलाते हुए कहा। उसके हाथ की पकड़ मासाअल्लाह, क्या जबरदस्त थी, एकदम जोशीली।
आज उसने सलवार-सूट पहन रखी थी जिसमें उसका कातिलाना फिगर गजब ढ़ा रहा था। बेशक रंग सांवला था, परन्तु तीखे नयन-नक्ख और कर्वी फिगर उसे गोरे रंग वाली लड़कियों से भी ज्यादा कातिल बना रहा था। शायद उसने भी मुझे उसके जिस्म को ताड़ते हुए महसूस कर लिया था, परन्तु उसने कुछ रियक्ट नहीं किया और नोर्मल ही मुझसे बाते करती रही। मैंने उससे उसके एक्सपीरियंस और पहले की नौकरियों के बारे में पूछा। वो मुझे सीनियर समझ रही थी, इसलिए सभी कुछ एकदम सलीके से बता रही थी।
यार, चाय के लिस बोल दो, मैंने सुमित की तरफ देखते हुए कहा। सुमित ने पियोन को चाय के लिए बोला दिया।
अब कैसी है आपकी तबीयत, मनीषा ने चेयर के सहारे खड़े होते हुए पूछा।
अब तो ठीक है, तुम्हें कैसे पता, मैंने कहा।
बॉस कह रहे थे कि आपकी तबीयत ठीक नहीं है, इसलिए आप नहीं आये, मनीषा ने कहा।

बस बुखार हो गया था हल्का सा, मैंने कहा।
हम तीनों बातें करते रहे। कुछ देर बाद पियोन चाय ले आया। चाय पीते हुए हम बातें करते रहे। चाय पीकर हम अपने अपने काम में लग गये।
लंच टाइम में मैंने चाय के लिए बोला। मनीषा घर से खाना पैक करवाकर लाती थी। उसने जबरदस्ती मुझे भी खाना खिलाया। काफी स्वादिष्ट था। लंच टाइम में हमारे बीच काफी दोस्ती हो गई थी।
शाम को 3 बजे के आसपास बॉस आये। मेरी तबीयत के बोर में पूछ कर वो अपने केबिन में चले गये। तभी मेरे सैल पर सोनल का फोन आया। मैं तो भूल ही गया था कि आज आधे दिन के लिए ही आया हूं। मैंने बॉस को तबीयत डाउन होने का कहा और सबको बाये बोलकर घर के लिए निकल गया। कमर का दर्द लगभग खत्म ही हो गया था। फिर भी धीरे धीरे ड्राइव करके ही गया और घर पहुंचते पहुंचते 4 बज गये।
उपर पहुंचा तो वहां छत पर पूरी मंडली लगी हुई थी। आंटी, सोनल, प्रीत, और नवरीत भी वहीं पर थी। वो सभी धूप में बैठे हुए धूप सेक रहे थे।
मैं उनके पास गया और सबको हाय कहा। प्रीत को देख कर एकबार तो मेरा मुंह खुला का खुला हर गया। परन्तु मैंने तुरंत ही अपने मुंह को बंद किया। प्रीत से मैं पहली बार ही मिल रहा था। सोनल ने प्रीत से मेरा परिचय करवाया। प्रीत ने गले मिलकर मुझसे हाय कहा। उसने बदन से गजब की मादक महक आ रही थी। शायद वो कुछ देर पहले ही नहाई हो और उसने कोई बहुत ही कामुम खूशबू प्रयोग की हो। नवरीत से मुझसे गले मिली। उसने गले मिलते हुए एक बार तो मुझे कसके अपनी बांहों मेंं भर लिया। उसका चेहरा उतरा हुआ था, परन्तु फिर भी वो मुस्कराने की कोशिश कर रही थी। सोनल अंदर से एक चेयर ले आई। मैं बैठ गया। आंटी ने मेरी तबीयत के बारे में पूछा। कुछ देर तक हम बैठे हुए बातें करते रहे। फिर धूप जाने के बाद सभी उठ गये। प्रीत और आंटी नीचे चले गये। सोनल, नवरीत और में अंदर आ गये।
हाये, नवरीत ने अंदर आते ही मुझसे कहा और मेरा हाथ पकड़कर वापिस बाहर ले आई।
क्या हुआ, मैंने पूछा। वो मुझे एक तरफ ले आई और एक बार रूम की तरफ देखा। सोनल दरवाजे पर आकर खड़ी थी।
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(एक बार ऊपर आ जाईए न भैया )..(परिवार में हवस और कामना की कामशक्ति )..(लेखक-प्रेम गुरु की सेक्सी कहानियाँ running)..(कांता की कामपिपासा running).. (वक्त का तमाशा running).. (बहन का दर्द Complete )..
( आखिर वो दिन आ ही गया Complete )...(ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगाना complete)..(ज़िद (जो चाहा वो पाया) complete)..(दास्तान ए चुदाई (माँ बेटी बेटा और किरायेदार ) complete) .. (एक राजा और चार रानियाँ complete)..(माया complete...)--(तवायफ़ complete)..(मेरी सेक्सी बहनेंcompleet) ..(दोस्त की माँ नशीली बहन छबीली compleet)..(माँ का आँचल और बहन की लाज़ compleet)..(दीवानगी compleet..(मेरी बर्बादी या आबादी (?) की ओर पहला कदमcompleet) ...(मेले के रंग सास,बहू और ननद के संग).


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(फैमिली में मोहब्बत और सेक्स (complet))........(कोई तो रोक लो)......(अमन विला-एक सेक्सी दुनियाँ)............. (ननद की ट्रैनिंग compleet)..............( सियासत और साजिश)..........(सोलहवां सावन)...........(जोरू का गुलाम या जे के जी).........(मेरा प्यार मेरी सौतेली माँ और बेहन)........(कैसे भड़की मेरे जिस्म की प्यास)........(काले जादू की दुनिया)....................(वो शाम कुछ अजीब थी)
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jay
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Re: बैंक की कार्यवाही मजे लेकर आई

Post by jay »

नवरीत कुछ देर तक मेरे चेहरे की तरफ देखती रही और मैं समझने की कोशिश करता रहा कि वो क्या चाहती है, परन्तु कुछ समझ नहीं पाया।
मुझे समझ नहीं आ रहा कि मैं क्या कहूं, कहते हुए नवरीत की आंखें नम हो गई।
हेहेहे, जब समझ ही नहीं आ रहा तो फिर कहने की जरूरत ही क्या है, मैंने हंसते हुए कहा।
नवरीत वैसे ही मेरी आंखों में देखती रही।
देखो मुझे पता है तुम क्या कहना चाहती हो, मैं अब उसे भूलने की कोशिश कर रहा हूं, अच्छा हुआ कि प्यार दो-तीन दिन का था, नहीं तो भूलने में बहुत तकलीफ होती, कहते हुए मेरी आंखें नम हो गई।
मुझे भी समझ नहीं आ रहा कि ऐसी क्या बात हो गई, जो दीदी ने शादी से मना कर दिया, आपके बीच कोई झगड़ा हुआ था क्या, नवरीत ने कहा।
तुम उसकी दीदी हो, तुम्हें पता होना चाहिए।
मैंने दीदी से पूछने की बहुत कोशिश की थी, पर किसी ने कुछ नहीं बताया, कहते हुए नवरीत मेरे कुछ नजदीक हो गई।
उस रात के बाद तो हमारी कोई बात ही नहीं हो पाई, कई बार फोन भी ट्राई किया था, परन्तु किसी ने नहीं उठाया, और जब वापिस आया तो ये सब, कहते कहते आंखों से आंसु टपकने लगे।
नवरीत ने मेरे गालों पर हाथ रख दिये और आंखों से निकलते आंसुओं को पौंछने लगी। आंसु पौंछते पौंछते उसने अपनी एक उंगली मेरे होंठों पर रख दी। वो लगातार मेरे चेहरे की तरफ ही देखे जा रही थी। उसके चेहरे पर उदासी थी, परन्तु उसकी आंखों में कुछ बैचेनी थी, शायद वो कुछ कहने के लिए आई थी, परन्तु कह नहीं पा रही थी।
मुझे लगता है कि तुम कुछ कहना चाहती हो, पर कह नहीं पा रही हो, मैंने अपने गाल पर रखे उसके हाथ पर अपना हाथ रखते हुए कहा।
नहीं कुछ नहीं, नवरीत ने एक हाथ से अपने आंखों से आंसु पौंछते हुए कहा।
अगर कुछ कहना नहीं था तो, फिर यहां अकेले में क्यों लेकर आई।

मेरी समझ नहीं आ रहा है कि कैसे कहूं, नवरीत ने कहा।
अंदर चलो, वहां आराम से बैठ कर बातें करते हैं, मैंने कहा।
हम्मम, नवरीत ने कहा और हम अंदर आ गये। सोनल वहां पर नहीं थी, शायद नीचे चली गई।
अब बोलो क्या बात है, मैंने कहा। हम बेड पर आमने सामने बैठे हुये थे।
तभी बाथरूम का दरवाजा खुला और सोनल बाहर निकली। दीदी का फोन आया है, उनके साथ जा रही हूं, तब तक तुम दोनों बातें करो, कहते हुए सोनल मेरे पास आई और माथे पर हाथ लगाकर चैक किया। अब बुखार नहीं है, पर फिर भी एकबार डॉक्टर के चलेंगे मेरे आने के बाद, सोनल ने कहा।
हम्मम, मैंने कहा। सोनल नीचे चली गई।
बुखार हो गया था, नवरीत ने मेरे हाथ पर अपना हाथ रखते हुए पूछा।
हां, कल बुखार था, आज तो ठीक है, मैंने कहा।
तुम क्या कहना चाह रही थी, अब बताओ।
मुझे पता है, दीदी ने आपके साथ सही नहीं किया, परन्तु क्या हम दोस्त रह सकते हैं, नवरीत ने मेरी आंखों में ही जवाब ढूंढते हुए कहा।
ये लो, ये भी कोई पूछने की बात है, हम पहले भी दोस्त थे, अब भी दोस्त हैं, अब धोखा तुम्हारी दीदी ने दिया है, इसमें तुम्हारी क्या गलती है।
मेरी बात सुनकर नवरीत के चेहरे पर खुशी छा गई। उसने दरवाजे की तरफ देखा और फिर एकदम से अपने घुटनों के बदल उठती हुई मेरे चेहरे को अपने हाथों में पकडा और मेरे होंठों पर अपने गुलाब की पंखुडियों से मुलायम होंठ टिका दिये। मैं शॉक्ड था, मैंने सोचा भी नहीं था कि नवरीत ऐसा करेगी। पिछे गिरने से बचने के लिए मेरे हाथ पिछे की साइड टिक चुके थे। और नवरीत पागलों की तरह मेरे होंठों को चूूम रही थी। मेरी आंखें बंद हो गई। परंतु जैसी ही मेरी आंखें बंद हुई मैंने एक झटके से नवरीत को खुदसे अलग कर दिया। नवरीत ने हैरानी से मेरी तरफ देखती रह गई। मैं समझ नहीं पाया कि ये क्यों हुआ। जैसे ही मेरी आंखें बंद हुई थी अपूर्वा को उदास चेहरा मेरे सामने घूमने लगा था।
क्या हुआ, नवरीत ने मायूस होते हुए पूछा।
कुछ नहीं, हम कुछ ज्यादा ही आगे बढ़ रहे हैं, मैंने कहा।
क्यों, अच्छा नहीं लगा, नवरीत ने हांफते हुए कहा और मेरी आंखों में उतर ढूंढने लगी।
बात सिर्फ दोस्ती की हुई थी, मैंने मुस्कराते हुए कहा।

हेहेहे, मेरी बात सुनकर नवरीत हंसने लगी।
मैंने कुछ गलत कहा, तुमने दोस्ती के लिए ही तो कहा था, मैंने हंसते हुए कहा।
हेहेहे, धीरे-धीरे तुम्हें पता चल जायेगा कि नवरीत से दोस्ती करने का क्या अंजाम होता है, नवरीत ने हंसते हुए कहा।
लगता है तुमसे बचकर रहना पड़ेगा, पता नहीं कितना भयानक अंजाम करने वाली हो, मैंने डरा हुआ चेहरा बनाते हुए कहा।
हेहेहे, बच्चू अब नहीं बच सकते, अब तो मेरे जाल में फंस चुके हो, नवरीत ने खिलखिलाते हुए कहा।
मैं उसके साथ हंस तो रहा था, परन्तु अंदर ही अंदर बैचेनी बढ़ती जा रही थी। पता नहीं क्यों, नवरीत को देखते ही अपूर्वा की याद आनी शुरू हो जाती थी और फिर से दिल में वो टीस उठने लगती थी जो सोनल के प्यार से कुछ कम हो गई थी।
फंसा तो तुम्हारी दीदी के जाल में भी था, ऐसा हाल किया कि कहीं का नहीं छोड़़ा, मेरी आंखें नम हो गई थी, परन्तु मैंने किसी तरह चेहरे पर मुस्कराहट बनाए रखी। मेरी बात सुनते ही नवरीत एकदम से सीरियस हो गई।

तभी नवरीत का मोबाइल बजा।
हैल्लो मॉम, नवरीत ने कान से मोबाइल लगाते हुए कहा।
समीर के रूम पर हूं, ------- हां, अब क्या बताउं, ठीक ही है,,,,, हां----- फिर भी------ हां, बस थोड़ी देर में आउंगी,,,, बाये मॉम, लव यू,,,,।
बात करते हुए नवरीत की आवाज में उदासी झलक रही थी।
मैंने कोशिश तो बहुत की दीदी से पूछने की, पर वो कुछ बता ही नहीं रही हैं, नवरीत ने कहा।
बता तो दिया, और कैसे बतायेगी, मुझसे मजाक किया था, प्यार का नाटक किया था, बाकी ही क्या रह गया, जब इतना बोल दिया, कहते हुए आंखों से आंसु टपक पड़े।
मैं कभी सोच भी नहीं सकता था, मेरे साथ ही ऐसा क्यों किया, एक बार दर्द उठा तो क्या का क्या मैं बोलता चला गया पता ही नहीं चला। नवरीत ने मुझे बांहों में भर लिया। जब कुछ नोर्मल हुआ तो मैं नवरीत की बांहों से अलग हुआ।
सॉरी, मैंने गालों पर से आंसु पौंछते हुए कहा।
तभी दरवाजा खुला तो मैंने दरवाजे की तरफ देखा। सोनल और प्रीत थी। प्रीत को देखते ही मैं एकदम से खडा हो गया और रसोई में जाकर पानी पिया और मुंह धोया ताकि उसे आंसुओं का पता ना चले।
वो आकर बेड पर बैठ गई।
हाय, मैंने रूमाल से मुंह पौंछते हुए कहा।
क्या बात हुई, तुम दोनों की आंखों में आंसु क्यों थे, प्रीत ने मेरी और फिर नवरीत की तरफ इशारा करते हुए कहा।

नहीं ऐसा तो कुछ नहीं-----
मैंने सब देख लिया है, ज्यादा चालाक बनने की जरूरत नहीं है, हां नहीं बताना चाहते वो अलग बात है, प्रीत ने मेरी बात को बीच में ही काटते हुए कहा।
मुझे हैरानी थी आज हम पहली बार ही एक दूसरे से मिले हैं और वो इस तरह से बात कर रही है जैसे हम काफी अच्छे दोस्त हैं।
ऐसा कुछ नहीं है, वो तो बस ऐसे ही आ गये थे, मैंने कहा और चेयर लेकर बैठ गया।
डॉक्टर को दिखाने चलें, सोनल ने उठते हुए कहा।
क्या हो रखा है, प्रीत ने आश्चर्य से पूछा।
वो कल से बुखार है, आज तो वैसे आराम है, पर फिर भी,,, सोनल ने कहा।

मैं भी खड़ा हो गया।
तब तक आप बतियाओ, हम आते हैं, सोनल ने दोनों से कहा और हम नीेचे आ गये।
डॉक्टर के पहुंचे तो डॉक्टर एक मरीज को देख रही थी। हम बाहर बैठकर इंतजार करने लगे। उसके देखने के बाद डॉक्टर ने हमें बुलाया।
अब कैसी है तबीयत, डॉक्टर ने मुस्कराते हुए पूछा।
आराम है अब तो, मैंने बैठते हुए कहा।
डॉक्टर ने मेरी छाती में स्टेथोस्कोप और मुंह में थर्मामीटर लगाकर बुखार चैक किया। सब कुछ नोर्मल मिला। फिर भी डॉक्टर ने एतिहायत के तौर पर एक इंजेक्शन और लगा दिया कुल्हे पर।
दवाई लेकर हम वापिस रूम पर आ गये। नवरीत और प्रीत बाहर चेयर डालकर बैठे हुए थे। हम भी उनके साथ ही बैठ गये। कुछ देर तक हम बतियाते रहे। प्रीत यू-एस- के बारे में बताती रही। फिर मेरे बारे में पूछने लगी। मैं तो शर्मा ही गया जब उसने मुझसे गर्लफ्रेंड के बारे में पूछा। अब ये कैसे बताउं कि उसकी बहन ही मेरी गर्लफ्रेंड है और वो भी दुनिया कि सबसे बेस्ट गर्लफ्रेंड।
देखो, कैसे लड़कियों की तरह शरमा रहा है, ऐसे लड़के भी बचे हुए हैं मुझे तो पता ही नहीं था, मैं तो सोच रही थी लड़का तो कोई शरमाने वाला बचा ही नहीं होगा दुनिया में, प्रीत ने चुटकी लेते हुए कहा।
उसकी बात सुनकर मैं झेंप गया। वो तीनों हंसने लगी। काफी देर तक ऐसे ही हंसी मजाक चलता रहा।
ओके अब मैं चलती हूं, मम्मी इंतजार कर रही होगी, नवरीत ने उठते हुए कहा।
सोनल और प्रीत ने उसे गले लगाया। तुम गले नहीं लगोगे, नवरीत ने मेरे पास आकर कहा। मैंने उसे गले लगाया। नवरीत ने कसके मुझे अपनी बांहों में भींच लिया। मेरे मुंह से हल्की सी मजे की आह निकल गई।
बदमाश, देखों कैसे आहें निकाल रहा है, प्रीत ने हंसते हुए कहा।
अब छोड़ दे, नहीं तो तेरी भी आहें निकलनी शुरू हो जायेंगी, प्रीत ने नवरीत से कहा।
हेहेहे, नवरीत ने मुझसे अलग होते हुए कहा और फिर बायें बोलती हुई चली गई।
चलो यार हम भी चलते हैं, ठण्ड लगने लग गई और फिर डिनर भी तैयार करना है, प्रीत ने उठते हुए कहा।
दीदी आप चलो, मैं कुछ देर में आती हूं, सोनल ने प्रीत से कहा।
प्रीत ने शक भरी निगाहों से सोनल की तरफ देखा और फिर मेरी तरफ देखा और फिर मुस्कराते हुए नीचे चली गई।

हम दोनों अंदर आ गये।
तुम्हारी आंखों में आंसु क्यों थे, सोनल ने मुझसे अंदर आते ही पूछा।
कब, मैंने पूछा।
जब हम आई थी, तुम दोनों की आंखों में आंसु थे, तुम्हारी और रीत की।
वो तो बस, ऐसे ही, अपूर्वा की बात चल पड़ी थी, इसलिए, मैंने कहा।
क्या कह रही थी रीत अपूर्वा के बारे में, सोनल ने पूछा।
यही कर रही थी कि मैंने बहुत कोशिश की उससे पूछने की, पर उसने कुछ भी नहीं बताया।
किस बारे में, सोनल ने कहा।
इसी बारे में, उसने धोखा क्यों दिया, कहते हुए मेरी आंखें फिर से नम हो गई।
अब पूछने के लिए रह ही क्या गया जब उसने ही साफ साफ कह दिया, क्यों उसको बार-बार याद करके दुखी हो रहे हो, सोनल ने मेरे आंसु पौंछते हुए कहा और मेरा सिर अपनी छाती पर रख लिया।
सोनल की बांहों में जाते ही मैं बस टूट जाता था और आंखों से आंसु बहने लगते थे। उसके सीने से लगते ही सब्र का सारा बांध टूट जाता था और उसके आंचल को भीगो देता था। काफी देर तक मैं ऐसे ही सोनल के सीने पर सिर टिकाए उसे भिगोता रहा। जब कुछ नोर्मल हुआ तो मैं सीधा खड़ा हुआ, परन्तु फिर वही कमर में भयंकर दर्द, सीधा हुआ ही नहीं गया और मैं सहारा लेते हुए बेड पर बैठ गया। मेरे चेहरे के भावों से सोनल भी समझ गई थी। उसने सहारा देकर मुझे लेटाया। बहुत ही मुश्किल से कमर सीधी कर पाया। हां, एकबार सीधी होने पर आराम महसूस हुआ। सोनल ने पेन किलर दी। तभी नीचे से प्रीत ने सोनल को आवाज दी और सोनल कुछ देर में आने की कहकर चली गई।
अकेला होते ही अपूर्वा की बेवफाई की टीस उठने लगी। जब सहन नहीं हुई तो मैं उठकर बाहर आ गया। पेनकिलर ने असर दिखाया था, परन्तु दर्द फिर भी बना हुआ था। मैं आराम से सीढ़ियां उतरता हुआ नीचे आ गया और बाजार की तरफ निकल गया।

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तुम पीकर आये हो, सीढियों पर लड़खड़ा कर चढ़ते हुए देखकर सामने चेयर पर में बैठी प्रीत ने कहा। उसकी आवाज सुनकर सोनल बाहर आई और मुझे सहारा देकर उपर ले गई।
गड़गड़ हो गई यार, दीदी बहुत सख्त है इस मामले में, पता नहीं अब क्या होगा, सोनल ने मुझे बेड पर लिटाते हुए कहा।
सॉरी, वो बस अपने आप कदम मैखाने की तरफ बढ गये, आगे से नहीं पीउंगा, मैंने लड़खड़ाती आवाज में कहा।
हां, मैखाने की तरफ बढ गये, अंदाज तो देखो जनाब का, दारू का अड्डा कहते हैं उसे, सुबह बात करती हूं तुझसे तो, प्रीत ने अंदर आते हुए कहा।
सोनल ने जल्दी से मुझे ब्लैंकट ओढ़ाया और प्रीत के साथ नीचे चली गई। मैं नशे में कुछ का कुछ बड़बड़ाता रहा और कब सपनों की दुनिया में गायब हुआ कुछ होश न रहा।
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( आखिर वो दिन आ ही गया Complete )...(ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगाना complete)..(ज़िद (जो चाहा वो पाया) complete)..(दास्तान ए चुदाई (माँ बेटी बेटा और किरायेदार ) complete) .. (एक राजा और चार रानियाँ complete)..(माया complete...)--(तवायफ़ complete)..(मेरी सेक्सी बहनेंcompleet) ..(दोस्त की माँ नशीली बहन छबीली compleet)..(माँ का आँचल और बहन की लाज़ compleet)..(दीवानगी compleet..(मेरी बर्बादी या आबादी (?) की ओर पहला कदमcompleet) ...(मेले के रंग सास,बहू और ननद के संग).


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Re: बैंक की कार्यवाही मजे लेकर आई

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अचानक एकदम से उठकर बैठ गया। पूरा शरीर पसीने से तर-बतर था। सांसे उखड़ी हुई थी, और दिल बहुत तेजी से धड़क रहा था। बहुत सोचा पर कुछ समझ नहीं आया। कोई बहुत ही भयंकर सपना था, याद करने की काफी कोशिशों के बावजूद भी याद नहीं आया। उठकर मैं बाहर आ गया और चेयर डालकर खुले आसमान के नीचे बैठ गया। गर्दन पिछे की तरफ लुढका कर चेयर पर टिका दी। आसमान में तारें खिले हुए थे। आसमान में देखते ही अपूर्वा के घर की वो रात याद आ गई, जब छत पर हम दोनों बैठे आसमान को निहार रहे थे। अपूर्वा की याद आते ही दो आंसु लुढक कर गालों को भिगो गये। उसकी वो कही गई बाते, वो इतना ज्यादा प्यार।
नहीं, ऐसा कैसे हो सकता है, वो मजाक में इतना पयार कैसे जता सकती है, उसकी तो हर बात से प्यार ही प्यार छलक रहा था, नहीं नहीं वो केवल मजाक नहीं हो सकता, वो सच में मुझसे प्यार करती थी, फिर ऐसा क्या हुआ कि उसने ऐसी बात कही कि उसका प्यार बस एक मजाक था, मन में द्वंद चल रहा था। दिल ये बात मानने को तैयार ही नहीं था कि उसका प्यार महज एक मजाक था। क्योंकि उसकी हर एक बात से इतना प्यार छलकता था। बेशक मैं उस वक्त सिर्फ दोस्त की नजर से देखता था, परन्तु अब सोचने पर तो पता चलता ही है कि वो कितना प्यार करती थी। क्या बात हो सकती है कि अपूर्वा ने शादी से मना कर दिया।
एक तेज दर्द लगातार सीने में उठ रहा था। सोनल के सामने, या फिर दिन में मैं ये जताने की कोशिश जरूर करता था मैं अपूर्वा को भूल चुका हूं या भुलाने की कोशिश कर रहा हूं और इस दर्द को अंदर दबाता रहता हूं, परन्तु हर एक पल उसकी याद मुझे अंदर ही अंदर तोड़ती रहती है। मैं सोनल को परेशान भी नहीं करना चाहता हम वक्त गम में डूबा रहकर, परन्तु क्या करूं, ये दर्द मौका मिलते ही दुगुने वेग से बाहर आता है।
अपूर्वा तुने मेरे साथ ऐसा क्यों किया, गला रूंध चुका था, आसमान में तारे धूंधले दिखाई देने लगे और गाल पर आसुंओ की धार बहकर नीचे जा रही थी। सीने में उठने वाली टीस असहनीय होती जा रही थी।

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समीर, समीर, मेरे कानों में धीमी धीमी आवाज पड़ी। मैंने धीरे से आंखें खोली तो आंखों में रूका पानी गालों पर आ गया। कंधे पर हाथ महसूस हुआ तो मैंने उस तरह गर्दन घुमा कर देखना चाहा। गर्दन में एकदम दर्द का अहसास हुआ और हाथ अपने आप गर्दन के पिछे चला गया। हाथ के सहारे से गर्दन को उठाया और साइड में देखा। एक धुंधला सा साया नजर आया। एक हाथ गर्दन को ही सहला रहा था। दूसरे हाथ से आंखों को मसल कर फिर देखा तो सामने सोनल खड़ी थी।
हा-----------य, मैंने बोलना चाहा, परन्तु गला रूंधा हुआ था। गला साफ करके मैंने हाय कहा।
जब नींद थोड़ी सी खुलने लगी तो पता चला कि मैं चेयर पर ही सो गया था।
तुम यहां क्यों सो रहे थे, दूसरी तरफ से थोड़ी तेज आवाज मेरे कानों में पड़ी। मैंने गर्दन घुमा कर देखा तो प्रीत खड़ी थी। उसने अपने हाथों को सीने पर बांध रखा था।
हूंहहहह, मैं असमंझस में इधर उधर देखने लगा। पता नहीं, शायद शाम को इधर बैठे बैठे ही आंख लग गई होगी, कहते हुए मैं उठने लगा। पूरा शरीर अकड़ सा गया था।
शाम को, रात को हम अंदर सुला कर गये थे, फिर शाम को कैसे नींद आ गई होगी, प्रीत ने सख्त लहजे में कहा। मैंने दिमाग पर जोर डालते हुए याद करने की कोशिश की, पर याद ही नहीं आ रहा था कि मैं यहां पर कैसे आया और प्रीत कब मुझे सुला कर गई थी। मैंने एक कदम आगे बढ़ाया तो पैरों में हल्के सा दर्द महसूस हुआ और लड़खड़ा गया। एकदम से सोनल ने मुझे पकड़ लिया।
नहीं, बस वो रात भर चेयर पर रहने से शरीर थोड़ा सा अकड सा गया है, मैंने सोनल से कहा।
जब बस की नहीं है तो जरूरी है शराब पीनी, प्रीत की आवाज कानों में पड़ी। मैंने अंगडाई लेते हुए उसकी तरफ देखा। अंगडाई खत्म करके आंखें खोली तो किसी दूसरी तरफ ही चेहरा हो गया था। मैंने घुमते हुए उसकी तरफ देखा।
सॉरी, वो आदत नहीं है, तो शायद थोड़ी सी ही ज्यादा असर कर गई, कहते हुए मैं कुर्सी के सहारे खड़ा हो गया।
ये कोई शराबियों को अड्डा नहीं है, घर है, प्रीत ने कहा।
उसकी बात सुनकर मेरा सिर शर्म से झुक गया। सॉरी, आगे से नहीं होगा, मैंने उसकी तरफ देखते हुए कहा और फिर से नीचे देखने लगा।
ऐसे लड़खड़ाते हुए आ रहे थे, आस-पड़ोस वाले क्या सोचेंगे कि यहां पर शराबी रहते हैं, प्रीत मुझे माफ करने के मूड में नहीं दिखाई दे रही थी।

सॉरी, मैं वैसे ही नजरें झुकाए खड़ा रहा।
यहां रहना है तो अपनी लिमिट में रहो, ये कोई लुच्चे लफंगों की कॉलोनी नहीं है, शरीफ लोग रहते हैं यहां पर, प्रीत ने कहा।
आगे से धयान रखूंगा।
दीदी, बस भी करो, सोनल की आवाज आई।
क्यों बस करूं, यहां शराबियों के लिये नहीं बना रखा ये घर, प्रीत और भी भड़क गई।
दीदी, सोनल की आवाज कुछ तेज थी, परन्तु सलीके में थी। सोनल प्रीत की तरफ गई और उसका हाथ पकड़कर पिछे ले जाने लगी। आप चलो नीचे, मैं समझा दूंगी, सोनल ने प्रीत का हाथ पकड़कर खींचते हुए कहा।
अच्छा, तू समझा देगी, ऐसी समझाने वाली होती तो अब तक समझा ना चुकी होती, प्रीत ने नीचे जाते हुए कहा।
बाप रे, इससे तो बचके रहना पड़ेगा, एकदम तीखी मिर्ची है, मैंने मन ही मन सोचा और अंदर आ गया और धड़ाम से बेड पर लेट गया।
सिर में हलका हलका दर्द भी महसूस हो रहा था। तभी मेरा मोबाइल बजने लगा। देखा तो मम्मी का फोन था। मैंने कॉल कट की और उठकर बाथरूम में जाकर मुंह धोकर, फ्रेश होकर आया। आकर देखा तो 2 मिस कॉल हो चुकी थी। मैंने मम्मी को फोन मिलाया।
गुड मॉर्निंग मॉम, मैंने कहा।
गुड मॉर्निंग बेटा, इतनी देर कैसे लग गई, मम्मी ने पूछा।
अभी उठा था सोकर, तो मुंह धोने चला गया था, मैंने कहा।
अभी सोकर उठा है, ऑफिस की छुट्टी है आज? मॉम ने पूछा।
नहीं, वो आंख नहीं खुली बस, अभी जल्दी से तैयार होकर निकलता हूं ऑफिस के लिए, मैंने कहा।
दिवाली से दो-तीन दिन पहले आ जाना, मम्मी ने कहा।

क्यों, क्या हुआ, मैंने पूछा।
होना के था, अभी आया था तब भी अगले ही दिन भाग गया था, मम्मी ने कह।
ठीक है, देखूंगा, शायद पहले ही दिन आया जायेगा, मैंने कहा।
देख लिये, अभी कह दे छूट्टी के लिए, कहीं बाद में कहे कि छूट्टी नहीं मिली, मम्मी ने कहा।
ठीक है, मैंने कहा।
तेरी तबीयत तो ठीक है ना, मम्मी ने कहा।
हां बिल्कुल ठीक है, क्यों, मैंने कहा।
नहीं तेरी आवाज से कुछ ऐसा लग रहा है कि तबीयत खराब हो, मम्मी ने कहा।
वो तो बस नींद सही तरह से नहीं खुली है इसलिए लग रहा होगा, मैंने कहा और जानबूझ कर एक जम्हाई लेने लगा।
फिर कुछ देर तक इधर-उधर की बातें होती रही। मम्मी ने निशा के बारे में पूछा कि उससे मिला या नहीं, तो मैंने दीवाली के बाद उनके घर चलने के लिए कह दिया। मम्मी ये सुनकर बहुत खुश हुई। थोड़ी देर और बात करने के बाद मैं नहा धोकर ऑफिस के लिए तैयार हुआ। आज अपूर्वा की यादें कुछ ज्यादा ही आ रही थी, इसलिए मन उदास था। इसका कारण शायद ये भी था कि सोनल पास नहीं थी। तैयार होकर मैं नीचे आ गया और बाईक उठाकर ऑफिस के लिए निकल गया। अभी कुछ दूर ही पहुंचा था कि मोबाइल बजा। मैंने बाईक रोककर देखा तो सोनल की कॉल थी।
हाय, मैंने मोबाइल को हैलमेट में सैट करते हुए कहा।

कहां जा रहे हो।
ऑफिस, मैंने कहा।
कम से कम मिल कर तो चले जाते, मैं आवाज लगाती रह गई, सोनल ने कहा।
यार, सुबह सुबह तो मिले थे, अब हिम्मत नहीं हुई दुबारा से मिलने की, मैंने कहा।
सॉरी यार, वो दीदी को पता नहीं है ना, इसलिए वो इतनी गुस्सा हो रही थी।
उनकी बात ठीक ही तो है, मुझे इतनी नहीं पीनी चाहिए थी, मैंने कहा।
पीनी तो बिल्कुल भी नहीं चाहिए थी, पीने से कौनसा वो वापिस आ जायेगी, सोनल ने कहा। सोनल की बात से एक टीस सी उठी।
यार वापिस तो नहीं आयेगी, पर भूलने में तो मदद हो ही जायेगी, मैंने कहा।
अच्छा शाम को जल्दी आ जाओगे क्या, दीदी अपनी फ्रेंड के यहां जा रही है तो, सोनल ने कहा।
देखता हूं, अगर बॉस ने आने दिया तो, मैंने कहा।
कोशिश करना, प्लीज, सोनल ने कहा।
ओके, कोशिश करूंगा, बाये, मैंने कहा। सोनल ने भी बाये किया ओर फोन रख दिया।
ऑफिस पहुंचा तो सामने पानी पीते हुई रामया को देखता ही रह गया। उसने एकदम टाईट फॉर्मल ड्रेस पहनी हुई थी। उसकी शर्ट कुल्हों से उपर ही थी और एकदम टाईट पेंट में उसके गोल गोल कुल्हें गलब ढा रहे थे। एकदम परफैक्ट साइज था। उसकी पेंटी लाइन दूर से ही विजिबल हो रही थी। और पेंटी लाइन से ही पता चल रहा था कि पेंटी बहुत ही छोटी-सी है और उसके आधे से भी कम कुल्हों को ढके हुए है। वो पानी पीकर मुड़ी तो मैं तो शॉक होकर खड़ा ही रह गया। सामने से उसकी पेंट उसकी योनि की पूरी शेप उजागर कर रही थी। मैंने एकदम से अपनी सिर को झटका और उसके चेहरे की तरफ देखा, उसके चेहरे पर थोड़ा सा गुस्सा दिखाई दिया। हमारी नजरे मिलते ही वो फीकी मुस्कान मुस्कराई और हाय किया।
मैंने भी उसे हाय कहा। यू आर लुकिंग सो हॉट एण्ड सैक्सी, मैंने इतने धीरे से कहा कि किसी को सुनाई ना दे।
आप कुछ कर रहे हैं, रामया ने मेरे होंठ हिलते हुए देखकर पूछा।
हां, नहीं, कुछ नहीं, मैंने हड़बड़ाते हुए कहा।
रामया अपनी चेयर पर जाकर बैठ गई। इस सबमें उसके बूब्स तो देख ही नहीं पाया था। सबको हाय बोलता हुआ मैं बॉस के केबिन की तरफ बढा और जाते हुए एकबार रामया की तरफ नजर घुमाकर देखा तो एक और झटका लगा। शर्ट में कसे हुए उसके बूब्स कहर ढा रहे थे। बटन मुश्किल से डटे हुए थे। मैं सिर को झटक कर बॉस के केबिन की तरफ चल पड़ा। नॉक करने पर बॉस ने अंदर आने के लिए कहा।
अंदर सामने बॉस बैठे हुए थे और उनके सामने चेयर पर एक लड़की बैठी हुई थी।

गुड मॉर्निंग बॉस, मैंने अंदर आकर कहा।
गुड मॉर्निंग, बॉस ने कहा और घड़ी की तरफ देखने लगे।
तबीयत कैसी है अब तुम्हारी, बॉस ने घडी से नजरें हटाते हुए कहा।
ठीक ही लग रही है बॉस, मैंने कहा।
मैं आगे आकर बॉस की टेबल के साइड में खडा हो गया और जैसे ही उस लड़की पर मेरी नजर पड़ी मैं तो बस खुशी और आश्चर्य से हक्का बक्का रह गया।
हाय, आप कब आई, सामने चेयर पर कोई और नहीं कोमल बैठी थी।
हाय, कहते हुए कोमल ने मेरी तरफ हाथ बढा दिया। बस अभी अभी आई ही हूं, सीधे इधर ही आई हूं, कोमल ने कहा।
ये लो पवन, ये बिल्स हैं, इनकी एंट्री करवा देना रामया से, बॉस ने एक फाइल मेरी तरफ बढ़ाते हुए कहा। उनका धयान टेबल पर रखी फाइल पर ही था। वो कोई टेंडर फाइल लग रही थी।
ओके बॉस, मैंने वो फाइल लेकर कहा और कोमल की तरफ आंख मारता हुआ बाहर आ गया।
बाहर आकर रामया को मैंने वो फाइल दी और उसके पास ही खडा रहा। उपर से देखने पर उसके बूब्स की लाइन कुछ ज्यादा नीचे तक दिखाई दे रही थी। शर्ट का कलर डार्क था, इसलिए ब्रा के बारे में कोई अंदाजा नहीं हो पा रहा था। क्या मस्त चूचियां हैं यार, मजा आ जायेगा अगर ये पट गई तो, मैंने बड़बड़ाते हुए कहा।
आपने कुछ कहा, रामया ने उपर मेरी तरफ देखते हुए कहा।
नहीं, लगता है तुम्हारे कान कुछ ज्यादा ही सेंसेटिव हैं, मैंने मुस्कराते हुए कहा।
जी नहीं, ऐसा कुछ नहीं है, मुझे लगा कि आपने कुछ कहा है, रामया ने कहा।
हेहेहे, तभी तो की रहा हूं, मैंने कुछ कहा भी नहीं तुम्हें सुन गया, मैंने हंसते हुए कहा।
ओके, काम करो, मैं भी काम करता हूं, मैंने कहा।
वैसे नॉजरिंग अच्छी है, तुम पर खूब जंच रही है, मैंने अपने नाक पर हाथ लगाते हुए कहा।
थैंक्स, कहते हुए रामया थोड़ी सी शरमा गई। मैं आकर अपनी चेयर पर बैठ गया।
मेरे बैठते ही सुमित ने अपनी चेयर थोड़ी सी मेरी तरफ सरका ली।
बॉस आज तो क्या मस्त माल आई हुई है इंटरव्यू देने, सुमित ने धीरे से मेरी तरफ झुकते हुए कहा।
फाले, वो बॉस की साली है, कहीं नौकरी से हाथ धो बैठे, मैंने हंसते हुए कहा।

क्या बात करते हो, कैसे पता, सुमित ने आश्चर्य से पूछा।
खूब चाय पी चुका हूं इसके हाथ की, जब घर ऑफिस शिफ्रट कर रखा था तब, कहते हुए मेरे होंठों पर एक मुस्कराहट आ गई।
हाय, काश मैं भी होता यार, क्या मस्त माल है, बस मन कर रहा था कि पकड़ कर भींच दूं, सुमित ने आहे भरते हुए कहा।
घास भी नहीं डालेगे वो तुझे, मुझसे ही कितने दिनों बाद ठीक से बात करने लगी थी, मैंने कहा।
मनीषा को पटा रहा हूं मैं, सुमित ने कॉलर को स्टाईल से झटकते हुए कहा।
क्या बात है, कहां तक पहुंचा, मैंने मुस्कराते हुए कहा।
कल साथ साथ पानीपूरी खाई थी।
वाह, बड़ी जल्दी हाथ मार लिया, मैंने कहा।
खुले विचारों वाली है, जल्दी ही पट जायेगी, सुमित ने खुश होते हुए कहा।
खुश रहो बेटा, जल्दी हाथ साफ कर लो, नहीं तो क्या पता फिर बाद में पछताओ, मैंने कहा और काम में धयान लगा दिया।
इसे तो मैं पटा कर ही रहूंगा, चाहे कुछ भी करना पडे, सुमित ने कहा और चेयर को सरका कर काम करने लगा।
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( आखिर वो दिन आ ही गया Complete )...(ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगाना complete)..(ज़िद (जो चाहा वो पाया) complete)..(दास्तान ए चुदाई (माँ बेटी बेटा और किरायेदार ) complete) .. (एक राजा और चार रानियाँ complete)..(माया complete...)--(तवायफ़ complete)..(मेरी सेक्सी बहनेंcompleet) ..(दोस्त की माँ नशीली बहन छबीली compleet)..(माँ का आँचल और बहन की लाज़ compleet)..(दीवानगी compleet..(मेरी बर्बादी या आबादी (?) की ओर पहला कदमcompleet) ...(मेले के रंग सास,बहू और ननद के संग).


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(फैमिली में मोहब्बत और सेक्स (complet))........(कोई तो रोक लो)......(अमन विला-एक सेक्सी दुनियाँ)............. (ननद की ट्रैनिंग compleet)..............( सियासत और साजिश)..........(सोलहवां सावन)...........(जोरू का गुलाम या जे के जी).........(मेरा प्यार मेरी सौतेली माँ और बेहन)........(कैसे भड़की मेरे जिस्म की प्यास)........(काले जादू की दुनिया)....................(वो शाम कुछ अजीब थी)
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jay
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Re: बैंक की कार्यवाही मजे लेकर आई

Post by jay »

हाय, मैं चेयर पर आराम से गर्दन पिछे लगाकर आंखें बंद करके बैठा था, तभी मेरे कानों में आवाज पड़ी। आवाज सुनकर मैंने आंखें खोली। अब अकेले होते ही गम और उदासी तो घेर ही लेते थी, इसलिए आंखें खोलते ही एक बूंद गालों पर लुढक गई।
हे, क्या हुआ ये आंसु कैसे, कोमल ने झुककर मेरे कंधे पर हाथ रखते हुए पूछा।
मैंने रूमाल से आंसु साफ किये और खड़ा होकर कोमल को बाहों में भर लिया। मेरा धयान बॉस के केबिन की तरफ भी था कहीं वो बाहर ना आ जाये।
बस तुम्हें फिर से देखकर बहुत खुशी हो रही थी, और उसी खुशी में ये बेचारा आंसु कुर्बान हो गया, मैंने उसके कान के पास धीरे से कहा।
हेहेहे, कोमल हंसने लगी।
सुमित आंखें फाड़े हमारी तरफ देख रहा था। रामया और मनीषा भी हमें ही देख रही थी। मनीषा से मेरी आंखें मिली और मनीषा ने इशारों में पूछा कि कौन है। मैंने कोमल को खुद से अलग किया और तीनों से उसका इंट्रो करवाया। कोमल एक चेयर लेकर मेरे पास ही बैठ गई।
तुम कुछ उदास-उदास लग रहे हो, कोमल ने मेरे चेहरे की तरफ देखते हुए कहा।
नहीं तो, मैं क्यों उदास होउंगा, और अगर उदास होंगा भी तो तुम्हारे आने की खुशी में उदासी कहां ठहरेगी, मैंने मुस्कराते हुए कहा।
क्यों मेरे आने से ऐसी खुशी क्यों, कोमल ने आंखों की शैली मटकाने हुए कहा।
मेरी जान आ गई है, तो खुशी तो होगी ही, वैसे केवल मुझे ही नहीं, किसी और को भी बहुत खुशी हो रही है, मैंने आंख दबाते हुए कहा।
कोमल शरमा गई। फिर अचानक से बोली, ‘किसी और को किसको’।
खुद ही देख लो, कहते हुए मैंने कोमल का हाथ पकड़कर जींस के उपर से ही लिंग पर रख दिया।
कोमल ने एकदम घबरा कर हाथ हटा लिया और इधर उधर देखने लगी और फिर मेरी तरफ देखते हुए मुस्कराने लगी। उसके गाल लाल हो गये थे। अब शरम से या फिर लिंग को निहारने के लिए ये तो पता नहीं परन्तु आंखें बार-बार झुक रही थी।
फिर उसने एकदम से हाथ उठाते हुए मेरे कंधे पर एक मुक्का मारा। कोई देख लेता तो, बेशर्म।
सुमित का धयान हमारी तरफ ही था। वो कुछ शॉक्ड लग रहा था।
एक साल के लिए आई हूं, अब तो, खूब खातिर कर दूंगी इसकी भी, कोमल ने लिंग की तरफ देखते हुए कहा, जो जींस को फाड़ने की कोशिश में लगा हुआ था।
क्या बता कर रही है, बॉस ने तुझसे भी शादी कर ली क्या, मैंने चेहरे पर आश्चर्य के भाव लाते हुए कहा और कहकर मुस्कराने लगा।
जी नहीं, कोमल ने मेरे कंधे पर मुक्का मारा। जीजू ने तो नहीं, पर तुमने जरूर कर ली है, कहते हुए कोमल शर्मा गई और फिर वापिस नजरें उठाते हुए बोली, ‘कुछ एक्सपीरियंस हो जायेगा तो फिर बढिया नौकरी मिल जायेगी, वैसे भी शुरू में इतनी बढ़िया तो मिलेगी नहीं, तो उससे बढ़िया तो यहीं पर एक्सपीरियंस ले लूं ना, काम का भी और ‘काम’ का भी। बाद वाले काम पर उसने बोलते हुए जोर देकर कहा, जिससे मैं तुरंत समझ गया किस काम की बात हो रही है।

वैसे अपूर्वा नहीं आई आज, कोमल ने इधर उधर देखते हुए कहा।
अपूर्वा का नाम सुनते हुए एक टीस सी उठी और चेहरे पर आने की कोशिश करने लगी, पर मैंने उसे दबाते हुए मुस्कराने की कोशिश की। शायद कुछ हद तक सफल हो भी गया, क्योंकि कोमल को शायद अहसास नहीं हुआ।
उसने नौकरी छोड़ दी, मैंने मायूस होते हुए कहा।
क्यों, कोमल एकदम शॉक्ड हो गई।
सुना है कुछ दिनों बाद उसकी शादी है, मैंने बहुत ही मायूस आवाज में कहा।
मेरी ये बात सुनते ही कोमल एकदम से खुश हो गई।
बधाई हो, शादी में हमें भी याद रखियेगा, कहीं भूल ही जाओ, कोमल ने मुस्कराते हुए कहा।
तो आखिर तुमने उसके प्यार को स्वीकार कर ही लिया, मुस्कराते हुए कोमल ने कहा परन्तु बात खत्म करते करते उसके चेहरे पर हल्की सी मायूसी छा गई।
अपनी ऐसी किस्मत कहां यार, कहते हुए आंखें थोड़ी सी नम हो गई।
क्या बात करते हो, मतलब उसकी शादी तुमसे नहीं हो रही, कोमल कहते हुए थोड़ी सी उतेजित हो गई, जिससे ये बात थोड़ी जोर से कही। उसकी आवाज सुनकर सभी का धयान हमारी तरफ हो गया और सुमित तो अपनी चेयर से ही खडा हो गया।
बैठ जा, बैठ जा, क्यों भागने को हो रहा है, मैंने सुमित की तरफ हाथ करते हुए कहा।
वो थोड़ा सा झेंपते हुए वापिस बैठ गया। रामया और मनीषा का धयान अभी भी हमारी ही तरफ था। तभी बॉस अपने केबिन से बाहर आ गये।
क्या बातें हो रही हैं, बॉस ने हमारे पास आकर खड़े होते हुए कहा।
ऐसे ही, जनरल गॉसिप, कोमल ने बॉस की तरफ देखते हुए कहा।
चलो, घर छोड़ देता हूं, तुम्हें, थकी हुई होगी, बॉस ने कोमल से कहा।
बाय, कल मिलते हैं, कोमल ने कहा और खड़ी हो गई। बॉस और कोमल चले गये।
उनके जाते ही सुमित भागकर मेरे पास आया और कोमल वाली चेयर पर बैठ गया।
बॉस, क्या बात हो रही थी, लगता है कुछ चक्कर है, कैसे चिपक कर गले मिल रही थी, मुझे तो कुछ गड़बड़ लग रही है, सुमित बैठते ही शुरू हो गया।

मैं उसकी तरफ देखकर मुस्करा दिया।
और शादी की क्या बात हो रही थी, बॉस, हमें तो कुछ बताया भी नहीं कि शादी कर रहे हो, सुमित ने कंधे पर हाथ मारते हुए कहा।
शादी की बात सुनकर रामया और मनीषा भी हमारे पास आकर खड़ी हो गई।
हो रही हो तो बताउं ना, मैंने मुस्कराते हुए कहा।
देखो कैसे पूरी पलटन यहीं जमा हो गई शादी वर्ड सुनते ही, मैंने मनीषा और रामया की तरफ देखते हुए कहा।
वो कह तो रही थी कुछ शादी के बारे में, तो उसकी शादी हो रही होगी, पर मैंने सुना था, सुमित ने उतेजित होते हुए कहा।
वो अपूर्वा की शादी की बात हो रही थी, मैंने कहा।
ओह, तो इसलिए उसने नौकरी छोड़ दी, सुमित ने सोचते हुए कहा।
ये अपूर्वा कौन है, मनीषा ने पूछा।
वो पहले यही पर काम करती थी, अभी कुछ दिन पहले ही छोड़ा है, मैंने उन्हें बताया।
वैसे आप कब शादी कर रहे हो, मनीषा ने मुझसे पूछा।
पहले कोई लड़की तो पटे, तभी तो शादी करूंगा, मैंने उसकी तरफ आंख दबाते हुए कहा।
मनीषा एकदम से सकपका गई, मेरे आंख दबाने से और उसने रामया की तरफ देखा, वो मुस्करा रही थी।
लड़की तो पटी पटाई है, बस कोई पटाने वाला होना चाहिए, रामया ने मनीषा की तरफ देखते हुए कहा। मनीषा के गाल एकदम लाल हो गये।
क्या बात कर रही हो, मुझे तो पता ही नहीं, कौन है वो बदकिस्मत, मैंने चटकारा लेते हुए कहा।
बदकिस्मत ही है बेचारी, कब से पटी-पटाई बैठी है, और जिसके लिए पटी बैठी है उसको मालूम ही नहीं, रामया ने भी मनीषा की तरफ आंख दबाते हुए कहा।

तभी मेरा फोन बजने लगा। सोनल का था।
हाय, क्या चल रहा है, सोनल ने पूछा।
बस काम ही कर रहा हूं, मैंने कहा।
कब तक आ जाओगे-----
दो बजे तक आ जाउंगा, मैंने बताया।
ठीक है, जल्दी आना, दीदी तो चली गई है, और 5 बजे तक आने की कहकर गई है तो थोड़ा जल्दी आ जाना, सोनल ने कहा।
ओके, मैं जल्दी आ जाउंगा, मैंने कहा।
ओके, बाये, मुवाहहहहहहह,,, सोनल ने कहा।
ओके बाये, मैंने कहा और फोन रख दिया।
मैंने बॉस को फोन मिलाया और एक बजे घर जाने के लिए कह दिया। बॉस ने भी प्रमीशन दे दी।
हम कुछ देर तक और बातें करते रहे और मेरे जाने का समय हो गया। मैं साढ़े बारह बजे ही घर के लिए निकल गया। घर पहुंचकर सीधा उपर आया और बेड पर गिर गया। जोरों की भूख लगी हुई थी। सोनल को फोन किया और खाने के बारे में पूछा।
दो मिनट में ही वो खाना लेकर आ गई।
सुबह ऐसे ही चले गये बिना खाये, तैयार हो गया था खाना, सोनल ने बुरा सा मुंह बनाते हुए कहा।
सुबह भूख नहीं थी, इसलिए ऐसे ही चला गया, मैंने कहा।
सोनल ने बहुत ही प्यार से मुझे खाना खिलाया। थोड़ा सा मैंने सोनल को भी खिलाया।

तबीयत ठीक है ना अब पूरी तरह से, सोनल ने पूछा।
एकदम, मैंने छाती चौड़ी करते हुए कहा।
सोनल ने बर्तन बेड से नीचे रखे और घुटने के बल खड़े होते हुए मेरी तरफ झुक गई और मेरे सिर को पकड़कर अपनी तरफ खिंचा और मेरे लबों को अपने लबों की कैद में ले लिया। मैं भी उसके लबों को चूसने लगा। सोनल मेरे उपर छाती गई और मैं पिछे की तरफ झुकता गया और आखिरकार मैं बेड पर लेट गया। सोनल के उभार मेरी छाती में दब गये। धीरे धीरे हमारे कपड़े उतर गये और हम एक दूसरे में समा गये। जब तूफान थमा तो दोनों ही बेहद थक चुके थे। सोनल कुछ देर तक वेसे ही मेरे उपर लेटी रही और फिर खड़ी होकर बाथरूम में चली गई। मैं भी खडा हुआ और बाथरूम में आ गया।
सोनल मेरी तरफ देखकर मुस्करा दी। हमने एक दूसरे को नहलाया और बदल को पौंछा। मैंने सोनल को अपनी बाहों में उठाया और बाहर ले आया। एक बार मैंने घड़ी की तरफ देखा साढ़े तीन बजे थे।
सोनल को मैंने बेड पर लेटाया और खुद भी बेड पर आ गया और उसके उपर लेट गया। फिर से हमारे लब जंग में शामिल हो गये थे। सोनल का तौलिया खुल चुका था और उसके नंगे उभार मेरी छाती में चुभ रहे थे। मैंने एक हाथ हम दोनों के बीच में डाला और उसके एक उभार को सहलाने लगा। सोनल मचलने लगी। मेरा लिंग उसकी योनि को रगड़ रहा था। थोडी ही देर में सोनल ने नीचे से अपने कुल्हे उठाने शुरू कर दिये। मैंने लिंग को उसकी योनि पर सैट किया और एक हल्का सा धक्का मारा। लिंग योनि को चीरता हुआ आधा अंदर समा गया। बाकी का बचा काम सोनल ने कर दिया। उसने नीचे से अपने कुल्हों को उपर उठाया और पूरा लिंग अंदर समा गया। मेरे साथ साथ कोमल भी नीचे से धक्के लगा रही थी जिससे लिंग पूरा अंदर तक टक्कर मार रहा था। जल्दी ही हम चरम पर पहुंच गये और मैं निढाल होकर सोनल के उपर लेट गया। सोनल मेरे बालों को सहलाती रही। मुझे हल्की हल्की नींद आनी शुरू हो गई थी। चार बजे के घण्टे से मैंने आंखें खोली, सोनल भी हल्की हल्की नींद में पहुंच चुकी थी। मैंने उसे उठाया और फ्रेश होकर कपड़े पहने। वापिस आकर हम बेड पर एकदूसरे को बांहों में भरकर लेट गये। कुछ देर तक ऐसे ही लेटे रहे। सोनल बार बार मेरे होंठों को चूम रही थी। नीचे स्कूटी रूकने की आवाज आई तो सोनल उठकर बैठ गई।
शायद दीदी आ गई, सोनल ने घड़ी की तरफ देखते हुए कहा। हम उठे और बाहर आकर बैठ गये। थोड़ी देर बार नवरीत उपर आई।
ओह तो नवरीत थी, मैंने सोचा दीदी आ गई, कोमल ने कहा। नवरीत आकर हमसे गले मिली और हमारे साथ बैठ गई।
सोनल, नीचे से प्रीत की आवाज आई।
दीदी कब आई, सोनल ने चौंक कर उठते हुए कहा।
अभी मेरे साथ ही आई हैं, नवरीत ने कहा।

सोनल जल्दी से नीचे चली गई।
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Re: बैंक की कार्यवाही मजे लेकर आई

Post by jay »

अंदर बैठे, उसके जाते ही नवरीत ने मुझसे कहा।
हम्मम, कहते हुए मैं उठ गया और हम अंदर आकर बैड पर बैठ गये। नवरीत ने मेरा हाथ अपने हाथ में लिया और अपनी जांघ पर रखकर मेरे हाथों की उंगलियों को सहलाने लगी।
तबीयत कैसी है अब, नवरीत ने पूछा।
अब ठीक है, मैंने कहा।
नवरीत ने मेरे माथे पर हाथ लगाकर चैक किया और फिर गालों पर चैक करने के बाद हाथ को गालों पर ही रहने दिया।
जब से वो आई थी, मुझे उसके चेहरे पर कुछ बैचेनी सी दिखाई दे रही थी। मैं उसके बोलने का इंतजार करता रहा परन्तु उसने कुछ नहीं कहा।
मैं सोनल के सामने तो अपने दर्द को छुपाने में कामयाब हो रहा था परन्तु नवरीत के सामने मेरी सारी कोशिशें बेकार हो रही थी। मैं उसके चेहरे को देखे जा रहा था कि इस उम्मीद में कि वो कुछ बताये और देखते देखते ही मेरी आंखें नम हो गई। मेरे आंखों में आंसु देखते ही नवरीत की आंखों से भी दो आंसु छलक आये। मैंने उसके आंसुओं को पौंछा और कुछ बोलना चाहा, परन्तु गला भर आया।
नवरीत ने मुझे सिने से लगा लिया। उसके आंसु मेरे सिर पर गिर रहे थे। मेरी आंखों से तो शायद आंसु खत्म ही हो चुके थे, एक दो आंसु आंखों को नम करता और बस वो नमी ही बनी रहती। मैं शून्य आंखों से दरवाजे की तरफ देखता रहा।
मैंने भी कितनों को परेशान कर रखा है, कहां हमेशा चहकती रहने वाली नवरीत और कहां ये मेरे पास बैठी एकदम दुखी, मुझे सहारा देती हुई नवरीत, मन ही मन सोचा और खुद पर गुस्सा आ गया। मैंने आंसु साफ किये और सीधा होकर बैठ गया।
नवरीत ने मेरे चेहरे की तरफ देखा तो मैं हल्का सा मुस्करा दिया। होंठों से एक शब्द भी न बोलकर भी बहुत सी बातें हो रही थी। नवरीत मेरी पीड़ा को समझ रही थी। मुझे लग रहा था कि उसके मन में कुछ चल रहा है पर वो बता नहीं रही है। उसने मुझे फिर से बांहों में भर लिया। काफी देर तक हम एक दूसरे की बांहों में बैठे रहे। तभी सीढ़ियों से किसी के उपर आने की आवाज आई। हमने एकदूसरे को बांहों के शिकंजे से आजाद किया और नवरीत उठने लगी। तभी दरवाजा खुला और सोनल और प्रीत अंदर आई।
हाय, प्रीत ने अंदर आते हुए कहा। नवरीत उठकर बाथरूम में चली गई।
प्रीत मेरे पास आई और गौर से मेरे चेहरे की तरफ देखने लगी।
हाय, मैं उसे इस तरह देखते पाकर थोड़ा सकपका गया था।
सॉरी, प्रीत ने मेरे गाल पर लुढ़क आये एक आंसु को पौंछते हुए कहा।

किस बात के लिए, मैंने हैरान होते हुए पूछा।
सुबह जो इतना कुछ बोल दिया उसके लिए, मुझे इतना सब नहीं कहना चाहिए था, प्रीत ने दुखी चेहरा बनाते हुए कहा।
उसके लिए सॉरी की जरूरत नहीं है, सही ही कहा था आपने, मैंने बाथरूम से बाहर आती हुई नवरीत की तरफ देखते हुए कहा। वो मुंह धोकर आई थी।
मुझे पता नहीं था आपके साथ क्या हुआ है, मैंने सोचा कि ये रोज का काम होगा, इसलिए उल्टा-सीधा बोल गई, प्रीत ने वैसे ही दुखी लहजे में कहा।
मैं तो एकदम हैरान रह गया, इसे कैसे पता चल गया, कहीं सोनल ने तो नहीं बताया, मैंने सोनल की तरफ देखा। वो मुस्करा रही थी।
नहीं गलती मेरी ही थी, आपको सॉरी कहने की जरूरत नहीं है, बल्कि मैं ही आपसे माफी चाहता हूं उसके लिए------
सोनल ने मुझे सब बता दिया है, प्रीत ने मेरे पास बैठते हुए कहा।
वैसे तो पीना कोई अच्छी बात नहीं है, पर अगर आपको गम को कम करने के लिए पीनी ही पड़ती है तो यहां पर लाकर पी लीजिए, ऐसे लड़खड़ाते हुए घर में आते हैं तो अच्छा नहीं लगता, आस-पड़ोस में लोग बातें बनाते हैं, प्रीत ने मेरे कंधे पर हाथ रखते हुए दूसरे हाथ से मेरे चेहरे को अपनी तरफ करते हुए कहा।
मुझे पीना अच्छा नहीं लगता, कल मुझे पता ही नहीं चला कब मेरे कदम मयखाने की तरफ बढ़ गये, मेरी आंखों से दो आंसु और लुढ़क गये थे।
ये इश्क भी अच्छे भले इंसान को बर्बाद कर देता है, तुम्हारी तो बहन है ना वो, प्रीत ने नवरीत की तरफ देखते हुए कहा।

अंकल की लड़की है, नवरीत ने कहा।
तो तुम उसे समझा नहीं सकती, प्रीत ने उसे कहा।
वो कुछ बताती ही नहीं है कि उसने ऐसा क्यों किया, जब मैं समीर के बारे में बताती हूं कि ये कैसे तड़प रहे हैं तो वो भी तड़प उठती है, पर कुछ बताती ही नहीं है, कहते हुए नवरीत की आंखें फिर से नम हो गई।
तुम उससे मिलते क्यों नहीं एक बार, पूछो तो उससे कि उसने ऐसा क्यों किया, प्रीत ने मेरी तरफ देखते हुए कहा।
वो यहां पर नहीं है, अंकल उसी दिन पंजाब चले गये थे, अब वो वहीं पर हैं, नवरीत ने जवाब दिया।
पर समीर को तो कहा था कि इंडिया से बाहर हैं, सोनल बीच में ही बोल पड़ी।
वो तो इसलिए कहा था कि ये उनसे मिलने की कोशिश ना करें, नवरीत ने बताया।
एक मिनट, क्या उसके मां-बाप को भी पता था इनके प्यार के बारे में, प्रीत ने कन्फ्रयूज होते हुए पूछा।
रिश्ते की बात चल पड़ी थी, तुम पता होने की बात कर रही हो, सोनल ने कहा।
जब रिश्ते की ही बात हो गई थी, तो फिर ऐसी क्या दिक्कत आ गई कि धोखा ही दे दिया, कुछ कारण तो बताना था ना, प्रीत ने कहा।
तभी प्रीत का मोबाइल बजा।
हैल्लो, आ गई,,, ठीक है मैं अभी आ रही हूं, कहते हुए प्रीत उठ गई और बाहर चली गई।
चलो बाहर बैठते हैं, सोनल ने कहा। तीनों बाहर आकर बैठ गये।
तुमने पहले क्यों नहीं बताया कि अपूर्वा पंजाब में है, मैंने नवरीत से पूछा।
दीदी ने मना किया हुआ है, वो कह रही थी कि मैं उन्हें खतरे में नहीं डालना चाहती ये बताकर, नवरीत ने कहा।

कैसा खतरा, सोनल ने चौंकते हुए कहा।
मुझे नहीं पता, मैंने पूछा था, पर दीदी ने बताया ही नहीं, नवरीत ने कहा।
नवरीत की बात से मैं बैचैन हो उठा, कैसी खतरे की बात कर रही है वो, क्या अंकल से, या फिर किसी और से, मेरे मन में अनेकों विचार आने लगे।
तभी नीचे से प्रीत ने सोनल को आवाज लगाई और सोनल नीचे चली गई। मेरे मन में यही चल रहा था कि अपूर्वा कैसे खतरे की बात कर रही थी। कहीं अंकल ने कोई धमकी तो नहीं दी। पर अंकल क्यों देंगे, वो तो खुद इस रिश्ते से खुश थे, पर उन्होंने ही कुछ कहा होगा कि वो यहां नहीं आना चाहिए, क्या पता किसी की बातों में आ गये हों। मेरे मन में विचार चल रहे थे। नवरीत बैठी हुई मुझे देखे जा रही थी। विचारों का प्रवाह सामने सीढियों में आती हुई सोनल के साथ एक लड़की को देखकर थोड़ा रूका।
एक खूबसूरत लड़की सोनल के साथ आ रही थी। उपर आते ही वो एकदम से चौंक गई और वहीं खडी रह गई। सोनल हमारे पास पहुंच चुकी थी, जब उसने पिछे देखा तो वो लड़की वहीं खड़ी थी। उसे यों चौंकते हुए देखकर मैं भी हैरान था।
क्या हुआ, सोनल ने उसके पास जाकर पूछा। उस लड़की की नजरें मेरी तरफ ही थी।
कुछ नहीं, कहते हुए वो लड़की थोड़ी सी मुस्कराई और फिर हमारे पास आ गई। उसने नवरीत और मुझसे हाय-हैल्लो किया और सोनल एक चेयर ले आई। वो दोनों बैठ गई।
जब मैंने उसे थोड़ा गौर से देखा तो मुझे लगा कि मैंने इसे कहीं देखा है।
मुझे लग रहा है कि मैंने आपको कहीं देखा हुआ है, मेरी बात सुनते ही वो लडकी एकदम से बैचेन सी हो गई।
क्या आपको भी ऐसा कुछ लग रहा है, मैंने फिर कहा।
नहीं-नहीं, मुझे तो ऐसा कुछ नहीं लग रहा, मैंने तो आपको पहले कभी नहीं देखा, उसने हड़बड़ाहट में कहा।
मिट्टी पाओ, मैंने कहा और उसे गौर से देखने लगा। उसकी आंखों से मुझे ऐसा लग रहा था कि मैंने इसे देखा है या फिर इसकी आंखें किसी से मिलती जुलती है।
सोनल ने हमसे उसका परिचय करवाया। वो प्रीत की दोस्त थी। नाम सिमरन था। कुछ देर बाद प्रीत भी उपर आ गई। वो चाय और नमकीन लेकर आई थी। मैं उठकर अंदर से छोटी टेबल और एक चेयर और ले आया। चाय पीते हुए वे गॉशिप करती रही। मैं बोर हो रहा था तो उठकर अंदर आ गया। अंदर आकर मैं बेड पर लेट गया। आज फिर से अपूर्वा की ज्यादा याद आ रही थी। अब लग रहा था कि अपूर्वा को मुझसे दूर किया गया है, वो खुद नहीं हुई है। मैं उससे बात करने के लिए बैचेन हो रहा था। मैं सच्चाई जानना चाहता था।
क्या उसका प्यार इतना ही था कि घरवालों के कहने भर से उसने नाता तोड़ लिया। क्या वो अपने घर वालों को समझा नहीं सकती थी। टीस जो अब तक हल्की हल्की बनी रहती थी एकदम कई गुणा हो गई थी। आंसु जो आंखों को नम करने के लिए ही बाहर आने लगे थे आज एक बार फिर उन्होंने धारा का रूप ले लिया था। मुझसे ये दर्द सहन नहीं हो पा रहा था।
मैं उठा और बाहर आकर नवरीत को आवाज दी। नवरीत तुरंत मेरे पास आ गई। हम अंदर आ गये। मैंने अपूर्वा से बात करवाने के लिए कहा।
नवरीत ने फोन मिलाया, और दो बात करके वापिस काट दिया।
अंकल अभी बाहर हैं, दीदी के पास फोन नहीं रहता, अंकल के नंबर पर ही करना पड़ता है, मैं रात को ही बात करती हूं, तब अंकल भी घर पर होते हैं तो दिक्कत नहीं आती, नवरीत ने कहा।
अभी अंकल ने यही कहा है कि 9 बजे के आसपास बात करवा देंगे, नवरीत ने थोड़ा रूक कर फिर कहा।
इस बात से तो मुझे पक्का हो गया था कि कुछ गड़बड़ है, अपूर्वा ने मुझे धोखा नहीं दिया, उससे जबरदस्ती दिलवाया गया है। नहीं तो क्या अपूर्वा के पास अपना फोन नहीं है, जो उसे फोन नहीं दिया जा रहा।
तुम मुझे वहां का एड्रेस दो, मैं वहीं पर जाकर बात करूंगा, मैंने आवेश में आते हुए कहा।
मैं नहीं दे सकती, दीदी ने मुझसे वादा लिया है, उन्होंने साफ मना किया है कि मैं ऐसा कुछ नहीं करूंगी, जिससे आपके लिए खतरा हो, नवरीत ने उदास होते हुए कहा।
पर मुझे खतरा है किससे, ऐसा क्या हो गया कि एकदम से उन्होंने मुझसे नाता तोड़ लिया, कहते कहते मैं आवेश में आ गया था, और आवाज तेज हो गई थी। आवाज सुनकर सोनल भी अंदर आ गई।
मुझे कुछ भी नहीं मालूम, मैं सच्ची कह रही हूं, कोई मुझे कुछ बताता ही नहीं, नवरीत ने कहा।
मम्मी-पापा भी हमेशा परेशान दिखाई देेते हैं, पर वो भी कुछ नहीं बताते, कहते हुए नवरीत की आंखें नम हो गई थी।
सोनल मेरे पास आकर बैठ गई और मेरे बहते हुए आंसुओं को पौंछने लगी। उसने एक बार नवरीत की तरफ देखा और मुझे अपने सीने से लगा लिया।

क्या बता हुई, तुम दोनों की आंखों में आंसु क्यों हैं, सोनल ने नवरीत से पूछा।
नवरीत ने कुछ कहना चाहा परंतु कह नहीं पाई और एकदम से भागते हुए रूम से बाहर निकल गई। मैं तुरंत उठकर बाहर आया और मेरे पिछे पिछे सोनल भी। नवरीत नीचे जा चुकी थी। मुझे स्कूटी के स्टार्ट होने की आवाज आई तो मैं दौड़कर मुंडेर के पास पहुंचा।
रीत, रूको, मैंने आवाज लगाई।
नवरीत ने एक बार उपर की तरफ देखा और फिर आंसु पौंछते हुए तेजी से स्कूटी चलाते ही चली गई। मैं बहुत ही ज्यादा दुखी हो गया था। अब आप लोग तो जानते ही हो कि जब मैं इतना ज्यादा दुखी होता हूं तो क्या होता है, मेरे कदम नीचे की तरफ बढ़ गये। इससे पहले की मैं सीढ़ीयों पर कदम रखता सोनल ने मेरा हाथ पकड़ लिया।
कहां जा रहे हो, सोनल ने कहा।
पता नहीं, पर यहां पर मुझे घुटन महसूस हो रही है, मैंने कहा।
मुझे पता है, तुम फिर शराब पीकर आओगे, सोनल ने मेरे चेहरे की तरफ देखते हुए कहा।
नहीं, मैं बस थोड़ा टहलने जा रहा हूं, मैंने कहा।
चलो, मैं भी साथ चलती हूं, सोनल के कहा। तब तक प्रीत भी हमारे पास आ गई थी।
क्या हुआ, नवरीत भी रोते हुए गई है और तुम्हारी आंखों में भी आंसु हैं, प्रीत ने मेरे गालों से आंसु पौंछते हुए कहा।
थोड़ी बैचेनी सी महसूस हो रही है तो थोड़ा टहलने के लिए जा रहा हूं, मैंने कहा।
तभी मुझे ऐसा लगा कि जैसे अंधेरा गहराता जा रहा है और दिल में कोई सुइयां चुभो रहा है, और अगले ही पल मैं सोनल की बांहों में झूल गया।
जब होश आया तो मेरा सिर किसी की गोद में था। मैंने धीरे धीरे आंखें खोली, सामने डॉक्टर और प्रीत बातें कर रही थीं, सोनल मेरा सिर अपनी गोद में रखे बैठी थी।
होश आ गया, सोनल ने मेरे गालों पर हाथ फिराते हुए कहा।
उसकी आवाज सुनते ही डॉक्टर और प्रीत हमारी तरफ आ गये।

अब कैसा महसूस कर रहे हो, डॉक्टर ने पूछा।
मैंने कोई जवाब दिया। डॉक्टर ने मेरी आंखों को टॉर्च की रोशनी मारते हुए चैक किया। और दिल की धड़कन को चैक किया।
घबराने की कोई बात नहीं है, सब कुछ नॉर्मल है, परन्तु अबकी बार अगर ऐसा कुछ होता है तो आप तुरंत क्लिनिक ले आईये, सही चैकअप और ट्रीटमेंट वहीं पर हो सकता है, डॉक्टर ने कहा।
ओके डॉक्टर, प्रीत ने कहा।
डॉक्टर ने मेरी तरफ देखकर एक मुस्कान दी और अपना सामान का थैला उठाते हुए दरवाजे की तरफ चल दी। प्रीत उसे नीचे छोड़कर कुछ देर बाद वापिस आई।
मुझे लगता है कि तुम्हें अब अपने घर चले जाना चाहिए, वहां अपनों का साथ मिलेगा तो जल्दी ही उसे भूल जाओगे, प्रीत ने बेड के साथ खड़े होते हुए कहा।
कैसी बात कर रही हो दीदी, क्या हम समीर के अपने नहीं हैं, सोनल ने एकदम से कहा।
तू कहां से इसकी अपनी हो गई, घर पर इसके मां-बाप, भाई-बहन सब हैं, उसके साथ रहेगा, तो उसकी याद कम आयेगी, और जल्दी ही उसे भूल जायेगा। अब तू और मैं हमेशा थोड़े ही इसके साथ रह सकते हैं, प्रीत ने कहा।
पर दीदी------- सोनल इतना ही कह पाई कि प्रीत ने उसकी बात काट दी।
पर-वर कुछ नहीं, घर जाना ही सबसे अच्छा ऑप्शन है इसके लिए, यहां पर कोई संभालने वाला भी नहीं है, प्रीत ने कहा और बाहर चली गई।
दीदी की बातों का बुरा मत मानना, मैं हूं संभालने के लिए, सोनल ने कहा।
मैं बस शून्य आंखों से छत की तरफ देखता रहा, कुछ न बोला।

सोनल, बाहर से प्रीत की आवाज आई।
आई दीदी, कहते हुए सोनल उठी और बाहर चली गई।
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