मेरा प्यार मेरी सौतेली माँ और बेहन complete
- rangila
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Re: मेरा प्यार मेरी सौतेली माँ और बेहन
बहुत मस्त कहानी है मित्र
मकसद running.....जिंदगी के रंग अपनों के संग running..... मैं अपने परिवार का दीवाना running.....
( Marathi Sex Stories )... ( Hindi Sexi Novels ) ....( हिंदी सेक्स कहानियाँ )...( Urdu Sex Stories )....( Thriller Stories )
- rajaarkey
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Re: मेरा प्यार मेरी सौतेली माँ और बेहन
शुक्रिया रंगीला भाईrangila wrote:बहुत मस्त कहानी है मित्र
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- rajaarkey
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Re: मेरा प्यार मेरी सौतेली माँ और बेहन
मैने कमोड की तरफ फेस कर लिया….मुझे अहसास हुआ कि, रीदा आपी अभी भी वही खड़ी है…मैने थोड़ा सा फेस घुमा कर देखा तो, रीदा आपी मेरे पीछे एक साइड मे खड़ी थी…और तिरछी नज़रों से मुझे देख रही थी…मैने अपने लंड को बाहर निकाला….जो उस वक़्त फुल हार्ड हो चुका था….मेरा दिल जोरो से धड़क रहा था… ये सोच कर कि रीदा आपी अभी भी मेरे पीछे खड़ी है…मुझे अपने लंड की कॅप पर हल्की-2 सरसराहट महसूस हो रही थी….ऐसा लग रहा था..जैसे जिस्म का सारा खून मजीद लंड की कॅप मे इकट्ठा होता जा रहा हो…मेरे लंड की नसें एक दम फूली हुई थी….
मैं वहाँ खड़ा पेशाब करने की कॉसिश कर रहा था…पर पेशाब बाहर नही निकल रहा था…
.”अब क्या मसला है…” रीदा आपी ने पीछे खड़े होते हुए कहा….
”क्या कुछ नही आप बाहर जाए….मुझे शरम आ रही है…” अभी मैने ये बोला ही था कि, बाहर डोर बेल बजी…
.”इस वक़्त कोन आ गया…..” आपी ऐसे खीज कर बोली…जैसे किसी ने उनके हाथ से उनका नीवाला छीन लिया हो….आपी बाथरूम से बाहर चली गयी….उन्होने बाहर नीचे झाँक कर देखा…नीचे सुमेरा चाची थी…वो नीचे चली गयी…बड़ी मुस्किल से थोड़ा पेशाब निकाला…मैने सलवार का नाडा बाँधा और बाहर आ गया….मैं उसके बाद रीदा आपी के रूम मे आ गया….थोड़ी देर बाद रीदा आपी ऊपेर आई…उन्होने ने अपने एक बेटे को गोद मे उठाया और दूसरे को मुझे उठा कर नीचे लाने को कहा…मैं उनके दूसरे बेटे को उठा कर उनके साथ नीचे आ गया…जब मैं नीचे पहुचा तो, देखा कि सुमेरा चाची के साथ उनकी बुआ घर आई हुई थी…मैने उनके पैर छुए…तो चाची ने मेरा तार्रुफ उनसे करवाया…..
उस दिन और कुछ ख़ास ना हुआ….मैं थोड़ी देर और वहाँ रुका….शाम के 5 बजे मे वहाँ से निकल कर ग्राउंड की तरफ चला गया….वहाँ दोस्तो के साथ क्रिकेट खेलता रहा…..और फिर शाम को सुमेरा चाची के घर से अपना बॅग लिया और घर वापिस आ गया….उस दिन और कोई ख़ास बात ना हुई…मैं अपने पुराने दिनो के यादो मे खोया हुआ था…तभी लाइट चली गयी….मैं अपने ख्यालो की दुनिया से बाहर आया.. मैं बेड से उठा और टीवी स्विच ऑफ करके बाहर बरामदे मे आ गया…दोपहर के 12 बज रहे थे….और मैं घर पर अकेला था…घर मे ऐसे बैठे-2 मुझे बोरियत सी होने लगी थी….तो सोचा क्यों ना अपने दोस्त फ़ैज़ को मिल कर आऊ….
फ़ैज़ और मैं दोनो बचपन से एक ही स्कूल मे पढ़े थे….फ़ैज़ का परिवार हमारे गाओं मे सबसे ज़्यादा अमीर था…फ़ैज़ की काफ़ी ज़मीन जायदाद थी…कई बाग थे… खेती बाड़ी से बड़ी आमदनी थी उनको….पर उसके घर फ़ैज़ के इलावा उन पैसो को खरच करने वाला और कोई ना था…जब फ़ैज़ दो साल का हुआ था…तब उसके अब्बू की मौत हो गयी थी…फ़ैज़ के दादा दादी बड़े सख़्त किस्म के लोग थे…उनके दब दबे और रुतबे के चलते ही, उन्होने ने फ़ैज़ की अम्मी की दूसरी शादी नही होने दी थी… फ़ैज़ की अम्मी सबा के मायके वालो ने बड़ा ज़ोर लगाया था कि, सबा की दूसरी शादी हो जाए….पर फ़ैज़ के दादा दादी ने ऐसा होने नही दिया….फ़ैज़ के अब्बू के दो भाई और थे.. जो काफ़ी अरसा पहले अपने हिस्से की ज़मीन बेच बाच कर सहरो मे जाकर अपना बिजनेस करने लगे थे…
अब फ़ैज़ अपने दादा दादी और अम्मी सबा के साथ रहता था…फ़ैज़ ने मुझे कुछ दिनो पहले कार चलाना सिखाया था…क्योंकि उसके पास दो-2 कार थी…एक दिन मैं और रीदा आपी ऐसे ही बातें कर रहे थे कि, बातों बातों मे फ़ैज़ की बात चल निकली… उस दिन रीदा आपी की मैने जबरदस्त तरीके से चुदाई की थी…”जब फ़ैज़ के घर के बातो का जिकर शुरू हुआ तो, मैने रीदा आपी से ऐसे पूछ लिया…
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Re: मेरा प्यार मेरी सौतेली माँ और बेहन
मैं: रीदा एक बात बताए….ये फ़ैज़ की अम्मी ने दूसरी शादी क्यों नही की….
रीदा: कैसे करती बेचारी…तुम्हे नही पता उसके सास ससुर कितने जालिम है….
मैं: कभी -2 तो मुझे तरस आता है ऐसे लोगो पर हम 21वी सदी मे जी रहे है.. और हमारे ख्यालात कितने पिछड़े हुए है….
रीदा: ह्म्म्मह ये गाँव है…पहले ऐसे ही होता था….
मैं: रीदा आपी आप तो औरत हो…आप मुझसे बेहतर जानती होंगी…..फ़ैज़ की अम्मी इतने सालो तक कैसे बिना साथ रहे होगी….
रीदा: हाहाहा सीधे सीधे क्यों नही कहते कि, उसकी अम्मी इतने साल बिना लंड को अपनी फुद्दि मे लिए कैसे रही हो गी…
मैं: क्या औरत को मर्द की ज़रूरत इसी लिए होती है….?
रीदा: नही सिर्फ़ इसीलिए तो नही…पर समीर सेक्स ऐसी चीज़ है…जो इंसान को ग़लत सही मे फ़र्क करने के लिए नकारा कर देता है…उसकी अम्मी भी कहाँ रह पाई थी….
मैं: मतलब मैं कुछ समझा नही….
रीदा: अब ये तो खुदा ही जाने…कि बात सच्ची है या झूठी….लेकिन गाँव के लोग दबी ज़ुबान मे बात करते है कि, फ़ैज़ की अम्मी सबा का अपने ससुर के साथ चक्कर था…
मैं: था मतलब….
रीदा: (हंसते हुए) हा हाहाहा तुमने जमानेल की उमेर नही देखी अब…70 के ऊपेर का हो गया है….ऊपेर से दिन रात शराब के नशे मे डूबा रहता है…पहले शायद होगा उनके बीच मे चक्कर….लेकिन अब वो बूढ़ा कहाँ अपनी बहू को चोद पाता होगा….
मैं: हाहः कह तो तुम ठीक रही हो….
ऐसे ही ख्यालो मे डूबे हुए मैने घर को लॉक किया और फ़ैज़ के घर की तरफ चल पड़ा…जब मैं अपनी गली क्रॉस करके फ़ैज़ के घर के करीब पहुचा तो, मैने देखा बिल्लू चाचा फ़ैज़ के घर के सामने पीपल के पेड़ के नीचे बने थडे पर बैठा हुआ था…और फ़ैज़ के घर की तरफ देख रहा था…..जब मैने बिल्लू चाचा की नजरो का पीछा किया तो, देखा कि सामने छत पर चौबारे के पास फ़ैज़ की अम्मी सबा खड़ी थी….उसके बाल खुले हुए थे…शायद वो नहा कर बाहर आई थी… वो अपने हाथो से बालो को सेट कर रही थी…और नीचे बैठे बिल्लू की तरफ देख रही थी..
बिल्लू चाचा जो कि पुर गाओं मे अपनी आशिक मिज़ाजी के लिए मशहूर था…वो सबा को लाइन मार रहा था….और मुझे ये देख कर और भी ज़यादा हैरत हुई कि, सबा भी उसे लाइन दे रही थी…किसी ने सच ही कहा है….औरत अन्न और धन के बिना तो रह सकती है….पर लंड के बिना नही रही सकती…सबा जिसे मैं चाची कहता था…वो भी बिल्लू की तरफ देख कर मुस्कुरा रही थी….मैं सीधा बिल्लू के पास चला गया…” और चाचा जी की हाल है…? “ मैने बिल्लू के पास खड़े होते हुए पूछा…”
ओये समीर तुम इधर कहाँ….मैं तो ठीक हूँ…लेकिन तुम ईद का चाँद हो गये हो….”
मैने एक बार मूड कर छत पर खड़ी सबा की तरफ देखा…तो बिल्लू चाचा ने भी मेरी नजरो का पीछा किया…
और फिर जैसे ही मैने बिल्लू चाचा की तरफ देखा तो, वो मेरी तरफ देख कर मुस्कुराने लगा…”क्यों चाचा नया शिकार फँसा लिया लगता है….”
बिल्लू मेरी बात सुन कर मुस्कुराने लगा….”यही समझ ले भतीजे……साली पर बड़े दिनो से ट्राइ मार रहा हूँ…आज जाकर स्माइल दी है… बिल्लू ने सलवार के ऊपेर से अपने लंड को मसलते हुए कहा
…” मतलब अभी तक बात आँखो आँखो से हो रही है….क्यों चाचा….”
बिल्लू: हहा भतीजे जी….पर लगता है अपना मामला सेट हो गया….अब किसी तरह एक बार इसकी फुद्दि मिल जाए बस…फिर तो खुद ही वही आ जाएगे….जहा पर इसको बुलाउन्गा…
मैं: तुम्हारी तो मोज हो गयी चाचा…..क्या माल फँसाया है….
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Re: मेरा प्यार मेरी सौतेली माँ और बेहन
बिल्लू: यार पूछ कुछ ना….साली जब चलती है…तो इसकी गान्ड ऐसे हिलती है…जैसे तरबूज हिल रहे हो…इसको तो खड़ा करके पीछे से अपना लंड इसकी गान्ड के बीच रगड़ने का बड़ा मन कर रहा है….साली दी बूँद दे बड़ा गोश्त चढ़ हुआ है…
मैं: चाचा माल तुम्हारा है….जैसे चाहे मर्ज़ी करना…
मैने मूड कर देख तो सबा अभी भी वही खड़ी थी…और हम दोनो को देख रही थी…”और तुम सूनाओ….तुम इधर कहाँ घूम रहे हो….?”
मैं: चाचा मैं तो फ़ैज़ से मिलने आया था….
बिल्लू: ओये ख़याल रखी….फ़ैज़ को ग़लती से कुछ बता ना देना..
मैं: नही बताता चाचा…मैने बता कर क्या करना है…और सूनाओ सुमेरा चाची की तो रोज मारते होगे…..
बिल्लू: कहाँ यार…पता नही साली को क्या हो गया….दो साल हो गये उसकी फुददी मारे …पैन्चोद अब तो हाथ भी रखने नही देती अपने ऊपेर….
मैने मन ही मन सोचा चाचा हाथ तुझे सबा भी नही रखने देगी… अब इस पर मेरी भी आँख आ गयी है….देखता हूँ कि , कोन इसे पहले चोदता है….” अच्छा चाचा मैं ज़रा फ़ैज़ से मिल कर आता हूँ…..
बिल्लू: अच्छा जा….
मैं वहाँ से मुड़ा तो देखा कि सबा अब वहाँ नही खड़ी थी…मैं फ़ैज़ के घर अंदर दाखिल हुआ तो, सामने बरामदे मे फ़ैज़ की दादी बैठी हुई थी…जो काफ़ी बूढ़ी हो गयी थी…आँखो पर नज़र वाला मोटा चस्मा लगा हुआ था…मैने जाकर उनके पैर छुए….”वे कॉन है तूँ…..की काम है…”
मैं: दादी जी मैं समीर….बॅंक वाले फ़ैसल का बेटा….
दादी: ओह्ह अच्छा अच्छा….बेटा अब इन बूढ़ी आँखो को दिखाई कम देता है ना…
मैं: कोई बात नही दादी जी….मैं फ़ैज़ से मिलने आया था…
दादी: ऊपर ही होना है…जाकर मिल लये
मैं सीढ़ियाँ चढ़ कर ऊपेर चला गया….जब मैं ऊपेर पहुचा तो देखा सबा चारपाई पर धूप मे बैठी हुई थी….”सलाम चाची जी…” मैने मुस्कुराते हुए कहा…”सलाम आ समीर पुत्तर आज इधर का रास्ता कैसे भूल गये….?” सबा ने भी मुस्कुरा कर कहा…”जी मैं फ़ैज़ से मिलने आया था….आज सनडे था तो सोचा फ़ैज़ के साथ कही घूम फिर आउ…..”
सबा चाची: पर वो तो अपने दोस्तो के साथ सहर गया है….
मैं: अच्छा कोई बात नही….फिर कभी उससे मिल लूँगा…मैं चलता हूँ…
सबा: अर्रे अभी तो आए हो….रुक कर दम तो ले लो…मैं तुम्हारे लिए चाइ बनाती हूँ..
मैं: रहने दें चाची…मैं इस वक़्त चाइ नही पीता….
सबा: तो क्या हुआ आज चाची के हाथ की चाइ पी लो…वैसे भी सर्दी है…
मैं: ठीक है…चाची जी जैसे आप कहें….
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