Incest जिंदगी के रंग अपनों के संग

Post Reply
User avatar
rangila
Super member
Posts: 5698
Joined: 17 Aug 2015 16:50

Incest जिंदगी के रंग अपनों के संग

Post by rangila »

जिंदगी के रंग अपनों के संग


कॅरेक्टर्स
________________________________________
अजय की फॅमिली
मिस्टर. डी.पी.गुप्ता – अजय के डॅड
मिसेज़. सुषमा गुप्ता – अजय की मोम
आशु (गुड़िया) – अजय को जान से ज़्यादा प्यारी सिस्टर
मिसेज़. अमृता – अजय की चाची की बेटी

अजय के मामा की फॅमिली
मिस्टर. राम प्रकाश – अजय के मामा आंड बहुत ही अच्छे बिज़्नेसमॅन
मिसेज़. मीरा प्रकाश – अजय की मामी
मिस. नैना – मीरा प्रकाश & राम प्रकाश की एकलौती बेटी और अजय की बड़ी कज़िन सिस्टर

नैना के फ्रेंड्स
मिस. शैली – नैना की दोस्त
सुनीता, किम, रजत, अमन, आरती, सोनी :- शैली और नैना के फ्रेंड्स

रवि की फॅमिली
मिस्टर. रमेश – रवि के डॅड
मिसेज़. सोनी – रवि की मोम
मिस. जिया – रवि की बड़ी बहेन
मास्टर रवि – अजय का बचपन का दोस्त

प्रिया की फॅमिली
मिसेज़. रेखा- प्रिया की मोम
मिस. प्रिया – अजय के बचपन का प्यार

स्पेशल्स
जॅक – (स्पेशल फोर्स सोल्जर आंड हाइयर्ड बाइ राम प्रकाश) अजय का दोस्त+ट्रेनर+बॉडीगार्ड

अदर्स
मिस. जुली – मिस्टर. राम प्रकाश की सेक्रेटरी
मिस्टर. रोबी – प्रकाश फॅमिली के सेक्यूरिटी के हेड
मास्टर समीर- कॉलेज का गुंडा
मिस्टर. रामलाल – गुप्ता फॅमिली के गार्डनर
मास्टर रघु – रामलाल का बेटा

User avatar
rangila
Super member
Posts: 5698
Joined: 17 Aug 2015 16:50

Re: जिंदगी के रंग अपनों के संग

Post by rangila »

आज मैं काफ़ी खुश था आज मैं पूरे 15 साल बाद अपने मोम डॅड से मिलने वाला था. हाई फ्रेंड्स मैं हूँ अजय आप सोच रहे होंगे कि अजीब बंदा है जो 15 सालो से अपनी फॅमिली से नही मिला तो आप सही सोच रहे है दोस्तो मैं जब पैदा हुआ तो डेलिवरी मैं कुछ प्रॉब्लम होने की वजह से मेरी हालत काफ़ी खराब थी जिस वहज से मुझे काफ़ी लंबे टाइम तक हॉस्पिटल मे रहना पड़ा. पर हालत ना सुधरने की वजह से मेरे मामा मुझे किसी तरह मेरे मोम डॅड को समझा के मुझे अपने साथ अमेरिका ले गये थे और उस के बाद मैं कभी इंडिया नही आया ना ही मोम यहाँ आई मुझ से मिलने के लिए उन का कहना था कि मुझ से एक बार मिलने के बाद वो मेरे बिना नही रह पाएँगी इसीलिए वो मुझ से मिलने कभी नही आई हाँ बीच-बीच मे डॅड ज़रूर आते थे पर फोन से बराबर बात होती थी. जिस की वजह से मेरा बचपन वही गुजरा पर मुझे इंडिया की बहुत याद आती थी. पर मुझे मेरे मामा-मामी कभी इंडिया नही आने देते थे. पर मैने इंडिया के बारे मे काफ़ी सुना था कि वहाँ पे क्या क्या होता है मुझे यहाँ के फेस्टिवल पसंद थे मेरा भी मन करता था कि मैं भी अपने पूरे परिवार के साथ अपने फेस्टिवल मनाऊ पर होनी को कौन टाल सकता है.

मामा (राम प्रकाश)- उम्र 40 से 45 के बीच बहुत ही ज़िंदाडिल इंसान है दूसरो की हेल्प के लिए हमेशा आगे रहते है उन की कई कंपनी है इंडिया और बाहर के देशो मे मतलब कि पैसो की कोई कमी नही है और पैसो का घमंड भी नही है देखने मे भी काफ़ी हॅंडसम है बॉडी भी ठीक-ठाक ही है मुझे अपनी जान से भी ज़्यादा प्यार करते है इसलिए इन्होने अपनी प्रॉपर्टी का 60% मेरे नाम कर दिया है.

मामी (मीरा)- एक बहुत ही सुलझी हुई औरत है और मेरी दूसरी माँ भी बहुत ही खूबसूरत कोई एक बार देख के बोल ही नही सकता कि ये एक जवान लड़की की माँ है (दोस्तो यहाँ आगे इसलिए नही लिखा कि फीमेल्स को अपनी आगे छुपाने मे अलग ही मज़ा आता है) मामा का बिज़्नेस संभालने मे ये काफ़ी हेल्प करती है.

नैना- मामा-मामी की इकलौती संतान देखने मे किसी हेरोयिन से कम नही और नखरे भी वैसे ही मुझ से एक साल बड़ी होने के नाते हमेशा मुझ पे हुकुम चलाती रहती है इन को मेरे से बस एक ही प्रॉब्लम है कि मेरे को इनसे ज़्यादा प्यार क्यूँ मिलता है गुस्सा तो हमेशा इनकी नाक पे रहता है.

शैली- ये नैना दीदी की फ्रेंड और हमारे पड़ोसी जॉन अंकल की बेटी है जिस का ज़्यादातर टाइम हमारे घर मे ही बीतता है पर क्यूँ ये मेरे आज तक समझ नही आया देखने मे कमाल की है बिल्कुल बार्बी डॉल की तरह इन के 2 बॉय फ्रेंड के बारे मे मुझे पता है.

मे-अजय स्पोर्ट्समॅन होने की वजह से बॉडी काफ़ी फिट आंड फाइन है. फेस भी काफ़ी हद तक अट्रॅक्टिव है जिस वजह से मुझे लोगो की काफ़ी अटेन्षन्स मिलती है लाइफ मे ऐसा कुछ भी नही जो मैने चाहा और वो मुझे नही मिला मैं अपनी लाइफ से काफ़ी हद तक खुश था. और अब मेरी एक ही इक्षा (विश थी कि मैं इंडिया मे रह के अपनी आगे की लाइफ को एंजाय कर सकूँ.

सुबह के 7 बज रह थे और आज सनडे होने की वजह से मुझे जल्दी उठने की जल्दी नही थी और मैं अपने मीठे सपनो मे था कि किसी ने मेरे उपर पानी डाल दिया बता नही सकता कि मुझे कितना गुस्सा आया पर जब नीद खुली और सामने देखा तो सारा गुस्सा रफू-चक्कर हो गया सामने नैना दी हाथ मे पानी का जग लिए खड़ी थी.

मैं - क्या दी आप भी आराम से नही उठा सकती थी पूरा गीला कर दिया.

नैना दी- पिछले आधे घंटे से मोम उठा तो रही है आराम से पर तू है कि उठने का नाम ही नही ले रहा इस लिए मैं ने अपना तरीका आज़मा लिया और देख काम बन गया तू एक मिंट मे उठ गया.

मैं- हाई कोई कभी तो मेरा भी टाइम आएगा तब बताउन्गा आपको.

नैना दी- वो टाइम कभी नही आ सकता. चल जल्दी फ्रेश हो के नीचे आ मोम-डॅड तेरा ही वेट कर रहे है.

मैं- ओके, आप चलो मैं 15 मिंट्स मे आता हूँ.

जल्दी आना नही तो अच्छा नही होगा ये बोल के नैना दी नीचे चली गयी और मैं फ्रेश होने बाथरूम मे चला गया फिर आधे घंटे मे तैयार हो के नीचे गया यहाँ पे मामा नाश्ते की टेबल पे न्यूसपेपर पढ़ रहे थे मैं उन के पास गया उन के पैर छू के मॉर्निंग विश किया फिर मामी का पूछा तो पता चला कि किचन मे है मैं किचन मे चला गया वहाँ मामी जूस निकाल रही थी मैं ने मामी के पैर छुए और मॉर्निंग विश कर के नाश्ते के टेबल पे आ गया. वहाँ आते ही नैना दी ने अपने पैर आगे कर दिए. मैं और मामा नैना दी को देखने लगे तो नैना दी ने बोला कि पैर छूने के लिए हैं आख़िर मैं भी तो बड़ी हूँ. उनकी बात सुनके मेरी और मामा की हसी निकल गयी फिर मैं ने उन को भी मॉर्निंग विश किया फिर ऐसे ही हसी मज़ाक मे हम सब ने नाश्ता किया.

मामा- तो अजय आज का क्या प्लान है.

मैं- कुछ खास नही बस अपने डॉक्युमेंट्स स्कूल से कलेक्ट करने है इस के बाद फ्री हूँ.

मामा- गुड डॉक्युमेंट्स कलेक्ट कर के मुझे मेरे ऑफीस मैं आ के मिलो.

मैं-ओके, जैसा आप ठीक समझे.

फिर मामा ऑफीस के लिए निकल गये और मैं तैयार हो के अपने स्कूल के लिए यहाँ कुछ पुराने दोस्तो से बातचीत की फिर डौकुमएंट्स कलेक्ट कर के मामा के ऑफीस के लिए निकल गया. वहाँ पे जाके पता चला कि मामा किसी मेत्टिंग मे है तो मैं उन के कॅबिन मे बैठ के उनका वेट करने लगा. करीब 20 मिनट के बाद मामा आए और उन के साथ उनकी सेक्रेटरी जुली भी थी (जुली एक बहुत ही खूबसूरत लड़की थी और मेरी उससे काफ़ी अच्छी बनती थी).

मामा-सॉरी अजय मुझे किसी काम से अभी बाहर जाना पड़ रहा है इस लिए तुम्हारा काम अब जुली करवा देगी ओके.

मैं-कैसा काम

मामा-तुम्हे जुली के साथ अभी बॅंक जाना है वहाँ पे ये तुम्हारे बॅंक अकाउंट को मेरे अकाउंट से लिंक करवा देगी बॅंक मे मेरी बात हो गयी है ताकि फ्यूचर मैं तुम्हे कभी कोई प्राब्लम ना हो

मैं- इस की कोई ज़रूरत नही मामा मेरे अकाउंट मे ऑलरेडी काफ़ी कॅश पड़ा है

मामा-पता है पर फिर भी ये फ्यूचर के लिए है अब तुम इंडिया जा रहे हो और तुम्हे अपना प्रोमिस तो याद है ना कि तुम मेरे बेटे बन के इंडिया जा रहे हो वहाँ जो भी खर्च हो गा तुम इस अकाउंट से करोगे समझ गये और अब मैं कोई बहस नही चाहता अब मुझे देर हो रही है तुम जुली के साथ जा के काम करवा लो .

और ये बोल के मामा अपने कॅबिन से निकल गये और फिर मैं जुली से बोला कि क्या चल रहा है आज कल तुम्हारी लाइफ मे कुछ इंट्रेस्टिंग है या वोही बोरिंग लाइफ.

Jaunpur

Re: जिंदगी के रंग अपनों के संग

Post by Jaunpur »

.
रंगीला भाई,
कहानी क्यों बंद कर दिया?
मुझे रोमन में मज़ा नहीं आता, प्लीज़ पूरा कर दो।
वैसे रोमन में मज़ा लेने वाले, पढ़ सकते हैं।

.
कृपया दूसरे किसी अन्य फोरम का प्रचार ना करें Admin
.
.
User avatar
rangila
Super member
Posts: 5698
Joined: 17 Aug 2015 16:50

Re: जिंदगी के रंग अपनों के संग

Post by rangila »

Jaunpur wrote:.
रंगीला भाई,
कहानी क्यों बंद कर दिया?
मुझे रोमन में मज़ा नहीं आता, प्लीज़ पूरा कर दो।
वैसे रोमन में मज़ा लेने वाले, पढ़ सकते हैं।

.

.
.
OK JAUNPUR BHAI SAMAY NIKALUNGA IS KAHAANI KE LIYE BHI



PAR AAP KAHAN HO KITNO DINO SE AAPKI TARAF SE KOI DHAMAKA NAHI HUA
User avatar
rajsharma
Super member
Posts: 15829
Joined: 10 Oct 2014 07:07

Re: जिंदगी के रंग अपनों के संग

Post by rajsharma »

(^^^-1$s7)
Read my all running stories

(वापसी : गुलशन नंदा) ......(विधवा माँ के अनौखे लाल) ......(हसीनों का मेला वासना का रेला ) ......(ये प्यास है कि बुझती ही नही ) ...... (Thriller एक ही अंजाम ) ......(फरेब ) ......(लव स्टोरी / राजवंश running) ...... (दस जनवरी की रात ) ...... ( गदरायी लड़कियाँ Running)...... (ओह माय फ़किंग गॉड running) ...... (कुमकुम complete)......


साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,
मंदिर जाकर जाप भी कर लेता हूँ ..
मानव से देव ना बन जाऊं कहीं,,,,
बस यही सोचकर थोडा सा पाप भी कर लेता हूँ
(¨`·.·´¨) Always
`·.¸(¨`·.·´¨) Keep Loving &
(¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling !
`·.¸.·´ -- raj sharma
Post Reply