भैया का ख़याल मैं रखूँगी complete

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mini

Re: भैया का ख़याल मैं रखूँगी

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maine kal post kiya tha,aaj gayab h,esa kyo
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Dolly sharma
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Re: भैया का ख़याल मैं रखूँगी

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तभी पर्दे पर ऐंटी ड्रग मूव्मेंट को सपोर्ट करने वाली एक अड्वर्टाइज़्मेंट स्टार्ट हुई और उसके बाद मूवी शुरू हो गयी. सब लोग आराम से मूवी का मज़ा लेने लगे. बीच बीच मे आशना चोर नज़रों से त्रिवेणी-विजय की तरफ देख लेती कि कहीं त्रिवेणी ने कोई हरकत करना तो शुरू नहीं कर दी. वीरेंदर ने आशना के हाथ पर अपना हाथ रखा तो आशना सिहर उठी. उसने झट से त्रिवेणी की तरफ देखा और फिर चारो और नज़र घुमाई. सभी मूवी में खोए हुए थे.

आशना(वीरेंदर की तरफ सरककर): वीर, यह क्या कर रहे हैं आप, मुझे शरम आती है.

वीरेंदर ने कुछ नहीं कहा बस आशना के हाथ को दबा दिया. आशना की साँस फूलने लगी. वीरेंदर ने आशना के हाथ को खींच कर अपनी टाँग पर रखा तो आशना के दिल की धड़कन बढ़ गयी. आशना ने वीरेंदर की तरफ देखा. हालाँकि हाल में काफ़ी अंधेरा था मगर उन दोनो की नज़रें एक दूसरे को देख सकती थी. आशना ने नज़रें मिलाकर धीरे से गर्दन ना में हिलाई. वीरेंदर बस मुस्कुरा दिया.

वीरेंदर(आशना के कान में): आइ आम सो एग्ज़ाइटेड आशना.

आशना: मी टू वीर बट हम अकेले नहीं हैं.

वीरेंदर: डॉन'ट वरी अब यहाँ हम चारों के अलावा कोई नहीं आएगा.

आशना ने हैरानी से वीरेंदर की तरफ देखा.

वीरेंदर: मैने यह दोनो रोस की बुकिंग करवा दी थी. मैं नहीं चाहता था कि कोई हमे डिस्टर्ब करे.

आशना ने हैरानी और प्यार भरी नज़रों से वीरेंदर की तरफ देखा.

आशना: लव यू वीर.

वीरेंदर: मी टू.

वीरेंदर ने विजय को भी यह बात बता दी थी कि पिछली दोनो रोस उसने बुक करवा दी है.

विजय ने अपना हाथ उठाकेर त्रिवेणी की जाँघ पर रख दिया. त्रिवेणी के दम सिहर उठी.

त्रिवेणी(धीमे से): क्या हुआ डॉक्टर. साहब.

विजय: पास आओ ना.

त्रिवेणी(शॉक्ड सी): क्या हो गया आपको मिस्टर. सबर करिए, शाम को आपके फ्लॅट पर चल रही हूँ ना.

विजय: वहाँ जाकर भी ऐसा क्या करने दोगि जो हम यहाँ नहीं कर सकते.

त्रिवेणी: यह आज क्या हो गया आपको, कैस बातें कर रहे हैं आप.

हालाँकि त्रिवेणी काफ़ी बोल्ड लड़की थी मगर यह उसकी नेचर में था. उसका और विजय का रीलेशन 3 साल से ज़्यादा समय से चल रहा था मगर उन दोनो ने आज तक बहक कर हद पार नहीं की थी. जब कभी विजय बहका उसे त्रिवेणी ने संभाला और जब कभी त्रिवेणी बहकी उसे विजय ने संभाला. शायद यही वजह थी कि दोनो का प्यार वक्त के साथ साथ और भी गहरा होता चला गया.

विजय: अब क्या हुआ, आज तो दोपहर से ही बोल्ड बन रही हो.

त्रिवेणी ने अपना सर विजय के कंधे पर रख दिया और बोली: आप तो जानते हैं ना मुझे, मैं ऐसे ही हूँ मगर आप यह भी जानते हैं कि हम दोनो के लिए क्या बेहतर है.

विजय: डॉन'ट वरी वेणी, मुझे उस दिन का इंतज़ार रहेगा जब तुम दुल्हन के लिबास में मेरे बिस्तर पर होगी और हम दोनो उस रात जी भर कर प्यार करेंगे.

त्रिवेणी: आमीन.

विजय: लेकिन तुम ही तो कहती थी कि तुम्हे एक बार पब्लिक प्लेस पर प्यार करने का रोमांच फील करना है.

त्रिवेणी: मेरे जानू, अगर यहाँ कोई आ गया तो???

विजय ने उसे वीरेंदर द्वारा सीट्स की बुकिंग के बारे में बता दिया.

त्रिवेणी: लेकिन यार आशना और जीजू भी तो हैं, मुझे बहुत शरम आएगी.

वहीं वीरेंदर की भी यही डिमॅंड थी और आशना भी इसी पशोपेश में थी. दोनो मर्दो ने अपनी अपनी डिमॅंड्स रख दी थी और फ़ैसला उन दोनो पर छोड़ दिया था. दोनो लड़कियाँ काफ़ी डर भी महसूस कर रही थी और काफ़ी एग्ज़ाइट्मेंट भी. दोनो ही अपने अपने प्रेमी के लिए यह सब करना चाहती थी आख़िर जवानी इसी को तो कहते हैं. जवानी में इंसान वो सब कर गुज़र जाता है जो उसने कभी सोचा भी ना हो मगर उन दोनो सहेलियों के बीच इस बात की काफ़ी झिजक थी. हालाँकि त्रिवेणी काफ़ी बोल्ड थी बट किसी के सामने यह सब करना उसके लिए भी बड़े शरम वाली बात थी.

इसी उधेड़ बुन में इंटर्वल हो गया और हॉल की लाइट्स ऑन हो गयी.

आशना और त्रिवेणी की नज़रें मिली तो दोनो ही एक दूसरे की हालत से अंजान ना रह सकीं. त्रिवेणी ने बात पलटने के लिए वीरेंदर की तरफ देख कर कहा : जीजू मान गयी आपको, क्या चाल चली आपने. सारी सीट्स ही बुक करवा ली. वीरेंदर त्रिवेणी की बात से एकदम चौंक गया और बात बदलने के लिए झट से अपनी सीट से उठ खड़ा हुआ.

वीरेंदर: आओ यार विजय बाहर घूम कर आते हैं और कुछ खाने पीने को भी ले आते हैं.

वीरेंदर और विजय दोनो बाहर की तरफ चल दिए. आशना और त्रिवेणी दोनो खामोशी से वहीं बैठे रहे. दोनो में से किसी को भी कोई भी बात नहीं सूझ रही थी. वो दोनो बार बार एक दूसरे को देख कर मुस्कुरा देती लेकिन बात करने की हिम्मत किसी की नहीं हो रही थी. यह पहली बार ऐसा हुआ था कि त्रिवेणी बोलने से झिजक रही थी.

हिम्मत करके त्रिवेणी बोली: क्या हुआ तुम मूज़े देख कर बार बार मुस्कुरा क्यूँ रही हो????

आशना: यही सवाल मैं तुमसे पूछूँ तो???

त्रिवेणी: मैं तो ऐसे ही हूँ. हमेशा खुश रहती हूँ.

आशना: मैं भी तो ऐसी ही हूँ. मुझे भी खुश रहना अच्छा लगता है.

इस बात के बाद दोनो फिर से खामोश हो गयी. करीब 5 मिनिट के बाद वीरेंदर और विजय हाल में दाखिल हुए. आशना और त्रिवेणी ने उन दोनो की तरफ देखा और फिर एक दूसरे की तरफ. वीरेंदर और विजय चलते चलते उन दोनो से बस 8-9 सीट्स ही दूर रह गये थे. त्रिवेणी और आशना के दिल कोई धड़कन बढ़ चुकी थी.

तभी अचानक से त्रिवेणी बोली: मुझे लगता है खुद खुश होने के साथ साथ हमे इन्हे भी खुश कर देना चाहिए और उसी वक्त त्रिवेणी की बात काटते हुए आशना बोली: हमारी तरफ मत देखना.

दोनो ने यह बात एक ही समय में बोली और जैसे ही दोनो की नज़रें मिली दोनो के होंठो पर एक मुस्कान आ गयी और दोनो खिल खिला कर हंस दी. तब तक वीरेंदर और विजय भी उनके करीब पहुँच गये थे.

विजय और वीरेंदर(साथ साथ बोलते हुए): क्या हुआ हमे भी तो बताओ.

उन दोनो का एकसाथ एक समय पर एक ही सवाल सुनकर वो दोनो फिर से खिलखिलाकर हंस पड़ी. सब ने अपनी अपनी सीट्स ली और सॉफ्ट ड्रिंक के साथ साथ पॉपकॉर्न शेयर करने लगे.

आशना ने वीरेंदर की तरफ और त्रिवेणी ने विजय की तरफ अपना रुख़ किया. दोनो दोस्तो ने हैरानी से अपनी अपनी गर्लफ्रेंड की तरफ देखा और फिर दोनो दोस्तों की नज़रें मिली. आशना और त्रिवेणी एक दूसरे की तरफ पीठ करके बैठी थी.

वीरेंदर(आँखूं के इशारे से): व्हाट????

आशना: कुछ नहीं बस ऐसे ही देख रही हूँ.

वीरेंदर: क्यूँ????

आशना: मेरी मर्ज़ी, हक है मेरा आप पर.

वीरेंदर ने अपनी राइट बाज़ू आशना के शोल्डर पर रखी तो आशना की सिसकी निकल गयी.

वीरेंदर: हक तो मेरा भी पूरा है.

आशना: मेरे सरताज, मैं तो पूरी आपकी हूँ. जैसे चाहे दिल बेहलाइए.

वीरेंदर(आशना की आँखों में देखते हुए): सच!!!!.

आशना: मुच.

वीरेंदर ने अपनी बाज़ू का दवाब बढ़ाकर आशना को अपने पास खींचा और दोनो के होंठ जुड़ गये. उनके क़ानून में पुच पुच की आवाज़ आने लगी. आशना ने महसूस किया कि सेम आवाज़ उसके पीछे से भी आ रही थी. स्मूच करते हुए वीरेंदर ने अपना दूसरा हाथ आशना के गले पर रखकर आशना को मदहोश करना शुरू कर दिया. आशना के गले से एक घुटि हुई चीख निकली और आशना ने झट से वीरेंदर के हाथ पर अपना हाथ रख दिया. वीरेंदर ने मज़बूती से अपने हाथ को आशना के गले से नीचे करना शुरू कर दिया. आशना ने ज़्यादा विरोध नहीं दिखाया मगर उसकी गर्दन ना में घूमती रही. वीरेंदर का हाथ जैसे ही आशना के गले से नीचे उसकी क्लीवेज के पास पहुँचा, आशना एक दम सिहर उठी और वो ज़ोर से वीरेंदर के लब चूसने लगी.

वीरेंदर ने धीरे से टी-शर्ट के उपेर से ही आशना के एक वक्ष को पकड़ लिया. आशना ने अपने हाथ वीरेंदर के सर के पीछे लेजा कर उसे अपनी तरफ खींचा और ज़ोरदार तरीके से वीरेंदर की स्मूच का जवाब देने लगी. वीरेंदर ने अपनी जीभ खोलकर आशना की जीभ को आमंत्रण दिया जिसे आशना ने झट से स्वीकार किया और दोनो की जीभ एक दूसरे की जीभ से टकराती हुई एक दूसरे के मूह का रास्ता तय करने लगी.
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Dolly sharma
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Re: भैया का ख़याल मैं रखूँगी

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लास्ट रो में गरम सांसो का शोर बढ़ चुका था. आशना वीरेंदर के साथ और त्रिवेणी विजय के साथ संसारिक मोह से दूर निकल आए थे. वो यहाँ तक भूल गयी थी कि वो एक पब्लिक प्लेस पर हैं और वो अकेले नहीं हैं. वीरेंदर और विजय की हालत भी इनसे अलग नहीं थी. दोनो के लिंग अपने अपने आकार में आ चुके थे और कपड़ों से बाहर निकलने को बेताब थे.

विजय ने त्रिवेणी का हाथ अपने गले से उठाकर अपनी पॅंट पर रखा तो त्रिवेणी किसी मदमस्त समुन्द्रि लहर की तरह हिलकोरे खा कर मचलने लगी. त्रिवेणी ने अपना हाथ आराम से विजय के लिंग की लंबाई पर चलाया तो विजय की मस्ती भरी आह के साथ साथ उसके कान में वीरेंदर के दिल से निकली आह भी सुनाई दी.

आशना ने काँपते हाथों से वीरेंदर की पॅंट की ज़िप खोली.

वीरेंदर: लुक अट मी आशना.



आशना ने सर झुकाए हुए ना में गर्दन हिलाई. वीरेंदर ने उसकी चिन के नीचे हाथ रखकर उसके चेहरे को उठाया तो वीरेंदर की आँखों के सामने आशना का चमकता गुलाबी चहरा आ गया. आशना की आँखें बंद थी मगर शरम और लज़्ज़त से उसके होंठ फड्फाडा रहे थे. वीरेंदर, काफ़ी देर तक आशना के आंजेलिक चेहरे को निहारता रहा. वीरेंदर की तरफ से कोई हरकत ना पाकर आशना ने जैसे ही थोड़ी सी आँखें खोली.

वीरेंदर: गॉर्जियस. यू आर सो ब्यूटिफुल, मुझे यकीन नहीं हो रहा आशना कि तुम मेरी हो.

आशना की आँखें फिर से बंद हो गयी और होंठ मुस्कराते हुए खिल गये. वीरेंदर ने आशना के होंठो पर अपनी उंगली फिराई तो आशना सिहर उठी. आशना ने मूह खोलकर वीरेंदर की उंगली को अपने होंठों मे ले लिया. आशना ने वीरेंदर की आँखों में देखा तो वीरेंदर की आँखो की चमक और संतुष्टि देख कर आशना के दिल को एक अजब सा सुकून मिला. वीरेंदर की खुशी उसकी आँखों से बयान हो रही थी. आशना ने वीरेंदर की आँखो में देखते हुए वीरेंदर की उंगली को मूह में चूस लिया. लज़्ज़त से वीरेंदर की आँखें बंद हो गयी.

वीरेंदर, अपनी गर्दन सीट की तो पर रखकर आशना के मूह के नरम और गरम एहसास को अपनी उंगली पर एंजाय करने लगा. आशना ने अपना हाथ वीरेंदर की छाती पर रखते हुए उसकी शर्ट के दो बटन खोल दिए. आशना का नरम हाथ वीरेंदर की मर्दाना छाती पर पड़ते ही वीरेंदर ने सुकून की आह भारी. वीरेंदर की सख़्त छाती पर हाथ फेरते हुए आशना ने वीरेंदर के निपल्स को जैसे ही कुरेदना शुरू किया वीरेंदर का हाथ आशना के शोल्डर से होता हुआ उसके राइट बूब पर आ गया और उसे ज़ोर से दबा दिया.

आशना के गले से एक घुटि हुई चीख निकली. आशना के राइट बूब को अच्छे से मसल्ने के बाद वीरेंदर ने अपना हाथ टी-शर्ट के गले से अंदर डालने की कोशिश की तो आशना ने वीरेंदर के हाथ को अंदर जाने से रोक लिया और उसकी तरफ देखकर इशारे से उसे यह ना करने की इल्टीजा की. वीरेंदर ने आशना की गर्दन पर ज़ोर लगा कर उसे नीचे की तरफ झुकाना शुरू किया. आशना के लिए इतना इशारा काफ़ी था.

आशना ने आगे झुक कर वीरेंदर की पॅंट पर हाथ फिरा कर ज़िप की हुक को पकड़ा और उसे नीचे खिसका दिया. वीरेंदर ने अंडरवेर नहीं पहने था जिस कारण वीरेंदर के लिंग का कुछ भाग ज़िप खुलते ही आशना की नज़रो के सामने आ गया. आशना ने वीरेंदर ले लिंग पर प्यार से हाथ फेरा और फिर उसे पूरी तरह पॅंट से बाहर निकाल दिया. वीरेंदर का लिंग अपने पूरे आकार मैं पॅंट से बाहर खड़ा था और आशना के दिल की धड़कन उसे देखते ही बढ़ गयी थी.

इस वक्त आशना की पैंटी बिल्कुल भीग चुकी थी. आशना अपनी जाँघो को आपस में रगड़ कर मसल रही थी.

वीरेंदर ने अपने हाथ को आशना की जाँघ पर रखा तो आशना काँपति आवाज़ में बोली: प्लीज़ वीरेंदर, में पागल हो जाउन्गी.

वीरेंदर: तो हो जाओ, किसने रोका है?

आशना: नो वीर प्लीज़, यहाँ नहीं. प्रॉमिस, आज घर पर आपको नहीं रोकूंगी. जो आपका दिल करेगा कर लीजिएगा, प्रॉमिस.

वीरेंदर ने आशना के माथे को चूम कर अपना हाथ आशना की कमर पर रख दिया और उसे आगे की तरफ झुकने लगा . आशना ने झुक कर वीरेंदर के सुपाडे पर अपने मूह से गरम साँस छोड़ी तो वीरेंदर एक बार फिर से सिहर उठा. आशना ने वीरेंदर के सुपाडे के अगले भाग पर एक किस की तो वीरेंदर हवा में उड़ने लगा.

वीरेंदर: यॅ , कम ऑन...............

आशना ने मूह खोल कर वीरेंदर का सुपाडा अपने मूह में ले लिया था. वीरेंदर का शरीर अकड़ गया. उसे लगा जैसे उसे एक दम बहुत ज़्यादा नशा चढ़ने लगा है. आशना ने सुपाडे को मूह में रखकर अपनी जीभ चलानी शुरू कर दी. वीरेंदर तो अपने होश ही खो बैठा था. वीरेंदर होश में आया जब उसके कान में विजय की ग्रोनिंग की आवाज़ पड़ी.

वीरेंदर ने आँखें खोल कर विजय की तरफ देखा तो पाया कि विजय बंद आँखें किए लंबी लंबी साँसें ले रहा है और त्रिवेणी उसे जन्नत की सैर करवा रही है. त्रिवेणी के मूह में सारा रस छोड़ने के बाद विजय बेसूध सा होकेर त्रिवेणी से चिपक गया.

तभी आशना ने अपने मूह को नीचे करते हुए वीरेंदर के लिंग को करीब 4-5" तक निगल लिया. वीरेंदर के लिंग में दर्द की एक छोटी सी लहर उठी लेकिन उतनी ही जल्दी वो दर्द भरी लहर आनंद में बदल गयी. आशना ने जीभ से वीरेंदर के सुपाडे को कुरेदते हुए उसे भी जल्द ही सुख के सागर में गोता करवा दिए और वीरेंदर ने भी अपना अमृत आशना के मूह में भर दिया. इस बार आशना ने एक बूँद भी बाहर नहीं गिरने दी.

करीब दो -तीन मिनिट तक दोनो अपनी साँसें संभालते रहे. थोड़ी देर बाद जब वीरेंदर ने आँख खोल कर विजय की तरफ देखा तो विजय को अपनी तरफ देखते मुस्कुराते हुआ पाया. वीरेंदर ने भी मुस्कुराते हुए उसे "थंब्स अप" का इशारा किया.

आशना और वीरेंदर ने अपनी हालत को ठीक किया और आराम से बैठ गये. चारो मैं किसी को भी बात करने की हिम्मत नही हो रही थी. चारो ही एक दूसरे से शरमा रहे थे. 10- 15 मिनिट तक कोई कुछ नहीं बोला. करीब 15 मिनिट के बाद त्रिवेणी ने आशना को कोहनी मार कर अपनी तरफ सरकने के लिए बोला.

त्रिवेणी: आइ हॅव टू गो टू वॉशरूम.

आशना: मी टू.

दोनो खड़ी हुई तो वीरेंदर बोला: अब क्या सीट्स चेंज करोगी तुम दोनो????

यह सुनते ही विजय ज़ोर से हंस पड़ा और साथ ही वीरेंदर भी हंस दिया. दोनो लड़कियाँ झेन्प गयी. दोनो चुप चाप बाहर निकल गयी. करीब 5 मिनिट के बाद दोनो आकर अपनी अपनी सीट पर बैठ गयी. त्रिवेणी, विजय के कंधे पर सिर रख कर बैठ गयी और वीरेंदर ने अपनी बाज़ू आशना ने शोल्डर पर रखकेर उसे अपने से सटा लिया.

मूवी ख़तम होने के बाद चारों वीरेंदर की घड़ी से लोंग ड्राइव पर निकल गये. रास्ते भर खूब बातें होती रही और कुछ देर पहले एक दूसरे के लिए जो झिजक की दीवार बनी थी वो जल्द ही टूट गयी. काफ़ी दूर निकल आने के बाद वो वापिस सिटी की तरफ आए और थियेटर के पास ही होटेल में डिन्नर करके एक दूसरे से विदा ली.
आशना: थॅंक यू सो मच त्रिवेणी आंड जीजू.

त्रिवेणी: थॅंक्स तो हमे जीजू का बोलना चाहिए जो इन्होने यह सब प्लान किया.
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फिर से एक ऐसी ही मुलाकात का वादा करके सब लोग अपनी अपनी मंज़िलों की तरफ चल दिए. रात के 10: 30 बज चुके थे. वीरेंदर ने गाड़ी को गॅरेज में पार्क करके आशना का हाथ पकड़ा और उसे घर के पीछे बने लॉन में ले गया.

आशना: यहाँ क्यूँ लाए हो???

वीरेंदर: याद हैं, इसी जगह मैने तुम्हे सबसे पहले प्रपोज़ किया था.

आशना ने सर झुककर हां में जवाब दिया.

वीरेंदर घुटनो के बल बैठ गया और आशना का हाथ पकड़ कर उसे चूमते हुए कहा: विल यू मॅरी मी आशना?????

आशना ने हैरानी से वीरेंदर की आँखों में देखा और उसकी आँखें नम हो गयी. घुटनों पर बैठते हुए आशना ने वीरेंदर की आँखों से कॉंटॅक्ट तोड़े बिना, जवाब दिया: आइ लव यू वीर आंड रियली वांट्स टू मॅरी यू. आइ कॅन'ट लिव विदाउट यू. ऑल्दो, इट ईज़ इल्लीगल इन और रिलिजन टू मॅरी युवर ओन ब्रदर बट स्टिल आइ नीड युवर लव. मैं आपके बिना ज़िंदगी नहीं गुज़ार पाउन्गी वीर. मैने तो कब से आपको अपना मान लिया है.

वीरेंदर ने आशना को अपनी तरफ खींच कर अपने गले से लगा लिया और बोला: मैं हर हाल में तुमसे शादी करूँगा. इसके लिए चाहे मुझे कोई भी कीमत क्यूँ ना देनी पड़े. मेरा वादा है कि तुम्हारी माँग में सिंदूर मेरे ही नाम का होगा. ज़माने की परवाह नहीं है मुझे बस तुम्हारा साथ चाहिए.

आशना: मैं हर दम हर कदम आपके साथ कदम से कदम मिलकर हर मुश्किल और हर परेशानी का मुकाबला करूँगी.

उस चाँदनी रात में दोनो प्रेमियों ने साथ जीने मरने की ना जाने कितनी कसमे खाई और अपने प्यार को परवान चढ़ाने के कितने ही वादे किए.
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जहाँ आशना, वीरेंदर के आगोश में सुकून पा रही थी वहीं वीरेंदर भी आशना को अपने जीवन साथी के रूप में पाकर बहुत खुश था. खुले आसमान के नीचे वीरेंदर आशना को अपने आगोश में लेकर आकाश की तरफ देख रहा था. उसे ऐसा लग रहा था कि उसके परिवार के लोग उन्हे देख रहे हैं. वीरेंदर, आशना के संपर्क में आकर एक अजीब सा सुकून महसूस कर रहा था. दोनो प्रेमी एक दूसरे को अपनी अपनी मुहब्बत का यकीन दिलाते हुए एक आलोकिक दुनिया में उतरते चले गये.
आइए अब शरमा निवास मे रागिनी और बिहारी का हाल भी जान लेते हैं.

सुबह आशना और वीरेंदर के घर से निकलते ही बिहारी ने रागिनी को हाल में आने को कहा .

रागिनी: क्या बात है विराट????

बिहारी: जब तक कॅमरा चार्ज हो जाता है तब तक मैं तुम्हे कुछ दिखाना चाहता हूँ.

रागिनी: क्या????

बिहारी: तुम बैठो मैं अभी आता हूँ.

यह कह कर बिहारी अपने कमरे में चला गया. बिहारी ने रात को ही प्लान कर लिया था कि वो रागिनी को आशना की सच्चाई बता देगा. अभी तक उसने रागिनी को यही बताया था कि आशना उसकी मौसेरी बेहन है लेकिन उसने फ़ैसला कर लिया था कि अब वक्त आ गया है कि रागिनी को आशना और वीरेंदर के रिश्ते के बारे में बता दिया जाए. वो जानता था कि रागिनी को थोड़ा दुख ज़रूर होगा कि पहले उसे झूठ बताया गया था मगर अब सच छुपा कर वो इस ख्याल को लंबा नहीं खींचना चाहता था. बिहारी जानता था कि आशना और वीरेंदर के अंतरंग पलों का सारा रेकॉर्ड कैमरे में क़ैद है. अब वक्त आ गया है कि वीरेंदर को आशना की सच्चाई बता कर और फिर रेकॉर्डिंग दिखा कर ब्लॅक मैल किया जा सकता है.

यह सब वो रागिनी को बिना बताए भी कर सकता था मगर वो यह सब रागिनी से करवाना चाहता था ताकि खेल के उल्टा पड़ जाने पर भी वो सॉफ बच के निकल सके. हालाँकि उसे अपने प्लान पर पूरा विश्वास था मगर वो वीरेंदर के तेज़ दिमाग़ और उससे भी तेज़ निर्णय लेने की क्षमता के बारे में भी जानता था. अगर वीरेंदर ने कोई भी गडबड करने की कोशिश की तो जब तक वीरेंदर रागिनी से निबटेगा तब तक उसके पास यहाँ से निकल भागने का काफ़ी समय होगा. बिहारी ने ठान लिया था कि वीरेंदर को सच्चाई बताने का दिन कल का ठीक रहेगा. जब रागिनी और वीरेंदर ऑफीस पहुँचेंगे तभी रागिनी उसे वहाँ पर सारी सच्चाई बताए और फिर रेकॉर्डिंग के सहारे उसे ब्लॅकमेल कर सके.अगले दिन के लिए बिहारी ने सोच रखा था कि वो आज रात ही घर में रखे सारे गहने और कॅश सॉफ कर लेगा और कल सुबह रागिनी- वीरेंदर का पीछा करता हुआ ऑफीस के पास ही कहीं छुप कर वहाँ नज़र रखेगा. अगर सब ठीक हुआ तो आराम से घर लौट कर करोड़ों का मालिक बन जाएगा और अगर कहीं कुछ गडबड हुई तो लाखों के जवाहरात और कॅश ले उड़ेगा.

इस सब के लिए रागिनी को साँचे में ढालना बहुत ज़रूरी था, इसी लिए उसने रागिनी को आशना और वीरेंदर की सच्चाई बताने का फ़ैसला किया था. उसे मालूम था कि रागिनी उस पर अंधविश्वास करती है और वो जल्द ही उसकी बात मान जाएगी.

बिहारी जब हाल में वापिस आया तो रागिनी हाल में नहीं थी. बिहारी ने रागिनी को आवाज़ लगाई तो रागिनी बोली: विराट मैं यहाँ किचन मे हूँ, आपके लिए खाना लेकर हाल में ही आ रही हूँ.

बिहारी(किचन की तरफ जाते हुए): ओह रागी, तुम मेरा कितना ख़याल रखती हो.

रागिनी: आपके लिए तो मैं जान भी दे सकती हूँ विराट.

बिहारी: मरे हमारे दुश्मन, भला तुम्हारी जान लेकर मैं क्या करूँगा, तुम तो खुद ही मेरी जान हो.

रागिनी, बिहारी की चिकनी चुपड़ी बातों से खुश हो जाती है. रागिनी ने हाल में आकर खाना लगा दिया. खाना खाते हुए, रागिनी: विराट आप मुझे कुछ दिखाने वाले थे.

बिहारी: खाने के बाद आराम से बैठ कर दिखाउंगा.

रागिनी मन ही मन में खुश हुई कि शायद विराट उसके लिए कोई तोहफा लाए हैं. खाने के बाद रागिनी ने बर्तन समेटे और बिहारी आराम से हाल में लगे दीवान पर लेट गया. कुछ देर बाद जब रागिनी बिहारी के पास आई तो बिहारी ने उसे बैठने का इशारा किया. रागिनी बिहारी की बगल में बैठ गयी. उसकी साँसें तेज़ चलने लगी थी. उसे लगा कि शायद विराट घर में अकेले होने का फ़ायदा उठाएँगे और उसे खूब मसलेंगे.

रागिनी: दिखाइए ना आप मेरे लिए क्या लाए हैं??

बिहारी हैरानी भरी निगाहों से रागिनी को देखने लगा.

रागिनी: आप इतना हैरान क्यूँ हो गये????

बिहारी: तुम्हे किसने कहा कि मैं तुम्हारे लिए कुछ लाया हूँ.

रागिनी: क्यूँ नहीं लाए क्या?????

बिहारी का दिल किया कि रागिनी के गाल पर ज़ोर से एक झापड़ मारे. कहाँ वो सारी रात अगले कदम की प्लॅनिंग करता रहा और कहाँ रागिनी बिहारी से तोहफे की माँग कर बैठी.

बिहारी(गुस्से को दबाते हुए): मैने तुम्हारे लिए गिफ्ट अभी खरीदा नहीं है, मैं चाहता हूँ कि तुम मेरे साथ खुद मार्केट चलकर अपनी मर्ज़ी से कोई गिफ्ट ले लो.

रागिनी, बिहारी की बात सुनकर एक दम खुश हो गयी.

रागिनी( बिहारी के सीने पर सर रखते हुए): सच विराट, आप बहुत अच्छे हैं और मेरे दिल की हर बात समझते हैं. आप नहीं जानते कि मेरा कितना दिल करता है कि आप के साथ कहीं घूमने जाउ मगर ऐसा कुछ हो ही नहीं पाता.

बिहारी: तू चिंता ना कर, बहुत जल्द तेरा यह ख्वाब पूरा होने वाला है. मैने सोच लिया है कि मुझे क्या करना है.

रागिनी ने बिहारी की छाती से सर उठा कर उसकी आँखों मे देखा और पूछा: क्या करना है???

बिहारी उठ कर बैठ गया और तकिये के पीछे से एक हॅंड बॅग निकाला. यह वही हॅंड बॅग था जो उसने आशना के कमरे से चुराया था. बिहारी ने हॅंड बॅग रागिनी के हाथ में दिया.

रागिनी( बॅग की तरफ देखते हुए): यह क्या है विराट????

बिहारी: खोलो तो सही.

रागिनी(खुश होते हुए): आप मेरे लिए हॅंडबॅग लाए हैं.

बिहारी( मन में): हाई रे नारी, क्या होगा तेरा.

रागिनी ने झट से बॅग खोला और उसमे हाथ डाला. बिहारी एकदम तैयार था रागिनी को साँचे में ढालने के लिए.

रागिनी ने मुस्कुराते हुए बिहारी की तरफ देखा और बॅग में हाथ डालकर उस्मन रखे समान को बाहर निकाला. जैसे ही बिहारी की नज़र रागिनी के हाथ मे आए समान की तरफ पड़ी, बिहारी के चेहरे का रंग उड़ गया...................................

रागिनी के हाथ में आशना की वोही पॅंटीस थी जिन्हे थोड़े दिन पहले बिहारी ने अपने वीर्य से लथपथ किया हुआ था. बिहारी की नज़र जैसे ही पॅंटीस पर पड़ी, वो एक दम सकपका गया.

ठीक उसी वक्त रागिनी की नज़र पॅंटीस पर पड़ी तो एकाएक उसके मूह से निकला "यक्क", यह किसकी पॅंटीस हैं विराट?????? और रागिनी ने गुस्से में उन्हे बिहारी के मूह पर फैंक दिया.

बिहारी की आँखों के आगे एकदम अंधेरा छा गया. उसे बोलने को कुछ सूझ ही नहीं रहा था. रागिनी उस पर चीख चिल्ला रही थी मगर बिहारी तो कहीं शून्य में खोया हुआ था.

बिहारी( मन में): तो इसका मतलब बीना ने आशना के काग़ज़ात निकाल कर यह पॅंटीस इस बॅग में रख दी थी. साली कुतिया कहीं की, मर गयी लेकिन फिर भी मेरा पीछा नहीं छोड़ा. साला मैं ही पागल हूँ, उस दिन हॉस्पिटल से बिना देखे ही बॅग उठा कर ले आया, एक बार भी चेक नहीं किया. साली बीना आज तूने साबित कर दिया कि मैं कितना बड़ा चूतिया हूँ. सच में मैं अपने लोड्‍े से ही सोचता हूँ. तू जीत गयी मेरी कुतिया लेकिन मैं भी हारने वालों में से नहीं हूँ. मैं जानता हूँ कि तूने वो काग़ज़ात अपने ऑफीस में ही कहीं छिपा रखे होंगे, मैं उन्हे किसी भी कीमत पर हासिल करके ही रहूँगा. साली बड़ी कुत्ति चीज़ निकली तू तो, आशना की कच्छी भी चुरा ली और मुझे खबर तक ना होने दी. दाद देता हूँ तेरी मैं. अब लगता है कि तुझे इतनी जल्दी मार कर मैने ग़लती की, तुझे तो काम पूरा होने तक ज़िंदा रखना चाहिए था. बहुत शातिर दिमाग़ पाया था तूने मेरी कुतिया.
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