एक एक आहट "ज़िंदगी" की
उठना नही है क्या......टाइम देख 9 बज चुके हैं..कॉलेज का आज पहला दिन है और पहले दिन ही
लेट जाएगा क्या....ये लड़का भी ना सोने में पूरा पक्का है...चल जल्दी उठ जा 5 मिनट के
अंदर अंदर में नाश्ता बना रही हूँ...बस सारा दिन सोयक्कड़ की तरफ सुल्वा लो..चल उठ..
(एक औरत कमरे में लेटे हुए किसी की टाँगों पे मारते हुए बोलते हुए कमरे से बाहर निकल जाती है)
हाआंन्न मम्मी..उठ रहा हूँ याररर...क्या है...ये साली सुबह इतनी जल्दी क्यूँ हो जाती है...एयाया
हह हन्न...उफफफफ्फ़.....(अंगड़ाई लेते हुए एक लड़का अपने पलंग पे आँखें मलते हुए बैठ जाता है..)
ये कॉलेज इतनी जल्दी क्यूँ खुल गये..पता नही चला टाइम कैसे निकल जाता है...आआअहह...उंघह
(फिर से एक बड़ी सी अंगड़ाई लेता है...और पलंग से उठ के बाहर चला जाता है)
उठ गया ... देख कितना टाइम हो गया है लेट हो जाएगा पहले ही दिन....
हाँ हाँ मम्मी कोई फ़र्क नही पड़ता पहले दिन सब को लेट आने का चलता है..और फिर बोलते हुए
ब्रश करने लगता है.......और बाथरूम में घुस जाता है नहाने के लिए...
10 मिनट बाद.....
ठाअक्क थाआक्ककककककक.......
बाथरूम के अंदर से.....हाँ मम्मी बोलो..
अंकित जल्दी कर लेट पे लेट कर रहा है .. मेने नाश्ता बना दिया ठंडा हो जाएगा...जल्दी बाहर
आ..
अंकित :- हाँ बस 2 मिनट में आ रहा हूँ...
फिर बाहर निकल के....कपड़े पहन के...मिरर के सामने खड़ा हो जाता है....पहला दिन है आज तो
सज धज के तो जाना हे है....
आराम आराम से बाल सेट करता है....फेस पे फेर आंड हॅंडसम क्रीम लगता है....थोड़ा सा पर्फ्यूम
छिड़कता है..
ये सब देख कर उसकी मोम उससे बोलती है..
अंकित'स मोम :- ओहू क्या बात है बड़ा सज रहा है....कोई लड़की वाड्की देखने जा रहा है क्या...
अंकित थोड़ा सा शरमा जाता है...क्या मम्मी आप भी....तैयार नही होऊँगा क्या..ऐसे ही चला जाउ
झल्ला सा बन के..
अंकित'स मोम :- हहेहेहेहेः.....मेने ऐसा तो नही कहा..
अंकित :- रहने दो आप..
और फिर फटाफट से नाश्ता करके...पीछे एक छोटा सा बॅग टांगा और निकल पड़ा घर से कॉलेज के लिए
अंकित चलते चलते अपने मन में...क्या साला 3 साल कॉलेज के दुबारा से निकालने पड़ेंगे..
ये पढ़ाई ने तो बच्चों की जान ले रखी है.. 21 साल का हो गया ग्रॅजुयेशन कंप्लीट कर दी
फिर भी कमाने धमाने का तो कुछ हुआ ही नही है अभी तक...बस पढ़ते रहो पढ़ते रहो...
सुबह जल्दी उठो और सारा दिन कॉलेज में पिलो और घर आके मम्मी का सुनो..बस यही रह गया
है..साला कोई मस्ती तो है ही नही लाइफ में...
ये सब सोचते हुए बस स्टॉप की तरफ बढ़ रहा होता है...मेन रोड आ जाता है....कि तभी उसके सामने
एक लड़की चल रही होती है...
अंकित की नज़र उस लड़की पे पड़ती है....लड़की एक दम स्लिम ट्रिम थी पर्फेक्ट फिगर क्या मस्त लग रही है
यार पीछे से तो ये (वो मन में बोलता है..)
ह्म्म इसकी तो गान्ड भी मस्त है यार..गोल गोल कितनी अच्छी शेप लग रही है इसकी इस जीन्स में...
(वो अपने मन में बोलता है..)
और फिर तेज कदमो से आगे चलने लगता है उसके आगे आने के लिए और कुछ ही पल में
वो उसके थोड़े आगे होता है...और फिर से धीरे धीरे चलने लगता है..
अपनी नज़र को टेढ़ी कर के साइड में उस लड़की को नीचे से देखने लगता है..ब्लू जीन्स में उसकी
वो टाइट चिपकी हुई थी...जिससे उसकी शेप बड़ी अच्छी लग रही थी....और फिर धीरे धीरे अंकित अपनी नज़र
धीरे धीरे उपर करके उसकी कमर पे नज़र मारता है..
हाए आए...ये वाइट टॉप इसकी पतली कमर तो कमाल की लग रही है..(वो अपने मन में बोलता है
उसके दिल की ढकान तेज होने लगी थी...क्यूँ कि अब वो अपनी नज़र...
वो अपनी नज़र उपर उठा के अब सीधे उसके बूब्स पे डाल देता है..
अरी क्या चुचें हैं इसके एक दम गोल गोल..टॉप में से कैसे उभर के बाहर आने लगे हैं..
पायंटेड सा बन गया है इसके टॉप में तो...साइज़ भी एक दम पर्फेक्ट है...यार ये क्या लड़की है..
मिल जाए तो मज़ा आ जाए...(अंकित बडबडाते अपने मन में बोलता है..उसकी जीन्स के अंदर बैठा
शैतान अब हरकत खाने लगा था..)
अब अंकित अपनी आखों को उपर उठा के उसके चेहरे पे डालने के लिए उपर उठा रहा था....
और फिर उस लड़की के चेहरे को देखता है....
अंकित अपने मन में......ईएहह ... ईल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल ककक़चिईीईईईईईईई...यूक्ककककककक
तुऊऊुुुुुुुुउउ..तुऊऊउ तुऊऊुुुुुुुुुउउ......हतत्तत्त.....ईऊहह.......
लड़की की शक्ल देखने के बाद अंकित का रियेक्शन कुछ ऐसा था...
और फिर दुबारा तेज़ी से आगे चलने लगता है और अपने मन में...
एक एक आहट "ज़िंदगी" की complete
- Sexi Rebel
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- Sexi Rebel
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एक एक आहट "ज़िंदगी" की-2
साला ये क्या शुरुआत हुई दिन की..अब तो सारा दिन खराब जाएगा...कितना भयानक चेहरा था
उफ़फ्फ़..नही नही मुझे ऐसे लड़की नही चाहिए....आज का तो ज़माना ही खराब है साला पीछे से ऐसी
हूर की परी लगेगी और शक्ल ऐसे होगी मानो साला थूकने का मन भी ना करे...
पता नही कैसा दिन जाएगा अब तो.......
और फिर जाके बस स्टॅंड पे खड़ा हो जाता है बस का इंतजार करते करते टाइम देखने लगता है.....
बस स्टॉप पे खड़े टाइम देख रहा था और अपने मन में... कसम से यार आज तो काफ़ी लेट हो
गया..पहली क्लास की तो लग गयी..
इतना सोच ही रहा होता है कि बस आ जाती है..
लेकिन बस पूरी तरह से कचा कच भरी होती है...अब दिल्ली की बस भरी नही होगी ऐसा हो नही सकता
अंकित ये सोचता है और चढ़ जाता है बस में..
बड़ी मुश्किल से धक्के मुक्के खाने के बाद बस के अंदर घुसता है और बस का गेट बंद हो जाता
है...
अब आगे जाने की तो जगह नही तो वो बस गेट पे पास ही खड़ा हुआ टिकेट लेने लगता है.
इतने में दूसरा स्टॉप आ जाता है....
अब गेट खुलना था तो किसी तरह वो थोड़ा आगे हुआअ....बस स्टॉप पर रुकी...
और अंकित की नज़र स्टॉप पे खड़े लोगों के उपर गयी...लोगों के उपर क्या उसकी नज़र तो लड़कियों
और लॅडीस पर गयी जो वहाँ खड़ी बस का इंतजार कर रही थी.....
एक दो तो कॉलेज की लड़कियाँ थी..और एक ऑफीस की लग रही थी.....
बस का गेट खुला...उन लड़कियों ने और लॅडीस ने कुछ सोचा फिर चढ़ गयी बस में..इधर ये सब
बस में चढ़ि उधर अंकित ने चैन की सास ली....वो तो चाहता यही था कि किसी तरह ये चढ़ जाए
बस में..
क्यूँ की बिल्कुल ठीक आगे जो खड़ा होना था उन्हे....वो सब टिकेट लेने लगी..
अंकित की नज़र पहले तो उन कॉलेज गर्ल्स पे गयी.....उपर से नीचे तक चुचों से लेके नीचे उनकी
गान्ड तक अलग अलग तरीके से मतलब की आँखें मटका के देखा....लेकिन उसे कुछ खास मज़ा
नही आया....फिर उसकी नज़र गयी उस ऑफीस वाली लेडी पर...
जिसने ब्लू शर्ट और ब्लॅक ट्राउज़र पहना था..
अक्सर आज कल कंपनी में जॉब करनी वाली लॅडीस यही ड्रेस पहनती है..अंकित मन में बोला..
अंकित तो उस लेडी को देखने लगा.....वो लेडी लगभग 30 या 31 कि लग रही थी..और अंकित जानता था
एक औरत 25 से 35 के बीच सबसे ज़्यादा खूबसूरत होती है..और वो लेडी भी वैसे ही थी बेहद
खूबसूरत चेहरा और रंग बिल्कुल सॉफ दूध की तरह...होंठो के नीचे चिन पर एक छोटा सा काला तिल
शायद बुरी नज़र से बचाने के लिए बना हुआ था...
लेकिन क्या करें जनाब आज कल के ज़माने में ये काला तिल भी कुछ नही कर पाता..ऐसी हसीन कली
को तो नज़र लगेगी ही.....
क्या चुचें हैं यार...साली क्या रोज़ रोज़ दबवाती है क्या ये...शर्ट के बटन तो देखो खुलने को
हो रहे हैं...कितनी टाइट शर्ट पहनी है इसने...साला....(अंकित मन में बोल पड़ता है)
वो लेडी पर्स में से पैसे निकाल के टिकेट के लिए पैसे देने के लिए हाथ आगे करती है....जिसकी वजह
से उसकी साइड से शर्ट खिचती है...उसका असर उसके चुचों पर पड़ता है...वो और कस जाते है
ये देख के तो अंकित का जीन्स के अंदर खड़ा होने लगता है..
कम्बख़्त आज मेने इतनी टाइट जीन्स पहनी ही क्यूँ...यार इसका बटन टूट गया ना तो कसम से
बस के सारे आदमी इस्पे टूट पड़ेंगे...साइज़ का अंदाज़ा लगाना मुश्किल है...उफफफफ्फ़...क्या करूँ मेरे
भाई साहब ने उठने का सिग्नल दे दिया है....
फिर अंकित की नज़र उसकी ब्लॅक ट्राउज़र पहनी हुई गान्ड पे जाती है....उसको देख के तो अंकित का और
बुरा हाल हो गया ..
क्या गान्ड है इसकी...आए यार क्या लेडी है ये..साली बॉम्ब का गोला...ये कैसे ऑफीस जाती है..
और वहाँ के एंप्लायी इसको देख के कैसे काम कर सकते हैं....इस ट्राउज़र में तो इसकी गान्ड गोल गोल
मखमली जैसी बड़ी बड़ी लग रही है..मन कर रहा है सर रख के सो जाउ इस्पे..(अंकित मन में
बुदबुदाता है...)उसका तो तंबू आधा खड़ा हो गया था..बड़ी मुश्किल से वो उसे छुपा
रहा था....
वो गर्ल्स तो टिकेट लेके थोड़ा एक्सक्यूस मी करते हुए आगे निकल गयी...लेकिन वो ऑफीस वाली लेडी तो
टिकेट लेके ठीक अंकित के सामने खड़ी हो गयी.....
अब अंकित की हालत और पतली हो गयी...उसके सामने एक सेक्सी हॉट लेडी खड़ी थी...जिसकी गान्ड और अनिता के
बीच बस कुछ इंच का फ़र्क था...अंकित तो कभी उसके वो लंबे खुले बालों को देखता तो कभी
उसकी गान्ड को...
उस लेडी में से आ रही उस मनमोहक पर्फ्यूम की खूबशु तो उसे और पागल कर रही थी.....
बस ने एक दम से ब्रेक मारा...जिसकी वजह से अंकित की चेस्ट सामने खड़ी लेडी से टकराई .. उसने जान
बुझ के अपना नीचे वाला हिस्सा आगे नही होने दिया जिससे उसके खड़े हुए तंबू के बारे में
ना पता चल जाए...
अंकित :- आइ आम सॉरी..वू..
उस लेडी ने इट्स ओक बोला....
अंकित तो उसकी आवाज़ सुन के उसी में खो गया....
कितनी मीठी आवाज़ है....(वो मन में बोला)
तभी बस एक स्टॉप पे रुकी......एक दो और चढ़ गये...बस अब तो बस ऐसी हो गयी..पॅक्ड .. बिल्कुल
पॅक्ड..
अब जब आगे से भीड़ आई...तो पीछे वालों को और पीछे होना पड़ा जिसकी वजह से अंकित भी
पीछे होने लगा और वो लेडी भी पीछे होने लगी..जब अंकित की नज़र उस लेडी पर गयी..
कि कैसे वो अपनी हिलती हुई गान्ड को पीछे लेकर आ रही है...तो बस उसका दिल तो उसके मूह को आने को
हो गया...वो लेडी अपनी बड़ी सी गान्ड को पीछे लेके धीरे धीरे खिसक रही होती है
- Sexi Rebel
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3
अंकित कभी उस लेडी की गान्ड पे नज़र मारता कभी अपनी जीन्स पे बन रहे उभर पर...
उस लेडी की गान्ड की वो बीच वाली दरार अंकित को पगल कर रही थी...
अब उस लेडी की गान्ड और अंकित के उभार में ज़्यादा फासला नही था बस
थोड़ा और पीछे..थोडा औरर्र...हाआँ बॅस... (अंकित अपने मन में यही सोच रहा था)
भाई साब ज़रा साइड होंगे...तभी उसके कानो में एक आवाज़ पड़ी...उसने अपनी गर्दन पीछे मोड़
के देखा तो एक आदमी था गंदा सा...काला सा
अंकित :- क्यून्न?
क्यूँ क्या मुझे अगले स्टॉप पे उतरना है....वो आदमी अपनी कठोर आवाज़ में बोला...
अंकित झिझकता हुआ बड़ी मुश्किल से थोड़ा साइड में हुआ और उसके जाने का इंतजार करने लगा...
लेकिन तभी अंकित को एक झटका लगा...
साला कुत्ता..ये तो उस लेडी के पीछे ही जाके खड़ा हो गया....(अंकित गुस्सा होके मन में बोला)
वो आदमी ठीक उसी लेडी के पीछे जाके खड़ा हो गया......
अंकित ने नज़र जब उस लेडी की गान्ड पे मारी..तो देखा कि वो आदमी उस लेडी की गान्ड से बिल्कुल चिपका
हुआ है...अंकित को इतना गुस्सा आया कि साले को अभी जाके मार दे....अंकित के तो खड़े लंड पे इस
आदमी ने कुछ ही सेकेंड पे लात मार दी..
वो कुछ बोलने वाला था लेकिन ये सोच के नही बोला..कि कहीं खुद ही ना फँस जाए..
इतनी देर में स्टॉप आ गया.....अंकित को खुशी हुई कि चलो ये आदमी उतर जाएगा और में इस लेडी के पीछे
खड़ा हो जाउन्गा और इस बार मौका नही गवाउन्गा.......
लेकिन ये क्या..इस स्टॉप पे तो काफ़ी लोग उतर गये......और ये क्य्ाआआआआआ...
वो लेडी भी उतर गयी इस स्टॉप पे.....(अंकित मन में रोते हुए बोला)
बस का गेट बंद हो गया.....अब बस काफ़ी खाली हो गयी थी.....
अंकित इधर उधर नज़र घूमता है..तो बस में उसे क्या दिखता है..
सला आज का दिन कितना खराब है...बस में बचे भी तो है कौन ये बूढ़ी आंटियाँ इनका क्या करूँ
में...हे भगवान दिन की शुरुआत इतनी ख़तरनाक बनानी थी तुझे....
थोड़ी देर बाद स्टॉप आता है..और वो भी बस से उतर जाता है..
चलता हुआ अपने मन में...
साला हरामी कुत्ते का बच्चा...कमीना .. मुझे हटा के खुद मज़े लेने लगा...मिल जाए
ना तो साले का मार मार के भरता बना दूं...हरामी....
क्या दिन है यार आज का..साला इतनी मस्त गान्ड बस टच ही होने वाली थी कि साला टपक पड़ा ऐसा
मौका रोज़ रोज़ थोड़े ही मिलता है..
ये सब उसी की वजह से हुआ है..मनहूस साली....शक्ल देख के ही लग गया था कि आज का दिन मेरा
अब सतयानाश ही जाएगा....कमीनी कहीं की गान्ड तो ऐसे हिला हिला के उस टाइम चल रही थी मानो इससे
बढ़िया माल तो पूरी दिल्ली में नही है...लेकिन ये नही पता कि अपनी शक्ल लेके घूमेगी तो सच में
लोग यही कहेंगे कि ऐसा घटिया माल कहीं नही है..दिल्ली तो बहुत दूर की बात है..
अब पता नही आगे क्या क्या आज झेलने को मिलेगा....दिन की शुरुआत इतनी खराब हुई है...तो पता नही
अभी कितने जूते पड़ेंगे मुझ पर और मेरी..........
बस से सड़ा सा मूड लेके अंकित उतर तो गया लेकिन उसका मूड ज़्यादा देर तक सड़ा हुआ नही रहा..
अब क्या बताए जनाब जब सड़क पर चलोगी तो एक से एक आइटम देखने को मिलती ही है...
बस होना क्या था लगा ली अंकित ने नज़र इधर उधर..कभी किसी के चुचों पे नज़र तो कभी
सामने चल रही लड़की की गान्ड पे नज़र.....यही देखते देखते चलता रहा और कब मेट्रो स्टेशन आ
गया पता ही नही चला....
कार्ड से स्वप करके चेकिंग करवा के प्लॅटफॉर्म पे पहुच गये भाई साब 10 मिनट में...
आधा घंटा और लगेगा.....टाइम देखते हुई अंकित बोला...
(मेट्रो को आने में अभी 2 मिनट बाकी थी)
तभी अंकित ने नज़र अपनी लेफ्ट साइड घुमाई..प्लॅटफॉर्म के आगे की तरफ..जहाँ पे बहुत सारी लड़कियाँ
खड़ी थी बॅग लेकर शायद कॉलेज ही जा रही होंगी....
उनमे से एक गोर्री चिट्टि...हाइट भी काफ़ी अच्छी...फिगर भी एक दम सेक्सी 34-20-30 होगा...नोज पे एक
छोटी सी नोज रिंग पहनी हुई...उसके बाल लंबे लंबे थे.....
ज़रूर पंजाबन होगी..इतनी खुसूरत तो वही होती है...(अंकित मन में बोला)
काश ये मेरे ही कॉलेज में हूँ और मेरी ही क्लास में हो तो मज़ा ही आ जाएगा...(वो उसे
बराबर घुर्रे जा रहा था और अपने मन में बोले जा रहा था)
उस लेडी की गान्ड की वो बीच वाली दरार अंकित को पगल कर रही थी...
अब उस लेडी की गान्ड और अंकित के उभार में ज़्यादा फासला नही था बस
थोड़ा और पीछे..थोडा औरर्र...हाआँ बॅस... (अंकित अपने मन में यही सोच रहा था)
भाई साब ज़रा साइड होंगे...तभी उसके कानो में एक आवाज़ पड़ी...उसने अपनी गर्दन पीछे मोड़
के देखा तो एक आदमी था गंदा सा...काला सा
अंकित :- क्यून्न?
क्यूँ क्या मुझे अगले स्टॉप पे उतरना है....वो आदमी अपनी कठोर आवाज़ में बोला...
अंकित झिझकता हुआ बड़ी मुश्किल से थोड़ा साइड में हुआ और उसके जाने का इंतजार करने लगा...
लेकिन तभी अंकित को एक झटका लगा...
साला कुत्ता..ये तो उस लेडी के पीछे ही जाके खड़ा हो गया....(अंकित गुस्सा होके मन में बोला)
वो आदमी ठीक उसी लेडी के पीछे जाके खड़ा हो गया......
अंकित ने नज़र जब उस लेडी की गान्ड पे मारी..तो देखा कि वो आदमी उस लेडी की गान्ड से बिल्कुल चिपका
हुआ है...अंकित को इतना गुस्सा आया कि साले को अभी जाके मार दे....अंकित के तो खड़े लंड पे इस
आदमी ने कुछ ही सेकेंड पे लात मार दी..
वो कुछ बोलने वाला था लेकिन ये सोच के नही बोला..कि कहीं खुद ही ना फँस जाए..
इतनी देर में स्टॉप आ गया.....अंकित को खुशी हुई कि चलो ये आदमी उतर जाएगा और में इस लेडी के पीछे
खड़ा हो जाउन्गा और इस बार मौका नही गवाउन्गा.......
लेकिन ये क्या..इस स्टॉप पे तो काफ़ी लोग उतर गये......और ये क्य्ाआआआआआ...
वो लेडी भी उतर गयी इस स्टॉप पे.....(अंकित मन में रोते हुए बोला)
बस का गेट बंद हो गया.....अब बस काफ़ी खाली हो गयी थी.....
अंकित इधर उधर नज़र घूमता है..तो बस में उसे क्या दिखता है..
सला आज का दिन कितना खराब है...बस में बचे भी तो है कौन ये बूढ़ी आंटियाँ इनका क्या करूँ
में...हे भगवान दिन की शुरुआत इतनी ख़तरनाक बनानी थी तुझे....
थोड़ी देर बाद स्टॉप आता है..और वो भी बस से उतर जाता है..
चलता हुआ अपने मन में...
साला हरामी कुत्ते का बच्चा...कमीना .. मुझे हटा के खुद मज़े लेने लगा...मिल जाए
ना तो साले का मार मार के भरता बना दूं...हरामी....
क्या दिन है यार आज का..साला इतनी मस्त गान्ड बस टच ही होने वाली थी कि साला टपक पड़ा ऐसा
मौका रोज़ रोज़ थोड़े ही मिलता है..
ये सब उसी की वजह से हुआ है..मनहूस साली....शक्ल देख के ही लग गया था कि आज का दिन मेरा
अब सतयानाश ही जाएगा....कमीनी कहीं की गान्ड तो ऐसे हिला हिला के उस टाइम चल रही थी मानो इससे
बढ़िया माल तो पूरी दिल्ली में नही है...लेकिन ये नही पता कि अपनी शक्ल लेके घूमेगी तो सच में
लोग यही कहेंगे कि ऐसा घटिया माल कहीं नही है..दिल्ली तो बहुत दूर की बात है..
अब पता नही आगे क्या क्या आज झेलने को मिलेगा....दिन की शुरुआत इतनी खराब हुई है...तो पता नही
अभी कितने जूते पड़ेंगे मुझ पर और मेरी..........
बस से सड़ा सा मूड लेके अंकित उतर तो गया लेकिन उसका मूड ज़्यादा देर तक सड़ा हुआ नही रहा..
अब क्या बताए जनाब जब सड़क पर चलोगी तो एक से एक आइटम देखने को मिलती ही है...
बस होना क्या था लगा ली अंकित ने नज़र इधर उधर..कभी किसी के चुचों पे नज़र तो कभी
सामने चल रही लड़की की गान्ड पे नज़र.....यही देखते देखते चलता रहा और कब मेट्रो स्टेशन आ
गया पता ही नही चला....
कार्ड से स्वप करके चेकिंग करवा के प्लॅटफॉर्म पे पहुच गये भाई साब 10 मिनट में...
आधा घंटा और लगेगा.....टाइम देखते हुई अंकित बोला...
(मेट्रो को आने में अभी 2 मिनट बाकी थी)
तभी अंकित ने नज़र अपनी लेफ्ट साइड घुमाई..प्लॅटफॉर्म के आगे की तरफ..जहाँ पे बहुत सारी लड़कियाँ
खड़ी थी बॅग लेकर शायद कॉलेज ही जा रही होंगी....
उनमे से एक गोर्री चिट्टि...हाइट भी काफ़ी अच्छी...फिगर भी एक दम सेक्सी 34-20-30 होगा...नोज पे एक
छोटी सी नोज रिंग पहनी हुई...उसके बाल लंबे लंबे थे.....
ज़रूर पंजाबन होगी..इतनी खुसूरत तो वही होती है...(अंकित मन में बोला)
काश ये मेरे ही कॉलेज में हूँ और मेरी ही क्लास में हो तो मज़ा ही आ जाएगा...(वो उसे
बराबर घुर्रे जा रहा था और अपने मन में बोले जा रहा था)
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इतनी ही देर में मेट्रो आ गयी......ज़्यादा भीड़ नही थी फिलहाल इसलिए आराम से वो घुस गया...
वो एक एक कर के कर डब्बे को क्रॉस करता हुआ आगे बढ़ रहा था....और जाके खड़ा हो गया
उस दबे में जो लॅडीस डब्बे के बाद वाला था....
मेट्रो का पहला डब्बा लॅडीस का कर के ग़लती करी है यार(वो अपने मन में बोला)
एक से एक चिकनी वहीं जाके खड़ी हो जाती है....और हम यहाँ निठल्लो की तरह खड़े रहते हैं...
(आज उसे इतना गुस्सा आ रहा था कि वो कुछ भी बोले जा रहा था जबकि उसे पता है लॅडीस के
लिए अलग कम्पार्टमेंट देना अच्छी बात है)
मेट्रो दौड़ती चली जा रही थी...और आख़िरकार अंकित का स्टेशन आ गया......
गेट खुला वो उतरा...उसने स्टेशन से चेक आउट किया......और आ गये एक मेन रोड पे..जिसे क्रॉस
कर के सामने जाना था...क्यूँ कि ठीक उसके सामने उसका कॉलेज था..
रोड क्रॉस कर के वो कॉलेज में एंटर हुआ.......
बस उसकी तो खुशी का कोई ठिकाना ही नही रहा......
वाहह भाई वाहह क्या मस्त कॉलेज चूज किया है मेने..एक से एक बॉम्ब है यहाँ तो......
अंकित धीरे धीरे बोलता हुआ आगे बढ़ रहा था और लड़कियों पे नज़र मार रहा था..
कुछ लड़कियाँ बाइक्स पे बैठी गप्पे लड़ा रही थी....तो अंकित की नज़र बार बार उनकी उठ रही टीशर्ट पे जाता
जिससे उनका नेवेल उसे दिख जाता...तो एक तरफ एक लड़की झुकी हुई थी..जिसकी वजह से उसकी गान्ड बाहर की तरफ
उभरी हुई थी..बस अंकित की नज़र तो उसकी गान्ड पे चिपक गयी.....
ऐसा करते करते वो सीढ़ियों पे पहुचा.....और जब उसने चढ़ते हुई नीचे देखा तो 2 लड़कियाँ
उपर आ रही थी...शक्ल से तो ठीक थी..लेकिन अंकित की नज़र तो उनकी शक्ल पे गयी कहाँ..
वो तो उनके मस्त चुचों के क्लीवेज़ देखने में मग्न था..जो उन लड़कियों के ढीले
टॉप की वजह से दिख रहे थी...उपर से वो चुचों की दरार को देख के बड़ा मस्त हो रहा था..
लेकिन कहीं कोई देख ना ले इसी डर से उसने नज़रे उपर कर ली और वो अपनी क्लास की तरफ बढ़ता चला
जा रहा था....आज कॉलेज का पहला दिन था इसलिए वो थोड़ा सा नर्वस था...उपर से लेट भी
हो चुका था....
वो अपनी क्लास ढूंड रहा था...तभी उसे सामने से एक लड़की दिखाई दी......अब अंकित का कमीनापन
तो अभी तक सबको पता ही चल गया होगा...जहाँ मोटा माल देखा नही वहीं नज़रे गढ़ा दी...
सामने से एक लड़की आ रही थी...हाइट तो उसकी छोटी ही थी..लेकिन जनाब उसने जो वो बूब्स थी..वो उनकी
उमर और हाइट के हिसाब से कुछ ज़्यादा बड़े ही थे...उपर से पहना हुआ टाइट टॉप..जिसकी वजह
से उसका टॉप उपर से उठ रहा था और उस लड़की की नाभि तक दिख रही थी.....
अंकित का लंड एक बार फिर सुबह से दूसरी बार अंगड़ायाँ लेने के मूड में आ रहा था....
अब अंकित क्या अगर कॉलेज का सफाई करने वाला बुड्ढ़ा भी होगा तो उसकी नज़रें अटक जाएगी तो अंकित तो
अभी जवान था..ये तो होना ही था.......वो लड़की सामने से आ रही थी..तो उसकी नज़रें अंकित पे
टकराई...और उसको नोटीस करते हुई ज़रा भी टाइम नही लगा कि अंकित क्या देख रहा है.....
फिर भी उस लड़की ने कुछ नही बोला वो अपनी आँखें मटकाती हुई..और साथ साथ में अपनी कमर को
जैसी कोई मॉडेल हिला हिला के चलती हू..अंकित के बगल से निकलने लगी......
अंकित :- एक्सक्यूस मी...(अंकित ने उसे पीछे रोका)
वो लड़की रुकी और मूड के अंकित की तरफ देखने लगी.....
अंकित :- क्या आप मुझे बता सकती है ये एमएम1 कान पड़ेगी.. (जनाब अंकित के होंठों ने ये सवाल
करा..तो उनकी आँखें भी उस लड़की के फेस पे होनी चाहिए थी..लेकिन हमारे अंकित भाई साहब की नज़र
तो फेस और गर्दन के नीचे ठीक उनके उस चुचों पे पड़ी थी..जिसे उस लड़की ने शायद जान
बुझ के दम लगा के उस टीशर्ट में क़ैद कर रही थी..).
उस लड़की ने अंकित की नज़रों को बड़ी आसानी से पकड़ लिया..उसने अपनी नाक चढ़ाते हुए..
आगे से लेफ्ट हो जाना...(उसकी आवाज़ में कड़क पन था)
वो मूडी और चली गयी...
अंकित धीरे से बड़बड़ाया....साली अकड़ तो ऐसे रही है जैसे मेने पूछ लिया कि चल आजा चल रही है
चुदने...कमीनी कहीं कि एक तो ऐसे तरबूज शरीर पे उगा लिए हैं उपर से ऐसे कपड़े पहन के
चल रही है..तो किसी की नज़र भी वहीं पड़ेगी ... पता नही घर वाले कैसे आने देते होंगे..
ज़रूर हॉस्टिल में रहती होगी..पर इसके इतने मोटे हो कैसे गये...साली एक नंबर की चुड़क्कड़ होगी
और ऐसी शरीफ बन रही थी अभी पूछो मत.. मुझे क्या..किसी से भी चुदे कुत्ति साली...
बोलते हुए चलने लगा और आख़िर कार अपनी क्लास के सामने आके खड़ा हो गया....क्लास रूम
का डोर बंद था....अंकित थोड़ा नर्वस था....वो सोच रहा था की कहीं टीचर उससे कुछ उल्टा
सीधा ना बोल दे...
हिम्मत करके उसने डोर को पुश करा तो वो खुला नही....
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Re: एक एक आहट "ज़िंदगी" की
branded suruwat sir