घर का बिजनिस -9
जैसे ही मैं घर आया तो देखा कि अम्मी बैठक में अपने किसी ग्राहक के साथ थीं और बुआ दीदी के साथ बाहर ही बैठी हुई थी। मुझे देखकर दीदी हल्का सा मुश्कुरा दी।
बुआ ने कहा- हाँ आलोक, क्या बना? पता किया पायल का या नहीं?
मैं- हाँ, पता तो किया है बुआ और पायल ने हमें गलत बताया है…?
बुआ- क्या कोई ट्रिप नहीं जा रहा कालेज़ की तरफ से?
मैं- “बुआ, ट्रिप तो जा रहा है लेकिन 3 दिन बाद… पायल ने हमें जो बताया है उसके हिसाब से ट्रिप दो दिन बाद है…”
दीदी- भाई हो सकता है कि पायल से गलती हो गई हो और वो ये ही बताना चाहती हो कि ट्रिप 3 दिन बाद है…”
मैं- “हाँ, हो तो सकता है… इसके लिए ऐसा करते हैं कि पायल को आने दो एक बार फिर पूछ लेंगे…”
दीदी- हाँ भाई, ये ठीक है…”
अभी हम ये बातें ही कर रहे थे कि बापू और अम्मी बैठक में से बाहर निकल आए और अम्मी अभी नंगी ही थी और वो सीधा बाथरूम की तरफ चली गई।
तो बापू हमारे पास आ गये और पूछे- हाँ आलोक क्या बना पायल का?
मैंने बापू को भी बता दिया तो बापू ने कहा- “चलो कोई बात नहीं, आती है तो पूछ लेना…”
फिर बुआ और दीदी की तरफ देखकर कहा- “तुम दोनों तैयार हो जाना और शाम के 4:00 बजे आलोक के साथ फ्लैट के लिए निकल जाना। हो सकता है कि रात तुम लोगों की वहाँ ही गुजरे…”
बुआ ने कहा- हाँ भाई, काम जो ऐसा है जिसमें सारी रात दुकान चलती है और दिन में सोना पड़ता है हेहेहेहेहे…”
बापू भी हँस पड़े और उठकर बाहर चले गये फिर हम सबने मिलकर खाना बनाया और तब तक पायल और ऋतु भी घर आ गये थे तो अम्मी ने कहा- “खाना खाते हुये सबके सामने पूछ लेना पायल से, ठीक है…”
मैंने अम्मी की बात सुनकर हाँ में सर हिला दिया और जब हम सब खाना खाने बैठे तो मैंने कहा- “पायल कब जाना है तुम्हारा ट्रिप? और कितने पैसे चाहिए हैं तुम्हें?
पायल- “भाई दो दिन बाद जाना है और मुझे ₹5,000 चाहिए हैं बस…”
मैं- अच्छा, लेकिन तुम्हारे टीचर तो बता रहे थे कि ट्रिप 3 दिन बाद जाना है। लेकिन तुम दो दिन का बता रही हो एक दिन तुम्हें किसके साथ रहना है?
मेरी बात सुनते ही पायल के हाथ से निवाला गिर गया और वो हकलाते हुये- “वो… ब…भाई न…नहीं तो दो दिन बाद ही है…”
अम्मी ने पायल को घूरते हुये कहा- “क्यों पायल? तुम्हें एक दिन पहले कहाँ जाना है? हाँ…”
पायल ने अपना सर झुका लिया और कुछ नहीं बोली।
तो पापा ने पायल से कहा- चलो अभी खाना खाओ बाद में बात करेंगे इसपे ओके… अभी कोई बात नहीं करेगा…”
फिर सबने खामोशी से खाना खाया लेकिन पायल से कुछ खाया नहीं जा रहा था और ऋतु पायल की ऐसी हालत देखकर खिली जा रही थी।
खाना खाने के बाद बापू ने कहा- “पायल तुम और आलोक, तुम दोनों मेरे रूम में आओ और हाँ बाकी कोई नहीं आएगा…” और उठकर जाने लगे।
तो अम्मी ने कहा- अगर आप नाराज ना हो तो मैं भी आ जाऊँ?
अम्मी की बात सुनकर बापू ने कुछ सोचा और हाँ में सर हिलाते हुये बोले- “ठीक है आ जाओ तुम भी…” और रूम में चले गये।
बापू के जाने के बाद मैं अम्मी और पायल के साथ रूम में गया तो बापू ने पायल को घूरते हुये कहा- पायल, मुझे तुमसे ये उमीद नहीं थी कि तुम ऐसी निकलोगी…”
पायल- सारी बापू, गलती हो गई मुझसे प्लीज़्ज़… बापू मुझे मफ कर दो…”
अम्मी बापू को चुप रहने का इशारा करते हुये बोली- पायल, तुझे पता है कि तुम्हें और ऋतु को पढ़ने और किसी अच्छी जगह शादी करने के लिए मैं तुम्हारी बुआ और दीदी क्या कर रही हैं…” और तुम क्या कर रही हो?
पायल रोते हुये अम्मी से बोली- “अम्मी, मुझसे गलती हो गई। मैं अब ऐसा कुछ भी नहीं करूंगी…”
बापू अम्मी से बोले- “आज के बाद इसका पढ़ना बंद करो। ये बाहर नहीं जाया करेगी और अगर इसको इतना ही शौक चढ़ा है तो इसे भी लगाओ काम पे। चलो कुछ पैसे ही कमाकर लाया करेगी…”
पायल- नहीं बापू, प्लीज़्ज़… मुझे मफ कर दो। अब मैं ऐसा कोई काम नहीं करूंगी…”
बापू ने पायल की कोई बात नहीं सुनी और अम्मी के इशारा पे रूम से बाहर चले गये तो अम्मी ने कहा- पायल, किसके साथ मुँह काला करती फिर रही है? तू अब बता जरा?
पायल ने सर उठाकर एक बार अम्मी और एक बार मेरी तरफ देखा और फिर सर झुका लिया।
तो मैंने कहा- पायल, सुना नहीं… अम्मी क्या पूछ रही हैं?
पायल ने अम्मी की तरफ देखा और बोली- “नहीं अम्मी, मैंने अभी तक ऐसा कोई काम नहीं किया है…”
अम्मी ने पायल की तरफ देखा और कहा- “चलो ठीक है। मैं मान लेती हूँ। लेकिन सच बता? क्या तू ये एक दिन किसी हरामजादे के साथ ही गुजरने वाली थी ना?
पायल ने अपना सर कुछ और झुका लिया तो मैं और अम्मी दोनों ही समझ गये कि पायल अपने किसी बायफ्रेंड के साथ पूरा एक दिन और रात गुजरने वाली थी।
अम्मी ने फिर से कहा- क्या वो तेरे साथ शादी करना चाहता है?
पायल ने सर उठाकर अम्मी की तरफ देखा और हाँ में सर हिला दिया।
अम्मी ने पायल से कहा- “उसका नंबर बताओ जरा मैं बात करना चाहती हूँ उसके साथ…”
पायल ने उस लड़के का नंबर बता दिया तो अम्मी ने मुझे नंबर मिलाने के लिए कहा। जैसे ही मैंने नंबर मिलाया तो अम्मी ने मुझसे मोबाइल ले लिया और स्पीकर ओन कर दिया। 2-3 रिंग आने के बाद ही काल रिसीव हो गई तो अम्मी ने कहा- मैं पायल की अम्मी बात कर रही हूँ… आप कौन हो?
लड़का- जी आंटी, कोई काम था क्या मेरे साथ?
अम्मी- हाँ, पायल बोल रही थी कि तुम उसके साथ शादी करना चाहते हो… क्या ये सच है?
लड़का- जी आंटी, मैं पायल से बहुत प्यार करता हूँ…”
अम्मी- “ठीक है, तुम अपने पापा का नंबर दो जरा मैं उनसे तुम्हारी शादी की बात करना चाहती हूँ…”
लड़का अम्मी की बात से घबरा गया और बोला- “जी आंटी, वो पापा तो कहीं आउट आफ सिटी गये हुये हैं अभी बात नहीं हो सकेगी…”
अम्मी- ठीक है, अगर तुम पायल से शादी करना चाहते हो तो अभी अपने 2-3 दोस्तों को लेकर यहाँ आ सकते हो?
लड़का- क्यों आंटी? अभी क्या करना है?
अम्मी- मैं पायल के साथ तुम्हारी शादी करना चाहती हूँ… क्या आ सकते हो?
लड़का- “वो… आंटी, मैं अभी शादी की जिम्मेदारी को बर्दाश्त नहीं कर पाऊँगा… सारी…” और इसके साथ ही काल भी कट कर दी।
फोने बंद होते ही अम्मी ने पायल की तरफ देखा और कहा- “क्यों बेटी, पता चल गया अपने प्यार का…”
अम्मी की बात सुनते ही पायल ने अपना सर झुका लिया।
तो अम्मी ने मुझसे कहा- “तुम जाओ, मैंने पायल के साथ कुछ बात करनी है…”
अम्मी की बात सुनकर मैं समझ गया कि अब अम्मी पायल को क्या समझायेंगी इसीलिए मैं वहाँ से बाहर निकल आया और बुआ के रूम की तरफ चल पड़ा जहाँ दीदी भी बैठी हुई थी।
मुझे देखते ही बुआ ने कहा- “आ गया मेरा राजा… क्या हुआ? कुछ हमें भी बता दो?
मैं हँसता हुआ बुआ के पास जाकर बैठ गया और बोला- बुआ, आप पहले तो मुझे ऐसे नहीं बोलती थी अब क्या हो गया है?
बुआ ने हँसते हुये दीदी की तरफ देखा और फिर मुझे देखा और बोली- पहले कभी तूने मुझे चोदा नहीं था ना… अब क्यों चोदता है मुझे?
बुआ की बात सुनकर दीदी बुरी तरह शर्मा गई और सर झुका के बैठ गई।
तो मैंने कहा- “बुआ, आप भी ना कुछ तो सोचा करो। दीदी भी बैठी है यहाँ हमारे साथ…”
बुआ ने कहा- यार, टेंशन क्यों लेते हो? ये भी अब हमारे जैसी ही है इससे क्या शरमाना? आज नहीं तो कल इसे भी तो तुम्हारा लण्ड लेना ही है ना अपनी फुद्दी में…”
दीदी बुआ की बात से झेंप गई और बोली- बुआ, अगर आपने ऐसी बातें ही करनी हैं तो मैं यहाँ से जाती हूँ…” और उठकर खड़ी हो गई।
तो बुआ ने दीदी का हाथ पकड़ लिया और बिठाते हुये बोली- “अच्छा बाबा अब नहीं बोलती, तू बैठ यहाँ…”
दीदी के बैठते ही बुआ ने मुझसे पूछा- हाँ, अब बताओ क्या बना पायल का?
मैंने बुआ को जो हुआ था सब बता दिया।
तो बुआ खुश हो गई और बोली- “चलो अच्छा है कि पायल अभी तक बची हुई है वरना ये मुफ़्ती तो बर्बाद ही कर देते उसे और हमें पता भी नहीं चलता…”
मैं हाँ में सर हिला दिया और बुआ से पूछा- अब आप लोगों का कल का क्या इरादा है?
बुआ ने कहा कल से मैं और तुम्हारी बहन शाम 4:00 बजे ही तुम्हारे फ्लैट पे जाया करेंगे और सुबह वापिसी हुआ करेगी और तुम्हारी अम्मी यहाँ आने वाले छोटे मोटे ग्राहक निपटा दिया करेंगी और तुम्हारे बापू हमारे लिए ग्राहक ढूँढ़कर तुम्हारे पास भेज दिया करेंगे और इसके लिए हमारी पिक भी उन्होंने ले ली हैं।
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Hot stori घर का बिजनिस compleet
- jay
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(एक बार ऊपर आ जाईए न भैया )..(परिवार में हवस और कामना की कामशक्ति )..(लेखक-प्रेम गुरु की सेक्सी कहानियाँ running)..(कांता की कामपिपासा running).. (वक्त का तमाशा running).. (बहन का दर्द Complete )..
( आखिर वो दिन आ ही गया Complete )...(ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगाना complete)..(ज़िद (जो चाहा वो पाया) complete)..(दास्तान ए चुदाई (माँ बेटी बेटा और किरायेदार ) complete) .. (एक राजा और चार रानियाँ complete)..(माया complete...)--(तवायफ़ complete)..(मेरी सेक्सी बहनेंcompleet) ..(दोस्त की माँ नशीली बहन छबीली compleet)..(माँ का आँचल और बहन की लाज़ compleet)..(दीवानगी compleet..(मेरी बर्बादी या आबादी (?) की ओर पहला कदमcompleet) ...(मेले के रंग सास,बहू और ननद के संग).
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(फैमिली में मोहब्बत और सेक्स (complet))........(कोई तो रोक लो)......(अमन विला-एक सेक्सी दुनियाँ)............. (ननद की ट्रैनिंग compleet)..............( सियासत और साजिश)..........(सोलहवां सावन)...........(जोरू का गुलाम या जे के जी).........(मेरा प्यार मेरी सौतेली माँ और बेहन)........(कैसे भड़की मेरे जिस्म की प्यास)........(काले जादू की दुनिया)....................(वो शाम कुछ अजीब थी)
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घर का बिजनिस -10
बाकी का सारा दिन इसी तरह गुजर गया कुछ टाइम घर पे और बाकी दोस्तों के साथ आवारागार्दी और मूवी देखने में और रात के दो बजे मैं घर आया तो अम्मी ने दरवाजा खोला और मुझे देखते ही पूछा- बेटा कहाँ गया था?
तो मैंने अम्मी को देखा और कहा- “कहीं नहीं अम्मी, बस जरा दोस्तों के साथ टाइम पास करने गया था…” और सीधा रूम में आकर सो गया
सुबह जब उठा तो 10:00 बज रहे थे। मैं उठा और बाहर बने बाथरूम में नहाने के लिए घुस गया और फिर कपड़े बदलकर बाहर आया और नाश्ता माँगा जो कि दीदी ने तैयार करके दिया और मेरे पास ही बैठ गई। मैं नाश्ता करने लगा तो दीदी ने कहा- “भाई पता है, आज से पायल भी हमारे साथ ही जाया करेगी…”
मैं- अच्छा, किसने बताया तुम्हें? हाँ।
दीदी- भाई, वो बुआ बता रही थी मुझे रात को जब आप बाहर गये हुये थे।
मैं- और क्या बता रही थी बुआ तुम्हें, मुझे भी तो बताओ। क्या पायल के लिए भी कोई मिल गया है?
दीदी- नहीं भाई, मिला तो नहीं लेकिन पायल को वहाँ इसलिए भेज रहे हैं कि वो सब कुछ देखे और इसके लिए तैयार रहे। किसी भी वक़्त कोई मिल सकता है तो पायल वहाँ मौजूद हो।
मैं- चलो अच्छा है और तुम सुनाओ मजे से हो ना कोई परेशानी तो नहीं है?
दीदी- “नहीं भाई, कोई परेशानी नहीं अगर हुई तो आप किसलिए हो…” और फिर मेरे नाश्ता करने के बाद बर्तन उठाकर ले गई और मैं अम्मी के रूम की तरफ चल पड़ा जहाँ कोई भी नहीं था।
मैं अभी बाहर निकला ही था कि दीदी ने कहा- भाई किसे ढूँढ़ रहे हो आप?
मैंने कहा- दीदी, अम्मी का पता है वो कहाँ होंगी इस वक़्त?
दीदी ने कहा- भाई, वो अम्मी… इस वक़्त ना बैठक में हैं और सर झुका लिया।
तो मैं दीदी के पास गया और दीदी को अपने साथ लिपटा लिया और बोला- दीदी, आप इतना शरमाती क्यों हो?
दीदी ने कोई जवाब नहीं दिया और चुपचाप खड़ी रही तो मैंने दीदी का चेहरा थोड़ा ऊपर उठाया और दीदी की आँखों में देखते हुये दीदी के गालों पे हल्की सी किस कर दी, जिससे दीदी का सारा जिश्म कांप उठा और दीदी अपने आपको मुझसे छुड़वाकर अपने रूम में भाग गई।
दीदी के जाने के बाद मैं बाहर हाल में ही बैठ गया और टीवी देखने लगा। कुछ देर के बाद अम्मी रूम में आ गई और नहाने चली गईं। उनकी वापसी तक मैं ऐसे ही बैठा रहा और अम्मी का इंतेजार करता रहा। अम्मी नहाकर आई और मेरे पास ही बैठ गई।
तो मैंने कहा- अम्मी, बुआ और पायल कहाँ हैं? घर में नजर नहीं आ रही।
अम्मी ने कहा- बेटा, वो पार्लर गई हैं तैयार होने के लिए।
मैंने कहा- लेकिन अम्मी, पायल वहाँ क्या करेगी?
तो अम्मी ने कहा- देखो बेटा, वहाँ जब लोग आयेंगे काम के लिए तो उन्हें जिस चीज की भी जरूरत हो पायल को ही भेजना इस तरह इसका डर भी खतम हो जायेगा।
मैंने अम्मी को कोई जवाब नहीं दिया और चुप हो गया और फिर बाकी दिन भी गुजर गया तो शाम 4:00 बजे मैं अपनी दो बहनों और बुआ को लेकर फ्लैट पे आ गया और उन्हें ड्रेस चेंज करने को बोला। जब तीनों ने ड्रेस चेंज कर ली तो कोई भी किसी से कम नहीं लग रही थी और पायल की गाण्ड तो मेरे लण्ड पे कयामत ढा रही थी। फिर हम वहाँ हाल में ही बैठ गये और इधर-उधर की बातें करके टाइम पास करने लगे।
कुछ ही देर के बाद बापू की काल आ गई उन्होंने कहा- “यार, दो आदमी भेजे हैं तुम्हारी तरफ और पैसे मैं ले चुका हूँ ठीक है…”
मैंने कहा- जी बापू और कोई बात?
तो बापू ने कहा- नहीं, बस ये ही बताना था और हाँ… उनमें से जो पहले भी आया था ना अंजली के लिए अरविंद उसे अंजली ही पसंद है। और दूसरे के पास अपनी बुआ को भेज देना।
मैंने बापू की बात सुनकर काल काट की और दीदी की तरफ देखा और कहा- “लो दीदी, लगता है आपका तो अरविंद आशिक हो गया…”
दीदी मेरी बात सुनकर हल्का सा हँस पड़ी।
तो मैंने कहा- “बुआ, आप भी तैयारी करो आपका भी काम है…”
बुआ ने कहा- “आने दे यार, जो भी है देख लूँगी साले हरामी को…” और हेहेहेहेहे करके हँसने लगी।
इस सबसे पायल थोड़ा घबराई हुई थी, लेकिन जाहिर नहीं होने दे रही थी। तभी दरवाजे की घंटी बजी तो मैं उठकर गया तो देखा कि अरविंद और उसके साथ एक और आदमी भी था जिन्हें मैं अंदर लाया और बिठा दिया।
अरविंद के साथ आने वाले ने बैठते ही पायल को अपनी तरफ खींच लिया क्योंकि अरविंद साहब दीदी को पकड़कर बैठ गये थे।
मैंने फौरन पायल का हाथ पकड़कर वहाँ से उठा दिया और बुआ को उसकी तरफ कर दिया और बोला- ये नहीं, भाई साहब आपने इसके पैसे दिए हैं।
उस आदमी का नाम जो मुझे बाद में पता चला कि बिनोद है। हँस पड़ा और बोला- “क्यों भाई, इसमें और उसमें क्या फरक है?
मैंने कहा- “ये अभी खुली नहीं है, नयी है। और तुमने इसके पैसे नहीं दिए हैं…”
मेरी बात सुनकर उसने दाँत निकाल दिए और बुआ को अपनी तरफ खींच लिया। लेकिन अरविंद साहब ने मेरी तरफ देखा और बोले- क्या सच में अभी सील पैक है ये लड़की?
मैंने कहा- जी सर, अभी तक किसी ने हाथ भी नहीं लगाया इसे।
अरविंद साहब ने अपनी पाकेट से मोबाइल निकाला और बापू को काल करके कहा- “यार, ये जो दूसरी लड़की है ना इसकी सील किसी और से नहीं खुलवाना। मैं कल तुम्हें पैसे दे दूँगा और कल इसकी खोलूंगा। ठीक है? और फिर काल कट करके दीदी के साथ लग गया।
पायल मेरे पास बैठकर बड़ी दिलचस्पी से ये सब देख रही थी।
तभी अरविंद साहब ने कहा- जाओ यार, बोतल ही ले आओ थोड़ा मजा ही कर लूँ। ऐसे मजा ही नहीं आ रहा है।
मैंने पायल को कहा- “जाओ और रूम की अलमारी से शराब की बोतल और गिलास ले आओ…”
पायल गई और 4 गिलास और शराब की बोतल ले आई जो कि उसने अरविंद साहब के सामने रख दी।
अरविंद साहब ने दीदी को कहा- “वो खुद बनाकर उसे पिलाए…”
दीदी उठी और शराब को दो गिलासों में डाल लिया और उस देने लगी।
तो अरविंद ने दीदी को एक हाथ से पकड़कर अपनी झोली में बिठा लिया और बोला- यहाँ बैठकर खुद भी पियो और मैं भी पियूंगा, मुझे इसी तरह मजा आएगा।
अब दीदी अरविंद की गोदी में बैठी शराब की चुस्कियां भर रही थी और अरविंद शराब की चुस्कियों के साथ दीदी की चूचियां को भी मसल रहा था जिससे दीदी का चेहरा लाल होता जा रहा था। अरविंद ने वहाँ बैठकर खुद भी 3 पेग लगाए और दीदी को भी 3 पेग लगवा दिए जिससे दीदी हल्के नशे में हो गई थी और तब अरविंद ने दीदी को अपने साथ लिया और रूम की तरफ चल पड़ा।
बिनोद और बुआ जो कि पहले ही एक रूम में जा चुके थे।
उसके बाद पायल ने मेरी तरफ देखा तो उसका चेहरा लाल तमाटर हो रहा था और उसकी आँखों में इस वक़्त सिर्फ़ एक ही चीज नजर आ रही थी और वो थी सेक्स… सिर्फ़ सेक्स की भूख। अब रूम में से दीदी की आवाजें सुनाई देने लगी थीं- “आअह्ह… सस्स्सीए… उन्नमह… हाँ… खा जाओ… प्लीज़्ज़… ऊओ… इसी तरह… हाँ जोर से चाटो…”
क्योंकि बुआ वाला रूम जरा आगे था और दरवाजा भी लाक था जिसकी वजह से वहाँ से कोई आवाज नहीं सुनाई दे रही थी।
पायल भी दीदी और अरविंद के रूम से आने वाली आवाज़ों को सुनकर काफी गरम हो रही थी और बैठी अपनी रानों को भींच रही थी।
मैंने अपना चेहरा दूसरी तरफ कर लिया और टीवी लगाकर बैठ गया क्योंकि सच तो ये था कि इन आवाज़ों की वजह से मेरा अपना हाल भी पतला हो रहा था और दिल कर रहा था कि पायल को यहाँ ही गिरा लूँ और चोद डालूं। लेकिन मैं ऐसा नहीं कर सकता था क्योंकि पायल की सील अभी खुली नहीं थी।
कोई 30 मिनट के बाद अरविंद साहब ने आवाज दी।
तो मैंने पायल की तरफ देखा और कहा- जाओ सुनो, क्या बोल रहे हैं?
पायल उठकर रूम में गई और कुछ देर के बाद घबराई हुई वापिस आ गई और बोली- “भाई, उन्होंने ये पैसे दिए हैं कि कुछ खाने के लिए मंगवा दो। उन्हें भूख लगी है…”
मैंने कुछ देर तक सोचा और पायल को कहा- “तुम ऐसा करो कि ये सामने के बाथरूम में घुस जाओ और जब तक मैं ना बोलूं बाहर नहीं आना, वरना आज ही काम खराब हो जायेगा…”
पायल के बाथरूम में जाकर लाक करने के बाद मैं फ्लैट से निकला और करीब की ही मार्केट से खाना पैक करवा के ले आया। जैसे ही मैं फ्लैट में आया तो देखा कि दीदी और अरविंद बाहर हाल ही में नंगे बैठे हुये थे और दीदी नशे में अरविंद के साथ चिपटी हुई थी।
मैंने पायल को आवाज दी तो वो भी बाथरूम से बाहर आ गई और दीदी को इस तरह नशे में अरविंद के साथ चिपका देखकर शर्मा गई।
मैंने पायल को खाने का सामान दिया जिसे वो किचेन में ले गई और खाना बर्तनों में लगाकर उनके सामने रख दिया।
अरविंद भी उस वक़्त अच्छे खासे नशे में था खाना देखकर बोला- “आ जाओ यार, तुम लोग भी आ जाओ हमारे साथ ही खाना खाओ…” और दीदी को भी खाने के लिए बोलकर खाने पे टूट पड़ा।
खाना खाने के बाद अरविंद ने एक बार फिर से दीदी को अपनी तरफ खींच लिया और किस करने लगा और दीदी की चूचियां दबाने लगा जिससे दीदी शराब और सेक्स के नशे में गरम हो गई और अरविंद के लण्ड को अपने हाथ में लेकर हिलाने लगी। कुछ देर बाद अरविंद ने दीदी को पकड़कर सोफे पे ही सीधा कर दिया और दीदी की चूत को लाल्लप्प सर्ल्लप्प की आवाज के साथ चाटने लगा।
जिसे देखकर पायल भी काफी गरम हो गई और अपनी जीन्स के ऊपर से ही अपनी फुद्दी को रगड़ने लगी।
कुछ देर तक अरविंद दीदी की साफ और प्यारी फुद्दी को चाटता रहा और फिर दीदी की टाँगों को उठाकर अपने लण्ड को दीदी की फुद्दी में घुसा दिया जिससे दीदी के मुँह से सस्सीए… आहिस्ता करो… प्लीज़्ज़… उन्म्मह… की आवाज करने लगी।
बाकी का सारा दिन इसी तरह गुजर गया कुछ टाइम घर पे और बाकी दोस्तों के साथ आवारागार्दी और मूवी देखने में और रात के दो बजे मैं घर आया तो अम्मी ने दरवाजा खोला और मुझे देखते ही पूछा- बेटा कहाँ गया था?
तो मैंने अम्मी को देखा और कहा- “कहीं नहीं अम्मी, बस जरा दोस्तों के साथ टाइम पास करने गया था…” और सीधा रूम में आकर सो गया
सुबह जब उठा तो 10:00 बज रहे थे। मैं उठा और बाहर बने बाथरूम में नहाने के लिए घुस गया और फिर कपड़े बदलकर बाहर आया और नाश्ता माँगा जो कि दीदी ने तैयार करके दिया और मेरे पास ही बैठ गई। मैं नाश्ता करने लगा तो दीदी ने कहा- “भाई पता है, आज से पायल भी हमारे साथ ही जाया करेगी…”
मैं- अच्छा, किसने बताया तुम्हें? हाँ।
दीदी- भाई, वो बुआ बता रही थी मुझे रात को जब आप बाहर गये हुये थे।
मैं- और क्या बता रही थी बुआ तुम्हें, मुझे भी तो बताओ। क्या पायल के लिए भी कोई मिल गया है?
दीदी- नहीं भाई, मिला तो नहीं लेकिन पायल को वहाँ इसलिए भेज रहे हैं कि वो सब कुछ देखे और इसके लिए तैयार रहे। किसी भी वक़्त कोई मिल सकता है तो पायल वहाँ मौजूद हो।
मैं- चलो अच्छा है और तुम सुनाओ मजे से हो ना कोई परेशानी तो नहीं है?
दीदी- “नहीं भाई, कोई परेशानी नहीं अगर हुई तो आप किसलिए हो…” और फिर मेरे नाश्ता करने के बाद बर्तन उठाकर ले गई और मैं अम्मी के रूम की तरफ चल पड़ा जहाँ कोई भी नहीं था।
मैं अभी बाहर निकला ही था कि दीदी ने कहा- भाई किसे ढूँढ़ रहे हो आप?
मैंने कहा- दीदी, अम्मी का पता है वो कहाँ होंगी इस वक़्त?
दीदी ने कहा- भाई, वो अम्मी… इस वक़्त ना बैठक में हैं और सर झुका लिया।
तो मैं दीदी के पास गया और दीदी को अपने साथ लिपटा लिया और बोला- दीदी, आप इतना शरमाती क्यों हो?
दीदी ने कोई जवाब नहीं दिया और चुपचाप खड़ी रही तो मैंने दीदी का चेहरा थोड़ा ऊपर उठाया और दीदी की आँखों में देखते हुये दीदी के गालों पे हल्की सी किस कर दी, जिससे दीदी का सारा जिश्म कांप उठा और दीदी अपने आपको मुझसे छुड़वाकर अपने रूम में भाग गई।
दीदी के जाने के बाद मैं बाहर हाल में ही बैठ गया और टीवी देखने लगा। कुछ देर के बाद अम्मी रूम में आ गई और नहाने चली गईं। उनकी वापसी तक मैं ऐसे ही बैठा रहा और अम्मी का इंतेजार करता रहा। अम्मी नहाकर आई और मेरे पास ही बैठ गई।
तो मैंने कहा- अम्मी, बुआ और पायल कहाँ हैं? घर में नजर नहीं आ रही।
अम्मी ने कहा- बेटा, वो पार्लर गई हैं तैयार होने के लिए।
मैंने कहा- लेकिन अम्मी, पायल वहाँ क्या करेगी?
तो अम्मी ने कहा- देखो बेटा, वहाँ जब लोग आयेंगे काम के लिए तो उन्हें जिस चीज की भी जरूरत हो पायल को ही भेजना इस तरह इसका डर भी खतम हो जायेगा।
मैंने अम्मी को कोई जवाब नहीं दिया और चुप हो गया और फिर बाकी दिन भी गुजर गया तो शाम 4:00 बजे मैं अपनी दो बहनों और बुआ को लेकर फ्लैट पे आ गया और उन्हें ड्रेस चेंज करने को बोला। जब तीनों ने ड्रेस चेंज कर ली तो कोई भी किसी से कम नहीं लग रही थी और पायल की गाण्ड तो मेरे लण्ड पे कयामत ढा रही थी। फिर हम वहाँ हाल में ही बैठ गये और इधर-उधर की बातें करके टाइम पास करने लगे।
कुछ ही देर के बाद बापू की काल आ गई उन्होंने कहा- “यार, दो आदमी भेजे हैं तुम्हारी तरफ और पैसे मैं ले चुका हूँ ठीक है…”
मैंने कहा- जी बापू और कोई बात?
तो बापू ने कहा- नहीं, बस ये ही बताना था और हाँ… उनमें से जो पहले भी आया था ना अंजली के लिए अरविंद उसे अंजली ही पसंद है। और दूसरे के पास अपनी बुआ को भेज देना।
मैंने बापू की बात सुनकर काल काट की और दीदी की तरफ देखा और कहा- “लो दीदी, लगता है आपका तो अरविंद आशिक हो गया…”
दीदी मेरी बात सुनकर हल्का सा हँस पड़ी।
तो मैंने कहा- “बुआ, आप भी तैयारी करो आपका भी काम है…”
बुआ ने कहा- “आने दे यार, जो भी है देख लूँगी साले हरामी को…” और हेहेहेहेहे करके हँसने लगी।
इस सबसे पायल थोड़ा घबराई हुई थी, लेकिन जाहिर नहीं होने दे रही थी। तभी दरवाजे की घंटी बजी तो मैं उठकर गया तो देखा कि अरविंद और उसके साथ एक और आदमी भी था जिन्हें मैं अंदर लाया और बिठा दिया।
अरविंद के साथ आने वाले ने बैठते ही पायल को अपनी तरफ खींच लिया क्योंकि अरविंद साहब दीदी को पकड़कर बैठ गये थे।
मैंने फौरन पायल का हाथ पकड़कर वहाँ से उठा दिया और बुआ को उसकी तरफ कर दिया और बोला- ये नहीं, भाई साहब आपने इसके पैसे दिए हैं।
उस आदमी का नाम जो मुझे बाद में पता चला कि बिनोद है। हँस पड़ा और बोला- “क्यों भाई, इसमें और उसमें क्या फरक है?
मैंने कहा- “ये अभी खुली नहीं है, नयी है। और तुमने इसके पैसे नहीं दिए हैं…”
मेरी बात सुनकर उसने दाँत निकाल दिए और बुआ को अपनी तरफ खींच लिया। लेकिन अरविंद साहब ने मेरी तरफ देखा और बोले- क्या सच में अभी सील पैक है ये लड़की?
मैंने कहा- जी सर, अभी तक किसी ने हाथ भी नहीं लगाया इसे।
अरविंद साहब ने अपनी पाकेट से मोबाइल निकाला और बापू को काल करके कहा- “यार, ये जो दूसरी लड़की है ना इसकी सील किसी और से नहीं खुलवाना। मैं कल तुम्हें पैसे दे दूँगा और कल इसकी खोलूंगा। ठीक है? और फिर काल कट करके दीदी के साथ लग गया।
पायल मेरे पास बैठकर बड़ी दिलचस्पी से ये सब देख रही थी।
तभी अरविंद साहब ने कहा- जाओ यार, बोतल ही ले आओ थोड़ा मजा ही कर लूँ। ऐसे मजा ही नहीं आ रहा है।
मैंने पायल को कहा- “जाओ और रूम की अलमारी से शराब की बोतल और गिलास ले आओ…”
पायल गई और 4 गिलास और शराब की बोतल ले आई जो कि उसने अरविंद साहब के सामने रख दी।
अरविंद साहब ने दीदी को कहा- “वो खुद बनाकर उसे पिलाए…”
दीदी उठी और शराब को दो गिलासों में डाल लिया और उस देने लगी।
तो अरविंद ने दीदी को एक हाथ से पकड़कर अपनी झोली में बिठा लिया और बोला- यहाँ बैठकर खुद भी पियो और मैं भी पियूंगा, मुझे इसी तरह मजा आएगा।
अब दीदी अरविंद की गोदी में बैठी शराब की चुस्कियां भर रही थी और अरविंद शराब की चुस्कियों के साथ दीदी की चूचियां को भी मसल रहा था जिससे दीदी का चेहरा लाल होता जा रहा था। अरविंद ने वहाँ बैठकर खुद भी 3 पेग लगाए और दीदी को भी 3 पेग लगवा दिए जिससे दीदी हल्के नशे में हो गई थी और तब अरविंद ने दीदी को अपने साथ लिया और रूम की तरफ चल पड़ा।
बिनोद और बुआ जो कि पहले ही एक रूम में जा चुके थे।
उसके बाद पायल ने मेरी तरफ देखा तो उसका चेहरा लाल तमाटर हो रहा था और उसकी आँखों में इस वक़्त सिर्फ़ एक ही चीज नजर आ रही थी और वो थी सेक्स… सिर्फ़ सेक्स की भूख। अब रूम में से दीदी की आवाजें सुनाई देने लगी थीं- “आअह्ह… सस्स्सीए… उन्नमह… हाँ… खा जाओ… प्लीज़्ज़… ऊओ… इसी तरह… हाँ जोर से चाटो…”
क्योंकि बुआ वाला रूम जरा आगे था और दरवाजा भी लाक था जिसकी वजह से वहाँ से कोई आवाज नहीं सुनाई दे रही थी।
पायल भी दीदी और अरविंद के रूम से आने वाली आवाज़ों को सुनकर काफी गरम हो रही थी और बैठी अपनी रानों को भींच रही थी।
मैंने अपना चेहरा दूसरी तरफ कर लिया और टीवी लगाकर बैठ गया क्योंकि सच तो ये था कि इन आवाज़ों की वजह से मेरा अपना हाल भी पतला हो रहा था और दिल कर रहा था कि पायल को यहाँ ही गिरा लूँ और चोद डालूं। लेकिन मैं ऐसा नहीं कर सकता था क्योंकि पायल की सील अभी खुली नहीं थी।
कोई 30 मिनट के बाद अरविंद साहब ने आवाज दी।
तो मैंने पायल की तरफ देखा और कहा- जाओ सुनो, क्या बोल रहे हैं?
पायल उठकर रूम में गई और कुछ देर के बाद घबराई हुई वापिस आ गई और बोली- “भाई, उन्होंने ये पैसे दिए हैं कि कुछ खाने के लिए मंगवा दो। उन्हें भूख लगी है…”
मैंने कुछ देर तक सोचा और पायल को कहा- “तुम ऐसा करो कि ये सामने के बाथरूम में घुस जाओ और जब तक मैं ना बोलूं बाहर नहीं आना, वरना आज ही काम खराब हो जायेगा…”
पायल के बाथरूम में जाकर लाक करने के बाद मैं फ्लैट से निकला और करीब की ही मार्केट से खाना पैक करवा के ले आया। जैसे ही मैं फ्लैट में आया तो देखा कि दीदी और अरविंद बाहर हाल ही में नंगे बैठे हुये थे और दीदी नशे में अरविंद के साथ चिपटी हुई थी।
मैंने पायल को आवाज दी तो वो भी बाथरूम से बाहर आ गई और दीदी को इस तरह नशे में अरविंद के साथ चिपका देखकर शर्मा गई।
मैंने पायल को खाने का सामान दिया जिसे वो किचेन में ले गई और खाना बर्तनों में लगाकर उनके सामने रख दिया।
अरविंद भी उस वक़्त अच्छे खासे नशे में था खाना देखकर बोला- “आ जाओ यार, तुम लोग भी आ जाओ हमारे साथ ही खाना खाओ…” और दीदी को भी खाने के लिए बोलकर खाने पे टूट पड़ा।
खाना खाने के बाद अरविंद ने एक बार फिर से दीदी को अपनी तरफ खींच लिया और किस करने लगा और दीदी की चूचियां दबाने लगा जिससे दीदी शराब और सेक्स के नशे में गरम हो गई और अरविंद के लण्ड को अपने हाथ में लेकर हिलाने लगी। कुछ देर बाद अरविंद ने दीदी को पकड़कर सोफे पे ही सीधा कर दिया और दीदी की चूत को लाल्लप्प सर्ल्लप्प की आवाज के साथ चाटने लगा।
जिसे देखकर पायल भी काफी गरम हो गई और अपनी जीन्स के ऊपर से ही अपनी फुद्दी को रगड़ने लगी।
कुछ देर तक अरविंद दीदी की साफ और प्यारी फुद्दी को चाटता रहा और फिर दीदी की टाँगों को उठाकर अपने लण्ड को दीदी की फुद्दी में घुसा दिया जिससे दीदी के मुँह से सस्सीए… आहिस्ता करो… प्लीज़्ज़… उन्म्मह… की आवाज करने लगी।
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घर का बिजनिस -11
अरविंद का लण्ड मेरे लण्ड से काफी छोटा था, लेकिन मोटा मेरे जितना ही था। अब वो दीदी की फुद्दी में अंदर-बाहर करने लगा और बोला- “आअह्ह… साली क्या चीज है तू? कितनी गर्मी है तेरी फुद्दी में? उन्नमह…”
दीदी भी अब अपनी गाण्ड को अरविंद के लण्ड की तरफ उछाल रही थी और साथ ही- “आअह्ह जान… मेरी फुद्दी की गर्मी निकाल दो… मजा आ रहा है… थोड़ा तेज़्ज़ ऊओ…”
अरविंद अब दीदी की फुद्दी मारने में अपनी जान लगा रहा था। लेकिन जैसे-जैसे अरविंद अपनी रफ़्तार बढ़ा रहा था, दीदी भी अपनी गाण्ड को उसके लण्ड की तरफ दबाती और साथ ही- “हाँ, अब मजा आ रहा है और तेज़्ज़ करो उन्म्मह…” की आवाज भी करने लगती।
पायल कुछ देर तक ये सब देखती रही और फिर उठकर वाश-रूम की तरफ भाग गई। पायल के वहाँ से इस तेजी से उठते ही मैं समझ गया कि वो बाथरूम में क्या करने गई है लेकिन मैं उसे छोड़कर दीदी की चुदाई देखने में लग गया जहाँ अब अरविंद- “आअह्ह… साली मैं गया…” की आवाज कर रहा था।
लेकिन दीदी- “नहीं, प्लीज़्ज़… अभी नहीं थोड़ा और करो… प्लीज़्ज़… आअह्ह… थोड़ा तेज़्ज़ करो… उन्म्मह…” की आवाज कर रही थी।
लेकिन अरविंद ने दीदी की किसी बात पे भी ध्यान नहीं दिया और दो 3 तेज झटकों के साथ ही दीदी की फुद्दी को अपने पानी से भर दिया और अपना लण्ड दीदी की फुद्दी से बाहर खींच लिया। बगल में बैठ गया और हाँफने लगा।
दीदी क्योंकि अभी फारिग़ नहीं हुई थी इसलिए अपनी फुद्दी में अपनी दो उंगली को घुसाकर तेजी के साथ अंदर-बाहर कर रही थी और आअह्ह… उन्म्मह… की आवाज करते हुये फारिग़ होने की कोशिश कर रही थी।
उस वक़्त मेरा दिल तो कर रहा था कि मैं उठूं और दीदी की फुद्दी में अपना लण्ड घुसाकर उसे ठंडा कर दूँ। लेकिन अभी मैं ऐसा नहीं कर सकता था क्योंकि अभी बाहर के लोग भी यहाँ मौजूद थे। कुछ ही देर में दीदी भी ठंडी हो गई और अपनी आँखें बंद करके लंबी-लंबी सांसें लेने लगी। तभी पायल भी बाथरूम से वापिस आ गई।
कोई 20 मिनट के बाद अरविंद उठा और बोला- “जरा देखो, ये बिनोद अभी तक रूम में क्या कर रहा है? उससे पूछो की जाना नहीं है क्या कि रात यहाँ ही रुकना है और खुद भी उठकर रूम की तरफ चला गया जहाँ उसके कपड़े पड़े हुये थे।
मैं उठा और जाकर दूसरे रूम को खटखटाया।
तो बिनोद ने पूछा- क्या बात है?
तो मैंने उससे कहा- “अरविंद साहब बोल रहे हैं कि अभी बस करो, जाना भी है…”
बिनोद ने कहा- “ठीक है, मैं आता हूँ। तुम चलो…”
और जब मैं वापिस आया तो अरविंद कपड़े पहनकर वापिस आ चुका था और पायल को ₹5000 दे रहा था और बोल रहा था- “अभी ये रख ले कल तेरे पैसे भी दे दूँगा और तुझे भी अपने लण्ड का मजा चखा दूँगा…”
पायल ने मेरी तरफ देखा तो मैंने हाँ में इशारा किया। तो उसने वो पैसे पकड़ लिए और फिर उसने मुझे भी ₹5000 दिए और दीदी को ₹10,000 दिए। तब तक बिनोद भी रूम में से निकल आया था। बिनोद के आते ही अरविंद भी उठ खड़ा हुआ और दोनों फ्लैट से निकल गये और मैं भी उनके साथ गया और जाकर फ्लैट का दरवाजा लाक करके आ गया तो देखा की दीदी अभी तक वैसे ही सोफे पे बैठी अपनी आँखों को बंद किए लंबी-लंबी सांसें ले रही थी और पायल वहाँ नजर नहीं आ रही थी।
मैं समझ गया कि अभी वो बुआ के पास गई होगी।
मैं दीदी के पास आकर बैठ गया और हिम्मत करके दीदी के कंधे पे हाथ रखा और दीदी को अपनी तरफ खींच लिया और बोला- दीदी, आप ठीक हो ना?
दीदी जो कि पहले ही हल्के नशे में थी। आँखों को बिना खोले ही बोली- हाँ भाई, मैं ठीक हूँ।
मेरा लण्ड जो कि दीदी को इस तरह नंगी बैठे देखकर खुद भी नहीं बैठ रहा था कुछ करने के लिए मजबूर कर रहा था और वैसे भी दीदी नशे में थी तो मुझे क्या मना करती? ये ख्याल आते ही मैंने एक हाथ दीदी की गाण्ड पे रख दिया और घुमाने लगा और दूसरा हाथ दीदी की चूचियां पे रख दिया। लेकिन पता नहीं क्यों मेरा दिल नहीं किया और मैं पीछे हट गया।
तभी बुआ ने कहा- “क्यों आलोक? पीछे क्यों हो गये? कर लो जो करना है…”
मैंने कहा- “नहीं बुआ, दीदी अभी नशे में है अभी नहीं जब दीदी नशे में नहीं होंगी तब मैं करूंगा जिससे मुझे और दीदी दोनों को मजा आए…”
बुआ ने हँसते हुये कहा- अगर तब अंजली नहीं मानी तो क्या होगा? हाँ।
मैंने कहा- नहीं बुआ, मैं जानता हूँ कि जब दीदी मेरा लण्ड देखेगी तो मुझे कभी भी मना नहीं करेगी।
बुआ ने कहा- चलो ठीक है, ये बताओ कि खाने के लिए कुछ है या नहीं? बड़ी भूख लग रही है।
मैंने पायल को आवाज दी जो कि बुआ के रूम में ही रुक गई थी और उसके आते ही मैंने बुआ के लिए कुछ खाने के लिए कहा तो वो किचेन से खाना उठा लाई जो कि उसने पहले ही बुआ के लिए रख दिया था और फिर बुआ ने खाना खाया और हम सुबह तक वहाँ ही रहे और फिर घर आ गये। घर आकर मैं अपने रूम में चला गया और कपड़े उतार के एक चादर बाँध ली और सोने के लिए लेट गया।
तभी अम्मी मेरे रूम में आ गई और बोली- “आलोक, ऐसा करो कि मेरे रूम में जाकर सो जाओ आज…”
मैंने कहा- “क्यों अम्मी यहाँ क्या हुआ? सोने दो ना प्लीज़्ज़…”
अम्मी मेरी बात पे हँस पड़ी और बोली- “मेरे रूम में जाने से तुम्हारा ही फायदा है जाओ शाबाश…”
मैं उठकर कपड़े पहनने लगा तो अम्मी ने कहा- आलोक, मेरे रूम में भी तुमने सोना ही है जाओ इसी तरह ही चले जाओ।
मैं अम्मी की बात सुनकर अम्मी के रूम की तरफ चल पड़ा।
और जैसे ही रूम में जाने लगा तो अम्मी ने कहा- “लाइट ओन नहीं करना और जाकर बेड पे लेट जाओ…”
मैं अम्मी की बात पे थोड़ा हैरान भी हुआ लेकिन फिर भी कुछ नहीं बोला और जाकर अम्मी के बेड पे लेट गया तो तब पता चला कि वहाँ कोई और भी था जो कि अपने ऊपर चादर लेकर लेटा हुआ था। क्योंकि मैं अंदर आते वक़्त दरवाजे को बंद कर आया था और पर्दे भी गिरे हुये थे जिसकी वजह से रूम में काफी अंधेरा था जिससे मुझे साफ नजर नहीं आ रहा था। लेकिन इतना नजर तो आ ही रहा था कि मेरे पास बेड पे कोई लेटा हुआ है। मैंने हाथ बढ़ा के उसे हिलाना चाहा तो मेरा हाथ किसी की नरम चूचियों से टकरा गया तो मैं समझ गया कि ये बुआ ही होगी और कोई नहीं हो सकता।
मैंने बुआ के ऊपर से चादर खींच ली और अपना हाथ बुआ की चूचियों की तरफ बढ़ा दिया जो कि चादर के नीचे नंगी ही थीं लेकिन बड़ी सख़्त हो रही थीं। लेकिन बुआ की चूचियों से कुछ छोटी भी थीं। इस बात को महसूस करते ही मैं चौंक गयाि ये कौन है जो यहाँ इस तरह मेरे पास नंगी लेटी हुई है और अम्मी ने भी मुझे इसके पास सोने के लिए बोल दिया है।
अभी मैं लाइट ओन करने का सोच ही रहा था कि वो अचानक मुझे लिपट गई और अपने तपते हुये होंठों को मेरे होंठों पे रख दिया और किस करने लगी। जिससे मैं भी बिना ये जाने कि आखिर ये है कौन? किस करने और चूचियों को दबाने में लग गया।
मैं क्योंकि काफी जोर से उसकी चूचियाों को दबा रहा था जिसकी वजह से उसके मुँह से से- “भाई, आराम से करो ना… प्लीज़्ज़… दर्द होता है इस तरह…”
आवाज सुनते ही मैं खुशी से पागल हो गया क्योंकि वो कोई और नहीं बलकि मेरी बड़ी बहन अंजली ही थी जो कि आज मेरे साथ इस तरह नंगी लेटी हुई थी और मुझसे चुदवाना भी चाहती थी। अब मैं फिर से दीदी को किस करने लगा और साथ ही दीदी की चूचियों को भी मसलने लगा था और दीदी अपने हाथों से मेरे सर को सहला रही थी।
कुछ देर के बाद मैंने दीदी को किस करना बंद कर दिया और दीदी की चूचियों पे अपने मुँह को रख दिया और बारी-बारी से दीदी की चूचियों को दबाने लगा और दीदी के निपल्स को चूसने लगा। अब दीदी मेरे सर को अपनी चूचियां पे दबा रही थी और- “उन्म्मह… भाई…? की आवाज भी करती जा रही थी। अब मैं दीदी की चूचियों से नीचे आया और दीदी के पेट को अपनी जुबान से चाटने लगा और जुबान को दीदी के पेट पे घुमाने लगा और आहिस्ता-आहिस्ता नीचे की तरफ जाने लगा जिससे दीदी और भी ज्यादा मचलने लगी और सिसकियां भरने लगी।
अब मैं दीदी की फुद्दी से थोड़ा ही ऊपर अपनी जुबान को घुमा रहा था। लेकिन दीदी की फुद्दी की तरफ नहीं जा रहा था कि तभी दीदी ने मेरे सर को अपनी फुद्दी की तरफ दबया तो मैंने अपने मुँह को दीदी की फुद्दी की तरफ ले जाने की जगह दीदी की रानों की तरफ आ गया और चाटने और चूमने लगा जिससे दीदी और भी मचलने लगी थी।
जब दीदी ने देखा कि मैं उन्हें जानबूझ के ताटा रहा हूँ तो दीदी ने मेरा सर पकड़ लिया और जबरदस्ती अपनी फुद्दी की तरफ कर दिया और बोली- “भाई, प्लीज़्ज़ यहाँ से चाटो ना…” जैसे ही मैंने दीदी की गिली फुद्दी पे अपनी जुबान घुमाई, दीदी का जिश्म एक बार थोड़ा से अकड़ गया और दीदी के मुँह से- “सस्सीई… आअह्ह… भाई हाँ… इसी तरह यहाँ पे प्लीज़्ज़… ऊओ… भाई इतना मजा…” दीदी की फुद्दी चाटने में मुझे बुआ की फुद्दी से भी ज्यादा मजा आ रहा था जिससे कि मैं दीदी की फुद्दी के अंदर तक अपनी जुबान को घुसाकर चाटने की कोशिश करने लगा, जिससे मेरे साथ दीदी को भी मजा आ रहा था।
दीदी अब मजे की शिद्दत पे थी- “और आअह्ह… भाई, खा जाओ अपनी दीदी की फुद्दी को… रंडी बना दो मुझे… उन्म्मह… ऊओ… अम्मीई, मैं गई…” और इसके साथ ही मेरे मुँह को अपनी फुद्दी के साथ दबा लिया और फारिग़ हो गई…”
अरविंद का लण्ड मेरे लण्ड से काफी छोटा था, लेकिन मोटा मेरे जितना ही था। अब वो दीदी की फुद्दी में अंदर-बाहर करने लगा और बोला- “आअह्ह… साली क्या चीज है तू? कितनी गर्मी है तेरी फुद्दी में? उन्नमह…”
दीदी भी अब अपनी गाण्ड को अरविंद के लण्ड की तरफ उछाल रही थी और साथ ही- “आअह्ह जान… मेरी फुद्दी की गर्मी निकाल दो… मजा आ रहा है… थोड़ा तेज़्ज़ ऊओ…”
अरविंद अब दीदी की फुद्दी मारने में अपनी जान लगा रहा था। लेकिन जैसे-जैसे अरविंद अपनी रफ़्तार बढ़ा रहा था, दीदी भी अपनी गाण्ड को उसके लण्ड की तरफ दबाती और साथ ही- “हाँ, अब मजा आ रहा है और तेज़्ज़ करो उन्म्मह…” की आवाज भी करने लगती।
पायल कुछ देर तक ये सब देखती रही और फिर उठकर वाश-रूम की तरफ भाग गई। पायल के वहाँ से इस तेजी से उठते ही मैं समझ गया कि वो बाथरूम में क्या करने गई है लेकिन मैं उसे छोड़कर दीदी की चुदाई देखने में लग गया जहाँ अब अरविंद- “आअह्ह… साली मैं गया…” की आवाज कर रहा था।
लेकिन दीदी- “नहीं, प्लीज़्ज़… अभी नहीं थोड़ा और करो… प्लीज़्ज़… आअह्ह… थोड़ा तेज़्ज़ करो… उन्म्मह…” की आवाज कर रही थी।
लेकिन अरविंद ने दीदी की किसी बात पे भी ध्यान नहीं दिया और दो 3 तेज झटकों के साथ ही दीदी की फुद्दी को अपने पानी से भर दिया और अपना लण्ड दीदी की फुद्दी से बाहर खींच लिया। बगल में बैठ गया और हाँफने लगा।
दीदी क्योंकि अभी फारिग़ नहीं हुई थी इसलिए अपनी फुद्दी में अपनी दो उंगली को घुसाकर तेजी के साथ अंदर-बाहर कर रही थी और आअह्ह… उन्म्मह… की आवाज करते हुये फारिग़ होने की कोशिश कर रही थी।
उस वक़्त मेरा दिल तो कर रहा था कि मैं उठूं और दीदी की फुद्दी में अपना लण्ड घुसाकर उसे ठंडा कर दूँ। लेकिन अभी मैं ऐसा नहीं कर सकता था क्योंकि अभी बाहर के लोग भी यहाँ मौजूद थे। कुछ ही देर में दीदी भी ठंडी हो गई और अपनी आँखें बंद करके लंबी-लंबी सांसें लेने लगी। तभी पायल भी बाथरूम से वापिस आ गई।
कोई 20 मिनट के बाद अरविंद उठा और बोला- “जरा देखो, ये बिनोद अभी तक रूम में क्या कर रहा है? उससे पूछो की जाना नहीं है क्या कि रात यहाँ ही रुकना है और खुद भी उठकर रूम की तरफ चला गया जहाँ उसके कपड़े पड़े हुये थे।
मैं उठा और जाकर दूसरे रूम को खटखटाया।
तो बिनोद ने पूछा- क्या बात है?
तो मैंने उससे कहा- “अरविंद साहब बोल रहे हैं कि अभी बस करो, जाना भी है…”
बिनोद ने कहा- “ठीक है, मैं आता हूँ। तुम चलो…”
और जब मैं वापिस आया तो अरविंद कपड़े पहनकर वापिस आ चुका था और पायल को ₹5000 दे रहा था और बोल रहा था- “अभी ये रख ले कल तेरे पैसे भी दे दूँगा और तुझे भी अपने लण्ड का मजा चखा दूँगा…”
पायल ने मेरी तरफ देखा तो मैंने हाँ में इशारा किया। तो उसने वो पैसे पकड़ लिए और फिर उसने मुझे भी ₹5000 दिए और दीदी को ₹10,000 दिए। तब तक बिनोद भी रूम में से निकल आया था। बिनोद के आते ही अरविंद भी उठ खड़ा हुआ और दोनों फ्लैट से निकल गये और मैं भी उनके साथ गया और जाकर फ्लैट का दरवाजा लाक करके आ गया तो देखा की दीदी अभी तक वैसे ही सोफे पे बैठी अपनी आँखों को बंद किए लंबी-लंबी सांसें ले रही थी और पायल वहाँ नजर नहीं आ रही थी।
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तभी अम्मी मेरे रूम में आ गई और बोली- “आलोक, ऐसा करो कि मेरे रूम में जाकर सो जाओ आज…”
मैंने कहा- “क्यों अम्मी यहाँ क्या हुआ? सोने दो ना प्लीज़्ज़…”
अम्मी मेरी बात पे हँस पड़ी और बोली- “मेरे रूम में जाने से तुम्हारा ही फायदा है जाओ शाबाश…”
मैं उठकर कपड़े पहनने लगा तो अम्मी ने कहा- आलोक, मेरे रूम में भी तुमने सोना ही है जाओ इसी तरह ही चले जाओ।
मैं अम्मी की बात सुनकर अम्मी के रूम की तरफ चल पड़ा।
और जैसे ही रूम में जाने लगा तो अम्मी ने कहा- “लाइट ओन नहीं करना और जाकर बेड पे लेट जाओ…”
मैं अम्मी की बात पे थोड़ा हैरान भी हुआ लेकिन फिर भी कुछ नहीं बोला और जाकर अम्मी के बेड पे लेट गया तो तब पता चला कि वहाँ कोई और भी था जो कि अपने ऊपर चादर लेकर लेटा हुआ था। क्योंकि मैं अंदर आते वक़्त दरवाजे को बंद कर आया था और पर्दे भी गिरे हुये थे जिसकी वजह से रूम में काफी अंधेरा था जिससे मुझे साफ नजर नहीं आ रहा था। लेकिन इतना नजर तो आ ही रहा था कि मेरे पास बेड पे कोई लेटा हुआ है। मैंने हाथ बढ़ा के उसे हिलाना चाहा तो मेरा हाथ किसी की नरम चूचियों से टकरा गया तो मैं समझ गया कि ये बुआ ही होगी और कोई नहीं हो सकता।
मैंने बुआ के ऊपर से चादर खींच ली और अपना हाथ बुआ की चूचियों की तरफ बढ़ा दिया जो कि चादर के नीचे नंगी ही थीं लेकिन बड़ी सख़्त हो रही थीं। लेकिन बुआ की चूचियों से कुछ छोटी भी थीं। इस बात को महसूस करते ही मैं चौंक गयाि ये कौन है जो यहाँ इस तरह मेरे पास नंगी लेटी हुई है और अम्मी ने भी मुझे इसके पास सोने के लिए बोल दिया है।
अभी मैं लाइट ओन करने का सोच ही रहा था कि वो अचानक मुझे लिपट गई और अपने तपते हुये होंठों को मेरे होंठों पे रख दिया और किस करने लगी। जिससे मैं भी बिना ये जाने कि आखिर ये है कौन? किस करने और चूचियों को दबाने में लग गया।
मैं क्योंकि काफी जोर से उसकी चूचियाों को दबा रहा था जिसकी वजह से उसके मुँह से से- “भाई, आराम से करो ना… प्लीज़्ज़… दर्द होता है इस तरह…”
आवाज सुनते ही मैं खुशी से पागल हो गया क्योंकि वो कोई और नहीं बलकि मेरी बड़ी बहन अंजली ही थी जो कि आज मेरे साथ इस तरह नंगी लेटी हुई थी और मुझसे चुदवाना भी चाहती थी। अब मैं फिर से दीदी को किस करने लगा और साथ ही दीदी की चूचियों को भी मसलने लगा था और दीदी अपने हाथों से मेरे सर को सहला रही थी।
कुछ देर के बाद मैंने दीदी को किस करना बंद कर दिया और दीदी की चूचियों पे अपने मुँह को रख दिया और बारी-बारी से दीदी की चूचियों को दबाने लगा और दीदी के निपल्स को चूसने लगा। अब दीदी मेरे सर को अपनी चूचियां पे दबा रही थी और- “उन्म्मह… भाई…? की आवाज भी करती जा रही थी। अब मैं दीदी की चूचियों से नीचे आया और दीदी के पेट को अपनी जुबान से चाटने लगा और जुबान को दीदी के पेट पे घुमाने लगा और आहिस्ता-आहिस्ता नीचे की तरफ जाने लगा जिससे दीदी और भी ज्यादा मचलने लगी और सिसकियां भरने लगी।
अब मैं दीदी की फुद्दी से थोड़ा ही ऊपर अपनी जुबान को घुमा रहा था। लेकिन दीदी की फुद्दी की तरफ नहीं जा रहा था कि तभी दीदी ने मेरे सर को अपनी फुद्दी की तरफ दबया तो मैंने अपने मुँह को दीदी की फुद्दी की तरफ ले जाने की जगह दीदी की रानों की तरफ आ गया और चाटने और चूमने लगा जिससे दीदी और भी मचलने लगी थी।
जब दीदी ने देखा कि मैं उन्हें जानबूझ के ताटा रहा हूँ तो दीदी ने मेरा सर पकड़ लिया और जबरदस्ती अपनी फुद्दी की तरफ कर दिया और बोली- “भाई, प्लीज़्ज़ यहाँ से चाटो ना…” जैसे ही मैंने दीदी की गिली फुद्दी पे अपनी जुबान घुमाई, दीदी का जिश्म एक बार थोड़ा से अकड़ गया और दीदी के मुँह से- “सस्सीई… आअह्ह… भाई हाँ… इसी तरह यहाँ पे प्लीज़्ज़… ऊओ… भाई इतना मजा…” दीदी की फुद्दी चाटने में मुझे बुआ की फुद्दी से भी ज्यादा मजा आ रहा था जिससे कि मैं दीदी की फुद्दी के अंदर तक अपनी जुबान को घुसाकर चाटने की कोशिश करने लगा, जिससे मेरे साथ दीदी को भी मजा आ रहा था।
दीदी अब मजे की शिद्दत पे थी- “और आअह्ह… भाई, खा जाओ अपनी दीदी की फुद्दी को… रंडी बना दो मुझे… उन्म्मह… ऊओ… अम्मीई, मैं गई…” और इसके साथ ही मेरे मुँह को अपनी फुद्दी के साथ दबा लिया और फारिग़ हो गई…”
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(एक बार ऊपर आ जाईए न भैया )..(परिवार में हवस और कामना की कामशक्ति )..(लेखक-प्रेम गुरु की सेक्सी कहानियाँ running)..(कांता की कामपिपासा running).. (वक्त का तमाशा running).. (बहन का दर्द Complete )..
( आखिर वो दिन आ ही गया Complete )...(ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगाना complete)..(ज़िद (जो चाहा वो पाया) complete)..(दास्तान ए चुदाई (माँ बेटी बेटा और किरायेदार ) complete) .. (एक राजा और चार रानियाँ complete)..(माया complete...)--(तवायफ़ complete)..(मेरी सेक्सी बहनेंcompleet) ..(दोस्त की माँ नशीली बहन छबीली compleet)..(माँ का आँचल और बहन की लाज़ compleet)..(दीवानगी compleet..(मेरी बर्बादी या आबादी (?) की ओर पहला कदमcompleet) ...(मेले के रंग सास,बहू और ननद के संग).
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(फैमिली में मोहब्बत और सेक्स (complet))........(कोई तो रोक लो)......(अमन विला-एक सेक्सी दुनियाँ)............. (ननद की ट्रैनिंग compleet)..............( सियासत और साजिश)..........(सोलहवां सावन)...........(जोरू का गुलाम या जे के जी).........(मेरा प्यार मेरी सौतेली माँ और बेहन)........(कैसे भड़की मेरे जिस्म की प्यास)........(काले जादू की दुनिया)....................(वो शाम कुछ अजीब थी)
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Re: Hot stori घर का बिजनिस
घर का बिजनिस -12
दीदी के फारिग़ होते ही मैंने दीदी की फुद्दी से निकलने वाला सारा पानी चाट लिया और उठकर दीदी के ऊपर लेट गया और किस करने लगा। दीदी भी मुझे पागलों की तरह किस करने लगी और मेरे साथ लिपटने लगी थी जिससे कि मुझे और भी मजा आने लगा। मैंने इसी तरह लेटे हुये अपने एक हाथ से अपने लण्ड को दीदी की फुद्दी के मुँह पे रख दिया और हल्का सा दबा दिया जिससे मेरे लण्ड का सुपाड़ा दीदी की फुद्दी में घुस गया तो दीदी ने किस करना बंद कर दिया।
मैंने कहा- क्यों दीदी? क्या हुआ? भाई का लण्ड अपनी फुद्दी में नहीं लेना क्या?
दीदी ने मेरे सर को अपने साथ लगा लिया और मेरे कान में बोली- “भाई, मैं तो आप ही की हूँ जो आपका दिल चाहे कर लीजिए। मैं आपको मना नहीं करूंगी…”
दीदी की बात सुनते ही मैंने अपने लण्ड पे दबाव बढ़ाना शुरू कर दिया जिससे मेरा लण्ड दीदी की फुद्दी में अपना रास्ता बनाता हुआ घुसने लगा।
लण्ड कोई 4” इंच से थोड़ा ज्यादा ही गया था कि दीदी के मुँह से- “भाई, आराम से दर्द हो रहा है…” क्योंकि अरविंद का लण्ड भी कोई 4” से थोड़ा ही बड़ा था जिसकी वजह से दीदी की फुद्दी ने मेरे लण्ड को भी उतनी ही जगह दी थी।
तो मैंने कहा- क्यों दीदी? क्या आप अपने भाई का पूरा लण्ड अपनी फुद्दी में नहीं लोगी?
दीदी ने कहा- “भाई, मैंने आपको मना तो नहीं किया। आज आपका जो दिल चाहे करो लेकिन प्लीज़्ज़ जरा आराम से दर्द होगा…”
मैंने दीदी की बात सुनकर कहा- “दीदी, आप परेशान नहीं हो, मैं आपका भाई हूँ ज्यादा दर्द नहीं दूंगा…” और इसके साथ ही दीदी की टाँगों को दीदी के कंधों की तरफ मोड़ दिया और एक तेज झटका दिया जिससे मेरा लण्ड दीदी की फुद्दी में पूरा घुस गया।
और दीदी के मुँह से- “आऐ… आअम्मीईई… मर गई… ऊओ… भाई, रुक जाओ… मुझे दर्द हो रहा है… अभी हिलना नहीं… प्लीज़्ज़ आअह्ह…”
मुझे अपना लण्ड आगे दीदी की फुद्दी में किसी चीज के साथ टकराता हुआ लग रहा था जिससे मैं समझ गया कि वो दीदी की बच्चेदानी है जिससे मेरा लण्ड टकरा रहा है और दीदी को दर्द हो रहा है। इतना महसूस करते ही कि मेरा लण्ड दीदी की फुद्दी में बच्चेदानी से टकरा रहा है मेरा बुरा हाल हो गया और मुझसे रुकना मुहाल हो रहा था।
दीदी ने हल्की सी आवाज में कहा- भाई, आराम से करना प्लीज़्ज़ जोर नहीं लगाना।
मैंने दीदी के मुँह से ये बात सुनते ही दीदी की फुद्दी में अपने लण्ड को हिलाना शुरू कर दिया जो कि बड़ा ही टाइट होकर अंदर-बाहर हो रहा था जिससे मुझे लग रहा था कि मैं दीदी को ज्यादा देर तक नहीं चोद सकूंगा। मेरी इस प्यार भरी और आराम से होने वाली चुदाई दीदी को भी उतना ही मजा दे रही थी, जितना मजा मुझे आ रहा था। दीदी अपनी गाण्ड को भी मेरी तरफ दबा के मजा ले रही थी।
और साथ ही दीदी सिसकी- “आअह्ह… मेरा भाई… उंन्ह… मजा आ रहा है भाई… बस इसी तरह ही करना… भाई, मेरा होने वाला है… उन्म्मह… भाई, आपके लण्ड ने मुझे अपना दीवाना बना दिया है… भाई, भाई मैं गई…”
इतना बोलते ही दीदी का जिश्म अकड़ गया और तभी मुझे दीदी की फुद्दी में अपने लण्ड को कोई गरम सी चीज महसूस हुई। जिसके बाद मेरा लण्ड दीदी की फुद्दी में आराम से अंदर-बाहर होने लगा और मैं भी दीदी के बाद कोई एक मिनट में ही फारिग़ हो गया और दीदी के साथ लिपट के लेट गया।
कुछ देर मैं इसी तरह दीदी के साथ लिपट के लेटा रहा और जब साइड पे होने लगा तो दीदी ने कहा- “भाई क्या हुआ? लेटे रहो ना इसी तरह…”
मैं- क्यों दीदी? आपको मेरा इस तरह आपके साथ लेटना अच्छा लग रहा है?
दीदी- हूंन… भाई, बहुत अच्छा लग रहा है।
मैं- दीदी, क्या आपको मेरे साथ ज्यादा मजा आया है या उस अरविंद के साथ?
दीदी- भाई, आपको ज्यादा मजा किसके साथ आया? पहले आप बताओ फिर मैं भी बता दूँगी, अम्मी के साथ बुआ के साथ या? (इतना बोलते ही दीदी खामोश हो गई)
मैं- दीदी, सच पूछो तो मजा तो सब के साथ आया लेकिन जो मजा आपने दिया है वो मैं कभी भूल नहीं सकूंगा
दीदी- भाई, मुझे भी आपके साथ मजा आया है दिल करता है कि आप अपने उसको मेरे अंदर इसी तरह घुसाकर लेटे रहो और कभी भी बाहर नहीं निकालो
मैं- “अच्छा दीदी, अभी आप सो जाओ शाम को जाना भी है और नींद भी पूरी होनी चाहिए ना हमारी…”
दीदी- अच्छा भाई, लेकिन आप मेरे साथ इसी तरह लिपट के सो जाओ मुझे अच्छा लगेगा।
मैंने दीदी की बात को मान लिया और इसी तरह लेटा रहा और कब नींद आई पता ही नहीं चला, और अम्मी के हिलाने से ही मेरी आँख खुली देखा तो हम दोनों बहन भाई अभी तक नंगे ही एक साथ बेड पे सो रहे थे।
अम्मी ने हँसते हुये कहा- चलो बेटा 3:00 बज चुके हैं और अब उठकर नहा लो। फिर खाना खाकर तैयार हो जाओ। जाना नहीं है क्या?
मैंने भी हँसते हुये कहा- अच्छा मैं उठ रहा हूँ। और इतना बोलते ही दीदी को अपनी तरफ खींच लिया और एक किस करके दीदी को भी उठा दिया और बोला- “चलो दीदी, 3:00 बज गये हैं जाना नहीं है क्या?
फिर हमने बारी-बारी नहाकर खाना खाया और तैयार हो गये। तो बापू ने मुझे कुछ बोतल शराब भी पकड़ा दी और कहा- “बेटा, ये अपने साथ फ्लैट में ले जाओ…”
फिर हम चारों घर से फ्लैट की तरफ निकल आए और मैं उन सबको फ्लैट में छोड़ कर बाजार की तरफ चला गया और कुछ खाने पीने का सामान लाकर बुआ को पकड़ा दिया, जो कि बुआ ने किचेन में रख दिया। फिर हम वहाँ हाल में ही बैठकर टीवी देखने लगे और इंतजार करने लगे कि बापू कब काल करेंगे और काम शुरू होगा।
पायल काफी टेशन में नजर आ रही थी।
तभी दीदी ने पूछा- पायल क्या बात है? परेशान क्यों हो तुम?
पायल ने दीदी की तरफ देखा और बोली- नहीं दीदी, बस आपको तो पता है कि मेरा पहली बार है इसीलिए थोड़ा दिल घबरा रहा है।
बुआ ने पायल की बात सुनकर उसे अपनी तरफ खींच लिया और कहा- “देख पायल, ये जो काम है ना हर लड़की ने करना ही होता है इसमें क्या डरना? बलकि मजा लो क्योंकि इसमें हर तरफ से अपना ही फायदा है, मजे भी लो और पैसे भी…”
पायल ने बुआ की तरफ देखकर हाँ में सर हिला दिया और कहा- “जी बुआ, आप ठीक कहती हो…”
तभी बापू की काल भी आ गई।
मैंने काल रिसीव की तो बापू ने कहा- “आलोक, तुम बाहर आ जाओ। बिल्डिंग के बाहर ब्लैक प्राडो खड़ी होगी। उसमें दो आदमी होंगे, उन्हें अपने साथ फ्लैट में ले जाओ। ये लोग पायल के साथ ही वक़्त गुजारेंगे…”
मैंने हैरानी से बापू को कहा- “लेकिन बापू, पायल ने तो अभी तक एक के साथ भी नहीं किया है और आपने दो भेज दिए उसके लिए?”
बापू ने कहा- “परेशान नहीं हो… मैं जानता हूँ कि पायल को कुछ नहीं होगा और अगर अरविंद आ जाये तो अंजली को उसके साथ रूम में भेज देना…”
मैंने- “ओके…” कहा और काल कट करके नीचे चला गया, जहाँ गाड़ी में दो लोग बैठे हुये थे। मैं जैसे ही उनके पास गया कि उनमें से एक ने कहा- क्या तुम ही आलोक हो?
मैंने हाँ में सर हिला दिया।
तो उसने कहा- क्या तुम सच में अपनी बहनों को चलाते हो? और तुम्हारी छोटी बहन अभी कुँवारी है?
मैंने कहा- “जी, आप सही जगह पे ही आए हो। आ जाओ फ्लैट में चलते हैं…”
वो लोग गाड़ी में से निकले और बोले- कुछ पीने का इंतजाम भी है या नहीं? अगर नहीं है तो अभी बता दो मैं ड्राइवर को बोल दूँ?
मैंने कहा- नहीं, इसे आप जाने दो, हर चीज यहाँ पहले से ही है आप चलो तो सही।
दीदी के फारिग़ होते ही मैंने दीदी की फुद्दी से निकलने वाला सारा पानी चाट लिया और उठकर दीदी के ऊपर लेट गया और किस करने लगा। दीदी भी मुझे पागलों की तरह किस करने लगी और मेरे साथ लिपटने लगी थी जिससे कि मुझे और भी मजा आने लगा। मैंने इसी तरह लेटे हुये अपने एक हाथ से अपने लण्ड को दीदी की फुद्दी के मुँह पे रख दिया और हल्का सा दबा दिया जिससे मेरे लण्ड का सुपाड़ा दीदी की फुद्दी में घुस गया तो दीदी ने किस करना बंद कर दिया।
मैंने कहा- क्यों दीदी? क्या हुआ? भाई का लण्ड अपनी फुद्दी में नहीं लेना क्या?
दीदी ने मेरे सर को अपने साथ लगा लिया और मेरे कान में बोली- “भाई, मैं तो आप ही की हूँ जो आपका दिल चाहे कर लीजिए। मैं आपको मना नहीं करूंगी…”
दीदी की बात सुनते ही मैंने अपने लण्ड पे दबाव बढ़ाना शुरू कर दिया जिससे मेरा लण्ड दीदी की फुद्दी में अपना रास्ता बनाता हुआ घुसने लगा।
लण्ड कोई 4” इंच से थोड़ा ज्यादा ही गया था कि दीदी के मुँह से- “भाई, आराम से दर्द हो रहा है…” क्योंकि अरविंद का लण्ड भी कोई 4” से थोड़ा ही बड़ा था जिसकी वजह से दीदी की फुद्दी ने मेरे लण्ड को भी उतनी ही जगह दी थी।
तो मैंने कहा- क्यों दीदी? क्या आप अपने भाई का पूरा लण्ड अपनी फुद्दी में नहीं लोगी?
दीदी ने कहा- “भाई, मैंने आपको मना तो नहीं किया। आज आपका जो दिल चाहे करो लेकिन प्लीज़्ज़ जरा आराम से दर्द होगा…”
मैंने दीदी की बात सुनकर कहा- “दीदी, आप परेशान नहीं हो, मैं आपका भाई हूँ ज्यादा दर्द नहीं दूंगा…” और इसके साथ ही दीदी की टाँगों को दीदी के कंधों की तरफ मोड़ दिया और एक तेज झटका दिया जिससे मेरा लण्ड दीदी की फुद्दी में पूरा घुस गया।
और दीदी के मुँह से- “आऐ… आअम्मीईई… मर गई… ऊओ… भाई, रुक जाओ… मुझे दर्द हो रहा है… अभी हिलना नहीं… प्लीज़्ज़ आअह्ह…”
मुझे अपना लण्ड आगे दीदी की फुद्दी में किसी चीज के साथ टकराता हुआ लग रहा था जिससे मैं समझ गया कि वो दीदी की बच्चेदानी है जिससे मेरा लण्ड टकरा रहा है और दीदी को दर्द हो रहा है। इतना महसूस करते ही कि मेरा लण्ड दीदी की फुद्दी में बच्चेदानी से टकरा रहा है मेरा बुरा हाल हो गया और मुझसे रुकना मुहाल हो रहा था।
दीदी ने हल्की सी आवाज में कहा- भाई, आराम से करना प्लीज़्ज़ जोर नहीं लगाना।
मैंने दीदी के मुँह से ये बात सुनते ही दीदी की फुद्दी में अपने लण्ड को हिलाना शुरू कर दिया जो कि बड़ा ही टाइट होकर अंदर-बाहर हो रहा था जिससे मुझे लग रहा था कि मैं दीदी को ज्यादा देर तक नहीं चोद सकूंगा। मेरी इस प्यार भरी और आराम से होने वाली चुदाई दीदी को भी उतना ही मजा दे रही थी, जितना मजा मुझे आ रहा था। दीदी अपनी गाण्ड को भी मेरी तरफ दबा के मजा ले रही थी।
और साथ ही दीदी सिसकी- “आअह्ह… मेरा भाई… उंन्ह… मजा आ रहा है भाई… बस इसी तरह ही करना… भाई, मेरा होने वाला है… उन्म्मह… भाई, आपके लण्ड ने मुझे अपना दीवाना बना दिया है… भाई, भाई मैं गई…”
इतना बोलते ही दीदी का जिश्म अकड़ गया और तभी मुझे दीदी की फुद्दी में अपने लण्ड को कोई गरम सी चीज महसूस हुई। जिसके बाद मेरा लण्ड दीदी की फुद्दी में आराम से अंदर-बाहर होने लगा और मैं भी दीदी के बाद कोई एक मिनट में ही फारिग़ हो गया और दीदी के साथ लिपट के लेट गया।
कुछ देर मैं इसी तरह दीदी के साथ लिपट के लेटा रहा और जब साइड पे होने लगा तो दीदी ने कहा- “भाई क्या हुआ? लेटे रहो ना इसी तरह…”
मैं- क्यों दीदी? आपको मेरा इस तरह आपके साथ लेटना अच्छा लग रहा है?
दीदी- हूंन… भाई, बहुत अच्छा लग रहा है।
मैं- दीदी, क्या आपको मेरे साथ ज्यादा मजा आया है या उस अरविंद के साथ?
दीदी- भाई, आपको ज्यादा मजा किसके साथ आया? पहले आप बताओ फिर मैं भी बता दूँगी, अम्मी के साथ बुआ के साथ या? (इतना बोलते ही दीदी खामोश हो गई)
मैं- दीदी, सच पूछो तो मजा तो सब के साथ आया लेकिन जो मजा आपने दिया है वो मैं कभी भूल नहीं सकूंगा
दीदी- भाई, मुझे भी आपके साथ मजा आया है दिल करता है कि आप अपने उसको मेरे अंदर इसी तरह घुसाकर लेटे रहो और कभी भी बाहर नहीं निकालो
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दीदी- अच्छा भाई, लेकिन आप मेरे साथ इसी तरह लिपट के सो जाओ मुझे अच्छा लगेगा।
मैंने दीदी की बात को मान लिया और इसी तरह लेटा रहा और कब नींद आई पता ही नहीं चला, और अम्मी के हिलाने से ही मेरी आँख खुली देखा तो हम दोनों बहन भाई अभी तक नंगे ही एक साथ बेड पे सो रहे थे।
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Re: Hot stori घर का बिजनिस
घर का बिजनिस -13
जैसे ही हम फ्लैट में दाखिल हुये तो मुझे पायल नजर नहीं आई। मैंने उनको वहाँ हाल में ही बिठा दिया तो उनमें से एक जिसका नाम फहीम था उसने दूसरे की तरफ देखते हुये कहा- “यार अकबर, ये वाली (दीदी) लगती है… वैसे है कमाल…”
मैंने कहा- “नहीं भाई, आप वाली ये नहीं है… अभी आ जाती है…” और इसके साथ ही दीदी की तरफ देखा।
तो दीदी ने कहा- “जरा वाश-रूम गई है अभी आ जाती है…”
अकबर ने हँसते हुये मेरी तरफ देखा और बोला- “आलोक साब, लगता है कि दो का सुनकर ही तुम्हारी बहन की फटने लगी है…” और दोनों हाहहाहा करके हँसने लगे।
मैंने उनकी किसी बात का बुरा नहीं माना और खामोशी से बैठा रहा कि तभी पायल भी वाश-रूम से आ गई। जिसे देखते ही फहीम सिटी बजाने लगा और बोला- “यार अकबर, माल तो ये भी कम नहीं है साली के मम्मे तो देख?”
अकबर भी पायल को ही घूर रहा था बोला- “नहीं यार, मम्मे छोड़… साली की गाण्ड देख, क्या चीज है? यार लगता है कि इस बार हमारे पैसे सही जगह पे लगे हैं…”
फिर फहीम ने कहा- यार आलोक, जरा कुछ माहौल तो बनाओ ऐसे क्या खाक मजा आएगा?
मैंने पायल की तरफ देखा और बोला- “जाओ अंदर से एक बोतल निकाल लाओ…”
पायल मेरी बात सुनकर रूम में चली गई और शराब की एक बोतल निकाल लाई और साथ में दो गिलास भी ले आई और उनके सामने रख दिए।
बुआ ने दीदी से कहा- चलो अंजली, हम दूसरे रूम में बैठ जाते हैं…” और दोनों वहाँ से चली गई तो अकबर ने पायल को हाथ से पकड़कर अपनी गोदी में बैठा लिया और पायल की चूचियां को मसलने लगा और फहीम शराब गिलासों में डालने लगा।
अकबर ने कहा- “यार आलोक, एक गिलास और ला दो। ये भी हमारे साथ ही पिएगी वरना हमें सही मजा नहीं आएगा…”
मैं उठा और जाकर दो गिलास और उठा लाया जिसमें से एक गिलास में फहीम ने पायल के लिए भी शराब डाल दी जिसे पायल ने पकड़ लिया और बुरा सा मुँह बनाते हुये पी ही गई।
दो-दो पेग लगाकर वो दोनों उठे और पायल को साथ में लेकर रूम में घुस गये। कोई 20 25 मिनट तक रूम से कोई आवाज नहीं आई। लेकिन फिर अचानक पायल की दर्द से डूबी हुई चीख सुनाई दी- “आऐ… प्लीज़्ज़… रुको… भाई मुझे बचाओ… नहीं… प्लीज़्ज़… बस करो और नहीं… मेरी फट गई है… अम्मीईई जीए…”
पायल की इन चीखों की आवाज सुनकर दीदी और बुआ भी अपने रूम से निकल आई और आकर मेरे पास बैठ गई और रूम से आने वाली आवाज़ों को सुनने लगी जो कि अब आहिस्ता-आहिस्ता दर्द की जगह मजे की सिसकियों में बदलती जा रही थीं।
दीदी ने मेरी तरफ देखा और कहा- भाई, पायल इन दोनों को बर्दाश्त कर लेगी क्या?
बुआ ने फौरन ही कहा- “अरे यार, मैंने तुम्हें पहले भी कहा था कि परेशान ना हो पायल आराम से करवा लेगी…”
अब रूम में से- “ससीए… आअह्ह… आराम से करो… उंनमह… हाँ इसी तरह करो… ऊओ… अब अच्छा लग रहा है…” की आवाज आ रही थी जिसे सुनकर दीदी भी काफी गरम हो रही थी।
मैंने अपना हाथ अभी दीदी की रान पे रख ही था कि फ्लैट की बेल बजने लगी जिसे सुनकर मैं चौंक गया और जाकर देखा तो अरविंद साहब ही थे।
मुझे देखते ही हँस पड़े और बोले- मेरी जान कहाँ है? किसी और के साथ तो नहीं लिटा दिया उसे भी?
मैंने कहा- “नहीं सर, ऐसा भला किस तरह हो सकता है। दीदी तो बस आप ही की दीवानी हो गई है। बोल रही थी कि अगर अरविंद साहब नहीं आयेंगे तो मुझे किसी और के साथ कुछ करने के लिए नहीं बोलना…” इतना बोलते-बोलते हम दोनों हाल में आ चुके थे और दीदी भी मेरी बात सुन चुकी थी।
जिसकी वजह से दीदी अरविंद साहब को देखकर मुश्कुराती हुई उठी और उसके सीने से लग गई और बोली- “कसम से, आप नहीं आते ना तो मैं आपसे नाराज हो जाती…” दीदी ने ये बात इस अदा के साथ कही थी कि मुझे यकीन ही नहीं हुआ कि दीदी इतनी अच्छी आक्टिंग भी कर सकती हैं।
अरविंद दीदी की बात सुनकर खुश हो गया और बोला- “अंजली, मेरा दिल कर रहा है कि मैं तुम्हें एक घर खरीद के दे दूँ जहाँ सिर्फ़ मैं ही तुम्हारे पास आया करूं और तुम्हें कोई भी हाथ ना लगाये…”
दीदी ने कहा- “जान, आप मुझे जहाँ भी रखना चाहो मैं रहूंगी और किसी को भी अपने बदन को हाथ नहीं लगाने दूँगी लेकिन अपने घर वालों को नहीं छोड़ सकती…”
अरविंद ने कहा- “तो इसमें क्या है? बस तुम लोग तैयारी करो 2-3 दिन में ही तुम्हारे नाम से एक घर खरीद लूँगा जहाँ तुम सब रहना। लेकिन वहाँ जो भी हो तुम्हें किसी और के साथ नहीं देख सकूंगा याद रखना…”
दीदी अरविंद की बात सुनते ही उसके साथ बुरी तरह लिपट गई और- आई लोव योउ जान, आप मुझे कितना प्यार करते हो… और इतना बोलते ही उसे किस करने लगी।
बुआ भी दीदी की आक्टिंग से काफी खुश नजर आ रही थी और बुआ ने मुझे आँख मारी और दीदी की तरफ इशारा भी किया जिसको मैं समझ गया और सर झुकाकर मुश्कुरा दिया।
अब अरविंद दीदी को अपने साथ लेकर सोफे पे बैठ गया और शराब की बोतल पकड़कर बोला- “ये क्या भाई? एक ही गिलास है एक और लाओ। हम अपनी जान को अपने हाथों से पिलायेंगे…”
बुआ गिलास के लिए किचन की तरफ गई तो अरविंद ने पहली बार रूम में से आने वाली पायल की- “आअह्ह… इस्स… और थोड़ा जोर से करो… उन्म्मह…” की आवाज़ों को सुना और बोला- जान, लगता है तुम्हारी बहन की सील भी खुल ही गई है?
दीदी ने भी हँसते हुये कहा- हाँ जी, आज ही उसकी भी नथ खुली है।
अब पायल की भी आवाजें आना बंद हो चुकी थी। कुछ देर के बाद मैं उठा और रूम में चला गया जहाँ पायल की चुदाई हो चुकी थी। रूम का नजारा बड़ा ही प्यारा था। रूम में बेड पे बीच में पायल पूरी नंगी लेटी हुई थी और उसकी टांगें खुली हुई थीं और फुद्दी पहली चुदाई और खून की वजह से कुछ लाल और सूजी हुई लग रही थी। अकबर और फहीम उस वक़्त पायल के दायें बायें लेटे हुये लंबी-लंबी सांसें ले रहे थे और पायल की आँखें बंद थीं और वो भी लंबी-लंबी सांस ले रही थी।
एक बार तो मेरा दिल किया कि मैं अभी अपने लपड़े निकाल दूँ और पायल की सूजी हुई फुद्दी में अपना लण्ड घुसा दूँ। लेकिन अभी मैं ऐसा नहीं कर सकता था क्योंकि वो एक साथ दो लण्ड अपनी फुद्दी में ले चुकी थी और उसकी फुद्दी की हालत भी मुझे काफी खराब नजर आ रही थी।
मैंने पायल को हिलाया तो उसने अपनी आँखें खोलकर मेरी तरफ देखा और हल्का सा हँस पड़ी, तो मैंने कहा- चलो उठो, शाबाश… मैं तुम्हें बाथरूम में ले चलूं…”
पायल ने थोड़ी हिम्मत की और उठकर खड़ी हुई तो उसकी टांगें लड़खड़ा गईं। मैंने पायल को अपने हाथों पे उठा लिया जिससे मेरा एक हाथ अपनी छोटी बहन की गाण्ड पे और दूसरा कमर पे आ गया तो मैं उसे इसी तरह बाथरूम में ले गया। जैसे ही बाथरूम में आकर मैंने पायल की तरफ देखा तो वो मेरी तरफ ही देख रही थी और हल्का सा मुश्कुरा रही थी। शायद इसकी कुछ वजह शराब भी थी जो कि पायल ने भी पी हुई थी। मैंने पायल को नीचे उतार दिया और उतातेर वक़्त हल्के से उसकी गाण्ड को दबा दिया।
तो पायल और भी खुश हो गई और बोली- “भाई, दर्द हो रहा है, आप ही मुझे साफ कर दो ना प्लीज़्ज़…”
मैंने फौरन पायल की बात मानी और उसे नीचे लिटा दिया और शलवार को खोल दिया और पीछे होकर अपनी पैंट और शर्ट के बाजू को मोड़ लिया और पायल के जिश्म को अपने हाथों से मल-मल के साफ करने लगा।
पायल ने अपनी टाँगों को भी खोल दिया और बोली- “भाई, जहाँ से मैं गंदी हूँ वहाँ से साफ करो ना…”
मैं पायल की बात से खुश हो गया और जल्दी से साबुन उठाकर पायल की फुद्दी और रानों के साथ पेट को भी मलने लगा। पायल ने अपनी आँखें बंद कर लीं और अपने भाई के हाथों से मजा लेकर सफाई करवाने लगी। अभी मैं पायल के जिश्म पे लगा साबुन साफ कर ही रहा था
कि तभी अकबर भी बाथरूम में घुस आया और बोला- क्या बात है यार? अपनी बहन की खिदमत हो रही है?
मैंने अकबर की बात का कोई जवाब नहीं दिया।
तो उसने फिर कहा- “अच्छी बात है… खिदमत करनी चाहिए क्योंकि इसी की कमाई तो खानी है सारी ज़िंदगी…” और हाहाहाहा करके हँसने लगा।
मैंने जल्दी से पायल को साफ किया और उसी तरह उठाकर रूम में ले आया और बेड पे लिटा दिया और पायल को उसके कपड़े भी दे दिए। पायल ने अपने कपड़े पहन लिए तो अकबर और फहीम भी वाश-रूम से फारिग़ हो चुके थे और फिर उन्होंने पायल को एक किस की और चूचियां को दबाकर वहाँ से निकल गये।
मैं भी उनके साथ ही जाने के लिए रूम में से निकला तो हाल में अरविंद साहब दीदी को डोगी बनाकर चुदाई में लगे हुये थे।
मैंने उन दोनों को फ्लैट के बाहर छोड़ा और फिर से फ्लैट में आ गया और अरविंद के साथ होने वाली दीदी की चुदाई देखने लगा जो कि अब अपने जोरों पे चल रही थी। दीदी उस वक़्त- “आअह्ह… हाँ जान… और तेज करो… उंन्ह… मेरी जान आज तुमने क्या खाया है? फाड़नी है क्या मेरी? उउफफ्फ़…” की आवाज कर रही थी।
अरविंद भी दीदी की गाण्ड को पकड़कर अपने लण्ड को पूरा दीदी की फुद्दी में से निकालता और फिर से पूरी ताकत से घुसा देता और- “हाँ जान… ये ले… ऊओ… मैं आजज्ज तेरी फुद्दी को फाड़कर रख दूँगा… उंनमह…”
दीदी भी उसके हर धक्के के जवाब में अपनी गाण्ड को पूरी ताकत से दबाती और- “हाँ फाड़ दे मेरी फुद्दी… उन्म्मह… भाई इसे बोलो कि जोर से करे… पूरा घुसाकर चोदे मुझे… उन्म्मह… मैं गई जान… आअह्ह… थोड़ा और… उंनमह…” की आवाज के साथ ही दीदी का जिश्म झटके खाने लगा और दीदी की फुद्दी ने पानी छोड़ दिया जिससे दीदी का जनून ठंडा हो गया।
दीदी के फारिग़ होने के बाद अरविंद भी कुछ ही देर में दीदी की फुद्दी में ही फारिग़ हो गया और बगल में होकर लेट गया तो दीदी भी सीधी होकर लेट गई और अपनी फुद्दी को मेरे सामने करके अपनी एक उंगली के साथ मसलने लगी और मुश्कुराने लगी।
उस रात एक बार और दीदी ने अरविंद से चुदवाया और बुआ ने भी दो आदमियों को ठंडा किया और फिर हमने खाना खाया और आराम करने के लिए लेट गये।वो सारा दिन हमें फ्लैट में ही गुजरना था क्योंकि पायल ने वापिस जाने से मना कर दिया था। मैं जब सोकर उठा तो दिन का एक बज चुका था। मैं फौरन नहाने के लिए घुस गया और फिर फ्लैट से करीब ही बनी मार्केट गया और खाने का सामान लेकर वापिस आया तो दीदी जाग चुकी थी और मुझे देखते ही बोली- “चलो अच्छा हुआ भाई कि आप खाने का सामान ले आए…”
मैं- “दीदी जब यहाँ रहना है तो खाना भी बनाना ही पड़ेगा ना…”
दीदी- “हाँ, वो तो है और मेरे लाए हुये सामान को उठाकर देखने लगी और फिर नाश्ते का सामान निकालकर हम दोनों नाश्ता करने लगे।
नाश्ते से फारिग़ हुये ही थे कि मैंने दीदी से कहा- “दीदी, आप अभी तक नहाई नहीं हो क्या?
दीदी- “नहीं भाई, अभी मैं शाम को ही नहा लूँगी…”
मैंने दीदी की गाण्ड की तरफ देखते हुये कहा- चलो दीदी, नाश्ता तो हो गया अब क्या प्रोग्राम है आपका?
दीदी मेरी नजर को समझ गई और बोली- “जो मेरे प्यारे से भाई की मर्ज़ी है, वो ही होगा यहाँ…”
मैंने दीदी को अपनी तरफ खींच लिया और किस करने लगा और साथ ही दीदी के चूचियों को भी दबाने लगा जिससे दीदी भी गरम होने लगी और मुझसे लिपट गई और अपनी जुबान को मेरे मुँह में घुसाकर मेरा साथ देने लगी। दीदी ने उस वक़्त सिर्फ़ एक लूज निक्कर और पतली सी शर्ट ही पहनी हुई थी जिसमें दीदी का जिश्म और भी कयामत नजर आ रहा था।
मैं फौरन अपनी शलवार और कमीज निकालकर नंगा हो गया और दीदी को भी नंगा कर दिया और दीदी की टाँगों को उठाकर बीच में बैठ गया और दीदी की क्लीन फुद्दी को देखने लगा।
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जैसे ही हम फ्लैट में दाखिल हुये तो मुझे पायल नजर नहीं आई। मैंने उनको वहाँ हाल में ही बिठा दिया तो उनमें से एक जिसका नाम फहीम था उसने दूसरे की तरफ देखते हुये कहा- “यार अकबर, ये वाली (दीदी) लगती है… वैसे है कमाल…”
मैंने कहा- “नहीं भाई, आप वाली ये नहीं है… अभी आ जाती है…” और इसके साथ ही दीदी की तरफ देखा।
तो दीदी ने कहा- “जरा वाश-रूम गई है अभी आ जाती है…”
अकबर ने हँसते हुये मेरी तरफ देखा और बोला- “आलोक साब, लगता है कि दो का सुनकर ही तुम्हारी बहन की फटने लगी है…” और दोनों हाहहाहा करके हँसने लगे।
मैंने उनकी किसी बात का बुरा नहीं माना और खामोशी से बैठा रहा कि तभी पायल भी वाश-रूम से आ गई। जिसे देखते ही फहीम सिटी बजाने लगा और बोला- “यार अकबर, माल तो ये भी कम नहीं है साली के मम्मे तो देख?”
अकबर भी पायल को ही घूर रहा था बोला- “नहीं यार, मम्मे छोड़… साली की गाण्ड देख, क्या चीज है? यार लगता है कि इस बार हमारे पैसे सही जगह पे लगे हैं…”
फिर फहीम ने कहा- यार आलोक, जरा कुछ माहौल तो बनाओ ऐसे क्या खाक मजा आएगा?
मैंने पायल की तरफ देखा और बोला- “जाओ अंदर से एक बोतल निकाल लाओ…”
पायल मेरी बात सुनकर रूम में चली गई और शराब की एक बोतल निकाल लाई और साथ में दो गिलास भी ले आई और उनके सामने रख दिए।
बुआ ने दीदी से कहा- चलो अंजली, हम दूसरे रूम में बैठ जाते हैं…” और दोनों वहाँ से चली गई तो अकबर ने पायल को हाथ से पकड़कर अपनी गोदी में बैठा लिया और पायल की चूचियां को मसलने लगा और फहीम शराब गिलासों में डालने लगा।
अकबर ने कहा- “यार आलोक, एक गिलास और ला दो। ये भी हमारे साथ ही पिएगी वरना हमें सही मजा नहीं आएगा…”
मैं उठा और जाकर दो गिलास और उठा लाया जिसमें से एक गिलास में फहीम ने पायल के लिए भी शराब डाल दी जिसे पायल ने पकड़ लिया और बुरा सा मुँह बनाते हुये पी ही गई।
दो-दो पेग लगाकर वो दोनों उठे और पायल को साथ में लेकर रूम में घुस गये। कोई 20 25 मिनट तक रूम से कोई आवाज नहीं आई। लेकिन फिर अचानक पायल की दर्द से डूबी हुई चीख सुनाई दी- “आऐ… प्लीज़्ज़… रुको… भाई मुझे बचाओ… नहीं… प्लीज़्ज़… बस करो और नहीं… मेरी फट गई है… अम्मीईई जीए…”
पायल की इन चीखों की आवाज सुनकर दीदी और बुआ भी अपने रूम से निकल आई और आकर मेरे पास बैठ गई और रूम से आने वाली आवाज़ों को सुनने लगी जो कि अब आहिस्ता-आहिस्ता दर्द की जगह मजे की सिसकियों में बदलती जा रही थीं।
दीदी ने मेरी तरफ देखा और कहा- भाई, पायल इन दोनों को बर्दाश्त कर लेगी क्या?
बुआ ने फौरन ही कहा- “अरे यार, मैंने तुम्हें पहले भी कहा था कि परेशान ना हो पायल आराम से करवा लेगी…”
अब रूम में से- “ससीए… आअह्ह… आराम से करो… उंनमह… हाँ इसी तरह करो… ऊओ… अब अच्छा लग रहा है…” की आवाज आ रही थी जिसे सुनकर दीदी भी काफी गरम हो रही थी।
मैंने अपना हाथ अभी दीदी की रान पे रख ही था कि फ्लैट की बेल बजने लगी जिसे सुनकर मैं चौंक गया और जाकर देखा तो अरविंद साहब ही थे।
मुझे देखते ही हँस पड़े और बोले- मेरी जान कहाँ है? किसी और के साथ तो नहीं लिटा दिया उसे भी?
मैंने कहा- “नहीं सर, ऐसा भला किस तरह हो सकता है। दीदी तो बस आप ही की दीवानी हो गई है। बोल रही थी कि अगर अरविंद साहब नहीं आयेंगे तो मुझे किसी और के साथ कुछ करने के लिए नहीं बोलना…” इतना बोलते-बोलते हम दोनों हाल में आ चुके थे और दीदी भी मेरी बात सुन चुकी थी।
जिसकी वजह से दीदी अरविंद साहब को देखकर मुश्कुराती हुई उठी और उसके सीने से लग गई और बोली- “कसम से, आप नहीं आते ना तो मैं आपसे नाराज हो जाती…” दीदी ने ये बात इस अदा के साथ कही थी कि मुझे यकीन ही नहीं हुआ कि दीदी इतनी अच्छी आक्टिंग भी कर सकती हैं।
अरविंद दीदी की बात सुनकर खुश हो गया और बोला- “अंजली, मेरा दिल कर रहा है कि मैं तुम्हें एक घर खरीद के दे दूँ जहाँ सिर्फ़ मैं ही तुम्हारे पास आया करूं और तुम्हें कोई भी हाथ ना लगाये…”
दीदी ने कहा- “जान, आप मुझे जहाँ भी रखना चाहो मैं रहूंगी और किसी को भी अपने बदन को हाथ नहीं लगाने दूँगी लेकिन अपने घर वालों को नहीं छोड़ सकती…”
अरविंद ने कहा- “तो इसमें क्या है? बस तुम लोग तैयारी करो 2-3 दिन में ही तुम्हारे नाम से एक घर खरीद लूँगा जहाँ तुम सब रहना। लेकिन वहाँ जो भी हो तुम्हें किसी और के साथ नहीं देख सकूंगा याद रखना…”
दीदी अरविंद की बात सुनते ही उसके साथ बुरी तरह लिपट गई और- आई लोव योउ जान, आप मुझे कितना प्यार करते हो… और इतना बोलते ही उसे किस करने लगी।
बुआ भी दीदी की आक्टिंग से काफी खुश नजर आ रही थी और बुआ ने मुझे आँख मारी और दीदी की तरफ इशारा भी किया जिसको मैं समझ गया और सर झुकाकर मुश्कुरा दिया।
अब अरविंद दीदी को अपने साथ लेकर सोफे पे बैठ गया और शराब की बोतल पकड़कर बोला- “ये क्या भाई? एक ही गिलास है एक और लाओ। हम अपनी जान को अपने हाथों से पिलायेंगे…”
बुआ गिलास के लिए किचन की तरफ गई तो अरविंद ने पहली बार रूम में से आने वाली पायल की- “आअह्ह… इस्स… और थोड़ा जोर से करो… उन्म्मह…” की आवाज़ों को सुना और बोला- जान, लगता है तुम्हारी बहन की सील भी खुल ही गई है?
दीदी ने भी हँसते हुये कहा- हाँ जी, आज ही उसकी भी नथ खुली है।
अब पायल की भी आवाजें आना बंद हो चुकी थी। कुछ देर के बाद मैं उठा और रूम में चला गया जहाँ पायल की चुदाई हो चुकी थी। रूम का नजारा बड़ा ही प्यारा था। रूम में बेड पे बीच में पायल पूरी नंगी लेटी हुई थी और उसकी टांगें खुली हुई थीं और फुद्दी पहली चुदाई और खून की वजह से कुछ लाल और सूजी हुई लग रही थी। अकबर और फहीम उस वक़्त पायल के दायें बायें लेटे हुये लंबी-लंबी सांसें ले रहे थे और पायल की आँखें बंद थीं और वो भी लंबी-लंबी सांस ले रही थी।
एक बार तो मेरा दिल किया कि मैं अभी अपने लपड़े निकाल दूँ और पायल की सूजी हुई फुद्दी में अपना लण्ड घुसा दूँ। लेकिन अभी मैं ऐसा नहीं कर सकता था क्योंकि वो एक साथ दो लण्ड अपनी फुद्दी में ले चुकी थी और उसकी फुद्दी की हालत भी मुझे काफी खराब नजर आ रही थी।
मैंने पायल को हिलाया तो उसने अपनी आँखें खोलकर मेरी तरफ देखा और हल्का सा हँस पड़ी, तो मैंने कहा- चलो उठो, शाबाश… मैं तुम्हें बाथरूम में ले चलूं…”
पायल ने थोड़ी हिम्मत की और उठकर खड़ी हुई तो उसकी टांगें लड़खड़ा गईं। मैंने पायल को अपने हाथों पे उठा लिया जिससे मेरा एक हाथ अपनी छोटी बहन की गाण्ड पे और दूसरा कमर पे आ गया तो मैं उसे इसी तरह बाथरूम में ले गया। जैसे ही बाथरूम में आकर मैंने पायल की तरफ देखा तो वो मेरी तरफ ही देख रही थी और हल्का सा मुश्कुरा रही थी। शायद इसकी कुछ वजह शराब भी थी जो कि पायल ने भी पी हुई थी। मैंने पायल को नीचे उतार दिया और उतातेर वक़्त हल्के से उसकी गाण्ड को दबा दिया।
तो पायल और भी खुश हो गई और बोली- “भाई, दर्द हो रहा है, आप ही मुझे साफ कर दो ना प्लीज़्ज़…”
मैंने फौरन पायल की बात मानी और उसे नीचे लिटा दिया और शलवार को खोल दिया और पीछे होकर अपनी पैंट और शर्ट के बाजू को मोड़ लिया और पायल के जिश्म को अपने हाथों से मल-मल के साफ करने लगा।
पायल ने अपनी टाँगों को भी खोल दिया और बोली- “भाई, जहाँ से मैं गंदी हूँ वहाँ से साफ करो ना…”
मैं पायल की बात से खुश हो गया और जल्दी से साबुन उठाकर पायल की फुद्दी और रानों के साथ पेट को भी मलने लगा। पायल ने अपनी आँखें बंद कर लीं और अपने भाई के हाथों से मजा लेकर सफाई करवाने लगी। अभी मैं पायल के जिश्म पे लगा साबुन साफ कर ही रहा था
कि तभी अकबर भी बाथरूम में घुस आया और बोला- क्या बात है यार? अपनी बहन की खिदमत हो रही है?
मैंने अकबर की बात का कोई जवाब नहीं दिया।
तो उसने फिर कहा- “अच्छी बात है… खिदमत करनी चाहिए क्योंकि इसी की कमाई तो खानी है सारी ज़िंदगी…” और हाहाहाहा करके हँसने लगा।
मैंने जल्दी से पायल को साफ किया और उसी तरह उठाकर रूम में ले आया और बेड पे लिटा दिया और पायल को उसके कपड़े भी दे दिए। पायल ने अपने कपड़े पहन लिए तो अकबर और फहीम भी वाश-रूम से फारिग़ हो चुके थे और फिर उन्होंने पायल को एक किस की और चूचियां को दबाकर वहाँ से निकल गये।
मैं भी उनके साथ ही जाने के लिए रूम में से निकला तो हाल में अरविंद साहब दीदी को डोगी बनाकर चुदाई में लगे हुये थे।
मैंने उन दोनों को फ्लैट के बाहर छोड़ा और फिर से फ्लैट में आ गया और अरविंद के साथ होने वाली दीदी की चुदाई देखने लगा जो कि अब अपने जोरों पे चल रही थी। दीदी उस वक़्त- “आअह्ह… हाँ जान… और तेज करो… उंन्ह… मेरी जान आज तुमने क्या खाया है? फाड़नी है क्या मेरी? उउफफ्फ़…” की आवाज कर रही थी।
अरविंद भी दीदी की गाण्ड को पकड़कर अपने लण्ड को पूरा दीदी की फुद्दी में से निकालता और फिर से पूरी ताकत से घुसा देता और- “हाँ जान… ये ले… ऊओ… मैं आजज्ज तेरी फुद्दी को फाड़कर रख दूँगा… उंनमह…”
दीदी भी उसके हर धक्के के जवाब में अपनी गाण्ड को पूरी ताकत से दबाती और- “हाँ फाड़ दे मेरी फुद्दी… उन्म्मह… भाई इसे बोलो कि जोर से करे… पूरा घुसाकर चोदे मुझे… उन्म्मह… मैं गई जान… आअह्ह… थोड़ा और… उंनमह…” की आवाज के साथ ही दीदी का जिश्म झटके खाने लगा और दीदी की फुद्दी ने पानी छोड़ दिया जिससे दीदी का जनून ठंडा हो गया।
दीदी के फारिग़ होने के बाद अरविंद भी कुछ ही देर में दीदी की फुद्दी में ही फारिग़ हो गया और बगल में होकर लेट गया तो दीदी भी सीधी होकर लेट गई और अपनी फुद्दी को मेरे सामने करके अपनी एक उंगली के साथ मसलने लगी और मुश्कुराने लगी।
उस रात एक बार और दीदी ने अरविंद से चुदवाया और बुआ ने भी दो आदमियों को ठंडा किया और फिर हमने खाना खाया और आराम करने के लिए लेट गये।वो सारा दिन हमें फ्लैट में ही गुजरना था क्योंकि पायल ने वापिस जाने से मना कर दिया था। मैं जब सोकर उठा तो दिन का एक बज चुका था। मैं फौरन नहाने के लिए घुस गया और फिर फ्लैट से करीब ही बनी मार्केट गया और खाने का सामान लेकर वापिस आया तो दीदी जाग चुकी थी और मुझे देखते ही बोली- “चलो अच्छा हुआ भाई कि आप खाने का सामान ले आए…”
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दीदी- “हाँ, वो तो है और मेरे लाए हुये सामान को उठाकर देखने लगी और फिर नाश्ते का सामान निकालकर हम दोनों नाश्ता करने लगे।
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