पड़ोसी किरायेदार की ख्वाहिश complete

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Ankit
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Re: पड़ोसी किरायेदार की ख्वाहिश

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अगला दिन भी अच्छे से बीत गया। भाभी की चचेरी बहिन को उनके घर वालों ने उनके देवर के लिए पसंद कर लिया था। तो मैं भाभी के साथ बैठकर बात कर रहा था। तभी कोमल संतरे लेकर अंदर आई और हमारे पास आकर बैठ गई।


भाभी बोलीं- कोमल, राहुल जी का संतरे खाने का मन कर रहा है।


कोमल भी तेज तर्रार थी, वो तुरंत बोली- शादी कर लें, बीवी रोज़ संतरे खिलाएगी।


मुझसे रहा नहीं गया।


मैं बोला- आपके पास इतने अच्छे संतरे हैं, दो मुझे भी खिला दो।


भाभी मुस्कराते हुए बोली- खिला दे ! ये तुझे बदले में केला खिला देंगे।


कोमल एकदम से गरम हो गई और बोली- भाभी, मुझे ये सब बिल्कुल नहीं पसंद है आप सबके सामने एसा मजाक मत करा करो।


उसका व्यहवार देखकर मुझे लगा कोमल पर लाइन मारना ठीक नहीं है। मैं चुप हो गया, कोमल वहाँ से चली गई।


मैंने भाभी से कहा- भाभी ये तो हरी मिर्च जैसी तेज है।


भाभी झेंपते हुए बोलीं- चारु तो इस से भी तेज है, एक बार पिछले किराएदार ने उसके चूतडों पर अकेले में हाथ फेर दिया था तो चारु ने दो थप्पड़ जड़ दिए थे। मैंने छुपकर यह देख लिया था किसी को बताना नहीं।


हम बातें कर ही रहे थे कि तभी भाभी की बहिन आ गयी।

मैं भाभी के पास ही बैठा रहा। तो भाभी अपनी बहिन से बोली- काजल आ बैठ, मिल आई अपनी सहेलियों से।


काजल बोली- हाँ दीदी। मिल आई और बहुत थक गयी हूँ। चाय बना लो।


उनकी बहिन भी आकर वहीं पर बैठ गयी। भाभी चाय बनाने के लिए बोलकर चली गयीं।


मैंने काजल को देखा, कल तो ब्रा और पैंटी में थी। लेकिन आज एक टाइट सूट पहना हुआ था। उसके ऊपर से उसके शरीर का हर भाग कसा हुआ नज़र आ रहा था।


सूट में भी वो एक दम माल लग रही थी। जैसे ही मेरी नज़र उसकी चूचियों पर गयी। मुझे उसका ब्रा वाला रूप याद आ गया। और ऊपर से वो बाहर से आई थी, तो तेज़ तेज़ साँसे लेने से उसके स्तन ऊपर नीचे हो रहे थे।


मैं आँखें गढ़ाए उसे ही देख रहा था। मुझे ये भी होश नहीं था कि वो मेरी इन हरक़तों को देख रही है। मुझे उसे देखने में बड़ा मज़ा आ रहा था। तभी किचन से भाभी के आने की आहट हुई। उसने अपना दुपट्टा ठीक किया, और मैं भी सही से बेठ गया।


भाभी चाय लेकर आ गयी। हम बातें करते हुए चाय पीने लगे, लेकिन बीच बीच में मेरी नज़र काजल से टकरा रही थी।


चाय पीकर मैं ऊपर आ गया। शाम का वक़्त हो चला था लेकिन लाइट नहीं आ रही थी। भाभी का इन्वर्टर ऑन था। करीब रात को दस बजे खाना खाने के बाद इन्वर्टर भी बंद हो गया।


गर्मीं का मौसम था। मैं नीचे ही आ गया। नीचे भाभी, भाई साहब और काजल सभी बाहर बैठे लाइट का इंतज़ार कर रहे थे। मैं भी वहीं जाकर बैठ गया, और भाई साहब से बात करने लगा।


थोड़ी देर में चारु भी नीचे पहुंच गयी। तभी फोन करने पर पता चला कि, आज लाइन खराब होने की वजह से बिजली नहीं आएगी।


मैं बोला- इतनी गर्मीं में बिना बिजली के नींद कैसे आएगी।


भाभी ने कहा- आज तो ऊपर छत पर सोना पड़ेगा, खुले में।


चारु ने कहा- मैं तो ऊपर ही सो जाती हूँ, कमरे में तो नहीं सोया जायेगा।


चारु की बात सुनकर भाई साहब बोले- हाँ, आज सब ऊपर ही सो जाते हैं।


सब बिस्तर ऊपर लेकर चल दिए। लेकिन मैं सबसे पहले पहुंचा और बिस्तर पर लेटते ही नींद आ गयी। तब तक कोई ऊपर नहीं आया था।


रात में मेरी नींद खुली, छत छोटी सी थी सबके बिस्तर पास पास लगे हुए थे। मेरे पास ही एक बिस्तर पर शायद चारु सो रही थी, क्योंकि भाभी तो इतनी पतली नहीं थी।


मैंने अपना एक हाथ मैक्सी के ऊपर से ही चारु की चूची पर रख दिया, और सहलाने लगा। थोड़ी देर ऐसे ही सहलाने के बाद, मैं थोड़ा उसकी तरफ खिसक गया और दूसरे चुचे को दबाने लगा।


करीब पांच मिनट के बाद। मैंने अपना एक हाथ उसकी जांघ पर रख दिया। मैं धीरे धीरे उसकी जांघ को सहलाने लगा। फिर उसकी मैक्सी को ऊपर करने लगा। धीरे धीरे मैक्सी को घुटनों से ऊपर तक कर दिया था मैंने।


उसकी आधी जांघे नंगी थीं। मैंने चिकनी जांघो पर हाथ घुमाना चालू रखा। और साथ ही मैक्सी को भी ऊपर करता रहा। मैक्सी कमर तक आ गयी थी। उसकी पैंटी के ऊपर से ही मैंने उसकी चूत पर हाथ घुमाया। चूत के पानी से पैंटी गीली हो रही थी।


मैंने अपना हाथ उसकी पैंटी में डाल दिया। लेकिन हाथ अंदर डालते ही मुझे झटका लग गया। चारु की चूत पर बाल कहाँ से आ गए। अभी कल तक तो नहीं थे।
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Ankit
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Re: पड़ोसी किरायेदार की ख्वाहिश

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मैं कुछ सोचता कि तभी किसीके हिलने का आभास हुआ मैंने अपना हाथ हटा लिया। और उसने अपनी मैक्सी नीचे करके करवट बदल ली।


कुछ देर की शांति रही, की कुछ दूरी से कोई उठकर आया और मेरे पास आकर लेट गयी। उसका हाथ सीधे मेरे लंड पर पहुंच गया। इस स्पर्श को तो मैं पहचानता हूँ।


ये तो चारु है।

चारु ने मेरा लंड सहलाना चालू रखा, लेकिन मैं सिर्फ यही सोच रहा था कि ये कहीं काजल तो नहीं थी।


क्यूँकि चारु के जैसा तो बस उसका ही फिगर है। भाभी तो काफी मोटी हैं। अगर वो काजल थी तो उसने कुछ कहा क्यों नहीं।


मैं ये सब सोच रहा था जिस से मेरा ध्यान चारु की तरफ नहीं था, और न ही इस समय मैं उत्तेजित हो पा रहा था।


चारु को भी शायद ये समझ में आ गया कि मेरा मन नहीं है। वो एक दम से वहां से गुस्से में उठकर चली गयी। और वापस अपने बिस्तर पर जाकर सो गयी।


उसके जाते ही काजल ने करवट बदली, लेकिन मैं उससे नज़रें नहीं मिला पा रहा था। मैं आँखें बंद करके लेटा रहा।


लेकिन अब ये दिक्कत थी कि उसे मेरे और चारु के बारे में शायद सब कुछ पता चल गया था। मैं बस यही सोचते सोचते सो गया कि कहीं वो किसीको बता ना दे।


मुझे अपनी फिकर नहीं थी, लेकिन मैं चारु को तकलीफ नहीं देना चाहता था।


सुबह मैं उठा, ऊपर कोई नहीं था। सब उठकर नीचे जा चुके थे। मैं भी नीचे आ गया, नीचे आकर मैंने देखा कि चारु किचन में है।


मैं सीधे अपने रूम में चला गया। ऑफिस के लिए तैयार होकर मैं बाथरूम से बाहर आया तो कमरे में नाश्ता रखा हुआ था।


नाश्ता करने के बाद मैं चारु का वेट करने लगा। लेकिन काफी देर तक वो नहीं आई। तो मैं ऑफिस के लिए निकल गया। लेकिन कभी ऐसा नहीं हुआ की चारु मुझसे मिली न हो सुबह। कभी नाश्ते के बहाने तो कभी किसी ओर बहाने से, लेकिन आज वो नहीं आई।


मैं नीचे आया तो मेरी नज़र काजल पर पड़ी वो झुककर झाड़ू लगा रही थी। उसकी गांड देखकर मैं दंग रह गया, कितनी बड़ी गांड थी उसकी।


सूट में मैने कभी उस पर गौर नहीं किया। मैक्सी में उसकी गांड एक दम मस्त लग रही थी। मन कर रहा था की अभी बस चढ़ जाऊं इसके ऊपर।


तभी भाभी और भाई साहब बाहर आये। मैंने उन्हें नमस्ते कहा और ऑफिस के लिए चल दिया।


ऑफिस पहुँचकर मैंने अपना काम जल्दी खत्म कर लिया। आज काम भी कुछ ज्यादा नहीं था। काम खत्म करने के बाद मैने सोचा की क्यूँ ना घर चलूँ।


आज चारु भी नाराज है। अब मुझे चारु की आदत सी होने लगी थी। अगर उसे खुश ना देखूं तो अच्छा नहीं लगता था। वही आज मेरे साथ हो रहा था।


बॉस से छुट्टी लेकर मैं घर आ गया। मैं जब ऊपर जाने लगा तो सोचा भाभी से मिलता चलूँ। कहीं चारु यहीं न हो, और काजल को भी देखता चलता हूँ।


मैं जैसे ही भाभी के कमरे की तरफ बढ़ा, मेरे कदम अपने आप रुक गए। उनके कमरे से सेक्स करने की आवाजें आ रहीं थी।


मैंने सोचा की भाभी और भाई साहब अभी सेक्स कर रहे हैं, तो उन्हें डिस्टर्ब नहीं करता। मैं फिर से ऊपर चल दिया, लेकिन ये क्या एक आवाज सुनकर मेरे कदम रुक गए।


"दीदी आने वाली होंगी, अब तुम जाओ।"...अंदर से काजल की आवाज आई।

आवाज से मुझे ये तो पता चल गया की अंदर काजल है। और उसकी बातों से ये भी पता चल गया कि भाभी घर पर नहीं हैं।


तभी किसीके बाहर आने की आहट हुई, मैं जल्दी से एक कोने की तरफ छुप गया। काजल बाहर आई उसके साथ ही एक लड़का भी था। मैं उसका चेहरा नहीं देख पाया। वो लोग बाहर की तरफ चले गए।


उस लड़के को छोड़कर जब काजल अंदर आई, तब तक मैं बाहर आ गया था। मुझे वहां देखकर काजल एक दम चौंक गयी। इस वक़्त उसके बाल खुले हुए थे और कपड़े भी लग रहा था जैसे जल्दबाज़ी में पहने थे।



मुझे देखकर वो अपने बालों को बांधते हुए बोली- तुम...तुम कब आये। और तुम यहां क्या कर रहे हो।


उसके चेहरे पर घबराहट साफ नज़र आ रही थी।


मैं बोला- जब तुम उस लड़के के साथ अंदर कुछ इम्पोर्टेन्ट काम में बिज़ी थी, मैं तभी आया।


इतना सुनकर उसके चेहरे का रंग उड़ गया। उसके चेहरे का डर साफ दिख रहा था।


हकलाती हुई आवाज में वो बोली- कौन सा लड़का। किस लड़के के बारे में बात कर रहे हो तुम।



उसकी बात सुनकर मुझे बड़ी हँसी आ रही थी। लेकिन मैं सिर्फ मुस्कुरा कर रह गया। मुझे मुस्कुराता देख कर वो बहुत गुस्से में आ गयी।



वो गुस्से में बोली- तुम्हे क्या मतलब है, कि कौन था। और तुम अपने आप को समझते क्या हो। अगर रात वाली बात जीजू को बता दी ना तो तुम्हारा क्या हश्र होगा। जानते हो।
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अब मुझे भी गुस्सा आ गया। रात को मैंने तो सब अनजाने में किया, लेकिन इसे तो सब पता था। फिर भी मुझ पर रौब दिखा रही है।



गुस्से में मैंने उसे पकड़ा और खींचकर कमरे में बेड पर डाल दिया। उसको बेड पर डालकर, मैं कमरे का दरवाज़ा बन्द करने लगा।



काजल बोली- ये क्या कर रहे हो तुम। दरवाजा क्यों बन्द कर रहे हो।



मैंने उसकी कोई बात नहीं सुनी, मैं मुड़कर फिर से उसकी तरफ बढ़ने लगा इस पर वो और ज्यादा घबरा गयी।



काजल- मेरे पास मत आयो वरना मैं चिल्ला दूंगी। फिर तुम्हारा क्या हाल होगा सोचलो।



मैं बोला- चिल्लाओ जितना चिल्लाना है। मैं भी देखता हूँ। किसकी शादी टूटेगी, किसकी बदनामी होगी।



ये सुनकर वो शांत हो गयी। मैं जाकर उसके ऊपर लेट गया, लेकिन वो अब भी नाटक कर रही थी। मैंने अपनी जेब से मोबाइल निकाला और उसे दिखाने लगा।



फोटो देख कर वो एक दम रोने को हो गयी। मैंने उसका और उस लड़के का फोटो खींच लिया था, जिसमें वो किस कर रहे थे। जब वो जा रहा था।



वो बोलने लगी- प्लीज ये फोटो किसीको मत दिखाना। मेरी शादी टूट जायेगी। मैं उस लड़के से आज के बाद कभी भी नहीं मिलूंगी। आप भी तो चारु दीदी के साथ ऐसा करते हैं।



मैं बोला- तुम से सीधा आप, चारु के साथ करता हूँ। तो इससे तुम्हे क्या, अगर तुमने किसीको भी ये बताया तो तुम्हारे पति को मैं सब बता दूंगा।



मैं उस से बात करते हुए उसकी जांघो पर हाथ फिरा रहा था। मैं धीरे धीरे हाथ को चूत की तरफ ले गया। सलवार के ऊपर से ही मैं उसकी चूत को रगड़ने लगा। अब उसके मुह से भी सिसकारी फुट रही थी।



उसके ऐसे लाजवाब जिस्म को देखकर मेरा मन उसे चोदने का कर रहा था। और इस वक़्त काजल भी गरम थी। लेकिन मुझे भाभी के आने का डर था।



मैंने उससे पूछा- भाभी कहाँ गयी हैं, कब तक आएंगी।



वो सिसकारी लेते हुए बोली- दीदी तो शाम तक आएंगी। वो अपनी बुआ की लड़की से मिलने गयी हैं।



मैंने कहा- अभी तो तुम उस लड़के को कह रही थी कि दीदी आती होगीं, अब तुम जाओ।



तो वो बोली- वो सब छोड़ो ना। आप प्लीज ये करते रहो, बहुत मज़ा आ रहा है। रात भी आप जब ऐसे कर रहे थे, तो मुझे बहुत मज़ा आ रहा था। लेकिन चारु दीदी ने सब खेल बिगाड़ दिया।



मैंने उसकी बात सुनी तो दंग रह गया, कहाँ तो अभी ये इतने नाटक कर रही थी। और अब इतनी उतावली हो रही है। खैर मुझे क्या करना, मेरे लिए तो अच्छा ही था।




मैं उसके कपड़े उतारने लगा। उसकी मदद से उसकी सलवार और कुर्ती मैंने उतार दी। और साथ ही ब्रा भी। अब वो बस पैंटी मैं थी।



उसका नंगा बदन एक दम कहर ढ़ा रहा था। मैंने उसके होंठो से अपने होंठ लगा दिए, और चूसने लगा। फिर नीचे आकर उसका एक निप्पल मुंह में भर लिया। और दूसरे पर उंगलिया फिराने लगा।



कुछ देर के बाद जगह बदली। अब दूसरा निप्पल मुंह में आ गया। पेट से होते हुए में चूत तक जा पहुँचा। काजल इतनी जोर से सिसकियाँ भर रही थी।



मैंने उसकी पैंटी भी उतार दी, और दो उंगलियां उसकी चूत में डाल दीं। मैं उंगलियां आगे पीछे करने लगा। और काजल की सिसकियाँ भी और तेज हो गयीं। मुझे लगा की अब ज्यादा देर नहीं करनी चाहिए वरना सब मेहनत पर पानी फिर जायेगा।



मैंने अपने कपड़े उतारे और उसकी टांगों के बीच आ गया। अपना लंड उसकी चूत पर सेट करके मैं उसे फिर से चूमने लगा। लेकिन शायद काजल अब इंतेज़ार नहीं कर सकती थी।



वो खुद कमर उठाने लगी। मैंने भी देर न करते हुए एक स्ट्रोक लगाया, एक बार में ही आधा लंड उसकी चूत में चला गया। काजल के मुंह से एक बहुत तेज सिसकी निकली। अगले स्ट्रोक में पूरा लंड चूत के अंदर पेल दिया।



काजल पहले भी सेक्स कर चुकी थी, लेकिन फिर भी उसकी चूत टाइट थी। उसकी भी हल्की सी चीख निकली जब मैने पूरा लंड अंदर डाल दिया।



मुझे बड़ा मज़ा आ रहा था। मैं स्ट्रोक लगाने लगा। काजल आह आह की आवाजें निकाल रही थी। कमरे में चप चप और आह....आह...सी....सी की आवाजें गूंज रही थीं।



कुछ देर की चुदाई के बाद काजल झड़ने लगी। उसकी चूत एक दम कस गयी। उसके रस छोड़ने के साथ ही चूत की गर्मी से मैं भी झड़ गया।



मैं उसी के ऊपर लेटा हुआ था। उसने मुझे बाहों में जकड़ रखा था। कुछ देर तक मैं ऐसे ही लेटा रहा। फिर उठकर बाथरूम चला गया। मैं बाथरूम से आया और कपड़े पहनने लगा। अपने कपड़े लेकर काजल बाथरूम में चली गयी। थोड़ी देर बाद वो कपड़े पहन कर बाहर आई।



काजल बोली- मैंने कई बार सेक्स किया है, लेकिन मुझे ऐसा मज़ा कभी नहीं आया। आज आप अगर मुझसे कुछ भी मांग लो, मैं आपको खुशी खुशी दे दूंगी।



मैंने कहा- अच्छा ऐसी बात है अगर तो हमने सुना है लड़कियां अपनी गांड मरवाने में बहुत डरती हैं। गांड मारने दोगी अपनी, मुझे तुम्हारी गांड बहुत पसंद है।



काजल ये सुनकर मुस्कुराने लगी, और मुझसे वादा किया लेकिन फिर कभी के लिए। अब काफी वक़्त हो गया था तो मैं ऊपर चला गया।



ऊपर चारु बाहर ही थी।
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चारु ने मेरी तरफ देखा, मैंने उसे कमरे में आने का इशारा किया। मैं कमरे में चला गया। थोड़ी देर बाद वो काम खत्म करके आई। मैं कपड़े बदल कर बेड पर लेटा हुआ था।



वो मेरे पास आकर बैठ गयी। मैंने उसे अपनी बाहों में लेकर अपने ऊपर झुका लिया, और उसके होंठ चुसने लगा। करीब पांच मिनट तक में उसके होंठ चूसता रहा।



तभी नीचे से भाभी ने उसे आवाज दी। वो उठकर चली गयी, मैं वहीं लेटा रहा। कुछ देर बाद भाभी ने मुझे भी आवाज दी। मैं नीचे पहुँचा, तो आँगन में नीरा भाभी, अशोक भाई साहब और दो लोग और बैठे थे।




मैं जाकर सोफे पर बैठ गया। तो भाई साहब ने मुझे उनसे मिलाया।



अशोक ने कहा- राहुल जी, ये मेरे छोटे भाई हैं। काजल के पापा और ये उनका बेटा है सोनू।



मैंने उन्हें नमस्ते कहा। फिर काजल सभी के लिए चाय लेकर आई। वो नहा चुकी थी, इस वक़्त उसने एक गुलाबी सूट पहना हुआ था।



भाभी ने बताया की वो लोग काजल को लेने आये हैं। अगले महीने की शादी तय हुई है। इसलिए इन्विटेशन भी देने आये हैं। यहां शहर में, चूंकि शादी हमारे गांव में होगी।



सोनू ने कहा- भैया, आँटी कह रही थी कि आप फॅमिली की तरह ही हैं। तो आपको जरूर आना होगा।




मैंने कहा- जी ठीक है। अब आप लोग कह रहे हैं तो आ जाएंगे।



भाभी ने चारु को भी इन्विटेशन दिया था। उस वक़्त कोमल वहां नहीं थी, तो भाभी ने उसका इन्विटेशन कार्ड ले लिया था। वर्ना उन लोगों को देर हो जाती। कुछ देर बातें करने के बाद वो लोग चले गए। भाई साहब भी उन्हें छोड़ने गए थे।



मैं और भाभी बैठ कर बातें कर रहे थे। तभी कोमल आ गयी, उस दिन के बाद मेरी उस से ज्यादा बात नहीं हुई थी। जिस दिन भाभी ने संतरे वाला मज़ाक किया था।



मेरे और कोमल के बीच नमस्ते होती रही लेकिन कभी ज्यादा बात नहीं हुई।


रात को रोज का नियम सा बन गया था। रोज़ रात को 10-11 बजे चारु मेरे कमरे में आ जाती और पूरी नंगी होकर मेरी गोद में बैठ जाती। मुझसे अपनी चूत में क्रीम लगवाती और जाने से पहले मेरा लोड़ा कम से कम एक बार जरूर चूसती।




मेरी रातें चारु के साथ मजेदार कट रही थीं। 10 दिन में उसकी खुजली गायब हो गई थी। इस बीच मैंने उसकी चूत में लोड़ा एक भी दिन नहीं डाला था। चारु ने मुझसे बहुत कहा था कि मैं उसकी चूत चोदूँ, उसके पति तो हर दूसरे दिन उसे चोद ही रहे थे लेकिन मैंने एसा नहीं किया।



शनिवार को मैंने वादा किया कि सोमवार को उसकी चूत चोदूंगा।



सोमवार से उसके पति की रात की 10-6 शिफ्ट आ गई थी। रात की शिफ्ट में 8 बजे वो जाते थे और सुबह 8 बजे आते थे।




सोमवार रात को 10 बजे खाना खाने के बाद मैं आराम करने लगा। चारु और दिन की तरह 11 बजे आकर मेरी गोद में नंगी बैठ गई।


मुझसे चिपकते हुए बोली- आज तो चोदोगे न? आज मना मत करना, तुम्हारे साथ अगर सेक्स करती हूँ तो लगता है कि ये कभी खत्म न हो।



मैंने निप्पल उमेठते हुए कहा- क्यों नहीं।



चारु से मैंने पूछा- तुम्हारी गांड में भी डाल दूँ? तुम बता रही थीं कि आकाश जब ज्यादा नशे में होते हैं तब वो तुम्हारी गांड भी चोद देते हैं।




चारु बोली- आप का मन है तो मेरी गांड में भी डाल दो ! आकाश तो गांड ज्यादा चोदते हैं चूत कम।



चारु की चूत गीली हो रही थी, मैंने उसे तकिये के ऊपर लेटाया और उसकी चूत में पीछे से लंड डाल दिया।



उसकी दोनों चूचियाँ अपने हाथों में दबा लीं और चोदने लगा।



उह आह की आवाज़ों से कमरा गूँज रहा था, चारु की चूत में लंड सरपट दौड़ रहा था। चारु को चोदने में मुझे बड़ा मज़ा आ रहा था। कुछ देर बाद मैंने लंड बाहर निकाल लिया और चारु के चूतड़ों को सहलाते हुए बोला- रानी, ऐसे ही लेटी रहो।



उसके बाद मैंने कंडोम लंड पर चढ़ा लिया, चारु की गांड में उंगली घुमाते हुए बोला- रानी, जरा अच्छी तरह टांगें फ़ैला कर चूतड़ ऊपर उठाओ।



चारु समझ गई कि मैं उसकी गांड चोदना चाहता हूँ, उसने अच्छी तरह से अपनी टांगें फ़ैला लीं। मैंने चारु की गांड पर लंड छुला दिया। उह उइ की एक सिसकारी सी उसने भरी, थोड़ी देर में लंड उसकी गांड में घुसने लगा।



“ऊ ओइ ऊ ओऊ मर गई !” की आवाज़ों से चारु मचलने लगी। थोड़ी देर में ही 7 इंची लोड़ा उसकी गांड में था।



चारु की गांड चुदनी शुरू हो गई, कभी धीरे, कभी तेज झटकों से उसकी गांड चुद रही थी। 10 मिनट बाद मेरे लंड ने जवाब दे दिया।




चारु उठ गई, उसकी गांड फट चुकी थी और वो मुझसे चिपक कर सो गई। सुबह 6 बजे मेरी नींद खुली तो चारु मेरे बिस्तर पर नहीं थी।



बाहर से नहाने की आवाज़ सी आ रही थी। मैंने छुपकर देखना शुरू कर दिया।



चारु अपनी जांघें धो रही थी, उसके स्तन मस्त हिल रहे थे, मैं उसके नग्न स्नान दर्शन का आनंद लेने लगा।

चारु नहाकर अंदर चली गयी, मैं फिर से बिस्तर पर लेट गया।


मैं जब ऑफिस के लिए निकलने वाला था तभी नीरा भाभी का फ़ोन मेरे पास आया।



वो बोली- कोमल को होटल में धंधा करने के आरोप में पुलिस ने पकड़ लिया है। तुम्हारे पास कोई जुगाड़ हो तो उसे बचा लो।


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मेरा दिमाग घूम गया। तभी मेरे दिमाग में लड़कियों के दलाल संजीव का नाम आया, मैंने ऑफिस पहुंच कर उसे फ़ोन किया और उसे पूरी बात बताई।




संजीव ने कहा- चिंता न करो मैं छुड़वाता हूँ। आधे घंटे बाद फ़ोन करो।




20 मिनट के बाद संजीव का फ़ोन आया।



वो बोला- कोमल छूट गई है, आधा घंटे बाद वो मेरे होटल में आ जाएगी। तुम भी इधर आ जाओ।



मेरे ऑफिस से होटल दूर था, मैं एक घंटे में वहां पहुँच गया, संजीव मुझे एक कमरे में ले गया, वहाँ कोमल बैठी हुई थी।



संजीव बोला- घबरा गई थी, अब ठीक है।



मैंने पूछा- क्या बात हो गई थी?



कोमल बोली- होटल में पुलिस ने मुझे गलती से पकड़ लिया।



संजीव बोला- कोमल, अब तुम झूठ मत बोलो, मैं लड़कियाँ सप्लाई करता हूँ और इस धंधे में मुझे सच के आगे का भी पता है। इसलिए तुम अपने मुँह से सब सच सच बताओ।



राहुल हमारे बहुत बड़े क्लाइंट है हर महीने 30-40 लड़कियां इनकी कम्पनी को सप्लाई होती हैं। आज तुम इनके ही कारण बची हो।



कोमल बोली- मैं हफ्ते में 1-2 बार धंधा कर लेती थी। मेरे होटल में 8-10 लड़कियाँ रोज़ सेक्स के लिए सप्लाई होती हैं, होटल मालिक जब बाहर होता था तो मैं भी 5000 -7000 रु में ग्राहक पटा लेती थी और उसके साथ सो जाती थी।



आज सिर्फ दो लड़कियाँ धंधे पर आइ थीं और आज मालिक भी नहीं था। मैं बाबू नाम के ग्राहक के साथ सेक्स कर रही थी, पुलिस ने रेड डाली और दो लड़कियों के साथ साथ मुझे भी पकड़ लिया।



संजीव बोला- पुलिस ने जब इसे पकड़ा तब ये पूरी नंगी थी और बाबू का लंड इसकी चूत चोद रहा था।



तभी कॉफी लेकर वेटर आ गया, उसने हम तीनों को कॉफी दे दी और वो चला गया। कोमल झेंपी सी बैठी हुई थी।




संजीव बोला- इसके आगे का सच मैं बताता हूँ। कोमल 6 महीने से इस होटल में फ़ूड मैनेजर का काम कर रही है। होटल में एक कॉल गर्ल कम्पनी का कॉन्ट्रैक्ट है, वो रोज़ 8-10 लड़कियाँ सप्लाई करती है।



पहले महीने में ही इसकी कॉल गर्ल्स से दोस्ती हो गई। उसके बाद कोमल भी अपनी मर्जी से महीने में 2-3 दिन धंधे पर जाने लगी, एक रात के 5000 -7000 रु मिलने लगे। 3 महीने तक कोई दिक्कत नहीं थी।



3 महीने के बाद हर शनिवार और इतवार को यह धंधे पर बैठने लगी और महीने में 12-15 बार चुदने लगी। कॉल गर्ल्स कम्पनी के सुपरवाइजर ने इससे कहा कि हमारी कम्पनी ज्वाइन कर लो। महीने के 50000 रु मिलेंगे लेकिन महीने में 20 दिन कम्पनी जहाँ कहेगी वहाँ जाना पड़ेगा, इसने मना कर दिया और उसके बाद भी यह धंधे पर लगी रही।



कोमल बोली- मुझसे तो यह बात राजू वेटर ने कही थी, उसकी तो कोई जरा भी इज्ज़त नहीं करता है सब उसे पागल कहते हैं।



संजीव हँसते हुए बोला- धंधे करने वाली लड़कियों को ये बात पता नहीं होती और जिसे तुम होटल मालिक कह रही हो वो होटल मैनेजर है, उसे सिर्फ होटल का काम देखना है, वो 10 से 5 अपनी नौकरी करता है और शनिवार, रविवार को छुट्टी रखता है।



आज होटल मैं कम्पनी ने जान बूझ कर सिर्फ दो लड़कियाँ भेजी थीं, कम्पनी को उन्हें फ़साना था, दोनों ने निजी ग्राहक बना लिए थे साथ ही साथ तुम्हें भी फंसवाना था। संजय ने जब तुम्हें 10000 रुपए ऑफर किए तब तुम आसानी से फंस गईं। दोनों अब सर्टिफाइड रंडियां हो जाएंगी, उसके बाद कम्पनी उनकी जमानत लेगी और उन्हें दुबारा धंधे पर लगा देगी।




संजीव ने बताया कि कम्पनी अगले दिन सुबह-सुबह ही इन लड़कियों की जमानत ले लेगी किसी को पता भी नहीं चलेगा कि ये धंधा करते पकड़ी गईं हैं। उसके बाद कम्पनी इन्हें अपनी शर्तों पर ज़बरदस्ती धंधे पे लगा देगी और शुरू शुरू में ये रोज़ 3 से 4 बार चुदवाई जाएँगी इस तरह फंसी हुई लड़कियों को 1000 से 3000 रुपए एक चुदाई के मिलते हैं जबकि ग्राहकों से 5 से 20 हज़ार तक लिए जाते हैं।



संजय भी कम्पनी का गुंडा है। गनीमत है तुम बच गईं। अगर धंधा करना है तो कोई कॉल गर्ल कम्पनी ज्वाइन कर लो नहीं तो आराम से नौकरी करो और बॉय फ्रेंड बनाकर उनसे चुदो।



कोमल ने अपने कान पकड़े और बोली- मैं तोबा करती हूँ।



इसके बाद मैंने कोमल से कहा- आओ चलते हैं। भाभी से बस यह कहना कि पुलिस को ग़लतफहमी हो गई थी, उसने मुझे छोड़ दिया।



बाइक पर कोमल चिपक कर बैठ गई उसने मुझसे अपने पुराने बर्ताव की माफ़ी मांगी और बोली- अगर आज मैं जेल चली जाती तो सर्टिफाइड रंडी बन जाती। मेरे जीजाजी मुझे चोदते थे इसलिए मुझे चुदने की आदत पड़ गई थी यहाँ चुदाई देखकर मैं चुदवाने लगी थी। महीने में मुझे 60-70 हज़ार की कमाई हो रही थी। बाल बाल बच गई नहीं तो परमानेंट रंडी बन जाती।



आधे घंटे में हम घर पहुँच गए। भाभी हम दोनों को देखकर बोलीं- कोमल क्या हो गया था? तेरे होटल से फोन आया था, तीन लड़कियाँ धंधा करते हुए पकड़ी गई हैं, उनमें तू भी है।



मैं बीच मैं बोल पड़ा- एसा कुछ नहीं था, होटल में दो लड़कियाँ पकड़ी गईं थी, यह बहुत घबरा गई थी इसलिए वहाँ से भाग गई थी और फोन ऑफ कर दिया था। हम दोनों कॉफी पीते हुए आ रहे हैं, सब ठीक है।




अंदर आकर कोमल अपने कमरे में चली गई और मैं अपने कमरे में चला गया।



चारु से मेरा प्यार बढ़ता जा रहा था, आज रात वो फिर मेरी गोद में नंगी बैठी थी। जब भी आकाश 2-10 और 10-6 की शिफ्ट में होते थे तो चारु अक्सर रात को नंगी होकर मेरी गोदी में बैठ जाती थी और अपनी चूत चुदवाती थी।



मैंने उसे बताया कि एक स्कूल मैं लाइब्रेरी अस्सिस्टेंट की जरूरत है, उसे एक फॉर्म उसे दे दिया और बोला- तुम इसे भरो, 10000 रुपए वेतन है, तुम बी लिब हो, सलेक्ट हो जाओगी।



चारु बोली- आकाश को पता चल गया तो बहुत मारेगा।



मैंने कहा- इसे यहीं भरो, किसी को नहीं पता चलेगा। जब सलेक्ट होगी तब आगे देखेंगे।



चारु ने मेरी गोद में बैठकर फॉर्म भर दिया। इसके बाद रोज़ की तरह मैं चारु की जवानी का रस पीने लगा।



कोमल ने नौकरी बदल ली थी। अब उसने एक मल्टीप्लेक्स में स्टोर इंचार्ज की नौकरी ज्वाइन कर ली थी, उसकी एक हफ्ते 8 से 4 और दूसरे हफ्ते 4 से 10 रात तक ड्यूटी रहती थी।

दिन बीत रहे थे, मैं चारु के साथ मस्ती से दिन काट रहा था। एक बार शनिवार का दिन था नीरा भाभी की ननद के यहाँ कोई प्रोग्राम था, तो सपरिवार नीरा वहाँ चली गई थी। चारु को भी साथ ले गई थी। आज रात पहली बार मैं अकेला था।



रोज़ चारु की चूत मारने से मेरे लंड की आदत खराब हो रही थी, 10 बजे रात से ही टनकने लगा। बिना चड्डी के पतला नेकर और लंबा कुरता मैंने डाल रखा था। मैं सोने की कोशिश करने लगा तभी फोन बजा 11 बजने वाले थे।




नीरा भाभी का था।



वो बोली- कोमल 11 बजे आती है, दरवाज़ा खोल देना।




मेरे मन के किसी कोने में कोमल को चोदने का विचार आने लगा। मैने सोचा आज चारु न सही तो कोमल ही सही, दस मिनट बाद घंटी बजी दरवाज़ा खोला तो सामने कोमल थी।



मुझे देखकर वो बोली- भाभी नहीं हैं क्या आज?



मैंने हँसते हुए कहा- आज मेरे सिवा कोई नहीं है, डर लग रहा हो तो मैं भी चला जाऊँ।



कोमल बोली- अब तो तुम फंस गए आज तो मैं तुम्हें जाने नहीं दूँगी। मज़ा आ गया आज पहली बार खुल कर बातें हो पाएंगी, आओ मेरे कमरे में बैठते हैं।



मैं कोमल के छोटे से कमरे में आ गया जमीन पर मोटा गद्दा और चद्दर पड़ी थी। पास मैं ही छोटी सी रसोई थी। कोमल दो कप कॉफी बना लाई, हम लोग कॉफी पीने लगे।

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