कहीं वो सब सपना तो नही complete

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007
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Re: कहीं वो सब सपना तो नही

Post by 007 »


तभी सुरेश पीछे से हल्की आवाज़ मे बोला,,,,अमित भाई इस बार भी वहीं सुमित था जिस से पंगा हुआ था,,,,

इतना सुनते ही अमित सुरेश के बेड के पास चला गया,,,,,क्या उस हरामी ने तुम लोगो का ये हाल किया,,,

नही अमित भाई ,,उसके साथ 8-10 लोग ऑर थे,,,,,,,,,,,,,,

अमित मे मेरी तरफ इशारा किया,,,क्या ये सन्नी भी था उन लोगो के साथ,,,,

नही अमित भाई सन्नी नही था,,,,ये तो आस पास भी नही था कहीं,,,वो लोग कोई ऑर ही थे,,,,मुझे तो
हमारे कॉलेज के भी नही लग रहे थे वो लोग,,,,

अमित गुस्से से,तू सच बोल रहा है ये सन्नी नही था उन लोगो के साथ,,,,

नही था अमित भाई सच बोल रहा हूँ,,,,वो लोग कोई ऑर थे दिखने मे तो कॉलेज स्टूडेंट लग रहे थे
लेकिन जिस तरह से हम लोगो को मारा था उस से तो लगता था वो पेशेवर गुंडे थे,,,,,,शायद सुमित
किराए के गुंडे लेके आया होगा बाहर कहीं से,,,,,

उस साले की इतनी हिम्मत,,,एक बार मिल जाए तो जान से मार दूँगा उस हरामी को,,,,,,


अमित की बात ख़तम होते ही अमित का बाप मेरे पास आया,,,,ये लड़का बेक़सूर है एसीपी साहिब,,लेकिन ये
बाकी के कमिने क़सूरवार है ,,,,

लेकिन सर सुरेश ने तो इनको भी देख लिया ,,इनमे से तो कोई नही था जिसस से झगड़ा हुआ था सुरेश का,,,

झगड़ा नही हुआ तो क्या हुआ लेकिन ये लोग कसूरवार तो है,,इन हरामी लोगो ने सुरेश को आंब्युलेन्स मे
डालने की कोशिश भी नही की,,एक भी बंदा आगे नही आया,,,,इन लोगो को कुछ तो सज़ा मिलनी चाहिए,,,

तो क्या करूँ मैं इन लोगो का सर,,,,,

कुछ ख़ास नही बस 1-2 दिन हवालात मे रखो इनको ऑर कुछ खातिरदारी करो ,,सरकारी मेहमान बना कर


सब लोगो के चेहरा का रंग उड़ गया,,कुछ लोग तो रोने की हालत मे हो गये ऑर कॅंटीन वाला तो अमित के
बाप के पैरो मे गिर गया ऑर माफी माँगने लगा लेकिन तभी एक हवलदार ने आगे बढ़ कर उसको उठाकर साइड
कर दिया,,,,,,


इनस्पेक्टर ख़ान इन लोगो को ले जाओ ऑर अच्छे से खातिरदारी करो 2-3 दिन तक,,फिर आज़ाद कर देना,,,,

ख़ान सर आगे आए ऑर कुछ हवलदारो को बोला कि इन लोगो को गाड़ी मे डालो ऑर पोलीस स्टेशन ले जाओ,,,वो
पोलीस वाले उन लड़को को पोलीस स्टेशन ले जाने के लिए नीचे लेके चले गये,,वो कॅंटीन वाला बहुत रो रहा
था उसकी कोई ग़लती नही थी ,,2 हवलदारो ने उसको पकड़ा हुआ था ऑर फिर भी हाथ जोड़ने की कोशिश करता
हुआ अमित ऑर सुरेश के बाप से माफी माँग रहा था,,लेकिन उसके आँसुओ का किसी पर कोई फ़र्क नही पड़
रहा था,,,

तभी ख़ान सर ने अपने सीनियर ओफिसेर से इजाज़त ली ऑर वहाँ से बाहर की तरफ चल पड़ा,,,,मैने भी अपने
प्रिन्सिपल को पूछा कि सर क्या मैं जा सकता हूँ तो प्रिन्सिपल ने अमित ओर उसके बाप की तरफ देखा तो
उन लोगो ने मुझे जाने की इजाज़त दे दी,,,,

मैं वहाँ से चला गया,,,ऑर सीधा ख़ान सर के पीछे हो लिया,,,,ख़ान सर एक लिफ्ट मे घुसे ऑर उनके पीछे
ही मैं भी उस लिफ्ट मे घुस गया ,,जैसे ही मैं ख़ान सर से बात करने की कोशिश कि तभी एक खूबसूरत
हाथ लिफ्ट के दोनो बंद होते डोर के बीच मे आ गया ऑर लिफ्ट के डोर वापिस खुल गये,,,,मैने देखा तो
सामने रितिका थी,,जो चेहरे पर हल्की मुस्कान लिए मुझे देख रही थी,,,

मैं सोचा बाल बाल बच गया कहीं इसके सामने मैं ख़ान सर से बात कर लेता तो इसको पता चल जाता कि
मैं ख़ान सर को जानता हूँ ,,,लेकिन उसने लिफ्ट मे आते ही मुझे हैरत मे डाल दिया,,,लिफ्ट मे घुसते ही
वो जल्दी से ख़ान सर के सीने से लग गई,,,,मेरी तो आँखें फटी की फटी रह गई,,,,


ख़ान सर के सीने से लगते ही रितिका की आँखें नम हो गई,,,,,ख़ान भैया ,,,,रितिका के मूह से ख़ान भैया
सुनते ही मैं चौंक गया,,,ये क्या मसला है,,,,

अरे पगली इतने टाइम बाद मिली है तो क्या रो कर मिलेगी मुझे,,,,चल रोना बंद कर ,,,इतना बोलकर ख़ान
सर ने अपने हाथों से रितिका के आँसू पोंछ दिए ,,,,,

मैं आपको मिलकर तो बहुत खुश हुई हूँ ख़ान भैया ऑर ये आँसू खुशी के है ना कि किसी गम के,,,गम
तो तब होता है जब अक़्सा की याद आती है,,,,

अक़्सा नाम कहीं सुना हुआ लग रहा था,,,,,अरे हां अक़्सा तो वही लड़की थी जिसने अमित ऑर उसके दोस्तो की वजह
से अपनी जान दी थी,,,,,तो क्या ख़ान भाई की बेहन का नाम ही अक़्सा था,,क्यूकी उस दिन करण के घर पर जब \
मैने रितिका को अक़्सा की वीडियो दिखाई थी तो इसने बोला था कि वो उसकी फ्रेंड थी,,,,शायद इसी लिए वो ख़ान
सर को भैया बोल रही थी,,,,,

याद तो मुझे भी बहुत आती है अक़्सा की रितिका लेकिन मैं उदास या दुखी नही होता बल्कि गुस्से मे आ जाता
हूँ,,जिन लोगो की वजह से अक़्सा की जान गई मैं उन लोगो को फाँसी पर लटका कर ही दम लूँगा,,,

सही बोला ख़ान भाई अपने ,,जो लोग उसकी मौत के लिए ज़िम्मेदार है उनको सज़ा मिलनी चाहिए ,,चाहे वो कोई
भी हो,,,फाँसी तो होनी ही चाहिए उनको कमिनो को,,,,रितिका हल्के से गुस्से से बोली,,,,,

सॉरी ख़ान भाई अंदर रूम मे मैं डॅडी के डर से आपको मिल नही पाई,,इसलिए तो भाग कर लिफ्ट मे
आपके पीछे आ गई,,,,
कांटा....शीतल का समर्पण....खूनी सुन्दरी

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Re: कहीं वो सब सपना तो नही

Post by VKG »

Nice update
@V@
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007
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Re: कहीं वो सब सपना तो नही

Post by 007 »

VKG wrote: 02 Oct 2017 17:20Nice update
Kamini wrote: 02 Oct 2017 18:22Mast update
thanks dosto
कांटा....शीतल का समर्पण....खूनी सुन्दरी

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Re: कहीं वो सब सपना तो नही

Post by 007 »

इसमे सॉरी की क्या बात रितिका,,,मैं समझता हूँ,,,,

हेलो सन्नी,,,,,,हेलो रितिका,,,,,

तुम दोनो एक दूसरे को जानते हो,,,,,,,

जी ख़ान भाई,,,,,ये मेरे दोस्त की गर्लफ्रेंड है,,,,,मैं एक दम जल्दी जल्दी मे बोल दिया ,,,मेरे ऐसा बोलते ही
ख़ान सर रितिका की तरफ देखने लगे ओर रितिका थोड़ा डर गई ओर शर्मा भी गई,,,

अरे शरमा क्यू रही है पगली,,जानता हूँ अब तू बड़ी हो गई है,,,,तभी लिफ्ट खुली ऑर हम लोग लिफ्ट से
बाहर आ गये,,,,,


ख़ान सर आगे चलने लगे ऑर मैं उनके पीछे तभी पीछे से रितिका ने मेरा हाथ पकड़ लिया,,,,ऐसा बोलने
की क्या ज़रूरत थी,,सीधी तरह नही बोल सकता था मैं तेरी दोस्त हूँ,,,,,देखा ख़ान भाई मुझे कैसे
देख रहे थे,,शायद उनको गुस्सा आ गया था,,,,,

तो फिर क्या हो गया,,,उन्होने कुछ बोला तो नही,,,,,ऑर मुझे कुछ सूझा नही मैं एक दम से जो मूह मे
आया बोल दिया,,वैसे मैने कुछ ग़लत तो नही बोला ना,,,,वो अभी भी मेरा हाथ पकड़ कर खड़ी हुई थी,,
चल हाथ छोड़ मुझे ख़ान सर से कोई बात करनी है,,,,,

क्या बात करनी है,,मुझे बता मैं बोल देती हूँ,,,,,

है कोई बात तू रुक मैं आता हूँ,उसने मेरा हाथ छोड़ा ओर मैं ख़ान सर के पास चाल गया,,,,,,

ख़ान भाई,,,,वो ज़ीप मे बैठ चुके थे,,,,,,

बोलो सन्नी,,,,

भाई आप इन लोगो के साथ क्या करोगे,,,,मैं अपने उन दोस्तो की तरफ उंगली करके बोला जो पोलीस वॅन मे बंद
थे ऑर वॅन मेरे पास ही खड़ी हुई थी,,,,,

तुमको क्या लगता है मैं क्या करूँगा इन लोगो के साथ,,,,,

आपको इनको मारोगे क्या,,,,,

नही सन्नी मैं बेक़सूर लोगो पर हाथ नही उठाता लेकिन उपर से ऑर्डर है तो इनको 1-2 दिन अंदर तो
रखना पड़ेगा,,,,,

भाई अगर बेक़सूर लोगो पर हाथ नही उठाया जाता तो बेक़सूर लोगो को बिना ग़लती के अंदर भी नही
रखना चाहिए,,,,,,

ठीक कह रहो हो तुम सन्नी,,,ऑर मैं तुम्हारी बात समझ भी गया हूँ,,,तुम फ़िक्र नही करो मैं 1-2 अवर्स
के बाद इनको छोड़ दूँगा,,,,,वो लोग वॅन मे बैठे हुए मुझे थॅंक्स्क्स्क्स बोलते जा रहे थे,,,वो कॅंटीन
वाला तो बस रोता ही जा रहा था,,,,,,

तुम सब फ़िक्र नही करो तुम लोगो को कुछ नही होगा ,,ख़ान सर ने बोला है तुम लोगो को 1-2 अवर्स बाद
रिहा कर दिया जाएगा,,,,,उनकी मजबूरी है वर्ना तुमको अभी रिहा कर देते,,,,,


रिहा तो मैं कर दूँगा लेकिन इन लोगो से बोलना कि 2-3 दिन कॉलेज नही जाए,,,,,क्यूकी एएसपी तो आज ही आया है
पोलीस स्टेशन लेकिन प्रिन्सिपल तो रोज ही होगा कॉलेज मे ,,,उसने तुम लोगो को देख लिया तो मेरी शिकायत
कर देगा,,,फिर मुझे मुश्किल हो जानी है,,,,,,,

सुन लिए तुम लोगो ने,,,,,,पोलीस स्टेशन से सीधा अपने अपने घर जाना ऑर 2-3 दिन कॉलेज मत आना,,


ठीक है सन्नी भाई,,,बहुत बहुत मेहरबानी आपकी,,,,



ख़ान सर की ज़ीप आगे निकल गई ओर पीछे पीछे पोलीस की वॅन भी चली गई,,,,

मैं अपनी बाइक की तरफ बढ़ने लगा तभी पीछे से रितिका ने फिर से मेरा हाथ पकड़ लिया,,,,

ओई किधर चला मूह उठाके ,,मुझे बोला कि वहाँ रूको मैं आया ओर अब खुद भाग रहा था,,,


सॉरी मैं तो भूल ही गया था,,,,,बोलो क्या काम है मेरे से,,,,,

कुछ नही बस कॉफी पीने को दिल कर रहा है ऑर मेरे पास पैसे नही,,,,,,

क्यू मज़ाक करती हो,,इतने बड़े बाप की बेटी हो,,चाहो तो कॉफी शॉप खरीद सकती हो ऑर बोलती हो पैसे
नही है,,,,,,

मेरा पर्स कार मे है ऑर कार की चाबी डॅड के पास ,,मैं उन्ही के साथ तो आई थी भाई को देखने,,,वो
थोड़ा नखरे से बोली,,,,अब तुझे कॉफी पिलानी है तो पिला वर्ना मैं चली,,

वो आगे चली गई ऑर मैं उसको आवाज़ देने लगा लेकिन वो नही रुकी,,,,मैं भी उसके पीछे पीछे चल पड़ा
ऑर वो सीधा कॉफी शॉप मे घुस गई ऑर कॉफी ऑर्डर करने लगी,,,,उसने कॉफी ऑर्डर की ऑर मैं पैसे
देके उसकी तरफ बढ़ने लगा तब तक वो एक टेबल पर जाके बैठ गई जो विंडो के पास था,,,,मैं भी उसके
पास जाके बैठ गया,,,,

तुम्हारा दोस्त कहाँ है आज कल नज़र नही आ रहा ,,,मोबाइल भी ऑफ है उसका,,,,,

वो अपने दोस्तो के साथ बाहर गया है कहीं,,,,,

दोस्तो एक साथ,,,,,,,,,लेकिन जहाँ तक मैं जानती हूँ उसका तो कोई दोस्त नही तुम्हारे सिवा,,,,

मुझे भी नही पता किस दोस्त के साथ गया है मुझे तो उसको मोम ने बताया था,,,,

अच्छा ये ख़ान भाई को कैसे जानते हो तुम,,,वो मुझसे बात करती हुई बार बार बाहर देख रही थी

ख़ान भाई सूरज भाई के दोस्त है,,,मैं उन्ही के ऑफीस मे मिला था उनको,,,,,

सूरज भाई कॉन है अब,,,,,,,

सूरज भाई कविता के भाई है,,उन्ही के ऑफीस मे मिला था मैं ख़ान भाई को,,,,वहीं मुलाक़ात हुई थी
मेरी ख़ान भाई से,,,,,

कविता कॉन कविता ?,,,,अच्छा वो तुम्हारी गर्लफ्रेंड

मेरी गर्लफ्रेंड,,,,तुझे किसको बोला वो मेरी गर्लफ्रेंड है,,,वो तो बस मेरी दोस्त है,,,,,,ऑर मेरी नही मेरी सिस सोनिया की
दोस्त है वो,,,हम लोग --- क्लास से साथ स्टडी कर रहे है,,,,

वो तुम्हारी गर्लफ्रेंड नही है,,,,,,?

नही ,,,सिर्फ़ अच्छी दोस्त है,,,,वैसे तेरी जानकारी के लिए बता दूं मेरी कोई गर्लफ्रेंड नही है,,ऑर ना गर्लफ्रेंड की ज़रूरत
है मुझे,,,,

जानती हूँ तुम ऐसे लड़के नही हो,,,ऑर इतना एक्सपेरिन्स हो गया है मुझे,,,तुम्हारी शराफ़त का,,उस दिन करण
के घर पे तुम चाहते तो मेरे साथ कुछ भी कर

वो अभी बोल रही थी तभी मैने उसके मूह पर हाथ रख दिया,,,,,बुरी बातों को याद नही करते,,दिल
दुख़्ता है उनसे,,,,याद करना है तो उन अच्छे पलों को याद करो जो तुमने करण के साथ बिताए,,उन
पलों को याद करके दिल को सकून मिलेगा,,,,खुशी होगी,,,,,बुरी यादें ऑर बुरी बातें जब पुरानी हो
जाती है तो उनको दोबारा से याद नही करना चाहिए,,वर्ना वो उन ज़ख़्मो को कुरेदने लगती है जिनको
वक़्त भर चुका होता है ऑर साथ ही उनपे नमक भी लगा देगी है,,,,,

मेरी बातें सुनकर वो चुप हो गई,,,,सही बोला था करण ने तुम सच मे बहुत अच्छे हो सन्नी,,,अक्सर
वो तुम्हारे बारे मे बहुत बात करता है,,

सिर्फ़ अच्छी बातें करता है,,,,कोई बुरी बात नही करता क्या मेरे बारे मे,,,,,

बुरी बात होगी तो करेगा ना,,,लेकिन तुमको जितना मैने जाना है मुझे नही लगता तुम मे कुछ बुरी बात
भी होगी,,,,जब देखो तुम्हारे बारे मे अच्छी बात ही सुन-ने को मिलती है,,ऑर आज देखने को भी मिली,,,

देखने को मिली,,,,,,क्या बात कर रही हो तुम मैं समझा नही,,,,,

वही जो तुम ख़ान सर से कह रहे थे,,उन बेक़सूर लोगो को रिहा करने के लिए,,,,मैं सब सुना,,,,तुम सच
मे बहुत अच्छे हो सन्नी,,,,,

कभी इंसान के बारे मे इतनी जल्दी कोई राई नही बनानी चाहिए रितिका,,,,मेरे कुछ पहलू सही है लेकिन मैं
भी इसी दुनिया का इंसान हूँ जहाँ कमिने ऑर ख़ुदग़र्ज़ लोग बस्ते है,,,,फिर भला मैं अच्छा कैसे हो सकता
हूँ,,,,,,हाँ कुछ अच्छी बातें ज़रूर है मेरे मे लेकिन उन चन्द बातों की वजह से मैं अच्छा इंसान
हूँ ऐसा मत सोचो तुम,,,

मुझे नही लगता सन्नी तुम मे कोई बुरी बात हो सकती है क्यूकी मैने तो जब भी देखी अच्छी बात देखी है
तुम मे,,,,,

फिर इधर उधर की बातें करते हुए हम लोगो ने कॉफी ख़तम की ऑर कॉफी शॉप से बाहर आ गये,,,

मैं अपने बाइक की तरफ जा रहा था रितिका भी मेरे साथ थी,,,,,,

ओह्ह शिट,,,,रितिका एक दम से बोली,,,,,,,,,,,



क्या हुआ रितिका,,,,,,

देखो ना बातों मे मैं इतनी बिज़ी हो गई कि पता नही चला कि डॅड कब चले गये,,,,,अब मैं घर
कैसे जाउन्गी,,,,मेरा तो मोबाइल ऑर पर्स भी कार मे ही था,,,,

कोई बात नही मैं तुमको घर ड्रॉप कर देता हूँ,,,,,

थॅंक्स्क्स्क्स सन्नी,,,,,,,,,

इसमे थन्क्ष्क्ष्क्ष की क्या बात,,,अगर मैं यहाँ होता तो क्या तुम अपनी कार मे मुझे घर ड्रॉप नही करती

हम बाइक के पास गये मैने बाइक स्टार्ट की ऑर रितिका मेरी पीछे बाइक पर बैठ गई,,,उसने सूट पहना हुआ
था ऑर वो दोनो टाँगें एक तरफ करके बैठी हुई थी,,,,,वो बहुत सिंपल लड़की थी ज़्यादा डुइत ही पहनती
थी लेकिन कभी कभी जियाब ओर टॉप भी पहन लेती थी ,,,इतने बड़े बाप की बेटी थी लेकिन नखरा बिल्कुल
नही था उसमे,,,वर्ना आजकल की लड़कियाँ 50000 की अक्तिवा ऑर 10000 का फोन लेके खुद को कहीं की
प्रिन्सेस समझने लगती है,,,,,,

खैर वो बाइक पर बैठ गई ऑर हम उसके घर की तरफ चल पड़े,,,रास्ते मे हमने को बात नही की बस
वो मुझे रास्ता बताती रही ऑर मैं बाइक चलाता रहा,,,,,,उसका घर एक बढ़िया एरिया मे था जहाँ बड़े
बड़े लोग ही रहते थे,,,,इतने बड़े बड़े घर थे वहाँ की देख कर दिल खुश हो गया,,फिर आया उसका
घर ,,जिसको देख मैं दंग रह गया,,,,साला मैं अपने घर को बड़ा घर कहता था लेकिन इसका घर देख
कर तो मुझे मेरा घर की माचिस की डिबिया जैसा लगने लगा था,,,,,,मैने बाइक को उसके घर के बाहर रोका
तभी दो लोग गन लेके बाहर आ गये,,,,,

जाओ अंदर,ये मेरा दोस्त है,,,रितिका ने इतना बोला तो वो लोग अंदर चले गये लेकिन गेट खुला हुआ था वो
लोग बाहर हम लोगो को ही देख रहे थे,,,,,

ओके अब मैं चलता हूँ,,,,

नही ऐसे कैसे जा सकते हो तुम पहली बार मेरे घर आए हो,,ऑर पहली बार जब किसी के घर जाते है तो
बाहर से ही वापिस नही जाते,,,,अब्स्गुन होता है ये,,,बुरी बात है,,,,

मैं कुछ कहता तभी रितिका का बाप बाहर आ गया,,,,,,हाँ सन्नी बेटा ये ठीक बोल रही है,,पहली बार
किसी के घर से ऐसे ही वापिस नही जाते,,,,चलो अंदर आओ,,,,

उनके कहने पर मैं अंदर जाने लगा तो रितिका के बाप ने एक आदमी को इशारा किया तो उसने आगे बढ़ कर
मेरे से मेरी बाइक को पकड़ लिया ऑर अंदर ले आया,,,मैं रितिका ओर उसके बाप के साथ चलके घर के अंदर
जाने लगा लेकिन वो लोग घर के अंदर नही बल्कि बाहर गार्डन मे एक बड़ी सी छतरी के नीचे बैठ
गये ,,,,,,,,

बोलो बेटा क्या लोगे,,चाइ या कॉफी,,,,,

जी नही शुक्रिया सर मैं अभी कॉफी लेके ही आया हूँ,,,,रितिका ने मेरी तरफ देखा ऑर इशारा किया तो
मैं समझ गया,,,,,उसने बाप को नही बताना कुछ भी,,,,

तो चलो फिर जूस पे लेते है,,,क्यू रितिका बेटा,,

जी पापा ,,,,मैं अभी लेके आती हूँ,,,,,

तुम क्यू,,,किसी को बोल दो,,,,तुम्हारा दोस्त आया है तुम उसके साथ बात करो यहाँ बैठ कर,,,,वैसे तुम
हॉस्पिटल मे कहाँ गुम हो गई थी,,,,सेल भी कार मे था तुम्हारा ऑर पार्स भी,,मैं तो परेशान हो
गया था,,,,,

कुछ नही डॅड हॉस्पिटल मे एक कॉलेज की फ्रेंड मिल गई थी उसी से बातें करने लगी थी ,,जब फ्री हुई तो
देखा आप चले गये थे,,,ये तो सन्नी मिल गया तो इसके साथ आ गई,,,,,

इसको कैसे जानती हो तुम,,,,,

कांटा....शीतल का समर्पण....खूनी सुन्दरी

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