अमन विला-एक सेक्सी दुनियाँ complete
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Re: अमन विला-एक सेक्सी दुनियाँ
raj bhai koi to rok lo kahane ke be update do bhai us kahane ko'poora bulk gayest how kkya
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Re: अमन विला-एक सेक्सी दुनियाँ
dost jaisa ki main aapko pahle bhi bata chuka hun wo kahani maine nahi likhi hai asli writer preetam hai jo abhi update nahi de raha haimaheshgarg wrote: ↑23 Nov 2017 22:24 raj bhai koi to rok lo kahane ke be update do bhai us kahane ko'poora bulk gayest how kkya
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Re: अमन विला-एक सेक्सी दुनियाँ
शुक्रिया दोस्तो अपडेट थोड़ी ही देर मे
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Re: अमन विला-एक सेक्सी दुनियाँ
उधर अमन कॉलेज के पीछे गार्डन में एक कोने में गुमसुम सा बैठा था। अनुम उसे सारे कॉलेज में देख चुकी थी आख़िरकार उसने अमन के दोस्त से पूछा-तुमने अमन को देखा है?
अमन के दोस्त ने कहा-“ शायद वो गार्डन में होगा…”
अनुम गार्डन की तरफ चल देती है। अमन उसे गुमसुम बैठा नज़र आ गया। अनुम दिल में-“आज तो इससे इसकी खामोशी के वजह निकालकर रहूंगी…”
अनुम अमन के पास बैठते हुए-“यहां क्यों बैठे हो देव बाबू?”
अमन-कुछ नहीं।
अनुम-“कुछ तो है। बता ना अमन क्या हुआ है तुझे? ठीक से बात भी नहीं करता मुझसे, कोई गलती हुई क्या या अम्मी ने तुझसे कुछ कहा है?”
अमन का मूड पहले से आफ था… ऊपर से अनुम के इतने सारे सवाल। अमन झुंझलाकर-“तू क्या मेरी बीवी है, वो इतने सारे सवाल पूछ रही है?”
अनुम अमन के इस तरह बात करने से ततलमिला जाती है। और अमन से मुँह मोड़ कर रोने लगती है-“मैं तो तुझसे इसलिये पूछ रही थी कि मुझे तू ऐसे अच्छा नहीं लगता…”
अमन अनुम को इस तरह रोते देख अपना सारा गुस्सा भूल जाता है, और अनुम को अपनी तरफ खींचने की कोशिश करता है। अनुम उसका हाथ झटक देती है। और सिसकने लगती है।
अमन-“दीदी दीदी, मेरी प्यारी दीदी, मुझे माफ कर दो। मैंने किसका गुस्सा तुमपे निकाल दिया। मेरे प्यारी दीदी देखो अभी तुम्हारे कान पकड़ता हूँ…”
अनुम-“हाँ गलती खुद कर और कान मेरे पकड़…” और अनुम अमन के सीने से लिपट के और रोने लगती है।
अमन का दिल भी भर आता है। वो किसी भी तरह अनुम को हंसाना चाहता था-“दीदी, मैंने आपके लिये एक शेर लिखा है। सूनाऊँ?”
अनुम अपना सिर बिना उठाये-हूँ।
अमन-गौर से सुनिएगा।
रोएं हम इस कदर उनके सीने से लिपटकर।
रोएं हम इस कदर उनके सीने से लिपटकर
की वो खुद अपनी टी-शट़ उतार के बोली।
दबा ले साले अब नाटक मत कर।
अनुम हाहाहाहा… मारे शरम के उसके सीने पे मुक्के बरसाती जाती है-“गंदा अमन, गंदा अमन…”
दोनों की हँसी नहीं रुक रही थी और इसी बीच अमन अनुम को अपनी बाहों में कस लेता है। और अनुम भी अपने भाई की बाहों में सिमटतेी चली जाती है।
अमन-“इतना प्यार करते हो मुझसे?”
अनुम-यकीन ना हो तो आजमा के देख ले।
अमन-“तेरी आँखों में तेरी मोहब्बत नज़र आती है। हमें ज़रूरत नहीं तुझे आजमाने की…” और अमन अनुम की पेशानी पे चूम लेता है। दोनों की सांसें तेज होने लगी थीं।
अनुम-चलो घर चलो, देर हो जायेगी।
अमन अनुम के गाल पे चिकोटी काटते हुए-हूँ।
अनुम-“अह्म्मह… अमन्न्न गंदा…” और कुछ देर बाद दोनों अपने घर की तरफ चल देते हैं।
रात 12:00 बजे-
फ़िज़ा और रेहाना के बीच कुछ खास बात नहीं हुई थी। फ़िज़ा रेहाना से बहुत नाराज थी। फ़िज़ा अपने रूम में बैठी हुई थी और रेहाना अपने बेडरूम में। रेहाना दिल में सोच लेती है कि अगर आज उसे फ़िज़ा से माफी भी माँगने पड़े तो वो माँगेगी, पर फ़िज़ा की खामोशी उसे अंदर ही अंदर मर रही थी। वो अपनी नाइटी में फ़िज़ा के रूम में चली जाती है।
फ़िज़ा रेहाना को अपने रूम में देखकर बेड पे लेट जाती है, और लाइट आफ कर देती है, जैसे उसे सोना है। और रेहाना यहाँ से जाओ पर रेहाना उसके पास आकर बेड पे लेट जाती है। फ़िज़ा दूसरी तरफ मुँह करके लेटी हुई थी।
रेहाना उसके पेट के पीछे से-“फ़िज़ा, मेरी तरफ देखो…”
फ़िज़ा-“मुझे आपकी कोई बात नहीं सुननी, आप यहाँ से जाओ…”
रेहाना-“एक बार मेरे बात सुन लो फ़िज़ा, उसके बाद चाहे जिंदगी भर मुझसे बात ना करना…”
फ़िज़ा रेहाना के तरफ मुँह कर लेती है-“क्या बताएंगी आप कि मैंने वो देखा, वो सुना वो नज़रों का धोखा था और आपने अमन के साथ कोई गलत नहीं किया…”
रेहाना-“पहले मेरे बात सुन लो, उसके बाद तुम वो फैसला कारेगी मुझे मंजूर होगा। फ़िज़ा, जब मेरी शादी तुम्हारे अब्बू से हुई, उस समय मेरी उमर बहुत कम थी। मगर मैंने तुम्हारे अब्बू के लिये एक सुलझी हुई औरत की तरह जिंदगी गुजारी। तुम्हारे अब्बू शराब पीते थे और शराब पीकर मुझे मारते थे। उस वक्त भी अमन तेरे अब्बू को रोक लेता था। वो छोटा था, मगर तेरे अब्बू उसके सामने मुझे मारते नहीं थे। हमारी शादीशुदा जिंदगी में कुछ खास नहीं रहा। मैं हर पल तेरे अब्बू के लिये तड़पी हूँ और तेरे अब्बू बाहर की रंगरेलियों में मस्त थे।
उस वक्त भी अमन मुझे समझाता था, एक मासूम बच्चे के तरह मेरे आँसू पोंछता था। मुझे उससे उस वक्त से मोहब्बत है।
तेरे अब्बू मुझसे हमारी शादीशुदा जिंदगी में सिर्फ़ 20 से 25 बार ही मेरे साथ हमबिस्तर हुए है, चुदाई की है। वो तो तेरे बड़े अब्बू के साथ दुबई जाने से थोड़ा सुधरे हैं। आज भी जब वो यहाँ आते हैं तो मैं अकेले ही रहती हूँ। फ़िज़ा, अमन जब छोटा था तबसे मेरा ख्याल रख रहा है, और आज भी रखता है। क्या मैं औरत नहीं? मेरा जिस्म पत्थर का नहीं है। फ़िज़ा मुझे भी मर्द का एहसास चाहिए, मेरे चूत में भी वो चाहिए जिसके लिये औरत तड़पती है। अब अगर मैंने अमन के साथ वो सब किया तो मुझे लगता है कि मैंने सही किया। क्योंकी मैं अमन से सच्ची मोहब्बत करती हूँ। और मुझे इस बात का कोई पछतावा नहीं है। फ़िज़ा बेटी, जब बेटी बड़ी हो जाती है तो सहेली बन जाती है। तू एक सहेली की तरह सोच कि क्या मैंने गलत किया? और रेहाना की आँखों से आँसू निकलने लगते हैं।
फ़िज़ा-“नहीं अम्मी, मुझे माफ कर दो। मैं आपको समझ नहीं पाई। प्लीज़ आप मत रोइये…” और फ़िज़ा रेहाना के सीने से चिपक जाती है। दोनों माँ बेटी एक दूसरे को समझा रही थी, दिलाशा दे रही थी और इस सब में उन्हें खयाल नहीं रहा कि वो किस पोजीशन में आ गई हैं। रेहाना और फ़िज़ा की नाइटी कमर के ऊपर हो चुकी थे। एक दूसरे की जाँघ में जाँघ रगड़ रही थी, चुचियाँ आपस में धँस गई थीं और एक दूसरे से इतने चिपके हुए थे कि एक दूसरे के होंठों से सिर्फ़ दो इंच का फासला था।
रेहाना-“ना मेरा बच्चा तू ना रो…” और रेहाना फ़िज़ा के पेशानी पे, फिर गाल पे चूम लेती है।
फ़िज़ा रेहाना से और चिपक जाती है। और अपनी चुचियाँ रेहाना की चुचियाँ पे घिसने लगती है-“अम्मी, मेरी अम्मी अह्म्मह…”
रेहाना की चूत तो 7 दिन से अमन के लण्ड के बिना उसकी भी प्यासी थी। दोनों एक दूसरे की आँखों में देखती हैं। और रेहाना फ़िज़ा के गुलाबी होंठों पे अपनी होंठ रख देती है।
फ़िज़ा-“उंह्म्मह… मुआह्म्मह… मुआह्म्मह…” और अपना मुँह खोल देती है-“या अम्मी…”
रेहाना फ़िज़ा की चुचियाँ पे डरते-डरते हाथ रख देती है। उसके हाथ पे फ़िज़ा अपना हाथ रखकर दबाने लगती है। दोनों की जाँघें एक दूसरे की चूत को छू रही थीं।
“उंह्म्मह… नहीं ओह्म्मह… उंह्म्मह… अम्मी उंन्ह…” दोनों भूल गये थे कि वो कहाँ है, और कौन है? चूत की आग होती ही ऐसी है।
रेहाना अपने नरम हाथों से फ़िज़ा की चुचियाँ मसलने लगती है, और फ़िज़ा की नाइटी उतारने लगती है-“उंह्म्मह… गलप्प्प-गलप्प्प… उंह्म्मह… ओह्म्मह…”
फ़िज़ा भी ऐसा ही करती है। कुछ पलों में दोनों माँ-बेटी पूरे नंगे हो चुके थे। रेहाना फ़िज़ा की गर्दन पे फिर नीचे चुचियों को अपने मुँह में लेकर चूसने लगती है गलप्प्प-गलप्प्प और एक हाथ से फ़िज़ा की अन चुदी चूत सहलाने लगती है।
अमन के दोस्त ने कहा-“ शायद वो गार्डन में होगा…”
अनुम गार्डन की तरफ चल देती है। अमन उसे गुमसुम बैठा नज़र आ गया। अनुम दिल में-“आज तो इससे इसकी खामोशी के वजह निकालकर रहूंगी…”
अनुम अमन के पास बैठते हुए-“यहां क्यों बैठे हो देव बाबू?”
अमन-कुछ नहीं।
अनुम-“कुछ तो है। बता ना अमन क्या हुआ है तुझे? ठीक से बात भी नहीं करता मुझसे, कोई गलती हुई क्या या अम्मी ने तुझसे कुछ कहा है?”
अमन का मूड पहले से आफ था… ऊपर से अनुम के इतने सारे सवाल। अमन झुंझलाकर-“तू क्या मेरी बीवी है, वो इतने सारे सवाल पूछ रही है?”
अनुम अमन के इस तरह बात करने से ततलमिला जाती है। और अमन से मुँह मोड़ कर रोने लगती है-“मैं तो तुझसे इसलिये पूछ रही थी कि मुझे तू ऐसे अच्छा नहीं लगता…”
अमन अनुम को इस तरह रोते देख अपना सारा गुस्सा भूल जाता है, और अनुम को अपनी तरफ खींचने की कोशिश करता है। अनुम उसका हाथ झटक देती है। और सिसकने लगती है।
अमन-“दीदी दीदी, मेरी प्यारी दीदी, मुझे माफ कर दो। मैंने किसका गुस्सा तुमपे निकाल दिया। मेरे प्यारी दीदी देखो अभी तुम्हारे कान पकड़ता हूँ…”
अनुम-“हाँ गलती खुद कर और कान मेरे पकड़…” और अनुम अमन के सीने से लिपट के और रोने लगती है।
अमन का दिल भी भर आता है। वो किसी भी तरह अनुम को हंसाना चाहता था-“दीदी, मैंने आपके लिये एक शेर लिखा है। सूनाऊँ?”
अनुम अपना सिर बिना उठाये-हूँ।
अमन-गौर से सुनिएगा।
रोएं हम इस कदर उनके सीने से लिपटकर।
रोएं हम इस कदर उनके सीने से लिपटकर
की वो खुद अपनी टी-शट़ उतार के बोली।
दबा ले साले अब नाटक मत कर।
अनुम हाहाहाहा… मारे शरम के उसके सीने पे मुक्के बरसाती जाती है-“गंदा अमन, गंदा अमन…”
दोनों की हँसी नहीं रुक रही थी और इसी बीच अमन अनुम को अपनी बाहों में कस लेता है। और अनुम भी अपने भाई की बाहों में सिमटतेी चली जाती है।
अमन-“इतना प्यार करते हो मुझसे?”
अनुम-यकीन ना हो तो आजमा के देख ले।
अमन-“तेरी आँखों में तेरी मोहब्बत नज़र आती है। हमें ज़रूरत नहीं तुझे आजमाने की…” और अमन अनुम की पेशानी पे चूम लेता है। दोनों की सांसें तेज होने लगी थीं।
अनुम-चलो घर चलो, देर हो जायेगी।
अमन अनुम के गाल पे चिकोटी काटते हुए-हूँ।
अनुम-“अह्म्मह… अमन्न्न गंदा…” और कुछ देर बाद दोनों अपने घर की तरफ चल देते हैं।
रात 12:00 बजे-
फ़िज़ा और रेहाना के बीच कुछ खास बात नहीं हुई थी। फ़िज़ा रेहाना से बहुत नाराज थी। फ़िज़ा अपने रूम में बैठी हुई थी और रेहाना अपने बेडरूम में। रेहाना दिल में सोच लेती है कि अगर आज उसे फ़िज़ा से माफी भी माँगने पड़े तो वो माँगेगी, पर फ़िज़ा की खामोशी उसे अंदर ही अंदर मर रही थी। वो अपनी नाइटी में फ़िज़ा के रूम में चली जाती है।
फ़िज़ा रेहाना को अपने रूम में देखकर बेड पे लेट जाती है, और लाइट आफ कर देती है, जैसे उसे सोना है। और रेहाना यहाँ से जाओ पर रेहाना उसके पास आकर बेड पे लेट जाती है। फ़िज़ा दूसरी तरफ मुँह करके लेटी हुई थी।
रेहाना उसके पेट के पीछे से-“फ़िज़ा, मेरी तरफ देखो…”
फ़िज़ा-“मुझे आपकी कोई बात नहीं सुननी, आप यहाँ से जाओ…”
रेहाना-“एक बार मेरे बात सुन लो फ़िज़ा, उसके बाद चाहे जिंदगी भर मुझसे बात ना करना…”
फ़िज़ा रेहाना के तरफ मुँह कर लेती है-“क्या बताएंगी आप कि मैंने वो देखा, वो सुना वो नज़रों का धोखा था और आपने अमन के साथ कोई गलत नहीं किया…”
रेहाना-“पहले मेरे बात सुन लो, उसके बाद तुम वो फैसला कारेगी मुझे मंजूर होगा। फ़िज़ा, जब मेरी शादी तुम्हारे अब्बू से हुई, उस समय मेरी उमर बहुत कम थी। मगर मैंने तुम्हारे अब्बू के लिये एक सुलझी हुई औरत की तरह जिंदगी गुजारी। तुम्हारे अब्बू शराब पीते थे और शराब पीकर मुझे मारते थे। उस वक्त भी अमन तेरे अब्बू को रोक लेता था। वो छोटा था, मगर तेरे अब्बू उसके सामने मुझे मारते नहीं थे। हमारी शादीशुदा जिंदगी में कुछ खास नहीं रहा। मैं हर पल तेरे अब्बू के लिये तड़पी हूँ और तेरे अब्बू बाहर की रंगरेलियों में मस्त थे।
उस वक्त भी अमन मुझे समझाता था, एक मासूम बच्चे के तरह मेरे आँसू पोंछता था। मुझे उससे उस वक्त से मोहब्बत है।
तेरे अब्बू मुझसे हमारी शादीशुदा जिंदगी में सिर्फ़ 20 से 25 बार ही मेरे साथ हमबिस्तर हुए है, चुदाई की है। वो तो तेरे बड़े अब्बू के साथ दुबई जाने से थोड़ा सुधरे हैं। आज भी जब वो यहाँ आते हैं तो मैं अकेले ही रहती हूँ। फ़िज़ा, अमन जब छोटा था तबसे मेरा ख्याल रख रहा है, और आज भी रखता है। क्या मैं औरत नहीं? मेरा जिस्म पत्थर का नहीं है। फ़िज़ा मुझे भी मर्द का एहसास चाहिए, मेरे चूत में भी वो चाहिए जिसके लिये औरत तड़पती है। अब अगर मैंने अमन के साथ वो सब किया तो मुझे लगता है कि मैंने सही किया। क्योंकी मैं अमन से सच्ची मोहब्बत करती हूँ। और मुझे इस बात का कोई पछतावा नहीं है। फ़िज़ा बेटी, जब बेटी बड़ी हो जाती है तो सहेली बन जाती है। तू एक सहेली की तरह सोच कि क्या मैंने गलत किया? और रेहाना की आँखों से आँसू निकलने लगते हैं।
फ़िज़ा-“नहीं अम्मी, मुझे माफ कर दो। मैं आपको समझ नहीं पाई। प्लीज़ आप मत रोइये…” और फ़िज़ा रेहाना के सीने से चिपक जाती है। दोनों माँ बेटी एक दूसरे को समझा रही थी, दिलाशा दे रही थी और इस सब में उन्हें खयाल नहीं रहा कि वो किस पोजीशन में आ गई हैं। रेहाना और फ़िज़ा की नाइटी कमर के ऊपर हो चुकी थे। एक दूसरे की जाँघ में जाँघ रगड़ रही थी, चुचियाँ आपस में धँस गई थीं और एक दूसरे से इतने चिपके हुए थे कि एक दूसरे के होंठों से सिर्फ़ दो इंच का फासला था।
रेहाना-“ना मेरा बच्चा तू ना रो…” और रेहाना फ़िज़ा के पेशानी पे, फिर गाल पे चूम लेती है।
फ़िज़ा रेहाना से और चिपक जाती है। और अपनी चुचियाँ रेहाना की चुचियाँ पे घिसने लगती है-“अम्मी, मेरी अम्मी अह्म्मह…”
रेहाना की चूत तो 7 दिन से अमन के लण्ड के बिना उसकी भी प्यासी थी। दोनों एक दूसरे की आँखों में देखती हैं। और रेहाना फ़िज़ा के गुलाबी होंठों पे अपनी होंठ रख देती है।
फ़िज़ा-“उंह्म्मह… मुआह्म्मह… मुआह्म्मह…” और अपना मुँह खोल देती है-“या अम्मी…”
रेहाना फ़िज़ा की चुचियाँ पे डरते-डरते हाथ रख देती है। उसके हाथ पे फ़िज़ा अपना हाथ रखकर दबाने लगती है। दोनों की जाँघें एक दूसरे की चूत को छू रही थीं।
“उंह्म्मह… नहीं ओह्म्मह… उंह्म्मह… अम्मी उंन्ह…” दोनों भूल गये थे कि वो कहाँ है, और कौन है? चूत की आग होती ही ऐसी है।
रेहाना अपने नरम हाथों से फ़िज़ा की चुचियाँ मसलने लगती है, और फ़िज़ा की नाइटी उतारने लगती है-“उंह्म्मह… गलप्प्प-गलप्प्प… उंह्म्मह… ओह्म्मह…”
फ़िज़ा भी ऐसा ही करती है। कुछ पलों में दोनों माँ-बेटी पूरे नंगे हो चुके थे। रेहाना फ़िज़ा की गर्दन पे फिर नीचे चुचियों को अपने मुँह में लेकर चूसने लगती है गलप्प्प-गलप्प्प और एक हाथ से फ़िज़ा की अन चुदी चूत सहलाने लगती है।
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Re: अमन विला-एक सेक्सी दुनियाँ
फ़िज़ा बेडशीट पकड़ते हुए-“उंह्म्मह… अम्मी अह्म्मह… अह्म्मह… अम्मी मेरी ऊओह्म्मह… अह्म्मह…” पहली बार फ़िज़ा की चुचियाँ और चूत पे किसी और ने कब्जा किया था और वो भी उसके अम्मी रेहाना ने। ये सोच-सोचकर फ़िज़ा की चूत पनिया जाती है-“अह्म्मह… उंह्म्मह…”
रेहाना और नीचे बढ़ते हुए फ़िज़ा की जाँघों के पास आ जाती है, और फ़िज़ा की चूत चौड़ी करती है। फ़िज़ा की चूत का परदा उसे खुश कर देता है। और वो फ़िज़ा की क्लिट को अपने मुँह में भरकर काटने लगती है।
फ़िज़ा-“अह्म्मह… आह्म्मह… अम्मी… अम्मी नहीं अह्म्मह… ओह्म्मह… मैं मर जाऊँगी… अम्मी नहीं अम्मी मैं मर जाऊँगी…”
पर रेहाना तो उसकी चूत को मुँह में लेकर ऐसी कल्पना कर रही थी, जैसे अमन का लण्ड चूस रही हो।
फ़िज़ा का पहला और तेज पानी रेहाना के मुँह पे गिरने लगता है। जिससे रेहाना को होश आता है। और वो और तेजी से फ़िज़ा की चूत चाटने लगती है-“ओह्म्मह… उंन्ह… हाँ हाँ…”
फ़िज़ा ठंडी पड़ी लंबी-लंबी सांसें ले रही थी-“अम्मी, मुझे दूध पीना है…”
रेहाना बेड पे एक करिट लेट जाती है, और फ़िज़ा के चेहरे को अपनी तरफ घुमाते हुए-“मुआह्म्मह… बेटा…”
फ़िज़ा-“अह्म्मह… गलप्प्प-गलप्प्प-गलप्प्प-गलप्प्प…” किसी छोटे बच्चे की तरह रेहाना की चुचियों को चूसने लगती है। दूध तो उसमें नहीं था मगर दोनों को ऐसे लग रहा था जैसे दूध निकल रहा हो।
रेहाना-हाँ हाँन्न्न… ऐसे ही बेटा उंह्म्मह… अह्म्मह… पी ले अपनी अम्मी का दूध अह्म्मह… मेरे बाटी उंह्म्मह… ओह्म्मह… तनचोड़ के पीना बेटा अह्म्मह… बहुत दूध है तेरे लिये हाँ ओह्म्मह…”
फ़िज़ा एक हाथ से रेहाना की चूत सहलाती है, अपनी दो उंगलियाँ रेहाना की चूत में डाल देती है और तेजी से अंदर-बाहर करने लगती है।
रेहाना-“अह्म्मह… अमन अह्म्मह… उसके मुँह से अमन, अमन निकल रहा था जैसे अमन उसे चोद रहा हो… अह्म्मह अमन…”
फ़िज़ा जान चुकी थे कि रेहाना अमन से बहुत प्यार करतेी है, और उसे अमन का मूसल लण्ड याद आने लगता है। वो उसकी अम्मी की चूत में सटासट अंदर-बाहर हो रहा था-“अह्म्मह… लो अम्मी, अमन का लण्ड अह्म्मह… ओह्म्मह… उंह्म्मह…”
रेहाना-“अह्म्मह… आह्म्मह… हाँ ओह्म्मह… चोदो मुझे अह्म्मह बेटा…” कुछ देर बाद दोनों 69 की पोजीशन में थे और एक दूसरे की चूत को खाए जा रही थीं, चूसे जा रही थीं-“अह्म्मह… गलप्प्प-गलप्प्प-गलप्प्प उंह्म्मह…”
फ़िज़ा अपनी अम्मी की चूत देखकर मचल गई थी-“उंह्म्मह… अम्मी आपकी चूत में अमन का लण्ड कैसे अंदर बदर हो रहा था… हाँ… उंह्म्मह…” और दोनों अमन के लण्ड को सोच-सोचकर चूत चूसने में लगी थी और फिर एक चीख के साथ दोनों पानी छोड़ने लगती हैं-“अह्म्मह… अह्म्मह… उंह्म्मह… अह्म्मह…” वो रात उन दोनों ने एक दूसरे की बाँहों में गुजारी।
दोनों माँ बेटी का ररश्ता बदल गया था और दोनों इस नये रिश्ते से खुश थी। रेहाना सो चुकी थे। पर नींद फ़िज़ा की आँखों से ओझल हो चुकी थी। उसे अमन का लण्ड और वो जबरदस्त चुदाई बस यही याद आ रहा था।
सूबा 7:00 बजे-
“अमन, उठो बेटा, कसरत नहीं करनी … क्या? उठो कब तक सोओगे?” रजिया अमन को कितने दिनों बाद उठा रही थी।
अमन जाग चुका था। पर उसने अपनी आँखें नहीं खोली थी। रजिया की आवाज़ से वो जान चुका था कि रजिया उसे माफ कर चुकी है। अमन आँखें खोलते हुए बेड पे बैठ जाता है। सामने रजिया अपनी नाइट ड्रेस में थी और किसी माशुका की तरह अमन को देख रही थी। रजिया बेड पे बैठने वाली थी कि अमन बेड से उठ जाता है। और बाथरूम में चला जाता है।
अमन का ये रवैया कहीं ना कहीं रजिया को सुलगा देता है, और वो उदास मन से अमन के रूम से बाहर चली जाती है। आज रजिया अमन के लिये उसकी पसंद का गाजर का हलवा बना रही थी।
अनुम डाइनिंग टेबल पे बैठते हुए-“अरे वाह अम्मी… गाजर का हलवा…, पर आज तो अमन का बर्थ-डे नहीं है…”
रजिया-“तो क्या मैं अपनी बेटे के लिये कुछ स्पेशल नहीं बना सकती?”
अमन भी फ्रेश होकर नाश्ता करने बैठ जाता है। हलवे की खुश्बू तो उसे पहले ही आ गई थी।
रजिया हलवा अमन के सामने रखते हुए-“देखो अमन, तुम्हारा पसंदीदा…”
अमन-“मुझे भूख नहीं है। दीदी अगर तुम तैयार हो तो कॉलेज चलें…”
अनुम-अरे, नाश्ता तो कर ले, अम्मी ने कितने प्यार से बनाया है।
अमन-“मैंने कहा ना मुझे भूख नहीं…” और अमन उठ जाता है।
रजिया का दिल अंदर ही अंदर सुलग रहा था। उसे अमन की ये बेरुखी खाए जा रही थी। वो अमन से लिपट के उसे मना लेना चाहती थे पऱ्र।
***** *****कॉलेज गेट पर
अनुम-तूने नाश्ता क्यों नहीं किया?
अमन-वो छोड़ो, मेरा पहला पीरियड आफ है। चलो गार्डन में जाकर बैठते हैं।
अनुम का भी मूड अमन से बातें करने का था-चलो।
दोनों गार्डन के एक कोने में जाकर बैठ जाते है। अमन दूर खड़ी एक लड़की को देखकर-36-24-36
अनुम-क्या कहा तूने?
अमन-कु…कु…कुछ नहीं, देखो कितना अच्छा मौसम है।
अनुम-झूठ मत बोल, मैंने सुना किसे कह रहा था?
अमन-“वो देखो सामने बेंच पे लड़की बैठी है, उसे…”
रेहाना और नीचे बढ़ते हुए फ़िज़ा की जाँघों के पास आ जाती है, और फ़िज़ा की चूत चौड़ी करती है। फ़िज़ा की चूत का परदा उसे खुश कर देता है। और वो फ़िज़ा की क्लिट को अपने मुँह में भरकर काटने लगती है।
फ़िज़ा-“अह्म्मह… आह्म्मह… अम्मी… अम्मी नहीं अह्म्मह… ओह्म्मह… मैं मर जाऊँगी… अम्मी नहीं अम्मी मैं मर जाऊँगी…”
पर रेहाना तो उसकी चूत को मुँह में लेकर ऐसी कल्पना कर रही थी, जैसे अमन का लण्ड चूस रही हो।
फ़िज़ा का पहला और तेज पानी रेहाना के मुँह पे गिरने लगता है। जिससे रेहाना को होश आता है। और वो और तेजी से फ़िज़ा की चूत चाटने लगती है-“ओह्म्मह… उंन्ह… हाँ हाँ…”
फ़िज़ा ठंडी पड़ी लंबी-लंबी सांसें ले रही थी-“अम्मी, मुझे दूध पीना है…”
रेहाना बेड पे एक करिट लेट जाती है, और फ़िज़ा के चेहरे को अपनी तरफ घुमाते हुए-“मुआह्म्मह… बेटा…”
फ़िज़ा-“अह्म्मह… गलप्प्प-गलप्प्प-गलप्प्प-गलप्प्प…” किसी छोटे बच्चे की तरह रेहाना की चुचियों को चूसने लगती है। दूध तो उसमें नहीं था मगर दोनों को ऐसे लग रहा था जैसे दूध निकल रहा हो।
रेहाना-हाँ हाँन्न्न… ऐसे ही बेटा उंह्म्मह… अह्म्मह… पी ले अपनी अम्मी का दूध अह्म्मह… मेरे बाटी उंह्म्मह… ओह्म्मह… तनचोड़ के पीना बेटा अह्म्मह… बहुत दूध है तेरे लिये हाँ ओह्म्मह…”
फ़िज़ा एक हाथ से रेहाना की चूत सहलाती है, अपनी दो उंगलियाँ रेहाना की चूत में डाल देती है और तेजी से अंदर-बाहर करने लगती है।
रेहाना-“अह्म्मह… अमन अह्म्मह… उसके मुँह से अमन, अमन निकल रहा था जैसे अमन उसे चोद रहा हो… अह्म्मह अमन…”
फ़िज़ा जान चुकी थे कि रेहाना अमन से बहुत प्यार करतेी है, और उसे अमन का मूसल लण्ड याद आने लगता है। वो उसकी अम्मी की चूत में सटासट अंदर-बाहर हो रहा था-“अह्म्मह… लो अम्मी, अमन का लण्ड अह्म्मह… ओह्म्मह… उंह्म्मह…”
रेहाना-“अह्म्मह… आह्म्मह… हाँ ओह्म्मह… चोदो मुझे अह्म्मह बेटा…” कुछ देर बाद दोनों 69 की पोजीशन में थे और एक दूसरे की चूत को खाए जा रही थीं, चूसे जा रही थीं-“अह्म्मह… गलप्प्प-गलप्प्प-गलप्प्प उंह्म्मह…”
फ़िज़ा अपनी अम्मी की चूत देखकर मचल गई थी-“उंह्म्मह… अम्मी आपकी चूत में अमन का लण्ड कैसे अंदर बदर हो रहा था… हाँ… उंह्म्मह…” और दोनों अमन के लण्ड को सोच-सोचकर चूत चूसने में लगी थी और फिर एक चीख के साथ दोनों पानी छोड़ने लगती हैं-“अह्म्मह… अह्म्मह… उंह्म्मह… अह्म्मह…” वो रात उन दोनों ने एक दूसरे की बाँहों में गुजारी।
दोनों माँ बेटी का ररश्ता बदल गया था और दोनों इस नये रिश्ते से खुश थी। रेहाना सो चुकी थे। पर नींद फ़िज़ा की आँखों से ओझल हो चुकी थी। उसे अमन का लण्ड और वो जबरदस्त चुदाई बस यही याद आ रहा था।
सूबा 7:00 बजे-
“अमन, उठो बेटा, कसरत नहीं करनी … क्या? उठो कब तक सोओगे?” रजिया अमन को कितने दिनों बाद उठा रही थी।
अमन जाग चुका था। पर उसने अपनी आँखें नहीं खोली थी। रजिया की आवाज़ से वो जान चुका था कि रजिया उसे माफ कर चुकी है। अमन आँखें खोलते हुए बेड पे बैठ जाता है। सामने रजिया अपनी नाइट ड्रेस में थी और किसी माशुका की तरह अमन को देख रही थी। रजिया बेड पे बैठने वाली थी कि अमन बेड से उठ जाता है। और बाथरूम में चला जाता है।
अमन का ये रवैया कहीं ना कहीं रजिया को सुलगा देता है, और वो उदास मन से अमन के रूम से बाहर चली जाती है। आज रजिया अमन के लिये उसकी पसंद का गाजर का हलवा बना रही थी।
अनुम डाइनिंग टेबल पे बैठते हुए-“अरे वाह अम्मी… गाजर का हलवा…, पर आज तो अमन का बर्थ-डे नहीं है…”
रजिया-“तो क्या मैं अपनी बेटे के लिये कुछ स्पेशल नहीं बना सकती?”
अमन भी फ्रेश होकर नाश्ता करने बैठ जाता है। हलवे की खुश्बू तो उसे पहले ही आ गई थी।
रजिया हलवा अमन के सामने रखते हुए-“देखो अमन, तुम्हारा पसंदीदा…”
अमन-“मुझे भूख नहीं है। दीदी अगर तुम तैयार हो तो कॉलेज चलें…”
अनुम-अरे, नाश्ता तो कर ले, अम्मी ने कितने प्यार से बनाया है।
अमन-“मैंने कहा ना मुझे भूख नहीं…” और अमन उठ जाता है।
रजिया का दिल अंदर ही अंदर सुलग रहा था। उसे अमन की ये बेरुखी खाए जा रही थी। वो अमन से लिपट के उसे मना लेना चाहती थे पऱ्र।
***** *****कॉलेज गेट पर
अनुम-तूने नाश्ता क्यों नहीं किया?
अमन-वो छोड़ो, मेरा पहला पीरियड आफ है। चलो गार्डन में जाकर बैठते हैं।
अनुम का भी मूड अमन से बातें करने का था-चलो।
दोनों गार्डन के एक कोने में जाकर बैठ जाते है। अमन दूर खड़ी एक लड़की को देखकर-36-24-36
अनुम-क्या कहा तूने?
अमन-कु…कु…कुछ नहीं, देखो कितना अच्छा मौसम है।
अनुम-झूठ मत बोल, मैंने सुना किसे कह रहा था?
अमन-“वो देखो सामने बेंच पे लड़की बैठी है, उसे…”
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`·.¸.·´ -- Raj sharma
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