मैं धीरे धीरे सीडियो से नीचे तहख़ाने में आया...चारो ओर एक अज़ीब सी बदबू छाई हुई थी.....मैने माशालो में आग लगाई जो दीवार में फासी हुई थी वो जली नही मैं मशाल लिए नीचे उतरा अचानक देखता हूँ एक क़बर बंद पड़ी है उसपे धूल मिट्टी जमी हुई है....मुझे उसी रात याद आया कि किस तरह पिशाच अपने रानी को लिए इस तहख़ाने में दाखिल हुआ था
मेरा पूरा बदन सिहर उठा...मैने जल्दी से पास जाके उस क़बर को खिसकाने की कोशिश की पूरी ताक़त लगाई और मैने उस क़बर को खोल डाला और तभी एक हाथ एकदम से बाहर निकला वो हाथ किसी इंसान का नही था....
.चार्ल्स के पाँव को अचानक किसी हाथ ने पकड़ लिया...."आहह"......चार्ल्स चिल्लाके गिर पड़ा....उसके उपर हावी होती वो पिशाच उसके करीब आने लगी उसकी गर्दन पे उसकी निगाहें थी.."ब..चाओ नहियिइ नहिी".......चार्ल्स ने क्रॉस को निकालना चाहा पर उसे पिशाच ने बहुत कस्स्के जकड़ा हुआ था.....और ठीक उसी पल वो दाँत उसके चेहरे के एकदम करीब बढ़ने लगे......और ठीक तभी उसे बला को जकड़ते हुए शीबा ने दूसरी ओर फ़ैक् डाला चार्ल्स शीबा को देख कर हड़बड़ा उठा
शीबा उसे अपनी खौफनाक भरी निगाहो से देख रही थी...वो पिसाच उसे ही घूर्र रहा था और दोनो एक दूसरे पे जैसे हावी हो गये...चार्ल्स घबराए हुए उनकी ओर देख रह था....शीबा ने उसकी गर्दन पे दाँत गढ़ा दिए और उसकी गर्दन को मरोड़ डाला....वो पिशाच तड़प्ते हुए ज़मीन पे गिर पड़ा..चार्ल्स ने उसकी छाती पे क्रॉस गाढ दिया.....वो चिल्ला उठी और उसके बाद राख बनके गायब
चार्ल्स : तुमने मेरी जान बचाई उसका शुक्रिया
शीबा : आसिफ़ कहाँ है?
चार्ल्स : वो तहखानो में गया है ड्रॅक्यूला की लाश को ढूँढने
शीबा : क..क्या? आपने उसे अकेले क्यूँ भेजा???
चार्ल्स : वो माना नही
शीबा की निगाहें भारी होने लगी और वो तेज़ी से क़िले की ओर भागने लगी....चार्ल्स चिल्लाता रह गया पर वो नही रुकी..
.धीरे धीरे उस तहख़ाने से निकलता एक जिस्म ठहाका लगाते हुए बाहर निकाला....आसिफ़ एकदम घबरा गया वो पिशाचनी कोई और नही राजा की बीवी रानी क्रिसटीना थी....जो खून की महेक को सूंघते हुए अपने सामने खड़े आसिफ़ की ओर देखने लगी...
"वही ठहर जाओ तुम नापाक शैतान वरना तुम्हारी गर्दन को सर से अलग कर दूँगा"........आसिफ़ ने उसे ललकारा...
लेकिन वो पिशाचनी धीरे धीरे क़बर से उतरते हुए उसकी ओर आने लगी..."हा हा हा हा शिकार खुद यहाँ चलके आया है और अब तुम्हें अहसास होगा मौत के कहेर का".......
दीवार के उपर के माले पे घूम रहे राजा स्किवोच ने मेरी ओर देख कर ठहाका लगाते हुए कहा...."मेरे पास आओ मेरे करीब"......वो शैतान बेहद मेरे करीब था....अब धीरे उसका चेहरा मेरी गर्दन के करीब आने लगा...कोई चीज़ मुझे उसकी तरफ खींचें जा रही थी....मेरे हाथ बार बार तलवार को नीचे किए जा रहे थे
और ठीक उसी पल ड्रॅक्यूला मुस्कुराने लगा.....इतने मे एक आवाज़ मुझे अपने कानो में पड़ी "रुक्क जाऊओ"........शीबा बाजी की आवाज़ को सुन मैं काँप उठा और इतने मे उस पिशाचनी ने मुझपे अभी हमला करा ही था...कि इतने में मेरी तलवार उसके पेट के आर पार होती चली गयी....
"आहह उघह"......."क्रिस्ट्टिन्नॅयायया".........दहाड़ उठा राजा स्किवोच
और ठीक तलवार को आर पार करते हुए एक ही झटके में उसे बाहर खींचा क्रिसटीना अपने ज़ख़्म पे हाथ रखके ज़मीन पे गिरने को हो गयी और उसे ड्रॅक्यूला ने उसी पल बाहों में समा लिया..."ओह्ह क्रिस्टीना न्हीई नहिी मुझी तुम छोड़के नही जा सकती क्रस्टिना क्र्स्टिना".....और गूँज़ उठी कान के पर्दो को फाड़ देने वाली वो दहाड़...जिसे सुनके चार्ल्स भी क़िले की ओर देखने लगा ख़ौफ़ से.....तूफान काला बादल बनके पूरे क़िले को घेर चुका था....क्रिसटीना की लाश राख बनके ड्रॅक्यूला के हाथो से गिरती चली गयी....लेकिन इस बार उसकी नज़रों मे हिंसा थी और वो बहुत ही तेज़ी से फुकार मारते हुए मेरी ओर दहाड़ उठा....पूरा क़िला मानो काँपने लगा.."तुमने मुझसे प्यार छीन लिया मैं तुम दोनो मार डालूँगा"........राजा हमारी ओर आने लगा...शीबा बाजी की गर्दन उसके हाथो में जकड़ी जा चुकी थी...उसकी खौफनाक आखे शीबा बाजी की ओर गढ़ सी चुकी थी
सिफली अमल ( काला जादू ) complete
- sexi munda
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Re: सिफली अमल ( काला जादू )
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Re: सिफली अमल ( काला जादू )
बहुत ही अच्छा अपडेट है दोस्त
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Re: सिफली अमल ( काला जादू )
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- sexi munda
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Re: सिफली अमल ( काला जादू )
मैने फ़ौरन बाजी की गर्दन पे जकड़े उन हाथो पे तलवार चला दी….और ठीक उसी पल हाथ कट के नीचे गिर पड़े….दहाड़ते हुए वो शातान पीछे होने लगा…..बाहर का तूफान थमने का नाम नही ले रहा था चारों ओर एक गहरा अंधेरा सा छाया हुआ था…
.और ठीक उसी वक़्त मशाल लिए बस्ती का हर आदमी क़िले की तरफ बढ़ने लगा….चार्ल्स ने उन्हें रोका लोगो के दिलो में गुस्सा फैल चुका था और अब वो मिलके उस खंडहर को आग लगाने वाले थे….चारो ओर की हवाओं में एक अज़ीब सा ख़ौफ़ था
ड्रॅक्यूला दहाड़ते हुए किसी जानवर की तरह शीबा बाजी और मेरे पीछे दौड़ पड़ा…मैं शीबा बाजी का हाथ पकड़े सीडियो से उपर आके तहख़ाने का दरवाजा जैसे ही बंद करने को हुआ इतनी देर में दरवाजा अपने आप खुल गया….
”तुम लोग यहाँ से ज़िंदा नही जाने वाले”….एक बेहद दोहरी आवाज़ हमारे कानो के पर्दे को फाड़ने को हो गयी
शीबा बाजी ने चिल्लाया कि मैं वहाँ से भाग जाउ पर मैं उन्हें राजा के करीब आने से रोक रहा था….तभी बादल की गरजते हुए बिजलिया शीशे को तोड़ते हुए अंदर दाखिल हुई ठहाका लगाते हुए वो राजा बेहद करीब आने लगा उसके नुकीले दाँत मेरी ओर ही बढ़ने लगे...लेकिन उसी पल लूसी उनके सामने खड़ी हुई थी
और मेरी उसी पल चीख निकली “लूसी”……उस शैतान की निगाहें लूसी की ओर थी और उसे अपने सम्मोहन में खीचते हुए उसने अपने दाँत उसकी गर्दन पे गाढ दिए थे…उग्घ्ह लूसी की सिर्फ़ इतनी सी आहह निकली उसकी आवाज़ उसके गले में घुट के रह गयी…राजा के दाँतों से निकाला पुर्ज़ ज़हेर उसके मृत शरीर में जाने लगा….फिर उसका खून बहने लगा..बाजी ने मुझे कस्के पकड़ लिया था मैं बस छटपटाया और बेबसी में रोए जा रहा था
और जब उसने लूसी को अपनी गिरफ़्त से छोड़ा तो उसका बेजान जिस्म ज़मीन पे गिर पड़ा…मैने उसे जगाया लूसी कराह रही थी “आहह उग्घह मार दो मुझे आसिफ्फ म..मेरे अंदर..र्र शैत्तान्नू का ज़हेर आ गया..आया हाईईइ शा..यद ये साथ कुछ पॅलो का ही सही लेकिन मैं अपने निर्दयी हाथो से तुम्हें जान से नही मार सकती आहह मुझे..ही मांफ करना”……
मैं चुपचाप बस आँखो में आँसू लिए उन पलों को याद करने लगा जब मुझे लूसी मिली थी शायद वो अपनापन दोस्ती से बढ़के था….उसकी वजह से आज मैं और बाजी एक हो सके…मैने अपनी आँखो को बंद करके उसके सीने में तलवार घुसा डाली..उसकी एक चीख निकली और उसके बाद उसका जिस्म जलता हुआ कोयले की तरह राख में तब्दील हो गया…
चार्ल्स और गाओं वाले अंदर दाखिल हुए क़िले को आग लगा चुके थे…”फ़ौरान चले आओ आसिफ्फ एशा”….उसकी आवाज़ को सुन मैं जैसे ही पीछे मुड़ा शीबा बाजी को अपनी गिरफ़्त में लिए राजा बाहर की ओर उड़ने लगा…मैने अपनी तलवार को लिया और दौड़ते हुए उसी दिशा की ओर कुदा मेरी तलवार राजा के पाँव को छूते हुए निकल गयी…राजा मेरी ओर ठहाका लगाए हँसने लगा
“आहह आअहह य्ाआअ”……..एक बार और वो दहाड़ उठी…और इस बार मैं अपने कपड़ों को फाड़ भेड़िए में तब्दील हो चुका था गाओं वाले ख़ौफ़ से बाहर की ओर भागे
“ठहर जाओ उससे डरो नही”……..शापित भेड़िया दीवारो पे चढ़ता हुआ ड्रॅक्यूला को महल से निकलने से पहले ही उसके जुतो को पकड़ चुका था और उसकी टाँगों को मज़बूती से पकड़े ज़मीन की ओर उसे गिरा दिया…राजा के बाजुओं से शीबा बाजी का बेहोश जिस्म छूट गया….और फुरती से भेड़िया उसे अपनी बाहों मे लेके फर्श पे कूद गया….बाजी बेहोश पड़ी थी जिसे उसने लिटा दिया….भेड़िया दहाड़ता हुआ ड्रॅक्यूला की गर्दन को जकड़े उसपे हावी हो चुका था
इस बार दो शैतान आपस में अंधाधुंध लड़ाई करने लगे….दोनो एक दूसरे पे पंजो का वार करने लगे…ड्रॅक्यूला भेड़िए को काटने की कोशिश करने लगा भेड़िया ने उसे दीवार में धसा दिया और उसे गर्दन से पकड़े फिर दूसरी ओर फ़ैक् डाला….ड्रॅक्यूला दर्द से कराहते हुए भेड़िए पे झपट पड़ा….इन शैतानों की लड़ाई का हर कोई गवाह था जो सामने दिख रहा था…दोनो आपस में काफ़ी देर तक लड़ाई करते रहे भेड़िए ने बेदर्दी से ड्रॅक्यूला की गर्दन पे दाँतों को गाढ दिया और उसे खींचता हुआ किसी लाश की तरह बाहर ले जाने लगा…हर कोई रास्ते से हट चुका था…क़िला ढहने लगा सब लोग भांगने को हुए
तब तक चार्ल्स भी बचते हुए शीबा बाजी को अपनी कंधे पे उठाए बाहर की ओर भागा….क़िले के अंदर रह गये दोनो शैतान….आपस में लड़ते हुए…डार्क्युला चीख रहा था चिल्ला रहा था दहाड़ रहा था….भेड़िया उसे छत पे ले आया….चारो ओर आग की लपटें जर्जर इमारत को गिरा रही थी बलाओ की चीख गूँज़ रही थी पूरे महल में
जल्द ही वो उमड़ा तूफान सॉफ होने लगा और सूरज फिरसे निकलने को हुआ…..”नही नहियीई”……..खुदा की वो रोशनी थी जो इस इब्लीस पे पड़ने वाली थी जिसके ख़ौफ़ से वो अपने चेहरे पे हाथ रखे हुए था ना जाने क्यूँ आसिफ़ को विश्वास था यकीन था कि एक ना एकदिन वो इस रास्ते पे ज़रूर भटक के वापिस लौटेगा जहाँ खुदा उसकी मदद करेगा उसने ड्रॅक्यूला को हवा में दूर फ़ैक् दिया और ठीक उसी पल सूरज की तेज़ रोशनी काले बदल के आर पारहोती हुई ड्रॅक्यूला के उपर पड़ी
.और ठीक उसी वक़्त मशाल लिए बस्ती का हर आदमी क़िले की तरफ बढ़ने लगा….चार्ल्स ने उन्हें रोका लोगो के दिलो में गुस्सा फैल चुका था और अब वो मिलके उस खंडहर को आग लगाने वाले थे….चारो ओर की हवाओं में एक अज़ीब सा ख़ौफ़ था
ड्रॅक्यूला दहाड़ते हुए किसी जानवर की तरह शीबा बाजी और मेरे पीछे दौड़ पड़ा…मैं शीबा बाजी का हाथ पकड़े सीडियो से उपर आके तहख़ाने का दरवाजा जैसे ही बंद करने को हुआ इतनी देर में दरवाजा अपने आप खुल गया….
”तुम लोग यहाँ से ज़िंदा नही जाने वाले”….एक बेहद दोहरी आवाज़ हमारे कानो के पर्दे को फाड़ने को हो गयी
शीबा बाजी ने चिल्लाया कि मैं वहाँ से भाग जाउ पर मैं उन्हें राजा के करीब आने से रोक रहा था….तभी बादल की गरजते हुए बिजलिया शीशे को तोड़ते हुए अंदर दाखिल हुई ठहाका लगाते हुए वो राजा बेहद करीब आने लगा उसके नुकीले दाँत मेरी ओर ही बढ़ने लगे...लेकिन उसी पल लूसी उनके सामने खड़ी हुई थी
और मेरी उसी पल चीख निकली “लूसी”……उस शैतान की निगाहें लूसी की ओर थी और उसे अपने सम्मोहन में खीचते हुए उसने अपने दाँत उसकी गर्दन पे गाढ दिए थे…उग्घ्ह लूसी की सिर्फ़ इतनी सी आहह निकली उसकी आवाज़ उसके गले में घुट के रह गयी…राजा के दाँतों से निकाला पुर्ज़ ज़हेर उसके मृत शरीर में जाने लगा….फिर उसका खून बहने लगा..बाजी ने मुझे कस्के पकड़ लिया था मैं बस छटपटाया और बेबसी में रोए जा रहा था
और जब उसने लूसी को अपनी गिरफ़्त से छोड़ा तो उसका बेजान जिस्म ज़मीन पे गिर पड़ा…मैने उसे जगाया लूसी कराह रही थी “आहह उग्घह मार दो मुझे आसिफ्फ म..मेरे अंदर..र्र शैत्तान्नू का ज़हेर आ गया..आया हाईईइ शा..यद ये साथ कुछ पॅलो का ही सही लेकिन मैं अपने निर्दयी हाथो से तुम्हें जान से नही मार सकती आहह मुझे..ही मांफ करना”……
मैं चुपचाप बस आँखो में आँसू लिए उन पलों को याद करने लगा जब मुझे लूसी मिली थी शायद वो अपनापन दोस्ती से बढ़के था….उसकी वजह से आज मैं और बाजी एक हो सके…मैने अपनी आँखो को बंद करके उसके सीने में तलवार घुसा डाली..उसकी एक चीख निकली और उसके बाद उसका जिस्म जलता हुआ कोयले की तरह राख में तब्दील हो गया…
चार्ल्स और गाओं वाले अंदर दाखिल हुए क़िले को आग लगा चुके थे…”फ़ौरान चले आओ आसिफ्फ एशा”….उसकी आवाज़ को सुन मैं जैसे ही पीछे मुड़ा शीबा बाजी को अपनी गिरफ़्त में लिए राजा बाहर की ओर उड़ने लगा…मैने अपनी तलवार को लिया और दौड़ते हुए उसी दिशा की ओर कुदा मेरी तलवार राजा के पाँव को छूते हुए निकल गयी…राजा मेरी ओर ठहाका लगाए हँसने लगा
“आहह आअहह य्ाआअ”……..एक बार और वो दहाड़ उठी…और इस बार मैं अपने कपड़ों को फाड़ भेड़िए में तब्दील हो चुका था गाओं वाले ख़ौफ़ से बाहर की ओर भागे
“ठहर जाओ उससे डरो नही”……..शापित भेड़िया दीवारो पे चढ़ता हुआ ड्रॅक्यूला को महल से निकलने से पहले ही उसके जुतो को पकड़ चुका था और उसकी टाँगों को मज़बूती से पकड़े ज़मीन की ओर उसे गिरा दिया…राजा के बाजुओं से शीबा बाजी का बेहोश जिस्म छूट गया….और फुरती से भेड़िया उसे अपनी बाहों मे लेके फर्श पे कूद गया….बाजी बेहोश पड़ी थी जिसे उसने लिटा दिया….भेड़िया दहाड़ता हुआ ड्रॅक्यूला की गर्दन को जकड़े उसपे हावी हो चुका था
इस बार दो शैतान आपस में अंधाधुंध लड़ाई करने लगे….दोनो एक दूसरे पे पंजो का वार करने लगे…ड्रॅक्यूला भेड़िए को काटने की कोशिश करने लगा भेड़िया ने उसे दीवार में धसा दिया और उसे गर्दन से पकड़े फिर दूसरी ओर फ़ैक् डाला….ड्रॅक्यूला दर्द से कराहते हुए भेड़िए पे झपट पड़ा….इन शैतानों की लड़ाई का हर कोई गवाह था जो सामने दिख रहा था…दोनो आपस में काफ़ी देर तक लड़ाई करते रहे भेड़िए ने बेदर्दी से ड्रॅक्यूला की गर्दन पे दाँतों को गाढ दिया और उसे खींचता हुआ किसी लाश की तरह बाहर ले जाने लगा…हर कोई रास्ते से हट चुका था…क़िला ढहने लगा सब लोग भांगने को हुए
तब तक चार्ल्स भी बचते हुए शीबा बाजी को अपनी कंधे पे उठाए बाहर की ओर भागा….क़िले के अंदर रह गये दोनो शैतान….आपस में लड़ते हुए…डार्क्युला चीख रहा था चिल्ला रहा था दहाड़ रहा था….भेड़िया उसे छत पे ले आया….चारो ओर आग की लपटें जर्जर इमारत को गिरा रही थी बलाओ की चीख गूँज़ रही थी पूरे महल में
जल्द ही वो उमड़ा तूफान सॉफ होने लगा और सूरज फिरसे निकलने को हुआ…..”नही नहियीई”……..खुदा की वो रोशनी थी जो इस इब्लीस पे पड़ने वाली थी जिसके ख़ौफ़ से वो अपने चेहरे पे हाथ रखे हुए था ना जाने क्यूँ आसिफ़ को विश्वास था यकीन था कि एक ना एकदिन वो इस रास्ते पे ज़रूर भटक के वापिस लौटेगा जहाँ खुदा उसकी मदद करेगा उसने ड्रॅक्यूला को हवा में दूर फ़ैक् दिया और ठीक उसी पल सूरज की तेज़ रोशनी काले बदल के आर पारहोती हुई ड्रॅक्यूला के उपर पड़ी
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Re: सिफली अमल ( काला जादू )
नहियीईईईईई…एक तेज़ चीख निकली और ड्रॅक्यूला का शरीर धीरे धीरे धुए में तब्दील होने लगा और कुछ ही पलों में उसकी हड्डिया चटकने लगी और उसकी अबतक की जीवित लाश जल के राख होने लगी.…ड्रॅक्यूला अपनी बेदर्द मौत को महसूस करता हुआ मारा गया….और लाश की बजाय रह गया वहाँ चारो ओर एक काला निशान
“हवववववववववववव”…….भेड़िए ने एक बहुत ज़ोर की आवाज़ निकाली और इस बार गाओं के सभी लोग उस दृश्य को देखने लगे…धूप की रोशनी में भेड़िए का जिस्म जलने लगा और जल्द ही उसके पूरे बदन से धुआ निकलने लगा और जल्द ही वो इंसान में तब्दील होता चला आया उसने फ़ौरन छलाँग लगा दी
और ठीक उसी पल वो ज़मीन पे कूदके गिर पड़ा…उसके पूरे जिस्म से धुआ निकलने लगा “आए खुदा इस बात का मैं पहला गवाह हूँ”…….चार्ल्स ने खुदा का शुक्रिया अदा किया और आसिफ़ की ओर देखा जो निढाल होके बदहवास उठ खड़ा हुआ….उसने आसमान की तरफ देखा और उस निकलते सूरज की आगे अपने हाथ फैलाए “या अल्लहह तूने मुझे मांफ किया है शायद ये तेरा ही करिश्मा था जो आज मुझे मेरी बाजी वापिस मिली और शायद मैं इस शाप से आज़ाद हो गया वरना मैं भी जलकर राख हो जाता मैं तेरे आगे अपने गुनाहो के लिए तेहदिल से मँफी माँगता हूँ”……आसिफ़ ने घुटनों के बल बैठके अपने हाथ सूरज की ओर उठाए और अपनी आँखे बंद कर ली उसकी मुस्कान में जीत की खुशी थी और खंडहर की जर्जर इमारत अपने आप एक एक करके ढहते हुए तबाह हो गयी
चार्ल्स जीत की खुशी में अपने आँसू पोछ रहा था ड्रॅक्यूला का अंत हो चुका था और उसके पिशाचो का भी गाओं वाले आसिफ़ को देख कर सहम उठे थे पर अब उनकी नज़रों में भी आसिफ़ किसी फरिश्ते से कम नही था उनके लिए शीबा जो कपड़ा ओढ़े हुए अपने भाई की जीत पे खुश हो रही थी आख़िरकार उसके भाई ने एक बार फिर अपनी बाजी को दोजख जाने से वापिस खींच लिया था
अगले दिन काफ़ी ज़ोरो से बरफबारी हुई थी....पिछली रात जब मैने राजा स्किवोच और उसके पिशाचो का ख़ात्मा किया उसी ही पल गाओं वालो की निगाहो में मैं किसी फरिश्ते से उन्हे कम ना लगा...आजतक उस बस्ती पे हो रहे ज़ुल्म का ख़ात्मा आज जाके हुआ...राजा स्किवोच उर्फ ड्रॅक्यूला का आतंक अब थम चुका था....और यही नही अल्लाह के फ़ज़ल से सूरज की रोशनी के बावजूद भी मैं बचा रहा...लेकिन मुझे महसूस हो सकता था कि मेरे अपने जिस्म से कुछ भारीपन मानो उतर सा गया था...शाप से मैं आज़ाद था...अब मैं कोई दरिन्दा बनने वाला नही था लिलिता का शाप टूट चुका था...शायद अल्लाह ने मुझे मांफ कर दिया था..पूरे रात जश्न मनाया गया था जिसमें मैं और बाजी शरीक हुए हालाँकि उनकी निगाहो में बाजी एक मात्र पिशाच बची हुई थी पर उन्हें ख़ौफ़ नही सताया कि वो उन्हें कोई नुकसान पहुचाएगी...रात कब कैसे ढली थी मालूम नही? पर वो चैन और खामोशी की रात थी काले साए इस इलाक़े से दूर दूर तक हट चुके थे...अब वो जंगल महेज़ सिर्फ़ एक जंगल ही लग रहा था खून पीते पिशाच और शैतानी भेड़ियों का आतंक ख़तम हो चुका था जिस बात का हरपल ये लोग फिकर किया करते थे...लेकिन अब उनके फरिश्ते को विदा लेनी थी मुझे अब बाजी के साथ एक नयी ज़िंदगी तलाशने अपने लिए जाना था
"हम तुम्हारा यह अहसान ज़िंदगी भर नही भूलेंगे".......चार्ल्स और बस्ती के लोग बरफ बारी के वक़्त सड़क पर खड़े हमे विदा करने आए थे...
"ऐसा नही है ये सब सिर्फ़ आपकी बदौलत हुआ".......मैने मुस्कुरा के चार्ल्स के हाथ पे हाथ रखा....
"तुम जिस नेक इरादे से आए थे वो तो ईश्वर की इच्छा से तुम्हें मिल गया तुम्हारी बाजी सच में ये मुहब्बत मौत से भी बढ़कर है खून के प्यास से भी बढ़कर जो एक दरिंदे को एक इंसान से यूँ जोड़ देता है"............चार्ल्स ने शीबा बाजी की ओर देखा जिन्होने मुस्कुरा के नज़रें झुका ली
मैं : शायद लेकिन मुझे इस बात की खुशी है कि आपने और इन बस्तीवालो ने हमारी इतनी मदद की अब ना तो कोई साया इस बस्ती पे गुज़रेगा और ना ही कभी कोई क़बर से पिशाच निकलेगा बस दुख है कि कुछ अपनो को छोड़ने जा रहा हूँ कूछो को खोया सिर्फ़ अपनी बाजी को लेके ही यहाँ से जा रहा हूँ (दुख लूसी के लिए था जो मुझे बेहद याद आ रही थी इन्ही हाथो से मैने उसे ख़तम कर डाला था जिस बात का बेहद अफ़सोस था)
“हवववववववववववव”…….भेड़िए ने एक बहुत ज़ोर की आवाज़ निकाली और इस बार गाओं के सभी लोग उस दृश्य को देखने लगे…धूप की रोशनी में भेड़िए का जिस्म जलने लगा और जल्द ही उसके पूरे बदन से धुआ निकलने लगा और जल्द ही वो इंसान में तब्दील होता चला आया उसने फ़ौरन छलाँग लगा दी
और ठीक उसी पल वो ज़मीन पे कूदके गिर पड़ा…उसके पूरे जिस्म से धुआ निकलने लगा “आए खुदा इस बात का मैं पहला गवाह हूँ”…….चार्ल्स ने खुदा का शुक्रिया अदा किया और आसिफ़ की ओर देखा जो निढाल होके बदहवास उठ खड़ा हुआ….उसने आसमान की तरफ देखा और उस निकलते सूरज की आगे अपने हाथ फैलाए “या अल्लहह तूने मुझे मांफ किया है शायद ये तेरा ही करिश्मा था जो आज मुझे मेरी बाजी वापिस मिली और शायद मैं इस शाप से आज़ाद हो गया वरना मैं भी जलकर राख हो जाता मैं तेरे आगे अपने गुनाहो के लिए तेहदिल से मँफी माँगता हूँ”……आसिफ़ ने घुटनों के बल बैठके अपने हाथ सूरज की ओर उठाए और अपनी आँखे बंद कर ली उसकी मुस्कान में जीत की खुशी थी और खंडहर की जर्जर इमारत अपने आप एक एक करके ढहते हुए तबाह हो गयी
चार्ल्स जीत की खुशी में अपने आँसू पोछ रहा था ड्रॅक्यूला का अंत हो चुका था और उसके पिशाचो का भी गाओं वाले आसिफ़ को देख कर सहम उठे थे पर अब उनकी नज़रों में भी आसिफ़ किसी फरिश्ते से कम नही था उनके लिए शीबा जो कपड़ा ओढ़े हुए अपने भाई की जीत पे खुश हो रही थी आख़िरकार उसके भाई ने एक बार फिर अपनी बाजी को दोजख जाने से वापिस खींच लिया था
अगले दिन काफ़ी ज़ोरो से बरफबारी हुई थी....पिछली रात जब मैने राजा स्किवोच और उसके पिशाचो का ख़ात्मा किया उसी ही पल गाओं वालो की निगाहो में मैं किसी फरिश्ते से उन्हे कम ना लगा...आजतक उस बस्ती पे हो रहे ज़ुल्म का ख़ात्मा आज जाके हुआ...राजा स्किवोच उर्फ ड्रॅक्यूला का आतंक अब थम चुका था....और यही नही अल्लाह के फ़ज़ल से सूरज की रोशनी के बावजूद भी मैं बचा रहा...लेकिन मुझे महसूस हो सकता था कि मेरे अपने जिस्म से कुछ भारीपन मानो उतर सा गया था...शाप से मैं आज़ाद था...अब मैं कोई दरिन्दा बनने वाला नही था लिलिता का शाप टूट चुका था...शायद अल्लाह ने मुझे मांफ कर दिया था..पूरे रात जश्न मनाया गया था जिसमें मैं और बाजी शरीक हुए हालाँकि उनकी निगाहो में बाजी एक मात्र पिशाच बची हुई थी पर उन्हें ख़ौफ़ नही सताया कि वो उन्हें कोई नुकसान पहुचाएगी...रात कब कैसे ढली थी मालूम नही? पर वो चैन और खामोशी की रात थी काले साए इस इलाक़े से दूर दूर तक हट चुके थे...अब वो जंगल महेज़ सिर्फ़ एक जंगल ही लग रहा था खून पीते पिशाच और शैतानी भेड़ियों का आतंक ख़तम हो चुका था जिस बात का हरपल ये लोग फिकर किया करते थे...लेकिन अब उनके फरिश्ते को विदा लेनी थी मुझे अब बाजी के साथ एक नयी ज़िंदगी तलाशने अपने लिए जाना था
"हम तुम्हारा यह अहसान ज़िंदगी भर नही भूलेंगे".......चार्ल्स और बस्ती के लोग बरफ बारी के वक़्त सड़क पर खड़े हमे विदा करने आए थे...
"ऐसा नही है ये सब सिर्फ़ आपकी बदौलत हुआ".......मैने मुस्कुरा के चार्ल्स के हाथ पे हाथ रखा....
"तुम जिस नेक इरादे से आए थे वो तो ईश्वर की इच्छा से तुम्हें मिल गया तुम्हारी बाजी सच में ये मुहब्बत मौत से भी बढ़कर है खून के प्यास से भी बढ़कर जो एक दरिंदे को एक इंसान से यूँ जोड़ देता है"............चार्ल्स ने शीबा बाजी की ओर देखा जिन्होने मुस्कुरा के नज़रें झुका ली
मैं : शायद लेकिन मुझे इस बात की खुशी है कि आपने और इन बस्तीवालो ने हमारी इतनी मदद की अब ना तो कोई साया इस बस्ती पे गुज़रेगा और ना ही कभी कोई क़बर से पिशाच निकलेगा बस दुख है कि कुछ अपनो को छोड़ने जा रहा हूँ कूछो को खोया सिर्फ़ अपनी बाजी को लेके ही यहाँ से जा रहा हूँ (दुख लूसी के लिए था जो मुझे बेहद याद आ रही थी इन्ही हाथो से मैने उसे ख़तम कर डाला था जिस बात का बेहद अफ़सोस था)
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