पहली नज़र की प्यास complete

Post Reply
User avatar
rajababu
Pro Member
Posts: 2911
Joined: 29 Jan 2015 23:18

Re: पहली नज़र की प्यास

Post by rajababu »

पर कामिनी के शब्दो का नशा ही इतना था की वो बिना कुछ सोचे समझे वो करते चले गये जो वो उनसे कह रही थी...
इतना भी नही सोचा की भला वो उन्हे ऐसा करने के लिए क्यो बोल रही है...
ये काम तो वो अपने मंगेतर से या उनकी बेटी से भी करवा सकती है जो अंदर बैठे है...
पर ठरकी बुड्ढ़ो को ऐसा मौका मिले तो उनका दिमाग़ काम करना बंद कर देता है,
फिर वो अपने लंड की ही सुनते है ना की दिमाग़ की.

उसकी ब्रा खुलते ही उसकी छातिया एक झटके से आगे की तरफ लहराई और थोड़ी और बड़ी हो गयी...
पीछे बैठे अंकल की नज़रें उसकी क्लीवेज पर ही थी जो एकदक से काफ़ी बड़ी दिखाई देने लगी थी अब...
और फिर कामिनी के कहे अनुसार उन्होने उसकी ब्रा स्ट्रेप वाले हिस्से पर अच्छे से रगड़ाई की,
ऐसा करवाते हुए एक पल के लिए तो कामिनी भी बहक सी गयी और सोचने लगी की इस उम्र के आदमी से चुदवाने में कैसा फील होता होगा..

खैर, कुछ देर तक अपनी पीठ की मालिश करवाकर वो वापिस आकर उनके सामने बैठ गयी और खेलने लगी,
जैसे कुछ हुआ ही ना हो...

और इस बार उसके गले में झूल रहे मम्मे थोड़े और बड़े हो चुके थे,
जो अंकल जी को अच्छे से रिझाने का काम कर रहे थे..



कामिनी उन्हे बीजी रखने में सफल हो चुकी थी और अंदर उन दोनो में प्यार की गर्मी थोड़ी और बढ़ चुकी थी...

आज की शाम कुछ होने वाला था उस घर में.

अंदर भी और बाहर भी.

एक बार फिर से जुए का खेल शुरू हुआ...
अंकल जी जीते हुए थे, इसलिए पत्ते भी वही बाँट रहे थे...
पर उनका सारा ध्यान इस बार कामिनी के मम्मों पर ही था, जो ब्रा की क़ैद से निकलने के बाद उनकी आँखो के सामने ऐसे झूल रहे थे जैसे नन्हे खरबूजे पेड़ो पर टाँग दिए हो...
उन्हे चूसने और दबाने मे कितना मज़ा आने वाला था इसका तो अंदाज़ा ही लगा सकते थे अंकल जी पर उनके मन में ये विचार ज़रूर आया की ऐसा अगर एक बार हो जाए तो इस बुडापे में ही सही पर उनकी लाइफ बन जानी है.


वही दूसरी तरफ अपने पत्तो को बिना देखे कामिनी ने 100 की ब्लाइंड चल दी, बावजूद इसके की अंकल जी का ध्यान गेम पर नही था...
पर तिरछी नज़रो से वो उन्हे देख भी रही थी की कैसे वो अपनी बूढ़ी और चमक रही आँखो से उसके योवन को चूस रहे है...
कामिनी ने उनके मुरझाए हुए होंठो को देखा और सोचने लगी की उनकी पकड़ उसके स्तनों पर कैसी लगेगी...
कैसे वो अपने बूड़े होंठो से उसके निप्पल्स को चुभलाएँगे, उन्हे चूसेंगे...उफफफफफ्फ़ ....
भले ही बूड़े थे अंकल जी पर उनमे जो आकर्षण था वो कामिनी को अब लुभा रहा था...
गेम के बहाने वो अपनी उस फेंटेसी को शायद पूरा कर लेना चाहती थी जिसमे वो अपने बाप की उम्र के आदमी से सैक्स करे...
और ये फॅंटेसी उसे अपने पिता की वजह से मिली थी क्योंकि वो काफ़ी हैंडसम थे, बचपन से ही उन्हे देखते हुए वो अक्सर सोचा करती थी की उन जैसा स्मार्ट आदमी किस अंदाज से प्यार करता होगा...
हालाँकि अपने पापा को उसने इस नज़र से आज तक नही देखा था पर उनके जैसा कोई दूसरा मिल जाए तो शायद उसे बुरा ना लगे...

यही सब सोचते-2 उसके मन में यही ख्याल आया की वो ये काम करके ही रहेगी...
आख़िर अपने होने वाले पति की भी इच्छा वो पूरी कर ही रही है...
पर पता नही कुणाल उसकी इजाज़त देगा या नही...
लेकिन वो बाद की बात थी..
अभी के लिए वो कम से कम उपरी मज़े तो ले ही सकती है ना...
जैसा की शायद वो दोनो अंदर ले रहे होंगे..

और अपनी योजना को रूप देने के मकसद से उसने फिर से अपनी पीठ पर खुजली का वही बहाना किया...

अंकल जी तो पहले से ही तैयार बैठे थे इस बार...
वो खुद ही उठकर उसके करीब आए और उसकी कुरती में हाथ डालकर उसे सहलाने लगे...
अंकल जी का खड़ा हुआ लंड उसके कंधे से टकरा रहा था जिसके एहसास से ही पता चल रहा था की उनमे अभी काफ़ी जान है...
ये एक और कारण बन गया उसकी फेंटेसी को निश्चय में बदलने का...

अंकल जी का हाथ उसकी मखमली पीठ पर उपर से नीचे तक सहला रहा था और उनकी नज़रें उपर से उसके मम्मों को भेद भी रही थी...

कामिनी ने कसमसाते हुए कहा : "लगता है कोई कीड़ा ही है....वरना इतनी परेशानी तो आज तक नही हुई...''

अंकल जी बोले : "जो सकता है तुम्हारी ब्रा का स्ट्रैप चुभ रहा हो...''

वो बड़ी ही भोली आवाज़ मे बोली : "हाँ ...हो भी सकता है....ये ब्रा पहली बार ही पहनी है मैने...शायद छोटी आ गयी है...36 के बदले 34 आ गयी है शायद...''

बातों ही बातों में उसने अंकल जी को अपनी छाती का नाप भी दे डाला..
और उसका असर उनपर ऐसा हुआ की उनके हाथ की पकड़ उसकी मांसल पीठ पर और सख्त हो गयी...
शायद उसकी ब्रा का साइज़ उन्हे अंदर तक उत्तेजित कर गया था.

वो बोले : "अगर ऐसा है तो एक बार बाथरूम में जाकर चेक कर लो...ऐसे बेकार में परेशानी होती रहेगी वरना...''

उन्होने अपने बेडरूम में बने बातरूम की तरफ इशारा किया जो ड्रॉयिंग रूम के सामने ही था...

वो भी बिना झिझक के उठी और बोली : "आप सही कह रहे हो ...मैं अंदर जाकर अपनी ब्रा उतार कर ही देखती हूँ ...ये वाली गेम को ऐसे ही रहने देना अंकल...पत्ते मत देख लेना अपने...ओके ...''

अंकल जी ने हंसते हुए उसे पत्ते ना देखने का आश्वासन दिया और वो अपनी गांड मटकाते हुए उनके बेडरूम की तरफ चल दी.

अंकल ने उसकी गांड की मांसलता देखी और अपने लंड को सहलाते हुए कहा : "हाय ....आजकल की लड़कियों की गांड एकदम दिल के आकार की होती है... कच्छी में ऐसी गांड कितनी सैक्सी दिखेगी,
अपने लंड से ऐसे दिल को भेदने में कितना मज़ा आएगा...उफफफ्फ़...''



भले ही बूढ़े हो चले थे वो..
पर जवानी का नशा उनपर से अभी तक उतरा नही था..

उसके अंदर जाते ही उन्होने सोचा की उसे छुपकर देखा जाए..
पर उससे पहले वो निश्चय कर लेना चाहते थे की उनकी बेटी और कुणाल अंदर क्या कर रहे है,
कही वो एकदम से बाहर आ गये तो वो पकड़े जाएँगे...
और ऐसी उम्र में इस तरह की हरकत करते हुए पकड़े जाना वो हरगिज़ नही चाहते थे...

वो अपनी बेटी के बेडरूम की तरफ चल दिए...
अपने पापा के कदमो की आहत सुनते ही वो उछलकर कुणाल की गोद से उतर गयी और सामने वाले सोफे पर बैठ गयी...

टीवी तो पहले से ही चल रहा था इसलिए वो बड़े ही सिरिअस स्टाइल से टीवी देखने का नाटक करने लगी..



अंकल जी ने जब देखा की वो दोनो तो टीवी देखने में इतना बिज़ी है की उनके आने का भी पता नही चला उन्हे तो वो चुपचाप वापिस आ गये...
अब वो निश्चिंत थे की वो दोनो बाहर नही आने वाले..
User avatar
rajababu
Pro Member
Posts: 2911
Joined: 29 Jan 2015 23:18

Re: पहली नज़र की प्यास

Post by rajababu »

वहां से वो सीधा अपने बेडरूम की तरफ भागते हुए से गये...
और वहां जाते ही जो उन्होने देखा, वो उनके दिल की धड़कने रोकने के लिए काफ़ी था...
कामिनी ने दरवाजा भी पूरा बंद नही किया था, और बाथरूम के मिरर में उसका अक्स सॉफ दिखाई दे रहा था...

अब अंकल जी को ये भला कैसे पता चलता की ये उसने जान बूझकर ही किया था...
उसे तो जैसे पक्का विश्वास था की वो बुड्ढा उसे देखने के लिए अंदर ज़रूर आएगा और उसने जब अंदर के वाश्बेसिन पर लगा बड़ा सा मिरर देखा तो उन्हे कुछ इनाम देने की सोची उसने...

कामिनी ने दरवाजा थोड़ा सा खोल दिया ताकि बाहर से आने पर उस खुले दरवाजे से अंदर के मिरर के सामने खड़ी कामिनी का अक्स उन्हे दिखाई दे जाए...
और जब उसने देखा की अंकल जी बाहर आकर खड़े हो गये है तो उसने बड़ी ही बेबाकी से अपनी कुरती उतार दी...
ब्रा तो पहले से ही खुली हुई थी, इसलिए वो भी कुरती के साथ ही उतर का बाहर आ गयी...
अब वो एक बड़े से शीशे के सामने एकदम टॉपलेस होकर खड़ी थी...

उसके मन में पता नही क्या आया की उसने अपना मोबाइल निकाला और अपनी टॉपलेस पिक खींच ली..
शायद वो बाद मे कुणाल को ये सब दिखाना चाहती थी.



वो तो अपने मज़े ले रही थी पर बाहर खड़े अंकल जी की हालत बुरी हो रही थी वो सब देखकर...
आज तक उन्होने किसी भी जवान लड़की को ऐसी हालत में नही देखा था...
उसके एकदम तने हुए मम्मे देखकर उनके मुँह में पानी आ गया और वो सोचने लगे की काश एक बार ये चूसने को मिल जाए तो मज़ा ही आ जाए...

अंदर खड़ी हुई कामिनी ये सब देखकर हंस भी रही थी...
उसे अंदाज़ा था की उसकी ये हरकत उस बूढ़े इंसान पर क्या सितम ढा रही होगी...

पर उसे तो अपनी इस गेम को थोड़ा और आगे बदाना था...
इसलिए उसने अपनी ब्रा को उठाया और उसे उलट पलटकर देखने लगिकी आख़िर उसमे क्या दिक्कत है...

फिर उसने कुछ सोच समझकर अंकल जी को पुकारा...

''अंकल जी......अंकल जी...कहाँ हो आप....''

उसने आवाज़ इतनी ही ज़ोर से आगाई थी की वो अंकल जी तक ही जा सके...
ना की दूसरे बेडरूम में बैठे कुणाल और निशु तक...

अंकल जी तो उसी कमरे में थे...
इसलिए कुछ देर रुककर वो अंदर आने का नाटक करते हुए बोले : "हाँ कामिनी...बोलो ...क्या बात है...''

कामिनी ने अंदर से ही कहा : "अंकल जी...ये मेरी ब्रा का हुक ही है जो मुझे चुभ रहा था...तोड़ा सा टेडा हो गया है ये, इसलिए पीठ पर चुभ रहा है...आपके पास प्लास है क्या, उससे दबाकर ये ठीक हो जाएगा शायद...''

अंकल जी तो अभी तक कामिनी की बेवकूफी पर हंस रहे थे की उसे इतना भी अंदाज़ा नही है की अंदर आधी नंगी खड़ी होने के बाद उसका अक्स उन्हे बाहर दिख रहा है...
कैसी नासमझ है ये लड़की...
पर अंदर से वो खुश भी थे क्योंकि उसकी इसी नासमझी की वजह से वो उसे उपर से नंगा देख पा रहे थे.

वो भागकर उसके लिए प्लास ले आए और खुले हुए दरवाजे से उसे अंदर की तरफ दे दी...

उसने वो पकड़ी और कुछ देर तक उसे ठीक करने के बहाने से उसे और टेडा कर दिया...
फिर वो बोली : "अंकल जी...मुझसे तो हो नही रही ये...आप देखो, आपसे होगी या नही...''

इतना कहते हुए उसने ब्रा और प्लास बाहर की तरफ पकड़ा दी...

अंकल जी के हाथ में जब उसकी गर्म -2 ब्रा आई तो उनका लंड फटने जैसी हालत में हो गया...
उन्होने तुरंत वो ब्रा अपने चेहरे पर रगडी और कामिनी के गर्म मम्मों का एहसास उन्हे फील हुआ जो कुछ देर पहले तक उसी ब्रा में कसे हुए बैठे थे...

इस व्क़्त वो ये भी भूल चुके थे की जिस तरह बाहर से अंदर का उन्हे मिरर के थ्रू दिख रहा था, उसी तरह उन्हे भी कामिनी मिरर के ज़रिए अंदर से देख पा रही थी...कैसे वो किसी ठरकी की तरह उसकी ब्रा को अपने चेहरे पर रगड़ रहे थे.

और अपनी ब्रा को उन्हे अपने चेहरे पर रगड़ते देखकर वो खुद भी उत्तेजित हो गयी....
और सोचने लगी की काश वो उनके चेहरे पर अपने मम्मे भी रगड़ पाती ताकि वो जान पाती की उनके बूढ़े होंठो में अभी तक कितनी जान है...
पर एकदम से वो ये काम नही करना चाहती थी...
हालाँकि कुणाल की तरफ से उसे आश्वासन था की वो अंदर से ना तो खुद ही बाहर आएगा और ना ही निशु को आने देगा, पर फिर भी कामिनी को ये सब इस तरह से करना था ताकि अंकल जी उसकी प्लानिंग ना समझ सके..
User avatar
rajababu
Pro Member
Posts: 2911
Joined: 29 Jan 2015 23:18

Re: पहली नज़र की प्यास

Post by rajababu »

अंकल ने कुछ देर तक उसकी ब्रा को चूमा चाटा और फिर प्लास से उन्होने टेढ़े हुक्क को सीधा किया और उसे अंदर पकड़ा दिया...

और बोले : "ये लो....कर दिया ठीक....अब नही चुभेगा ये तुम्हारे बदन पर....''

और जब दरवाजे से उन्होने हाथ अंदर किया तो जान बूझकर दरवाजे पर हाथ ज़ोर से लगाया और वो खुलता चला गया...

और अंदर लगभग नग्न अवस्था में अपने योवन को शीशे में निहार रही कामिनी ने एकदम से बोखलाने का नाटक करते हुए अपनी छाती पर हाथ रखकर उन्हे छुपा लिया...
पर तब तक वो अपनी नंगी आँखो से अच्छी तरह से उसके मम्मों को देख चुके थे...
और वो भी इतनी करीब से..



अंकल : "ओह्ह्ह...सॉरी.....वो एक दम से पैर फिसल गया....''

कामिनी एक प्यारी सी मुस्कान अपने चेहरे पर लाई और बोली : "इट्स ओके अंकल जी...बाथरूम है ना...यहाँ चिकनाहट तो होगी ही...शुक्र है आप गिरे नही वरना चोट लग सकती थी...''

इतना कहते हुए उसने फिर से दरवाजा बंद कर दिया और अपने कपड़े पहन कर बाहर आ गयी..

तब तक अंकल जी वापिस जाकर अपनी चेयर पर बैठ चुके थे और उसके नंगे बदन को सोचते हुए अपने खड़े हुए लंड को बिठाने की नाकाम कोशिश कर रहे थे..

वो मुस्कुराती हुई आई और वापिस अपनी सीट पर बैठ गयी...
और बैठने से पहले उसने बड़े प्यार से उन्हे थॅंक्स भी कहा..
और फिर उन्होने फिर से खेलना शुरू कर दिया.

इसी बीच अंदर वाले कमरे में जो हो रहा था उसका तो उन्हे अंदाज़ा भी नही था...

निशु के पापा ने जब अंदर आकर उन्हे चेक किया तो उन दोनो ने टीवी देखने का बहाना किया, जिसे देखने में वो दोनो डूबे हुए थे...
और उनके जाते ही निशु एकदम से उछल कर खड़ी हुई और वापिस आकर कुणाल से लिपट गयी और उसके होंठो को चूसते हुए बोली : "अब वो अगले 15-20 मिनट तक नही आने वाले...जो करना है कर लो...''



उसका ये ऑफर इतना लुभावना था की कुणाल का लंड उसकी पेंट में चुभने सा लगा..

वो उसकी सैक्सी आँखो में देखता हुआ बोला : "कुछ भी कर लूं ...''

निशु : "हाँ ....कुछ भी....''

उसके लरजते होंठो से जब ये निकला तो कुणाल का अपने आप पर काबू नही रहा और वो उसपर टूट सा पड़ा...

वो भी इस बात से अंजान था की उसके प्रेमिका इस वक़्त बाहर निशु के पापा के साथ क्या कर रही है...
उसे तो बस अपनी निशु से मतलब था इस वक़्त...
जो उसके साथ कुछ भी करने को तैयार थी.

कुणाल ने निशु के होंठो को करीब 1 मिनट तक चूसा तो उसने कसमसाते हुए कहा : "आआआअहह कुणाल.....आई लव यूssssssss ....यू आर रियली गुड किस्सर.....लेट मी सी की नीचे भी तुम ऐसे ही किस्स कर पाओगे या नही....''

उसकी आवाज़ में एक चेलेंज भी था, जिसे पूरा करने में कुणाल को कोई परेशानी नही थी...



वैसे इस तरह की बातें करने वाली लड़कियां बड़ी चालाक होती है,
वो चेलेंज के तौर पर सैक्स के समय ऐसी बातें बोल देती है जिन्हे पूरा करने में उनका पार्ट्नर अपनी जी जान लगा देगा और बदले में मज़ा तो उन्हे ही मिलने वाला होता है..

कुणाल ने उसके होंठो को छोड़ा और उसे चूमता हुआ नीचे आने लगा...
मज़े की बात ये थी की अभी तक दोनो ने अपने कपड़े पहन रखे थे...
जो शायद कुछ ही देर में उतरने भी वाले थे.
User avatar
rajababu
Pro Member
Posts: 2911
Joined: 29 Jan 2015 23:18

Re: पहली नज़र की प्यास

Post by rajababu »

कुणाल ने नीचे आकर उसकी टी शर्ट को उपर किया और उसका नंगा पेट उजागर किया,
निशु की अंदर की तरफ धँसी हुई नाभि इतनी सैक्सी लग रही थी की वो उसमे अपनी जीभ डालकर उसे भी जोरो से चूसने लगा..
निशु ने भी उसके सिर को पकड़कर अपने पेट में ऐसे दबा लिया जैसे उसे अंदर ही समा लेगी...

वो उसकी धुन्नी चूसने में बिज़ी था तो निशु ने खुद ही अपनी जीन्स को खोल कर नीचे खिसका दिया...
उसकी चूत से निकल रही भीनी खुश्बू जब कुणाल की नाक से टकराई तो उसने अपना रुख़ नीचे की तरफ किया और उसकी पेंटी को सरकाते हुए उसकी चूत को नंगा कर दिया...

उफफफ्फ़.....
क्या कमाल की चूत थी उसकी...
एकदम फूली हुई सी....
एकदम टाइट...



कुणाल ने अपनी मंगेतर की चूत जब मारी थी तो वो भी लगभग ऐसी ही कड़क थी, यानी ये भी अभी तक कुँवारी ही है...
इसे चोदने पर भी खून ज़रूर निकलेगा...

एक के बाद दूसरी कुँवारी चूत को फाड़ने के ख्याल मात्र से ही उसके लंड का बुरा हाल हो गया...
और उसने घोड़े की तरह हिनहिनाते हुए, गहरी साँस ली और अपनी जीभ उसकी गर्म चूत पर लगाकर अंदर घुसा दी..

''आआआआआआआआआअहह ओह कुणाल....... उम्म्म्ममममममममम....... एसस्स्स्स्स्स्सस्स....... सक मिईीईईईईई कुणाल....सॅक.....मिईीई''

बस फिर क्या था,
कुणाल ने अपना चेलेंज पूरा करते हुए उसकी टाँगो के बीच घुसकर उसकी गुफा की ऐसी चटाई करनी शुरू कर दी की वो भी पागल सी हो गयी..

पर इन सबके बीच वो दोनो ये ध्यान ज़रूर रख रहे थे की उनकी ये सिसकारिया और आवाज़ें बाहर ना चली जाए...



हालाँकि कुणाल को ये विश्वास था की अब अंकल जी अंदर आने वाले नही है,
कामिनी ने उन्हे अच्छी तरह से रोक कर रखा होगा...
पर इस वक़्त वो अगर एकदम से अंदर आ जाते तो उन्हे अपनी बेटी की चूत चूसता हुआ वो ठरकी इंसान दिख जाता जिसकी मंगेतर के साथ वो बाहर तीन पत्ती खेल रहे है..

और वैसे भी ये वो टाइम था जब बाहर बाथरूम के बाहर खड़े होकर अंकल जी प्लास से कामिनी की ब्रा का हुक ठीक कर रहे थे...
और उन्हे भी यही डर था की कही वो दोनो अंदर से बाहर ना आ जाए वरना उन्हे ये काम करते हुए देखकर वो क्या बोलेंगे..
इसलिए जो डर अंदर वालो को था, वही बाहर भी था..

पर जो होना ही नही था उसके बारे में बात ही क्यो करनी..

इसलिए कुणाल लगभग इत्मीनान के साथ वो सब करने में लगा था..
उसकी चूत के होंठो के साथ फ्रेंच किस्स करते हुए वो उन्हे उपरी होंठो की तरह ही चूस रहा था...
निशु के चेलेंज को उसने अच्छे से पूरा कर दिया था..

.

कुणाल ने अपने हाथ उपर किए और उसकी टी शर्ट में घुसा कर उसके अनारो को दबोच लिया...
एकदम सख़्त और गद्देदार थे वो...
निशु ने अपनी ब्रा को बिना खोले ही उपर खिसका कर अपनी चुचिया बाहर निकाल दी ताकि उसका प्रेमी उन्हे अच्छे से एंजाय कर सके...

और कुणाल ने वो किया भी....
उसकी चूत के रस से डूबे होंठो को उसके पेट पर रगड़ता हुआ सा वो उपर आया और उसकी टी शर्ट में अपना सिर घुसा कर उसके मम्मों को दबोच लिया और उनपर वो सारा देसी घी लगाकर वो उन्हे चूसने लगा..



निशु ने सिसकारी मारते हुए अपनी टी शर्ट निकाल फेंकी...और उसके सामने नंगी होकर खड़ी हो गयी
नीचे की जीन्स निकली हुई थी और उपर से टी शर्ट और ब्रा हट चुकी थी इसलिए कुणाल उसे उपर से नीचे तक पूरा नंगा देख पा रहा था...



पर कुणाल का एक भी कपड़ा अभी तक हटा नही था...

वो उतारना तो चाहता था पर उसे भी इस बात का डर था की वो वहां पर उसकी चुदाई कर पाएगा या नही...
क्योंकि दरवाजा खुला हुआ था और उसे बंद करने की हिम्मत ना तो निशु में थी और ना ही उसमे..
क्योंकि ऐसे दरवाजा बंद करके बैठने से निशु के पापा को शक हो सकता था...

खैर, इस बात के लिए उसे कामिनी से बात करनी पड़ेगी ताकि वो ही कोई उपाय निकाल सके दरवाजा बंद करने का ताकि वो दोनो बिना किसी टेंशन के चुदाई कर सके...

पर अभी के लिए तो वो उसे अपना लंड ज़रूर चुसवाना चाहता था जो उसके नंगे जिस्म को देखकर उबाल खा रहा था इसलिए उसने निशु को अपने सामने ज़मीन पर बिठाया और खुद सोफे पर बैठकर उसने अपना लंड निकाल लिया..

निशु ने कुणाल का लंड पहली बार देखा...
और उसके मोटे और लंबे लंड को देखकर वो सिर्फ़ एक ही बात बोली : "उम्म्म......उससे शादी करनी ज़रूरी है क्या....मेरे नही हो सकते तुम ?''

उसकी इस बात में प्यार से ज़्यादा उस मोटे लंड के लिए हवस छुपी थी...
जिसे महसूस करके कुणाल का लंड फूला नही समा रहा था...
आख़िर अपने लंड की तारीफ किसे पसंद नही होती.

वो उसके चेहरे को बड़े प्यार से सहलाते हुए बोला : "मैं तो तुम्हारा ही हूँ जानेमन...वरना उसके होते हुए इस तरह तुम्हारे साथ भला क्यो बैठ होता...''

निशु ने मन में सोचा : "पागल है वो साली...अपने हॅंडसम मँगेतर को इस तरह से उसकी पुरानी माहूका के साथ छोड़कर मेरे बूढ़े बाप के साथ बैठकर ताश खेल रही है...''

और मंद-2 मे मुस्कुराते हुए निशु ने अपनी सैक्सी आँखो से उसे देखते हुए जीभ निकाली और उसके लंड को छू लिया...



लंड के अंदर से निकल रही गाड़े प्रिकम की बूँद को उसने अपनी जीभ से सॉफ करके निगल लिया...
और जैसे ही उसका स्वाद उसके गले से नीचे उतरा, वो तो पागलों की तरह उसे नॉचकर खाने लगी...
हालाँकि उसकी लाइफ का ये पहला लंड नही था जिसे वो चूस रही थी,
कुणाल के बाद उसकी लाइफ में 2-3 लड़के आए थे पर चूसम चुसाई से ज़्यादा उसने कुछ भी नही किया था...
पर कुणाल के लंड के सामने वो काफ़ी छोटे थे, इसलिए उसे शायद आज अफ़सोस हो रहा था की ये शानदार लंड उसका क्यो नही हो रहा है...
पर फिर भी, जितना मिल रहा था वो उसे अच्छे से ले लेना चाहती थी.



कुणाल को बस यही डर था की बाहर से कोई अंदर ना आ जाए..

वैसे भी अब अंदर आना किसने था क्योंकि बाहर का नज़ारा अब वैसे भी बदल चुका था...
अपने कपड़े पहन कर कामिनी वापिस बैठ चुकी थी और अंकल के साथ ताश खेल रही थी..

जो खेल वो रोक कर गये थे वो उन्होने फिर से शुरू कर दिया...

पर अंकल का सारा ध्यान तो अब उसके जवान जिस्म पर ही था...
ख़ासकर उसके उन्नत उभारो पर, जिन्हे आज उन्होने नंगा देख लिया था....
शीशे के थ्रू भी और सामने से भी..



कामिनी ने जब देखा की अंकल का ध्यान खेल से ज़्यादा उसके जिस्म पर है तो वो अपने होंठो को दांतो तले दबाते हुए धीरे से बोली : "क्या हुआ अंकल जी...लगता है आपका मन नही कर रहा अब खेलने का....क्या चल रहा है आपके मन में ...बताइए ना...''

अब अंकल क्या बोलते की उनके मन में उसके मम्मे चल रहे है...
User avatar
rajababu
Pro Member
Posts: 2911
Joined: 29 Jan 2015 23:18

Re: पहली नज़र की प्यास

Post by rajababu »

पर फिर भी उन्हे ऐसा लग रहा था की अगर वो उसके साथ थोड़ा फ्लर्ट करे तो वो उसका बुरा नही मानेगी, क्योंकि बाथरूम में भी जब उन्होने फिसलने का बहाना किया था और उसे टॉपलेस देख लिया था तो उसने कुछ ख़ास रिएक्ट नही किया था..

इसलिए वो बोले : "हाँ ....इस उम्र में अगर कोई जवान लड़की का बदन दिख जाए तो मन किसका लगेगा खेलने में ...''

उनकी बात सुनकर वो खिलखिला कर हंस दी और बोली : "अंकल ...आप भी ना...ये तो बड़ी नॉर्मल सी बात है...''

अंकल बोले : "मेरे लिए नही है...मेरी वाइफ को गुज़रे भी कई साल हो चुके है...मन तो बहुत करता है कुछ करने का या ऐसा कुछ देखने का जिससे दिल खुश हो जाए...पर कभी मौका ही नही मिला...आज तो बिना माँगे ही देखने को मिल गया...''

कामिनी अंकल की चिकनी चुपड़ी बाते सुनकर शरमा गयी...
और लाइफ में पहली बार उसकी चूत सिर्फ़ ऐसी बाते सुनकर ही गीली हो गयी..
वरना उसे चिराग की तरह रगड़ना पड़ता था इतना गीलापन लाने के लिए..

अंकल जी भी बड़े घाघ किस्म के इंसान थे, उसके चेहरे को बारीकी से पड़ते हुए वो बोले : "आज तो तुमने इस बूढ़े को जवानी के दिनों की याद दिला दी...''

कामिनी भी अब थोड़ा -2 उनके रंग में रंगने लग गयी थी...
और वैसे भी अंदर से तो वो भी यही चाहती थी, इसलिए उनकी बात सुनकर अपनी आँखे नचाते हुए बोली : "अच्छा जी...इसका मतलब वो फिसलने का सिर्फ़ बहाना ही था, आपने वो दरवाजा जान बूझकर खोला था ताकि आप मुझे उस हालत में नंगा देख सके..''

नंगा शब्द सुनकर अंकल जी का लंड एकदम से भड़क सा गया...
उनका कुर्ता उपर की तरफ उठ गया जिसे देखकर सॉफ पता चल रहा था की उसके नीचे उनका लंड खड़ा है..
ये देखकर कामिनी भी हैरान रह गयी क्योंकि इस उम्र में भी उनका लंड काफ़ी दमदार किस्म का एहसास दे रहा था.

अंकल ने अपनी खीँसे निपोरते हुए कहा : "हाँ ...वो तो मैने जान बूझकर ही किया था...लेकिन इसका फल भी तो मिला ना मुझे...इतने सुंदर स्तन देखने को मिल गये...ऐसे तो मैने आज तक नही देखे थे...सच में रति की मूरत हो तुम....ऐसा नशीला बदन तो फिल्मी हेरोइनो का होता है...लाखों में एक के स्तानों में ऐसी कसावट देखने को मिलती है...''

अंकल जी तो एक ही साँस में उसके नशीले जिस्म की तारीफ करते चले गये और उनका एक-2 शब्द कामिनी के जिस्म को उनकी तरफ खींचकर ले जा रहा था...

आख़िर में वो शरमाते हुए बोली : "अब बस भी करिये अंकल जी...आप तो मुझे शर्मिंदा कर रहे है...''

अंकल जी ने आगे बढ़कर उसके हाथ थाम लिए और बोले : "नही...कसम से...मैं सच कह रहा हूँ ...और अगर तुम चाहो तो ये मज़ा..ये फीलिंग तुम मुझे एक बार फिर से दे सकती हो....वो सब दोबारा दिखा कर...और इस बार अपनी मर्ज़ी से...''

अंकल जी ने अपने मन की बात आख़िरकार उससे कह ही डाली...

एक मिनट के लिए दोनो के बीच खामोशी छा गयी....
अंकल जी सोच रहे थे की उन्होने शायद कुछ ज़्यादा ही बोल दिया है और वो सोच रही थी की जो कशमकश उसके मन में चल रही है , यानी अंकल जी को खुश करने की और अपनी फेंटसी पूरी करने की, वो काम करे या ना करे...
आख़िरकार कुछ ही दिनों में उसकी शादी होने वाली है कुणाल से...
ऐसे में किसी और मर्द के साथ, ख़ासकर बूड़े आदमी के साथ ये सब करना सही है या नही..

पर आख़िरकार जिस्म की माँग के सामने उसके रीति रिवाजो ने घुटने टेक दिए और उसने निश्चय कर लिया की अब तो वो कुछ मज़े लेकर ही रहेगी...
क्योंकि उसे पता था की अंदर कुणाल भी शायद यही सब कर रहा होगा..

इसलिए उसने अपने होंठो पर जीभ फिराकर उन्हे गीला किया और बोली : "दिखा तो मैं दूँगी, पर इतनी आसानी से नही, उसके लिए आपको तीन पत्ती के ज़रिए वो सब करना होगा..जैसे-2 आप या मैं खेल जीतेंगे, उसके हिसाब से अपनी इच्छा पूरी करते जाएँगे...''



ये सुनते ही अंकल जी को जैसे हार्ट अटैक आने को हुआ,
एकदम से उन्हे इतनी खुशी शायद ही आज तक मिली थी...
और जिस तरह से वो बोल रही थी की वो भी अपनी इक्चा पूरी करेगी,
यानी उसे भी उनमे इंटेरेस्ट था...
ऐसी लड़की के साथ खेलते हुए तो हारने में भी और जीतने में भी, दोनो में ही मज़ा आएगा..

अंकल जी का लंड एक बार फिर से उनके पायजामे में टेंट बनाकर खड़ा हो गया, उन्हे अपनी उम्मीद पूरी होती दिखाई दे रही थी...
उनकी बेटी की उम्र की लड़की उनके साथ स्ट्रीप पोकर स्टाइल का खेल खेलने के लिए तैयार हो गयी थी...
अब चाहे वो नंगे हो या वो, मज़ा दोनो ही सूरत में आने वाला था..

पर इसके लिए उन्हे ड्रॉयिंग रूम से हटना ज़रूरी था,
क्योंकि वो नही चाहते थे की ऐसा कुछ करते हुए उन्हें कोई देख ले, अगर कोई अंदर से बाहर निकल आए तो उन्हे ऐसी आपत्तिजनक हालत में साफ़ देखा जा सकता था ..
उन्होने कामिनी को अपने बेडरूम में चलकर वो खेल खेलने को कहा ताकि रिस्क कम रहे...
उसने भी मना नही किया और उठकर उनके साथ अंदर आ गयी...

अंदर जाकर अंकल जी ने अपने बेड पर ही बैठना सही समझा क्योंकि उसके ठीक सामने की तरफ एक काँच की खिड़की थी जिसमे से निशु के कमरे से निकलते हुए कोई भी दिखाई दे सकता था...
अगर कोई वहां से निकलकर बाहर आता भी है तो उसे घूमकर अंदर आने में समय लग सकता था और इतना समय बहुत था उन्हे अपनी हालत से उभरने के लिए..

कामिनी को बेड पर बिठाकर अंकल बोले : "मैं बस एक मिनट में आया...ज़रा उन्हे भी देख आउ की वो क्या कर रहे है...ऐसा ना हो की हमारी गेम बीच में ही रह जाए...''

और अपनी खीँसे निपोरते हुए अंकल जी बाहर निकल आए...

कामिनी उन्हे रोकती रह गयी की गेम स्टार्ट करते है पर वो नही रुके...

कामिनी ने अपना सिर पीट लिया, क्योंकि उसे अंदाज़ा था की इतनी देर से अंदर बैठे होने के बाद अब उनके बीच भी कोई एक्शन स्टार्ट हो चुका होगा..

अंकल जी दबे पाँव दूसरे रूम में गये जहां निशु अंदर वाले कमरे में कुणाल के साथ बैठी थी.

और जैसे ही उन्होने दरवाजा के अंदर झाँका उनकी रूह काँप गयी...
उनकी प्यारी , लाडली बेटी, पूरी नंगी होकर कुणाल के सामने बैठी थी और उसका लंड चूस रही थी...
और वो कमीना किसी राजा की तरह सोफे पर बैठा था और निशु के सिर पर हाथ फेरता हुआ उसके मुँह में अपना लंड पेल रहा था..



ये दृश्या देखकर अंकल जी का दिमाग़ ही चलना बंद हो गया...
उन्हे समझ नही आ रहा था की वो कैसे रिएक्ट करे..
गुस्सा तो उन्हे बहुत आ रहा था क्योंकि उन्हे अंदाज़ा भी नही था की इतना शरीफ सा दिखने वाला लड़का उनकी बेटी के साथ ऐसी हरकत कर सकता है...
पर गन्दी हरकत तो निशु भी कर रही थी...
ऐसे किसी के भी सामने पूरी नंगी होकर ये सब कौन करता है भला...
और सबसे बड़ी बात की कुणाल की मंगनी भी हो चुकी है और उसकी मंगेतर दूसरे कमरे में बैठी है...
इसके बावजूद वो ऐसी हरकत कैसे कर सकता है..

वो तो अपने हिसाब से ही सोच रहे थे , वो उन दोनो के बचपन के प्यार से अंजान जो थे..

पर मज़े की बात ये थी की इतना सब कुछ देखने के बाद भी उनकी ये हिम्मत नही हो रही थी की वो अंदर जाए और उन दोनो को कुछ कहें..

और उसका कारण था कामिनी,
जो उनके साथ बैठकर वो खेल खेलने जा रही थी जो शायद दुनिया के लिए मर्यादा से परे था..
और देखा जाए तो उनमे और इन दोनो मे कोई फ़र्क ही नही था...
जो काम ये दोनो कर रहे थे वो काम करने की इच्छा तो उनके मन में भी थी...
वो कहते है ना जब अपने मन में ही चोर हो तो दूसरो को कहना का हक नही होता इंसान को...
ऐसा ही अंकल जी के साथ भी हो रहा था...
और वैसे भी , वो उन दोनो को अगर इस वक़्त कुछ बोल देते तो पूरे घर में बवाल हो जाना था और ऐसे में उन्हे कामिनी के साथ खेलते हुए उसका नंगा बदन कैसे देखने को मिलता...

अपने भले की बात उन्हे अच्छे से पता थी इस पल..
इसलिए अपनी बेटी के इस रंगीले कांड को अनदेखा सा करते हुए वो वापिस आ गये .और बेड पर आकर बैठ गये..

उनके चेहरे को देखने से ही कामिनी को पता चल गया की उन्होने कुछ तो जरूर देखा है.

वो बोली : "क्या हुआ अंकल जी...कुछ गड़बड़ है क्या...''

अंकल जीने उसे बड़ी ही दयनिय दृष्टि दे देखा जैसे कहना चाहते हो की शादी से पहले ही तेरे पति का ये हाल है तो बाद में क्या करेगा...
दूसरे कमरे में बैठकर उन्ही की बेटी के साथ गुलछर्रे उड़ा रहा है...

पर बेचारे सोचते ही रह गये..
कुछ बोल नही पाए उसे..

वो बोले : "अर्रे नही, कोई बात नही है...वो दोनो कोई मूवी देखने में बिज़ी है..अच्छा है हमारे लिए, उनके आने का डर अब थोड़ा कम रहेगा...''

अंकल जी ने खिसियानी हँसी लाते हुए जब ये कहा तो कामिनी मन ही मन मुस्कुरा दी...
अब तो उसे अच्छे से यकीन हो गया था की उसका कुणाल ज़रूर उसकी बेटी की बजा रहा होगा तभी इनके चेहरे के रंग उड़े हुए से लग रहे है...
और जिस मूवी की बात ये अंकल जी कर रहे है, वो उन दोनो की ही सैक्स मूवी होगी शायद.. हे हे

पर उसने अपने मन की हंसी और के विचारों को ऊपर नहीं आने दिया और पत्ते बाँटने शुरू कर दिए..

उधर अंकल जी भी सोच रहे थे की जब उस कमीने कुणाल ने उनकी बेटी को नही छोड़ा तो वो भला उसकी मंगेतर को क्यो छोड़े...
बात तो उन दोनो में पहले ही हो चुकी थी की क्या करना है पर अंदर का नज़ारा देखने के बाद अब अंकल जी के इरादे पहले से ज़्यादा पक्के हो गये...
अब तो उन्हे किसी भी हालत में जीतना ही था और इस कामिनी के नशीले बदन को चखना भी था..

इसलिए जैसे ही पत्ते उनके सामने बिछे उन्होने मन में यही कामना की कि उनके पत्ते कामिनी से अच्छे आए..

उन दोनो ने धड़कते दिल से पत्ते उठाए...

अंकल जी के पास कुछ ख़ास तो नही पर इक्का और बादशाह ज़रूर आए थे...
साथ में दूसरे कलर का 4 नंबर था..उन्होंने अपने पत्ते सामने फेंक दिए.

कामिनी तो अपने पत्ते देखते ही समझ गयी की वो हार गयी है...
सबसे बड़ा पत्ता ही 9 था उसके पास...
ना कोई कलर और ना ही कोई पेयर.

उसने मुस्कुराते हुए कहा : "ये ग़मे तो मैं हार गयी....अब बोलिए आप...क्या करू मैं ..''

एक ही मिनट में अंकल जी ने वो सब भुला दिया जो दूसरे कमरे में देखकर आए थे वो...
यानी अपनी मस्ती के सामने वो ये भी भूल गये की दूसरे कमरे में उनकी बेटी चुदने के कगार पर है...
पर उन्हे तो इस वक़्त अपनी जीत के पीछे छुपा कामिनी का नंगापन दिखाई दे रहा था..

वो कुछ देर तक सोचते रहे और फिर बोले : "उपर से तो तुम्हे देख ही चुका हूँ ...अब नीचे से देखने की इच्छा है...मुझे तुम्हे नीचे से नंगा देखना है ...''

कामिनी समझ गयी की बुड्ढा भरंवा गांड का शोकीन है...
इसलिए वो ऐसा बोल रहा है..

अपनी गांड और चूत दिखाने के नाम से ही वो एकदम से गीली हो गयी...
आज से पहले इतने इरॉटिक तरीके से उसने कोई गेम नही खेली थी...
और आज उसे सच में इस गेम में हारने में मज़ा मिल रहा था.

वो खड़ी हुई और उसने अपनी पायजामी निकाल दी...
अब वो सिर्फ़ अपनी कुरती में खड़ी थी...

अंकल बोले : "अब नीचे का उतार ही दिया है तो सामने से भी दिखा ही दो...कैसी है तुम्हारी चूत "

अंकल ने जब इतनी बेशर्मी से ''चूत'' बोला तो उनके बीच की सभ्यता की दीवार उसी वक़्त गिर गयी...
अब तो कामिनी को भी महसूस हो रहा था की उनकी ज़ुबान से इस तरह के और शब्द निकलेंगे..

कामिनी ने भी उन्हे निराश नही किया और अपनी डिज़ाइनर कुरती को उपर उठा कर अपनी चूत का ताजमहल उनके सामने पेश कर दिया.
Post Reply