पहली नज़र की प्यास complete

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rajababu
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Re: पहली नज़र की प्यास

Post by rajababu »

उसकी मांसल टांगे और जांघे देखकर अंकल जी का दिल जोरो से धड़कने लगा..
और जब उनकी नज़र उसकी सफाचत चूत पर गयी तो उनसे सब्र नही हुआ और उन्होने उसे देखते हुए अपने लंड को मसलना शुरू कर दिया....

''आआआआआआहह....कितने बेहतरीन तरीके से तुमने इसे सॉफ कर रखा है...हमारे जमाने में तो औरते सालो तक अपने बाल नही काटती थी...आजकल की पीडी की यही बात मुझे सबसे ज़्यादा पसंद है...''

शायद अंकल जी ये नही जानते थे की उनकी बेटी ने भी आज सुबह ही अपनी चूत को सॉफ किया है...
शायद उसे भी अपनी आने वाली चुदाई का पहले से अंदाज़ा हो चुका था.

कामिनी तो अंकल जी की बात सुनकर शरमा कर रह गयी...

फिर उसने बड़े ही सैक्सी तरीके से घूमकर उनकी तरफ पीठ कर ली और अपनी कुरती को उपर तक चढ़ाकर उन्हे अपनी मांसल गांड भी दिखा डाली..



उस दृश्या को देखते ही अंकल जी एक बार फिर से साँस लेना भूल गये...
उन्हे अंदाज़ा तो था की उपर से भरी हुई गांड दिखने में भी काफ़ी वज़नदार होगी, पर उसे अपने सामने नंगा देखकर उन्होने जाना की उस कटाव भरी गांड में कितना आकर्षण छिपा है...
उनका तो मन कर रहा था की आगे बड़े और उस गांड पर अपना मुँह रगड़कर उसकी सारी रबड़ी चाट जाए...

पर वो कुछ कर पाते या कुछ और बोल पाते, उसने अपनी कुरती नीचे गिरा दी..और वापिस आकर अपनी सीट पर बैठ गयी...

अंकल जी की आँखो में उसके लिए प्यार और हवस सॉफ झलक रही थी...
और वो खुशी भी जो उसने आज उन्हे दी थी.

खैर, अगली गेम स्टार्ट हुई और अंकल जी ने पत्ते बाँटे ...
और इस बार पत्ते उठाने के साथ ही कामिनी के चेहरे पर स्माइल आ गयी...

पर अंकल जी उससे ज़्यादा एक्साईटिड लग रहे थे...
उनके पास 10 का पेयर आया था...
जिसे उन्होने पत्ते पटक कर दिखाया...
उनके चेहरे को देखकर सॉफ पता चल रहा था की अपनी जीत से वो कितना खुश हो रहे है...
उन्होने तो ये भी सोच लिया था की इस बार वो उसकी कुरती उतरवाएँगे ताकि एक ही बार में उसे उपर से नीचे तक नंगा देख सके..

पर उनकी उम्मीदों को कामिनी ने रोंद सा डाला जब उसने अपने पत्ते उन्हे दिखाए...
उसके पास इक्के का पेयर आया था...
यानी इस बार की गेम वो जीत चुकी थी..

वो चाहती तो अपने पत्ते डाउन करके पिछली काई बार की तरह अपनी हार मान लेती पर ये खेल अब पैसो से बढ़कर आगे निकल चुका था...
इसलिए उसका जीतना भी उतना ही ज़रूरी था जितना की अंकल जी का..

अंकल ने पत्ते देखे तो उनकी सारी खुशी हवा हो गयी...

कामिनी अपनी शरारती हँसी के साथ उनकी तरफ देख रही थी...

अंकल : "कोई बात नही...ये तो खेल है, कभी मैं जीता और कभी तुम...बोलो...मैं क्या पेश करू तुम्हारे सामने...''

कह तो वो ऐसे रहे थे जैसे बड़े बांके मर्द हो...
पर जो भी था, अपनी उम्र के बावजूद उनमें कॉन्फिडेंस कमाल का था..

कामिनी : "अब आप इतना कह ही रहे है तो मुझे वो बंबू देखना है तो आपके कुर्ते को तंबू बनाकर उसके नीचे खड़ा है...''

कामिनी ने जिस अंदाज से अंकल जी के लंड को देखने की पेशकश की थी, उसने अंकल जी का दिल जीत लिया..
और उन्होने खड़े होकर एक मिनट में अपने पायजामे का नाड़ा खोला और उसे नीचे गिरा दिया...
कामिनी तो पहले से ही जानती थी की उन्होने अंदर कुछ नहीं पहना है, तभी तो इतने खुले तरीके से वो उनके पयज़ामे में खड़ा हुआ था...

और जब कामिनी की नज़र उनके लंड पर गयी तो उसकी आँखे आश्चर्य से फैलती चली गयी..
क्योंकि उसने तो सोचा था की उनकी उम्र की ही तरहा बूड़ा सा, मुश्किल से खड़ा हुआ , झुर्रियो से भरा हुआ लंड होगा...
पर उसे देखकर लग ही नही रहा था की वो एक 55 साल की उम्र के आदमी का लंड है...

वो एकदम कसा हुआ सा था,
नीचे की बॉल्स भी एकदम टाइट थी..
और उन्होने जो सुबह ही उसे तेल से मालिश करके चमकाया था, उसकी वजह से वो एकदम कड़क होकर चमक रहा था...

कामिनी को तो लग रहा था की उनके लंड में और कुणाल के लंड में ज़्यादा अंतर भी नही है...
दोनो लगभग एक जैसे ही थे...
अंकल जी ने काफ़ी सही तरीके से मेन्टेन करके रखा हुआ था उसे...

वो बोली : "वाओ अंकल...आपने तो इसे बिल्कुल पर्फेक्ट बनाकर रखा हुआ है...इसे देखकर तो लग रहा है जैसे कोई जवान मर्द का लंड हो ये ''

अंकल जी मुस्कुरा दिए...
उन्हे भी पता था की उनका लंड आज भी किसी भी लड़की की चीखे निकलवा सकता है...

वो बोले : "थॅंक्स कामिनी...काश तुम इसे मेरी जवानी के दिनों में देख पाती...तब पता चलता की ये क्या चीज़ है...''

कामिनी : "जो भी चीज़ है, है बहुत ही प्यारी...क्या मैं इसे छू कर देख सकती हूँ अंकल...प्लीज़...''

उन्हे भला क्या प्राब्लम होनी थी इसमे...
वो तो खुद भी यही चाहते थे...

उन्हे खुशी-2 हां कर दी...
और वो लगभग उछल कर उनके सामने पहुँच गयी और घुटनो के बाल बैठकर वो उनके लंड के सामने आ गयी...

काँपते हाथो से जब उसने अंकल जी का लंड पकड़ा तो अंकल भी काँप कर रह गये उसके ठंडे हाथो का स्पर्श पाकर...

''आआआआआआआआहह........ बहुत सालो बाद किसी ने इसे पकड़ा है....अह्ह्ह्ह.....''

कामिनी समझ गयी की अपनी पत्नी के निधन के बाद वो कितना अकेले होकर रह गये है बेचारे...
इसलिए इन्हे पूरी खुशी देनी तो बनती ही है...

उसने उनके लंड को उपर से नीचे तक नाप डाला अपने कोमल हाथो से....
उनकी बॉल्स को टटोल कर अच्छे से मसला...



उसका पूरा बदन जल सा रहा था ये सब करते हुए...
और यही हाल अंकल जी का भी था...

इधर मामला थोड़ा आगे बढ़ चुका था और दूसरे कमरे में तो हद से ज़्यादा आगे निकल चुका था...

कुणाल की आँखे बंद थी और वो जैसे स्वर्ग की सैर कर रहा था...
उसके लंड पर वो हसीन परी जो चिपकी हुई थी..
निशु ने अपनी जीभ से उसकी बॉल्स को अच्छे से चाटा और उसकी यही अदा कुणाल को उकसा रही थी...
अब तो उसे किसी भी कीमत में उसकी चूत मारनी ही थी और अभी के अभी मारनी थी..



उसे जब एहसास हुआ की उसके लंड का पानी कभी भी निकल सकता है तो उसने तुरंत उसके मुँह से अपना लंड निकाल लिया...
अब वो अपने लंड के पानी को ऐसे ही वैस्ट नही करना चाहता था.

उसने अपने सामने बैठी निशु को उठाया और उसे बेतहाशा चूमते हुए बेड तक ले आया और उसे बिस्तर पर लिटाकर उसके नंगे बदन को निहारने लगा...
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rajababu
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Re: पहली नज़र की प्यास

Post by rajababu »

लड़की चाहे किसी भी उम्र की हो , उत्तेजित होने के बाद उसके नंगेपन में चार चाँद लग जाते है.




निशु के साथ भी इस वक़्त यही हो रहा था..

अपने बेड पर वो किसी नागिन की तरह मचल रही थी, उसकी चूत से गाड़े रस की धार निकल कर उसकी चादर पर एक गीली लकीर छोड़ रहा था..
जिसे चाट्ता हुआ कुणाल उसकी चूत तक पहुँचा और उसे जोरों से चूसने लगा...

''आआआआआआआआअहह..... ओह.... निखिल्ल.....आई एम् बर्निंग..... प्लीज़ अंदर डाल दो अब अपने लंड को.....अहह आज बर्दाश्त नही हो रहा है....''



एक कुँवारी लड़की जब ऐसा करने को बोले तो समझ लेना चाहिए की वही सही मौका है...
हालाँकि कुणाल भी यही चाहता था पर बाहर से किसी के आने का डर भी बना हुआ था...
उसने जल्दी से पास पड़ा हुआ टावल उठा कर नीचे बाँधा और उपर अपनी टी शर्ट पहन कर दूसरे कमरे का हाल देखने निकल पड़ा...
वो जरा भी टाइम वैस्ट नही करना चाहता था.

दबे पाँव जब वो कमरे से बाहर निकल कर दूसरे कमरे की खिड़की तक गया तो अंदर का नज़ारा देखकर उसके दिमाग़ के सारे फ्यूज़ ही उड़ गये..
अंदर उसकी मंगेतर कामिनी अपनी पायजामी उतार कर अपनी चूत और बाद में अपनी रसीली गांड को अंकल जी को दिखा रही थी जो ठरकी बना उसके रसीले बदन को देखकर अपना लंड मसल रहा था...

उसकी हालत इस वक़्त ठीक वैसे ही थी जैसे कुछ देर पहले तक अंकल जी की थी...
उन्हे भी अपनी बेटी को ऐसी हरकत करते देखकर काफ़ी गुस्सा आया था...
कुणाल का भी यही हाल था...
उसे पता तो था की कामिनी कुछ तो मज़े लेने की कोशिश करेगी क्योंकि जब उसने खुद ही कुणाल को उसकी गर्लफ्रेंड के साथ अकेला रहने का मौका दिया है और उसे चोदने के लिए भी उकसाया है तो बदले में कुछ मज़े तो वो ले ही सकती है...
कुणाल को लगा था की थोड़ी बहुत टीज़िंग कर लेगी अंकल के साथ ताकि उन्हे उलझा कर रख सके पर ये देखने के बाद तो लग रहा था की यहां भी जल्द चुदाई तक बात पहुँचने वाली है क्योंकि मर्द चाहे किसी भी उम्र का हो, एक बार नंगा बदन देखने के बाद अपने आप पर कंट्रोल रखना उसके लिए काफ़ी मुश्किल होता है...

और जो कशमकश पहले अंकल के दिमाग़ में चल रही थी वही इस वक्त कुणाल के दिमाग़ में भी चल रही थी की अंदर जाकर उनके खेल का पर्दाफाश कर दे या वापिस जाकर अपना खुद का खेल खेले...

और जैसा की एक बुद्धिमान व्यक्ति पहले ही कर चुका था, दूसरे ने भी वही किया...
कुणाल भी उन्हे बिना कुछ बोले वापिस निशु के पास आ गया...

निशु अब तक बेड पर नंगी होकर लेटी थी और होले - 2 अपनी चूत में उंगली डालकर आने वाले लंड का इंतजार कर रही थी...

कुणाल अंदर आया और उसे देखते ही उसने तड़पति हुई सी आवाज़ मे कहा : "जल्दी आओ ना....अब मुझसे सहन नही हो रहा ...''



कुणाल ने मन सोचा 'साली, मैने जो दूसरे कमरे देखा, वो मैने कैसे सहन किया ये पूछ ज़रा....'

लेकिन उसे इस बात को बताने का कोई मतलब ही नही था...
पर उसने सोचा ज़रूर की उसे कैसा फील होगा जब उसे पता चलेगा की उसका बाप दूसरे रूम में अपनी बेटी की उम्र की लड़की और कुणाल की जवान मंगेतर के साथ कैसे गुलचर्रे उड़ा रहा है...
उसके चेहरे के एक्सप्रेशन देखने वाले होंगे..

पर निशु के नंगे बदन के आगे वो इन बातो को ज़्यादा देर तक सोचना नही चाहता था...
इसलिए उसने अपना टावाल निकाला और टी शर्ट को भी किनारे फेंकते हुए वो बेड पर कूद पड़ा...
और एक ही मिनट में वो निशु के जवान जिस्म को चाटते हुए वो सब भूल गया जो वो दूसरे कमरे में देखकर आया था...
अब तो निशु को चोदने के लिए उसे बहाना भी मिल गया था .

वो निशु के पूरे जिस्म को चाटने के बाद उसके उपर आया और अपना कड़क लंड उसने उसकी चूत पर लगा दिया...

एक और कुँवारी चूत का उधघाटन करने जा रहा था वो,
ऐसी एक्साइटमेंट उसे आज तक नही हुई थी.



निशु ने सिर हिला कर अपनी स्वीकृति दे दी और वो धीरे-2 उसपर झुकता चला गया...

और उसकी चूत पहले से ही इतनी गीली थी की उसके लंड को अंदर घुसने में उतनी तकलीफ़ नही हुई जितना की वो सोच रहा था...
अंदर जाने के लिए जब उस अवरोध से उसका लंड टकराया जिसे कुंवारेपन की झिल्ली कहा जाता है तो उसे उसने थोड़ा आराम से ही पार करने की सोची ,पिछली बार जब उसने कामिनी की झिल्ली फाड़ी थी तो वो काफ़ी चिल्लाई थी, ऐसा वो आज नही चाहता था...
इसलिए वहां तक पहुँचकर उसने लंड को वापिस खींच लिया...
फिर धीरे-2 अंदर डाला और उस झिल्ली से टकराकर लंड को वापिस ले आया...
ऐसा करने मे एक फायदा तो हो रहा था की निशु अभी तक मज़े से भरी सिसकारियां ले रही थी,
दर्द नाम की कोई चीज़ ही नही थी उसके चेहरे पर...
बल्कि वो तो उसके लंड को और भी अंदर लेना चाहती थी क्योंकि उसे भी पता था की उसे मज़ा देने के लिए कुणाल को सरहद पार जाना ही पड़ेगा.....
इसलिए हर बार जब उसका लंड झिल्ली तक आता तो वो उसकी गांड पर टांगे लगाकर उसे और अंदर खींचने की कोशिश किया करती थी...
और ऐसा करते-2 उसकी कुंवारेपन की दीवार कब ढह गयी ये तो ना उसे पता चला और ना ही कुणाल को...

पर अब पहले से ज़्यादा अंदर जा रहा था उसका लंड ,
इस एहसास से कुणाल को पता चल गया की लोंडिया पूरी चुद गयी है...
एक और कुँवारी चूत का राजतिलक उसके लंड के माथे पर लग चुका था..
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Re: पहली नज़र की प्यास

Post by rajababu »

निशि को अब थोड़ा दर्द भी हो रहा था, क्योंकि अंदर की दीवारे बाहर के मुक़ाबले थोड़ी ज़्यादा ही संकरी थी...
पर अंदर की गुफा में पहली बार किसी के एहसास को महसूस करके उसके पूरे बदन में सुरसुराहट सी हो रही थी...
वो अपनी आँखे मूंदे उस दर्द को नरंदाज करके सिर्फ़ मज़े को महसूस कर रही थी...

वो सिसकारते हुए बोली ''अहह..... मेरी जान..... निखिल्ल....... ज़ोर से चोदो अब मुझे.....पूरा ज़ोर लगाकर चोदो ....मैं आज पूरी तरह से तुम्हारी होना चाहती हूँ .....अहह''

कुणाल को किसी और इन्विटेशन की ज़रूरत नही थी अब....
उसने उसके सिर को दोनों तरफ से अपने हाथो से पकड़कर अपनी कोहनिया उसके कंधे पर टिकाई और उसके नर्म मम्मों पर लेटकर अपने लंड को पूरा अंदर बाहर करने लगा...
और इस बार वो ऐसे कर रहा था जैसे मोटर चला दी हो उसने अपने लंड की...
वो चूत के रस में भीगा हुआ सा अंदर बाहर हो रहा था...
किसी पिस्टन की तरह..



''अहह मरररर गयी रे.....अहह.......उम्म्म्मममम......आअज पता चला .....चुदाई क्या होती है.....अहह....इतने साल निकाल दिए....इसे महसूस करने में .......आह.....मजा अआ गया यार........आई लव यू कुणाल....... उम्म्म्मममम....चोदो मुझे ....ज़ोर से चोदो .....मुझे हमेशा के लिए अपनी बना लो कुणाल......निकाल दो अपना सारा रस मेरे अंदर......चोदो मुझे.....''

कुणाल तो उसकी बदहवासी देखकर खुद पागल सा हो रहा था...
अपने से भी ज़्यादा ठरकी लड़की अगर नीचे लेटकर चुदवाने के लिए बोले तो यही होता है....
कुणाल का लंड उसकी गर्म चूत और गर्म बातों के सामने जल्द ही जवाब दे गया और उसके लंड ने गरमा गरम सूजी का हलवा निशु की चूत में उड़ेलना शुरू कर दिया...

''आआआआआआअहह....ये ले मेरी जानन्....अहह.......यू आअर सो हॉट......आई लव यू टूऊssssss ....''

और गहरी साँसे लेता हुआ कुणाल उसके पसीने से भीगे बदन के उपर लेटकर हाँफने लगा...

निशु ने बड़े प्यार से उसके चेहरे को पकड़ा और उसके होंठो को चूमकर बोली : "अभी भी सोच लो....उससे शादी करनी ज़रूरी है क्या.....''

ये सुनकर एक बार फिर से कुणाल के चेहरे पर उलझन भरे भाव आ गये...

वो कुछ बोल पाता इससे पहले ही वो हँसती हुई बोली : "हा हा.....अरे पागल , मज़ाक कर रही हूँ .....ज़्यादा परेशान मत हो....पर हाँ, एक बात ज़रूर कहूँगी, मेरा पहला और आख़िरी प्यार हमेशा तुम ही रहोगे...और मेरे इस जिस्म पर भी हमेशा तुम्हारा ही पहला हक होगा...चाहे मेरी शादी हो जाए , उसके बाद भी, तुम जब बोलॉगे, जहां बोलॉगे, तुम्हारे लिए आ जाउंगी ....आई लव यू सो मच...''

और एक बार फिर से वो दोनो एक गहरी स्मूच में डूब गये...

कुणाल का लंड उसकी चूत से फिसल कर बाहर आ गया और पीछे से निकला ढेर सारा गाड़ा रस...
जो हल्का लाल रंग लिए ये भी बयान कर रहा था की आज चूत के अंदर कैसा कहर बरपा है.



यहां तो सब कुछ हो चुका था, वहीं दूसरे कमरे में बहुत कुछ होने वाला था....

अंकल जी की आँखे बंद हो गयी जब कामिनी ने उनकी बॉल्स को अपने हाथो में लेकर होले -2 मसला....
अकेले रहने के कारण उनके पास दुनिया भर का समय रहता था अपने लंड को सजाने संवारने का, और उसी वजह से वो कामिनी को इतना खूबसूरत दिख रहा था...
बाल का तो कामिनीन तक नही था, मालिश के बाद सुगंधित शेंपू से रोज रगड़कर उसकी सफाई करते थे वो, इसलिए महक भी रहा था,
ऐसे में तो कामिनी के मन में कोई चोर ना भी होता तो इस मौके को हाथ से जाने नही देती वो ..



अंकल जी तो किसी और ही दुनिया में खो चुके थे...
आज तक उनकी बीबी ने उनके लंड को मुँह में नही लिया था, उसके जाने के बाद एक दो बार अकेले में उन्होने अपने मोबाइल में कुछ मूवीस देखी थी, जिसमें लड़की बड़े चाव से लंड को चूसती है और फिर उसी लंड से चुदाई भी करवाती है...
बस उनके मन में इस वक़्त वही पिक्चर चल रही थी...



और वो ऐसा सोचते-2 खुद ही बुदबुदा उठे...

''चूस ले ......ले ले ना मुँह में ....आह.....डाल ले अंदर.....डाल ना...''

हालाँकि वो काफ़ी धीरे -2 बुदबुदा रहे थे पर उनकी आवाज़ कामिनी को सॉफ सुनाई दे रही थी और मज़े की बात ये थी की ऐसा ही कुछ उसका दिल भी बोल रहा था...

''चूस ले कामिनी...चूस ले इसे...देख ना , कितना चमकीला लॅंड है...है...मुँह में जाने के बाद कैसा फील होगा...''

और आख़िरकार उसने मन बना ही लिया उसे चूसने का..
पर साथ ही उसके शातिर दिमाग़ ने एक तरकीब भी बना ली ताकि जैसा वो कर रही है वैसा ही कुछ वो अंकल से भी करवा ले..

इसलिए उसने तुरंत उस खुश्बुदार लंड को अपने मुँह में लिया और एक जोरदार चुप्पा लेकर उसे चूस डाला..



''अहह ओह........ मररर्ररर गया......... क्या मजेदार मुँह है तुम्हारा.....''
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Re: पहली नज़र की प्यास

Post by rajababu »

लेकिन इससे पहले की वो कुछ और मज़े ले पाते, कामिनी ने अंकल जी का थूक से लिसड़ा लंड अपने मुँह से बाहर निकाल दिया...

एक पल के लिए तो अंकल जी भी हैरान रह गये..

पर कामिनी ने मुस्कुराते हुए उनसे कहा : "सॉरी, पर ये तो आप बिना गेम जीते ही मुझसे करवा रहे हो...हारे तो आप थे ना अंकल जी, आपने मुझे ये दिखाया और मुझे अच्छा लगा तो मैने ये तोड़ा सा कर लिया, अगली गेम में आप फिर से जीते तो पूरा कर दूँगी...प्रॉमिस...''

अंकल जी का तो चेहरा लाल हो गया ये सुनते ही...
मन तो किया की उसके मुँह में ज़बरदस्ती लंड घुसेड कर उसके मुँह में सारा माल निकाल दे,
पर ऐसा करना उन्हे शोभा नही देता था..

वो बोले : "कामिनी बेटी....क्यो तड़पा रही हो...जब मुँह में ले ही लिया था तो एक ही बार में कर दो ना, कितना मज़ा आ रहा था...''

कामिनी ने आँखे नचाते हुए कहा : "पर अंकल जी...वो गेम ..''

अंकल जी गुर्राए : "भेंन चुदवाने गयी गेम ...यहाँ मेरा लंड अकड़ कर मरे जा रहा है और अभी भी तुम्हे गेम की पड़ी है....''

उनकी बात सुनकर कामिनी की हँसी निकल गयी....
उन्हे सताने में कितना मज़ा आ रहा था और गाली देते हुए वो कितने क्यूट से लग रहे थे..

कामिनी : "ओके ...मैं कर तो दूँगी...पर आपको भी ...इसके बाद...मेरी...मेरी पुस्सी ''

उसके बोलने से पहले ही अंकल जी बोल पड़े : "हाँ हाँ , मैं भी चूसूंगा...तुम्हारी चूत को , आई मीन पुसी को अच्छे से चाटूँगा...आई प्रॉमिस...पर पहले ..ये मेरे....मेरे लंड को....अहह''

और इस बार बेचारे अंकल जी अपनी बात पूरी नही कर पाए क्योंकि कामिनी ने उनके लंड को बड़े ही सैक्सी तरीके से एक बार फिर से मुँह में भर लिया था और उसे चूसने लगी...
और इस बार पूरा अंदर लेकर और पहले से ज़्यादा बुरी तरह से..

अंकल जी अपने पंजो पर खड़े होकर हीसहिसा उठे : "आह.....ओह्ह्ह भेंन की लोड़ी .... उम्म्म्मममममममममममम..... अहह.... क्या मजेदार चीज़ है ये...सच में .... पहली बार करवाया है ऐसा....मज़ा आ गया....''

उनकी बात सुनकर कामिनी का दिल और भी ज़्यादा पसीज गया,
पहली बार है यानी इनको तो पूरा मज़ा देना बनता है...

बस...
फिर क्या था, उसने अपने मुँह की पूरी ताक़त लगा दी उनके लंड को चूसने में ...



और जब इतनी शिद्दत से उसने लंड को चूसा तो अंकल जी को ऐसा लगा की वो उनका लंड नही बल्कि उनकी जान चूस रही है लंड के थ्रू ,
ऐसा ही कुछ देर तक और चलता रहा तो वो जल्द ही उन्हे उनकी बीबी के पास भेज देगी उपर...

पर साथ ही साथ उन्हे इतना मज़ा भी आ रहा था की वो चाह कर भी उसे रोक नही पा रहे थे...
आज तो उन्होने सोच ही लिया था की जान जाती है तो जाए पर इस लंड चुसाई का मज़ा आख़िर तक लेकर ही रहेंगे...

और फिर वो पल भी आ गया जिसमे उन्हे सच में अपनी जान निकलने का एहसास हुआ,
पर वो उनका वहम था,
निकला तो बस लंड से ढेर सारा गाड़ा रस,
जो ना जाने कितने दिनों से संभाल कर रखा हुआ था अपने इस ख़ास मेहमान के लिए उन्होने...

कामिनी का पूरा मुँह एक ही बार में उनके लंड से निकली खीर से भर सा गया...
और वो माल था भी खीर जैसा ही मीठा..
इसलिए उसने देर नही लगाई उसे अंदर निगलने में.



एक ही पल में उसने पूरे लंड का पानी अपने पेट में गटक लिया और डकार भी नहीं मारी..

मुस्कुराते हुए उसने जब अंकल जी को देखा तो उनके चेहरे का पसीना बता रहा था की इस उम्र में उन्होने ये मेहनत जो की है, उससे कितना थक से गये है वो..

पर ये थकने का और बैठने का टाइम नही था, क्योंकि कामिनी की भी चूत धधक रही थी इस वक़्त....
उसे अब किसी भी कीमत में अपनी चूत को भी झड़वाना था...

इसलिए वो तुरंत उठी, और बेड पर जाकर लेट गयी,
नीचे से वो पहले से ही नंगी थी, इसलिए अपनी टांगे फेलाते ही उसकी वो खूबसूरत चूत एक बार फिर से सामने आ गयी, जिसपर इस वक़्त जवानी का शहद चमक रहा था...
और जिसे अंकल जी को चाटकार सॉफ करना था.

अंकल ने उसकी चूत को देखा और फिर थोड़ा उपर देखकर बोले : "अगर ये उपर वाले कपड़े भी निकाल देती तो सच में सारा मज़ा मिल जाता इसी जन्म में ...''

कामिनी का दिल तो वैसे ही काफ़ी बड़ा था,
उसने तुरंत उनकी बात मान ली,
आखिरकार ऐसे बूढ़े और हुस्न के दीवाने उसे रोज थोड़े ही मिलने वाले थे...
वो उठी और उसने एक ही झटके में अपनी कमीज़ उतार दी और ब्रा भी...
अब वो हुस्न की देवी अंकल जी के सामने उपर से नीचे तक पूरी नंगी होकर खड़ी थी...



एक जवान और हुस्न से लदी लड़की को अपने कमरे में नंगी देखकर अंकल जी बेकाबू हो गये और वो उसपर टूट पड़े...
चूत पर नही बल्कि सीधा उसके रसीले होंठो पर..

उसके चेहरे को पकड़ कर वो उसपर चढ़ गये और उसके होंठो को अपने मुँह में लेकर जोरो से चूसने लगे...
अंकल जी के पोपले मुँह में अपने कसावट भरे होंठो का स्पर्श कामिनी को भी अच्छा लग रहा था इसलिए उसने उन्हे पूरी छूट दे दी ताकि वो उसके होंठो का वो मीठा शहद जी भरकर पी ले..
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Re: पहली नज़र की प्यास

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पर नीचे उसकी चूत का भी बुरा हाल था...
जिसकी प्यास तो उनके होंठो या लंड से ही बुझ सकती थी..
अंकल जी का लंड तो इस वक़्त सिकुड कर मरा हुआ चूहा बन चुका था वो उसकी चूत के उपर ही रगड़ खा रहा था , अगर वो तना हुआ होता तो शायद वो उसे उसकी चूत में ही पेल डालते अब तक..
पर कामिनी शायद अभी उनसे चूत मरवाने के लिए तैयार नही थी,
ऐसा करना होता तो वो उनके लंड को मुँह में ही लेकर ना झाड़ देती...
अपनी होने वाली शादी का कुछ तो लिहाज रखना था उसे..

इसलिए उपर-2 की चूसम चुसाई से ही काम चलना था उसे और अंकल जी को...
उन्हे तो वो निपटा ही चुकी थी अब उसका नंबर था...
इसलिए अपने होंठो से धक्का देकर उसने अंकल को नीचे का रास्ता दिखाया जो जन्नत का द्वार था..
अंकल जी भी बड़े हरामी थे,
नीचे जाने मे भी उन्होने काफ़ी टाइम लगाया,
बीच में 2 पहाड़ी चेक पोस्ट भी तो आई थी, जिन्हे उन्होने जी भरकर चूसा और दबाया...
अपने अनुभवी मुँह का इस्तेमाल वो उसके हर अंग पर कर लेना चाहते थे..

उसके निप्पल्स को बारी-2 से चूसने के बाद उसके मोटे मम्मों को मुँह में भरकर काटा उन्होने...
अंकल जी का मन तो नही कर रहा था उन मुम्मों को छोड़ने का पर नीचे से आ रही शाही बिरयानी की खुश्बू अब उन्हे भी पागल कर रही थी, इसलिए वो उसके गोरे पेट और नाभि को चूसते हुए धीरे-2 नीचे जा पहुँचे और जब कामिनी की चूत पर अंकल जी की गर्म साँसे पड़ी तो कामिनी ने खुद ही उनके सफेदी से भरे बालों वाले सिर को पकड़ कर अपनी चूत पर खींच लिया और ज़ोर से कराह उठी

''ओह अंकल..... उम्म्म्ममममममममममममम...... म्*म्म्ममममम मजा आ गया..... अहह..... सकककककक मी...... अंकल....... जी..... अहह.... चूऊसो इसे.... ज़ोर से..... अहह''



बाकी का काम अंकल जी की करामाती जीभ ने किया,
उसकी चूत के दाने को उन्होने ऐसे कुरेदा की वो किल्कारियां मारकर बिस्तर पर ऐसे मचलने लगी जैसे वो दाना नही बल्कि उसकी जान हो और अंकल जी आज उसे अपने मुँह से निकाल कर निगल जाएँगे..

अंकल का एक हाथ उसके सीने पर था,
अब वो उसे दिलासा दे रहे थे या उसके मोटे मम्मे दबा रहे थे ये तो वही जाने पर एक साथ 2 जगह हुए इस हमले से वो बच नही सकी और अपनी चूत की रंग बिरंगी पिचकारियां उसने अंकल जी के मुँह में निकालनी शुरू कर दी..

''अहह अंकल...... मेरी जाअँन ...... अहह ओह्ह्ह वॉट ए फीलिंग..... उम्म्म्ममममममम .... मार डाला आपने तो...... सच कह रहे थे.... अभी ये हाल है तो जवानी में ...अहह क्या करते होंगे आप...... कमाल का तरीका है आपका....चूसने का.....अहह....मैं तो गयी......उम्म्म्मम...''

और धीरे-2 उसके हिचकोले ख़ाता हुआ शरीर शिथिल पड़ गया और उसने अपना सारा रज अंकल जी को अर्पित कर दिया जिसे वो किसी भूखे भेड़िए की तरह चाट गये..

कुछ देर बाद वो उठी और उसने खुद ही अंकल जी को अपने उपर खींच कर उन्हे अपने होंठ समर्पित कर दिए,
उनके हाथ अपने सीने पर रखकर खुद ही उन्हे दबा डाला और उनकी टाँगो पर टांगे फँसाकर उन्हे जितना हो सकती थी अपने अंदर खींच कर स्मूच करने लगी...

शायद आज का दिन अंकल जी की लाइफ का सबसे यादगार दिन बनकर रहने वाला था...

कुछ देर बाद वो खुद ही अलग हुए क्योंकि उन्हे अपनी बेटी का भी डर सता रहा था जो दूसरे कमरे में कुणाल के साथ वही सब कर रही थी जो इस वक़्त वो कामिनी के साथ कर रहे थे...

वो खड़े हुए और उन्होने कपड़े पहन लिए,
कामिनी भी बाथरूम में घुस गयी और कपड़े पहनकर और अच्छे से मेकअप करके वापिस आ गयी...

इसी बीच दूसरे कमरे में भी सब कुछ निपट चुका था इसलिए बाहर का वातावरण परखने के बाद कुणाल भी कमरे से बाहर आ गया...
कुछ देर तक बैठने के बाद वो कामिनी को लेकर घर आ गया.

कुणाल की इच्छा पूरी हो चुकी थी और निशु भी अपने आप को अपने पहले प्यार से चुदवाकर काफ़ी खुश थी...
हालाँकि वो जानती थी की वो प्यार अब उसका नही रहा पर ये एक खुशी वो अपने पास कुणाल की कामिनीनी बनाकर रखना चाहती थी...

वही दूसरी तरफ अंकल जी भी एक जवान जिस्म को भोगने के बाद अपने आप को दूसरी ही दुनिया में पहुँचा हुआ समझ रहे थे...
हालाँकि चूत नही मार पाए थे वो कामिनी की पर जितना भी किया था उसके साथ वो भी उनके लिए बहुत था...
कामिनी भी इस नये एक्सपीरियेन्स को पाकर काफ़ी खुश थी...

इस दीवाली पर सभी को कुछ ना कुछ मिल चुका था...
तीन पत्ती के खेल का उन सभी को खुश करने में काफ़ी बड़ा योगदान था...
वो खुशी जो उनके साथ पूरी उम्र रहने वाली थी.

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समाप्त
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