बहू नगीना और ससुर कमीना
- Rakeshsingh1999
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Re: बहू नगीना और ससुर कमीना
बहुत ही मस्त अपडेट।आगे भी लिखो यार
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एक कायर भाई(Running)....बाप नम्बरी बेटी दस नम्बरी(complete)....मिस्टर चैलेंज by वेद प्रकाश शर्मा(Complete)
क्या.....ये गलत है?(Complete)....चुदाई का ज्ञान(complete)
हाय रे ज़ालिम....(Complete)..माँ बेटी की मज़बूरी(Complete)परिवार(दि फैमिली) Completeपापा की दुलारी जवान बेटियाँ(Complete)....परिवार की लाड़ली(complete)....दीदी से सेटिंग(Complete)...
नाना ने बनाया दीवाना(Complete)...तीन बेटियाँ (complete) -----मेरे गाँव की नदी(complete)....,मेरी कमसिन भांजी और बेटी -1(complete) मेरी कमसिन भांजी और बेटी-2 (complete)-----पापा तुम गंदे हो(complete).......माँ की अधूरी इच्छा(Complete.....मेरी बहु की मस्त जवानी(Complete)....ठरकी अंकल(Complete)
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Re: बहू नगीना और ससुर कमीना
मुन्नी बताने लगी: फिर वो दोनों मेरे सामने खड़े थे और मैं बैठी थी तभी सलीम ने मेरी एक चूची दबाई और बोला: वाह क्या मस्त चूची है। देखो राजू मज़ा लो यार। अब राजू मेरी दूसरी चूची दबाने लगा। वो अब अपने तंबू मुझे गड़ाने लगे। मेरी तो घिघ्घि बंध गयी थी। फिर उन्होंने मेरे टॉप को उतार दिया और ब्रा को भी ऊपर करके मेरी चूचियाँ नंगी की और मस्ती से दबाने लगे। अब वो निपल्ज़ भी मसल रहे थे और मैं मारे उत्तेजना के सिसकियाँ लेने लगी थीं । ना चाहते हुए भी मुझे बहुत मज़ा आने लगा था। मुझे पैंटी में गीला सा महसूस हो रहा था।
मुन्नी बताए जा रही थी। और राजीव उसे गोद में बैठाकर उसकी जाँघ सहला रहा था। वो बोली: फिर वो झुके और मेरी चूचियाँ चूसने लगे। मेरी हालत ख़राब होने लगी थी। फिर उन्होंने अपना अपना लंड बाहर निकाला।
चारु: कैसा था उनका लंड?
सब चौंक कर उसे देखे तो वो शर्मा गयी।
मुन्नी: दीदी एक दम काला और बहुत मोटा था और बहुत बाल थे। और बहुत बास भी मार रहे थे। सलीम का तो पूरा नसों से भरा हुआ था। वो उम्र में भी बड़ा है ना। फिर वो मेरे दोनों हाथ खींच कर अपने अपने लंड पर रखे और मैं उनको सहलाने लगी। वो अब मेरी चूचियाँ दबाते हुए मेरी स्कर्ट उठाने लगे। मेरी पैंटी में उनके हाथ घुसने की कोशिश कर रहे थे। फिर सलीम बोला: मेरा लंड चूस साली। मैं बोली: छी इतनी बास आ रही है । पहले धो कर आओ। वह हँसा और एक बोतल में से पानी निकाल कर बस के अंदर ही अपना लंड पानी से साफ़ किया। फिर मेरे टॉप से लंड को पोंछकर मेरे मुँह के सामने ले आया। अब मेरे पास कोई चारा नहीं था सो मैंने अपना मुँह खोला और उसका लंड मेरे मुँह में घुस गया। अब वह क़मर हिलाकर मेरे मुँह में अपना लंड अंदर बाहर करने लगा।
उधर राजू ने भी अपना लंड साफ़ किया और वो भी मेरे पास आकर मेरे गाल से अपना लंड रगड़ने लगा। सलीम ने अपना लंड बाहर निकाला और राजू ने मेरे मुँह में डाल दिया। अब मैं बारी बारी से उनका चूस रही थी।
मालिनी अपनी बुर खुजाकर: यार तुझे तो अब मज़ा आने लगा होगा?
मुन्नी: हाँ दीदी। अब मैं भी मस्ती से चूसने लगी थी और उनका चूची मर्दन तो जारी ही था। तभी राजू आऽऽऽह करके मेरे मुख में पानी छोड़ने लगा। मैंने उसे हटाने की कोशिश की पर वो मेरे मुँह में अपना लंड पेलता ही रहा। मुझे उसका थोड़ा बहुत वीर्य पीना ही पड़ा बाक़ी का मैंने थूक दिया।
उधर अब सलीम ने मुझे बस की सीट पर लिटाया और मेरी स्कर्ट उठाकर मेरी पैंटी नीचे करके बाहर निकाल दी। अब वो मेरी पैंटी राजू को दिखाकर बोला: देख साली कितनी गरम हो गयी है पैंटी एकदम गीली है। फिर उसने मेरे पैरों को फैलाया और बोला: उफ़्फ़्फ राजू देख साली की चूत कितनी मस्त है? यह कहकर वो मेरी चूत में नाक डाला और सूँघा और बोला: उफ़्फ़्फ़्फ क्या मस्त गंध है । अब वो मेरी चूत को मूठ्ठी में लेकर मानो भींचने लगा। मेरी हालत पस्त हो रही थी। फिर वह अपना मुँह अंदर डालकर मेरी बुर चूसने और चाटने लगा। मेरी उइइइइइइइ निकलने लगी। और अगले ५ मिनट में ही मैं झड़ गयी और वो पूरा पानी पी गया।
तभी किसी कार के रुकने की आवाज़ आयी तो वह जल्दी से मुझे छोड़ा और मेरी पैंटी को अपनी जेब में डालकर बोला: चल कपड़े ठीक कर। मेरे को तो आज तेरी पैंटी से ही काम चलाना पड़ेगा। इसी में मूठ्ठ मारूँगा। मैं जल्दी से अपने कपड़े ठीक की और वो भी ड्राइवर की सीट पर बैठकर बस को दौड़ा दिया। मैंने देखा कि वो कार जो पास आकर मुझे बचाई थी उसमें भी एक जोड़ा आपस में लिपटे हुए थे। शायद इसीलिए उस सुनसान सी जगह पर आए थे और मेरी जान बच गयी। फिर वो मुझे उतार दिए मेरे स्टॉप पर और बोले: ख़बरदार अगर किसी को बताया तो।
मैं डर गयी थी और मैंने किसी को नहीं बताया।
मालिनी: अरे हमको तो बता दिया होता। फिर आज भी तंग किए क्या?
चारु: आज चोद दिए क्या?
राजीव ने गोद में बैठी मुन्नी की पैंटी में ऊँगलियाँ डाली और कहा: लगता तो नहीं है कि आज चुदी है ये।
मुन्नी: नहीं अंकल आज तो बाल बाल बच गयी। पर कल तो बुरी तरह से चोदा था दोनों ने।
मालिनी: ओह कल क्या हुआ?
मुन्नी: उस दिन के बाद तो मैं एक दिन डर के स्कूल नहीं गयी । बीमारी का कह कर घर में ही रही। पर अगले दिन जब गयी तो राजू बोला पास आकर फुसफुसाया: : कल क्यों नहीं आयी?
मैं: तबियत ठीक नहीं थी।
राजू: साली कुतिया , ख़बरदार जो नहीं आयी और किसी को बताया तो। आज साली तेरी चूत फाड़ेंगे ।
मैं चुप चाप स्कूल आने पर बस से उतर गयी। शाम को वापस आने के समय एक मैडम भी बस में चढ़ी और बोली: आख़री स्टॉप कौन सा है?
राजू: जी गांधी चौक। ठीक है मुझे वहीं उतार देना।
मैं मन ही मन ख़ुश हो गयी कि आज तो बची। मेरे स्टॉप पर मैं उतरी और मैडम के साथ होने के कारण कुछ हुआ नहीं।
पर कल सब गड़बड़ हो गया। वो मुझे लेकर उसी जगह बस को रोके और इस बार मुझे पूरा ऊपर से और नीचे से नंगी करके दोनों मेरे ऊपर चढ़ से गए। मेरी चूचियों को दबाकर और चूसकर मुझे बेहाल कर दिए। फिर राजू सीट पर बैठा और मुझे सीट पर खड़ा करके मेरी चूत चाटने लगा और सलीम पीछे से मेरे चूतडों को चूम चाट कर मेरी गाँड़ के छेद को चाटने लगा। मैं समझ गयी कि मैं बुरी तरह से फँस गयी हूँ। थोड़ी देर बाद राजू नीचे सीट पर लेटा और मुझे अपने ऊपर चढ़ा लिया और सलीम ने उसका लंड पकड़कर मेरी बुर में सेट किया। अब राजू ने नीचे से धक्का मारा और उसका मोटा लंड मेरी चूत में घुसता चला गया। उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़ कितना अच्छा लगा था। उधर ढेर सारा थूक लगा कर मेरी गाँड़ में सलीम ऊँगली कर रहा था और फिर उसने भी अपना लंड मेरी गाँड़ में सेट किया और मैं चीख़ उठी। जैसे कोई मोटा बाँस मेरी गाँड़ फाड़कर अंदर घुस रहा हो।
अब वो दोनों मुझे चोदने लगे। मैं शुरू के दर्द से उबरी और फिर मेरी चूत गीली होती चली गयी। उफ़्फ़्फ कितने चुदक्कड है दोनों। क़रीब आधा घंटे तक ज़बरदस्त चुदाई करने के बाद मेरे छेदों में अपना माल गिराकर हाँफने लगे। राजू: आऽऽऽह अंकल मज़ा आ गया। क्या बुर है साली की। गाँड़ कैसी है अंकल?
सलीम हाँफता हुआ: उफ़्फ़्फ मत पूछ । क्या मस्त चिकनी मलाई गाँड़ है। मज़ा आ गया साला।
राजू मेरी चूची चूसकर: अंकल तो एक एक राउंड और हो जाए छेद बदल कर।
सलीम कमीनी हँसी के साथ: हाँ हाँ क्यों नहीं। मैं मूत कर आता हूँ।
मैं रोकर बोली: अब जाने दो मुझे प्लीज़।
राजू: हाँ हाँ बेबी एक राउंड और चोद कर तुझे तेरे घर तक छोड़ आएँगे।
मैं रुआंसी होकर बोली: मुझे भी पेशाब आयी है।
सलीम: हाँ हाँ चलो नीचे उतरो यहाँ कोई नहीं है।
मैं: क्या मैं ऐसे नंगी उतरूँ? मेरे कपड़े दो।
सलीम: अरे यहाँ हम ही है। ये सुनसान जगह है। मेरा हाथ पकड़ना उतारा और मैं पूरी नंगी नीचे आकर एक कोने में बैठी और पेशाब करने लगी। सलीम और राजू आकर मेरे सामने खड़े हुए और मुझे पेशाब करते देखने लगे। मेरी पेशाब से सीटी की सामान्य सी आवाज़ आ रही थी। उन दोनों ने भी मेरे सामने ही पेशाब करना शुरू किया। उनके लंडों से मोटी धार निकल रही थी और मैं भी उत्तेजित होने लगी थी। उनके लंड भी अब खड़े होने लगे थे। माहोल ही काफ़ी सेक्सी हो गया था।
अब हम सब बस के अंदर आए और वो दोनों मुझे चूमने और चूसने लगे। फिर इस बार सलीम ने खड़े हुए मुझे अपनी गोद में उठा लिया और मैंने अपने दोनों पैर उसकी क़मर पर रखे और हाथ उसके कंधों पर रखे ताकि गिर ना जाऊँ। अब वी नीचे को झुका और खड़े खड़े ही अपने खड़े लंड को मेरी बुर में पेल दिया। राजू भी पीछे से खड़े खड़े थूक लगाकर मेरी गाँड़ में अपना लंड पेल दिया। उफ़्फ़्फ़्फ क्या बताऊँ अंकल दोनों ने बिना समय गँवाते हुए मेरी डबल चुदाई शुरू की। मैं अब मस्ती से दोनो छेदों में मोटे मोटे लंड का मज़ा ले रही थी। सलीम उत्तेजना से चिल्लाने लगा: उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़ क्या मस्त बुर है तेरी। उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़ कोई रँडी भी साली क्या मज़ा देगी आऽऽहहह।
राजू: आऽऽऽऽऽह सही कहा अंकल। उफ़्फ़्फ़्फ मस्त टाइट गाँड़ है कुतिया की। उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़ मादरचोद मैं तो गया। वह झड़ते हुए चिल्लाया। उधर सलीम ने मुझे खड़े खड़े ही क़रीब ३५ मिनट चोदा। मुझे तो याद नहीं कि मैं कितनी बार झड़ी। मैं इतनी पस्त हो गयी थी कि मुझे कपड़े भी उन दोनों ने ही पहनाए। किसी तरह मैं घर पहुँची थी।
चारु: ओह तो फिर आज क्या हुआ?
मुन्नी: आज भी वो मुझे ले जाने वाले थे। पर हुआ यूँ कि मैं पीछे सीट पर बैठी थी और कुछ भीड़ कम होने के बाद राजू मेरे पास आकर खड़ा हुआ और मुझे गंदे इशारे करने लगा। उसका मोबाइल उसके जेब में था। उसी समय दो लड़कों में लड़ाई हो गयी। वो उनको अलग करने गया तो उसका मोबाइल उसकी जेब से गिर गया। मैंने चुपके से उसे उठा लिया। वह अब उस लड़के की पट्टी कर रहा था जिसे ज़्यादा चोट लगी थी। मैंने उसके मोबाइल से वो विडीओ डिलीट कर दिया। तभी वह आया और मुझसे मोबाइल वापस लिया। मैंने कहा: मैंने विडीओ डिलीट कर दिया है। अब तुम मेरा कुछ नहीं बिगाड़ सकते।
तब तक २ बच्चे ही बस में थे और वो भी आगे बैठे थे। वह ग़ुस्सा हो गया और बोला: मेरे पास कॉपी है।
मैं उसे चेक करने के लिए बिना डरे बोली: ठीक है अब तुमको जहाँ पोस्ट करना है कर दो मैं अब तुम्हारी कोई ग़लत बात नहीं मानूँगी। इस पर वो ग़ुस्सा हुआ और मेरे पास आकर मेरी चूचियाँ दबाने लगा और बोला: साली रँडी तुझसे मैं बाद में निपटूँगा । उसके फ़्रस्ट्रेशन से मैं समझ गयी कि उसके पास कोई कॉपी नहीं है।
मैं किसी तरह उसका हाथ झटकी और उठकर खड़ी होकर चिल्लाई: बस रोको मुझे उतरना है वरना मैं शोर मचाऊँगी।
राजू जाकर ड्राइवर को शायद मोबाइल वाली बात बताया। सलीम ने गाड़ी रोकी और मैं उतर गयी और ऑटो लेकर घर आयी हूँ।
राजीव: कल स्कूल जाकर दोनों को नौकरी से निकलवाता हूँ।
मुन्नी: छोड़िए अंकल अब मै बस से नहीं जाऊँगी। शेयर्ड ऑटो इससे ज़्यादा अच्छा होगा।
राजीव उसकी बुर में ऊँगली डालकर उसे गरम कर दिया था। मुन्नी बोली: आऽऽह अंकल कुछ करोगे या बस ऊँगली ही करते रहोगे?
राजीव: अरे मुन्नी आज बहुत दिनों बाद तेरी दीदी को दो राउंड चोदा है। अब साला ये लंड कहाँ खड़ा होगा। चल तेरी बुर चूस देता हूँ। यह कहकर वो उसकी पैंटी निकाला और उसे सबके सामने सोफ़े पर लिटा दिया। उसकी टाँगें फैलाकर उसकी बुर में अपना मुँह घुसा दिया और आवाज़ के साथ सड़प सड़प चूसने लगा। मुन्नी उइइइइइइइ मॉआऽऽऽऽऽऽऽऽऽ आऽऽऽऽऽहह कहकर झड़ने लगी। राजीव ने अपना पूरा गीला मुँह उसकी जाँघों के बीच से बाहर निकाला और आस्तिन से मुँह पोंछ कर बोला: साला सलीम और राजू की क्या ग़लती है। इसकी बुर है ही इतनी स्वाद। म्म्म्म्म्म्म्म ।
इस पर सब हँसने लगे। मुन्नी हँसती हुई अपनी पैंटी पहनी।
मुन्नी बताए जा रही थी। और राजीव उसे गोद में बैठाकर उसकी जाँघ सहला रहा था। वो बोली: फिर वो झुके और मेरी चूचियाँ चूसने लगे। मेरी हालत ख़राब होने लगी थी। फिर उन्होंने अपना अपना लंड बाहर निकाला।
चारु: कैसा था उनका लंड?
सब चौंक कर उसे देखे तो वो शर्मा गयी।
मुन्नी: दीदी एक दम काला और बहुत मोटा था और बहुत बाल थे। और बहुत बास भी मार रहे थे। सलीम का तो पूरा नसों से भरा हुआ था। वो उम्र में भी बड़ा है ना। फिर वो मेरे दोनों हाथ खींच कर अपने अपने लंड पर रखे और मैं उनको सहलाने लगी। वो अब मेरी चूचियाँ दबाते हुए मेरी स्कर्ट उठाने लगे। मेरी पैंटी में उनके हाथ घुसने की कोशिश कर रहे थे। फिर सलीम बोला: मेरा लंड चूस साली। मैं बोली: छी इतनी बास आ रही है । पहले धो कर आओ। वह हँसा और एक बोतल में से पानी निकाल कर बस के अंदर ही अपना लंड पानी से साफ़ किया। फिर मेरे टॉप से लंड को पोंछकर मेरे मुँह के सामने ले आया। अब मेरे पास कोई चारा नहीं था सो मैंने अपना मुँह खोला और उसका लंड मेरे मुँह में घुस गया। अब वह क़मर हिलाकर मेरे मुँह में अपना लंड अंदर बाहर करने लगा।
उधर राजू ने भी अपना लंड साफ़ किया और वो भी मेरे पास आकर मेरे गाल से अपना लंड रगड़ने लगा। सलीम ने अपना लंड बाहर निकाला और राजू ने मेरे मुँह में डाल दिया। अब मैं बारी बारी से उनका चूस रही थी।
मालिनी अपनी बुर खुजाकर: यार तुझे तो अब मज़ा आने लगा होगा?
मुन्नी: हाँ दीदी। अब मैं भी मस्ती से चूसने लगी थी और उनका चूची मर्दन तो जारी ही था। तभी राजू आऽऽऽह करके मेरे मुख में पानी छोड़ने लगा। मैंने उसे हटाने की कोशिश की पर वो मेरे मुँह में अपना लंड पेलता ही रहा। मुझे उसका थोड़ा बहुत वीर्य पीना ही पड़ा बाक़ी का मैंने थूक दिया।
उधर अब सलीम ने मुझे बस की सीट पर लिटाया और मेरी स्कर्ट उठाकर मेरी पैंटी नीचे करके बाहर निकाल दी। अब वो मेरी पैंटी राजू को दिखाकर बोला: देख साली कितनी गरम हो गयी है पैंटी एकदम गीली है। फिर उसने मेरे पैरों को फैलाया और बोला: उफ़्फ़्फ राजू देख साली की चूत कितनी मस्त है? यह कहकर वो मेरी चूत में नाक डाला और सूँघा और बोला: उफ़्फ़्फ़्फ क्या मस्त गंध है । अब वो मेरी चूत को मूठ्ठी में लेकर मानो भींचने लगा। मेरी हालत पस्त हो रही थी। फिर वह अपना मुँह अंदर डालकर मेरी बुर चूसने और चाटने लगा। मेरी उइइइइइइइ निकलने लगी। और अगले ५ मिनट में ही मैं झड़ गयी और वो पूरा पानी पी गया।
तभी किसी कार के रुकने की आवाज़ आयी तो वह जल्दी से मुझे छोड़ा और मेरी पैंटी को अपनी जेब में डालकर बोला: चल कपड़े ठीक कर। मेरे को तो आज तेरी पैंटी से ही काम चलाना पड़ेगा। इसी में मूठ्ठ मारूँगा। मैं जल्दी से अपने कपड़े ठीक की और वो भी ड्राइवर की सीट पर बैठकर बस को दौड़ा दिया। मैंने देखा कि वो कार जो पास आकर मुझे बचाई थी उसमें भी एक जोड़ा आपस में लिपटे हुए थे। शायद इसीलिए उस सुनसान सी जगह पर आए थे और मेरी जान बच गयी। फिर वो मुझे उतार दिए मेरे स्टॉप पर और बोले: ख़बरदार अगर किसी को बताया तो।
मैं डर गयी थी और मैंने किसी को नहीं बताया।
मालिनी: अरे हमको तो बता दिया होता। फिर आज भी तंग किए क्या?
चारु: आज चोद दिए क्या?
राजीव ने गोद में बैठी मुन्नी की पैंटी में ऊँगलियाँ डाली और कहा: लगता तो नहीं है कि आज चुदी है ये।
मुन्नी: नहीं अंकल आज तो बाल बाल बच गयी। पर कल तो बुरी तरह से चोदा था दोनों ने।
मालिनी: ओह कल क्या हुआ?
मुन्नी: उस दिन के बाद तो मैं एक दिन डर के स्कूल नहीं गयी । बीमारी का कह कर घर में ही रही। पर अगले दिन जब गयी तो राजू बोला पास आकर फुसफुसाया: : कल क्यों नहीं आयी?
मैं: तबियत ठीक नहीं थी।
राजू: साली कुतिया , ख़बरदार जो नहीं आयी और किसी को बताया तो। आज साली तेरी चूत फाड़ेंगे ।
मैं चुप चाप स्कूल आने पर बस से उतर गयी। शाम को वापस आने के समय एक मैडम भी बस में चढ़ी और बोली: आख़री स्टॉप कौन सा है?
राजू: जी गांधी चौक। ठीक है मुझे वहीं उतार देना।
मैं मन ही मन ख़ुश हो गयी कि आज तो बची। मेरे स्टॉप पर मैं उतरी और मैडम के साथ होने के कारण कुछ हुआ नहीं।
पर कल सब गड़बड़ हो गया। वो मुझे लेकर उसी जगह बस को रोके और इस बार मुझे पूरा ऊपर से और नीचे से नंगी करके दोनों मेरे ऊपर चढ़ से गए। मेरी चूचियों को दबाकर और चूसकर मुझे बेहाल कर दिए। फिर राजू सीट पर बैठा और मुझे सीट पर खड़ा करके मेरी चूत चाटने लगा और सलीम पीछे से मेरे चूतडों को चूम चाट कर मेरी गाँड़ के छेद को चाटने लगा। मैं समझ गयी कि मैं बुरी तरह से फँस गयी हूँ। थोड़ी देर बाद राजू नीचे सीट पर लेटा और मुझे अपने ऊपर चढ़ा लिया और सलीम ने उसका लंड पकड़कर मेरी बुर में सेट किया। अब राजू ने नीचे से धक्का मारा और उसका मोटा लंड मेरी चूत में घुसता चला गया। उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़ कितना अच्छा लगा था। उधर ढेर सारा थूक लगा कर मेरी गाँड़ में सलीम ऊँगली कर रहा था और फिर उसने भी अपना लंड मेरी गाँड़ में सेट किया और मैं चीख़ उठी। जैसे कोई मोटा बाँस मेरी गाँड़ फाड़कर अंदर घुस रहा हो।
अब वो दोनों मुझे चोदने लगे। मैं शुरू के दर्द से उबरी और फिर मेरी चूत गीली होती चली गयी। उफ़्फ़्फ कितने चुदक्कड है दोनों। क़रीब आधा घंटे तक ज़बरदस्त चुदाई करने के बाद मेरे छेदों में अपना माल गिराकर हाँफने लगे। राजू: आऽऽऽह अंकल मज़ा आ गया। क्या बुर है साली की। गाँड़ कैसी है अंकल?
सलीम हाँफता हुआ: उफ़्फ़्फ मत पूछ । क्या मस्त चिकनी मलाई गाँड़ है। मज़ा आ गया साला।
राजू मेरी चूची चूसकर: अंकल तो एक एक राउंड और हो जाए छेद बदल कर।
सलीम कमीनी हँसी के साथ: हाँ हाँ क्यों नहीं। मैं मूत कर आता हूँ।
मैं रोकर बोली: अब जाने दो मुझे प्लीज़।
राजू: हाँ हाँ बेबी एक राउंड और चोद कर तुझे तेरे घर तक छोड़ आएँगे।
मैं रुआंसी होकर बोली: मुझे भी पेशाब आयी है।
सलीम: हाँ हाँ चलो नीचे उतरो यहाँ कोई नहीं है।
मैं: क्या मैं ऐसे नंगी उतरूँ? मेरे कपड़े दो।
सलीम: अरे यहाँ हम ही है। ये सुनसान जगह है। मेरा हाथ पकड़ना उतारा और मैं पूरी नंगी नीचे आकर एक कोने में बैठी और पेशाब करने लगी। सलीम और राजू आकर मेरे सामने खड़े हुए और मुझे पेशाब करते देखने लगे। मेरी पेशाब से सीटी की सामान्य सी आवाज़ आ रही थी। उन दोनों ने भी मेरे सामने ही पेशाब करना शुरू किया। उनके लंडों से मोटी धार निकल रही थी और मैं भी उत्तेजित होने लगी थी। उनके लंड भी अब खड़े होने लगे थे। माहोल ही काफ़ी सेक्सी हो गया था।
अब हम सब बस के अंदर आए और वो दोनों मुझे चूमने और चूसने लगे। फिर इस बार सलीम ने खड़े हुए मुझे अपनी गोद में उठा लिया और मैंने अपने दोनों पैर उसकी क़मर पर रखे और हाथ उसके कंधों पर रखे ताकि गिर ना जाऊँ। अब वी नीचे को झुका और खड़े खड़े ही अपने खड़े लंड को मेरी बुर में पेल दिया। राजू भी पीछे से खड़े खड़े थूक लगाकर मेरी गाँड़ में अपना लंड पेल दिया। उफ़्फ़्फ़्फ क्या बताऊँ अंकल दोनों ने बिना समय गँवाते हुए मेरी डबल चुदाई शुरू की। मैं अब मस्ती से दोनो छेदों में मोटे मोटे लंड का मज़ा ले रही थी। सलीम उत्तेजना से चिल्लाने लगा: उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़ क्या मस्त बुर है तेरी। उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़ कोई रँडी भी साली क्या मज़ा देगी आऽऽहहह।
राजू: आऽऽऽऽऽह सही कहा अंकल। उफ़्फ़्फ़्फ मस्त टाइट गाँड़ है कुतिया की। उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़ मादरचोद मैं तो गया। वह झड़ते हुए चिल्लाया। उधर सलीम ने मुझे खड़े खड़े ही क़रीब ३५ मिनट चोदा। मुझे तो याद नहीं कि मैं कितनी बार झड़ी। मैं इतनी पस्त हो गयी थी कि मुझे कपड़े भी उन दोनों ने ही पहनाए। किसी तरह मैं घर पहुँची थी।
चारु: ओह तो फिर आज क्या हुआ?
मुन्नी: आज भी वो मुझे ले जाने वाले थे। पर हुआ यूँ कि मैं पीछे सीट पर बैठी थी और कुछ भीड़ कम होने के बाद राजू मेरे पास आकर खड़ा हुआ और मुझे गंदे इशारे करने लगा। उसका मोबाइल उसके जेब में था। उसी समय दो लड़कों में लड़ाई हो गयी। वो उनको अलग करने गया तो उसका मोबाइल उसकी जेब से गिर गया। मैंने चुपके से उसे उठा लिया। वह अब उस लड़के की पट्टी कर रहा था जिसे ज़्यादा चोट लगी थी। मैंने उसके मोबाइल से वो विडीओ डिलीट कर दिया। तभी वह आया और मुझसे मोबाइल वापस लिया। मैंने कहा: मैंने विडीओ डिलीट कर दिया है। अब तुम मेरा कुछ नहीं बिगाड़ सकते।
तब तक २ बच्चे ही बस में थे और वो भी आगे बैठे थे। वह ग़ुस्सा हो गया और बोला: मेरे पास कॉपी है।
मैं उसे चेक करने के लिए बिना डरे बोली: ठीक है अब तुमको जहाँ पोस्ट करना है कर दो मैं अब तुम्हारी कोई ग़लत बात नहीं मानूँगी। इस पर वो ग़ुस्सा हुआ और मेरे पास आकर मेरी चूचियाँ दबाने लगा और बोला: साली रँडी तुझसे मैं बाद में निपटूँगा । उसके फ़्रस्ट्रेशन से मैं समझ गयी कि उसके पास कोई कॉपी नहीं है।
मैं किसी तरह उसका हाथ झटकी और उठकर खड़ी होकर चिल्लाई: बस रोको मुझे उतरना है वरना मैं शोर मचाऊँगी।
राजू जाकर ड्राइवर को शायद मोबाइल वाली बात बताया। सलीम ने गाड़ी रोकी और मैं उतर गयी और ऑटो लेकर घर आयी हूँ।
राजीव: कल स्कूल जाकर दोनों को नौकरी से निकलवाता हूँ।
मुन्नी: छोड़िए अंकल अब मै बस से नहीं जाऊँगी। शेयर्ड ऑटो इससे ज़्यादा अच्छा होगा।
राजीव उसकी बुर में ऊँगली डालकर उसे गरम कर दिया था। मुन्नी बोली: आऽऽह अंकल कुछ करोगे या बस ऊँगली ही करते रहोगे?
राजीव: अरे मुन्नी आज बहुत दिनों बाद तेरी दीदी को दो राउंड चोदा है। अब साला ये लंड कहाँ खड़ा होगा। चल तेरी बुर चूस देता हूँ। यह कहकर वो उसकी पैंटी निकाला और उसे सबके सामने सोफ़े पर लिटा दिया। उसकी टाँगें फैलाकर उसकी बुर में अपना मुँह घुसा दिया और आवाज़ के साथ सड़प सड़प चूसने लगा। मुन्नी उइइइइइइइ मॉआऽऽऽऽऽऽऽऽऽ आऽऽऽऽऽहह कहकर झड़ने लगी। राजीव ने अपना पूरा गीला मुँह उसकी जाँघों के बीच से बाहर निकाला और आस्तिन से मुँह पोंछ कर बोला: साला सलीम और राजू की क्या ग़लती है। इसकी बुर है ही इतनी स्वाद। म्म्म्म्म्म्म्म ।
इस पर सब हँसने लगे। मुन्नी हँसती हुई अपनी पैंटी पहनी।
- Rakeshsingh1999
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