बदसूरत

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Viraj raj
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Re: बदसूरत

Post by Viraj raj »

Masst update...... Mitra 👌👌👌😘😘😘😘😍😍😍👍👍👍💝💞💖
😇 😜😜 😇
मैं वो बुरी चीज हूं जो अक्सर अच्छे लोगों के साथ होती है।
😇 😜😜 😇

** Viraj Raj **

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mastram
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Re: बदसूरत

Post by mastram »

दोनों छत की तरफ देखते हुए सो रहे थे...एकदूसरे से थोड़ी दुरी पे थे मगर एक ही ब्लैंकेट के अंदर थे।


अविनाश:- सुहानी ये सोहन की तरफ थोडा ध्यान देनेनकी जरुरत है...


सुहानी:- क्यू क्या हुआ??


अविनाश:- अरे देखा नहीं तुमने पढाई में ध्यान नहीं है उसका...तुम कितना पढती थी...


सुहानी:- हा देखते है रिजल्ट आएगा तब पता चल ही जाएगा...


अविनाश:- तुम भी तो सेम कॉलेज में थी...जा के एक बार मिल के आना पड़ेगा...तुम भी साथ चलना।


सुहानी:- ओके पापा...


अविनाश:- पता तो चले की पढाई करता भी है या सिर्फ लडकियो के पीछे पीछे घूमता है...


सुहानी:- क्या आप भी...फिकर मत क8जिए वो आप पे नही गया है...मम्मी ने बताया था मुझे की आपकी कितनी सारी लडकिया फ्रेंड थी...शादी के बाद भी मिलने आती थी आपसे...सुहानी ने हस्ते हुए कहा।


अविनाश:- ह्म्म्म तुम्हारी मम्मी तो बस...ऐसा कुछ नहीं था...तुम्हारी मम्मी के होते हुए किसी और लड़की को क्यू देखु...


सुहानी:- हा वो भी है...मम्मी है ही इतनी खूबसूरत...


अविनाश:- तुम्हे पता है तुम्हारी और नीता की फिगर बिलकुल सेम थी जब मैंने उसे पहली बार देखा था...और वैसेही थी अभी कुछ सालो पहले तक...


सुहानी:- हा मैंने देखा है...मुझे याद है...बस फिगर हिब्समे है...सुहानी ने उदास होते हुए कहा....अविनाश समझ गया की वो उदास हो रही है...


अविनाश:- अरे फिर तुम उस बात को लेके बैठ गयी....


अविनाश पलटा और अंदर ही उसके हाथ पे हाथ रख दिया...


अविनाश:- मैंने कहा ना..तुम्हें इस बातबसे दुखी होने की जरुरत नहीं...सुहानी का हाथ उसे पेट पे था...उसके ऊपर अविनाश ने अपना हाथ रख दिया था...


सुहानी:- सॉरी पापा...लेकिन फिर भी ये तो सच्चाई है...


अविनाश :- कोई सच्चाई नही...तूम तो मेरी प्यारी बेटि हो...अविनाश ने उसके सर पे हाथ रखा और एक दो बार सहलाया और उसके माथे को चूम लिया और वही हाथ उसके गर्दन के निचे ले गया...और फिर वो खुद निचे तैय पे सर रख के छत की तरफ मुह करके सो गया और और थोडा सुहानी की और खिसक गया। उसका हाथ सुहानी के कंधे पे था...उसने थोडा उसे अपनी और खिंचा...सुहानी समझ गयी की वो क्या चाहता है...वो पलटी और उसने अपना एक हाथ अविनाश के पेट परख दिया और अपना सर उसककी छाती पे रख दिया।सुहानी:- थैंक्स पापा...आप बहोत अच्छे हो।


अविनाश सुहानी को अपने इतने नजदीक पा के खुश हो रहा था। उसका हाथ उसकी पीठ पे था और वो उसे सहला रहा था...


अविनाश:- ह्म्म्म चलो इसी बहाने मेरी एक और हसरत आज पूरी हो गयी...तुम्हे इस तरह अपनी बहो में लेके सोने की...बचपन में तो सिर्फ मम्मी के पास सोती थी तुम ऐसे।


सुहानी:- चलिए..आप का हाथ दर्द करने लग जाएगा...सुहानी ने उठाने की कोशिस की...


अविनाश ने उसे रोकते हुए कहा " कुछ नही होगा..थोड़ी देर ऐसेही रहो"


सुहानी चुप्पचाप लेटी रही। अविनाश ने थोडा हलचल की और एडजस्ट करने के बहाने से सुहानी को अपने आप से चिपक लिया...सुहानी ने पैर मोड़ रखे थे लेकिन अब उसकी चुचिया अविनाश के के छाती के साइड पे दब रही थी। ठण्ड का मौसम और साथ में गरम जवान जिस्म अविनाश का लंड खड़ा होने लगा...सुहानी भी गरम होने लगी थी। दोनों ने आँखे बन्द कर राखी थी।


अविनाश:- सुहानी ...उसने धीरे से आवाज दी।


सुहानी:- ऊऊऊ सुहानी ने भी धीरे सिर्फ आवाज की।


अविनाश:- सो गयी क्या?


सुहानी:- नही...


अविनाश:- क्या सोच रही हो??


सुहानी:- कुछ नही..


अविनाश:- तो फिर कुछ सोचो..


सुहानी:- क्या सोचु??


अविनाश:- ह्म्म्म सोचो की अगर मेरी जगह तुम्हारा कोई बॉयफ्रेंड होता तो??


सुहानी:- ओह्ह पापा..आप फिर शुरू हो गए...मेरा कोई बॉयफ्रेंड नहीं है...और मुझे सोचना भी नही है...वो सब गंदे होते है।


अविनाश:- क्यू क्या हुआ??


सुहानी:-वो सब गन्दी गन्दी बाते करते है...


अविनाश:- अच्छा??क्या गन्दी बाते?? हमारे टाइम तो बीएस हाथ पकड़के घंटो बैठे रहते थे...अब क्या होता है?? और तुम्हे किसने बताया??


सुहानी:- फ्रेंड्स ने...और कोण बताएगा?


अविनाश:- बताओ तो क्या बाते करते है...


सुहानी:- पापा प्लीज़ ना...आपको कैसे बोलू??


अविनाश:- अरे मैं भी फ्रेंड हु ना..


सुहानी:- हो...लेकिन नहीं बता सकती...


अविनाश:- क्या वो किस करते है??


सुहानी:- पापा प्लीज़...


अविनाश:- अरे तो किस तो नार्मल है...बताया न उस दिन...


सुहानी:- और भी बहोत कुछ करते है...


अविनाश:- जैसे की??


सुहानी:- मुझे नही बताना...आप सो जाइए मुझे भी सोने दीजिये...


अविनाश:-बताओ तो...क्या करते है?? सेक्स?


सुहानी:- छी...पापा आप भी ना...सुहानी ने एक हल्का सा थाप्प्पड़ उसके पेट पे मारा।


अविनाश:- क्या छी?? बताओगी नहीं तो कैसे पता चलेगा..


सुहानी:- हा...


अविनाश:- ओह्ह्ह ह्म्म्म*


सुहानी:- लेकिन ये गलत है..


अविनाश:- हा गलत तो है...पर..


सुहानी:- पर क्या?? शादी से पहले ये सब करना...


अविनाश:- हा...पर...बहक जाते है कई बार जवान लोग...


सुहानी:- मैं तो नहीं बहकी...सुहानी के मुह से निकल गया।


अविनाश:- तुम?? मतलब??


सुहानी:- वो..मैं..वो मैं ये कह रही थी की मैं नहीं बहकुंगी...


अविनाश:- अच्छा?? अछि बात है...लेकिन ये ऐसे डिसाइड नही कर सकते...कोई तुम्हे किस करे..तुम्हे छुए..तो तुम भी बहक सकती हो...ये नेचुरल है।


सुहानी:- नही बहकुंगी...


अविनाश:- ट्राय करके देखु क्या?


सुहानी:- पापाआआआ क्याआआआ?? कुछ भी...


अविनाश:- मजाक कर रहा था...वैसे बहाने में एक्सपर्ट हु मैं...


सुहानी:- पता है...

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mastram
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Re: बदसूरत

Post by mastram »


अविनाश:- कैसे पता है?? मैंने तो कुछ भी नही किया तुम्हारे साथ...


सुहानी:- कुचवकरने की जरुरत थोड़ी होती है...पता चल जाता है..


अविनाश:- ओह्ह्ह इसलिये तुम घबरा रही हो...


सुहानी:- नही...लेकिन आप जो बोल रहे हो वो लॉजिकल नहीं है...आप मेरे पापा हो...


अविनाश:-( ह्म्म्म जब मजे लेती हो तब नही याद आता)) हा तो क्या हुआ?? एक्सपेरिमेंट की बात हो रही है...


सुहानी:- मुझे नही करना...(ये पापा तो पिक्जे ही पड़ गए...लगता है आज कुछ करके ही मानेंगे...उफ्फ्फ्फ़ मेरी तो जान निकली जा रही है)


अविनाश:- ह्म्म्म लगता है डर गयी...अविनाश टर्न हुआ और थोडा निचे खिसक के उसके चहरे के सामने अपना चेहरा लाते हुए बोला...सुहानी की आँखे बंद थी लेकिन जैसे ही उसे अविनाश के साँसे अपने चहरे पे महसूस हुई उसने अपनई आँखे खोली...


सुहानी:- नहीं मैं नहीं डरती...सुहानी ने धीरे से कहा।


अविनाश:-अच्छा?? तो आओ मेरे पास...उसने सुहानी की कमर को पकड़ कर उसे अपनी और खिंचा...


सुहानी:- पापा...क्या कर रहे हो छोड़ दीजिये...सुहानी बस बोल रही थी *कर कुछ भी नहीं रहि थी..


अविनाश:- क्यू डर लग रहा है??


सुहानी:- नही..लेकिन आप ...


अविनाश:- मैं क्या...अविनाश ने उसे और अपनी तरफ खिंचा और अपना टाइट लंड उसकी चूत के आस पास वाले एरिया पे रगड़ा।


सुहानी:- आप ये जो कर रहे हो ये गलत है...छोड़ दीजिये मुझे प्लीज़...सुहानी अविनाश से दूर होने की कोशिस की और उसकी छाती पे अपने दोनों हाथ रखे और उसे दूर धकेलने लगी।


अविनाश ने उसे छोड़ दिया...क्यू की वो ऐसा प्रतीत हो रहा था जैसे वो सुहानी पे जबरदस्ती कर रहा है।


अविनाश:- डरपोक कही की...बोलती है मुझे डर नही लगता...


सुहानी:- पापा आप ना आज बहोत ही नॉटी हो रहे हो...


अविनाश:-ह्म्म्म कुछ भी...नॉटी होना किसे कहते है तुम्हे पता ही नही...


सुहानी:- पता है....मुझे सब पता है...


अविनाश:- कुछ नही पता...मैंने तो बस तुम्हे अपनी बाहो में लिया था...सिर्फ इसको तुम नॉटी बोल रही हो...अविनाश उसकी और टर्न हुआ और अपना एक हाथ को फोल्ड किया और अपना हाथ पे अपना सर रख दिया। सुहानी छत की तरफ मुह करके लेटी थी...उसने टर्न करके अविनाश किंतर्फ देखा...


सुहानी:- फिर आपके हिसाब से क्या है??


अविनाश:- हम्म मेरे हिसाब से?? मेरे हिसाब से तो यहां (दूसरा हाथ ऊपर लेते हुए उसके होठो पे रखते हुए) किस करना...फिर बूब्स को छूना....


सुहानी:- ईईईए पापाआआआ चुप बैठो...


अविनाश:- लो खुद ही पूछती हो और...


सुहानी:- अपना चेहरा शरमाके दूसरी और करते हुए...मुझे नहीं सुनना( पापा बूब्स बोल रहे है शरम भी नहीं आती इनको)*


अविनाश:- अब बूब्स को बूब्स ही बोलते है ना....और उसे छूना और दबाना नॉटी हरकत होती है...


सुहानी:- ईई छी छी पापा...मुझे नहीं बात करनी आपसे...सुहानी टर्न हुई और अपना चेहरा ब्लैंकेट के अंदर छुपा लिया...


अविनाश:- फिर क्या कहते है?? मुझे बताओ... अविनाश ने ब्लैंकेट के ऊपर से उसके कंधे को पकड़ कर अपनी और उसका चेहरा करने की कोशिश की।


सुहानी:- मुझे नहीं पता...सो जाओ...


सुहानी ने ब्लैंकेट के अंदर से हि जवाब दिया।


अविनाश वापस सीधा हुआ और लेट गया।


सुहानी:- आज पापा तो बड़े ही मुड़ में लग रहे है...क्या क्या बोल रहे हो...कल तक तो सिर्फ चुपके चुपके था अब मेरे सामने खुले आम ...बापरे...


अविनाश:-ह्म्म्म्म चुपके चुपके मजा लेती है और ऐसा कुछ बोलो तो मुह छुपा लेती है...



अविनाश बहोत कोशिश कर रहा था खुल के बात करने की लेकिन थोड़ी झिझक उसके मन में भी थी। सुहानी का शर्माना लाजमी था...आग दोनों तरफ लगी थी लेकिन पहला कदम कोण उठाएगा ये सवाल था...


अविनाश उठा और बाथरूम चला गया। सुहानी ने देखा अविनाश बाथरूम चला गया है तो वो सीधी हो के लेट गयी। अविनाश बाथरूम से आकर ब्लैंकेट के अंदर चला गया और सीधा लेट गया। * सुहानी इस बार खुद ही उसका हाथ पकड़ा और उसके छाती पे सर रख दिया अपना हाथ उसके पेट पे रख के सो गयी।


अविनाश:- क्या हुआ सुहानी??


सुहानी:- कुछ। नही...ऐसे सोना अच्छा लग रहा था...लेकिन आप हो की...


अविनाश:- अरे वो तो मैं ऐसेही....


सुहानी:- बहक गए थे क्या ही ही ही...सुहानी ने फिर उसे छेड़ा।


अविनाश:- हा थोडासा....


सुहानी:- छी पापा...


अविनाश:- देखा खुद ही बात निकालती हो फिर खुद ही छि ई करने लगती हो।


सुहानी:- ठीक है...अब सो जाइए...11 बज गए है। और मुझे बहोत नींद आ रही है।


अविनाश:- थिक् है...


दोनों चुपचाप लेट गए और सोने लगे...लेकिन दोनों जानते थे की नींद तो उनको आने से रही।


अविनाश ने अपना हाथ सुहानी के हाथ पे रखा और दूसरा पीठ पे।...उन दोनों के चहरे ब्लैंकेट से बाहर थे बाकि बदन ब्लैंकेट के अंदर। थोड़ी देर बाद सुहानी खुद ही थोडा आगे खिसकी और उससे चिपक गयी।


अविनाश को उसकी जांघे अपनी जांघो से रगड़ खाती महसूस हुई...


अविनाश:- ओह्ह्ह ये तो खुद ही चिपक रही है...लगता है मचल रही है ...चलो अगर ये ऐसेही मजे लेना चाहती है तो ऐसेही सही...


दरसल जब अविनाश बाथरूम गया था तब सुहानी ने सोचा की बात करके बोल के आगे बढ़ना उससे नही होगा लेकिन खामोश रह कर अविनाश को सिग्नल तो दे सकती है...इसलिए वो अब खुद उससे चिपक रही थी।



अविनाश थोड़ी देर ऐसेही लेता रहा...फिर उसने अपना हाथ जो उसने सुहानी के हाथ पे रखा था उसे उठाया और सुहानी के चूची पे रखा लेकिन वो ठीक से छु नहीं पा रहा था...ये चीज सुहानी ने नोटिस की वो खुद ही सीधी लेट गयी। अविनाश का हाथ अपने आप ही उसी चुचियो पे आ गया....अविनाश धीरे धीरे दबाने लगा...


अविनाश:- स्स्स्स्स् अह्ह्ह्ह क्या मस्त माल है स्स्स्स कितना भी दबाओ मन ही नही भरता...थोड़ी देर वो ऐसेही सुहानी की। चुचिया दबाता रहा...लेकिन वो पोजीशन ठीक नही थी...इसे दिक्कत हो रही थी...उसने अपना हाथ जो सुहानी के गर्दन के निचे दबा हुआ था उसे निक्काला और सुहानी की तरफ टर्न हो गया...उसने देखा सुहानी आँखे बंद किये हुए पड़ी है...उसने धीरे से ब्लैंकेट को निचे खिंचा...उसने देखा की सुहानी इधर मुह करके सो रही थी।


अविनाश:- वाओ क्या मस्त लग रही है इसकी चुचिया स्स्स्स्स्...अविनाश अपना हाथ फोल्ड करके हथेली पे अपना सर रख दिया...एयर अपना दूसरा हाथ चुचियो पे रख दिया...और धीरे धीरे उन्हें दबाने लगा...


सुहानी:- स्स्स्स्स् अह्ह्ह्ह्ह उम्म्म्म्म्म अह्ह्ह्ह्ह कितना अच्छा लग रहा है स्स्स्स


अविनाश:- आज पता चल रहा है इनका ओरिजिनल साइज़ उफ्फ्फ्फ़ कितनी बड़ी बड़ी है स्सस्सस्स नीता से भी बड़ी है उम्म्म्म्म्म


अविनाश एक एक करके उसकी चुचिया सहला रहा था दबा रहा था....फिर उसने निप्पल को पकड़ा और धीरे से दबाया...


सुहानी:-मन में.... अह्ह्ह्ह पापा निप्पल नही स्स्स्स्स् उम्म्म्म्म


अविनाश:- स्स्स्स्स् कितना मोटा है निप्पल इसका उम्म्म्म्म


सुहानी को बहोत मजा आ रहा था...लेककिं अपनी सिसकियो की वो कैसे रोक। रही थी सिर्फ उसे ही पता था।


अविनाश पपागल हो चूका था....वो जी भर के उसकी चुचियो को दबा रहा था....अब उसने सुहानी के पेट पे हाथ रखा और उसका टॉप ऊपर करने लगा...धीरे धीरे ऊपर खिंच रहा था...वो जनता था सुहानी जग रही है...उसे किसी बात का डर नही था...उसने टॉप को पूरा ऊपर कर दिया....उसने देखा नील बल्ब के रोशनी में सुहानी की सावले रंग की एकदम गोल एयर सुडोल चुचिया चमक रही थी...उसपे वो काले रंग के बड़े बड़े निप्पल जामुन के जैसे लग रहे थे...अविनाश ने अपना हाथ आगे बढ़ाया...उसके हाथ काँप रहे थे...उसने अपना हाथ एक चूची पे रखा...
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mastram
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Re: बदसूरत

Post by mastram »

सुहानी:-मन में....स्सस्सस्स आह्ह्ह्ह मर गयी उफ्फ्फ्फ्फ्फ पापा प्लीज़ बस कीजिये उम्म्म्म्म्म मर जाउंगी मैं अह्ह्ह्ह्ह


अविनाश:- उफ्फ्फ्फ्फ़ स्स्स्स्स् अह्ह्ह्ह्ह *उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़् कितनी सुन्दर है ...आज पहली बार पूरी चुचिया देख रहा हु स्स्स्स्स् अह्ह्ह


अविनाश ने देखा सुहानी दूसरी तरफ मुह करके सो रही है....अविनाश एक एकक करके चुचियो को दबा रहा था...सुहानी सख्त बड़ी बड़ी चुचिया उसके इ हाथ में समां नही रही थी। उसका लंड किसी रॉड की तरह कड़क हो गया था। सुहानी का भी वही हाल था...अविनाश के गरम और सख्त हाथो का स्पर्श अपनी चुचियो पे पाकर वो उत्तेजना के सागर में डुबकी लगा रही थी...अविनाश ने थोड़ी देर उसकी चुचियो खूब दबाया और सहलाया...


अविनाश:- (निप्प्ल्स को पकड़ते हुए) स्सस्सस्स अह्ह्ह्ह्ह कितने मोटे है स्स्स्स्स् इनको चूसने का मन कर रहा है....


अविनाश ने *सुहानी की एक चूची को दबाया और अपना मुह उसकी निप्पल पे रख दिया ...उसे धीरे से किस किया...और फिर उसको अपने होठो पे पकड़ा और जुबान से धीरे *धीरे छेड़ने लगा...


सुहानी:- मन में....अह्ह्ह्ह उफ्फ्फ स्स्स्स हा पापा उफ्फ्फ ऐसेही उम्म्म्म चूसो और अह्ह्ह्ह्ह बहोत अच्छा लग रहा है स्सस्सस्स मर गयी अह्ह्ह्ह*


अविनाश:-मन में...स्स्स्स्स् अह्ह्ह्ह कितना मजा आ रहा है स्सस्सस्स उफ्फ्फ्फ्फ़ वोव्व्व् उम्म्म्म जवान चुचियो की बात ही कुछ और होती है स्सस्सस्सस


*अविनाश ने अब उसकी दूसरी चूची का निप्पल अपने मुह में लेके चूसने लगा...और अपना एक हाथ सुहानी के पेट पे रख दिया और उसकी नाभि में डाल दिया...


सुहानी:-स्स्स्स अह्ह्ह्ह उम्म्म ओह्ह्ह्ह मेरी नाभि के साथ खेलमरहे है स्सस्सस्स कही चूत पे हाथ न ले जाय बहोत गीली हो चुकी है स्सस्सस्स अह्ह्ह्ह्ह*


सुहानी का शक सही था...अविनाश ने धीरे धीरे अपना हाथ निचे ले जाना शुरू क्किया और आखिर में सुहानी के चूत पे रखा...पॅंटी नही होने के कारण उसका हाथ उस सलवार के ऊपर से सीधा उसकी गीली चूत को हो रहा था।

अविनाश:- अह्ह्ह्ह्ह्ह स्स्स्स्स् ये तो कितनी गीली है स्सस्सस्सस उफ्फ्फ्फ्फ्फ्फ्फ़ लगता है बहोत मजा आ रहा है उम्म्म्म्म आँखे खोलो सुहानी स्स्स्स्स् खुल के मजा लो स्स्स्स्स्स्स्स


सुहानी:- ओह्ह्ह्ह्ह मम्मी मर गयी स्स्स्स्स्स्स्स अह्ह्ह्ह्ह नहीं अह्ह्ह्ह अब बर्दास्त नही हो रहा स्स्स्स्स्स्स्स हे भगवान् अह्ह्ह्ह क्या करू उफ्फ्फ्फ्फ्फ्फ़


अविनाश उसकी चूत के गीलेपन को अच्छेसे देख रहा था...उसकी फूली हुई गर्म चूत को के ऊपर से अपना हाथ घुमा रहा था।



अविनाश:- अह्ह्ह्ह्ह स्स्स्स्स् कितनी चिकनी चूत है इसकी स्सस्सस्सस्सस्स अह्ह्ह्ह और गीली आह्ह्ह्ह काश इसको चाट सकता उफ्फ्फ्फ्फ़ मजा आ जाता...कोई नही इसे ऐसे खेलता हु की खुद उठ के कहेगी की चाटो चोदो उम्म्म्म्म्म


सुहानी:- अह्ह्ह अह्ह्ह्ह नो प्लीज़ उफ्फ्फ्फ्फ़ स्सस्सस्स


सुहानी ये सब किस तरह बर्दास्त कर रही थी उसे ही पता था....अविनाश ने अपनी बिच की उंगली को उसकी चूत के ऊपर निचे से ऊपर ता घुमाया...सुहानी को उसका ऐसा करना बहोत अच्छा लग रहा था ।अविनाश ने उसके चूत के दाने को सहलाया...सुहानी के मुह से आह निकल गयी...सुहानी ने झट से खुद को रोक और टर्न हो गयी...अविनाश अब रुकने वाला नही था...उसने अपना हाथ एक बार फिर ऊपर लाया और उसकी चुचिया दबाने लगा....और अपना लंड सुहानी के गांड पे रगड़ने लगा.....


अविनाश:- सुहानी...सुहानी...(अविनाश ने उसे आवाज दी लेकिन सुहानी ने कोई जवाब नही दिया) स्सस्सस्स अह्ह्ह्ह्ह 7फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्


अविनाश स7हानि के गांड पे लंड के धीरे धीरे झटके मार रहा था। चुचियो को। दबाते हुए वो अपना लंड सुहानी की गांड पे रगड़ रहा था...अगर वो पैंट और सलवार ना होता तो उसका लंड सुहानी की गांड में घुस चूका होता।

सुहानी किसी बूत की तरह लेटी अपनि आहे और सिस्कारिया कण्ट्रोल करने में लगी थी।


अविनाश ने अपना हाथ निचे लिया और फिरसे उसकी चूत पे रखने लगा लेकिन सुहानी इस तरह सोई थी की उसका हाथ उसकी चूत तक नही पहोंच पा रहा था...



अविनाश:-उम्म्म्म अगर इसको अब पूरा गरम करना है तो इसकी चूत को छूना ही पड़ेगा और अपना लंड भी इसके हाथ में देना पड़ेगा...



अविनाश ने ब्लैंकेट पूरा हटाया और सुहानी को सीधा किया...सुहानी भी चुपचाप सीधी हो गयी...अविनाश ने अपना पैंट और अंडरवियर निचे किया और लंड बाहर निकाला....अविनाश वासना में अँधा हो चूका था...हवस उसपे हावी हो चुकी थी...उसने। सुहानी का हाथ पकड़ा और अपने लंड पे रख दिया। सुहानी को एक तेज तर्रार झटका लगा...उसने बिना कुछ किये अपना हाथ उसके लंड पे वैसेहहि रहने दिया जैसा उसने रखा था...



सुहानी:- omg उफ्फ्फ्फ्फ्फ ये क्या पापा ने मेरा हाथ सीधा अपने नंगे लंड पे रख दिया...उफ्फ्फ्फ्फ़ कितना गरम है ये स्स्स्स्स्स्स्स और कितना टाइट ओह्ह्ह्ह म्म्मम्म्म्मम्म अंकल के लंड से मोटा। और लंबा भी स्स्स्स्स्स्स्स अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह


अविनाश सुहानी के कोमल हाथो का स्पर्श अपने लंड पे पा के उत्तेजना ककी चरम सीमा तक पहोंच गया था...उसने सुहानी के हाथ को अपने लंड के इर्द गिर्द लपेटा और उसका हाथ पकड़ के मुठ मारने लगा....

अविनाश:-अह्ह्ह्ह स्सस्सस्स उफ्फ्फ्फ्फ्फ कितना तड़पा हु मैं इस पल के लिए अह्ह्ह्ह्ह सुहानी अह्ह्ह्ह आँखे। खोलो स्स्स्स अह्ह्ह मजा आ रहा है ना???? उफ्फ्फ्फ्फ्फ्फ़ अह्ह्ह्ह्ह्ह


अविनाश ने अपना हाथ सुहानी की चूत पे रखा और अपनि बिच की उंगली सलवार समेत अंदर डालने की कोशिस करने लगा...सुहानी भी अब बहोत गरम हो चुकी थी....सुहानी का हाथ अब भी अविनाश के लंड पे था....लेकिन वो कुछ। कर नही रही थी लेकिन उसे अविनाश के लंड को ऐसे पकड़ के बहोत मजा आ रहा था....अब अविनाश सुहानी के चूत के दाने को अपनी उंगली से गोल गोल घुमा के मसल रहा था....और बिच बिच में अपना *लंड सुहानी के मुट्ठी में आगे पीछे कर रहा था....दोनों सब कुछ भूल चुके थे वो बीएस चरम सुख पाने के लिए तड़प रहे थे....सुहानी के पैर अकड़ने लगे थे और साथ ही उसकी पकड़ लंड पे कसी जा रही थी....अविनाश को समझ गया की अब सुहानी को मजा आने लगा है....वो भी धीरे धीरे साथ देने लगी है....


अविनाश:+अह्ह्ह्ह सुहानी उम्म्म्म और कसके पकड़ो अह्ह्ह्ह स्स्स्स ऊपर निचे करो बहोत मजा आ रहा है...अविनाश सुहानी कण के पास जा के धीरे से बोला....


सुहानी उस वासना भरे पल के उन्माद में जो अविनाश ने बोला वो करने लगी...वो लंड को ऊपर निचे करने लगी....अविनाश ये देख के बहोत खुश हुआ...उसने सुहानी। के चूत के दाने को और तेज रगड़ना शुरू किया....सुहानी का बदन अब पूरा अकड़ने लगा था...वो झड़ने के बेहद करीब थी...और अविनाश भी झड़ने ही वाला था....

कुछ देर में ही वो पल आ गया जब सुहानी अपने पापा के हाथो पहली बार झड़ने वाली थी....उसने अपनी कमर थोड़ी ऊपर उठायी और अगले ही पल वो झड़ने लगी....और इधर अविनाश ने भी अपना वीर्य उगलना शुरू कर दिया....वो इतना तेज झाड़ा की उसके वीर्य की पिचकारियां सुहानी पेट पे बेड पे हाथ पता नही कहा कहा जा गिरी.....सुहानी का भी वही हाल था...सुहानी के झड़ने की वजह से अविनाश का पूरा हाथ गिला हो चूका था...सुहानी तेज तेज सांसे लेते हुए आँखे बंद करके लेटी हुई थी....अविनाश भी धड़ाम से बेड पे गिर गया...कई दिनों बाद वो इतना तेज झड़ रहा था...



आखिर अविनाश और सुहानी ने अपनी मर्यादा लाँघ दी थी...इसमे क्या गलत क्या सही कोई नही बता सकता था...एयर वो दोनों उस पल ये सोचना भी नही चाहते थे क्यू की वो बस उस पल का मजा लेना चाहते थे।
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