भोली-भाली शीला compleet

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jay
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Re: पंडित & शीला

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पंडित & शीला पार्ट--11



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गतांक से आगे ......................

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माधवी ने अपनी आँखे बंद कर रखी थी, ये जैसे उसकी तरफ से एक स्वीकृति थी की आओ पंडित कर लो मेरे साथ जो तुम्हारी इच्छा हो ..भोग लो मेरे जिस्म को ...चोद डालो अपनी इस दासी को ..समा जाओ मुझमे आज बहार बनकर ..


ये सब सोचते -2 उसके चेहरे पर मुस्कराहट आ गयी .वो तो बस इन्तजार कर रही थी की कब पंडित का लंड उसकी चूत पर दस्तक दे और कब वो उनसे लिपट जाए ..


पर काफी देर तक कोई प्रितिक्रिया न होती देखकर उसने आँखे खोली तो पाया की पंडित तो कमरे में ही नहीं है ..वो हेरान-परेशान होकर इधर -उधर देखने लगी ..वो उठी और खिड़की से बाहर झांका तो पाया की पंडित बाहर खड़ा हुआ किसी से बात कर रहा था ..मंदिर में शायद कोई आया था ..समय भी काफी हो चला था ,वो ज्यादा इन्तजार नहीं कर सकती थी ..थोड़ी ही देर में रितु भी आने वाली थी , उसने जल्दी-2 अपने कपडे पहने और पीछे के दरवाजे से बाहर निकल कर अपने घर चली गयी ..


पंडित जब थोड़ी देर में वापिस आया तो माधवी को वहां ना पाकर वो रहस्यमयी हंसी हंसने लगा ..वो जान बूझकर माधवी को प्यासा छोड़कर बाहर निकला था मंदिर के सामने खड़े हुए अपने एक भक्त को अन्दर उससे बातें करने लगा था ..वो माधवी को थोडा और तडपाना चाहता था ..चोदने के लिए उसके पास शीला तो थी ही ..इसलिए वो अपने सारे प्रयोग माधवी पर करना चाहता था ..


थोड़ी देर में ही शीला भी आ गयी ..वो आज पंडित जी के लिए घर से ख़ास पकवान बनाकर लायी थी ..होली जो आने वाली थी 2 दिनों के बाद, उसने घर पर गुजिया और लड्डू बनाए थे, जो वो पंडित जी के लिए लेकर आई और दोनों मिलकर वहीँ मंदिर में बैठ गए और बातें करने लगे ..आज पंडित जी को शीला से कुछ विशेष बात भी करनी थी और इसके लिए मौका भी अच्छा था.


शीला बार -2 पंडित जी की तरफ लालसा से भरी हुई नजरों से देख रही थी , उसकी चूत में खुजली हो रही थी , वो बस यही सोच रही थी की आज पंडित जी इतना विलम्ब क्यों कर रहे है ...अन्दर जाने में ..और उसे चोदने में ..


पंडित भी शीला की कसमसाहट को देखकर मन ही मन मुस्कुरा रहा था ..


पंडित : "क्या हुआ शीला ..तुम आज थोडा असहज दिखाई दे रही हो .."


शीला : "जी नहीं ...ऐसा कुछ नहीं ..वो बस मैं ...मैं ...सोच रही थी ..की आज आप अन्दर क्यों नहीं ..चल रहे .."


उसने पंडित के कमरे की तरफ इशारा किया ..


पंडित : "चलते हैं ..इतनी जल्दी क्या है ..लगता है तुम्हे अब रोज चुदने की आदत सी पड़ गयी है ..है ना ..."


शीला ने शरमा कर अपना मुंह नीचे कर लिया ..

पंडित : "अच्छा सुनो, याद है तुमने कहा था की मुझे किसी भी काम के लिए मना नहीं करोगी .."


शीला : "याद है पंडित जी ..आप आज्ञा कीजिये ..क्या करना है मुझे ..मैं आपके लिए कुछ भी करने को तैयार हु .."

शीला ने अपना सीना आगे किया और विशवास के साथ पंडित की आँखों में आँखे डालकर बोली .


पंडित : "तो सुनो ..तुम्हे आज रात 9 बजे मेरे पास आना होगा , और जो काम हम रोज दिन में करते हैं , वो आज रात में करेंगे ..और एक नए तरीके से करेंगे .."


पंडित की बात सुनकर शीला चोंक गयी ..रात में पंडित के पास आना काफी मुश्किल था , घर पर माँ-पिताजी आ चुके होंगे ..वो उन्हें क्या बोलेगी, कैसे निकलेगी ..


पंडित ने उसकी परेशानी भांप ली और बोला : "तुम रात की चिंता मत करो ..तुम घर पर बोल देना की आज पंडित जी ने तुम्हारे पति की आत्मा की शान्ति के लिए एक विशेष पूजा रखी है जो रात को ही हो सकती है और तुम्हारा उपस्थित रहना आवश्यक है, कोई तुमपर किसी भी प्रकार का शक नहीं करेगा .."


पंडित जी की फूल प्रूफ योजना सुनकर शीला भी मुस्कुरा दी ..और बोली : "पर पंडित जी ..इतना जोखिम लेकर रात को ही करने की क्या सूझी आपको ..दिन में भी तो वही मजा लिया जा सकता है .."


पंडित : "शीला ...कुछ चीजों का मजा रात को ही आता है ..और आज जो मजा मैं तुम्हे देने की बात कर रहा हु वो लेकर तो तुम रोज रात को ही मेरे पास आया करोगी .."


पंडित जी की लालच भरी बात सुनकर शीला भी सोचने लगी की ये रात कब होगी ..


और दूसरी तरफ, पंडित जी का लंड अभी थोड़ी देर पहले ही झडा था, इसलिए उन्हें किसी प्रकार की कोई जल्दी नहीं थी ..पर हाँ कुछ ऊपर के मजे जरुर लिए जा सकते थे ..शीला के तने हुए मुम्मे देखकर उनके मन में उन्हें दबाने का विचार हुआ और वो उसे धीरे से बोले : "तुम अन्दर जाओ ..और अपनी साड़ी उतार दो ..और ऊपर से ये ब्लाउस और ब्रा भी ..मैं बस अभी आया .."


पंडित जी की बात सुनकर, मन ही मन 'कुछ तो मिलेगा' ये सोचते हुए वो अन्दर की तरफ चल दी .


पंडित जी ने जल्दी-2 मंदिर के काम निपटाए ..और अन्दर आ गए और आशा के अनुरूप शीला अर्धनग्न अवस्था में किसी आज्ञाकारी यजमान की तरह उनके बिस्तर पर बैठी हुई थी ..उसके कड़े -2 निप्पल देखकर पंडित का लंड भी कडा होने लगा ..पर रात की बात सोचकर उन्होंने किसी तरह अपने आप पर काबू किया ..वो आगे आये और अपनी जीभ से शीला के खड़े हुए निप्पल को छुआ ..


अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह स्स्स्स्स्स ......पंडित जी ...


शीला ने एक ही झटके में पंडित जी का चुटिया वाला सर पकड़ा और अपनी छाती पर जोर से दबा दिया ..


पंडित जा का पूरा मुंह उसके गुदाज मुम्मे के ऊपर धंस सा गया ...जीभ और होंठों की दिवार पार करता हुआ उसका निप्पक बिना किसी अवरोध के पंडित के मुंह में जा घुसा ..आज शीला की उत्तेजना अपनी चरम सीमा पर थी ..उसके निप्पल के चारों तरफ बने हुए ब्राउन घेरे पर बने हुए छोटे -2 दाने भी आज पंडित को अपनी जीभ और होंठों पर महसुस हो रहे थे ..पंडित के दांत और जीभ उसके मुम्मे की सेवा करने में व्यस्त हो गए ..


पंडित का दूसरा हाथ उसके दुसरे मुम्मे को पीस रहा था ..


पंडित : "ओह्ह्ह ...शीला .....इतने मुलायम और स्वादिष्ट स्तन मैंने आज तक नहीं चखे ...अह्ह्ह्ह ....कितने मस्त है ये ....पुच्च्छ्ह ....."


पंडित में मुंह से अपने शरीर की सुन्दरता सुनने में शीला को बहुत मजा आता था ..वो मंद-2 मुस्कुराती हुई पंडित के सर को अपने स्तनों पर इधर-उधर घुमा रही थी ..और आवेश में आकर वो उसके माथे के ऊपर चुबनों की बारिश करने लगी ...


शीला : "अह्ह्ह पंडित जी ....उम्म्म्म ....चूसिये ...और जोर से चूसिये ...आपके होंठों की कस्मसाहट मुझे अपने स्तनों पर रात भर महसूस होती है ..अह्ह्ह्ह ....चबा जाइये इन्हें ...ये आपके ही है ..."


शीला ने तो जैसे अपने स्तन पंडित जी को दान ही कर दिए, वो उन्हें किसी भी प्रकार से इस्तेमाल करने की पूरी छूट दे रही थी ..और पंडित जी भी इस छूट का पूरा अवसर उठा रहे थे ..और उसके स्तनों को चूसने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे थे ..


शीला से अब सहा नहीं जा रहा था ..उसने पंडित जी का हाथ पकड़ा और अपनी पेटीकोट के ऊपर से ही अपनी चूत के ऊपर लगा कर जोर से दबा दिया ..

"अह्ह्ह्ह्ह पंडित जी ......क्यों तडपा रहे हो .....देखो ना ...मेरी चूत कितनी गरम हो चुकी है ...अह्ह्ह्ह ...रात को जो करना है वो कर लेना ..पर अभी तो कुछ करो इसका ...नहीं तो मैं मर जाउंगी ...अह्ह्ह्ह ..."


पर पंडित भी काफी समझदार था, वो जानता था की अभी करने से वो रात वाला काम उससे करवा नहीं पायेगा ...


वो उसके स्तनों को ही चूसता रहा ..


शीला कुछ और बोल पाती तभी दरवाजे पर दस्तक हुई ..


शीला एकदम से चोंक कर उठ बैठी ..


तभी बाहर से आवाज आई : "पंडित जी ..मैं रितु ...दरवाजा खोलिए ..."


पंडित ने फुसफुसा कर शीला को बताया के ये वही लड़की है जिसे तुमने आज से टयूशन पढ़ाना है .


शीला के गर्म शरीर पर जैसे ठंडा पानी डल गया, पर वो कर भी क्या सकती थी ..पंडित ने उसके कपडे उसके हाथ में पकडाए और बाथरूम में जाकर पहनने को कहा और ये भी कहा की जब तक वो ना बुलाये , बाहर न निकले ..


पंडित ने अपने खड़े हुए लंड को बैठ जाने की रिक़ुएस्ट की और जाकर दरवाजा खोल दिया ..सामने रितु खड़ी थी, सफ़ेद टी शर्ट और घुटनों तक स्कर्ट पहने ..पर ये क्या, उसकी टी शर्ट का दांया हिस्सा , यानी उसकी दांयी चूची पूरी तरह से भीगी हुई थी ..और अन्दर से उसकी शमीज के नीचे छुपी हुई क्यूट सी ब्रेस्ट साफ़ नजर आ रही थी ..खासकर उसके लाल रंग के निप्पल ..


पंडित : "अरे रितु ..आओ ..ये क्या ..तुम भीगी हुई क्यों हो .."



पंडित ने अपनी लम्बी ऊँगली रितु की छाती की तरफ करके पूछा ..और ऐसा करते-2 वो ऊँगली एक बार तो उसकी छाती से छुआ भी दी ..


वो पहले से ही घबराई हुई थी, पंडित की ऊँगली अपने निप्पल पर लगते ही वो हडबडा भी गयी और पंडित जी के शरीर से रगड़ खाते हुए अन्दर आ गयी ..और रुन्वासी होकर बोलने लगी : "देखिये न पंडित जी ..अभी होली आने में दो दिन है, पर फिर भी ये गली के लड़के अभी से होली खेलने लग गए हैं ..घर से निकलते ही मेरे पीछे 2 लड़के पड़ गए ..बचते हुए आई पर एक गुब्बारा मार ही दिया कमीनो ने ..यहाँ ..."


अपनी ब्रेस्ट के ऊपर इशारा करते हुए वो रोने लगी ..


पंडित जी : "अरे ..अरे ..कोई बात नहीं ..गुब्बारा ही तो मारा है ना ..तुम्हे लगा तो नहीं ज्यादा तेज .. "


पंडित आगे आया और उसके कंधे पर हाथ रखकर सहानुभूति जताने लगा ..और सोचने लगे ..सच में कमीने थे ..कितना सटीक निशाना मारा है ..नजदीक आकर खड़े होने से उसकी नजरे ज्यादा करीब से उसकी निप्पल को देख पा रही थी ..जो शायद रितु को नहीं पता था ..


पंडित ने अपना गमछा उसको दिया और पानी पोंछने के लिए कहा ..


और रितु किसी अबोध लड़की की तरह पंडित के सामने ही अपनी गुदाज छातियों के ऊपर वो गमछा मसल -2 कर पानी को साफ़ करने लगी ..वो जब अपनी छातियों को दबाती तो टी शर्ट के ऊपर की तरफ एक गुब्बारा सा बन जाता जैसे सारा मांस बाहर निकल कर आने को आतुर हो ..


पंडित जी गमछे की किस्मत को सरहा रहे थे ..और सोच रहे थे की काश मैं होता गमछे की जगह ..


रितु : "धन्यवाद पंडित जी ..ये लीजिये अपना गमछा ..और वो आंटी अभी तक नहीं आई ..जिन्होंने टयूशन पढाना था .."


रितु की बात सुनते ही पंडित को बाथरूम में छुपी हुई शीला का ध्यान आया ..वो सोचने लगे की कैसे रितु से छुपाकर वो शीला को बाहर निकाले ..


वो बोले : "वो आती ही होगी ..पर तुम्हारा स्कूल बेग कहाँ है .."


रितु : "ओह ..वो तो बाहर ही रह गया ..मैं भीग गयी थी न , इसलिए मंदिर में ही रख दिया था ..रुकिए ..मैं अभी लेकर आती हु .."


पंडित ने चेन की सांस ली और उसके जाते ही भागकर बाथरूम से शीला को निकाला और उसे पीछे के दरवाजे से बाहर निकाल कर दोबारा अन्दर आने को कहा ..


जैसे ही रितु अपना बेग लेकर वापिस आई, पीछे के दरवाजे पर दस्तक हुई और पंडित ने जाकर खोला ..और शीला को अन्दर ले आये ..

पंडित ने रितु की तरफ देखा और बोले : "यही है वो जो तुम्हे टयूशन पढ़ाएगी ..इनका नाम शीला है .."


ऋतू ने शीला को नमस्ते किया और अपना बेग खोलकर उसमे से बुक्स निकालने लगी .


शीला भी बेमन से उसे पदाने लगी, उसका मन तो अभी तक अपनी अधूरी चुदाई पर अटका हुआ था .


पंडित अपने बेड पर बैठा हुआ था और शीला की पीठ उनकी तरफ थी और वो नीचे बैठ कर रितु को पढ़ा रही थी .


पंडित की नजरों के सामने शीला की नंगी पीठ और रितु का भीगा हुआ स्तन था ..अचानक शीला को अपनी पीठ पर पंडित की उँगलियों का आभास हुआ ..वो कसमसा कर रह गयी ..पंडित अपनी ठंडी-2 उँगलियाँ उसकी गर्दन के नीचे वाले हिस्से पर घुमा रहा था ..शीला के जिस्म के रोंगटे खड़े होने लगे ..


पंडित ने रितु से कहा : "तुम्हारे एग्जाम कब तक हैं .."


रितु : "जी अगले हफ्ते तक ..बस तभी तक की जरुरत है मुझे ..उसके बाद तो अगली क्लास में चली जाउंगी .."


पंडित ने मन ही मन सोचा की उसके पास सिर्फ एक हफ्ते का ही टाईम है रितु की चुदाई करने के लिए ..उसने बैठे हुए मन ही मन तरकीबे बनानी शुरू कर दी .


1 घंटे के बाद पंडित ने शीला से कहा : "आज के लिए इतना बहुत है ..अब इसे कल पढ़ाना ..अब तुम जाओ ..और रात को वो पूजा के समय जरुर आ जाना .."


शीला ने पंडित से कोई सवाल नहीं किया ..और उठकर खड़ी हुई और उन्हें प्रणाम करके अपने घर चली गयी ..


अब उन्होंने अपना पूरा ध्यान रितु के ऊपर लगाया ..जो अपनी बुक्स अपने बेग में डाल रही थी .


पंडित : "रितु ...पढाई के अलावा और क्या रुचियाँ है तुम्हारी .."


रितु : "पंडित जी ..मैं घर पर माँ का हाथ बंटाती हु, सहेलियों के साथ खेलती हु, टीवी देखती हु ..बस .."


पंडित : "तुम्हारी सिर्फ सहेलियां ही हैं ..कोई लड़का दोस्त नहीं है ..?"


पंडित के मुंह से ऐसी बात सुनकर वो उनके मुंह की तरफ आश्चर्य से देखने लगी ..


पंडित : "अरे ..ऐसे क्या देख रही हो ..तुम सुन्दर हो ..जवानी की देहलीज पर खड़ी हो ..ऐसी अवस्था में कोई लड़का दोस्त ना हो , ऐसा तो हो ही नहीं सकता .."


रितु : "जी नहीं पंडित जी ...ऐसा कुछ नहीं है ..मेरा कोई लड़का दोस्त नहीं है ..और ना ही मैं इस बारे में सोचती हु .."


पंडित ने देखा की उसके निप्पल कड़े होने लगे हैं, और बात करते हुए उसके होंठ भी फड़क रहे हैं ..


पंडित : "चलो अच्छी बात है ..कोई नहीं है ..इन चीजों से जितना दूर रहो, उतना ही अच्छा है ..पर कभी तुम्हे किसी ने छुआ भी नहीं ..या फिर कभी किसी ने तुम्हे ..."


पंडित ने बात बीच में ही छोड़ दी ..वो रितु के मुंह से गिरधर वाली बात उगलवाना चाहते थे ..


पंडित की बात सुनते ही रितु कांपने सी लगी ..उसे जैसे वो सब याद आने लगा जब उसके पिताजी ने उसे पकड़कर मसल सा दिया था और उसके नाजुक होंठों को चूस कर उसका सारा रस पी गए थे ..


वो कुछ ना बोली ...बस बैठी रही ..पंडित ऊपर बेड पर बैठा हुआ उसके हाव भाव का जाएजा ले रहा था ..


पंडित : "देखो ..तुम शायद जानती नहीं हो ..मेरे अन्दर अद्भुत शक्ति है ..मैं सामने वाले के मन की बातें जान लेता हु ..तुम जो भी सोच रही हो सब मुझे दिख रहा है .."


रितु का भयभीत चेहरा पंडित को घूरने में लग गया ..पंडित ने वही आईडिया अपनाया था जिसे उसने गिरधर पर आजमा कर उसके मन की बात जान ली थी ..जबकि ये सब कुछ माधवी ने उसे बताया था ..
रितु : "क्या ...क्या दिख रहा है ...आपको ..पंडित जी ..."


वो शायद परखना चाहती थी की पंडित जी सच ही बोल रहे हैं ..


पंडित : "तुम्हे किसी ने अपनि बाहों में दबोचा हुआ है ..और तुम्हे बेतहाशा चूम रहा है .."


पंडित की बात सुनते ही वो उठ खड़ी हुई और पंडित जी के पैरों को पकड़ कर रोने लगी ..: "पंडित जी ..ये बात आप किसी से मत कहना ..प्लीस ...पंडित जी ..मैं बदनाम हो जाउंगी ...अगर किसी को पता चला की मेरे पिताजी ने मेरे साथ ये सब किया ..."


उसने आखिर कबुल कर ही लिया ..पर ये इतना घबरा क्यों रही थी ..पंडित ने उसके मन में विशवास बिठाने के लिए उसके कंधे पर हाथ रखे और उसे अपने पास बिस्तर पर बिठा लिया : "अरे पगली ...मैं भला ऐसा क्यों करूँगा ..मुझे भी तेरी इज्जत की उतनी ही चिंता है ..जितनी तुझे ..चुप हो जा .."


कहते -2 उन्होंने उसे सर को अपने कंधे पर रख लिया और उसकी कमर सहला कर उसे आश्वासन देने लगे ..


उसने ब्रा तो पहनी नहीं हुई थी ..शर्ट के अन्दर सिर्फ शमीज थी ..ऐसा लग रहा था की उसकी मांसल कमर और पंडित के हाथ में बीच कुछ भी नहीं है ..पंडित भी अपनी आँखे बंद करके उसके टच का मजा लेने लगा ..


पंडित : "पर एक बात सच-2 बताना ..तुम्हे कैसा एहसास हुआ था जब गिरधर ने तुम्हे ...चूमा था .."


पंडित के कंधे रितु का सर था, वो तेज साँसे लेने लगी जो पंडित को अपनी गर्दन पर साफ़ महसूस हुई ..


पंडित ने प्यार से उसके सर पर हाथ फेरा : "बोलो ...सच बोलना ..तुम जानती हो न ..मेरी शक्ति के बारे में .."


पंडित ने उसके सामने झूठ बोलने की कोई जगह ही नहीं छोड़ी थी ..पर फिर भी वो सब कुछ बताने में घबरा रही थी ..

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Re: पंडित & शीला

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पंडित & शीला पार्ट--12



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गतांक से आगे ......................

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पंडित : "देखो रितु , तूम मुझे अपना हितेषी समझो ..तुम जवानी की जिस देहलीज पर हो, वहां काफी तरह की उलझने मन में होती है जिनका निवारण होना अनिवार्य है ..वर्ना तुम सभी चीजों को अपने हिसाब से सोचने लगती हो और उनसे डर कर एक विचार बना लेती हो ..जो कई बार सही नहीं होता ..मुझे पता है तुम ये सब बातें अपनी माँ से भी नहीं करती हो ..और ना ही तुम्हारी कोई और सहेली इतनी समझदार है जिसे इन सब बातों के बारे में विसतृत जानकारी हो ..इसलिए बोल रहा हु, तुम्हारे मन में किसी भी प्रकार का कोई भय या प्रश्न है, तुम मुझे बता सकती हो, मैं उसका उचित निवारण करूँगा .."


पंडित की बातें सुनकर रितु ने भी सोचा की उनसे डरने का कोई ओचित्य नहीं है, वो तो उसकी मदद ही करना चाहते हैं, इसके लिए उसे सब तरह की शर्म छोड़कर उन्हें अपने मन की बात बतानी ही होगी ..


रितु ने बोलना शुरू किया : "दरअसल ...पंडित जी ...वो ...मुझे ....बस इतना जानना है की ...की ..जो भी पिताजी ने किया ...उसकी वजह से ...मुझे ..कोई ....मेरा मतलब है ..मुझे बच्चा ....तो नहीं हो जाएगा .."


रितु की बचकाना बात सुनकर पंडित जी मुस्कुराए बिना नहीं रह सके ..दरअसल गलती उसकी भी नहीं थी ..हमारी शिक्षा प्रणाली में अभी तक सही तरीके से लड़कियों और लडको को ये नहीं बताया जाता की क्या करने से बच्चा होता है और क्या करने से नहीं ..और इसी बात का फायेदा पंडित को उठाना था ..


पंडित : "अरे तुम ये कैसी बाते कर रही हो ..लगता है तुम्हे इन सब बातों का कुछ भी ज्ञान नहीं है .. चलो कोई बात नहीं ..मैं तुम्हे सब बता दूंगा ..पर पहले तुम मुझे उस दिन वाली बात विस्तार में बताओ जब गिरधर ने तुम्हे ...पकड़ा था .."


वो बात सुनते ही रितु का चेहरा फिर से लाल हो उठा ..उसकी नजरें फिर से नीचे हो गयी, पंडित उसे समझाने के लिए कुछ बोलने ही वाला था की रितु ने धीरे से बोलना शरू किया : "उस दिन ..पिताजी हमेशा की तरह अपने कमरे में बैठ कर शराब पी रहे थे ..माँ किचन में थी ..पिताजी ने मुझसे कुछ सामान मंगवाया ..मैं जैसे ही उनके पास लेकर गयी, उन्होंने मेरा हाथ पकड़ लिया ..ये आम बात थी, पर उस दिन उनकी पकड़ कुछ ज्यादा जोर वाली थी , वो बोले 'तुम ही हो जो मेरा पूरा ध्यान रखती हो ..रितु , आओ , इधर आओ , मेरे पास ..' और पिताजी ने मुझे मेरी कमर से पकड़ कर अपने पास खींच लिया .."


पंडित बीच में ही बोल पड़ा : "तुमने उस दिन पहना क्या हुआ था ..?"


रितु : "जी मैंने एक लम्बी फ्रोक पहनी हुई थी ..जो मैं अक्सर रात को पहन कर सोती हु .."


और वो आगे बोली : "उन्होंने मुझे अपनी तरफ खींचा और मेरा बेलेंस नहीं बन पाया और मैं उनकी गोद में जा गिरी ..और उनका हाथ सीधा मेरी ...मेरी ब्रेस्ट के ऊपर आ गया ..मुझे लगा की शायद गलती से लग गया होगा, पर फिर उन्होंने मेरी ब्रेस्ट को ..दबाना शुरू किया तो मुझे पता चल गया की वो जान बुझकर कर रहे हैं ..मुझे तो कुछ समझ नहीं आया की वो ऐसा क्यों कर रहे हैं ..मैंने अपनी सहेलियों से सुना था की ऐसा मर्द और औरत करते हैं बच्चा पैदा करने के लिए ..और वो बात याद आते ही मैं बेचैन हो गयी ..की पिताजी मेरे साथ ऐसा क्यों करना चाहते हैं ..मैं उठने लगी और मम्मी को आवाज देनी चाहि तो उन्होंने मेरे चेहरे को पकड़ा और मुझे चूमने लगे ...उनके मुंह से शराब की गन्दी स्मेल आ रही थी ...उनकी मूंछे मुझे चुभ रही थी ..और वो बड़ी ही बेदर्दी से मेरे होंठों को चूस रहे थे ...और ...और ..मेरी ब्रेस्ट को भी दबा रहे थे .....मेरा तो पूरा शरीर कांपने लगा था ..समझ नहीं आ रहा था की क्या हो रहा है ...मेरी आँखों से आंसू निकलने लगे ..पर उनपर कोई फर्क नहीं पडा ..वो मुझे चूसते रहे ...और मुझे यहाँ - वहां से दबाते रहे ... "


पंडित : "मतलब तुम्हे वो सब अच्छा नहीं लग रहा था .."


रितु थोडा सकुचाई ..और फिर बोली : "तब तक तो अच्छा नहीं लग रहा था पर फिर ...फिर उन्होंने अपना एक हाथ मेरी फ्रोक के नीचे से अन्दर डाल दिया ...और ...और अपने पंजे से मेरी ...वो शू शू करने वाली जगह को पकड़ लिया ..."


उसकी साँसे तेज होने लगी थी ..पंडित ही पलक झपकाना भूल गया ...और रितु के आगे बोलने का वेट करने लगा ...


एक-दो तेज साँसे लेकर वो आगे बोली : "उनकी उँगलियाँ मेरी उस जगह पर घूम रही थी ..उसकी मालिश कर रही थी ..और वो जगह भी पूरी गीली हो चुकी थी ...मुझे तो लगा शायद डर की वजह से मेरा पेशाब निकल गया है ..पर बाहर नहीं निकला ...मुझे बड़ा ही अजीब सा लगा ...मुझे तब पहली बार अच्छा लगने लगा था ...पर तभी मम्मी अन्दर आ गयी और वो जोर से चिल्लाने लगी ...मैं तो भागकर अपने कमरे में चली गयी ..और अपने बिस्तरे में घुस गयी ...बाहर से माँ और पिताजी के लड़ने की आवाजें आती रही ...आर मुझे कुछ सुनाई नहीं दे रहा था ...मैंने अपने एक हाथ नीचे लेजाकर वहां लगाया तो देखा की काफी चिपचिपा सा कुछ निकल रहा है ...मैंने बाथरूम में जाकर सब साफ़ किया ..पर मुझे डर लगने लगा था की कहीं मुझे बच्चा ना हो जाए ...इसलिए पिताजी के पास जाते हुए मुझे अब डर लगने लगा था ...और माँ ने भी उनके पास जाने को मना कर दिया .."


पंडित ने उसकी पूरी बात सुनकर एक गहरी सांस ली ..वो समझ गए की रितु बेकार में डर रही है ..वो उसे समझाने लगे ..: "देखो रितु , तुम जो भी सोच रही हो, वो सब गलत है, बच्चा ऐसे नहीं होता ..उसके लिए तो कुछ और करना पड़ता है , जिसे सम्भोग कहते हैं ..और जो भी तुम्हारे साथ हुआ, वो सब तो सम्भोग से पहले की क्रिया है ..जिसके कारण कुछ (बच्चा) होना असंभव है .."


रितु मुंह ताके उनकी ज्ञान भरी बातें सुनती रही ..और आखिर में बोली : "ये ...ये सम्भोग क्या होता है ..."


पंडित ने धीरे से कहा : "चुदाई ...चुदाई को ही सम्भोग कहते हैं .."


चुदाई शब्द सुनते ही रितु का चेहरा लाल सुर्ख हो उठा, उसकी आँखों में लालिमा सी उतर आई ...


पंडित : "और पता है ...चुदाई कैसे होती है ..."


ऋतू ने ना में सर हिलाया ...जिसकी पंडित को पूरी उम्मीद थी .


पंडित : "वो जो तुम्हारे नीचे है, शू शू करने वाली जगह ..उसे क्या कहते हैं ...पता है .."


पंडित की ऊँगली रितु की टांगो के बीच की तरफ थी .


रितु शायद जानती थी ...पर शरम के मारे कुछ ना बोली ..

पंडित : "उसे कहते हैं ...चूत और लडको के पास जो होता है ...उसे कहते हैं लंड "


पंडित ने अपने लंड की तरफ इशारा किया ..


पंडित : "और ...जब ये लंड, चूत में घुसता है ..उसे कहते हैं चुदाई ..और फिर अंत में जब लड़की की चूत और लड़के के लंड में से रस निकलता है तो दोनों मिलकर बनाते हैं बच्चा ..समझी ..."


पंडित ने उसे एक मिनट के अन्दर ही सृष्टि जनन का ज्ञान दे डाला ..

और रितु आँखों में आश्चर्य के भाव लिए उनकी सारी बातें सुनती रही ..वैसे उसके मन में काफी प्रश्न उबाल खा रहे हो ..और पंडित को मालुम था की वो अभी और भी बहुत कुछ जानना चाहती है , पर अब वो चुप होकर बैठ गए और उसके पूछने की प्रतिक्षा करने लगे ..


आखिर रितु ने अपना प्रश्न पूछ ही डाला : "पर पंडित जी ..वो सब तो एक लड़का - लड़की के बीच होना चाहिए ..फिर मेरे पिताजी ..मेरे साथ ऐसा ..क्यों कर रहे थे ..ये तो पाप है .."


पंडित : "देखो रितु , तुम्हारा कहना सही है ..पर सेक्स की दुनिया में कोई किसी का रिश्तेदार नहीं होता, उनमे सिर्फ एक ही रिश्ता होता है ..और वो होता है ..जिस्म का ..इसमें उम्र , रिश्ते , सुन्दरता , कुछ भी मायने नहीं रखते ..मायने रखता है तो सिर्फ एक दुसरे के प्रति आकर्षण और अपनी उत्तेजना को शांत करने की चाहत ....इसलिए उस दिन तुम्हारा दिमाग कुछ और सोच रहा था और तुम्हारा जिस्म कुछ और चाह रहा था ..जिसकी वजह से तुम्हारी चूत में से वो रस निकल रहा था .."


पंडित ने उसके रस निकलने वाली बात के रहस्य से पर्दा उठाया ..रितु को जैसे वो बात समझ आ गयी, उसने अपना सर हिलाते हुए पंडित जी की बात में सहमती जताई ..


पंडित : "मुझे पता है, तुम्हे अभी भी काफी बाते समझनी है, पर इसके लिए मुझे विस्तार से तुम्हे वो सब बताना होगा ..जिसके लिए तुम्हे सोच विचार कर आना है, तुम अभी जाओ, और रात भर सोचो, अगर ठीक लगे तो कल तुम्हारी टयूशन के बाद मैं तुम्हे ये सब बातें विस्तार से और व्यावहारिक (प्रेक्टिकल) रूप में समझा दूंगा .."


रितु उनकी बात का मतलब समझ गयी ...और उसने शरमा कर अपना मुंह फिर से नीचे कर लिया ...यानी पंडित जी कह रहे थे की वो उसे चुदाई के बारे में पूरा ज्ञान दे देंगे ..और ना चाहते हुए भी उसकी नजर पंडित जी की धोती के ऊपर चली गयी, जहाँ पर होती हुई हलचल देखकर उसकी चूत में भी सीटियाँ बजने लगी ...वो फिर से तेज साँसे लेने लगी ...और जल्दी-2 अपना बेग समेत कर बाहर की तरफ भागी ...


पंडित ने अपना चारा फेंक दिया था ...और रितु ने उसे चुग भी लिया था ..अब कल देखते हैं, क्या करती है वो आकर ...पर कल से पहले तो आज रात का इन्तजार था पंडित को ...


रात को उन्होंने शीला को जो बुलाया था ..अपने कमरे में ..उसे एक सरप्राईज देने के लिए ..

पंडित ने अपने दुसरे काम समेटे और शाम को थोडा सामान लेने के लिए वो बाजार की तरफ निकल पड़ा ..


वैसे तो मंदिर में आने वाले सामान से ही उसकी दिनचर्या और खाने पीने की चीजें निकल आती थी पर फिर भी कुछ सामान तो लेना ही पड़ता था ..और उसका रुतबा इतना था की वो कहीं से भी सामान ले, कोई उससे पैसे नहीं लेता था ..


पंडित बाहर निकल कर सीधा परचून की दूकान पर पहुंचा और आटा , मसाले और एक दो चीजें दुकानदार से निकालने को कहा ..पर पंडित ने नोट किया की उस दिन वो दुकानदार कुछ ज्यादा ही दुखी दिखाई दे रहा था ..पंडित ने पुछा : "अरे इरफ़ान भाई ..क्या हुआ तुम कुछ परेशान से दिख रहे हो ..सब ठीक तो है ना .."


इरफ़ान : "अब क्या कहे पंडित जी ..मेरी तो किस्मत ही खराब है ..आप तो जानते ही है, मेरी बेटी
नूरी जिसका पिछले साल ही निकाह हुआ था, वो अक्सर अपने पति से लड़कर मेरे घर आ जाती है ..कल रात भी यही हुआ, पिछले एक साल में 6 बार उसको समझा बुझा कर वापिस भेज चूका हु पर कल रात के बाद तो वो अपने शोहर के पास जाने को राजी ही नहीं है ..वो कहती है की वो उसके लायक नहीं है ...अब आप ही बताएं पंडित जी ..मैं क्या करू .."


नूरी की बात सुनते ही पंडित के शेतानी दिमाग ने फिर से अंगडाई लेनी शुरू कर दी ..वो काफी सुंदर थी, जैसे ज्यादातर मुस्लिम लड़कियां होती हैं ..और जब तक वो यहाँ रहती थी, पंडित जी से काफी गप्पे मारती थी, जब भी वो दूकान पर कुछ सामान लेने आते थे ।


वो कुछ देर तक सोचते रहे और फिर बोले : "देखो इरफ़ान भाई, वैसे तो तुम्हारे घर के मामलो में मेरा बोलना मुनासिफ नहीं है, पर अगर हो सके तो उसके दिल की बात जानने की कोशिश करो ..पूछो उससे की क्या परेशानी है ..क्या पता, वो सही हो ..या फिर उसकी बात सुनने के बाद कोई उपाय निकल सके .."


इरफ़ान : "पंडित जी ..वो मुझे तो कुछ बताने से रही ..उसकी अम्मी के इंतकाल के बाद वो मुझसे खुल कर कोई भी बात नहीं करती है .." और कुछ देर सोचने के बाद वो बोले : "अगर आप उससे बात करके देखे तो शायद वो आपसे कुछ बोल पाए ..हाँ ..ये सही रहेगा ..आप उससे बात करो ..और उसके दिल और दिमाग में क्या चल रहा है, उसका पता करो ..."


पंडित उसकी बात सुनकर चुप रहा, वो जानता था की नूरी उनकी बात मानकर अपने दिल की बात जरुर बता देगी, फिर भी ये बात वो इरफ़ान के मुंह से निकलवाना चाहते थे ,


पंडित : "अगर मेरे समझाने से वो समझ जाए तो मुझे कोई आपत्ति नहीं है ...पर अभी उससे बात करना सही नहीं है, कल ही आई है वो, और मुझे भी आज कुछ काम है , ऐसा करते हैं, मैं कल आऊंगा , इसी समय, और फिर उससे बात करके समझाने की कोशिश करूँगा ..तुम अब उसको ज्यादा परेशान मत करना ..और बोल कर रखना की मैं कल आऊंगा उससे मिलने .."


इरफ़ान ने पंडित जी का धन्यवाद किया, और उनका सामान बाँध कर उन्हें दे दिया और हमेशा की तरह उनसे कोई पैसे भी नहीं लिए ..


पंडित अपने पिंजरे में एक और शिकार फंसता हुआ साफ -2 देख पा रहा था ..वो उसे अपने मंदिर में तो बुला नहीं सकता था, इसलिए उसके घर पर ही जाने की बात कही थी ..


अब उसके मन में नूरी को लेकर अलग - 2 योजनाये बननी शुरू हो गयी थी .


घर आते-2 8 बज गए , शीला को पंडित ने 9 बजे बुलाया था, अभी 1 घंटा था उनके पास, उन्होंने जल्दी-2 खाना बनाया और खा लिया क्योंकि शीला के आने के बाद तो उन्हें खाने का टाइम ही नहीं मिलता .


रात को 9 बजते ही उनके दरवाजे पर धीरे से दस्तक हुई ..और पंडित ने दरवाजा खोलकर शीला को अन्दर ले लिया ..


शीला ने सलवार कमीज पहना हुआ था, अन्दर आते ही पंडित ने उसे अपनी बाहों में भर लिया और शीला भी उनसे बेल की भाँती लिपटती चली गयी ..


शीला : "अह्ह्ह पंडित जी ..क्यों तडपा रहे हो सुभह से ..आज का पूरा दिन बिना कुछ किये ही निकल गया ...देखो न मेरा क्या हाल हो रहा है .."


शीला ने पंडित का हाथ पकड़ कर अपनी चूची पर रख दिया, और जोरों से दबा दिया , उसके सख्त मुम्मे पकड़कर पंडित को 440 वाल्ट का करंट लग गया .


पंडित : "अरे इतनि बेसब्री क्यों हो रही है ...तेरी इसी तड़प को देखने के लिए ही तो मैंने आज पूरा दिन कुछ नहीं किया तेरे साथ ..."


शीला ने पंडित के होंठों को चूमना चाह पर पंडित ने बड़ी चालाकी से अपना मुंह नीचे किया और उसके मुम्मो के ऊपर, सूट के ऊपर से ही , रगड़ने लगा .


"अह्ह्ह्ह्ह .....पंडित जी ....खा जाओ .....ये मिठाई आपके लिए ही है ...." शीला ने सिसकारी मारते हुए अपनी दूकान के पकवान चखने का न्योता दिया ..


पर पंडित के दिमाग में कुछ और ही चल रहा था , वो उसके वीक पॉइंट्स को मसल कर, सहला कर उसे और भी उत्तेजित करने में लगा हुआ था और टाइम पास कर रहा था ..शीला भी ये बात नहीं समझ पा रही थी की पंडित ने उसके कपडे उतारने शुरू क्यों नहीं किये ..वो तो चुदने के लिए इतनी बेताब थी की अपने हाथों से खुद कपडे उतारने लगी पर पंडित ने उसके हाथों को रोक दिया और इधर -उधर मुंह मारकर कुछ और टाइम पास करने लगा ..


तभी पीछे के दरवाजे पर एक और दस्तक हुई ..शीला ने बदहवासी में पंडित को देखा और आँखों ही आँखों में पुछा , कौन हो सकता है बाहर ...पर पंडित को मालुम था की बाहर कौन है ..शीला कुछ समझ पाती इससे पहले ही पंडित ने दरवाजा खोल दिया ..बाहर गिरधर खड़ा था ..रोज की तरह अपने हाथ में अद्धा और खाने का सामान लिए ..

पंडित ने गिरधर को अन्दर बुला लिया, शीला अस्त - व्यस्त हालत में खड़ी थी , उसे उम्मीद नहीं थी की पंडित ऐसे ही किसी को अपने कमरे में लेकर आ जाएगा खासकर जब वो भी अन्दर ही मौजूद थी ..


अन्दर आते ही गिरधर ने जैसे ही शीला को देखा तो उसकी आँखों में अजीब सी चमक आ गयी, उसने मुस्कुराते हुए पंडित की तरफ देखा तो पंडित के चेहरे पर आई अजीब सी मुस्कराहट देखकर वो साफ़ समझ गया की ये पंडित जी का जुगाड़ है, और शायद आज उसकी भी किस्मत खुल जाए और पंडित इस खुबसूरत और भरी हुई औरत को उसके साथ शेयर कर ले ..और शीला इन सब बातों से बेखबर नीचे देखते हुए अपने पैरों के नाखूनों से जमीन कुरेदने में लगी हुई थी ..


पंडित : "आओ गिरधर ...इनसे मिलो ..ये हैं शीला ..यही रहती है, हमारे मोहल्ले में ..ये अक्सर मुझे खाना बनाकर खिलाने के लिए आती है .."


शीला ने अपना सर ऊपर किया और गिरधर को हाथ जोड़कर नमस्ते किया ..


पंडित : "शीला, तुम अन्दर जाओ और हमारे लिए दो गिलास लेकर आओ .."


पंडित ने गिरधर के हाथ से शराब की बोतल ले ली और अपने बेड पर बैठ गए ..


शीला ने आज पहली बार पंडित जी के हाथ में शराब की बोतल देखि थी , उसे तो विशवास ही नहीं हुआ की पंडित जी भी शराब पी सकते हैं ..वैसे पंडित जी उसके साथ चुदाई कर सकते हैं तो कुछ भी कर सकते हैं ...उसने कोई प्रश्न नहीं किया और अन्दर चली गयी ..


उसके जाते ही गिरधर पंडित से बोला : "अरे वह पंडित जी ..आप तो छुपे रुस्तम निकले ..क्या माल है ये औरत तो ..इसके दूध तो देखो जरा ..मन तो कर रहा है की अभी इसके कपडे फाड़ डालू और अपना मुंह लगा कर दूध पी जाऊ कुतिया का .."


लगता है आज गिरधर पहले से ही पीकर आया था, एक तो पिछले 2 महीनो से किसी की नहीं ले पाया था और दूसरा पंडित जी ने उसे माधवी की चूत मारने के लिए भी मना कर रखा था ..और आज शीला को देखते ही उसे ना जाने क्यों ये लगने लगा था की आज उसके लंड को कुछ न कुछ जरुर मिलेगा ..


पंडित : "अरे गिरधर, मैंने तुझे बोला था न की तू फ़िक्र मत कर, मेरे साथ रहेगा तो एश करेगा , तुझे माधवी की भी मिलेगी, इसकी भी दिलवा दूंगा और रितु की भी .."


रितु का नाम सुनते ही गिरधर के लंड ने फिर से एक अंगडाई ली ..और खुली आँखों से सपने देखने लगा ..


तभी शीला वापिस आ गयी और उनके सामने ट्रे में गिलास और खाने का सामान रख दिया ..


पंडित ने उसे वहीँ अपने पास बिठा लिया और गिरधर से पेग बनाने को कहा ..


पेग बनाते हुए गिरधर की नजरें शीला को चोदने में लगी हुई थी ...तभी उसने देखा की पंडित का एक हाथ सरक कर शीला की जांघ के ऊपर आ गया ...और शीला कसमसा कर रह गयी ..


गिरधर ने पेग पंडित को दिया और दोनों पीने लगे ..


पंडित : "शीला, तुम इससे मत शरमाओ ..ये मेरा दोस्त है, और हमारे बीच में कोई भी बात छुपी नहीं रहती .."


पंडित की बात सुनकर शीला ने हेरानी भरी नजरों से उन्हें देखा, मानो पूछ रही हो की क्या हमारी बात भी मालुम है इसे ...


पंडित मुस्कुराते हुए सिप लेते रहे ..


अब पंडित का हाथ उसकी जांघो के बीच जा पहुंचा ..वो तो पहले से ही गर्म हुई पड़ी थी, पंडित के सहलाने से उसकी चूत से ज्वालामुखी जैसी गर्माहट निकलने लगी ..जिसे पंडित साफ़ महसूस कर पा रहा था ..पर गिरधर के सामने बैठे होने की वजह से वो सकुचाये जा रही थी ..

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Re: पंडित & शीला

Post by jay »

पंडित & शीला पार्ट--13



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गतांक से आगे ......................

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पंडित ने सोच कर रखा हुआ था की आज वो शीला से क्या करवाना चाहता है, उसने शीला को अपना गिलास दिया और बोला : "ये लो ..तुम भी पियो .."


शीला : "नहीं पंडित जी ..मैं नहीं पी सकती ..मैंने आज तक नहीं पी .."


पंडित ने झूठा गुस्सा करते हुए कहा : "नहीं पी तो आज पियो ..तुम मेरी बात को मना कैसे कर सकती हो ...याद नहीं, तुमने क्या कहा था ..पियो इसे .."


पंडित के गुस्से को देखकर वो डर सी गयी और उसने गिलास लेकर एक ही घूँट में पूरी पी डाली ..काफी कडवी थी ..वो खांसी करने लगी ..पंडित ने जल्दी से उसे खाने के लिए नमकीन दी ..और उसी गिलास में थोडा पानी डालकर दिया ..वो कुछ सामान्य हुई ..पर अब उसका सर चकरा रहा था ..आँखे घूम रही थी ..पंडित की हरकत देखकर गिरधर भी अपना मुंह फाड़े उन्हें देखता रहा ..


पंडित ने एक और पेग बनाया और थोड़ी सी पीने के बाद उन्होंने फिर से गिलास शीला को दे दिया, उसने बिना किसी अवरोध के वो भी पी लिया ..अब वो पूरी बहक चुकी थी ..पंडित ने बचा हुआ आखिरी घूँट अपने मुंह में भरा और शीला को अपनी तरफ खींचकर उसके होंठों से होंठ लगा कर वो भी उसके मुंह में डाल दी ..शीला वो भी पी गयी, और पंडित के होंठों को बुरी तरह से चूसने लगी ..अब उसे गिरधर के सामने बैठे होने से भी कोई फर्क नहीं पड़ रहा था ..वो गहरी साँसे लेती हुई पंडित के चेहरे को चूमे जा रही थी, एक तो नशे की वजह से और दूसरे सुबह से अपने बदन में छुपाये हुई उत्तेजना की वजह से ..


चूसते -2 शीला पंडित की गोद में ही चढ़ गयी ...और उनके गले में बाहें डालकर , अपनी गांड को उनकी जाँघों पर मसलने लगी ..


"अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह .....पंडित जी ....ये क्या पिला दिया आपने ...मुझे ....उम्म्म्म्म ....इसने तो मेरी आग को और भी भड़का दिया है ..."


पंडित ने उसके कुर्ते को पकड़ कर ऊपर खींचा, शीला ने अपनी बाहें ऊपर करके पंडित की मदद की ..और अब वो सिर्फ ब्रा और सलवार में उनकी गोद में बैठी हुई थी ...


पंडित ने शीला को अपने गले से लगा कर उसके मुम्मो को अपनी छाती से पीस सा दिया ...वो भी सिसक कर अपनी छातियों को पंडित के सीने से लगकर मसलने लगी ..


गले मिलते हुए पंडित के सामने गिरधर का चेहरा था, जो पीना भूलकर , मुंह फाड़े, पंडित की रंगरेलियां देख रहा था ..पंडित ने इशारा करके गिरधर को शीला की ब्रा खोलने को कहा ..गिरधर ने कांपते हुए हाथों से शीला की ब्रा के स्ट्रेप पकडे और उन्हें खोल दिया ..


शीला को तो पता ही नहीं चला की उसकी ब्रा पंडित ने नहीं बल्कि गिरधर ने खोली है ..पर गिरधर ने आज पहली बार इतनी भरी हुई और गोरी औरत के शरीर पर हाथ लगाया था, उसे तो विशवास ही नहीं हुआ ...पंडित के इशारा करने पर वो थोडा आगे आया और अपने हाथ आगे करके उसने शीला की ब्रेस्ट को अन्दर से पकड़ लिया और उन्हें बेदर्दी से दबाने लगा ...


अब जाकर शीला को एहसास हुआ की ये हाथ गिरधर के हैं, क्योंकि पंडित के हाथ तो उसकी गांड को मसलने में लगे हुए थे ..ये एक अलग ही एहसास था उसके लिए ..अब उसे भी लगने लगा था की उसकी तो आज डबल बेंड बजेगी ..


और दूसरी तरफ गिरधर का भी यही हाल था, उसने तो सपने में भी नहीं सोचा था की उसे ऐसी औरत की मारने को मिलेगी जो हाथ लगाने से भी मेली हो जाए ..

गिरधर के अपने हाथों की उँगलियों में शीला के निप्पल भर लिए , वो इतने बड़े और मुलायम थे मानो शेह्तूत , उनमे से रस निकल कर जैसे बाहर बह रहा था ..


वो थोडा और आगे खिसक आया और बीच में पड़ी हुई प्लेट्स और गिलास को एक तरफ करके ठीक पंडित के सामने बैठ गया ..शीला अभी भी अपनी मोटी गांड को पंडित की जाँघों के ऊपर मसल-2 कर अन्दर से निकल रही अग्नि को बुझाने की कोशिश कर रही थी ..


पंडित ने बीच में लटक रही ब्रा को निकाल कर साईड में फेंक दिया ..अब शीला की नंगी छातियाँ पंडित के सीने से चटखारे ले लेकर मिल रही थी .


पंडित ने अपनी लम्बी जीभ निकाली और शीला के गले से लेकर ऊपर की तरफ पुताई करनी शुरू कर दी ..उसकी गीली जीभ अपना गीलापन छोडती हुई जा रही थी और पंडित शीला के जिस्म का नमक चखकर मजे से उसका भोग लगा रहा था .


पंडित की देखा देखि गिरधर ने भी अपनी कठोर और पत्थर जैसी जीभ निकाली और शीला की मखमली पीठ के ऊपर रगड़ने लगा .


शीला अपने ऊपर हो रहे गीले हथियारों के हमले से बचने के लिए छटपटाने लगी ..वैसे ही उसकी चूत से मेंगो फ्रूटी निकल कर पंडित की जाँघों को गीला कर रही थी, ऊपर से पंडित और गिरधर की जुगलबंदी जीभों ने उसके शरीर के तानपुरे में ऐसे संगीत बजाने शुरू कर दिए जिसे उसने आज तक नहीं सुना था ..और वो संगीत सिस्कारियों के रूप में उसके मुंह से बाहर निकलने लगा ..


'"अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह .....पंडित जी ....उम्म्म्म्म्म .....ये क्या कर दिया आपने ....अह्ह्ह्ह .... "


और उसने अधीरता वश पंडित जी की जीभ जो उस वक़्त उसकी ठोडी को कुत्ते की तरह चाट रही थी , उसे अपने दांतों के बीच लेकर जोर से काट लिया ...


पंडित की सिसकारी निकल गयी ..और उसकी जीभ से खून .


शीला का जंगलीपन देखकर पंडित को भी जोश आ गया ..और वो अपनी पूरी ताकत से उसके योवन को अपने हुनर दिखा दिखाकर चूसने लगा .


पीछे से गिरधर ने अपना कुरता, धोती और चड्डी एक ही झटके में निकाल फेंकी ..उसके लंड का बुरा हाल था ..और वो अपने पुरे 7 इंच के आकार में आकर फुफकार रहा था ..


गिरधर ने पीछे से ही शीला के इर्द गिर्द अपनी बाहें लपेटी और उसके दोनों मुम्मों को बेदर्दी से मसलने लगा .उसने शीला के चेहरे को पकड़कर तिरछा किया और अपनी तरफ घुमाया ...और उसके गालों और कानों को उसी तरीके से चाटने लगा जैसे वो उसकी पीठ को चाट रहा था ..उसकी जीभ का खुरदुरापन शीला की नाजुक त्वचा को चुभ सा रहा था ..पर नशे और उत्तेजना के आवेश में उसे वो सब महसूस ही नहीं हो रहा था ..वो तो जैसे हवा में उढ़ रही थी ..किसी उड़नखटोले (पंडित की जाँघों ) पर बैठी हुई थी और दो सेवक मिलकर उसकी सेवा किसी रानी की तरह से कर रहे थे ..


शीला ने आँखे बंद किये -2 ही अपना मुंह खोल और गिरधर के होंठों को अपने मुंह में लेकर चूसने लगी ..उसके नशीले और शरबती होंठों की मदिरा अब गिरधर खुल कर पी रहा था ..और साथ ही साथ वो अपने हाथों से उसकी छातियों को आटे की तरह से गूंध रहा था ..शीला के मुंह पीछे करने की वजह से उसकी छातियाँ नुकीली सी होकर पंडित के सामने उभर आई और पंडित ने उनकी कठोरता को अपने दांतों से महसूस करना शुरू कर दिया ..


शीला को कुछ भी होश नहीं रह गया था की वो क्या कर रही है और किसके साथ कर रही है ..वो तो बस स्वर्ग का मजा लेने में लगी हुई थी ..


शीला को चूमते-2 गिरधर ने उसे अपनी तरफ खींच लिया और अपनी गोद में ही लिटा लिया ..शीला की दोनों टाँगे पंडित की कमर से बंधी हुई थी और उसकी गांड पंडित के लंड के ऊपर थी ..और पीछे लेटने की वजह से उसकी पीठ अब बेड को छू रही थी और उसका सर गिरधर की गोद में था ..और वो स्पाईडरमेन स्टाईल में शीला के चेहरे को पकड़ कर उलटी किस्स कर रहा था ..और अपने हाथो को आगे लेजाकर उसके पर्वतों की मालिश भी कर रहा था ..

पंडित ने आगे झुककर अपनी जीभ शीला की नाभि के ऊपर रखी और फिर अन्दर घुसा दी ..


अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ....पंडित ......उम्म्म्म्म्म .......


ये भी उसका वीक पॉइंट था ..जिसे पंडित अपनी जीभ और दांतों से चुभला कर उसे और भी उत्तेजित कर रहा था ..


शीला को सांस लेने की भी फुर्सत नहीं थी ..वो गिरधर के मुंह से निकल रही साँसों से ही काम चला कर जिन्दा रहने का प्रयास कर रही थी .


पंडित ने उसकी नाभि को पूरा छान मारा और उसे चूस चूसकर लाल सुर्ख कर दिया ..अब उसके हाथ शीला की पयजामी पर थे जिसके लास्टिक को पकड़कर उन्होंने उसे नीचे खींच दिया ..कच्छी समेत ..


और सामने से निकलती हुई खुशबु को सूंघकर उन्होंने अपनी आँखे बंद कर ली और एक जोरदार डुबकी मारकर वो उसकी चूत की झील में गुम हो गए ..


शीला ने भी एक जोरदार सीत्कारी मारते हुए पंडित के सर को पीछे से पकड़कर उसे और अन्दर धकेल दिया ..


"अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह .....ओफ़्फ़्फ़्फ़्फ़ .....पंडित जी ....चुसो ....इसे ....सुबह से कुलबुला रही है ....अह्ह्ह्ह्ह ....खा जाओ ....पी जाओ सब कुछ ...उम्म्म्म्म्म ...उफ्फ्फ ....."


पंडित ने उसके कूल्हों पर हाथ रखकर उसे ऊपर उठा लिया और उसकी चूत का पान करने लगे ..जैसे कोई मिठाई की थाली उठा रखी हो और उसमे सीधा मुंह मारकर सब कुछ चट करने में लगे हों ..


शीला को अपने सर के नीचे गिरधर के लंड का एहसास हुआ और उसने अपनी गर्दन तिरछी की उसके देसी लंड को अपने मुंह में भर लिया ..


गिरधर की तो जैसे लाटरी ही लग गयी ...दो दिन पहले माधवी ने जिन्दगी में पहली बार उसके लंड को चूसा था ..और आज शीला भी वही कर रही थी ..इतनी ख़ुशी तो उसने कभी नहीं देखि थी एक साथ .


वो उसके सर को पकड़ कर अपने लंड के ऊपर जोरों से दबाने लगा ..और उसके मुख को चोदने लगा ..


पंडित ने भी आनन् फानन में अपनी धोती और कच्छा निकाल फेंका और घुटनों के बल बैठ कर शीला की जाँघों को अपने दोनों हाथों से पकड़ा ..और अपने लंड के सुपाडे को उसकी अधीर चूत के ऊपर लगाया ...बाकी का काम शीला ने खुद कर लिया ..अपने शरीर को नीचे की तरफ एक जोरदार झटका दिया ..और पंडित का सुपाड़ा लंड समेत अपने अन्दर घुसेड लिया ...


"अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ......उम्म्म्म्म .....ओघ्ह्ह्ह्ह पंडित जी .....आपके लंड का वेट सुबह से था ...अह्ह्ह ..चोदो मुझे ....अह्ह्ह ....जोर से ....हां ..."


पंडित तो पहले से ही खुन्कार हो चुका था ..शीला की बाते सुनकर वो और भी तेजी से अपने काम में लग गया ..और उसकी चूत के अन्दर अपने लंड के झटके दे देकर उसे बुरी तरह से चोदने लगा ..


"अह्ह्ह अह्ह्ह उफ्फ्फ उफ्फ्फ उम्म्म ....उम्म्म अह्ह्ह्ह्ह ...उफ्फ्फ्फ़ उफ्फ्फ ..... "


उसकी सिस्कारियां पंडित के कमरे में घंटियों की तरह से गूँज रही थी ..


अब गिरधर से भी बर्दाश्त नहीं हुआ, शीला को जो झटके मिल रहे थे और जिस तरह से वो चिल्ला रही थी, उसके लंड को उसने चूसना छोड़ दिया था ..और अब गिरधर अपने हाथों से अपने लंड को मसलते हुए शीला के हिलते मुम्मे और चुदाई देख रहा था ..


पंडित से उसकी हालत देखि नहीं गयी ..उनके मन में एक विचार आया ...उन्होंने अपना लंड शीला की चूत से निकाले बिना ही उसे अपने ऊपर खींच लिया और खुद बेड पर लेट गए ..अब शीला उनके ऊपर थी ..और फिर उन्होंने पीछे से गिरधर को इशारा करके उसकी गांड मारने को कहा ..गिरधर को तो विशवास ही नहीं हुआ की पंडित एक ही बार में उसके दोनों छेदों को फाड़ने की सोच रहे हैं ...वो झट से उठा और अपने लंड को पकड़ कर उनके ऊपर आ गया ...और अपने लंड को उसने शीला की गांड के छेद पर रख दिया ..


अपने पीछे गिरधर के लंड का एहसास पाते ही उसके शरीर के रोंगटे खड़े हो गए ...उसने आज तक ऐसा सोचा तक नहीं था ..पर उत्तेजना के शिखर पर पहुंचकर उसने ये भी कर डालने की सोची और थोडा रूककर उसके लंड को अपनी गांड के छेद में फंसने दिया ..और जैसे ही वो फंसा, गिरधर के जोरदार शॉट मारकर अपने लंड को उसकी गांड की बोड्री लाईन के पार पहुंचा दिया ..


"अह्ह्ह्ह्ह्ह .....धीरे ....अह्ह्ह्ह ..उफ्फ्फ्फ़ ....."


उसकी तो जैसे गांड की नसें ही जाम हो गयी ..उसका सारा नशा रफूचक्कर हो गया ..पंडित और गिरधर का लंड उसकी चूत और गांड के पूरा अन्दर तक समा चुका था ...उसे आज पूर्णता का एहसास हुआ ..और अन्दर से आने वाले सेंसेशन का मजा वो धीरे -2 हिलकर लेने लगी ..

पंडित और गिरधर एक साथ ले मिलाकर उसे चोदने में लग गये ..और अब शीला को भी मजा आने लगा ..


"अह्ह्ह .... उम्म्म्म्म पंडित जी .....सच में .....अह्ह्ह ..मजा आ गया ..ऐसा तो मैं सपने में भी नहीं सोच सकती थी ..आपने इस विधवा को आज दुगना मजा दिया है ...अह्ह्ह्ह्ह ....ये मैं पूरी जिन्दगी नहीं भूल सकती ...उम्म्म अह्ह्ह्ह और तेज ...करो। ....अह्ह्ह्ह ....तुम भी गिरधर ....जोर से डालो ...अपना लंड ... मेरी गांड में ....अह्ह्ह फाड़ डालो ...आज इसे ..अपने मोटे लंड से ....अह्ह्ह्ह्ह्ह ओफ़्फ़्फ़्फ़्फ़ मर्र्र गयी ....अह्ह्ह्ह .....बहुत मजा आ रहा है ....हाँ ....ऐसे ही ...ओह्ह्ह पंडित जी .....मैं तो गयी ....अह्ह्ह्ह ...."


और वो झड़ने के बाद भरभराकर पंडित के ऊपर गिर गयी ...और बेहोश सी हो गयी .


उसकी चूत से गाड़े पानी की बोछारें निकलकर पंडित के लंड को भिगोने लगी ..


पंडित से भी संभालना मुश्किल हो गया और उसके लंड ने भी अपनी खीर शीला की कटोरी में भर कर उसे तृप्त कर दिया ..


पीछे से गिरधर ने भी अपने पंजे शीला की गद्देदार गांड में फंसाकर अपना पूरा जोर लगाकर एक जोरदार गर्जन के साथ अपना रस उसकी गांड के छेद में निकलने दिया ..


और फिर दोनों गहरी साँसे लेते हुए अपने-2 लंड शीला के अन्दर से निकाल कर वहीँ बेड पर लुडक गए ..


तभी बाहर दरवाजे पर दस्तक हुई ..जिसे सुनकर पंडित और गिरधर एक दम चोकन्ने हो गए ...और एक दुसरे के चेहरे की तरफ देखने लगे ..शीला तो बेहोशी की हालत में पड़ी थी, उसे कोई होश नहीं रह गया था ..


पंडित और गिरधर सोचने लगे की इतनी रात को कौन हो सकता है .


पंडित ने हिम्मत करके पुछा : "कौन है ....?"

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( आखिर वो दिन आ ही गया Complete )...(ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगाना complete)..(ज़िद (जो चाहा वो पाया) complete)..(दास्तान ए चुदाई (माँ बेटी बेटा और किरायेदार ) complete) .. (एक राजा और चार रानियाँ complete)..(माया complete...)--(तवायफ़ complete)..(मेरी सेक्सी बहनेंcompleet) ..(दोस्त की माँ नशीली बहन छबीली compleet)..(माँ का आँचल और बहन की लाज़ compleet)..(दीवानगी compleet..(मेरी बर्बादी या आबादी (?) की ओर पहला कदमcompleet) ...(मेले के रंग सास,बहू और ननद के संग).


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(फैमिली में मोहब्बत और सेक्स (complet))........(कोई तो रोक लो)......(अमन विला-एक सेक्सी दुनियाँ)............. (ननद की ट्रैनिंग compleet)..............( सियासत और साजिश)..........(सोलहवां सावन)...........(जोरू का गुलाम या जे के जी).........(मेरा प्यार मेरी सौतेली माँ और बेहन)........(कैसे भड़की मेरे जिस्म की प्यास)........(काले जादू की दुनिया)....................(वो शाम कुछ अजीब थी)
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jay
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Re: पंडित & शीला

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पंडित & शीला पार्ट--14



***********
गतांक से आगे ......................

***********

बाहर से आवाज आई : "पंडित जी ...मैं ...माधवी .."


माधवी की आवाज सुनते ही गिरधर की सिट्टी पिट्टी ही गुम हो गयी ..वो धीरे से फुसफुसाया : "ये इतनी रात को कैसे आ गयी ...पंडित जी ..अगर इसने मुझे ऐसी हालत में देख तो अनर्थ हो जाएगा .."


गिरधर ने अपने और शीला के नंगे शरीर की तरफ इशारा किया ..


शीला अभी तक बेहोशी की हालत में ही थी ..


पंडित ने उसे शांत रहने का इशारा किया और दरवाजे की तरफ मुंह करके बोला : "जरा रुको माधवी ..अभी आता हु .."


और फिर जल्दी से शीला की टाँगे पकड़ी और गिरधर को उसकी बाजू पकड़ने को कहा और दोनों ने उसके नंगे जिस्म को उठा लिया और उसे बाथरूम की तरफ ले गए ..पंडित ने गिरधर को भी अन्दर रहने को कहा और खुद धोती लपेट कर बाहर आ गए और दरवाजा खोल दिया ..


बाहर माधवी खड़ी थी , अपना गाऊन पहने ...और गले में चुन्नी थी ..


पंडित : "अरे माधवी ...इतनी रात को कैसे आना हुआ ..आओ -२ अन्दर आ जाओ ..?"


माधवी अन्दर आ गयी और पंडित ने दरवाजा बंद कर दिया .


माधवी : "पंडित जी ..वो गिरधर आये हैं क्या यहाँ ..आज तो इतनी रात हो गयी ..इतनी देर तो आज तक नहीं की इन्होने ..."

पंडित ने घडी देखि ...12 बजने वाले थे ..सच में , शीला की चुदाई करते हुए समय का पता ही नहीं चला उन्हें ..


पंडित : "हाँ ....वो आया तो था ..बस आधा घंटा पहले ही गया है ..वो कह रहा था की किसी से पैसे लेने थे, रात के समय ही मिलता है वो ..इसलिए ...आ जाएगा ...तुम चिंता मत करो .."


पंडित की बात सुनकर माधवी को कुछ राहत मिली ...


माधवी ने गाऊन पहना हुआ था और अन्दर आने के बाद पंडित ने गोर से देखा तो उसके निप्पल खड़े हुए साफ़ दिखाई दिए यानी उसने नीचे ब्रा नहीं पहनी हुई थी ..


पंडित की धोती में भी हलचल सी होने लगी ..पर उसका पति भी तो अन्दर ही था ..और शायद दरवाजे में बनी हुई झिर्री से सब देख रहा था ..कुछ सोचते हुए पंडित के मन में एक अजीब सा ख़याल आया ..और उसके चतुर दिमाग ने एक जोरदार और रिस्की प्लान बनाया ..


पंडित : "आओ बैठो माधवी ..अभी उसको आधा घंटा लगेगा वापिस आने में .."


माधवी के शरीर में भी झुरझुराहट सी फेल गयी जब पंडित ने हाथ पकड़ कर माधवी को अपनी तरफ खींचा और उसे सुबह का अधुरा छोड़ा गया काम याद आ गया ...


उस बेचारी को क्या पता था की अन्दर बाथरूम में बैठा हुआ उसका पति गिरधर सब कुछ साफ़ -२ देख रहा है ..पर वो भी पंडित के एहसान के तले दबा हुआ (शीला के नंगे जिस्म को अपने हाथो में समेट कर) अन्दर बैठा हुआ था ..उसे तो ये भी नहीं पता था की पंडित और उसकी बीबी के बीच बात कहाँ तक पहुँच चुकी है ..और जो कुछ भी वो देखने वाला था वो उसके लिए शॉक लगने जैसा ही था ..


माधवी : "पंडित जी ...सुबह तो आप बिना कुछ बोले ही बाहर निकल गए थे ..और अब हाथ पकड़ कर बुला रहे हैं .."


पंडित : "सुबह की बात कुछ और थी ..अभी की और है .."


कहते - २ पंडित ने माधवी के खड़े हुए निप्पल को गाऊन के ऊपर से ही मसल दिया ...उसकी सिसकारी निकल गयी ..और उसने अपना चेहरा पंडित के सामने सियार की भाँती ऊपर उठा दिया और अगले ही पल अपने पंजो पर खड़े होकर उसने पंडित के होंठों का शिकार कर लिया ...


पंडित : "उम्म्म्म्म ......ओह्ह्ह्ह ....माधवी ....सच में ....गिरधर की किस्मत कितनी अच्छी है ...जो हर रात तुम्हारे साथ होता है वो ..और जब मन चाहे कुछ भी कर सकता है ... "


माधवी ने पंडित की गर्दन ..छाती और नाभि वाले हिस्से को चुमते हुए नीचे की तरफ जाना शुरू किया ...और बोली : "ओह्ह्ह्ह पंडित जी ...रात भर साथ रहना तभी मजेदार लगता है जब दूसरा इंसान भी मजे देने वाला हो ...आजकल के मर्द या औरत बाहर क्यों मुंह मारते हैं ..पता है .."


पंडित : "नहीं ...तुम बताओ ..."


माधवी : "क्योंकि घर में उन्हें वो सब नहीं मिल पाता जिसकी उन्हें इच्छा होती है ...जैसे मैं ..मैं चाहती हु की रोज रात को मेरा पति मेरी चूत को चाटे ..मुझे प्यार से किसी राजकुमारी की तरह से मुझे एक औरत होने का एहसास दिलाये ...और बस मुझे ही प्यार करे ..."


उसकी बात सुनकर शायद गिरधर को भी अपनी कमजोरी का पता चल गया होगा ...


पंडित की धोती एक ही झटके में नीचे गिर गयी और उसका शीला के कामरस में डूबा लंड माधवी के सामने लहराने लगा ...


माधवी ने भूखी शार्क की तरह से पंडित की टांगो के बीच फंसी हुई मछली को लपका और तिल्ली वाली कुल्फी की तरह से उसे चूसने और चाटने लगी ...पंडित के लंड में से दूध की बूंदे निकल कर उसके चेहरे पर गिरने लगी ...


माधवी : "ह्म्म्म्म ......आपके लंड में से किसी और की चूत की खुशबू आ रही है ...लगता है मेरे आने से पहले किसी और की सेवा कर रहे थे आप ...पंडित जी .."


पंडित कुछ ना बोला ...ऐसी अवस्था में कुछ भी बोलना सही नहीं था ...वो बस मुस्कुराते हुए माधवी के चोदु मुंह को चोदने में लगा रहा ...


पंडित ने अपने हाथों से अपना डंडा पकड़ा और माधवी के चेहरे पर मारने लगा ...


चमड़ी के डंडे की मार अपने चेहरे पर पड़ती देखकर माधवी और भी खुन्कार हो उठी ....उसने आनन् - फानन में अपना गाऊन निकाल फेंका और नंगी होकर पंडित की गर्दन से झूल गयी ...


उसके बड़े -२ तरबूज पंडित की छाती से पीसकर अपना रस निचोड़ रहे थे वहां ...

पंडित ने उसकी चोडी - चिकनी गांड को अपने हाथों में समेटा और उसे ऊपर उचका कर अपनी गोद में ले लिया ...


माधवी ने अपनी मोटी जांघे पंडित की कमर से लपेट कर उसे हेवन के मजे देने शुरू कर दिए ...अपने होंठों से .


उसके गुलाबी होंठ बड़ी बेदर्दी से पंडित को चूसने और खरोचने में लगे हुए थे और उतनी ही बेदर्दी से वो अपनी छातियाँ पंडित के सीने से झटके दे देकर पीस रही थी ..


अचानक पंडित ने अपनी एक ऊँगली माधवी की गांड के छेद में घुसा डाली ..


"अह्ह्ह्ह्ह .....ओफ़्फ़्फ़्फ़ पंडित जी ....उम्म्म्म्म ....यहाँ नहीं ....दर्द होता है ....अह्ह्ह्ह "


पंडित समझ गया की माधवी की गांड अभी तक कुंवारी है ...मजा आयेगा ..

और अन्दर , गिरधर दरवाजे की झिर्री में आँख लगाए हुए पंडित और अपनी पत्नी की रासलीला देख रहा था ..और गुस्सा होने के बजाये अप्रत्याशित रूप से उसके लंड ने भी अंगडाई शुरू कर दी ...वैसे भी वो पंडित जी को पहले ही बोल चूका था की वो अगर उसकी मदद करे तो उसे अपनी पत्नी और बेटी को उनसे शेयर करने में प्रोब्लम नहीं है ..पर कहने और करने में काफी अंतर होता है, उसके कहने का ये मतलब नहीं था की पंडित सच में ही उसकी पत्नी या बेटी की चुदाई कर दे ...पर अब हो भी क्या सकता था ..बाहर जिस तरह से माधवी पंडित के साथ मजे ले रही थी, उससे एक बात तो साबित हो ही चुकी थी की ये इनका पहली बार नहीं था ... और उसके पास
सिर्फ देखने के और कोई चारा नहीं था ...उसके सामने शीला नंगी पड़ी हुई थी ..उसने टटोल कर उसकी चूत पर हाथ लगाया और पंडित के लंड से निकले हुए रस से भीगी उसकी चूत की मालिश करने लगा ...


बाहर आँख लगाकर उसने देखा की पंडित की ऊँगली अभी तक माधवी की गांड के अन्दर ही है और उसकी मसाज कर रही है ..पंडित का लंड माधवी की गद्देदार गांड को सलामी दे रहा था ..और अब पंडित झुककर उसके आमो का रस पी रहा था ...और माधवी पंडित के सर को अपनी ब्रेस्ट पर जोर से दबा कर उसे और जोर से चूसने के लिए कह रही थी ....


"अह्ह्ह्ह्ह पंडित ....उम्म्म्म्म .....क्या चूसते हो आप ....अह्ह्ह्ह ...मेरे निप्पल तो धन्य हो गए आपके मुंह में जाकर .... अह्ह्ह्ह्ह ....मजा आ रहा है ...."


"साली मुझे तो आजतक ऐसा नहीं बोल इसने ...और पंडित को कैसे चने के झाड़ पर चड़ा रही है ...ये ...." गिरधर बुदबुदाया ...


उसने शीला की एक टांग उठा कर अपने कंधे पर रख ली ...और उसकी चूत पर अपने लंड को लेजाकर एक धक्का मारा ...और उसका उदबिलाव सरकता हुआ शीला की चूत में घुस गया ...


बेहोशी की हालत में के बावजूद शीला के मुंह से एक मीठी सी सिसकारी निकल गयी ...


पंडित ने काफी देर से माधवी के भरे हुए जिस्म को उठा रखा था ..और थक गया था ..उसने उसे नीचे उतार दिया ..और वो फिर से पंडित के लंड को अपने मुंह में लेकर उसकी मिठास का आनंद लेने लगी ...


पंडित भी उसके मुंह को चूत की तरह से चोदने लगा ...


अन्दर गिरधर अपनी किस्मत पर फूला नहीं समा रहा था की आज उसे शीला जैसी मस्त माल की गांड और अब चूत भी मारने को मिल गयी है ...और बाहर पंडित ये जानते हुए की माधवी का पति गिरधर अन्दर से सब कुछ देख रहा है , उसकी बीबी का मुख चोदन करने में लगा हुआ था ...


अचानक बिना किसी वार्निंग के पंडित के लंड ने ढेर सारा मीठा नारियल पानी माधवी के मुंह में निकाल दिया ...जिसे वो बिना कोई देरी किये पी गयी ...


अपनी पत्नी की ऐसी करतूत देखकर गिरधर के धक्के और भी तेज हो गए ...शीला की चूत में ..और वो बडबडाने लगा "भेन चोद ....इतने सालों तक मेरा लंड कभी नहीं चूसा ...और अब ऐसे चूस रही है जैसे बरसों से येही पसंद है रांड को ...साली कुतिया ....भेन की लोडी ...."


आवेश में आकर उसके मुंह से गालियाँ निकलती जा रही थी ...वो अपनी पत्नी पर गुस्सा नहीं था ...बस गिला था की उसने ये सब इतना लेट सीखा ...


पंडित ने माधवी को नीचे जमीं पर लिटा दिया और उसकी चूत के अन्दर अपना मुंह लेकर कूद गया ...


"अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ....... .पंडित ....जी ....उम्म्म्म्म ....चुसो इसे ....आपकी जीभ और होंठ इसे बहुत पसंद आ गए हैं ...अह्ह्ह्ह ...." और पहले की तरह ही उसने पंडित की चुटिया को पकड़ कर जोरों से उसके मुंह को अपनी चूत के ऊपर मारना शुरू कर दिया ...और एक मिनट के अन्दर ही उसके अन्दर से निकल रही बारिश से पंडित के मुंह को धोना शुरू कर दिया ...


और दोनों गहरी साँसे लेते हुए एक दुसरे के ऊपर गिर पड़े ...चुदाई अभी भी होनी बाकी थी ....पंडित का लंड फिर से होने में 30 मिनट और लगने थे अभी ...


एकदम घडी की देखकर माधवी हडबड़ा कर उठी और बोली : " अरे आधा घंटा हो गया ...वो आने वाले होंगे ...मैं चलती हु ." और उसने अपने ऊपर गाऊन पहना चुन्नी ली और बाहर निकल गयी ...




पंडित ने भागकर बाथरूम का दरवाजा खोला ...और गिरधर को शीला की चुदाई करते हुए देखा ...शीला भी होश में आ चुकी थी ...और हक्की बक्की होकर ये सोचते हुए की आखिर मैं बाथरूम में कैसे आ गयी और गिरधर का लंड मेरी चूत के अन्दर कब घुसा , धक्के लेने में लगी हुई थी ..


और गिरधर पंडित की तरफ देखते हुए,शीला की टांगो को पकडे हुए,जोर से धक्के मारने में लगा हुआ था ...और आखिरकार उसने भी अपनी पिचकारी शीला की चूत में छोड़ दी ...


"अह्ह्ह्ह्ह्ह .....उम्म्म्म्म्म ......ओफ़्फ़्फ़्फ़्फ़ ......."


और उसके ऊपर निढाल सा होकर गिर गया ...

गिरधर ने अपने लंड की आखिरी बूँद भी शीला की चूत में निकाल दी थी ..और अब वो पूरी तरह से खाली हो चूका था ..


शीला की तो टाँगे पूरी सुन्न सी हो चुकी थी ..पहले पंडित और गिरधर ने मिलकर उसकी डबल बजायी और अब गिरधर ने दोबारा से सिंगल ...इतना तो वो आजतक नहीं चुदी थी ..पर पंडित के अलावा गिरधर से भी अपना बेंड बजवाने में उसे काफी मजा आया था ...और उसकी मुस्कराहट उसके अन्दर की ख़ुशी साफ़ बयान कर रही थी .


पंडित ने इशारा करके उसे जाने के लिए कहा ..वो उठी और लडखडाती हुई कमरे में आई और अपने कपडे समेट कर पहने और चुपके से पीछे के दरवाजे से बाहर निकल कर अपने घर चली गयी .


उसके जाते ही पंडित ने गिरधर से कहा : "मुझे मालुम है की तुमने अन्दर से सब कुछ देख ही लिया है की तुम्हारी पत्नी मेरे साथ क्या-२ कर रही थी .."


गिरधर कुछ ना बोला .


पंडित : "देखो गिरधर ...मैंने ये सब तुम्हारी मदद करने के उद्देश्य से किया है ..तुम्ही ने कहा था न की माधवी तुम्हारे किसी भी कार्य में साथ नहीं देती ..जैसे लंड चूसना या चूत चुस्वाना ..मैंने उसे अपने पास बुलाया था और सब समझाया भी था ..पर तुम तो जानते ही हो , जब तक प्रेक्टिकल करके ना दिखाया जाए ये पुराने विचारों वाली औरतें कुछ भी नहीं समझती ..और वो मेरे निर्देशों का ही असर था जब उसने तुम्हारे लिंग को पहली बार चूसा था और अपनी चूत भी चुस्वायी थी .."


गिरधर पंडित की बातें बड़े ध्यान से सुन रहा था ..


पंडित : "और मेरे साथ ये सब करने में कोई नुक्सान भी नहीं है उसे ..क्योंकि मैं इस बात की भनक किसी को भी नहीं लगने दूंगा, और ये सब करते -२ मैं जल्दी ही रितु को भी तुम्हारे लिए राजी कर लूँगा ..तब तक तुम भी शीला के साथ जब चाहे मजे ले सकते हो ..और अब तो माधवी भी तुम्हे कुछ भी करने से मना नहीं करेगी ..क्यों .. "


पंडित ने अपनी तरफ से लालच का एक और दाना गिरधर के सामने फेंका ..


गिरधर ने सर झुका कर अपना सर हिलाया ..उसके सामने कोई और चारा भी तो नहीं था ..वो पंडित से लडाई भी नहीं कर सकता था की उसने क्यों उसकी बीबी के साथ ऐसे सम्बन्ध बनाए, जबकि वो भी किसी और के साथ वही सब करने में लगा हुआ था और अब उसकी नजर अपनी ही बेटी पर भी थी, उसे पंडित का साथ ही सही लगा, क्योंकि उसकी वजह से ही वो आज शीला जैसे माल के साथ मजे ले पाया था और आगे भी ले सकता था , और रितु भी तो थी आगे के खेल में ..


ये सब सोचकर और समझकर वो पंडित से बोला : "आप ठीक कहते हैं पंडित जी ..जैसा आप उचित समझे वैसा ही कीजिये .."


पंडित मुस्कुराया , वो समझ गया था की आज के बाद गिरधर की तरफ से उसे कोई रुकावट नहीं होगी ..


पंडित : "चलो अब तुम भी घर जाओ ..माधवी तुम्हारे लिए कितनी चिंतित थी ..जल्दी जाओ अब .."


गिरधर ने भी अपने कपडे पहने और बाहर निकल गया .


पंडित ने उसके जाते ही दरवाजा बंद किया और आराम से लेट गया ..और सोचने लगा की कितनी चतुराई से उसने गिरधर के सामने ही माधवी से मजे ले लिए ..और आगे भी ले सकने के दरवाजे खोल दिए ..पर अपनी पत्नी को मेरा लंड चूसते देखकर उसमे काफी उत्तेजना भी आ गयी थी ..और उसने बेहोश पड़ी हुई शीला की चूत बाथरूम में ही मारनी शुरू कर दी थी ..अब गिरधर जाते ही माधवी का बेंड बजा देगा ..और अपना गुस्सा , इर्ष्या और उत्तेजना उसके ऊपर निकालेगा ..


पंडित ये सब सोचते -२ एकदम से उठकर बैठ गया ..और मन ही मन बोला : "यार ...ये सीन तो देखने वाला होगा .."


और उसने जल्दी से अपना कुरता और चप्पल पहनी और एक शाल लेकर गिरधर के घर की तरफ चल दिया ..अपना चेहरा उसने शाल से ढक लिया ताकि कोई उसे पहचान ना सके ..

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Re: पंडित & शीला

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पंडित & शीला पार्ट--15



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गतांक से आगे ......................

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उसके घर के पास पहुंचकर पंडित ने इधर उधर देखा और अन्दर कूद गया ..और पीछे की तरफ से घूमकर गिरधर के कमरे की खिड़की के पास जाकर खड़ा हो गया ..जो खुली हुई थी और वहां काफी अँधेरा भी था ..इसलिए उसे कोई देख भी नहीं सकता था ..


गिरधर थोड़ी देर पहले ही आया था इसलिए अपने कपडे बदल रहा था ..


बाहर से माधवी की आवाज आई : "भूख लगी है तो खाना लगाऊ ?..."


गिरधर : "भूख तो लगी है पर खाने की नहीं ...किसी और चीज की ..जल्दी से अन्दर आ जा अब ..."


पंडित समझ गया की शो शुरू होने वाला है ..


माधवी अन्दर आई, उसके चेहरे की लाली बता रही थी की चुदने की इच्छा उसके अन्दर भी कुलबुला रही है ..पंडित ने उसकी चूत को चाटकर उसके अन्दर की वासना को काफी भड़का दिया था, अब उसे किसी भी कीमत पर अपने अन्दर लंड चाहिए था ..


जैसे ही माधवी ने दरवाजे की चिटखनी लगाई, गिरधर ने पीछे से उसके मुम्मे पकड़ कर जोर से दबा दियी ...माधवी की सिसकारी निकल गयी ..


"अह्ह्ह्ह्ह्ह ....धीरे .....रितु साथ वाले कमरे में ही है ....वो ना जाग जाए ..."


रितु का नाम सुनते ही पंडित के साथ -२ गिरधर का हाथ भी अपने लंड के ऊपर चला गया ...और उन दोनों ने लगभग एक ही अंदाज में रितु के नाम से अपने लंड महाराज को मसल दिया ..


गिरधर के सामने तो माधवी की फेली हुई गांड थी सो उसने अपने लंड का भाला उसके गुदाज चूतडों में घोंप दिया ..पर पंडित बेचारा अपने खड़े हुए लंड को अपने ही हाथों से सहलाकर दिल मसोस कर रह गया ...


माधवी ने अपना चेहरा पीछे करके गिरधर के चेहरे को पकड़ा और उसे चूसने लगी ...


उन्हें चूसते हुए देखकर पंडित का मन हुआ की अन्दर चलकर उनके साथ ही खेल में शामिल हो जाए ..क्योंकि दोनों ही उसे नहीं रोकेंगे ...पर ये समय सही नहीं है ..ये सोचकर वो बस उनका खेल देखने में ही लगा रहा ..


गिरधर ने अपने कपडे जल्दी से उतार दिये और माधवी को अपनी तरफ घुमा कर उसके गाऊन को पकड़कर ऊपर से निकाल दिया और उसे नंगी करके अपने सीने से लगा कर चूमने लगा ..


माधवी उसकी में मचल सी गयी : "अह्ह्ह्ह .....धीरे ....आज मैं कुछ भी करने से मना नहीं करुँगी ....जो भी करना है ...जैसे भी करना है ..कर लो ...और मुझसे भी करवा लो .."


उसकी बात सुनकर गिरधर के साथ -२ पंडित भी उत्तेजित हो गया ...काश हमारे देश की हर औरत अपने पति या बॉय फ्रेंड को ऐसे ही बोले तो कोई भी उनके साथ चीटिंग ना करे और बाहर मुंह ना मारे ..


गिरधर ने उसके सर के ऊपर हाथ रखकर उसे नीचे की तरफ दबा दिया ..और माधवी भी पालतू कुतिया की तरह अपने मालिक की आज्ञा का पालन करती हुई अपने पंजो पर बैठ गयी और गिरधर के लंड को अपने मुंह में लेकर जोरों से चूसने लगी ...


अचानक चूसते - २ उसने लंड बाहर निकाल दिया और गिरधर की तरफ देखकर गुस्से से बोली : " ये किसकी चूत का रस लगा हुआ है तेरे लंड पर ...बोल किसके साथ मजे लेकर आ रहा है .."


पंडित और गिरधर ने अपना -२ सर पीट लिया ..


शीला की चूत मारकर उसने अपना लंड धोया नहीं था ..और जैसे उसने पंडित के लंड को चूसते हुए बोल दिया था वैसे ही उसने अपने पति को भी रंगे हाथों पकड़ लिया ..


गिरधर : "अरे पागल हो गयी है क्या ...मैंने कहाँ जाना है ..."


बेचारा हकलाता हुआ उसे जवाब दे रहा था ..उसकी समझ में नहीं आ रहा था की क्या बोले और क्या नहीं ...


माधवी : "मैं समझ गयी ...तुम जरुर पंडित के घर पर किसी के साथ मजे कर रहे थे ..क्योंकि यही गंध मैंने पंडित के ल ......."


इतना कहते -२ वो रुक गयी ...अपनी गलती पर उसे अब पछतावा हो रहा था ..की आवेश में आकर वो क्या कह गयी ..

तीर कमान से निकल चुका था ..अब कुछ नहीं हो सकता था ..जो माधवी थोड़ी देर पहले गुस्से में पागल होकर गिरधर के ऊपर बरस रही थी अब वो भीगी बिल्ली बनकर उसके पैरों के पास बैठी हुई अपनी नजरें चुरा रही थी ..


गिरधर : "मुझे पता है की तुम पंडित जी के साथ क्या -२ मस्ती लेकर आई हो .."


उसकी बातें सुनते ही उसने चोंक कर अपना सर ऊपर उठाया ..

गिरधर आगे बोल : "पंडित जी को मैंने अपनी समस्या बताई थी और उन्होंने ही मेरे कहने पर तुम्हे वो सब सिखाने के उदेश्ये से किया था ..कल भी और अभी थोड़ी देर पहले भी जो तुमने पंडित जी के साथ किया, मुझे सब पता है उसके बारे में .."


वो चुपचाप बैठी उसकी बातें सुनती रही ..


वो आगे बोला : "और तुम भी सही हो अपनी जगह ..पंडित जी और मैंने मिलकर एक औरत के साथ आज काफी मजे लिए ...उसका नाम शीला है ..तुम शायद जानती हो उसे .."


माधवी को ध्यान आ गया की पंडित जी ने उसी से रितु को पढ़ाने के लिए बोला है ..उसने हाँ में सर हिला दिया ..


गिरधर : "तुमने पिछले २ महीनो से जो व्यवहार मेरे साथ किया है , उसकी वजह से मेरे अन्दर काफी उत्तेजना भर चुकी थी ..जिस्म की प्यास एक ऐसी चीज है जो इंसान से क्या से क्या करवा देती है ..इसलिए जब पंडित जी ने शीला के साथ सेक्स करने का मौका दिया तो मैं मना नहीं कर पाया .. और हमने मिलकर उसके साथ ...चुदाई की ..."


एक साथ २-२ लंडो से शीला की चुदाई की बात सुनकर माधवी के रोंगटे खड़े हो गए ..उसके निप्पल भी अपने 1 इंच के आकार में आकर सामने की तरफ निकल आये ..जिसे पंडित की पेनी नजरों ने दूर से ही देख लिया ..और वो समझ गया की ये बात सुनकर वो उत्तेजित हो रही है ..


गिरधर : "और हम वो सब कर ही रहे थे की तू वहां आ गयी, इसलिए मैं उस शीला के नंगे जिस्म के साथ वहीँ बाथरूम में छुप गया, और मैंने वहां से बैठकर तुझे पंडित के साथ वो सब करते हुए देखा .."


बेचारी ने अपना सर शर्म से फिर से झुका लिया .


गिरधर : "और सच कहु ..तुम्हे पंडित जी का लंड चूसते हुए देखकर मुझे गुस्सा तो बहुत आया था ..पर एक अजीब सा उत्साह और उत्तेजना भी आ गयी थी ..और जिस शीला को थोड़ी देर पहले पंडित जी ने बुरी तरह से चोदा था उसे मैंने वहीँ बाथरूम में फिर से चोदना शरू कर दिया ..इसलिए तुम्हे उस वक़्त पंडित जी के लंड से वही गंध आई जो अब मेरे लंड से आ रही है ..क्योंकि दोनों एक ही जगह से होकर आये हैं .."


गिरधर ने सब सच -२ बोलकर पूरी पिक्चर साफ़ कर दी ..


गिरधर तो आदमी था और आदमी तो ऐसे अवेध संबंधों के बाद नहा धोकर साफ़ हो जाता है पर औरत अगर वही काम करे तो समाज या उसके सगे सम्बन्धी उसे जीने नहीं देते ..ये ना जाने कैसा सामाजिक कानून है हमारे देश का ..


माधवी : "इसका मतलब तुम्हे मेरे और पंडित जी के संबंधों से कोई परेशानी नहीं है ..?"


गिरधर : "नहीं ..अगर तुम इसमें खुश हो और तुम्हे मजा आ रहा है तो इसमें मुझे कोई आपत्ति नहीं है .."


पंडित ने मन ही मन सोचा 'हाँ बेटा ..तुझे क्या परेशानी हो सकती है ..एक तो तेरी पोल पट्टी खुलने के बाद भी तू बच गया ..और ये सब अभी भी इसलिए कह रहा है की आगे के लिए भी तेरा रास्ता साफ़ हो जाए और माधवी भी दोबारा कुछ करने से ना टोके ...'


अपने पति की तरफ से से खुली छूट मिलने की ख़ुशी में माधवी ने एक जोरदार झटके से गिरधर के लंड को दोबारा अपने मुंह में दबोचा और उसे सड़प -२ करके चूसना शुरू कर दिया ..

गिरधर के लंड पर शायद उसके दांत लग गए थे ...वो बिलबिला उठा ..


'अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ......साssssssss लीssssssssss कुतिया .......धीरे ......उन्न्न्न्ह्ह्ह '


अचानक पंडित के कानों में साथ वाले कमरे से कुछ आवाज आई ..वो साथ वाली खिड़की से अन्दर झाँकने लगा ..वहां रितु सोयी हुई थी ..और गिरधर के चिल्लाने की वजह से उसकी नींद एकदम से खुल गयी और वो उठ खड़ी हुई ..और हडबडाहट में वो अपने बेड के साथ पड़े टेबल से जा टकराई ..आवाज धीरे थी जो माधवी और गिरधर तक नहीं पहुंची पर पंडित ने सुन ली थी ..


रितु ने हमेशा की तरह वही लम्बी फ्राक पहनी हुई थी ..वो नींद के आलम में खड़ी हुई सोच रही थी की आवाज कहाँ से आई, तभी गिरधर के मुंह से एक और सिसकारी निकल गयी ..


आज माधवी कुछ ज्यादा ही मेहरबान थी अपने पति पर ..और वो पंडित से सीखी हुई लंड चुसाई की कला का पूरा उपयोग अपने पति के लंड पर कर रही थी ..


गिरधर : "अह्ह्ह .....धीरे ....चूस ......ऐसी खुन्कार तो तू आजतक नहीं दिखी ..."


अब उसे क्या पता था की ये तो माधवी का ख़ुशी जाहिर करने का तरीका था, गिरधर ने उसे पंडित के साथ मजे करने की पूरी छूट जो दे दी थी ..उसके बदले अपने पति को पूरी ख़ुशी देना तो बनता ही था ना ...


गिरधर के कमरे और रितु के कमरे के बीच एक दरवाजा भी था, जो हमेशा बंद ही रहता था ..दोनों कमरों में जाने के लिए बाहर से ही एक - २ दरवाजा था ..और कभी भी बीच का दरवाजा खोलने की जरुरत नहीं पड़ी ..


रितु अब तक समझ चुकी थी की उसकी माँ और पिताजी के बीच चुदाई का महासंग्राम हो रहा है ..और उसे भी अब तक इन सब बातों का ज्ञान होने लग गया था ..पहले तो उसके पिताजी ने ही उसके कुंवारे होंठों को पीकर उसे जीवन में पहली बार स्वर्ग के मजे दिलाये थे और उसके उरोजों को मसलकर उसकी भावनाओं को भी भड़काया था ..और उसके बाद पंडित जी ने भी अपनी ज्ञान भरी बातों से उसके मन से अज्ञानी बादल हटाये थे ..


वो दबे पाँव दरवाजे के पास पहुंची और इधर - उधर देखकर उसने एक छेद ढून्ढ ही लिया और उसमे आँखे लगा कर दुसरे कमरे में अपने माँ बाप के बीच हो रहे प्यार भरे लम्हों को देखने लगी ..


पंडित ने पहले तो शुक्र मनाया की उसकी आँख पहले नहीं खुली और उसने गिरधर और माधवी के बीच होने वाली बातें नहीं सुनी ..वर्ना आगे के लिए उसे पटाने में प्रोब्लम हो सकती थी ..


दुसरे कमरे में देखते ही उसकी सिट्टी पिट्टी गम हो गयी ...उसके पिताजी का लम्बा खूंटा उसकी माँ चूस चूसकर मरी सी जा रही थी ...ऐसा लग रहा था की जिन्दगी की सबसे बड़ी ख़ुशी माधवी को सिर्फ लंड चूसने में ही मिलती है ..उसका उत्साह और उत्तेजना देखते ही बनती थी ..


रितु के नन्हे -२ निप्पल खड़े हो गए और उसका एक हाथ अपने आप उनपर जाकर उनके अकार का जायजा लेने लगा ..


पंडित का लंड भी धोती में तम्बू बना कर खडा था , उसने अपनी धोती खोल कर जमीन पर गिरा दी और अपने लंड को हाथ में लेकर मसलने लगा ..


पंडित ऐसी जगह पर खड़ा था की एक कदम इधर खिसकने से उसे गिरधर और माधवी के कमरे का नंगा नजारा देखने को मिल रहा था और दूसरी तरफ कदम खिसकाने से रितु अपने छोटे-२ अमरुद मसलती हुई, अपने ही माँ बाप को मजे लेते हुए देखकर, दिखाई दे रही थी ..


गिरधर ने माधवी को ऊपर खींचा उसकी एक टांग उठाकर अपने हाथ में रख ली और अपना थूक से भीगा हुआ लंड उसकी चूत में लगाकर नीचे से एक जोरदार शॉट मारकर अपने अपोलो को उसकी गेलेक्सी में धकेल दिया ..


'अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह .....उम्म्म्म्म .....ओह्ह्ह ..तरस गयी थी ....मैं ...इसे अन्दर लेने के लिए ...अह्ह्ह्ह .... उम्म्म्म्म ...पुरे दो महीने बाद प्यास बुझी है इसकी ...आज तो इतना चोदो मुझे .....की सारी कसर निकल जाए ...अह्ह्ह्ह ...'

गिरधर को उसकी बातों से ये भी पता चल गया की उसने पंडित के साफ़ सिर्फ चुसम चुसाई ही की है ...चुदाई नहीं . पर पंडित का लंड जब उसकी पत्नी की चूत में जाएगा तो कैसे मचलेगी वो ...ये सोचते हुए उसने अपने धक्कों की स्पीड और तेज कर दी ..


माधवी के मुम्मे गिरधर के लंड के हर झटके से आसमान की तरफ उछल जाते ...और फिर उतनी ही तेजी से दोबारा नीचे आते ..ऐसे झटके जिन्दगी में पहली बार मिल रहे थे माधवी को ...उसने अपनी बातों और हरकतों से गिरधर को इतना उत्तेजित कर दिया था की वो आज उत्तेजना के एक नए आयाम को छुने को आतुर था ..


पंडित ने मन में सोचा 'अगर कुछ गलत काम करने से ऐसे मजे मिले तो वो काम करना गलत नहीं है ..आज उसकी वजह से ही उनके रूखे सूखे दम्पंत्य जीवन में एक नए रक्त का संचार हो पाया है ..'


पंडित मन ही मन अपने किये हुए कार्य पर गर्व महसूस करके मुस्कुराने लगा ..


उसने खिसककर रितु के कमरे में झाँका तो उसकी बांछे खिल उठी ...अपने माँ बाप को बुरी तरह से चुदाई करते हुए देखकर वो भी पूरी तरह से उत्तेजित हो गयी थी ...उसने अपने स्तनों को बुरी तरह से मसलकर अपने अन्दर मचल रही उत्तेजना को शांत करने की कोशिश की और जब वो नाकाम रही तो उसने एक ही झटके में अपनी फ्रोक को अपने सर के ऊपर से उतार कर एक तरफ फेंक दिया ..और अब था पंडित की लार टपकाती हुई आँखों के सामने कमसिन रितु का नंगा जिस्म ..


अह्ह्ह्ह्ह्ह .....रितु .....म्मम्मम .


पंडित ने अपना लंड मसलते हुए एक दबी हुई सी सिसकारी मारकर अपने लंड को तेजी से हिलाना शुरू कर दिया ..

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