और हो गयी शुरू क्लास में लड़ाई.....उस लड़के ने अंकित को बजाने शुरू कर दिए....लेकिन अंकित ने
सिर्फ़ बचने की कॉसिश करि...एक हाथ तक नही उठाया....
अंकिता भागती हुई चिल्लाए जा रही थी........आइ सेड स्टॉप इट...अगर तुम अब नही रूक्के तो में प्रिन्सिपल
को बुलाउन्गी और सीधे रेसटिगेट होगे तुम.....
इतना बोलने पर वो लड़का रुक गया....और अंकित के उपर से उठ गया....
देख लूँगा साले तुझे तो....बचेगा नही.....उस लड़के ने अपनी सीट से बॅग उठाया और क्लास से निकलने
लगा..
अंकिता :- हे यू...व्ट्स युवर नेम....रूको तुम....(वो चिल्ला के रोकने लगती है..लेकिन वो लड़का तो क्लास
से चला गया)
अंकित जो नीचे फर्श पर पड़ा था वो खड़ा हुआ...हाथ सॉफ किए जिसपे मिट्टी लग गयी थी....
उसके होंठ के साइड से खूल निकल रहा था....
अंकिता :- अंकित आर यू ओके बच्चे??
अंकित :- यस मॅम..आइ आम ओके..लेकिन...
अंकिता :- लेकिन क्या..कहीं चोट लगी...(अंकिता ने अंकित का हाथ पकड़ के उससे पूछा)
अंकित के तो मज़े ही आ गये...लेकिन उसने अपने खुशी से भर्रे एमोशन्स को कंट्रोल करते
हुई..
अंकित :- साले ने नये कपड़े खराब कर दिए....
ये सुन के अंकिता के चेहरे पे हल्की सी स्माइल आ गयी..फिर उसने उसे कंट्रोल करते हुए..
अंकिता :- मेने तुम्हे मना करा था मेरे सामने नो अबुसी....चलो मेरे साथ
अंकित :- सॉरी मॅम....मॅम मेने तो कुछ नही करा..आप मुझे क्यूँ प्रिन्सिपल के पास ले रही हैं...
अंकिता :- नही बाबा..तुम्ही दवाई लगवाने ले जा रही हूँ...देखो खून निकल रहा है..
अंकित :- (गहरी साँस लेता हुआ) फिर चलिए..
उसके बाद अंकिता अंकित को ले जाती है...अंकिता आगे आगे..अंकित पीछे पीछे...अंकित को तो अब आप
सब जान ही चुके हैं उसकी नज़र कहाँ रहती है..उसकी नज़र तो अपनी अंकिता मॅम की उस छोटी छोटी
गान्ड पे थी....और जब उसकी नज़र थोड़ी उपर गयी तो अपनी मॅम की चलती हुई कमरिया को देखने
लगा..
क्या यार मॅम तो एक मॉडेल की तरह चल रही है..कमर तो देखो शिल्पा शेट्टी से बस थोड़ी सी ही
ज़्यादा होगी........ये मॅम तो कातिलाना चाल चल रही है.....(अंकित सोचते सोचते मुस्कुरा रहा था)
तभी एक कमरा आ जाता है.....
अंकिता :- टाइम पे कोई नही मिलता यहाँ पे.....
अंकित :- क्या हुआ मॅम?
अंकिता :- कुछ नही....मुझे ही दवाई ढूंडनी पड़ेगी....यहाँ जो मेडम हैं वो पता नही कहाँ
चली गयी...तुम बैठो आराम से...
अंकित सामने टेबल पे बैठ जाता है...
अंकिता एक टेबल के पास जाती है जो अंकित के बिल्कुल सामने होती है...
अंकिता हल्का सा बेंड होकर एक ड्रॉयर खोलने लगती है...और उसमे कुछ ढुड़ने लगती है..
अंकित की नज़र तो अपनी मॅम के चेहरे पे ही थी....
कितनी खूबसूरत हैं यार...इनका तो बाय्फ्रेंड ज़रूर होगा..लेकिन इनकी एज क्या है...ह्म्म 24 या 25 साल ही होगी
इससे ज़्यादा तो नही लगती..(अंकित सोचने लगता है..)
तभी उसकी नज़र चेहरे से फिसल के नीचे आ जाती है..और बस वहीं जाके अटक जाती है.......
अरे उसकी क्या जो ये देख ली उसकी नज़रें अटक जाए..ऐसा दृश्य था सामने का......
अंकिता हल्का सा झुक के कुछ ढूंड रही थी...और पता नही कब..उसकी शोल्डर पे से उसकी साड़ी धीरे
धीरे कर के खिसकने लगी.....और इतनी खिसक गयी कि अंकित के सामने उसकी ब्लाउस सामने आ गयी...
ऊओ तेरी की...क्या ब्लाउस पहन रखी है....साला..डीप कट ब्लाउज इन्होने तो विद्या बालन को भी
फैल कर दिया यार हाए इन चुचों की गहराई देख के तो मन कर रहा है डुबकी लगा लूँ....
(अंकित के मन में लड्डू फूटने लगे ये सब सोच सोच के)
सामने अंकिता की साड़ी खिसकने की वजह से उसकी वो ब्लाउस में से निकल रही चुचियाँ किसी को
भी पागल कर दें....उसकी चुचों के बीच की वो दरार किसी को भी पगल बना दे...
आज कल की आक्ट्रेस जैसे घूमती है डीप क्लीवेज दिखा के सेम यही दिखाई दे रहा था अंकित को अपनी
आँखों के सामने...
अंकिता को इस बात का ज़रा भी ख्याल नही था कि वो अभी अभी क्या दिखा रही है...वो तो कुछ खोजने में
लगी हुई थी...
अंकित :- मॅम आपसे एक बात पूछूँ..
अंकिता :- ह्म्म्म्ममम
अंकित :- आपकी एज क्या है...
अंकिता :- क्यूँ तुम्हे क्यूँ जाननी है..और वैसी भी तुम्हे पता है ना गर्ल्स की एज नही पूछते..
अंकित :- मॅम तभी तो...आप टीचर बन गयी हो..लेकिन आपकी एज तो अभी भी गर्ल्स जैसे ही लगती
है..
एक एक आहट "ज़िंदगी" की complete
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Re: एक एक आहट "ज़िंदगी" की
अंकिता :-(धीरे से) ये लड़का बहुत बदमाश है.......ह्म्म्म 26 किसी को बताना मत..
अंकित :- थॅंक यू मॅम..किसी को नही बताउन्गा....वैसे आप 26 की भी नही लगती..
अंकिता इग्नोर कर देती है...और आख़िर कार मिल जाती है उसे वो चीज़ जो चाहिए होती है.....और वो सीधी खड़ी
होती है....
फिर उसे रियलाइज़ होता है उसकी साड़ी कहाँ जा रही है.....वो एक दम सामने देखती है अंकित की तरफ...
लेकिन अंकित तो अपने फोन में कुछ कर रहा होता है..
अंकिता कुछ सोचती है..और फिर अपनी साड़ी पहले जैसी कर लेती है...जैसी पहले थी..
कुछ नही दिख रहा था अंदर कि कैसी ब्लाउज पहन रखी है उसने.....
अरी मॅम आप यहाँ...तभी कमरे एक मोटी सी औरत अंदर आती है..
अंकिता :- हाँ वो इस बच्चे को चोट लग गई थी..तो आप यहाँ थी नही मेने सोचा में ही दवाई
दे दूं इसे..
ओहू कोई नही आप जाइए...में इसको दवाई दे दूँगी..
अंकिता :- ओके
और अंकित की तरफ एक स्माइल देते हुए निकल जाती है..
अंकित फिर अपनी किस्मत को रोने लगता है.....
अबे यार फिर वही....यार कसम से उस लड़की का असर कब हटेगा मेरे उपर से...कहीं काला जादू टाइप
तो श्राप नही लग गया उसका.....
पहले तो मॅम की वजह से पिट गया इतनी बुरी तरह से पहले ही दिन लफडा हो गया..आगे पता नही
क्या होगा और इस मोटी कुत्ति को भी अभी ही आना था..साली 10 मिनट बाद आती तो आज में मज़े
कर रहा होता पता नही आज का दिन कब ख़तम होगा...जब भी कुछ अच्छा होने वाला होता है..
कुछ मनहूसियत सामने आ जाती है......लेकिन इस अंकिता मॅम ने मेरा बुरा हाल कर दिया है..बस एक बार................
इधर आओ बेटा क्या सोच रहे हो.....तभी वो मोटी औरत अंकित को आवाज़ देती है..
अंकित :- हाँ आया..
और अंकित मूह लटकाए चला जाता है........
दवाई लेके अंकित उस रूम से बाहर निकलता है और जैसे ही उसकी नज़र सामने पड़ती है..वो एक बार
फिर खुश हो जाता है...
सामने अंकिता मॅम खड़ी थी जो दूसरी टीचर से बात कर रही थी और वो हंस रही थी .. अंकित तो उनकी
हँसी देख के वहीं फ्लॅट हो गया और बस देखने लगा..
हाई कितनी फ़ुर्सत में बनाया होगा इसे उपर वाले ने एक एक चीज़ सही जगह फिट करी है...
काश ये टीचर नही मेरी क्लास की एक लड़की होती कसम से इसे तो में पटा के ही छोड़ता...
लेकिन भाई आज का दिन बहुत खराब है इसलिए इनसे दूर रहने में ही अब भलाई है कहीं मुझसे कोई
गड़बड़ हो गयी तो मेरे तो इंप्रेशन की बॅंड बज जाएगी फिर ये मुझसे कम ही बात करेगी..
इसलिए आज दूर रहता हूँ..क्या पता कल तक उस मनहूस शकल का असर निकल जाए...
(अंकित सामने अपनी मॅम को देख के अपने मन में बोले ही जा रहा था बोले ही जा रहा था)
आख़िर उसने वहाँ से जाने का फ़ैसला किया और अपनी टीचर को इग्नोर करते हुए उनके पीछे से निकल
के जाने लगा..
एक मिनट अंकित रूको.......
तभी अंकित के कानो में जानी पहचानी सी मीठी आवाज़ पड़ी.....वो पीछे मुड़ा तो उसे अंकिता
मॅम ही बुला रही थी...
अंकित अपने मन में....बॅस आज का दिन निकल जाने दो मॅम..फिर तो आपको बुलाने की ज़रूरत नही
पड़ेगी में तो हमेशा आपके साथ ही रहूँगा..
अंकिता :- इधर आओ..क्या सोच रहे हो..
अंकित :- य मॅम..आया.. (बोलता हुआ अंकिता के पास पहुच जाता है)
अंकिता :- मेडिसिन ले ली ना तुमने ढंग से..
अंकित :- यस मॅम..
अंकिता :- अच्छा एक बात बताओ...जब तुम्हे वो लड़का मार रहा था तो तुमने कुछ किया क्यूँ नही..
मतलब कि तुम्हे मारना चाहिए था...मेरा मतलब है..कि तुमने उसे मारा नही ये तो बहुत अजीब बात
है..
अंकित अपने मन में...ये क्या साला टीचर खुद बोल रही है उसे मारने के लिए हहाः..
अंकिता :- क्या सोच रहे हो तुम?
अंकित :- नही कुछ नही..मतलब मॅम आपके कहने का मतलब है कि मुझे उसे मारना चाहिए था..आप
एक टीचर होकर ये सब बोल रही है..हाहहहः...(अंकित मस्ती करता है)
अंकिता :- शटअप.. मेने ऐसा कब कहा...(झूठा गुस्सा दिखाते हुए)
मेरे कहने का मतलब् था अक्सर बाय्स एक दूसरे को मारते ही हैं...तो तुमने उसे बिल्कुल नही मारा.
वो क्यूँ?
अंकित अपने मन में......अरे क्या करूँ .. उसे मार देता तो आप यहाँ खड़े होकर मुझसे बात
थोड़ी ना कर रही होती..और आपके सीने के पीछे छुपे वो दो.
अंकिता :- फिर से सोचने लग गये..क्या सोचते रहते हो तुम
अंकित :- कुछ नही..वो मॅम मेने उससे आपकी वजह से नही मारा..
अंकिता :- क्या मतलब.....(चौंकते हुए)
अंकित :- म्म्म..मेरा मतलब कि आप मतलब कि टीचर क्लास में हो और ऐसी लड़ाई अच्छी नही लगती ना
मॅम....हमे तो टीचर की रेस्पेक्ट करनी चाहिए....
अंकिता :- ह्म्म्म्ममम(छोटी सी हँसी हंसते हुए) में सब समझती हूँ..बदमाश...अच्छा जाओ क्लास
अटेंड कर लो..और हाँ कल लेट हुए तो क्लास में एंटर नही होने दूँगी..
अंकित :- मतलब कल भी आपका ही है फर्स्ट लेक्चर....
अंकिता :- ह्म्म यप..
अंकित :- अरे वाह फिर तो मज़ा आएगा... (खुश होते हुए)
अंकिता :- क्या मतलब तुम्हारा...कैसा मज़ा आएगा.
अंकित :- मॅम आइ लवी....(एक फुल स्टॉप लेता है और अंकिता का रियेक्शन देखने लगता है..अंकिता उसे
घूर घूर के देख रही थी...फिर अंकित बोलता है) जावा...आइ लव जावा मॅम..
अंकिता :- (एक छोटी सी मुस्कान के साथ) चलो जाओ बहुत बदमाश बच्चे हो तुम..जाके क्लास अटेंड
करो....और मूड के जाने लगती है......
दोस्तो कहानी जारी रहेगी...................
अंकित :- थॅंक यू मॅम..किसी को नही बताउन्गा....वैसे आप 26 की भी नही लगती..
अंकिता इग्नोर कर देती है...और आख़िर कार मिल जाती है उसे वो चीज़ जो चाहिए होती है.....और वो सीधी खड़ी
होती है....
फिर उसे रियलाइज़ होता है उसकी साड़ी कहाँ जा रही है.....वो एक दम सामने देखती है अंकित की तरफ...
लेकिन अंकित तो अपने फोन में कुछ कर रहा होता है..
अंकिता कुछ सोचती है..और फिर अपनी साड़ी पहले जैसी कर लेती है...जैसी पहले थी..
कुछ नही दिख रहा था अंदर कि कैसी ब्लाउज पहन रखी है उसने.....
अरी मॅम आप यहाँ...तभी कमरे एक मोटी सी औरत अंदर आती है..
अंकिता :- हाँ वो इस बच्चे को चोट लग गई थी..तो आप यहाँ थी नही मेने सोचा में ही दवाई
दे दूं इसे..
ओहू कोई नही आप जाइए...में इसको दवाई दे दूँगी..
अंकिता :- ओके
और अंकित की तरफ एक स्माइल देते हुए निकल जाती है..
अंकित फिर अपनी किस्मत को रोने लगता है.....
अबे यार फिर वही....यार कसम से उस लड़की का असर कब हटेगा मेरे उपर से...कहीं काला जादू टाइप
तो श्राप नही लग गया उसका.....
पहले तो मॅम की वजह से पिट गया इतनी बुरी तरह से पहले ही दिन लफडा हो गया..आगे पता नही
क्या होगा और इस मोटी कुत्ति को भी अभी ही आना था..साली 10 मिनट बाद आती तो आज में मज़े
कर रहा होता पता नही आज का दिन कब ख़तम होगा...जब भी कुछ अच्छा होने वाला होता है..
कुछ मनहूसियत सामने आ जाती है......लेकिन इस अंकिता मॅम ने मेरा बुरा हाल कर दिया है..बस एक बार................
इधर आओ बेटा क्या सोच रहे हो.....तभी वो मोटी औरत अंकित को आवाज़ देती है..
अंकित :- हाँ आया..
और अंकित मूह लटकाए चला जाता है........
दवाई लेके अंकित उस रूम से बाहर निकलता है और जैसे ही उसकी नज़र सामने पड़ती है..वो एक बार
फिर खुश हो जाता है...
सामने अंकिता मॅम खड़ी थी जो दूसरी टीचर से बात कर रही थी और वो हंस रही थी .. अंकित तो उनकी
हँसी देख के वहीं फ्लॅट हो गया और बस देखने लगा..
हाई कितनी फ़ुर्सत में बनाया होगा इसे उपर वाले ने एक एक चीज़ सही जगह फिट करी है...
काश ये टीचर नही मेरी क्लास की एक लड़की होती कसम से इसे तो में पटा के ही छोड़ता...
लेकिन भाई आज का दिन बहुत खराब है इसलिए इनसे दूर रहने में ही अब भलाई है कहीं मुझसे कोई
गड़बड़ हो गयी तो मेरे तो इंप्रेशन की बॅंड बज जाएगी फिर ये मुझसे कम ही बात करेगी..
इसलिए आज दूर रहता हूँ..क्या पता कल तक उस मनहूस शकल का असर निकल जाए...
(अंकित सामने अपनी मॅम को देख के अपने मन में बोले ही जा रहा था बोले ही जा रहा था)
आख़िर उसने वहाँ से जाने का फ़ैसला किया और अपनी टीचर को इग्नोर करते हुए उनके पीछे से निकल
के जाने लगा..
एक मिनट अंकित रूको.......
तभी अंकित के कानो में जानी पहचानी सी मीठी आवाज़ पड़ी.....वो पीछे मुड़ा तो उसे अंकिता
मॅम ही बुला रही थी...
अंकित अपने मन में....बॅस आज का दिन निकल जाने दो मॅम..फिर तो आपको बुलाने की ज़रूरत नही
पड़ेगी में तो हमेशा आपके साथ ही रहूँगा..
अंकिता :- इधर आओ..क्या सोच रहे हो..
अंकित :- य मॅम..आया.. (बोलता हुआ अंकिता के पास पहुच जाता है)
अंकिता :- मेडिसिन ले ली ना तुमने ढंग से..
अंकित :- यस मॅम..
अंकिता :- अच्छा एक बात बताओ...जब तुम्हे वो लड़का मार रहा था तो तुमने कुछ किया क्यूँ नही..
मतलब कि तुम्हे मारना चाहिए था...मेरा मतलब है..कि तुमने उसे मारा नही ये तो बहुत अजीब बात
है..
अंकित अपने मन में...ये क्या साला टीचर खुद बोल रही है उसे मारने के लिए हहाः..
अंकिता :- क्या सोच रहे हो तुम?
अंकित :- नही कुछ नही..मतलब मॅम आपके कहने का मतलब है कि मुझे उसे मारना चाहिए था..आप
एक टीचर होकर ये सब बोल रही है..हाहहहः...(अंकित मस्ती करता है)
अंकिता :- शटअप.. मेने ऐसा कब कहा...(झूठा गुस्सा दिखाते हुए)
मेरे कहने का मतलब् था अक्सर बाय्स एक दूसरे को मारते ही हैं...तो तुमने उसे बिल्कुल नही मारा.
वो क्यूँ?
अंकित अपने मन में......अरे क्या करूँ .. उसे मार देता तो आप यहाँ खड़े होकर मुझसे बात
थोड़ी ना कर रही होती..और आपके सीने के पीछे छुपे वो दो.
अंकिता :- फिर से सोचने लग गये..क्या सोचते रहते हो तुम
अंकित :- कुछ नही..वो मॅम मेने उससे आपकी वजह से नही मारा..
अंकिता :- क्या मतलब.....(चौंकते हुए)
अंकित :- म्म्म..मेरा मतलब कि आप मतलब कि टीचर क्लास में हो और ऐसी लड़ाई अच्छी नही लगती ना
मॅम....हमे तो टीचर की रेस्पेक्ट करनी चाहिए....
अंकिता :- ह्म्म्म्ममम(छोटी सी हँसी हंसते हुए) में सब समझती हूँ..बदमाश...अच्छा जाओ क्लास
अटेंड कर लो..और हाँ कल लेट हुए तो क्लास में एंटर नही होने दूँगी..
अंकित :- मतलब कल भी आपका ही है फर्स्ट लेक्चर....
अंकिता :- ह्म्म यप..
अंकित :- अरे वाह फिर तो मज़ा आएगा... (खुश होते हुए)
अंकिता :- क्या मतलब तुम्हारा...कैसा मज़ा आएगा.
अंकित :- मॅम आइ लवी....(एक फुल स्टॉप लेता है और अंकिता का रियेक्शन देखने लगता है..अंकिता उसे
घूर घूर के देख रही थी...फिर अंकित बोलता है) जावा...आइ लव जावा मॅम..
अंकिता :- (एक छोटी सी मुस्कान के साथ) चलो जाओ बहुत बदमाश बच्चे हो तुम..जाके क्लास अटेंड
करो....और मूड के जाने लगती है......
दोस्तो कहानी जारी रहेगी...................
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Re: एक एक आहट "ज़िंदगी" की
गतान्क आगे.....................
आज उससे मेट्रो धीरे चलती हुई लग रही थी...वो बार बार यही सोच रहा था साला हर स्टेशन पे
रुकनी ज़रूरी है क्या....लेट हो रहा है..जल्दी चल.....
आख़िरकार वो अपने स्टेशन पे पहुच गया...स्टेशन पे भीड़ थी इसलिए भाग तो सकता नही था
इसलिए तेज तेज़ कदमो से चलने की कॉसिश करता हुआ...स्टेशन से बाहर निकल जाता है...और कॉलेज के
अंदर एंटर होते हुए..सीधा भागता हुआ जाने लगता है..
उसने मेट्रो में सोच लिया था कि किसी भी लड़की को कॉलेज मे नही देखेगा वरना और लेट हो जाएगा
इसलिए दाएँ बाएँ ना देखते हुए सिर्फ़ सामने देखते हुए भागने लगा..
भागते भाटी..वो आख़िर में कॉरिडोर में स्लाइड लेके क्लास के बाहर आके रुक गया..और जैसे
ही एंटर हुआ उसने देखा......
अंकिता मॅम ब्लू साड़ी में...वैसी ही स्लेवलेशस ब्लाउस के साथ..अपनी टीचर टेबल के सामने खड़ी थी
और क्या ग़ज़ब लग रही थी...अंकित की सारी थकान जो भागने की वजह से हुई वो सारी मिट गयी..
कुछ एक मिनट तक देखता रहा..फिर बोला..
अंकित :- मे आइ कम इन मॅम
अंकिता ने अपनी गर्दन घुमा के अंकित की तरफ देखा...
अंकित :- आज फिर से लेट हो गये तुम....मतलब अगर में 10 मिनट लेट आई तो मतलब तुम भी लेट आओगे
मेने कल कहा था ना लेट आओगे तो एंट्री नही मिलेगी..
ऐसा बोलने पर अंकित के दिमाग़ की बत्ती जली..
अंकित :- (भोली शक्ल बनाते हुए) मॅम...में आज जल्दी ही आया था...जब देखा कि आप नही आई..तो
में नीचे कॅंटीन चला गया था ब्रेकफास्ट करने...वो आज क्लास में टाइम पर पहुचना था इसलिए
ब्रेकफास्ट करके नही आया था..(बोलते हुए अपनी गर्दन नीचे कर लेता है..उसे पूरा यकीन था कि
उसका ये आइडिया काम ही करेगा)
अबे हम ने तो नही देखा तुझे..तू कब आया....(तभी अंकित के कानो में अंकिता की आवाज़ की जगह
किसी और की आवाज़ पड़ी)
उसने अपनी गर्दन उपर उठाई...तो देखा वही लड़का था जिससे झगड़ा हुआ था....
अंकित को इतना गुस्सा आया कि मानो अभी साले का सर फोड़ दे..लेकिन फिर वो बोला..
अंकित :- अबे बिहारी तेरे लिए थोड़ी आया था में..जो तुझे अपनी शक्ल दिखाऊ..और तुझे क्यू दिखाऊँ
साले अपनी शक्ल देखी है...अबे गाओं वाले भी तुझसे अच्छे लगते हैं...जा गटर सॉफ कर तू उसी
लायक है....
अंकित की बातों से सारी क्लास हँसने लगती है....
वो लड़का अपनी सीट से खड़ा होके कुछ बोलने वाला होता है कि ..अंकिता बोल पड़ती है..
अंकित :- (काफ़ी गुस्से में) स्टॉप..इट...आइ सेड...स्टॉप लाफिंग एवेरिबडी..आंड यू..कल ही तुम्हे डाइरेक्टर
सर से वॉर्निंग मिली थी..अब क्या सस्पेंड होना चाहते हो..ये तुम्हारी लास्ट वॉर्निंग है..अगर अब तुमने
कोई भी कॉमेंट पास किया तो सीधे सस्पेंड होओगे...सिट डाउन आइ सेड....
वो लड़का कुछ बूल...अंकिता ने उसस्की बंद बजा दी..वो चुप छाप बैठ गया..
इधर अंकित खड़ा मुस्कुरा रहा था...अंकिता अंकित की तरफ मूडी..
अंकिता :- मेने तुम्हे कहा था ना डोंट अब्यूस इन माइ क्लास....लेकिन तुम नही माने..तुम्हे आज
डाइरेक्टर सर के पास ले ही जाना पड़ेगा....
अब अंकित को जानते ही हैं..ड्रामा करने में नंबर. वन..
अंकित :- (कमीडियन सी शक्ल बनाते हुए) मॅम सॉरी ना....सॉरी..प्लीज़ ऐसा क्या करते हो..
हो जाता है कई बार...गुस्से में निकल गया....सॉरी ना..प्लीज़...आगे से नही होगा..सॉरी..(और कान
पकड़ के खड़ा हो जाता है)
गुस्से से भरे अंकिता के चेहरे पे अंकित की इस हरकत पे हँसी आ जाती है..
अंकिता :- तुम एक नंबर के बदमाश हो..बिल्कुल..बदमाश..चलो जाओ सीट पे बैठ जाओ..
अंकित :- थन्क्क्क उूुुुउउ.....
अंकिता उसे देख के हँसने लगती है..और अपने आप से...ड्रामेबाज़्ज़्ज़.....
फिर अंकिता अपना लेक्चर शुरू करती है .... और बीच बीच में कुछ क्वेस्चन्स पूछती है..जिसे अंकित ने
बखूबी सबसे पहले जबाब दिया बाकी सभी बच्चो में.
अंकिता अंकित से काफ़ी इंप्रेस थी उसकी नालेज से...
आख़िर कर लेक्चर ओवर हुआ...अंकिता जाने लगी तो उसने अंकित को बुलाया..
अंकित की तो खुशी का ठिकाना नही रहा..वो भागता हुआ गया...और चलते हुए अंकिता ने बोलना शुरू किया..
अंकिता :- आइ आम वेरी इंप्रेस्ड ... यू आर रियली वेरी गुड.
अंकित :- थॅंक यू माँ...
अंकिता :- तुम्हे पहले जावा पढ़ी हुई है क्या..
अंकित :- नो मॅम वैसे तो कभी क्लासस नही ली हैं..लेकिन मुझे जावा में इंटरेस्ट है..और उपर से आप
पढ़ा रही है तो और मज़ा आ रहा है...
अंकिता उसकी तरफ देखती है और मुस्कुरा देती है..
अंकिता :- चलो चलो बदमाश..क्लास में जाओ.....
(और फिर वो चली जाती है स्टाफ रूम में..अंकित उसे पीछे से देखता रहता है..अंकिता की उस कमर
पे तो कभी उसकी वो गान्ड पे...और मुस्कुराता हुआ वापिस क्लास में आ जाता है)
और जैसे ही क्लास में एंटर होने लगता है वो एक लड़के से टकरा जाता है..
अंकित :- सॉरी..सॉरी..भाई..लगी तो नही..
अरे नही यार...नही लगी..वैसे...माइ नेम ईज़ विकी..(और हाथ आगे बढ़ाता है)
अंकित :- (हाथ मिलाते हुए) आइ आम अंकित..
विकी :- हाँ पता है....वैसे यार तेरी जावा बड़ी अच्छी है..और मेरी बहुत बेकार...साली वो मॅम कब
पढ़ा के क्या गयी..पता ही नही चला....
अंकित :- हाहहा..क्यूँ नही यार में सिखा दूँगा..चल आजा..क्लास में चल...
फिर दोनो क्लास में चले जाते हैं....
अंकित घर पे बेड पे पड़ा होता और बस अंकिता मॅम के ख्यालो में खोया हुआ होता है..
अंकित अपने मन में......यार..पता नही मॅम मे ऐसी कौन सी काशिस है...बस..मन करता है उनके साथ
ही रहूं.....
और आज एक दोस्त तो मिला कॉलेज में विकी..
आज उससे मेट्रो धीरे चलती हुई लग रही थी...वो बार बार यही सोच रहा था साला हर स्टेशन पे
रुकनी ज़रूरी है क्या....लेट हो रहा है..जल्दी चल.....
आख़िरकार वो अपने स्टेशन पे पहुच गया...स्टेशन पे भीड़ थी इसलिए भाग तो सकता नही था
इसलिए तेज तेज़ कदमो से चलने की कॉसिश करता हुआ...स्टेशन से बाहर निकल जाता है...और कॉलेज के
अंदर एंटर होते हुए..सीधा भागता हुआ जाने लगता है..
उसने मेट्रो में सोच लिया था कि किसी भी लड़की को कॉलेज मे नही देखेगा वरना और लेट हो जाएगा
इसलिए दाएँ बाएँ ना देखते हुए सिर्फ़ सामने देखते हुए भागने लगा..
भागते भाटी..वो आख़िर में कॉरिडोर में स्लाइड लेके क्लास के बाहर आके रुक गया..और जैसे
ही एंटर हुआ उसने देखा......
अंकिता मॅम ब्लू साड़ी में...वैसी ही स्लेवलेशस ब्लाउस के साथ..अपनी टीचर टेबल के सामने खड़ी थी
और क्या ग़ज़ब लग रही थी...अंकित की सारी थकान जो भागने की वजह से हुई वो सारी मिट गयी..
कुछ एक मिनट तक देखता रहा..फिर बोला..
अंकित :- मे आइ कम इन मॅम
अंकिता ने अपनी गर्दन घुमा के अंकित की तरफ देखा...
अंकित :- आज फिर से लेट हो गये तुम....मतलब अगर में 10 मिनट लेट आई तो मतलब तुम भी लेट आओगे
मेने कल कहा था ना लेट आओगे तो एंट्री नही मिलेगी..
ऐसा बोलने पर अंकित के दिमाग़ की बत्ती जली..
अंकित :- (भोली शक्ल बनाते हुए) मॅम...में आज जल्दी ही आया था...जब देखा कि आप नही आई..तो
में नीचे कॅंटीन चला गया था ब्रेकफास्ट करने...वो आज क्लास में टाइम पर पहुचना था इसलिए
ब्रेकफास्ट करके नही आया था..(बोलते हुए अपनी गर्दन नीचे कर लेता है..उसे पूरा यकीन था कि
उसका ये आइडिया काम ही करेगा)
अबे हम ने तो नही देखा तुझे..तू कब आया....(तभी अंकित के कानो में अंकिता की आवाज़ की जगह
किसी और की आवाज़ पड़ी)
उसने अपनी गर्दन उपर उठाई...तो देखा वही लड़का था जिससे झगड़ा हुआ था....
अंकित को इतना गुस्सा आया कि मानो अभी साले का सर फोड़ दे..लेकिन फिर वो बोला..
अंकित :- अबे बिहारी तेरे लिए थोड़ी आया था में..जो तुझे अपनी शक्ल दिखाऊ..और तुझे क्यू दिखाऊँ
साले अपनी शक्ल देखी है...अबे गाओं वाले भी तुझसे अच्छे लगते हैं...जा गटर सॉफ कर तू उसी
लायक है....
अंकित की बातों से सारी क्लास हँसने लगती है....
वो लड़का अपनी सीट से खड़ा होके कुछ बोलने वाला होता है कि ..अंकिता बोल पड़ती है..
अंकित :- (काफ़ी गुस्से में) स्टॉप..इट...आइ सेड...स्टॉप लाफिंग एवेरिबडी..आंड यू..कल ही तुम्हे डाइरेक्टर
सर से वॉर्निंग मिली थी..अब क्या सस्पेंड होना चाहते हो..ये तुम्हारी लास्ट वॉर्निंग है..अगर अब तुमने
कोई भी कॉमेंट पास किया तो सीधे सस्पेंड होओगे...सिट डाउन आइ सेड....
वो लड़का कुछ बूल...अंकिता ने उसस्की बंद बजा दी..वो चुप छाप बैठ गया..
इधर अंकित खड़ा मुस्कुरा रहा था...अंकिता अंकित की तरफ मूडी..
अंकिता :- मेने तुम्हे कहा था ना डोंट अब्यूस इन माइ क्लास....लेकिन तुम नही माने..तुम्हे आज
डाइरेक्टर सर के पास ले ही जाना पड़ेगा....
अब अंकित को जानते ही हैं..ड्रामा करने में नंबर. वन..
अंकित :- (कमीडियन सी शक्ल बनाते हुए) मॅम सॉरी ना....सॉरी..प्लीज़ ऐसा क्या करते हो..
हो जाता है कई बार...गुस्से में निकल गया....सॉरी ना..प्लीज़...आगे से नही होगा..सॉरी..(और कान
पकड़ के खड़ा हो जाता है)
गुस्से से भरे अंकिता के चेहरे पे अंकित की इस हरकत पे हँसी आ जाती है..
अंकिता :- तुम एक नंबर के बदमाश हो..बिल्कुल..बदमाश..चलो जाओ सीट पे बैठ जाओ..
अंकित :- थन्क्क्क उूुुुउउ.....
अंकिता उसे देख के हँसने लगती है..और अपने आप से...ड्रामेबाज़्ज़्ज़.....
फिर अंकिता अपना लेक्चर शुरू करती है .... और बीच बीच में कुछ क्वेस्चन्स पूछती है..जिसे अंकित ने
बखूबी सबसे पहले जबाब दिया बाकी सभी बच्चो में.
अंकिता अंकित से काफ़ी इंप्रेस थी उसकी नालेज से...
आख़िर कर लेक्चर ओवर हुआ...अंकिता जाने लगी तो उसने अंकित को बुलाया..
अंकित की तो खुशी का ठिकाना नही रहा..वो भागता हुआ गया...और चलते हुए अंकिता ने बोलना शुरू किया..
अंकिता :- आइ आम वेरी इंप्रेस्ड ... यू आर रियली वेरी गुड.
अंकित :- थॅंक यू माँ...
अंकिता :- तुम्हे पहले जावा पढ़ी हुई है क्या..
अंकित :- नो मॅम वैसे तो कभी क्लासस नही ली हैं..लेकिन मुझे जावा में इंटरेस्ट है..और उपर से आप
पढ़ा रही है तो और मज़ा आ रहा है...
अंकिता उसकी तरफ देखती है और मुस्कुरा देती है..
अंकिता :- चलो चलो बदमाश..क्लास में जाओ.....
(और फिर वो चली जाती है स्टाफ रूम में..अंकित उसे पीछे से देखता रहता है..अंकिता की उस कमर
पे तो कभी उसकी वो गान्ड पे...और मुस्कुराता हुआ वापिस क्लास में आ जाता है)
और जैसे ही क्लास में एंटर होने लगता है वो एक लड़के से टकरा जाता है..
अंकित :- सॉरी..सॉरी..भाई..लगी तो नही..
अरे नही यार...नही लगी..वैसे...माइ नेम ईज़ विकी..(और हाथ आगे बढ़ाता है)
अंकित :- (हाथ मिलाते हुए) आइ आम अंकित..
विकी :- हाँ पता है....वैसे यार तेरी जावा बड़ी अच्छी है..और मेरी बहुत बेकार...साली वो मॅम कब
पढ़ा के क्या गयी..पता ही नही चला....
अंकित :- हाहहा..क्यूँ नही यार में सिखा दूँगा..चल आजा..क्लास में चल...
फिर दोनो क्लास में चले जाते हैं....
अंकित घर पे बेड पे पड़ा होता और बस अंकिता मॅम के ख्यालो में खोया हुआ होता है..
अंकित अपने मन में......यार..पता नही मॅम मे ऐसी कौन सी काशिस है...बस..मन करता है उनके साथ
ही रहूं.....
और आज एक दोस्त तो मिला कॉलेज में विकी..
- Sexi Rebel
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- Joined: 27 Jul 2016 21:05
एक एक आहट "ज़िंदगी" की-11
तभी उसका फोन बजा...
अंकित :- हाँ बोल.बोल..डॉली...कब खिला रही है आइस क्रीम...
डॉली :- हाँ हाँ टाइम बताने के लिए फोन किया था..और तूने ये क्या डॉली डॉली लगा रखा है
नलायक कहीं का मेरा नाम भी है...
अंकित :- हाहहहहः..में तो यही बोलूँगा..डॉली..हाहहहः....
डॉली :- तू मिल..फिर देख मार खाएगा मेरे से...
अंकित :- हाँ तो उसके लिए टाइम तो बता ..कितने बजे आउ घर तेरे..
डॉली :- हाँ आ जाना घर के नीचे 6 बजे तक..
अंकित :- मतलब घर कि अंदर नही आने देगी..
डॉली :- घर के अंदर नही मिलेगी ना आइस क्रीम..बाहर ही मिलती है...समझा...
अंकित :- रहने दे तू..बुलाना ही नही कहती..बस बहाने हैं तेरे..
डॉली :- हाँ है बहाने जो समझना है समझ..6 बजे आ जाना और सुन लेट मत करियो पता चले
फॅशन के चक्कर में लेट कर दे..हहेहेहेहेः..
अंकित :- हाँ पता है कौन लेट करता है..तू ही करती है..उस दिन बस स्टॉप पे भी.
डॉली :- बस...अब शुरू मत हो जाना..शाम को मिलते हैं..चल बाइ..
अंकित :- हां..हाँ ठीक है..बाई....
फोन कट..
अंकित :- अभी तो 2 घन्ते हैं...सो जाता हूँ थोड़ी देर....
फिर 6:10 पे अंकित का फोन वाइब्रट होता है जिससे वो जागता है...
अंकित :- हेलो....(नींद में)
तू अभी तक सो रहा है नलायक...6 :10 हो रहे हैं..आएगा कि नही...
अंकित ने नाम देखा..और एक दम से खड़ा हुआ..
अंकित :- नही नही..सो नही रहा था...बस 5 मिनट में आया...चल ओके बाए.(फोन जान बुझ के कट
कर देता है)
फिर अंकित फटाफट से तैयार होके जल्दी जल्दी निकल जाता है उससे मिलने...अरे उस डॉली का घर 5 मिनट
की दूरी पर ही है...
दोनो आपस में बात कर रहे होते हैं आइस क्रीम खाते हुए....
अंकित :- और बता कॉलेज कैसा चल रहा है..
डॉली :- बॅस यार...वही रोज़ रोज़ के अस्सिगमेंट्स और क्या परेशान हो गया हूँ..
अंकित :- हाहहहाहाः....(आइस क्रीम खाते हुए)
डॉली :- हंस क्या रहा है..तेरा कैसा चल रहा है...
अंकित :- एक दम मस्त फर्स्ट क्लास....
तभी उन दोनो के कानो में कुछ आवाज़ पड़ती है.......अंकित पीछे मूड के देखता है...
मेन रोड के बीचों बीच एक बच्चा रो रहा था...वो बिल्कुल बीच में खड़ा था...4 या 5 साल
का होगा......
तभी वहाँ पे एक औरत की चिल्लाने की आवाज़ अत्ती है....आरावववववववववव.....
डॉली :- ओह्ह गॉड..ये बच्चा बीच में कैसे...
अंकित की नज़र तो उसी बच्चे पे टिकी थी..और वहाँ चल रही गाड़ियों की....तभी एक गाड़ी तेज़ी से
रोड पे दौड़ती हुई उसी बच्चे की तरफ बढ़ रही थी....
अंकित ने ये देख लिया....उसने अपनी आइस क्रीम गिराई ..
गाड़ी काफ़ी करीब आ गयी थी...अंकित ने उस बच्चे को उठाया और बॅस दूसरी तरफ कुदा...
डॉली :- अंकित्त्त्टटटटटटटटटटटटटटटटटटतत्त......(वो चिल्लाई)
आर्नाआआआव्व्व्व्व्व्व दूसरी तरफ से एक औरत चिल्लाई......
गाड़ी की ज़ोर दार ब्रेक लगने की आवाज़ आई..............
एक पल के लिए मानो सब कुछ जैसे रुक गया हो.....सब आँखें फड़डे सामने देख रहे थे...
अंकित दूसरी तरफ मिट्टी में पड़ा था...सब उसकी पीठ को देख सकते थे...लेकिन उसके साथ वो बच्चा
कहीं नही दिख रहा था...
सबके मन में एक ही सवाल था कि आख़िर..क्या हुआ....दोनो को.....
अंकित सामने मिट्टी में पड़ा था...उधर उस लेडी की और डॉली की हालत खराब हो रही थी....
दोनो रोड क्रॉस कर के इधर आने ही लगी थी...कि तभी अंकित लड़खड़ाता हुआ खड़ा हुआ..
तब डॉली के जान में जान आई.....और फिर अंकित ने उस बच्चे को भी उठाया..और उसके कपड़े झाड़ के उसे सॉफ कर दिया..
वो लेडी दौड़ती हुई आई...
अराव...बेटा...अराव..तू ठीक तो है ना....और उसे गोदी में उठा लिया..
अंकित अपने हाथ पैर से मिट्टी झाड़ने लगा..
डॉली :- अंकित्त..तू ठीक तो है ना....
(कफफी भीड़ जमा हो गयी)
अंकित :- हाँ हाँ...यार ठीक हूँ..टेन्षन ना ले..इतनी जल्दी उपर नही जाने वाला.....
डॉली :- नालयक है कसम से तू..बस फालतू बुलवा लूँ...
अंकित :- सतयानाश सारे कपड़े गंदे हो गये....अब घर पे मम्मी से लेक्चर सुनने मिलेगा...
डॉली :- अबे तेरे हाथ से कौन निकल रहा है..हन...और तुझे कपड़े की पड़ी है....
अंकित अपने लेफ्ट हाथ की कोहनी पे देखता है...जहाँ से काफ़ी खून निकल रहा होता है...
अंकित :- ओफूऊ.....अब डॉक्टर के पास जाओ...साला शांति से मेरा तो दिन ही नही कटता..
डॉली :- तू सच में कितना बड़ा नलायक है यार..रुक में पानी लाती हूँ..अच्छे से क्लियर कर लू..
अंकित :- चलो कभी तो अकल्मंदी वाली बात करी.....
फिर डॉली पानी लेने चली जाती है..भीड़ भी छँटने लगती है ये देख के दोनो बच गये हैं..
अंकित :- हाँ बोल.बोल..डॉली...कब खिला रही है आइस क्रीम...
डॉली :- हाँ हाँ टाइम बताने के लिए फोन किया था..और तूने ये क्या डॉली डॉली लगा रखा है
नलायक कहीं का मेरा नाम भी है...
अंकित :- हाहहहहः..में तो यही बोलूँगा..डॉली..हाहहहः....
डॉली :- तू मिल..फिर देख मार खाएगा मेरे से...
अंकित :- हाँ तो उसके लिए टाइम तो बता ..कितने बजे आउ घर तेरे..
डॉली :- हाँ आ जाना घर के नीचे 6 बजे तक..
अंकित :- मतलब घर कि अंदर नही आने देगी..
डॉली :- घर के अंदर नही मिलेगी ना आइस क्रीम..बाहर ही मिलती है...समझा...
अंकित :- रहने दे तू..बुलाना ही नही कहती..बस बहाने हैं तेरे..
डॉली :- हाँ है बहाने जो समझना है समझ..6 बजे आ जाना और सुन लेट मत करियो पता चले
फॅशन के चक्कर में लेट कर दे..हहेहेहेहेः..
अंकित :- हाँ पता है कौन लेट करता है..तू ही करती है..उस दिन बस स्टॉप पे भी.
डॉली :- बस...अब शुरू मत हो जाना..शाम को मिलते हैं..चल बाइ..
अंकित :- हां..हाँ ठीक है..बाई....
फोन कट..
अंकित :- अभी तो 2 घन्ते हैं...सो जाता हूँ थोड़ी देर....
फिर 6:10 पे अंकित का फोन वाइब्रट होता है जिससे वो जागता है...
अंकित :- हेलो....(नींद में)
तू अभी तक सो रहा है नलायक...6 :10 हो रहे हैं..आएगा कि नही...
अंकित ने नाम देखा..और एक दम से खड़ा हुआ..
अंकित :- नही नही..सो नही रहा था...बस 5 मिनट में आया...चल ओके बाए.(फोन जान बुझ के कट
कर देता है)
फिर अंकित फटाफट से तैयार होके जल्दी जल्दी निकल जाता है उससे मिलने...अरे उस डॉली का घर 5 मिनट
की दूरी पर ही है...
दोनो आपस में बात कर रहे होते हैं आइस क्रीम खाते हुए....
अंकित :- और बता कॉलेज कैसा चल रहा है..
डॉली :- बॅस यार...वही रोज़ रोज़ के अस्सिगमेंट्स और क्या परेशान हो गया हूँ..
अंकित :- हाहहहाहाः....(आइस क्रीम खाते हुए)
डॉली :- हंस क्या रहा है..तेरा कैसा चल रहा है...
अंकित :- एक दम मस्त फर्स्ट क्लास....
तभी उन दोनो के कानो में कुछ आवाज़ पड़ती है.......अंकित पीछे मूड के देखता है...
मेन रोड के बीचों बीच एक बच्चा रो रहा था...वो बिल्कुल बीच में खड़ा था...4 या 5 साल
का होगा......
तभी वहाँ पे एक औरत की चिल्लाने की आवाज़ अत्ती है....आरावववववववववव.....
डॉली :- ओह्ह गॉड..ये बच्चा बीच में कैसे...
अंकित की नज़र तो उसी बच्चे पे टिकी थी..और वहाँ चल रही गाड़ियों की....तभी एक गाड़ी तेज़ी से
रोड पे दौड़ती हुई उसी बच्चे की तरफ बढ़ रही थी....
अंकित ने ये देख लिया....उसने अपनी आइस क्रीम गिराई ..
गाड़ी काफ़ी करीब आ गयी थी...अंकित ने उस बच्चे को उठाया और बॅस दूसरी तरफ कुदा...
डॉली :- अंकित्त्त्टटटटटटटटटटटटटटटटटटतत्त......(वो चिल्लाई)
आर्नाआआआव्व्व्व्व्व्व दूसरी तरफ से एक औरत चिल्लाई......
गाड़ी की ज़ोर दार ब्रेक लगने की आवाज़ आई..............
एक पल के लिए मानो सब कुछ जैसे रुक गया हो.....सब आँखें फड़डे सामने देख रहे थे...
अंकित दूसरी तरफ मिट्टी में पड़ा था...सब उसकी पीठ को देख सकते थे...लेकिन उसके साथ वो बच्चा
कहीं नही दिख रहा था...
सबके मन में एक ही सवाल था कि आख़िर..क्या हुआ....दोनो को.....
अंकित सामने मिट्टी में पड़ा था...उधर उस लेडी की और डॉली की हालत खराब हो रही थी....
दोनो रोड क्रॉस कर के इधर आने ही लगी थी...कि तभी अंकित लड़खड़ाता हुआ खड़ा हुआ..
तब डॉली के जान में जान आई.....और फिर अंकित ने उस बच्चे को भी उठाया..और उसके कपड़े झाड़ के उसे सॉफ कर दिया..
वो लेडी दौड़ती हुई आई...
अराव...बेटा...अराव..तू ठीक तो है ना....और उसे गोदी में उठा लिया..
अंकित अपने हाथ पैर से मिट्टी झाड़ने लगा..
डॉली :- अंकित्त..तू ठीक तो है ना....
(कफफी भीड़ जमा हो गयी)
अंकित :- हाँ हाँ...यार ठीक हूँ..टेन्षन ना ले..इतनी जल्दी उपर नही जाने वाला.....
डॉली :- नालयक है कसम से तू..बस फालतू बुलवा लूँ...
अंकित :- सतयानाश सारे कपड़े गंदे हो गये....अब घर पे मम्मी से लेक्चर सुनने मिलेगा...
डॉली :- अबे तेरे हाथ से कौन निकल रहा है..हन...और तुझे कपड़े की पड़ी है....
अंकित अपने लेफ्ट हाथ की कोहनी पे देखता है...जहाँ से काफ़ी खून निकल रहा होता है...
अंकित :- ओफूऊ.....अब डॉक्टर के पास जाओ...साला शांति से मेरा तो दिन ही नही कटता..
डॉली :- तू सच में कितना बड़ा नलायक है यार..रुक में पानी लाती हूँ..अच्छे से क्लियर कर लू..
अंकित :- चलो कभी तो अकल्मंदी वाली बात करी.....
फिर डॉली पानी लेने चली जाती है..भीड़ भी छँटने लगती है ये देख के दोनो बच गये हैं..
- Sexi Rebel
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- Joined: 27 Jul 2016 21:05
Re: एक एक आहट "ज़िंदगी" की
तभी उसका फोन बजा...
अंकित :- हाँ बोल.बोल..डॉली...कब खिला रही है आइस क्रीम...
डॉली :- हाँ हाँ टाइम बताने के लिए फोन किया था..और तूने ये क्या डॉली डॉली लगा रखा है
नलायक कहीं का मेरा नाम भी है...
अंकित :- हाहहहहः..में तो यही बोलूँगा..डॉली..हाहहहः....
डॉली :- तू मिल..फिर देख मार खाएगा मेरे से...
अंकित :- हाँ तो उसके लिए टाइम तो बता ..कितने बजे आउ घर तेरे..
डॉली :- हाँ आ जाना घर के नीचे 6 बजे तक..
अंकित :- मतलब घर कि अंदर नही आने देगी..
डॉली :- घर के अंदर नही मिलेगी ना आइस क्रीम..बाहर ही मिलती है...समझा...
अंकित :- रहने दे तू..बुलाना ही नही कहती..बस बहाने हैं तेरे..
डॉली :- हाँ है बहाने जो समझना है समझ..6 बजे आ जाना और सुन लेट मत करियो पता चले
फॅशन के चक्कर में लेट कर दे..हहेहेहेहेः..
अंकित :- हाँ पता है कौन लेट करता है..तू ही करती है..उस दिन बस स्टॉप पे भी.
डॉली :- बस...अब शुरू मत हो जाना..शाम को मिलते हैं..चल बाइ..
अंकित :- हां..हाँ ठीक है..बाई....
फोन कट..
अंकित :- अभी तो 2 घन्ते हैं...सो जाता हूँ थोड़ी देर....
फिर 6:10 पे अंकित का फोन वाइब्रट होता है जिससे वो जागता है...
अंकित :- हेलो....(नींद में)
तू अभी तक सो रहा है नलायक...6 :10 हो रहे हैं..आएगा कि नही...
अंकित ने नाम देखा..और एक दम से खड़ा हुआ..
अंकित :- नही नही..सो नही रहा था...बस 5 मिनट में आया...चल ओके बाए.(फोन जान बुझ के कट
कर देता है)
फिर अंकित फटाफट से तैयार होके जल्दी जल्दी निकल जाता है उससे मिलने...अरे उस डॉली का घर 5 मिनट
की दूरी पर ही है...
दोनो आपस में बात कर रहे होते हैं आइस क्रीम खाते हुए....
अंकित :- और बता कॉलेज कैसा चल रहा है..
डॉली :- बॅस यार...वही रोज़ रोज़ के अस्सिगमेंट्स और क्या परेशान हो गया हूँ..
अंकित :- हाहहहाहाः....(आइस क्रीम खाते हुए)
डॉली :- हंस क्या रहा है..तेरा कैसा चल रहा है...
अंकित :- एक दम मस्त फर्स्ट क्लास....
तभी उन दोनो के कानो में कुछ आवाज़ पड़ती है.......अंकित पीछे मूड के देखता है...
मेन रोड के बीचों बीच एक बच्चा रो रहा था...वो बिल्कुल बीच में खड़ा था...4 या 5 साल
का होगा......
तभी वहाँ पे एक औरत की चिल्लाने की आवाज़ अत्ती है....आरावववववववववव.....
डॉली :- ओह्ह गॉड..ये बच्चा बीच में कैसे...
अंकित की नज़र तो उसी बच्चे पे टिकी थी..और वहाँ चल रही गाड़ियों की....तभी एक गाड़ी तेज़ी से
रोड पे दौड़ती हुई उसी बच्चे की तरफ बढ़ रही थी....
अंकित ने ये देख लिया....उसने अपनी आइस क्रीम गिराई ..
गाड़ी काफ़ी करीब आ गयी थी...अंकित ने उस बच्चे को उठाया और बॅस दूसरी तरफ कुदा...
डॉली :- अंकित्त्त्टटटटटटटटटटटटटटटटटटतत्त......(वो चिल्लाई)
आर्नाआआआव्व्व्व्व्व्व दूसरी तरफ से एक औरत चिल्लाई......
गाड़ी की ज़ोर दार ब्रेक लगने की आवाज़ आई..............
एक पल के लिए मानो सब कुछ जैसे रुक गया हो.....सब आँखें फड़डे सामने देख रहे थे...
अंकित दूसरी तरफ मिट्टी में पड़ा था...सब उसकी पीठ को देख सकते थे...लेकिन उसके साथ वो बच्चा
कहीं नही दिख रहा था...
सबके मन में एक ही सवाल था कि आख़िर..क्या हुआ....दोनो को.....
अंकित सामने मिट्टी में पड़ा था...उधर उस लेडी की और डॉली की हालत खराब हो रही थी....
दोनो रोड क्रॉस कर के इधर आने ही लगी थी...कि तभी अंकित लड़खड़ाता हुआ खड़ा हुआ..
तब डॉली के जान में जान आई.....और फिर अंकित ने उस बच्चे को भी उठाया..और उसके कपड़े झाड़ के उसे सॉफ कर दिया..
वो लेडी दौड़ती हुई आई...
अराव...बेटा...अराव..तू ठीक तो है ना....और उसे गोदी में उठा लिया..
अंकित अपने हाथ पैर से मिट्टी झाड़ने लगा..
डॉली :- अंकित्त..तू ठीक तो है ना....
(कफफी भीड़ जमा हो गयी)
अंकित :- हाँ हाँ...यार ठीक हूँ..टेन्षन ना ले..इतनी जल्दी उपर नही जाने वाला.....
डॉली :- नालयक है कसम से तू..बस फालतू बुलवा लूँ...
अंकित :- सतयानाश सारे कपड़े गंदे हो गये....अब घर पे मम्मी से लेक्चर सुनने मिलेगा...
डॉली :- अबे तेरे हाथ से कौन निकल रहा है..हन...और तुझे कपड़े की पड़ी है....
अंकित अपने लेफ्ट हाथ की कोहनी पे देखता है...जहाँ से काफ़ी खून निकल रहा होता है...
अंकित :- ओफूऊ.....अब डॉक्टर के पास जाओ...साला शांति से मेरा तो दिन ही नही कटता..
डॉली :- तू सच में कितना बड़ा नलायक है यार..रुक में पानी लाती हूँ..अच्छे से क्लियर कर लू..
अंकित :- चलो कभी तो अकल्मंदी वाली बात करी.....
फिर डॉली पानी लेने चली जाती है..भीड़ भी छँटने लगती है ये देख के दोनो बच गये हैं..
अंकित :- हाँ बोल.बोल..डॉली...कब खिला रही है आइस क्रीम...
डॉली :- हाँ हाँ टाइम बताने के लिए फोन किया था..और तूने ये क्या डॉली डॉली लगा रखा है
नलायक कहीं का मेरा नाम भी है...
अंकित :- हाहहहहः..में तो यही बोलूँगा..डॉली..हाहहहः....
डॉली :- तू मिल..फिर देख मार खाएगा मेरे से...
अंकित :- हाँ तो उसके लिए टाइम तो बता ..कितने बजे आउ घर तेरे..
डॉली :- हाँ आ जाना घर के नीचे 6 बजे तक..
अंकित :- मतलब घर कि अंदर नही आने देगी..
डॉली :- घर के अंदर नही मिलेगी ना आइस क्रीम..बाहर ही मिलती है...समझा...
अंकित :- रहने दे तू..बुलाना ही नही कहती..बस बहाने हैं तेरे..
डॉली :- हाँ है बहाने जो समझना है समझ..6 बजे आ जाना और सुन लेट मत करियो पता चले
फॅशन के चक्कर में लेट कर दे..हहेहेहेहेः..
अंकित :- हाँ पता है कौन लेट करता है..तू ही करती है..उस दिन बस स्टॉप पे भी.
डॉली :- बस...अब शुरू मत हो जाना..शाम को मिलते हैं..चल बाइ..
अंकित :- हां..हाँ ठीक है..बाई....
फोन कट..
अंकित :- अभी तो 2 घन्ते हैं...सो जाता हूँ थोड़ी देर....
फिर 6:10 पे अंकित का फोन वाइब्रट होता है जिससे वो जागता है...
अंकित :- हेलो....(नींद में)
तू अभी तक सो रहा है नलायक...6 :10 हो रहे हैं..आएगा कि नही...
अंकित ने नाम देखा..और एक दम से खड़ा हुआ..
अंकित :- नही नही..सो नही रहा था...बस 5 मिनट में आया...चल ओके बाए.(फोन जान बुझ के कट
कर देता है)
फिर अंकित फटाफट से तैयार होके जल्दी जल्दी निकल जाता है उससे मिलने...अरे उस डॉली का घर 5 मिनट
की दूरी पर ही है...
दोनो आपस में बात कर रहे होते हैं आइस क्रीम खाते हुए....
अंकित :- और बता कॉलेज कैसा चल रहा है..
डॉली :- बॅस यार...वही रोज़ रोज़ के अस्सिगमेंट्स और क्या परेशान हो गया हूँ..
अंकित :- हाहहहाहाः....(आइस क्रीम खाते हुए)
डॉली :- हंस क्या रहा है..तेरा कैसा चल रहा है...
अंकित :- एक दम मस्त फर्स्ट क्लास....
तभी उन दोनो के कानो में कुछ आवाज़ पड़ती है.......अंकित पीछे मूड के देखता है...
मेन रोड के बीचों बीच एक बच्चा रो रहा था...वो बिल्कुल बीच में खड़ा था...4 या 5 साल
का होगा......
तभी वहाँ पे एक औरत की चिल्लाने की आवाज़ अत्ती है....आरावववववववववव.....
डॉली :- ओह्ह गॉड..ये बच्चा बीच में कैसे...
अंकित की नज़र तो उसी बच्चे पे टिकी थी..और वहाँ चल रही गाड़ियों की....तभी एक गाड़ी तेज़ी से
रोड पे दौड़ती हुई उसी बच्चे की तरफ बढ़ रही थी....
अंकित ने ये देख लिया....उसने अपनी आइस क्रीम गिराई ..
गाड़ी काफ़ी करीब आ गयी थी...अंकित ने उस बच्चे को उठाया और बॅस दूसरी तरफ कुदा...
डॉली :- अंकित्त्त्टटटटटटटटटटटटटटटटटटतत्त......(वो चिल्लाई)
आर्नाआआआव्व्व्व्व्व्व दूसरी तरफ से एक औरत चिल्लाई......
गाड़ी की ज़ोर दार ब्रेक लगने की आवाज़ आई..............
एक पल के लिए मानो सब कुछ जैसे रुक गया हो.....सब आँखें फड़डे सामने देख रहे थे...
अंकित दूसरी तरफ मिट्टी में पड़ा था...सब उसकी पीठ को देख सकते थे...लेकिन उसके साथ वो बच्चा
कहीं नही दिख रहा था...
सबके मन में एक ही सवाल था कि आख़िर..क्या हुआ....दोनो को.....
अंकित सामने मिट्टी में पड़ा था...उधर उस लेडी की और डॉली की हालत खराब हो रही थी....
दोनो रोड क्रॉस कर के इधर आने ही लगी थी...कि तभी अंकित लड़खड़ाता हुआ खड़ा हुआ..
तब डॉली के जान में जान आई.....और फिर अंकित ने उस बच्चे को भी उठाया..और उसके कपड़े झाड़ के उसे सॉफ कर दिया..
वो लेडी दौड़ती हुई आई...
अराव...बेटा...अराव..तू ठीक तो है ना....और उसे गोदी में उठा लिया..
अंकित अपने हाथ पैर से मिट्टी झाड़ने लगा..
डॉली :- अंकित्त..तू ठीक तो है ना....
(कफफी भीड़ जमा हो गयी)
अंकित :- हाँ हाँ...यार ठीक हूँ..टेन्षन ना ले..इतनी जल्दी उपर नही जाने वाला.....
डॉली :- नालयक है कसम से तू..बस फालतू बुलवा लूँ...
अंकित :- सतयानाश सारे कपड़े गंदे हो गये....अब घर पे मम्मी से लेक्चर सुनने मिलेगा...
डॉली :- अबे तेरे हाथ से कौन निकल रहा है..हन...और तुझे कपड़े की पड़ी है....
अंकित अपने लेफ्ट हाथ की कोहनी पे देखता है...जहाँ से काफ़ी खून निकल रहा होता है...
अंकित :- ओफूऊ.....अब डॉक्टर के पास जाओ...साला शांति से मेरा तो दिन ही नही कटता..
डॉली :- तू सच में कितना बड़ा नलायक है यार..रुक में पानी लाती हूँ..अच्छे से क्लियर कर लू..
अंकित :- चलो कभी तो अकल्मंदी वाली बात करी.....
फिर डॉली पानी लेने चली जाती है..भीड़ भी छँटने लगती है ये देख के दोनो बच गये हैं..