त्यागमयी माँ और उसका बेटा complete

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Smoothdad
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Re: त्यागमयी माँ और उसका बेटा

Post by Smoothdad »

इशा बोलने लगी:-----
हम जब वापस अपने घर आए तो कुछ दिनों बाद राकेश के पापा का फ़ोन आया कि वो और मम्मी हमारे घर कुछ दिनों के लिए आ रहे हैं। राकेश बोले: पापा का फ़ोन था वो यहाँ मम्मी के साथ आ रहे हैं। अब क्या होगा?
मैं बोली: कुछ नहीं होगा। मैं पापा को सम्भालूँगी और आप मम्मी को सम्भाल लेना।
राकेश: पापा तो मर्द हैं वह तो तुमसे पट ही जाएँगे। मुझे दिक़्क़त होगी मम्मी को मनाने में।
इशा: हाँ शायद मुझे भी ऐसा लगता है। चलो कल आएँगे तब देखेंगे।मुझे कुछ सेक्सी कपड़े पहनने होंगे और उनको रिझाना होगा।
राकेश: मुझे भी सोचना होगा कि मैं क्या करूँ?
दूसरे दिन राकेश और मैं स्टेशन गए । मैंने एक टॉप पहना था जो मेरी आधी चूचियों को ही छुपा रहा था। मेरी लो जींस भी मेरे नितम्बों को उभार रही थी। राकेश भी टी शर्ट और जींस में बहुत सेक्सी दिख रहे थे। अब जैसे ही पापा और मम्मी बाहर आए ट्रेन से ,मैंने झुक कर पापा के पैर छुए। मैंने तिरछि निगाह से देखा तो पापा की आँख मेरी अर्ध नग्न चूचियों पर ही थी।मुझे समझ में आ गया था कि मेरा काम ज़्यादा कठिन नहीं है। अब मैंने पापा की तरफ़ अपने चूतर किए और मम्मी के पैर छूने लगी। मैंने थोड़ा सा टेढ़ा होकर देखा कि पापा की आखें मेरी गाँड़ पर ही थी।राकेश ने मुझे बाद में बताया था कि मेरी जींस नीचे खिसक गयी थी और मेरा आस क्रैक यानी कि मेरी गाँड़ की दरार पापा को नंगी दिख गयी थी।
जब मैं उठी तो मैंने देखा कि राकेश से पापा कुछ अजीब तरीक़े से गले मिल रहे थे। वो अपने पेट के नीचे के हिस्से को पापा से दूर रखे हुए थे। तब मैंने ध्यान दिया कि उनका पैंट का आगे का हिस्सा थोड़ा अजीब सा फूला हुआ था। शायद उनका लौड़ा खड़ा हो गया था।अब राकेश भी मम्मी से गले लगे और उन्होंने जैसे मम्मी को अपने आप में जकड़ सा लिया। मम्मी की बड़ी छातियाँ राकेश के चौड़े सीने पर जैसे फैल सी गयीं थीं। राकेश का हाथ मम्मी की चिकनी नंगी कमर पर थे और वह वहाँ सहलाने लगा। मम्मी ने साड़ी पहनी थी। फिर राकेश के हाथ थोड़ा नीचे गए और मम्मी के चूतरों के उभार जहाँ शुरू होते थे , वहाँ तक पहुँच गए।
मैंने देखा कि मम्मी के चेहरे पर उलझन के भाव थे।
फिर वह दोनों अलग हुए और राकेश ने मम्मी का सामान उठाया और मम्मी का हाथ पकड़के चलने लगा। मैं भी पापा का एक बैग उठा कर पापा के आगे आगे चलने लगी ताकि पापा मेरी मटकती हुई गाँड़ से मस्त हो जाएँ। पापा मेरे पीछे पीछे आ रहे थे।
प्लैट्फ़ॉर्म पर सीढ़ियाँ चढ़ते हुए राकेश ने मम्मी की कमर में हाथ डाल दिया मानो सहारा दे रहा हो। अब उसके हाथ बार बार कमर और चूतरों के उभार के ऊपरी हिस्से पर आ जाते थे। उधर मैंने सीढ़ी चढ़ते हुए अपनी पैंट को नीचे खिसकते हुए महसूस किया पर उसे वैसे ही रहने दिया। तभी मैंने देखा कि मेरे पीछे से आगे जाने वाले मुड़कर मेरे चेहरे को देख रहे थे। मैं समझ गयी कि वो जानना चाहते थे कि ये अपने चूतरों की दरार दिखाने वाली लड़की सामने से कैसे दिखती है।
तभी पापा मेरे पास आए और बोले: बेटी पैंट ऊपर करो, पीछे से नंगी दिख रही हो। मैंने शर्माने का अभिनय किया और पैंट ऊपर कर ली।
पापा धीरे से बोले: बेटी इस बार बहुत माडर्न ड्रेस पहनी हो क्या बात है?
मैं: पापा आपको अच्छी नहीं लगी तो आगे से नहीं पहनूँगी।
पापा: अरे नहीं बेटी मुझे तो बड़ी अच्छी लगी तुम इस ड्रेस में। ये कहते हुए वो मेरी अर्धनग्न छातियों को घूरने लगे।
फिर बोले: बेटों तुम्हारी फ़िग्यर अब मस्त हो गयी है। तुम पहले से ज़्यादा ग़दरा गयी हो। लगता है राकेश तुमको बहुत प्यार दे रहा है। ये कहते हुए उन्होंने एक शरारती हँसी के साथ मेरे बाँह को दबा दिया।
मैं भी शर्माने का अभिनय करके बोली: पापा आप भी ना कुछ भी बोल देते हैं।
तभी पापा सामने की ओर इशारा करके बोले: देखो राकेश कैसे अपनी माँ से चिपका जा रहा है? क्या तुम इसको अपने से नहीं चिपकाती? वह हँसने लगे और मेरी कमर में चुटकी काट दिए।
ऐसा ही चुहल करते हुए हम बाहर आए। राकेश ने तो हद ही कर दी और अपने आप को अपनी मम्मी से एक पल के लिए भी अलग नहीं होने दिए।
बाहर आके राकेश ने कार निकाली और डिकी खोलने के बाद मैं उसने सामान रखने को झुकी और मेरी पैंट फिर नीचे हो गयी। पापा ने मेरे पीछे से मुझे देखते हुए और एक एक बैग दिया जिसे मैंने अंदर डिकी में रखने लगी। फिर मैंने डिकी बंद की और राकेश के साथ मम्मी आगे बैठी। मैं और पापा
पीछे की सीट पर बैठे। राकेश ने गाना लगा किया। अब पापा धीरे से बोले: बेटी, क्या तुमने पैंटी नहीं पहनी है? तुम बार बार पीछे से नंगी हो जाती हो जैसे ही तुम झुकती हो और तुम्हारी पैंट नीचे हो जाती है।
मैं: पापा आप भी ना ये कैसा सवाल है? मुझे जवाब देने में भी शर्म आ रही है।
तभी पापा ने मेरी पीठ पर हाथ रखा और उसको नीचे ले जाकर मेरी नंगी कमर पर सहलाते हुए मेरी नीचे की ओर ले गए और उनका हाथ मेरे नीचे की ओर खिसकी हुई पैंट पर आ गया। अब उनकी उँगलियाँ मेरे आस क्रैक के ऊपर आ गयी और वहाँ छेड़ खानी करने लगी। मैंने उनकी ओर देखा तो वह शरारत से मुस्कुराए और फुसफुसाए: सच में तुमने पैंटी नहीं पहनी है।मैं शर्माने का नाटक की।
मैंने उनको इशारा किया कि हाथ हटा लें। वह अब हाथ हटा लिए। फिर मैंने देखा कि पापा अपने पैंट को ऊपर से दबा रहे थे जहाँ उनका लौड़ा एक डंडे की तरह अकड़ा हुआ साफ़ दिखाई दे रहा था।
अब हम घर पहुँचे और मैंने सबको पानी दिया। जब मैंने पापा को पानी दिया तो वह मेरी चूचियों को देखे जा रहे थे।
राकेश ने भी यह देखा और मुस्कुराए। मम्मी ने भी देखा और थोड़ी सी परेशान दिखाई दी।
जब मैं किचन में थी चाय बनाने के लिए तब मम्मी भी वहाँ आयीं और बोली: बेटी, ये तुम क्या कर रही हो? मैंने तुमको ऐसे कपड़ों में कभी नहीं देखा? तुम तो साड़ी का पल्लू लेती थी सिर पर।फिर ये क्या अर्ध नग्न से कपड़े पहन कर घूम रही हो?
मैं: मम्मी, आपके बेटे यही चाहते हैं कि मैं ऐसे कपड़े पहनूँ।
मम्मी: ओह राकेश ऐसा चाहता है? बड़ी अजीब बात है।
मैं: अगर आपको पसंद ना हो तो मैं नहीं पहनूँगी।
मम्मी: ओह नहीं इसके बारे में बाद में बात करेंगे।
फिर मैं सबके लिए चाय लायी और जब पापा को दी तब फिर वही चूचि दर्शन करने लगे। अबके मम्मी भी अच्छी तरह से देख ली थी कि पापा मुझमें इंट्रेस्ट ले रहे हैं।
फिर मम्मी पापा से बोली: चलो जी नहा धो लो अब फिर नाश्ता करेंगे।
पापा: हाँ चलो । फिर वह दोनों गेस्ट रूम में चले गए।
राकेश मेरे को चूमते हुए बोले: पापा तो गए काम से। वह तो तुम्हारे बदन के दीवाने हो चुके है।
मैं भी हँसते हुए बोली: मेरा काम तो आसान हो चला है, आपके काम का क्या हाल है?
राकेश: मैंने भी मम्मी को पूरे टाइम पकड़े रखा और वह बहुत ख़ुश थी कि मैं उनका इतना ख़याल रख रहा हूँ। हाँ और उन्होंने मेरे द्वारा अपनी कमर को और चूतरों को छूने का कोई विरोध नहीं किया।
मैं: चलो शुभारम्भ हो गया इसका मतलब।
हम दोनों हँसने लगे।
फिर मैं किचन में जाकर नाश्ता बनाने लगी।
राकेश tv देखने लगे।

अब इशा चुप हो गयी और उसका बेटा बहुत गरम होकर उसकी बुर में अपना लौड़ा डालके उसको चोदने लगा। इशा चुदवाते हुए बोली: हाऽऽऽऽय्यय राकेश अब तुम आगे की कहानी सुनाओ। आऽऽऽऽह मुझे इससे चुदवा लेने दो।

अब राकेश नमिता और बाक़ी सबको बताने लगा:::::::------

थोड़ी देर बाद मम्मी अपना गीला तौलिया लेकर बाहर आइ वह बहुत सुंदर दिख रही थीं काली साड़ी में। उनकी एक छाती साड़ी के पल्ले से बाहर थी और ब्लाउस में बहुत तनी हुई दिख रही थी। वह तौलिया बाहर जाके आँगन में सुखायी ।
अंदर आके वह किचन में चली गयी और इशा की खाना बनाने में मदद करने लगी।
मेरी आँख लग गयी,जब मेरी आँख खुली तो देखा कि मम्मी और इशा किचन से बाहर आ गयीं थीं और बातें कर रही थीं। इतवार होने की वजह से मुझे कहीं नहीं जाना था। मम्मी और इशा अपना पसीना सुखा रही थीं।
फिर पापा भी आ गए और हम सब बातें करने लगे। अब इशा बोली: मम्मी मैं ज़रा बाज़ार से आती हूँ, थोड़ी सब्ज़ी और राशन लाना है। मैं कार ले जा रही हूँ।
पापा: बेटी, मैं भी चलता हूँ, यहाँ बोर ही होऊँगा। बाज़ार में मेरा भी मन बहल जाएगा और थैले उठाने में तुम्हारी मदद भी कर दूँगा।
मम्मी: इशा, तुम अपनी पैंट बदल लो नहीं तो सब्ज़ी लेने के जितनी बार झुकोगी उतनी बार तुम्हारा नंगा पिछवाड़ा सबको दिखेगा।
इशा: छी मम्मी आप भी कैसे बोलती हो?
मम्मी: मैं क्या ग़लत बोल रही हूँ, और ये टॉप भी बदल लो इस लो नेक में तुम्हारा आधा बदन तो नंगा दिख रहा है।
इशा: अच्छा अच्छा मैं जाकर अभी बदल लेती हूँ।
थोड़ी देर बाद वह कपड़े बदल कर आइ और पापा की तो आँखें जैसे उसके टॉप पर ही चिपक गयीं। उसने अब लो नेक के जगह अब पूरे गले तक का टॉप पहना था जो कि इतना टाइट था जिसमें से उसके कसे हुए कबूतर साफ़ ब्रा के साथ दिखाई पड़ रहे थे। उसने अब प्रॉपर जींस पहनी थी जिसमें उसके गोल चूतर पूरे कसे हुए बहुत सेक्सी लग रहे थे। मुझे पता था कि उसने नीचे पैंटी भी नहीं पहनी है। क्या मस्त माल लग रही थी और पापा को तो अपना लौड़ा पैंट में ठीक करना ही पड़ा। मैं समझ गया था कि पापा का तो आज क़त्ल हो कर ही रहेगा। पापा इशा के पीछे पीछे उसकी गोल गाँड़ का मज़ा लेते हुए बाहर चले गए।
अब मुझे मम्मी को पटाना था। जो आसान काम नहीं था।
मैं मम्मी को बोला: आप भी चली जाती इशा के साथ?
मम्मी: तेरी बीवी को पता नहीं क्या हो गया है? ऐसे कपड़े पहन कर गयी है अपने ससुर के साथ। तेरे पापा भी उसके पीछे पीछे जा रहे हैं। मुझे ये सब अजीब सा लग रहा है।
मैं: अरे मम्मी आप भी ना, इशा एक माडर्न लड़की है आप क्या उलटा पलटा सोच रही हो? अच्छा ये बताओ कि आप नहा कर किचन में क्यों गयीं? पूरे पसीने से भीग गयीं है।
मम्मी: अरे बेटा मुझे भी तो बहु की मदद करनी चाहिए।
चलो पसीना अभी सूख ही जाएगा।
अब मैंने लाड़ दिखाते हुए कहा: मम्मी कितने दिन हो गए हैं, मैं आपकी गोद में लेटा नहीं हूँ ।
मम्मी हँसने लगी और बोली: अरे इतना बड़ा हो गया है और अभी भी मेरी गोद में लेटेगा? अच्छा चल आ जा लेट जा।
मैं उनकी गोद में अपना सिर रख के लेट गया। मैंने अपना सिर उनके पेट की ओर घुमा लिया और उनके नंगे पेट को सहलाने लगा। फिर मैंने उनके गोरे चिकने पेट पर अपना चेहरा रगड़ा और वह गुदगुदी से उछल गयीं।
मम्मी: अरे तेरी दाढ़ी गड़ रही है, बंदर।
मैं: मम्मी मुझे तो आपके नरम पेट को छूना बड़ा अच्छा लग रहा है।
मम्मी: चल हट बदमाश कहीं का। ये कहते हुए उन्होंने अपना माथा पोंछा , तब मैंने देखा कि उनकी ब्लाउस की बग़लें पसीने से भीगी हुई हैं।
मैंने फिर उनको कहा: मम्मी ,आपकी ब्लाउस की बग़लें भीग गयी है ।
मम्मी: हाँ मुझे पसीना थोड़ा ज़्यादा ही आता है।
मैं: मुझे पता है, मैंने तो कई बार आपके ब्लाउस की बग़लें सूंघी है।
मम्मी हैरानी से पूछी: क्या मतलब ? ये तूने कब किया?
मैं: मैं जब ९ थ में पढ़ता था तब भी मैं आपके उतारे हुए ब्लाउस को बाथरूम में सूंघता था। आपकी बग़लों की गंध मुझे बहुत अच्छी लगती थी।
मम्मी: हे भगवान, तुम लड़के लोग भी कब क्या करोगे पता ही नहीं चलता?
मैं: मम्मी अभी भी एक बार सूँघने की इच्छा हो रही है, सूंघ लूँ?
मम्मी: तू इशा की सूंघ, समझे मेरी कोई ज़रूरत नहीं है सूँघने की।
मैं: मम्मी उसकी तो सूंघता ही हूँ, पर जो गंध आपकी है वैसी उसकी नहीं है। प्लीज़ एक बार सूँघने दो ना, आप बस हाथ उठा दो, मैं सूंघ लेता हूँ।
मम्मी थोड़ी सी झिझकी फिर बोली: चल इतनी ज़िद कर रहा है तो ठीक है ये ले। और ये कहते हुए उन्होंने अपनी बाँह उठा दी और मेरे सामने उनकी गीली बग़ल थी। मैंने अपना सिर उनकी गोद से उठाया और उनके विशाल छातियों पर अपना सिर रगड़ते हुए उनकी बग़ल में अपनी नाक ले गया और ज़ोर से सूँघने लगा। मेरे गाल उनके ब्लाउस में कसे विशाल वक्ष को छू रहे थे।
मैं: आह मम्मी क्या मस्त गंध है, अब दूसरी भी सूंघ लेता हूँ। ये कह कर मैंने अपना सिर उनकी छातियों पर रगड़ते हुए दूसरे बग़ल के पास के गया। मम्मी ने चुप चाप दूसरी बाँह भी उठा दी और मैं अपने गाल को उनकी छाती पर दबाते हुए उनकी ये बग़ल भी सूँघने लगा।
अब मम्मी बोली: चल अब हो गया ना , चल अब छोड़ मुझे।
मैं हँसते हुए बोला: मम्मी आपको पता है कि मैंने आपको कई बार कपड़े बदलते हुए भी देखा है?
मम्मी चौक कर बोली: क्या ? कब देखा?
मैं: उन्ही दिनों जब आपके ब्लाउस सूंघता था। मैंने आपको कई बार ब्रा और पैंटी में देखा है।
मम्मी: हे राम, बहुत ही गंदा बच्चा है तू, कोई अपनी माँ के साथ ये सब करता है?
मैं: असल में मम्मी आपकी ये बड़ी बड़ी छातियाँ हमेशा से मुझे आकर्षित करती थीं। मैं तो इनका दीवाना हूँ। और फिर इसने ग़लत क्या है? आपने तो मुझे इनसे दूध पिलाया ही होगा, आख़िर तो ये मेरी ही हैं ना?
मम्मी: वह तो तब की बात है जब तू बहुत छोटा था। अब तुझे ऐसी बात नहीं करनी चाहिए।
मैं: मम्मी मैंने कितने साल तक आपका दूध पिया था?
मम्मी: तीन साल तक तूने पिया था। बड़ी मुश्किल से छुड़वाया था मैंने।
मेरे मुँह से निकल गया: और पापा कितने साल तक पिए?
मम्मी चौंक के बोली: ये कैसा सवाल है?
मैं अब पूरी नंगाई पर उतर चुका था,सो बोला: मम्मी मेरा मतलब है कि जैसे मैं इशा का दूध अभी चूसता हूँ और जब हमारा बच्चा होगा तब मैं भी पियूँगा। क्या मैं जब पापा की उम्र का हो जाऊँगा तब भी इशा का दूध चूसूँगा? और पापा भी तो पीते होंगे मेरे साथ आपका दूध?
मम्मी: ओह। ये तो सच है कि सभी मर्द अपने बच्चे के साथ साथ अपनी बीवी का भी दूध पीते हैं। और जहाँ तक दूध चूसने का सवाल है सभी मर्द अपनी बीवी का चूसते है! तेरे पापा भी कोई अपवाद नहीं है।
मैं: मम्मी क्या पापा अभी भी अपने दूध चूसते हैं?
मम्मी: फिर वही बकवास? कहा ना कि सभी चूसते हैं, हाँ आज भी चूसते हैं, बस हो गया?
मैं: तो मम्मी क्या मैं भी नहीं चूस सकता आपके दूध?
मम्मी: तेरे लिए इशा है ना, चूस उसके, किसी ने मना किया है?
मैं: मम्मी, उसके बहुत छोटें है, मुझे तो आपके जैसे बड़े बड़े पसंद है, ये कहते हुए मैंने मम्मी की छातियों को एक हाथ से धीरे से छू लिया।
मम्मी मेरा हाथ हटाते हुए बोली: ये ग़लत है बेटा, ये नहीं कर सकते हम।
मैं: मम्मी, एक बार अगर मुझे दूध पिला दोगी तो क्या हो जाएगा? मुझे बहुत मन कर रहा है, प्लीज़।
मैंने फिर से हाथ उनकी छाती पर रख दिया।
इस बार मम्मी मेरे गाल पर हाथ फेरी और बोली: बेटा, कुछ बातें ग़लत है माँ बेटे में, वो हम नहीं कर सकते ।
इस बार उन्होंने मेरे हाथ को अपनी छाती से नहीं हटाया। मैं भी धीरे धीरे उनकी छाती को बहुत हल्के से दबाया और बोला: मम्मी कितने बड़े हैं आपके दूध। आपका एक दूध इशा के दोनों दूध के बराबर होगा।
मम्मी हँसते हुए बोली: पर उसके कड़े अनार जैसे होंगे मेरे तो अब नरम पड़ गए हैं।
मैं: मुझे तो नहीं लग रहा है कि आपके नरम पड़ गए हैं। ये बोलते हुए इस बार मैंने अच्छे से दूध दबा ही दिए।
मम्मी: आऽऽऽह क्या करता है, ज़ोर से मत दबा। अरे ब्रा के कारण तुझे पता नहीं चल रहा है , वरना अब तो नरम हो ही गए हैं।
मैं: मम्मी, एक बार ब्रा के अंदर से छूने दो ना तभी तो पता चलेगा कि कैसे हैं?
मम्मी: नहीं बेटा ये सही नहीं है। चल अब मेरी गोद से उठ।
शायद अब इशा और तेरे पापा भी आने वाले होंगे।
मैं: अरे मम्मी वो अभी कहाँ आएँगे? मुझे तो लगता है कि पापा इशा को लाइन मार रहे हैं, आपको नहीं लगता?
मैं अब भी एक छाती को हल्के से दबा रहा था।
मम्मी थोड़ा सा परेशान होकर बोलीं: हाँ मुझे भी तेरे पापा के रंग ढंग ठीक नहीं लग रहे। पर वो तो उनकी बहु है ना? मुझे तो कुछ समझ नहीं आ रहा।
मैं: मम्मी आप भी ना, बेकार हो परेशान हो रही हो, अगर पापा ने इशा के साथ कुछ कर भी लिया तो क्या हुआ, आख़िर घर की बात तो घर में ही रहेगी ना, किसी को क्या पता चलेगा? और पापा और इशा अगर एक दूसरे को पसंद करते हैं तो इसमें क्या बुराई है?
अब मैंने मम्मी की दूसरी छाती को दबाया।
मम्मी हैरानी से बोली: तेरी बीवी को तेरे पापा कुछ करेंगे तो तुझे बुरा नहीं लगेगा?
मैं: अरे मम्मी मेरे पापा ही तो करेंगे कोई बाहर का थोड़ी करेगा?
मम्मी: ओह। पर ये ठीक नहीं है बेटा।
मैंने मम्मी के निपल को ब्रा के ऊपर से दबाया।
मैं: मम्मी,सब ठीक है आप बेकार परेशान हो रही हो, बस एक बार मुझे आपके ब्लाउस में हाथ डालकर आपकी नरम छाती छूने दो ना।
मम्मी की आह निकल गयी निपल को छूते ही।
वह बोली: आह अच्छा चल छू ले, तू कहाँ मानने वाला है।
मैं उठकर बैठा और उनके ब्लाउस के हुक खोलने लगा। वो चुपचाप मुझे देख रही थीं। तीनों हुक के खोलकर उनके ब्लाउस के पल्ले अलग किए और उनकी ब्रा में क़ैद उनकी बड़ी बड़ी छातियाँ मेरे आँखों के सामने थीं। अब मैंने उनकी ब्रा में एक हाथ डाला और उनकी नरम और बड़ी छाती को पकड़कर दबाने लगा। मम्मी की उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़ निकल गयी।
मैं: आऽऽहहह मम्मी कितनी नरम है आपके दूध और कितने बड़े भी। फिर मैंने उनके निपल को मसल दिया। मम्मी उछल पड़ी और बोली: आऽऽहहह बेटा चल हो गया अब छोड़ मुझे।
मैं: मम्मी दूसरे दूध को भी छूने दो ना प्लीज़।
अब मैंने ब्रा के दूसरे कप में हाथ डाला और उसको भी दबाने लगा और निपल भी मसल दिया।
मम्मी: हाऽऽऽय्यय चल अब छोड़ मुझे । ये कहकर मेरा हाथ बाहर निकाली और अपने ब्लाउस को बंद करने लगी।
मैं: मम्मी, दूध कब पिलाओगी?
मम्मी: बाद में देखेंगे। चल मुझे बाथरूम जाना है।
फिर वह खड़ी हुई तो मैं भी खड़ा हो गया और उनको पीछे से पकड़ लिया । मेरे हाथ उनके पेट पर थे और मैं उनकी गर्दन चूमने लगा और अपना लोअर के अंदर खड़ा हुआ लौड़ा उनके बड़ें नितम्बों पर चिपका दिया।
मम्मी: हाऽऽय्य छोड़ दे बेटा, मुझे मुझे ज़ोर की बाथरूम आयी है।
मैं भी अपना लौड़ा उनके नरम और बड़े नितम्बों पर रगड़ते हुए मज़े से भर गया था। अब मैंने हिम्मत करके हाथ बढ़ाए और पीछे से उनकी दोनों छातियों पर हाथ रख दिए और फिर से उनकी गर्दन चूमते हुए उनके गाल भी चूम लिया।
अब मम्मी ने थोड़ा सा विरोध दिखाया और मैंने उनको छोड़ दिया। वो बाथरूम जाते हुए मुझे मुड़कर देखीं और उनकी नज़र मेरे लोअर के निचले फूले हुए हिस्से पर पड़ी और उनकी आँखें चौड़ी हो गयीं।
वो बाथरूम से बहुत देर बाद बाहर आयीं। मैं समझ गया कि उन्होंने बुर को ऊँगली से शांत किया होगा।
वो बाहर आयीं तो मैंने शरारत से पूछा: मम्मी क्या कर रही थी बाथरूम में इतनी देर?
मम्मी मुझे ग़ुस्से से घूरी और इसके पहले कि कुछ बोल पाती दरवाज़ा खुला और इशा अंदर आयी। उसके पीछे पापा भी अंदर आए। दोनों थके हुए दिख रहे थे।
पापा अपने रूम में चले गए।
मैंने ध्यान से देखा कि इशा के टॉप का हिस्सा बुरी तरह से मसला हुआ नज़र आ रहा था। मैं मन ही मन मुस्कुराया।
फिर मैं इशा के पीछे किचन में गया और बोला: क्या रहा? कुछ बात बनी?
इशा मुस्करायी : पूरा काम हो गया।
मैं: मतलब? पापा ने तुम्हें चोद दिया?
वो हँसते हुए बोली: नहीं मैंने पापा को चोद दिया।
अब मैं भी हँसने लगा।
वो बोली: चलो बाद में बताती हूँ। तुम्हारा और मम्मी का क्या रहा?
मैं: अब मम्मी मज़े से चूचि तो दबवा लीं है। आगे भी हो जाएगा जल्दी ही।
इशा: तुम आज मम्मी को मेरी और पापा की चुदायी दिखा देना , फिर वह भी तुमसे चुदवा ही लेंगी।
मैं: हाँ ये ठीक रहेगा।
फिर मैं उसको चूमकर बाहर आया और मम्मी को बोला: मम्मी, इशा की छातियों के ऊपर का कपड़ा देखिए आप, पूरा मसला हुआ है, पापा ज़रूर उसकी चूचियाँ दबायें हैं। और वो दोनों कितने थके हुए लग रहे हैं, मुझे तो दाल में काला लग रहा है।
मम्मी: तुझे अपनी बीवी के बारे में ऐसी बात करते ख़राब नहीं लगता?
मैं: अभी इशा को बुलाता हूँ, आप ख़ुद देख लेना उसके कपड़े कैसे मुड़े टुडे हैं उसकी चूचियों के पास।
मैंने जान बूझ कर चूचि शब्द का प्रयोग किया।
मैं: इशा पानी पिला दो मम्मी को।
इशा पानी लेकर आयी और मम्मी की आँखें उसकी छातियों पर ही थीं। वो भी साफ़ साफ़ देख रहीं थीं कि मैं वाक़यि सच बोल रहा था। वो थोड़ी सी परेशान दिखने लगीं।
इशा के जाने के बाद मैं बोला: मम्मी, अब तो विश्वास हो गया ना?
मम्मी: हाँ सच कह रहा है तू, उसके कपड़े बहुत दबे से लग रहे हैं वहाँ पर ।
मैं: मम्मी आपको मैं बोल रहा हूँ कि उन दोनों ने आज कुछ ना कुछ किया है।
मम्मी: बाज़ार में?
मैं: अरे मम्मी इशा को कार में चुदवाने में बहुत मज़ा आता है। ज़रूर वह कार में चुदायी होगी पापा से।
मम्मी: छी, कितनी गंदी भाषा बोल रहा है रिक्शे वालों जैसी, वो भी अपनी बीवी के बारे में।
मैं: मम्मी,आज मैं आपको दिखाता हूँ कि इन दोनों में क्या चल रहा है?
मम्मी: क्या दिखाएगा?
मैं: आज दोपहर को मैं कुछ काम के बहाने बाहर चला जाऊँगा। पर थोड़ी देर बाद आकर स्टोर रूम में छिप जाऊँगा। आप तो दोपहर को सोती हो ना। आज आप सोने का नाटक करना और अगर पापा आपको सोता देखकर कमरे से बाहर आए तो आप मुझे स्टोर रूम में आकर बताना। तब मैं आपको पापा और इशा की करतूत दिखा दूँगा।
मम्मी बोली: ठीक है बेटा, मैं सच में जानना चाहती हूँ कि क्या तेरे पापा इशा के साथ में ये सब कर रहे हैं या ये तेरी कोरी कल्पना ही है?
मैं: ठीक है मम्मी लंच के बाद देखते हैं।
मम्मी भी उठकर अपने कमरे में चली गयी।
मैं सीधा अपने कमरे में गया और दरवाज़ा बंद किया। इशा अपना टॉप उतार चुकी थी। उसने पैंट भी उतार दी।
मैंने कहा: पूरी नंगी हो जाओ।
वो मुस्कुराते हुए अपनी ब्रा खोल दी। मुझे उसकी चूचियों पर लाल निशान दिखायी दिए। उसने पैंटी नहीं पहनी थी इसलिए वह पूरी नंगी हो चुकी थी।
मैंने उसे अपने पास बुलाया और उसकी चूचियाँ सहलाकर बोला: पापा ने बहुत दबाया है? ये निशान कैसे?
इशा: अरे वह जोश में काट भी दिए ना। ओह क्या पागल से हो गए थे मेरी चूचियों को देखकर। बहुत चूसे और काटे भी।
मैं: और चुदायी कैसी रही?
इशा: कार में वो अपना लौड़ा बाहर निकाल लिए और मैं उनके ऊपर आकर उनके लौड़े पर बैठ कर चुदवायी।
मैं: कैसा चोदते हैं?
इशा: बहुत मस्त, सच इस उम्र में भी घोड़े का सा जोश है उनमे। बहुत मज़ा दिए। पूरे ४० मिनट चोदें होंगे। मैं तो दो बार झड़ी।
मैं: लाओ अपनी बुर मेरे मुँह पर रखो, मैं चाटकर पापा का वीर्य टेस्ट करता हूँ।
वो हँसते हुए मेरे मुँह पर बैठी और मेरे मुँह में पापा के वीर्य और इशा की बुर के रस का मिला जुला स्वाद भर गया। अब मैं उसकी बुर चाटने लगा। वो भी मेरा लोअर नीचे करके मेरा लौड़ा ६९ पज़िशन में चूसने लगी। जल्दी ही हम उत्तेजना से झड़ गए और एक दूसरे का रस पी गए।
मैं: अच्छा बताओ पापा को कैसे पटाया?
वो बोली: ---------/---------///////---------------
कार में बैठते ही पापा पूछे: बेटी, पैंटी नहीं पहनी हो ना?
मैं: पापा आप भी ना, कोई लड़की से ऐसे सवाल पूछता है भला?
पापा: बेटी, क्या है ना , मैंने तेरी पैंट में पैंटी के निशान नहीं देखे तो मुझे लगा कि तुमने पैंटी नहीं पहनी हुई है।
मैं: पापा आपको इससे क्या करना है ।
पापा: अच्छा चलो नाराज़ ना हो। चलो बाज़ार चलो।
मैंने कार चलायी और फिर पापा बोले: बेटी, तुम्हारे ऊपर यह टॉप भी बहुत अच्छी लग रही है। मस्त सेक्सी दिख रही हो।
मैं: अपनी बहु को सेक्सी कह रहे हैं। आपके बेटे को पता चलेगा तो पता नहीं क्या होगा?
पापा: अरे सेक्सी को सेक्सी कहने में क्या हर्ज है? देखो ना तुम्हारे कबूतर कैसे फड़फड़ा रहे हैं इस टॉप में?
मैं: छी पापा कुछ भी बोल रहे हैं।
फिर बाज़ार ने जब मैं सब्ज़ी ख़रीद रही थी तभी जब मैं झुकती तो वो पीछे से अपना लौड़ा मेरे पिछवाड़े पर जमा देते और हल्के से रगड़ भी देते। मैं भी मज़े ले रही थी।
फिर हम राशन की दुकान से सामान लिए और वापस कार में बैठे। पापा ने कहा: बेटी,तुम्हारा पिछवाड़ा बहुत सेक्सी है जब तुम सामान लेने के लिए झुकती हो तो मैं तो पागल ही हो जाता हूँ।
मैं: पापा आपको क्या हो गया है? मैं आपकी बहू हूँ आप ऐसे कैसे बात कर सकते हो ?
पापा ने हाथ बढ़ाकर मेरी जाँघ पर रखा और दबाते हुए बोले: बेटी मैं तो पागल ही हो गया हूँ तुम पर।
मैं: पापा किसी को पता चलेगा तो क्या होगा?
पापा: बेटी तुम किसी को नहीं बताओगी तो कैसे पता चलेगा? चलो ना किसी होटेल में चलते हैं और तुम्हारी जवानी का मज़ा लेते हैं।
मैं: पापा आप क्या बोल रहे हो? ऐसा कैसे हो सकता है? मैं तो आपकी बहु हूँ।
पापा: बेटी , इस दुनिया में कई लोग अपनी सगी बेटी को नहीं छोड़ते तो तुम तो मेरी बहु हो। देखो मैं कैसे पागल हो रहा हूँ तुम्हारी जवानी के लिए। ये कहते हुए वह मेरा हाथ जो गियर शिफटर पर था पकड़कर अपने पैंट के ऊपर से लौड़े पर रख दिए।
मैंने हाथ हटाने का नाटक किया पर वह बोले: बेटी देखो कैसा तड़प रहा है तुम्हारे लिए। इसे शांत कर दो।
पापा का लौड़ा बहुत मोटा है। मैं तो मस्ती से भरके उसको दबाने लगी। पापा ख़ुश हो गए। वह भी मेरी जाँघ से होते हुए मेरी बुर को जींस के ऊपर से ही दबा कर मुझे भी मज़े में भर दिए। अब तो सब कुछ साफ़ था कि आग लगी थी दोनों तरफ़ बराबर से।
पापा: चलो ना किसी होटेल में चलकर मस्त चुदायी करते हैं।
मैं: नहीं पापा , मैं कार को एक जगह ले चलती हूँ जहाँ मैं राकेश के साथ भी जा चुकी हूँ । मस्त सुनसान जगह है।
अब मैं उसी जगह पहुँची वो पार्क के पीछे सुनसान रास्ते में, जहाँ एक बार हम दोनों चुदायी किए थे।
तब तक पापा ने अपनी पैंट खोल दी थी और अपना मोटा काला लौड़ा बाहर निकाल लिए। जैसे ही कार रोकी मैं भी उठ कर पापा की गोद में आ गयी और फिर पापा ने मुझे चूमना चालू किया और मेरी चूचियाँ दबाने लगे। फिर उन्होंने मेरा टॉप उतारा और ब्रा के स्ट्रैप भी खोल कर मेरी चूचियों पर टूट पड़े। फिर मेरी जींस की पैंट निकाले और मुझे अपने लौड़े पर बिठाकर मेरी बुर में अपना मोटा काला लौड़ा डाल दिए और मैं उछल उछल कर उनके लौड़े से चुदवाने लगी।
मेरी चूचि उनके मुँह में थी और उनकी एक ऊँगली मेरी गाँड़ में थी और मुझे बुरी तरह से नीचे से कमर उठाके ज़बरदस्त चुदायी करने लगे।
अब मैं भी उइइइइइइइ कहते हुए चिल्ला कर चुदवाने लगी। वो भी ह्म्म्म्म्म कहकर मेरी बुर फाड़ने में लगे थे।
फिर मैं झड़ने लगी। पर पापा तो जैसे साँड़ हैं वह चुदायी चालू रखे और जल्दी ही मैं फिर से गरम होने लगी और अब मैं फिर से उनका साथ देने लगी। फिर हम दोनों साथ साथ ही झड़े।
फिर हम वापस घर आए। बस यही हुआ।
इशा के चुप होने पर राकेश ने भी उसे सब बताया कि मम्मी के साथ वह कहाँ तक पहुँचा। फिर राकेश ने उसको बताया कि अब वो मम्मी को इशा और पापा की चुदायी दिखाएगा और फिर मम्मी को चुदायी के लिए राज़ी कर लेगा।
इशा बोली: मस्त प्लान है आज मम्मी चुद कर ही रहेंगी मुझे पूरा विश्वास है।
हम दोनों हँसने लगे।
दोपहर को खाना खाने के बाद मैं बहाना बना कर बाहर चला गया और थोड़ी देर में वापस स्टोर रूम में आके छिप गया। करीब आधे घंटे के बाद मम्मी आयी। और बोलीं: तू ठीक कह रहा था , तेरे पापा मेरे सोने का नाटक को देख कर चुप चाप उठे और बाहर निकल गए। मैंने देखा कि वो तेरे कमरे में गए हैं। वहाँ इशा अकेली है, उसे ही मिलने गए हैं।
मैं: मम्मी वह उसको मिलने नहीं चोदने गए हैं ।
मम्मी: फिर गंदी बात। ज़रूरी है गंदी बात करना।
मैं: मम्मी चलो आप देख लो पापा की करतूत।
अब मैं मम्मी का हाथ पकड़कर उनको अपने कमरे की ओर ले गया और उस खिड़की के पास ले गया जहाँ से पूरा कमरा साफ़ दिखाई देता था।
मैंने अंदर पर्दा हटाके देखा तो मस्त हो गया। पापा लेटे हुए थे और पूरी नंगी इशा उनका लौड़ा चूस रही थी। पापा इशा की हिलती चूचि दबा रहे थे । अब मैं पीछे हटा और मम्मी से बोला: देख लो अपने पति को क्या मज़ा कर रहे हैं।
मम्मी आगे आयी और झाँकने लगी। अब उनका मुँह खुला रह गया। उनकी आँखें फटी रह गयीं।
मैंने उनको पीछे से पकड़ लिया और उनके गर्दन को चूमते हुए अपना लौड़ा उनकी गाँड़ पर रगड़ने लगा। फिर मैं मम्मी की चूचियाँ दबाने लगा। मम्मी ने मुझे मना नहीं किया। फिर मैंने मम्मी के पीछे से देखा तो वहाँ अंदर चुदायी शुरू हो चुकी थी। पापा इशा की टांगों को पूरा उठाकर और फैलाकर पूरे ज़ोर शोर से चुदायी करने में लगे थे। कमरे में फ़च फ़च की आवाज़ गूँज रही थी। अब मैंने भी अपना लौड़ा बाहर निकाल लिया था और मैंने मम्मी का हाथ उस पर रख दिया। मम्मी एक पल के लिए चौंकी पर फिर चुप चाप मेरा लौड़ा पकड़ ली।
अब मैं बोला: मम्मी देख लिया अपने पति को? कैसे मेरी बीवी को चोद रहे हैं। अब मैं भी उनकी बीवी को चोदूँगा।
मम्मी चुप रही और मेरी तरफ़ हैरानी से देखती रही।
राकेश ने बोलना चालू रखा:---
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Re: त्यागमयी माँ और उसका बेटा

Post by rajaarkey »

दोस्तो आप सब को मेरी तरफ से आज़ादी का शुभ दिन मुबारक हो
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Re: त्यागमयी माँ और उसका बेटा

Post by casanova0025 »

बहुत अच्छा अपडेट है
फिर क्या हुआ?
इस कहानी को भी पुरा करो
रात अभी बाकी है, बात अभी बाकी है
8-) 8-) 8-) 8-) 8-) :D :D :D :D :D :D :D :) :) :) :geek: :geek: :geek: :geek:
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Re: त्यागमयी माँ और उसका बेटा

Post by Smoothdad »

राकेश बताए जा रहा था::::::----::::---
मैं मम्मी को ,पापा और इशा की चुदायी दिखाकर ,गरम कर दिया था अब मैं उनको लेकर दूसरे बेडरूम में ले गया और वो बिस्तर पर बैठ गयीं। मेरा लौड़ा तो पैंट से बाहर ही था। मैंने मम्मी के मुँह के पास अपने लौड़े को लाया और उसे उनके होंठों पर रगड़ा। मम्मी का मुँह खुल गया और मेरा लौड़ा उनके मुँह में घुस गया। अब वह उसे चूसने लगीं।
मैं:.आऽऽहहह मम्मी चूसो मेरा लौड़ा , इशा भी तो पापा का क्या मज़े से चूस रही थी।
मम्मी मज़े से चूसे जा रही थीं, अब मैं उनकी चूचियाँ दबाने लगा। मम्मी भी अब मस्त हो रही थी, अब मैंने मम्मी को कपड़े निकालने को कहा और उनको खड़ा करके उनकी साड़ी और ब्लाउस खोल दिया। मम्मी ब्रा और पेटिकोट में बड़ी ज़ालिम लग रही थी। फिर ब्रा का स्ट्रैप निकाला और ब्लाउस के हटते ही बड़ी बड़ी गोरी चूचियाँ मेरी आँखों के सामने थीं। उनके काले निपल्ज़ कड़े हो कर खड़े थे।
अब मैंने उनको बिस्तर पर लिटा दिया और अपने कपड़े निकाल के उनके ऊपर आ गया। मैं उनके होंठ चूसते हुए उनकी चूचियाँ दबाने लगा। वह भी अब उइइइइइइ करके मस्त हो गयीं थीं। जब मैंने उनकी चूची चूसी तो वह मदहोश सी हो गयीं और मेरा सिर अपनी छाती पर दबाने लगीं।
चूची चूसने से जैसे मेरा मन ही नहीं भर रहा था।
अब मैं नीचे आया और उनके पेटिकोट का नाड़ा खोल कर उसको नीचे खिसकाया और मम्मी ने अपने बड़े चूतरों को उठाकर पेटिकोट निकालने में मेरी मदद की।मम्मी ने पैंटी तो पहनी नहीं थी सो जैसे ही पेटिकोट निकला वह नीचे से भी नंगी हो गईं। अब मैं उनके जाँघों के बीच में उनकी बुर को देख कर मस्ती से भर गया। मस्त फूली हुई बुर थी जैसे सासु माँ की थी। मैंने उसकी फाँकों को फैलाया और अंदर की गुलाबी भाग को देखकर बोला: मम्मी मैं यहाँ से ही बाहर आया था ना?
मम्मी: नहीं मेरा सिजेरीयन हुआ था , तेरे पापा नहीं चाहते थे कि मेरी बुर ख़राब हो।
अब मैं झुक कर बुर को चूमा और फिर जीभ से चाटने लगा।
मम्मी आऽऽऽहहह करके अपनी गाँड़ उछाल रही थी।
फिर वो बोली: आऽऽह बेटा अब डाल दे ना अंदर।
मैं: क्या डालूँ मम्मी?
मम्मी: हाऽऽऽऽय तेराआऽऽऽ लौड़ाआऽऽऽ और क्या।
मैं हँसते हुए अपना लौड़ा उनकी बुर के छेद पर रखा और एक धक्के में पूरा लौड़ा जड़ तक पेल दिया। अब मम्मी भी मज़े से हाऽऽय्यय मरी कहते हुए नीचे से अपनी गाँड़ उठाकर चुदवाने लगी। क़रीब आधे घंटे की ज़बरदस्त चुदायी में मम्मी दो बार झड़ीं और फिर मैं भी झड़ गया।
हम बाथरूम से सफ़ाई करके नंगे ही एक दूसरे को चूमते हुए लेटे थे, तभी इशा और पापा पूरे नंगे ही कमरे में आए। मम्मी उठने की कोशिश की पर पापा ने उन्हें लिटाते हुए कहा: असल में इशा और राकेश दोनों मिलकर हमें चुदायी के लिए फँसाए हैं। अभी इशा ने बताया है कि ये सब इन दोनों ने प्लान बनाकर किया है।
मम्मी मुझे देखकर बोली: ये सच बोल रहें हैं क्या?
मैं: हाँ मम्मी ये सच है अब हम चारों एक साथ ग्रूप सेक्स कर सकते हैं।
पापा ने मम्मी के बड़े चूतर सहलाए और बोले: बहुत मज़ा आएगा अब अपने बच्चों के साथ चुदायी करने में।
इशा ने पापा के लौड़े को सहलाते हुए कहा: पापा आपको एक बात और भी बतानी है कि मेरे पापा , भय्या , मम्मी और भाभी भी हमारे साथ सेक्स कर चुके हैं। अब वह लोग आप सबके साथ भी मज़े करना चाहते हैं।
पापा: क्या मतलब? मुझे अपनी समधन और तुम्हारी मस्त भाभी भी चोदने को मिलेगी?
ये सुनकर ही पापा का लौड़ा इशा के हाथ में फूलने लगा।
मैं: मम्मी आपको भी अपने समधी और उनके बेटे का लौड़ा मिलेगा मस्ती से मज़े लेने के लिए।
मम्मी: हे भगवान वो लोग भी इसमें शामिल हैं?
इशा: मम्मी हमारे घरवाले तो कई सालों से मज़ा के रहे हैं इस सबका। मेरी बुर का उद्घाटन तो पापा ने ही किया था।
फिर हम सब गरम हो गए और एक चुदाई का ज़बरदस्त दौर चला।
मैं: तो ये थी हमारी कहानी जिसमें बाद में दोनों परिवार मिलकर सेक्स किए।

राकेश ने अपनी बात ख़त्म की और रोहन अब नमिता की चुदायी करने लगा और राज भी इशा के ऊपर आकर उसे मस्ती से चोदने लगा। मानसी अपने पापा का लंड चूस रही थी। फिर राकेश ने उसे ६९ की पज़िशन में लेकर एक दूसरे की बुर और लौड़ा चूसे।
सब मज़े से झड़कर शांत हो गए।
फिर राज और नमिता अगले दिन अपने शहर के लिए रवाना हो गए।
इतने दिनों के बाद माँ बेटा अपने घर आए तो उनको बड़ा अच्छा लगा। दोपहर हो गयी थी, खाना उन्होंने रास्ते में ही खा लिया था।
नमिता: बेटा बहुत थक गयीं हूँ अभी सोऊँगी।
राज अपनी माँ से चिपट कर बोला: हाँ माँ मैं आपके साथ सो जाऊँ?
नमिता: उसने पूछने की क्या बात है बेटा? अब से तू मेरे साथ ही सोएगा।
नमिता अब कपड़े खोलकर ब्रा और पैंटी में आ गयी थी। राज ने देखा कि अब वह उससे किसी भी तरह का संकोच नहीं कर रही थी। अब वह मियाँ बीवी की तरह व्यवहार कर रहे थे।
राज भी कपड़े उतार और चड्डी में हीं बिस्तर पर आ कर लेट गया। नमिता ने एक गाउन पहना और आकर उसके बग़ल में लेट गयी। अब दोनों एक दूसरे को चूमे और चिपक कर सो गए।
शाम को नमिता की नींद खुली तो वह उठी और उसने देखा कि राज की चड्डी में उसका लौड़ा पूरी तरह खड़ा था।
उसने प्यार से उसे चड्डी के ऊपर से पकड़ लिया और फिर चड्डी के अंदर हाथ डालकर उसके मोटे गरम लौड़े को पकड़ कर अपनी बुर गीली कर बैठी। फिर वह उसकी चड्डी से उसको बाहर निकाली और मुँह में लेकर चूसने लगी।
राज की नींद खुली और माँ को लौड़ा चूसते देखकर वह बहुत मस्त हो गया।
नमिता उसकी आँखों में देखकर मुस्करायी और चूसते हुए उसको आँख मार दीं।
राज ने भी उसके सिर को दबाकर अपनी कमर हिलाके अपनी तरफ़ से उसके मुँह की चुदायी शुरू कर दी।
जल्दी ही नमिता उसको डीप थ्रोट देने लगी और राज भी मज़े से कमर उछालकर उसके मुँह में अपना वीर्य छोड़ने लगा। नमिता मज़े से एक एक बूँद रस का पी गयी। फिर आख़री बूँदें सुपाडे के ऊपर से जीभ फेरकर चाट गयी।
राज ने उसे खींचकर अपनी बाँह में भर लिया और बोला: आऽऽऽऽह माँ क्या चूसती हो आप? मज़ा आ गया।
नमिता: सच ? मुझे भी तो तेरा रस बहुत स्वाद लगता है।
फिर थोड़ी देर पहरे करने के बाद नमिता उठी और चाय बनायी। अब दोनों एक दूसरे के पास बैठकर चाय पीने लगे।
नमिता: अच्छा अब कल से वापस स्कूल चालू और पढ़ाई पर पूरा ध्यान दो।
राज: ठीक है माँ अब पढ़ाई पर ध्यान दूँगा, पर चुदायी तो चालू रहेगी ना?
नमिता: बदमाश कहीं का। हाँ हाँ चालू रहेगी। पर पढ़ाई पर से ध्यान नहीं हटना चाहिए।
राज उसको चूमते हुए बोला: माँ पढ़ाई भी चालू और चुदायी भी। ये बोलते हुए उसने उसकी चूचि दबा दी ।
अब दोनों हँसने लगे।
राज बोला: माँ मैं थोड़ा बात घूम कर आता हूँ।
नमिता भी खाना बनाने लगी।
तभी घंटी बजी , नमिता ने दरवाज़ा खोला, सामने पड़ोसन खड़ी थी। दोनों गले लगे।
नमिता: कैसी हो?
सुषमा: बिलकुल ठीक हूँ। तुम लोग इतने दिन कहाँ गए थे?
नमिता: अरे बैठो , बड़ी लम्बी कहानी है।
सुषमा: बताओ तो, एकदम से कहाँ ग़ायब हो गए।
नमिता ने उसको संक्षेप में बताया कि कैसे वो फ़ार्म हाउस गए और राज और उसका मिलन हुआ और फिर नदीम के परिवार के साथ ग्रूप सेक्स हुआ और फिर वो अपनी पुरानी सहेली इशा के परिवार के साथ भी ग्रूप सेक्स करी।
सुषमा: ओह तो ये बोलो ना पूरा मज़ा लेकर आ रही हो? राज को कोई समस्या नहीं है कि तुम किसी और से चुदवा रही हो?
नमिता: अरे नहीं उसे कोई समस्या नहीं है। बल्कि वह तो ख़ुद भी नदीम के साथ मिलकर मुझे चोदा था।
सुषमा: ओह पता नहीं मेरा बेटा राजू और उसके पापा इस बारे में क्या सोचते हैं? एक बात बोलूँ, अगर तू बुरा नहीं मानेगी तो?
नमिता: अरे बोल ना, नहीं मानूँगी।
सुषमा: तेरी बात सुनकर मुझे भी राज से चुदवाने की इच्छा हो रही है। तू मानेगी इसके लिए?
नमिता ने उसके हाथ को पकड़ा और उसको अपनी बाँहों में लेकर उसके होंठ चूसते हुए बोली: रानी इसमें क्या समस्या है, जब चाहे तब चुदवा लेना।
और दोनों एक दूसरे की चूचियाँ मसलने लगीं।
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Re: त्यागमयी माँ और उसका बेटा

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नमिता: अच्छा बाक़ी कभी और करेंगे अभी राज कभी भी आ सकता है। और राजू से तो मज़े कर रही है ना?
सुषमा: हाँ दोनों बाप बेटा लगे रहते हैं मेरे पीछे । राजू तो मम्मी मम्मी करके २/३ बार रोज़ चोद ही लेता है , हाँ उसके पापा कभी एक बार तो कभी दो बार ही करते हैं। और जब वह टूर पर रहते हैं तो राजू मुझे पूरा दिन नंगी ही रखता है और ४/५ बार चोद लेता है।
नमिता हँसते हुए: चल तेरे तो मज़े ही मज़े हैं। फिर राज से क्यों चूदना चाहती है?
सुषमा: वह बस ऐसे ही, तू कहती है ना कि उसका हथियार बहुत बड़ा है तो बस मन करता है। तुझे भी राजू से चुदवाना है क्या? बात करूँ उससे?
नमिता हँसते हुए बोली: यहाँ भी मम्मियों की अदला बदली हो जाएगी। और बेचारे राजन का क्या होगा?
सुषमा: इनको भी शामिल कर लेंगे। पर तब तीन मर्द हो जाएँगे और हम दो औरतें।
नमिता: फिर क्या हुआ? हम दो औरतों के पास छे छेद हैं तीन लौडों को तो सम्भाल ही लेंगीं हम दोनों।
दोनों हँसने लगी फिर सुषमा वापस जाने लगी और बोली कि चलो जल्दी प्रोग्राम बनाते हैं ।
नमिता सोचने लगी कि ये पड़ोस में भी ग्रूप सेक्स शुरू हो गया तो कहीं राज की पढ़ाई पर इसका बुरा असर तो नहीं पड़ेगा।
थोड़ी देर में राज वापस आया और अपने कमरे में जाकर अपने स्कूल की तैयारी करने लगा, अगले दिन की।
रात को खाना खाने के बाद बिस्तर पर आकर राज पूरा नंगा होकर लेट गया। उसका मोटा लौड़ा उत्तेजना से ऊपर नीचे हो रहा था और नाभि को छूने की कोशिश कर रहा था। नमिता उसकी हालत देखकर मुस्कुराती हुई अपने कपड़े भी उतार दी और नंगी उसकी बाहों में समा गयी।
अब दोनों एक दूसरे को चूमते हुए वासना की आँधी में बहने लगे। जल्दी ही नमिता की चूचियाँ राज के मुँह में थी और उसके हाथ उसके गोल गोल चूतरों पर घूम रहे थे। दोनों एक दूसरे की ओर करवट लेकर लेटे थे। अब नमिता ने अपनी एक टाँग उठाके राज के कमर पर रख दी और उसने राज के लौड़े को पकड़ कर अपनी बुर ने दाख़िल कर दिया। राज ने भी अपनी कमर का एक धक्का मारा और उसका लौड़ा उसकी बुर में घुसता चला गया। अब दोनों एक दूसरे के कमर पकड़कर एक दूसरे में समाने की कोशिश कर रहे थे। कमरे में फ़च फ़च और आऽऽह्ह्ह्ह्ह गूँज रहे थे। नमिता ने राज के बड़े बड़े आँड भी सहलाना चालू किया अत राज ने भी चूचि चूसते ही नमिता की गाँड़ के दरार में दो ऊँगली डालके उसे मस्त कर दिया।
अब चुदायी ज़ोरों पर थी और दोनों एक दूसरे की ओर धक्के मार रहे थे। फिर नमिता की हाय्य्य्य्य्य्य मैं गईइइइइइइ की आवाज़ आइ और वह झड़ने लगी । तभी राज भी ह्म्म्म्म्म्म्म्म्म कहकर उसकी बुर में अपना रस छोड़ दिया।
राज: माँ कहीं तुम प्रेगनेंट हो गयी तो?
नमिता: नहीं बेटा , मैं गर्भ निरोधक दवाई लेती हूँ। तुमको परेशान होने की ज़रूरत नहीं है।
अब राज उसके सीने में अपना सिर रख कर सो गया।
सुबह नमिता उठी और राज के खड़े लौड़े को देखकर मुस्करायी और बाथरूम में फ़्रेश होकर चाय बना के लायी। राज को चूम कर उसने उठाया , अभी नमिता एक नायटी में थी और उसके नीचे उसने कुछ भी नहीं पहना था।
राज ने आँखें खोली और नमिता की हिलती हुई चूचियाँ दबाया और बोला: माँ मैं आपको बहुत प्यार करता हूँ।
नमिता: मैं भी अपने बेटे से बहुत प्यार करती हूँ। ये कहते हुए उसने उसके लौड़े के सुपाडे को चूमा और चूस भी लिया। फिर नीचे जाके उसके बॉल्ज़ भी चूम लिए।
राज मस्ती से बोला: माँ मैं बाथरूम से आ रहा हूँ आप रुको।
वापस आके उसने नमिता का गाउन उतारा और नमिता को लिटाके उसके ऊपर आ गया और पाँच मिनट की चूमा चाटी के बाद ही उसकी चुदायी में लग गया। वह ऊपर से इतने ज़बरदस्त धक्के मार रहा था कि पूरा पलंग बुरी तरह से हिल रहा था और चूँ चूँ कर रहा था। जल्दी ही दोनों स्खलित हो गए।
थोड़ी देर बाद नमिता उठते हुए बोली: बेटा चलो अब तय्यार हो जाओ स्कूल जाना है।
नमिता ने नायटी पहनी और किचन में चली गयी । राज भी तय्यार होकर नाश्ते के टेबल पर आया और नाश्ता किया ।
अब वह नमिता को प्यार किया और चूमकर बोला: माँ स्कूल में आपकी याद आएगी।
नमिता: वहाँ सिर्फ़ पढ़ाई पर ध्यान देना। और हाँ आज से मैं ऑफ़िस जाऊँगी। पता नहीं कब वापस आऊँगी। तेरा खाना यहाँ टेबल पर रहेगा , खा लेना। अगर जल्दी आ सकी तो आ जाऊँगी।
राज: ठीक है माँ ।
अब वह फिर से नमिता को बाँहों में लेकर चूमा और फिर नीचे बैठ गया और बोला: माँ एक पप्पी दे दो प्लीज़।
नमिता हँसते हुए: बदमाश कहीं का।
ये कहते हुए उसने अपनी नायटी उठादी कमर से भी ऊपर । राज की आँखों के सामने फूली हुई बुर थी। उसने वहाँ मुँह डाला और सूँघने लगा। फिर उसने उसको चूमा और फिर नमिता को घुमाके उसके चूतरों को दबाया और दाँतों से हलके से काटा और वहाँ भी चूमने लगा। फिर उसने गाँड़ के छेद को भी सूँघा और वहाँ भी चूमा और गाँड़ में दो ऊँगली फिरायी ।
फिर वह खड़ा हुआ और बोला: माँ आप मस्त माल हो, जी कर रहा है कि अभी आपको चोद दूँ।
नमिता ने उसकी फूली हुई पैंट को देखा और वहाँ पैंट के ऊपर से लौड़े को दबाके बोली: इसको ठीक कर नहीं तो सब मैडम लोग बेहोश हो जाएँगी ।
राज ने हँसते हुए लौड़े को अजस्ट किया और बाहर चला गया।
नमिता अपने काम में लग गयी।
बाद में क़रीब १० बजे वो ऑफ़िस के लिए तय्यार होकर निकली। आज उसने लेग्गिंग और टॉप पहना था। वह बड़ी हसीन लग रही थी। उसने ऑटो किया और ऑफ़िस पहुँची।
बहुत दिनों के बाद ऑफ़िस आयी थी सो उसने सबका हाल चाल पूछा और उसको पता चला कि सुधाकर अभी भी अमेरिका में ही है। पर मनीष रात को वापस आ गया है।
मनीष के वापस आने का सुनकर उसे थोड़ी सी उत्तेजना हुई।
क़रीब एक घंटे के बाद उसको ख़बर आयी कि छोटे सांब बुला रहे हैं।
नमिता की चूचियाँ कड़ी होने लगी। उसके निपल्ज़ भी कड़े हो गए। आख़िर वह और मनीष कई बार चुदायी कर चुके थे। सुधाकर का बेटा होने के कारण वह वैसे भी उसके क़रीब ही था।
वह मनीष के कैबिन के सामने पहुँची और दरवाज़ा खटखटायी।
मनीष: अंदर आ जाओ।
नमिता अंदर गयी तो वहाँ मनीष अपनी कुर्सी पर बैठा था नमिता मनीष को देखती ही रह गयी। वह अच्छा तगड़ा दिख रहा था । उसका बदन भर गया था। मनीष की आँखें भी नमिता के अंगों पर घूम रही थी। मस्त माल लग रही थी। लेग्गिंग में कसी मांसल जाँघें तो जैसे क़यामत ही ढा रही थी। खुले गले का टॉप चूचियों को और उभार रहा था। बड़े बड़े आम किसी का भी ईमान ले सकते थे।
मनीष: आंटी दरवाज़ा बंद कर दो।
नमिता: बेटा ऐसे कैसे बंद कर दूँ? कोई आ गया तो?
मनीष: आंटी ये मेरा ऑफ़िस है , यहाँ जबतक मैं ना बुलाऊँगा कोई भीतर नहीं आएगा।
नमिता ने धीरे से दरवाज़े को लॉक किया।
मनीष अपनी कुर्सी से उठा और आकर नमिता से लिपट गया और उसको पागलों की तरह चूमने लगा। कभी गर्दन पर तो कभी गालों पर और फिर उसने अपने होंठ उसके होंठों से चिपका दिए। नमिता भी गरम होकर उसे चूमने लगी। अब मनीष के हाथ उसके नंगी कमर को सहलाने लगे और फिर चूतरों पर जा चिपके। अब वह चूतरों को दबाकर मस्ती से भर गया और नमिता को बोला: मम्मी दुद्दु पिलाओ ना।
मनीष हमेशा नमिता के साथ माँ बेटे का रोल प्ले करता था।
नमिता: चलो किसी होटेल में चलते हैं। यहाँ कैसे होगा?
मनीष: नहीं यहीं करेंगे। प्लीज़ टॉप उतारिए ना।
अब नमिता ने अपना टॉप उतार दिया और मनीष ब्रा में क़ैद उसकी चूचियों पर अपना मुँह रगड़ने लगा।
फिर वह बोला: मम्मी दुद्दु पिलाओ ना।
नमिता ने हाथ पीछे किए और ब्रा का स्ट्रैप निकाला और ब्रा भी उतार दी। अब मनीष ने उसको सोफ़े पर बिठा दिया और ख़ुद उसकी गोद में लेट गया और बोला: मम्मी दुद्दु दो।
नमिता ने अपनी एक छाती अपने हाथ में पकड़ी और उसको मनीष के मुँह पर टिका दिया। मनीष ने मुँह खोला और दूध चूसने लगा और दूसरे हाथ से उसकी दूसरे दूध को दबाने लगा।
फिर उसने बदल बदल के दोनों दूध पिए और फिर तृप्त होकर बोला: मम्मी, आज कितने दिनों के बाद अपने अपना दूध पिलाया।
नमिता हँसते हुए बोली: तुम यहाँ थे ही नहीं, तो मैं कैसे दूध पिलाती?
अब नमिता उसके शर्ट के अंदर हाथ डालकर उसकी बालों से भरी छाती सहला रही थी और उसके निपल भी मसल रही थी। मनीष के पैंट में तंबू साफ़ दिखाई पड़ रहा था, जिसे नमिता ने पकड़ा और दबाने लगी।
अब मनीष ने अपना लौड़ा अपने पैंट से बाहर निकाला और सोफ़े पर बैठी नमिता के सामने उसको झुलाने लगा। नमिता ने उसको पकड़ा और चूसने लगी। अब मनीष भी इसके मुँह को चोदने लगा।
फिर वह नमिता को खड़ा किया और उसकी लेग्गिंग को नीचे किया और पैंटी के ऊपर से उसकी बुर को दबाया और फिर गीली हो रही पैंटी को भी नीचे किया। अब वह झुका और उसकी बुर को चूमने और चाटने लगा। नमिता आऽऽहहहह कर उठी।
फिर उसने नमिता को टेबल के सहारे आगे को झुकाया और पीछे से उसकी बुर में अपना लौड़ा डाला और उसे चोदने लगा। नमिता हाऽऽऽयय्यय करके चुदवा रही थी। मनीष भी ह्म्म्म्म्म्म्म मम्मी आऽऽऽह मज़ा आ रहा है ना?
नमिता: हाँआऽऽऽऽऽऽऽ बेटाआऽऽऽऽऽ आऽऽऽऽ रहाआऽऽऽऽऽ हैएएएएएएएर। और जोओओओओओओओओर से चोओओओओओओओदो।
मनीष भी अब ज़ोर से धक्का मार रहा था और ठप्प ठप्प की आवाज़ से उसकी जाँघें नमिता के चूतरों से टकरा रही थीं। जल्दी ही दोनों झड़ने लगे। नमिता ने अपनी चीख़ दबायी क्योंकि वह ऑफ़िस में थी। अब उसका रस नमिता की बुर में गिरता चला गया। अब मनीष ने वहाँ रखा एक तौलिया उठाया और उसको नमिता के बुर पर रख दिया ताकि रस नमिता की लेग्गिंग ख़राब ना कर दे। नमिता भी तौलिए को बुर पर रख कर साफ़ की और बाथरूम में घुस गयी। मनीष भी पीछे से आ गया और बोला: मम्मी आपको सू सु करते ही देखना है।
नमिता कोमोड से थोड़ा उठकर उसको अपनी सूसु की धार दिखाने लगी जो उसके बुर से निकल रही थी। अब मनीष ने अपना हाथ उसकी सूसू की धार पर रखा और उसके पिशाब से अपने हाथ गीले करने लगा। गरम गरम पिशाब की धार उसको मस्त कर रही थी।
फिर नमिता ने अपनी बुर की सफ़ाई की, और अपने कपड़े पहन लिए। मनीष ने भी सफ़ाई करके अपने कपड़े ठीक किए। बाहर आकर मनीष ने नमिता को अपनी गोद में खिंच लिया और बोला: आंटी आपसे अलग रहने की इच्छा नहीं होती।
नमिता: मैं भी कहाँ तुमसे अलग रहना चाहती हूँ।
मनीष: आंटी आप मुझसे शादी करोगी?
नमिता: हट बेवक़ूफ़, मैं तेरे मम्मी की उम्र की हूँ, भूल गया क्या? पर अगर तुम चाहो तो मैं तुम्हारी मम्मी बन सकती हूँ?
मनीष: वह कैसे?
नमिता: तुम्हारे पापा से शादी करके।
मनीष: पापा से ? वो कैसे?
नमिता: वो ऐसे कि वो मुझे प्रपोज़ कर चुके हैं, शादी के लिए।
मनीष हैरानी से : तो क्या आप पापा से भी चुदवाती हो?
नमिता: हाँ वो भी तुमसे मिलने के पहले से ही। मैं तुमसे तो बहुत बाद में मिली। तुम्हारे पापा के साथ तो मैं मेरे पति के मरने के कुछ महीने बाद से ही कर रही हूँ।
मनीष: आपने कभी बताया नहीं?
नमिता: इसलिए कि जब तुमसे मिली तो वह मुझसे मिलना बंद कर दिए थे और जवान लड़कियों के पीछे भाग रहे थे।
मनीष: तो फिर अब कैसे?
नमिता: पिछले दिनों हम एक साथ फ़ार्म हाउस में थे और वहीं वह मुझे शादी के लिए बोले, पर मैंने हाँ नहीं की है, तुम्हारे और राज के बारे में सोच के।
मनीष: अगर आप पापा से शादी करोगी तो हमारे रिश्ते कैसे होंगे?
नमिता: देखो अगर तुम मुझसे रिश्ता रखना चाहते हो तो मैं तुम्हारे पापा से बात करूँगी कि शादी तभी होगी जब मनीष को भी अपनी मम्मी से मज़ा लेने देंगे।
मनीष: आप सोचते हैं कि पापा मान जाएँगे? वह तो मेरी शादी कराने के चक्कर में हैं।
नमिता: अगर तुम शादी कर लो तो ये और भी आसान हो जाएगा।
मनीष हैरानी से: वो कैसे?
नमिता: तुम अपने पापा की बीवी से मज़े लेना, याने मुझसे मज़े लेना। और तुम्हारे पापा तुम्हारी बीवी से मज़े ले लेंगे। अपनी अपनी बीवी को तो मज़े देते ही रहोगे साथ ही साथ।
अचानक मनीष की गोद में बैठी नमिता को लगा कि मनीष का लौड़ा उसकी गाँड़ में गड़ने लगा है। वह समझ गयी कि मनीष उत्तेजित हो गया है।
मनीष: मुझे इसमें कोई आपत्ति नहीं है, पापा मान जाएँगे क्या?
नमिता: उनको मेरे साथ एक जवान बहु भी चोदने को मिलेगी तो उनको क्या ऐतराज़ होगा?
मनीष उत्तेजित होकर बोला: तो आंटी आप इस बात को आगे बढ़ाइए। मेरी तो हाँ ही है।
नमिता उठते हुए बोली: ठीक है जब वह अमेरिका से आएँगे तो मैं बात करूँगी। वैसे वह आ कब रहे हैं वापस?
मनीष: तीन चार दिनों में ही।
अब नमिता ठीक है कहके मनीष को चुमी और बाहर चली आयी और बोल दी कि आज मैं जल्दी घर चली जाऊँगी।
नमिता घर पहुँची तो राज अभी आया नहीं था।
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