तभी अंकित के कानो में आवाज़ पाती है..
एक्सक्यूस मी......
वो मुड़ता है और देखता है...सामने एक लेडी थी या लड़की उसकी समझ नही आया.....
अंकित :- जी...
थॅंक यू सो मच....आज आप नही होते तो..में अपने बेटे को शायद .. वो बोलते बोलते रुक गयी..
एक पल तो उसके होश उड़ गये...क्यूँ कि उसे लग नही रहा था कि ये इसका बच्चा है..कहीं से भी देख
के नही लग रहा था कि ये लड़की इस बच्चे की माँ है....रंग एक दम गोरा चिट्टा...चेहरे पे इतना चर्म
और इतनी क्यूटनेस कि बस आदमी वहीं खड़े उसे देखता रहे....मासूमियत चेहरे पे तो कूट कूट
के भरी हुई थी....उसके लिप्स बिल्कुल आंजेलीना जोली की ही तरह थे....
(बस अंकित ने आज सिर्फ़ चेहरा ही देखा उसके नीचे वो गया ही नही..उसकी आँखें तो बस उस चेहरे
पर ही जम चुकी थी....
फिर वो अपने होश में आता हुआ)
अंकित :- अरे नही नही ये आप क्या बोल रही हैं...ये तो मेरी ड्यूटी थी....
मेरी वजह से आपको चोट लग गयी....आइ आम सो सॉरी...आइ आम रियली
अंकित उसकी उस आवाज़ में ही खो गया वो थी ही इतनी प्यारी...
अंकित :- अरे आप ये क्या बोल रही हैं..ये तो छोटी सी चोट है...अभी ड्रेसिंग करवा लूँगा..तो ठीक
हो जाएगा...
फिर अंकित आगे बढ़ा और घुटनो के बल बैठ कर....उस बच्चे से..
अंकित :- क्या नाम है आपका..
वो बच्चा पहले कुछ सोचता रहा..फिर बोला....आर्नव..
अंकित :- अरे ये तो बहुत प्यारा नाम है..अच्छा ये बताओ..आपको कहीं लगी तो नही ना..
अरणाव :- नही लगी...
फिर अंकित उसके बालों पे हाथ फेरता है और खड़ा हो जाता है...
थॅंक यू सो मच...सच में आज अपने मुझ पर एक बहुत बड़ा एहसान किया है...आपका ये एहसान में
ज़िंदगी भर नही भूलूंगी...किसी भी कीमत पर आपका ये एहसान चुकाने को तैयार हूँ में जब भी आपको
मेरी ज़रूरत पड़े बेझीजक बताईएगा...
अंकित :- आप ये क्या बोल रही हैं...मेने कोई एहसान थोड़ी किया है आप पर...
नही किया है..आर्नव ही मेरी ज़िंदगी है....अगर आज इसे कुछ हो जाता तो .. तो पता नही.
अंकित :- कुछ नही होगा इसे..इतने प्यारे बच्चे को कुछ नही हो सकता...
(सच में अर्नव का चेहरा बिल्कुल अपनी माँ पे गया था...वो भी बहुत सुंदर था)
अंकित :- वैसे इसकी एज क्या है...
(इस क्वेस्चन के पीछे अंकित का स्वार्थ था...इससे वो उसकी माँ यानी उस लेडी की एज का अंदाज़ा लगाने
की कॉसिश करता)
5 यियर्ज़ का है....
अंकित का मूह खुल गया एक बार तो ये सुन के और वो सोचने लगा....
कि बच्चे की उमर 5 साल..तो उसकी उमर क्या होगी..लगती तो ये 25 की भी नही है....
तभी वहाँ डॉली आ जाती है...
डॉली :- ले पानी डाल..
अंकित :- कितनी बदतमीज़ फ़्रेंड है...यह्न मुझे चोट लगी है..और तू पानी भी नही डाल सकती...
दुश्मनो को भी ना मिले ऐसी दोस्त...
आर्नव की मम्मी हँसने लगती है..
डॉली :- हाँ बस बस...अब डायलॉग ना मार...डाल देती हूँ..
फिर डॉली पानी डालना शुरू करती है....
आह...आराम से..जल रहा है.....इससे ज़्यादा ठंडा नही था क्या.....
डॉली :- काफ़ी लगी है तुझे...जल्दी चल...डॉक्टर के चलते हैं..
अंकित :- तू चलेगी...
डॉली :- हाँ...में स्कूटी निकालती हूँ रुक...
आपको सच में काफ़ी चोट लग गयी...आइ आम रियली वेरी सॉरी..
अंकित :- अ(वो आंटी बोलने वाला था कि एक दम से रुक गया और सोचने लगा यार ये क्या भसूडी है
इनको बुलाऊ क्या समझ नही आता....उमर ही ऐसी है आंटी बुलाउन्गा तो भड़क ना जाए और
दीदी बुलाना नही चाहता में..तो फिर)
अंकित सोच ही रहा होता है कि तभी वो बोल पड़ती है..
माइ नेम ईज़ रितिका....(शायद अंकित की प्राब्लम समझ गयी)
अंकित :-(मन ही मन खुश हो गया) रितिका जी..इसमे किसी की कोई ग़लती नही है..और आप बार बार सॉरी
बोलेंगी तो मुझे फिर ऐसा लगेगा कि मेने पता नही क्या कर दिया..
रितिका :- ह्म्म आप सच में बहुत अच्छे हो..आज कल ऐसे लोग बहुत कम मिलते हैं..वैसे आप कहाँ
रहते हो..
अंकित :- बस इसी सी ब्लॉक में..
रितिका :- ओह्ह में बस यहीं ए ब्लॉक में अभी अभी शिफ्ट हुई हूँ..
अंकित अपने मन में..(हाँ तभी कभी नही देखा आपको)
तभी वहाँ से डॉली हॉर्न बजाने लगती है....
अंकित :- अच्छा रितिका जी में चलता हूँ..अच्छा अर्नव आप अपना ध्यान रखना बाए..
रितिका :- अरे आपने अपना नाम तो बताया ही नही..
अंकित :- ओह्ह हाँ..अंकित..माइसेल्फ अंकित अग्रवाल..
रितिका :- बेटा अर्नव अंकित भैया को बाइ बोलो और थन्क यू भी..
अरणाव :- बाइ थॅंक यू...(वो दोनो एक साथ बोल देता है)
अंकित मुस्कुरा देता है..और फिर बाइ बोल के वहाँ से चला जाता है.....रितिका 2 मिनट वहाँ खड़ी रहती
है और फिर वो भी चली जाती है...
एक एक आहट "ज़िंदगी" की complete
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एक एक आहट "ज़िंदगी" की-14
अंकित स्कूटी पे बैठे हुए..
अंकित :- गिराएगी तो नही ना तू
बैठ रहा है या फिर में वापिस जाउ...डॉली बोलती है..
अंकित :- ये आज कल की लड़कियों से तो मज़ाक करना भी भारी है सीधे धमकी देती है..
डॉली :- थॅंक यू..अब चलूं..
अंकित :- चल यार डॉली चल..
डॉली :- तू अब नाम से बुलाएगा या फिर गिरा दूं तुझे..
अंकित :- ओफूओ..धमकी...
डॉली :- हाँ यही समझ ले....
5 मिनट की दूरी पर ही डॉक्टर था बातें करते हुए पहुच गये...
अंकित :- अच्छा बाबा प्रिया अब खुश..
प्रिया :- हाँ खुश..चल अब फटफट से ड्रेसिंग करवा ली..मुझसे तो देखा भी नही जा रहा...कितनी
ज़्यादा चोट लगी है..
अंकित :- अब तू मुझे मत डरा....
प्रिया :- तुझे दर्द नही हो रहा..
अंकित :- क्यूँ में कोई मशीन हूँ जो दर्द नही होगा....हो रहा है..लेकिन बार बार बोलने से कम थोड़ी
होगा..
प्रिया :- बस बहस करवा लो....
फिर अंकित ड्रेसिंग कराने लगता है..काफ़ी हेवी ड्रेसिंग हुई थी....
वो अपने मन में बोलता है..सच में साला पनौती चल रही है...ये चोट तो लग गयी..अब घर
जाके जो बड़ी वाली चोट माँ से पड़ेगी..उसको कैसे झेलूँगा....
बचा लेना..भाई.कोई बचा लेना.....
सोचते हुए वो वापिस घर की तरफ आ जाता है.....
घर के अंदर से घुसने से पहले वो बहाने सोचने लगता है ... पर उसे कुछ सूझ ही नही रहा
था..तो वो आख़िर अंदर चला जाता है..जैसे ही अंदर घुसता है..
अंकित :- बहादुर(उनका सर्वेंट) मम्मी घर पे नही है क्या..
बहादुर :- नही मार्केट गयी है..
अंकित :- चलो शुक्र है..
बहादुर :- ये आपके हाथ पे क्या हुआ..
अंकित :- यार बस गिर गया था.....
वो सीधे अपने कमरे में चला जाता है...और लॅपटॉप खोल के फ़ेसबुक खोल के बैठ जाता है...
आधे घंटे बाद...
वो अंज़े से चट्तिंग कर रहा होता है..कोई देख के नही कह सकता इसे...कि अभी अभी हाथ तुड़वा के
आया है....उसे पता ही नही चला कि कब.
ये तेरे हाथ को क्या हुआ..ईनी बड़ी पट्टी....
अंकित सामने देखता है तो उसकी माँ खड़ी होती है..उसके चेहरे की मुस्कान गायब हो जाती है..
अंकित :- मा वू..उूओ..यी.....
अंकित मोम :- क्या वो वो....तू कभी नही सुधरेगा ना...क्या कर के आया है अब..जो इतनी चोट लग गयी
किसी से लड़ाई मड़ाई करी है क्या..बोलता क्यूँ नही है..(चिल्लाते हुए)
अंकित :- यार आप बोलने दो..तो बोलूं....गिर गया था...यार..वो पत्थर पे पैर पड़ा और फिसल गया..
अंकित मोम :- सच बोल रहा है या झूठ..
अंकित :- सच ही बोल रहा हूँ...झूठ क्यूँ बोलूँगा..
अंकित की मोम कुछ बोलने ही वाली थी..कि तभी बहादुर ने आवाज़ लगा दी..
बहादुर :- भाभी जी आपको कोई बुला रहा है बाहर..
अंकित की मोम....कौन है बोल के चली जाती है..
अंकित :- हस्स्शह बच गया....
(और फिर लॅपटॉप में लग जाता है..)
फोन का आलराम बजा जिससे अंकित की आँखें खुली...
फोन का आलराम बजा जिससे अंकित की आँखें खुली...
अंकित :- यार आज तो सुबह बहुत जल्दी हो गयी...आह.....(उसका चोट वाला हाथ उसके पलंग पर तेज़ी
से लग गया...जिसकी वजह से एक दर्द भरा करंट उसके शरीर में फैल गया)
साला कल तो दर्द नही कर रहा था और आज इतना दर्द क्यूँ हो रहा है.....कम्बख़्त..आहह उंघ
(अंगड़ाई लेते हुए)
चलो भाई चलें..नही तो लेट हो जाएगा.....
फिर वो उठ के कमरे के बाहर आ जाता है....
अंकित मोम :- उठ गया बेटा....अभी दर्द है हाथ में..
अंकित :- हाँ मोम थोड़ा सा दर्द है
अंकित मोम :- तो बेटा आज रहने दे ना...दर्द है तो आराम कर ले..आज..
अंकित :- अरे.अरे...नही मोम..यार कॉलेज जाना ज़रूरी है..नही तो बेकार में क्लास मिस हो जाएगी..तो
बाद में दिक्कत हो जाती है..
अंकित मोम :- ओहो..वाह.....आज कल बड़ी पढ़ाई पे ध्यान दे रहा है...क्या चक्कर है..कोई लड़की
पसंद आ गयी है क्या कॉलेज मे..
अंकित :- ओहो यार आपको इसके अलावा कुछ और नही मिलता क्या......में जा रहा हूँ नहाने नाश्ता तैयार
कर दो..
अंकित मोम :- हुहह..नाश्ता तैयार कर दो..बेटा अब तूने जिस दिन बेकार में छुट्टी की ना कॉलेज की
फिर बताऊगी तुझे..जिस दिन छुट्टी करने को बोल दो..उस दिन तो ज़रूर जाना है..इन्हे..
(तेज आवाज़ में बोलती है)
अंकित :-(अंदर बाथरूम से) बस मम्मी बॅस...कितना बोलती हो सुबह सुबह....
बड़ी मुश्किल से बेचारा नाहया...हाथ बचाते हुए..फिर नाश्ता करा और कॉलेज के लिए निकल गया..
पूरे रास्ते भर में कितनी ही हॉट सेक्सी लड़कियाँ गुज़री लेकिन भाई साहब का ध्यान तो कल हुए
हादसे पर था...मन तो अर्नव की माँ की शक्ल पे जा के ठहर गया था..
अरे अरे..ऐसा नही है कि उससे प्यार करने लगा था...वो तो यही सोच में डूबा था कि आख़िर
5 साल का बेटा है कैसे इसका...उमर तो इतनी लगती नही...उफ़फ्फ़ आज कल का तो ज़माना ही खराब हो चुका है....
कहानी जारी है ............................
अंकित :- गिराएगी तो नही ना तू
बैठ रहा है या फिर में वापिस जाउ...डॉली बोलती है..
अंकित :- ये आज कल की लड़कियों से तो मज़ाक करना भी भारी है सीधे धमकी देती है..
डॉली :- थॅंक यू..अब चलूं..
अंकित :- चल यार डॉली चल..
डॉली :- तू अब नाम से बुलाएगा या फिर गिरा दूं तुझे..
अंकित :- ओफूओ..धमकी...
डॉली :- हाँ यही समझ ले....
5 मिनट की दूरी पर ही डॉक्टर था बातें करते हुए पहुच गये...
अंकित :- अच्छा बाबा प्रिया अब खुश..
प्रिया :- हाँ खुश..चल अब फटफट से ड्रेसिंग करवा ली..मुझसे तो देखा भी नही जा रहा...कितनी
ज़्यादा चोट लगी है..
अंकित :- अब तू मुझे मत डरा....
प्रिया :- तुझे दर्द नही हो रहा..
अंकित :- क्यूँ में कोई मशीन हूँ जो दर्द नही होगा....हो रहा है..लेकिन बार बार बोलने से कम थोड़ी
होगा..
प्रिया :- बस बहस करवा लो....
फिर अंकित ड्रेसिंग कराने लगता है..काफ़ी हेवी ड्रेसिंग हुई थी....
वो अपने मन में बोलता है..सच में साला पनौती चल रही है...ये चोट तो लग गयी..अब घर
जाके जो बड़ी वाली चोट माँ से पड़ेगी..उसको कैसे झेलूँगा....
बचा लेना..भाई.कोई बचा लेना.....
सोचते हुए वो वापिस घर की तरफ आ जाता है.....
घर के अंदर से घुसने से पहले वो बहाने सोचने लगता है ... पर उसे कुछ सूझ ही नही रहा
था..तो वो आख़िर अंदर चला जाता है..जैसे ही अंदर घुसता है..
अंकित :- बहादुर(उनका सर्वेंट) मम्मी घर पे नही है क्या..
बहादुर :- नही मार्केट गयी है..
अंकित :- चलो शुक्र है..
बहादुर :- ये आपके हाथ पे क्या हुआ..
अंकित :- यार बस गिर गया था.....
वो सीधे अपने कमरे में चला जाता है...और लॅपटॉप खोल के फ़ेसबुक खोल के बैठ जाता है...
आधे घंटे बाद...
वो अंज़े से चट्तिंग कर रहा होता है..कोई देख के नही कह सकता इसे...कि अभी अभी हाथ तुड़वा के
आया है....उसे पता ही नही चला कि कब.
ये तेरे हाथ को क्या हुआ..ईनी बड़ी पट्टी....
अंकित सामने देखता है तो उसकी माँ खड़ी होती है..उसके चेहरे की मुस्कान गायब हो जाती है..
अंकित :- मा वू..उूओ..यी.....
अंकित मोम :- क्या वो वो....तू कभी नही सुधरेगा ना...क्या कर के आया है अब..जो इतनी चोट लग गयी
किसी से लड़ाई मड़ाई करी है क्या..बोलता क्यूँ नही है..(चिल्लाते हुए)
अंकित :- यार आप बोलने दो..तो बोलूं....गिर गया था...यार..वो पत्थर पे पैर पड़ा और फिसल गया..
अंकित मोम :- सच बोल रहा है या झूठ..
अंकित :- सच ही बोल रहा हूँ...झूठ क्यूँ बोलूँगा..
अंकित की मोम कुछ बोलने ही वाली थी..कि तभी बहादुर ने आवाज़ लगा दी..
बहादुर :- भाभी जी आपको कोई बुला रहा है बाहर..
अंकित की मोम....कौन है बोल के चली जाती है..
अंकित :- हस्स्शह बच गया....
(और फिर लॅपटॉप में लग जाता है..)
फोन का आलराम बजा जिससे अंकित की आँखें खुली...
फोन का आलराम बजा जिससे अंकित की आँखें खुली...
अंकित :- यार आज तो सुबह बहुत जल्दी हो गयी...आह.....(उसका चोट वाला हाथ उसके पलंग पर तेज़ी
से लग गया...जिसकी वजह से एक दर्द भरा करंट उसके शरीर में फैल गया)
साला कल तो दर्द नही कर रहा था और आज इतना दर्द क्यूँ हो रहा है.....कम्बख़्त..आहह उंघ
(अंगड़ाई लेते हुए)
चलो भाई चलें..नही तो लेट हो जाएगा.....
फिर वो उठ के कमरे के बाहर आ जाता है....
अंकित मोम :- उठ गया बेटा....अभी दर्द है हाथ में..
अंकित :- हाँ मोम थोड़ा सा दर्द है
अंकित मोम :- तो बेटा आज रहने दे ना...दर्द है तो आराम कर ले..आज..
अंकित :- अरे.अरे...नही मोम..यार कॉलेज जाना ज़रूरी है..नही तो बेकार में क्लास मिस हो जाएगी..तो
बाद में दिक्कत हो जाती है..
अंकित मोम :- ओहो..वाह.....आज कल बड़ी पढ़ाई पे ध्यान दे रहा है...क्या चक्कर है..कोई लड़की
पसंद आ गयी है क्या कॉलेज मे..
अंकित :- ओहो यार आपको इसके अलावा कुछ और नही मिलता क्या......में जा रहा हूँ नहाने नाश्ता तैयार
कर दो..
अंकित मोम :- हुहह..नाश्ता तैयार कर दो..बेटा अब तूने जिस दिन बेकार में छुट्टी की ना कॉलेज की
फिर बताऊगी तुझे..जिस दिन छुट्टी करने को बोल दो..उस दिन तो ज़रूर जाना है..इन्हे..
(तेज आवाज़ में बोलती है)
अंकित :-(अंदर बाथरूम से) बस मम्मी बॅस...कितना बोलती हो सुबह सुबह....
बड़ी मुश्किल से बेचारा नाहया...हाथ बचाते हुए..फिर नाश्ता करा और कॉलेज के लिए निकल गया..
पूरे रास्ते भर में कितनी ही हॉट सेक्सी लड़कियाँ गुज़री लेकिन भाई साहब का ध्यान तो कल हुए
हादसे पर था...मन तो अर्नव की माँ की शक्ल पे जा के ठहर गया था..
अरे अरे..ऐसा नही है कि उससे प्यार करने लगा था...वो तो यही सोच में डूबा था कि आख़िर
5 साल का बेटा है कैसे इसका...उमर तो इतनी लगती नही...उफ़फ्फ़ आज कल का तो ज़माना ही खराब हो चुका है....
कहानी जारी है ............................
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Re: एक एक आहट "ज़िंदगी" की
shandar bhai lekin ye doolly urf priya kaun h
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Re: एक एक आहट "ज़िंदगी" की
Bandhuvar Priya urf dolly Ankit ki dost haistudent wrote:shandar bhai lekin ye doolly urf priya kaun h
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एक एक आहट "ज़िंदगी" की-15
गतान्क आगे.....................
सोचते हुए क्लास्स्स में टाइम पे पहुच ही गया...आज टीचर के आने से पहले..सच में कमाल
ही हो गया..
विकी :- हे अंकित क्या हाल है भाई....अबे ये क्या हो गया..कैसे लग गयी.. (विकी अपनी सीट से खड़े
होते हुए बोला)
अंकित :-(उसके पास आते हुए) अरे भाई एक साथ कितने सवाल पूछेगा....बस यार कल गिर गया..
तू सुना क्या हाल चाल है..
विकी :- लगता है..कुछ ज़्यादा बुरी तरह गिर गया .. पट्टी देख के तो यही लगता है..काफ़ी चोट लगी
है...खैर..में तो बढ़िया ही हूँ......
(तभी उसका फोन बज उठता है..)
इतनी देर में अंकिता क्लास में आ जाती है...सभी उन्हे खड़े होके विश करते हैं..
इधर विकी फोन कट कर देता है....
अंकित :- गुड मॉर्निंग मॅम.... (अंकित ज़ोर से बोलता हुआ)
अंकिता एक स्माइल के साथ..गुड मॉर्निंग अंकित..
अंकित का सारा दर्द गायब हो गया अंकिता को देख के....जिस तरह से वो ड्रेसअप होके आती है..
उसे देख के कोई ये नही कह सकता कि ये टीचर है....एक से एक साड़ी पहन के आती है...
अंकिता :- तो आज हम एक दूसरा प्रोग्राम बनाएँगे....में क़्वश्चन लिखूँगी और आज अब सब को खुद
बनाना होगा....और सिर्फ़ 10 मिनट दूँगी..इस 10 मिनट में वो हो जाना चाहिए नही तो आप सब के इंटर्नल
में से 1 मार्क डिफिनेट्ली कट कर दूँगी...
फिर वो क्वेस्चन दे देती है...और सब लग जाते हैं उसमे अपना दिमाग़ लगाने...
आधे बच्चों की शक्ल से ही दिख रा था कि दिमाग़ के उपर से उड़ गया क्वेस्चन तो...जब तक
अंकिता अपने रिजिस्टर में कुछ कर रही थी..
अंकित प्रोग्राम सॉल्व करता हुआ....बीच बीच में अपनी गर्दन उठा के अंकिता को देखने लगता..
अंकिता के बाल एक तरफ थे...उसने पेन को अपने लिप्स्स में दबा रखा था..एक तरफ के उसके वो
सुंदर शोल्डर दिख रहे थे स्लेवलेस्स ब्लाउस की वजह से...
उस वक़्त इतनी सुंदर लग रही थी..कि बस कोई भी उसपे मर मिटे..
अंकित अपने मन में..हाए...इतने सुंदर दृश्य को छोड़ के कोई कैसे ये क्वेस्चन सॉल्व कर सकता
है....और वो पेन छोड़ के बस सामने अंकिता को देखने लगता है...
तभी अंकिता अपनी नज़र उपर उठती है..और अंकित को ऐसे घूरता पति है..इधर अंकित घबराता नही है
बस उसे ही देखता रहता है...
अंकिता अपनी घड़ी दिखाते हुए जैसे बोल रही हो टाइम ख़तम हो गया है..अपना काम करो...
अंकित समझ जाता है..और वो मुस्कुराते हुए फिर से प्रोग्राम करने लगता है.....
इधर उसके साथ बैठा विकी अपने बाल नोच रहा था...अंकित ने उसे ऐसा करते देख लिया..फिर उसे कोनी
मारते हुए...
अंकित :- अबे परेशन क्यूँ है..ले यहाँ से कॉपी कर ले...मेरा हो गया....
विकी :- थॅंक्स यार...तू तो कसम से कमाल है..
अंकिता :- टाइम इस ओवर...
में सबकी की सीट पी आके चेक करूँगी....और जिसका नही हुआ होगा उसका तो 1 मार्क गया..
फिर वो बारी बारी से सबका आन्सर चेक करने लगती है..कुछ की तो बॅंड ही बज गयी कुछ ने थोड़ा
बहुत करा था इसलिए बच गये..
आख़िरी में बची अंकित और विकी की सीट जो उस रो की लास्ट सीट थी..
अंकिता :- दिखाओ....
फिर अंकित दिखाता है....
अंकिता :- ह्म्म गुड...लगता है पूरी क्लास में सिर्फ़ तुम्हे ही समझ आ रहा है...और किसी से नही हुआ
एक्सलेंट...
अंकित :- मॅम आप पढ़ाओ और ना आए..ऐसा तो हो नही सकता..
अंकिता अपनी आँखें साइड कर के उसे देखने लगती है...तभी उसकी नज़र अंकित के हाथ पे पड़ती है..
अंकिता :- ये क्या तुम्हारे हाथ में..कैसे लग गयी?
अंकित :- वू.व.व.ऊ.ओ.....मा..आ.म..का.एल..गिर...गया...था...उसी से लगी...
अंकिता :- ह्म्म्म्मम.......(और उसे घूर्ने लगती है)
विकी :- मॅम मेरा तो चेक कीजिए..
अंकिता :- (आगे जाते हुए) कोई ज़रूरत नही है..मुझे पता है तुम्हारा सही है...अंकित से जो कॉपी की
है...
इतना बोलती है..तो विकी की तो सुलग जाती है..लेकिन अंकित अपनी हँसी को नही रोक पाया.....वो ज़ोर
ज़ोर से हँसने लगा..
अंकित :- यार तेरा तो सॉलिड पोपट हुआ....
विकी सड़ा सा मूह बना के बैठ जाता है....
फिर क्लास ओवर हो जाती है.....और अंकिता जाते जाते..
अंकिता :- अंकित टीचर्स रूम में आना तुम..मुझे तुमसे कुछ पूछना है?
अंकित :- ओके मॅम...
सोचते हुए क्लास्स्स में टाइम पे पहुच ही गया...आज टीचर के आने से पहले..सच में कमाल
ही हो गया..
विकी :- हे अंकित क्या हाल है भाई....अबे ये क्या हो गया..कैसे लग गयी.. (विकी अपनी सीट से खड़े
होते हुए बोला)
अंकित :-(उसके पास आते हुए) अरे भाई एक साथ कितने सवाल पूछेगा....बस यार कल गिर गया..
तू सुना क्या हाल चाल है..
विकी :- लगता है..कुछ ज़्यादा बुरी तरह गिर गया .. पट्टी देख के तो यही लगता है..काफ़ी चोट लगी
है...खैर..में तो बढ़िया ही हूँ......
(तभी उसका फोन बज उठता है..)
इतनी देर में अंकिता क्लास में आ जाती है...सभी उन्हे खड़े होके विश करते हैं..
इधर विकी फोन कट कर देता है....
अंकित :- गुड मॉर्निंग मॅम.... (अंकित ज़ोर से बोलता हुआ)
अंकिता एक स्माइल के साथ..गुड मॉर्निंग अंकित..
अंकित का सारा दर्द गायब हो गया अंकिता को देख के....जिस तरह से वो ड्रेसअप होके आती है..
उसे देख के कोई ये नही कह सकता कि ये टीचर है....एक से एक साड़ी पहन के आती है...
अंकिता :- तो आज हम एक दूसरा प्रोग्राम बनाएँगे....में क़्वश्चन लिखूँगी और आज अब सब को खुद
बनाना होगा....और सिर्फ़ 10 मिनट दूँगी..इस 10 मिनट में वो हो जाना चाहिए नही तो आप सब के इंटर्नल
में से 1 मार्क डिफिनेट्ली कट कर दूँगी...
फिर वो क्वेस्चन दे देती है...और सब लग जाते हैं उसमे अपना दिमाग़ लगाने...
आधे बच्चों की शक्ल से ही दिख रा था कि दिमाग़ के उपर से उड़ गया क्वेस्चन तो...जब तक
अंकिता अपने रिजिस्टर में कुछ कर रही थी..
अंकित प्रोग्राम सॉल्व करता हुआ....बीच बीच में अपनी गर्दन उठा के अंकिता को देखने लगता..
अंकिता के बाल एक तरफ थे...उसने पेन को अपने लिप्स्स में दबा रखा था..एक तरफ के उसके वो
सुंदर शोल्डर दिख रहे थे स्लेवलेस्स ब्लाउस की वजह से...
उस वक़्त इतनी सुंदर लग रही थी..कि बस कोई भी उसपे मर मिटे..
अंकित अपने मन में..हाए...इतने सुंदर दृश्य को छोड़ के कोई कैसे ये क्वेस्चन सॉल्व कर सकता
है....और वो पेन छोड़ के बस सामने अंकिता को देखने लगता है...
तभी अंकिता अपनी नज़र उपर उठती है..और अंकित को ऐसे घूरता पति है..इधर अंकित घबराता नही है
बस उसे ही देखता रहता है...
अंकिता अपनी घड़ी दिखाते हुए जैसे बोल रही हो टाइम ख़तम हो गया है..अपना काम करो...
अंकित समझ जाता है..और वो मुस्कुराते हुए फिर से प्रोग्राम करने लगता है.....
इधर उसके साथ बैठा विकी अपने बाल नोच रहा था...अंकित ने उसे ऐसा करते देख लिया..फिर उसे कोनी
मारते हुए...
अंकित :- अबे परेशन क्यूँ है..ले यहाँ से कॉपी कर ले...मेरा हो गया....
विकी :- थॅंक्स यार...तू तो कसम से कमाल है..
अंकिता :- टाइम इस ओवर...
में सबकी की सीट पी आके चेक करूँगी....और जिसका नही हुआ होगा उसका तो 1 मार्क गया..
फिर वो बारी बारी से सबका आन्सर चेक करने लगती है..कुछ की तो बॅंड ही बज गयी कुछ ने थोड़ा
बहुत करा था इसलिए बच गये..
आख़िरी में बची अंकित और विकी की सीट जो उस रो की लास्ट सीट थी..
अंकिता :- दिखाओ....
फिर अंकित दिखाता है....
अंकिता :- ह्म्म गुड...लगता है पूरी क्लास में सिर्फ़ तुम्हे ही समझ आ रहा है...और किसी से नही हुआ
एक्सलेंट...
अंकित :- मॅम आप पढ़ाओ और ना आए..ऐसा तो हो नही सकता..
अंकिता अपनी आँखें साइड कर के उसे देखने लगती है...तभी उसकी नज़र अंकित के हाथ पे पड़ती है..
अंकिता :- ये क्या तुम्हारे हाथ में..कैसे लग गयी?
अंकित :- वू.व.व.ऊ.ओ.....मा..आ.म..का.एल..गिर...गया...था...उसी से लगी...
अंकिता :- ह्म्म्म्मम.......(और उसे घूर्ने लगती है)
विकी :- मॅम मेरा तो चेक कीजिए..
अंकिता :- (आगे जाते हुए) कोई ज़रूरत नही है..मुझे पता है तुम्हारा सही है...अंकित से जो कॉपी की
है...
इतना बोलती है..तो विकी की तो सुलग जाती है..लेकिन अंकित अपनी हँसी को नही रोक पाया.....वो ज़ोर
ज़ोर से हँसने लगा..
अंकित :- यार तेरा तो सॉलिड पोपट हुआ....
विकी सड़ा सा मूह बना के बैठ जाता है....
फिर क्लास ओवर हो जाती है.....और अंकिता जाते जाते..
अंकिता :- अंकित टीचर्स रूम में आना तुम..मुझे तुमसे कुछ पूछना है?
अंकित :- ओके मॅम...