पहली नज़र की प्यास complete

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rajababu
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Re: पहली नज़र की प्यास

Post by rajababu »

फोन उठाते ही बोली : "हाय ...गुड मॉर्निंग..कैसे हो तुम...''

कुणाल का दिल धड़कने लगा उसकी सैक्सी आवाज़ सुनकर, वो बोला : "गुड मॉर्निंग, मैं ठीक हूँ ...बस तुम्हारी याद आ रही थी...इसलिए सोचा...''

कुछ देर के लिए दोनो तरफ एक सुनसान सी खामोशी फैल गयी...

फिर वो बोली : "याद तो मुझे भी आ रही थी...सोई तो मैं भी नही कल रात से...पर ..अब इन बातो का क्या फायदा ...तुम तो..किसी और के हो चुके हो..''

कुणाल : "मुझे नही पता था की तुम मुझे ऐसे एकदम से मिल जाओगी...वरना...तुम्हारे सिवा आजतक मैने किसी और के बारे में नही सोचा...कल बताया तो था मैने ये सब..और तुम्हे पता है की मैं झूट नही बोलता...''

वो हंस दी और बोली : "मुझे पता है मेरे बुद्धू, मैं तो तुम्हारी टाँग खींच रही थी बस...पर सच कहुँ , मैं तुम्हे कभी भुला नही पाऊँगी ...पता है, कल तुम्हारे जाने के बाद एकदम से बारिश आ गयी थी...और..और मुझे वो हमारी...हमारी फर्स्ट किस्स ....याद आ रही थी..''

उस बेचारी को क्या पता था की कुणाल के पास तो उस बारिश में जुगाड़ भी था जिसका उसने बेख़ुबी फायदा उठाया था..

वो बोला : "हाँ ..याद है....और तुम्हे पता है की कल...कार में ही मैने...अपनी फियान्से के साथ भी किस्स किया....तुम्हारे बारे में सोचकर...''

उसने बात तो सच बताई थी पर आधी ही, उसके बाद जो हुआ वो उसे बताने का मतलब था आगे मिलने वाले मज़े को अभी से लात मारना..

निशु शरमा गयी : "धत्त ..तुम कितने बेशरम हो...अपनी फियान्से को किस्स भी करते हो और मुझे उसके बारे में भी बता रहे हो...ये भी नही सोच रहे की इसका मुझपर क्या असर पड़ेगा...''

कुणाल : "क्या असर पड़ रहा है तुमपर...क्या तुम्हे जलन हो रही है...''

निशु : "ना....नही...जलन तो तब होती जब तुम किस्स करते हुए भी उसके बारे में ही सोचते...तुम्हारे मन में कपट होता तो तुम ये बात मुझे बताते ही नही...मुझे तो खुशी हो रही है की तुम ...तुम मेरे बारे में सोचकर उसे किस्स कर रहे थे...''

कुणाल का अंदाज़ा सही निकला उसके बारे में ...
जितना वो अपनी निशु को जानता था उसके हिसाब से ही वो उसे इस तरह की बातें बता रहा था..
सैक्स या किस्स के बारे में उसके क्या विचार होते है ये तो वो नही जानता था पर जिस अंदाज से वो किश की बात पर शरमा रही थी उससे सॉफ जाहिर था की उसे इस तरह की बातें कितनी पसंद है..

इसलिए कुछ सोचकर वो बोला : "सुनो....मुझे तुम्हे किस्स करना है....''

निशु : "पागल हो गये हो क्या तुम...तुम्हारी मंगेतर क्या सोचेगी....मेरे घर पर मेरे पापा है, वो कैसे इस तरह से तुम्हे मेरे करीब आने देंगे...''

वो दूसरे बहाने गिनवा रही थी, अपनी तरफ से उसने मन नहीं किया, ये कुणाल के लिए बहुत था.

कुणाल : "मुझे कोई फ़र्क नही पड़ता उनसे...तुम अपने बारे में बताओ...क्या तुम मुझे किस्स करने के लिए तैयार हो..''

वो कुछ ना बोली

कुणाल : "पता है, कल भी जब तुम्हारे बारे में सोचकर मैं किस्स कर रहा था तो मुझे वही बारिश याद आ रही थी, तुम बारिश में भीगी मेरे सामने खड़ी थी, पूरी भीगी हुई सी...तुम्हारे नर्म होंठो का वो पहला टच मुझे आज भी याद है...''

दूसरी तरफ उसकी साँसे भारी सी हो गयी,
वो बोली : "ब..बस करो प्लीज़.....मुझे..मुझे कुछ हो रहा है...''

कुणाल समझ गया की यही मौका है, गर्म लोहे पर हथोड़ा मारने का , इसलिए वो और भी ज़्यादा गर्म आवाज़ में बोला : "मैं नही भूल सकता कामिनी....आई लव यू ...पुचssssssss.....पुचssssssss आई लव योउ सो मच....पुचssssssss पुचssssssss...''

और उसने अपने मोबाइल पर अपने होंठो की थूक लगा-लगाकर उसे पूरा गीला सा कर दिया..

दूसरी तरफ कामिनी भी बिफर सी गयी : "ओह्ह कुणाल....आई ऑल्सो लव यूssssssss ..... लव योउ सो मच कुणाल....पुचssssssss......पूपुचssssssss....आई नीड यूऊऊऊउ....बेड्ली....''

बस...
उसके बाद तो उन दोनो के बीच हर बात पर किस्स होनी शुरू हो गयी...
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rajababu
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Re: पहली नज़र की प्यास

Post by rajababu »

कुणाल ने उसे अपनी बातो के जाल में ऐसे उलझाया की उसने उसकी बात मानकर अपनी टी शर्ट और ब्रा भी उतार दी...और फोन पर ही सही, कुणाल ने उसके मोटे मम्मों पर ज़ोर-2 से किस्स करी...और उन सब बातो को सुन सुनकर अपने बेड पर आधी नंगी लेती हुई कामिनी ने अपनी चूत को तब तक मसला, जब तक वो झड़ नही गयी...

कुणाल ने भी अपना लंड बाहर निकाल लिया और अपने लंड को उसके मुँह में डालने की बातें करते हुए और उसकी कल्पना मात्र से ही वो भी झड़ता चला गया...

एक मासूम सी मोहब्बत अब वासना का रूप ले चुकी थी....
दोनो तरफ आग इतनी भड़क चुकी थी की इस वक़्त अगर वो दोनो एक दूसरे के सामने होते तो एक जबरदस्त चुदाई कर बैठते...

पर ऐसा होना अभी के लिए संभव नही था...

खासकर कामिनी के लिए, क्योंकि उसे अपने रीति रिवाजो और अपने पापा की आँखो की शर्म या डर का अच्छे से एहसास था...

पर कुणाल के लिए ऐसा कुछ नही था...
एक तो वो लड़का था उपर से उसे अपनी मंगेतर यानी कामिनी का साथ था, जो उनके मिलन का ज़रिया बनना चाहती थी...
पर अभी ये बात उसने निशु को नही बताई...
क्योंकि जो खेल आगे चलकर खेला जाने वाला था, उसमे मिलने वाला इनाम वो पहले से ही उजागर करके इस खेल का मज़ा नही बिगाड़ना चाहता था..

पर जल्द ही 'कुछ' करने का वादा करके उसने फोन रख दिया...

अपनी हालत देखकर उसे भी हँसी आ गयी,
अपने बिस्तर पर नंगे होकर उसने मूठ मारी थी आज,
जो आज से पहले कभी नही किया था...
ये साली लड़किया क्या-2 करवा देती है हम लड़को से...

नहा धोकर वो बाहर आया और नाश्ता करके कुछ देर टीवी देखा..
तब तक निशु और मोंम मार्केट से आ गये..
कुणाल ने कामिनी के साथ बैठकर शाम का प्रोग्राम बनाया और करीब 7 बजे वो दोनो तैयार होकर निकल गये..

आज निशु के पापा बड़ी बेसब्री से उनके आने का इंतजार कर रहे थे,
बड़े दिनों बाद उन्हे जुआ खेलने में मज़ा आ रहा था ,
आता भी क्यो नही, एक तो खेलने वाली सैक्सी लड़की थी उपर से वो जीत भी रहे थे,
ऐसे में मज़ा भला किसे नही आएगा..

कुणाल ने जब निशु को देखा तो उसकी नज़रों मे उसे एक प्यास नज़र आई, जो उसे ही बुझानी थी..



कामिनी ने आने से पहले ही कुणाल को समझा दिया था की बोर होने का बहाना बनाकर वो टीवी देखने के लिए अंदर वाले रूम मे चला जाए, और वहां जाकर जो कर सकता है वो करले, निशु के पापा को अगर शक हुआ या वो अंदर आने लगे तो वो उन्हे आगाह कर देगी या संभाल लेगी..

और आज तो कामिनी ने ऐसी सैक्सी ड्रेस पहनी जिसकी कुर्ती का गला काफ़ी गहरा था,
अंकल जी की नज़रें उसके मम्मों पर ही टिकी रह गयी जब वो झुक कर उनके सामने बैठी..



वो उनकी नज़रों को देखकर मन ही मन मुस्कुरा उठी..

पत्ते बाँटते हुए जब वो थोड़ी सी और झुकी तो अंकल जी की साँसे उसके कानो तक सुनाई देने लगी...
कामिनी को तो डर ही लगने लगा की कहीं ये बुड्ढा उसके मम्मे देखकर ही लुढ़क गया तो सारा खेल वही बिगड़ जाएगा, इसलिए उसे ये सब आराम-2 से ही करना था.

पहली बाजी जब शुरू हुई तो बूट का अमाउंट 50 रुपय रखा गया...
और कामिनी तो पहले से ही सोचकर आई थी की आज का दिन उसे हारना भी है और अंकल जी को अपने जाल में फँसाना भी है..

इसलिए अच्छे पत्ते आने के बावजूद वो पेक कर देती थी...
हालाँकि बीच-2 में उसने एक दो बाजियाँ दिखाने के लिए जीती भी थी पर ज़्यादातर वो हारी ही...
अगर अपने पास आए पत्तो के हिसाब से खेलती तो आज अंकल जी कंगाल हो जाने थे..

पर उसे तो अंकल को कंगाल नही करना था,
उसका मकसद तो कुछ और ही था..

कुणाल बड़ी बेसब्री से कामिनी के खेल को देख भी रहा था और उसकी अगली चाल का इंतजार भी कर रहा था...
इस बीच निशु ने उनके लिए चाय भी बनाई और कुछ स्नैक्स भी...

निशु के मन में भी आज फोन पर हुई बातों के बाद एक अजीब सी हलचल थी....
वो भी बड़ी आस भरी नज़रों से कुणाल को देख रही थी क्योंकि जब से उसने किस्स लेने की बात कही थी उसके मन में भी कुछ-2 हो रहा था..
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naik
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Re: पहली नज़र की प्यास

Post by naik »

बहुत अच्छी शुरुवात हे दोस्त
अपडेट देते रहिएगा बहुत मेहरबानी होगी आपकी
शुक्रिया आपका
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rajababu
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Re: पहली नज़र की प्यास

Post by rajababu »

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Re: पहली नज़र की प्यास

Post by rajababu »

कुणाल अपनी मंगेतर के होते हुए उसे किस्स करना चाहता है इस बात में उसे कुणाल का सच्चा प्यार ही दिखाई दे रहा था..

और वैसे भी, एक बात तो वो जान ही चुकी थी की अब वो कुणाल को अपने पति के रूप में पा नही सकेगी पर उसके साथ ये सब करके वो अपने पहले प्यार का हक ही जता रही थी उसपर
और पहले प्यार की जगह कोई नही ले सकता..

अगली गेम के बाद कामिनी ने अंकल से कहा : "अंकल जी, हम तो यहाँ मज़े से खेल रहे है पर ये दोनो को देखो, कैसे बोर से हो गये है अभी से...''

और फ़ि उसने कुणाल की तरफ देखा और बोली : "अगर आप बोर हो रहे है तो हम चले क्या...''

ये सुनते ही अंकल जी को जैसे जोश सा आ गया...
वो बोले : "अरे , अभी से कैसे चलो, खाना खाकर ही जाओगे आज तुम दोनो...और रही बात कुणाल की तो वो तब तक टीवी देख लेगा...निशु और कुणाल तो बचपन के साथ है, आपस मे टीवी देखते हुए बोर भी नही होंगे दोनो...''

फिर उन्होने खुद ही निशु को कुणाल के साथ अंदर के कमरे में जाने के लिए कहा...
और अपने पापा की बात सुनकर मंद-2 मुस्कुराती हुई निशु ने कुणाल को इशारा करके अंदर चलने का न्योता दिया..

अंदर जाते हुए कुणाल की नज़रें उसके हिलते हुए चूतड़ों पर थी...
उन्हे मसलने में कितना मज़ा आने वाला है ये तो वही जानता था...
और अगर उसे उसकी गांड मारने का मौका मिल गया तो वो अपना जीवन सफल मान लेगा कसम से..

उसकी गांड को देखते हुए वो चलता चला जा रहा था और उसे पता भी नही चला की वो अंदर पहुँच गये है और वो रुककर उसे बैठने को कह रही है..
कुणाल अपनी ही धुन्न में आगे चलता चला गया और सीधा निशु से आ टकराया और उसे लेता हुआ वो पीछे के सोफे पर जा गिरा...

एकदम फिल्मी सीन था वो...
निशु की पतली कमर के नीचे कुणाल का हाथ था और उसके मम्मों पर उसका चेहरा...
और गिरने के बाद दोनो ने कोशिश भी नही की उठने की,
हालाँकि निशु को उठ जाना चाहिए था क्योंकि बाहर उसके पिताजी बैठे थे,
ऐसे आवाज़े सुनकर वो अंदर आ सकते थे,
पर कुणाल का चेहरा इतने करीब देखकर और उसके बदन पर अपना जिस्म रगड़कर उसे कुछ होश ही नही रहा और उसकी आँखो में एक नशा सा उतरता चला गया...
जिसे कुणाल ने सॉफ महसूस किया और उसने पहल करते हुए मौके का फायदा उठाया और अपने होंठ उसके होंठो पर रख दिए...

''उम्म्म्ममममममममममममम....... ओह.... निखी.ल्ल्ल्ल्ल.... आई लव यूँ निखिल्ल....... आई लव योउ.....पुचssssssss''

निशु ने बेतहाशा तरीके से बुदबुदाते हुए उसे अपने उपर बिछा सा लिया और उसे अपने होंठो का मीठा रस पिलाने लगी..



आज करीब 15 साल हो चुके थे उस बात को पर आज भी उसके होंठो की मिठास वैसी ही थी जैसे पहली बार में किस्स करने पर..

कुणाल ने तो उसके होंठो को ऐसे-2 तरीक़ो से चूसा की उसका बुरा हाल हो गया,
इतनी बुरी तरह से भी कोई स्मूच कर सकता है ये निशु ने आज ही जाना..
पर वो भला उसे क्यो रोकती ,
मज़ा तो उसे ही आ रहा था ना ये सब करवाने में ..

करीब 5 मिनट तक एक दूसरे को चूसने के बाद दोनो अलग हुए और निशु ने अपना हुलिया ठीक किया...
वो बाहर की तरफ आई और उसने अपने पिताजी और कामिनी को खेलते हुए देखा तब वो निश्चिंत हुई...
ऐसे छुप कर प्यार का खेल खेलने में उसे सच में काफ़ी मज़ा आ रहा था..

वो वापिस आई और कुणाल की गोद में जाकर बैठ गयी और अपनी बाहें उसके गले में डाल कर उससे लिपट गयी.



इसी बीच बाहर तीन पत्ती का खेल खेलती कामिनी ने अपनी गेम स्टार्ट कर दी...

वो अचानक अपनी पीठ पर खुजली करने लगी और हड़बड़ा कर चिल्लाने भी लगी..

''हहाय ..उफफफ्फ़.....ओह अंकल जी....देखना ज़रा...लगता है कोई कीड़ा घुस गया अंदर....''

इतना कहते हुए वो अंकल के करीब जा बैठी...

कामिनी की कुरती का गला आगे से जितना गहरा था, उससे भी ज़्यादा गहराई उसके पीछे की तरफ थी.

उसकी मखमली और गोरी पीठ को देखकर अंकल जी अपनी ही दुनिया में खो गये..



वो छटपटाने का नाटक करती हुई बोली : "करो ना अंकल ...पीछे देखो , है कोई कीड़ा....''

बेचारे अंकल की हवा टाइट हो गयी...
अपनी बेटी की उम्र की लड़की को इतने पास से देखने के बाद उनके बूढ़े लंड में फिर से जान आ रही थी.

वो बोले : "नही...कुछ दिखाई तो नही दे रहा....''

कामिनी : "अंदर देखो ना....''

अंकल जी की रूह काँप गयी ये सुनते ही पर फिर भी हिम्मत करके उन्होने काँपते हुए हाथ उसकी कुरती में डाल दिए...

कामिनी की मखमली पीठ का स्पर्श पाकर उनका लंड तन कर पूरा खड़ा हो गया..

उनका हाथ अंदर जाता चला गया और उसके ब्रा स्ट्रेप से जा टकराया...

कामिनी : "हाँ हाँ ...यहीं पर है कुछ...प्लीज़ ब्रा को खोल दो...शायद उसी की वजह से हो रही है खुजली...''

कामिनी के मुँह ब्रा शब्द सुनकर अंकल जी की साँसे और तेज हो गयी
और जब उसे खोलने के लिए कहा गया तो उनकी मरने जैसी हालत हो गयी....
वो भी उपर मुँह करके शायद भगवान से यही कह रहे थे की ऐसी उम्र में ये कैसे झटके दे रहो हो भगवन..
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