Incest जिंदगी के रंग अपनों के संग

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rangila
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Re: Incest जिंदगी के रंग अपनों के संग

Post by rangila »

में-देख तूने अगर उन लड़कियों की हेल्प की तो जाहिर सी बात है वो भी तेरी फ्रेंड् बन जाएगी और निशा के साथ डेट तेरी तो लॉटरी निकल पड़ी.

रवि-और अगर कहीं पासा उल्टा पड़ गया तो.

में-तो तू रुक में जाता हूँ.

रवि-तू रहने दे में ही जा रहा हूँ.

फिर रवि उन के पास चला गया और उन लड़को से बात करने लगा और उस ने तो कमाल ही कर दिया उन लड़को को पता नही क्या
बोला वो सभी लड़के उन लड़कियो से माफी माँगते हुए वहाँ से चले गये.\

निशा-मुझे बिलिव नही हो रहा ये सब हुआ कैसे.

में-मुझे क्या पता मुझे तो लगा था कि एक दो खा के वापस आएगा तब में हीरो की तरह एंट्री करूगा पर यहाँ तो उल्टा हो गया.

रवि उन दोनों लड़कियों को ले के हमारी टेबल पे आ गया.

रवि-गर्ल्स इन से मिलो ये है मेरा दोस्त अजय और ये है निशा.अजय ये है सिमरन और आरती.

सिमरन-हाँ हम जानते है हम ने वीडियो देखी थी इन की .

में-देखा में किसी सुपरस्टार की तरह फेमस हूँ.

रवि-बेटा अगर उस दिन में भी होता तो आज में भी फेमस होता.

निशा-हेलो फ्रेंड्स .

रवि-तो निशा कब फ्री है आप.

निशा-अभी तो मेरा शेड्यूल काफ़ी टाइट है नेक्स्ट ईयर देखते है.

मेरी तो हसी निकल गयी और में अपना पेट पकड़ के वही हँसने लगा .

सिमरन-किसी ने कोई जोक मारा क्या जो आप इतना हंस रहे है.क्यूँ कि मुझे हसी नही आ रही है.

में-नही किसी का यहाँ पे कचरा हो गया अभी अभी.

रवि-तू अपना मूह बंद कर नही तो में तेरा मूह तोड़ दूँगा समझा.

आरती-आप लोग कुछ लेंगे में अपने लिए स्नेक लेने जा रही हूँ.

में-हाँ में भी चलता हूँ आपको हेल्प मिल जाएगी आप सब के लिए अकेले नही ला पाएगी.

निशा-कोई ज़रूरत नही है में और सिमरन जाते है हेल्प के लिए तुम यही बैठो.

में-जैसी आप की मर्ज़ी.वो सब वहाँ से उठ के चल गये और अब वहाँ पे सिर्फ़ में और रवि ही थे.

में-तो भाई तूने उन सब को ऐसा क्या कह दिया कि वो सब इतना डर गये.

रवि-छोड़ ना वो ज़रूरी नही है .

में-देख सीधे तरह बता नही तो.

रवि-मैने उन को बस इतना ही बोला कि अभी कुछ दिन पहले जो कॉलेज साइट पे वीडियो था वो मेरे फ्रेंड् का था जो वहाँ उस टेबल पे बैठा है.

में-यानी कि तूने मुझे गुंडा बना दिया.

रवि-नही बस खुद को पिटने से बचा लिया बस.

में-मेरे साथ रहते हुए स्मार्ट हो गया है.

रवि-क्या फ़ायदा यार निशा ने तो साफ मना कर दिया .

में-मेरे पास एक आइडिया है जिस से तुम दोनों को काफ़ी टाइम मिल जाएगा .

रवि-बता ना यार फिर देर क्यूँ कर रहा है.
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rangila
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Re: Incest जिंदगी के रंग अपनों के संग

Post by rangila »

में-मेरे पास एक आइडिया है जिस से तुम दोनों को काफ़ी टाइम मिल जाएगा .

रवि-बता ना यार फिर देर क्यूँ कर रहा है.

में-पहले ये बता कि मेरा क्या फ़ायदा होगा उस से.

रवि-तू जो भी बोले मुझे मंज़ूर है.

में-ठीक है फिर पूरे इस सेमिस्टर तू मेरे सभी असाइनमेंट तू पूरे करेगा .

रवि-ये कुछ ज़्यादा नही हो गया.

में-सोच ले मुझे कोई जल्दी नही है.

रवि-ठीक है तू भी तो कभी फसेगा मेरे चुंगल में तब बताता हूँ तुझे.

में-तो सुन कल में और गुड़िया और उसके कुछ फ्रेंड् जा रहे है घूमने के लिए कम से कम 3से 4 दिन का प्लान है तो में निशा को भी साथ
ले लेता हूँ और तू भी चल तुझे पूरा टाइम मिलेगा उसके साथ बस तू अपना जादू चला दिओ उस पे.

रवि-आइडिया तो अच्छा है पर क्या वो चलेगी.

में-तू उस की टेन्षन ना ले वो मेरा काम है उस को मनाने का तू रेडी है तो बोल.

में-में तो डबल रेडी हूँ.

तब तक वो सब भी आ गयी और हम ने ऐसे ही बात चीत करते हुए अपने स्नॅक ख़तम किए और अपने अपने लेक्चर अटेंड किए.

घर जाते हुए भी निशा मुझे कुछ बोलना चाह रही थी पर मैने उस को बोलने नही दिया क्यूँ कि में कोई रिस्क नही लेना चाहता था रवि को इसके पीछे लगाने का एक कारण ये भी था की इससे निशा का ध्यान मुझसे हट के कही और जाए .

में पार्किंग से अपनी बाइक निकाल रहा था कि किसी की गाड़ी फुल स्पीड में मेरे बिल्कुल पास से निकली और में अपनी बाइक के साथ
गिर पड़ा गाड़ी कुछ आगे जा के रुकी और उस में से प्रिया (दोस्तो ये कॉलेज वाली प्रिया है) निकली और हँसने लगी.

प्रिया-तुम्हारी औकात ही ये है अब पड़े रहो ज़मीन पर.

में-सही कहा प्रिया मेरी तो औकात ये ही है पर मुझे लगता है कि जो ज़मीन से जुड़े होते है आगे भी वो ही जाते है.

प्रिया-वो भी देख लेंगे .

में-क्या ऐसा कोई दिन आएगा जब में आप की ये बदसूरत से शकल देखे बिना भी अपने घर जा सकता हूँ.

प्रिया-क्या कहा तुम ने में तुम्हे जिंदा नही छोड़ने वाली.

तभी निशा आ गयी और उस ने प्रिया को पकड़ लिया मामले को बिगड़ता हुआ देख मैने दोनों को आलग किया और प्रिया को वापस भेज दिया जाते हुए भी प्रिया हम को देख लेने की धमकी देते हुए गयी.

में-यार निशा तुम्हारा ऐसा रूप तो मैने पहलीी बार देखा है कमाल है तुम तो बहुत ही ख़तरनाक हो यार अगर में टाइम पे नही आता तो तुम तो उसे जान से ही मार देती.

निशा-तुम ने समझ क्या रखा है अपने आपको कोई भी आता है और तुम को कुछ भी बोल के चला जाता है और तुम उसे कुछ नही
बोलते ऐसा क्यूँ तुम ऐसे क्यूँ हो.

में-क्यू कि में यहाँ पढ़ने आया हूँ और ये सब तो चलता रहता है .छोड़ो ये सब अपना मूड ठीक करो प्ल्ज़.

निशा-पर वो .

में-कुछ भी जस्ट रिलॅक्स बिल्कुल भी टेन्षन मत लो बस शांत रहो सब ठीक हो जाएगा.

निशा-ओके ठीक है.

में-अब ये बताओ कि तुम यहाँ क्या कर रही हो.

निशा-वो मेरी गाड़ी खराब हो गयी है तो क्या तुम मुझे घर छोड़ दोगे प्ल्ज़.

में-ओके चलो बैठो और मैं उस को उसके घर छोड़ने के लिए घर चला गया जहाँ कि एक नया ड्रामा मेरा इंतज़ार कर रहा था ……….
badlraj
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Re: Incest जिंदगी के रंग अपनों के संग

Post by badlraj »

Nice......
😤
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rangila
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Re: Incest जिंदगी के रंग अपनों के संग

Post by rangila »

घर पे पहुँच के में मॉम को ढूँढने लगा मॉम अपनी आदत के अनुसार किचन में ही मिली.

में-मॉम घर पे इतने नोकर होने के बावजूद आप मुझे हमेंशा किचन में ही क्यूँ मिलती है.

मॉम-इंडियनमाँ हूँ ना इसलिए हमेंशा अपने बच्चो और अपने परिवार को अपने हाथ से बना खाना खिलाना पसंद करती हूँ जिस वजह से तुझे में हमेंशा किचन में मिलती हूँ .और है ही क्या करने के लिए मेरे लिए बाकी सारा काम तो नोकर कर ही देते है अगर ये भी नोकर कर लेंगे तो में पागल हो जाउन्गी.

में-ओके मैने पूछ के ही ग़लती कर दी चलो आप से मुझे कुछ बात करनी है गुड़िया आ गयी स्कूल से .

मॉम-नही ड्राइवर ने फोन किया था कि वो रानी के घर जा रही है किसी काम से बस कुछ देर में आती ही होगी.

में-गुड और आज कोई आने वाला है क्या .

मॉम-नही तो तुझे ऐसा क्यूँ लग रहा है.

में-नही वो गुड़िया बता रही थी कि अमृता दी आ रही है उस को ले जाने के लिए.

मॉम-ओह हाँ में तुझे बताना भूल गयी अमृता इसे जब भी इसकी छुट्टियाँ पड़ती है तो अपने साथ ले जाती है तो कल से इसकी एक वीक
की छुट्टियाँ है तो वो उस को ले जाने के लिए आ रही है.

में-पर मॉम गुड़िया को उन के साथ रहना पसंद नही.

मॉम-मुझे पता है.

में-फिर आप उसे क्यूँ जाने देती हो.

मॉम-क्यूँ कि उसके लिए अमृता ही ठीक है नही तो मेरी कोई बात मानती ही कहाँ है वो पहले बस पूरे दिन भर अपने रूम में पड़ी रहती थी ना किसी से बात करना ना कुछ और इसको देख के ऐसा लगता था कि ये लड़की बस जिंदगी को किसी सज़ा की तरह काट रही है
तब अमृता ने इसे संभाला कुछ प्यार से और कुछ डाँट से .

में-समझ गया मुझे लगा ही था ओके पर अब में आ गया हूँ ना अब से में उस का पूरा ध्यान रखुगा आप टेन्षन ना लें.

मॉम-मुझे पता है .

में-मॉम वो में सोच रहा था कि कही एक हॉलिडे पे गुड़िया को कही की सैर करा लाऊ .

मॉम-ये तो अच्छी बात है .

में-तो मॉम आप ने मुझे पार्मिशन दे दी.

मॉम-इसमें पार्मिशन की क्या ज़रूरत है.

में-क्यूँ नही है आपके बच्चे है हम आपको पता होना चाहिए कि हम कहाँ है क्या कर रहे है आप का हक़ बनता है .

मॉम-सच में मैं तुझ जैसा बेटा पा के धन्य हो गयी .तेरी मामी ने सच में तुझे बहुत ही अच्छी परवरिश दी है शायद में भी इतनी अच्छी परवरिश नही दे सकती थी.

में-अब आप ये सब ले के मत बैठ जाना प्ल्ज़.में जैसा भी हूँ बस आप लोगो के प्यार और आशीर्वाद की वजह से हूँ अब मुझे बहुत भूक लगी है कुछ खाने को मिल जाता तो मज़ा ही आ जाता.

मॉम-चुप कर नौटंकीबाज तू बैठ में अभी लाती हूँ आज मैने तेरी पसंद के छोले चावल बनाए है तुझे पसंद है ना.

में-बहुत पसंद है जल्दी ले के आइए और प्ल्ज़ थोड़े ज़्यादा लाईएगा.
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