ammi

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deen10
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Re: ammi

Post by deen10 »

होअय ऊपर नीचे होरही थी मैं उन्हें कस क बाहों में झाकर लिया और उन क होंटो का रस पीने लग प्र क मोठे मम्मी मेरी छाती में जैसे धंस गए हो हाथ पीछे ले जाते होअय अम्मी क मोठे चुतरों को थामे उन की लूँ क ऊपर नीचे होने में हेल्प करने लग प्र चेहरे को मैं फिर चूम्मीओं से भर गीला कर दिया पागलो जैसे अब थोड़ा तेज़ी से ऊपर नीचे होरही थी और मुझे चूमि जा रही थी ५ मं हे गुज़रे होंगे क अम्मी की साँसे भरी होने लग पारी मुझे फील होने लग प्र क अम्मी से यूँ अपना हेवी बदन उठे ऊपर नीचे उछलते फुद्दी मरवाना आसान काम नै बी लगी रेस्ट हो चुकी थी तो मैं प्यार से कूदती अम्मी क प्यारे से फेस पे हाथ फेरा फिर उन क ऊपर नीचे होने साथ फुटबॉल की तेह ुचलत्व मम्मो को बी ग्रिफ्ट में लिया और दबाते होअय बोलै अम्मी थक गयी न बास उछलती रही जैसे अपना डैम खम्म दिखा रही हो मैं अम्मी क होंठों पे हल्का किश करते होअय उन् की आँखों में देख क बोलै बास करे अम्मी तो अम्मी बी थोड़ा मुस्कराते धीरे धीरे रुक गयी क साँसे नार्मल होते देख मैं उन क फेस को अपने हाथ से साफ़ किया और प्यार से सहलाते होअय बोलै अम्मी मुझे ज़ोर से पाकर ले समझ गयी क मैं क्या करने जा रहा हूँ अम्मी को बाहों में ज़ोर से झाकरे उन क मोठे हिप्पस उठाये हाथो में एक डैम से सोफे से उठ खरा होआ और सीधा खरा होगया थोड़ा नखरा किया पहले जैसे क मैं गिर जाना और मेरे साथ चिपक सी गयी टाँगे मेरी कमर क गिर्द लपेट मेरे गले में बाहें दाल ली पोरे अमल क दौरान मेरा लूँ फुद्दी क अंदर हे रहा सन ये था क उस तरय रूम क बीच ो बीच मैं अपनी प्यारी अम्मी क भरी जिस्म को बाहों में उठाये खरा था और लूँ उनकी फुद्दी में पनाह लिए होअय था जैसे से पाकर कर उन्हें उठाये रखना ब्रा मुश्किल था क्यों उनकी लोअर बॉडी ला वज़न काफी था तो मैं उन क मोठे चुतरों को दोनों हाथो से थामे होअय था और उन्हों ने अपनी बाहें मेरे गले में डाली होइ थी और मिर्रोर्स हे मिर्रोर्स थे इवन क दूर की बैक साइड बी अंदर की तरफ मिरर था जिस की वजह से लाइट पोरे तरय रूम में रिफ्लेक्ट होने की वजह से बुहत रौशनी थी और शीस में जब अम्मी की नज़र पारी और उन्हों ने खुद क भरी जिस्म को यूँ अपने बेटे क जवान बाज़ुओ में झाकराय और झूलते देखा तो एक तरफ जहाँ उन् क चेहरे पे शर्म से स्माइल आगयी वही दूसरी और अंदर हे अंदर उन् की आँखों में मुझे देख प्यार बी उभरा और मेरे चेहरे पे अपना नरम हाथ एक फेरती होइ मेरे आँखों में देखते होअय बोली पुत्र सुछ मुछ तुझे खुद को यूँ सौंप कर अंदर से ख़ुशी होती जान है तुज में चल अब जल्दी झूला झूला अपनी इस माँ को अपने इस मसल पे चढ़ाये जो रखा है अम्मी की बातों से और गर्म होगया और आगे चेहरा कर उन्हें चूमने लग प्र क मोटे मम्मी मेरी चाहती पे किसी बैलून जैसे प्रेस होरहे थे और मुझे में एक न्य वलवला सा जगह रहे थे अपने पैर ज़मीन पे सही से जमाये और अम्मी क चुतरों को पाकर थोड़ा ऊपर को किया इतना क लूँ की टोपी नस अंदर रहे और अपने हिप्पस जुड़ फुल ज़ोर से ऊपर को एक धक्का दे मर और साथ हे अम्मी की एक मज़ेदार चीख निकल पारी मैं मसर गयी putr,holiiiiiiiiiiiiii,ab तो जैसे मैं पागल सा होगया थस किसी दीवाने जैसे अम्मी क मोठे चुतरों को पकड़े खुद्द धक्के लगाई जा रहा था पूरी जान से और अम्मी का पूरा बदन क्या हर अंग मज़े से हिल रहा था साथ उन क मोठे मम्मी मेरी छाती साथ रैगर कहते जब तो उन् क निप्पल्स का करक एहसास प् कर मैं किसी और हे दुनिआ में पोहंच चूका था और ऊपर से सोहने पे सुहागे जैसे काम उन क रसीले मोठे होंठ कर रहे थे जो क मेरे होंठों की ग्रिफ्ट में थे और हम दोनों माँ बेटे एक दूसरे को मज़े से चूमि जा रहे थे और जहाँ बी हम्म बेटे की नज़र पार्टी तो शीशे में हम दोनों क नंगे जिस्मो का संगम देख हम दोनों में हे मस्ती की धुन स्वर होजाती धक्के क साथ अम्मी क मोठे फैले होअय चुतरों में जो लरज़ से पैदा होती उफ्फ्फ उन् क हिलते चुतर ठप्प्प ठप्प की आवाज़ गूंजती हसीं मंज़र सिदो की मिर्रोर्स से देख मेरा जोश दुगना होजाता और मैं पूरी मेह्नत्त और ज़ोर से लगा था अम्मी की फुद्दी की ठुकाई करने मं बी नै गुज़रे होंगे क मुझे लगने लग प्र क अब टाइम क़रीब आज्ञा है और मैं अम्मी को बाहों में उठाये आराम से नीचे सोफे पे लिटाया एयर टाँगे उठा कर उनकी कस कस कर छोड़ने लग प्र क करारे धक्के लगाए हे थे क मेरे ज़ेहन में एक एयर फंतासी आगयी और मैं अम्मी की फुद्दी से एक डैम से लूँ निकल सीधा खरा होगया और अम्मी को ऊपर उठा कर उन्हें लूँ मौन में लेने का इशारा किया एक डैम क लिए थोड़ा जिजकी पर फिर मेरी ज़िद्द पे अपने मोठे राईले होंठ खोल मेरे लूँ की कैप क गिर्द रख लिए और इस एहसास से मेरी टाँगे जैसे कंपनी लग पारी मने अम्मी ने ३ बरी हे लूँ मौन में इन आउट कर लूँ को जार से अपने हाथो से पकड़े चूसा होगा क मेरे मौन से एक लम्बी ाः निकली और अम्म्मम्म्म्मीईई कह क मेरे लूँ ने पिचकारियां मरना शुरू कर दी जो सीधे अम्मी की हलक़ में जा टकराई में मैं अम्मी का सर पाकर लूँ की और दबाये दिया जिस से मेरा लूँ तक़रीबन सारा हे अम्मी क मौन में चला गया और अम्मी मुझे आंखें पहरे देख रही थी और पीछे करने की नाकाम कोशिश कर रही थी पर बे सूद पोरे ४० सेकण्ड्स तक पानी चोर्ने क बाद मेरे हाथो की ग्रिफ्ट थोड़ी ढीली पारी ने बी मुझे धकेला पर तब तक्क अम्मी काफी ज़्यादा पानी निगल चुकी थी शायद फर्स्ट एक्सपीरियंस था इतने पनो साथ इसी लिए ऐसे कर रही थी थोड़ा खांसी और अपनी सांसें बहाल करते होअय मेरी और देखने लग पारी और मुझे आँखे बंद की हफ्ते देख वो बी थोड़ा शांत होगयी मौन पे लगे कुछ आखरी ड्रॉप्स को साफ़ कर वो बी पीछे सोफे पे बेथ गयी वही साइड पे देवर क साथ पीठ लगाए बेथ गया और कुछ देर बाद अम्मी मुझे कपड़े पहनती दिखी तो मैं बी मुस्कराते होअय उठ खरा होआ और यूनिफार्म पहन'ने लग प्र बी अब थोड़ा खिली खिली सी नज़र आ रही थी उन् की सीक्रेट फंतासी जो पूरी कर दी में थोड़ा दर मुझे बी लगा था क परसई जगह पे अपनी माँ को इतनी बेदर्दी से छोड़ना ब्रा रिस्क है इस में पर फिर अम्मी की ख़ुशी क लिए मैं बी बेखोफ होगया दोनों माँ बेटे जब हुलिया ठीक कर बाहिर निकले तो लड़की बेचारी हमे हैरानी से देखने लग पारी ने उस से काफी स्टफ खरीदा तब और कुछ एक्स्ट्रा पैसे और दिए और उसे सेमि शॉक चोर हम दोनों मॉल से बाहिर आगये कोई और नै था आया उस टाइम शॉप पे वर्ण पक्का आवाज़ें सुन लेता आज का एक्सपीरियंस कमल का था चुप क रिस्क में छोड़ने का अपना हे मज़ा है...अम्मी को बाइक पे बिठाया और अम्मी मेरी कमर में हाथ डाले पूरा साथ जुड़ कर बेथ गयी और हम दोनों माँ बेटे घर की और चल परे...
deen10
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Re: ammi

Post by deen10 »

reders yaha se do bhiyao aur unki ammi ki story hogi.....
हम दोनों भाई घर की और चल दिए...आज मन का काफी बूझ हल्का हो चूका था को अम्मी बारे सब बता कर और उन् से जान कर ख़ुशी हो रही थी क ात लीस्ट ये लुका छुपी और एक दूसरे क आगे शर्मिंदा होने से बचे गए...दोनों भाई जब घर पोहंचे और दूर बेल्ल बजायी तो अम्मी ने गेट खोला और हम दोनों को साथ देख एक पल क लिए वो शॉकेड रह गयी फिर हमें अंदर आने का बोल साइड होगयी दोनों भाई बातें करते अंदर आये और अपने अपने रूम में चले गए फ्रेश होने...थोड़ी देर बाद जब मैं फ्रेश होकर एक अकेले ट्रॉउज़र में अपने वाशरूम से बाहिर निकला तो सामने अम्मी को खरा पाया...अम्मी अपनी कमर पे हाथ रखे दोनों थोड़ा सीरियस दिख रही थी ने एक खुला काळा रंग का मोटा सूट पहना होआ था और उस क ऊपर एक शाल ओढ़ी होइ थी को अपनी जानिब घोरता देख मैं मुस्कराया और अम्मी की सवालियां नज़रों को पढ़ मैं आगे बढ़ा और अम्मी क बिक्लुल पास खरा होगा और उनकी और स्माइल साथ देखते होअय उन क दोनों हाथ कमर से चुरवा कर अपने हाथों में लिए और उन्हें आराम से बीएड पर बिठाया और बिना उन क कुछ बोले मैं बोल पढ़ा क अम्मी मैं जनता आप क्या पोछना छह रही...अम्मी भाई और मेरे बीच अब कुछ बी ढाका छुपा नै रहा दोनों आप से बृहत्त प्यार करते हैं और आपकी इज़्ज़त पर आंच तक्क नै आने देंगे यूँ लुका चुफि से सब करने का कोई फायदा नै...आप परेशां न हो सब नार्मल है अब बी खुश हैं हमारे बारे में जान कर...अम्मी मेरी बातें हैरानी से सुन थोड़ा धीमे लहजे में नीचे सर कर बोली अहमद ने तुझे सब बता दिया अली उनका फेस अपने हाथों में थाम ऊपर कर बोलै अम्मी उन्हों ने मुझे सब बता दिया है और मैं बी ये जान कर खुश होआ क आप को इतने सालो से भाई अकेले खुशियां हर लेहाज़ से दे रहे थे पर अब आप क दोनों बेटे आप की झोली खुशिओं से भर दें गए...अम्मी मेरी बात सुन थोड़ा शर्मायी और मुझे हल्का सा थप्पड़ कंधे पे मरते बोली अली तुम दोनों ने तो मेरी जान हे निकल दी थी से सब सोच सोच सर पहात रहा था क पता नै तुम दोनों भाई एक दूसरे साथ कैसे पेश आओ गए...अम्मी थोड़ा रिलैक्स होते थोड़े कॉन्फिडेंस साथ बोली चलो ाचा होआ सब ठीक होगया अब चल उठ कपड़े पहन नीचे आजा मिलकर डिनर करते है...इतना बोल अम्मी बीएड से उठी और जाने लगी तो मैं उनका हाथ पाकर लिया जिस पर उन्हों ने चेहरा घुमा बरी ऐडा साथ अपनी उसी मग़रूर हसीं जैसी ऐडा साथ बोलै अली चोरो बी बीटा अभी अहमद नीचे है...उन्हें हाथ से थोड़ा ज़ोर से अपनी और खींचा जिस से वो एक दम्म से मेरे सीने आ लगी और उनका हैवी बदन मेरी बाहों में की आग़ोश में आज्ञा और हम दोनों माँ बेटे की नज़रे एक दूसरे साथ मिली ऊपर से नंगा हे था तो अम्मी अपने एक हाथ मेरी नंगी चोरी छाती पे रख थोड़ा शर्मायी और नीचे नज़रे झुकाये बोली अली चोरो बी न बोलै अम्मी आप तो ऐसे कुंवारी लडकियो जैसे शर्मा रही बोली मुझे सोच सोच शर्म आ रही क तुम दोनों भइओ को एक दूसरे बारे पता चल गया और इतना कहते हे अम्मी का चेहरे और लाल होगया शर्म से...ज़ाहिर सी बात थी क अम्मी जैसी खातून क लिए ये जान लेना कोई आसान बात नै थी क उस क दोनों सघे बेटे आपिस में ये जानते दोनों अपनी सही माँ को छोड़ते हैं...अम्मी क मोठे मम्मी मेरी नंगी छाती साथ रैगर खा रहे थे और मैं दोनों हाथ पीछे लेजाकर अम्मी की बाहिर को निकली मोती गांड क चुतरों पर रख दिए और उन्हें थोड़ा ज़ोर से मसलने लग प्र...जिस पर अम्मी की बी एक सिसकी निकली...अम्मी क लरज़ते मोठे रसीले होंटो को अपने होंठों क क़रीब प् कर और अम्मी की गर्म साँसों को अपने चेहरे पे फील करते होअय मैं अम्मी क होंटो पर अपने होंठ रख दिए और उन्हें चूमने लग प्र...अम्मी बी मेरा पूरा साथ दे रही थी अम्मी क चुतरों को मसलते होअय अम्मी क होंठों का रस पिए जा रहा था ५ मं हम दोनों माँ बीटा पागलो जैसे एक दूसरे को किसिंग करते रहे अम्मी की ज़ुबान अपने मौन में दाल मैं चूसने लग परता और कभी अम्मी मेरी ज़ुबान को जैसे किसिंग करते होअय हमें कुछ हे देर होइ होगी क तभी मेरे सेल बजा और हम दोनों माँ बेटे को कुछ होश आयी और अम्मी एक दम्म से मेरे से पीछे हटी और लम्बी लम्बी सांसें लेते होअय अपने होंठों को साफ़ करने लग पारी बी लम्बी साँसे ले खुद की सांसें संभाली और साइड पे परे सेल को उठाया तो देखा एपीआई रज़िया की कॉल थी कॉल उठाने से पहले अम्मी को इशारा किया क वो यही रुके पर अम्मी एक नटखट स्माइल साथ मुझे अनघोटा दिखते ना में इशारे करते जल्दी से रूम से बाहिर निकल हाई हँसते होअय की ऐडा से ट्रॉउज़र क अंडे मेरे तम्बू बने लूँ ने एक झटका मारा और अम्मी क जाते होये हिलते चुतरों को देखने लग प्र जब नज़रों क सामने से ग़ायब होइ तो मैं कॉल उठायी कर क मैं एपीआई का हाल पोछा तो एपीआई एक दम्म से मुझे ग़ुस्से से बोली मेरे हाल की इतनी हे फ़िक्र होती तू एक बरी मिलने तो आ जाता कोई कॉल न कोई मश्ग जैसे भूल हे गया है...एपीआई का हिला सुन मैं मुस्कराते होअय बोलै एपीआई मेरी जान कॉलेज में बिजी था बास अभी तो शाम होगयी है सुबह कॉलेज क बाद पक्का आप क हाँ आऊँगा आगे से बोली क कलललल आज की रात कैसे गुज़री गीई....एपीआई क कहने का मतलब मैं समझ चूका था फिर बी मैं प्यार से बोलै क एपीआई आज की रात थोड़ा कण्ट्रोल कर लें कल पक्का आपका भाई आपकी ख़िदमतत्तत(ज़ोर देते होअय) हाज़िर होजाये गए...एपीआई मेरी बात सुन कर और थोड़ा हंसी और बोली ाचा ठीक है कल ठीक १२ बजे आजाना क्यों क ढाई बजे क बाद अरूबा आजाती स्कूल से ओके बोल फ़ोन रोह दिया और एक लम्बी सांस लेते होअय मैं एक टी शर्ट फुल बाज़ू वाली पहनी और नीचे डिनर क लिए चला गया डाइनिंग टेबल पे भाई पहले से बैठे मेरा हे वेट कर रहे थे और अम्मी किचन से खाना ला कर टेबल पे रख रही थी और भाई एक दूसरे क सामने बैठे थे...टेबल पे ६ कुर्सियों की जगह थी बीच में और दो सिदो में की एक कुर्सी क बिलकुल साथ वाली दोनों चेयर्स पर हम दोनों भाई आमने सामने बैठे थे खाना और पानी रख हम से दूर चेयर पर बैठने लगी तो मैं बोलै अम्मी यहाँ आ कर बैठे न मेरी बात सुन एक पल क लिए मुझे घुरा फिर हम
deen10
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Re: ammi

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दोनों भाई क साथ वाली साइड सिंगल चेयर पर बेथ गयी सन कुछ ये था क अम्मी मेरी राइट हैंड पे थी और भाई क लेफ्ट बीच १ फ़ीट का फैसला होगा एक दूसरे क पास थे काफी और कोई बी नै था बोल रहा...अम्मी अचे से कवर उप थी शलवार कमीज में और दोपट्टा बी सही से ओढ़ा होआ था अम्मी हम दोनों को खाना दाल कर देने लग पारी और हम तीनों चुप चाप खाना खाने लग परे...तभी अहमद भाई ने आखिर ख़ामोशी टोरी और अम्मी की और मुखातिब होते बोले अम्मी ने कब आना है छुट्टी पे का नाम सुनते अम्मी ने एक डैम से अहमद भाई की और देखा और बोली कह तो रहे थे जल्दी आजाऊंगा तेरी छुटियाँ ख़त्म होने से पहले अब देखो कब आते है...हम तीनों में अभी बी हिचकचाहट काफी थी तभी इधर उधर की बातों में लगे थे...मैं थोड़ी हिम्मत कर टेबल नीचे से अपना एक नंगा पाऊँ अम्मी की अपने साइड वाले पाऊँ पे रखा तो अम्मी क मौन में जाता निवाला एक दम्म से रुक गया और उन्हों ने मेरी और सवालियां नज़रों से देखा उनसे नज़रे चुराए मुस्कराते होअय खाना खाने लग प्र और साथ हे अपने पाऊँ क अंघूठे साथ अम्मी की शलवार की स्लीव को ऊपर करने लग प्र जिस से अम्मी की नंगी तंग पे मेरा पाऊँ लगने लग प्र तो जैसे एक दम्म से बेचैन से होगयी और मेरी और अब थोड़ा ग़ुस्से से देखने लग पारी...मैं थोड़ा तंग करने क मूड में था और मुझे पता नै अजीब सा मज़ा बी आ रहा था अम्मी को चरने का भाई की मजूदगी में...अम्मी शर्म क मरे एक दम्म से अपनी चेयर से उठ खरी होइ और बोली मैं ज़रा किचन में पानी भूल गयी दोनों खाओ मैं ज़रा लती हूँ पानी...भाई मेरी और सवालियां नज़रों से एक्सप्रेशंस दिए जैसे पॉच रहे हो क्या होआ मैं न में सर हिला दिया...भाई खाना ख़त्म कर लिया तो बोले तू खा मैं ज़रा पानी पी लू अम्मी अभी तक्क लायी नै बोल भाई किचन की और चल दिए की बातों से मैं सब समझ गया था क भाई किचन में क्यों गए हैं अपनी चेयर से एक डैम से उठ नंगे पाऊँ हे जल्दी से किचन क दूर की साइड पे जा खरा होआ और अंदर का नज़ारा देखने लग प्र...अंदर अम्मी पानी वाली टोटी से खरे खरे बॉटल्स भर रही थी और उनका चेहरा दूसरी और था खरे होते होअय उन की मोती फैली होइ गांड बाहिर को निकल ऐसे जैसे ललचा रही हो...भाई धीरे से पीछे से अम्मी से जा लगे और अम्मी एक दम्म से 'ालिई ये क्या बेहूदगी है बी तू..."इतना बोलते बोलते अम्मी ने जूनही गर्दन घुमा कर पीछे देखा और भाई अहमद को देख एक पल क लिए शॉक रह गयी क वो समझ ताहि थी टेबल वाली हरकत बाद मैं हे आ सकता उन क पीछे किचन में तभी उन्हों ने भाई को मुझे सब मेरा नाम ले लिया...भाई मुस्कराते होअय बोले अम्मी मैं हूँ अली बाहिर अभी खाना खा रहा है इतना कहते हे वो पीछे से अम्मी क चुतरों को सहलाने लग परे अपने दोनों हाथों साथ...अम्मी पहले तो थोड़ा शर्मिंदा होइ भाई सामने मेरा नाम पुकारने की वजह से फिर थोड़ा रेसिस्ट करते होअय भाई को पीछे हटने का कहा और बोली पुत्र्र अली बहार बैठा अगर उस ने देख लिया तो...भाई आगे से बोले अम्मी देख लेगा तो कोनसा पहर टूट पर्ण है सब जनता है वो...अम्मी बोली फिर बी पुत्र्र यूँ शर्म आती है तू पीछे हैट जा दोबारा मनाने की तरय की पर अम्मी थोड़ा सख्ती साथ उन्हें मना करते होअय बोली मेरी बात नै सुनाई दे रही तुझे पहले अम्मी से ब्रा डरते थे तो वो किसी भीगी बिल्ली जैसे मौन बना कर अम्मी की बैक से हैट गए...मैं जल्दी से अपनी जगह पे वापिस आ बैठा और भाई को मौन बनता देख आते देखने लगा बिना कुछ बोले ऊपर अपने रूम की और चल दिए...मुझे बरी हंसी आयी क भाई आज बी अम्मी से इतना डरते है हमारी है हे ऐसी थी सख्त सी सी और बला की खूबसूरत...मैं खाना फिनिश कर सब बर्तन टेबल से उठा कर एक एक कर क किचन में रखे मुझे काम करता देख थोड़ी हैरान सी होइ फिर खाने वाले बर्तन वाश बेसिन में दाल तरफ को होकर चूल्हा जलाया और एक बर्तन में दूध निकल उसे गरम करने क लिए चूल्हे पे रख दिया सब क बीच मैं बाहिर टेबल से सारे बर्तन बरी बरी ले आया और जब आखरी बर्तन बी ला कर बेसिन में रखे तो अपने सामने इतने क़रीब अम्मी क भरी जिस्म को देख और साथ मोठे चुतर गांड क देख मेरा मैं मचलने लग प्र...कल दोपहर से मैं चुदाई नै की थी वजह से लूँ कुछ ज़्यादा हे फूल रहा था अम्मी की गदरायी जवानी देख कर...अम्मी अब तक्क मेरे से कोई बात नै की थी भाई वाली बात जो अभी थोड़ी देर पहली होइ थी उस पे मूड ऑफ कर रखा था...मैं सोचा अम्मी का मूड ज़रा ठीक किया जाये और मेरे ज़ेहन में इंस्टैंटली एक मज़ेदार तरकीब आयी...मैं बैक से अम्मी क थोड़े क़रीब जाते उन्हें पुकारा अम्मीईईई पीछे मुर क बोली क्या है बीटा साथ हे बोलै प्र क अम्मी यूँ साद सा मौन बनाये बिलकुल अछि नै लगती क्या बात है...अम्मी बोली कुछ नै तू जा तुम दोनों क लिए मैं दूध गरम कर लू बोलै अम्मी भाई तो चले गए एक डैम से बोली कहाँ चला ह्या वो...मैं बोलै पता नै अम्मी चुप कर बाहिर को निकल गए कहीं शायद आप कुछ कहा उसे...अम्मी मेरी बात सुन बोली उफ्फ्फ एक तो आज कल बच्चे बी न सा दांत क्या दिया इस वक़्त बाहिर चला गया...मैं बोलै अम्मी आप परेशां न हो भाई आजाये गए थोड़ी देर तक्क बोल मैं अम्मी क बिलकुल पास जा खरा होगया और उनका मासूम सा चेहरा अपने दोनों हाथों में थाम बोलै अम्मी आप हंसती होइ हे अछि लगती और अपनी उँगलियों से उन क होंटो पे स्माइल से बनाई...अम्मॉ बरी घोर से मुझे सीरियस तरीके से देख रही थी की साँसे थोड़ी भरी और हैवी फील होने लग पारी जब हम दोनों माँ बेटे का ऑय कांटेक्ट होआ गर्म साँसों साथ मुझे देखि जा रही थी अम्मी एक दम्म से मुस्करा दी और प्यार से मेरे चेहरे पे अपना नरम हाथ फेर बोली पुत्र सब समझ जाता है न मेरा अब जा मैं ज़रा दूध देख लू और इतना कर दूसरी और चूल्हे की तरफ मुर गयी और चूल्हे पे रोहे दूध को देखने लग पारी से उन क चेहरे की हंसी साफ झलक रही थी वैसे हे पीछे अम्मी क खरा उन्हें घर रहा था...तभी अम्मी बरी ऐडा साथ पीछे गर्दन घुमाये बोली पुत्र तू अभी तक्क यही खरा है नै...मैं कुछ नै बोलै अम्मी को नोटिस करने लग प्र बैक से बोली अहमद कब तक आएगा अम्मी की बात समझते बोलै अम्मी एक दो घंटे तक्क शायद आजाये भाई...अम्मी हम्म्म्म बरी ऐडा से बोलै और साथ हे दूध में चमच्च हिलाते होअय अपनी मोती गांड पीछे को थोड़ी कर हिलने लग पारी तो अम्मी की हरकत पे एक दम्म से जोश में आज्ञा क पहले की निस्बात्त अब अम्मी अपनी गांड कुछ ज़्यादा हे हिला रही थी जिस से मेरे पाजामे में तम्बू सा बानी जा रहा था अम्मी की हरकतों से...अम्मी जब देखा क मैं कोई क़दम उठाने की बजाए बास उन्हें देखि जा रहा हूँ एक सुन होअय अम्मी ने चूल्हा थोड़ा हल्का किया और सामने किचन की स्लैब को पकड़े बग़ैर पीछे देख अपनी टाँगे थोड़ी खोल सी दी...अम्मी साफ़ साफ़ इशारा दे रही थी क्यों क उन्हें लग रहा था क भाई नै है घर तो छोटे साथ मज़े कर लू उन्हों ने बी कल से चुदाई नै करवाई थी तू ऑब्वियस्ली उनका बी दिल कहीं न कहीं कर रहा था...अम्मी को अपने भरी वजूद साथ यूँ टाँगे थोड़ी खोल गांड थोड़ी और बाहिर को निकले देख मेरे लूँ ने पाजामे में एक झटका मारा...अम्मी अब बरी ऐडा साथ अपने मोठे चुतरर हिला रही थी थी और सीधे सीधे मुझे इनविटेशन सा दे रही थी क पुत्र आजा और चार जा अपनी माँ पर...मैं एक हाथ पाजामे क ऊपर से लूँ को सवहलय और सामने का नज़ारा देखने लग प्र...अम्मी एक काला सूट पहना होआ था स्वेटर बी ओरा होआ था जो थी...मैं अपने प्लान मुताबिक़ जेब से सेल निकला और भाई को मश्ग किया जल्दी से क ५ मं बाद नीचे आराम से आना नंगे पाऊँ चुपके से और सेल साइलेंट पे लगा कर ट्रॉउज़र में रखा...अम्मी अभी बी बेसब्री से बिना पीछे मौन किये अपनी गांड को हिला रही थी पहले से बी कुछ ज़्यादा उन्हों ने जब देखा क पुत्र्र तो अभी बी नै मायल होरहा उन की तरफ तो उन्हों ने अपना आखरी पेंटर चलाया और सामने की किचन की स्लैब क नीचे बने रैंक्स(खानो) में से एक रैंक का दूर खोलने क लिए थोड़ा और झुक सी गयी कह लें पूरा बेंड हे होगयी पेरो बल जैसी हैवी खातून क लिए यूँ अपने बदन साथ पूरा झुकना आसान नै था...अम्मी क झुकने से उनकी मोती फैली होइ गांड और बी फैल गयी और क़यामतट ख़ेज़ मंज़र पेश करने लग पारी...इतनी बरी गांड क चुतरों को देख मैं बी कण्ट्रोल खोने लग प्र अम्मी अब राइट लेफ्ट बरी ऐडा साथ अपने दोनों चुतरों को हिलाया तो एक थरथराहट से पैदा होहाई अम्मी क चुतरों में...कपड़ो क ऊपर से बी अम्मी की गांड सुछ में विशाल (बुहत बरी) लग
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Re: ammi

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रही थी से मज़ीद कण्ट्रोल करना न मुमकिन होरहा था क्यों मेरे सामने मेरी सही माँ अपनी साड़ी शर्म ो हेय साइड कर अपनी बरी गांड हिला हिला कर मुझे इनविटेशन दे रही थी क आजा पुत्र चर्र जा अपनी माँ पे...अहमद भाई क न होने का जान कर अम्मी का ये रूप सामने आया था वर्ण अम्मी हमेशा कंज़रवेद हे रहती थी नोर्मल्ली अहमद भाई क होते...कल से चुदाई न होने की वजह से अम्मी बी पूरा दिन प्यासी रही थी आज इसी वजह से अब शायद वो ऐसे बेहवे कर रही थी...मेरे लिए तो ये मंज़र किसी लाटरी से कम् नै था क मेरा सामने अम्मी की मोती गांड फैली होइ हिल रही थी और मुझे अपनी और खींच रही थी...मेरे सब्र का बंधन बी टूट गया और मैं पागलो जैसे आगे होकर अम्मी की मोठे गांड पीछे जा लगा ज़ोर से लगने का ये नतीजा निकला क अम्मी क सामने जो रैंक खुला होआ था उस में काफी कपड़े काट कर तेह कर क रखे होअय थे जिन से अम्मी बर्तन खुश्क करती थी शार्ट वो पूरा रैंक उन कपड़ो से भरा प्र था...मैं जब एक डैम से अम्मी की मोती गांड पीछे जा लगा तो अम्मी से बैलेंस संभाला न गया अपना और उन का सर उस रैंक में जा घुसा था उस में कपड़े थे जिस की वजह से सर उन कपड़ो पे जा लगा वर्ण रैंक खली होता तो चोट बी लग सकती थी क सर क लिए उन कपड़ो ने बटोर तक्किय काम किया...मेरे साथ लगने से अम्मी की एक आअह्ह्ह्ह निकली पर वो बोली कुछ नै क क्यों मेरा सर रैंक में दाल दिया...एक डैम से अम्मी का से रैंक में घुसने से मैं पोछा अम्मी ठीक है न आप तो अम्मी की मुस्कराती आवाज़ आयी हाँ पुत्र्र तेरी माँ ठीक है बास जल्दी से अपनी इस माँ क अंदर की आग भुजा दे अब मेरे से नै रहा जा सकता से प्यासी हूँ मैं...अम्मी आज पोरे वाइल्ड रूप में थी...मैं उन्हें कहा क अम्मी पाऊँ क बल की बजाए आप घुटनो क बल झुक जाये आगे से सर बाहिर निकलने की नाकाम कोशिश करते होअय बोली पुत्र्र मेरा सर लगता फँस सा गया है खुदी कुछ कर...अम्मी की बात सुन कर बजाए इस क क मैं उनका सर निकलने में हेल्प करता मैं अम्मी की गांड साथ लगा रहा और अपने लूँ को ट्रॉउज़र क अंदर से हे अम्मी की मोती नरम गांड पे घिसने लग प्र...सन कुछ यूँ था क किचन की रैंक में अम्मी का सर थोड़ा फँस सा गया था निकलने क लिए उन्हें पीछे होना पर्ण था जो मैं होने नै दे रहा था क्यों क अम्मी की गांड साथ पीछे से तो मैं साथ लगा लूँ घिस रहा था नीचे फर्श पे अब घुटनो क बल घोरी बानी होइ था और उन्हों ने अपने हाथ नीचे फर्श पे लगाए होआ थे और तरय कर रही थी क किसी तरह सर बाहिर निकल जाये रैंक से पर ऐसा हो नै था रहा फिर से बोली पुत्र यहाँ से तो निकाल पहले बोलै अम्मी रहने दे न कुछ देर सांस तो सही से आ रही है तो क्या मसला इस पोज़ में बी मज़े करते है... अम्मी बोली पर पुतररर उन्हें बीच में हे चुप करते बोलै अम्मी मेरे लिए प्ल्ज़ बास थोड़ी देर आगे से कुछ न बोली मीन्स उनकी हाँ थी...अम्मी अगर चाहती तो अपनी मोती से थोड़ा ज़ोर पीछे को लगा मुझे पीछे करती और खुद अपना सर रैंक क अंदर से निकल लेती पर अम्मी का बी अंदर से पूरा मैं था तभी वो हिल जल बी नै थी रही अब...अम्मी की मोती गांड को देख मेरा ग मछली जा रहा था और अब कण्ट्रोल करना ब्रा मुश्किल होरहा था वैसे हे थोड़ा झुका कर अम्मी की गांड से कमीज उनकी ऊपर कमर की और की और उनकी शलवार की इलास्टिक में उँगलियाँ दाल शलवार को मोठे चुतरों से नीचे उतरने लग प्र उतर मैं घुटनो तक्क नीचे को लार दी दोनों सिदो से और साथ हे एक काले रंग की पंतय जो अम्मी पहनी थी उसे बी उतर घुटनो तक कर दिया इस क अम्मी की शलवार उन क पेरो से निकलता मैं शलवार को उतारत्व होअय गुछू मुचू कर पंतय साथ अम्मी क घुटनो नीचे रख दिया जिस से ये फायदा होआ क अम्मी क फर्श पे झुकाये होअय घुटनों को बी एक नरम सी सपोर्ट मिल गयी...अम्मी क हैवी चुतर जब नंगे होअय उफ़ उनका सफ़ेद रंग और नरम मॉस देख मेरे लूँ में जोश बढ़ने लगा में मैं अम्मी की कमीज जो कमर तक की थी वो बी ज़ोर से ऊपर गले की और मज़ीद करना चाही तो एक chirrrrrrrrrrr की आवाज़ साथ कमीज सिदो से पहात गयी और बारे आराम से अम्मी क कंधो तक्क आगयी बैक पे काले रंग क ब्रा की स्ट्राप नज़र आयी जिसे मैं ने खोल दिए जिस से अम्मी क मोठे मम्मी बी लगे होगये की बिलकुल शफाफ सुडोल बल कहती कमर को नंगा देख मैं उसे एक बरी चूम सा लिया नीचे होकर जूनही खुली तो वो नीचे रखे अम्मी क हाथों तक्क आगयी जिसे अम्मी ने साइड फ़ेंक दिया अम्मी पूरी नंगी झुकी घोरी बानी होइ थी और उन का सर अभी तक रैंक अंदर था और बाक़ी सारा जिस्म बाहिर था गले की और ऊपर कन्धों तक्क कर दी होइ थी को पूरा नंगा कर मैं पीछे होकर खरा होआ और जल्दी से अपनी शर्ट और ट्रॉउज़र उतर दूर फ़ेंक दिया और फुल नंगा होगया लूँ फुल जोश में खरा था बिलकुल किसी रोड जैसे की बैक पीछे खरे जूनही मेरी नज़र नीचे फर्श पे घोरी बानी अम्मी क नंगे जिस्म पे पारी तो उफ्फ्फ एक नशे की लहर पूरी बॉडी में डोर पारी...अम्मी की ५२ इनचेस की मोती हैवी फैली होइ गांड किसी पहर क जैसे ऊपर को होने क साथ बाहिर को निकली होइ थी जिसे देख मेरे तो मौन में पानी सा आज्ञा ख़ेज़ मंज़र था वो सूचि आम बन्दे क लिए जान लेवा था कमज़ोर दिल का बाँदा ये मंज़र देखता तो उसे दिल का डोरा बी पर सकता रहा शॉक से क औरतट की गांड इतनी खूबसूरत और फैली होइ बी हो सकती है की गांड झुकने से और ज़्यादा फैली होइ नज़र आ रही थी और गांड क मोठे चुट्र्र आपिस में सख्ती साथ जुड़े होअय थे अम्मी क चुतरों में हे खरा खरा खोया होआ था क तभी अम्मी की डब्बी डब्बी सी रैंक क अंदर किये मौन से आवाज़ आयी क पुतरररर जल्दीई कर अब नै रहा जा रहा कहीं न आजाये...अम्मी क मौन से साफ़ साफ़ इनविटेशन सुन मैं ने बी देर करना मुनासिब न समझा और अपने खरे लूँ साथ आगे बार अम्मी की मोती बाहिर को निकली गांड को दोनों हाथों में थम पेरो क बल हे ऊपर झुक सा गया ने अम्मी की गांड क मोठे चुत्रो को साइड कर पहिलाये तो मुझे अम्मी क दोनों सूराख नज़र आये का सूराख तो फुल टाइट था ऐसे जैसे कभी किसी ने इस क अंदर ऊँगली तक्क न डाली हो मेरा बी किया क एक बरी फिर अम्मी की मस्त टाइट गांड में दालु लूँ पर फिर सोचा ये सही वक़्त नै है नीचे देखा तो अम्मी की फुद्दी क बंद लिप्स नज़र आये शफाफ बी बाल नै था फुद्दी पे दूधिया रंग में अम्मी की फुद्दी कमल की लग रही थी खसियतत थी अम्मी की फुद्दी में क एक तो साइज छोटा नार्मल से और दोसरा ये क फुद्दी क लिप्स बंद हे नज़र आते ऐसे जैसे किसी ने पहले छोड़ा हे न हो तो वारे न्यारे हो रहे थे एक हाथ बढ़ा कर अम्मी की फुद्दी लो टच किया तो अम्मी की एक डैम से सिसकी निकल पारी की फुद्दी बिलकुल मुलायम किसी मखन्न जैसे और थोड़ी गीली बी थी झलक रहा था क अम्मी की फुद्दी बी लूँ मांग रही थी...मैं ने अपने मोठे लूँ को एक हथबमे पाकर कर अम्मी क चुतरों क बीच से ले जाते होअय सीधा अम्मी की फुद्दी पे लगाया और थोड़ा रब किया तो अम्मी की तो ाःह हे निकल गयी और नशीले अंदाज़ में अम्मी की आवाज़ मेरी कानो में गुंजी क पुत्र घिस मैट घुसा दाल अपना मोटा लूँ अपनी अम्मी की फुद्दी में...मैं लूँ की कैप को अम्मी की फुद्दी क लिप्स बीच होल पे रखा और अम्मी क हैवी चुतरों को पाकर आओ देखा न ताओ और एक लम्बी सांस खींच पूरी ताक़त साथ एक कस्सस क ज़ोरदार धक्का दे मारा लूँ अम्मी की फुद्दी की देवरों को चीरता होआ एन्ड तक्क सीधे जा अम्मी की बच्चे दानी पे जा टकराया की एक ज़ोरदार चीख पोरे घर में गुंजी aahhhhhhhhhhhhhhhhhhhhhhhhhhhhhh putrrrrrrrrrrr मार सुट्ट्याए मेंऊऊऊ मेरेया रब्बबाआ मेरीए फुदडीईईई पार dittti,aahhhhhhhhhhhhhhhhhhhhhhhhhhhhhh....ammi की दर्दनाक चीखों की परवा किये बग़ैर मैं ने अपना लूँ बाहिर की और खींचा तो लूँ फुद्दी की अंदरूनी स्किन साथ रैगर खता बाहिर सिरे तक्क आया तो मैं फिर से एक कस्सस क धक्का दे मारा बेचारी फिर से chilayiii,ayyyyyyyyyyyyyyyyyyyyye मैंनं मर्डरर गईइइइइइ मेरे khudyaaaaa,putrrrrrrrrrr holiiiiiiiiiiiiiii, हैईईई मैं नै बछडीइइइइइइ अज्ज्ज्ज पागलो जैसे चुदाई क नशे में पता नै क्या कुछ बोल चिलायी जा रही थी और मैं अम्मी क मोठे चुतरों को मज़बूती से थामे कस कस क धक्के लगाई जा रहा था से अम्मी का पूरा बदन हिल रहा तह बात का पूरा ख्याल रख रहा था क धक्के क ज़ोर की वजह से अम्मी का सर आगे को रैंक क अंदर न लगे कहीं खातिर मैं मज़बूती से हिप्पस को थमा होआ था और अम्मी की फुद्दी में अपना मोटा लम्बा लूँ घुसाई जा रहा था हर धक्के के साथ
deen10
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Re: ammi

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मेरी थिएस अम्मी क मोठे चुतरों साथ टकराती तो एक थपप्पपपपपपप थपप्पपपपप की आवाज़ पैदा होती पेरो क पंजू क बल था इस लिए मेरा लूँ पीछे से आगे नै बल क थोड़ा ऊपर से नीचे की और अम्मी की फुद्दी में ड्रिलिंग कर रहा था लूँ एक ल हे झटके में अंदर दाल अगले हे पल निकल लेता और वीथिन सेकंड फिर से अंदर घुसा देता की फुद्दी की तिघनेसस फील कर अंदर से मैं तो मस्त होगया था और लूँ पागलो जैसे किसी सांड जैसे घुसाई जा रहा था और ये बी नै देख रहा था क नीचे झुकी औरतट जो दर्दनाक चीखें निकल रही है वो मेरी सही माँ है जो मुझे इस दुनिआ में लेन का सबब्ब बानी थी और आज उसी माँ की उसी जगह को जहाँ से मैं कभी आया था मैं जानवरों जैसे अपना मोटा लम्बा लूँ डाले छोड़ी का रहा था...सुछ में अम्मी की फुद्दी का जवाब नै था लूँ पूरी गहरायी में जा रहा था और हर बरी अम्मी की बच्चेदानी को छु कर वापिस आ रहा था वही बच्चे दानी थी जिस में ९ माह मैं कभी रहा था और आज उसी क दरवाज़े पर अपने लूँ साथ बार बार दस्तकक दे रहा था...अम्मी लगातार चिलए जा रही थी क पुतररररररर रेहम्म्म्म कररररर कुछहहहहह अपनीईई माआ पे हैएएइ मैं मररररर गईइइइइइ हॉलीइइइइइइ पुतरररररर...मैं तो अम्मी की मोती गांड में खोया मज़बूती से हिप्पस थामे धक्के लगाई जा रहा था...सुछ में मैं अम्मी क हुस्न का देवना होगया होआ था तभी तो सुध बुध खोये पागलो जैसे अम्मी की फुद्दी को छोड़ी जा रहा था...पता नै शायद किसी और को फील न हो जो अपनी माँ को छोड़ते हैं पर मुझे ये अंदर से सकूं वाली और एक अजीब से मज़े वाली फीलिंग्स आ रही थी तब क मैं अपनी सही माँ को छोड़ रहा हूँ में चुदाई का सुना हे था बास क ब्रा मज़ा आता है जब किसी ऐसी औरत को चोदे जो रिश्ते में कुछ लगती हो ऐसी औरतट जिस क साथ रिश्ता दुनिआ जहाँ क सब रिश्तों से बेहतर और आला मुक़ाम रखता है उस औरतट को छोड़ने में जो नशा और सुरूर नसीब होता है उस का इस दुनिआ में कोई मुतबादळ नै...अम्मी की चीखों क साथ साथ इस एहसास साथ जीना क नीचे झुकी औरत मेरी माँ है जो मेरे ज़ोरदार धक्कों को सेह रही उफ्फ्फफ्फ्फ़ सोच कर हे इतना मज़ा है तो कोई सोचे जब रियल में कोई छोड़ रहा होता है अपनी हे माँ को तब कैसा एहसास होता होगा...जस्ट इमेजिन!!!!!!!!! लकी गाइस इस एहसास को समझ रहे होंगे जिसे मैं लफ़्ज़ों में बयान करना छह रहा... मैं अम्मी को वैसे हे किचन रैंक में सर घुसाए उनको घोरी बनाये उनकी मोती गांड ल चुतरों को पाकर उनकी फुद्दी में तेज़ धक्के लहई जा रहा था फूल रैगर साथ अंदर जाता और फुद्दी क लिप्स बी अंदर को होजाते लूँ बाहिर खींचता तब जो तिघटनेस और घीलेपनं फील होता उस का तो कोई जवाब हे नै था...कोई ५ मिनट्स हो चुके थे मुझे अम्मी की मोती गांड को थामे उनकी टाइट फुद्दी पे केहर बरसते अपने धक्को का में बी मेरे माथे से पसीने की बूंदे नमूदार होना शुरू होगयी थी की बल कहती कमर पे बी पसीने की कुछ बूंदे मेरी गिरी और साथ उन का अपना पसीना तो बारे दिलकश सा मंज़र था बल कहती अम्मी की सुडोल कमर और नीचे को उन क भरी चुतर जिन को मज़बूती से झाकराय मैं पूरी ईमानदारी साथ ढके लगाई जा रहा था...पोरे किचन में ठप्प थप्प्प्प पचक्क्क्क पच्चक्क्क की आवाज़ें गूंज रही थी की फुद्दी क पानी की वजह से पच्चक्क्क पच्चक्क्क की आवाज़ें बी आ रही थी और पूरी रदम में किसी साउंड ट्रैक क म्यूजिक की तरह पोरे किचन में गूंज रही थी...तभी मुझे लगा जैसे मेरे पीछे किचन क दूर पे कोई है एक दम्म से बिना धक्के रोके गर्दन घुमा कर देखा तो वो अहमद भाई थे जो हैरानी से हम दोनों माँ बेटे को देख रहे थे ऊँगली क इशारे से उन्हें चुप्प रहने का कहा तभी उन्हों ने मुझे रैंक क ऊपर की और इशारा किया ऊपर देखा तो चूल्हे पे रखा दूध बॉईल कर रहा था किसी तरह आगे होकर चूल्हा ऑफ किया और फिर से अम्मी की फुद्दी मरने लग प्र ललचाती नज़रों से मुझे अम्मी को छोड़ते देख रहे थे उन क लिए बी ये पहला मौक़ा था देखने का हम दोनों माँ बेटे को आँखों की चमक साफ़ बता रही थी क उनको बी हसरत होरही थी क काश मैं अली की जगह अभी अम्मी की रेल बना रहा होता भाई अपने पे हाथ फेर रहे थे...अभी थोड़ी देर पहले अम्मी ने उन खरे लूँ पे जो धोका दिया था और उन्हें दांत का भगा सा दिया था उसी क असर की वजह से भाई क दिल में बी अरमान झाग रहे थे...मेरा मैं तो नै था एक पल क लिए न पर दिल पर पथरर रख मैं भाई को आखिर इशारा कर हे दिया क भाई आजाओ चुप्प कर क अंदर पहले तो समझे नै फिर जब दोबारा इशारा किया तो समझ गए और ख़ुशी से मुस्कराते जल्दी से किचन क दूर पर हे नंगे होगये...उनका लूँ फूल खरा जोश मर रहा था का लूँ मेरे से लम्बाई और मोटाई दोनों में काम था पर एक नार्मल इंसान क साइज से ब्रा हे था...मेरे मैं में बास यही था तब क भाई मुझ से इतना प्यार करते है और इतना भरोसा कर सब कुछ मेरे साथ शेयर कर लिया और मैं उन क लिए कुछ देर क लिए अम्मी की फुद्दी उन्हें छोड़ने बी नै दे सकता...भाई बिलकुल मेरे पास आकर खरे होगये की चीखें अभी बी जारी थी क aaahhhhhhhhhhhh पुतरररररररर थोरा होलिई मार अपनी माँ दी फुड्दिई हयईईईई रब्बबा पुत्र थोड़ा ते रेहम कर आह्ह्ह्हह्ह्ह्ह ाआईईईई धीरे...मैं जब देखा क भाई फुल मूड में और पोजीशन में है मैं एक दम्म से एक कस क धक्का अम्मी की फुद्दी में दे मारा और अगले हे पल लूँ फुद्दी से बाहिर निकल लिया क साइज बराबर अम्मी क फुद्दी का होल नज़र आया जो आहिस्ता आहिस्ता बंद होने हे वाला था क मैं एक दम्म उठा अम्मी क पीछे से साइड को होगया और जल्दी से भाई को अपनी जगज पे पोजीशन दिला दी...ये पोजीशन बारे से बारे इम्तेहानात(एक्साम्स) में ली गयी टॉप पोसिशन्स से बी कई गुना बार कर और वैल्युएबल पोजीशन थी और ऐसी पोजीशन क लिए सही मनो में हर जवान लड़का खुवाईश कर रहा होता है अपनी ज़िन्दगी की उस स्टेज पे पोहंच कर जब वो १६ साल का होता है और एक एकलौती औरतट जिस क वो सपने देख रहा होता है वो उस की माँ होती है....और आज उसी छह क साथ भाई ने फोरन से पोजीशन संभाल अम्मी क मोठे चुतरों को थाम किसी माहिर खिलाड़ी की तरह लूँ को बिना हाथ लगाए अम्मी की फुद्दी क बंद होते होल पे रखा और एक कस क धक्का दे मारा और अम्मी फिर से चिलाना शुरू दर्द और मज़े साथ...भाई बी पोरे जोश साथ अम्मी की फुद्दी मरे जा रहे थे और अम्मी को ज़रा एहसास नै होआ क ये लूँ उन क दूसरे बेटे का है...मैं दोनों नंगे जिस्मों क मिलाप क पीछे खरे खरे देख रहा था और साइड पे राखी एक पानी की बोतल से पानी पिया बीच अम्मी लगातार चिलए जा रही थी पर अब थोड़ा मज़ा ज़्यादा था उनकी चीखों में...कोई ५ से ७ मिनट्स मज़ीद गुज़रे होंगे क मैं भाई अहमद को इशारा किया क अब मेरी बरी...अम्मी को पहली बरी अपनी नज़रों सामने फुद्दी मरवाते मुझे बी ब्रा जोश चरा होआ था तो भाई जुन्जी उठे मैं फ़ौरन से दोबारा अम्मी की फुद्दी का मोर्चा संभाल लिया और डीएनए दान अम्मी की फुद्दी को छोड़ी जा रहा था से क्या लाजवाब मज़ा आ रहा था तब क सामने अम्मी को छोड़ने का अपना हे मज़ा था...यूँ बरी बरी अम्मी को छोड़ते पाना घंटा हो चूका था और अब अम्मी थकना शुरू होगयी थी तोर पर उन क घुटने आगे में इतने हैवी बदन साथ फर्श पे इतनी देर झुकी रहना और ज़ोरदार धक्के सहना बरी बात थी अम्मी की...अम्मी अब रेहम की भीक सी मांग रही थी क पुत्र्र मेरे घुटने अब चलने लायक नै रहना दे अब अपना मसल मेरी फुद्दी से...अम्मी की दर्द भरी आवाज़ को फील कर मुझे आखिर एहसास आ हे गया क जो बी है ात थे एन्ड वो हमारी माँ है...मैं भाई को इशारा किया आप जाओ अब अपने उतरे कपड़े पाकर जल्दी से किचन से बाहिर चले गए...मैं ने बी अपना लूँ अम्मी की फुद्दी से निकला और अम्मी की रैंक से सर निकलने में हेल्प की तो अम्मी का सर जब निकला तो उनका चेहरा लाल होचुका था बी काफी और अम्मी जूनही उठने की तरय करने लगी तो उनकी की दर्द भरी आआअह्ह्ह्हह्हह निकली और वो एक डैम से सीधे जे फर्श पे लेत गयी...मैं एक दम्म से अम्मी क पास बेथ नीचे अम्मी क चेहरे की और बढ़ा और उनको बंद आँखें देख थोड़ा परेशां होते अम्मी क गाल सहलाता बोलै अम्मीय क्याआ होआ ठीक है न...अम्मी लम्बे लम्बे सांस ले रही थी और उन क हैवी मम्मी बी ऊपर नीचे होरहे थे...कुछ पल बाद मेरे बार बार कहने पे अम्मी ने आँखे खोल मेरी और देखा और एक चमाट हलकी से मेरी गाल पे मर बोली अली पुत्र आज तो टुन्ने हद्द कर दी छोड़ा जैसे मुज्जे चलने फिरने क लायक हे नै चूर्ण...मैं प्यार से थोड़ा मुस्कराया और
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