कामुक कलियों की प्यास compleet
- jay
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Re: कामुक कलियों की प्यास
सचिन- ये लो अशोक लगा लो घूँट और चोद दो साली को यही है वो मस्त रंडी, जिसके कारण हमारे लौड़े तन्ना रहे हैं।
अशोक- हाँ आज मैं इसकी चूत और गाण्ड का मज़ा लूँगा।
सचिन- हाँ भाई मैं भी इसकी जवानी के मज़े लूँगा। चलो इसे ऊपर ले चलते हैं।
ये दोनों रचना को उठाने ही वाले थे कि शरद बाहर आ गया।
शरद- तुम दोनों पागल हो गए हो क्या… कहाँ ले जा रहे हो इसे….!
अशोक- मैं आज इसको चोद कर इसका काम लगा दूँगा।
शरद समझ गया कि दोनों नशे में चूर हो रहे हैं। अब इनको प्यार से ही समझाना होगा।
शरद- मेरी बात मानो, तुम ऊपर चलो मैं तुम्हें सब समझाता हूँ। ये उठ गई तो सब गड़बड़ हो जायेंगी।
अशोक- नहीं शरद, तुमने तो इन्हें चोद कर मज़ा ले लिया और हमें अब तक बताया भी नहीं कि सिमी के साथ हुआ क्या था? लगता है तुम्हारा मन बदल गया है..!
शरद- प्लीज़ धीरे बोलो…. मैं सब बताता हूँ ओके… चलो इसको रूम में सुला दो। ऊपर चलो…. पक्का सब बताता हूँ भाई प्लीज़…!
अशोक मान जाता है, तब शरद और सचिन रचना को वापस रूम में बेड पर सुला देते हैं और बाहर से डोर लॉक करके ऊपर के रूम में चले जाते हैं। जहाँ शरद अब गुस्सा हो जाता है।
शरद- तुम दोनों नशे में पागल हो गए हो, अगर मेरी आँख नहीं खुलती तो मेरा पूरा प्लान चौपट हो जाता, अशोक तुमने क्या कहा कि मेरा मन बदल गया है..! साले तू अच्छी तरह जानता है, कि मेरा इरादा क्या है?
अशोक- लेकिन यार तुम ना तो कुछ बताते हो और ना ही हमें कुछ करने देते हो।
शरद- ओके यहाँ बैठो, मैं बताता हूँ कि क्या बात है..!
सचिन- हाँ भाई बताओ सिमी अशोक की सग़ी बहन थी, पर मेरी भी सग़ी से कम नहीं थी। दिल से उसको बहन मानता था, अब बताओ प्लीज़…!
शरद- ओके, सुनो जिस दिन सिमी ने खुदकुशी की, उसके 20 मिनट पहले उसने
मुझे फ़ोन किया और वो बहुत रो रही थी। मेरे लाख पूछने पर उसने बताया कि शरद मैं तुम्हारे क़ाबिल नहीं रही, मैं बरबाद हो गई हूँ मेरी बेस्ट-फ्रेंड ने मेरे साथ धोखा किया है। मैं अब जीना नहीं चाहती हूँ।
मैंने बहुत ट्राइ किया, पूरी बात जानने के लिए, पर बस उसने रचना का नाम बताया और कहा कि उसके दो दोस्तों ने मुझे खराब कर दिया, मैं मर रही हूँ।
अशोक- ओ माई गॉड… ऐसा कहा उसने…!
शरद- हाँ यार मैं मजबूर था, उसे रोकना चाहता था, पर उसने फ़ोन काट दिया और खुद को आग लगा ली। इसी लिए मैंने फ़ौरन तुमको फोन किया कि जल्दी घर जाओ, सिमी की जान को खतरा है, उसको बचाओ।
अशोक- ओह्ह मेरी बहन ओह्ह सिमी आई मिस यू.. मैं जब आया तो सब खत्म हो चुका था.. आह.. मैं तुमको बचा ना पाया।
शरद- प्लीज़ अशोक रो मत, ये वक़्त रोने का नहीं है, उनको रुलाने का है। अब बस एक बार उन दो हरामियों के बारे में पता चल जाए।
सचिन- भाई हम रचना को चोद-चोद कर इतना तड़पायेंगे, अपने आप सब बता देगी साली रंडी…!
शरद- नहीं ऐसा करना होता, तो पहले दिन ही कर लेता मैं, पता है सिमी की मौत के बाद मैं टूट गया था, पर उसका बदला लेना था, सो मैं इंडिया आ गया और रचना का पीछा करने लगा। इत्तफ़ाक़ देखो अमर मेरा दोस्त निकला। अब मैंने सोचा आसानी से रचना को प्यार के जाल में फँसा कर बदला लूँगा, पर किस्मत को कुछ और ही मंजूर था, इसका भाई इतना बड़ा हरामी निकला, साला अपनी ही बहन को चोदने के लिए मेरी हेल्प ले ली और मेरे जाल में खुद फँस गया। अब बस कल देखो मेरे गेम का आखरी दांव मैं खेलूँगा और उन दो कुत्तों के बारे में पता चल जाएगा।
सचिन- हाँ भाई और कल हम भी दोनों बहनों को चोदेंगे।
शरद- हाँ चोद लेना, ला यार बियर ला, मूड खराब हो गया सारा…!
अशोक- हाँ सचिन ला मुझे भी बियर दे और वो वीडियो शरद को दिखा, साली ने कैसे अपने भाई से गाण्ड मरवाई थी। शुरू से लगाना हा हा हा मैंने भी शुरू से नहीं देखा था।
सचिन भी ज़ोर से हँसने लगता है और वो वीडियो लगा कर बैठ जाता है।
दोस्तों आपको समझ आ जाए, इसलिए स्टोरी थोड़ा रिपीट कर रही हूँ।
जब अमर रचना को कहता है कि तेरी गाण्ड बड़े प्यार से मारूँगा, जैसे पूनम की मारी थी। ये सीन देखकर शरद के साथ-साथ अशोक और सचिन भी हैरान हो गए और उन दोनों की पूरी बात सुनकर अशोक का गुस्सा सातवें आसमान पर पहुँच गया। वो उठकर बाहर जाने लगा।
शरद- सचिन पकड़ो इसे…!
सचिन जल्दी से अशोक को पकड़ लेता है।
अशोक- छोड़ दो मुझे, उस हरामी ने मेरी बहन के साथ इतना गंदा काम किया, छोडूँगा नहीं कुत्ते को…!
शरद- अशोक तू बैठ, मेरी बात सुन… हम साथ मिलकर उसको ऐसा सबक सिखायेंगे कि न वो जिन्दा रहना चाहेगा और न मर सकेगा। तू बात तो सुन, अब तो उन दोनों के बारे में भी पता चल गया है। अब तू देख हम मिलकर कल इनका क्या हाल करते हैं।
सचिन- भाई में उन दोनों को जानता हूँ। अंकित और सुधीर दोनों एक नंबर के हरामी हैं।
शरद- गुड सचिन कल सुबह किसी भी तरह उन कुत्तों को यहाँ ले आओ और उस रंडी ललिता को तो इतना तड़पाऊँगा कि जिन्दगी भर याद करेगी वो, अब बस वो कुत्ते आ जाएं, पूरी बात उनसे पता चलेगी कि आख़िर वहाँ हुआ क्या था और उसके बाद इन सब का वो हाल करेंगे कि दुनिया देखेगी।
अशोक- हाँ शरद सचिन के साथ उन को लाने मैं जाऊँगा।
शरद- नहीं अशोक तू कहीं नहीं जाएगा… तेरा गुस्सा बहुत तेज है, कहीं कुछ कर देगा तू..! सचिन अकेला लाएगा उनको, समझे..! तू यहीं रहेगा, इसी कमरे में… ओके…!
अशोक- मैं कुछ नहीं करूँगा, मुझे जाने दो। वो दो हैं सचिन अकेला उनको कैसे लाएगा..!
सचिन- मैं ले आऊँगा यार, वो मुझे जानते हैं कई बार उनके साथ हरामीपन्थी की है, एक नम्बर के लड़कीबाज हैं साले… बड़े आराम से ले आऊँगा उनको…!
अशोक- फिर भी यार साथ जाने में क्या हर्ज़ है…!
शरद- नहीं बोला ना.. बस सचिन को जाने दो ओके…!
अशोक- ओके…!
शरद- सचिन तुम पहले धरम अन्ना से मिल लेना। उसको ये बोलना कि सुबह अमर आएगा उसको वहीं रोकना है और देखना उन कुत्तों को पता ना चले समझ गए न… कैसे लाना है…!
सचिन- हाँ भाई आप बे-फिकर रहो मैं सब सम्भाल लूँगा।
शरद- ओके, अब तुम दोनों भी सो जाओ। कल बहुत काम करना है, मैं भी जाकर सोता हू।
शरद वहाँ से वापस रूम में आ जाता है और वो दोनों भी सो जाते है।
सुबह जल्दी उठकर सचिन बाहर चला जाता है अशोक अभी भी सो रहा था।
उधर शरद उठ गया था और बाथरूम में फ्रेश होने चला गया।
शरद के आने के बाद अमर की आँख खुली। तब शरद कपड़े पहन रहा था। उस
समय करीब 9 बजे होंगे।
अमर- गुड मॉर्निंग शरद, वाउ यार तुम तो नहा भी चुके..!
शरद- उबासी लेना बन्द करो, जाओ फ्रेश हो जाओ, उसके बाद इन रण्डियों को भी
उठा देना, साली कैसे चूत खोले सो रही हैं।
अमर- हा हा हा अभी डाल दूँ क्या लौड़ा चूत में.. आपने आप उठ जायेंगी।
शरद- अबे बस भी कर साले, बाद में डाल देना, आज फिल्म की शूटिंग है, धरम अन्ना अपनी टीम के साथ आता ही होगा।
अमर- ओ हाँ सॉरी, अभी गया बस, रेडी होकर आता हूँ।
शरद- ओके तुम रेडी होकर इनको भी उठा देना, सामने वो अल्मारी में कपड़े रखे हैं तुम सब के लिए। मैं थोड़ी देर में आता हूँ।
शरद वहाँ से सीधा ऊपर के रूम में जाता है, जहाँ अशोक अब तक सो रहा था।
शरद- अशोक ओ अशोक उठ यार, समय बहुत हो गया है, चल जल्दी फ्रेश हो जा सचिन भी आता ही होगा।
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(एक बार ऊपर आ जाईए न भैया )..(परिवार में हवस और कामना की कामशक्ति )..(लेखक-प्रेम गुरु की सेक्सी कहानियाँ running)..(कांता की कामपिपासा running).. (वक्त का तमाशा running).. (बहन का दर्द Complete )..
( आखिर वो दिन आ ही गया Complete )...(ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगाना complete)..(ज़िद (जो चाहा वो पाया) complete)..(दास्तान ए चुदाई (माँ बेटी बेटा और किरायेदार ) complete) .. (एक राजा और चार रानियाँ complete)..(माया complete...)--(तवायफ़ complete)..(मेरी सेक्सी बहनेंcompleet) ..(दोस्त की माँ नशीली बहन छबीली compleet)..(माँ का आँचल और बहन की लाज़ compleet)..(दीवानगी compleet..(मेरी बर्बादी या आबादी (?) की ओर पहला कदमcompleet) ...(मेले के रंग सास,बहू और ननद के संग).
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(फैमिली में मोहब्बत और सेक्स (complet))........(कोई तो रोक लो)......(अमन विला-एक सेक्सी दुनियाँ)............. (ननद की ट्रैनिंग compleet)..............( सियासत और साजिश)..........(सोलहवां सावन)...........(जोरू का गुलाम या जे के जी).........(मेरा प्यार मेरी सौतेली माँ और बेहन)........(कैसे भड़की मेरे जिस्म की प्यास)........(काले जादू की दुनिया)....................(वो शाम कुछ अजीब थी)
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Re: कामुक कलियों की प्यास
अशोक उठ कर शरद को गुड मॉर्निंग कहता है और वो भी बाथरूम में घुस जाता है।
शरद मोबाइल लेकर बाहर चला जाता है और फ़ोन पर बात करने लगता है।
शरद- हैलो कहाँ हो सचिन… अब तक आए क्यों नहीं…!
सचिन- हाँ भाई काम हो गया, दोनों मिल गए सालों को चूत का चस्का दिखा कर ला रहा हूँ, पर अन्दर कैसे लाऊँ, अब तक तो सब उठ गए होंगे..!
शरद- पीछे के गेट से ले आ और हाँ गेट में एंटर करके लेफ्ट साइड से आना, थोड़ी दूर बेसमेंट का गेट है, उनको वहाँ ले आ, मैं और अशोक वहीं आते हैं ओके…!
सचिन- ओके, भाई बस पाँच मिनट में आया।
शरद अशोक को सब समझा देता है और खुद वापस नीचे के रूम में जाता है, जहाँ तीनों रेडी हो रहे थे।
शरद- गुड मॉर्निंग… सेक्सी गर्ल्स…!
“हे गुड मॉर्निंग..!” दोनों एक साथ बोल पड़ीं।
शरद- क्या हाल है जान…!
ललिता- हाल तो खराब ही हैं… चूत में बहुत दर्द हो रहा है, चलने में मुश्किल आ रही है।
रचना- ओह शरद जी मैंने इसको बताया कि थोड़ा वॉक करो, सब ठीक हो जाएगा, अभी गर्म पानी से चूत का सेक भी किया है।
अमर- हाँ यार, मैंने भी कहा ये तो बस बैठी है, चल ही नहीं रही।
शरद- जान ये सही कह रहे हैं, चलो खड़ी हो जाओ और धीरे-धीरे वॉक करो, ओके यस गुड गर्ल…!
शरद- अमर तुम मेरे साथ आओ और तुम दोनों का नाश्ता यहीं भिजवा रहा हूँ, बाहर मत आना। धरम अन्ना के लोग आने वाले हैं, तुम उनके सामने ऐसे ही आ जाओगी तो, हिरोइन वाली वो बात नहीं रहेगी। ओके यहीं रहना, हम कुछ देर में आते हैं।
रचना- ओके… बाबा नहीं आएँगे, पर जल्दी से नाश्ता भिजवा दो, बहुत भूख लगी है यार।
शरद- बस दस मिनट रूको नाश्ता आ जाएगा।
अमर को लेकर शरद बाहर निकल जाता है और उसको धरम अन्ना का पता बता कर वहाँ जाने को बोलता है।
अमर- मगर अभी तो कहा धरम अन्ना यहाँ आने वाला है, तो मुझे वहाँ क्यों भेज रहे हो? बात क्या है यार?
शरद- तुम जाओगे, तब धरम अन्ना आएगा ना..! वहाँ कुछ पेपर साइन करने हैं जाओ कर दो, धरम अन्ना तुमको वहाँ पर सब कुछ समझा देगा ओके…!
अमर को कुछ समझ में नहीं आया और वो चुपचाप शरद के बताए पते पर जाने के लिए वहाँ से निकल गया।
इधर अमर के जाते ही शरद ने किसी को फ़ोन किया।
शरद- हैलो हाँ सुनो वो आ रहा है, इंतजाम कर देना, समझ गए ना…!
शरद ने सामने वाले से दो मिनट बातें की और उसके बाद किसी और को फ़ोन किया
और नाश्ते के बारे में समझा कर फ़ोन काट दिया।
अब वो खुद बेसमेंट की तरफ चल दिया।
अंकित- वाउ… यार किसका फार्म है, बड़ा मस्त है यार, लेकिन ये बेसमेंट में कहाँ ले आया यार, आइटम कहाँ है? बता ना यार?
सुधीर- हाँ यार सचिन बता ना, तूने कहा था एकदम कच्ची कली है, बता न.. यार कहाँ हैं।
सचिन- वो देख सीढ़ियों पर आ रही है और मैंने एक कहा था ना, यहाँ दो कच्ची कलियां आ रही हैं। अब तो तुम दोनों के मज़े हैं यारों, ऐश करो…!
शरद- यहाँ हैं आइटम… गौर से देखो, एक नहीं दो हैं, क्यों पसन्द आई क्या?
उन दोनों की तो गाण्ड ही फट गई थी, क्योंकि शरद के हाथ में गन थी और आँखों में गुस्सा भरा हुआ था।
अंकित- ये ये ये क्या है… सचिन कौन है ये..? अई..ईई… और इसने गन क्यों तान रखी है?
अशोक- मैं बताता हूँ मादरचोदो तुमको रूको…!
इतना बोलकर अशोक उनके पास जाता है और दोनों को डराने लगता है।
शरद- बस अशोक रुक जाओ, इनको खुराक मिलेगी तभी ये तोते की तरह बोलेंगे, छोड़ दो इनको।
दोनों साइड में हो जाते हैं और उन दोनों की तो हालत खराब हो रही थी। उनको कुछ समझ में ही नहीं आ रहा था।
शरद- हाँ तो अब शुरू हो जाओ, बताओ रचना के साथ मिलकर क्या प्लान बनाया था और पूनम के साथ रचना की क्या दुश्मनी थी, जो उसने उसको तुम कुत्तों के पास मरने के लिए छोड़ दिया।
सुधीर- क क कौन रचना..कौन पूनम.. हमें कुछ नहीं पता..ह ह..हमें तो ये सचिन लाया यहाँ स साला बोला आज झकास आइटम हाथ लगी है चलो मज़ा करते हैं।
सचिन आगे बढ़कर उसको एक मुक्का दिखाता है।
सचिन- बता साले, भाई जो पूछ रहा है वरना तुम दोनों की लाश भी कोई पहचान नहीं पाएगा समझे…!
अंकित- ओके बताता हूँ, पर तुम हो कौन आख़िर ये सब क्यों जानना चाहते हो?
शरद- देखो हमको रचना से बदला लेना है इसलिए ये सब पूछ रहे हैं। हम जानते हैं तुम दोनों ने पूनम के साथ क्या किया था, पर इसमें रचना का क्या रोल था.. वो बताओ?
सुधीर- भाई कसम से, उस रंडी के साथ तो हमको भी बदला लेना है साली सारा गेम खुद बनाई, वो लड़की को मारने के बाद कई महीनों तक छुपते हम फिरे और अब साली बोलती है कि कौन हो तुम… मैं तुमको नहीं जानती…!
सचिन- ऐसा क्यों कहा उसने…!
अंकित- भाई आप तो जानते हो, हम दोनों टपोरी लड़के हैं पैसों के लिए कुछ भी कर सकते हैं। रचना के कहने पर हमने ये सब किया, साली ने पैसे देने से इन्कार कर दिया और कहा ज़्यादा बात की तो सब कुछ पुलिस को बता देगी। मादरचोदी ने मोबाइल में हमारी वीडियो बना लिया था। जब हम पूनम के साथ मज़ा कर रहे थे।
ये सुनते ही अशोक को गुस्सा आ गया और वो उन दोनों को मारने के लिए आगे बढ़ा। बड़ी मुश्किल से शरद ने वहाँ से उसको हटाया और एक साइड बैठा दिया।
शरद- अरे यार प्लीज़ रूको, पूरी बात तो जान लो पहले…!
सुधीर- पानी आ पानी पिला दो, बहुत प्यास लगी है आह…!
सचिन उनको पानी पिलाता है और आगे की बात बोलने को कहता है।
अंकित- देखो भाई मैं शुरू से आपको बताता हूँ रचना और उसकी बहन ललिता स्कूल की सबसे टॉप की आइटम थीं और कई लड़के उनके पीछे लट्टू की तरह घूमते थे। मैं और सुधीर तो हर वक़्त मौके की तलाश में रहते कि कब इनकी चूत को चोदें, लेकिन साली रंडी बहुत तेज़ है, हाथ ही नहीं आती। कोई 6 महीने पहले दुबई से पूनम यहाँ आई और पता नहीं कैसे पर कुछ ही दिनों में रचना की वो बेस्ट-फ्रेंड बन गई।
पूनम की उम्र कोई 18 की होगी और उसका फिगर क़यामत था क़यामत, 32″ के नुकीले मम्मे, जिनको देखते ही आदमी का लौड़ा झनझना जाए और उसकी कमर 28″ की उसकी एकदम हिरनी जैसी चाल थी और गाण्ड का क्या बताऊँ, 34″ की बाहर को निकली हुई। ये तो वो शरीफ किस्म की थी, जो सलवार-कमीज़ पहनती थी। अगर जींस पहन कर चले तो कसम से लौड़ा उसको देखते ही पानी छोड़ देता।
अपनी बहन के बारे में ये सब गंदी बातें अशोक को बर्दाश्त नहीं हुई और वो दोबारा उठ कर उसको मारने के लिए आगे बढ़ा, पर शरद ने उसको रोक दिया।
शरद- अशोक प्लीज़ रूको, इनको बोलने दो अगर ये शॉर्ट में बताएँगे तो हमें अधूरी बात पता चलेगी, प्लीज़ थोड़ा सब्र करो।
सचिन- हाँ साले बोल, सिमी की तारीफ बहुत हो गई, रचना की बेस्ट फ्रेण्ड होने के बाद ऐसा क्या हुआ, जो उसने ये सब किया? वो बता..!
सुधीर- भाई आप शुरू से सुनोगे, तब समझ आएगा न…! अंकित पूनम की तारीफ कर रहा है, सारी बात इसी बात से जुड़ी है। आप सुनो तो प्लीज़…!
शरद- ओके बोलो अंकित, अब अशोक कुछ नहीं कहेगा।
अंकित- भाई पूनम बहुत ज़्यादा खूबसूरत थी। उसकी नीली आँखे लंबे-लंबे बाल और सबसे ज़्यादा उसकी सादगी पर सब फिदा थे रचना उसके आते ही उसकी दोस्त बन गई थी। एक बात है पूनम के आने के बाद रचना की वैल्यू कम हो गई। अब लड़के पूनम के नाम की ‘आह’ भरने लगे थे। एक दिन स्कूल के किसी दोस्त की बर्थ-डे की पार्टी में पूनम ने ब्लैक साड़ी पहनी थी और साज-सिंगार करके आई थी।
बस सब ने जो पूनम की तारीफ की, मैं क्या बताऊँ आपको दोनों बहनों की झाँटें सुलग कर राख हो गईं थी।
सुधीर- हाँ भाई मैंने कहा पूनम तुम्हारे सामने तो रचना की चमक फीकी पड़ गई है। कहाँ तुम स्कूल की हिरोइन बनी फिरती थीं और अब देखो ये कोई राजकुमारी लगती है और तुम इसकी दासी हा हा हा हा हा।
अंकित- हाँ भाई सब के सब ज़ोर-ज़ोर से हँसने लगे। पूनम ने सब को डांटा भी। रचना के पास जाकर उसको तसल्ली भी दी, पर वो बहुत गुस्सा हो गई थी।
दोनों बहनें वहाँ से चली गईं। पूनम का मूड भी ऑफ हो गया और वो भी चली गई।
शरद मोबाइल लेकर बाहर चला जाता है और फ़ोन पर बात करने लगता है।
शरद- हैलो कहाँ हो सचिन… अब तक आए क्यों नहीं…!
सचिन- हाँ भाई काम हो गया, दोनों मिल गए सालों को चूत का चस्का दिखा कर ला रहा हूँ, पर अन्दर कैसे लाऊँ, अब तक तो सब उठ गए होंगे..!
शरद- पीछे के गेट से ले आ और हाँ गेट में एंटर करके लेफ्ट साइड से आना, थोड़ी दूर बेसमेंट का गेट है, उनको वहाँ ले आ, मैं और अशोक वहीं आते हैं ओके…!
सचिन- ओके, भाई बस पाँच मिनट में आया।
शरद अशोक को सब समझा देता है और खुद वापस नीचे के रूम में जाता है, जहाँ तीनों रेडी हो रहे थे।
शरद- गुड मॉर्निंग… सेक्सी गर्ल्स…!
“हे गुड मॉर्निंग..!” दोनों एक साथ बोल पड़ीं।
शरद- क्या हाल है जान…!
ललिता- हाल तो खराब ही हैं… चूत में बहुत दर्द हो रहा है, चलने में मुश्किल आ रही है।
रचना- ओह शरद जी मैंने इसको बताया कि थोड़ा वॉक करो, सब ठीक हो जाएगा, अभी गर्म पानी से चूत का सेक भी किया है।
अमर- हाँ यार, मैंने भी कहा ये तो बस बैठी है, चल ही नहीं रही।
शरद- जान ये सही कह रहे हैं, चलो खड़ी हो जाओ और धीरे-धीरे वॉक करो, ओके यस गुड गर्ल…!
शरद- अमर तुम मेरे साथ आओ और तुम दोनों का नाश्ता यहीं भिजवा रहा हूँ, बाहर मत आना। धरम अन्ना के लोग आने वाले हैं, तुम उनके सामने ऐसे ही आ जाओगी तो, हिरोइन वाली वो बात नहीं रहेगी। ओके यहीं रहना, हम कुछ देर में आते हैं।
रचना- ओके… बाबा नहीं आएँगे, पर जल्दी से नाश्ता भिजवा दो, बहुत भूख लगी है यार।
शरद- बस दस मिनट रूको नाश्ता आ जाएगा।
अमर को लेकर शरद बाहर निकल जाता है और उसको धरम अन्ना का पता बता कर वहाँ जाने को बोलता है।
अमर- मगर अभी तो कहा धरम अन्ना यहाँ आने वाला है, तो मुझे वहाँ क्यों भेज रहे हो? बात क्या है यार?
शरद- तुम जाओगे, तब धरम अन्ना आएगा ना..! वहाँ कुछ पेपर साइन करने हैं जाओ कर दो, धरम अन्ना तुमको वहाँ पर सब कुछ समझा देगा ओके…!
अमर को कुछ समझ में नहीं आया और वो चुपचाप शरद के बताए पते पर जाने के लिए वहाँ से निकल गया।
इधर अमर के जाते ही शरद ने किसी को फ़ोन किया।
शरद- हैलो हाँ सुनो वो आ रहा है, इंतजाम कर देना, समझ गए ना…!
शरद ने सामने वाले से दो मिनट बातें की और उसके बाद किसी और को फ़ोन किया
और नाश्ते के बारे में समझा कर फ़ोन काट दिया।
अब वो खुद बेसमेंट की तरफ चल दिया।
अंकित- वाउ… यार किसका फार्म है, बड़ा मस्त है यार, लेकिन ये बेसमेंट में कहाँ ले आया यार, आइटम कहाँ है? बता ना यार?
सुधीर- हाँ यार सचिन बता ना, तूने कहा था एकदम कच्ची कली है, बता न.. यार कहाँ हैं।
सचिन- वो देख सीढ़ियों पर आ रही है और मैंने एक कहा था ना, यहाँ दो कच्ची कलियां आ रही हैं। अब तो तुम दोनों के मज़े हैं यारों, ऐश करो…!
शरद- यहाँ हैं आइटम… गौर से देखो, एक नहीं दो हैं, क्यों पसन्द आई क्या?
उन दोनों की तो गाण्ड ही फट गई थी, क्योंकि शरद के हाथ में गन थी और आँखों में गुस्सा भरा हुआ था।
अंकित- ये ये ये क्या है… सचिन कौन है ये..? अई..ईई… और इसने गन क्यों तान रखी है?
अशोक- मैं बताता हूँ मादरचोदो तुमको रूको…!
इतना बोलकर अशोक उनके पास जाता है और दोनों को डराने लगता है।
शरद- बस अशोक रुक जाओ, इनको खुराक मिलेगी तभी ये तोते की तरह बोलेंगे, छोड़ दो इनको।
दोनों साइड में हो जाते हैं और उन दोनों की तो हालत खराब हो रही थी। उनको कुछ समझ में ही नहीं आ रहा था।
शरद- हाँ तो अब शुरू हो जाओ, बताओ रचना के साथ मिलकर क्या प्लान बनाया था और पूनम के साथ रचना की क्या दुश्मनी थी, जो उसने उसको तुम कुत्तों के पास मरने के लिए छोड़ दिया।
सुधीर- क क कौन रचना..कौन पूनम.. हमें कुछ नहीं पता..ह ह..हमें तो ये सचिन लाया यहाँ स साला बोला आज झकास आइटम हाथ लगी है चलो मज़ा करते हैं।
सचिन आगे बढ़कर उसको एक मुक्का दिखाता है।
सचिन- बता साले, भाई जो पूछ रहा है वरना तुम दोनों की लाश भी कोई पहचान नहीं पाएगा समझे…!
अंकित- ओके बताता हूँ, पर तुम हो कौन आख़िर ये सब क्यों जानना चाहते हो?
शरद- देखो हमको रचना से बदला लेना है इसलिए ये सब पूछ रहे हैं। हम जानते हैं तुम दोनों ने पूनम के साथ क्या किया था, पर इसमें रचना का क्या रोल था.. वो बताओ?
सुधीर- भाई कसम से, उस रंडी के साथ तो हमको भी बदला लेना है साली सारा गेम खुद बनाई, वो लड़की को मारने के बाद कई महीनों तक छुपते हम फिरे और अब साली बोलती है कि कौन हो तुम… मैं तुमको नहीं जानती…!
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सचिन उनको पानी पिलाता है और आगे की बात बोलने को कहता है।
अंकित- देखो भाई मैं शुरू से आपको बताता हूँ रचना और उसकी बहन ललिता स्कूल की सबसे टॉप की आइटम थीं और कई लड़के उनके पीछे लट्टू की तरह घूमते थे। मैं और सुधीर तो हर वक़्त मौके की तलाश में रहते कि कब इनकी चूत को चोदें, लेकिन साली रंडी बहुत तेज़ है, हाथ ही नहीं आती। कोई 6 महीने पहले दुबई से पूनम यहाँ आई और पता नहीं कैसे पर कुछ ही दिनों में रचना की वो बेस्ट-फ्रेंड बन गई।
पूनम की उम्र कोई 18 की होगी और उसका फिगर क़यामत था क़यामत, 32″ के नुकीले मम्मे, जिनको देखते ही आदमी का लौड़ा झनझना जाए और उसकी कमर 28″ की उसकी एकदम हिरनी जैसी चाल थी और गाण्ड का क्या बताऊँ, 34″ की बाहर को निकली हुई। ये तो वो शरीफ किस्म की थी, जो सलवार-कमीज़ पहनती थी। अगर जींस पहन कर चले तो कसम से लौड़ा उसको देखते ही पानी छोड़ देता।
अपनी बहन के बारे में ये सब गंदी बातें अशोक को बर्दाश्त नहीं हुई और वो दोबारा उठ कर उसको मारने के लिए आगे बढ़ा, पर शरद ने उसको रोक दिया।
शरद- अशोक प्लीज़ रूको, इनको बोलने दो अगर ये शॉर्ट में बताएँगे तो हमें अधूरी बात पता चलेगी, प्लीज़ थोड़ा सब्र करो।
सचिन- हाँ साले बोल, सिमी की तारीफ बहुत हो गई, रचना की बेस्ट फ्रेण्ड होने के बाद ऐसा क्या हुआ, जो उसने ये सब किया? वो बता..!
सुधीर- भाई आप शुरू से सुनोगे, तब समझ आएगा न…! अंकित पूनम की तारीफ कर रहा है, सारी बात इसी बात से जुड़ी है। आप सुनो तो प्लीज़…!
शरद- ओके बोलो अंकित, अब अशोक कुछ नहीं कहेगा।
अंकित- भाई पूनम बहुत ज़्यादा खूबसूरत थी। उसकी नीली आँखे लंबे-लंबे बाल और सबसे ज़्यादा उसकी सादगी पर सब फिदा थे रचना उसके आते ही उसकी दोस्त बन गई थी। एक बात है पूनम के आने के बाद रचना की वैल्यू कम हो गई। अब लड़के पूनम के नाम की ‘आह’ भरने लगे थे। एक दिन स्कूल के किसी दोस्त की बर्थ-डे की पार्टी में पूनम ने ब्लैक साड़ी पहनी थी और साज-सिंगार करके आई थी।
बस सब ने जो पूनम की तारीफ की, मैं क्या बताऊँ आपको दोनों बहनों की झाँटें सुलग कर राख हो गईं थी।
सुधीर- हाँ भाई मैंने कहा पूनम तुम्हारे सामने तो रचना की चमक फीकी पड़ गई है। कहाँ तुम स्कूल की हिरोइन बनी फिरती थीं और अब देखो ये कोई राजकुमारी लगती है और तुम इसकी दासी हा हा हा हा हा।
अंकित- हाँ भाई सब के सब ज़ोर-ज़ोर से हँसने लगे। पूनम ने सब को डांटा भी। रचना के पास जाकर उसको तसल्ली भी दी, पर वो बहुत गुस्सा हो गई थी।
दोनों बहनें वहाँ से चली गईं। पूनम का मूड भी ऑफ हो गया और वो भी चली गई।
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(एक बार ऊपर आ जाईए न भैया )..(परिवार में हवस और कामना की कामशक्ति )..(लेखक-प्रेम गुरु की सेक्सी कहानियाँ running)..(कांता की कामपिपासा running).. (वक्त का तमाशा running).. (बहन का दर्द Complete )..
( आखिर वो दिन आ ही गया Complete )...(ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगाना complete)..(ज़िद (जो चाहा वो पाया) complete)..(दास्तान ए चुदाई (माँ बेटी बेटा और किरायेदार ) complete) .. (एक राजा और चार रानियाँ complete)..(माया complete...)--(तवायफ़ complete)..(मेरी सेक्सी बहनेंcompleet) ..(दोस्त की माँ नशीली बहन छबीली compleet)..(माँ का आँचल और बहन की लाज़ compleet)..(दीवानगी compleet..(मेरी बर्बादी या आबादी (?) की ओर पहला कदमcompleet) ...(मेले के रंग सास,बहू और ननद के संग).
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Re: कामुक कलियों की प्यास
सुधीर- अब आपको बताता हूँ उस दिन के एक दिन बाद रचना हमारे पास आई थी।
दोस्तों ऐसे आपको शायद मज़ा नहीं आ रहा होगा, तो चलो स्टोरी को सीधे वहीं ले चलती हूँ, ताकि आपको आराम से सारी बात समझ आ जाए।
अंकित- ओह्ह वाउ रचना आज तो मस्त लग रही हो।
रचना- बस अपनी बकवास बन्द करो, रात को तो बड़े दाँत निकाल कर हंस रहे थे तुम दोनों…!
सुधीर- सॉरी बाबा, एक बात कहूँ बुरा ना मानना पूनम खूबसूरत तो बहुत है, पर तुम्हारी तरह स्टाइलिश नहीं है। वो सीधी-साधी है बेचारी…!
रचना- बस अब मेरे सामने उसकी तारीफ मत करो और वो कोई सीधी नहीं है कुत्ती, जानबूझ कर इतना तैयार होकर आई थी ताकि सब उसके पीछे लट्टू हो जाएं। अब तुम दोनों मेरी मदद करो, मुझे उससे अपनी इस बेइज्जती का बदला लेना है।
अंकित- ओह्ह वाउ रानी को बदला लेना है, पर इसमे हमारा क्या फायदा होगा ये तो बताओ?
रचना- पैसों से बढ़ कर इस दुनिया में कुछ नहीं है, अपना मुँह खोलो कितना लोगे?
अंकित- वो बाद में पहले करना क्या होगा वो बताओ?
रचना- देखो प्लान तो मेरे पास नहीं है, पर कल रात मैंने गुस्से में घर में तोड़-फोड़ की, तब ललिता ने कहा कि तेज़ाब से उसका चेहरा जला दो, मगर मेरा भाई अमर कहता है पुलिस का चक्कर हो जाएगा। स्कूल में सब के सामने उसका मुँह काला कर दो अपने आप जलील हो जाएगी… साली।
अंकित- तो तुमने क्या सोचा?
रचना- ये सब नहीं मुझे कुछ बड़ा करना है ताकि वो किसी को हमारा नाम भी ना बताए और सारी उमर लोग उसको देख कर हँसे भी।
अंकित- ऐसा क्या सोचा है बताओ तो?
रचना- देखो हम उसे नींद की गोली देकर उसका न्यूड एमएमएस बना लेंगे और उसके चेहरे पर तेज़ाब की एक-दो बूंदे गिरा देंगे जिससे चेहरा जलेगा भी नहीं और दाग भी हो जाएगा और वो किसी को ये नहीं बता पाएगी क्योंकि हम उसको एमएमएस की धमकी देंगे।
सुधीर- वाउ.. क्या प्लान है, पर इसमें हम क्या करेंगे..? ये सब तो तुम खुद भी कर सकती हो और न्यूड एमएमएस वाउ.. मज़ा आ जाएगा…!
रचना- नहीं इतना सब मुझसे नहीं होगा, मैं उसको ले आऊँगी, बाकी काम तुमको ही करना है ओके…!
अंकित- ओके हो जाएगा 20000 लगेंगे और कब करना है कहाँ लाओगी उसको?
रचना- जगह का भी तुम ही बताओ?
सुधीर- मेरे अंकल के घर में ले आना, वहाँ कोई नहीं है सब कुछ दिनों के लिए गाँव गए हैं।
रचना- ओके कहाँ है, पता बता दो मुझे? कल सुबह ही उसको ले आती हूँ नींद की गोली तुम ले आना ओके..!
अंकित- ओके, पर उसको लाओगी कैसे?
रचना- वो मेरा टेन्शन है, बस कल तैयार रहना, तेज़ाब लाना भूलना मत, कल सुबह 9 बजे वहाँ पर मैं उसको ले आऊँगी।
सुधीर उसको पता बता देता है और उसके जाने के बाद।
सुधीर- यार अंकित न्यूड एमएमएस मतलब पूनम नंगी हमारे सामने होगी। यार अच्छा मौका है साली को रगड़ देंगे कल।
अंकित- लेकिन रचना का क्या करेंगे?
सुधीर- अरे उसके प्लान का उसी पर इस्तेमाल करेंगे, एक गोली उसको भी टिका देंगे, साली बहुत ज़्यादा स्मार्ट बनती है, पूनम के साथ-साथ उसका भी एमएमएस बना देंगे भाई सोचो दोनों टॉप की आइटम कल हमारे हाथ लगने वाली हैं, मज़ा आ जाएगा…!
अंकित- हाँ यार अब तू देख मैं कल नींद की नहीं, कोई और ही गोली लाता हूँ। दोनों को खिला कर मज़ा करेंगे हा हा हा हा हा…!
इन दोनों की बातें सुनकर शरद का तो सर चकरा गया था। रचना इस हद तक जा सकती है, ये तो उसने सोचा भी नहीं था। अशोक भी एकदम चुप उनकी बातें सुन रहा था।
सचिन- अरे बाप रे साली राण्ड ऐसा गेम खेली और मादरचोदो तुम उसके भी बाप निकले। हाँ आगे बताओ, क्या रचना के साथ भी उस दिन तुमने खेल खेला? कौन सी गोली लाए थे? बताओ सालों मुझे जानना है सारी बात?
अंकित- हाँ बताता हूँ भाई, मैंने वो गोली लाया था जो ड्रग्स की तरह काम करती है। इसे लेने के बाद इंसान होश में तो रहता है लेकिन दिमाग़ सुन्न हो जाता है और इससे सेक्सी फीलिंग्स आती हैं। कपड़े निकाल फेंकने का मन करता है। बड़ी मुश्किल से मैंने गोलियों का बंदोबस्त किया था। दूसरे दिन सुबह 9 बजे रचना और पूनम वहाँ आ गए।
शरद- चुप क्यों हो गया, बोल साले आगे क्या हुआ?
अंकित ने सीढ़ियों की तरफ इशारा किया। वहाँ कोई खड़ा आराम से इनकी बात सुन रहा था। सब की नज़र एक साथ सीढ़ी की ओर गई।
शरद- ललिता… तुम यहाँ क्या कर रही हो? कब आईं..?
ललिता- ओह शरद, तुम कहाँ चले गए, सभी जगह ढूँढ़ कर ही यहाँ आई हूँ और ये सब कौन है और सुधीर, अंकित तुम यहाँ क्या कर रहे हो?
शरद धीरे से बोलता है, “इसने कुछ नहीं सुना शायद सब नॉर्मल रहना..!”
शरद- आओ ललिता यहाँ आओ, तुमको सब से मिलवाता हूँ।
ललिता नीचे आ जाती है, ब्लैक टी-शर्ट और ब्लू स्कर्ट में बड़ी सेक्सी लग रही थी। उसको देख कर अंकित और सुधीर की तो लार टपकने लगी थी।
ललिता सब को ‘हाय’ बोलती है।
शरद- ललिता ये अशोक है और ये सचिन रचना की फ़िल्म का हीरो और अशोक अब तुम्हारा हीरो बनेगा, फिल्म में…. ‘हाय’ करो…!
ललिता बड़ी नजाकत से अशोक के पास जाकर हाथ आगे बढ़ा कर उसको ‘हैलो’ कहती है। अशोक भी उसका हाथ पकड़ कर चूम लेता है।
ललिता- इन दोनों को मैं जानती हूँ, ये यहाँ क्या कर रहे हैं?
शरद- व वो दरअसल ये धरम अन्ना के आदमी हैं फिल्म में इनका भी काम है, इसलिए यहाँ आए हैं।
ललिता- ओह्ह वाउ.. सब एक साथ काम करेंगे तो मज़ा आएगा।
शरद- अभी हम फिल्म की ही बात कर रहे थे तुमने सीन तो सुन हे लिया होगा..!
ललिता- नहीं तो, मैं आई तब अंकित चुपचाप मेरी तरफ देख रहा था। आप ने इसको आगे बोलने को कहा और अंकित ने मेरे आने का इशारा कर दिया बस…!
शरद- ओह्ह मैं समझा तुमने स्टोरी सुन ली है, कोई बात नहीं तुम चलो ऊपर, मैं सब समझाता हूँ।
ललिता को कुछ समझ नहीं आता है, वो शरद के साथ वापस ऊपर चली जाती है और जाते-जाते शरद सचिन को इशारा करके जाता है कि इनका ख्याल रखना।
अंकित- ओह्ह मा.. ये क्या है, सचिन कौन सी फिल्म और कौन धरम अन्ना यहाँ कौन सा गेम चल रहा है? यार पटाखा यहाँ क्या कर रही है?
सुधीर- माँ कसम.. क्या लग रही थी साली, मन तो किया अभी उसकी गाण्ड पकड़ लूँ। साली हमेशा तड़पाती है, पर हाथ नहीं आती है।
सचिन- रचना भी यहीं है, अगर तुम दोनों शरद की बात मानोगे, तो दोनों बहनें तुमको मिल सकती हैं.. बोलो क्या बोलते हो?
अंकित- सचिन भाई गर्दन उड़ा देना, अगर मैं शरद भाई की बात मानने से इन्कार करूँ तो… बस रचना की दिला दो, उस रंडी को पटक-पटक कर चोदना चाहता हूँ। साली का सारा गुरूर उसकी चूत से पानी बना कर निकाल दूँगा और ललिता की तो गाण्ड मारूँगा हर बार साली गाण्ड हिला कर लौड़ा खड़ा कर जाती है।
सुधीर- हाँ मैं भी रेडी हूँ बस ललिता और रचना को नंगी आपने आजू-बाजू सुलाना चाहता हूँ उनको बेदर्दी से चोदना चाहता हूँ।
अशोक की आँखों में गुस्सा था, पर पता नहीं, वो क्या सोच कर चुप था। शरद और ललिता वापस रूम में चले जाते हैं।
रचना- कहाँ चले गए थे आप?
शरद- मैंने रूम से बाहर आने को मना किया था न…! हम फिल्म के बारे में ही बात कर रहे हैं। धरम अन्ना भी अभी तक नहीं आया।
रचना- अमर कहाँ है?
शरद- वो धरम अन्ना के पास गया है, उसके साथ वापस आएगा। अब तुम दोनों यहीं रहना ओके..! मैं आता हूँ।
इतना बोलकर शरद बाहर निकल जाता है। रचना को कुछ समझ नहीं आता है।
बाहर आकर शरद किसी को फ़ोन करता है कि अन्दर आओ।
एक आदमी अन्दर आ जाता है। शरद उसको कमरे के पास खड़ा कर देता है और उसको समझा देता है कि इनको बाहर मत आने देना और खुद धरम अन्ना को फ़ोन करता है।
शरद- कहाँ हो धरम अन्ना? अब तक आए नहीं..!
धरम अन्ना- हम थोड़ा समय बाद आता जी यहाँ थोड़ी गड़बड़ हो गई है, आकर बताता हूँ। अभी फ़ोन रखता हूँ।
शरद सीधा नीचे जाता है।
दोस्तों ऐसे आपको शायद मज़ा नहीं आ रहा होगा, तो चलो स्टोरी को सीधे वहीं ले चलती हूँ, ताकि आपको आराम से सारी बात समझ आ जाए।
अंकित- ओह्ह वाउ रचना आज तो मस्त लग रही हो।
रचना- बस अपनी बकवास बन्द करो, रात को तो बड़े दाँत निकाल कर हंस रहे थे तुम दोनों…!
सुधीर- सॉरी बाबा, एक बात कहूँ बुरा ना मानना पूनम खूबसूरत तो बहुत है, पर तुम्हारी तरह स्टाइलिश नहीं है। वो सीधी-साधी है बेचारी…!
रचना- बस अब मेरे सामने उसकी तारीफ मत करो और वो कोई सीधी नहीं है कुत्ती, जानबूझ कर इतना तैयार होकर आई थी ताकि सब उसके पीछे लट्टू हो जाएं। अब तुम दोनों मेरी मदद करो, मुझे उससे अपनी इस बेइज्जती का बदला लेना है।
अंकित- ओह्ह वाउ रानी को बदला लेना है, पर इसमे हमारा क्या फायदा होगा ये तो बताओ?
रचना- पैसों से बढ़ कर इस दुनिया में कुछ नहीं है, अपना मुँह खोलो कितना लोगे?
अंकित- वो बाद में पहले करना क्या होगा वो बताओ?
रचना- देखो प्लान तो मेरे पास नहीं है, पर कल रात मैंने गुस्से में घर में तोड़-फोड़ की, तब ललिता ने कहा कि तेज़ाब से उसका चेहरा जला दो, मगर मेरा भाई अमर कहता है पुलिस का चक्कर हो जाएगा। स्कूल में सब के सामने उसका मुँह काला कर दो अपने आप जलील हो जाएगी… साली।
अंकित- तो तुमने क्या सोचा?
रचना- ये सब नहीं मुझे कुछ बड़ा करना है ताकि वो किसी को हमारा नाम भी ना बताए और सारी उमर लोग उसको देख कर हँसे भी।
अंकित- ऐसा क्या सोचा है बताओ तो?
रचना- देखो हम उसे नींद की गोली देकर उसका न्यूड एमएमएस बना लेंगे और उसके चेहरे पर तेज़ाब की एक-दो बूंदे गिरा देंगे जिससे चेहरा जलेगा भी नहीं और दाग भी हो जाएगा और वो किसी को ये नहीं बता पाएगी क्योंकि हम उसको एमएमएस की धमकी देंगे।
सुधीर- वाउ.. क्या प्लान है, पर इसमें हम क्या करेंगे..? ये सब तो तुम खुद भी कर सकती हो और न्यूड एमएमएस वाउ.. मज़ा आ जाएगा…!
रचना- नहीं इतना सब मुझसे नहीं होगा, मैं उसको ले आऊँगी, बाकी काम तुमको ही करना है ओके…!
अंकित- ओके हो जाएगा 20000 लगेंगे और कब करना है कहाँ लाओगी उसको?
रचना- जगह का भी तुम ही बताओ?
सुधीर- मेरे अंकल के घर में ले आना, वहाँ कोई नहीं है सब कुछ दिनों के लिए गाँव गए हैं।
रचना- ओके कहाँ है, पता बता दो मुझे? कल सुबह ही उसको ले आती हूँ नींद की गोली तुम ले आना ओके..!
अंकित- ओके, पर उसको लाओगी कैसे?
रचना- वो मेरा टेन्शन है, बस कल तैयार रहना, तेज़ाब लाना भूलना मत, कल सुबह 9 बजे वहाँ पर मैं उसको ले आऊँगी।
सुधीर उसको पता बता देता है और उसके जाने के बाद।
सुधीर- यार अंकित न्यूड एमएमएस मतलब पूनम नंगी हमारे सामने होगी। यार अच्छा मौका है साली को रगड़ देंगे कल।
अंकित- लेकिन रचना का क्या करेंगे?
सुधीर- अरे उसके प्लान का उसी पर इस्तेमाल करेंगे, एक गोली उसको भी टिका देंगे, साली बहुत ज़्यादा स्मार्ट बनती है, पूनम के साथ-साथ उसका भी एमएमएस बना देंगे भाई सोचो दोनों टॉप की आइटम कल हमारे हाथ लगने वाली हैं, मज़ा आ जाएगा…!
अंकित- हाँ यार अब तू देख मैं कल नींद की नहीं, कोई और ही गोली लाता हूँ। दोनों को खिला कर मज़ा करेंगे हा हा हा हा हा…!
इन दोनों की बातें सुनकर शरद का तो सर चकरा गया था। रचना इस हद तक जा सकती है, ये तो उसने सोचा भी नहीं था। अशोक भी एकदम चुप उनकी बातें सुन रहा था।
सचिन- अरे बाप रे साली राण्ड ऐसा गेम खेली और मादरचोदो तुम उसके भी बाप निकले। हाँ आगे बताओ, क्या रचना के साथ भी उस दिन तुमने खेल खेला? कौन सी गोली लाए थे? बताओ सालों मुझे जानना है सारी बात?
अंकित- हाँ बताता हूँ भाई, मैंने वो गोली लाया था जो ड्रग्स की तरह काम करती है। इसे लेने के बाद इंसान होश में तो रहता है लेकिन दिमाग़ सुन्न हो जाता है और इससे सेक्सी फीलिंग्स आती हैं। कपड़े निकाल फेंकने का मन करता है। बड़ी मुश्किल से मैंने गोलियों का बंदोबस्त किया था। दूसरे दिन सुबह 9 बजे रचना और पूनम वहाँ आ गए।
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शरद- ओह्ह मैं समझा तुमने स्टोरी सुन ली है, कोई बात नहीं तुम चलो ऊपर, मैं सब समझाता हूँ।
ललिता को कुछ समझ नहीं आता है, वो शरद के साथ वापस ऊपर चली जाती है और जाते-जाते शरद सचिन को इशारा करके जाता है कि इनका ख्याल रखना।
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अंकित- सचिन भाई गर्दन उड़ा देना, अगर मैं शरद भाई की बात मानने से इन्कार करूँ तो… बस रचना की दिला दो, उस रंडी को पटक-पटक कर चोदना चाहता हूँ। साली का सारा गुरूर उसकी चूत से पानी बना कर निकाल दूँगा और ललिता की तो गाण्ड मारूँगा हर बार साली गाण्ड हिला कर लौड़ा खड़ा कर जाती है।
सुधीर- हाँ मैं भी रेडी हूँ बस ललिता और रचना को नंगी आपने आजू-बाजू सुलाना चाहता हूँ उनको बेदर्दी से चोदना चाहता हूँ।
अशोक की आँखों में गुस्सा था, पर पता नहीं, वो क्या सोच कर चुप था। शरद और ललिता वापस रूम में चले जाते हैं।
रचना- कहाँ चले गए थे आप?
शरद- मैंने रूम से बाहर आने को मना किया था न…! हम फिल्म के बारे में ही बात कर रहे हैं। धरम अन्ना भी अभी तक नहीं आया।
रचना- अमर कहाँ है?
शरद- वो धरम अन्ना के पास गया है, उसके साथ वापस आएगा। अब तुम दोनों यहीं रहना ओके..! मैं आता हूँ।
इतना बोलकर शरद बाहर निकल जाता है। रचना को कुछ समझ नहीं आता है।
बाहर आकर शरद किसी को फ़ोन करता है कि अन्दर आओ।
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शरद- कहाँ हो धरम अन्ना? अब तक आए नहीं..!
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शरद सीधा नीचे जाता है।
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Re: कामुक कलियों की प्यास
शरद- अशोक तुम ऊपर के रूम में जाओ। मुझे ललिता पर शक है वीडियो में देखो, उसने यहाँ कुछ सुना तो नहीं न.. हम यहाँ संभालते हैं और प्लीज़ ऐसा-वैसा कुछ मत कर देना। कुछ भी बात हो, मुझे इन्फॉर्म करना ओके…!
अशोक ‘ओके’ बोल कर वहाँ से निकल जाता है।
सचिन- अच्छा किया उसको भेज दिया, ये दोनों ललिता को देख कर पागल हो गए, सब
करने को तैयार हैं।
शरद- पहले पूरी बात बताओ, तुम दोनों ने क्या किया? रचना कैसे बच गई थी? और पूनम ने तुम दो को ही देखा था क्या? अमर ने भी तो किया था न? उसका नाम उसने क्यों नहीं लिया?
अंकित- भाई आप पूरी बात सुनो, आप खुद समझ जाओगे?
दोस्तों अंकित के मुँह से सुनने में मज़ा नहीं आ रहा चलो खुद देख लेते हैं कि वहाँ क्या हुआ था।
सुबह 9 बजे रचना और पूनम वहाँ पहुँच जाते हैं।
रचना ने जींस और टी-शर्ट पहनी थी और पूनम ने पिंक सलवार-कमीज़ पहनी थी। क्या क़यामत लग रही थी वो…!
पूनम- रचना ये कहाँ ले आई मुझे..! तुमने कहा था कि किसी फ्रेण्ड से मिलवाओगी, जो
बहुत बीमार है, पर ये किस का घर है? तुमने कहा था कि हॉस्पिटल जा रहे हैं?
रचना- अरे यार, आओ तो… सब पता चल जाएगा।
रचना डोर नॉक करती है। सुधीर डोर खोल देता है।
रचना- हाय सुधीर कैसे हो, निमा कहाँ है? अब उसकी तबीयत कैसी है?
रचना आँख से सुधीर को इशारा कर देती है।
पूनम को देख कर सुधीर की तो आँखों में चमक आ जाती है।
वो उस ड्रेस में वो बहुत मस्त लग रही थी।
सुधीर- आओ ना… अन्दर आओ, वो रूम में है।
दोनों अन्दर आ जाती हैं। तभी सुधीर के फ़ोन पर रिंग आती है। वो साइड में होकर फोन सुनता है।
सुधीर- हैलो कौन?
अमर- अमर बोल रहा हूँ, रचना वहाँ आई है न.. पूनम को लेके.. मैं जानता हूँ रचना ने तुम दोनों के साथ मिल कर कोई प्लान बनाया है, पर तुम दोनों ध्यान रखना, मेरी नज़र तुम दोनों पर ही है। रचना के साथ डबल-गेम खेलने की कोशिश मत करना। मैं तुम दोनों को अच्छे से जानता हूँ..!
सुधीर-. ओके बाबा, विश्वास करो, हम बस उसकी हेल्प कर रहे हैं।
अमर- ओके मैं यहीं तुम्हारे घर के बाहर खड़ा हूँ कोई गड़बड़ हुई ना, तो देख लेना…!
सुधीर- ओके बाबा, अब बाय।
रचना और पूनम हॉल में सोफे पर बैठ जाती हैं। सुधीर बात करके आता है।
सुधीर- सॉरी, वो एक दोस्त का फ़ोन था निमा के बारे में पूछ रहा था, मैं अभी आया।
सुधीर अन्दर जाकर अंकित को अमर की बात बता देता है।
अंकित- साली रंडी अपने बॉडीगार्ड को साथ लाई है, नहीं तो आज उसकी जवानी का मज़ा ले ही लेते।
सुधीर- जाने दे ना यार, एक गिलास में गोली डाल दे, उसको फिर कभी चोद लेंगे। आज पूनम का मज़ा लेते है न..!
अंकित- ओके, तू बाहर जा.. मैं आता हूँ।
सुधीर बाहर आ जाता है और आकर बैठ जाता है।
पूनम को कुछ अजीब सा महसूस होता है।
पूनम- यार, मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा हम किससे मिलने आए हैं और ऐसे बाहर क्यों बैठे हैं? चलो ना अन्दर, तुम्हारी फ्रेण्ड को मिल कर वापस चलते हैं।
रचना- हाँ सही कहा तुमने।
रचना आगे कुछ बोलती अंकित ट्रे में जूस लेकर आ गया।
अंकित- लो भाई ठंडा-ठंडा जूस पियो।
पूनम- अरे अंकित, तुम भी यहीं हो और ये जूस तुम क्यों लाए हो? ये क्या चल रहा है, समझ नहीं आ रहा है।
रचना- अरे यार निमा अंकित की बहन है और सुधीर इसका चचेरा भाई है। इसमें अजीब क्या है यार? सुधीर निमा को बुलाओ ना..!
अंकित- मैंने उसको बोल दिया है, वो बाथरूम में है, बस आती होगी। लो तब तक ये जूस पियो।
पूनम को अजीब तो लग रहा था, पर वो उनकी साजिश को समझ ना पाई और उसने वो जूस पी लिया। दोस्तों आप शायद जानते नहीं, अंकित ने उसमें फुल डोज डाली थी, जिससे एक मिनट में ही उसका सर घूमने लगा और साथ में अंकित ने उसमें सेक्स उत्तेज़ित करने की गोली भी डाली थी, जिससे पूनम के बदन में अजीब सी हलचल होने लगी थी।
पूनम- उफ्फ रचना… मेरा सर घूम रहा है। ये क्या हो रहा है मुझे?
रचना- ओह्ह माय गॉड… क्या हुआ तुमको, सुधीर इसे रूम में ले चलो, इसको क्या हो गया है?
सुधीर फट से खड़ा हुआ और पूनम को सहारा देते हुए बेडरूम तक ले गया और बेड पर लेटा दिया।
पूनम- उहह न न… नहीं, मुझे नहीं सोना य य यहाँ मु..मु..झे घर ज..ज..जाना है।
रचना- अरे यार ऐसी हालत में कैसे जाओगी? थोड़ी देर आराम कर लो, बाद में हम घर चलेंगे।
पूनम- उफ्फ कितनी आ..हह.. गर्मी है यहाँ। मुझे ब बहउत ग..ग..गर्मी लग रही है…आ..हह.. मेरे बदन में आ..हह.. कुछ हो रहा है..आ..हह.. अजीब सा दर्द हो रहा है।
रचना- ओहह ये क्या हो गया तुमको.. अरे तुम दोनों खड़े क्या देख रहे हो, थोड़ा बदन दबाओ, इसके कपड़े निकालो.. पूनम को इन कपड़ों में गर्मी लग रही है।
पूनम का सर घूम रहा था, पर वो होश में थी, ये सुनते ही रोने लगी।
उसके हाथ-पांव में बिल्कुल ताक़त नहीं थी कि उनका विरोध कर सके।
दोनों बेड पर बैठ गए, अंकित पूनम के मम्मों को सहलाने लगा और सुधीर उसकी कमीज़ को निकालने में लग गया।
पूनम- न न नहीं प्लीज़ उउउ उउउ ऐसा आ म मत करो आ आ रचना आ इनको रोको ना…!
रचना- चुप छिनाल, अब दवा का पूरा असर हो गया है, अब सुन यहाँ कोई निमा नहीं है यहाँ आज तेरा एमएमएस बनेगा। मेरी बेइज़्ज़ती करवाई थी न तूने, उन के बीच.. अब देख मैं क्या करती हूँ..!
सुधीर उसका कमीज़ निकाल देता है। गोरे बदन पर ब्लैक ब्रा क्या मस्त लग रही थी। उसके 32″ के नुकीले मम्मे बाहर निकालने को बेताब थे और सेक्स की गोली ने भी अपना काम चालू कर दिया था। पूनम के निप्पल एकदम खड़े ब्रा में से भी साफ दिख रहे थे।
पूनम- प्लीज़ उउउ भगवान के लिए मु..म मु..मुझे छोड़ दो आ..आ..उउ आ..हह.. आ रचना मैंने तुम्हारा क्या बिगाड़ा है…!
रचना- चुप रंडी… रोना बन्द कर तू, जब आई उसी दिन मैंने कसम खाई थी कि तुझ से बदला लूँगी। सब मेरे हुस्न के दीवाने थे, पर तूने अपनी अदाओं से सब को अपना बना लिया। तू किसी रंडी की औलाद है, जो तेरे पास सब अदायें हैं। इसी लिए मैंने तुझसे दोस्ती की, तेरा भरोसा जीता, पर तू जानबूझ कर तैयार होकर आती थी। ताकि मेरा क्रेज कम हो, पार्टी में तूने ही लड़कों को इशारा किया था कि मेरी बेइज़्ज़ती करें। अब तू देख मैं तेरा क्या हाल करती हूँ..!
अंकित- क्या मस्त आइटम है यार…!
रचना- अब मेरा मुँह क्या देख रहे हो, जल्दी से इसको नंगा करो। मुझे वीडियो बनानी है।
सुधीर- अभी लो बॉस.. मैं इसका नाड़ा खोल देता हूँ।
पूनम- न न नहीं प्लीज़ प्प प्लीज़ रचना तू तू तुम गलत समझ रही हो..
मैंने कभी तुमको नीचा न..नहीं दिखाना चाहा।
सुधीर ने नाड़ा खोल कर सलवार भी निकाल दी। सिम्मी ने पैन्टी भी ब्लैक पहनी थी, जो ब्रा की तरह पतली और जालीदार थी, उसमें से उसकी बड़ा-पाव जैसी फूली हुई चूत साफ दिख रही थी।
सुधीर- वाउ…. क्या सीन है यार..! मेरा पप्पू का तो हाल खराब हो रहा है।
रचना- बस बस ये फिल्मी डायलोग बन्द करो और पूरी नंगी कर दो इसको, मैं मोबायल ऑन करती हूँ।
अंकित ने सिम्मी की ब्रा खोल दी, उसके मदमस्त कर देने वाले मम्मे आज़ाद हो गए और सुधीर ने पैन्टी निकाल दी, एकदम क्लीन-शेव्ड चूत सामने आ गई। शायद कल ही उसने शेव की होगी।
रचना- गुड अब पोज़ लेने दो, बड़ी शरीफ बनती फिरती है, चूत को कैसे साफ किया हुआ है… जरूर इसका किसी के साथ चक्कर होगा रंडी कहीं की..!
अशोक ‘ओके’ बोल कर वहाँ से निकल जाता है।
सचिन- अच्छा किया उसको भेज दिया, ये दोनों ललिता को देख कर पागल हो गए, सब
करने को तैयार हैं।
शरद- पहले पूरी बात बताओ, तुम दोनों ने क्या किया? रचना कैसे बच गई थी? और पूनम ने तुम दो को ही देखा था क्या? अमर ने भी तो किया था न? उसका नाम उसने क्यों नहीं लिया?
अंकित- भाई आप पूरी बात सुनो, आप खुद समझ जाओगे?
दोस्तों अंकित के मुँह से सुनने में मज़ा नहीं आ रहा चलो खुद देख लेते हैं कि वहाँ क्या हुआ था।
सुबह 9 बजे रचना और पूनम वहाँ पहुँच जाते हैं।
रचना ने जींस और टी-शर्ट पहनी थी और पूनम ने पिंक सलवार-कमीज़ पहनी थी। क्या क़यामत लग रही थी वो…!
पूनम- रचना ये कहाँ ले आई मुझे..! तुमने कहा था कि किसी फ्रेण्ड से मिलवाओगी, जो
बहुत बीमार है, पर ये किस का घर है? तुमने कहा था कि हॉस्पिटल जा रहे हैं?
रचना- अरे यार, आओ तो… सब पता चल जाएगा।
रचना डोर नॉक करती है। सुधीर डोर खोल देता है।
रचना- हाय सुधीर कैसे हो, निमा कहाँ है? अब उसकी तबीयत कैसी है?
रचना आँख से सुधीर को इशारा कर देती है।
पूनम को देख कर सुधीर की तो आँखों में चमक आ जाती है।
वो उस ड्रेस में वो बहुत मस्त लग रही थी।
सुधीर- आओ ना… अन्दर आओ, वो रूम में है।
दोनों अन्दर आ जाती हैं। तभी सुधीर के फ़ोन पर रिंग आती है। वो साइड में होकर फोन सुनता है।
सुधीर- हैलो कौन?
अमर- अमर बोल रहा हूँ, रचना वहाँ आई है न.. पूनम को लेके.. मैं जानता हूँ रचना ने तुम दोनों के साथ मिल कर कोई प्लान बनाया है, पर तुम दोनों ध्यान रखना, मेरी नज़र तुम दोनों पर ही है। रचना के साथ डबल-गेम खेलने की कोशिश मत करना। मैं तुम दोनों को अच्छे से जानता हूँ..!
सुधीर-. ओके बाबा, विश्वास करो, हम बस उसकी हेल्प कर रहे हैं।
अमर- ओके मैं यहीं तुम्हारे घर के बाहर खड़ा हूँ कोई गड़बड़ हुई ना, तो देख लेना…!
सुधीर- ओके बाबा, अब बाय।
रचना और पूनम हॉल में सोफे पर बैठ जाती हैं। सुधीर बात करके आता है।
सुधीर- सॉरी, वो एक दोस्त का फ़ोन था निमा के बारे में पूछ रहा था, मैं अभी आया।
सुधीर अन्दर जाकर अंकित को अमर की बात बता देता है।
अंकित- साली रंडी अपने बॉडीगार्ड को साथ लाई है, नहीं तो आज उसकी जवानी का मज़ा ले ही लेते।
सुधीर- जाने दे ना यार, एक गिलास में गोली डाल दे, उसको फिर कभी चोद लेंगे। आज पूनम का मज़ा लेते है न..!
अंकित- ओके, तू बाहर जा.. मैं आता हूँ।
सुधीर बाहर आ जाता है और आकर बैठ जाता है।
पूनम को कुछ अजीब सा महसूस होता है।
पूनम- यार, मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा हम किससे मिलने आए हैं और ऐसे बाहर क्यों बैठे हैं? चलो ना अन्दर, तुम्हारी फ्रेण्ड को मिल कर वापस चलते हैं।
रचना- हाँ सही कहा तुमने।
रचना आगे कुछ बोलती अंकित ट्रे में जूस लेकर आ गया।
अंकित- लो भाई ठंडा-ठंडा जूस पियो।
पूनम- अरे अंकित, तुम भी यहीं हो और ये जूस तुम क्यों लाए हो? ये क्या चल रहा है, समझ नहीं आ रहा है।
रचना- अरे यार निमा अंकित की बहन है और सुधीर इसका चचेरा भाई है। इसमें अजीब क्या है यार? सुधीर निमा को बुलाओ ना..!
अंकित- मैंने उसको बोल दिया है, वो बाथरूम में है, बस आती होगी। लो तब तक ये जूस पियो।
पूनम को अजीब तो लग रहा था, पर वो उनकी साजिश को समझ ना पाई और उसने वो जूस पी लिया। दोस्तों आप शायद जानते नहीं, अंकित ने उसमें फुल डोज डाली थी, जिससे एक मिनट में ही उसका सर घूमने लगा और साथ में अंकित ने उसमें सेक्स उत्तेज़ित करने की गोली भी डाली थी, जिससे पूनम के बदन में अजीब सी हलचल होने लगी थी।
पूनम- उफ्फ रचना… मेरा सर घूम रहा है। ये क्या हो रहा है मुझे?
रचना- ओह्ह माय गॉड… क्या हुआ तुमको, सुधीर इसे रूम में ले चलो, इसको क्या हो गया है?
सुधीर फट से खड़ा हुआ और पूनम को सहारा देते हुए बेडरूम तक ले गया और बेड पर लेटा दिया।
पूनम- उहह न न… नहीं, मुझे नहीं सोना य य यहाँ मु..मु..झे घर ज..ज..जाना है।
रचना- अरे यार ऐसी हालत में कैसे जाओगी? थोड़ी देर आराम कर लो, बाद में हम घर चलेंगे।
पूनम- उफ्फ कितनी आ..हह.. गर्मी है यहाँ। मुझे ब बहउत ग..ग..गर्मी लग रही है…आ..हह.. मेरे बदन में आ..हह.. कुछ हो रहा है..आ..हह.. अजीब सा दर्द हो रहा है।
रचना- ओहह ये क्या हो गया तुमको.. अरे तुम दोनों खड़े क्या देख रहे हो, थोड़ा बदन दबाओ, इसके कपड़े निकालो.. पूनम को इन कपड़ों में गर्मी लग रही है।
पूनम का सर घूम रहा था, पर वो होश में थी, ये सुनते ही रोने लगी।
उसके हाथ-पांव में बिल्कुल ताक़त नहीं थी कि उनका विरोध कर सके।
दोनों बेड पर बैठ गए, अंकित पूनम के मम्मों को सहलाने लगा और सुधीर उसकी कमीज़ को निकालने में लग गया।
पूनम- न न नहीं प्लीज़ उउउ उउउ ऐसा आ म मत करो आ आ रचना आ इनको रोको ना…!
रचना- चुप छिनाल, अब दवा का पूरा असर हो गया है, अब सुन यहाँ कोई निमा नहीं है यहाँ आज तेरा एमएमएस बनेगा। मेरी बेइज़्ज़ती करवाई थी न तूने, उन के बीच.. अब देख मैं क्या करती हूँ..!
सुधीर उसका कमीज़ निकाल देता है। गोरे बदन पर ब्लैक ब्रा क्या मस्त लग रही थी। उसके 32″ के नुकीले मम्मे बाहर निकालने को बेताब थे और सेक्स की गोली ने भी अपना काम चालू कर दिया था। पूनम के निप्पल एकदम खड़े ब्रा में से भी साफ दिख रहे थे।
पूनम- प्लीज़ उउउ भगवान के लिए मु..म मु..मुझे छोड़ दो आ..आ..उउ आ..हह.. आ रचना मैंने तुम्हारा क्या बिगाड़ा है…!
रचना- चुप रंडी… रोना बन्द कर तू, जब आई उसी दिन मैंने कसम खाई थी कि तुझ से बदला लूँगी। सब मेरे हुस्न के दीवाने थे, पर तूने अपनी अदाओं से सब को अपना बना लिया। तू किसी रंडी की औलाद है, जो तेरे पास सब अदायें हैं। इसी लिए मैंने तुझसे दोस्ती की, तेरा भरोसा जीता, पर तू जानबूझ कर तैयार होकर आती थी। ताकि मेरा क्रेज कम हो, पार्टी में तूने ही लड़कों को इशारा किया था कि मेरी बेइज़्ज़ती करें। अब तू देख मैं तेरा क्या हाल करती हूँ..!
अंकित- क्या मस्त आइटम है यार…!
रचना- अब मेरा मुँह क्या देख रहे हो, जल्दी से इसको नंगा करो। मुझे वीडियो बनानी है।
सुधीर- अभी लो बॉस.. मैं इसका नाड़ा खोल देता हूँ।
पूनम- न न नहीं प्लीज़ प्प प्लीज़ रचना तू तू तुम गलत समझ रही हो..
मैंने कभी तुमको नीचा न..नहीं दिखाना चाहा।
सुधीर ने नाड़ा खोल कर सलवार भी निकाल दी। सिम्मी ने पैन्टी भी ब्लैक पहनी थी, जो ब्रा की तरह पतली और जालीदार थी, उसमें से उसकी बड़ा-पाव जैसी फूली हुई चूत साफ दिख रही थी।
सुधीर- वाउ…. क्या सीन है यार..! मेरा पप्पू का तो हाल खराब हो रहा है।
रचना- बस बस ये फिल्मी डायलोग बन्द करो और पूरी नंगी कर दो इसको, मैं मोबायल ऑन करती हूँ।
अंकित ने सिम्मी की ब्रा खोल दी, उसके मदमस्त कर देने वाले मम्मे आज़ाद हो गए और सुधीर ने पैन्टी निकाल दी, एकदम क्लीन-शेव्ड चूत सामने आ गई। शायद कल ही उसने शेव की होगी।
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(एक बार ऊपर आ जाईए न भैया )..(परिवार में हवस और कामना की कामशक्ति )..(लेखक-प्रेम गुरु की सेक्सी कहानियाँ running)..(कांता की कामपिपासा running).. (वक्त का तमाशा running).. (बहन का दर्द Complete )..
( आखिर वो दिन आ ही गया Complete )...(ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगाना complete)..(ज़िद (जो चाहा वो पाया) complete)..(दास्तान ए चुदाई (माँ बेटी बेटा और किरायेदार ) complete) .. (एक राजा और चार रानियाँ complete)..(माया complete...)--(तवायफ़ complete)..(मेरी सेक्सी बहनेंcompleet) ..(दोस्त की माँ नशीली बहन छबीली compleet)..(माँ का आँचल और बहन की लाज़ compleet)..(दीवानगी compleet..(मेरी बर्बादी या आबादी (?) की ओर पहला कदमcompleet) ...(मेले के रंग सास,बहू और ननद के संग).
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(फैमिली में मोहब्बत और सेक्स (complet))........(कोई तो रोक लो)......(अमन विला-एक सेक्सी दुनियाँ)............. (ननद की ट्रैनिंग compleet)..............( सियासत और साजिश)..........(सोलहवां सावन)...........(जोरू का गुलाम या जे के जी).........(मेरा प्यार मेरी सौतेली माँ और बेहन)........(कैसे भड़की मेरे जिस्म की प्यास)........(काले जादू की दुनिया)....................(वो शाम कुछ अजीब थी)
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- jay
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- Joined: 15 Oct 2014 22:49
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Re: कामुक कलियों की प्यास
अंकित को अफ़सोस हो रहा था कि रचना एक लड़की होकर इतने खुले अंदाज में बोल रही थी, पर इतना सोचने का उन दोनों के पास समय कहाँ था, वो तो भूखे कुत्तों की तरह सिम्मी पर टूट पड़े।
सिम्मी सिसकारे जा रही थी और वो दोनों उसको चूमने में लगे हुए थे। अंकित उसके निप्पल चूस रहा था और सुधीर उसकी चूत चाटने में लगा हुआ था।
दो मिनट तक ये चलता रहा, अब सिम्मी को शायद मज़ा आ रहा था। वो मुँह से अजीब आवाजें निकालने लगी थी।
रचना- अब बस भी करो… जाओ तेज़ाब लेकर आओ, इसके चेहरे और जिस्म पर दो-तीन दाग लगा दो, ताकि इसे पता चल जाए मैं क्या चीज हूँ…!
अंकित- पागल हो गई हो क्या..! नहीं हमें इसकी जवानी तो लूटने दो..और तुम भी देखो सेक्स कैसे होता है..! क्या पता तुम्हारा भी मन हो जाए चुदने को और तुम भी नंगी होकर यहीं आ जाओ।
रचना- चुप रह कुत्ते, तेरी इतनी औकात नहीं कि तू मुझे छू भी कर सके और तुमने इतनी बड़ी बात बोल दी। अब मैं जा रही हूँ तुमको इसके साथ जो करना है करो, आई डोंट माइंड बस ये छिनाल को अपना मुँह नहीं खोलना चाहिए। जब ये होश में आए तो इसे बता देना की हमने इसका वीडियो बना लिया है और तेज़ाब से दाग लगाना मत भूलना वरना मुझ से बुरा कोई नहीं होगा।
रचना गुस्से में पैर पटकती हुई रूम से बाहर निकल जाती है।
सुधीर- अरे यार वो तो चली गई।
अंकित- जाने दे यार, साली को फिर कभी पटा लेंगे, अभी इसको देख कितना गोरा बदन है, यार मेरा लौड़ा तो पैन्ट में तूफान मचा रहा है। यार इसके होंठ तो देख, कितने पतले हैं आ..हह.फ अपना लौड़ा साली के होंठों पर फेरता हूँ… तू चूत को चाट कर गीला कर… साली की अभी सील तोड़ता हूँ.. अब बर्दाश्त नहीं हो रहा है।
दोस्तो, बीच में आने के लिए सॉरी। मैं आपको बता दूँ कि अंकित तो सारी बात शॉर्ट में ही बता रहा है, इतना डीप में नहीं। मगर आप लोगों को चुदाई का भरपूर मज़ा मिले इसलिए वहाँ क्या हुआ, ये मैं आपको विस्तार से बता रही हूँ ओके…एंजाय…!
अंकित आपने कपड़े निकाल देता है। उसका 7″ का लौड़ा आज़ाद हो जाता है।
पूनम- उउउ आ..हह.. उफ्फ धीरे… अईआइ आ..हह.. प्लीज़ आ उई आईए आह…!
अंकित लौड़े को पूनम के होंठों पर घुमाने लगता है, वो पूनम का मुँह खोल कर लौड़ा अन्दर डाल देता है। वो चूस नहीं रही थी, अंकित बस मुँह में आगे-पीछे करने लगता है।
सुधीर- वाउ क्या टेस्टी चूत है यार.. आज तक सील-पैक चूत नहीं चाटी, मज़ा आ रहा है। इसकी चूत बहुत टाइट है, ऊँगली डालने की कोशिश कर रहा हूँ, पर जा ही नहीं रही।
अंकित- आह उफ़फ्फ़ साली के मुँह में इतनी गर्मी है, तो चूत में कितनी होगी आहह आ क्या मज़ा आ रहा है… तू बस चूत को चाट यार ऊँगली मत कर, मेरे लौड़े से आपने आप इसकी सील टूट जाएगी और चूत खुल भी जाएगी।
सुधीर- यार रुक मुझे भी नंगा होने दे, अन्दर साला लंड, मचल रहा है।
सुधीर भी नंगा हो जाता है, इसका लौड़ा भी अंकित की तरह मोटा और 7″ का ही था। उसने लौड़ा चूत पर रगड़ना शुरू कर दिया।
अंकित- अबे साले क्या कर रहा है? हट वहाँ से तेरा क्या भरोसा चूत पर रगड़ता-रगड़ता कहीं अन्दर डाल देगा। ला अब मुझसे बर्दाश्त नहीं हो रहा। अब साली को चोदने दे।
सुधीर वहाँ से हट जाता है और सिम्मी के मम्मे चूसने लगता है। अंकित लौड़े पर अच्छे से थूक लगाकर चूत पर टिका देता है।
पूनम- उउउ आआ आह न नहीं प्लीज़ आ आ उफ्फ आ मत तड़पाओ उहह आ प्लीज़ आ..हह.. नहीं आ…!
अंकित लौड़े पर दबाव बनाता है, पर वो ऊपर निकल जाता है। दोबारा ट्राई करता है, तो नीचे फिसल जाता है।
अंकित- उफ साली चूत है या तिजोरी… खुलती ही नहीं.. अबे सुधीर साले हिला मत, एक तो लौड़ा अन्दर नहीं जा रहा और तू कुत्तों की तरह मम्मे को दबा रहा है, चूस रहा है…!
सुधीर- रूको यार मैं ऊँगली से चूत की फाँक खोलता हूँ तुम टोपी अन्दर फँसा कर ज़ोर का झटका मार दो… लौड़ा आपने आप घुस जाएगा।
अंकित- अबे साले तू तो ऐसे बोल रहा है, जैसे मैं पहली बार किसी को चोद रहा होऊँ। भूल गया क्या रागिनी की कैसी दमदार चुदाई की थी मैंने और अनिता तो मेरे लंड की दीवानी है।
सुधीर- यार तुम भी ना किन रण्डियों की बात कर रहे हो..! दिन भर में ना जाने कितने लौड़े उनकी चूत में जाते हैं। वो उनका धन्धा है ऐसी सील पैक चूत मारी है कभी.. जो बात कर रहे हो..! चलो हटो मैं मदद करता हूँ..!
सुधीर ऊँगली से चूत को खोल देता है और अंकित दोबारा से बहुत सारा थूक चूत के अन्दर तक लगा देता है और आपने लौड़े को भी चिकना कर लेता है। फिर टिका देता है चूत के मुँह पर।
अंकित- आ..हह.. उफ्फ हाँ टोपी अन्दर फंस गई। अब धक्का मारता हूँ.. तू हाथ हटा लेना जल्दी से…!
सुधीर- ओके.. मार दे यार।
अंकित ज़ोर से एक धक्का मारता है, आधा लौड़ा सील तोड़ता हुआ अन्दर घुस जाता है। सिम्मी आधी होश में और आधी बेहोशी में थी, पर उस वक़्त वो अपनी पूरी ताक़त लगा कर चीखी।
सिम्मी- आआआ आआआआअह आ आआआआअ…!
अंकित- साले मुँह बन्द कर इसका… पूरे मोहल्ले को सुनने के बाद बंद करेगा क्या…!
सुधीर जल्दी से आपने होंठ सिम्मी के होंठों पर टिका देता है और अंकित आधे लौड़े को पीछे खींच कर एक और ज़ोर का धक्का मारता है। पूरा लौड़ा चूत को चीरता हुआ अन्दर समा जाता है। सिम्मी के होंठ बन्द थे, पर उसकी साँसें अटक गई थीं, इस फोर्सफुल एंट्री से उसकी आँखें बाहर को आ गई थीं और सबसे मज़े की बात आपको बताऊँ दोस्तों कि रचना गई नहीं थी। वो वहीं रूम के डोर के पास खड़ी थी, डोर थोड़ा सा खुला हुआ था और वो आराम से ये सब रिकॉर्ड कर रही थी। उसकी हालत भी खराब हो रही थी। ये सब देख कर उसकी चूत गीली हो गई थी।
सुधीर- वाह यार.. एक ही बार में पूरा लौड़ा घुसा दिया। क्या अब चूस लूँ इसके निप्पल.. मैंने हाथ रखा हुआ है इसके मुँह पर…!
अंकित- आ..हह.. आह चूस ले साले जो चूसना है उफ्फ इसकी चूत बहुत टाइट है, यार लौड़ा छिल गया लगता है…. उफ्फ बहुत गर्मी है इसकी चूत में लौड़ा फँस सा गया है…!
सुधीर- उफ़फ्फ़ क्या रसीले मम्मे हैं साली के… आ..हह.. मज़ा आ रहा है, यार जल्दी कर मेरा लौड़ा अब ज़्यादा देर टिका नहीं रह सकता। मुझे भी इसकी चूत का मज़ा लेना है।
अंकित- आ आ..हह.. हाँ यार आ..हह.. बस मैं झड़ने वाला हूँ आ..हह.. उफ़फ्फ़ मैं गया आह ह…!
अंकित ने पूरा पानी सिम्मी की चूत में भर दिया और लौड़ा बाहर निकाल लिया।
सुधीर- अरे यार तूने तो सारी चूत खराब कर दी अब पानी साफ करके ही डालूँगा और ये क्या इसकी सील टूटी, पर खून इतना सा ही आया, ये कैसे…!
अंकित- हाँ यार बस ना के बराबर खून आया है। कहीं इसकी सील पहले ही तो नहीं टूटी हुई थी…!
सुधीर- नहीं यार मैंने चूत को गौर से देखा है। पहली बार आज तूने ही चोदा है। एक बात हो सकती है, शायद बचपन में खेल-कूद में इसकी सील टूट गई होगी।
अंकित- हाँ ये हो सकता है, ले आजा डाल दे लौड़ा चूत में मुझे ज़ोर की लगी है मैं आता हूँ बाथरूम होकर।
सिम्मी की आँखों से आँसू लगातार जारी थे। वो इस चुदाई और दर्द से टूट गई थी, मगर पता नहीं उन कुत्तों ने उसको कौन सी दवा दे दी थी कि बेचारी के हाथ-पाँव में जान ही नहीं थी।
सुधीर ने लौड़े पर थूक लगाया और एक ही झटके में पूरा लौड़ा चूत में डाल दिया। इस बार सिम्मी को दर्द इतना ज़्यादा हुआ कि एक चीख के साथ वो बेहोश हो गई। 20 मिनट तक सुधीर उसको चोदता रहा और आख़िर उसका भी पानी निकल गया।
सिम्मी सिसकारे जा रही थी और वो दोनों उसको चूमने में लगे हुए थे। अंकित उसके निप्पल चूस रहा था और सुधीर उसकी चूत चाटने में लगा हुआ था।
दो मिनट तक ये चलता रहा, अब सिम्मी को शायद मज़ा आ रहा था। वो मुँह से अजीब आवाजें निकालने लगी थी।
रचना- अब बस भी करो… जाओ तेज़ाब लेकर आओ, इसके चेहरे और जिस्म पर दो-तीन दाग लगा दो, ताकि इसे पता चल जाए मैं क्या चीज हूँ…!
अंकित- पागल हो गई हो क्या..! नहीं हमें इसकी जवानी तो लूटने दो..और तुम भी देखो सेक्स कैसे होता है..! क्या पता तुम्हारा भी मन हो जाए चुदने को और तुम भी नंगी होकर यहीं आ जाओ।
रचना- चुप रह कुत्ते, तेरी इतनी औकात नहीं कि तू मुझे छू भी कर सके और तुमने इतनी बड़ी बात बोल दी। अब मैं जा रही हूँ तुमको इसके साथ जो करना है करो, आई डोंट माइंड बस ये छिनाल को अपना मुँह नहीं खोलना चाहिए। जब ये होश में आए तो इसे बता देना की हमने इसका वीडियो बना लिया है और तेज़ाब से दाग लगाना मत भूलना वरना मुझ से बुरा कोई नहीं होगा।
रचना गुस्से में पैर पटकती हुई रूम से बाहर निकल जाती है।
सुधीर- अरे यार वो तो चली गई।
अंकित- जाने दे यार, साली को फिर कभी पटा लेंगे, अभी इसको देख कितना गोरा बदन है, यार मेरा लौड़ा तो पैन्ट में तूफान मचा रहा है। यार इसके होंठ तो देख, कितने पतले हैं आ..हह.फ अपना लौड़ा साली के होंठों पर फेरता हूँ… तू चूत को चाट कर गीला कर… साली की अभी सील तोड़ता हूँ.. अब बर्दाश्त नहीं हो रहा है।
दोस्तो, बीच में आने के लिए सॉरी। मैं आपको बता दूँ कि अंकित तो सारी बात शॉर्ट में ही बता रहा है, इतना डीप में नहीं। मगर आप लोगों को चुदाई का भरपूर मज़ा मिले इसलिए वहाँ क्या हुआ, ये मैं आपको विस्तार से बता रही हूँ ओके…एंजाय…!
अंकित आपने कपड़े निकाल देता है। उसका 7″ का लौड़ा आज़ाद हो जाता है।
पूनम- उउउ आ..हह.. उफ्फ धीरे… अईआइ आ..हह.. प्लीज़ आ उई आईए आह…!
अंकित लौड़े को पूनम के होंठों पर घुमाने लगता है, वो पूनम का मुँह खोल कर लौड़ा अन्दर डाल देता है। वो चूस नहीं रही थी, अंकित बस मुँह में आगे-पीछे करने लगता है।
सुधीर- वाउ क्या टेस्टी चूत है यार.. आज तक सील-पैक चूत नहीं चाटी, मज़ा आ रहा है। इसकी चूत बहुत टाइट है, ऊँगली डालने की कोशिश कर रहा हूँ, पर जा ही नहीं रही।
अंकित- आह उफ़फ्फ़ साली के मुँह में इतनी गर्मी है, तो चूत में कितनी होगी आहह आ क्या मज़ा आ रहा है… तू बस चूत को चाट यार ऊँगली मत कर, मेरे लौड़े से आपने आप इसकी सील टूट जाएगी और चूत खुल भी जाएगी।
सुधीर- यार रुक मुझे भी नंगा होने दे, अन्दर साला लंड, मचल रहा है।
सुधीर भी नंगा हो जाता है, इसका लौड़ा भी अंकित की तरह मोटा और 7″ का ही था। उसने लौड़ा चूत पर रगड़ना शुरू कर दिया।
अंकित- अबे साले क्या कर रहा है? हट वहाँ से तेरा क्या भरोसा चूत पर रगड़ता-रगड़ता कहीं अन्दर डाल देगा। ला अब मुझसे बर्दाश्त नहीं हो रहा। अब साली को चोदने दे।
सुधीर वहाँ से हट जाता है और सिम्मी के मम्मे चूसने लगता है। अंकित लौड़े पर अच्छे से थूक लगाकर चूत पर टिका देता है।
पूनम- उउउ आआ आह न नहीं प्लीज़ आ आ उफ्फ आ मत तड़पाओ उहह आ प्लीज़ आ..हह.. नहीं आ…!
अंकित लौड़े पर दबाव बनाता है, पर वो ऊपर निकल जाता है। दोबारा ट्राई करता है, तो नीचे फिसल जाता है।
अंकित- उफ साली चूत है या तिजोरी… खुलती ही नहीं.. अबे सुधीर साले हिला मत, एक तो लौड़ा अन्दर नहीं जा रहा और तू कुत्तों की तरह मम्मे को दबा रहा है, चूस रहा है…!
सुधीर- रूको यार मैं ऊँगली से चूत की फाँक खोलता हूँ तुम टोपी अन्दर फँसा कर ज़ोर का झटका मार दो… लौड़ा आपने आप घुस जाएगा।
अंकित- अबे साले तू तो ऐसे बोल रहा है, जैसे मैं पहली बार किसी को चोद रहा होऊँ। भूल गया क्या रागिनी की कैसी दमदार चुदाई की थी मैंने और अनिता तो मेरे लंड की दीवानी है।
सुधीर- यार तुम भी ना किन रण्डियों की बात कर रहे हो..! दिन भर में ना जाने कितने लौड़े उनकी चूत में जाते हैं। वो उनका धन्धा है ऐसी सील पैक चूत मारी है कभी.. जो बात कर रहे हो..! चलो हटो मैं मदद करता हूँ..!
सुधीर ऊँगली से चूत को खोल देता है और अंकित दोबारा से बहुत सारा थूक चूत के अन्दर तक लगा देता है और आपने लौड़े को भी चिकना कर लेता है। फिर टिका देता है चूत के मुँह पर।
अंकित- आ..हह.. उफ्फ हाँ टोपी अन्दर फंस गई। अब धक्का मारता हूँ.. तू हाथ हटा लेना जल्दी से…!
सुधीर- ओके.. मार दे यार।
अंकित ज़ोर से एक धक्का मारता है, आधा लौड़ा सील तोड़ता हुआ अन्दर घुस जाता है। सिम्मी आधी होश में और आधी बेहोशी में थी, पर उस वक़्त वो अपनी पूरी ताक़त लगा कर चीखी।
सिम्मी- आआआ आआआआअह आ आआआआअ…!
अंकित- साले मुँह बन्द कर इसका… पूरे मोहल्ले को सुनने के बाद बंद करेगा क्या…!
सुधीर जल्दी से आपने होंठ सिम्मी के होंठों पर टिका देता है और अंकित आधे लौड़े को पीछे खींच कर एक और ज़ोर का धक्का मारता है। पूरा लौड़ा चूत को चीरता हुआ अन्दर समा जाता है। सिम्मी के होंठ बन्द थे, पर उसकी साँसें अटक गई थीं, इस फोर्सफुल एंट्री से उसकी आँखें बाहर को आ गई थीं और सबसे मज़े की बात आपको बताऊँ दोस्तों कि रचना गई नहीं थी। वो वहीं रूम के डोर के पास खड़ी थी, डोर थोड़ा सा खुला हुआ था और वो आराम से ये सब रिकॉर्ड कर रही थी। उसकी हालत भी खराब हो रही थी। ये सब देख कर उसकी चूत गीली हो गई थी।
सुधीर- वाह यार.. एक ही बार में पूरा लौड़ा घुसा दिया। क्या अब चूस लूँ इसके निप्पल.. मैंने हाथ रखा हुआ है इसके मुँह पर…!
अंकित- आ..हह.. आह चूस ले साले जो चूसना है उफ्फ इसकी चूत बहुत टाइट है, यार लौड़ा छिल गया लगता है…. उफ्फ बहुत गर्मी है इसकी चूत में लौड़ा फँस सा गया है…!
सुधीर- उफ़फ्फ़ क्या रसीले मम्मे हैं साली के… आ..हह.. मज़ा आ रहा है, यार जल्दी कर मेरा लौड़ा अब ज़्यादा देर टिका नहीं रह सकता। मुझे भी इसकी चूत का मज़ा लेना है।
अंकित- आ आ..हह.. हाँ यार आ..हह.. बस मैं झड़ने वाला हूँ आ..हह.. उफ़फ्फ़ मैं गया आह ह…!
अंकित ने पूरा पानी सिम्मी की चूत में भर दिया और लौड़ा बाहर निकाल लिया।
सुधीर- अरे यार तूने तो सारी चूत खराब कर दी अब पानी साफ करके ही डालूँगा और ये क्या इसकी सील टूटी, पर खून इतना सा ही आया, ये कैसे…!
अंकित- हाँ यार बस ना के बराबर खून आया है। कहीं इसकी सील पहले ही तो नहीं टूटी हुई थी…!
सुधीर- नहीं यार मैंने चूत को गौर से देखा है। पहली बार आज तूने ही चोदा है। एक बात हो सकती है, शायद बचपन में खेल-कूद में इसकी सील टूट गई होगी।
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