Incest माँ का आशिक

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josef
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Re: Incest माँ का आशिक

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शादाब " अम्मी मैं जानता हूं कि मुझसे गलती हुई है इसलिए एक दोस्त होने के नाते माफी मांगना मेरे फ़र्ज़ हैं।

शहनाज़ ने आगे बढ़कर अपने बेटे को गले लगा लिया और उसके गाल को खींचती हुई बोली:" चल जा माफ किया तुझे तू भी क्या याद रखेगा !!

शहनाज़ को अब खाना बनाना था क्योंकि दोपहर होने वाली थी और उसके दादा दादी को भूख दोपहर को थोड़ा जल्दी लग जाती थी। इसलिए वो बोली:"
" अच्छा बात सुन मुझे अब खाना बनाना होगा तब तुम कहीं घूम कर आना चाहो तो जा सकते हो!

शादाब अपनी अम्मी की तरफ देखते हुए शिकायती लहजे में बोला:" इतनी जल्दी अपने दोस्त से उब गई क्या जो बाहर जाने के लिए बोल रही हो??

शहनाज थोड़ा स्माइल करते हुए:" अरे बेटा ऐसी कोई बात नहीं है, मेरा ऐसा मतलब नहीं था।
शादाब:" अम्मी मैं चाहता हूं कि मैं खाना बनाने में आपकी मदद करूं !!
शहनाज़ को खुशी हुई कि उसका बेटा उसकी कितनी फिकर कर रहा हैं इसलिए वो बोली:"

" ठीक हैं बेटा, तुम एक काम करो सब्जी धोकर ले आओ तब तक मैं मसाले तैयार कर लेती हूं।

शहनाज़ अपनी मा की बात सुनते ही सब्जी धोने के लिए किचन में चला गया जबकि शहनाज़ ने एक पीतल की औखली निकाल ली जिसमें वो अक्सर मसाला कूटा करती थी। जल्दबाजी में उसने एक दूसरी बड़ी औखली का मूसल निकाल लिया। शहनाज़ ने मसाले को औखलीं में डाल दिया और जैसे ही उसने मसाला कूटने के लिए पीतल का मोटा मूसल उठाया तो मूसल हाथ में लेते ही उसे अपने बेटे का लंड याद आ गया तो उसका चेहरा गुलाबी हो उठा। उसने एक बार ध्यान से मूसल को उपर से नीचे तक निहारा और उसे एहसास हो गया था कि उसके बेटे का लंड किसी भी तरह से इस मूसल से कम नहीं, ना लंबाई में और ना ही मोटाई में बिल्कुल उसके जैसा हैं बल्कि उससे कहीं ज्यादा ठोस हैं अगर कठोरता की बात करू तो।

शहनाज़ की सांसे अपने आप उपर नीचे होने लगी और उसकी चूत में चीटियां सी दौड़ने लगी, उसने मूसल को औखलीं से बाहर निकाल लिया और उस पर अपनी उंगलियां फिराने लगी तो उसकी आंखे मस्ती से बंद हो गई । शहनाज़ को लगा जैसे वो अपने बेटे के तगड़े और कठोर लंड पर उंगलियां फिरा रही है । बीच बीच में वो मूसल को दबाने की कोशिश कर रही थी लेकिन वो कहां दबता तो उसके होंठो फड़क उठे और वो मन ही मन में बोली कि मेरे बेटा का तो बिल्कुल इतना ही कठोर हैं, ना ये दब रहा हैं और ना ही वो दबा था मुझसे।

शहनाज़ पूरी तरह से मस्ती में डूबी हुई अपनी बंद आंखो के साथ उस पर हाथ फेर रही थी। शादाब सब्जी धोकर वापिस आ रहा था और जैसे ही उसकी नजर अपने अम्मी पर पड़ी तो उसकी आंखे हैरत से फैलती चली गई। उफ्फ मम्मी कैसे मूसल पर हाथ फिरा रही है। वो दबे पांव आगे बढ़ा और शहनाज़ के बिल्कुल पास पहुंच गया जिसकी शहनाज़ को बिल्कुल भी खबर नहीं थी कि उसका बेटा ठीक उसके सामने आ चुका हैं। शहनाज़ की सांसे तेज हो रही थी और होंठ अपने आप मस्ती से आधे खुल बंद हो रहे थे।
शादाब धीरे से अपने मुंह को उसके कान के पास ले गया और अपनी आवाज को पूरी मधहोश बनाकर धीर से बोला:"

" क्या कर रही हो अम्मी?

अपने बेटे की आवाज सुनते ही शहनाज़ एक झटके के साथ कांप उठी और मूसल उसके हाथ से छूट गया। उसका पूरा शरीर इतनी बुरी तरह से कांप रहा था मानो वो चोरी करती हुई रंगे हाथों पकड़ ली गई हो। एक बार के लिए उसकी आंखे खुली और उसने मूसल को उठा लिया और अपने बेटे को देखते ही शर्म के मारे फिर उसकी आंखे झुक गई। उसकी चूत टप टप करने लगी और चूचियां बगावत पर उतर आई। उसने बड़ी मुश्किल से खुद को संभाला और धीरे से मूसल को औखलि में डाल दिया तो मूसल पूरा फस कर उसमे चला गया तो शहनाज़ धीरे धीरे मसाला कूटने लगी जिससे उसका पूरा शरीर हिलने लगा और चूचियां किसी रबड़ की मोटी बॉल की तरह उछलने लगी और शहनाज़ अपना मुंह नीचे किए ही मसाला कूटने लगी।



डर और शर्म के मारे उसके हाथ कांप रहे थे और उसकी होंठो पर हल्की सी स्माइल आ रही थी , वो सफाई देती हुई बड़ी मुश्किल से बोली:"

" मसाला कूट रही हूं बेटा,

शादाब ने देखा कि मूसल पूरी तरह से फस कर जा रहा हैं और उसकी अम्मी की चूचियां पूरी तरह से उछल रही है। उसकी आंखे अपने आप उन दूध से गोरे चिकने ठोस कबूतरों पर जम गई और उसने पूछा

"अम्मी आपको नही लगता हैं कि ये मूसल इस औखलीं के हिसाब से कुछ ज्यादा बड़ा नहीं है?

शाहनाज की अपने बेटे की बात सुनकर हालत खराब हो गई और उस बात से बेखबर कि उसका बेटा उसे देख रहा है उसने एक बार मूसल की तरफ देखा और ना चाहते हुए भी उसकी निगाहें अपनी जांघो के बीच में चली गई मानो अपनी चूत की उस औखलीं से तुलना कर रही हो।

शादाब अपनी अम्मी की इस हरकत से पागल सा हो उठा और अपने चेहरे को उसके पास लाते हुए शहनाज़ के कंधे थाम लिए और मुंह को उसकी गर्दन के पास लाते हुए अपनी गर्म सांसे उसकी सुराहीदार गर्दन पर छोड़ने लगा। शहनाज पूरी तरह से मस्ती से भर उठी।

शादाब ने उसके कंधे पर अपने हाथ का हल्का सा दबाव बढ़ाया तो शहनाज की चूत में खुजली और बढ़ने लगी । शादाब ने फिर से अपना सवाल दोहराया:"

" अम्मी क्या ये मूसल इस औखलीं के हिसाब से बड़ा नहीं हैं कुछ ?

शहनाज़ अब पूरी तरह से मस्ती से बहक चुकी थी इसलिए बोली:"

" बड़ा तो जरूर हैं मेरे राजा बेटा लेकिन देख ना कैसे रगड़ रगड़ कर घुस रहा है हर बार, मसाला जल्दी कुट जाएगा!!

इतना कहकर शहनाज़ शर्मा गई और मूसल की गति थोड़ा सा बढ़ा दी जिससे उसकी चूंचियों की उछाल थोड़ी और ज्यादा होने लगी तो शादाब ने अब अपनी अम्मी के ठीक पीछे आते हुए अपने चेहरे को उसकी गर्दन पर टिकाते हुए आगे की तरफ झुका दिया जिससे शहनाज़ की उछलती हुई चूचियों और उसके मुंह में बस थोड़ा सा फासला रह गया था। शहनाज़ अपने बेटे की इस हरकत से मजे से झूम उठी और उसने अपने जिस्म को हल्का सा ढीला छोड़ दिया जिससे शादाब का खड़ा लंड उसकी कमर पर अपना प्रभाव डालने लगा तो शहनाज़ के मुंह से हल्की हल्की मस्ती भरी सिसकारियां निकल रही थीं जिन्हें वो बड़ी मुश्किल से दबा रही थी। शादाब ने अपना हाथ आगे बढ़ाते हुए अपना मा के हाथ पर रख दिया जिससे शहनाज़ का रोम रोम कांप उठा और चूत से अमृत रस की कुछ बंदे बाहर टपक पड़ी। अब मूसल जरूर शहनाज़ के हाथ में था लेकिन शहनाज़ का हाथ अब पूरी तरह से उसके बेटे के कब्जे में था जिस पर वो हलके हलके अपनी उंगलियां फिरा रहा था और शहनाज़ की गर्दन और उसकी चूचियों के बीच पड़ती शादाब की गर्म गर्म सांसे उस पर और ज्यादा ज़ुल्म कर रही थी जिसका नतीजा ये हुआ कि शहनाज़ के हाथ पूरी तरह से कांप उठे और मूसल उससे छूट गया। शादाब धीरे से अपनी अम्मी को बोला:"
" अम्मी आपको अगर इतने बड़े मूसल से अपना मसाला कुटवाना हैं तो आपको ताकत की जरूरत पड़ेगी ताकि आप ठीक से मूसल को थाम सको।
josef
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Re: Incest माँ का आशिक

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अपने बेटे की बात सुनकर शहनाज़ शर्म से पानी पानी हो गई तो शादाब थोड़ा सा आगे को हुआ जिससे उसका लंड पूरी तरह से शहनाज़ की कमर से सट गया और उसने अपनी अम्मी का हाथ पकड़े हुए अपना हाथ नीचे झुकाया और शहनाज़ ने मूसल को उठा लिया। शादाब ने मूसल को तेजी से नीचे की तरफ मारा तो वो एक झटके के अंदर घुस गया, जितनी जोर से मूसल अंदर घुसा इतनी ही जोर से शादाब का लंड शहनाज की कमर पर लगा जिससे शहनाज़ के जिस्म को एक तेज झटका लगा जिससे उसकी चूचियां रबड़ की बॉल की तरह उछली और शादाब के मुंह से जा टकराई जिससे दोनो मा बेटे के मुंह से मस्ती भरी आह निकल पड़ी। फिर क्या था देखते ही देखते शादाब ने पूरी स्पीड पकड़ ली और बिजली की गति से मूसल अंदर बाहर होने लगा। शहनाज़ फैसला नहीं कर पा रही थी कि उसके बेटा का लंड ज्यादा ठोस हैं या मूसल क्योंकि जैसे ही लंड उसकी कमर पर लगता तो एक झटके के साथ वो आगे को झुक जाती और जैसे ही मूसल बाहर आता था तो वो शादाब के हाथ के साथ साथ थोड़ा सा पीछे को खींच जाती। जब भी मूसल अंदर की तरफ घुसता तो औखलीं से घरर घरर की आवाज निकलने लगती। शहनाज़ को लग रहा था जैसे ये धक्के औखलीं में नहीं बल्कि उसकी चूत में पड़ रहे हैं इसलिए उससे बर्दाश्त नहीं हुआ और शर्म लिहाज छोड़कर अपनी एक अंगुली को अपनी जांघो के बीच में घुसा दिया और अपनी चूत को सलवार के ऊपर से रगड़ने लगी। मूसल के हर झटके पर शहनाज़ के हाथ तेजी से उपर नीचे हो रहे थे जिसका नतीजा ये हुआ कि आगे से उसके सूट का गला चरर की आवाज करते हुए फट गया जिससे उसकी काले रंग की ब्रा में कैद चूचियां पूरी तरह से खिल उठी। मूसल के शोर के कारण और मस्ती में डूबी हुई होने के कारण शहनाज़ को इसका आभास नहीं हुआ क्योंकि उसका पूरा ध्यान तो अपने कमर पर पड़ रहे अपने बेटे के लंड और औखली से निकलती हुई आवाज पर था। उसे लग रहा था जैसे ये औखली की नहीं बल्कि उसकी चूत की आवाज हैं। मसाला तो कब का कुट चुका था और हर झटके पर मसाला बाहर गिर रहा था जिसकी दोनो मा बेटे को खबर नहीं थी। अम्मी की चूचियां देखते ही शादाब सब कुछ भूलकर पूरी ताकत से मूसल को ठोकने लगा। अपने बेटी के लंड की कमर पर पड़ती मार की वजह से वो अपनी जगह से कम से कम दो फुट खिसक चुकी थी। शादाब अपनी अम्मी के कान में बहुत सेक्सी आवाज में बोला:"

" मूसल लंबा मोटा ठोस होने से कुछ नहीं होता, उससे ठोकने के लिए दम भी होना चाहिए।

अपने बेटे की बात सुनकर शहनाज़ की सांसे पूरी तरह से बेकाबू हो गई और उसने जोर से अपनी क्लिट को दबा दिया जिससे उसके मुंह से एक तेज मस्ती भरी सिसकी निकल पड़ी जिसे सुनकर शादाब ने अपनी जीभ को अपनी अम्मी की चूचियों पर फेर दिया तो शहनाज़ ने अपनी चूत को जोर से मसल दिया और उसका पूरा बदन अकड़ता चला गया और उसके मुंह से एक जोरदार मस्ती भरी सिसकी निकल पड़ी

" हाय अल्लाह मर गई मैं तो, उफ्फ आह मा बचा ले मुझे एसआईआईआईआईआई आह नहीं आईआईआई हाय सीई उफ्फ

शहनाज़ का शरीर एक दम बेजान सा होकर पीछे झुक गया जिससे शादाब का मुंह पूरी तरह से अपनी अम्मी की चुचियों में घुस गया। शादाब से ये कामुक और मस्ती भरा एहसास बर्दाश्त नहीं हुआ और उसने पूरी ताकत के साथ मूसल को जोर से औखली में ठोक दिया। जितनी जोर से मूसल औखलि में घुसा उससे कहीं ज्यादा जोर से शादाब का लंड आगे की तरफ आया और शहनाज़ की कमर में घुसा। शहनाज़ एक बार फिर दर्द से कराह उठी और उसने दर्द को दबाने के लिए अपने बेटे के हाथ को पूरी जोर से दबा दिया। इस धक्के के साथ ही शादाब के लंड ने अपने वीर्य की पहली बरसात अपनी अम्मी की कमर पर दी। शादाब इस एहसास से पूरी तरह से बहक गया और शादाब ने मस्ती में आकर अपनी अम्मी की चूची के उभार पर दांत गडा दिए और उसके ऊपर ढेर हो गया जिससे शहनाज़ उसके भारी भरकम शरीर का वजन नहीं झेल पाई और आगे की तरफ गिर पड़ी और शादाब भी कटे हुए पेड़ की तरह अपनी अम्मी की कमर पर गिर गया जिससे एक बार फिर से शहनाज़ के होंठो से आह निकल पड़ी।

शहनाज़ की चूत से अभी भी गर्म गर्म रस निकल रहा था और वो अपनी दोनो आंखे बंद किए हुए पूरी तरह से मदहोश पड़ी हुई थी। शादाब के लंड से निकलता हुआ वीर्य शहनाज़ की कमर को हल्का हल्का भिगो रहा था और वो अभी भी मस्ती में डूबा हुआ अपनी अम्मी की गर्दन जीभ से चाट रहा था जिससे शहनाज़ एक अलग ही मस्ती महसूस कर रही थी। थोड़ी देर के बाद जैसे ही उसकी चूत से रस टपकना बंद हुआ तो अपनी हालत का एहसास हुआ तो वो शर्म के मारे लाल हो गई और उसकी नजर औखली पर पड़ी जो कि पास में पड़ी हुई थी और उसमें से सारा मसाला कूटकर जमीन पर बिखर गया था और औखली पूरी तरह से खाली पड़ी हुई थी जिसका मूसल की मार से डिजाइन बिगड़ गया था। उसने धीरे से अपनी चूत को छुआ तो उसे एहसास हुआ कि उसकी चूत से सारा रस बहकर जमीन पर बिखर गया था और उसकी चूत औखलीं की तरह से एक दम खाली हो चुकी थीं। उफ्फ मेरा बेटा ऐसे ही मेरी चूत की भी हालत औखली की तरह बिगाड़ देगा ये सोचते ही वो एक बार फिर से कांप उठीं।

अब उससे अपने शरीर पर अपने बेटे का भारी भरकम शरीर बर्दाश्त नहीं हो रहा था इसलिए बोली:"

" बेटा हट जा मेरे उपर से मुझे बहुत वजन लग रहा है , उफ्फ कितना तगड़ा है तू!

शादाब अपनी अम्मी की बात सुनकर उसके उपर से हट गया और जैसे ही शहनाज़ खड़ी हुई तो पहली बार उसकी नजर अपने फटे हुए सूट से बाहर झांकती अपनी ब्रा पर पड़ी जिसमे से उसके चूचियां आधे से ज्यादा बाहर झांक रही थी। शहनाज़ शर्म के मारे जमीन में गड़ गई और उसने दोनो हाथो से अपना मुंह ढक लिया और बोली:"

" उई मा, ये क्या हो गया,उफ्फ

शहनाज़ तेजी से भागती हुई अपने कमरे में घुस गई।

शहनाज़ अपने कमरे में घुस गई और शर्म के मारे उसका समूचा जिस्म पूरी तरह से हिल रहा था। उफ्फ ये क्या हो गया शादाब क्या सोच रहा होगा मेरे बारे में। उसकी नजर अपनी चुचियों के उभार पर पड़ी तो उसने देखा कि उसकी चूचियां कितनी खूबसूरत और ठोस हैं इस उम्र में भी। अपनी चूचियों को ललचाई नज़रों से देखते उसका एक हाथ अपने आप उन पर पहुंच गया तो उसे महसूस हुआ कि उसकी चूचियां पूरी तरह से भीगी हुई थी तो उसे एक झटका सा लगा और धुंधला धुंधला याद आने लगा कि उसका बेटा उसकी चूचियों के बीच में अपनी जीभ फिरा रहा था। ये याद आते ही शहनाज़ की सांसे शर्म के मारे थम सी गई और उसने एक अपनी गोलाईयों को अच्छे से छूकर देखा तो उसे एहसास हुआ कि उसके बेटे ने पूरी मस्ती से अपनी जीभ से उन्हें चाटा हैं।

शहनाज़ ने जैसे ही अपनी गोलाईयों को ध्यान से देखा तो उसे एक हल्का सा निशान दिखाई दिया तो उसने हल्का सा हाथ फेरकर देखा तो उसे बहुत अच्छा मीठा मीठा दर्द महसूस हुआ। उफ्फ इस कमीने शादाब ने तो मेरी चुचियों पर अपने दांत भी गड़ा दिए हैं ये सोचकर शहनाज़ अंदर ही अंदर मुस्कुरा उठी।


शहनाज़ को अपनी कमर पर कुछ गीला गीला महसूस होने लगा तो उसका एक हाथ उत्सुकतावश उसकी कमर पर पहुंच गया तो उसने देखा कि सचमुच उसकी कमर भीगी हुई है तो उसने अपनी उंगलियों को अच्छे से अपनी कमर पर घुमाया तो उसकी उंगलियां काफी हद तक गीली हो गई और वो ये देखने के लिए कि उसकी कमर पर क्या लगा था अपनी उंगलियां अपनी आंखो के सामने लाकर देखने लगी। उफ्फ ये क्या हैं सफ़ेद सफ़ेद सा इतना गाढ़ा मेरी कमर पर कहां से लग गया। शहनाज उसे गौर से देखने के लिए थोड़ा सा और अपनी आंखो के पास लाई तो एक कस्तूरी जैसी मस्त खुशबू का एहसास उसे हुआ तो वो मस्ती से भर उठी। उफ्फ कितनी अच्छी खुशबू आ रही है इसमें से, मैं मदहोश होती जा रही हूं। अगर सूंघने से ही इतना अच्छा है तो ये कितना स्वादिष्ट होगा, उसके मन में सबसे पहले यही सवाल आया कि क्या मुझे इसका टेस्ट करना चाहिए ये सोचते ही उसकी आंखे मस्ती से बंद हो गई। उफ्फ पता नहीं क्या होगा ऐसे ही किसी चीज को चाटना अच्छा नहीं होगा ये सोचकर उसने अपना विचार बदल दिया। लेकिन एक बार फिर से अच्छे से सूंघने की इच्छा हुई तो उसने अपनी कमर को अपनी उंगलियों से अच्छे से रगड़ा तो उसे अपनी कमर पर दर्द का एहसास हुआ तो उसकी आंखो के आगे वो दृश्य तैर गया जब उसके बेटा का लंड औखली में घुसते मूसल के साथ उसकी कमर को ठोक रहा था। लंड के उस कठोर स्पर्श को याद करते ही शहनाज के मुंह से एक मस्ती भरी आह निकल पड़ी। कमीना कहीं का मसाले के साथ साथ मेरी कमर को भी कूट दिया। शहनाज़ अपनी बेटी की ताकत की कायल हो गई और उसने अपनी चूचियों की तरफ देखते हुए उन्हें शुक्रिया बोला क्योंकि इनका दूध पीकर ही वो इतना ताकतवर बना था।

शहनाज़ ने रेडीमेड मसाले निकाले और सब्जी बनाने के लिए किचेन में घुस गई। आज वो बहुत दिनों के बाद इतनी ज्यादा खुश थी और हल्की आवाज में मधुर गीत गुनगुनाती हुई अपना काम कर रही थी।

दूसरी तरफ शादाब अभी तक अपने पहले स्खलन के एहसास में डूबा हुआ था। उफ्फ उसे रह रह कर अपनी अम्मी की गोरी चिकनी चूचियां याद आ रही थी, उफ्फ कितनी सुंदर लग रही थी वो, अम्मी कैसे मस्ती से मेरे साथ मसाला कूट रही थी।

तभी उसे फर्श पर कुछ गीला गीला महसूस हुआ तो उसने हाथ फेर कर देखा तो उसकी उंगलियां अपनी अम्मी के रस से भीग गई। शादाब को याद आया कि यहां तो उसकी अम्मी बैठी हुई थी तो क्या ये उनके अंदर से निकला हैं। उसने सोचा उफ्फ आज मेरा भी कितना सारा दूध सा कुछ निकला हैं तो क्या अम्मी के अंदर से भी ऐसे ही निकलता हैं। उसने उंगली को अपनी नाक के पास किया और सूंघने लगा तो उसे बहुत अच्छा लगा और उसने उसे टेस्ट करने के लिए अपने मुंह में अपनी उंगली को घुसा लिया।एक खट्टे खट्टे तेज नमकीन स्वाद से आज उसका परिचय हुआ जो उसे बहुत स्वादिष्ट लगा और ज्यादा चूसने का लालच उस पर सवार हो गया। शादाब सोच रहा था कि अब अम्मी क्या सोच रही होगी मेरे बारे में!! जोर से मसाला कूटने के चक्कर में उनका सूट भी फाड़ दिया मैंने और सारे मसाले का भी सत्यानाश कर दिया। कहीं अम्मी मुझे डांटने ना लग जाए, शादाब हल्का सा डर गया और अम्मी का मूड चेक करने के लिए बाहर निकला तो उसके कानों में शहनाज़ के गीत की मधुर आवाज सुनाई पड़ी तो उसे कुछ सुकून मिला और वो वापिस अपने कमरे में आ गया और फर्श पर पड़ा हुआ मसाला साफ करने लगा।

थोड़ी देर में खाना बन गया। शादाब नहाने के लिए बाथरूम में घुस गया था और जल्दी ही नहाकर बाहर आ गया और अपने कमरे में घुस गया। शहनाज़ ने खाना बनाने के बाद शादाब को आवाज लगाई तो वो डरता हुआ अपनी अम्मी के पास पहुंच गया।

उसे देखकर शहनाज भी थोड़ी शर्म महसूस कर रही थी लेकिन उसका डर देखकर उसकी हिम्मत बढ़ गई और बोली:"

" शादाब खाना बन गया है इसलिए नीचे ले जाने में मेरी मदद करो। तुम्हारे दादा दादी को खाना खिलाना हैं नहीं तो वो आवाज लगाने लगेंगे तो मुझे अच्छा नहीं लगेगा बिल्कुल भी बेटा।

शादाब अपना मुंह नीचे किए ही आगे बढ़ा और खाना लेकर नीचे की तरफ चल पड़ा तो उसके साथ ही शहनाज़ भी गरम गरम रोटी लेकर उसके साथ ही चल पड़ी। नीचे जाकर उहोंने खाना सजा दिया तो उसके सास ससुर खाना खाने लगे। जैसे ही ससुर ने पहला निवाला खाया तो उसे एहसास हो गया कि आज आज खाने का टेस्ट कुछ अलग हैं इसलिए बोला:"

" बेटी आज खाने का टेस्ट कुछ अलग हैं इसमें से कुटे हुए मसालों की खुशबू नहीं आ रही हैं।

शहनाज़ और शादाब दोनो के दिल एक साथ धड़क उठे और उन्होंने चोर निगाहों से एक दूसरे की तरफ देखा और शहनाज़ बोली:" अब्बा दर असल वो औखली नहीं मिली थी, सफाई करते हुए याद नहीं रहा कहां रख दी थी मैंने, मैं शाम तक पक्का ढूंढ़ लूंगी और शाम को सब्जी में कुटे हुए मसाले ही इस्तेमाल करूंगी।

ससुर:" ठीक है बेटी, दर असल आदत सी बन गई हैं इसलिए उसके बिना खाना अच्छा नहीं लगता मुझे।

शादाब:" आप फिक्र ना करे दादा जी, मैं खुद अम्मी के साथ मिलकर औखली ढूंढ़ लूंगा।

शहनाज़ अपने बेटे की इस बात से बुरी तरह से लजा गई क्योंकि औखली सुनते ही उसे अपनी चूत याद आ गई। उफ्फ कमीना कैसे अपने दादा जी के आगे ही ऐसी बात कर रहा है।

शहनाज़ ने जल्दी से कहा:"
" औखली तो मिल गई थी बेटा मूसल नहीं मिला था। इसलिए मसाला नही कुट पाया था!
josef
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Re: Incest माँ का आशिक

Post by josef »

इतना बोलकर शहनाज अपने ससुर को पानी देने के थोड़ा सा आगे हुई जिससे उसके पैर टेबल के नीचे से ही शादाब के पैरो से जा टकराए तो शादाब ने एक बार अपनी अम्मी की तरफ देखा तो शहनाज़ का चेहरा शर्म से लाल होकर झुक गया।

शादाब अपनी अम्मी के पैरो को अपने पैरो से सहलाते हुए बोला:"

" अम्मी मूसल की आप फिक्र ना करे उसकी जिम्मेदारी मेरी हैं आप बस औखली तैयार रखें !

इतना कहकर उसने जोर से अपनी अम्मी का पैर दबा दिया जिससे शहनाज़ के मुंह से हल्की सी मस्ती भरी आह निकलते निकलते बची। कमीना पैर भी इतनी जोर से दबा रहा है मानो मसाला कैसे कुटेगा ये दिखा रहा हो। शहनाज़ ने अपने बेटे के पैर में हल्का सा नाखून चुभा दिया तो शादाब ने अपनी अम्मी की तरफ शिकायत भरी नजरो से देखा तो शहनाज़ पहली बार उसकी आंखो में देखते हुए बोली:"

" तेरे दादा जी को खूब तगड़ा कुटा हुआ बारीक मसाला पसंद हैं क्या तू कूट पाएगा इतना बारीक ?

अपने सास ससुर के सामने ऐसी बाते करते हुए शहनाज की हालत खराब हो चुकी थी। लेकिन वो पीछे हटने के लिए तैयार नहीं थी चाहे कुछ भी हो जाए।

" अम्मी मैं मसाले को ऐसा तगड़ा करके कूट दूंगा कि उसकी सारी धज्जियां उड़ा दूंगा, दादा जी खुश हो जाएंगे ऐसे बारीक मसाले की सब्जी खाकर। क्यों दादा जी?

इतना कहकर शादाब ने थोड़ा जोर से अपनी अम्मी का पैर दबा दिया तो उसकी चूत टप टप करने लगी। वो अपने नीचे वाले होंठ को दांतो से काट रही थीं

ससुर:" हान बेटी, मुझे अपने पोते पर पूरा यकीन हैं, ये मूसल से बहुत तगड़ा मसाला कूटेगा, बस तुम औखली को अच्छे से साफ करके तैयार कर लेना कहीं धूल ना जम गई हो !!

शहनाज बुरी तरह से तड़प उठी अपने ससुर की बात सुनकर, उफ्फ ये कहीं मुझे मेरी चूत साफ करने की सलाह तो नहीं दे रहे हैं।

दादा की बात सुनकर दादी भी मैदान में कूद पड़ी और बोली:"

" जाओ जी आप तो अपने पोते का ही पक्ष लोगे, बेटी तुम खूब टाइट टाइट मसाला डालना अपनी औखली में फिर देखती हू कैसे कूट पाएगा ये !!



उफ्फ शहनाज़ की तो जिससे बोलती बंद हो गई। ये दोनो मिलकर मुझे मेरे बेटे से चुदवाना तो नहीं चाह रहे है सोचते ही शहनाज का पूरा जिस्म मस्ती से कांपने लगा।

दादा दादी दोनो खाना खा चुके थे इसलिए वो चुपचाप बर्तन समेटकर उपर की तरफ चल पड़ी तो शादाब अपने दादा दादी के पास ही बैठ गया।

शहनाज खाना बनाते हुए पसीने से भीग गई थी इसलिए नहाने के लिए बाथरूम में घुस गई। उसने धीरे धीरे अपने सारे कपड़े उतार दिए और हमेशा की तरह आंखे बंद करके नहाने लगी क्योंकि उसमे अभी भी खुद को नंगा देखने की हिम्मत नहीं आई थी। इसलिए वो आराम आंखे बंद करके नहा रही थी, जैसे ही उसका हाथ उसकी चूचियों से टकराया तो उसकी उंगलियां उस जगह पर रुक गई जहां उसके बेटे के मस्ती से अपने दांत गड़ाए थे। शहनाज रोमांच से भर उठी और उस जगह को हल्के हल्के सहलाने लगी। उसका दूसरा हाथ अपनी चूत पर चला गया तो उसे अपनी सास की बात याद आ गई कि बेटी अपनी औखली को अच्छे से साफ कर लेना, ये सोचते ही उसकी सांसे रुक सी गई और उसने अच्छे से अपनी चूत पर हाथ फेरकर देखा तो उस पर कल साफ होने के कारण एक भी बाल नहीं था, मगर फिर भी उसने वीट क्रीम उठाई और फिर से अपनी चूत के आस पास लगा दिया ताकि बिल्कुल चिकनी कर सके। थोड़ी देर के बाद उसने अपने शरीर का पानी से साफ कर दिया तो उसकी चूत चांद की तरह चमक उठी। शहनाज़ ने कांपते हुए हाथो से अपनी चूत पर हाथ फिराया और एक दम चिकनी पाकर खुशी के मारे उसके मुंह से हल्की सी आह निकल गई और अपने बदन को टॉवल से साफ करने लगी।

नीचे शादाब अपने दादा दादी के पास बैठा हुआ था और उनसे बात करने लगा।

शादाब:" और बताए दादा जी कुछ, क्या आपका मन लग जाता हैं घर में लेटे हुए पूरे दिन?

दादा के मुंह पर एक दर्द भरी टीस साफ दिखाई दी और उन्होंने भावुकता के साथ बोलना शुरू किया :" हान बेटा, थोड़ी दिक्कत तो होती हैं लेकिन क्या करे अब जिस्म में ताकत नहीं रही पहले जैसी इसलिए जब कभी ज्यादा दिल करता है तो लाठी के सहारे थोड़ा घूम आता हूं!!

शादाब को अपने दादा जी की पीड़ा का अनुभव हुआ और वो उनका हाथ प्यार से सहलाने लगा जिससे दादा दादी दोनो भावुक हो गए और उन्हें लगा कि उनका अपना बेटा वापिस लौट आया हैं।

दादी:" बेटा बस तेरे आने से थोड़ी हिम्मत बढ़ गई है इसलिए अब अच्छा लगता है कुछ। बस हमारी खुशियों की किसी की नजर ना लगे।

दादा जी:" हान बेटा, हमने बेटा बहुत बुरे दिन देखे हैं सबने जिसका तुझे अंदाजा भी नहीं हैं, खासतौर से तेरी अम्मी शहनाज़ ने तो अब तक ज़िन्दगी में बस दुख ही उठाए हैं।

दादी दादा जी की बात सुनकर सिसक उठीं और उसकी आंखो से आंसू की एक बंद छलक आई जिसे शादाब ने आगे बढ़कर साफ किया और बोला:"

" क्या हुआ दादी आपकी आंखो में आंसू ?

दादी:" बस बेटा तेरी मां के बारे में सोच कर आंसू निकल पड़े। बेचारी जैसे दुख उठाने के लिए ही पैदा हुई है। छोटी सी थी तो मा गुजर गई और बाप ने दूसरी शादी कर ली और सौतेली मा ने बेचारी को एक पल के लिए भी चैन नहीं लेने दिया, ज़ुल्म पर ज़ुल्म करती रही और उसका पढ़ना भी बंद हो गया!!

दादी उम्र ज्यादा होने के कारण इतना बोलकर सांस लेने के लिए रुकी तो उसने देखा कि शादाब उसकी बाते ध्यान से सुन रहा हैं।
josef
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Re: Incest माँ का आशिक

Post by josef »

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badlraj
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Re: Incest माँ का आशिक

Post by badlraj »

कहानी बहुत अच्छी जा रही है ।
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