माँ बेटा और नौकरानी

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abpunjabi
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Re: माँ बेटा और नौकरानी

Post by abpunjabi »

“मुट्ठ मार रहा है शैतान? अब इस घर में कभी मुट्ठ मारी तो बहुत मारूँगी.... जब भी लौड़ा खड़ा हो, मेरे पास चले आना”, झुमरी ने कपड़े उतारे और मुझे लेकर पलंग पर लेट गयी | मेरा सिर अपनी भोसड़ी में खींचते हुए बोली, “अब पहले चूस ले मेरी भोसड़ी, तू बहुत अच्छा चूसता है.... आज मन भर कर चुसावाऊंगी.... दो घंटे कैसे बीत गये पता ही नहीं चला”

झुमरी ने लगातार मुझसे भोसड़ी चुसवाई, मुम्मे दबवाए और मुझसे अपने चूचुक चुसवाए | उस रात उसने कटोरी भर भोसड़ी का रस मुझे पिलाया होगा | अख़िर मैं तडपने लगा | लौड़ा अब ऐसा उछल रहा था कि मैं पागल हुआ जा रहा था | मेरी हालत देख कर वो बोली , “चल अब तुझे इनाम देती हूँ.... गांड मारेगा मेरी? मैं खुशी से उछल पड़ा |

“बाई, मक्खन लाऊँ? तुम्हारी गान्ड चिकनी करने को?”

झुमरी झिल्लाई, “तू इधर आ, बड़ा आया है मक्खन वाला .... मक्खन लगेगा कल जब घोटू आएगा.... मैं घोटू का लेती हूँ गान्ड में, तेरी प्यारी मिर्ची तो ऐसे ही चली जाएगी.... अब आ और मैं कहती हूँ वैसे कर.... मुझ पर चढ और मेरी भोसड़ी में लौड़ा डाल.... छोड़ दो मिनिट.... झडना नहीं... नहीं तो मार मारूँगी”

मैं खुशी खुशी झुमरी पर चढा और उसकी भोसड़ी में लौड़ा डाल दिया | तपते गीले उस कुएँ में वो ऐसा समाया कि पता ही नहीं चला | झुमरी ने मुझे छाती से चिपटा लिया और मेरे मुँह में चूची ठूंस दी | मैं झुमरी की चूची चूसता हुआ चोदने लगा | भोसड़ी ढीली थी फिर भी मज़ा आ रहा था | झुमरी ने एक उंगली अपनी भोसड़ी के पानी से गीली की और मेरी गान्ड में डाल दी | मैं चिंहूक उठा |

“क्या कर रही हो बाई? दुखता है!”

“अरे एक उंगली में तू कसमसा गया? फिर कल तेरा क्या हाल होगा लल्ला? इस गान्ड में तो अभी क्या क्या घुसने वाला है... तुझे मालूम नहीं” , झुमरी ने उलाहना दिया | मैं डर से सकपका गया | दो मिनिट बाद झुमरी ने मुझे उठने को कहा | मैं उठ कर बैठ गया | झुमरी पलट कर ऑंधी लेट गयी |

अपनी उंगली पर अपनी भोसड़ी का पानी लेकर वो अपनी ही गान्ड में चुपडते हुए बोली, “देख क्या रहा है? मेरी गान्ड गीली कर ऐसे ही” | मैने अपनी उंगलियों में झुमरी की भोसड़ी का रस लेकर उसकी गान्ड में चुपडना चालू कर दिया | झुमरी की गान्ड मस्त थी, बहुत तंग नहीं थी फिर भी उसकी गान्ड का छल्ला मेरी उंगली को पक पक करके पकड़ रहा था |

“अब चढ जा इसके पहले कि रस सूख जाए” , झुमरी के कहने पर मैं उस पर चढ कर अपना लौड़ा उसकी गान्ड में पेलने लगा | सट से एक बार में पूरा लौड़ा अंदर हो गया | झुमरी ने मेरे लौड़े को गान्ड में जकड़ लिया और मुझे बोली , “अब मार राजा, जितना मन चाहे मार” | झुमरी पर लेट कर मैं उसकी गान्ड मारने लगा |

“हाथ मेरे नीचे डाल और मेरी चूचियाँ दबा” झुमरी बोली | उसकी चूचियाँ दबाते दबाते मैं कस कर उसकी गान्ड चोदने लगा | आराम से मेरा लौड़ा उसकी गान्ड में अंदर बाहर हो रहा था | झुमरी बीच बीच में उसे जकड़ लेती थी जिससे मेरा मज़ा दूगना हो जाता था | मैं मज़े से सिसक उठा |

झुमरी बोली, “मज़ा आया ना मुन्ना? अरे अब मरवा मरवा कर ढीली हो गयी है मेरी गान्ड, नहीं तो ऐसी तंग थी कि लौड़ा घुसता नहीं था.... अब तुझे असली मज़ा आएगा अपनी माँ की कुँवारी गान्ड मारने में. बस तीन चार दिन रुक जा, फिर तुझे तेरी माँ पर चड़वा देती हूँ मैं”

आख़िर मैं झड़ा और सुस्ताने लगा | झुमरी ने मुझे हटाकर नीचे लिटाया और मेरे ऊपर चढ कर अपनी भोसड़ी मेरे मुँह पर देकर बैठ गयी |

“अब चूस राजा, तुझसे मरवाकर फिर भोसड़ी पसीज रही है मेरी... रात भर चूस.... मुझे खुश किया तो फिर एक बार और मारने दूँगी अपनी गान्ड” | रात भर हमारी रति चलती रही | झुमरी ने मुझसे खूब भोसड़ी पूजा करवाई | बीच में थक कर मैं सो गया पर झुमरी ने रात में कई बार मुझे जगाया और भोसड़ी चुसवाई | आखरी बार सुबह सुबह मुझे उठ कर उसने भोसड़ी चुसवा ली और फिर इनाम में मुझे अपनी गान्ड एक बार मारने दी | उसकी गान्ड मार कर में जो सोया वो स्कूल जाने के समय ही उठा |

जल्दी जल्दी तैयार होकर मैं घोटू के साथ निकला | स्कूल का समय हो गया था | आज घोटू बीच में जंगल में नहीं रुका, सीधा मुझे स्कूल ले जाने लगा | उसका लौड़ा वैसे ज़ोर से खड़ा था | मुझे साइकल के डंडे पर बैठकर अपनी पीठ पर उसका दबाव महसूस हो रहा था | उसे चूसने को मैं लालायित हो उठा था | मैं ज़रा निराश होकर घोटू से बोला, “घोटू भैया, आज नहीं रुकोगे जंगल में?”

घोटू मुझे चूम कर बोला, “नहीं मुन्ना, देर हो जाएगी, और वैसे भी आज मैं अब सीधा रात को मिलूँगा तुझसे, अपनी माँ के साथ.... तब मज़ा करेंगे.... मालूम है, मैं सुबह से नहीं झड़ा हूँ.... माँ को भी नहीं चोदा... तेरे लिए अपना लौड़ा बचा कर रखा है”

शाम को जब मैं घर पहूंचा तो झुमरी माँ के कमरे से मुँह पोंछते हुए निकल रही थी | शायद माँ का दूध पी कर आई थी | मुझे बोली, “मुन्ना, बहुत दूध देती है तेरी माँ, अब तीन चार दिन सिर्फ़ मैं ही पीती हूँ, मेरा पेट भर जाता है, खाना खाने की भी ज़रूरत नहीं लगती .... जब तू चोदने लगेगा तो मैं शर्तिया कहती हूँ, हम तीनों के लायक दूध देगी ये दुधारू गैया.... बेच भी सकते हैं, इतना दूध निकलेगा देखना” | और हंसने लगी | सुबह से मैं झड़ा नहीं था | झुमरी से चिपट कर उसके पेट पर लौड़ा रगडते हुए बोला, “बाई, चलो, चोदेंगे”, झुमरी हंसने लगी, “आज अब रात को मेरे राजा.... जल्दी खाना बनाती हूँ... आज घोटू भी रहेगा... तब तक सब्र कर”

बड़ी मुश्किल से ये तीन चार घंटे कटे | मैं मुट्ठ ना माँरून इसलिए झुमरी ने मुझे अपने सामने ही रसोई में बिठा कर रखा और बोली कि वहीं पढ़ाई करूँ |
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rajaarkey
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Re: माँ बेटा और नौकरानी

Post by rajaarkey »

बहुत खूब दोस्त
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007
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Re: माँ बेटा और नौकरानी

Post by 007 »

nice update
कांटा....शीतल का समर्पण....खूनी सुन्दरी

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