Mast update
Bus bhi wise hi faraway update date rahe aur hum Padgate rahe
नए पड़ोसी complete
- Dolly sharma
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Re: नए पड़ोसी
nice ..............
खूनी रिश्तों में प्यार बेशुमारRunning.....परिवार मे प्यार बेशुमारRunning..... वो लाल बॅग वाली Running.....दहशत complete..... मेरा परिवार और मेरी वासना Running..... मोहिनी Running....सुल्तान और रफीक की अय्याशी .....Horror अगिया बेतालcomplete....डार्क नाइटcomplete .... अनदेखे जीवन का सफ़र complete.....भैया का ख़याल मैं रखूँगी complete.....काला साया complete.....प्यासी आँखों की लोलुपता complete.....मेले के रंग सास, बहु, और ननद के संग complete......मासूम ननद complete
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Re: नए पड़ोसी
शाम को मैं रेणुका से बोल कर राजेश के घर पहुच गया. दरवाजा दिव्या ने ही खोला. आम तौर पर जब भी मैं उनके घर जाता था दिव्या साड़ी या सलवार में ही रहती थी पर आज वो नीले रंग की एक नाईटी पहने हुए थी. शायद किचेन में कुछ काम कर रही थी. मैं उसे उस सेक्सी नाईटी में देख कर चौंक गया और दिव्या मुझे देख कर थोड़ी चौक गयी पर फिर बोली "अरे मनीष तुम, आओ आओ."
"क्या हुआ भाभी, क्या किसी और का इंतज़ार था क्या?" मैंने हंस कर पूंछा.
"नहीं किसी और का तो नहीं पर तुम्हारी उम्मीद भी नहीं थी. शादी के बाद तो तुमने हमारे घर आना जाना ही बंद कर दिया." दिव्या ने वापस रसोई में जाते हुए मुझे छेड़ा.
तब तक राजेश भी बाहर आ गया और मुझे देख कर बोला "आओ मनीष आओ. सॉरी दिव्या मैं तुम्हे बताना भूल गया की आज मैंने मनीष को इनवाईट किया है."
"अरे आपको तो आजकल कुछ याद नहीं रहता. ये भी भूल गए की मनीष के साथ साथ रेणुका को भी बुलाना चाहिए था." दिव्या ने कहा और किचन में चली गयी.
मैं और राजेश उनके ड्राइंग रूम में आ गए. राजेश शायद पहले से ही पी रहा था. उसने एक गिलास और निकाला और मेरे लिए पेग बनाने लगा. थोड़ी देर हम लोग इधर उधर की बातें करके पीते रहे फिर राजेश बोला "यार वैसे दिव्या ने एक बात ठीक ही कही की तुम्हे रेणुका को साथ लेकर आना चाहिए था."
"राजेश भाई, वो क्या है की रेणुका ज्यादा सोशल नहीं है और उसे मेरा पीना भी पसंद नहीं इसीलिए नहीं लाया वरना आप के साथ बैठ कर आराम से पी नहीं पाता. चियर्स" मैंने अगला जाम उठाते हुए कहा.
"यार सब बीवियाँ अपने आदमियों पर थोडा बहुत कण्ट्रोल रखती ही है. इसमें ज्यादा परेशान नहीं होना चाहिए." राजेश बोला.
"पर राजेश भाई दिव्या भाभी ने तो आपको बिलकुल खुली छूट दे रखी है." मैं पुछा.
"ये शुरू में ऐसी नहीं थी. बहुत मेहनत की है मैंने इनको अपने रंग में ढालने में." राजेश बोला. मुझे लगा राजेश आज थोडा अलग मूड में था. शायद वो थोडा ज्यादा पी गया था. वैसे भी उसकी स्पीड बहुत थी, जब तक मैं अपना पहला पेग ख़तम करता वो दूसरा ख़तम करके तीसरा बनाने लगता था और आज तो वो पहले से ही पी कर बैठा था.
मैं भी २-३ पेग मार चूका था. काफी दिनों बाद पीने से सुरूर मेरे ऊपर भी था. मजे लेते हुए मैंने कहा "मुझे भी बताइए वो तरीका जिससे मैं भी रेणुका को अपने रंग में ढाल लूं."
"सबके बस की बात नहीं है. बहुत कुछ करना पड़ता है." राजेश ने मेरा अगला ड्रिंक बनाते हुए कहा.
"क्या हुआ भाभी, क्या किसी और का इंतज़ार था क्या?" मैंने हंस कर पूंछा.
"नहीं किसी और का तो नहीं पर तुम्हारी उम्मीद भी नहीं थी. शादी के बाद तो तुमने हमारे घर आना जाना ही बंद कर दिया." दिव्या ने वापस रसोई में जाते हुए मुझे छेड़ा.
तब तक राजेश भी बाहर आ गया और मुझे देख कर बोला "आओ मनीष आओ. सॉरी दिव्या मैं तुम्हे बताना भूल गया की आज मैंने मनीष को इनवाईट किया है."
"अरे आपको तो आजकल कुछ याद नहीं रहता. ये भी भूल गए की मनीष के साथ साथ रेणुका को भी बुलाना चाहिए था." दिव्या ने कहा और किचन में चली गयी.
मैं और राजेश उनके ड्राइंग रूम में आ गए. राजेश शायद पहले से ही पी रहा था. उसने एक गिलास और निकाला और मेरे लिए पेग बनाने लगा. थोड़ी देर हम लोग इधर उधर की बातें करके पीते रहे फिर राजेश बोला "यार वैसे दिव्या ने एक बात ठीक ही कही की तुम्हे रेणुका को साथ लेकर आना चाहिए था."
"राजेश भाई, वो क्या है की रेणुका ज्यादा सोशल नहीं है और उसे मेरा पीना भी पसंद नहीं इसीलिए नहीं लाया वरना आप के साथ बैठ कर आराम से पी नहीं पाता. चियर्स" मैंने अगला जाम उठाते हुए कहा.
"यार सब बीवियाँ अपने आदमियों पर थोडा बहुत कण्ट्रोल रखती ही है. इसमें ज्यादा परेशान नहीं होना चाहिए." राजेश बोला.
"पर राजेश भाई दिव्या भाभी ने तो आपको बिलकुल खुली छूट दे रखी है." मैं पुछा.
"ये शुरू में ऐसी नहीं थी. बहुत मेहनत की है मैंने इनको अपने रंग में ढालने में." राजेश बोला. मुझे लगा राजेश आज थोडा अलग मूड में था. शायद वो थोडा ज्यादा पी गया था. वैसे भी उसकी स्पीड बहुत थी, जब तक मैं अपना पहला पेग ख़तम करता वो दूसरा ख़तम करके तीसरा बनाने लगता था और आज तो वो पहले से ही पी कर बैठा था.
मैं भी २-३ पेग मार चूका था. काफी दिनों बाद पीने से सुरूर मेरे ऊपर भी था. मजे लेते हुए मैंने कहा "मुझे भी बताइए वो तरीका जिससे मैं भी रेणुका को अपने रंग में ढाल लूं."
"सबके बस की बात नहीं है. बहुत कुछ करना पड़ता है." राजेश ने मेरा अगला ड्रिंक बनाते हुए कहा.
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Re: नए पड़ोसी
"ये तो सही कहा. आपकी शादी को कम से कम १५ साल तो हो गए होंगे फिर भी भाभी और आपकी केमिस्ट्री देख कर ऐसा लगता है जैसे कोई नया जोड़ा हो और हमको देखिये दो साल में ही दोनों एक दुसरे से बोर हो गए." मैंने भी सुरूर में बोल दिया.
"ये कहानी तो सबकी है. कोई २ साल, कोई ४ साल और ज्यादा से ज्यादा ५ साल. भाई अगर रिश्ते को मजबूत रखना है तो कुछ नए एक्सपेरिमेंट करने पड़ते है." राजेश ने गिलास खाली करते हुए कहा.
"आप कैसा एक्सपेरिमेंट करते है राजेश भाई." मैंने पुछा.
"अरे यार तुम देखते नहीं हो. हर १५-२० दिन में जो लोग हमारे घर आते है..." राजेश आगे कुछ कहता तब तक दिव्या वहाँ आ गयी और उसकी बात काटते हुए बोली "अरे क्या फालतू की बातों में लग गए हो तुम भी कुछ टाइम का अंदाजा है. १० बज गए है उधर रेणुका सोच रही होगी की अजीब लोग है मेरे हस्बैंड को बिठा ही लिया."
मैंने कहा "भाभी रेणुका का बहाना बना कर मुझको भगाना चाहती हैं लगता है आपको भैया की बहुत याद आ रही है."
मैंने आज से पहले हमेशा इन दोनों से लिमिट में ही बात की थी पर आज राजेश ने जो बातें की और मेरे नशे में मैं इस तरह की बात बोल गया पर दिव्या ने बुरा नहीं माना और हस्ते हुए बोली "मुझे तो हर रोज रात को इनकी ऐसी ही याद आती है उसमे कहने की क्या बात है. अब तुम भी घर जाकर अपनी बीवी को याद करो."
थोड़ी देर और हम लोग ऐसी ही चुहलबाजी करते रहे पर सच में रात वाकई काफी हो गयी थी. वैसे हम कभी भी बैठते तो महफ़िल ९ बजे तक उठ ही जाती थी क्योंकि मुझे घर जाकर रश्मि दीदी की चुदाई जो करनी होती थी पर आज मुझे घर जाने की जैसे कोई जल्दी ही नहीं थी पर फिर मैंने सोचा जैसे रश्मि दीदी को पीकर चोदने में बहुत मजा आता था वैसे ही शायद रेणुका के साथ भी आयेगा. आज रेणुका की घनघोर चुदाई करूंगा यही सोच कर मैं वापस घर आया और मैंने जैसे ही रेणुका को किस करना चाहा उसने मुह घुमा लिया और बोली "ओफ्फ आप शराब पीकर आये है. मुझे इसकी बदबू बिलकुल बर्दाश्त नहीं होती. आगे से अगर कभी पीकर आये तो मेरे पास मत आया कीजिये. छोडिये मुझे आपका खाना लगा देती हूँ."
ये कहकर रेणुका अपने को मुझसे छुड़ा कर चली गयी और मेरे अरमानो पर पानी फेर दिया.
उधर मेरे निकलने के बाद दिव्या राजेश को लेकर बेडरूम में आ गयी और कपडे उतारते हुए राजेश से बोली "अरे तुम कहीं पागल तो नहीं हो गए. मनीष से क्या अंट शंट कह रहे थे."
"यार उसकी और उसकी बीवी की भी वही हालत है जो एक टाइम में हमारी थी तो मैंने सोचा..." राजेश ने भी अपने कपडे उतारे और दिव्या की चुन्चिया चूसते हुए बोला.
"अह्ह्हह्ह्ह्ह. ख़ाक सोचा. सोचते तो ऐसी बात सपने में भी नहीं करते. उह्ह्ह्हह्ह कितनी बार कहा है की जब किसी जान पहचान वाले के साथ बैठा करो तो ३ पेग से ज्यादा मत पिया करो. मुझसे पता है की जब से तुमने रेणुका को देखा है तब से तुम्हारी लार टपक रही है आआईईइ अराआम्म्म्म से ओफफ्फ्फ्फ़ पर याद रखो मैंने पहले ही कहा था की जान पहचान में ये सब नहीं करना. अरे मान लो की ये बात मनीष मोहल्ले में किसी से कह देता तो हमें ये मोहल्ला भी छोड़ना पड़ता." दिव्या बड़ी मुश्किल से बोली.
"ये कहानी तो सबकी है. कोई २ साल, कोई ४ साल और ज्यादा से ज्यादा ५ साल. भाई अगर रिश्ते को मजबूत रखना है तो कुछ नए एक्सपेरिमेंट करने पड़ते है." राजेश ने गिलास खाली करते हुए कहा.
"आप कैसा एक्सपेरिमेंट करते है राजेश भाई." मैंने पुछा.
"अरे यार तुम देखते नहीं हो. हर १५-२० दिन में जो लोग हमारे घर आते है..." राजेश आगे कुछ कहता तब तक दिव्या वहाँ आ गयी और उसकी बात काटते हुए बोली "अरे क्या फालतू की बातों में लग गए हो तुम भी कुछ टाइम का अंदाजा है. १० बज गए है उधर रेणुका सोच रही होगी की अजीब लोग है मेरे हस्बैंड को बिठा ही लिया."
मैंने कहा "भाभी रेणुका का बहाना बना कर मुझको भगाना चाहती हैं लगता है आपको भैया की बहुत याद आ रही है."
मैंने आज से पहले हमेशा इन दोनों से लिमिट में ही बात की थी पर आज राजेश ने जो बातें की और मेरे नशे में मैं इस तरह की बात बोल गया पर दिव्या ने बुरा नहीं माना और हस्ते हुए बोली "मुझे तो हर रोज रात को इनकी ऐसी ही याद आती है उसमे कहने की क्या बात है. अब तुम भी घर जाकर अपनी बीवी को याद करो."
थोड़ी देर और हम लोग ऐसी ही चुहलबाजी करते रहे पर सच में रात वाकई काफी हो गयी थी. वैसे हम कभी भी बैठते तो महफ़िल ९ बजे तक उठ ही जाती थी क्योंकि मुझे घर जाकर रश्मि दीदी की चुदाई जो करनी होती थी पर आज मुझे घर जाने की जैसे कोई जल्दी ही नहीं थी पर फिर मैंने सोचा जैसे रश्मि दीदी को पीकर चोदने में बहुत मजा आता था वैसे ही शायद रेणुका के साथ भी आयेगा. आज रेणुका की घनघोर चुदाई करूंगा यही सोच कर मैं वापस घर आया और मैंने जैसे ही रेणुका को किस करना चाहा उसने मुह घुमा लिया और बोली "ओफ्फ आप शराब पीकर आये है. मुझे इसकी बदबू बिलकुल बर्दाश्त नहीं होती. आगे से अगर कभी पीकर आये तो मेरे पास मत आया कीजिये. छोडिये मुझे आपका खाना लगा देती हूँ."
ये कहकर रेणुका अपने को मुझसे छुड़ा कर चली गयी और मेरे अरमानो पर पानी फेर दिया.
उधर मेरे निकलने के बाद दिव्या राजेश को लेकर बेडरूम में आ गयी और कपडे उतारते हुए राजेश से बोली "अरे तुम कहीं पागल तो नहीं हो गए. मनीष से क्या अंट शंट कह रहे थे."
"यार उसकी और उसकी बीवी की भी वही हालत है जो एक टाइम में हमारी थी तो मैंने सोचा..." राजेश ने भी अपने कपडे उतारे और दिव्या की चुन्चिया चूसते हुए बोला.
"अह्ह्हह्ह्ह्ह. ख़ाक सोचा. सोचते तो ऐसी बात सपने में भी नहीं करते. उह्ह्ह्हह्ह कितनी बार कहा है की जब किसी जान पहचान वाले के साथ बैठा करो तो ३ पेग से ज्यादा मत पिया करो. मुझसे पता है की जब से तुमने रेणुका को देखा है तब से तुम्हारी लार टपक रही है आआईईइ अराआम्म्म्म से ओफफ्फ्फ्फ़ पर याद रखो मैंने पहले ही कहा था की जान पहचान में ये सब नहीं करना. अरे मान लो की ये बात मनीष मोहल्ले में किसी से कह देता तो हमें ये मोहल्ला भी छोड़ना पड़ता." दिव्या बड़ी मुश्किल से बोली.
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Re: नए पड़ोसी
"नाराज न हो डार्लिंग. किसी भी खूबसूरत लड़की को देख कर हर आदमी का दिल उसे चोदने का करता है. ये तो ह्यूमन नेचर है. बात ये है की मुझे लगा मनीष थोडा परेशान है और अपनी बीवी से बोर हो गया है तो शायद तैयार हो जाए." राजेश अपना लंड दिव्या की चूत में पैवस्त करता हुआ बोला.
" आअह्ह्ह्हीईई मार गयीईईई उफफ्फ्फ्फ़ अरे वो तो जैसे मुझे देखता है हान्न्न्नन्न एक सेकंड में तैयार हो जायेगा पर उसकी बीवीईईईईइ रेणुका उसका क्या? इसीलिए कहती हूँ की उसके चक्कर में मत पडो आह्ह्ह्हह्ह और जैसा हम लोगों का चल रहा है चलने दो." दिव्या भी नीचे से झटके मारते हुए बोली.
"मेरी जान मेरी बात समझो, इस छोटे शहर में मुझे कितने पापड़ बेलने पड़ते है कोई नया कपल ढूढने में. पहले ठीक शकल सूरत वाले लोग ढूढो फिर उनका बैकग्राउंड पता लगाओ. लोग ऐसे होने चाहिए की बाद में कोई परेशानी न हो. ५० में कोई एक हमारे काम का मिलता है. फिर कोई भी जोड़ा २-३ बार से ज्यादा के लिए तैयार नहीं होता. अब इधर देखो लगभग ३ महीने हो गए कोई नया मिला नहीं और पुराने वाले कोई आना नहीं चाहते. अगर मनीष तैयार हो गया तो हम लोगों का साल दो साल आराम से कट जायेगा. हो सकता है और ज्यादा भी चल जाये." राजेश हौले हौले दिव्या को चोदते हुए समझाने लगा.
"मैं तुम्हारी हर बात मानती हूँ आःह्ह ओफ्फ्फ्फ़ पर मैं जितना रेणुका को जानती हूँ मुझे लगता नहीं की वो मानेगी. हान्न्न्न ऐसे हीईई आह्ह्ह मुझे डर है कीईईइ यहाँ भी वैसा ही हो जायेगा जैसा अमृताताहईई वाले केस में हुआ था." दिव्या चुदाई के मजे लेते हुए बोली.
"यार अगर कुछ वैसा हो भी गया न तो इस बार भी हम ये मकान बेच देंगे और शहर भी छोड़ देंगे. मेरा बिज़नस वैसे भी अब ऐसा हो गया है की मैं उसे कही से भी हैंडल कर सकता हूँ तो अब हम दिल्ली बॉम्बे चलेंगे. वहां हम लोगों को कोई प्रॉब्लम नहीं होगी. बस तुम एक बार हाँ तो कहों." राजेश ने धक्को की रफ़्तार बढ़ाते हुए कहा...
"आह्ह्ह्ह अब तुम रेणुका की चूत के पीछेईईए पागल हो तो मैं तुम्हे रोकूंगीईईईइ नहीं पर ओह्ह्ह्ह आआअ इस बार थोडा संभल कर. जल्दबाजी मत करनाआआआ ईईई. येस्सस्सस्स ऐस्स्सा ही करूऊऊ"
"तुम चिंता न करो मेरी जान बस तुम भी मनीष को थोड़ी ढील दो." राजेश ने कहा और ताबड़तोड़ दिव्या की चुदाई करने लगा.
इधर राजेश और दिव्या की बातों से अनजान मैं रेणुका को गालिया देता हुआ बाथरूम में आया और दिव्या का गदराया जिस्म उस सेक्सी ब्लू नाईटी के बिना कैसा लगेगा ये सोच कर मुठ मारने लगा. झड़ने के बाद मैंने सोचा की आज जैसी बात चीत मेरी दिव्या से हुई है वैसी कभी नहीं हुई. मुझे लगने लगा की दिव्या को चोदना इतना नामुमकिन भी नहीं है जितना मैं सोचता था.
" आअह्ह्ह्हीईई मार गयीईईई उफफ्फ्फ्फ़ अरे वो तो जैसे मुझे देखता है हान्न्न्नन्न एक सेकंड में तैयार हो जायेगा पर उसकी बीवीईईईईइ रेणुका उसका क्या? इसीलिए कहती हूँ की उसके चक्कर में मत पडो आह्ह्ह्हह्ह और जैसा हम लोगों का चल रहा है चलने दो." दिव्या भी नीचे से झटके मारते हुए बोली.
"मेरी जान मेरी बात समझो, इस छोटे शहर में मुझे कितने पापड़ बेलने पड़ते है कोई नया कपल ढूढने में. पहले ठीक शकल सूरत वाले लोग ढूढो फिर उनका बैकग्राउंड पता लगाओ. लोग ऐसे होने चाहिए की बाद में कोई परेशानी न हो. ५० में कोई एक हमारे काम का मिलता है. फिर कोई भी जोड़ा २-३ बार से ज्यादा के लिए तैयार नहीं होता. अब इधर देखो लगभग ३ महीने हो गए कोई नया मिला नहीं और पुराने वाले कोई आना नहीं चाहते. अगर मनीष तैयार हो गया तो हम लोगों का साल दो साल आराम से कट जायेगा. हो सकता है और ज्यादा भी चल जाये." राजेश हौले हौले दिव्या को चोदते हुए समझाने लगा.
"मैं तुम्हारी हर बात मानती हूँ आःह्ह ओफ्फ्फ्फ़ पर मैं जितना रेणुका को जानती हूँ मुझे लगता नहीं की वो मानेगी. हान्न्न्न ऐसे हीईई आह्ह्ह मुझे डर है कीईईइ यहाँ भी वैसा ही हो जायेगा जैसा अमृताताहईई वाले केस में हुआ था." दिव्या चुदाई के मजे लेते हुए बोली.
"यार अगर कुछ वैसा हो भी गया न तो इस बार भी हम ये मकान बेच देंगे और शहर भी छोड़ देंगे. मेरा बिज़नस वैसे भी अब ऐसा हो गया है की मैं उसे कही से भी हैंडल कर सकता हूँ तो अब हम दिल्ली बॉम्बे चलेंगे. वहां हम लोगों को कोई प्रॉब्लम नहीं होगी. बस तुम एक बार हाँ तो कहों." राजेश ने धक्को की रफ़्तार बढ़ाते हुए कहा...
"आह्ह्ह्ह अब तुम रेणुका की चूत के पीछेईईए पागल हो तो मैं तुम्हे रोकूंगीईईईइ नहीं पर ओह्ह्ह्ह आआअ इस बार थोडा संभल कर. जल्दबाजी मत करनाआआआ ईईई. येस्सस्सस्स ऐस्स्सा ही करूऊऊ"
"तुम चिंता न करो मेरी जान बस तुम भी मनीष को थोड़ी ढील दो." राजेश ने कहा और ताबड़तोड़ दिव्या की चुदाई करने लगा.
इधर राजेश और दिव्या की बातों से अनजान मैं रेणुका को गालिया देता हुआ बाथरूम में आया और दिव्या का गदराया जिस्म उस सेक्सी ब्लू नाईटी के बिना कैसा लगेगा ये सोच कर मुठ मारने लगा. झड़ने के बाद मैंने सोचा की आज जैसी बात चीत मेरी दिव्या से हुई है वैसी कभी नहीं हुई. मुझे लगने लगा की दिव्या को चोदना इतना नामुमकिन भी नहीं है जितना मैं सोचता था.