दिव्या आज काफ़ी कैज़ुअल ड्रेस में थी, रात भर की चुदाई से उसका शरीर थक चुका था।
राजेश भी उसके चेहरे से थकान समझ सकता था, दिव्या को देख उसे बार बार बीती रात की याद आ रही थी, किस तरह दिव्या अपनी गांड हिला हिला के कर्नल से चुदी है और अब ऐसे दिखा रही है जैसे कुछ हुआ ही न हो। राजेश का लंड अकड़ने लगा था, उसका मन था कि दिव्या को अभी बेड पर लिटा के पेल दे पर तभी रूम में रेणुका आ जाती है, राजेश उसके लिए गेट खोलता है।
राजेश: क्या हुआ रेणुका।
रेणुका: आपको कुछ चाहिए, नाश्ते में तो मैं ले आती हूँ।
राजेश: नहीं, मुझे भूख नहीं है, हाँ दिव्या को शायद भूख लगी होगी।
दिव्या: तुम्हें भूख क्यों नहीं है, मैं ले आती हूँ कुछ तुम्हारे लिए।
राजेश: अच्छा ठीक है ले आओ, दोनों साथ खाते हैं।
रेणुका बाहर चली जाती है और कुछ देर में दिव्या चाय और नाश्ता ले आती है, राजेश काफी डर के साथ वह नाश्ता करता है पर उसे किसी भी फ्लेवर का कोई स्वाद नहीं आता, वह मन ही मन खुश हो जाता है कि दिव्या उसे धोखा नहीं देने वाली और वह कर्नल को ढूंढ़ता हुआ रूम से बाहर आता है, कर्नल इस समय पूल में नहा रहा था।
लाला: क्या बात है, बीवी को छोड़ फिर मेरे पास आ गए।
राजेश: यू बास्टर्ड, मैंने कहा था ना मेरी दिव्या मुझे कभी चीट नहीं कर सकती।
लाला: ऐसा क्या हुआ अब?
राजेश: अभी उसने मुझे नाश्ता दिया पर उसमें वो टैबलेट नहीं डाली थी।
लाला: ये तो अच्छी बात है पर अभी तो पूरा दिन बाकी है ना डियर। थोड़ा वेट तो करो।
कर्नल पानी में से ही एक बॉल राजेश की ओर उछलता है: आओ, इतने तुम भी फ्रेश हो जाओ, तुम तो नहाए भी नहीं हो।
राजेश: मैं अंदर जा रहा हूँ। दिव्या को ले कर निकलना है मुझे अब।
लाला: तुमने प्रॉमिस किया था आज यही रुकने का, डील है हमारी।
राजेश: बट प्रूफ हो तो गया।
लाला: अभी कहाँ, हो सकता है सही समय का वेट कर रही हो वो। शाम तक रुक जाओ, फिर तुम दोनों आज़ाद होंगे। तब तक यहाँ एन्जॉय कर सकते हो।
इतना कह कर, कर्नल रेणुका को पानी में से उपर उठाता है, राजेश को अब तक पता ही नहीं था कि रेणुका भी पूल में ही है और उसने कुछ भी नहीं पहना था, हालांकि वो समझ जाता है कि वो कर क्या रही थी, कर्नल के चेहरे की मुस्कान सब बया कर रही थी। राजेश का मन तो करता है, पर वो अपने ऊपर काबू रखने की सोचता है।
Adultery दिव्या का सफ़र
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Re: Adultery दिव्या का सफ़र
राजेश: नहीं, तुम दोनों ही एन्जॉय करो अब। मैं दिव्या के पास जा रहा हूँ।
लाला: कमऑन नाटक मत करो, दिव्या की तो तुम कभी भी ले सकते हो पर रेणुका इसके बाद नहीं मिलने वाली।
तभी कर्नल की नजर दिव्या पर पड़ती है। दिव्या को देख रेणुका वापस पानी में चली जाती है।
लाला: लो, अब तो दिव्या भी आ गई। देखो ना, दिव्या राजेश माना कर रहा है पूल में उतरने से, कह रहा है तुम्हारे बिना नहीं उतरेगा, तुम भी आ जाओ ना।
दिव्या: नहीं अंकल, मेरी ड्रेस खराब हो जाएगी, आज नहीं, प्लीज़।
लाला: ठीक है, फिर अकेले हम भी क्या करेंगे।
ये कह कर कर्नल भी पूल से बाहर निकल आता है और अपने कपड़े पहन घर के अन्दर चल देता है, दिव्या के मना करने से राजेश भी अंदर ही अंदर खुश हो जाता है। जब दिव्या और राजेश अंदर आते हैं तो कर्नल ड्रिंक कर रहा था, दिव्या भी मन में सोचती है कि ये आदमी कितना बड़ा टैंकर है कि पीता रहता है पर फिर भी नशे में नहीं भटकता।
लाला: आओ ना, राजेश, ड्रिंक करते हैं।
राजेश: नहीं, मेरा मूड नहीं है पीने का।
लाला: ठीक है, मत पियो, लेकिन साथ में बैठ तो सकते हो ना। ड्रिंक पी कर मैं भी बस यहाँ से जाने वाला हूँ। आज तुम दोनों को यहाँ अकेले ही एन्जॉय करना पड़ेगा। वैसे तुम्हें कुछ चाहिए तो रेणुका रहेगी यहाँ।
राजेश खुश हो बैठता है कि शायद कर्नल पहले ही हार मान चुका है। वो कर्नल के साथ बैठने को रेडी हो जाता है पर ड्रिंक करने से मना कर देता है।
लाला: अच्छा, सॉफ्ट ड्रिंक तो ले लोगे।
राजेश: ठीक है, बस कोल्डड्रिंक और कुछ नहीं।
लाला: ठीक है, ठीक है, दिव्या, तुम प्लीज़ राजेश के लिए फ्रिज से एक कोल्डड्रिंक ले आओगी।
दिव्या बिना कुछ बोले किचन में जाती है और कुछ ही पलों में वापस एक ग्लास लिए आती है। वो ग्लास लाकर राजेश की ओर बढ़ा देती है और अपने रूम में चली जाती है।
राजेश ग्लास ले कर जैसे ही एक घूँट पीता है, उसके होश फाख्ता हो जाते हैं, क्योंकि कर्नल की दी हुई टैबलेट का फ्लेवर इतना स्ट्रांग था कि राजेश को ये जानने में पल नहीं लगता कि दिव्या उसे छोड़कर कर्नल को चुन चुकी है, वो कर्नल की ओर देखता है तो उसके चेहरे पर हसी देख वो और शर्मिंदा हो जाता है।
लाला: कमऑन नाटक मत करो, दिव्या की तो तुम कभी भी ले सकते हो पर रेणुका इसके बाद नहीं मिलने वाली।
तभी कर्नल की नजर दिव्या पर पड़ती है। दिव्या को देख रेणुका वापस पानी में चली जाती है।
लाला: लो, अब तो दिव्या भी आ गई। देखो ना, दिव्या राजेश माना कर रहा है पूल में उतरने से, कह रहा है तुम्हारे बिना नहीं उतरेगा, तुम भी आ जाओ ना।
दिव्या: नहीं अंकल, मेरी ड्रेस खराब हो जाएगी, आज नहीं, प्लीज़।
लाला: ठीक है, फिर अकेले हम भी क्या करेंगे।
ये कह कर कर्नल भी पूल से बाहर निकल आता है और अपने कपड़े पहन घर के अन्दर चल देता है, दिव्या के मना करने से राजेश भी अंदर ही अंदर खुश हो जाता है। जब दिव्या और राजेश अंदर आते हैं तो कर्नल ड्रिंक कर रहा था, दिव्या भी मन में सोचती है कि ये आदमी कितना बड़ा टैंकर है कि पीता रहता है पर फिर भी नशे में नहीं भटकता।
लाला: आओ ना, राजेश, ड्रिंक करते हैं।
राजेश: नहीं, मेरा मूड नहीं है पीने का।
लाला: ठीक है, मत पियो, लेकिन साथ में बैठ तो सकते हो ना। ड्रिंक पी कर मैं भी बस यहाँ से जाने वाला हूँ। आज तुम दोनों को यहाँ अकेले ही एन्जॉय करना पड़ेगा। वैसे तुम्हें कुछ चाहिए तो रेणुका रहेगी यहाँ।
राजेश खुश हो बैठता है कि शायद कर्नल पहले ही हार मान चुका है। वो कर्नल के साथ बैठने को रेडी हो जाता है पर ड्रिंक करने से मना कर देता है।
लाला: अच्छा, सॉफ्ट ड्रिंक तो ले लोगे।
राजेश: ठीक है, बस कोल्डड्रिंक और कुछ नहीं।
लाला: ठीक है, ठीक है, दिव्या, तुम प्लीज़ राजेश के लिए फ्रिज से एक कोल्डड्रिंक ले आओगी।
दिव्या बिना कुछ बोले किचन में जाती है और कुछ ही पलों में वापस एक ग्लास लिए आती है। वो ग्लास लाकर राजेश की ओर बढ़ा देती है और अपने रूम में चली जाती है।
राजेश ग्लास ले कर जैसे ही एक घूँट पीता है, उसके होश फाख्ता हो जाते हैं, क्योंकि कर्नल की दी हुई टैबलेट का फ्लेवर इतना स्ट्रांग था कि राजेश को ये जानने में पल नहीं लगता कि दिव्या उसे छोड़कर कर्नल को चुन चुकी है, वो कर्नल की ओर देखता है तो उसके चेहरे पर हसी देख वो और शर्मिंदा हो जाता है।
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Re: Adultery दिव्या का सफ़र
लाला: क्या हुआ डियर, मिल गया सबूत।
राजेश कुछ नहीं बोलता तो कर्नल की हसी और बढ़ जाती है।
लाला: अब देखो मैं कैसे दिव्या की प्यास बुझाता हूँ। लेकिन आज तुम्हारे लिए भी एक सरप्राइज है, बस तुम जब तक मैं ना कहूँ बेहोशी का नाटक करते रहना।
राजेश: अब ऐसा क्या सरप्राइज बचा है तुम्हारे पास?
ये बोलते हुए राजेश की आंखों से आंसू छलक जाते हैं।
लाला: लौंडिया की तरह रो क्यों रहे हो, कल भी तो चोदा था ना मैंने उसे पूरी रात। तो आज क्या स्पेशल है। अब अगर तुमने प्रॉमिस तोड़ने की सोची तो मैं दिव्या को भी सब बता दूंगा कि तुमने कैसे उसे मुझसे चुदवाया है।
इतना कह कर्नल दिव्या को पुकारता है। किसी के आने की आवाज सुन राजेश अपने आंसू पोंछ नींद में होने का नाटक करने लगता है। दिव्या ने तब तक कपडे बदल लिए थे। अब वो सिर्फ एक डेनिम के शोर्ट में थी। कर्नल ने उसको ऐसे ही बाहर आने को कहा था।
कर्नल: कितने खूबसूरत है तुम्हारे ये मम्मे दिव्या, तुम खामखा इन्हें कैद रखती हो, आओ मेरे पास बैठो ना।
दिव्या कर्नल के सामने ही खड़ी थी, कर्नल दिव्या का हाथ पकड़ कर उसे अपने सामने वही फर्श पर बैठाता है।
दिव्या: अंकल प्लीज़, राजेश जाग गया तो अनर्थ हो जाएगा।
कर्नल दिव्या के होंठों पर हाथ रखकर उसे चुप कराता है।
लाला: श्श्श। तुमने उसे वो टैबलेट खुद दी है ना।
दिव्या: हाँ।
लाला: तो फिकर मत करो और बस मजे लो।
कर्नल दिव्या को अपने बदन की ओर झुका कर उसके लबों को चूम लेता है और सीधा उसे अपने लंड की ओर झुकाने लगता है।
दिव्या डर के मारे पसीने में भीग रही थी, अखिर उसका पति उसी कमरे में दूसरे सोफे पर बैठा था पर वो ज्यादा विरोध नहीं करती और कर्नल का लंड चूसना शुरू कर देती है, कर्नल भी उसके बालों को पकड़ उसे अपना लंड चूसवाने लगता है।
लाला: उफ़ तुम्हारे मुँह की ये गर्मी, दिव्या, आह चूसो मेरी जान।
कर्नल दिव्या को सोफे पर खींच लेता है और उसकी आँखों में देखते हुए उसे एक बार फिर अपने लंड की ओर झुकाता है।
दिव्या लंड चूसने में बिजी थी और कर्नल राजेश की ओर देखता है जो एक टक इन दोनों को देख रहा था, कर्नल राजेश को स्माइल देता है और उसकी हर का एहसास कराता है। राजेश भी दिव्या को एक कुतिया की तरह लंड चूसता देख, थोड़ा गुस्से में आता है पर उसका खुद का लंड कुछ और ही दास्तान बया कर रहा था, उसे पता भी नहीं चला कि कब उसका लंड उसकी पैंट में अकड़ने लगा था।
कर्नल उसे मुस्कराते हुए आँख मारता है और उसके लंड की ओर इशारा करता है, राजेश शर्म से लाल पड़ जाता है।
लाला: ओहो, माय डिअर, तुम चूसने में तो एकदम एक्सपर्ट हो गयी हो।
कर्नल अपना हाथ स्ट्रेच करके दिव्या की गांड की ओर बढ़ा देता है और उसकी छेद में अपनी उंगली घुसाने लगता है।
राजेश कुछ नहीं बोलता तो कर्नल की हसी और बढ़ जाती है।
लाला: अब देखो मैं कैसे दिव्या की प्यास बुझाता हूँ। लेकिन आज तुम्हारे लिए भी एक सरप्राइज है, बस तुम जब तक मैं ना कहूँ बेहोशी का नाटक करते रहना।
राजेश: अब ऐसा क्या सरप्राइज बचा है तुम्हारे पास?
ये बोलते हुए राजेश की आंखों से आंसू छलक जाते हैं।
लाला: लौंडिया की तरह रो क्यों रहे हो, कल भी तो चोदा था ना मैंने उसे पूरी रात। तो आज क्या स्पेशल है। अब अगर तुमने प्रॉमिस तोड़ने की सोची तो मैं दिव्या को भी सब बता दूंगा कि तुमने कैसे उसे मुझसे चुदवाया है।
इतना कह कर्नल दिव्या को पुकारता है। किसी के आने की आवाज सुन राजेश अपने आंसू पोंछ नींद में होने का नाटक करने लगता है। दिव्या ने तब तक कपडे बदल लिए थे। अब वो सिर्फ एक डेनिम के शोर्ट में थी। कर्नल ने उसको ऐसे ही बाहर आने को कहा था।
कर्नल: कितने खूबसूरत है तुम्हारे ये मम्मे दिव्या, तुम खामखा इन्हें कैद रखती हो, आओ मेरे पास बैठो ना।
दिव्या कर्नल के सामने ही खड़ी थी, कर्नल दिव्या का हाथ पकड़ कर उसे अपने सामने वही फर्श पर बैठाता है।
दिव्या: अंकल प्लीज़, राजेश जाग गया तो अनर्थ हो जाएगा।
कर्नल दिव्या के होंठों पर हाथ रखकर उसे चुप कराता है।
लाला: श्श्श। तुमने उसे वो टैबलेट खुद दी है ना।
दिव्या: हाँ।
लाला: तो फिकर मत करो और बस मजे लो।
कर्नल दिव्या को अपने बदन की ओर झुका कर उसके लबों को चूम लेता है और सीधा उसे अपने लंड की ओर झुकाने लगता है।
दिव्या डर के मारे पसीने में भीग रही थी, अखिर उसका पति उसी कमरे में दूसरे सोफे पर बैठा था पर वो ज्यादा विरोध नहीं करती और कर्नल का लंड चूसना शुरू कर देती है, कर्नल भी उसके बालों को पकड़ उसे अपना लंड चूसवाने लगता है।
लाला: उफ़ तुम्हारे मुँह की ये गर्मी, दिव्या, आह चूसो मेरी जान।
कर्नल दिव्या को सोफे पर खींच लेता है और उसकी आँखों में देखते हुए उसे एक बार फिर अपने लंड की ओर झुकाता है।
दिव्या लंड चूसने में बिजी थी और कर्नल राजेश की ओर देखता है जो एक टक इन दोनों को देख रहा था, कर्नल राजेश को स्माइल देता है और उसकी हर का एहसास कराता है। राजेश भी दिव्या को एक कुतिया की तरह लंड चूसता देख, थोड़ा गुस्से में आता है पर उसका खुद का लंड कुछ और ही दास्तान बया कर रहा था, उसे पता भी नहीं चला कि कब उसका लंड उसकी पैंट में अकड़ने लगा था।
कर्नल उसे मुस्कराते हुए आँख मारता है और उसके लंड की ओर इशारा करता है, राजेश शर्म से लाल पड़ जाता है।
लाला: ओहो, माय डिअर, तुम चूसने में तो एकदम एक्सपर्ट हो गयी हो।
कर्नल अपना हाथ स्ट्रेच करके दिव्या की गांड की ओर बढ़ा देता है और उसकी छेद में अपनी उंगली घुसाने लगता है।
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Re: Adultery दिव्या का सफ़र
दिव्या दर्द से उछल जाती है और बड़ी तेज आह भरती है।
लाला: क्या हुआ डियर, अब भी दर्द है क्या।
दिव्या: अंकल आपको पता है मैंने कभी यहाँ नहीं किया था।
लाला: लेकिन अब तो कर चुकी हो ना, कितना बेवकूफ है तुम्हारा पति जो सिर्फ तुम्हारी चूत छोड़ कर रह जाता है। लाओ मैं तुम्हारा दर्द कम कर दूँ।
इतना कहकर कर्नल दिव्या के पीछे आकर उसकी पेंटी को उतारने लगता है। दिव्या को नंगा करने में कर्नल को ज्यादा समय नहीं लगता।
दिव्या संभल भी नहीं पाती और कर्नल अपनी जीभ उसकी गांड के छेद पर फेरने लगता है।
दिव्या: आह अंकल।
लाला: क्या हुआ मेरी जान।
दिव्या: आह प्लीज़ स्टॉप।
लाला: अच्छा नहीं लग रहा मेरी जान को।
दिव्या: अंकल राजेशश्ह्ह्ह...
लाला: भूल जाओ उसे जान, वो तो खुद किसी रांड के सपने देख रहा है। देखो बेहोशी में भी लंड खड़ा है साले का।
दिव्या: कहीं वो जाग न जाए, प्लीज़।
लाला: अरे उसे भूल जाओ, डियर। ये बताओ, कुछ आराम मिला मेरी जान को।
दिव्या: उम्म्म... हम्म्म...
कर्नल: अब दिव्या को सीधा कर उसकी आँखों में देखता हुआ अपना मुँह उसकी चूत की ओर बढ़ा देता है। दिव्या की सिस्कियाँ काफी तेज हो गई थी, जैसे उसे अब राजेश की कोई फिक्र न हो।
लाला: क्या हुआ डियर।
दिव्या: कुछ कुछ नहीं, अंकल।
लाला: आज तुम यहाँ से चली जाओगी, उसके बाद कब चखने को मिलेगी ये चूत दिव्या?
दिव्या: वो वो तो पता नहीं।
लाला: क्यों तुम आगे नहीं चुदना चाहोगी मुझसे। तुम्हें अच्छी नहीं लगी तुम्हारी चुदाई।
दिव्या: ऐसा नहीं है, अंकल, ऐसी ख़ुशी मुझे पहले कभी नहीं मिली, लेकिन मैं राजेश का दिल नहीं तोड़ना चाहती।
लाला: और अगर वो खुद तुम्हें मुझसे चुदवाना चाहे तो?
दिव्या: ऐसा तो कभी नहीं हो सकता अंकल।
लाला: और अगर उसे कभी कुछ पता न चले तो?
तभी रेणुका भी रूम में आ जाती है। रेणुका को देख दिव्या रुक कर चुप हो जाती है।
लाला: क्या हुआ दिव्या, इससे क्या शर्माना, ये तो तुम्हारी चूत और बदन दोनों ही पहले चख चुकी है।
ये बात राजेश को आज तक पता नहीं थी की आखिर रेणुका ने दिव्या के साथ ये सब कैसे किया है। उधर कर्नल लगातार उसकी बीवी को अपनी जीभ से चोद रहा था। राजेश ये समझ चुका था कि रेणुका ने सिर्फ उसे ही नहीं बल्कि दिव्या को भी फँसाया है पर इस समय उसे अपने लंड को शांत करने से ज्यादा कुछ दिखाई नहीं देता।
लाला: क्या हुआ डियर, अब भी दर्द है क्या।
दिव्या: अंकल आपको पता है मैंने कभी यहाँ नहीं किया था।
लाला: लेकिन अब तो कर चुकी हो ना, कितना बेवकूफ है तुम्हारा पति जो सिर्फ तुम्हारी चूत छोड़ कर रह जाता है। लाओ मैं तुम्हारा दर्द कम कर दूँ।
इतना कहकर कर्नल दिव्या के पीछे आकर उसकी पेंटी को उतारने लगता है। दिव्या को नंगा करने में कर्नल को ज्यादा समय नहीं लगता।
दिव्या संभल भी नहीं पाती और कर्नल अपनी जीभ उसकी गांड के छेद पर फेरने लगता है।
दिव्या: आह अंकल।
लाला: क्या हुआ मेरी जान।
दिव्या: आह प्लीज़ स्टॉप।
लाला: अच्छा नहीं लग रहा मेरी जान को।
दिव्या: अंकल राजेशश्ह्ह्ह...
लाला: भूल जाओ उसे जान, वो तो खुद किसी रांड के सपने देख रहा है। देखो बेहोशी में भी लंड खड़ा है साले का।
दिव्या: कहीं वो जाग न जाए, प्लीज़।
लाला: अरे उसे भूल जाओ, डियर। ये बताओ, कुछ आराम मिला मेरी जान को।
दिव्या: उम्म्म... हम्म्म...
कर्नल: अब दिव्या को सीधा कर उसकी आँखों में देखता हुआ अपना मुँह उसकी चूत की ओर बढ़ा देता है। दिव्या की सिस्कियाँ काफी तेज हो गई थी, जैसे उसे अब राजेश की कोई फिक्र न हो।
लाला: क्या हुआ डियर।
दिव्या: कुछ कुछ नहीं, अंकल।
लाला: आज तुम यहाँ से चली जाओगी, उसके बाद कब चखने को मिलेगी ये चूत दिव्या?
दिव्या: वो वो तो पता नहीं।
लाला: क्यों तुम आगे नहीं चुदना चाहोगी मुझसे। तुम्हें अच्छी नहीं लगी तुम्हारी चुदाई।
दिव्या: ऐसा नहीं है, अंकल, ऐसी ख़ुशी मुझे पहले कभी नहीं मिली, लेकिन मैं राजेश का दिल नहीं तोड़ना चाहती।
लाला: और अगर वो खुद तुम्हें मुझसे चुदवाना चाहे तो?
दिव्या: ऐसा तो कभी नहीं हो सकता अंकल।
लाला: और अगर उसे कभी कुछ पता न चले तो?
तभी रेणुका भी रूम में आ जाती है। रेणुका को देख दिव्या रुक कर चुप हो जाती है।
लाला: क्या हुआ दिव्या, इससे क्या शर्माना, ये तो तुम्हारी चूत और बदन दोनों ही पहले चख चुकी है।
ये बात राजेश को आज तक पता नहीं थी की आखिर रेणुका ने दिव्या के साथ ये सब कैसे किया है। उधर कर्नल लगातार उसकी बीवी को अपनी जीभ से चोद रहा था। राजेश ये समझ चुका था कि रेणुका ने सिर्फ उसे ही नहीं बल्कि दिव्या को भी फँसाया है पर इस समय उसे अपने लंड को शांत करने से ज्यादा कुछ दिखाई नहीं देता।
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Re: Adultery दिव्या का सफ़र
दिव्या की सिस्कारिया अब कमरे में चारों ओर गूंज रही थी, जो राजेश को और पागल कर रही थी। राजेश का हाथ उसके लंड को कब मसलने लगा, उसे अंदाजा भी नहीं हुआ। उसकी हालत देखकर रेणुका के चेहरे पर स्माइल आ गई। तभी कर्नल दिव्या की चूत से मुंह हटा लेता है तो दिव्या तड़प उठती है।
दिव्या: आह अंकल, प्लीज़ रुको मत।
लाला: क्या हुआ, मेरी जान?
दिव्या कुछ कहे बिना कर्नल को देखती है, पर कोई भी समझ सकता था कि वो क्या चाहती है।
लाला: बोलो, मेरा लंड चाहिए तुम्हे?
दिव्या: हाँ चाहिए, बस यही सुनना है ना आपको।
लाला: नहीं, बोलो कि तुम हमेशा मुझसे चुदवाओगी मेरी पर्सनल रांड की तरह। बोलो डियर।
कर्नल का मुंह अब भी दिव्या की चूत से बस एक इंच दूर था।
दिव्या की चूत पर कर्नल की गरम सांसें उसे तड़पा रही थीं, वो अपनी चूत को कर्नल के मुंह की ओर उठाती है पर कर्नल मुंह पीछे कर लेता है।
लाला: तुम जानती हो जान मुझे क्या चाहिए।
दिव्या रेणुका की ओर देखती है जो एक-एक कर अपने कपडे उतार रही थी।
लाला: उसे क्या शर्माना डियर, तुम्हारी चूत मुझसे पहले तो इसी ने चखी थी ना, कम ऑन से नाउ।
दिव्या: हाँ, मैं आपसे पूरी लाइफ चुदवाउंगी आपकी रांड बनकर।
दिव्या की बात सुनकर कर्नल फिर से अपनी जीभ दिव्या की चूत से सटा देता है, दिव्या की आवाज अब इतनी बढ़ चुकी थी मानो उसे अब राजेश के रूम में होने का डर ही न रहा हो।
कर्नल बार बार दिव्या की चूत चाटते हुए उससे ऐसे सवाल कर रहा था जिनकी वजह से राजेश शर्म में डूबा जा रहा था।
लाला: अपने पति को भी ऐसे ही अपनी चूत चटाना चाहती हो डियर।
दिव्या: ओहहह, अंकल आह।
लाला: बोलो न जान।
दिव्या: वो कभी ऐसा नहीं करते।
लाला: कितनी बार तुम्हारी प्यास बुझा पाता है वो।
दिव्या चुप रहती है। कर्नल उसकी चूत से अपना मुह हटा लेता है जिससे वो तड़प उठती है। कर्नल की नजर का इशारा इस बात के लिए काफी था कि वो क्या चाहता है।
दिव्या: वो कभी नहीं बुझा पाते मेरी प्यास। और आप ये जानते हैं, फिर भी पूछ रहे हैं।
लाला: जो किसी औरत की प्यास नहीं बुझा पाता जानती हो, उसे क्या कहते हैं।
दिव्या: जी नहीं।
लाला: सब पता है तुम्हें। बोलो ना मेरी जान।
कर्नल दिव्या की चूत पर जीभ फेरते हुए पूछता है।
दिव्या: ननामर्ददददददद।
लाला: तो राजेश नामर्द हुआ ना मेरी जान।
दिव्या कर्नल को अपनी टांगों में फंसा लेती है और अपनी चूत को कर्नल के मुह पर रगड़ने लगती है।
दिव्या: हाँ नामर्द है मेरा पति आह उम्म्म्म, अंकल, प्लीज़ डॉन्ट स्टॉप।
दिव्या: आह अंकल, प्लीज़ रुको मत।
लाला: क्या हुआ, मेरी जान?
दिव्या कुछ कहे बिना कर्नल को देखती है, पर कोई भी समझ सकता था कि वो क्या चाहती है।
लाला: बोलो, मेरा लंड चाहिए तुम्हे?
दिव्या: हाँ चाहिए, बस यही सुनना है ना आपको।
लाला: नहीं, बोलो कि तुम हमेशा मुझसे चुदवाओगी मेरी पर्सनल रांड की तरह। बोलो डियर।
कर्नल का मुंह अब भी दिव्या की चूत से बस एक इंच दूर था।
दिव्या की चूत पर कर्नल की गरम सांसें उसे तड़पा रही थीं, वो अपनी चूत को कर्नल के मुंह की ओर उठाती है पर कर्नल मुंह पीछे कर लेता है।
लाला: तुम जानती हो जान मुझे क्या चाहिए।
दिव्या रेणुका की ओर देखती है जो एक-एक कर अपने कपडे उतार रही थी।
लाला: उसे क्या शर्माना डियर, तुम्हारी चूत मुझसे पहले तो इसी ने चखी थी ना, कम ऑन से नाउ।
दिव्या: हाँ, मैं आपसे पूरी लाइफ चुदवाउंगी आपकी रांड बनकर।
दिव्या की बात सुनकर कर्नल फिर से अपनी जीभ दिव्या की चूत से सटा देता है, दिव्या की आवाज अब इतनी बढ़ चुकी थी मानो उसे अब राजेश के रूम में होने का डर ही न रहा हो।
कर्नल बार बार दिव्या की चूत चाटते हुए उससे ऐसे सवाल कर रहा था जिनकी वजह से राजेश शर्म में डूबा जा रहा था।
लाला: अपने पति को भी ऐसे ही अपनी चूत चटाना चाहती हो डियर।
दिव्या: ओहहह, अंकल आह।
लाला: बोलो न जान।
दिव्या: वो कभी ऐसा नहीं करते।
लाला: कितनी बार तुम्हारी प्यास बुझा पाता है वो।
दिव्या चुप रहती है। कर्नल उसकी चूत से अपना मुह हटा लेता है जिससे वो तड़प उठती है। कर्नल की नजर का इशारा इस बात के लिए काफी था कि वो क्या चाहता है।
दिव्या: वो कभी नहीं बुझा पाते मेरी प्यास। और आप ये जानते हैं, फिर भी पूछ रहे हैं।
लाला: जो किसी औरत की प्यास नहीं बुझा पाता जानती हो, उसे क्या कहते हैं।
दिव्या: जी नहीं।
लाला: सब पता है तुम्हें। बोलो ना मेरी जान।
कर्नल दिव्या की चूत पर जीभ फेरते हुए पूछता है।
दिव्या: ननामर्ददददददद।
लाला: तो राजेश नामर्द हुआ ना मेरी जान।
दिव्या कर्नल को अपनी टांगों में फंसा लेती है और अपनी चूत को कर्नल के मुह पर रगड़ने लगती है।
दिव्या: हाँ नामर्द है मेरा पति आह उम्म्म्म, अंकल, प्लीज़ डॉन्ट स्टॉप।