लाड़ला देवर ( देवर भाभी का रोमांस) complete
- Dolly sharma
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Re: लाड़ला देवर ( देवर भाभी का रोमांस)
Great story, update more
खूनी रिश्तों में प्यार बेशुमारRunning.....परिवार मे प्यार बेशुमारRunning..... वो लाल बॅग वाली Running.....दहशत complete..... मेरा परिवार और मेरी वासना Running..... मोहिनी Running....सुल्तान और रफीक की अय्याशी .....Horror अगिया बेतालcomplete....डार्क नाइटcomplete .... अनदेखे जीवन का सफ़र complete.....भैया का ख़याल मैं रखूँगी complete.....काला साया complete.....प्यासी आँखों की लोलुपता complete.....मेले के रंग सास, बहु, और ननद के संग complete......मासूम ननद complete
- Ankit
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- Ankit
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Re: लाड़ला देवर ( देवर भाभी का रोमांस)
आज राजेश भाई की बैल की सुनवाई थी,… जस्टीस ढीनगरा के कोर्ट ने नोटीस जारी कर के पोलीस और दोनो पक्षों को बता दिया था…
पोलीस और ठाकुर को अचानक से इतनी जल्दी डेट मिलने की अपेक्षा नही थी.. लेकिन कोर्ट के आदेश को टालना किसी के बस में नही था.. सो उन्हें राजेश को कोर्ट में हाज़िर करना ही पड़ा…
सरकारी वकील ने वही रटी रटाई दलीलें पेश की जो पहले ही पोलीस ने दे रखी थी…
मेने अपना वकालत नामा कोर्ट के सामने पेश करते हुए अपने आप को राजेश का वकील के तौर पर परिचय दिया,
मेरी उम्र देखकर सरकारी वकील के चेहरे पर उपेक्षित सी स्माइल आ गयी…
मेने सरकारी वकील से सवाल पुछ्ने के उद्देश्य से कहा – मी लॉर्ड ! मे सरकारी वकील से कुछ सवाल करना चाहूँगा…
जड्ज साब की पर्मिशन ग्रांट होते ही मेने पूछा - आपके पास ऐसा कोई सबूत है जो ये साबित कर सके कि भानु प्रताप को चाकू मेरे मुवक्किल राजेश ने ही मारा था…
वो (सरकारी.वकील.) – ये कैसा सवाल हैं मी लॉर्ड ! जबकि पोलीस रिपोर्ट में साफ-साफ लिखा है.. , अभी इस सवाल का कोई मतलव नही है मी लॉर्ड !
मे – मी लॉर्ड ! रिपोर्ट में कहीं ये नही लिखा है कि राजेश ने चाकू से भानु प्रताप पर वार किया था…!
सरकारी.वकील. – मी लॉर्ड ! मौकाए वारदात पर अपराधी की बेहन मौजूद थी, और भानु प्रताप की पत्नी ने उन्हें घायल अवस्था में पाया, तभी तो उन्होने शोर मचाकर लोगों को इकट्ठा किया..
मे – मी लॉर्ड ! मे सरकारी वकील की बात से इतेफ़ाक़ रखता हूँ, चस्म्दीद के तौर पर केवल मेरे मुवक्किल की बेहन ही मजूद थी…
लेकिन उन्होने अपने बयान में ये कहीं नही कहा है, कि राजेश ने ही भानु प्रताप पर वार किया था.…
ये भी तो हो सकता है कि चाकू से भानु ने मेरे मुवक्किल पर वार किया हो और उन्होने सिर्फ़ अपना बचाव किया हो, जैसा कि मिस निशा अपने बयान में कह चुकी हैं…
इसी हाथापाई में भानु का चाकू खुद उसके पेट में घुस गया हो…!
सरकारी वजिल – मी लॉर्ड ! मेरे फाज़िल दोस्त अब एक नयी कहानी बनाने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन वो शायद ये नही जानते कि अदालत के फ़ैसले कहनियों से नही सबूतों के आधार पर दिए जाते हैं…
मेने तुरंत कहा - मे भी यही कहना चाहता हूँ मी लॉर्ड ! पोलीस द्वारा बनाई गयी कहानी को सच साबित करने के लिए कुछ सबूतों की ज़रूरत पड़ेगी, जो मुझे अभी तक देखने को नही मिले…
अतः मे कोर्ट का ध्यान उन्हीं सबूतों की तरफ ले जाना चाहता हूँ,
इसलिए अब मे कोर्ट से दरखास्त करूँगा कि उस दौरान की मेडिकल रिपोर्ट, मौकाए वारदात पर लिए गये फोटोस और चाकू पर मिले फिंगर प्रिंट्स अदालत में पेश किए जाएँ…!
मेरी बात सुनकर कोर्ट रूम में ख़ुसर-पुसर होने लगी…
जड्ज साब ने ऑर्डर ! ऑर्डर बोल कर सबको शांत किया… और सरकारी वकील से बोला – यस मिस्टर. सरकारी वकील.. ये सारे सबूत अभी तक कोर्ट में पेश क्यों नही हुए..?
अभी इसी वक़्त ये सारे सबूत अदालत में पेश किए जाएँ…
सरकारी वकील ने पोलीस इनस्पेक्टर की तरफ देखा.. तो वो बग्लें झाँकने लगा.. आख़िरकार कोई जबाब नही मिला तो वो बोला…
मे लॉर्ड… दुर्भाग्य वश.. पोलीस उस समय चाकू से फिंगर प्रिंट्स तो नही ले पाई..
लेकिन ये कुछ मौकाए वारदात के फोटोस और मेडिकल रिपोर्ट है.. जिसे उसने जड्ज के सामने पेश कर दिया…
मेने जड्ज साब से वो दोनो चीज़ देखने के रिक्वेस्ट की तो उन्होने अपने अरदली के हाथों मुझ तक भिजवाई…
मेने वो रिपोर्ट और फोटो को गौर से देखा… उसे देख कर मेरे चेहरे पर एक विजयी मुस्कान आ गयी…
मेने फोटो से नज़र हटाकर जड्ज साब से कहा - मी लॉर्ड ! कैसी हास्यास्पद बात है…….
हम यहाँ एक संगीन जुर्म, अटेंप्ट तो मर्डर के ऊपर बहस कर रहे हैं.. जिसमें एक व्यक्ति के दोषी या निर्दोष साबित होने पर उसकी पूरी जिंदगी निर्भर करती है…
इतना संगीन जुर्म होने के बावजूद भी, पर्याप्त सबूत इकट्ठे करने चाहिए थे
वो भी पोलीस द्वारा नही किए गये…
इस्तेमाल में लिए गये वेपन से फिंगर प्रिंट्स नही लिए गये…इसको आप क्या कहेंगे…? पोलीस की काम करने की क्षमता या उदासीनता…या फरीक से मिली भगत…?
ऐसा लगता है, जैसे सारी बातों को दरकिनार करते हुए, पोलीस का ध्यान सिर्फ़ मेरे मुवक्किल को सज़ा दिलाना ही था…
मेरी बात सुनकर सरकारी वकील और पोलीस इनस्पेक्टर नज़रें चुराने लगे…! अपनी झेंप मिटाने के लिए वो जड्ज साब से बोला –
ऑब्जेक्षन मी लॉर्ड, मेरे काबिल दोस्त बिना वजह पोलीस की कार गुजारी पर शक़ कर रहे हैं…!
जड्ज साब को मेरी दलील सही लगी, इसलिए उन्होने कहा – ऑब्जेक्षन ओवर-रूल्ड…
सरकारी वकील, खिसियानी शकल लेकर अपनी सीट पर बैठ गया…
मेने आगे कहा - खैर मी लॉर्ड ! अब जो बात हुई ही नही उस विषय पर मे समय बरवाद नही करूँगा, पर जो मौजूद है उसी से मे कोर्ट का ध्यान इस फोटो पर आकर्षित करना चाहता हूँ…
फिर मेने उस फोटो को एक प्रोजेक्टर के ज़रिए कोर्ट रूम की बड़ी सी स्क्रीन पर लगाया जिससे वहाँ मौजूद सभी लोग देख सकें…
मी लॉर्ड ! गौर कीजिए.. ! भानु के पेट मे जो चाकू घुसा हुआ है.. उसका डाइरेक्षन ऊपर से नीचे की तरफ है… जबकि आम तौर पर जब कोई सामने से वार करता है तो वो कभी भी ऊपर से पेट पर वार नही कर सकता,
पोलीस और ठाकुर को अचानक से इतनी जल्दी डेट मिलने की अपेक्षा नही थी.. लेकिन कोर्ट के आदेश को टालना किसी के बस में नही था.. सो उन्हें राजेश को कोर्ट में हाज़िर करना ही पड़ा…
सरकारी वकील ने वही रटी रटाई दलीलें पेश की जो पहले ही पोलीस ने दे रखी थी…
मेने अपना वकालत नामा कोर्ट के सामने पेश करते हुए अपने आप को राजेश का वकील के तौर पर परिचय दिया,
मेरी उम्र देखकर सरकारी वकील के चेहरे पर उपेक्षित सी स्माइल आ गयी…
मेने सरकारी वकील से सवाल पुछ्ने के उद्देश्य से कहा – मी लॉर्ड ! मे सरकारी वकील से कुछ सवाल करना चाहूँगा…
जड्ज साब की पर्मिशन ग्रांट होते ही मेने पूछा - आपके पास ऐसा कोई सबूत है जो ये साबित कर सके कि भानु प्रताप को चाकू मेरे मुवक्किल राजेश ने ही मारा था…
वो (सरकारी.वकील.) – ये कैसा सवाल हैं मी लॉर्ड ! जबकि पोलीस रिपोर्ट में साफ-साफ लिखा है.. , अभी इस सवाल का कोई मतलव नही है मी लॉर्ड !
मे – मी लॉर्ड ! रिपोर्ट में कहीं ये नही लिखा है कि राजेश ने चाकू से भानु प्रताप पर वार किया था…!
सरकारी.वकील. – मी लॉर्ड ! मौकाए वारदात पर अपराधी की बेहन मौजूद थी, और भानु प्रताप की पत्नी ने उन्हें घायल अवस्था में पाया, तभी तो उन्होने शोर मचाकर लोगों को इकट्ठा किया..
मे – मी लॉर्ड ! मे सरकारी वकील की बात से इतेफ़ाक़ रखता हूँ, चस्म्दीद के तौर पर केवल मेरे मुवक्किल की बेहन ही मजूद थी…
लेकिन उन्होने अपने बयान में ये कहीं नही कहा है, कि राजेश ने ही भानु प्रताप पर वार किया था.…
ये भी तो हो सकता है कि चाकू से भानु ने मेरे मुवक्किल पर वार किया हो और उन्होने सिर्फ़ अपना बचाव किया हो, जैसा कि मिस निशा अपने बयान में कह चुकी हैं…
इसी हाथापाई में भानु का चाकू खुद उसके पेट में घुस गया हो…!
सरकारी वजिल – मी लॉर्ड ! मेरे फाज़िल दोस्त अब एक नयी कहानी बनाने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन वो शायद ये नही जानते कि अदालत के फ़ैसले कहनियों से नही सबूतों के आधार पर दिए जाते हैं…
मेने तुरंत कहा - मे भी यही कहना चाहता हूँ मी लॉर्ड ! पोलीस द्वारा बनाई गयी कहानी को सच साबित करने के लिए कुछ सबूतों की ज़रूरत पड़ेगी, जो मुझे अभी तक देखने को नही मिले…
अतः मे कोर्ट का ध्यान उन्हीं सबूतों की तरफ ले जाना चाहता हूँ,
इसलिए अब मे कोर्ट से दरखास्त करूँगा कि उस दौरान की मेडिकल रिपोर्ट, मौकाए वारदात पर लिए गये फोटोस और चाकू पर मिले फिंगर प्रिंट्स अदालत में पेश किए जाएँ…!
मेरी बात सुनकर कोर्ट रूम में ख़ुसर-पुसर होने लगी…
जड्ज साब ने ऑर्डर ! ऑर्डर बोल कर सबको शांत किया… और सरकारी वकील से बोला – यस मिस्टर. सरकारी वकील.. ये सारे सबूत अभी तक कोर्ट में पेश क्यों नही हुए..?
अभी इसी वक़्त ये सारे सबूत अदालत में पेश किए जाएँ…
सरकारी वकील ने पोलीस इनस्पेक्टर की तरफ देखा.. तो वो बग्लें झाँकने लगा.. आख़िरकार कोई जबाब नही मिला तो वो बोला…
मे लॉर्ड… दुर्भाग्य वश.. पोलीस उस समय चाकू से फिंगर प्रिंट्स तो नही ले पाई..
लेकिन ये कुछ मौकाए वारदात के फोटोस और मेडिकल रिपोर्ट है.. जिसे उसने जड्ज के सामने पेश कर दिया…
मेने जड्ज साब से वो दोनो चीज़ देखने के रिक्वेस्ट की तो उन्होने अपने अरदली के हाथों मुझ तक भिजवाई…
मेने वो रिपोर्ट और फोटो को गौर से देखा… उसे देख कर मेरे चेहरे पर एक विजयी मुस्कान आ गयी…
मेने फोटो से नज़र हटाकर जड्ज साब से कहा - मी लॉर्ड ! कैसी हास्यास्पद बात है…….
हम यहाँ एक संगीन जुर्म, अटेंप्ट तो मर्डर के ऊपर बहस कर रहे हैं.. जिसमें एक व्यक्ति के दोषी या निर्दोष साबित होने पर उसकी पूरी जिंदगी निर्भर करती है…
इतना संगीन जुर्म होने के बावजूद भी, पर्याप्त सबूत इकट्ठे करने चाहिए थे
वो भी पोलीस द्वारा नही किए गये…
इस्तेमाल में लिए गये वेपन से फिंगर प्रिंट्स नही लिए गये…इसको आप क्या कहेंगे…? पोलीस की काम करने की क्षमता या उदासीनता…या फरीक से मिली भगत…?
ऐसा लगता है, जैसे सारी बातों को दरकिनार करते हुए, पोलीस का ध्यान सिर्फ़ मेरे मुवक्किल को सज़ा दिलाना ही था…
मेरी बात सुनकर सरकारी वकील और पोलीस इनस्पेक्टर नज़रें चुराने लगे…! अपनी झेंप मिटाने के लिए वो जड्ज साब से बोला –
ऑब्जेक्षन मी लॉर्ड, मेरे काबिल दोस्त बिना वजह पोलीस की कार गुजारी पर शक़ कर रहे हैं…!
जड्ज साब को मेरी दलील सही लगी, इसलिए उन्होने कहा – ऑब्जेक्षन ओवर-रूल्ड…
सरकारी वकील, खिसियानी शकल लेकर अपनी सीट पर बैठ गया…
मेने आगे कहा - खैर मी लॉर्ड ! अब जो बात हुई ही नही उस विषय पर मे समय बरवाद नही करूँगा, पर जो मौजूद है उसी से मे कोर्ट का ध्यान इस फोटो पर आकर्षित करना चाहता हूँ…
फिर मेने उस फोटो को एक प्रोजेक्टर के ज़रिए कोर्ट रूम की बड़ी सी स्क्रीन पर लगाया जिससे वहाँ मौजूद सभी लोग देख सकें…
मी लॉर्ड ! गौर कीजिए.. ! भानु के पेट मे जो चाकू घुसा हुआ है.. उसका डाइरेक्षन ऊपर से नीचे की तरफ है… जबकि आम तौर पर जब कोई सामने से वार करता है तो वो कभी भी ऊपर से पेट पर वार नही कर सकता,
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Re: लाड़ला देवर ( देवर भाभी का रोमांस)
पेट पर वार वो अपने सामने से ही कर पाएगा, और उस स्थिति में चाकू या और कोई हथियार एग्ज़ॅक्ट्ली हॉरिज़ॉंटल स्थिति में ही हो सकता है…
क्या मेरे काबिल दोस्त ने कभी किसी पर इस तरह से वार किया है…?
मेरी बात सुनकर दर्शक दीर्घा में हँसी फैल गयी… और सरकारी वकील झेंप कर रह गया…
मेने अपनी बात को जारी रखते हुए कहा - इससे सॉफ जाहिर होता है मी लॉर्ड !.. कि वार सामने से नही बल्कि घायल की खुद की बॉडी की तरफ से यानी ऊपर से हुआ है..
जो एक ही सूरत में संभव है.. कि घायल के खुद के हाथ में वो वेपन रहा होगा…
और सामने वाले व्यक्ति ने उसकी कल्लाई थामकर अपना बचाव किया हो, उसी कसम कश में भानु का हाथ नीचे आया होगा और खुद को घायल कर लिया…
मेरी दलील सुनकर सरकारी वकील और इंस्प्रेक्टोर के तोते उड़ गये.. वहीं पब्लिक दीर्घा में तालियाँ बजने लगी…
मेने आगे कहा – मी लॉर्ड… रिपोर्ट में किसी भी चस्म्दीद के बयान में ये नही है कि चाकू किसने मारा सिवाय भानु के,
जो अभी भी घायल होने का नाटक कर के हॉस्पिटल में पड़ा है.. जिससे मेरे मुवक्किल को बैल ना मिल सके..
सरकारी.वकील – ये आप किस बिना पर कह सकते हैं कि वो घायल नही है और नाटक कर रहा है…?
अब मेने फाइनल हथौड़ा मारते हुए कहा - ये मे नही कह रहा हूँ मी लॉर्ड ! ये उस हॉस्पिटल की रिपोर्ट बता रही है..
फिर मेने डॉक्टर. वीना से प्राप्त की हुई रिपोर्ट को हवा में लहराते हुए कहा – इस रिपोर्ट के मुताविक.. वो घटना के 15 दिन बाद ही पूरी तरह से ठीक हो चुका था..
और वैसे भी इस फोटो में चाकू की स्थिति साफ-साफ बता रही है, कि जख्म ज़्यादा गहरा नही होना चाहिए…
मेने वो फिटनेस रिपोर्ट कोर्ट को सममित कर दी… मेने फिर कहा – मी लॉर्ड ! इस केस में पोलीस की मिली भगत साफ-2 दिखाई दे रही है..
क्योंकि जो एविडेन्स इकट्ठा करने चाहिए थे वो कोर्ट को नही दिए गये.. और वहीं फरीक और पोलीस ने मिलकर मेरे मुवक्किल को चीट कर के उसकी जिंदगी के साथ खिलवाड़ किया है…
कोई भी भाई अपनी बेहन की इज़्ज़त की रक्षा के लिए जो कर सकता है मेरे मुवक्किल ने वही किया,… मेरी नज़र में अपराधी राजेश नही भानु है…
अतः.. मेरी कोर्ट से द्रखास्त है.. कि मेरे मुवक्किल को शीघ्र से शीघ्र बैल देकर जमानत पर रिहा किया जाए..
और पोलीस के खिलाफ मेरे मुवक्किल के साथ जानबूझकर नाइंसाफी करने के कारण मान हानि का केस दर्ज किया जाए..
जिसकी वजह से या मे तो कहूँगा, भानु का साथ देने के कारण मेरे मुवक्किल को इतने महीने जैल में काटने पड़े..
कोर्ट रूम में कुछ देर सन्नाटा पसरा रहा.. जस्टीस ढीनगरा कुछ लिखते रहे फिर उन्होने राजेश को बैल पर रिहा करने का आदेश पारित कर दिया.. और पोलीस को आगे के लिए उचित सबूत मुहैया करने की हिदायत दी.
मेरे और निशा के घरवालों के चेहरे खुशी से चमक रहे थे, खुशी से सबकी आँखें छलक आईं…
कोर्ट रूम से बाहर आकर सबने मुझे गले से लगाकर आशीर्वाद दिया…बाबूजी मेरी पहली कामयाबी से बहुत खुश थे…
मुझे अपने गले लगा कर बोले – तूने मेरी ज़िम्मेदारियों को आज पूरा कर दिया… मुझे नही पता था, मेरा बेटा इतना काबिल है…!
भैया ने भी मेरी बहुत तारीफ़ की… भाभी की खुशी की तो कोई सीमा ही नही थी… उन्होने अपनी बरसती आँखों से मेरे माथे को चूम कर अपना प्यार जताया.
राजेश और उनके माता-पिता की आँखो में मेरे प्रति कृताग्यता के भाव साफ-साफ दिखाई दे रहे थे…
फिर खुशी – 2 हम सब अपने घर की ओर लौट लिए…. …………….
क्या मेरे काबिल दोस्त ने कभी किसी पर इस तरह से वार किया है…?
मेरी बात सुनकर दर्शक दीर्घा में हँसी फैल गयी… और सरकारी वकील झेंप कर रह गया…
मेने अपनी बात को जारी रखते हुए कहा - इससे सॉफ जाहिर होता है मी लॉर्ड !.. कि वार सामने से नही बल्कि घायल की खुद की बॉडी की तरफ से यानी ऊपर से हुआ है..
जो एक ही सूरत में संभव है.. कि घायल के खुद के हाथ में वो वेपन रहा होगा…
और सामने वाले व्यक्ति ने उसकी कल्लाई थामकर अपना बचाव किया हो, उसी कसम कश में भानु का हाथ नीचे आया होगा और खुद को घायल कर लिया…
मेरी दलील सुनकर सरकारी वकील और इंस्प्रेक्टोर के तोते उड़ गये.. वहीं पब्लिक दीर्घा में तालियाँ बजने लगी…
मेने आगे कहा – मी लॉर्ड… रिपोर्ट में किसी भी चस्म्दीद के बयान में ये नही है कि चाकू किसने मारा सिवाय भानु के,
जो अभी भी घायल होने का नाटक कर के हॉस्पिटल में पड़ा है.. जिससे मेरे मुवक्किल को बैल ना मिल सके..
सरकारी.वकील – ये आप किस बिना पर कह सकते हैं कि वो घायल नही है और नाटक कर रहा है…?
अब मेने फाइनल हथौड़ा मारते हुए कहा - ये मे नही कह रहा हूँ मी लॉर्ड ! ये उस हॉस्पिटल की रिपोर्ट बता रही है..
फिर मेने डॉक्टर. वीना से प्राप्त की हुई रिपोर्ट को हवा में लहराते हुए कहा – इस रिपोर्ट के मुताविक.. वो घटना के 15 दिन बाद ही पूरी तरह से ठीक हो चुका था..
और वैसे भी इस फोटो में चाकू की स्थिति साफ-साफ बता रही है, कि जख्म ज़्यादा गहरा नही होना चाहिए…
मेने वो फिटनेस रिपोर्ट कोर्ट को सममित कर दी… मेने फिर कहा – मी लॉर्ड ! इस केस में पोलीस की मिली भगत साफ-2 दिखाई दे रही है..
क्योंकि जो एविडेन्स इकट्ठा करने चाहिए थे वो कोर्ट को नही दिए गये.. और वहीं फरीक और पोलीस ने मिलकर मेरे मुवक्किल को चीट कर के उसकी जिंदगी के साथ खिलवाड़ किया है…
कोई भी भाई अपनी बेहन की इज़्ज़त की रक्षा के लिए जो कर सकता है मेरे मुवक्किल ने वही किया,… मेरी नज़र में अपराधी राजेश नही भानु है…
अतः.. मेरी कोर्ट से द्रखास्त है.. कि मेरे मुवक्किल को शीघ्र से शीघ्र बैल देकर जमानत पर रिहा किया जाए..
और पोलीस के खिलाफ मेरे मुवक्किल के साथ जानबूझकर नाइंसाफी करने के कारण मान हानि का केस दर्ज किया जाए..
जिसकी वजह से या मे तो कहूँगा, भानु का साथ देने के कारण मेरे मुवक्किल को इतने महीने जैल में काटने पड़े..
कोर्ट रूम में कुछ देर सन्नाटा पसरा रहा.. जस्टीस ढीनगरा कुछ लिखते रहे फिर उन्होने राजेश को बैल पर रिहा करने का आदेश पारित कर दिया.. और पोलीस को आगे के लिए उचित सबूत मुहैया करने की हिदायत दी.
मेरे और निशा के घरवालों के चेहरे खुशी से चमक रहे थे, खुशी से सबकी आँखें छलक आईं…
कोर्ट रूम से बाहर आकर सबने मुझे गले से लगाकर आशीर्वाद दिया…बाबूजी मेरी पहली कामयाबी से बहुत खुश थे…
मुझे अपने गले लगा कर बोले – तूने मेरी ज़िम्मेदारियों को आज पूरा कर दिया… मुझे नही पता था, मेरा बेटा इतना काबिल है…!
भैया ने भी मेरी बहुत तारीफ़ की… भाभी की खुशी की तो कोई सीमा ही नही थी… उन्होने अपनी बरसती आँखों से मेरे माथे को चूम कर अपना प्यार जताया.
राजेश और उनके माता-पिता की आँखो में मेरे प्रति कृताग्यता के भाव साफ-साफ दिखाई दे रहे थे…
फिर खुशी – 2 हम सब अपने घर की ओर लौट लिए…. …………….
- pongapandit
- Novice User
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Re: लाड़ला देवर ( देवर भाभी का रोमांस)
superb story great going dear