सविता भाभी का बकरा

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SID4YOU
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Re: सविता भाभी का बकरा

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सविता भाभी का बकरा-4

भैया को भेजने के बाद भाभी नीचे आ गईं।

मैंने इस बीच अपने कपड़े पहन लिए थे।

उन्होंने दरवाज़ा बंद करके मुझे कस कर अपनी बाहों में भरा और बोलीं- बाल बाल बचे, वरना भगवान् जाने क्या होता।

मुझे बाँहों में भींचते हुए बोलीं- पहले खाना खा लेते हैं। अब पूरी दोपहर मेरी और तुम्हारी है।

भाभी ने खाने से पहले मुझे एक गोली और कैप्सूल दिया और बोलीं- इसे खा लो, लौड़ा हथोड़ा हो जाएगा। ये तो रोज सुबह शाम खाते हैं फिर हीरो बनते हैं। तुमने देखा कैसे हैवान की तरह गाण्ड चोदी है। अभी भी दर्द हो रहा है। इतना मोटा लौड़ा है, मज़े मज़े में चार साल से बच्चा नहीं कर रहे हैं, कहते हैं कि बच्चे के बाद और औरतों की तरह बेडौल हो जाओगी और चोदने में मज़ा भी नहीं आएगा।

मैंने भाभी से पूछा- यह प्रोजेक्ट चूत क्या है?

भाभी मेरे लौड़े पर हाथ फेर कर लड़खड़ाती आवाज़ में बोलीं- यह आपस की बात है।
आधे घंटे बाद भाभी और मैंने खाना खाया, इसके बाद भाभी मुझे ऊपर अपने कमरे में ले गईं।

कमरे में आने से पहले हमने सब जगह के दरवाजे बंद हैं या नहीं, यह चेक कर लिया था।

चूत का स्वाद, पहली चुदाई का मज़ा
भाभी ने अपनी मैक्सी एक झटके में उतार दी और अपनी चूत में उंगली घुमाते हुए बोलीं- आह आओ न राजेश, अब देर क्यों कर रहे हो।

मैंने आगे बढ़कर उनकी चूचियाँ अपने हाथों में दबा लीं और उनकी निप्पल उमेठने लगा।

भाभी ने इस बीच मेरी शर्ट और पैंट खोल दी और मेरा लौड़ा पकड़ कर दबाते हुए बोलीं- गाण्ड तो इन्होंने चोद दी लेकिन इस चूत की प्यास तो अब तुमसे ही बुझेगी। जल्दी से अपने नाग राज को मेरी चूत में पेलो न।

हम दोनों अब पूरे नंगे थे।

भाभी टांगें फ़ैलाकर पलंग पर लेट गईं, उनकी चिकनी चूत देखकर मेरा हाथ अपने लोड़े पर चला गया।

भाभी ने मुझे अपनी तरफ बिस्तर पर खींच लिया और मेरा मुँह अपनी चूचियों पर लगा लिया, मेरे लौड़े की मुठ मारते हुए बोलीं- आह… तुम्हारा लौड़ा तो बहुत चिकना है।

मैंने उनकी चूत पर हाथ फेरते हुए कहा- आपकी चूत भी तो मस्त चिकनी हो रही है!

मेरी मुठ दबाते हुए भाभी बोलीं- सच मेरी फ़ुदिया सुंदर है न? इसको चूसो ना… बड़ा मज़ा आएगा, एक बार कोशिश करके देखो ना!

मैंने मुँह उल्टा करके चूत में लगा दिया, बड़ा कसैला सा स्वाद था, मैंने मुँह हटा लिया।

भाभी बोलीं- चूसो न !

तभी भाभी ने मेरा लौड़ा मुँह में ले लिया।
एक बार मैंने दुबारा चूत पर मुँह लगा दिया, इस बार चूत का दाना मेरे मुँह में था, अब मुझे मज़ा आ गया था।

कुछ देर बाद भाभी और में एक दूसरे के गुप्त अंग अन्दर तक मुँह घुसा के चूसने लगे, बड़ा मज़ा आ रहा था।

उसके बाद भाभी की पहल पर हम हट गए, मेरा लौड़ा पूरा हथोड़ा हो रहा था।

भाभी ने एक तकिया अपने कूल्हों गाण्ड के नीचे रखा और अपनी टांगें चौड़ी कर लीं और बोलीं- आह, अब लौड़ा पेल दो ना।

मैंने अपना लौड़ा उनकी चूत पर लगा दिया और ताकत से अन्दर पेलने लगा, शुरू में लौड़ा घुस नहीं रहा था।
भाभी ने लौड़ा दबाते हुए अपनी चूत में लगाया और बोलीं- अब पेलो।

मैं धीरे धीरे लौड़ा अन्दर घुसाने लगा, लौड़ा अन्दर जाने लगा था।

भाभी की आहें गूंजने लगीं, मेरी साँसें भी तेज हो रही थीं।

उन्होंने अपनी टांगें मेरी पीठ से बाँध लीं और बोलीं- आह… मज़ा आ गया… और पेलो। आह इस कमीनी को फाड़ डालो, चोदो और चोदो।
उनकी आहें मुझमें एक जोश पैदा कर रहीं थी, यह मेरी पहली चुदाई थी।
अब मैं उनकी चूत में धक्के लगा रहा था और चुदाई का मज़ा ले रहा था जो शब्दों में बयाँ नहीं किया जा सकता।
भाभी अब मेरे लिए एक औरत थीं।

लौड़ा पूरा अन्दर घुस गया था, मेरी पीठ पर अपनी टांगें लपेटते हुए वो चिल्ला उठीं- राजेश, आह मज़ा आ गया।

मैंने चूत में धक्के मारने शुरू कर दिए, लौड़ा सटासट उनकी चूत मारने लगा था, गज़ब आनन्द आ गया और वो पल भी आ गया जब मेरा लावा बह निकला और उसने भाभी की पूरी चूत भर दी।

भाभी ने मुझे अपने से चिपकाते हुए पूरा वीर्य अन्दर ले लिया।

उसके बाद हम दोनों एक दूसरे में समां गए।
मेरे लौड़ा में दर्द हो रहा था, चूत का स्वाद मैं चख चुका था।

उसके बाद लेट कर मैं और भाभी बातें कर रहे थे।

भाभी मेरी निप्पल नुकीली करते हुए बोलीं- कहीं बाहर चल कर मौज करते हैं, यहाँ तो मौका भी कम मिलेगा और हमेशा डर भी लगा रहेगा। अगले संडे मेरा बी एड का एग्जाम है, लखनऊ चलते हैं, सासू माँ की बहन रंजना के यहाँ रुकेंगे, उनकी बेटी सोनम मेरी अच्छी सहेली है, फ्लैट में माँ बेटी अकेली रहती है। रंजना मौसी आजकल तीर्थ यात्रा पर गई हुई हैं, वहाँ सेक्स करने में मज़ा आ जाएगा। मौका मिले तो सोनम को भी चोद देना, अब तो तुम चोदना सीख ही गए हो।

भाभी की बातों से मेरा हाथ लौड़ा पर जाने लगा, भाभी ने मेरा हाथ हटा दिया और मेरा लौड़ा अपने हाथों से सहलाते हुए बोली- इसकी जगह औरतों की चूत में होती है। अब तुम्हारी उम्र इसे औरतों के छेदों में डालने की है, हाथों से हिलाने की नहीं हैं। मन कर रहा है तो एक बार और मेरी चूत में पेल दो।

उसके बाद एक बार फिर मैं भाभी के ऊपर चढ़ गया और उन्हें चोदने लगा।

समय का पता ही नहीं चला और 6 बज़ गए मैं भाभी को चोद कर हटा ही था कि हमें घंटी की आवाज़ सुनाई दी।

वीर्य से सने लौड़े पर कच्छा चढ़ा कर मैं नीचे भागा।
मैंने दरवाज़ा खोला तो मौसी थीं, मुझसे बोली- पड़ोस का रमेश आ रहा था, उसके साथ आ गई, चल तेरी दौड़ बची। यह सविता तो ऊपर पढ़ रही होगी, बड़ी कामचोर है, दिन भर पढ़ने का नाटक करती है।

मौसी ने आवाज़ देकर सविता भाभी को नीचे बुला लिया और पूछा- ये तेरी पढ़ाई कब पूरी होगी?

भाभी बोलीं- मम्मीजी, अगले संडे को एग्जाम लखनऊ में है, उसके बाद पढ़ाई ख़त्म।

कहानी जारी रहेगी।

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cool_moon
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Re: सविता भाभी का बकरा

Post by cool_moon »

बढ़िया कहानी..
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SID4YOU
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Re: सविता भाभी का बकरा

Post by SID4YOU »

सविता भाभी का बकरा-5

समय का पता ही नहीं चला और 6 बज़ गए मैं भाभी को चोद कर हटा ही था कि हमें घंटी की आवाज़ सुनाई दी।

वीर्य से सने लौड़े पर कच्छा चढ़ा कर मैं नीचे भागा।
मैंने दरवाज़ा खोला तो मौसी थीं, मुझसे बोली- पड़ोस का रमेश आ रहा था, उसके साथ आ गई, चल तेरी दौड़ बची। यह सविता तो ऊपर पढ़ रही होगी, बड़ी कामचोर है, दिन भर पढ़ने का नाटक करती है।

मौसी ने आवाज़ देकर सविता भाभी को नीचे बुला लिया और पूछा- ये तेरी पढ़ाई कब पूरी होगी?

भाभी बोलीं- मम्मीजी, अगले संडे को एग्जाम लखनऊ में है, उसके बाद पढ़ाई ख़त्म।

मौसी बोलीं- अशोक तो पूना जा रहा है, तू लखनऊ कैसे जाएगी।

भाभी बोली- आप राजेश को मेरे साथ सैटरडे को लखनऊ भेज दो।

मौसी मुझे देखकर बोलीं- क्यों राजेश, जायेगा इसके साथ?

मैंने कहा- आप कहोगी तो चला जाऊँगा।

मौसी बोलीं- ठीक है, चला जा। तुम दोनों सोनम के यहाँ रुक जाना, आजकल अकेली है, रंजना तो तीर्थ यात्रा पर गई हुई है। सविता और सोनम की पटती भी अच्छी है।

मेरी और भाभी की ख़ुशी का ठिकाना नहीं रहा।

भाभी बोलीं- हम सोनम के यहाँ रुक जाएगें और सोमवार को वापस आ जाएँगे।

शाम को मुझे अकेला देखकर मेरे लौड़े को सहलाते हुए भाभी बोलीं- अपने हीरो को तैयार रखना, एग्जाम तो मेरा है लेकिन पास तुम्हारे लौड़े को होना है। सच में मज़ा आ जाएगा जब रात को तुम्हारी रानी बनकर चुदूँगी।

भाभी की बेबाक बेशरम बातें सुनकर मैंने उनकी चूचियाँ दबाई।
तभी दूर से आती हुई मौसी को देखकर तेजी से बाथरूम में मुठ मारने चला गया और मुठ मारते हुए मन ही मन उतेजना में बुदबुदाने लगा- सविता… कुतिया… यह लौड़ा अब फेल नहीं होगा, अब तो यह तेरी चूत का का छेद चोगुना करेगा।

दो दिन बाद शनिवार भी आ गया हम दोनों जाने को तैयार हो गए।

भाभी और मैंने शनिवार को चार बजे घर से निकलने का प्रोग्राम रखा, 4-5 घंटे में हम लखनऊ पहुँच जाते, बस से हम लोग जा रहे थे।
भाभी साड़ी ब्लाउज में थीं, मैंने टी शर्ट और जीन्स पहनी हुई थी।

शनिवार को हम बस से चले, दिसम्बर का महीना था, रात ठण्डी थी, बस 5 बजे चली 9 बजे तक हम लखनऊ पहुँच जाते।

चलती बस में मौज मस्ती
बस में पीछे वाली दो लोगों की सीट पर हम जाकर बैठ गए।

बैठते ही भाभी ने मेरा हाथ पकड़ लिया और धीरे से सहलाने लगीं।
मैंने हाथ की कोहनी धीरे से ब्लाउज के ऊपर से उनकी चूचियों पर लगा दी और उनकी चूची कोहनी से धीरे धीरे दबाने लगा।

थोड़ी देर बाद उत्तेजना में भरकर मैंने अपना एक हाथ उनके ब्लाउज के ऊपर रखकर पूरा स्तन दबा दिया।

भाभी हाथ हटाकर फुसफुसाते हुए बोलीं- सात बजे जब पूरा अँधेरा हो जाए तब मज़े ले लेना, थोड़ा सब्र कर लो।

मैं संभल गया, भाभी और मैं बातें करने लगे।
पौने सात बजे करीब बस एक ढाबे पर रुकी, भाभी बाथरूम चली गईं, मैंने दो चाय का आर्डर कर दिया।

भाभी मुस्कराते हुए चाय पीने के बाद मुझसे बोलीं- खुले पैसे मेरे पर्स से दे दो।

मैंने जब पर्स में से पैसे निकाले तो देखा उसमें उनकी ब्रा और पैंटी रखी हुई थी।

मेरी आँखें उनके ब्लाउज की तरफ चली गई।

भाभी मुस्करा उठीं और उन्होंने अपना पल्ला ब्लाउज पर इस तरह से कर लिया की चूचियों से चिपका ब्लाउज पूरा दिखने लगा।

इतने पास से देखने पर साफ़ पता चल रहा था ब्लाउज के अन्दर ब्रा नहीं है। बिना ब्रा के उभार पतले ब्लाउज से साफ़ दिख रहे थे और काली निप्पल की चोंच भी चमक रही थी।

मुझे घूरता देख भाभी होंट काटते हुए धीरे से बोलीं- अभी उतारी है तुम्हारे लिए… हॉर्न कैसे लग रहे हैं?

मैंने कहा- बजाने का मन कर रहा है।

हँसते हुए भाभी बोलीं- बस चले, तब बजा लेना। मैं भी तुम्हारा हैंडल पकड़ कर गियर बदलती रहूँगी।

तभी बस का हॉर्न बजा, हम लोग बस में आ गए।

बस जब ढाबे से से चली तब तक सात बज़ चुके थे और अँधेरा हो गया था।

बस में पीछे की बड़ी सीट खाली थी और सवारी आगे बैठी हुईं थीं हम सबसे पीछे थे।

भाभी ने मुझे दिखाते हुए अपने ब्लाउज के सारे बटन खोल लिए।

अपनी नंगी चूचियाँ दिखाते हुए बोलीं- चाय तो पी ली, अब दूध और पी लेना।

चूचियाँ ढकते हुए बोलीं- उह उह… ठण्ड लग रही है पहले बैग में से लोई (गरम चादर) उतार लो ना!

मैंने लोई बैग से निकाल लीं।
बस में मुझे ऐसा लगा कि अधिकतर लोग हमें पति पत्नी समझ रहे थे।

इस बीच बस वाले ने अन्दर की लाइट बंद कर दी थी, पूरी बस में अँधेरा हो गया था।
मेरा लौड़ा तन कर हथोड़ा हो रहा था।
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SID4YOU
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Re: सविता भाभी का बकरा

Post by SID4YOU »

लाइट बंद होते ही भाभी ने लोई ओढ़ ली और मुझे भी उढ़ा दी।
हम दोनों अब एक लोई में थे।
भाभी ने मेरा हाथ ब्लाउज के अन्दर घुसवा लिया और मेरे हाथ अपनी नंगी चूचियों पर रख दिए।
उनके दोनों नग्न स्तन मेरे हाथों में थे, मैं उन्हें कस कस कर दबाने लगा, स्तनों की निप्पल पकड़ कर मैंने नुकीली कर दी थीं और बारी बारी से दोनों गुल्लों का जूस निकाल रहा था।

भाभी गर्म हो गईं थीं। उन्होंने मेरी जींस की चैन खोल कर मेरा लौड़ा अपने हाथ में ले लिया और सहलाने लगीं।

मुझसे रहा नहीं गया, मैंने चिपक कर उनके गाल चूम लिए।
उन्होंने मुझे झटके से हटा दिया, वो थोड़ा घबरा गईं थीं, मेरे लौड़े से हाथ हटाते हुए धीरे से बोलीं- होश में रहो!

मैंने भी अपना हाथ खींच लिया।
हमारे पीछे कोई नहीं बैठा था, बस में घुप्प अँधेरा था, थोड़ी देर हम शांत रहे।
इसके बाद भाभी ने हाथ दुबारा खींच लिया और अपने पेट पर रख लिया, मुझसे रहा नहीं जा रहा था, मेरा लौड़ा उफान खा रहा था।
मैं उनका नंगा पेट और नाभि सहलाने लगा बार बार उनकी नाभि में उंगली घुसा देता था।

भाभी भी गर्म हो रही थीं, उन्होंने दुबारा जींस में से मेरा लौड़ा बाहर निकाल लिया था और अँधेरे में उसके टोपे पर उँगलियाँ फिराने लगीं।

मैं अपना हाथ उनकी साड़ी की गाँठ के अन्दर घुसाने लगा।
भाभी ने मेरा हाथ हटा कर अपनी साड़ी की गाँठ थोड़ी ढीली कर दी और मेरा हाथ नाभि पर रख दिया।
नाभि के रास्ते से आराम से हाथ उनकी साड़ी के अन्दर घुस गया।

चिकना पेडू सहलाते हुए हाथ बार चूत प्रदेश में फिसल रहा था।

चूत पूरी चिकनी थी, मैं चूत में उंगली डालने की कोशिश कर रहा था पर सफल नहीं हो पा रहा था, बार बार चूत का मुँह सहला कर रह जा रहा था।

भाभी मेरा हाथ हटाते हुए बोलीं- दो मिनट रुको।
उन्होंने झुककर अपनी साड़ी और पेटीकोट को ऊपर उठा लिया और लोई से मुझे और खुद को ठीक से ढक लिया।
मेरा हाथ अपनी गर्म जाँघों पर रख दिया।

नंगी जांघे सहलाते ही मेरे लौड़े ने थोड़ा सा वीर्य छोड़ दिया।

उन्होंने दोनों जांघें एक दूसरे से चिपका रखी थीं, मुझे इस खेल में बड़ा आनन्द आ रहा था।
मैंने दबाब बनाते हुए अपना हाथ दोनों जाँघों के बीच घुसा दिया।

भाभी ने थोड़ी सी अपनी टांगें चौड़ी कर ली, अब मेरा हाथ सरकते हुए उनकी चूत के द्वार पर पहुँच गया, उन्होंने एक हाथ से जोरों से मेरा लौड़ा सहलाते हुए दूसरे हाथ से मेरी उंगली चूत के दाने पर रख दी और कान में बोलीं- पहले थोड़ा इसे सहलाओ, बड़ा मन कर रहा है।

मैं उनकी चूत के दाने को सहलाने लगा, बीच बीच में उंगली उनकी चूत के अन्दर भी घुसा देता था, पूरी चूत रसीली हो रही थी।

मस्ती चरम सीमा पर थी, इसी बीच कोई स्टॉप था, लाइट खुल गई हम लोग हट गए।

इस स्टॉप पर काफी लोग उतर गए थे।

इसके बाद हमारे आगे वाली दो तरफ की सीटों पर बैठे लोग आगे सीटों पर चले गए।

अब हमारे चारों तरफ खाली था, लखनऊ आने में अभी एक घंटा था, लाइट दुबारा बंद हो गई।

हम लोग बगल में खाली पड़ी तीन लोगों की सीट पर आ गए।

भाभी ने मुझसे कहा- मेरी गोद में लेट लो, कोई नहीं देख रहा है।

मैं सीट पर पैर फेलाते हुए भाभी की गोद में लेट गया, लोई से उन्होंने मुझे ढक लिया और मेरा मुँह नीचे सरकते अपने स्तनों में लगा दिया।

मैं अब उनके दूध चूसने लगा और वो मेरा लौड़ा सहलाने लगीं।
एक चूची चूसते हुए दूसरी दबाते हुए सेक्स के आनन्द में मज़ा आ गया।

कुछ देर बाद उन्होंने मुझे उठा दिया और बोलीं थोड़ी देर मुझे भी अपनी गोद में लेटा लो न।

अब हमने जगह बदल ली, भाभी मेरी गोद में लेट गईं और उन्होंने मेरा लौड़ा अपने मुँह में ले लिया।

मैं अपनी सिसकारियों पर रोक लगाए हुए था, यह चरम सीमा थी।

मैंने 3-4 बार उनकी चूचियाँ कस कर मसल दीं थी, इस बीच मेरा वीर्य उनके मुँह में छुट गया, भाभी ने पूरा वीर्य मुँह में लिया उसके 5 मिनट बाद हम दोनों अलग हो गए।
हम दोनों ने अपने कपड़े ठीक करे।

दस मिनट बाद हमारा हमारा स्टॉप आ गया था।

स्टॉप पर उतर कर भाभी साड़ी का पल्लू हटाकर मुझसे बोलीं- देखो, ब्लाउज के सारे बटन टूट गए, सिर्फ एक बचा है।

मैंने देखा कि उनके ब्लाउज का सिर्फ नीचे का एक बटन बचा था, जिसे उन्होंने लगा लिया, स्तन ब्लाउज में कहने मात्र को बंद हो गए थे, उनकी नंगी गोलाइयाँ और काली निप्पल ब्लाउज से बाहर झांक रहा थी और स्तनों की सुन्दरता में चार चाँद लगा रही थी।

भाभी ने ब्लाउज को पल्लू से ढकते हुए कहा- अब ऑटो में चूचियों पर रहम कर देना।

भाभी और मैंने ऑटो कर लिया, ऑटो में भाभी ने मेरे मुँह पर पप्पियों की बारिश कर दी और बोलीं- रास्ते में बड़ा मज़ा आया।

पूरे रास्ते हम पति पत्नी की तरह बैठे और एक दूसरे को बाहों में भरकर स्टॉप आने तक लब-चुम्बन करते रहे।
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SID4YOU
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Re: सविता भाभी का बकरा

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सविता भाभी का बकरा-6


दस बजे हम सोनम के घर थे, वो घर में अकेली थी।
सोनम 22-23 साल की एक कमसिन बदन की मालकिन थी, थोड़ी सांवली थी लेकिन उसके चेहरे से जवानी का रस टपक रहा था।

भाभी को देखकर वो उनसे चिपक गई और बोली- तुमसे मिलकर बहुत अच्छा लग रहा है।

अन्दर घुसते ही भाभी ने सोनम की तरफ देखते हुए कहा- राजेश, यह मेरी पक्की सहेली है, हम साथ साथ पढ़े हैं। इसे मैं सोनम कम कुतिया ज्यादा बोलती हूँ, यह भी मुझे प्यार में रंडी बुलाती है।

सोनम से भाभी बोलीं- यह मेरा देवर राजेश है, इससे शर्माने की कोई जरूरत नहीं, पूरे रास्ते हम मज़े करते आ रहे हैं।

सोनम भाभी का पल्लू हटा कर ब्लाउज का एक मात्र बटन खोल कर उनकी चूचियों पर हाथ फिराते हुए बोली- हाँ हाँ… दिख रहा है, पूरे रास्ते तू अपने गुब्बारों में देवर जी से हवा भरवाते हुए आ रही है, तभी तो एक बटन बचा है।

भाभी हँसते हुए अपनी साड़ी उतारने लगीं और सोनम से बोलीं- तू तो एक कुतिया की तरह ही सोच सकती है।

भाभी ने ब्लाउज भी उतार दिया और सोनम से बोलीं- जा जल्दी से अपनी एक मैक्सी दे दे।

यह सब देखकर मेरा लौड़ा फिर खुलने लगा था।

सोनम कमरे से बाहर चली गई। पेटीकोट में भाभी मेरे सामने टॉपलेस खड़ी थीं, अंगड़ाई लेते हुए उन्होंने अपने स्तन हिलाए और बोली- आज रात पूरी अपनी है जमकर मज़े करेंगे।

मुझको एक गोली का पत्ता देकर बोलीं- सुबह शाम एक एक खा लेना, चोदने में मज़ा आ जाएगा, पूरे दिन 5-6 बार चूत मारने के बाद भी कमजोरी नहीं लगेगी।

यह कहकर भाभी बाहर चली गईं..

थोड़ी देर बाद भाभी और सोनम आ गए, दोनों ने सेक्सी लो कट मैक्सी पहन रखी थी।

खाने के बाद हम लोग साथ बैठकर डबल बेड की रजाई में मूंगफली खाने लगे।

भाभी और सोनम सामने बैठी थीं हम लोग बातें करने लगे भाभी मेरे पैर अपने पैर से रजाई के नीचे से सहलाने लगीं।

उधर सोनम जब भी झुकती उसकी लो कट ढीली मैक्सी से उसकी पूरी चूचियाँ दिखने लगतीं थीं।

मैंने भाभी की मैक्सी के अन्दर से पैर उनकी जाँघों में घुसा दिए थे और पैरों से उनकी जांघें गरम कर रहा था।

बारह बजे के पास भाभी सोनम से बोली- अब सोते हैं, तू अपने कमरे में सो जा, मैं तो इसके साथ ही सो जाऊँगी।

सोनम भी खुल गई थी, मुस्कराते हुए बोली- हाँ हाँ रंडी, सो जा, तुझे अपनी भट्टी की आग जो बुझानी है, तेरा ऑपरेशन चूत जो चल रहा है। लेकिन इस बेचारे के घोड़े की जान मत ले लेना।

भाभी हँसते हुए बोली- तू तो एक कुतिया की तरह ही सोच सकती है… यह तो मेरा देवर है देवर तो बच्चे के सामान होता है।
थोड़ा दूध पिला कर सुला दूँगी। वैसे भी मेरी भट्टी पर तो तेरे भाई का राज है, अब तू तंग मत कर और जाकर सो और हमें भी सोने दे।

सोनम वहाँ से चली गई।

भाभी ने सोनम के जाने के बाद पर्स से निकाल कर एक गोली खा ली और बोलीं- गर्भ निरोधक है, मुझे तो नंगे लौड़ा से ही चुदने में मज़ा आता है।

उन्होंने अपनी मैक्सी उतार दी और मुझे भी पूरा नंगा कर दिया।
मेरे लौड़े को सहलाते हुए बोलीं- आज किसी का डर नहीं, आज तो डलवाने में मज़ा आ जाएगा, लाइट खुली रहने देना, रोशनी में चुदने का तो एक अलग ही मज़ा है, पूरी अपनी औरत समझ कर चोदना यहाँ किसी का डर नहीं, यह सोनम तो अपनी यार है कुतिया को मैंने पहले ही बता रखा है कि अपने देवर से चुदने आ रही हूँ, न कि एग्जाम देने… तभी हरामण, ऑपरेशन चूत चूत कर रही थी।

लखनऊ में चुदाई
उन्होंने झुककर मेरा लौड़ा मुँह में ले लिया और चुसना शुरू कर दिया।

रास्ते भर मैं बुरी तरह से उतेजित था, मैंने भाभी के मोटे मोटे नितंब दबाने, सहलाने और पीटने शुरू कर दिए, बीच बीच मैं उनकी गाण्ड में भी उंगली घुस देता था।

थोड़ी देर बाद भाभी लेट गईं और टांगें चौड़ी करके बोलीं- आह आह… अब पेल दो, रहा नहीं जा रहा है।

उनकी चूत मेरी आँखों के सामने थी, मैं उनके ऊपर चढ़ गया, अपने हाथ से चूत पर मेरा लौड़ा लगाते हुए बोली- आज बस में तुमने बहुत तड़पाया है। अब इस कमीनी फ़ुद्दी को फाड़ दो।

मैंने भाभी की चूत में लौड़ा घुसेड़ दिया और उसे अन्दर पेलने लगा।

उनकी दोनों चूचियाँ मेरी मुट्ठी में थीं, एक दूसरे से दूधों को मिलाते हुए मैंने चूत की चुदाई शुरू कर दी थी।

भाभी ने मेरी पीठ पर अपनी टांगें मोड़ लीं थी और लौड़ा को अपनी गाण्ड हिलाते हुए पूरा अन्दर तक घुसवा लिया, मेरे टट्टे भी उनकी चूत पर तबला बजाने लगे थे, लौड़ा भाभी की चूत फाड़ रहा था।

हम दोनों के बदन रगड़ खा रहे थे, भाभी आह उह उह की आवाजें बिंदास भर रही थी और अपके चूतड़ हिला कर लौड़ा अन्दर बाहर करते हुए निडर होकर चुदने का मज़ा ले रही थीं।

बार बार उतेजना से वो चिल्ला रही थीं- चोदो राजेश चोदो… इस कमीनी चूत को चोदो… बड़ा मज़ा आ रहा है… आह पेलो न… उह आह उह उई उई उई… और अन्दर… और अन्दर… वाह क्या पेला है, वाह वाह…

भाभी की आहों ने मुझे पूरा उत्तेजित कर दिया था, मैं पूरी ताकत से धक्के मार रहा था,दोनों तरफ से पूरा सहयोग हो रहा था।

थोड़ी देर में मेरा गर्म लावा उनके गर्भ प्रदेश में घुस गया, उन्होंने भी ढेर सारा चूत रस छोड़ दिया था।

हम दोनों कस कर दुबारा एक दूसरे से चिपक गए।
यह सेक्स का क्लाइमेक्स था।
उसके बाद एक दूसरे से चिपक कर हम सो गए।
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