परिवार में चुदाई की गाथा
- pongapandit
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- pongapandit
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Re: परिवार में चुदाई की गाथा
खैर जब रात हुयी तो मैं काकी के कमरे में गया, काकी ने चिपली गुलाबी रंग की पारदर्शी नाईटी पहनी है जिसमे से उसके काले दूध मे 4 चाँद लगाते हुए काले निप्पल दिख रहे हैं)
काकी- हाँ बेटा बोल, क्या काम है? तू सोया नहीं अभी तक?
मैं- नही काकी, नींद नही आ रही है, अरे
सपना से बात करनी है, दिन में कहा था ना, तू भूल गयी शायद.
काकी- हाय दय्या, मैं तो भूल ही गयी, चल मैं उसे यहीं बुलाती हूँ.
(फिर काकी सपना को ले आयी और कमरे को अंदर से बंद कर दिया ताकि ताई और आनन्दी हमारी बातों में दखल न दे सकें)
सपना- क्या हुआ माँ, भाई दरवाजा क्यों बंद किया?
मैं- धीरे धीरे बोल सपना, ताई और आनन्दी सुन लेंगे.
सपना- लेकिन बात क्या है?
काकी- चुप कर तू लड़की, भाई बतायेगा उसे ध्यान से सुनना, तेरे भले की ही बात है, अब तू जवान हो गयी है, बाहर आनन्दी की तरह कोई गलती न करे इसलिए समझ बात को.
सपना- आनन्दी दीदी ने क्या किया?
मैं- वो बहुत गन्दी है, हमारे परिवार का नाम ख़राब कर दिया उसने, सुन अब जो मैं बता रहा हूँ या कुछ पूछुंगा तो मुझे सच सच बताना, और अगर कुछ समझ न आये तो मुझे पूछना, ठीक है?
सपना- हाँ भाई. बता.
मैं- तेरा कोई दोस्त है सकूल में, कोई लड़का दोस्त,बॉयफ्रेंड?
सपना- ना भाई, कोई नहीं है.
मैं- अब तू बड़ी हो गयी है, सम्भल कर रहना, लोग गलत फायदा उठाते हैं, आनन्दी को देख, उसका बच्चा होने वाला है.
सपना- बच्चा कैसे होता है भाई?
मैं- कितनी भोली है तू बहन, चूत और लण्ड जब आपस में मिलते हैं तो बच्चा होता है भोली.
सपना- चूत लण्ड क्या होता है भाई?
मैं- अरे मेरी जान, मेरी भोली सिस्टर, लण्ड लड़कों का होता है और चूत लड़कियों की, जहाँ से तू पेशाब करती है उसे चूत बोलते हैं और जहाँ से मैं पिशाब करता हूँ इसे लण्ड बोलते हैं, लेकिन इस लण्ड से पिशाब के अलावा सफ़ेद गाढ़ा पानी भी निकलता है, जब वो चूत के अंदर जाता है तो बच्चा होता है.
सपना- तो आपके लण्ड से भी वो सफेद पानी निकलता है?
काकी- बस पंडित बेटा, आज के लिए काफी है इतना ज्ञान, छि…..कितने गंदे शब्द सीखा रहा है तू मेरी बच्ची को.
मैं- तो ना सिखाऊं काकी, फिर आनन्दी की तरह एक दिन पेट लेकर आ जायेगी फिर खुश होना तू.
काकी- हाये दय्या… शुभ शुभ बोल बेटा.
मैं- तो सुन सपना, जैसे तेरे बोब्बे बड़े बड़े हैं काकी के जैसे और तेरी गांड भी बड़ी है तो इसे देखकर बाहर सबके लण्ड खड़े होते होंगे, और तेरी चूत में डालने की सोचते होंगे, तो कभी भी किसी का भी लण्ड अपनी चूत में मत डलवाना वरना बच्चा हो जायेगा, समझी?
सपना- तो जैसे अभी आपका भी लण्ड खड़ा है भाई, तो अगर इसे मेरी चूत में डालेंगे तो बच्चा होगा?
काकी- चुप पगली, वो तेरा भाई है, ऐसे बोलते हैं भाई को?
मैं- मैं तेरी चूत में कभी लण्ड नही डाल सकता पगली, तू मेरी बहन है, भाई बहन ऐसा नहीं करते, केवल पति पत्नी करते हैं, हाँ लेकिन मैं किसी और की चूत में लण्ड डालूंगा तो पक्का बच्चा होगा.
सपना- तो पापा ने माँ की चूत में लण्ड डाला था? तभी मैं हुयी.
मैं- हा हा हा … हाँ पगली??
मैं- जब चूत में लण्ड जाता है तो इस प्रक्रिया को चुदाई, या चुद्दम चुदाई बोलते हैं.
काकी- बस आज के लिए बहुत है.
सपना- 1 मिनट मम्मी, भाई आपका लण्ड क्यों खड़ा है अभी?
काकी- हाय दय्या, पंडित क्या है ये, पैजामे में इतना उभार, किसे देखकर, तू शादी करले बेटा अब.
मैं- हा हा हा…. सपना बहन, जब बड़े बडे दूध सामने होते हैं तो किसी का भी लण्ड खड़ा हो जाता है यह स्वभाविक है, परंतु हमे मर्यादा में रहकर अपने पवित्र रिश्तों को भूलना नहीं चाहिए.
काकी- बिलकुल सही कहा बेटा, भाई से कुछ सीखो सपना.
सपना- भाई, अपना लण्ड दिखाओ, मेने आजतक लण्ड नही देखा.
काकी- चुप कर पागल लड़की, ऐसे नही देखते.
मैं- देखने में कुछ दिक्कत नहीं है काकी, बस चूत में नही डाल सकते.
काकी- नहीं मत दिखाना पंडित, सपना अब सो जा तू बच्ची.
मैं- अरे काकी, आपने तो चाचा का देख रखा है, अब बच्ची जिद कर रही है तो उसका मन तो रखना पड़ेगा.
(और मैने झट से पैजामा अपने शरीर से अलग कर दिया और मेरा हिचकोले और झटके मारता हुआ लण्ड काकी और सपना की आँखों के सामने आ गया और दोनों माँ बेटी का मुख खुला का खुला रह गया, दोनों मेरे 6.5 इंच के खड़े लण्ड को देखकर आश्चर्यचकित रह गयी)
- pongapandit
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Re: परिवार में चुदाई की गाथा
काकी- हाय दय्या, पंडित बेटा पैजामा पहन ले बेशर्म, उफ्फ्फ्फ इतना बड़ा है.
सपना- हाये माँ, ये तो डंडा है, ये ऐसा ही बड़ा होता है क्या सबका?
काकी- नही सपना, ये किस्मत वालों को मिलता है, सबका ऐसा नहीं होता.
सपना- भाई, मैं छू कर देख सकती हूँ इसे?
मैं- हाँ हाँ बहन, छूने में कोई परेशानी नहीं है, बस चूत के अंदर इसे नहीं डालना चाहिए वरना बच्चा हो जाता है.
काकी- नहीं सपना छूना मत, गन्दी बात होती है, जब तेरी शादी होगी तब अपने पति का छूना, चूसना, या चूत में डालना जो मर्जी.
मैं- अरे काकी, जब उसकी इच्छा है छूने की तो इसमें दिक्कत क्या है?
सपना- हां माँ, मैं तो छू कर देखूंगी.
(और फिर सपना ने मेरे खड़े लण्ड को अपने हाथ से पकड़ लिया जिसके फलस्वरूप मेने लण्ड ने जोरदार झटका मारा, और सपना हंसने लगी, मेरी तो हालत स्थिर नही थी, मैं दूसरी दुनिया में था, नाईटी पहने हुए काकी, नेकर और टाइट टॉप पहने हुए सपना, दोनों माँ बेटी मेरी आँखों के सामने अर्धनंगन थे)
सपना- भाई इससे सफ़ेद पानी निकाल के दिखा.
काकी- गन्दी बात सपना, ऐसा सिर्फ पंडित अपनी पत्नी के साथ करेगा, उसका पानी केवल उसकी पत्नी देखेगी.
मैं- सपना, मेरी प्यारी बहन, सफ़ेद पानी निकलने में टाइम लगता है, उसके लिए लण्ड को जोर जोर से आगे पीछे करना पड़ता है.
सपना- भाई आपका लण्ड, इतने झटके क्यों मार रहा है?
मैं- बहन तेरे हाथों के स्पर्श से ये झटके मार रहा है, अगर तू कुछ देर ऐसे ही पकड़े रहेगी तो क्या पता इससे सफ़ेद पानी निकल जाये.
काकी- नहीं ऐसा कुछ नहीं होगा, अब सो जा सपना, पंडित तू भी सो जा और अपना पानी निकालना है तो बाथरूम में निकाल दे.
(फिर सपना मेरे खड़े लण्ड को तेज़ तेज़ हिलाने लगी, आगे पीछे करने लगी)
काकी- ये क्या कर रही है, मेने कहा न सोजा तू, समझ नहीं आती बात.
सपना- नहीं सोऊंगी, जब तक भाई का पानी नहीं निकला.
(और सपना जबर्दस्ती मेरे लण्ड का मुठ मारने लगी, काकी उसे जबरन अलग करने लगी लेकिन वो जिद्दी कहाँ मानने वाले थी)
मैं- अह्ह्ह्ह्ह्ह… सपना मेरी बहन अह्ह्ह्हह्ह्ह्ह ऐसे ही.. ऐसे ही मेरी प्यारी बहन… काकी करने दे सपना को, अह्ह्हह्ह्ह्ह….
(10 मिनट माँ बेटी की झड़प और सपना द्वारा मेरी मुठक्रिया के चलते मेरा सफ़ेद, हल्का पीला, गाढ़ा वीर्य सपना और काकी के चेहरे पर छूट गया, और दोनों घबरा गयी, मैं आहें भरता रहा)
मैं- अह्ह्ह्ह काकी, सपना, अह्ह्ह्हह्ह.. उफ्फ्फ्फ्फ.. मजा आ गया.. ये होता है बहन सफ़ेद पानी.
सपना- वाह भाई, ये तो गर्म है.
काकी- चल पंडित, अब पूरा गन्दा कर दिया तूने यहाँ, बदबू भी आने लगी, अब सफाई करनी होगी, बहुत बिगड़ा हुआ है तू कसम से.
मैं- काकी, मजा आ गया, अच्छी नींद आएगी अब तो. मैं तेरे साथ ही सो जाऊं आज?
काकी- ठीक है सो जा, लेकिन और कोई शरारत मत करन, सपना जा तू मुह हाथ धुलकर अपने कमरे में सो जा.
(सपना सोने चली जाती है, काकी भी सफाई करके सोने आ जाती है, काकी और मैं एक ही बिस्तर पर लेट जाते हैं)
काकी- ऐसा कोई करता है भला, सपना से मूठ मरवाई तूने अपनी, तेरी बहन है वो, और ऐसे खड़ा होता किसी का अपनी बहन को देखकर.
मैं- काकी एक बात बोलनी है बुरा न मानना, ये लण्ड सपना को देखकर नही तुझे देखकर खड़ा हुआ था और जब से तुझे गौशाला में दूध निकालते हुए देखा तबसे खड़ा है, बैठने का नाम ही नहीं ले रहा है, क्या करूँ.
काकी- हाय दय्या, ऐसा नहीं सोचते पंडित अपनी काकी के बारे में, ये गन्दी बात है.
मैं- काकी जब सपना मेरा मूठ मर रही थी और जब मेरा माल निकला तो मैं तेरे बारे में ही सोच रहा था.
काकी- क्या हो गया पंडित तुझे, तू होश में तो है?
मैं- नहीं हूँ होश में, तुझे देखकर जोश में होश खो चुका हूँ काकी, तू बहुत ही खूबसूरत है, बिल्कुल नंगी फिल्मो की हिरोइन जैसी.
काकी- तू सच में पागल हो गया, अपने कमरे में जा तू, सोजा, कल बात करेंगे.
मैं- नहीं जाऊंगा, आज यहीं सोऊंगा तेरे साथ.
(मैं अभी भी नंगा ही हूँ, और मेरा लोडा फिर से खड़ा हो गया और झटके मारने लगा, ये देखकर काकी डरने लगी)
काकी- पैजामा तो पहन ले बेशर्म.
मैं- नहीं काकी, ऐसे ही सोऊंगा मैं, देख तुझे देखकर कैसे खड़ा हुआ है ये.
काकी- शरम कर बेशर्म, ऐसे नग्न सोयेगा काकी के साथ, देख तो कैसे खड़ा कर रखा है तूने.
मैं- काकी, तेरी चुच्चिया साफ़ दिख रही हैं इस पारदर्शी नाईटी में, तो ये तो खड़ा होगा ही.
काकी- हाय दय्या, कितनी गन्दी नज़र है तेरी, मेरी चुच्चियों को निहार रहा है.
मैं- तेरी घनी काली झाँटें भी दिख रही है काकी, काटती नहीं है क्या?
काकी- उफ्फ्फ… बेटा सुधर जा, ऐसे नहीं बात करते काकी के साथ.
मैं- तूने मुझे बिगाड़ दिया काकी, तेरे गदराए हुए कामुक बदन और मोटे बूब्स का मैं दीवाना हो गया हूँ, प्लीज काकी एक बार अपने दूध दिखा दे?
काकी- चुप कर, तेरा दिमाग खराब हो गया है, सो जा, बकवास मत कर.
(फिर मेने काकी को कस कर पकड़ लिया और अब काकी मेरी बाहों में है, मेरे लण्ड का स्पर्श काकी के पेट में हो रहा है, काकी की लंबी लंबी साँसे मेरी साँसों से टकरा रही है, काकी घबराई हुई है, करे तो क्या करे बेचारी मोटी काली भैंस)
काकी- पंडित छोड़ बेटा, ऐसा मत कर, मैं तेरी माँ समान हूँ बेटा. आह्ह्ह्ह… ना कर, न कर बेटा.
मैं- अह्ह्ह्ह… काकी, तू परी है, अप्सरा है, मस्त है, कामुक है, मैं कैसे तुझे छोड़ दूँ.
काकी- उईईई… अह्ह्ह्ह…. कुछ चुभ रहा है पेट में बेटा.
मैं- कुछ क्या काकी, लण्ड चुभ रहा है मेरा तेरे पेट में. तेरे होंठ बहुत मोटे हैं काकी.
काकी- तो मैं क्या करूँ मोटे हैं तो?
मैं- करूँगा तो मैं काकी, तू देखते जा.
काकी- पंडित छोड़ मुझे बेटा, ये पाप है.
(काकी के इतना बोलने के बाद मेने अपने होंठ काकी के मोटे रसीले होंठों पर रख दिए और फिर फ्रेंच किस करना शुरू कर दिया, काकी कुछ बड़बड़ाये जा रही थी और छटपटा रही थीं लेकिन मैं कहाँ छोड़ने वाला था, मैं लगातार किस करता रहा और जीभ से जीभ को चूसता रहा.
मेरे द्वारा जबरन करीब 5 मिनट तक किस करने के बाद जब काकी को पता लगा कि भतीजा अब नहीं छोड़ने वाला तो वो भी मेरा साथ देने लगी, हम दोनों काकी-भतीजा एक पति-पत्नी के समान चुम्बन क्रिया किये जा रहे हैं, काकी को भी मस्ती चढ़ गयी और मैने किस के दौरान ही काकी की नाईटी उसके मोटे,गठीले,सुडौल बदन से अलग कर दी और अपनी शर्ट भी उतारकर फैंक दी.
अब काकी और मैं कामवासना में मग्न नग्न एक दूसरे को चुम्बन किये जा रहे हैं और हम दोनों के मुह के थूक और लार का एक दूसरे के मुह में आदान प्रदान किये जा रहे हैं, करीब 30 मिनट बाद एक दूसरे के होंठ, जीभ, थूक, लार चूसने और चाटने के बाद हम दोनों अलग हुए)
काकी- हाय दय्या, पंडित, आह्ह्ह्ह, उईईई…. ये गलत तो नहीं हो रहा कुछ.
मैं- नहीं काकी बिलकुल गलत नहीं है, ये वासना प्राकृतिक होती है, इसमें रिश्ते नहीं देखे जाते, जो करने का मन है वो पूरी जान लगाकर और पूरे जोश से करना चाहिए.
काकी- पंडित अब सहन नहीं होता, जो करना है वो कर ले बेटा, मैं 3 साल से तड़प रही हूँ.
मैं- ये हुयी न बात, अभी फोरप्ले बाकी है मेरी जान, अभी तेरे बूब्स, कमर, पिछवाड़े, पुरे बदन को चाटना है और चूमना है मेरी काकी जान.
काकी- जो करना है कर बेटा, लेकिन तड़पा मत मुझे, असली काम में देरी मत कर.
(फिर मैं काकी के बूब्स को चूसने लगता हूँ, निप्पल को जीभ से रगड़ रगड़ कर, लाल करने की कोशिश करता हूँ, मेरी इस काम क्रीड़ा से काकी सिहर उठती है और मेरे बालों में प्यार से हाथ फेरती है, करीब 15 मिनट दूध चूसने के बाद मैं काकी के पेट को चाटता हूँ और नाभि में अपनी जीभ घुसेड़ता हूँ, मेरी पूरी जीभ काकी की नाभि में चली गयी और काकी की आहें तेज़ हो जाती है)
- pongapandit
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Re: परिवार में चुदाई की गाथा
काकी- हाये पंडित, अह्ह्ह्हह्ह.. उम्म्ममम्म.. जालिम, अब चोद भी दे मुझे.. अह्ह्हह्ह्ह्ह…
मैं- बहनचोद काकी चुप कर, रंडी ताई आ जायेगी वरना.
(फिर मैं काकी का मुह बंद करने के लिए अपना मुंह काकी के मुँह पर रख देता हूँ, और उसकी जीभ को चूसने लगता हूँ , वो भी मेरी जीभ को चूसने लगती है उसके बाद मैं काकी की बालों से भरी चूत में अपना मुह लगाता हूँ और जीभ से चूत चोदने और चाटने लगता हूँ, जिससे काकी अपना होश खो बैठती है और कामवासना में डूबकर तरह तरह की गालियां देने लगती है और कामुक सिसकारियां भरने लगती है)
काकी- हाये हाये अह्ह्ह्हह्ह्ह्ह… हरामजादे, भेन के लोड़े, ममममम…. चाट मेरी चूत, सारा पानी पी जा भोसदिवाले, अह्ह्ह्हह्.. उम्ममम्ममम्म… उईईईई… मैं गयी पंडित मादरचोद.. ओहूऊऊऊ…..
(जीभ चुदाई के चलते 15 मिनट बाद काकी की काली बड़ी और फैली हुई चूत से 1 गिलास चिपचिपा नमकीन पानी की धार निकलती है जो मैं पी लेता हूँ, काकी झड़ जाती है और कांपने लगती है, काकी 1 बार झाड़ चुकी है लेकिन अभी भी काकी की वासना बाकी है)
काकी- अह्ह्ह्ह्ह्ह…. ओहोहोहोहो… पंडित जल्दी लोडा मेरी चूत में डाल भेन के लोड़े.
मैं- बहुत गाली दे रही है रंडी, तेरी माँ की चूत, अभी डालता हूँ, आज चूत फाड़ डुंग तेरी बहन की लोड़ी.
(फिर मैं अपना लण्ड काकी की चूत में सेट करता हूँ और एक जोरदर धक्का मारता हूँ और 6 इंच लंबा पूरा लण्ड काकी की चूत में चला जाता है जिससे काकी की चीख सपना, ताई और आनन्दी के कमरे में चली जाती है, और फिर हमारी चुदाई आरम्भ हो जाती है,
कमरा पच पच की आवाज़ और काकी-भतीजे की आवाज़ से गूंज उठता है, चुदाई होने के साथ साथ काकी के विशालकाय काले बूब्स भी हिल हिल का चुदाई की शोभा बढ़ा रहे हैं. काकी की दोनों टांगें मेरी पीठ में बंधी हुई हैं, मैं काकी को चोद रहा हूँ, काकी कभी मेरे बाल खींच रही है तो कभी अपने बड़े नाखुनो से मेरी पीठ पर वार कर रही है)
मैं- अह्ह्ह्हह्ह…काकी उम्म्ममम्म.. बहनचोद.. रंडी साली चिनाल अह्ह्ह्ह्ह्ह…
काकी- रंडापे भोसड़ीचोद अह्ह्हह्ह्ह्ह.. चोद अपनी ठरकी चची को हरामी, उम्म्ममम्म.. उईईई..
(काकी-भतीजा चुदाई के चलते काकी की गालियों और पायल व चूड़ियों की खनखनाहट से मेरा जोश और बढ़ जाता है और मैं घपाघप छपाछप काकी की चूत में लण्ड चुदाई करता हूँ.
करीब आधे घंटे घपघप घपघप चुदाई के बाद मैं अपना माल काकी की चूत में ही छोड़ देता हूँ और हम दोनों पति-पत्नी जैसे नंगे दो जिस्म एक जान होकर एक दूसरे के ऊपर ऐसे ही लेटे रहते हैं, और एक दूसरे को किस करते हैं.
तभी अचानक हम दोनों की नजर दरवाजे पर पड़ती है तो वहां ताई सुनंदा खड़ी थी जिसने हम दोनों के अपवित्र कारनामे देख लिए थे, काकी और मैं एक दूसरे से अलग होते हैं और ताई गुस्से से अपने कमरे में जाती है, तभी मैं ताई की ओर लपकता हूँ और ताई को जबरन पकड़कर काकी के कमरे में लाता हूँ, ताई छूटने का प्रयास करती है परंतु असफल होती है)
मैं- ताई, गलती हो गयी, माफ़ कर दो हमे.
ताई- पंडित, मुझे जाने दे वरना मैं चिल्ला के सबको बुला दूंगी, और तुम्हारा चेहरा काला करके गाँव में घुमाएंगे फिर सब लोग.
काकी- करमजली, अपनी लड़की का चेहरा काला करके घुमा पहले गाँव में, उस रंडी ने तो बाहर हमारी इज़्ज़त का फालूदा बना रखा है, और तू हमें बोल रही है, हम कम से कम घर के अंदर तो चुद्दम चुदाई कर रहे हैं, तेरी लड़की तो पूरे गाँव से रंडियों की तरह चुदती है.
ताई- जबान पे लगाम दे रंडी, खबरदार जो मेरी बेटी को कुछ बोला, तेरी बेटी क्या दूध की धुली है, मास्टर से चुदवाती है स्कूल में, बड़ी आयी साली हरामण.
मैं- भैंस की आँख, ताई खबरदार जो काकी या सपना को कुछ कहा, तेरी माँ चोद दूंगा वरना.
ताई- अच्छा जी इस रंडी ने तुझे चूत क्या बेच दी अपनी तू इसी के गुण गाने लगा.
काकी- पंडित, तू इसके लगा 2 गाल पे, ये बुढ़िया तभी चुप होगी.
(तभी मेने गाली देते हुए ताई के गाल पे 2 झापट लगा दिए, ताई रोने लगी और चिल्लाने लगी, इससे पहले की ताई की चीख सारे गाँव वाले सुनते, मैंने ताई के मुह पर काकी का दुपट्टा बाँध दिया और ताई को काकी के बेड से बाँध दिया और ताई के सारे कपडे उतार दिए, अब ताई बिलकुल नंगी थी, बड़े विशालकाय बूब्स, बड़ा प्रौढ़ शरीर, मोटी गांड, देखकर मेरा लण्ड फिर झटके मारने लगा जिसे देखकर ताई के होश उड़ गए, फिर काकी और मैं रणनीति बनाने लगे कि ताई के साथ क्या करना है)
मुह पर दुपट्टा बंधी मेरी बुढ्ढी ताई दबे मुह कुछ बड़बड़ा रही थी, कुछ कहना चाह रही थी लेकिन उसकी आवाज़ उसके मुह में ही दबी रह गयी।
दूसरी तरफ मैं और मेरी मोटी सेक्सी काली काकी रणनीति बनाने लगे।
मैं – काकी, क्या करना है इस भेन की लोड़ी का..?
काकी – अगर इस देहाती को छोड़ दिया तो ये पुरे गाँव में हमारी बात फैला देगी और हमे बदनाम भी कर देगी आज इसकी चूत चुदाई कर दे बेटा पंडित, जब इसकी बूढी पुरानी तड़पती हुयी चूत तेरे लण्ड से बंद हो जायेगी तो इसका मुह भी खुद ब खुद बंद हो जायेगा।
मैं- ठीक है काकी जान, नंगी तो कर ही दिया इसे हमने, अब ऐसा करते हैं तू इसके निप्पल मसल और चुस भी और मैं इसके बाकी बदन का मोर्चा सम्भलता हूँ।
काकी – जो हुकुम मेरे स्वामी।
(और हम दोनों ताई के पास जाते हैं, ताई हमे पास आते देख सहम जाती है, डर के मारे उसकी गांड फट जाती है, उसे डर लगता है कि हमने क्या रणनीति बनाई होगी..
मैं- बहनचोद काकी चुप कर, रंडी ताई आ जायेगी वरना.
(फिर मैं काकी का मुह बंद करने के लिए अपना मुंह काकी के मुँह पर रख देता हूँ, और उसकी जीभ को चूसने लगता हूँ , वो भी मेरी जीभ को चूसने लगती है उसके बाद मैं काकी की बालों से भरी चूत में अपना मुह लगाता हूँ और जीभ से चूत चोदने और चाटने लगता हूँ, जिससे काकी अपना होश खो बैठती है और कामवासना में डूबकर तरह तरह की गालियां देने लगती है और कामुक सिसकारियां भरने लगती है)
काकी- हाये हाये अह्ह्ह्हह्ह्ह्ह… हरामजादे, भेन के लोड़े, ममममम…. चाट मेरी चूत, सारा पानी पी जा भोसदिवाले, अह्ह्ह्हह्.. उम्ममम्ममम्म… उईईईई… मैं गयी पंडित मादरचोद.. ओहूऊऊऊ…..
(जीभ चुदाई के चलते 15 मिनट बाद काकी की काली बड़ी और फैली हुई चूत से 1 गिलास चिपचिपा नमकीन पानी की धार निकलती है जो मैं पी लेता हूँ, काकी झड़ जाती है और कांपने लगती है, काकी 1 बार झाड़ चुकी है लेकिन अभी भी काकी की वासना बाकी है)
काकी- अह्ह्ह्ह्ह्ह…. ओहोहोहोहो… पंडित जल्दी लोडा मेरी चूत में डाल भेन के लोड़े.
मैं- बहुत गाली दे रही है रंडी, तेरी माँ की चूत, अभी डालता हूँ, आज चूत फाड़ डुंग तेरी बहन की लोड़ी.
(फिर मैं अपना लण्ड काकी की चूत में सेट करता हूँ और एक जोरदर धक्का मारता हूँ और 6 इंच लंबा पूरा लण्ड काकी की चूत में चला जाता है जिससे काकी की चीख सपना, ताई और आनन्दी के कमरे में चली जाती है, और फिर हमारी चुदाई आरम्भ हो जाती है,
कमरा पच पच की आवाज़ और काकी-भतीजे की आवाज़ से गूंज उठता है, चुदाई होने के साथ साथ काकी के विशालकाय काले बूब्स भी हिल हिल का चुदाई की शोभा बढ़ा रहे हैं. काकी की दोनों टांगें मेरी पीठ में बंधी हुई हैं, मैं काकी को चोद रहा हूँ, काकी कभी मेरे बाल खींच रही है तो कभी अपने बड़े नाखुनो से मेरी पीठ पर वार कर रही है)
मैं- अह्ह्ह्हह्ह…काकी उम्म्ममम्म.. बहनचोद.. रंडी साली चिनाल अह्ह्ह्ह्ह्ह…
काकी- रंडापे भोसड़ीचोद अह्ह्हह्ह्ह्ह.. चोद अपनी ठरकी चची को हरामी, उम्म्ममम्म.. उईईई..
(काकी-भतीजा चुदाई के चलते काकी की गालियों और पायल व चूड़ियों की खनखनाहट से मेरा जोश और बढ़ जाता है और मैं घपाघप छपाछप काकी की चूत में लण्ड चुदाई करता हूँ.
करीब आधे घंटे घपघप घपघप चुदाई के बाद मैं अपना माल काकी की चूत में ही छोड़ देता हूँ और हम दोनों पति-पत्नी जैसे नंगे दो जिस्म एक जान होकर एक दूसरे के ऊपर ऐसे ही लेटे रहते हैं, और एक दूसरे को किस करते हैं.
तभी अचानक हम दोनों की नजर दरवाजे पर पड़ती है तो वहां ताई सुनंदा खड़ी थी जिसने हम दोनों के अपवित्र कारनामे देख लिए थे, काकी और मैं एक दूसरे से अलग होते हैं और ताई गुस्से से अपने कमरे में जाती है, तभी मैं ताई की ओर लपकता हूँ और ताई को जबरन पकड़कर काकी के कमरे में लाता हूँ, ताई छूटने का प्रयास करती है परंतु असफल होती है)
मैं- ताई, गलती हो गयी, माफ़ कर दो हमे.
ताई- पंडित, मुझे जाने दे वरना मैं चिल्ला के सबको बुला दूंगी, और तुम्हारा चेहरा काला करके गाँव में घुमाएंगे फिर सब लोग.
काकी- करमजली, अपनी लड़की का चेहरा काला करके घुमा पहले गाँव में, उस रंडी ने तो बाहर हमारी इज़्ज़त का फालूदा बना रखा है, और तू हमें बोल रही है, हम कम से कम घर के अंदर तो चुद्दम चुदाई कर रहे हैं, तेरी लड़की तो पूरे गाँव से रंडियों की तरह चुदती है.
ताई- जबान पे लगाम दे रंडी, खबरदार जो मेरी बेटी को कुछ बोला, तेरी बेटी क्या दूध की धुली है, मास्टर से चुदवाती है स्कूल में, बड़ी आयी साली हरामण.
मैं- भैंस की आँख, ताई खबरदार जो काकी या सपना को कुछ कहा, तेरी माँ चोद दूंगा वरना.
ताई- अच्छा जी इस रंडी ने तुझे चूत क्या बेच दी अपनी तू इसी के गुण गाने लगा.
काकी- पंडित, तू इसके लगा 2 गाल पे, ये बुढ़िया तभी चुप होगी.
(तभी मेने गाली देते हुए ताई के गाल पे 2 झापट लगा दिए, ताई रोने लगी और चिल्लाने लगी, इससे पहले की ताई की चीख सारे गाँव वाले सुनते, मैंने ताई के मुह पर काकी का दुपट्टा बाँध दिया और ताई को काकी के बेड से बाँध दिया और ताई के सारे कपडे उतार दिए, अब ताई बिलकुल नंगी थी, बड़े विशालकाय बूब्स, बड़ा प्रौढ़ शरीर, मोटी गांड, देखकर मेरा लण्ड फिर झटके मारने लगा जिसे देखकर ताई के होश उड़ गए, फिर काकी और मैं रणनीति बनाने लगे कि ताई के साथ क्या करना है)
मुह पर दुपट्टा बंधी मेरी बुढ्ढी ताई दबे मुह कुछ बड़बड़ा रही थी, कुछ कहना चाह रही थी लेकिन उसकी आवाज़ उसके मुह में ही दबी रह गयी।
दूसरी तरफ मैं और मेरी मोटी सेक्सी काली काकी रणनीति बनाने लगे।
मैं – काकी, क्या करना है इस भेन की लोड़ी का..?
काकी – अगर इस देहाती को छोड़ दिया तो ये पुरे गाँव में हमारी बात फैला देगी और हमे बदनाम भी कर देगी आज इसकी चूत चुदाई कर दे बेटा पंडित, जब इसकी बूढी पुरानी तड़पती हुयी चूत तेरे लण्ड से बंद हो जायेगी तो इसका मुह भी खुद ब खुद बंद हो जायेगा।
मैं- ठीक है काकी जान, नंगी तो कर ही दिया इसे हमने, अब ऐसा करते हैं तू इसके निप्पल मसल और चुस भी और मैं इसके बाकी बदन का मोर्चा सम्भलता हूँ।
काकी – जो हुकुम मेरे स्वामी।
(और हम दोनों ताई के पास जाते हैं, ताई हमे पास आते देख सहम जाती है, डर के मारे उसकी गांड फट जाती है, उसे डर लगता है कि हमने क्या रणनीति बनाई होगी..