अमन विला-एक सेक्सी दुनियाँ complete
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Re: अमन विला-एक सेक्सी दुनियाँ
mast kahani. waiting for next
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Re: अमन विला-एक सेक्सी दुनियाँ
Shukriya dosto
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Re: अमन विला-एक सेक्सी दुनियाँ
शीबा दरवाजे के पास से इतराते हुए-आइए ना भाई, अंदर नहीं आएंगे?
अमन होंठों पे जीभ फेरते हुए-“अभी आता हूँ, और अमन भी शीबा के घर में चला जाता है।
हीना-अरे अमन, आओ आओ आज कैसे रास्ता भटक गये?
शीबा-ये तो आ ही नहीं रहे थे, मैं लाई हूँ अंदर।
हीना-अच्छा किया, बैठो अमन।
अमन-क्या खाला, अपने घर में आने के लिये किसी के बोलने कि ज़रूरत नहीं पड़ती। मैं तो खुद आने वाला था और अमन सोफे पे बैठ जाता है।
शीबा अमन के लिये नाक चढ़ाते हुए-“हुंन्ह…” करके अपनी रूम में चली जाती है।
हीना अमन के बिल्कुल पास बैठ जाती है। हीना भी कमाल की खूबसूरत औरत थी उसे देखकर लगता ही नहीं था कि ये लौंडीयाँ एक लड़की की माँ है। फिगर उसने ऐसे मेनटेन किया था जैसे 22 साल की लड़की… कमर एकदम पतली, पेट चिकना, सफेद त्वचा, छाती उभरी हुई हल्की सी लिपिस्टिक
उसे देखकर अमन के मुँह में पाने आने लगा था। हीना चुदी हुई औरत थी। अमन की नज़रें पहचान गयीं पर उसे गुस्सा आने के बजाए मन में प्यार आ रहा था।
हीना-“तुम अब बड़े हो गये हो अमन, तुम्हारी अम्मी से कहकर तुम्हारे लिये लड़की देखनी पड़ेगी…”
अमन अपनी ख्वाबों की दुनियाँ से वापस आते हुए-“क्…क…क्यों खाला जान? ऐसे क्यों कह रही है आप?”
हीना अमन की आँखों में देखते हुए-“तेरी आँखें बता रही हैं कि तुझे दुल्हन चाहिए…”
अमन दिल में-“तू बन जा ना… साथ में तेरी बेटी को भी ले आ…” फिर बोला-“अरे खाला, आप भी ना… अभी तो मैं बच्चा हूँ…” और अमन लाड़ करते हुए हीना की गोद में सर रख देता है।
हीना उसके बालों में उंगलियाँ फेरते हुए-“कोई पसंद हो तो मुझे बता, मैं रजिया बाजी से बात करूंगी…”
अमन हँसते हुये-“हाहाहाहा… अब बस भी करो खाला, मुझे शरम आती है…” और अमन अपना सिर हीना की जाँघ पे घिसने लगता है। जैसे शरम के मारे अपना मुँह छुपा रहा हो।
हीना-“अह्म्मह…” कितने दिनों बाद हीना की जाँघ पे किसी मर्द का सिर था जिससे हीना सिहर उठती है, और अमन के गालों पे किस करते हुए काट लेती है-“तू तो लड़कियों की तरह शरमा रहा है…”
अमन कुछ बोलता उसे पहले शीबा रूम में आ जाती है।
हीना-“तुम लोग बैठो, मैं कुछ नाश्ते के लिये लाती हूँ…”
अमन-“खाला जान, मुझे भूख लगी है। कुछ खाने को हाँ…”
हीना-अभी लाई बेटा।
शीबा हीना के रूम में जाने के बाद अमन के सामने वाले सोफे पे बैठ जाती है-“क्या भाई, घर से खाना खाकर निकलना चाहिए, वरना कहीं चक्कर वक्कर आ गया तो?” और हँसने लगती है
।
अमन मँ में-“हाँ रानी, चोदते वक्त उतनी ही जोर से रोएगी तू…”
अमन बोला-“हाँ, वो आज पता नहीं कैसे भूख लग गई…”
शीबा उसे घूरते हुए टीजी ओन कर देती है।
अमन उसे ही घूर रहा था।
शीबा अपनी चेहरे पे अमन की आँखों के तपिश बर्दाश्त नहीं कर पा रही थी। उसे पता था कि अमन उसे ही घूर रहा है। शीबा चिल्लाते हुए-“अम्मी, जल्दी नाश्ता लाओ भाई को जोरों की भूख लगी है…” और उसे खा जाने वाली नज़रों से देखती है, वो उसे लगातार देखे जा रहा था।
अमन-“ओह्म्मह… ओह्म्मह…” फिर अपने पैर पसार कर-“सोचता हूँ कुछ दिन आपके पास ही रहूं खाला जान…”
हीना नाश्ता ला चुकी थी-“अरे, ये तो बड़ी अच्छी बात है। मुझे भी थोड़ी कंपनी मिल जायेगी, वरना ये शीबा तो दिन रात पढ़ाई पढ़ाई…”
अमन-हाँ, वो तो दिख रहा है। पढ़ाई पढ़ाई…”
शीबा-“हेलो मिस्टर अमन, मैं हर साल टाप करती हूँ और मुझे सिर्फ़ पढ़ाई में इंटरेस्ट है…” फिर शीबा बोलते बोलते रुक गई।
अमन-हाँ बोलो-बोलो और?
हीना मुश्कुराते हुए-“अब बस भी करो ये टोपिक, चलो अमन बेटा तुम नाश्ता करो…”
अमन शीबा को घूरते हुए नाश्ता करने लगता है। वो सुबह से भूखा था कैंटीन में भी उसने कुछ खास नहीं लिया था।
शीबा-“अराम से, वरना ठस्का लग जाएगा…”
हीना-बस शीबा।
शीबा-“हुंनह…” अमन की तरफ देखते हुए फिर से टीजी देखने लगती है।
अमन एक घंटा बाद-“अच्छा खाला जान, मैं चलता हूँ अम्मी इंतजार कर रही होंगी…”
हीना-“ठीक है बेटा, आते रहा करो। मुझे तेरी कितनी याद आती है। और तू है की अपनी खाला का खयाल ही नहीं रखता…”
अमन हीना के गले लगते हुए उसे कस लेता है-“अब रखूंगा, प्रोमिस…”
हीना-हूँन् पक्का? और हीना भी इस बार उसे कसते हुए।
अमन-एकदम पक्के वाला पक्का। मैं ज़रा शीबा से मिलकर आया…” अमन शीबा के रूम में जाता है-“अच्छा शीबा, मैं जा रहा हूँ अगर तुम चाहो तो मैं तुम्हें रोज कॉलेज ड्राप कर दिया करूंगा…”
शीबा बुरा सा मुँह बनाते हुए-“जी नहीं, आपका बहुत-बहुत शुकिया। मैं कॉलेज बस से अच्छे से पहुँच जाती हूँ भाई…”
अमन शीबा के करीब आकर-“तुम्हें पता है। भाई का मतलब?”
शीबा गम्भीर नज़रों से अमन की आँखों में देखते हुए-क्या?
अमन-“भाई मतलब? बेस्ट हसबैंड अवेलवल इन इंडिया…”
शीबा शरम से लाल हो जाती है-“जाओ यहाँ से भा…”
अमन हँसता हुआ उसके रूम से निकल जाता है।
रजिया-कहाँ रह गया ये?
अनुम-ओफ्फोहो… अम्मी आ जाएगा अमन, कहा ना खाला के यहाँ गया है।
इससे पहले रजिया कुछ बोलती अमन घर में दाखिल होता है।
रजिया-आ गये बेटा? हीना कैसी है? खाना लगाऊँ?
अमन-“ठीक है। मैं खाकर आया हूँ…” और अपनी रूम में जाने लगता है।
तभी डोरबेल बजती है।
अमन दरवाजा खोलने जाता है-“अरे अब्बू आप… आज अचानक… व्हाट आ सरप्राइज…” सामने अमन के अब्बू खड़े थे जिन्हें सब ख़ान साहब कहते थे।
ख़ान अमन के गले लगाते हुए-“मेरा बेटा कितना बड़ा हो गया है? कितने दिन हो गये तुझे देखे हुए?” और दोनों बाप बेटे एक दूसरे से गले मिलते हुए अंदर आते हैं।
अनुम-“अब्बू…” चलती हुई ख़ान साहब के गले लगती है-“आपने फोन कर दिया होता तो हम आपको लेने एयरपोट़ आ जाते…”
ख़ान अपनी बेटे के सर पे हाथ फेरते हुए-“अगर फोन कर देता तो सरप्राइज कैसे देता?”
रजिया भी ख़ान साहब को देखकर खुश हो गई थी।
ख़ान साहब-कैसी हो रजिया?
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हीना-अरे अमन, आओ आओ आज कैसे रास्ता भटक गये?
शीबा-ये तो आ ही नहीं रहे थे, मैं लाई हूँ अंदर।
हीना-अच्छा किया, बैठो अमन।
अमन-क्या खाला, अपने घर में आने के लिये किसी के बोलने कि ज़रूरत नहीं पड़ती। मैं तो खुद आने वाला था और अमन सोफे पे बैठ जाता है।
शीबा अमन के लिये नाक चढ़ाते हुए-“हुंन्ह…” करके अपनी रूम में चली जाती है।
हीना अमन के बिल्कुल पास बैठ जाती है। हीना भी कमाल की खूबसूरत औरत थी उसे देखकर लगता ही नहीं था कि ये लौंडीयाँ एक लड़की की माँ है। फिगर उसने ऐसे मेनटेन किया था जैसे 22 साल की लड़की… कमर एकदम पतली, पेट चिकना, सफेद त्वचा, छाती उभरी हुई हल्की सी लिपिस्टिक
उसे देखकर अमन के मुँह में पाने आने लगा था। हीना चुदी हुई औरत थी। अमन की नज़रें पहचान गयीं पर उसे गुस्सा आने के बजाए मन में प्यार आ रहा था।
हीना-“तुम अब बड़े हो गये हो अमन, तुम्हारी अम्मी से कहकर तुम्हारे लिये लड़की देखनी पड़ेगी…”
अमन अपनी ख्वाबों की दुनियाँ से वापस आते हुए-“क्…क…क्यों खाला जान? ऐसे क्यों कह रही है आप?”
हीना अमन की आँखों में देखते हुए-“तेरी आँखें बता रही हैं कि तुझे दुल्हन चाहिए…”
अमन दिल में-“तू बन जा ना… साथ में तेरी बेटी को भी ले आ…” फिर बोला-“अरे खाला, आप भी ना… अभी तो मैं बच्चा हूँ…” और अमन लाड़ करते हुए हीना की गोद में सर रख देता है।
हीना उसके बालों में उंगलियाँ फेरते हुए-“कोई पसंद हो तो मुझे बता, मैं रजिया बाजी से बात करूंगी…”
अमन हँसते हुये-“हाहाहाहा… अब बस भी करो खाला, मुझे शरम आती है…” और अमन अपना सिर हीना की जाँघ पे घिसने लगता है। जैसे शरम के मारे अपना मुँह छुपा रहा हो।
हीना-“अह्म्मह…” कितने दिनों बाद हीना की जाँघ पे किसी मर्द का सिर था जिससे हीना सिहर उठती है, और अमन के गालों पे किस करते हुए काट लेती है-“तू तो लड़कियों की तरह शरमा रहा है…”
अमन कुछ बोलता उसे पहले शीबा रूम में आ जाती है।
हीना-“तुम लोग बैठो, मैं कुछ नाश्ते के लिये लाती हूँ…”
अमन-“खाला जान, मुझे भूख लगी है। कुछ खाने को हाँ…”
हीना-अभी लाई बेटा।
शीबा हीना के रूम में जाने के बाद अमन के सामने वाले सोफे पे बैठ जाती है-“क्या भाई, घर से खाना खाकर निकलना चाहिए, वरना कहीं चक्कर वक्कर आ गया तो?” और हँसने लगती है
।
अमन मँ में-“हाँ रानी, चोदते वक्त उतनी ही जोर से रोएगी तू…”
अमन बोला-“हाँ, वो आज पता नहीं कैसे भूख लग गई…”
शीबा उसे घूरते हुए टीजी ओन कर देती है।
अमन उसे ही घूर रहा था।
शीबा अपनी चेहरे पे अमन की आँखों के तपिश बर्दाश्त नहीं कर पा रही थी। उसे पता था कि अमन उसे ही घूर रहा है। शीबा चिल्लाते हुए-“अम्मी, जल्दी नाश्ता लाओ भाई को जोरों की भूख लगी है…” और उसे खा जाने वाली नज़रों से देखती है, वो उसे लगातार देखे जा रहा था।
अमन-“ओह्म्मह… ओह्म्मह…” फिर अपने पैर पसार कर-“सोचता हूँ कुछ दिन आपके पास ही रहूं खाला जान…”
हीना नाश्ता ला चुकी थी-“अरे, ये तो बड़ी अच्छी बात है। मुझे भी थोड़ी कंपनी मिल जायेगी, वरना ये शीबा तो दिन रात पढ़ाई पढ़ाई…”
अमन-हाँ, वो तो दिख रहा है। पढ़ाई पढ़ाई…”
शीबा-“हेलो मिस्टर अमन, मैं हर साल टाप करती हूँ और मुझे सिर्फ़ पढ़ाई में इंटरेस्ट है…” फिर शीबा बोलते बोलते रुक गई।
अमन-हाँ बोलो-बोलो और?
हीना मुश्कुराते हुए-“अब बस भी करो ये टोपिक, चलो अमन बेटा तुम नाश्ता करो…”
अमन शीबा को घूरते हुए नाश्ता करने लगता है। वो सुबह से भूखा था कैंटीन में भी उसने कुछ खास नहीं लिया था।
शीबा-“अराम से, वरना ठस्का लग जाएगा…”
हीना-बस शीबा।
शीबा-“हुंनह…” अमन की तरफ देखते हुए फिर से टीजी देखने लगती है।
अमन एक घंटा बाद-“अच्छा खाला जान, मैं चलता हूँ अम्मी इंतजार कर रही होंगी…”
हीना-“ठीक है बेटा, आते रहा करो। मुझे तेरी कितनी याद आती है। और तू है की अपनी खाला का खयाल ही नहीं रखता…”
अमन हीना के गले लगते हुए उसे कस लेता है-“अब रखूंगा, प्रोमिस…”
हीना-हूँन् पक्का? और हीना भी इस बार उसे कसते हुए।
अमन-एकदम पक्के वाला पक्का। मैं ज़रा शीबा से मिलकर आया…” अमन शीबा के रूम में जाता है-“अच्छा शीबा, मैं जा रहा हूँ अगर तुम चाहो तो मैं तुम्हें रोज कॉलेज ड्राप कर दिया करूंगा…”
शीबा बुरा सा मुँह बनाते हुए-“जी नहीं, आपका बहुत-बहुत शुकिया। मैं कॉलेज बस से अच्छे से पहुँच जाती हूँ भाई…”
अमन शीबा के करीब आकर-“तुम्हें पता है। भाई का मतलब?”
शीबा गम्भीर नज़रों से अमन की आँखों में देखते हुए-क्या?
अमन-“भाई मतलब? बेस्ट हसबैंड अवेलवल इन इंडिया…”
शीबा शरम से लाल हो जाती है-“जाओ यहाँ से भा…”
अमन हँसता हुआ उसके रूम से निकल जाता है।
रजिया-कहाँ रह गया ये?
अनुम-ओफ्फोहो… अम्मी आ जाएगा अमन, कहा ना खाला के यहाँ गया है।
इससे पहले रजिया कुछ बोलती अमन घर में दाखिल होता है।
रजिया-आ गये बेटा? हीना कैसी है? खाना लगाऊँ?
अमन-“ठीक है। मैं खाकर आया हूँ…” और अपनी रूम में जाने लगता है।
तभी डोरबेल बजती है।
अमन दरवाजा खोलने जाता है-“अरे अब्बू आप… आज अचानक… व्हाट आ सरप्राइज…” सामने अमन के अब्बू खड़े थे जिन्हें सब ख़ान साहब कहते थे।
ख़ान अमन के गले लगाते हुए-“मेरा बेटा कितना बड़ा हो गया है? कितने दिन हो गये तुझे देखे हुए?” और दोनों बाप बेटे एक दूसरे से गले मिलते हुए अंदर आते हैं।
अनुम-“अब्बू…” चलती हुई ख़ान साहब के गले लगती है-“आपने फोन कर दिया होता तो हम आपको लेने एयरपोट़ आ जाते…”
ख़ान अपनी बेटे के सर पे हाथ फेरते हुए-“अगर फोन कर देता तो सरप्राइज कैसे देता?”
रजिया भी ख़ान साहब को देखकर खुश हो गई थी।
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Re: अमन विला-एक सेक्सी दुनियाँ
रजिया-“ठीक हूँ, आप थक गये होंगे। फ्रेश हो जाइए, मैं खाना लगा देती हूँ…”
ख़ान साहब-“नहीं भाई, मुझे थोड़ा सोने दो…” और ख़ान साहब अपने रूम की तरफ चल देते हैं।
अनुम बैग्स खोलने में लगी थी, पता नहीं अब्बू मेरे लिये क्या लाए हैं। और सामने अमन और रजिया एक दूसरे की आँखों में देख रहे थे। रजिया की आँखों से कुछ जाहिर नहीं हो रहा था।
पर अमन की आँखें रजिया को साफ कह रही थी-“हो जा खुश… अब तो आ गया तुझे चोदने वाला। अब तुझे किसी की क्या परवाह?” और अमन एक घिनोनी हँसी चेहरे पे लाते हुए अपने रूम में चला जाता है।
जितनी परेशान रजिया थी, उतना ही अमन था। उसकी रजिया और रेहाना अब किसी और के लण्ड से चुदायेंगी, ये बात उसे परेशान कर रही थी। वो नहीं चाहता था कि कोई उसकी लगाए हुए मोहर को हटाकर अपनी मोहर लगा दे।
दूसरी तरफ चाची रेहाना के घर में भी यही हाल था। ख़ान जमाल मलिक रेहाना के शौहर के घर में आने से वहाँ फ़िज़ा बहुत खुश थी, वहीं रेहाना के तो जैसे होश उड़ गये थे। वो सदमे में थी। पर चेहरे पे मुश्कान के साथ वो भी अपने ना-पसंदीदा सख्श का वेलकम हँसते हुए करती है।
दोनों घरों के मर्द आ चुके थे। अमन के लिये रास्ता थोड़ा मुश्किल नज़र आ रहा था। पर कहते है ना… वहाँ चाह वहाँ राह।
रात के खाने के बाद ख़ान साहब अपने परिवार के सदस्यों को गिफ्ट देते हुये, वो अमन के लिये 4 ड्रेस, अनुम के लिये दो ड्रेस, और रजिया की लिये 3 साड़ी लाए थे जिसे देखकर सभी ने खुशी का इज़हार किया खास तौर पे रजिया ने। पर वो अमन को ही देख रही थी। आज रात वो अमन को मनाकर उससे जमकर चुदना चाहती थी । पर शायद ये दूरियाँ कुछ और लंबी होनी थीं।
ख़ान साहब-“अरे अमन बेटा, ये ड्रेस मैं फ़िज़ा के लिये लिया था, ज़रा उसे दे आना तो…”
अमन-“जी अब्बू…” और अमन रजिया को देखते हुए रेहाना की तरफ चला गया।
रजिया अंदर ही अंदर जल भुन गई।
अमन मलिक को सलाम करते हुए-“चाचू जान…” और दोनों गले मिलते हैं।
रेहाना किचिन में थी। अमन की आवाज़ सुनकर दौड़ते हुए रूम में आ जाती है। रेहाना अमन को आज 9 दिन के बाद देख रही थी। उसके आँखों में खुशी और चमक दोनों साफ देखी जा रही थी।
अमन रेहाना के तरफ देखते हुए-“वो चाचू, अब्बू ने ये फ़िज़ा बाजी के लिये भेजे हैं…”
मलिक-“अरे, ये भैय्या भी ना… मैं भी तो कितने ड्रेस लाया हूँ फ़िज़ा के लिये…”
रेहाना-“अब वो इतने प्यार से दे रहे हैं, तो ले लीजिए…”
मलिक-“ठीक है भाई। अरे, तुम खड़े क्यूँ हो बैठो बेटा…” फिर रेहाना से-“जाओ हमारे बेटे के लिये कुछ खाने के लिये लाओ…”
रेहाना-अभी लाई।
फ़िज़ा अपनी रूम में पढ़ाई कर रही थे, और किकेट मैच देख रही थी।
रेहाना किचिन में से-“अमन, ज़रा इधर आना तो… ये डिब्बा ज़रा ऊपर से उतार दो…”
अमन-“जी…” और उठकर किचिन में चला जाता है।
किचिन में जाकर रेहाना अमन से चिपक जाती है, और अमन भी रेहाना को अपनी बाहों में भर लेता है।
रेहाना-“मुझे यहाँ से ले चलिये कहीं भी। मैं यहाँ नहीं रहना चाहती…” और अमन के होंठों को चूमने लगती है।
अमन भी रेहाना की चुचियाँ दबाते हुए होंठ चूसने लगता है। उन दोनों को कोई परवाह नहीं थी कि घर में मलिक और फ़िज़ा दोनों हैं, और किसी भी वक्त यहाँ आकर इन दोनों को रंगे हाथ पकड़ सकते हैं।
अमन-“बस कुछ दिन मेरी जान… फिर तू मेरी होंगी। भगा ले जाऊँगा मैं तुझे इन सबसे…” अमन शायद जज्बाती हो गया था।
रेहाना-“उंह्म्मह… हाँ उंह्म्मह… हाँ…” उसकी चूत में पानी आने लगा था।
मलिक-“रेहाना, नाश्ता तैयार हुआ कि नहीं? मुझे भी भूख लगी है…”
रेहाना अमन से अलग होते हुए-“जी अभी लाई…”
अमन नाश्ता करते हुए रेहाना को ही देख रहा था। अब वहाँ फ़िज़ा भी आ चुकी थी और उसकी नज़र भी अमन पे थी। वो अमन और रेहाना दोनों को देख रही थी और अंदाजा लगा रही थी कि ये एक दूसरे को कितना चाहते हैं।
अमन-अच्छा मैं चलता हूँ।
रेहाना-बैठो ना… खाना खाकर जाना।
मलिक-हाँ बेटा बैठो।
अमन-नहीं, अभी मैं खाना खाकर आया था। मैं चलता हूँ।
मलिक-“कल जल्दी आ जाना बेटा, मुझे तुमसे कुछ खास बातें करनी है…”
अमन-“जी…” और अमन अपने घर की तरफ चल देता है।
रात 10:00 बजे-
सभी अपनी-अपनी रूम में जा चुके थे। आज ख़ान साहब का बड़ा मूड था रजिया को चोदने का और उधर मलिक का भी। पर दोनों औरतें शायद इसके लिये तैयार नहीं थी। और इत्तेफाक देखिए दोनों एक ही बहाना बनाती हैं। मुझे एम॰सी॰ पीरियड आज से शुरू हुए हैं।
ये सुनकर दोनों मदों के खड़े लण्ड भी ठंडे पड़ जाते है।
ख़ान साहब-“मैं सो जाता हूँ…” और थके हारे मर्द सो जाते हैं।
रजिया ऊपर फैन को देखते हुए दिल में सोचती है-“आखिर कब तक तू ख़ान साहब को दूर रख पाएगी? सिर्फ़ 7 दिन उसके बाद तो तू चुदेगी ही…”
यही सोच-सोचकर रेहाना भी परेशान थी। वो चाहती थी कि मलिक फिर से वापस दुबई चला जाए और फिर कभी लौट के ना आए।
इनहीं ख्यालों में सुबह हो जाती है।
ख़ान साहब-“नहीं भाई, मुझे थोड़ा सोने दो…” और ख़ान साहब अपने रूम की तरफ चल देते हैं।
अनुम बैग्स खोलने में लगी थी, पता नहीं अब्बू मेरे लिये क्या लाए हैं। और सामने अमन और रजिया एक दूसरे की आँखों में देख रहे थे। रजिया की आँखों से कुछ जाहिर नहीं हो रहा था।
पर अमन की आँखें रजिया को साफ कह रही थी-“हो जा खुश… अब तो आ गया तुझे चोदने वाला। अब तुझे किसी की क्या परवाह?” और अमन एक घिनोनी हँसी चेहरे पे लाते हुए अपने रूम में चला जाता है।
जितनी परेशान रजिया थी, उतना ही अमन था। उसकी रजिया और रेहाना अब किसी और के लण्ड से चुदायेंगी, ये बात उसे परेशान कर रही थी। वो नहीं चाहता था कि कोई उसकी लगाए हुए मोहर को हटाकर अपनी मोहर लगा दे।
दूसरी तरफ चाची रेहाना के घर में भी यही हाल था। ख़ान जमाल मलिक रेहाना के शौहर के घर में आने से वहाँ फ़िज़ा बहुत खुश थी, वहीं रेहाना के तो जैसे होश उड़ गये थे। वो सदमे में थी। पर चेहरे पे मुश्कान के साथ वो भी अपने ना-पसंदीदा सख्श का वेलकम हँसते हुए करती है।
दोनों घरों के मर्द आ चुके थे। अमन के लिये रास्ता थोड़ा मुश्किल नज़र आ रहा था। पर कहते है ना… वहाँ चाह वहाँ राह।
रात के खाने के बाद ख़ान साहब अपने परिवार के सदस्यों को गिफ्ट देते हुये, वो अमन के लिये 4 ड्रेस, अनुम के लिये दो ड्रेस, और रजिया की लिये 3 साड़ी लाए थे जिसे देखकर सभी ने खुशी का इज़हार किया खास तौर पे रजिया ने। पर वो अमन को ही देख रही थी। आज रात वो अमन को मनाकर उससे जमकर चुदना चाहती थी । पर शायद ये दूरियाँ कुछ और लंबी होनी थीं।
ख़ान साहब-“अरे अमन बेटा, ये ड्रेस मैं फ़िज़ा के लिये लिया था, ज़रा उसे दे आना तो…”
अमन-“जी अब्बू…” और अमन रजिया को देखते हुए रेहाना की तरफ चला गया।
रजिया अंदर ही अंदर जल भुन गई।
अमन मलिक को सलाम करते हुए-“चाचू जान…” और दोनों गले मिलते हैं।
रेहाना किचिन में थी। अमन की आवाज़ सुनकर दौड़ते हुए रूम में आ जाती है। रेहाना अमन को आज 9 दिन के बाद देख रही थी। उसके आँखों में खुशी और चमक दोनों साफ देखी जा रही थी।
अमन रेहाना के तरफ देखते हुए-“वो चाचू, अब्बू ने ये फ़िज़ा बाजी के लिये भेजे हैं…”
मलिक-“अरे, ये भैय्या भी ना… मैं भी तो कितने ड्रेस लाया हूँ फ़िज़ा के लिये…”
रेहाना-“अब वो इतने प्यार से दे रहे हैं, तो ले लीजिए…”
मलिक-“ठीक है भाई। अरे, तुम खड़े क्यूँ हो बैठो बेटा…” फिर रेहाना से-“जाओ हमारे बेटे के लिये कुछ खाने के लिये लाओ…”
रेहाना-अभी लाई।
फ़िज़ा अपनी रूम में पढ़ाई कर रही थे, और किकेट मैच देख रही थी।
रेहाना किचिन में से-“अमन, ज़रा इधर आना तो… ये डिब्बा ज़रा ऊपर से उतार दो…”
अमन-“जी…” और उठकर किचिन में चला जाता है।
किचिन में जाकर रेहाना अमन से चिपक जाती है, और अमन भी रेहाना को अपनी बाहों में भर लेता है।
रेहाना-“मुझे यहाँ से ले चलिये कहीं भी। मैं यहाँ नहीं रहना चाहती…” और अमन के होंठों को चूमने लगती है।
अमन भी रेहाना की चुचियाँ दबाते हुए होंठ चूसने लगता है। उन दोनों को कोई परवाह नहीं थी कि घर में मलिक और फ़िज़ा दोनों हैं, और किसी भी वक्त यहाँ आकर इन दोनों को रंगे हाथ पकड़ सकते हैं।
अमन-“बस कुछ दिन मेरी जान… फिर तू मेरी होंगी। भगा ले जाऊँगा मैं तुझे इन सबसे…” अमन शायद जज्बाती हो गया था।
रेहाना-“उंह्म्मह… हाँ उंह्म्मह… हाँ…” उसकी चूत में पानी आने लगा था।
मलिक-“रेहाना, नाश्ता तैयार हुआ कि नहीं? मुझे भी भूख लगी है…”
रेहाना अमन से अलग होते हुए-“जी अभी लाई…”
अमन नाश्ता करते हुए रेहाना को ही देख रहा था। अब वहाँ फ़िज़ा भी आ चुकी थी और उसकी नज़र भी अमन पे थी। वो अमन और रेहाना दोनों को देख रही थी और अंदाजा लगा रही थी कि ये एक दूसरे को कितना चाहते हैं।
अमन-अच्छा मैं चलता हूँ।
रेहाना-बैठो ना… खाना खाकर जाना।
मलिक-हाँ बेटा बैठो।
अमन-नहीं, अभी मैं खाना खाकर आया था। मैं चलता हूँ।
मलिक-“कल जल्दी आ जाना बेटा, मुझे तुमसे कुछ खास बातें करनी है…”
अमन-“जी…” और अमन अपने घर की तरफ चल देता है।
रात 10:00 बजे-
सभी अपनी-अपनी रूम में जा चुके थे। आज ख़ान साहब का बड़ा मूड था रजिया को चोदने का और उधर मलिक का भी। पर दोनों औरतें शायद इसके लिये तैयार नहीं थी। और इत्तेफाक देखिए दोनों एक ही बहाना बनाती हैं। मुझे एम॰सी॰ पीरियड आज से शुरू हुए हैं।
ये सुनकर दोनों मदों के खड़े लण्ड भी ठंडे पड़ जाते है।
ख़ान साहब-“मैं सो जाता हूँ…” और थके हारे मर्द सो जाते हैं।
रजिया ऊपर फैन को देखते हुए दिल में सोचती है-“आखिर कब तक तू ख़ान साहब को दूर रख पाएगी? सिर्फ़ 7 दिन उसके बाद तो तू चुदेगी ही…”
यही सोच-सोचकर रेहाना भी परेशान थी। वो चाहती थी कि मलिक फिर से वापस दुबई चला जाए और फिर कभी लौट के ना आए।
इनहीं ख्यालों में सुबह हो जाती है।
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`·.¸.·´ -- Raj sharma
- jay
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Re: अमन विला-एक सेक्सी दुनियाँ
superb story bro
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(एक बार ऊपर आ जाईए न भैया )..(परिवार में हवस और कामना की कामशक्ति )..(लेखक-प्रेम गुरु की सेक्सी कहानियाँ running)..(कांता की कामपिपासा running).. (वक्त का तमाशा running).. (बहन का दर्द Complete )..
( आखिर वो दिन आ ही गया Complete )...(ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगाना complete)..(ज़िद (जो चाहा वो पाया) complete)..(दास्तान ए चुदाई (माँ बेटी बेटा और किरायेदार ) complete) .. (एक राजा और चार रानियाँ complete)..(माया complete...)--(तवायफ़ complete)..(मेरी सेक्सी बहनेंcompleet) ..(दोस्त की माँ नशीली बहन छबीली compleet)..(माँ का आँचल और बहन की लाज़ compleet)..(दीवानगी compleet..(मेरी बर्बादी या आबादी (?) की ओर पहला कदमcompleet) ...(मेले के रंग सास,बहू और ननद के संग).
Read my fev stories
(फैमिली में मोहब्बत और सेक्स (complet))........(कोई तो रोक लो)......(अमन विला-एक सेक्सी दुनियाँ)............. (ननद की ट्रैनिंग compleet)..............( सियासत और साजिश)..........(सोलहवां सावन)...........(जोरू का गुलाम या जे के जी).........(मेरा प्यार मेरी सौतेली माँ और बेहन)........(कैसे भड़की मेरे जिस्म की प्यास)........(काले जादू की दुनिया)....................(वो शाम कुछ अजीब थी)
(एक बार ऊपर आ जाईए न भैया )..(परिवार में हवस और कामना की कामशक्ति )..(लेखक-प्रेम गुरु की सेक्सी कहानियाँ running)..(कांता की कामपिपासा running).. (वक्त का तमाशा running).. (बहन का दर्द Complete )..
( आखिर वो दिन आ ही गया Complete )...(ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगाना complete)..(ज़िद (जो चाहा वो पाया) complete)..(दास्तान ए चुदाई (माँ बेटी बेटा और किरायेदार ) complete) .. (एक राजा और चार रानियाँ complete)..(माया complete...)--(तवायफ़ complete)..(मेरी सेक्सी बहनेंcompleet) ..(दोस्त की माँ नशीली बहन छबीली compleet)..(माँ का आँचल और बहन की लाज़ compleet)..(दीवानगी compleet..(मेरी बर्बादी या आबादी (?) की ओर पहला कदमcompleet) ...(मेले के रंग सास,बहू और ननद के संग).
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