Incest आवारा सांड़

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Re: आवारा सांड़

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अपडेट-8

राज—भाभी चुचि दबा लूँ आपकी थोड़ा सा

सरला—आआहह....दबा ले.....कोई आ जाएगा...राज....जल्दी से मसल ले मेरी चुचि भी

राज जान बूझकर सरला को फुल चुदासी कर दिया था जिससे कि फिर दुबारा उसे चोदने का मौका मिलने पर कोई दिक्कत ना रहे....उसने तुरंत उसकी चुचियो को दोनो हाथो मे भरकर ज़ोर ज़ोर से मसल्ने लगा और साथ मे अपना मूह सरला की रस नहाती बुर के मुहाने पर भिड़ा दिया

राज की इस हरकत से सरला तड़प उठी....उसके आदमी ने उसके साथ कभी ऐसा नही किया था....सरला असीम सुख की अनुभूति करने लगी...ऐसा मज़ा उसे पहले कभी नही मिला था जैसा आज राज के हाथो मिल रहा था उसको

अब आगे......

राज—तुम तो हुमच हुमच के चोदने लायक माल हो भौजी

सरला—अब बस कर..आआहह….छोड़ लेना…..पहले थोड़ा सा अपना भी तो दिखा ना…..मेरा तो सब देख लिया

राज (खुश होकर)—लो अभी देख लो भौजी

राज ने तुरंत अपना लोवर नीचे खिसका दिया…..चड्डी तो वो बहुत कम पहनता था….क्या पता कहाँ जल्दी वाली चुदाई करने का मौका मिल
जाए…ऐसे मे चड्डी उतारने पहनने का लफडा ही ख़तम….सीधे लोवर खिस्काओ और पेल दो धका धक

राज के तन तनाए लंड पर नज़र पड़ते ही सरला के होश गायब हो गये…..आश्चर्य से उसने अपने मूह पर हाथ रख लिया…. उसे यकीन नही हो रहा था

सरला (हैरान)—हाय राम…..ये क्या है….? तू तो सच मूच का सांड़ है….किसी कुवारि लड़की के उपर अगर ग़लती से भी चढ़ गया तो उसकी बुर तो फॅट के चिथड़े हो जाएगी…..दूसरो की क्या कहूँ..अगर ये मेरी ही बुर मे घुस गया तो मेरी बुर फाड़ डालेगा…इतना मोटा और लंबा भी किसी का होता है…..? ये असली है क्या….?

राज—छुकर देख लो…

सरला (हाथ मे पकड़ते हुए)—हे भगवान…..ये तो मेरे हाथ मे भी नही आ रहा है….बहुत मोटा है…..क्या खा के मालती काकी ने तुझे पैदा
किया था…..? तुझे पैदा करने मे ही उनकी बुर का क्या हाल हुआ होगा…..?

राज—थोड़ा सा बुर मे घुसेड दूं भौजी….बस इत्तु सा घुसेड लेने दो

सरला (घबरा कर)—न्नाहि….इत्तु सा भी नही घुस्वाना मुझे….बाद मे घुसेड देना जितना घुसेड़ना हो…अभी टाइम नही है

राज—अच्छा तो थोड़ा सा बुर मे लंड को घिस ही लेने दो….बस ज़रा सा


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Re: आवारा सांड़

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सरला—नही…मैं जानती हूँ तू घुसेड देगा…..तू मेरी बुर फाड़ने की फिराक मे है..मैं सब जानती हूँ

राज ने उसकी चुचियो को चूस्ते हुए दूसरे हाथ से कस कस के मसलना जारी रखा...तभी किसी के बाहर से बाते करने की आवाज़ आने
लगी....तो सरला डर गयी

सरला—अब छोड़ राज....देख कोई आया है....मैं तेरे हाथ जोड़ती हूँ....छोड़ ना अभी

राज—पहले बताओ....मुझे अपनी बुर कब दे रही हो पेलने को

सरला—बाद मे देखूँगी....अभी उठ मेरे उपर से

राज—नही पहले मेरी बात का जवाब दो.....कब दे रही हो अपनी बुर..... ?

सरला—कल दोपहर मे खेत जाउन्गी तब ले लेना....अभी जा यहाँ से

राज—ऐसे नही ....मैं रेकॉर्डिंग करता हूँ ...अब बोलो कि मैं लाला की छोटी बहू वादा करती हूँ तुमसे राज कि कल दोपहर मे मैं तुमको अपनी
बुर चोदने को दूँगी....अब ये बोल के बताओ

सरला—रेकॉर्ड मत कर....बंद कर ना...तू मुझे बदनाम कर देगा..

राज—मैं वादा करता हूँ कि ऐसा कुछ नही करूँगा…..बस तुम मुझे अपनी बुर चोदने को देती रहना..जब भी मेरा तुम्हे चोदने का मन करे

सरला—ठीक है मैं बोल देती हूँ लेकिन अपना वादा याद रखना…

राज—ठीक है..बोलो

सरला—राज मैं सुखिया लाला की छोटी बहू सरला तुमसे वादा करती हूँ कि कल दोपहर मे मैं तुम्हे अपनी बुर चोदने को दूँगी… ले अब तो
बोल दिया…अब छोड़ ना जल्दी

राज—बस थोड़ा सा लंड को बुर मे घुसेड लूँ फिर

सरला—ना…ना….कल जितना चाहे घुसेड लेना…..चाहे तो मैं रोज दोपहर मे खेत जाती हूँ नहाने….तू रोज वही आकर मेरी बुर चोद लिया
कर…पर अभी छोड़ दे

मैने सरला भाभी की चुचियो को एक बार ज़ोर से मसल कर उनके होंठो को चूमा और 8-10 बार बुर मे सतसट तीन उंगली अंदर बाहर पेल कर उनके उपर से हट गया और दरवाजा खोल कर धीरे से दुकान के बाहर निकल गया

दुकान से मैं सीधा घर आ गया…..माँ और चाची खेत से आ चुकी थी जबकि दोनो चाचा अभी नही आए थे…खेत मे पानी लगाने का काम चल रहा था

माँ—आ गया…बेटा..चल खाना खा ले गरम गरम

किंजल (धीरे से)—आ गया सांड़....कहीं से मूह मार के

राज—क्या बना रही हो चाची आज

सीमा—वही जो रोज बनता है.....सब्जी और रोटी

राज (गान्ड को घूरते हुए)—किसकी सब्ज़ी है

सीमा—आलू और टमाटर का भुर्ता है

राज (मन मे)—मस्त गान्ड है चाची की……भोसड़ी का चाचा खूब चोदा होगा चाची को लगता है….कपड़े के उपर से देखने मे जब इतनी मस्त लगती है तो पूरी नंगी कितनी मस्त दिखती होगी….? हाए चाची एक बार अपने भतीजे को भी नंगी होकर दिखा दो

राज ने जब कुछ देर से कुछ नही कहा तो किंजल ने उसकी नज़रों का पीछा किया….उसे समझते देर नही लगी कि ये सीमा चाची की गान्ड को घूरते हुए अपने मन मे गंदी गंदी बाते सोच रहा है…तभी किंजल की नज़र को राज के लोवर मे हाथ भर का तंबू नज़र आ गया…ये देख कर उसका तो गला ही सूखने लग गया


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Re: आवारा सांड़

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किंजल (मन मे)—कितना बड़ा कमीना है…पूरा सांड़ है….हे राम एक हाथ से कम का नही लगता…..अपनी चाची की गान्ड कोभी नही छोड़ रहा….पूरा सांड़ है….अगर इसकी जल्दी शादी नही हुई तो पक्का गाओं की कोई ना कोई लड़की इसके बच्चे की माँ बन जाएगी….अगर मेरी ही शादी जल्दी नही हुई तो ये सांड़ मुझे ही कही गर्भिन ना कर दे किसी दिन मेरे उपर चढ़ के……कब तक खुद को इस सांड़ से बचाती
रहूंगी…कभी ना कभी तो इसे मेरे उपर चढ़ने का मौका मिल ही जाएगा…इसकी शादी करने के लिए बड़ी माँ से बोलना पड़ेगा

किंजल (मन मे)—जिनके उपर ये सांड़ चढ़ता होगा पता नही उनकी क्या हालत होती होगी….लगता है तभी गाओं की बहुत सी लड़किया और औरते हमेशा दोनो पैर फैला कर चलती हैं…पक्का उनपर ये ज़रूर चढ़ा होगा ये सांड़

सीमा—कहाँ खो गया….जा हाथ पैर धो के खाना खाने आ जा

राज—हाँ..हम…अभी आया चाची मैं

मैं हाथ पैर धोने के लिए आँगन मे बने टूटे फूटे बाथरूम मे जाकर फ्रेश चला गया....मैं अभी वहाँ पहुचा ही था कि मेरे कानो मे तभी किसी
मधुर सीटी बजने की आवाज़ आई

मैं समझ गया कि ये किसी औरत की बुर से निकलती मूत के धार की आवाज़ है....मेरे मन मे उसकी बुर को देखने की अत्यंत तीव्र अभिलाषा
होने लगी.....मैं तुरंत दबे पावं बाथरूम के पास जाकर दरवाजे के होल मे अपनी आँखे फेविकोल की तरह चिपका दिया

अंदर का नज़ारा देख कर मेरे खून मे गर्मी बढ़ने लगी....लंड महाराज गुस्सा होने लग गये…शायद उनके नथुनो मे भी किसी बुर की मादक खुश्बू पहुच गयी थी

अंदर दादी अपनी साड़ी को कमर से उपर उठाए दोनो पैर फैला कर छर्र छर्र करते हुए सीटी बजाते बुर से मूत रही थी... मेरी आँखे तो
उनकी पावरोटी जैसी फूली बुर पर ही टिक गयी

दादी की बुर मे खूब बड़ी बड़ी और घनी झान्टे थी....पता नही कब से उन्होने अपनी बुर के जंगल की कटाई सफाई नही की थी ...बुर की
दोनो फांके फैली हुई थी और दोनो फांको के बीच मे से उनकी बुर के अंदर का लाल हिस्सा दिखाई दे रहा था

राज (मन मे)—हाए ..दादी की बुर कितनी फूली हुई है इस उमर मे भी…..जवानी मे तो कयामत ढाती रही होगी....दादा ने खूब पेला होगा
दादी की बुर को...

अच्छा हुआ दादा मर गया...नही तो अब तक दादी की चूत को चोद चोद कर चबूतरा बना देता….वैसे दादी की बुर को अभी चोद चोद कर फाड़ने की काफ़ी गुंजाइश लग रही है

अगर कोशिश करू तो हो सकता है कि मुझे दादी की बुर छोड़ने को मिल जाए...मुझे कैसे भी कर के दादी को चुदासी करना पड़ेगा एक बार उन्हे अपना लंड दिखा देता हू...शायद कुछ काम बन जाए

मैं बाथरूम से झँकते हुए दादी की बुर को चोदने की प्लॅनिंग कर ही रहा था कि दादी पानी से बुर को रगड़ कर धोने के बाद दरवाजा खोलने
को खड़ी हुई तो मैं जल्दी से वहाँ से दौड़ लगा दिया

बाहर आकर रुका लेकिन लंड था कि बैठने का नाम ही नही ले रहा था....साला बुर की खुश्बू बहुत जल्दी सूंघ लेता है...मुझे ढूँढते हुए मीनू
दीदी वहाँ आ गयी और खाने को कहने लगी...तो मैने जल्दी से पकड़ कर उन्हे अपनी ओर खीच लिया

मीनू (धीरे से)—आहह....छोड़ क्या कर रहा है... ?

राज—स्शह....जल्दी से तबेले मे चलो

मीनू (धीरे से)—क्यो.... ? दोपहर मे तो किया था ना.....अभी तक बहुत दर्द है वहाँ पर

राज—मेरा बहुत मन है अभी चोदने का....देखो ना दर्द से लंड फटा जा रहा है...अगर जल्दी ही इसको किसी की बुर मे ना घुसेड़ा तो मैं
पागल हो जाउन्गा

मीनू (धीरे से)—हाथ से कर ले

राज—ऊहह...चलो ना दीदी

मैं दीदी को गाय भैंसो के तबेले मे ले गया और वही उनकी सलवार खोल के चोदने लगा....अंधेरा होने के कारण पकड़े जाने का भी ज़्यादा ख़तरा नही था

पहले तो दीदी दर्द से तिलमिलाई लेकिन बाद मे उनको भी मज़ा आने लगा तो उन्होने पूरा साथ देते हुए अपनी बुर चुदवाने लगी...मैं दनादन
उनकी चुचियो को मसल्ते चूस्ते हुए मीनू दीदी की बुर मे लंड पेलने लगा
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