Adultery वासना की मारी औरत की दबी हुई वासना

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koushal
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Re: Adultery वासना की मारी औरत की दबी हुई वासना

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रीमा कुछ देर तक उसी तरह कुतिया की पोजीशन में टिकी रही, फिर पीछे की तरफ पैर फैलाते हुए पेट के बल ही बिस्तर पर पसर गयी | जितेश भी उसकी गांड में धंसे लंड के साथ उसकी पीठ पर पसर गया | रीमा और जितेश दोनों निढाल हो गए |

दोनों अपनी उफनती सांसे काबू करने लगे | वैसे भी जितेश भी काफी थक चुका था | इस बार वासना के जोश में भले ही रीमा की गांड मार गया हो लेकिन उसके अंदर भी दम नहीं बचा था | रीमा कुछ देर तक उसी तरह से कुत्तिया की पोजीशन में बनी फिर वह पीछे की तरफ पैर खिसकाती हुई उसी तरह से उल्टा लेट गई | कोकीन में हाई रीमा अब ठंडी होने लगी थी | जितेश के लंड का रस अभी भी रीना के गांड में भरा हुआ था और उसकी गांड में भी दर्द हो रहा था | उसके गांड में हो रहे दर्द का अहसास को वह जितेष को नहीं दिखाना चाहती थी इसलिए उसने बिस्तर से मुंह छिपा लिया | शायद जितेश द्वारा उसकी गांड उसकी मर्जी के खिलाफ बिना उससे पूछो मारने से वो अन्दर तक हिल गयी थी | चुदाई का दौर खतम हो गया था इसलिए रीमा की सोचने समझने की शक्ति लौट आई थी | रीमा सोचने पर मजबूर हो गई थी आखिर क्यों हुआ और कैसे हुआ क्या आगे भी ऐसा ही होता रहेगा जब उसकी मर्जी की कोई कीमत नहीं होगी और वह सिर्फ मर्दों को अपनी वासना पूर्ति का जरिया बनकर रह जाएगी और उसका पूरा अस्तित्व ही मर्द की बस वासना को बुझाने तक सीमित रह जाएगा | जितेश अपनी लम्बी लम्बी सांसे भरता हुआ - क्या कमाल की चीज हो | फौलादी मर्द को भी निचोड़ डालती हो | आअहाआअहाआह्ह सारा दम निकाल लिया जानेमन |
उसके चुताड़ो पर चपत लगता हुआ - लंड को जमकर निचोड़ना तो कोई तुमसे सीखे जानेमन |
इतना कहकर मुस्कुराता हुआ वो बिसतर से उठा और फिर उठकर के कुछ खाने पीने चला गया |

रीमा उसी तरह से बिस्तर में घुसी हुई अपने मुंह को छिपाए हुए अपने दुखी अंतर्मन को अपने ही अंदर खोजने की कोशिश करती रही | जितेश ने उसकी गांड मार के उसके पूरे अंतर्मन को भी झकझोर कर रख दिया था | अब रीमा को एक नए सिरे से खुद को खोजना था, उसकी भीषण ठोकरों से उसका जिस्म तो थरथरा के शांत हो गया लेकिन उसके बिखरे वजूद और मन को कैसे समेटे | पता नहीं खुद को कैसे समेट पायेगी, समेट पायेगी भी या नहीं या फिर हमेशा के लिए बिखर जाएगी |
पता नहीं वह खुद को खोज पाएगी खुद के अंदर देख पाएगी खुद की नजरों से नजरें मिला पाएगी या फिर बस अपनी वासना की दासी बनकर इसी तरह से एक गौरवहीन सम्मान विहीन दोहरी जिंदगी जीने को अभिशप्त होगी | यह तो वक्त ही बताएगा क्या होगा लेकिन अभी जो भी हुआ वह रीमा को बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगा | उसे लगा ये सब उसके अपने उन सिद्धांतों और विचारों के बिलकुल खिलाफ था जिनके लिए वह अब तक खुद से संघर्ष करती आई थी | एक ही बार में जितेश ने उसके पूरे अस्तित्व को झकझोर के रख दिया था लेकिन रीमा अभी भी नहीं समझ पा रही थी कि आखिर गिरधारी के गांड मारने में और जितेश के गांड मारने में अंतर क्या है | गिरधारी से तो उसने खुशी-खुशी गांड मरवा ली जबकि वो गिरधारी को जानती तक नहीं | जितेश को तो अपना सब कुछ सौंप चुकी है उसे अपनी हदों तक अपना चुकी है जो उसकी गुलाबी गहराइयों के अंतर में उतर चुका है उसको अपना वो सब कुछ सौंप चुकी है तो उसे अपनी गांड देने में क्या बुरा है | जब वो मेरी चूत चोद सकता है तो गांड भी मार सकता है | जैसे उसने हवस में अंधे होकर अपनी गांड मरवा ली वैसे हो सकता है जितेश भी वासना में अँधा हो गया हो | अभी उसका हाल ठीक नहीं था | उसका शरीर दुख रहा था |

जितेश वापस आया और वह रीमा की पीठ सहलाने लगा था | रीमा की ख़ामोशी देख उसे लगा कुछ गड़बड़ है | उसने रीमा का चेहरा बिस्तर से निकाला, उसके लटके अवसाद से भरे चेहरे को देखा तो उसे देखकर हैरान रह गया | उसे अपनी गलती का एहसास हुआ उसने रीमा को तुरंत अपनी बाहों में भर लिया और खींच कर अपने सीने से चिपका लिया |
उससे माफी मांगने लगा - रीमा मुझे माफ कर दो मैं क्या करूं तुम्हें तो पता ही है वासना एक ऐसी चीज होती है जब खुद पर काबू कर पाना बहुत मुश्किल होता है | मैं समझ गया तुम्हें बहुत चोट पहुंची है इसकी भरपाई करने के लिए जो हो सकेगा वह करूंगा मुझे माफ कर दो |
इतना कहकर वह रीमा के चुताड़ो को सहलाने लगा और उसकी गांड में हो रहे हल्के हल्के दर्द का आभास उसे फिर से होने लगा काफ़ी देर तक जितेश रीना के चूमता सहलाता रहा और उसके बदन से चिपका उसके आंसुओं को पोछता रहा उसके ओंठो को चूमता रहा और उससे माफी मांगता रहा |
रीमा क्या करे क्या न करे | वो जितेश से बहुत नाराज थी | ऐसा तो उसके साथ कभी नहीं हुआ | कोई उसकी मर्जी के बिना उसके जिस्म की जवानी लूटता रहे | जिसने जवानी लुटी है उसी ने बांहों में भी भर रखा है | हाय मै क्या करू | क्या जितेश की बांहों में सब कुछ भूलकर सिमट जाऊ | कैसे माफ़ कर दू जितेश को इसने कितनी तकलीफ दी है |
जितेश रीमा की ख़ामोशी पढने की कोशिश करने लगा - देखो रीमा बेबी, हो सकता है तुम मुझसे नाराज हो लेकिन अगर मै ये नहीं करता तो तुम खुद से ज्यादा नाराज होती |
रीमा उसकी तरफ देखने लगी उसे जितेश की बात समझ नहीं आई |
जितेश - मुझे नहीं लगता तुम इस सदमे से कभी निकल पाती की तुमने वासना में अंधे होकर गिरधारी जैसे इंसान से अपनी गांड मरवा ली | मुझे पता था तुमारी आंख खुलते ही तुम्हे पहला सदमा यही लगता | इसलिए मैंने तुम्हे उस सदमे में जाने से बचा लिया | अब तुम उस बात के लिए कभी खुद को नहीं कोसोगी क्योंकि वो बात कही से भी अलग या अनोखी नहीं रह जाएगी तुमारी जिंदगी में |
जितेश ने खुद को जस्टिफाई करने की कोशिश की | उसे पता था वो बाते बना रहा है लेकिन शायद उसका काम बन जाये |
रीमा - क्या कहना चाहते हो तुम |
जितेश - तुम सिर्फ इस पर फोकस करो की किसने तुम्हे कितना मजा दिया | बजाय इसके किसने तुमारे जिस्म को कितना लूटा |
जितेश की पहेलियाँ उसकी समझ से बाहर थी |
जितेश - देखो मुझे पता है तुमारा स्वाभाव कैसा है | जोश जोश में तुमने भले ही गिरधारी को बुला लिया था लेकिन अगर वह तुम्हे दुबारा चोदने की कोशिश करे तो उसे क्या तुम ऐसा करने दोगी |
रीमा - नहीं कभी नहीं |
जितेश - यही मेरा पॉइंट है | तुम मेरी हो और मै नहीं चाहता तुम उस गलती को याद रखो और खुद को कोसती रहो | अब तुमारा पिछवाडा किसने बजाय ये बात उतनी मायने नहीं रखती जीतनी की मेरे गांड मारने से पहले थी | सही कहा न, जब बार बार लंड चूत गांड में जाने लगते है तो किसका लंड है ये याद नहीं रहता बस उससे मिलाने वाला अहसास याद रहता है |
जितेश - तुम्हे मजा आया |
रीमा चुप रही |
जितेश - मतलब कोकीन चटाने के बाद |
रीमा - बकवास मत करो, ये भी सब बोलने की बाते होती है क्या |
जितेश हँसता हुआ - मतलब मैडम को मजा आया |
जितेश गंभीर हो गया - मै नहीं चाहता था तुम गिरधारी के दिए झटको के सदमो में चली जाओ | वो कोई गलती नहीं थी | इसलिए मैंने तुमारी गाड़ जान बूझकर मारी | मुझसे गुस्सा करो मुझसे नाराज हो | मै तुमारी मिन्नतें करूंगा , तुम्हे मनाऊंगा और जरुरत होगी तो फिर तुमारी गांड मारूंगा | इसी बहाने तुम गिरधारी वाली गलती तो भूल गयी |
रीमा को लगा जितेश सही कह रहा है, अगर उसने उसकी गांड नहीं मारी होती तो रीमा गिरधारी वाली बात को लेकर खुद को कितना कोस रही होती |

रीमा सोच में पड़ गयी | क्या करे खुद को जितेश को सौंप के खुद निश्चिंत हो जाए | सब कुछ तो वैसे भी जितेश देख चूका था भोग चूका था | उसकी सुरंगों के अंतिम छोर तक का सफर कर चुका था उसके शरीर में इतनी गहरी तक जा चुका था कि अब उसे उसको निकाल पाना भी मुश्किल हो रहा था | आखिर रीमा जितेश से चिपक गई और उसके सीने पर सर रखकर के खुद आंखें बंद करके जितेश के हवाले कर दिया था |

जितेश - एक बार बोल दो न मजा आया | कम से कम जब मेरे ऊपर बैठकर गपागप अपने अन्दर ले रही थी | ऐसा लग रहा था जैसे कोई वैक्यूम पाइप मेरे लंड को अंदर खीच रहा हो |
रीमा - शट उप, तुम मर्दों को बस यही गन्दी गन्दी बाते ही आती है |
जितेश - करने में बुराई नहीं तो बोलने में क्या बुराई है |
रीमा - रोहित भी ऐसी ही बकवास करता रहता है तुम सब मर्द एक जैसे ही होते हो |
जितेश - अच्छा , लगता है वो भी दिल के काफी करीब है |
रीमा - हाँ बहुत |
जितेश - मुझे उससे जलन महसूस करनी चाहिए |
रीमा - हाँ बिलकुल ........................... कम से कम जो तकलीफ वो देता है वो ही उसे दूर करता है | जब तक मेरा पिछवाड़ा दुखता रहेगा मै तुम्हे कभी माफ़ नहीं करूंगी |
जितेश अब क्या करे जिससे रीमा की तकलीफ दूर हो सके वो उसे माफ कर सके |
जितेश ने खुद ही पूछ लिया - जब तुम्हारा शरीर दुखता है तो तुम क्या करती हो बताओ मैं अपनी गलती सुधारने के लिए हर कोशिश करूंगा इससे तुम्हें अच्छा लगे | मैं अपना पश्चाताप करना चाहता हूं मैं जानता हूं मुझसे गलती हो गई है तुम्हें तकलीफ हो रही थी लेकिन फिर भी तुमने उस तकलीफ को बर्दाश्त किया मेरी खुशी के लिए अब मैं तुम्हारे उस दुख और दर्द को खुशी में बदलना चाहता हूं मुझे क्या करना होगा |
koushal
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Re: Adultery वासना की मारी औरत की दबी हुई वासना

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रिमो को कुछ समझ में नहीं आया आखिर वह क्या बोले | उसे याद था एक बार जब उसका शरीर चुदाई की थकावट से चूर चूर हो गया था तो रोहित ने उसकी मालिश करी थी |
रीमा बोली - मैं पूरी तरह से पस्त हो गई हूं और मेरे शरीर में बिल्कुल भी जान नहीं बची है मेरा रोम रोम दुख रहा है मेरी चूत और चूत से ज्यादा मेरी गांड दुख रही है तुम्हें तो पता है इतनी बुरी तरह से तुम लोगों ने इसे पेला है | कुछ सेवा करना चाहते हो तो मालिश कर दो इसकी थकावट दूर कर दो रोम रोम का दुखना खत्म कर दो बस और क्या चाहिए | और मेरा सर भी दुःख रहा है |

जितेश के पास न तो सर दर्द की दवाई थी न मालिश का तेल | उसने रीमा के लिए पानी गरम किया और पीने को दिया | फिर आराम से बिसतर पर लिटा दिया | रीमा ने आंखे बंद कर ली | बाहर अँधेरा हो गया था | जितेश ने कपड़े पहने और बाहर निकल गया | एक घंटे बाद वो कस्बे से दवाईया, दारू और तेल ले आया था |
उसको खुद भी थकान चढ़ी हुई थी |
पहले उसने रीमा को सर दर्द की दवा खिलाई | फिर एक पैग लगाया | रीमा को भी बहुत थकावट महसूस हो रही थी | हालाँकि इससे पहले उसने सस्ती वाली शराब कभी भी नहीं थी लेकिन जिस्म के सुकून के लिए उसने भी एक पैग मार लिया | फिर एक घन्टे तक रीमा के हाथ पाँव और जिस्म की मालिस करी | मालिस करवाते करवाते रीमा गहरी नीद में चली गयी |

अगले दिन जितेश जल्दी उठ गया | उसे कुछ काम करना था इसलिए जल्दी से उसने नाश्ता बनाया, नहाया और खाकर कपड़े पहनकर तैयार हो गया | जाने से पहले उसने रीमा को जगाया जो अब तक सो रही थी | सूरज बस निकलने ही वाला था | उसकी लालिमा चारो तरफ फ़ैल चुकी थी | रीमा को आंख खोलते ही ऐसा लगा जैसे सालों की थकावट के बोझ तले से निकल कर आई हो | जितेश उसे देखता ही मुस्कुराया | रीमा भी मुस्कुरा दी |

जितेश - नाश्ता तैयार कर दिया है , जब भूख लगे खा लेना | फिर देखता हूँ आगे क्या करना है |



जितेश को एक जरूरी कॉन्ट्रैक्ट का काम करना था इसलिए जाने से पहले उसने रीमा को अच्छे से बाकी सारी बातें समझा दी और अपने काम से बाहर निकल गया था | इधर रीमा ने अपने आप को संभाला , बाथरूम में गयी अच्छे से नहाया धोया और उसके बाद में उसने अपनी शकल को आईने में देखा | उसने कसम खा ली थी वासना के चक्कर में आज के बाद वह अपने शरीर की दुर्गति कभी नहीं करेगी | उसने कसम खाई थी कि आज के बाद कभी ऐसा नहीं करेगी इसके बाद उसने जितेश का बना नाश्फता खाया | फिर बिस्तर में लेट गई और सोचने लगी आखिर कब तक इस कमरे में बंद रहेगी | जाने से पहले जितेश उसे भरोसा देकर गया था कि वह जल्द से जल्द ही यहां से आजाद कराकर उसके घर पहुंचा देगा आखिरकार जितेश के भरोसे ही वहां पर निश्चिंत बैठ गई थी | इस बार जितेश ने रीमा को अच्छे से समझा दिया था कि बाहर से आने वाले किसी भी आदमी को चाहे वो गिरधारी ही क्यों न हो वह दरवाजा ना खोले | जितेश को शक था कि गिरधारी रीमा को परेशान कर सकता है इसलिए उसने सख्उत हिदायत दी थी कि गिरधारी को वो जवाब भी न दे अगर वो बाहर असे आवाज लगाये | इधर गिरधारी ने रात को जोश जोश में कुछ ज्यादा ही कोकीन चाट ली थी और अपनी झोपड़ी से अपने घर चला गया था | वो बीबी के साथ नहीं रहता था | बीबी के साथ वहां उसकी हाथापाई हुई और उसने बीबी को जमकर पीटा, फिर उसकी जमकर चुदाई करी | उधर रात भर हाय तोबा मचाने के बाद सुबह सुबह उसकी बीबी को उसकी जेब टटोलने का मौका मिल गया | उसकी जेब में पांच सौ की एक गड्डी निकल आई | बीबी की तो बांछे खिल गयी | वो शाम की सारी मार पिटाई भूल गयी | कोकीन का नशा अगली सुबह तक उतर गया था लेकिन बीबी ने उसे पकड़ लिया और दिन भर इधर उधर के घर के काम कराती रही | जब शाम को उसने फिर से अपने कपड़े पहने तो उसमे पैसे नहीं थे | उसने बीबी से पैसो के बारे में पुछा, तो उसने फिर से अपना पेटीकोट उठा दिया और बोली - चोदना हो तो फिर से चोद लो लेकिन उसमे से एक पाई नहीं लौताउंगी |

गिरधारी ने माथा पीट लिया, आखिर वो घर आया ही क्यों | उसका मूड ऑफ हो गया था | उसे पता था लड़ने झगड़ने का कोई फायदा नहीं, इसी रकम के लिए तो उसकी बीबी उसे बर्दाश्त कर रही है | उसका मन कसैला हो चूका था वो वहां से जाना चाहता था लेकिन बीबी ने नहीं जाने दिया | शाम को सजधज के उसे पकड़ बाजार चली गयी खरीदारी करने | वहां से वापस आने के बाद गिरधारी काम का बहाना मार कर वहां से निकलना चाहता था लेकिन उसकी बीबी उसे लेकर बिस्तर पर लुढ़क गयी | गिरधारी उसे नहीं चोदना चाहता था उसके खयालो में तो रीमा थी लेकिन मजबूरी थी | आखिर उसे अपनी बीबी की बात माननी ही पड़ी | इसी सब उधेड़बुन में वो जितेश को कालू की बात बताना भूल गया |



जितेश अपना काम ख़तम करके देर रात लौटा | साथ में खाना बाहर से ही पैक करा लाया था | उसे पता था रीमा ने दिन में सिर्फ फल फ्रूट से काम चलाया होगा |

इधर शाम होते-होते सूर्यदेव काफी निराश हो गया था, जितेश की तरफ से कोई जवाब नहीं आया था, ऊपर से उन चारो ने भी कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई थी | उसे लग रहा रीमा मिलेगी नहीं लेकिन वह हार माने वालों में से नहीं था | उसके उम्मीदे धूमिल हो चुकी थी लेकिन फिर भी उसे कोशिश जारी रखनी थी |



अगले दिन जितेश को कस्बे में कुछ काम था इसलिए जल्दी से तैयार होकर बाहर जाने की तयारी करने लगा | रीमा अभी तक सो रही थी | अब वो पहले से बहुत बेहतर थी |

जितेश रीमा को जगाता हुआ - मुझे कुछ काम है, मुझे पैसे भिजवाने है माँ बाप को तो मै पोस्ट ऑफिस से मनी आर्डर करके आता हूँ | मै दोपहर तक आ जाऊंगा |

जितेश बाहर जाने से पहले अपना सामान इकठ्ठा करने लगा | तभी दरवाजे पर दस्तक हुई | सामने से दरवाजे पर दस्तक, इस वक्त कौन हो सकता है | जितेश के कान खड़े हो गए | रीमा ने खुद को सर से ढक लिया | जितेश दरवाजे के पास गया |

धीमी आवाज में बोला - कौन |

उधर से आवाज आई - आसमान से गिर खजूर में अटके, लेकिन खजूर पक गए है |

ये आवाज गिरधारी की थी | जितेश का अपने आदमियों को पहचानने और बातचीत करने का एक तरीका था | दरवाजा खोलने से पहले जितेश ये तसल्ली कर लेना चाहता था की गिरधारी अकेला ही आया है |

जितेश - कितने खजूर पके है |

गिरधारी - हुजुर अभी केवल १ ही खजूर पका है |

जितेश - रंग क्या है |

गिरधारी - लाल है हुजुर |

लाल रंग का मतलब था कोई अर्जेंट काम है |

उसने आइस्ते से दरवाजा खोला और बाहर निकल गया |

गिरधारी - बॉस अन्दर ही चलकर बात करते है न |

जितेश - नहीं अन्दर मैडम सो रही है | जल्दी बक क्या अर्जेंट काम है और इससे पहले हमें कोई देख ले फुट ले यहाँ से |

गिरधारी - सूर्यदेव आपसे मिलना चाहता है |

जितेश - क्यों ?

गिरधारी - मैडम को लेकर |

जितेश - क्या बकवास कर रहा है |

गिरधारी - उसका आदमी आया था, बोला आपकी बात करा दो, ये नंबर दिया है | इस पर बात कर लेना | दो दिन के अन्दर मैडम को ढूंढ के लाने वाले को पैसे भी देगा , कल आपके पास आ नहीं पाया बीबी जोंक की तरह चिपक गयी थी |

जितेश - उन्हें पता कैसे चला रीमा मैडम मेरे यहाँ है |

गिरधारी - बॉस वो मैडम को ढूढ़ने में आपकी मदद चाहते है लेकिन वो आपके पास है ये उन्हें नहीं पता है |

जितेश - तुझे कैसे पता |

गिरधारी - उनकी बातो से लग रहा था सूर्यदेव की फटी पड़ी है | १० लाख देने को तैयार है | मुझे विनोद, रहीम का संदेसा भी आया था | साकी और गुड्डू का पता नहीं लेकिन कालू उनसे भी यही बात कर रहा है | कुछ सीरियस मामला है मुझे तो लगता है बॉस आपको एक बार सोचना चाहिए |

जितेश - नहीं मै रीमा को किसी खतरे में नहीं डालूँगा |

गिरधारी - बॉस एक बार सोचो तो सही, १० लाख के लिए हमें चार पांच लोगो को मौत के घाट उतारना पड़ेगा |

जितेश - बकवास करेगा तो पिटेगा फिर से | साले १० लाख के लिए मै मैडम को उस जानवर के हवाले कर दू |

गिरधारी भी झल्लाता हुआ - मैडम को किसने कहाँ देने को | बॉस उसने हरामी ने आपकी जान लेने की कोशिश की थी बदला लेने का अच्छा मौका है |

जितेश ने गिरधारी की तरफ घूर कर देखा - कही तूने मैडम के बारे में तो जबान नहीं खोली |

गिरधारी - बॉस आप मुझ पर शक कर रहे हो | नहीं बॉस कैसी बात करते हो मर जाऊंगा लेकिन जुबान नहीं खुलेगी | मेरी वफादारी पर मत शक करो | आप जानते हो मुझे |

जितेश - हम सूर्यदेव के पचड़े में क्यों पड़े | विलास उसकी मरेगा तो मारे |

गिरधारी - बस आपको नहीं लगता सूर्यदेव को मजा चखने का सही वक्त है ऊपर से 10 लाख मिल रहे हैं एक बार सोच लो ठंडे दिमाग से सोचो | और मारना मत मुझे |

जितेश - मुझे वजह पता होनी चाहिए आखिर वह मुझसे मिलना क्यों चाहता है इसके बिना मैं मुझसे मिलने नहीं जाऊंगा ठीक है |

गिरधारी - बॉस तो वो नंबर है न कालू से बात कर लेते है |

ठीक है तू पीसीओ पंहुच मै आता हूँ | ज्यादा देर तक यहाँ खड़े होना ठीक नहीं है |
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Re: Adultery वासना की मारी औरत की दबी हुई वासना

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जितेश, विनोद, रहीम, साकी और गुड्डू पिछले कई सालों से सूर्यदेव के लिए काम करने थे | सूर्यदेव के लालच और अविश्वास और कुछ अपने व्यक्तिगत कारणों से पांचो बहुत ही बेहतरीन आदमी उसका साथ छोड़ गए थे | हालाँकि सूर्यदेव ने बारी बारी से उन पर हमला कराकर बात को और बिगाड़ दिया था | अब वो सब बेहद सतर्क रहते थे |



इधर जितेश नाश्ता करने लगा | रीमा उठकर बाथरूम में चली गयी | जितेश पोस्ट ऑफिस का काम पहले निपटाना चाहता था | इसलिए उसे गिरधारी की बात में ज्यादा दिलचस्पी नहीं थी |

जितेश ने नाश्ता खतम ही किया था | गिरधारी ने दुबारा दरवाजे पर दस्तक दी है |

गिरधारी - हुजुर खजूर तोड़ लाया हूँ, आकर खा लीजिये |

जितेश ने फटाफट दरवाजा खोल कर बाहर आ गया |

जितेश - क्या अपडेट है |

गिरधारी बोला - बॉस मामला मैडम का ही है असल में सूर्यदेव की फट के हाथ में आ गई है सुना है कोई एक विलास नाम का माफिया है जो शहर में रहता है और उसके बेटे की अभी कुछ दिन पहले मौत हो गई थी और उसमें उसके लिए उसने सुरुज देव को जिम्मेदार ठहराया है लेकिन उसकी मौत में और मैडम के बीच कुछ कनेक्शन है इसीलिए सूर्यदेव को लगता है कि मैडम ने उस लड़के को मारा है और इसीलिए वह चाहता है कि जल्दी से जल्दी वह मैडम को ढूंढकर विलास के हवाले कर दो समस्या यह है कि मैडम कहां है यह किसी को नहीं पता वह बहुत हैरान है कि आखिर मैडम ऐसे कैसे गायब हो गई उन्हें जमीन निगल गई या आसमान खा गया इसीलिए उसने पिछले कुछ दिनों से दिन-रात करके अपने सारे आदमियों को लगा रखा है लेकिन मैडम का पता नहीं चला है क्योंकि वह तो मेरे बॉस के कब्जे में है अब वह आपसे मिलना चाहता है |



जितेश - लेकिन उसे कैसे पता कि मैडम मेरे कब्जे में है |

गिरधारी - बॉस मैंने पता लगाया है वहीं इसलिए नहीं मिलना चाहता है कि उसे पता है कि मैडम आप के कब्जे में है वह इसलिए मिलना चाहता है क्योंकि उसके आदमी मैडम को ढूंढ नहीं पा रहे हैं इसलिए वह अपने उन पुराने बेहतरीन आदमियों को फिर से बुला रहा है इसमें से आप भी शामिल है बाकी चार को तो आप जानते ही होंगे |

जितेश - अच्छा वह सब भी आ रहे हैं|

गिरधारी - उनको भी उसने बुलाया हुआ है उसकी फटी पड़ी है बॉस | वो आयेगें या नहीं ये तो पता नहीं |



गिरधारी - मुझे तो लगता है आपको जाना चाहिए 10 लाख कमाने का अच्छा मौका है और बदला लेने का अच्छा मौका है इस बार सब मिलकर उसे सबक सिखाते हैं उसकी वजह से मेरा हाथ अपाहिज हो गया | रही बात मैडम की जो आपका फैसला होगा वह मुझे मंजूर होगा मैं उसमें आपके साथ हूं |

जितेश सोचने लगा | गिरधारी दरवाजे को ओट से रीमा की झलक पाने की असफल कोशिश करने लगा |
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Re: Adultery वासना की मारी औरत की दबी हुई वासना

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जितेश गिरधारी की आदत जानता था | उसकी आँखों में देख कर ही लगता था की रीमा के जिस्म की वासना बजबजा रही है | अपना पालतू था इसलिए जितेश ने इग्नोर किया |
जितेश - ठीक है ये फ़ोन रख मैं तुझे कुछ देर बाद फ़ोन करूंगा | याद रखना इस फ़ोन से और किसी से गप्पे मत मारना | निकल यहाँ से | गिरधारी रीमा को देखने की आखिरी कोशिश करता हुआ मुहँ ढक कर वहां से निकल गया |
जितेश ने दरवाजा बंद किया और तेजी से कपड़े पहने |
जितेश - मै कुछ काम से निकल रहा हूँ | ये दरवाजा बिलकुल मत खोलना | मै बाहर से ताला लगाकर जाऊंगा | मैंने अपना फ़ोन गिरधारी को दे दिया है और तुम्हे कोई जरुरत हो तो उसे फ़ोन कर लेना | वो आसपास ही मंडराता रहेगा |
रीमा - ठीक है |
जितेश कुछ सोचकर बेड के सिरहाने से एक चाकू उठाकर - ये तुमारी सुरक्षा के लिए है अपने पास ही रखना, मुझे लौटने में आधी रात हो सकती है | और गिरधारी को ज्यादा मुहँ मत लगाना, बहुत लीचड़ इंसान है | तुम्हें देखकर उसकी लार टपकने लगती है |
रीमा - तुम कहाँ जा रहे हो, यू समझो तुमारी आजादी का टिकट लेने | इसके बाद तुम यहाँ से सीधे अपने घर |
रीमा खुद हो गयी | उसको घर की याद आने लगी | इधर जितेश उसे क्या क्या समझा रहा था उसने सुना ही नहीं | बस हूँ हाँ करती रही | जितेश ने एक बैग उठाया अपने सारे हथियार लिए और तेजी से सामने के दरवाजे से निकल गया | बाहर जाते वक्त ताला लटका गया ताकि किसी को ये शक न हो की कोई अन्दर है |

रीमा घर की यादों में खो गयी, रोहित प्रियम उसका आलीशान घर, वो सारी सुख सुविधाए | हाय कहाँ इस नरक में फंस गयी | नाश्ता कर ही चुकी थी इसलिए जितेश के जाते ही बिस्तर पर लुढ़क गयी | अपने बारे में सोचने लगी | हाय रीमा तुमने ये क्या कर डाला, जो कुछ भी उसके साथ पिछले कुछ दिन में हुआ सब कुछ | कौन है जितेश, क्या लगता है तेरा जो उससे सारा जिस्म नुचवा लिया और वो उसका गन्दा सा नौकर ....... छी रीमा छी तुम्हे अपने आप से घिन नहीं आ रही है | क्या इसी दिन के अपने जिस्म को हर मर्द की परछाई से बचाती फिरती थी ताकि यहाँ दो जंगली जानवरों के खूंटो से अपना पूरा जिस्म नुचवा लो | ऐसे तो रंडियां भी अपना जिस्म नहीं नुचवाती | उनके अन्दर भी तोडा बहुत लिहाज होता है | आगे पीछे दोनों तरफ से दोनों छेदों की दुर्गति करवा ली | नासूर की तरह दुःख रहे है दोनों अब | रीमा की आँखों में आंसू थे और मन में बहुत गहरा डिप्रेसन | रीमा उठी और एक लोशन को अपने पिछली सुरंग में भरकर फिर से बिस्तर पर लेट गयी |
आपने अतीत और वर्तमान की तुलना करते करते कब उसकी नीद लग गयी उसे पता ही नहीं चला |
जब आँख खुली तो ४ बज रहे थे | भूख लगी थी नूडल्स बनाये | बस खाने जा रही थी तब दरवाजे पर दस्तक हुई |
बाहर गिरधारी था - साईकिल का पंचर बनवा लो |
ये कोड वार्ड था | रीमा समझ गयी | दरवाजे के पास आकर - क्या चाहिए ?
मैडम सुबह से मालिक ड्यूटी पर लगा गए, पंचर तो एक नहीं बनवाने कोई आया लेकिन मै भूख के मारे पंचर हो गया हूँ |
रीमा - आगे तो ताला पड़ा है |
गिरधारी - कोई नहीं मैडम जो भी हो तैयार रखो बस मै पीछे से लेकर आ लूँगा |
रीमा - यहाँ अभी बस नुडल ही है, वो भी मेरे जरुरत भर का, उसमे तो बस मेरा पेट भरेगा|
गिरधारी - क्या ? आपने खाना नहीं बनाया क्या ?
रीमा - बनाने को कुछ है ही नहीं, तुम कही बाहर ही जाकर कुछ खा लो |
गिरधारी - मैडम दुश्मन के आदमी सुबह से मुझे ही दूंढ रहे है मेरे हुलिया के कारन मुझे अब तक नहीं पहचान पाए है वरना कब का दबोच लिया होता |
रीमा - तो मै क्या करू ?
गिरधारी - कुछ तोड़ा बहुत दे दो, पेट में कुछ पड़ जाए बस |
रीमा - अभी तो बस यही है |
उधर से कोई आवाज नहीं आई | असल में गली में किसी को आता देख गिरधारी आगे बढ़ गया था |
रीमा ने एक दो बार आवाज दी फिर लौट कर नूडल्स खाने लगी |
कोई १० मिनट बाद पीछे की तरफ से दस्तक हुई |
रीमा चौंक गयी | वो कुछ बोली नहीं डर के मारे उसका दिल धकधक करने लगा |
उधर से आवाज आई - मैडम मै पंचर वाला |
रीमा थोड़ा सा जोर डालने पर गिरधारी की आवाज पहचान गयी | वो झोपड़ी के दक्षिण पश्चिम कोने से आवाज दे रहा था | ये कोना मुख्य दरवाजे के ठीक उलट है | रीमा उस कोने के पास आई |
गिरधारी - बाहर बहुत गर्मी है पूरा हलक सुख गया है कुछ पानी और खाने को दे दो | रीमा नूडल्स चट कर चुकी थी |
रीमा - खाने के लिए कुछ नहीं है |
गिरधारी - अरे मैडम देख लो |कुछ फल फलारी काजू मेवा कुछ तो पड़ा होगा | बॉस ने कही न कही कुछ तो रखा होगा |
रीमा को ड्राई फ्रूट याद आ गए | वो एक बोतल में पानी और एक कटोरी में खजूर लेकर आई |
रीमा - लेकिन तुम लोगे कैसे ?
गिरधारी - मैडम बाथरूम में जिस तरह पानी निकलता है उस छेद से बोतल और खजूर पास कर दीजिये | मै कूड़े वाला हूँ कूड़ा समझ बीन लूँगा |
रीमा गिरधारी का जवाब सुनकर हैरान रह गयी | मन ही मन सोचा कैसे जीते है ये लोग |
रीमा वापस आई खजूर को अच्छे से तीन बार पन्नी में पैक किया फिर पानी की बोतल और खजूर एक बड़ी पन्नी में पैक करके उस पर रबर लगा दी | लेकिन जब बाथरूम गयी तो वहां बम्मुश्किल पानी की बोतल भर का छेद था | रीमा ने सारी पैकिंग वापस खोली और फिर एक एक कर खजूर बोतल में डाल दिए | बमुश्किल १०-१२ खजूर ही उसमे भर पाई | बाकि उसमे पानी भरा था | इसके बाद उसके ऊपर पन्नी की एक परत चिपकाकर नाली के जरिये बाहर की तरह खिसका दी | फिर दक्षिण पश्चिम कोने में आकर बोली - जाकर बोतल उठा लो |
गिरधारी - ठीक है मैडम, वैसे कुछ सब्जी वगैरह लाना हो तो बता दो, अँधेरा ढलते ही दे जाऊंगा |
रीमा - नहीं मैंने नूडल्स खा लिए है | अभी तो भूख नहीं है, अब मै नहाने जा रही हूँ | तुमारे पास नंबर तो है न, मै फ़ोन कर दूँगी |
गिरधारी - मुझे बेड के बायीं ततरफ एक सिगरेट की डिब्बी रखी है वो भी उधर ही फेंक देना छेद से | मैडम एक बात पूछु बुरा मत मानना, |
रीमा - बोलो |
गिरधारी - अभी शाम होने जा रही अभी तक आप नहाई नहीं है |
रीमा - नहीं, थोडा सुस्ती लग रही थी, शरीर भी दुःख रहा था इसलिए लेट गयी थी तो नीद आ गयी |
रीमा को सिगरेट की डिब्बी ढूढ़ने में कुछ टाइम लगा | सिगरेट की डिब्बी भी पन्नी में लपेटकर रीमा ने बाथरूम की तरफ से बाहर खिसका दी | हालाँकि जब वो उसके ऊपर पन्नी लपेट रही थी तब उसमे से लोहे की आवाज आ रही थी |
रीमा वापस उसी कोने में आकर - क्या था उस डिब्बी |
गिरधारी - कुछ नहीं मैडम बस हमारे गोला बारूद भण्डार की चाभी है | बॉस का फ़ोन आया था कुछ हथियार ले जाने है अँधेरा होते ही |
रीमा - कोई खतरे की बात तो नहीं |
गिरधारी - नहीं मैडम ये तो हमारा रोज का काम है | अब आप नहा लो | आपका जिस्म का सारा दुःख दर्द दूर हो जायेगा | वैसे मैडम इतनी जबरदस्त चुदाई के बाद बदन तो दुखेगा ही, ऊपर से दो तरफा ठुकाई के बाद तो और भी हालत ख़राब हो जाती होगी | पता नहीं कैसे आप तो घंटे घंटे भर दो लंड आगे पीछे घोट लेती हो वो भी एक साथ | कमाल हो आप, यहाँ तो ससुरी औरते लंड चूत को छुवा नहीं की साली आसमान सर पर उठा लेती है इतना चीखती चिल्लाती है |

रीमा गिरधारी की बात सुनकर सन्न रह गयी, कुछ बोली नहीं | कुछ देर वही खड़ी रही | गिरधारी ने दो बार मैडम मैडम आवाज दी और फिर उसके जाने की आहट रीमा को सुनाई दी |
रीमा ने गिरधारी के जाने के बाद अपना बिस्तर सही किया फिर बर्तन धुले और फिर नहाने चली गयी | जितेश ने बोला था गिरधारी के मुहँ मत लगना इसलिए गिरधारी की बातो की रीमा ने इग्नोर करने की कोशिश की | रीमा ने बाथरूम में जाकर कपड़े उतारे और नहाने लगी | उसने दरवाजा भी ओट नहीं किया | रीमा ने खुद को खूब मल मल कर रगड़ कर साफ़ करना शुरू किया | ऊपर से नीचे तक | अपने छेदों में भी पानी भर भर कर साफ़ करने लगी | जितेश उसको बोल गया था की वो उसकी आजादी का टिकट लेने गया है | अब वो इस वासना के काले अध्याय को यही छोड़कर एक नयी शुरआत करने का संकल्प लेकर आगे बढ़ने को प्रतिबद्ध थी |
तभी रीमा को सामने वाले दरवाजे पर कुछ आहट हुई | जब तक वो अपनी विचरण करती तन्द्रा को भंग कर दरवाजे की तरफ ध्यान ले जाती तब तक दरवाजा खुल चूका था | रीमा के दिमाग में जितेश का नाम आया | शायद जल्दी आ गया होगा | रीमा ने बाथरूम का दरवाजा ओट कर लिया, और दराज से झांक कर देखने लगी |
दरवाजा जिस तेजी से खुला था उसी तेजी से बंद हो गया | उस आदमी के हाथ में दो थैले थी मुहँ ढका था, एक में सब्जी और एक में फल | रीमा सतर्क हो गयी, सुबह जितेश उसे एक तेज धार वाला चाकू देकर गया था | वो सुबह से ही उसे अपने लोअर के जेब में रखे हुए थी | लेकिन चूँकि इस वक्त वो नहा रही थी इसलिए उसकी शर्ट लोअर पैंटी तीनो बाथरूम में टंगे थे | रीमा ने अपने जिस्म पर तौलिया खीच के लपेटने की कोशिश की | लेकिन जल्दबाजी में तौलिया फर्श पर जा गिरी | रीमा जब तक तौलिया उठाकर अपने जिस्म को ढकती, वो शख्स सामने खड़ा था और उसने बाथरूम के मुड़े दरवाजा पूरा खोलते हुए , अपने दोनों हाथ के थैले रीमा को दिखाते हुए |
शख्स - ये देखो मैडम जी मै ढेर सारी सब्जी और फल ले आया हूँ, आप जल्दी सी कुछ न कुछ बना दो | अरे आप तो अभी तक नहा ही रही हो, वो भी बिलकुल नंगी होकर | कोई बात नहीं मुझसे कैसी शर्म, मैने आपके जिस्म को ऊपर से ही नहीं अन्दर घुस महसूस कर लिया | मुझसे काहे की हया शर्म |
रीमा अपनी तौलिया समेटती हुई, अपनी हडबडाहट छिपाने की असफल कोशिश करती हुई - तुम कौन गिरधारी ...... सामने से कैसे आ गए ..... ऊ ऊ धर तो ताला पड़ा था |
रीमा ने तपाक से जोर से बाथरूम का दरवाजा भिड़ा लिया | उसकी सांसे तेज तेज चलने लगी | कितना निश्चिन्त होकर नहा रही थी | ये कैसे अन्दर आ गया | रीमा की हालत काटो तो खून नहीं | गिरधारी ने उसे फिर से नंगा देख लिया | क्या सोचता होगा उसके बारे में | छी छी ........................... | उसे तो लगता होगा मै .................... (कुछ सोच नहीं पाई) |
koushal
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Re: Adultery वासना की मारी औरत की दबी हुई वासना

Post by koushal »

गिरधारी बिलकुल नार्मल दिखने की कोशिश कर रहा था, हालाँकि रीमा को नंगा देखकर उसके दबे अरमान जाग गए |
गिरधारी - मैडम जी ये थैले कहाँ रख दू |
रीमा को अभी भी समझ नहीं आ रहा था आखिर ये अन्दर आया कैसे ?

...................


उसने झटपट पैंटी पहनी और ब्रा पहनने ही जा रही थी की गिरधारी फिर से बाथरूम का दरवाजा खोल कर खड़ा था |

रीमा इस बार गुस्से से लाल हो गयी - ये क्या बतमीजी है | देख नहीं रहे हो मै कपड़े पहन रही हूँ |
गिरधारी भी थोड़ा ऊँची आवाज में- कुछ बना दीजिये, खाकर निकलना है हमको, बाद में फुर्सत से नहाती रहना | जब गया था तब से अब तक नहा ही रही हो मैडम, कमाल है वो भी पूरी की पूरी नंगी होकर | चड्ढी भी उतार देती हो नहाते वक्त | हमारे यहाँ तो औरते धोती पेटीकोट सब पहनकर नहाती है |
रीमा के पास गिरधारी की बातों का कोई जवाब नहीं था - दरवाजा बंद करो, कपड़े पहनकर आती हूँ |
गिरधारी - देखो मैडम हमको सब पता है आपके बारे में, हमको आप ये गर्मी मत दिखावो | बॉस को दिखाना, उनके साथ रात रात भर नंगी सोती हो, दिन में नंगी नहाती हो, कुछ देर हमारे सामने भी ऐसे रह जावो, क्या घट जायेगा |
रीमा - तुम बतमीजी की हद पार कर रहे हूँ | रीमा ने सिर्फ पैंटी पहनी थी ऊपर से तौलिया लपेटा था | गिरधारी की बातो से जोश में आकार बाकि कपड़े पहनना भूल गिरधारी से पिल पड़ी |
रीमा ने जोश में आकर गिरधारी को करारा झापड़ रसीद कर दिया - निकल बाहर यहाँ से मादरचोद, सुवर की औलाद गन्दी नाली का कीड़ा | तू होता कौन है मुझसे ऐसे बात करने वाला |
गिरधारी कुछ सोचकर रीमा का झापड़ बर्दाश्त कर गया |
रीमा पुरे जोश में थी, वो स्वाभिमानी रीमा जो कही कोने में दब गयी थी आज जाग गयी - निकल बाहर यहाँ से सुवर, साला तू अन्दर कैसे आया |
रीमा का चिल्लाना सुनकर गिरधारी तेजी से रीमा की तरफ भागा और उसका मुहँ हाथ से बंद कर दिया |
गिरधारी - साली कुतिया रंडी मुझ पर हाथ उठाती है | चिल्ला चिल्ला कर क्यों अपनी मौत बुला रही है | चुप हो जावो वरना सच में रंडी की मौत ही मारी जावोगी | अगर किसी को भनक भी लग गयी की इस लकड़ी के खोली में कोई है अभी सूर्यदेव के आदमी आग लगा देगें |
रीमा ने खुद को आजाद करने की कोशिश की लेकिन कामयाब नहीं हुई | मैडम मै आपको नुकसान नहीं पहुचाने आया हूँ | मैडम मै तो आपकी जान की इफाजत कर रहा हूँ | अगर आप चिल्लावोगी नहीं तो मै आपको छोड़ दूंगा |
रीमा ने सहमती जताई | गिरधारी ने रीमा के मुहँ पर से हाथ हटा लिया | इस छीना झपटी में रीमा की तौलिया अलग गिरी जाकर | रीमा के उन्नत उरोज पानी की ओस की बुँदे लिए सीने पर तने खड़े थे | रीमा ने भी तौलिया उठाकर जिस्म ढकने की कोशिश नहीं की |
रीमा गुस्से में उबलती हुई - क्यों आया है यहाँ और तेरे पास चाभी कहाँ से आई | क्या देखना चाहता है जिस्म में देख ले और जा यहाँ से |
गिरधारी - अरे मैडम आप तो गुस्सा हो रही है | मै तो बस ये कह रहा था बॉस के साथ रात रात भर नंगे चिपक कर सोती है, दिन में नंगे होकर नहाती है तो थोड़ी देर और ऐसे ही रह लीजिये | कुछ घट तो नहीं जायेगा आपका | हम भी अपनी हसरत पूरी कर ले आपको निहार कर | बस इतनी सी तो ख्वाइश है | हम इतने किस्मत वाले कहाँ जो बॉस की तरह आप हमें चोदने को मिलेगी | बस आपके नंगे जिस्म को देखकर थोड़ी आँखे सेक लेगें और चले जायेगे | आपके लिए जान पर खेल रहे है इतना तो आप कर सी सकती है |
गिरधारी ने एक गन्दी से लीचड़ हंसी निकाली |
रीमा अन्दर से दहसत से भरी थी लेकिन ऊपर से मजबूत दिखने की कोशिश कर रही थी - देख लिया, अब चल फुट यहाँ से |
गिरधारी - मन तो करता है दिन भर ऐसे ही देखता रहू |
रीमा गुस्से से भड़कती हुई - जाता है यहाँ से या फिर ......... |
गिरधारी भी लपककर आगे आ गया, इतना करीब की रीमा के उरोजो की नुकीली चोटियाँ बस गिरधारी के सीने को छूने भर को रह गयी थी - देखो मैडम ज्यादा लाल पीली मत हो वरना, यही पटक के रगड़ दूंगा, मुझे तो तुमारे कपड़े भी उतारने नहीं पड़ेगे, ऊपर से नीचे तक नंगी हो ही | ज्यादा जोश दिखावोगी तो फ्री फण्ड में अभी चुद जावोगी, दो बार लंड घुसेड़ के अभी सारी जवानी चूत के रास्ते पानी बनाकर निकाल दूंगा |

रीमा तो जैसे गिरधारी की धमकी से डर से सुख गयी, मुहँ की लार मुहँ में रह गयी हलक के नीचे नहीं उतरी | उसने ये तो सोचा ही नहीं था गिरधारी उसका रेप भी कर सकता है | पहली बार उसे गिरधारी से डर महसूस हुआ और वो अन्दर तक काँप गयी |

रीमा पीछे हटकर कांपती हुई बेड की तरफ बढ़ी | जितेश का दिया चाकू कहाँ रख दिया | उसे याद नहीं आ रहा था | जिस चाकू को वो साये की तरह सुबह से चिपकाये थी वो इस वक्त उसके साथ नहीं था |
गिरधारी - चुपचाप मेरे लिए नुडल्स बना दे खाकर चला जाऊंगा | इतना कहकर उसने थैले से सेब निकाला और बिना धोये खाने लगा |
रीमा - अपने आप बना ले मै तेरी नौकरानी नहीं हूँ |
गिरधारी ने टोन बदल दी - मैंने कब कहा आप नौकरानी है | आप तो मालकिन है हमारी | और मालकिन को खुस रखना नौकर की ड्यूटी है | उस दिन सेवा में कोई कमी रह गयी हो तो बताइए अभी पूरी कर दूंगा | मेरा घोड़ा आपकी मांद में सरपट दौड़ने को तैयार है |
रीमा कुछ नहीं बोली | चुपचाप जाकर बिस्तर बैठ गयी | गिरधारी भी नूडल्स बनाने चला गया | उसके बाद उसने इत्मिनान से नुडल्स खाए, रीमा ने अपनी जिस्म को ढकने की कोशिश की लेकिन गिरधारी ने धमका दिया, फिर भी रीमा ने सीने पर तौलिया लपेट ली | गिरधारी बार बार रीमा के जिस्म को घूरता, वो आया तो रीमा के जिस्म को देखकर अपनी ठरक मिटाने | लेकिन अब उसके अन्दर रीमा को भोगने की ठरक पैदा हो गयी | जब से उसने रीमा को धमकाया तब से रीमा शांत होकर बिस्तर पर बैठ गयी | इससे उसकी हिम्मत और बढ़ गयी | हालाँकि वो रीमा के साथ जबरदस्ती नहीं करना चाहता था, वरना जितेश उसे जिन्दा काट डालता | रीमा की रजामंदी के बाद जितेश उसका बाल बांका नहीं कर सकता था |
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