हाय रे ज़ालिम.......complete

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Rakeshsingh1999
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Re: हाय रे ज़ालिम.......

Post by Rakeshsingh1999 »

अपडेट - 3





पप्पू;अरे देवा तू कब आया।

देवा;अपना पसीना पोछते हुए बस अभी आया था तुझसे मिलने।

शालु;पप्पू बेटा ज़रा बांके की दूकान से शक्कर तो ले आ।

पप्पू;अभी लाया माँ।
तू जाना मत देवा मै बस अभी आया।

पप्पु के बाहर जाते ही शालु आगे बढ़ती है और चटाक से एक चाँटा देवा के गाल पे जड देती है।
कमिने तुझसे थोड़ा हँस बोल क्या ली तू तो हवस के भूखे कुत्ते की तरह उपर चढने लगा। रुक अभी तेरे माँ को तेरे बारे में बताके आती हुं।

देवा की तो जैसे गाण्ड ही फट गई थी वो शालु का हाथ पकड़ लेता है।
नही काकी वो मुझे पता नहीं क्या हो गया था। भूल हो गई मुझे माफ़ कर दो । आगे से ऐसे गलती दूबारा नहीं होंगी माँ से कुछ मत कहो।

शालु देवा का हाथ झटक देती है और घर के बाहर निकल जाती है।

देवा उसके पीछे पीछे दौडता है
वो दूबारा शालु को पीछे से पकड़ लेता है।
नही नहीं काकी आपको मेरी कसम माँ से कुछ मत कहो।

शालु;दूर हट कमिने इस बार माफ़ कर देती हूँ मगर आगे से ऐसी वैसी कोई हरकत मेरे साथ करने की सोचा भी न तो पूरे गांव के सामने तुझे नंगा कर दूंगी।

देवा;चुप चाप गाण्ड पे हाथ रखे वहां से चला जाता है।
उसने आज जोश में आके बहुत बडा भूल कर दिया था। जो मछली कुछ दिनों में चारा निगल लेती वो आज उसके मूरखता के कारण हाथ से छटक गई थी वो खुद को गालियां देता अपने घर पहुँच जाता है।

रत्ना;दरवाज़े पे देवा का इंतज़ार कर रही थी।
क्या हुआ बेटा क्यों बुलाये थे तुझे हवेली पर।

देवा;कुछ नहीं माँ सेठ की बेटी को कार चलाना सीखाना है तो सेठ ने ये काम मुझे दिया।

रत्ना;क्यूँ और कोई नहीं मिला उन्हें गांव में इस काम के लिए । तू ही क्यूं।

देवा;वो तुम सेठ से जाके पूछ लो मुझे भूख लगी है। कुछ खाने को दो पहले आते ही सवाल जवाब।

देवा का मुंह थप्पड से और मूड शालु के बातों से ख़राब था।
वो हाथ मुंह धोके खाना खाने बैठ जाता है।
ममता कहाँ है वो सामने बैठी रत्ना से पूछता है।

रत्ना;वो तो कब की सो गई।
क्या बात है बड़ा उखड़ा उखड़ा सा लग रहा है किसी ने कुछ कहा क्या तुझसे।

देवा;नहीं माँ वो पीठ में बहुत दर्द है।

रत्ना;तू खाना खाले मै तेरे पीठ की तेल से मालिश कर देती हूँ।

देवा खाने में मगन हो जाता है और रत्ना उसे देखते रहती है।
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Rakeshsingh1999
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Re: हाय रे ज़ालिम.......

Post by Rakeshsingh1999 »

खाना खाने के बाद देवा अपने कमरे में सोने चला जाता है आज वो बहुत थक गया था।
तभी वहां रत्ना सरसो के तेल की बोटल लेके आती है।

रत्ना;अरे तूने अभी तक कुर्ता नहीं उतारा चल जल्दी कर मुझे बर्तन भी साफ़ करने है।

देवा;कुरता (शर्ट) उतार के लेट जाता है।

रत्ना उसके पास बैठ जाती है और अपने हाथ में तेल लेके देवा के पीठ पे हलके नरम हाथों से मालिश करने लगती है।

उसे ऐसे बैठने में दिक्कत हो रही थी वो कुछ देर बाद देवा के कमर पर बैठ जाती है और दबा के मालिश करने लगती है।



देवा;आहह हाँ वहाँ बहुत दर्द हो रहा है माँ।

रत्ना;तू इतना काम क्यों करता है लल्ला थोड़ा आराम भी किया कर जब देखो अपने बापू की तरह खेत में लगा रहता है दुनिया में और भी बहुत से चीज़ें है।

देवा;जैसे।

रत्ना;तेरी बहन अब बडी हो गई है उसके लिए रिश्ते की बात चलाना है। मै तेरी माँ मुझे ...... ओ चुप हो जाती है।

देवा;गरदन मोड के उसकी तरफ देखता है तुम्हें क्या माँ।

रत्ना का चेहरा लाल हो जाता है।
मै क्या कह रही थी की मुझे दो तीन साड़ीयाँ ला दे तू बाजार से ।

देवा;हम्म ला दूंगा माँ। अगले हफ्ते शहर जाने वाला हूँ वहां से तुम्हारे लिए और ममता के लिए नए कपडे ला दूंगा बस।

रत्ना;धीरे धीरे देवा के पीठ की मालिश करते रही और कब उसे नींद लगी पता भी नहीं चला । जब सुबह उसकी आँख खुली तो वो खुद को देवा के बाहों में चिपके हुए पडी है देवा की एक टाँग रत्ना के जांघ के अंदर थी और देवा ने उसे अपने से चिपका रखा था।

रत्ना;देवा के चेहरे को देखती है उसे देख के साफ़ लगता था की वो गहरी नींद में है और ये जो कुछ हुआ सब नींद के कारण हुई घटना है।
किसी तरह रत्ना देवा के नीचे से निकलने में कामयाब हो जाती है ।
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Rakeshsingh1999
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Re: हाय रे ज़ालिम.......

Post by Rakeshsingh1999 »

एक घंटे बाद देवा की आँख खुलती है और वो नहा धोके बहार आँगन में आके बैठ जाता है वहां ममता भी बैठी हुई थी।

देवा;कहाँ ग़ायब रहती है । कल तो दिन भर दिखाई नहीं दी तू मुझे।

ममता ;अरे भैया वो मेरे सहेली है ना कुमारी उसी के घर पे थी कल उसकी शादी है न।

देवा;हम्म ज़रा माँ का भी घर में हाथ बटां दिया कर दिन भर सहेलीयों के साथ मटर गश्ती करती रहती है।

ममता ; देखो न माँ भैया मुझे हमेशा डांटते रहते है।

रत्ना; भाई है वो तेरा। पूरा हक़ है उसका तुझपे जो चाहे वो करे।

ममता; उह्ह्ह जो चाहे वो करे।

देवा;उठके खेतों की तरफ चल देता है और उसके पीठ पीछे रत्ना और ममता हंसने लगते है।




खेत में आज कुछ खास काम नहीं था देवा खेत के कुंऐ पर बैठा कल के घटना के बारे में सोच रहा था । उसका लंड पदमा के बारे में सोच सोच के फुंकार रहा था।

तभी उसे वहां पप्पू की बहन रश्मी आती हुई दिखाई देती है वो अपने गाए और बकरियाँ चराने देवा के खेत में लाई थी।

देवा;उसे आवाज़ देके अपने पास बुला लेता है।

रश्मी;एक हंस मुख और भोली भाली लड़की थी।
वो देवा के पास जाके कुंए पे बैठ जाती है । क्या बात है क्यों बुलाया।

देवा;आज तू बकरियाँ लेके आई है पप्पु कहाँ है।

रश्मी;भाई की तबियत ख़राब है वैध जी ने उसे आराम करने के लिए कहा है।

देवा; कल तू कहाँ थी।

रश्मी;तुझे पता है। कल न मै बापू के साथ शहर गई थी मैंने और नीलम ने ढेर सारी चूडियां कपड़े सब लाए शहर से।
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Re: हाय रे ज़ालिम.......

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देवा; एकदम बच्चों के जैसे खुश हो रही है जैसे पहले बारिश में कछवे और मेंढ़क खुश होते है।

रश्मी;देख देवा मुझे बच्ची मत बोल बच्ची नहीं हूँ मै बडी हो गई हूँ।

देवा;मुझे तो नहीं लगता।

शालु; अच्छा तू जैसे बहुत बड़ा हो गया है। तू भी तो बच्चा है।

देवा : मैं तो बड़ा हो गया हूँ और ये बात मै साबित भी कर सकता हूँ पर तू बडी हो गई है ये तू साबित नहीं कर सकती।

रश्मी; अच्छा कैसे साबित करेंगा की तू बड़ा हो गया है।

देवा;अपना कुर्ता निकाल देता है।
देख मेरे सीने पे कितने सारे घने बाल है ऐसे बाल तेरे बापू के सीने पर भी होंगे तेरे बापू बड़े है इसका मतलब मै भी बड़ा हो गया हुं।
तूने किसी बच्चे के सीने पे बाल देखे है।

रश्मी देवा को ऐसे हालत में देख के घबरा जाती है और उठ के खडी हो जाती है ।
अच्छा मै चलती हूँ।

देवा;हाहहह जा जा बच्चे घर जा माँ का दूध पी जा।

रश्मी; देवा पे झपट पडती है । तुझे मैंने कहा न मुझे बच्ची मत बोल । अब देख तेरी क्या हालत करती हूँ।

रश्मी;एक कमसीन कोमल लड़की और कहाँ एक हट्टा कट्टा जवान देवा ।
देवा;उसे ऐसे घुमा के अपने जांघ पे बैठा देता है की रश्मि सकपका जाती है।

रश्मी;छोड मुझे घर जाने दे।

देवा;एक हाथ से रश्मि के कड़क चुचे दबाने लगता है।और अपने होंठो से रश्मि के रसीले होंठो को चूमने लगता है।जब देवा के मर्दाने हाथ रश्मि की दोनों कड़क नुकीली चूचियों को बुरी तरह मसलने लगते है तभी...

रश्मी;आहह कमिने छोड क्या कर रहा है।

देवा;देखने दे ना तू बच्ची है या सच में बडी हो गई है।

रश्मी;छोड दे वरना माँ को कह दूंगी।

शालु;का नाम सुनके देवा झट से रश्मि को छोड देता है और रश्मि वहां से भाग जाती है।
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देवा;खेत के कुछ काम निपटाके जागीरदार की हवेली के तरफ चल देता है ।

जब वो हवेली पहुंचता है तो उससे पदमा कपडे धोते हुए दिखाई देती है।

पदमा;देवा को देख खुश हो जाती है।
अरे देवा तू इस वक़्त।



देवा;वो मालकिन को गाड़ी सीखाना है ना ।
पानी में गीला हुआ पदमा का बदन देख देवा के लंड में एक ज़ोर दर झटका आता है और वो पेंट के ऊपर से लंड को सहलाने लगता है।

समने खड़ी पदमा भी अपनी चूत को साडी के ऊपर से सहलाते हुए कहती है।

पदमा;दोनों मालकिन तो मालिक के साथ पास वाले गांव गए है उनके किसी रिश्तेदार से मिलने।

देवा;तो क्या तुम घर पर अकेली हो।

पदमा;कोई जवाब नहीं देती और मुड के झुक जाती है और अपनी गाण्ड हिलाके देवा को जैसे कह रही हो हाँ ।

देवा;पीछे से जाके पदमा को अपने बाहों में भर लेता है।

पदमा;आहह रे ज़ालिम कल से तूने मुझे नशा चढ़ा के रखा है उतार देना ।



देवा;दोनों हाथों से पदमा के मोटे मोटे चुचियाँ मसलते हुए आह्ह्ह्हह्ह।
काकी आज इन आमों का सारा रस पीला दो मुझे आहह्ह्ह्ह।

पदमा;तू अंदर जा मै अभी आती हूँ।

और देवा लंड को सहलाता हुआ हवेली के अंदर चला जाता है।

वो एक कमरे में चला जाता है जो शायद रानी का था।

थोड़ी देर बाद पदमा वहां आती है।


उसे देखते ही देवा अपना कुर्ता उतार के फ़ेंक देता है कल से उसका लंड उसके वश में नहीं था।

पदमा झुक के बिस्तर ठीक करने लगती है।

देवा से बर्दाश्त करना मुश्किल हो रहा था।वो पदमा के मोटे मोटे भरे हुए कमर देख के खुश हो जाता है।



देवा;आगे बढ़ता है और पदमा को पीछे से पकड़ के उसके साडी के ऊपर से अपना लंड उसकी कमर के बीच के दरार में घीसने लगता है।

पदमा का पूरा जिस्म काँपने लगता है।
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