Adultery * * * * *पाप (30 कहानियां) * * * * *

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rajaarkey
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* * * * *सिलसिला* * * * *

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27 सिलसिला




कहते हैं के दो चीजें इंसान चाहे जितनी कोशिश करे, कभी छुपा नहीं सकता। पहली चीज है कूड़ा, कचड़ा, टट्टी, और दूसरी चीज होती है झूठ। और वजह दोनों के पीछे एक ही है, दोनों चीजें बदबू मारती हैं। कोई भी इस बदबू को ज्यादा वक्त तक छुपाकर नहीं रख सकता और अगर ऐसा करने की कोशिश करे, तो वो बदबू एक लंबे अरसे तक खुद ही सूंघनी पड़ती है। इंसान एक झूठ बोलता है, फिर उसे छुपाने के लिए दूसरा झूठ, फिर तीसरा और झूठ बोलने का ऐसा सिलसिला शुरू हो जाता है जिससे निजात सिर्फ सच बोलकर ही पाई जा सकती है, पर कभी कभी ऐसा करने के लिए भी बहुत देर हो चुकी होती है।


एक ऐसा ही खेल किश्मत ने मेरे साथ भी खेला। 10 साल पहले एक मनहूस रात को मैंने एक गलती की और सबकी नजर से उसको छुपा तो लिया पर फिर मेरी अपनी करतूत मेरे सामने इस तरीके से आ खड़ी हुई की मैं चाह कर भी कुछ कर नहीं सकता था। उस रात की मेरी गलती ने एक ऐसा अटूट सिलसिला शुरू कर दिया था जिसे मैं लाख कोशिशों के बाद भी रोक नहीं पा रहा था।


क्या करूँ, क्या ना करूं, सर पकड़े आँखें बंद किए बैठा यही सोच रहा था की दीवार पर टंगी पुराने जमाने की घड़ी ने ग्यारह बजाए और घंटे की आवाज पूरे घर में गूंजने लगी।

वक्त हो चुका है...” मैंने दिल ही दिल में सोचा।

इतने ध्यान से क्या सोच रहे हो..” उसकी मीठी सुरीली आवाज़ मेरे कान में पड़ी।

सर उठाकर मैंने अपनी आँखें खोली और उसकी तरफ देखा। वो मेरे सामने बैठी मुश्कुरा रही थी।

“सर में दर्द है... दबा दें... अपने उसी फिकर करने वाले अंदाज में प्यार से पूछा।

मैंने मुश्कुराते हुए इनकार में गर्दन हिला दी।

हम दोनों मेरे मनाली के पास ही एक छोटे से हिल स्टेशन में बने घर में बैठे थे। ये बंगलो मैंने 12 साल पहले खरीदा था और अक्सर यहाँ आता रहता था। आसमान में चाँद पूरे नूर पर था और हम दोनों बड़ी सी बाल्कनी में लगी हुई डिनर टेबल पर बैठे थे।


“खाना ठंडा हो रहा है जान...” उसने प्लेट मेरी तरफ बढ़ते हुए कहा- “खा लो... खीर फिर से ठंडी हो गई है, मैं गरम कर लाऊँ?”

नहीं रहने दो...” मैंने कहा- “मुझे ठंडी ही पसंद है...”

खीर, दिल ही दिल में मैं सोच रहा था, हमेशा की तरह।

पिछले 10 साल में वक़्त ने उसको जरा भी नहीं बदला था। वो आज भी वैसी थी। लंबे घने काले बाल, तीखे नैन नक्श, गोरा रंग, भारी भारी छातियां, लंबा कद। आज भी किसी 20-22 साल की लड़की की तरह प्यार लफ्ज़ में कितना भरोसा रखती थी। वो सब कुछ थी जो एक मर्द को चाहिए होता है पर पता नहीं मुझे उससे ज्यादा और
क्या चाहिए था। मैंने एक हाथ से अपने कोट की पाकेट चेक की। उम्मीद के मुताबिक ही मेरी। 45 रिवाल्वर मेरी जेब में थी, लोडेड।


खाना खतम करके उसने प्लेट्स हटाई और अंदर किचन में रखकर आ गई। आते आते उसने म्यूजिक सिस्टम पर एक स्लो रोमँटिक धुन लगा दी और वाल्यूम इतना कर दिया की हमें बाहर तक आवाज आए।

कम डान्स विद मी..." आते हुए उसने अपना हाथ मेरी तरफ बढ़ाया।

बट वी जस्ट आते..” मैंने मुश्कुरा कर जवाब दिया।

सो... कम ओन...” मेरा हाथ पकड़कर उसने खींचा। मैं जानता था की वो ऐसा करेगी इसलिए उसकी कोशिश करने से पहले ही उठकर खड़ा हो गया।

“हैव यू रियली, लव्ड आ वुमन...” ब्रयान आडम्स की आवाज आ रही थी और हम दोनों के जिश्म एक दूसरे से सटे हुए, बहुत करीब, धीरे-धीरे म्यूजिक के साथ हिल रहे थे। उसके दोनों हाथ मेरे कंधे पर थे और मेरे उसकी कमर पर। मेरे कंधे पर रखे उसके चेहरे की साँस की गर्मी में अपनी गर्दन पर महसूस कर रहा था, और हर साँस के साथ ऊपर नीचे होती उसकी छातियों को अपने सीने पर महसूस कर रहा था। घर के अंदर घड़ी ने। 12:00 बजाए। मैं जानता था की अब वो क्या कहेगी।

लेट्स गो टू द बेडरूम। मेक लोव तो में। आई वॉट तो सेलेब्रेट और आनिवर्सरी विद यू इनसाइड में...” कहते हुए वो हल्की सी ऊपर को उठी और अपने होंठ मेरे होंठो पर रख दिए।

कुछ पल बाद हम दोनों बेडरूम में खड़े एक दूसरे से लिपटे हुए थे।
“तुम्हारे बाल सफेद हो रहे हैं.” धीरे से उसने मेरे कान में कहा- “जवानी में बुड्ढे हो रहे हो। आई होप की बेड पर अब भी परफार्म कर सकते हो...” कहकर वो धीरे से हँसी, वही प्यारी सी हँसी की आवाज।

एक मर्द को और क्या चाहिए हो सकता है जो इसमें नहीं, मैंने दिल ही दिल में सोचा।


हव यू रियली लव्ड आ वुमन..” ब्रयान आडम्स के गाने की आवाज फिर आई और मैं सोचने पर मजबूर हो गया के डिड आई रियली लव हर।


उसने अपनी दोनों बाहें मेरे गले में डाल दो। शी लाइक्ड द स्ट्रॉग प्ले आफ माइ मसल्स।

लव , जान...” उसने धीरे से मेरे कान में कहा। जैसे की वो जानती हो की मैं क्या सुनना चाह रहा हूँ। यही वो लाइन थी जो उसने मुझसे 10 साल पहले कही थी और उसके बाद हर साल कहती आ रही थी पर मैं क्यों कभी उसको प्यार ना कर सका, ये मुझे कभी समझ नहीं आया।
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मैंने उसे अपनी बाहों में उठाया और बेड पर गिरा दिया। शी सैट देयर स्माइलिंग उप ऐट मी। शी वाज ब्यूटीफुल, एलिगेंट, ग्रेसफुल, गेंतल, काइंड और हाट, आल अट द सेम टाइम, एवेरिथिंग आई कुड वॉट इन आ वाइफ।
तो इसके अलावा और क्या चाहिए मुझे..” मैंने दिल ही दिल में सोचा और मेरा ध्यान कोट की जेब में रखी रिवाल्वर पर गया। मैंने अपना कोट उतारकर एक तरफ रखा और अपनी जिप नीचे की। मेरा खड़ा हुआ लण्ड
फौरन ही बाहर आ गया।

वो मेरा इशारा अच्छी तरह समझती थी। आखिर ये पहली बार तो नहीं था की हम एक दूसरे से प्यार कर रहे थे। मुश्कुराती हुई वो उठकर अपने घुटनों पर बैठ गई, अदा से अपनी जुल्फों को लहराते हुए एक तरफ किया
और मेरे लण्ड को अपने हाथ में पकड़ा।

उम्म.. हाँ..." मेरे मुँह से निकल पड़ा। उसके हाथ कितने ठंडे थे। एक नजर मैंने एसी के टेंपरेचर पर डाली।

यू आर सो हार्ड..” उसने कहा, और मुश्कुराते हुए मेरा लण्ड अपने मुँह में ले लिया। हर टंग रेस्ड अराउंड द थिक टिप आफ माइ लण्ड अंटिल शी वाज लिटरली ड्रिलिंग।।

वो कभी दूसरी लड़कियों की तरह आराम से नहीं चूसती थी, सीधा लण्ड मुँह में लेते ही ऐसे चूसने लगती थी की मुझे लगता था की उसके मुँह में ही छूट जाऊँगा। आनंद की एक अजीब सी लहर मेरे पूरे शरीर में दौड़ गई। मेरा लण्ड बेइन्तहा गरम हो चुका था और उसकी ठंडी गीली जीभ का टच एक अजीब सी उत्तेजना पैदा कर रहा था। खड़े खड़े मेरे पैर काँपने लगे और वो इशारा समझ गई। वो लण्ड और भी तेजी से चूसने लगी। कभी मुँह में लेती तो कभी अपने होंठ लण्ड पर फिराने लगती।
और देन हर फिंगर्स रीच्ड आउट और फाउंड माइ बाल्स। शी लाइट्ली केरेस्ड देम, फोंदलिंग देम और प्लेयिंग विद देम और इसने जैसे मेरे दिल-ओ-दिमाग में एक जादू सा पैदा कर दिया। जिस तरह से मेरा लण्ड उसके मुँह में झटके खा रहा था, उससे मुझे पूरा यकीन था की वो भी समझ चुकी थी की मुझे कितना मजा आ रहा था। मैंने अपने दोनों हाथों से उसके सर को पकड़ा और अपने पेट की तरफ खींची लिया। मेरा पूरा लण्ड उसके मुँह में गले तक उतर गया।


शी गैस्प्ड, फीलिंग द ब्लंट टिप आफ माइ काक बाउन्स आफ द रूफ आफ हर माउथ। शी स्वॉलोड हाई और देन माइ प्रिंक रेस्ड पास्ट हर टान्सिल्स।

मेरा खड़ा लण्ड उसके गले के अंदर तक उतर चुका था। एक पल के लिए उसने पीछे हटने की कोशिश की, शायद उसका दम घुटने लगा था, पर फिर वो धीरे से शांत हो गई और लण्ड के निचले हिस्से पर अपनी जीभ फिराने लगीं।

कुछ पल बाद वो पीछे को हुई और लण्ड मुँह से निकालकर लंबी लंबी साँस लेने लगी। देन शी टेन्स्ड हर जासऔर दांतो से मेरे लण्ड पर काटा। जिसमें मुझे तकलीफ होनी चाहिए थी उसमें भी मुझे मजा ही आया। आई गोंड... और शी इमीडीयेली सक्ड इट बक इन हर माउथ- “निकलने वाला है मेरा। बस करो, बस नहीं तो मुँह में ही निकल जाएगा। प्लीज...”

उसने लण्ड मुँह से निकाला और पीछे को होकर बैठ गई। मैंने आगे बढ़कर उसका हाथ पकड़ना चाहा पर वो तेजी के साथ पीछे होते हुए आराम से लेट गई और मेरी तरफ देखकर मुश्कुराने लगी। मैंने अपनी पैंट के बटन खोले और उसको उतार कर पूरी तरह नंगा हो गया। मुझे देखते हुए उसने भी अपने गाउन के स्ट्रैप्स अपने शोल्डर्स से खिसकाये और लेटे लेटे ही गाउन सरका कर अपने घुटनों से नीचे कर दिया। हमेशा की तरह वो नीचे से नंगी थी। गाउन के नीचे कुछ भी नहीं था।

फक मी नाउ...” उसने अपनी बाहें मेरी तरफ फैलाई- “लोव मी, चोदो मुझे...”

वो अच्छी तरह जानती थी की मुझे बिस्तर पर इस तरह की बातें कितना उत्तेजित करती थी और वो इनका इस्तेमाल करना भी बखूबी जानती थी। बिस्तर पर चढ़ता हुआ मैं उसके करीब पहुँचा। उसने अपनी टांगे धीरे से फैलाई और हवा में ऊपर को उठा ली।

मेरी चूत को तुम्हारे लण्ड का इंतेजार है। आ जाओ। चोदो मुझे..”

ये मेरे लिए बहुत से कहीं ज्यादा था। मेरा लण्ड पूरे जोश में आ गया और मैं फौरन उसकी टाँगों के बीच आ गया। लण्ड हाथ से पकड़कर उसकी चूत पर रखा।

गेट इन... इन वन शाट..” उसने नीचे से अपनी गाण्ड ऊपर को उठाई।

मैंने जोर से धक्का मारा और मेरा लण्ड उसकी गीली चूत में अंदर तक धंस गया।

आआअह्ह...” वो चिल्लाई- “भर दो मुझे। पूरी को भर दो..” लण्ड उसकी चूत में अंदर तक घुसाकर मैं उसके ऊपर झुका और उसके होंठ को चूमा पर उसने मेरे बाल पकड़ते हुए मेरे सर को नीचे अपनी छातियों की तरफ धकेल दिया।

सक देम..” किसी शेरनी की तरफ वो चिल्लाई- “चूसो इन्हें, काटो, मसलो। सक द लाइफ आउट आफ देम..”


मैंने उसका निपल अपने मुँह में लेकर चूसना शुरू कर दिया। मेरे बालों को पकड़े वो जैसे अपनी पूरी छाती मेरे मुँह में घुसाने की कोशिश कर रही थी।

आआअहहह..” वो चिल्लाई और नीचे से अपनी गाण्ड हिलाते हुए लण्ड अंदर बाहर करने की कोशिश करने लगी चोदो मुझे जान... जी भरके चोदो... आज आनिवर्सरी पर बोलो क्या चाहिए तुम्हें?”

मैं जानता था की अब वो क्या कहने वाली थी।

“बोलो क्या करना चाहते हो? मैं सब करूंगी आज की रात। तुम मेरी गाण्ड मारना चाहते हो ना... आई विल गिव यू माइ गाण्ड। टेल मी वाट एल्स डू यू वांट लवर..”

मैं दिल ही दिल में मुश्कुरा उठा। वो हमेशा यही कहती थी पर ऐसा करने की नौबत आई नहीं थी।

फक मीऽऽऽ...” मैंने हल्के से लण्ड बाहर खींचा तो वो फिर चिल्लाई।

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तभी बाहर लगी घड़ी में एक बजा।

लेट्स काउंट थे शाट्स...” वो फौरन बोली- “लेट्स सी इफ यू आर केपबल आफ 10,000 शाट्स इन माइ चूत। बोलो है दम...”

:

मैंने उसकी तरफ देखा और उसकी दोनों छातियों को पकड़कर नीचे से धक्के लगाने लगा। वो मेरे हर धक्के को गिन रही थी। एक... दो...

उस पूरी रात मैं उसको जानवरों की तरह चोदता रहा और वो ही हमेशा की तरह बिस्तर पर लगातार मेरा उस पर रात में की जानवरों की तरह चोदता रहा मुकाबला करती रही। थक कर हम दोनों बिस्तर पर लुढ़क गये और वो मेरी बाहों में आराम से लेट गई।

“कुछ सुनाऊं.” धीरे से वो मेरे कानों में बोली। मतलब मैं समझता था। उसकी तरफ देखकर मुश्कुराया और उसके होंठ चूम लिए।

सुनाओ...” मैंने कहा और वो एक गाजल सुनने लगी।


यूँ ना मिल हमसे, खफा हो जैसे, साथ चल, मौज-ए-सबा हो जैसे। लोग यूँ देखकर हँस देते हैं, तूने मुझे भुला दिया हो जैसे, इश्क़ को शर्क की हद तक ना बढ़ा, यूँ ना मिल हमसे, खुदा हो जैसे।। मौत आई भी तो इस नाज के साथ, मुझपे कोई एहसान किया हो जैसे। हिचकियां रात भर आती रही, तुमने मुझे याद किया हो जैसे। जिंदगी गुजर रही है इस तरह, बिना जुर्म कोई सजा हो जैसे। बाहर घड़ी 5 बजा रही थी।

"यू वान्ट सी द सनराइज...” मैंने उससे पूछा तो किसी छोटी बच्ची की तरह उसने फौरन हाँ में सर हिला दिया।

कम..” कहकर मैं बिस्तर से उठा और वो भी मेरे पीछे पीछे ही उठ गई।

तैयार होकर हम दोनों घर से निकले और थोड़ी देर चल कर एक पहाड़ के आखिरी छोर पर पहुँचे। मेरा घर जहाँ बना हुआ था वहाँ दूर दूर तक कोई और घर नहीं था। बस सुनसान सड़क के किनारे एक पहाड़ के ऊपर बना छोटा सा काटेज।

उसका हाथ पकड़े मैं पहाड़ के किनारे पर आकर खड़ा हो गया। हम दोनों के आगे अब एक गहरी खाई थी पर उसकी तरफ ना ध्यान उसका था, ना मेरा। सामने आसमान पर चाँद अब भी पूरा था और हल्की हल्की सूरज
की लाली भी फैलनी शुरू हो गई थी। ये एक ऐसा नजारा था जब आसमान पर रात का चाँद और सुबह का सूरज, दोनों एक साथ देखे जा सकते थे।

वो मुश्कुराते हुए पूरी दुनिया से बेखबर सामने आसमान की ओर देख रही थी। मैं दो कदम पीछे को हुआ और अपनी जेब पर हाथ रखा। रिवाल्वर अब भी मौजूद थी। मैंने जेब में हाथ डाला और रिवाल्वर बाहर निकली।।

वक़्त हो चुका है...” आसमान में उगते सूरज की तरफ देखते हुए मैंने सोचा।

“सारी जान... एक नजर उसपर डालते हुए मैं जोर से बोला।

वो मेरी तरफ पलटी।
मेरी उंगली ने रिवाल्वर का लीवर खींचा।


हवा में गोली की आवाज गूंजी।

रिवाल्वर से निकली गोली उसके माथे पर लगी और उसका खूबसूरत चेहरा बिगड़ गया। पीछे को झटका खाते हुए वो लड़खड़ाई और खाई में जा गिरी।




कुछ देर तक वहीं खड़ा मैं लंबी साँस लेकर अपने आपको शांत करता रहा। जब धड़कन काबू में आ गई तो मैंने आगे बढ़कर खाई में झाँका। नीचे पत्थर तो नजर आ रहे थे पर उसकी लाश का कहीं नाम-ओ-निशान नहीं था। वो तो जैसे गिरते हुए कहीं हवा में ही गायब हो गई थी। मैंने अपने हाथ की तरफ देखा। रिवाल्वर भी मेरे हाथ से गायब हो चुकी थी।

मौत आई भी तो इस नाज के साथ, मुझपे कोई एहसान किया हो जैसे..."

मुझे उसके कहे बोल याद आए और मैं पलट कर वापिस काटेज की तरफ चल पड़ा जहाँ पहुँचकर मुझे हर चीज फिर वैसे ही करनी थी जैसे की वो 10 साल पहले उस रात थी जब मैंने उसका खून किया था।

पर क्या सच में मैं उसे मार पाया था... वो हर साल इसी रात फिर जाने कहाँ से लौट आती थी, जाने कैसे लौट आती थी और ये रात ठीक उसी तरह चलती थी जैसे की 10 साल पहले चली थी।

वो खाना बनती थी, हम खाते थे, एक दूसरे को प्यार करते थे, सनराइज देखने आते थे और मैं हर सुबह उसका खून करता था। हर साल इसी रात वो जैसे अपनी मौत की कहानी दोहराने फिर चली आती थी। एक ऐसा सिलसिला जो खतम होने का नाम ही नहीं ले रहा था। एक ऐसी गलती जो की तो मैंने 10 साल पहले थी पर अब हर साल करनी पड़ रही थी।

ज़िंदगी गुजर रही है इस तरह बिना जुर्म कोई सजा हो जैसे..."

***** समाप्त *****
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