Adultery नेहा बह के कारनामे
- naik
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Re: नेहा बह के कारनामे
fantastic update brother keep posting
waiting for the next update
- mastram
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Re: नेहा बह के कारनामे
धन्यवाद आप सब का
मस्त राम मस्ती में
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भाई बहन,ननद भाभी और नौकर .......... सेक्स स्लेव भाभी और हरामी देवर .......... वासना के सौदागर .......... Incest सुलगते जिस्म और रिश्तों पर कलंक Running.......... घर की मुर्गियाँ Running......नेहा बह के कारनामे (Running) ....मस्तराम की कहानियाँ(Running) ....अनोखा इंतकाम रुबीना का ..........परिवार बिना कुछ नहीं..........माँ को पाने की हसरत ......सियासत और साजिश .....बिन पढ़ाई करनी पड़ी चुदाई.....एक और घरेलू चुदाई......दिल दोस्ती और दारू...
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- mastram
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Re: नेहा बह के कारनामे
बाप तो लग रहा था एक भूखा शेर है जिसको बरसों बाद खाने के लिए गोश्त मिल गया है। जब वो नेहा की पैंटी तक पहुँचा, तो पैंटी को ही चूसने लगा, जो भीग गई थी और बाप ने पैंटी के ऊपर से ही अपनी बेटी के रस को चूसना और पीना शुरू किया, और अपने लार और थूक से पैंटी को और भी भिगो दिया उसने। नेहा की तड़प और सिसक से कमरा गूंजने लगा था। फिर अपने दाँतों से पिता ने अपनी बेटी की पैंटी को उतारना शुरू किया। नेहा उस वक्त अपनी मुट्ठी में चादर को कसके भरके खींचने लगी। तब नेहा आँखों को खोलकर अपने पिता के चेहरे में उसकी खुशी और धीरज की इंतेहा को देखा जो आज एक मुद्दत के बाद अपनी बेटी को अपने बिस्तर पर लेटाकर पूरा कर रहा था।
नेहा को पता था कि उसके पापा उसके लिए कितना भूखे थे और नेहा ने सोचा के उसका कर्तव्य है अपने पापा को वो खुशी देना, क्योंकी वहाँ अपने ससुर को इससे भी ज्यादा खुशी दे चुकी थी। नेहा की तड़प बढ़ गई जब उसके पापा ने उसकी चूत की पंखुड़ियों को अपनी जीभ से अलग किया और जीभ को चूत के छेद के अंदर घुसेड़ा, उसका रस चाटने के लिए। फिर उसके रस को चूसते हुए उसकी गुलाबी चूत में पिता अपनी जीभ ठुसता गया, जो नेहा से बर्दाश्त नहीं हआ और वो तड़पते हए चीख पड़ी।
जल्द ही पिता ने अपने कपड़े उतारे, नेहा को भी नंगी किया और बिस्तर पर नेहा के ऊपर चढ़ गया। वो तब भी भूखा शेर ही दिख रहा था, जो अपनी मादा पर चढ़कर गुर्रा रहा था। नेहा उठ बैठी और बिना पूछे या कहे उसने अपने पिता के लण्ड को हाथ से पकड़ा तो पिता तड़प उठा जैसे उसको एक दर्द हआ हो, जिस समय उसकी बेटी का हाथ ने उसके लण्ड को थामा। वो एक खुशी भरा दर्द था। वो इस उम्र का हो गया था मगर कभी किसी ने उसके लण्ड को अपने मुँह में नहीं लिया था, आज बेटी द्वारा जिंदगी में पहली उसने अपने लण्ड को किसी के मँह में जाते महसस किया। क्या आलम था. क्या लम्हा था उसकी जिंदगी का यह बयान करना नाममकिन है।
नेहा को शायद पता था कि उसकी माँ ने कभी लण्ड नहीं चूसा था, अपने जिंदगी में। तो वो अपने पिता को यह खुशी भरपूर देना चाहती थी। उसने धीरे से पहले अपने पापा के लण्ड को हाथ से सहलाया और फिर धीरे-धीरे आराम से लण्ड के ऊपरी हिस्से पर अपने जीभ चलाया। जिससे बाप की तड़प की इंतेहा नहीं रही, उसका जिश्म काँप उठा और अपनी बेटी के सर को दोनों हाथों में थामकर आहें भरते हुए अपने लण्ड को बेटी के मुँह में घुसता देखने लगा।
नेहा ने लण्ड के ऊपर अपनी जीभ फेरा और उसको लण्ड के छेद पर गोल-गोल घुमाया, और लण्ड को अपने मुँह में ले लिया। नेहा सर हिलाते हुए अपने मुँह के अंदर-बाहर करने लगी और पिता कमर हिलाते हुए धकेलने लगा। उसको इतना मजा आया कि बस एक पल में झड़ने को आ गया
फिर थरथर काँपते हुए जिश्म से बाप गुर्राया- “बेटी, मैं झड़ने वाला हूँ उफफ्फ़... क्या कयामत है? क्या कर दिया तुमने मुझे? ऐसा पहले कभी नहीं हुआ मेरे साथ की इतनी जल्दी झड़ जाऊँ... आअघ्गगघह..” उसको लण्ड को बाहर निकालने का मौका ही नहीं मिला।
उसके वीर्य की पहली धार प्रेशर से सीधा नेहा के गले के अंदर गई, और बाकी के वीर्य को नेहा ने बाहर थूका। फिर अपने पापा के लण्ड को दोबारा चूसने लगी। उसके झड़ने के बाद, बाप के जिश्म में जैसे करेंट दौड़ रहा था, वो झटके खाने लगा था। वो अपने पंजे पर खड़ा हो गया जब उसके वीर्य के अंतिम कतरे नेहा के गले के अंदर ही गिरे, बाप को इतनी खुशी मिली कि उसको लगा कि जिंदगी में आज उसने पहली बार सेक्स किया है।
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नेहा को पता था कि उसके पापा उसके लिए कितना भूखे थे और नेहा ने सोचा के उसका कर्तव्य है अपने पापा को वो खुशी देना, क्योंकी वहाँ अपने ससुर को इससे भी ज्यादा खुशी दे चुकी थी। नेहा की तड़प बढ़ गई जब उसके पापा ने उसकी चूत की पंखुड़ियों को अपनी जीभ से अलग किया और जीभ को चूत के छेद के अंदर घुसेड़ा, उसका रस चाटने के लिए। फिर उसके रस को चूसते हुए उसकी गुलाबी चूत में पिता अपनी जीभ ठुसता गया, जो नेहा से बर्दाश्त नहीं हआ और वो तड़पते हए चीख पड़ी।
जल्द ही पिता ने अपने कपड़े उतारे, नेहा को भी नंगी किया और बिस्तर पर नेहा के ऊपर चढ़ गया। वो तब भी भूखा शेर ही दिख रहा था, जो अपनी मादा पर चढ़कर गुर्रा रहा था। नेहा उठ बैठी और बिना पूछे या कहे उसने अपने पिता के लण्ड को हाथ से पकड़ा तो पिता तड़प उठा जैसे उसको एक दर्द हआ हो, जिस समय उसकी बेटी का हाथ ने उसके लण्ड को थामा। वो एक खुशी भरा दर्द था। वो इस उम्र का हो गया था मगर कभी किसी ने उसके लण्ड को अपने मुँह में नहीं लिया था, आज बेटी द्वारा जिंदगी में पहली उसने अपने लण्ड को किसी के मँह में जाते महसस किया। क्या आलम था. क्या लम्हा था उसकी जिंदगी का यह बयान करना नाममकिन है।
नेहा को शायद पता था कि उसकी माँ ने कभी लण्ड नहीं चूसा था, अपने जिंदगी में। तो वो अपने पिता को यह खुशी भरपूर देना चाहती थी। उसने धीरे से पहले अपने पापा के लण्ड को हाथ से सहलाया और फिर धीरे-धीरे आराम से लण्ड के ऊपरी हिस्से पर अपने जीभ चलाया। जिससे बाप की तड़प की इंतेहा नहीं रही, उसका जिश्म काँप उठा और अपनी बेटी के सर को दोनों हाथों में थामकर आहें भरते हुए अपने लण्ड को बेटी के मुँह में घुसता देखने लगा।
नेहा ने लण्ड के ऊपर अपनी जीभ फेरा और उसको लण्ड के छेद पर गोल-गोल घुमाया, और लण्ड को अपने मुँह में ले लिया। नेहा सर हिलाते हुए अपने मुँह के अंदर-बाहर करने लगी और पिता कमर हिलाते हुए धकेलने लगा। उसको इतना मजा आया कि बस एक पल में झड़ने को आ गया
फिर थरथर काँपते हुए जिश्म से बाप गुर्राया- “बेटी, मैं झड़ने वाला हूँ उफफ्फ़... क्या कयामत है? क्या कर दिया तुमने मुझे? ऐसा पहले कभी नहीं हुआ मेरे साथ की इतनी जल्दी झड़ जाऊँ... आअघ्गगघह..” उसको लण्ड को बाहर निकालने का मौका ही नहीं मिला।
उसके वीर्य की पहली धार प्रेशर से सीधा नेहा के गले के अंदर गई, और बाकी के वीर्य को नेहा ने बाहर थूका। फिर अपने पापा के लण्ड को दोबारा चूसने लगी। उसके झड़ने के बाद, बाप के जिश्म में जैसे करेंट दौड़ रहा था, वो झटके खाने लगा था। वो अपने पंजे पर खड़ा हो गया जब उसके वीर्य के अंतिम कतरे नेहा के गले के अंदर ही गिरे, बाप को इतनी खुशी मिली कि उसको लगा कि जिंदगी में आज उसने पहली बार सेक्स किया है।
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- mastram
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Re: नेहा बह के कारनामे
बाप ने नेहा को अपने बगल में लेटाया, जोर से उसको अपने सीने से चिपकाए। दोनों नंगी हालत में थे और पिता बोला- “बेटी, तुमने पापा को बहुत जबरदस्त मजा दिया आज, मैं 57 साल का हो गया हूँ और आज तक किसी भी औरत ने मेरे लण्ड को अपने मुँह में नहीं लिया था। बहुत ही मजा और अजीब सुकून मिला मुझे, मेरी दुलारी बिटिया तुमने पापा को इतना खुश किया कि समझ में नहीं आता कि मैं कैसे इजहार करूँ? शुक्रिया मेरी लाडली, बहुत-बहुत शुक्रिया... तुमने आज पापा को वो खुशी दी है जो शायद कोई नहीं दे पाता कभी..."
नेहा अपने पिता की छाती पर वहाँ के बाल पर अपनी उंगलियों को फेरते हुए पूछा- “पापा, माँ ने ऐसा कभी नहीं किया था आपके साथ?"
पापा ने जवाब दिया- “नहीं मेरी जान, तुम्हारी माँ बहुत पुराने खयालात वाली औरतों में से है, तुमको तो पता ही है। उसके साथ एक अच्छी लिप-किस करना भी मुश्किल है। मैं तो सिर्फ कल्पना करता था कि कोई औरत मेरे लण्ड को चूस रही है, तुमने आज मेरा एक सपना पूरा कर दिया मेरी नेहा बिटिया..."
नेहा ने जैसे एक बचकानी शरारती मुश्कान देते हुए अपने पापा की छाती पर किस किया, अपनी जीभ को छाती से उसके गले तक फेरा, उसके जिश्म के ऊपर चढ़ी, क्योंकी उस वक्त उसका पिता अपनी पीठ पर लेट गया था। नेहा ने अपने मुँह को बाप के मुँह से लगाया, होंठों से होंठ फिर से मिले और नेहा ने अपनी जीभ बाप के मुँह में डाला और दोनों एक दूसरे का रस पीने लगे और दोनों की जीभ एक दूसरे के मुँह में घुस गई और पूरे 5 मिनट तक वैसे ही रहे।
तब तक बाप का लण्ड फिर से खड़ा हो गया था तो उसने अपनी हथेली को नेहा की गाण्ड पर दबाया, और फेरा, उसकी दोनों टाँगों को फैलाया और अपने मोटे खड़े लण्ड को नेहा की गीली चूत पर जरा सा रगड़ा। फिर धीरे से उसकी चूत के अंदर घुसाया, बिल्कुल आराम से, धीरे से, बिना कोई जल्दी किए। और क्योंकी नेहा उनके ऊपर थी तो नेहा भी हिलने लगी, अपनी कमर की हिलाते हए और अपनी गाण्ड को उठक बैठक जैसे करते हए। अपने पंजे पर प्रेशर देते हुए नेहा ऊपर-नीचे हो रही थी अपने पापा के ऊपर, उसका पूरा नंगा जिश्म अपने पापा के जिश्म पर था, पापा का लण्ड नेहा की चूत के अंदर और नेहा का जिश्म ऊपर से नीचे बाप के जिश्म पर रगड़ रहा था, पापा की छाती पर रगड़ रही थीं और बाकी जिश्म के हिस्से भी, जाँघ, पेट, सब बाप के जिश्म पर पशीने में भीगे रगड़े जा रहे थे।
नेहा के उस तरह से ऊपर-नीचे उसके जिश्म पर रगड़ने से लण्ड उसकी चूत के अंदर-बाहर हो रहा था। बाप तब तक कोई भी जोर नहीं लगा रहा था, सब नेहा ही कर रही थी अपने पापा के लिए। पापा नेहा की नंगी पीठ को सहला रहा था, तब उसने नेहा की दोनों चूचियों को अपने मजबूत हाथ में थामा, और आपना मुँह नजदीक किया। फिर चूचियों एक-एक करके चूसने लगा।
नेहा के निप्पलों को भी मुंह में लेकर चूसा उसके पिता ने, जबकि नेहा लगातार अपने जिश्म को रगड़ती जा रही थी और कसमसा रही थी सिसकारियों के साथ। नेहा अपनी गर्दन को ऊपर की तरफ उठाकर छत को देख रही थी, अपने आक्सन को बरकरार रखते हुए। जब नेहा ने गर्दन को पीछे झटका तो उसके खुले बाल, सबके सब उसके पीठ पर फैल गये और उसकी खूबसूरती को चार चाँद लगा दिए, जिसको बाप निहारते जा रहा था। आज उसकी बेटी एक औरत बनकर उसको वो खुशी दे रही थी जो शायद ही कोई बेटी अपने बाप को देती हो।
नेहा अपने पिता की छाती पर वहाँ के बाल पर अपनी उंगलियों को फेरते हुए पूछा- “पापा, माँ ने ऐसा कभी नहीं किया था आपके साथ?"
पापा ने जवाब दिया- “नहीं मेरी जान, तुम्हारी माँ बहुत पुराने खयालात वाली औरतों में से है, तुमको तो पता ही है। उसके साथ एक अच्छी लिप-किस करना भी मुश्किल है। मैं तो सिर्फ कल्पना करता था कि कोई औरत मेरे लण्ड को चूस रही है, तुमने आज मेरा एक सपना पूरा कर दिया मेरी नेहा बिटिया..."
नेहा ने जैसे एक बचकानी शरारती मुश्कान देते हुए अपने पापा की छाती पर किस किया, अपनी जीभ को छाती से उसके गले तक फेरा, उसके जिश्म के ऊपर चढ़ी, क्योंकी उस वक्त उसका पिता अपनी पीठ पर लेट गया था। नेहा ने अपने मुँह को बाप के मुँह से लगाया, होंठों से होंठ फिर से मिले और नेहा ने अपनी जीभ बाप के मुँह में डाला और दोनों एक दूसरे का रस पीने लगे और दोनों की जीभ एक दूसरे के मुँह में घुस गई और पूरे 5 मिनट तक वैसे ही रहे।
तब तक बाप का लण्ड फिर से खड़ा हो गया था तो उसने अपनी हथेली को नेहा की गाण्ड पर दबाया, और फेरा, उसकी दोनों टाँगों को फैलाया और अपने मोटे खड़े लण्ड को नेहा की गीली चूत पर जरा सा रगड़ा। फिर धीरे से उसकी चूत के अंदर घुसाया, बिल्कुल आराम से, धीरे से, बिना कोई जल्दी किए। और क्योंकी नेहा उनके ऊपर थी तो नेहा भी हिलने लगी, अपनी कमर की हिलाते हए और अपनी गाण्ड को उठक बैठक जैसे करते हए। अपने पंजे पर प्रेशर देते हुए नेहा ऊपर-नीचे हो रही थी अपने पापा के ऊपर, उसका पूरा नंगा जिश्म अपने पापा के जिश्म पर था, पापा का लण्ड नेहा की चूत के अंदर और नेहा का जिश्म ऊपर से नीचे बाप के जिश्म पर रगड़ रहा था, पापा की छाती पर रगड़ रही थीं और बाकी जिश्म के हिस्से भी, जाँघ, पेट, सब बाप के जिश्म पर पशीने में भीगे रगड़े जा रहे थे।
नेहा के उस तरह से ऊपर-नीचे उसके जिश्म पर रगड़ने से लण्ड उसकी चूत के अंदर-बाहर हो रहा था। बाप तब तक कोई भी जोर नहीं लगा रहा था, सब नेहा ही कर रही थी अपने पापा के लिए। पापा नेहा की नंगी पीठ को सहला रहा था, तब उसने नेहा की दोनों चूचियों को अपने मजबूत हाथ में थामा, और आपना मुँह नजदीक किया। फिर चूचियों एक-एक करके चूसने लगा।
नेहा के निप्पलों को भी मुंह में लेकर चूसा उसके पिता ने, जबकि नेहा लगातार अपने जिश्म को रगड़ती जा रही थी और कसमसा रही थी सिसकारियों के साथ। नेहा अपनी गर्दन को ऊपर की तरफ उठाकर छत को देख रही थी, अपने आक्सन को बरकरार रखते हुए। जब नेहा ने गर्दन को पीछे झटका तो उसके खुले बाल, सबके सब उसके पीठ पर फैल गये और उसकी खूबसूरती को चार चाँद लगा दिए, जिसको बाप निहारते जा रहा था। आज उसकी बेटी एक औरत बनकर उसको वो खुशी दे रही थी जो शायद ही कोई बेटी अपने बाप को देती हो।
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