Erotica मेरी कामुकता का सफ़र

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adeswal
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Re: Erotica मेरी कामुकता का सफ़र

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शाम को ऑफिस से निकलने के बाद मै रूबी के साथ उसके घर आ गयी। घर पर अशोक को फ़ोन कर बोल दिया कि मै लेट हो जाउंगी. अब हम रूबी के ड्राइंग रूम में थे.

रूबी: “चलो अपने सारे कपड़े निकालो”

मैं: “ऊपर के कपड़े क्युँ खोलने हैं?”

रूबी: “तुम्हारा पति जब तुम्हे चोदता हैं तब तुम सारे कपड़े नहीं निकालती हो?”

मैं: “निकालती हूँ, पर अभी उसकी क्या जरुरत हैं”

रूबी: “हम चुदाई का विकल्प करने वाले हैं। इसके बाद तुम्हे अपने पति के लंड की जरुरत नहीं पड़ेगी”

मैं: “पहले बताओ कि तुम करने क्या वाली हो”

रूबी: “जो तुम्हारा पति करता हैं वो मै करुंगी. तुम्हारी चूत को अपनी उंगलियों से रगड़ कर सेतुष्ट कर दूंगी, फिर तुम्हारे पति के लंड की जरुरत नहीं होगी”

मैं: “मै कोई होमोसेक्सुअल नहीं हूँ”

रूबी: “मै भी स्ट्रैट हूँ, कोई लेस्बियन नहीं हूँ. मुझे भी कोई शौक नहीं हैं तुम्हारी चूत को छुने का. मैंने सोचा तुम्हारी मदद कर दू”

मैं: “नाराज क्युँ हो रही हो? पहले ही बता देती कि यह करने वाली हो. यह तो मै खुद कर सकती हूँ”

रूबी: “पहले कभी खुद को ऊँगली की हैं”

मैं: “हां 1-2 बार”

रूबी: “मजा आया फिर?”

मैं: “हां थोड़ा बहुत”

रूबी: “जब दुसरा ऊँगली करता हैं तभी मजा आता हैं, खुद करोगी तो कैसे पूरा मजा आएगा. तुम्हे मुझसे करवाना हैं तो बोलो, वरना मुझे और भी काम पड़े हैं”

मैं: “मगर इस से मेरी चुदने की आदत कैसे छुटेगी?”

रूबी: “पहले अपने पति पर तुम्हारी जो निर्भरता हैं उसको खत्म करो. उसके लिए यह करना जरुरी हैं। मैंने भी ऐसे ही किया था, तब जाकर अपने पति को तलाक देने का मन बना पायी”

मैं: “मतलब तुम जो मुझे कहती रहती हो, वो तुम भी हो. तुम्हारी चूत भी तुम्हारे पति के लंड की गुलाम थी ? तुम भी एक दिन बिना चुदाये रह नहीं पाती थी?”

रूबी: “इतनी आदत थी कि दिन में दो-दो बार करते थे। हम एक ही ऑफिस में काम करते थे तो कभी कभी दोपहर में भी वाशरूम में कर लेते थे”

मैं: “फिर तो तुम्हारे लिए बहुत मुश्किल रहा होगा अपने पति को तलाक देना!”

रूबी: “मन में ठान लो तो हो जाता हैं। अभी तुमने क्या सोचा हैं?”

मैं: “मै तैयार हूँ, पर ऊपर के कपड़े रहने देते हैं”

रूबी: “सारे कपड़े खोलो, तभी तो फीलिंग आएगी”

मैने अब अपने शर्ट के बटन खोलना शुरु किया और पूरा शर्ट निकाल कर रख दिया। अंदर से मेरा ब्रा और ब्रा से झांकते मेरे मम्मे दिखने लगे थे जो रूबी बड़े गौर से देख रही थी।

थोड़ी शरम भी आ रही थी जिसकी तरह वो मुझे घूर रही थी पर उसकी लड़कियो में दिलचस्पी नहीं हैं वो उसने मुझे पहले ही बता दिया था तो मुझे चिंता नहीं थी।

मैने अब अपनी स्कर्ट खा हूक खोला और उसको भी निकाल दिया। अब मै सिर्फ ब्रा और पैंटी में रूबी के सामने खड़ी थी और वो मुझे ऊपर से नीचे देख रही थी।

मैं: “ऐसे क्या देख रही हो? तुम्हारे इरादे तो नेक हैं? मेरे पास जो हैं वो तुम्हारे पास भी हैं”

रूबी: “यहीं देख रही हूँ कि गजब का फिगर मेंटेन किया हैं। सच सच बताना कितने आशिक हैं तुम्हारे? मेरा पति

अगर तुम्हारा पति होता तो दिन में कम से कम चार बार चोदता”

मै शर्मा कर रह गयी। मैंने अब अपना ब्रा निकाल दिया और मेरे कसे हुए बड़े से मम्मे बाहर आ गए. फिर मैंने अपनी पैंटी भी उतार दी और रूबी के सामने नंगी खड़ी हो गयी।

रूबी: “मुझे तुम्हारे पति पर तरस आ रहा हैं। अगर तुमने सच में उसको तलाक दे दिया तो बेचारा तुम्हारे इस हूस्न की जुदाई में अपनी जान ही ना दे दे. क्या खाती हो, कैसे मेंटेन करती हो ये हूस्न?”

मैं: “अभी जिस काम के लिए आये हैं वो करे?”

रूबी: “अभी तुम सोफे पर पांव चौड़े कर बैठो”

मै अब सोफे पर पीठ टिकाये बैठ गयी और एक पांव जमीन पर तो दुसरा मौड़ कर सोफे पर रख अपने पांव चौड़े कर दिए. मेरी चूत खुल कर रूबी के सामने थी।

रूबी अब आकर मेरे सामने बैठी और अपनी चारो उंगलिया आपस में सटा कर मेरी चूत पर रख ढक दी. मेरी चूत खुली थी तो उसके बीच की एक ऊँगली मेरी चूत में थोड़ा सा धंस गयी।

उसने अपनी उंगलिया ऊपर नीचे रगड़ी और मेरी आहें निकलने लगी। उसने अपनी उंगलिया और भी तेज रगड़नी शुरु कर दी तो अब तेज आहें लगातार आने लगी थी।

रूबी ने अपनी एक ऊँगली मेरी चूत में थोड़ा अंदर घुसा कर रगड़ना शुरु कर दिया था। मै अपनी आंहो को काबू करने की कोशिश कर रही थी पर पूरी तरह कामयाब नहीं हो पा रही थी।

रूबी बढे ही सधे हाथों से कामूक तरीके से मेरी चूत में अपनी ऊँगली और उतार अब अच्छे से रगड़ने लगी थी। मुझे चुदाई वाली फिलींग आने लगी थी और अब मेरे लिए आहें रोकना मुश्किल हो गया था।

तभी डोरबैल बजी और रूबी की उंगलियां थम गयी और मेरी आहें भी.

मैं: “अभी कौन आया होगा?”

रूबी: “मै देखती हूँ, तुम ऐसे ही रहो”

मैं: “नहीं, कोई अंदर आ गया तो?”

रूबी: “अरें, मै नहीं आने दूंगी अंदर”

मैं: “नहीं मुझ डर लगता हैं, मै अंदर बेडरुम में जा रही हूँ”

मै सोफे से उठकर बेडरुम की तरफ गयी और रूबी दरवाजा खोलने के लिए गयी। मै बेडरुम का दरवाजा थोड़ा सा खोले मुंह बाहर निकाल देख रही थी कि कौन आया हैं।

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adeswal
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रूबी के बताये उपाय के तहत मैं उसके घर पर अपनी चूत में उस से ऊँगली करवा कर मजे ले रही थी कि तभी डोरबेल बजी।

रूबी ने मै दरवाजा आधा ही खोला था और किसी से बातें कर रही थी। थोड़ी देर बात करने के बाद उसने दरवाजा बंद कर दिया। मुझे आवाजे साफ़ सुनाई नहीं दे रही थी तो समझ नहीं आया कि क्या हुआ।

रूबी ने अब दरवाजा बंद कर फिर सोफे के करीब आयी और मुझे इशारा किया. मै एक बार फिर उस नंगी हालत में आधी चुदी हुयी सोफे पर आकर बैठी.

मैं: “कौन था?”

रूबी: “मेरा एक आशिक था”

मैं: “मजाक मत कर”

रूबी: “मेरा पडौसी था, अकेली औरत आसान शिकार होती हैं। लाईन मारता रहता हैं मुझ पर”

मैं: “तुमने उसकी शिकायत नहीं की?”

रूबी: “शिकायत क्या करनी हैं, मै खुद संभाल लेती हूँ उसको. मुझे मर्दो को टरकाना आता हैं”

मैं: “कैसे भगाया उसको?”

रूबी: “वो मुझे पूछ रहा था कि क्या कर रही हो?”

मैं: “फिर!”

रूबी: “फिर क्या! मैंने बोल दिया कि चूत में ऊँगली कर रही थी”

मैं: “ओह! तुम उस से इस तरह की बातें करती हो?”

रूबी: “ऐसे मर्दो को ऐसी बातें करके ही तो संभालते हैं”

मैं: “तुम ऐसी बातें करती हो तो उसको तो सिगनल मिलता हैं ना! किसी दिन तुम्हारे साथ कुछ कर दिया तो”

रूबी: “उसकी हिम्मत नहीं हैं”

मैं: “तुमने बोला चूत में ऊँगली कर रही हो और उसने कुछ नहीं कहा!”

रूबी: “बोला ना, उसने कहा कि ऊँगली दिखाओ. मैंने उसको अपनी ऊँगली टेस्ट करवा दी”

मैं: “तुम पागल हो क्या? तुमने मेरी चूत के पानी से भीगी ऊँगली एक गैर मर्द को चटवा दी !!”

रूबी: “हां तो क्या हो गया, उसको तो यहीं लगा ना कि मेरी चूत में भीगी ऊँगली हैं। उसने तो उल्टा तारीफ ही की, उसको टेस्ट बहुत पसंद आया, तुम्हे तो उल्टा खुश होना चाहिए”

मैं: “तुम बहुत खतरनाक हो, तुम ऐसे मर्दो से बच कर रहना”

रूबी: “मैने उसको चूत का पानी टेस्ट करवाया, फिर उसको भागा दिया ना! मुझे मर्दो को भगाना आता हैं”

मैं: “मुझे बहुत बुरा लग रहा हैं, मेरी चूत का पानी किसी ऐसे मर्द ने टेस्ट किया हैं जो ठरकी हैं। तुम्हे ऐसा नहीं करना चाहिये था”

रूबी: “तुम तो ऐसे बोल रही हो जैसे तुम्हारी चूत तुम्हारे पति के अलावा कभी किसी ने चाटी ही नहीं होगी”

मैं: “फालतू बातें मत करो. मै जा रही हूँ”

रूबी: “काम तो पूरा करवा लो, नहीं तो रात को अपने पति से चुदवाना पड़ेगा”
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मै फिर से अपनी पोजीशन बना कर बैठ गयी। रूबी ने एक बार फिर अपनी ऊँगली का जादू मेरी चूत में दिखाया और मै सिसकियां मारते हुए अगले कुछ मिनट में जड़ गयी। अब रूबी ने अपनी ऊँगली मेरी चूत से निकाली तो मेरे पानी से भर गयी थी।

रूबी: “तुम बोलो तो अपनी यह भीगी हुयी ऊँगली अपने पडौसी को चखा कर आती हूँ, उसका भी भला हो जाऐगा”

मैं: “तुम मेरे साथ वाशरुम में चलो और अपनी ऊँगली धो डालो”

मै रूबी को लेकर वाशरूम में गयी और पहले उसके हाथ धुलवाये और फिर अपनी सफाई करने के बाद मै बाहर आयी। फिर मैंने कपड़े पहने और रूबी को धन्यवाद बोलते हुए अपने घर आयी।

दो दिन बिना चुदाये रहने के बाद रूबी की ऊँगली से चुदाई से मै काफी सेतुष्ट महसूस कर रही थी। लगातार तीसरी रात मैंने अशोक को नहीं चोदने दिया।

उसको यहीं लगा कि मै पूजा के थप्पड़ के झटके से अभी नहीं उभरी हूँ. उसने मेरे साथ कोई जबरदस्ती नहीं की, मेरे लिए काम थोड़ा आसान हो गया था।

अगले दिन ऑफिस में मै खिली खिली सी थी और रूबी को तो पता ही था। मैंने उसको 3 उंगलिया उठा कर इशारा कर दिया कि मैंने 3 दिन कण्ट्रोल कर लिया हैं। दोपहर में हम फिर टहलते हुए बात कर रहे थे.

रूबी: “आज शाम मेरे घर चल रही हो?”

मैं: “नहीं, मै अभी अच्छा महसूस कर रही हूँ. मुझे लगता हैं मै एक सप्ताह कण्ट्रोल कर पाउंगी. अगर जरुरत हुयी तो मै कल शाम को तुम्हारे घर आ जाउंगी”

उस रात भी मैंने अशोक को मुझे चोदने नहीं दिया और उसने ज्यादा फोर्स नहीं किया. मुझे अच्छा लग रहा था कि मै सही दिशा में जा रही हूँ.

अगले दिन ऑफिस में रूबी से फिर टहलने के दौरान बातचीत हुयी. मैंने उसको बता दिया कि अब 4 दिन हो चुके हैं और मैंने अशोक से चुदाई नहीं करवाई थी।

रूबी: “आज शाम को आ रही हो, मेरा पडौसी तुम्हे बहुत याद कर रहा था”

मैं: “क्या!! तुमने उसको बता दिया मेरे बारे में?”

रूबी: “नहीं, कल शाम को फिर आया था, बोल रहा था कि उस दिन उसको टेस्ट बहुत अच्छा लगा। थोड़ा और मांग रहा था। बहुत तड़प रहा था बेचारा. मैंने उसको बोल दिया अगली बार चूत में ऊँगली करुंगी तो बता दूंगी”

मैं: “मुझे तो तुम समझ में नहीं आती हो. ऐसे कैसे किसी मर्द के साथ बातें कर सकती हो!”

रूबी: “जैसी दुनिया, वैसे ही रहना पड़ता हैं। तुम शाम को आ रही हो या नहीं. उसको तुम्हारी क्रीम चटवानी हैं”

मैं: “आज शाम को मै तुम्हारे यहाँ आना चाहती थी, पर अब यह सुनकर मैंने प्लान ड्राप कर दिया हैं”

रूबी: “नाराज क्युँ हो रही हो! मै थोड़े ही उसको बताउंगी कि यह तुम्हारा पानी हैं। उसको यहीं लगता हैं कि वो मेरा पानी था”

मैं: “कुछ भी हो, पर मुझे तो पता हैं ना कि मेरा पानी कोई गैर मर्द चाट रहा हैं। मुझसे यह बर्दाश्त नहीं होगा”

रूबी: “अपने पति को बर्दाश्त कर रही हो, पर तुम्हारा बेकार पानी किसी के काम आ रहा हैं वो तुम्हे बर्दाश्त नहीं !”

मैं: “नहीं मेरा मन नहीं मानता”

रूबी: “मै तुम्हारी मदद कर रही हूँ, तुम मेरी मदद कर दो”

मैं: “मेरी चूत का पानी तुम्हारा पडौसी चाटेगा तो तुम्हारा क्या भला होगा?”

रूबी: “अरें वो बहुत काम का पडौसी हैं, इसलिए तो उसको सहन कर रही हूँ. तुम्हारी चूत का पानी टेस्ट कर उसको ख़ुशी मिलती हैं तो आगे मेरी कोई मदद ही करेगा. बोलो चलेगा तुम्हे?”

मैं: “अगर तुम्हारा कोई फायदा हो रहा हैं तो ठीक हैं। पर तुम उसको नहीं बताओगी कि यह मेरी चूत का पानी हैं”

रूबी: “उसको यह बता दूंगी तो मेरा ही नुकसान हैं”

मैं: “तुम अपनी चूत का पानी क्युँ नहीं चखा देती उसको?”

रूबी: “मेरी चूत का पानी तो मेरे पति ने भी पसंद नहीं किया, जो कि मुझे दिन में 2-3 बार चोदता था, फिर वो पडौसी कैसे पसंद करेगा. उसको एक सेकण्ड में पता चल जाऐगा कि उस दिन का पानी अलग था”

मैं: “इसलिए बोलती हूँ, स्मोकिंग और शराब की आदत छोड़ दो. हेल्दी खाना खाया करो”

रूबी: “वो तो मुश्किल हैं। अपने गम मिटाने के लिए भी कुछ चाहिए”

शाम को मै एक बार फिर रूबी के घर पर थी। मैंने सारे कपड़े उतार दिए थे और अपनी पोजीशन ले ली थी। रूबी ने एक बार फिर अपनी उंगलियों से मेरी चूत को चोद दिया था। उंगलियों से चुदवाने से लंड के जितनी मजा नहीं आता पर कम से कम में जड़ रही थी जिसकी से मै अपने पति को मुझसे दूर रख पा रही थी।

मै सिसकियां मारते हुए एक बार फिर जड़ चुकी थी और रूबी की उंगलिया मेरे पानी से भर चुकी थी। उसने एक बार फिर ऊँगली मेरी चूत में घुसा दी और अंदर ही रखी।

अपना एक हाथ की दो उंगलिया मेरी चूत में दबाए रखते हुए उसने अपने पडौसी को फ़ोन किया और आने को बोला कि वो उसको चूत का पानी चटवायेगी.

मैं: “ऊँगली बाहर निकालो, मै अंदर जा रही हूँ, तुम पडौसी को ऊँगली चटवा देना”

रूबी: “डोर बैल बजने तक रुको, ऊँगली बाहर निकाल दूंगी तो मेरी उंगली पर लगा पानी सुख जाऐगा. ताजा ताजा उसको चटवाउंगी तो उसको भी मजा आएगा ना”

रूबी अपनी ऊँगली मेरी चूत में ही घुमा घुमा कर अपनी उंगलिया गीली करती रही और फिर डोर बैल बजी. मै सोफे पर ही उछल पड़ी.

रूबी ने अपनी ऊँगली बाहर निकाली और मै भाग कर वाशरूम में चली गयी। रूबी अपनी भीगी हुयी ऊँगली लेकर दरवाजा खोलने गयी।

मै अंदर से सिर बाहर निकाले देखने का प्रयास कर रही थी। रूबी ने एक बार फिर पडौसी को अंदर नहीं आने दिया। पर शायद वो अंदर आने की ज़िद कर रहा था।

फिर शायद वो शांत हुआ क्युँ कि रूबी ने अपनी ऊँगली पडौसी के मुंह में रख दी थी। फिर उसने पडौसी को रवाना कर दिया और दरवाजा बंद कर दिया था।

रूबी ने मुझको बताया कि उसका पडौसी मेरी चूत के पानी का दीवाना हो चुका हैं। मन ही मन मै गर्व महसूस कर रही थी पर सामने से शर्मा भी रही थी।

अपने वादें के मुताबिक मै सप्ताह में सिर्फ एक बार विकेंड पर अशोक के साथ चुदवाया. पर सप्ताह के दौरान मै दो बार रूबी के घर जाकर उसकी उंगली से चुदवा लेती.

अब यह मेरा विकली रुटीन बन गया था। इस तरह एक महीना निकल गया। रूबी इसी तरह मेरी चूत का पानी अपने पडौसी को चटवाटी रही. जब मेरे पिरीयड होते उस सप्ताह मै कुछ नहीं करती .

रूबी भी अपने पडौसी को बहाना मार देती कि उसका पिरीयड हैं। रूबी ने बताया कि जैसे लोगो को शराब का लत लग जाती हैं वैसे ही उसके पडौसी को मेरी चूत के पानी को चखने की लत लग चुकी हैं।

अगले कुछ सप्ताह में मैंने फ्रीक्वेंसी बढा दी. अब मै अशोक के साथ एक सप्ताह की बजाय 10 दिन में एक बार, फिर2 सप्ताह में एक बार चुदवाने लगी।
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अशोक ने भी अब अपनी आदत सुधार ली थी और मुझे दबाव देना बंद कर दिया था। मेरा बाकी का काम तो रूबी कर ही देती. जल्दी ही मै अपना टारगेट प्राप्त कर दिया और एक महीने तक मैंने अशोक के साथ नहीं चुदवाया था। मै बहुत खुश थी और रूबी को भी बताया तो वो मेरे लिए भी खुश हुयी.

रूबी: “तो आखिर तुमने कर दिखाया!”

मैं: “तुम्हारी मदद के बिना मुश्किल था”

रूबी: “तो फिर सेलिब्रेट करे?”

मैं: “क्या करना हैं बोलो?”

रूबी: “मेरे पडौसी को लाइव तुम्हारी चूत का पानी पिलाना हैं”

मैं: “क्या मतलब हैं तुम्हारा? मै किसी मर्द को मुझे हाथ नहीं लगाने दूंगी और ना ही नंगी होउंगी”

रूबी: “जो तुम समझ रही हो वैसे नहीं. मेरा पडौसी दरवाजे के बाहर होगा और हम दोनो अंदर. मै तुम्हारी चूत में ऊँगली डालुंगी और फिर बाहर निकाल कर पडौसी को पिला दूंगी. उसको लगेगा मै अपनी चूत में ऊँगली डाल कर चटवा रही हूँ”

मैं: “और वो अंदर आ गया तो! सारा भांडा फूट जाऐगा”

रूबी: “मै दरवाजा चैन लगा कर रखुंगी। सिर्फ एक हाथ आने जाने जितनी जगह रहेगी, वो अंदर नहीं आ पाएगा”

मैं: “यह करना जरुरी हैं क्या? तुम वैसे भी उसको मेरा पानी चखा तो रही हो”

रूबी: “एक ऊँगली भर पानी से उसका पेट नहीं भरता. बार बार ऊँगली डाल कर उसको ढेर सारा ताजा पानी चटवाउंगी तो उसको मजा आएगा”

मैं: “ऐसी क्या जरुरत हैं?”

रूबी: “मेरा एक बड़ा काम अटका हुआ हैं, अगर वो खुश हो गया तो वो काम में उस से निकलवा सकती हूँ. उसको तुम्हारे बारे में पता नहीं चलेगा, पक्का”

मैं: “ठीक हैं, सिर्फ तुम्हारे लिए कर रही हूँ”

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मैंने अपना चैलेंज पूरा कर लिया था और इसकी ख़ुशी में मैं अपनी चूत का ताजा पानी रूबी के पडोसी को पिलाने को मान गयी थी।

शाम को मै रूबी के घर गयी और हमेशा की तरह मैंने पूरा नंगी हुयी और उसने मेरी चूत में ऊँगली डाल कर मुझे चोद दिया और मै जड़ गयी।

रूबी ने अपने पड़ौसी से पहले ही बात कर ली थी और उसको फ़ोन कर बुलाया. मै और रूबी अब दरवाजे के पास आये. मै दरवाजे के पीछे छुप कर खड़ी हो गयी।

मैं: “तुम भी अपने नीचे के कपड़े खोलो, वरना उसको शक हो जायेगा कि बिना कपड़े खोले तुम पानी कहा से निकाल रही हो”

रूबी: “मै भी तो दरवाजे के पिछे छुपी रहुंगी, वो कैसे देखेगा. पर ठीक हैं फिर भी महसूस करने के लिए मै खोल देती हूँ”

रूबी ने जल्दी से अपनी पैंट निकाल दी और नीचे से नंगी हो गयी।

पहली बार उसकी चूत देखी. उसकी चूत पर हल्के हल्के बाल थे। वैसे भी उसको सफाई की क्या जरुरत, उसे थोड़े ही किसी से चुदवाना हैं। तभी बैल बजी और रूबी ने दरवाजा चैन लगा कर खोला.

मैने अपना एक पांव उठा कर अपनी चूत में जगह बनायी और रूबी ने मेरी चूत में ऊँगली डाल कर अपना हाथ दरवाजे से बाहर निकाल अपने पडौसी को चखाया.

बाहर से वाह आह की आवाजे आ रही थी और मै अपनी तारीफें सुन खुश हो रही थी। रूबी ने 15-20 बार मेरी चूत में ऊँगली डाल कर अपने पडौसी को टेस्ट करवाया था।

इस बीच वो दो तीन बार दरवाजे की खुली दरार के पास चली गयी थी जिसे शायद पडौसी का उसके नीचे का नंगापन दिख गया होगा।

दोनो बार मैंने उसके हाथ को पकड़ कर अपनी तरफ थोड़ा खिंच उसका ध्यान दिलाया कि उसने नीचे कपड़े नहीं पहने थे.

मेरी चूत अब अंदर से अच्छे से साफ़ हो चुकी थी, तब रूबी ने अपने पडौसी को जाने का बोला दिया।

पडौसी: “अपने मुंह से भी तो एक बार चाटने दो”

रूबी ने अंदर मेरी तरफ देखा, और मैंने डर के ना में सिर हिला दिया। रूबी ने अब पडौसी का ना बोल दिया और वो उदास सा चला गया।
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