Incest घर की मुर्गियाँ

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mastram
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Re: Incest घर की मुर्गियाँ

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उधर काजल को संजना ने अपने पास रोक लिया था, और समीर के बिस्तर पर रात को टीन
थी।

टीना- भइया, बीवी आ गई तो बहन को भूल गये।

समीर- "ओ मेरी नटखट बहना, तुझे कैसे भूल सकता हूँ?” और फिर टीना ने अपने और समीर के कपड़े उतार फेंके।

टीना- भइया आज हफ्ते भर की कसर एक ही रात में निकाल दो।

समीर ने टीना का चलेंज कबूल किया, और टीना पर चढ़ गया। पहले थोड़ी चूत लण्ड की चुसाई। फिर टीना की टाँगें पकड़कर लण्ड को चूत के छेद पर रखकर बड़ा जोरदार धक्का मारा, तो लण्ड चूत की गहराई में समाता चला गया।

टीना चीखी- "आईईई... मर गईईई..."

समीर दे दनादन लण्ड अंदर-बाहर करता रहा। 15-20 धक्कों के बाद समीर ने टीना को डोगी स्टाइल बनाया
और फिर से लण्ड को चूत में घुसा दिया। आज समीर टीना को दिखना चाहता था चुदाई किसे कहते हैं।

टीना- “आहह... अहह... उम्म्म्म
... आईईई... बस्स-बस्स...”

फिर समीर ने टीना को अपनी गोद में लेकर लण्ड पर बिठा लिया, और लगा फिर से धक्के मारने। अब टीना बुरी तरह हाँफने लगी थी और झड़ भी चुकी थी। मगर समीर तो रुकने का नाम नहीं ले रहा था। समीर ने टीना
की रेल बना दी।

टीना- आह्ह... आब बस करो भइया। आज जान लोगे मेरी अहह... अहह..."

समीर- क्यों मजा नहीं आया?

टीना- “हाँ भइया, बहुत मजा आया बस अब और नहीं..." और समीर और टीना एक दूजे की बाहों में लिपटे सो जाते हैं।

सुबह 6:00 बजे नेहा समीर के रूम में आकर देखती है तो समीर और टीना एकदम नंगे एक दूजे से लिपटे सो रहे थे। नेहा टीना को उठाती है और अपने रूम में ले आती है। सुबह 8 बजे तक टीना नहा धोकर फ्रेश होती है।

टीना- “अच्छा नेहा, अब मैं चलती हूँ। घर पर पापा के लिए नाश्ता भी बनाना है." और टीना अपने घर के लिए निकल पड़ती है। थोड़ी देर बाद टीना घर पहुँचती है और डोरबेल बजाती है। विजय दरवाजा खोलता है तो सामने टीना खड़ी थी। विजय टीना को ऐसे देखता है जैसे आज पहली बार देख रहा हो।

विजय को ऐसे घर ना पहली बार देख रही थी। टीना पापा की नजरें अपनी छाती पर महसूस कर रही
थी। टीना- “क्या हुआ पापा ऐसे क्या देख रहे हो”
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mastram
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Re: Incest घर की मुर्गियाँ

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विजय को एकदम होश आता है- “ओहह... कुछ नहीं बेटी आ गई तू.."

टीना- “जी पापा...” और टीना अंदर आ जाती है।

विजय को आज तक टीना का पहनावा सेक्सी नहीं लगता था। वो तो टीना को बच्ची समझता था। आज विजय
की नजरें बार-बार टीना के उभारों पर जा रही थीं। टीना को बड़ा अजीब लग रहा था।

टीना- पापा चाय पीओगे क्या?

विजय- हाँ:

टीना किचेन में चली जाती है। चाय बनाते हुए सोचती है- “आज पापा को क्या हो गया? मुझे ऐसे क्यों देख रहे
सोफे पर बैठे हुए विजय भी सोचने लगा- “ये मुझे क्या हो रहा है? मैं टीना को किस नजर से देखने लगा? मुझे तो अपनी बच्ची को इस दलदल से निकालना है, और मैं खुद भी इसी नजर से देखने लगा.." विजय अपने आपको नार्मल करने की कोशिश करता है- “टीना से इस बारे में कैसे बात करूं?” विजय ये सोच रहा था तभी टीना चाय बनाकर लाती है।

टीना- लीजिए पापा चाय पीजिए।

विजय चाय पीने लगता है। टीना सामने बैठ जाती है।

टीना- पापा, मम्मी कब तक आयेंगी?

विजय- बेटा, अभी कुछ नहीं मालूम कितने दिन लग जायें? तेरी नानी की तबीयत ज्यादा खराब है।

टीना- डाक्टर क्या कहते हैं"

विजय- फेफड़ो में इन्फेक्सन हो गया है। और हाँ अब तू बड़ी हो गई है, घर की जिम्मेदारी संभाल। कल को तेरी
शादी भी होगी। रोज-रोज नेहा के पास मत रुका कर।

टीना- जी पापा।

विजय चाय पीने लगता है;

टीना को आज अपने पापा में बड़ा चेंज लग रहा था- "पापा आपका लंच तैयार कर दूं?”

विजय- नहीं, आज नहीं जाऊँगा। मेरी तबीयत ठीक नहीं है।

टीना- क्या हुआ पापा।

विजय- बेटा कमर में दर्द हो रहा है।

टीना- तो पापा आप डाक्टर से दवा ले लीजिए।

विजय- बेटा मेरी अलमारी में पेनकिलर टैबलेट रखी है, ले आओ।

टीना- “जी पापा." कहकर टीना विजय के रूम में चली गई, और अलमारी खोलकर देखती है। अलमारी में कई डीवीडी भी रखी थी और एक टैबलेट का पत्ता भी रखा था। टीना टैबलेट उठा लेती है, और किचेन से एक ग्लास पानी लेकर पापा को टैबलेट देती है।

विजय टैबलेट खा लेता है।

टीना- पापा आप बेड पर लेटे जाओ, मैं आपकी कमर पर मूव देगा देती हैं।

विजय सोफे से उठकर रूम में जाकर बेड पर उल्टा लेट जाता है। टीना अपने रूम से मूव लेकर आ गई। विजय अभी तक नाइट ड्रेस में ही था, लवर और टी-शर्ट। टीना आकर बेड के किनारे पर विजय की टांगों के पास बैठ गई, और पापा की टी-शर्ट को ऊपर करके मूव को कमर पर लगाकर अपने हाथों से मलने लगी।

विजय को टीना के हाथों का स्पर्श फिर से बहकाने लगता है। टीना धीरे-धीरे मूव की मालिश कर रही थी और विजय में उत्तेजना बढ़ रही थी।

विजय- बेटा थोड़ा और ऊपर भी लगा दो।

टीना टी-शर्ट और ऊपर सरकाती है और थोड़ी मव कमर से ऊपर लगाकर मलने लगती है। अब विजय की पूरी कमर नंगी हो चुकी थी और टीना ऊपर तक मूव की मालिश कर रही थी।
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mastram
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विजय की उत्तेजना से बुरा हाल था। उल्टे लेटे हुए लण्ड को जगह ही नहीं मिल रही थी। विजय अपने आपको बड़ा अनकंफर्टेबल महसूस करने लगा। ये तो शुकर था विजय उल्टा लेटा हुआ था, नहीं तो बिना अंडरवेर के लण्ड लवर में बिल्कुल तंबू बना देता।

विजय- बस बेटा अब रहने दो।

टीना- “जी पापा, आपके लिए नाश्ते में क्या बनाऊँ?"

विजय- सैंडविच और एक ग्लास दूध ले आ।

टीना- "जी पापा अभी लाई..." और टीना बेड से उठकर किचेन में चली गई।

विजय जल्दी से सीधा लेट जाता है। आह माई गोड... विजय का लण्ड एकदम लवर में खंबे के सामान खड़ा था। विजय अपने हाथ से लण्ड को बैठाने की कोशिश करने लगा। मगर लण्ड तो आज बैठने का नाम ही नहीं ले रहा
था। विजय चाहकर भी टीना का ख्याल दिल से नहीं निकाल पा रहा था। विजय की समझ में नहीं आ रहा था की टीना से किस तरह ये बात छेड़े?

तभी टीना नाश्ता लेकर आ गई।

विजय टीना के खयालों में इतना खो गया था की उसे अपनी हालत का भी होश ना रहा।

टीना ट्रे को जैसे ही बेड पर रखी की उसकी सीधी नजर पापा के तंबू से जा टकराई। टीना ने जब तंबू की हालत देखी तो टीना का तो दिल धड़कना ही भूल गया। एकदम जैसे टीना को झटका लगा हो, और टीना नाश्ते की ट्रे रखकर रूम से बाहर जाने लगी।

तभी विजय ने टीना को आवाज लगाई- "रुको बे
कुछ जरूरी बात करनी है..."

टीना को पलटने में बड़ी झिझक हो रही थी। टीना नजरें नीचे किए हुए- “जी पापा..."

विजय सैंडविच खाते हए टीना की तरफ ही देख रहा था। विजय अपने लण्ड की हालत भी भूल चुका था। टीना के लिए बेड पर थोड़ी जगह देता है- “यहां बैठो मेरे सामने.."

टीना पापा के बिल्कुल सामने बैठ जाती है, और सोचने लगती है- “पापा को मुझसे ऐसी क्या बात करनी है?"

विजय उठकर नाश्ते की ट्रे को टेबल पर रखता है और फिर टीना के सामने बैठ गया। फिर विजय टीना से बातों
का सिलसिला शुरू करता है।
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