सुबह सभी साथ में नाश्ता करते हैं
अजय- काजल बेटा तुमने तो कुछ लिया नहीं।
अंजली- काजल को आलू का परांठा दो।
काजल- नहीं अंकल, बस मैंने ले लिया।
अंजली- बेटा थोड़ा सा हलवा तो खा लो।
अजय नाश्ता करने के बाद दुकान चला जाता है, और समीर भी कंपनी जाने लगता है।
काजल- जीजू मैं भी आपके साथ चलती हूँ, संजना दीदी से मिल लूँगी।
फिर समीर काजल को लेकर कंपनी निकाल जाता है।
इधर नेहा टीना को फोन करती है- “हाय टीना कैसी है?"
टीना- हाय नेहा... मैं तो ठीक हूँ तू बता। तू तो सुसराल जाकर हमें भूल गई।
नेहा- नहीं यार रात 12:00 बजे आई हूँ।
टीना- अच्छा। चल यहीं आ जा। मम्मी भी नहीं हैं।
नेहा- चल पहुँचती हूँ। आँटी कहां गई हैं?
टीना-नानी की तबीयत ज्यादा खराब है, वही गई
नेहा टीना के पास चली गई।
इधर समीर और काजल कंपनी जा रहे थे। काजल बोली- "जीजू आइसक्रीम खिलाओगे?"
.
समीर- "क्यों नहीं चलो...” और समीर एक माल में काजल को ले जाता है, और मकडोनल्ड में पहुँचता है। यहां पहले ही कई जोड़े
काजल और समीर भी एक कार्नर वाली टेबल पर बैठ जाते हैं।
समीर- बोलो काजल, आइसक्रीम के साथ और क्या चलेगा?
काजल- जीजू एक बर्गर।
समीर- “ओके.." और समीर आइसक्रीम और बर्गर ले आता है।
काजल और समीर आमने सामने बैठे आइसक्रीम खाते है। तभी काजल समीर की तरफ देखती है। मगर समीर की नजरें कहीं और थी। काजल नजरों का पीछा करती हुई बराबर वाली टेबल पर जाती है। एक लड़की ने बड़ी ही शार्ट स्कर्ट पहनी हई थी, आधे से ज्यादा बदन दिख रहा था और वो लड़की अपने हाथ से अपने बायफ्रेंड को आइसक्रीम खिला रही थी।
काजल- क्या देख रहे हो जीजू? तुम्हारे सामने खूबसूरत साली बैठी है और तुम देख भी नहीं रहे।
समीर- अरे... नहीं साली जी। मैं देख रहा हूँ की कैसे प्यार से दोनों आइसक्रीम खा रहे हैं?
211
काजल- आपको भी ऐसे खानी है?
समीर- मन तो कुछ ऐसा ही कर रहा है।
काजल- “चलो तो आज तुम्हारे मन की करते हैं..." और काजल समीर की तरफ अपनी जूठी साफ्टी कर देती है।
समीर मुँह खोल देता है, समीर का चेहरा आइसक्रीम से सन जाता है। काजल मुश्कुराने लगती है।
समीर- काजल चलो फार्महाउस चलते हैं, वहीं पर आइसक्रीम खायेंगे।
काजल- ठीक है जीजू चलिये।
समीर एक आइसक्रीम ब्रिक ले लेता है, और दोनों फार्महाउस पहुँच जाते हैं। समीर काजल को लेकर बेडरूम में पहुँचता है, और दिव्या के कपड़ों की अलमारी खोलता है। दिव्या की कई नाइटी रखी थी। समीर काजल को देखता है।
काजल समझ जाती है समीर क्या चाहता है? काजल बोली- “जीजू मुझे इन कपड़ों को पहनाकर आइसक्रीम खिलानी है?"
समीर- हाँ साली जी।
काजल- फिर आपको भी साथ देना होगा।
समीर- “क्यों नहीं। मैं भी बस दो मिनट में चेंज करता हूँ..." और समीर हाफ लवर और बनियान लेकर बाथरूम में घुस जाता है, और अपने कपड़े उतारने लगता है। तभी समीर को लगता है कि रूम में काजल भी अपने कपड़े चेंज कर रही है, और समीर फौरन बाथरूम के दरवाजे से रूम में झंकता है।
ओह माई गोड.. काजल अपनी कमीज ऊपर खींचकर उतार रही थी। काजल का रंग एकदम दूध जैसा सफेद था, और फिर दिव्या की शार्ट नाइटी पहन लेती है, और जाने क्या सोचने लगती है। फिर नीचे से सलवार भी उतार देती है।
समीर को काजल की पैटी की झलक दिख जाती है। समीर के लण्ड में झटके आने शुरू हो जाते है। अनायास ही समीर लण्ड को मरोड़ने लगता है। काजल की जाँघ तक दिखने लगी थी। समीर हाफ लवर और बनियान पहनकर बाहर आ जाता है। दोनों की नजरें टकराती हैं।
समीर- वाउ... ब्यूटिफुल काजल?
उधर टीना और नेहा घर पर बातें कर रहे थे।
टीना- कैसी रही तेरी ससुराल?
नेहा- बढ़िया है, सब खूब प्यार करते हैं
AJ
टीना- क्या? सब कौन-कौन प्यार करता है तुझे?
नेहा- तू ना बिल्कुल पागल है। वो वाला प्यार तो सिर्फ राहुल ही करता है।
टीना- मैं तो कुछ और ही समझने लगी थी। वैसे कैसी रही तेरी सुहागरात? सील तो तेरी पहले ही टूट चुकी थी। शक तो नहीं हुआ राहुल को?
नेहा- नहीं यार ऐसा कुछ नहीं हुआ। मैंने थोड़ा बहुत दर्द का ड्रामा किया था। वैसे राहुल पूरे हफ्ते मुझे रात भर सोने नहीं देता था। मैं भी पूरा मजा लेकर करती थी।
टीना- वाह... नेहा तेरी तो ऐश हो गई।
नेहा- तू बता तेरी रातें कैसे कटी? सुना है जब से मैं गइ, तू मेरे घर भी नहीं गई।
टीना- बस मन नहीं किया राहुल और दिव्या के बीच में हड्डी बनने का। बस तेरे रबड़ के लण्ड का सहारा था
मेरे पास।
नेहा- क्या यार, जो मजा असली में है वो रबड़ के लण्ड में क्या होगा?
टीना- हाँ यार, वो तो है। रोज असली मिले मेरी ऐसी किश्मत कहां?
नेहा- रात भी डाला था चूत में रबड़ का लण्ड?
टीना- अभी तेरे आने से पहले बाथरूम में फारिग हो चुकी हूँ।
नेहा- चल यार तू आज मेरे पास रुक जाना। शायद तुझे असली लण्ड मिल जाय।
टीना- “देखू तेरी चूत की कैसी हालत कर दी है राहुल ने?” फिर टीना और नेहा में लेज़्बियन सेक्स शुरू होता है।
Incest घर की मुर्गियाँ
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Re: Incest घर की मुर्गियाँ
समीर फौरन आँखें बंद कर लेता है। काजल लरजते होंठों से समीर के गाल पर लगी आइसक्रीम को चाटने लग जाती है। समीर का तो लौड़ा खड़ा हो गया, और वो फौरन अपनी आँखें खोल लेता है काजल के होंठों में कंपन
सी हो रही थी। समीर की नजरें काजल से टकराती हैं, तो काजल एकदम झेंप जाती है।
काजल- जीजू देखो चेहरा साफ करवाना है तो आँखें बंद करो।
समीर- “अच्छा बाबा... और फिर से समीर आँखें बंद कर लेता है।
काजल अपने होंठों से समीर का चेहरा चाटकर साफ कर देती है- “लीजिए जीजू आपका चेहरा साफ हो गया... अब चलिए संजना दीदी के पास, देर हो रही है..."
समीर- साली जी, आपने ठीक से साफ नहीं किया। अभी तो यहां भी आइसक्रीम लगी है।
काजल- कहां?
समीर- “यहां.” और आगे बढ़कर काजल के होंठों को बंद कर देता है।
काजल बेचारी गूं-गूं करती झटपटाती रह गई और समीर काजल के होंठों का रस पीता रहा। लगभग 5 मिनट की चसाई ने काजल में भी जोश भर दिया। समीर ने इस बात को नोट किया की काजल अब विरोध नहीं कर रही थी। और इस मोके का फायदा उठना समीर जानता था।
समीर ने अपने हाथों का जादू काजल पर चलाना शुरू कर दिया। समीर का हाथ इस वक्त काजल को अपनी गिरफ्त में ले चुका था। काजल जैसे किसी और दुनियां में पहँच चुकी थी, आँखें बंद किए काजल अंजाने प्यार
को महसूस करने लगी। समीर के हाथ धीरे-धीरे काजल की गाण्ड को सहलाने लगते हैं।
समीर थोड़ी देर बाद अपने हाथों को कमर से होते हुए नीचे काजल के कूल्हे पर रख देता है। उफफ्फ... क्या गद्देदार साफ्ट मुलायम समीर को जाने क्या मिल गया की लण्ड एकदम कुतुब मीनार बन गया, और काजल
की अनछुई गुफा तक पहुँच गया।
काजल को भी जब ये अहसास हुआ तो एक हल्की सी सिसकी निकाल गई- “आईईई.. इसस्स्स..." शायद गुफा से पानी रिसना शुरू हो चुका था।
काजल भी अब पूरी तरह गरम हो चुकी थी। अब काजल होंठों को चूसने में समीर का साथ देना चाहती थी। काजल ने जैसे ही अपने होंठों को खोलते हुए समीर के होंठों को चूसना चाहा, समीर ने एकदम से काजल को छोड़ दिया काजल समीर को ऐसे देखने लगी जैसे किसी ने उसके मुँह से निवाला छीना हो।
समीर जानता था की काजल पूरी तरह बस में आ चुकी है। चाहे तो आज ही काजल की सील तोड़ सकता है। मगर समीर ये काम जल्दबाजी में करना नहीं चाहता था। अभी तो काजल पूरा हफ़्ता यहीं रहेगी। समीर काजल को इतना तड़पाना चाहता था की काजल खुद ही कहे- "जीजू डाल दो लण्ड मेरी चूत में.."
काजल समीर को ऐसे देख रही थी जैसे कह रही हो- “क्यों तड़पा रहे हो जीज, भर लो बाँहो में..."
काजल- "चलिये..." और दोनों ने अपने कपड़े चेंज किए और समीर काजल को लेकर कंपनी
यूँ ही पूरा दिन गुजर जाता है। नेहा टीना को लेकर घर पहुँच गई।
सी हो रही थी। समीर की नजरें काजल से टकराती हैं, तो काजल एकदम झेंप जाती है।
काजल- जीजू देखो चेहरा साफ करवाना है तो आँखें बंद करो।
समीर- “अच्छा बाबा... और फिर से समीर आँखें बंद कर लेता है।
काजल अपने होंठों से समीर का चेहरा चाटकर साफ कर देती है- “लीजिए जीजू आपका चेहरा साफ हो गया... अब चलिए संजना दीदी के पास, देर हो रही है..."
समीर- साली जी, आपने ठीक से साफ नहीं किया। अभी तो यहां भी आइसक्रीम लगी है।
काजल- कहां?
समीर- “यहां.” और आगे बढ़कर काजल के होंठों को बंद कर देता है।
काजल बेचारी गूं-गूं करती झटपटाती रह गई और समीर काजल के होंठों का रस पीता रहा। लगभग 5 मिनट की चसाई ने काजल में भी जोश भर दिया। समीर ने इस बात को नोट किया की काजल अब विरोध नहीं कर रही थी। और इस मोके का फायदा उठना समीर जानता था।
समीर ने अपने हाथों का जादू काजल पर चलाना शुरू कर दिया। समीर का हाथ इस वक्त काजल को अपनी गिरफ्त में ले चुका था। काजल जैसे किसी और दुनियां में पहँच चुकी थी, आँखें बंद किए काजल अंजाने प्यार
को महसूस करने लगी। समीर के हाथ धीरे-धीरे काजल की गाण्ड को सहलाने लगते हैं।
समीर थोड़ी देर बाद अपने हाथों को कमर से होते हुए नीचे काजल के कूल्हे पर रख देता है। उफफ्फ... क्या गद्देदार साफ्ट मुलायम समीर को जाने क्या मिल गया की लण्ड एकदम कुतुब मीनार बन गया, और काजल
की अनछुई गुफा तक पहुँच गया।
काजल को भी जब ये अहसास हुआ तो एक हल्की सी सिसकी निकाल गई- “आईईई.. इसस्स्स..." शायद गुफा से पानी रिसना शुरू हो चुका था।
काजल भी अब पूरी तरह गरम हो चुकी थी। अब काजल होंठों को चूसने में समीर का साथ देना चाहती थी। काजल ने जैसे ही अपने होंठों को खोलते हुए समीर के होंठों को चूसना चाहा, समीर ने एकदम से काजल को छोड़ दिया काजल समीर को ऐसे देखने लगी जैसे किसी ने उसके मुँह से निवाला छीना हो।
समीर जानता था की काजल पूरी तरह बस में आ चुकी है। चाहे तो आज ही काजल की सील तोड़ सकता है। मगर समीर ये काम जल्दबाजी में करना नहीं चाहता था। अभी तो काजल पूरा हफ़्ता यहीं रहेगी। समीर काजल को इतना तड़पाना चाहता था की काजल खुद ही कहे- "जीजू डाल दो लण्ड मेरी चूत में.."
काजल समीर को ऐसे देख रही थी जैसे कह रही हो- “क्यों तड़पा रहे हो जीज, भर लो बाँहो में..."
काजल- "चलिये..." और दोनों ने अपने कपड़े चेंज किए और समीर काजल को लेकर कंपनी
यूँ ही पूरा दिन गुजर जाता है। नेहा टीना को लेकर घर पहुँच गई।
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Re: Incest घर की मुर्गियाँ
शाम को विजय घर पहुँचता है तो देखा की घर पर ताला लटका हुआ है। विजय टीना को काल करता है- “हेलो टीना बेटी कहां हो?
टीना- हेलो पापा मैं नेहा के साथ हूँ।
विजय- बेटा घर की चाबी कहां है?
टीना- पापा बराबर में स्वाती आँटी के पास है। वहां से ले लो।
विजय- “ओके बेटा..." कहरर विजय फोन काट देता है और पड़ोस में स्वाती
के घर की बेल बजाता है। ट्रिंग-ट्रिंग। दरवाजा खुलता है। स्वाती ही दरवाजा खोलती है।
विजय- हेलो भाभीजी टीना घर की चाबी आपको देकर गई है?
स्वाती- जी भाई साहब। अभी लाती हूँ। भाभी नहीं आई?
विजय- नहीं उसकी माँ की हालत बहुत खराब है।
स्वाती अंदर से घर की चाबी लाकर विजय को देती है- "भाई साहब कुछ चाय ठंडा ले लो..."
विजय- नहीं बस थैक्स।
स्वाती- टीना बिटिया भी नहीं है खाना के लिए कैसे करोगे?
विजय- कोई बात नहीं भाभीजी, होटल से खा लूँगा।
स्वाती- अरे... भाई साहब आप हमारे होते हए होटल से खाओगे? मैं आपके लिए खाना भिजवा दूंगी। पड़ोसी होने
का इतना तो फर्ज बनता है।
विजय चाबी लेकर मुश्कुराता हुआ अपने दरवाजे की तरफ मुड़ जाता है। विजय सफर से पूरी तरह थक चुका था घर में घुसते ही अपने कपड़े उतारने लगा शर्ट पैंट बनियान और सिर्फ अंडरवेर पहने हुए बाथरूम में घुस जाता है। और जैसे ही नहाने के लिए शावर खोलता है, तो नाल में पानी ही नहीं था।
विजय- "ये टीना भी बहुत लापरवाह है, इसने पानी की टंकी भी नहीं भरी आज.." और विजय झुंजलाते हुए बाहर निकल जाता है। फिर सोचता है- “शायद टीना के अटैच बाथरूम में पानी हो? और विजय टीना के रूम में
पहुँचता है। देखा एक टब में पानी भरा हुआ था। विजय ने जल्दी-जल्दी अपने जिश्म पे पानी डाला। नहाने के बाद विजय अपने आपको बड़ा हल्का महसूस कर रहा था।
विजय बदन पोछने के लिए तौलिया देखने लगा। तभी विजय की नजर बाथरूम की सेल्फ पर रखे रबड़ के लण्ड पर चली गई। विजय आश्चर्य से देखने लगा। ये क्या है? और आगे बढ़कर उस रबड़ के लण्ड को अपने हाथों में ले लेता है
विजय- ओह माई गोड... ए क्या है? टीना ये सब्ब...”
विजय को बड़ा तगड़ा झटका लग चुका था। विजय का दिल मानने को तैयार नहीं था। नहीं नहीं, ये सब टीना नहीं कर सकती। टीना तो अभी बच्ची है। मगर फिर विजय के जेहन में सवाल उठता है- “ये बाथरूम तो सिर्फ टीना ही इश्तेमाल करती है। मगर ये आया कहां से टीना के पास?” सोच-सोचकर विजय का दिमाग खराब होने लगा
टीना- हेलो पापा मैं नेहा के साथ हूँ।
विजय- बेटा घर की चाबी कहां है?
टीना- पापा बराबर में स्वाती आँटी के पास है। वहां से ले लो।
विजय- “ओके बेटा..." कहरर विजय फोन काट देता है और पड़ोस में स्वाती
के घर की बेल बजाता है। ट्रिंग-ट्रिंग। दरवाजा खुलता है। स्वाती ही दरवाजा खोलती है।
विजय- हेलो भाभीजी टीना घर की चाबी आपको देकर गई है?
स्वाती- जी भाई साहब। अभी लाती हूँ। भाभी नहीं आई?
विजय- नहीं उसकी माँ की हालत बहुत खराब है।
स्वाती अंदर से घर की चाबी लाकर विजय को देती है- "भाई साहब कुछ चाय ठंडा ले लो..."
विजय- नहीं बस थैक्स।
स्वाती- टीना बिटिया भी नहीं है खाना के लिए कैसे करोगे?
विजय- कोई बात नहीं भाभीजी, होटल से खा लूँगा।
स्वाती- अरे... भाई साहब आप हमारे होते हए होटल से खाओगे? मैं आपके लिए खाना भिजवा दूंगी। पड़ोसी होने
का इतना तो फर्ज बनता है।
विजय चाबी लेकर मुश्कुराता हुआ अपने दरवाजे की तरफ मुड़ जाता है। विजय सफर से पूरी तरह थक चुका था घर में घुसते ही अपने कपड़े उतारने लगा शर्ट पैंट बनियान और सिर्फ अंडरवेर पहने हुए बाथरूम में घुस जाता है। और जैसे ही नहाने के लिए शावर खोलता है, तो नाल में पानी ही नहीं था।
विजय- "ये टीना भी बहुत लापरवाह है, इसने पानी की टंकी भी नहीं भरी आज.." और विजय झुंजलाते हुए बाहर निकल जाता है। फिर सोचता है- “शायद टीना के अटैच बाथरूम में पानी हो? और विजय टीना के रूम में
पहुँचता है। देखा एक टब में पानी भरा हुआ था। विजय ने जल्दी-जल्दी अपने जिश्म पे पानी डाला। नहाने के बाद विजय अपने आपको बड़ा हल्का महसूस कर रहा था।
विजय बदन पोछने के लिए तौलिया देखने लगा। तभी विजय की नजर बाथरूम की सेल्फ पर रखे रबड़ के लण्ड पर चली गई। विजय आश्चर्य से देखने लगा। ये क्या है? और आगे बढ़कर उस रबड़ के लण्ड को अपने हाथों में ले लेता है
विजय- ओह माई गोड... ए क्या है? टीना ये सब्ब...”
विजय को बड़ा तगड़ा झटका लग चुका था। विजय का दिल मानने को तैयार नहीं था। नहीं नहीं, ये सब टीना नहीं कर सकती। टीना तो अभी बच्ची है। मगर फिर विजय के जेहन में सवाल उठता है- “ये बाथरूम तो सिर्फ टीना ही इश्तेमाल करती है। मगर ये आया कहां से टीना के पास?” सोच-सोचकर विजय का दिमाग खराब होने लगा
मस्त राम मस्ती में
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Re: Incest घर की मुर्गियाँ
विजय- "मुझे इसका पता लगाना है..” विजय बाथरूम से निकलकर कपड़े पहनकर बाहर ड्राइंग रूम में सोफे पर बैठ जाता है। विजय के मन में फिर से ढेर सारे सवाल आने लगते हैं। क्या मेरी बच्ची अब जवान हो गई है?
क्या टीना ने इसको अपने अंदर डाला होगा? क्या मुझे टीना से इस बारे में बात करनी चाहिए? विजय को जेहन में जाने कैसे-कैसे सवाल उमड़ रहे थे तभी दरवाजे पर दस्तक होती है विजय उठकर दरवाजा खोलता है।
गेट पर स्वाती खाने की थाली लिए खड़ी थी।
विजय- अरे... भाभी आपने क्यों कष्ट किया?
स्वाती- भाई साहब ये तो पड़ोसी होने के नाते हमारा फर्ज़ है।
विजय खाने की थाली ले लेता है।
स्वाती- आप खाना खा लीजिए, बर्तन बाद में ले जाऊँगी।
विजय- ठीक है भाभीजी।
विजय थाली लेकर सोफे पर बैठकर खाना खाने लगता है। खाना खाकर विजय अपने बेड पर लेट जाता है। मगर फिर से टीना का ध्यान आने लगता है। विजय के मन से टीना का ध्यान हट ही नहीं रहा था। विजय ने रूम
की लाइटें भी बंद कर ली, और जाने कब विजय को नींद आई होगी।
*****
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क्या टीना ने इसको अपने अंदर डाला होगा? क्या मुझे टीना से इस बारे में बात करनी चाहिए? विजय को जेहन में जाने कैसे-कैसे सवाल उमड़ रहे थे तभी दरवाजे पर दस्तक होती है विजय उठकर दरवाजा खोलता है।
गेट पर स्वाती खाने की थाली लिए खड़ी थी।
विजय- अरे... भाभी आपने क्यों कष्ट किया?
स्वाती- भाई साहब ये तो पड़ोसी होने के नाते हमारा फर्ज़ है।
विजय खाने की थाली ले लेता है।
स्वाती- आप खाना खा लीजिए, बर्तन बाद में ले जाऊँगी।
विजय- ठीक है भाभीजी।
विजय थाली लेकर सोफे पर बैठकर खाना खाने लगता है। खाना खाकर विजय अपने बेड पर लेट जाता है। मगर फिर से टीना का ध्यान आने लगता है। विजय के मन से टीना का ध्यान हट ही नहीं रहा था। विजय ने रूम
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