Incest घर की मुर्गियाँ

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mastram
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Re: Incest घर की मुर्गियाँ

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रात के 9:00 बज चुके थे। टीना आज पूरी तरह गरम हो चुकी थी। चूत में बड़ी आग भड़क रही थी। ऐसी आग सिर्फ लण्ड मा सकता था। मगर अब टीना को नेहा के घर रुकने पर विजय ने पाबंदी लगा दी थी। तभी टीना को सुबह पापा का दिया गिफ्ट याद आता है, और वो गिफ्ट पैक खोलने लगती है।

टीना सोचती है- “अभी तो मेरा बर्थ-डे भी एक महीने बाद है। फिर पापा ने मुझे आज गिफ्ट किस खुशी में दिया? क्या हो सकता है इसमें? टीना ने अब तक गिफ्ट की पैकिंग खोल दी थी। और जैसे ही डब्बे को खोला तो टीना की आँखें खुली की खुली रह गई।

टीना- “ओह माई गोड... लेडीस अंडरगार्मेंट्स... पापा मेरे लिए लाये? टीना को यकीन नहीं आ रहा था। पापा ने ये गिफ्ट मुझे क्यों दिया?" टीना एकदम पत्थर की बुत बनी गिफ्ट को देखे जा रही थी। टीना सोच रही थी पापा ने ये गिफ्ट क्यों दिया? मगर कोई जवाब नहीं मिल रहा था। क्या पापा मुझे माडल बनाना चाहते थे? या इस रूप में देखना चाहते हैं? या मेरे साथ सेक्स करना चाहते है? छीः छीः ये मैं क्या सोचने लगी। टीना विजय के दोस्त अजय से और समीर से सेक्स कर चुकी थी। मगर जाने क्यों पापा के नाम से ही आज टीना को अपने आप पर बड़ी शर्म आ रही थी..."


टीना ब्रा सेट वापस डब्बे में करके अलमारी में रखती है और लाइट बंद करके बिस्तर पर लेट जाती है। थोड़ी देर बाद टीना को फिर से पापा का नंगा जिश्म याद आ जाता है। टीना में सेक्स की आग भड़कने लगती है, और टीना अपनी चूचियों को हाथों से मसलने लगती है। मगर आग तो चूत में लगी थी। चूची मसलने से क्या होगा? और टीना सलवार का नाड़ा खोल देती है और अपनी उंगली को चूत में घुसा देती है। चूत पूरी तरह भीग चुकी थी। चूत की आग आज उंगली से भी बुझने वाली नहीं थी।

तभी टीना को डिल्डो का खयाल आता है, और फिर टीना उठकर बाथरूम में पहुँचती है, और सेल्फ पर रबड़ का लण्ड देखती है। मगर यहां से (डिल्डो) रबड़ का लण्ड गायब था। अब टीना की सिट्टी पिट्टी गम हो गई। सारा जोश एकदम ठंडा पड़ गया। फिर टीना को ये यकीन हो गया की डिल्डो जरूर पापा के हाथ लग गया।

टीना चुपचाप आकर बेड पर लेट गई, और सोचने लगी- “कैसे सामना करूँगी पापा का? जब पापा मुझसे इसके बारे में पूछेगे...

टीना बेचारी ये सब सोच रही थी, तभी टीना का मोबाइल बजता है। टीना को जैसे मोबाइल की आवाज सुनाई ही नहीं दी, और मोबाइल बजते-बजते बंद हो गया।

थोड़ी देर बाद फिर से मोबाइल बजता है। इस बार टीना को जैसे होश आया हो। टीना उठकर देखती है। ये तो पापा की काल थी।

टीना- हेलो।

विजय- बेटा क्या कर रही हो?

टीना- पापा सो गई थी।

विजय- इतनी जल्दी?

टीना- जी आज थकान हो रही थी।

विजय- चलो सो जाओ गुड नाइट।

टीना- गुड नाइट पापा।

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mastram
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Re: Incest घर की मुर्गियाँ

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दूसरी तरफ काजल और समीर घर पहुँच चुके थे। काजल की हालत ज्यादा बढ़िया नहीं थी। टांगों में चलते हुए बड़ा दर्द हो रहा था। मगर काजल किसी पर अपना दर्द जाहिर नहीं करना चाहती थी। सबके साथ डिनर करके काजल अपनी भाभी नेहा के रूम में पहुँचती है। फिर भी काजल की चाल नार्मल नहीं थी।

नेहा- क्या हुआ मेरी ननद को?

काजल- कुछ नहीं भाभी, वो पर फिसल गया था।

नेहा- अच्छा जी। मूव लगा दूं?

काजल- नहीं, ऐसे ही ठीक हो जायेगा।

नेहा- "तुम यहीं लेटो, मैं हल्दी वाला दूध लाती हूँ..” कहकर नेहा नीचे चली जाती है।

काजल लेटे हए सोचती है- "सेक्स करने में जब मेरी इतनी बुरी हालत हो गई। मगर भाभी को भइया से सेक्स करते हुए इतना दर्द क्यों नहीं हुआ। जबकी भइया का तो लगता था समीर से भी बड़ा था। भाभी ने तो बड़े मजे से उस रात कई बार सेक्स किया। फिर मेरी ऐसी हालत क्यों हो गई?"

काजल लेटे हुए यही सोच रही थी। तभी नेहा हल्दी वाला दूध काजल को देती है, और काजल दूध पी जाती है।

नेहा- बस अब आँखें बंद करके सो जाओ, सुबह तक दर्द चला जायेगा।

काजल आँखें बंद करके लेट गई। मगर चूत में अभी भी दर्द हो रहा था। काजल को नींद नहीं आ रही थी। नेहा रूम की लाइट बंद करके काजल के बराबर में लेट जाती है। करीब रात के 11:00 बजे नेहा ब पीरे से उठती है, और रूम से बाहर निकल जाती है।

अभी तक काजल को भी नींद नहीं आई थी। काजल नेहा के इस तरह उठकर जाने से हैरान थी, और धीरे से उठकर देखती है की नेहा कहां जा रही है?

काजल जैसे ही दरवाजे से बाहर देखती है, तो नेहा समीर के रूम में जाती दिख गई। काजल मन में- "ओह माई गोड... क्या भाभी अपने भाई से ही... ...." काजल को तो यकीन नहीं हो रहा था।

काजल पूरी तरह कनफर्म करना चाहती थी। इसलिये लड़खड़ाते कदमों से समीर के रूम की तरफ चल दी। समीर के रूम का दरवाजा अंदर से बंद हो चुका था। मगर रूम की लाइट जली हुई थी जिससे काजल को दरवाजे में एक झिरी दिखाई दे गई, और फिर काजल ने अपनी आँखें झिरी से टिका दी। रूम का नजारा काजल को एकदम क्लियर देखने लगा। जैसा सोचा था बिल्कुल वैसा ही सीन काजल के सामने था।

समीर ने नेहा को बाँहो में भींच रखा था और नेहा की गर्दन को चूम रहा था।

काजल मन में- “ओहह... तो ये राज है भाभी का? भाभी का तो चरित्र खराब है। क्या मुझे राहल भइया से इस बारे में बात करनी चाहिए?" काजल अपनी भाभी नेहा के बारे में जाने क्या-क्या सोचे जा रही थी।

तभी समीर के बोलने की आवाज सुनाई देती है- "काजल सो गई क्या?"

नेहा- जी भइया, आज काजल का पैर स्लिप हो गया था। पैर में दर्द बता रही थी। हल्दी वाला दूध पीकर तभी सो गई थी।

समीर- और सुना बहना, राहुल कितना प्यार करता है तुझे?

नेहा- भइया वो तो मुझे दीवानों की तरह प्यार करते हैं। रात भर सोने नहीं देते और दिन में मोका मिल जाय तो दिन में भी। वो तो यहां भेजने को भी तैयार नहीं थे की कैसे रहँगा तेरे बिना? और सास ससुर भी बेटी की तरह प्यार करते हैं, और मेरी ननद काजल एक दोस्त की तरह। उसने तो टीना की कमी का अससास भी होने दिया। बिल्कुल टीना की तरह चुलबुली है।

समीर- वाह... नेहा तेरी किश्मत तो खुल गई।

नेहा- जी भइया। और भइया आपको एक बात और बताऊँ? उनका वो तो आपसे भी लगभग 3 इंच बड़ा है।

समीर- वाह नेहा.. तेरी तो बल्ले-बल्ले हो गई। मगर एक बात बता, पहली रात राहुल को तुझपर शक तो नहीं
हुआ?

नेहा- “नहीं भइया। जब उनका अंदर गया तो मुझे भी थोड़ा दर्द तो हुआ, और मैं थोड़ा जानबूझ कर भी चिल्लाई,
और राहुल मुझे हौसला देते रहे.."
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mastram
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काजल ये बातें सुनकर असमंजश में पड़ गई- “क्या मुझे राहल भइया से भाभी और समीर के संबंधों के बारे में बताना चाहिए?" ये सोचते हुए काजल वहां से उठकर रूम में आकर लेट गई और सोचने लगी- "भाभी तो राहल के साथ खुश है, अगर मैंने भइया से ये बात बता दी तो राहल भइया जाने क्या कर बैठें? नहीं नहीं, मैं भइया से कुछ नहीं कहूँगी। कुछ दिन की ही तो बात है। फिर तो भाभी को राहुल भइया के पास ही रहना है।


भाभी का चक्कर अपने भाई से है। घर की बात घर में ही दब जायेगी।

काजल को अब नेहा भाभी से कोई गिला नहीं था। एक सुकून का अहसास हो चुका था, जिससे काजल की आँखों में नींद की खुमारी आ चुकी थी।

उधर समीर के रूम में अब तक दोनों के कपड़े उतर चुके थे।

नेहा ने समीर के लण्ड से खेलना शुरू कर दिया था- "भइया क्या बात है, आज तो आपका साइज भी बड़ा सा लग रहा है?

समीर- दिव्या ने इसे तेरे जाने के बाद खूब प्यार दिया।

नेहा- “ओहो भझ्या ये बात है.." और नेहा ने मुँह खोलकर लण्ड का सुपाड़ा मुँह में भर लिया और कुल्फी की तरह चूसना शुरू कर दिया।
... ऊहह.. उम्म्म्म
... आअहह..
.

समीर- आअहह... नेहा तू तो बड़ी खिलाड़ी बन गई आईई... इसस्स्स्स नेहा मजा आ रहा है... सस्स्सी ... आअहह... उईईई...”

नेहा लण्ड को मुँह में लिए अपनी जीभ को चारों तरफ घुमाने लगी, जिससे समीर की उतेजना चरम पर पहुँचने लगी।

समीर- “आहह... बस बस आहह... नेहा रुक्क जा.." और समीर जल्दी से नेहा के मुँह से लण्ड बाहर खींच लेता है।

नेहा- क्या हुआ भइया, बाहर क्यों निकाला?

समीर- दूसरे घर में भी तो जाना है इसको।

नेहा- अच्छा जी.. पहले दूसरे घर की सफाई तो कर लो।

समीर नेहा की बात का मतलब समझ चुका था, और नेहा की टाँगें फैलाकर चूत के होंठों पर अपने होंठ टिका देता है। नेहा की चूत भी गीली हो चुकी थी। समीर दोनों फांकों के बीच अपनी जीभ घुसा देता है।

नेहा की सिसकी निकल जाती है- “आअहह.. भइया क्या चूसते हो... ऐसे ही... मजा आ रहा है..."

समीर यूँ ही चूत को चूसता रहा। लण्ड पूरा फौलद की तरह टाइट हो चुका था। बस अब समीर के लण्ड से बर्दाश्त करना मुश्किल था, और फिर नेहा की टाँगें और फैलाकर लण्ड को चूत के निशाने पर रखा और एक जोरदार शाट मार दिया। लण्ड एकदम बाउंड्री पर करता हुआ बच्चेदानी की दीवार से जा टकराया।

नेहा की बड़ी जोर से सिसकी निकल गई- “हाय भइया मर गई... आअहह... एक ही बार में पूरा घुसा दिया आपने।

एक दो धक्कों में ही नेहा की उहह... आहह.. में बदल गई।

नेहा- “आहह... अहह... अहह... सस्सीई... सस्सीई.. आह... ओहह... उम्म्म्म
... भइय्या.."

समीर ऊपर से और नेहा नीचे से धक्के पर धक्के लगा रहे थे। आधे घंटे की चुदाई में दोनों बुरी तरह से थक चुके थे। नेहा समीर को गुडनाइट किस देकर अपने रूम में चली गई, और समीर दरवाजा बंद करके यूँ हो नंगा सो गया।
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दूसरी तरफ सुबह 6:00 बजे विजय की आँख खुलती है, और विजय उठकर बाथरूम में फ्रेश होता है। टीना अभी तक सो रही थी। विजय को सुबह-सुबह चाय पीने की आदत थी। विजय किचेन में पहुँचकर दो कप चाय बनाकर ऊपर टीना का रूम खटखटाता है।

विजय- टीना बेटा उठो।

टीना दरवाजा खोलती है। सामने पापा हाथ में चाय के दो कप पकड़े खड़े थे।

विजय- गुड मार्निंग।

टीना- गुड मार्निग पापा।

विजय मुश्कुराता हुआ अंदर टीना के बिस्तर पर बैठ गया।

टीना- पापा मुझसे बोल देते, चाय में बना देती।

विजय- कोई बात नहीं बेटा। आज अपने बायफ्रेंड के हाथ की चाय पीकर बताओ कैसी बनी है?


टीना चाय का कप लेकर, चाय का एक सिप लेती है- “वाह पापा... आपने तो बहुत बढ़िया चाय बनाई है। मजा
आ गया..."

विजय और टीना आमने सामने बैठे हए य की चुस्की ले रहे थे। विजय की नजरें बार-बार टीना के जिश्म को निहार रही थीं। टीना को भी इस बात का अहसास हो चुका था।

विजय- बेटा रात को बड़ी जल्दी नींद आ गई थी तुझे?

टीना- जी पापा, कल बहुत थकान हो रही थी।

विजय- अच्छा ये बता मेरा गिफ्ट पसंद आया?


टीना ये सुनते ही शर्म से कुछ बोल नहीं पाई और गर्दन नीचे कर लेती है।


विजय- क्या हुआ बेटा, तुझे मेरा गिफ्ट अच्छा नहीं लगा?


टीना फिर भी चुप रहती है।

विजय- कुछ तो बोल टीना, क्या तुझे वाकई पसंद नहीं आया?

टीना- नहीं पापा वो... ऐसी बात नहीं है.... बता नहीं सकती।

विजय- बता ना एक बार। अगर यूँ खामोश रहेगी तो मैं समझंगा तुझे मेरा गिफ्ट पसंद नहीं आया, और अगर पसंद आया हो तो अपनी गर्दन को ऊपर-नीचे ही कर दे।

अब टीना अपनी गर्दन ऊपर-नीचे कर देती है।

विजय- मेरी बेटी को गिफ्ट पसंद आया, तो थॅंक यू नहीं बोलेगी?

टीना- थॅंक यू पापा।

विजय- बस थॅंक यू से काम नहीं चलेगा।

टीना- पापा फिर मुझे क्या करना होगा?

विजय- मेरा गिफ्ट पहनकर दिखाओ।

टीना फिर खामोश।

विजय- बेटा क्या बात है तू बार-बार चुप हो जाती है? क्या तुझे मेरा आना बुरा लग रहा है।

टीना- नहीं पापा ऐसी बात नहीं है। आपके सामने मुझे शर्म आयेगी।

विजय- “मैं जानता हूँ ये तुझे पसंद है बेटा, और मुझे तेरा एक राज भी मालूम है..” विजय को टीना और नेहा
का अपनी दुकान पर सी.सी.टी.वी. कैमरे वाला सीन याद आ जाता है।

टीना का ये बात सुनकर दिल धड़कने लगता है। टीना सोचती है- “पापा डिल्डो की बात कर रहे हैं, और टीना की
आँखों में आँसू निकाल आते है, और टीना रोते हुए पापा से गिड़गिड़ाने लगती है- “वो... पापा सारी... मुझसे गलती हो गई, मुझे माफ कर दो..."
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